सामग्री पर जाएँ

ब्रह्मपुराणम्/अध्यायः २०२

विकिस्रोतः तः
← अध्यायः २०१ ब्रह्मपुराणम्
अध्यायः २०२
वेदव्यासः
अध्यायः २०३ →
  1. अध्यायः १
  2. अध्यायः २
  3. अध्यायः ३
  4. अध्यायः ४
  5. अध्यायः ५
  6. अध्यायः ६
  7. अध्यायः ७
  8. अध्यायः ८
  9. अध्यायः ९
  10. अध्यायः १०
  11. अध्यायः ११
  12. अध्यायः १२
  13. अध्यायः १३
  14. अध्यायः १४
  15. अध्यायः १५
  16. अध्यायः १६
  17. अध्यायः १७
  18. अध्यायः १८
  19. अध्यायः १९
  20. अध्यायः २०
  21. अध्यायः २१
  22. अध्यायः २२
  23. अध्यायः २३
  24. अध्यायः २४
  25. अध्यायः २५
  26. अध्यायः २६
  27. अध्यायः २७
  28. अध्यायः २८
  29. अध्यायः २९
  30. अध्यायः ३०
  31. अध्यायः ३१
  32. अध्यायः ३२
  33. अध्यायः ३३
  34. अध्यायः ३४
  35. अध्यायः ३५
  36. अध्यायः ३६
  37. अध्यायः ३७
  38. अध्यायः ३८
  39. अध्यायः ३९
  40. अध्यायः ४०
  41. अध्यायः ४१
  42. अध्यायः ४२
  43. अध्यायः ४३
  44. अध्यायः ४४
  45. अध्यायः ४५
  46. अध्यायः ४६
  47. अध्यायः ४७
  48. अध्यायः ४८
  49. अध्यायः ४९
  50. अध्यायः ५०
  51. अध्यायः ५१
  52. अध्यायः ५२
  53. अध्यायः ५३
  54. अध्यायः ५४
  55. अध्यायः ५५
  56. अध्यायः ५६
  57. अध्यायः ५७
  58. अध्यायः ५८
  59. अध्यायः ५९
  60. अध्यायः ६०
  61. अध्यायः ६१
  62. अध्यायः ६२
  63. अध्यायः ६३
  64. अध्यायः ६४
  65. अध्यायः ६५
  66. अध्यायः ६६
  67. अध्यायः ६७
  68. अध्यायः ६८
  69. अध्यायः ६९
  70. अध्यायः ७०
  71. अध्यायः ७१
  72. अध्यायः ७२
  73. अध्यायः ७३
  74. अध्यायः ७४
  75. अध्यायः ७५
  76. अध्यायः ७६
  77. अध्यायः ७७
  78. अध्यायः ७८
  79. अध्यायः ७९
  80. अध्यायः ८०
  81. अध्यायः ८१
  82. अध्यायः ८२
  83. अध्यायः ८३
  84. अध्यायः ८४
  85. अध्यायः ८५
  86. अध्यायः ८६
  87. अध्यायः ८७
  88. अध्यायः ८८
  89. अध्यायः ८९
  90. अध्यायः ९०
  91. अध्यायः ९१
  92. अध्यायः ९२
  93. अध्यायः ९३
  94. अध्यायः ९४
  95. अध्यायः ९५
  96. अध्यायः ९६
  97. अध्यायः ९७
  98. अध्यायः ९८
  99. अध्यायः ९९
  100. अध्यायः १००
  101. अध्यायः १०१
  102. अध्यायः १०२
  103. अध्यायः १०३
  104. अध्यायः १०४
  105. अध्यायः १०५
  106. अध्यायः १०६
  107. अध्यायः १०७
  108. अध्यायः १०८
  109. अध्यायः १०९
  110. अध्यायः ११०
  111. अध्यायः १११
  112. अध्यायः ११२
  113. अध्यायः ११३
  114. अध्यायः ११४
  115. अध्यायः ११५
  116. अध्यायः ११६
  117. अध्यायः ११७
  118. अध्यायः ११८
  119. अध्यायः ११९
  120. अध्यायः १२०
  121. अध्यायः १२१
  122. अध्यायः १२२
  123. अध्यायः १२३
  124. अध्यायः १२४
  125. अध्यायः १२५
