चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष

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चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष
चतुर्वेदी
१९१७

THE
CHATURWEDI
Sanskrit-Hindi Dictionary
चतुर्वेदी
संस्कृत-हिन्दी कोष

संग्रहकर्त्ता
चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा ।
ALL RIGHTS RESERVED.
LUCKNOW:
PRINTED BY M. I. BHARGAVA, B.A..
AT THE
NEWUL KISHORE PRESS.
1st Edition ]
1917.

[ Price Rs. 3-0-0

THE
CHATURWEDI
SANSKRIT-HINDI DICTIONARY
चतुर्वेदी
संस्कृत-हिन्दी - कोष ॥
संग्रहकर्ता
चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा |
1st Edition. ]
सर्वाधिकार रक्षित हैं
[ Price Rs. 2-8-0

चतुर्वेदीकोष । २

अंशु अंशुमत्फर्ला, (स्त्री.) एक पौधे का नाम । कदलीवृक्ष । केले का पेड़ । अंशुमती (स्त्री.) सालपणवृक्ष | यमुनानदी का एक नाम | अंशुमाला, (स्त्री.) किरणों की माला । किरण- समूह । अंशुमाली, (पुं . ) सूर्य, चन्द्रमा । बारह की संख्या । अंशुहस्त, ( पुं. ) सूर्य । चन्द्रमा | सूर्य अपनी किरणों से पृथिवी से जल खींचते हैं, इस कारण उनकी १००० किरणें हाथ के समान समझी जाती हैं और वे " अंशु - हस्त " कहे जाते हैं । अंस, (धा. उभ. ) देखो श्रंस | श्रंस, (न.) कन्धा | हिस्सा | भाग | अंश । कूट, (पुं.) बृहत्स्कन्ध । बड़े कन्धेवाला । श्रं, (न.) कन्धेकी रक्षा करनेवाली वस्तु । कवच । फलक, ( मुं. ) विशाल स्कन्ध | पटरे के समान कन्धा | कन्धे का एक भाग । भारः, (अ. स. ) कन्धे का भार । कन्धे का रखा हुआ भार । अंसारिक, ( पुं. ) कन्धे पर भार रखने वाला । मजूर । कुली । अंसल, (त्रि.) बलवान् हड़काय । बली । अंहू, ( धा. आत्म. ) गमन | गति | जाना । चलना । अंहतिः - ती, (स्त्री.) पापनाशक | दुरितघ्न । पापों को दूर करनेवाली क्रिया | पाप- नाशक दान । हस्, (न. ) पाप | दुरित । प्रायश्चित्त के द्वारा नष्ट होने वाला पाप । इसी को अंघस् भी कहते हैं । अ, (धा. पर.) जाना । गमन । गति । चलना । श्रकम्, (न.) सुख का अभाव | दुःख । श्रकच, (त्रि.) (न.ब.) विना बालका। जिसके बाल न हों। खल्वाट । अक. कन्चः, ( पुं. ) केतु ग्रहका एक नाम । जो लोक को दुःख पहुँचाने के लिये बढ़े। केतु ग्रह का उदय लोकपीड़ा के लिये प्रसिद्ध है । प्रकडमचक्रम्, (न.) शुभाशुभ विचार का एक चक्र । तान्त्रिक दीक्षा का एक विधान- चक्र, जिससे मन्त्रों के शुभाशुभ का विचार किया जाता है । अकथित, (त्रि.) नहीं कहा हुआ । अनुक्त । अकथितकर्म, (न. ) व्याकरणकी एक संज्ञा का नाम | गौणकर्म । अपादान आदि कारकों को विवा करके कर्मसंज्ञक विभक्तियां जहां होती है वह कथित कर्म है। श्रकनिष्ठ, (न.) छोटा नहीं। बड़ा । ( पुं. ) वेदनिन्दक । वेदों की निन्दा में प्रसन्न होने वाला । बौद्ध । - अकनिष्ठप, ( पुं.) बौद्धों का पालन करनेवाला । बुद्ध भगवान् का एक नाम | बौद्धसम्प्रदाय का आचार्य । कम्पन, (त्रि.) नहीं कम्पने वाला। निर्भय । निडर । ( पुं.) एक राक्षस का नाम । यह रावण की सेना का सेनापति था। अकम्पित, (त्रि. ) ( न.त. ) अचशल | धीर । निर्भय । ((. पुं.) जैन और बौद्धसम्प्रदाय के एक महात्मा का नाम । जैन सम्प्रदाय के श्र न्तिम तीर्थकर का नाम । यह उनका असली नाम नहीं था। किन्तु उनके धीर होने के कारण लोगों ने उन्हें "श्रकम्पित की उपाधि दी थी । 99 अकर, (त्रि.) विना हाथ का । हाथरहित ।" अपने कर्तव्य से उदासीन | अपना कर्तव्य न करनेवाला । अकरणम्, (न. ) कार्य का भाव काम नहीं करना । कर्मरहित । इन्द्रियरहित । इन्द्रियशून्य । करणिः, ( स्त्री. ) कार्य शक्तिका नाश । इस शब्दका प्रयोग शाप देने के कार्थ में कियाजाता है । चतुर्वेदीकोष | ३ अकरा, (स्त्री.) विना हाथकी स्त्री । श्रमलकी वृक्ष । आँवले का पेड़। आँवले का सेवन करने से लोगों के दुःख दूर होते हैं इसी कारण इसका " अकरा ? नाम पड़ा है । करुण, (त्रि. ) करुणारहित । निर्धय । दयाशून्य । श्रीक, (त्रि.) जिसके कानं न हो । कर्णरहित । बहरा । बधिर । कर्ण नामक वीर का भाव या उसका सादृश्य यहां " कर्ण" शब्द का अर्थ और सुनने की शक्ति | दोनों है। अकर्तन, (त्रि.) काटने के योग्य। जो काटा न जाय । कर्तृ, (पं.) काम नहीं करनेवाला । निकम्मा, कियेहुए कर्मों का जो फल भोग न करे । अकर्मक, (त्रि.) जिसके कर्म न हो । धातु का एक भेद | अकर्मक धातु वे कहे जाते हैं, जिनका फल और व्यापार एक श्राश्रय में रहता हो और जिस धातु के कर्म बहुत प्रसिद्ध होने के कारण अविवक्षित हों, वे धातु भी कर्म होजाते हैं। कर्मय (त्रि. ) जो काम न करसके । काम करने के अयोग्य | नहीं कार्य करनेवाला । अकर्मन्, (त्रि.) विना काम का । निकम्मा । काम करने के प्रयोग्य । निष्कामकर्म करने वाला । अकल, (त्रि.) कलारहित । अखण्ड | सम्पूर्ण । समस्त । अकल्क, (त्रि. ) दम्भरहित । अदाम्भिक । अकल्का, ( स्त्री. ) चन्द्रमा का प्रकाश चाँदनी । श्रदाम्भिक स्त्री | पाखयडरहित । अकल्कन, ( त्रि. ) जिसमें दम्भ न हो । दम्भ रहित । अदाम्भिक | अकल्पित (त्रि.) चित्रित | विना बनाया हुआ । धनिर्मित । प्राकृतिक । स्वाभाविक । कल्पनाहीन | कल्पना से परे । 'अकल्य, (त्रि.) | व्याधित | व्याधियुक्त का अकण (त्रि.) मङ्गल कल्याण का अभाव । अकव, (त्रि. ) अवर्णनीय | जिसका वर्णन कियाजाय । न अच्छा न बुरा । कवि, (त्रि. ) निर्बुद्धि, मूर्ख । अकस्मात् ( श्र.) सहसा । अचानचक | • तर्कित । विना शानगुमान | अकाण्ड, ( त्रि. ) विना अवसर | बे मौके । अनुचित काल | अनवसर | अकाण्डजात, (त्रि.) अकस्मात् उत्पन्न | अनुव तरजात । अनुचितकाल में उत्पन्न ! काण्डपात (पुं. ) अतर्कित पात | सहसा गिरना | काण्डे, (क्रि. वि. ) अकस्मात् । अचान चक, सहसा । अनिच्छा से । इच्छा- श्रकाम, (त्रि. ) कामरहित । वासनारहित । क्षीणशक्ति | प्रेमरहित । निष्प्रेम । कामता, (स्त्री.) कामशून्यता । निष्कामता । इच्छाराहित्य | कामतः, ( . ) पूर्वक नहीं । अकामहत, (त्रि.) इच्छा कियेही मरा हुआ। काय, (त्रि. ) शरीररहित । अमूर्त | निरा- कार | शरीरहीन | राहु ग्रह । कार, (त्रि.) काम का अभाव | क्रियारहित । थकार, ( पुं. ) अक्षर | पूर्वक मष्ट | विना कारण, (न. ) कारणशून्य । विना कारण । निष्कारण | प्रयोजनशून्य । बे मतलब | काट्रिकक, ( न.) कान का एक गहना । कर्णभूषण | (त्रि.) जिसमें कृपणता न हो । कृपणता का अभाव | उदारता | श्रौदार्य । कार्य, (न.) अनुचित कार्य । निन्दित कर्म । बुरा काम । अकाल, (पुं.) धनुचित काल | अनवसर 1.

