महाभारतम्-09-शल्यपर्व-028
दिखावट
← शल्यपर्व-027 | महाभारतम् नवमपर्व महाभारतम्-09-शल्यपर्व-028 वेदव्यासः |
शल्यपर्व-029 → |
हतावशिष्टे बले पाण्डवैर्निहते दुर्योधनेन पलायने निर्धारणम्।। 1 ।।
स़ञ्जय उवाच। | 9-28-1x |
ततः क्रुद्धा महाराज सौबलस्य पदानुगाः। त्यक्त्वा जीवितमाक्रन्दे पाण्डवान्पर्यवारयन्।। | 9-28-1a 9-28-1b |
तानर्जुनः प्रत्यगृह्णात्सहदेवजये धृतः। भीमसेनश्च तेजस्वी क्रुद्धाशीविषदर्शनः।। | 9-28-2a 9-28-2b |
शक्त्यृ-ष्टिप्रासहस्तानां सहदेवं जिघांसताम्। सङ्कल्पमकरोन्मोघं गाण्डीवेन धनञ्जयः।। | 9-28-3a 9-28-3b |
सङ्गृहीतायुधान्बाहून्योधानामभिधावताम्। भल्लैश्चिच्छेद बीभत्सुः शिरांस्यपि हयानपि।। | 9-28-4a 9-28-4b |
ते हयाः प्रत्यपद्यन्त वसुधां विगतासवः। चरता लोकवीरेण प्रहताः सव्यसाचिना।। | 9-28-5a 9-28-5b |
ततो दुर्योधनो राजा दृष्ट्वा स्वबलसङ्क्षयम्। हतशेषान्समानीय क्रुद्धो रथगणान्बहून्।। | 9-28-6a 9-28-6b |
कुञ्जरांश्च हयांश्चैव पादातांश्च समन्ततः। उवाच दुःखितान्सर्वान्धार्तराष्ट्र इदं वचः।। | 9-28-7a 9-28-7b |
समासाद्य रणे सर्वान्पाण्डवान्ससुहृद्गणान्। पाञ्चाल्यं चापि सबलं हत्वा शीघ्रं न्यवर्तत।। | 9-28-8a 9-28-8b |
तस्य ते शिरसा गृह्य वचनं युद्धदुर्मदाः। अभ्युद्ययू रणे पार्थांस्तव पुत्रस्य शासनात्।। | 9-28-9a 9-28-9b |
तानभ्यापततः शीघ्रं हतशेषान्महारणे। शरैराशीविषाकारैः पाण्डवाः समवाकिरन्।। | 9-28-10a 9-28-10b |
तत्सैन्यं भरतश्रेष्ठ मुहूर्तेन महात्मभिः। अवध्यत रणं प्राप्य त्रातारं नाभ्यविन्दत।। | 9-28-11a 9-28-11b |
पलायमानं तु भयान्नावतिष्ठति दंशितम्। अश्वैर्विपरिधावद्भिः सैन्येन रजसा वृते।। | 9-28-12a 9-28-12b |
न प्राज्ञायन्त समरे दिशः सप्रदिशस्तथा। ततस्तु पाण्डवानीकान्निःसृत्य बहवो जनाः।। | 9-28-13a 9-28-13b |
अभ्यघ्नंस्तावकान्युद्धे मुहूर्तादिव भारत। ततो निःशेषमभवत्तत्सन्यं तव भारत।। | 9-28-14a 9-28-14b |
अक्षौहिण्यः समेतास्तु तव पुत्रस्य भारत। एकादश हता युद्धे ताः प्रभो पाण्डुसृञ्जयैः।। | 9-28-15a 9-28-15b |
तेषु राजसहस्रेषु तावकेषु महात्मसु। एको दुर्योधनो राजन्नदृश्यत भृशं क्षतः।। | 9-28-16a 9-28-16b |
ततो वीक्ष्य दिशः सर्वा दृष्ट्वा शून्यां च मेदिनीम्। विहीनः सर्वयोधैश्च पाण्डवान्वीक्ष्यं संयुगे।। | 9-28-17a 9-28-17b |
मुदितान्सर्वतः सिद्धान्नर्दमानान्समन्ततः। बाणशब्दरवांश्चैव श्रुत्वा तेषां महात्मनाम्।। | 9-28-18a 9-28-18b |
दुर्योधनो महाराज कश्मलेनाभिसंवृतः। अपयो मनश्चक्रे विहीनबलवाहनः।। | 9-28-19a 9-28-19b |
।। इति श्रीमन्महाभारते शल्यपर्वणि ह्रदप्रवेशपर्वणि अष्टादशदिवसयुद्धे अष्टाविंशोऽध्यायः।। 28 ।। |
शल्यपर्व-027 | पुटाग्रे अल्लिखितम्। | शल्यपर्व-029 |