  126. अध्यायः १२६
  127. अध्यायः १२७
  128. अध्यायः १२८
  129. अध्यायः १२९
  130. अध्यायः १३०
  131. अध्यायः १३१
  132. अध्यायः १३२
  133. अध्यायः १३३
  134. अध्यायः १३४
  135. अध्यायः १३५
  136. अध्यायः १३६
  137. अध्यायः १३७
  138. अध्यायः १३८
  139. अध्यायः १३९
  140. अध्यायः १४०
  141. अध्यायः १४१
  142. अध्यायः १४२
  143. अध्यायः १४३
  144. अध्यायः १४४
  145. अध्यायः १४५
  146. अध्यायः १४६
  147. अध्यायः १४७
  148. अध्यायः १४८
  149. अध्यायः १४९
  150. अध्यायः १५०
  151. अध्यायः १५१
  152. अध्यायः १५२
  153. अध्यायः १५३
  154. अध्यायः १५४
  155. अध्यायः १५५
  156. अध्यायः १५६
  157. अध्यायः १५७
  158. अध्यायः १५८
  159. अध्यायः १५९
  160. अध्यायः १६०
  161. अध्यायः १६१
  162. अध्यायः १६२
  163. अध्यायः १६३
  164. अध्यायः १६४
  165. अध्यायः १६५
  166. अध्यायः १६६
  167. अध्यायः १६७
  168. अध्यायः १६८
  169. अध्यायः १६९
  170. अध्यायः १७०
  171. अध्यायः १७१
  172. अध्यायः १७२
  173. अध्यायः १७३
  174. अध्यायः १७४
  175. अध्यायः १७५
  176. अध्यायः १७६
  177. अध्यायः १७७
  178. अध्यायः १७८
  179. अध्यायः १७९
  180. अध्यायः १८०
  181. अध्यायः १८१
  182. अध्यायः १८२
  183. अध्यायः १८३
  184. अध्यायः १८४
  185. अध्यायः १८५
  186. अध्यायः १८६
  187. अध्यायः १८७
  188. अध्यायः १८८
  189. अध्यायः १८९
  190. अध्यायः १९०
  191. अध्यायः १९१
  192. अध्यायः १९२
  193. अध्यायः १९३
  194. अध्यायः १९४
  195. अध्यायः १९५
  196. अध्यायः १९६
  197. अध्यायः १९७
  198. अध्यायः १९८
  199. अध्यायः १९९
  200. अध्यायः २००
  201. अध्यायः २०१
  202. अध्यायः २०२
  203. अध्यायः २०३
  204. अध्यायः २०४
  205. अध्यायः २०५
  206. अध्यायः २०६
  207. अध्यायः २०७
  208. अध्यायः २०८
  209. अध्यायः २०९
  210. अध्यायः २१०
  211. अध्यायः २११
  212. अध्यायः २१२
  213. अध्यायः २१३
  214. अध्यायः २१४
  215. अध्यायः २१५
  216. अध्यायः २१६
  217. अध्यायः २१७
  218. अध्यायः २१८
  219. अध्यायः २१९
  220. अध्यायः २२०
  221. अध्यायः २२१
  222. अध्यायः २२२
  223. अध्यायः २२३
  224. अध्यायः २२४
  225. अध्यायः २२५
  226. अध्यायः २२६
  227. अध्यायः २२७
  228. अध्यायः २२८
  229. अध्यायः २२९
  230. अध्यायः २३०
  231. अध्यायः २३१
  232. अध्यायः २३२
  233. अध्यायः २३३
  234. अध्यायः २३४
  235. अध्यायः २३५
  236. अध्यायः २३६
  237. अध्यायः २३७
  238. अध्यायः २३८
  239. अध्यायः २३९
  240. अध्यायः २४०
  241. अध्यायः २४१
  242. अध्यायः २४२
  243. अध्यायः २४३
  244. अध्यायः २४४
  245. अध्यायः २४५
  246. अध्यायः २४६