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की
चतुर्वेदीकोष । ४
अधम समय | महँगी का समय | योग्य
समय ।
अकाल-कुसुम, (न.) विना काल का पुष्प ।
जिस पुष्प के उत्पन्न होने का जो समय
नहीं है उस समय में उत्पन्न हुआ पुष्प |
दुःसमय का चिह्नविशेष |
श्रकाल-कूष्माण्ड, ( पुं. ) काल में उत्पन्न
हुआ कोहड़ा।
अकालज, (त्रि.) अकाल में उत्पन्न । विना
समय के उत्पन्न हुआ।
अकाल जलद, (पुं. ) कालका मेघ, वर्षा -
ऋतु को छोड़कर अनऋतु का मेघ ।
अकाल-जलदोदय, ( पुं. ) चकाल में मेघों
की उत्पत्ति । विना समय मेघों का होना ।
कश्मीरी कवि राजशेखर के प्रपितामह का
नाम । सम्भव है यह उनका नाम न रहा
हो। किन्तु उपाधि । सुभाषितावली में उद्धृत
एक श्लोक से इस बात की कुछ झलक
पाई जाती है |
अकालवेला, (स्त्री) अकालिक समय । ज्यों-
तिष शास्त्र में “ कालवेला " एक योग का
नाम है, उसका अभाव ।
अकिञ्चन (त्रि.) जिसके पास कुछ न हो ।
अत्यन्तदरिद्र । महानिर्धन ।
अकिञ्चनता, ( स्त्री. ) सब प्रकार के धन का
भाव । निर्वेद | संसार के पदार्थों से विराग
होने पर जो एक प्रकार का निर्वेद उत्पन्न
होता है।
किञ्चिज्ज्ञ, (त्रि. ) कुछ भी न जाननेवाला ।
महामूर्ख ।
अक्कू
अकुण्ठित (त्रि.) कुण्ठित नहीं । अप्रति-
हत । चारों ओर फैलनेवाला ।
कुतोभय, (त्रि.) जिसको किसी का भय
न हो । निर्भय । निडर । नहीं डरनेवाला ।
श्रकुप्य, ( न. ) धन | सोना । चाँदी ।
सोना और चाँदी से भिन्न धन को कुप्य
कहते हैं, उस से भिन्न अर्थात् सोनी,
चांदी को अकुप्य कहते हैं ।
.
अकुल, (त्रि.) कुलच्युत । कुलटूट | उत्तम
S
कुल का नहीं । शिव का एक नाम ।
अकुला, (स्त्री.) सती | पार्वती का नाम ।
अकुलीन, (त्रि. ) उत्तम कुल का नहीं ।
जिसका कुल उत्तम न हो । २ मर्त्यलोकवासी
नहीं। “कु” का अर्थ है पृथिवी ।
अकुशल, ( त्रि. ) अमङ्गल । अकल्याण
अ चतुर । अनिपुण, अनभिज्ञ
अकूपार, ( पुं० ) समुद्र | सागर । सिन्धु ।
उदधि | कप | कछुवा । सूर्य ।
अकूर्च, (त्रि. ) विना दाढ़ी का | गंजा |
खल्वाट । ( पुं. ) बुद्ध भगवान् ।
प्रकृच्छ्र, (त्रि.) अकठोर | कठिनताशूल्य |
सहज सरल |
कृत (त्रि ) अकर्म
5
कर्मशून्द । फर्म
का प्रभाव |
अकृतार्थ, ( त्रि. ) असफलमनोरथ | अपूर्ण-
मनोरथ | मनोरथ की प्रसिद्धि ।
अकृतास्त्र, (त्रि.) अस्त्रविद्या में चशिक्षित ।
अविद्या में अनभिज्ञ |
अकृतात्मन्, (त्रि.) जिसकी आत्मा
वश में न हो । निर्बुद्धि । मूर्ख जिसने
ब्रह्म और आत्मा का ज्ञान नहीं प्राप्त
किया है ।
अकिञ्चित्कर, (त्रि.) अनावश्यक |
अनर्थक | वृथा । व्यर्थ ।
अकीर्ति, ( स्त्री. ) चप्रशस्त कीर्ति | अनुचित | अकृतोद्वाह (त्रि.) विना म्याहा, कारा ।
कीर्ति । अनुचित कार्यों से प्राप्त कीर्ति ।
अकुण्ठ, (त्रि.) श्रकुण्ठित । अप्रतिहतगति ।
किसी काम में न रुकनेवाला । सब काम में
चतुर ।
अकृतैनस, (त्रि. ) जिसने पाप नहीं किया
है । पापरहित । निष्पाप ।
अकृतज्ञ, (त्रि.) अपने पर किये गये उपकार
को भूल जाने वाला । कृतन |

