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लघुसिद्धान्तकौमुदी/अव्ययप्रकरणम्

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  19. तनादिप्रकरणम्
  20. क्र्यादिप्रकरणम्
  21. चुरादिप्रकरणम्
  22. ण्यन्तप्रक्रिया
  23. सन्नन्तप्रक्रिया
  24. यङन्तप्रक्रिया
  25. यङ्लुगन्तप्रक्रिया
  26. नामधातवः
  27. कण्ड्वादिः
  28. आत्मनेपदप्रकिया
  29. परस्मैपदप्रकिया
  30. भावकर्मप्रकिया
  31. कर्मकर्तृप्रकिया
  32. लकारार्थप्रकिया
  33. कृत्यप्रक्रिया
  34. पूर्वकृदन्तप्रकरणम्
  35. उणादिप्रकरणम्
  36. उत्तरकृदन्तप्रकरणम्
  37. विभक्त्यर्थाः (कारकप्रकरणम्)
  38. केवलसमासः
  39. अव्ययीभावसमासः
  40. तत्पुरुषसमासः
  41. बहुव्रीहिसमासः
  42. द्वन्द्वसमासः
  43. समासान्तप्रकरणम्
  44. तद्धिते साधारणप्रत्ययप्रकरणम्
  45. अपत्याधिकारप्रकरणम्
  46. रक्ताद्यर्थकप्रकरणम्
  47. चातुरार्थिकप्रकरणम्
  48. शैषिकप्रकरणम्
  49. विकारार्थप्रकरणम्
  50. ठगधिकारप्रकरणम्
  51. प्राग्घितीयप्रकरणम्
  52. छयतोरधिकारप्रकरणम्
  53. ठञधिकारप्रकरणम्
  54. त्वतलाधिकारप्रकरणम्
  55. भवनाद्यर्थकप्रकरणम्
  56. मत्वर्थीयप्रकरणम्
  57. प्राग्दिशीयप्रकरणम्
  58. प्रागिवीयप्रकरणम्
  59. स्वार्थिकप्रकरणम्
  60. स्त्रीप्रत्ययप्रकरणम्

अथाव्ययानि

स्वरादिनिपातमव्ययम्॥ लसक_३६९ = पा_१,१.३७॥
स्वरादयो निपाताश्चाव्ययसंज्ञाः स्युः। स्वर्। अन्तर्। प्रातर्। पुनर्। सनुतर्। उच्चैस्। नीचैस्। शनैस्। ऋधक्। ऋते। युगपत्। आरात्। पृथक्। ह्यस्। श्वस्। दिवा। रात्रौ। सायम्। चिरम्। मनाक्। ईषत्। जोषम्। तूष्णीम्। बहिस्। अवस्। समया। निकषा। स्वयम्। वृथा। नक्तम्। नञ्। हेतौ। इद्धा। अद्धा। सामि। वत्। ब्राह्मणवत्। क्षत्रियवत्॥ सना। सनत्। सनात्। उपधा। तिरस्। अन्तरा। अन्तरेण। ज्योक्। कम्। षम्। सहसा। विना। नाना। स्वस्ति। स्वधा। अलम्। वषट्। श्रौषट्। वौषट्। अन्यत्। अस्ति। उपांशु। क्षमा। विहायसा। दोषा। मृषा। मिथ्या। मुधा। पुरा। मिथो। मिथस्। प्रायस्। मुहुस्। प्रवाहुकम्, प्रवाहिका। आर्यहलम्। अभीक्ष्णम्। साकम्। सार्धम्। नमस्। हिरुक्। धिक्। अथ। अम्। आम्। प्रताम्। प्रशान्। प्रतान्। मा। माङ्। आकृतिगणो ऽयम्॥
च। वा। ह। अह। एव। एवम्। नूनम्। शश्वत्। युगपत्। भूयस्। कूपत्। कुवित्। नेत्। चेत्। चण्। कच्चित्। यत्र। नह। हन्त। माकिः। माकिम्। नकिः। नकिम्। माङ्। नञ्। यावत्। तावत्। त्वे। द्वै। त्वै। रै। श्रौषट्। वौषट्। स्वाहा। स्वधा। वषट्। तुम्। तथाहि। खलु। किल। अथो। अथ। सुष्ठु। स्म। आदह। (उपसर्गविभक्तिस्वरप्रतिरूपकाश्च)/ अवदत्तम्। अहंयुः। अस्तिक्षीरा। अ। आ। इ। ई। उ। ऊ। ए। ऐ। ओ। औ। पशु। शुकम्। यथाकथाच। पाट्। प्याट्। अङ्ग। है। हे। भोः। अये। द्य। विषु। एकपदे। युत्। आतः। चादिरप्याकृतिगणः॥
तसिलादयः प्राक् पाशपः। शस्प्रभृतयः प्राक् समासान्तेभ्यः। अम्। आम्। कृत्वोर्थाः। तसिवती। नानाञौ। एतदन्तमप्यव्ययम्॥

कृन्मेजन्तः॥ लसक_३७० = पा_१,१.३९॥
कृद्यो मान्त एजन्तश्च तदन्तमव्ययं स्यात्। स्मारं स्मारम्। जीवसे। पिबध्यै॥

क्त्वातोसुन्कसुनः॥ लसक_३७१ = पा_१,१.४०॥
एतदन्तमव्ययम्। कृत्वा। उदेतोः। विसृपः॥

अव्ययीभावश्च॥ लसक_३७२ = पा_१,१.४१॥
अधिहरि॥

अव्ययादाप्सुपः॥ लसक_३७३ = पा_२,४.८२॥
अव्ययाद्विहितस्यापः सुपश्च लुक्। तत्र शालायाम्॥
सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु च विभक्तिषु।&न्ब्स्प्॑वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥
वष्टि भागुरिरल्लोपमवाप्योरुपसर्गयोः। आपं चैव हलन्तानां यथा वाचा निशा दिशा॥
वगाहः, अवगाहः। पिधानम्, अपिधानम्॥

इत्यव्ययानि॥