महाभारतम्-12-शांतिपर्व-326
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आसुरिणा कपिलं प्रति अव्यक्तादितत्वविषयकप्रश्नः।। 1।।
* युधिष्ठिर उवाच। | 12-326-1x |
अव्यक्तव्यक्ततत्वानां निश्चयं भरतर्षभ। वक्तुमर्हसि कौरव्य देवस्याजस्य या कृतिः।। | 12-326-1a 12-326-1b |
भीष्म उवाच। | 12-326-2x |
अत्राप्युदाहरन्तीमं संवादं गुरुशिष्ययोः। कपिलस्यासुरेश्चैव सर्वदुःखविमोक्षणम्।। | 12-326-2a 12-326-2b |
असुरिरुवाच। | 12-326-3x |
अव्यक्तव्यक्ततत्वानां निश्चयं बुद्धिनिश्चयम्। भगवन्नमितप्रज्ञ वक्तुमर्हसि मेऽर्थितः।। | 12-326-3a 12-326-3b |
किं व्यक्तं किमव्यक्तं किं व्यक्ता व्यक्तं किमिति तत्वानि। किमाद्यं मध्यमं च तत्वानां किमध्यात्माधिभूतदैवतं च।। | 12-326-4a 12-326-4b 12-326-4c 12-326-4d |
किंनु सर्गाप्ययं कति सर्गाः किं भूतं किं भविष्यं किं भव्यं च किं ज्ञानम्। को ज्ञाता किं बुद्धं किमप्रबुद्धं किं बुध्यमानं कति पर्वाणि।। | 12-326-5a 12-326-5b 12-326-5c 12-326-5d |
कति स्रोतांसि कति कर्मयोनयः किमेकत्वं नानात्वम्। किं सहवासं निवासं किं विद्याविद्यमिति।।' | 12-326-6a 12-326-6b 12-326-6c 12-326-6d |
।। इति श्रीमन्महाभारते शान्तिपर्वणि मोक्षधर्मपर्वणि षङ्विंशत्यधिकत्रिशततमोऽध्यायः।। 326।। |
- एतदादयस्रयोऽध्यायाः ध. पुस्तके एव वर्तन्ते।
शांतिपर्व-325 | पुटाग्रे अल्लिखितम्। | शांतिपर्व-327 |