श्रकृ

चतुर्वेदीकोष |५ अकृतबुद्धि, (त्रि.) मूर्ख । अज्ञानी । अचतुर । अपट्ट, अनिपुण, असमीक्ष्यकारी । अकृतिन्, ( त्रि. ) अनिपुण । अनभिज्ञ | कार्याक्षम | अकृत्य, ( न. ) अकार्यं । कर्तव्य कर्म । न करने योग्य कर्म । निन्दित कर्म । बुरा • काम | काम का भव । विना काम | अकृश, (त्रि.) कृश नहीं । दुबलापतला नहीं | हृष्टपुष्ट | स्वस्थ । न दुबला न मोटा। अकृशाश्व, ( पुं.) अयोध्या के एक राजा का नाम । जिसके दुबले घोड़े न हों । अकृष्ट, (त्रि.) नहीं खींचा हुआ । विना जोता खेत । अकृष्टपच्य, (त्रि.) धान्यविशेष | वह धान्य जो विना जोते हुए खेत में पके । फसही धान । तिनी धान । अकृष्टरोहिन्, (त्रि.) विना जोते खेत में उत्पन्न होने वाला श्रन्न । अकृष्ण, (त्रि.) काला नहीं। श्वेत । स्वच्छ । श्रकेतु, (त्रि.) चिहरहित । पताकाहान | अज्ञान । अकोट, (पुं. ) वृक्ष विशेष गुवाक नामक वृक्ष । अक्का, ( श्री. ) माता । जननी । अलः, (त्रि.) व्याति | युक्ति | गोग | परिच्छेद | जुड़ा हुआ, घिरा हुआ । अक्रतुः, (त्रि.) यज्ञ का भाव । निष्काम | कर्माभाव | दृष्ट और अदृष्ट विषयों से विरक्तबुद्धि । अक्रम, (त्रि.) गमनशक्तिशून्य । पादहीन । विपर्यय । वैपरीत्य । क्रमहीनता। उलट पलट । श्रक्रिय, (त्रि. ) श्रौत स्मार्त क्रिया का त्याग करनेवाला । निन्दित कर्म । निषिद्ध व्यापार | अकर्ता । निकम्मा । निन्दित कर्म करनेवाला । ● अक्रूरः, (पुं.) एक यादव का नाम । इनके पिता का नाम श्यफल्क, और माताका नाम गान्दिनी था। (त्रि. ) अफठोर, अनिष्ठुर, क्रूर नहीं, कोद्दीन । अक्ष अक्रोधः, ( पुं. ) क्रोध का अभाल। क्रोधशून्य। श्रकोप, क्रोध के कारण होने पर भी क्रोध न करना। अकोधन (त्रि.) क्रोधरहित । क्रोधहीन | श्रमः, (त्रि.) लमरहित थकावट से रहित । सदा परिश्रम करनेवाला । थका नहीं। सदा व्यापार में लगा हुआ । अक्लिष्ट, (त्रि. ) क्लेशित नहीं । क्लेशरहित । श्रमर्दित । अक्षः, ( पुं. ) रथ का अवयव विशेष । चक्र | चक्का | पहिया । वह लकड़ी जिसमें पहिये लगाये जाते हैं। व्यवहार | आय व्यय का हिसाब । पाशा । जिससे जुआ खेला जाता है । रुद्राक्ष । बहेड़ा का वृक्ष | ज्ञान । आत्मा इन्द्रिय | रावण | सर्प | शक्ट | रथ | सोलह मासे । कर्ष जन्मान्ध | गरुड़ | बाण और जोविषमें इससे ५ की संज्ञा जानीजाती है । अक्षकः, (पुं. ) वृक्षविशेष । तिनिश नामक वृक्ष । रावण के पुत्र का नाम । इसे अक्ष कुमार भी कहते हैं । अक्षण, (पुं.) इन्द्रियों का समूह । श्रक्षचरण ( पुं.) यक्षपाद । आचार्य गौतम का एक नाम । अक्षतम्, (न. ) चावल । जौ । ( पुं. ) विना टूटे चावल, जो देवताओंको चढ़ायेजाते हैं। अक्षता, ( स्त्री. ) ककड़ासगी वृक्ष । पुरुषसंसर्ग- रहित स्त्री । अक्षदर्शक, (पुं. ) प्राइविवाक | धर्माध्यक्ष | व्यवहारों का देखनेवाला। जज | मुंसिफ जुआरी । पासा का देखनेवाला । श्रदविन्, (त्रि.) जुश्राड़ी | जुआ खेलने वाला । धूर्त । अक्षद्यः, ( पुं. ) जुवाड़ी | जुआ खेलनेवाला । अधुरा, ( स्त्री. ) पहिये के आगे का भाग । अधूर्तः, ( पुं..) जुआड़ी । जुआ खेलने वाला । धूर्त | कितव | पद (पुं. ) गौतम । नैयायिकाचार्य । C श्रंक्ष चतुर्वेदकोष । ६ . अक्षपीडा, (स्त्री.) यवतिका नाम की लता । अक्षमः, ( त्रि. ) क्षमताशून्य । योग्यताहीन । योग्य । क्षमाहीन । क्षमारहित । अक्षमा, ( स्त्री. ) ईर्ष्या । क्षमा का अभाव | अक्षमाला, (स्त्री.) जपमाला । रुद्राक्ष की माला । M अक्षयः, (पुं.) अनन्त । क्षयरहित । अविनाशी । जिसका नाश न हो । अव्यय | ब्रह्मनिष्ठ । अक्षयकाल, ( पुं. ) अनन्तकाल | अक्षयकाल के अभिमानी • । अक्षयतृतीया (स्त्री. ) वैशाख शुक्ल तृतीया इसी तिथि को सतयुग की उत्पत्ति हुई है । अक्षयनवमी, (स्त्री.) कार्तिक शुक्लपश्च की नवमी | अक्षयवट, (पुं.) अविनाशी वटवृक्ष, प्रयाग का वटवृक्ष, जो देवता समझा जाता है । अक्षया (स्त्री.) तिथिविशेष । सोमवार की श्रमावास्या | रविवार की सप्तमी और मङ्गलवार की चतुर्थी ये अक्षया कहीजाती हैं। अक्षर, (पुं.) अकारादि वर्ण | नाशशून्य । ब्रह्म | अविनाशी । विशेषरहित । प्रणव । कूटस्थ । नित्य । अक्षरण, (पुं.) उत्तम लिखनेवाला । लेखक । अक्षरजीविकः, (पुं. ) कायस्थजाति । लेखसे जीनेवाला । लेखक । अतुलिका, ( स्त्री. ) लेखनी। लिखने का साधन । अक्षर (स्त्री) छन्दविशेष | इस छन्द में एक भगण और दो गुरु होते हैं । अरविन्यास, (पुं.) लेख | लेखन | अक्षरों का लिखना । अक्षवती, (स्त्री.) एक प्रकार के जुए का खेल। चौपड़ । अक्षवाट, (पुं.) युद्धभूमि | लड़ने का स्थान । अखाड़ा | अक्षशौण्ड, (पुं. ) पक्का जुश्राड़ी, जुआ खेलने में चतुर । अखा अक्षसूत्रम्, (न. ) जपमाला । जप करने की माला । अग्रकीलक, ( पुं. ) रथ के पहिये को रोकने की कील । श्रान्तिः, (स्त्री.) दूसरे का उत्कर्ष न सहना, ईर्ष्या । क्षमा न करना । अक्षि, (न. ) नेत्र | आँख ।• अक्षित, (त्रि.) आँखों पर चढ़ा हुआ । द्वेष्य | शत्रु | विरोधी । क्षीणः, (त्रि.) पूर्ण श्रदीन । क्षीण नहीं । एक प्रकार का यति । जो किसी वस्तु की प्राप्ति से प्रसन्न न हो, और श्रप्राप्ति से खिन्न न हो वह श्रक्षीण कहा जाता है । अक्षीब, (पुं. ) समुद्र का लवण | ( त्रि. ) उन्मादरहित । जो उन्मत्त न हो । श, (पुं. ) मन । इन्द्रियों का स्वामी । - अक्षीट (पुं.) अखरोट वृक्ष पर्वत पर उत्पन्न हुआ पीपल का वृक्ष । अक्षोपकरणम्, (न.) घनसाधन । जुषा खेलने की सामग्री | श्रक्षोभः, (पुं.) खम्भा | खूंटा । पशुओं को बाँधने का खुंटा | अक्षोभ्य:, (पुं.) शिव | दृढ़ | अचल । जो A राग, द्वेष आदि से विचलित न हो । अक्षौहिणी, ( स्त्री. ) सेनाविशेष | दस अनी- किनी सेना । अक्षौहिणी में-२१८७० हाथी । २१८७० रथ | ६५६१० घोड़े और १०१३५० पैदल होते हैं । अखदः, (पुं.) प्रियालवृक्ष । चिरौंजी का पेड़ | खण्डम् ( त्रि. ) खण्डरहित । पूर्ण । खण्डशून्य । अखण्ड परशुः, (पुं.) परशुराम । इन के परशु का कोई खण्डन नहीं कर सका था । श्रखातम्, (पुं.) देवखात, यकृत्रिम तालाब | झील | अखाद्य, (त्रि.) अभक्ष्य । जो खाने के योग्य न हो । . अखि