ब्रह्मपुराणम्/अध्यायः १४९

विकिस्रोतः तः
← अध्यायः १४८ ब्रह्मपुराणम्
अध्यायः १४९
वेदव्यासः
अध्यायः १५० →
  1. अध्यायः १
  2. अध्यायः २
  3. अध्यायः ३
  4. अध्यायः ४
  5. अध्यायः ५
  6. अध्यायः ६
  7. अध्यायः ७
  8. अध्यायः ८
  9. अध्यायः ९
  10. अध्यायः १०
  11. अध्यायः ११
  12. अध्यायः १२
  13. अध्यायः १३
  14. अध्यायः १४
  15. अध्यायः १५
  16. अध्यायः १६
  17. अध्यायः १७
  18. अध्यायः १८
  19. अध्यायः १९
  20. अध्यायः २०
  21. अध्यायः २१
  22. अध्यायः २२
  23. अध्यायः २३
  24. अध्यायः २४
  25. अध्यायः २५
  26. अध्यायः २६
  27. अध्यायः २७
  28. अध्यायः २८
  29. अध्यायः २९
  30. अध्यायः ३०
  31. अध्यायः ३१
  32. अध्यायः ३२
  33. अध्यायः ३३
  34. अध्यायः ३४
  35. अध्यायः ३५
  36. अध्यायः ३६
  37. अध्यायः ३७
  38. अध्यायः ३८
  39. अध्यायः ३९
  40. अध्यायः ४०
  41. अध्यायः ४१
  42. अध्यायः ४२
  43. अध्यायः ४३
  44. अध्यायः ४४
  45. अध्यायः ४५
  46. अध्यायः ४६
  47. अध्यायः ४७
  48. अध्यायः ४८
  49. अध्यायः ४९
  50. अध्यायः ५०
  51. अध्यायः ५१
  52. अध्यायः ५२
  53. अध्यायः ५३
  54. अध्यायः ५४
  55. अध्यायः ५५
  56. अध्यायः ५६
  57. अध्यायः ५७
  58. अध्यायः ५८
  59. अध्यायः ५९
  60. अध्यायः ६०
  61. अध्यायः ६१
  62. अध्यायः ६२
  63. अध्यायः ६३
  64. अध्यायः ६४
  65. अध्यायः ६५
  66. अध्यायः ६६
  67. अध्यायः ६७
  68. अध्यायः ६८
  69. अध्यायः ६९
  70. अध्यायः ७०
  71. अध्यायः ७१
  72. अध्यायः ७२
  73. अध्यायः ७३
  74. अध्यायः ७४
  75. अध्यायः ७५
  76. अध्यायः ७६
  77. अध्यायः ७७
  78. अध्यायः ७८
  79. अध्यायः ७९
  80. अध्यायः ८०
  81. अध्यायः ८१
  82. अध्यायः ८२
  83. अध्यायः ८३
  84. अध्यायः ८४
  85. अध्यायः ८५
  86. अध्यायः ८६
  87. अध्यायः ८७
  88. अध्यायः ८८
  89. अध्यायः ८९
  90. अध्यायः ९०
  91. अध्यायः ९१
  92. अध्यायः ९२
  93. अध्यायः ९३
  94. अध्यायः ९४
  95. अध्यायः ९५
  96. अध्यायः ९६
  97. अध्यायः ९७
  98. अध्यायः ९८
  99. अध्यायः ९९
  100. अध्यायः १००
  101. अध्यायः १०१
  102. अध्यायः १०२
  103. अध्यायः १०३
  104. अध्यायः १०४
  105. अध्यायः १०५
  106. अध्यायः १०६
  107. अध्यायः १०७
  108. अध्यायः १०८
  109. अध्यायः १०९
  110. अध्यायः ११०
  111. अध्यायः १११
  112. अध्यायः ११२
  113. अध्यायः ११३
  114. अध्यायः ११४
  115. अध्यायः ११५
  116. अध्यायः ११६
  117. अध्यायः ११७
  118. अध्यायः ११८
  119. अध्यायः ११९
  120. अध्यायः १२०
  121. अध्यायः १२१
  122. अध्यायः १२२
  123. अध्यायः १२३
  124. अध्यायः १२४
  125. अध्यायः १२५
  126. अध्यायः १२६