नरकवधवर्णनम्
व्यास उवाच
द्वारवत्यां ततः शौरिं शक्रस्त्रिभुवनेश्वरः।
आजगामाथ मुनयो मर्त्तरावतवृष्ठगः।। २०२.१ ।।

प्रविश्य द्वारकां सोऽथ समीपे च हरेस्तदा।
कथयामास दैत्यस्य नरकस्य विचेष्टितम्।। २०२.२ ।।

त्वया नाथेन देवानां मनुष्यत्वेऽपि तिष्ठता।
प्रशमं सर्वदुःखानि नीतानि मधुसूदन।। २०२.३ ।।

तपस्विजनरक्षायै सोऽपिष्टो धेनुकस्तथा।
प्रलम्बाद्यास्तथा केशी ते सर्वे निहतास्त्वया।। २०२.४ ।।

कंसः कुवलयापीडः पूतना बालघातिनी।
नाशं नीतास्त्वया सर्वे येऽन्ये जगदुपद्रवाः।। २०२.५ ।।

युष्मद्देर्दण्डसंबुद्धिपरित्राते जगत्त्रये।
यज्ञे यज्ञहविः प्राश्य तृप्तिं यान्ति दिवौकसः।। २०२.६ ।।

सोऽहं सांप्रतमायातो यन्नमित्तां जनार्दन।
तच्छ्रुत्वा तत्प्रतीकारप्रयत्नं कर्तुमर्हसि।। २०२.७ ।।

भौमोऽयं नरको नाम प्राग्ज्योतिषपुरेश्वरः।
करोति सर्वभूतानामपघातमरिंदम।। २०२.८ ।।

देवसिद्धसूरादीनां नृपाणां च जनार्दन।
हत्वा तु सोऽसुरः कन्या रुरोध निजमन्दिरे।। २०२.९ ।।

छत्रं यत्सलिलस्रावि तज्जहार प्रचेतसः।
मन्दरस्य तथा श्रृङ्गं हृतवान्मणिपर्वतम्।। २०२.१० ।।

अमृतस्राविणी दिव्ये मातुर्मेऽमृतकुण्डले।
जहार सोऽसुरोऽदित्या वाञ्छत्यैरावतं द्विपम्।। २०२.११ ।।

दुर्नीतमेतद्‌गोविन्द मया तस्य तवोदितम्।
यदत्र प्रतिकर्तव्यं तत्स्वयं परिमृश्यताम्।। २०२.१२ ।।

व्यास उवाच
इति श्रुत्वा स्मितं कृत्वा भगवान्देवकीसुतः।
गृहीत्वा वासवं हस्ते समुत्तस्थौ वरासनात्।। २०२.१३ ।।

संचिन्तितमुपारुह्य गरुडं गगनेचरम्।
सत्यभामां समारोप्य ययौ प्राग्ज्योतिषं पुरम्।। २०२.१४ ।।

आरुह्यैरावतं नागं शक्रोऽपि त्रिदशालयम्।
ततो जगाम सुमनाः पश्यतां द्वारकौकसाम्।। २०२.१५ ।।

प्राग्ज्योतिषपुरस्यास्य समन्ताच्छतयोजनम्।
आचितं भैरवैः परसैन्यनिवारणे।। २०२.१६ ।।

तांश्चिच्छेद हरिः पाशान्क्षिप्त्वा चक्रं सुदर्शनम्।
ततो मुरः समुत्तस्थौ तं जघान च केशवः।। २०२.१७ ।।