चतुर्वेदकोष । अखिलम्, (त्रि. ) समस्त । सम्पूर्ण । अखण्ड । अखिलाघारम्, ( त्रि. ) ब्रह्म | समस्त संसार का आधार । अगः, (पुं. ) पर्वत । वृक्ष | सरीसृप | भानु । अगजः, (पुं. ) पर्वत से उत्पन्न । (न.) शिलाजतु । शिलाजीत । तिः, (पुं.) अनवबोध ! न जानना । उपाय- रहित । विना उपाय का । अगदः, (पुं.) औषध । (त्रि.) नीरोग । रोग नहीं । अगदङ्कारः, (त्रि.) चिकित्सक । वैद्य | रोग दूर करनेवाला । अगदतन्त्रम्, (न.) आयुर्वेद का एक शाखा- विशेष । इसमें सांप, बिच्छू आदि के काटने का औषध लिखा है। . अगम, (पुं.) वृश्च जाने के अयोग्य। जहां जा न सके। अगस्य, (त्रि.) अज्ञेय | जानने के अयोग्य | गमन के अयोग्य | जहां कोई पहुँच न सके । अगस्तिः, (पुं.) मुनिविशेष | एक मुनि का नाम । जिसने समुद्र को गरहूक में रखकर लिया था। जो दक्षिण दिशा में रहते हैं। वृक्षविशेष | · अगस्तिद्रुम (पुं. ) एक वृक्षविशेष | अगस्त नामक वृक्ष । इसके रस के नास लेने से चौथिया ज्वर छूट जाता है। अगस्त्य, (पुं. ) मुनिविशेष | अगस्त्याश्रम, (पुं.) अगस्त्यमुनिका श्राश्रम | काशी का अगस्तकुण्डा नामक स्थान | मलयाचल पर्वत पर वर्तमान अगस्त्य मुनि का आश्रम । श्राम ● जो इन्द्रियों के द्वारा न जानाजाय । अग्नायी, ( स्त्री. ) अग्नि की स्त्री स्वाहा । अग्निः, (पुं. ) पावक | वहि । वैश्वानर | अग्नि के अधिष्ठाता देवता । अग्निकः, (पुं.) कीट विशेष । इन्द्रगोपनामक कीट। अग्निकण, (पुं.) स्फुलिङ्ग | अग्निके छोटेछोटेकण । अग्निकार्य, (न. ) हवन | होम । अग्निकाष्ठम्, (न.) गुरु | सुगन्धद्रव्यविशेष । श्रग्निकोण, (न. ) दिशाविशेष | पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा । अग्निक्रीडा, ( स्त्री. ) आतशबाजी । श्राग का खेल । अगाध, (त्रि.) बहुत गहरा । जिसका तल न छुश्रा जा सके । अत्यन्त गम्भीर | दुर्बोधाशय । अगाधजल, (पुं. ) हद | तालाब i (त्रि.) जिसमें अगाध जल हो । अगार, (न. ) गृह । भकान । अगुरु, ( न.) सुगन्धिकाष्ठविशेष | अगर । जो गरू न हो-इलका | अगोचर, (त्रि.) इन्द्रियों के प्रत्यक्ष का अविषय। अग्निगर्भ, (पुं.) औषधविशेष | सूर्यकान्तमणि । श्रग्निचित्, (पुं. ) अग्निहोत्री | अग्निचयन- करनेवाला । अग्निज, (पुं. ) अग्नि से उत्पन्न द्रव्य | सुवर्ण । सोना । अग्निपुराणम्, (न.) एक पुराण का नाम । इसमें सोलह हजार श्लोक हैं । अग्निप्रस्तर, ( पुं. ) आग को उठानेवाला पत्थर | चकमक पत्थर | अग्निबाडु, ( पुं. ) धूम अग्निभ, ( न. ) अग्नि के समान | आग की तरह चमकनेवाला । श्रग्निभू, (पुं. ) कार्तिकेय । अग्निभूतिः, ( पुं. ) एक प्रकार के बौद्ध । श्रग्निमारुती, (पुं. ) अगस्त्य मुनि । श्रग्निमुख, (पुं.) ब्राह्मण । विप्र | देवता । चित्रक अग्निमुखी, ( स्त्री.) औषधविशेष । भला- तक, मिलावाँ । श्रग्नियन्त्रम्, (न.) अग्न्यनविशेष | बन्दूक तोप आदि । अग्निवित, ( पुं.) अग्निहोत्री । अग्निवत, (न.) राजाओं का व्रतविशेष | | अग्निशरणम्, (न.) अग्नि का वासस्थान । दक्षिणाग्नि । गाई पत्य और हवनीय नामक अग्नियोंके रहनेका स्थान | अग्निहोत्रशाला । + . तुर्वेदीकोष । ८ अग्निशाला, (स्त्री.) अग्निगृह | अग्निशरण | अग्निष्टोमः, ( पुं. ) यज्ञविशेष | अग्निष्टोम नामक यज्ञ के ग्रन्थ । अग्निष्वात्त:, (पुं.) दिष्यपितर । नित्यपितर । क्रियाशक्ति के अधिष्ठाता । अग्निहोत्रम्, (न. ) यज्ञविशेष | अग्न्याधान । सायंकाल और प्रातःकाल नियम से किये जाने वाले कर्म । अग्निहोत्री, (पुं. ) अग्निहोत्रयुक्त | अग्निहोत्र करनेवाला । क्रान्यकुब्ज ब्राह्मणों का एक भेद । अग्नीध्रः, (पुं.) ऋत्विग्विशेष । जिसका वरण धन के द्वारा होता है उसका काम अग्नि की रक्षा करना है । अग्नीषोमीयम्, ( न. ) अग्निसोम नामक यज्ञ की हवि । यज्ञविशेष । जिसके देवता अग्नि और सोम हों । अग्न्याधानम्, ( न. ) श्रौताग्निसंस्कार | अग्निहोत्र | अग्निरक्षण | अग्निग्रहण | अग्न्युत्पातः, (पुं.) उल्कापात श्रादि प्राकृतिक विकार, आग का लगना । मन्त्र आदि के द्वारा अग्नि की दाहकशक्ति का नाश । 9 अग्न्युपस्थान, (त्रि. ) अग्नि का उपस्थान | मन्त्रविशेष | जिनसे अग्नि की स्तुति और स्थापन किया जाता है । अ, ( नं.) परिमाण विशेष | सोलह माशे का परिमाण । आलम्बन | समूह | वृक्ष का अग्रभाग । प्रान्त । भिक्षा विशेष । चारभास | प्रधान | अधिक । प्रथम | अप्रकाय, ( न. पुं. ) देह का पूर्वभाग | अग्रगः, (त्रि.) सेवक । नौकर | भृत्य | आगे चलनेवाला । अग्रगण्य, (त्रि. ) प्रधान । मुख्य | आगे गिनाया जानेवाला । अप्रगामी, (त्रि. ) आगे चलनेवाला । प्रधान । अग्रजः, (पुं.) बड़ा भाई । ब्राह्मण । . श्रप्र. अग्रजङ्घा ( श्री.) जा का प्रभाग | छोटी जाँघ । अग्रजन्मा, (पुं. ) बड़ा भाई । ब्राह्मण । ज्येष्ठ | अप्रजाति, १ पुं. ) ब्राह्मण । श्रेष्ठ जाति । अग्रजह्वा (स्त्री.) जीभंकी नोक । अग्रणीः, (त्रि.) श्रेष्ठ | स्वामी | प्रधानू । | मुखिया | अग्रतः, (अ.) पूर्वभाग | आगे आगे की श्रोर । अग्रतःसर, (त्रि. ) अगुआ । इखिया | आगे जानेवाला । अग्रदानी, (पुं. ) प्रेतनिमित्तक दान लेने वाला | महापात्र | ब्राह्मण । अनख, (न. पुं. ) नखका प्रभाग । अग्रनासिका, ( स्त्री.) नाक का अग्रभाग, नाक की नोक । अग्रपर्णी, (श्री. ) श्रालकुशी नामक वृक्ष । अग्रभाग, ( पुं. ) श्राद्ध यादि में पहले ● निकाला हुआ द्रव्य | आगे का भाग | अग्रभुक्, (त्रि.) देवता और पितर को बिना दिये खानेवाला । पेटू | पेट पालनेवाला । श्रग्रमांसम्, (न. ) हृदय के मध्यका मांस । प्रधान मांस, रोगविशेष | अप्रमुख, (न.) मुख का अप्रभाग । श्रग्रयाणम्, (न.) अप्रगामी । आगे चलना। सेनाविशेष, नासीर । अझयायी, (त्रि.) अग्रेसर | आगे चलनेवाला । अग्रलोहिता, (स्त्री.) जिसका प्रभाग लाल वर्ण का होता है । चिल्ली नामक एक प्रकार का शाक । अग्रसन्धानी, (स्त्री. ) कर्मविपाक । प्राणियों के पूर्वजन्म का शुभाशुभसूचक ग्रन्थ । (त्रि.) आगेही से जान लेमेवाला, यमपट्टिका, यम का पश्चाङ्ग । अग्रसन्ध्या ( स्त्री. ) सन्ध्या का पूर्व समय, पहली सन्ध्या, प्रातः सन्ध्या ।