  127. अध्यायः १२७
  128. अध्यायः १२८
  129. अध्यायः १२९
  130. अध्यायः १३०
  131. अध्यायः १३१
  132. अध्यायः १३२
  133. अध्यायः १३३
  134. अध्यायः १३४
  135. अध्यायः १३५
  136. अध्यायः १३६
  137. अध्यायः १३७
  138. अध्यायः १३८
  139. अध्यायः १३९
  140. अध्यायः १४०
  141. अध्यायः १४१
  142. अध्यायः १४२
  143. अध्यायः १४३
  144. अध्यायः १४४
  145. अध्यायः १४५
  146. अध्यायः १४६
  147. अध्यायः १४७
  148. अध्यायः १४८
  149. अध्यायः १४९
  150. अध्यायः १५०
  151. अध्यायः १५१
  152. अध्यायः १५२
  153. अध्यायः १५३
  154. अध्यायः १५४
  155. अध्यायः १५५
  156. अध्यायः १५६
  157. अध्यायः १५७
  158. अध्यायः १५८
  159. अध्यायः १५९
  160. अध्यायः १६०
  161. अध्यायः १६१
  162. अध्यायः १६२
  163. अध्यायः १६३
  164. अध्यायः १६४
  165. अध्यायः १६५
  166. अध्यायः १६६
  167. अध्यायः १६७
  168. अध्यायः १६८
  169. अध्यायः १६९
  170. अध्यायः १७०
  171. अध्यायः १७१
  172. अध्यायः १७२
  173. अध्यायः १७३
  174. अध्यायः १७४
  175. अध्यायः १७५
  176. अध्यायः १७६
  177. अध्यायः १७७
  178. अध्यायः १७८
  179. अध्यायः १७९
  180. अध्यायः १८०
  181. अध्यायः १८१
  182. अध्यायः १८२
  183. अध्यायः १८३
  184. अध्यायः १८४
  185. अध्यायः १८५
  186. अध्यायः १८६
  187. अध्यायः १८७
  188. अध्यायः १८८
  189. अध्यायः १८९
  190. अध्यायः १९०
  191. अध्यायः १९१
  192. अध्यायः १९२
  193. अध्यायः १९३
  194. अध्यायः १९४
  195. अध्यायः १९५
  196. अध्यायः १९६
  197. अध्यायः १९७
  198. अध्यायः १९८
  199. अध्यायः १९९
  200. अध्यायः २००
  201. अध्यायः २०१
  202. अध्यायः २०२
  203. अध्यायः २०३
  204. अध्यायः २०४
  205. अध्यायः २०५
  206. अध्यायः २०६
  207. अध्यायः २०७
  208. अध्यायः २०८
  209. अध्यायः २०९
  210. अध्यायः २१०
  211. अध्यायः २११
  212. अध्यायः २१२
  213. अध्यायः २१३
  214. अध्यायः २१४
  215. अध्यायः २१५
  216. अध्यायः २१६
  217. अध्यायः २१७
  218. अध्यायः २१८
  219. अध्यायः २१९
  220. अध्यायः २२०
  221. अध्यायः २२१
  222. अध्यायः २२२
  223. अध्यायः २२३
  224. अध्यायः २२४
  225. अध्यायः २२५
  226. अध्यायः २२६
  227. अध्यायः २२७
  228. अध्यायः २२८
  229. अध्यायः २२९
  230. अध्यायः २३०
  231. अध्यायः २३१
  232. अध्यायः २३२
  233. अध्यायः २३३
  234. अध्यायः २३४
  235. अध्यायः २३५
  236. अध्यायः २३६
  237. अध्यायः २३७
  238. अध्यायः २३८
  239. अध्यायः २३९
  240. अध्यायः २४०
  241. अध्यायः २४१
  242. अध्यायः २४२
  243. अध्यायः २४३
  244. अध्यायः २४४
  245. अध्यायः २४५
  246. अध्यायः २४६