मुरोस्तु(रस्य)तनयान्सप्त सहस्रास्तां(सा तां)स्ततो हरिः।
चक्रधाराग्निनिर्दग्धांश्चाकार शलभानिव।। २०२.१८ ।।

हत्वा मुरं हयग्रीवं तथा पञ्चजनं द्विजाः।
प्राग्ज्योतिषपुरं धीमांस्त्वरावान्समुपाद्रवत्।। २०२.१९ ।।

नरकेनास्य तत्राभून्महासौन्येन संयुगः
कृष्णस्य यत्र गोविन्दो जघ्ने दैत्यान्सहस्रशः।। २०२.२० ।।

शस्रास्त्रवर्षं मुञ्चन्तं स भौमं नरकं बली।
क्षिप्त्वा चक्रं द्विधा चक्रे चक्री दैतेयचक्रहा।। २०२.२१ ।।

हते तु नरके भूमिर्गृहीत्वाऽदितिकुण्डले।
उपतस्थे जगन्नाथं वाक्यं चेदमथाब्रवीत्।। २०२.२२ ।।

धरण्युवाच
यदाऽहमुद्धुता नाथ त्वया शूकरमूर्तिना।
त्वत्संस्पर्शभवः पुत्रस्तदाऽयं मय्यजायत।। २०२.२३ ।।

सोऽयं त्वयैव दत्तो मे त्वयैव विनिपातितः।
गृहाण कुण्डले चेमे पालयास्य च संततिम्।। २०२.२४ ।।

भारावतरणार्थाय ममैव भगवानिमम्।
अंशेन लोकमायातः प्रसादसुमुख प्रभो।। २०२.२५ ।।

त्वं कर्ता च विकर्ता च संहर्ता प्रभवोऽव्ययः।
जगत्स्वरूपो यश्च त्वं स्तूयसेऽच्युत किं मया।। २०२.२६ ।।

व्यापी व्याप्यः क्रिया कर्ता कार्यं च भगवान्सदा।
सर्वभूतात्मभूतात्मा स्तूयसेऽच्युत किं मया।। २०२.२७ ।।

परमात्मा त्वमात्मा च भूतात्मा चाव्ययो भवान्।
यदा तदा स्तुतिर्नास्ति किमर्थं ते प्रवर्तताम्।। २०२.२८ ।।

प्रसीद सर्वभूतात्मन्नरकेन कृतं च यत्।
तत्क्षम्यतामदोषाय मत्सुतः स निपातितः।। २०२.२९ ।।

व्यास उवाच
तथेति चोक्त्वा धरणीं भगवान्भूतभावनः।
रत्नानि नरकावासाज्जग्राह मुनिसत्तमाः।। २०२.३० ।।

कन्यापुरे स कन्यानां षोडशातुलविक्रमः।
शताधिकानि ददृशे सहस्राणि द्विजोत्तमाः।। २०२.३१ ।।

चतुर्दंष्ट्रान्गजांश्चोग्रान्षट्‌सहस्राणि दृष्टवान्।
काम्बोजानां तथाऽश्वानां नियुतान्येकविंशतिम्।। २०२.३२ ।।

कन्यास्ताश्च तथा नागांस्तानश्वान्द्वारकां पुरीम्।
प्रापयामास गोविन्दः सद्यो नरककिंकरैः।। २०२.३३ ।।

ददृशे वारुणं छत्रं तथैव मणिपर्वतम्।
आरोपयामास हरिर्गरुडे पतगेश्वरे।। २०२.३४ ।।

आरुह्य च स्वयं कृष्णः सत्यभामासहायवान्।
अदित्याः कुण्डले दातुं जगाम त्रिदशालयम्।। २०२.३५ ।।

इति श्रीमहापुराणे आदिब्राह्मे कृष्णचरिते नरकवधो नाम द्व्यधिकद्विशततमोऽध्यायः।। २०२ ।।