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अग्र -- चतुर्वेदीकोषं | ९ -- अङ्कु


अग्रसरः, ( त्रि. ) आगे चलने भाता । श्री अघायुः( त्रि- ) पापपूणें । जिसका जीवन
अप्रगामी पापमंय हो
,( पं ) अविवाहित । जिसकी श्री न | अघोरः( पं. ) शिव, महादेव, गिरिश,
हो । वानप्रस्थ । संन्यासी । ( त्रि- ) श्रभयानक, भयानक नहीं ।
अप्रहर, ( पं. ) सबसे प्रथम देनें योग्य वस्तु | अघोरा, ( स्त्री.) भाद्रमास के ष्णपक्ष की
उत्तमवस्तु ( त्रि. ) प्रथम प्रहण करने । चतुर्दशी, इस तिथि को शिवकी पूजा के
योग्य । सत्पुत्र । ब्राह्मण जाती है इस कारण इसका नाम अघोर
अग्रहायण, ( न.पं.) अत्र+हायन । मार्गशीर्षे पड़ा
मास । अगहन का महीना । अघोः, ( अ- ) सम्भोधनार्थक अव्यय ।
अग्रहायणी, (पी. ) अगहनमास की नैिंमा, | अखक य, ( पं.) प्रजापतिः पर्वत । मारने के
जिसमें उत्तम धान्य उत्पन्नडु । मृगशिरा अयोग्य
नक्षत्र के उदय के समय से धान्य उत्तम अन्या, स्त्री ) सरभेयी, गै, जो न मारी
होते हैं यह बात प्रसिद्ध है । जाय और न मारे ।
अप्रहार( पुं.) ब्रह्मचारी आदिको देने योग्य अत्रेय, (त्रि.) सँघने के अयोग्य । मध । मदिरा ।
पदार्थ । दान की हुई या कीजानेवाली वस्तु। | अङ्क, ( पं .) द्रश्य काव्य का एक भेद ।
अश्राः(त्रि.) मण करने के अयोग्य । चिह । युद्ध । संग्राम । भूषण । रूपक ।
शिवनिर्माल्य परमेश्वर इन्द्रिय
आदि । । / अंश । समीप । गोद । स्थान । प्रकरण ।
का अविषयः कटिप्रदेश । नाटक आदि का परिच्छेद ।
आप्रियः(पृ.) आगे हैंनेवासा । न भाई । रेखा । नव की संख्या ।
( त्रि.) श्रेष्ठ । उत्तम । अझतिः, (पृ.) अग्निहोत्री । अग्निहोत्र करने
अप्रिय, ( पं.) ज्येष्ठ सहोदर। यदा भाई । वाला । अग्नि । ब्रह्म । वायु ।
( त्रि.) प्रधान । अङ्कनम् ( न. ) संख्या का लिखना । चिह्न ।
अग्नीय, ईत्रि.) आगे होनेवाला । अप्रिय । ऑकना । चिद्द करने की सामग्री। मोहर ।
यूख्य अङ्कपालिका, ( जी. ) आलिङ्गन । गोद के
अप्रैगूः( पं.) अग्रेसर । आगे चलनेवाला। समीप । धाय । धात्री
अप्रगामी । मुखिया । अङ्कपाली, ( स्त्री. ) गोद । श्रद्द । उत्सङ्ग
अनेदिधिषुः, ( पं. )घनी का पति, विधया | उपमाता । धात्री । धाय ।
फा पति, जेठी महिन के ब्याह होने के प अङ्कस्, ( न. ) चिह । शरीर ।
हले यदि छोटी बहिन ब्याह दी आय | अङ्कितः, (त्रि. ) चिकित । याश्रित । चिह्न
तो वह अनेदिधिषु कही जाती है । किया गया । चित्रित । चित्र किया हुआ
अप्रैसर, ( त्रि- ) अप्रगामी, पुरोगामी, आगे | गिनाया । गया ।
अङ्ग्(पं.) बधिर । लोम । अत । भूमि
अनन्यः, ( त्रि- ) आगे होनेवाला । अग्रिम को फाड़कर निकलनेवाला नवीन उद्भिद ।
प्रधान ।(पृ.) महा भा । प्रतिष्ठित । तिनक
अघ, (न.) पाप । व्यसन । दुःख । द्वरित । | अञ्जरितः, ( वि. ) नीज की प्रमुस्थाथिशेष ।
अपराध । ( त्रि. ) पापी । अपराधी । जिस में अकर लभ हुआ हो सकत
अघमर्षणम्, ( त्रि.) पापनाशक मन्त्रवित् । अकर

