शब्दकल्पद्रुमः
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- स्यार-राजा-राधाकान्तदेव-बाहादुरेण विरचितः
- श्रीवरदाप्रसाद-वसुना तदनुजेन श्रीहरिचरण-वसुना च् अशेषशास्त्रविशारदकोविदवृन्दसाहाय्येन संपरिवर्द्धितः नागराक्षरैः प्रकाशितश्च ।
प्रथमकाण्डम्
[सम्पाद्यताम्]अ | अ | अच | अत्यालः | अनियमः | अन्यदा | अभियोगः | अम्लरुहा | अर्दना | अवधिः | अश्मजं |
आ | आ | आनुमानिकः | आवर्त्तनी | |||||||
इ | इ | |||||||||
उ | उ | उदर्दः | उपनयनं | |||||||
ऊ | ऊ | |||||||||
ऋ/ऋ/ॡ/ॡ | ऋ | |||||||||
ए/ऐ/ओ/औ/अं/अः | ए |
द्वितीयकाण्डम्
[सम्पाद्यताम्]क | क | कदम्बकः | करेणुसुतः | कर्व्वुरः | काकपक्षः | कारकुक्षीयः | काशिका | |
कुचः | कुलायः | कृकलाशः | केरली | क्रम | क्षि | क्षुरिका | ||
ख | ख | |||||||
ग | ग | गन्धजातं | गाङ्गः | गुण्डकः | गोडः | गौः | ||
घ/ङ | घ | |||||||
च | च | चन्द्रकं | चारं | |||||
छ | छ | |||||||
ज | ज | जनिता | जलाशयः | जेता | ||||
झ/ञ/ट/ठ/ड/ढ/ण | झ | |||||||
त/थ | त | तरान्धुः | तावीषी | तुज | तैली | |||
द | द | दशबलः | दितिसुतः | दुर्गाध्यक्षः | देश्यं | |||
ध | ध | धावकः | ||||||
न | न | नरकजित् | नागवारिकः | नालीकिनी | निरशनं | निष्क्रयः | नेमः |
तृतीयकाण्डम्
[सम्पाद्यताम्]चतुर्थकाण्डम्
[सम्पाद्यताम्]य | य | यवकः | युज | ||||||
र | र | रतिपतिः | रसालसा | राजसभा | रामकर्पूरकः | रुह | |||
ल | ल | लाज | |||||||
व | व | वत्सलः | वरूथः | वलयः | वागीशः | वायकः | वासिः | विगानं | विध |
विमलः | विशयः | विषायुधः | वीर | वृहती | वैजयन्ती | वोटा | व्याड्रः |
पंचमकाण्डम्
[सम्पाद्यताम्]श | श | शब्द | शव | शाल | शिलौकाः | शिवप्रिया | शुकनामा | शेफालिः | श्रथ | श्रु |
ष | ष | |||||||||
स | स | सङ्गवः | सनपर्णी | सप्तनामा | समूहनी | सर्पसत्रं | सागरः | साला | ||
सुकन्दः | सुराजा | सूर्य्यलता | सौधः | स्थलकुमुदः | स्यम | स्वर्गलोकेशः | ||||
ह | ह | हरिले | हि |
वाह्यसूत्राणि
[सम्पाद्यताम्]- शब्दकल्पद्रुम (हिन्दी विकिपीडिया)
- विकिशब्दकोशः (Wiktionary)
स्रोतः
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- कल्पद्रुमः पंचभागेषु 'छ्विरूपे' अत्र वर्तते-