नारसिंहतीर्थवर्णनम्
ब्रह्मोवाच
नारसिंहमिति ख्यातं गङ्गाया उत्तरे तटे।
तस्यानुभावं वक्ष्यामि सर्वरक्षाविधायकम्।। १४९ ।।

हिरण्यकशिपुः पूर्वमभवद्‌बलिनां वरः।
तपसा विक्रमेणापि देवानामपराजितः।। १४९.२ ।।

हरिभक्तात्मजद्वेषकलुषीकृतमानसः।
आविर्भूय सभास्तम्भाद्विश्वात्मत्वं प्रदर्शयन्।। १४९.३ ।।

तं हत्वा नरसिंहस्तत्सैन्यमद्रावयत्तदा।
सर्वान्हत्वा महादैत्यान्क्रमेणाऽऽजौ महामृगः।। १४९.४ ।।

रसातलस्थाञ्शत्रुंश्च जित्वा स्वर्लोकमीयिवान्।
तत्र जित्वा भुवं गत्वा दैत्यान्हत्वा नगस्थितान्।। १४९.५ ।।

समुद्रस्थान्नदीसंस्थान्ग्राममस्थान्वनवासिनः।
नानारूपधरान्दैत्यान्निजघान मृगाकृतिः।। १४९.६ ।।

आकाशगान्वायुसंस्थाञ्ज्योतिर्लोकमुपागतान्।
वज्रपाताधिकनखः समुद्धूतमहासटः।। १४९.७ ।।

दैत्यगर्भस्राविगर्जी निर्जिताशेषराक्षसः।
महानादैर्वीक्षितैश्च प्रलयानलसंनिभैः।। १४९.८ ।।

चपेटैरङ्गविक्षेपैरसुरान्पर्यचूर्णयत्।
एवं हत्वा बहुविधान्गौतमीमगमद्धरिः।। १४९.९ ।।

स्वपदाम्बुजसंभूतां मनोनयननन्दिनीम्।
तत्राम्बर्य इति ख्यातो दण्डकाधिपते रिपुः।। १४९.१० ।।

देवानां दुर्जयो योद्धा बलेन महाताऽऽवृतः।
तेनाभवन्महारौद्रं भीषणं लोमहर्षणम्।। १४९.११ ।।

शस्त्रास्त्रवर्षणं युद्धं हरिणा दैत्यसूनुना।
निजघान हरिः श्रीमांस्तं रिपुं ह्यत्तरे तटे।। १४९.१२ ।।

गङ्गायां नारसिंहं तु तीर्थं त्रैलोक्यविश्रुतम्।
स्नानदानादिकं तत्र सर्वपापग्रहार्दनम्।। १४९.१३ ।।

सर्वरक्षाकरं नित्यं जरामरणवारणम्।
यथा सुराणां सर्वेषां न कोऽपि हरिणा समः।। १४९.१४ ।।

तीर्थानामप्यशेषाणां तथा तत्तीर्थमुत्तमम्।
तत्र तीर्थे नरः स्नात्वा कुर्यान्नृहरिपूजनम्।। १४९.१५ ।।

स्वर्गे मर्त्ये तले वाऽपि तस्य किंचिन्न दुर्लभम्।
इत्याद्याष्टौ मुने तत्र महातीर्थानि नारद।। १४९.१६ ।।

पृथक्पृथक्तीर्थकोटिफलमाहुर्मनीषिणः।
अश्रद्धयाऽपि यन्नाम्नि स्मृते सर्वाघसंक्षयः।। १४९.१७ ।।

भवेत्साक्षान्नृसिंहोऽसौ सर्वदा यत्र संस्थितः।
तत्तीर्थसेवासंजातं फलं कैरिह वर्ण्यते।। १४९.१८ ।।

यथा न देवो नृहरेरधिकः क्वापि वर्तते।
तथा नृसिंहतीर्थेन समं तीर्थं न कुत्रचित्।। १४९.१९ ।।

इति श्रीमहापुराणे आदिब्राह्मे तीर्थमाहात्म्ये नारसिंहाद्यष्टतीर्थवर्णनं नामैकोनपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः।। १४९ ।।

गौतमीमाहात्म्येऽशीतितमोऽध्यायः।। ८० ।।