चतुर्वेदीकोष । १०

अङ्कुशः, (न. पुं. ) एक प्रकार का अन विशेष १ जिस से हाथी वश में किये जाते हैं यह लोहे का बना हुआ होता है और आगे से टेढ़ा होता है। हुर, (पुं. ) दुर्दान्त हस्ति, हस्ति- पक को न माननेवाला हाथी | मतवाला अङ्गनम्, (न. ) प्राङ्गण | आँगन । अँगमा । अङ्गना, ( श्री. ) श्रच्छे वाली थी । उत्तर दिशा के दिग्गज की हथिनी | अङ्गनाप्रियः, ( धुं. ) चशोक वृक्ष । पालि ( पुं. ) आलिङ्गन । अङ्गमई, (पुं.) शरीर दर्शनेवाला । नाई आदि । अङ्गमाईन्, (पुं. ) शरीर दबानेवाला । नौकर । अङ्कुशी, ( स्त्री. ) फल आदि तोड़ने का एक अङ्गरक्षणी, ( स्त्री. ) वनविशेष | श्रङ्गीठी रखा। हाथी। अङ्कुश न मनिनेवाला हाथी । प्रकार का साधन । बुद्ध की माता । जैन धर्म के चौबीस देवियों के अन्तर्गत एक देवी । अकोल (पुं. ) चकोड नामक वृक्ष । इसके फूल पीले और सुगन्धित होते हैं इसके फूल में लंबे लंबे काँटे भी होते हैं और इसके फल लाल रक्त के होते हैं। अकोलसारः, ( पुं. ) स्थावरविषविशेष । श्रयः, (पं.) वाद्यविशेष । जो में रखकर बजाया जाय। मृदङ्ग ढोलक आदि । अङ्ग, (अ.) क्षित्र । शीघ्र | पुनः | सङ्गम | असूया । हर्ष | संबोधन । अङ्गम्, (न.) काय | गात्र । अवयव । प्रतीक । उपाय । वेदोंके छःचङ्ग । मन । देशविशेष । विहार का पूर्व और दक्षिण का प्रदेश | यथा ' वैद्यनाथ समारभ्य भुवनेशान्तगं शिवे । तावदशाभिधो देशो यात्रायां न हिदुष्यति ॥ वैद्यनाथ - देवघर से लेकर श्रोडैसाके भुवने- श्वरतंक श्रङ्ग देश यात्रा के लिये निषिद्ध नहीं है। 46 " अङ्गा अङ्गग्रह, (पुं. ) रोगविशेष | अकड़वाई । शरीर की पीड़ा । अङ्गों का जकड़ना । श्रङ्गज, ( पुं. ) चनङ्ग कामदेव । बाल । पुत्र । व्याधि । ( न. ) रुधिर | व्याधि (त्रि.) शरीरोत्पन्न । अङ्गणम्, (न. ) आँगन । चौक । अङ्गदः, (न. ) बाहुभूषण । जोसन बाजू आदि । ( पुं.) वानरराज बाली का पुत्र (त्रि.) श्रमदान करनेवाला । (स्त्री.) दक्षिण दिशा के दिग्गज की इथिंनी, अङ्गराग, (पुं. ) श्रङ्ग लेप । चन्दन केशर आदि । अङ्गराट्, (पुं.) घदेश का राजा राजा कर्ण । अङ्गलक्ष्मीः, ( श्री. ) देह की शोभा । शरीर की कान्ति । श्रङ्गवः, (पुं. ) जो अपने अङ्गों में ही सिकुड़ जाय। सूखा हुआ फल । अङ्गचिकृति, ( पुं॰ ) अपस्मार रोग । गिरंगी रोग, अविकार । अङ्गविक्षेप, (पुं.) नृत्यविशेष | जिसमें धड़ों के इशारे से भाव बतलाया जाता है। अङ्गवैकृत, ( न. ) अङ्गों की चेष्टा का भाव बतलाना । अङ्गसंस्कार, (पु.) बह के संस्कार । शरीर को शोभा बढ़ानेवाले कर्म । अङ्गहार, (पुं. ) नृत्य विशेष । श्रङ्गविशेष | अङ्गलि आदि के विक्षेप के भेद से यह नृत्य तीस प्रकार का होता है । अङ्गहीन, ( त्रि. ) अपूर्णाङ्ग । व्यङ्ग । काय ! खज श्रादि । अङ्गाङ्गीभाव, (पुं.) सम्बन्ध विशेष | अवय- धावयवी भाव सम्बन्ध | गौण और मुख्य । अङ्गाधिप, (पुं.) आदेश का राजा । कर्ण । अङ्गारः, ( न. पुं. ) जलता हुआ कोयला । धूमरहित जली लकड़ी । मङ्गल ग्रह । अङ्गारक, (पुं.) मङ्गल ग्रह। लाल रङ्ग ।. अंङ्गारकतैल, (न. ) इस नाम से प्रसिद्ध पका हुआ तेल । ● . श्रङ्गा चतुर्वेदीकोष | ११ कमणिः, (पुं. ) लाल रक्त की मणि । प्रवाल । मूंगा । अङ्गारकर्कटी, ( स्त्री. ) आग पर पकाई हुई बाटी । अङ्गारधानिका, ( स्त्री. ) श्रृङ्गार रखने का पात्र । अँगीठी श्रृङ्गारपर्स, ( पुं. ) चित्ररथ नामक गन्धर्व । पुष्प (पुं. ) जीवपुत्र नामक वृक्ष | जियापुत्ती वृक्ष । इङ्गुदी वृक्ष । श्रङ्गारमञ्जरी, ( स्त्री. ) करमवृक्ष । करौंजा वृक्ष । अङ्गारशकटी, ( स्त्री. ) अँगीठी जिसमें नीचे पहिये लगे हुए होते हैं । श्रङ्गारिः, (स्त्री.) अँगीठी | अङ्गार रखने का पात्र । अङ्गारिका, ( स्त्री॰ ) ईख | पलाश के फूल । अँगीठी । Ty अङ्गारिणी, ( स्त्री. ) अँगीठी । वह दिशा जिसको सूर्य ने छोड़ दियाहो । अङ्गारितम् (त्रि.) जिस के अङ्गार उत्पन्न हुए हों। पलाशवृक्ष की कोंढ़ी । श्रृङ्गारिता ( स्त्री. ) अँगीठी । लता । अङ्गिका. (स्त्री.) फचुकी । अँगिया | अँगरखा । श्रृङ्गुष्ठाना, ( स्त्री. ) सूई से हाथ बचाने की अनि, (त्रि.) प्रधान । मुख्य । शरीरी । । अङ्गिरा, ( पुं. ) हनिविशेष | जो ब्रह्मा के मानसिक पुत्र थे । अङ्गीकार, (पुं. ) स्वीकार । मानलेना सम्मति देना ।

  • टोपी, इसको दरजी सीने के समय काम में

लाते हैं, अङ्गुलित्र भी इसी को कहते हैं । अङ्गुषः, ( पुं. ) नकुल । नेउला । बाण । अङ्घारि, (त्रि. ) दीतिशील | चमकनेवाला । (पुं. ) चरण । पाद | वृक्ष की जड़ । अपः, (पुं.) द्रुम । वृक्ष । अपर्णिका, ( स्त्री. ) पृश्निपणीं । पिठवन। इसके फूल सिंह की पूंछ जैसे होते हैं। अविस्कन्धः, ( पुं. ) गुल्फ । एड़ी। अचक्र, (त्रि.) विना पहिये का । व्यापार- रहित । मन्त्री सेनापति आदि से हीन राजा । अचक्षुस्, (त्रि.) नेत्रहीन | अन्धा | अचण्डी, (स्त्री.) शान्तस्वभावकी स्त्री और गौ। क्रोधरहित । अङ्गीकृत (त्रि. ) स्वीकृत | स्वीकार किया गया। मानागया। अङ्गुरि-री, ( स्त्री. ) चङ्गुली हाथ पैर की अङ्गुलि । श्रृङ्गुरीय, (न.) अंगुली का भूपण | अंगूठी | मुंदरी । अङ्गुलिः, ( स्त्री. ) अङ्गुली | हाथ पैर की अङ्गलियां। अङ्गुलितोरणम्, ( न. ) अर्द्धचन्द्र | चन्दन आदि के द्वारा मस्तक पर अर्द्धचन्द्र का आकार बनाना । तिलकविशेष । 1 अङ्गुलित्रः, ( पुं. ) अङ्गुलिकवच । अङ्गुलि की रक्षा करनेवाला । दस्ताना । अङ्गुलिमुद्रा, ( स्त्री . ) मोहर की अंगूठी । जिस अंगूठी में अंगूठी के मालिक के नामाक्षर खुदे हुए हों। अङ्गुलिसन्देश, (पुं.) अङ्गुलिका सन्देश | प्रकृति के शब्द से जनाना । अङ्गुली, ( स्त्री॰ ) अङ्गुली | हाथ पैर की अङ्गुलियां । अङ्गुलीकण्टक; ( पुं. ) नख । नइ । अङ्गुलीयम्, ( न. पुं.) अंगूठी | अङ्गुलीयकम्, (न. पुं.) अंगूठी । अङ्गुली अङ्गुरीयक, (न.) अंगुली का भूषण । अंगूठी । अङ्गुल, (पं.) वात्स्यायनमुनि । घाठ जौ का परिमाण | के भूषण । अङ्गुष्ठः, (पुं.) बड़ी अङ्गली | अङ्गुष्ठमात्रः, (त्रि.) अङ्गुष्ठपरिमित वस्तु । अङ्गुष्ठपरिमित हृदयकमल के मध्यवर्ती आत्मा । चतुर्वेदकोष | १२ अचरः, (पुं) गमनशक्तिहीन । स्थावर । ठहरा हुआ । पर्वत । पृथिवी । अचलः, (पुं.) स्थिर | दृढ़। पर्वत | कौल। शिव । अचलकीला, ( स्त्री. ) पृथिवी | भूमि | अचलज, ( पुं.) औषध विशेष । पर्वत से उत्पन्न वस्तु | अचिरप्रभा ( श्री. ) विद्युत् | बिजली अचिररोचिस्, ( स्त्री. ) वह वस्तु जिसकी प्रभा थोड़ी देर रहे । बिजुली । अचिरा, विशेष । (स्त्री.) जैनियों की एक मातृका- अचिरांशु, ( स्त्री. ) विद्युत् । बिजुली । अचिरात् ( श्र. ) शीघ्र । त्वरित । अविलम्बू । चिराभा, (स्त्री. ) बिजुली । अचेतन, (त्रि. ) चेतनाहीन, जय, व्यक्त । प्रधान, बेसमझ । ज्ञानहीन । अचेतस्, (त्रि.) विचारहीन | दुष्टचित्त । चचैतन्यम्, (त्रि.) चैतन्यरहित । ज्ञानशून्य । अच्छ, ( श्र.) सम्मुख, सामने से। - अच्छ, (त्रि.) स्वच्छ । साफ सुथरा, निर्मल । अच्छुभलः, ( पुं.) रीघ्र | भानु । अच्छत्र (पुं. ) राजाहीनदेश | धराजकदेश | अच्छावाक, (पुं. ) ऋत्विज् विशेष समि यज्ञ करानेवाला पुरोहित । अच्छन्दस् (त्रि.) वेदपाठ का अनधिकारी, जिसको वेद पढ़ने की आशा न हो, शुद्ध । · अचला ( स्त्री. ) पृथिवी । अचलाधिपः, ( पुं. ) हिमवान् पर्वत । पर्वतों श्रच्छिद्र १) चिद्रशून्य | दोषरहित का स्वामी । सम्पूर्ण वैदिक कर्म । वह वैदिककर्म जो श्रचलत्विष, (पुं.) स्थिरकान्ति । जिसकी कान्ति का कभी नाश न हो । कोइल | अचलद्विष, (पं.) पर्वतों का शत्रु | इन्द्र | इन्द्र ने पर्वतों के पक्ष काटे थे | इस कारण इन्द्र का नाम अचल द्विष् पढ़ा। अचलधतिः, ( स्त्री. ) छन्दविशेष | जिसके चार पाद होते हैं और प्रत्येक पाद में सोलह अक्षर होते हैं । अचलप्रतिष्ठः, (त्रि. ) अतिक्रान्त मर्यादा । समुद्र । श्रचलभ्राता, (पुं. ) एक बौद्धगणाधिप । वे अन्तिम जैनाचार्य के एकादश शिष्यों के अन्तर्गत हैं । अवलासप्तमी, (स्त्री.) आश्विन शुक्ल हीन न हो । की सप्तमी | इस दिन के किये हुए पुण्य अच्छद (त्रि.) निर्मल जलवाला सरोवर, कर्म अचल होते हैं इसकारण इसको अचला • सप्तम कहते हैं छोटा तालाब, इस नाम का एक सरोवर, जिसका वर्णन संस्कृत की कादम्बरी में कियागया है । अचापलम् ( न. ) चपलता का अभाव । अचाश्चल्य | अज अचिन्त्य, (त्रि. ) अविचारणीय वस्तु । श्रप रिच्छेद्यवस्तु | परब्रह्म । मन और बुद्धि के अगोचर वस्तु । 'अचिन्त्यात्मा, (पुं. ) सब भूतों का निर्माता । परमेश्वर । अचिर, (न. ) अल्प समय । थोड़ा काल । ( त्रि. ) थोड़े देर ठहरनेवाले पदार्थ । अचिरद्युति, ( स्त्री. ) बिजुली । जिसकी चमक थोड़ी देर रहे । अच्युतः, (पुं.) निर्विकार | त्रिष्णु | कृष्ण | वासुदेव । जो सदा स्थिर रहे। अविचल | पीपल । श्रच्युताग्रजः, (पुं.) बलदेव, इन्द्र | अच्युताङ्गज, ( पुं. ) कामदेव । अनङ्ग । कृष्ण | रुक्मिणीपुत्र । अच्युतात्मज, (पुं.) कामदेव । अनङ्ग । श्रच्युतावास, (पं.) अश्वस्थवृश्च | वटवृक्ष | कृष्ण के रहने का स्थान । अजः, (पुं. ). विष्णु | शिव | जीवात्मा । A चतुर्वेदीकोष । १३ • ईश्वर | बकरा । मेषराशि । कामदेव | जिसका जन्म न हो । अजकर्णः, (पुं. ) वृक्षविशेष । पिपसाल वृक्ष । इस के पत्ते बकरे के कान के समान लम्बे होते हैं । अजकवम्, (न. पुं.) शिव का धनुष | जिस में ब्रह्मा और विष्णु बाण बने थे । अंजकावः, (न. पुं.) शिव का धनुष । जो ब्रह्मा और विष्णु की रक्षा करता है। अजक्षीर, (न. ) बकरी का दूध । अजगः, (पुं. ) विष्णु, श्रग्नि । श्रजगन्धा, (स्त्री.) श्रमोद | औषधविशेष | अजगन्धिका, ( स्त्री. ) शाकविशेष | बाबुई शाक | अजगन्धिनी, (स्त्री.) अजङ्ग । गाडरसींगी । अजगर, ( पुं. ) सर्प विशेष | बड़ा साँप | भेजघन्य, (त्रि.) उत्तम । श्रेष्ठ | जो नीच न हो । अजजीविक, (त्रि. ) श्रजा से जीनेवाला, बकरी का चरवाहा, जो बकरियों को चरा कर जीता है। अजटा, ( श्री. ) आमलकी वृश्च । कन्द रहित वृक्ष । अजध्या, ( श्री. ) स्वर्ण भूमिका | स्वर्ण- पुष्पिका | बकरोंका समूह | अजन्त, ( पुं. ) स्वरान्त | जिन शब्दों के अन्त में स्वर हो । श्रजदराडी, (स्त्री.) ब्रह्मदण्डी वृक्ष । अजननि:, शाप के अर्थ में इसका प्रयोग होता है। जन्मरहित । अनुत्पत्ति आक्रोशन । अजनयोनिः, (पुं.) ब्रह्मा | प्रजापति | अजनाभ, (पुं.) भारतवर्ष का नाम । इस भारतवर्ष का नाम पहिलं " अजनाभ था। जब इस के राजा भरत हुए तब से इस का नाम भारत पड़ा । " श्रजन्य, (न.) उत्पात | शुभाशुभसूचक | देव- कृत उत्पात | उपद्रव | अजं अजप, (पं.) अस्पष्ट पढ़नेवाला । जप न करनेवाला । (पुं.) छाग पालन करनेवाला । बकरे चरानेवाला । अजपा, (स्त्री.) देवताविशेष | गायत्री विशेष | जिसका जप श्वास प्रश्वास के साथ स्वयं होता रहता है । श्रजपात्, (पुं.) सूर्वाभाद्रपद नक्षत्र | ग्यारह "रुद्रों में से एक रुद्र का नाम । अजभक्ष, (पुं.) बबुर वृक्ष की पत्तियां | इन पत्तियों को बकरे प्रसन्नतापूर्वक खाते हैं । अजमीढ़, (पु.) अजमेर नामक नगर । उस का राजा युधिष्ठिर । अजमोदा, ( श्री. ) अजवाइन । उमगन्धा । अजम्भः, ( पुं. ) भेक । मेंढक | ( त्रि. ) दन्त- रहित । जिसके दाँत न हों। श्रजयः, (पुं. ) पराजय | भाँग । बङ्गाल के बीरभूम के पास के एक नद का नाम । अजय्यम्, (त्रि. ) अजेय शत्रु । जो जीता न जा सके । + अजर्य्यम्, (न.) मित्रता | सङ्ग । अजलोमन्, ( पुं. ) वृश्वविशेष | इसकी मञ्जरी बकरी के लोम के समान होती है । अजवीथी, ( स्त्री. ) छायापथविशेष । जो आकाशगङ्गा के नाम से प्रसिद्ध है । अजङ्गी ( स्त्री. ) वृश्चविशेष | गाडरसींग | इसके फल भेंड़े के सींग के समान होते हैं। अजस्त्रम्, (न. ) निरन्तर | सन्तत | सदा | सर्वदा । त्रिकाल में स्थितिशील । श्रजहत्स्वार्था, ( स्त्री. ) शब्दशक्तिविशेष | लक्षणा का एक भेद | उपादान लक्षणा । जो अपने अर्थ को न छोड़कर दूसरे अर्थ का बोध करे । अजहलक्षणा, (स्त्री.) अजहत्स्वार्था नाम की लक्षणा । जो अपने वाच्य अर्थ को न छोड़े और वाच्यार्थसम्बन्धी दूसरे अर्थ का भी बोध न करे । अजहलिङ्ग, ( पुं. ) वह शब्द जो अपने चतुर्वेदीकोष । १४ लिङ्ग को न छोड़े। विशेषण का यह नियम है कि वह विशेष्य के लिङ्ग के अनुसार हो जाता है, परन्तु कतिपय शब्द ऐसे हैं जिन का लिङ्ग नियत है । अजहा (स्त्री.) शकशिम्बी नामक औषध कवाछ । कपिकच्छुक । अजा. (स्त्री.) माया | त्रिगुण विशिष्ट प्रकृति | बकरी। अजागरः, (पुं. ) भृङ्गराज नामकी श्रोषधि । • भंगरा । ( त्रि. ) जागरण शून्य । श्रजाजी, (स्त्री.) काला जीरा । सफेद जीरा | श्रजाजीवः, (पुं. ) जिसकी जीविका बकरे बकरियों से हो । श्रजातककुद, (पुं.) बैलों की अवस्था विशेष । थोड़ी उमर का बैल । बच्छा। बछड़ा । अजातशत्रु, (पुं.) युधिष्ठिर | ये किसी से शत्रुता नहीं करते थे इस कारण इनका नाम अजातशत्रु पड़ा । श्रजातिः, (स्त्री.) अनुत्पत्ति कार्य कारण की अनुपपत्ति । (त्रि. ) जन्मरहित । अजादनी, ( स्त्री. ) वृक्षविशेष | जिसे बकरे खाते हैं । विचटी वृक्ष अजानि:, (पुं.) जिसकी स्त्री न हो । स्त्रीरहित । जानेयः, (पुं.) उत्तम घोड़ा। प्रभुभक्त घोड़ा (त्रि. ) निर्भय । निडर । श्रजापालः, (पुं.) बकरे पालनेवाला भेड़ि- हर । मेषपाल । श्रजाप्रिया, (स्त्री.) बदरी । वैर । अजिः, (पुं.) तेज प्रताप | प्रभुता । अजिन, (पुं. ) चमड़ा। चर्म । मृगचर्म | श्री जनपत्र (स्त्री.) जिसके पाँख चमड़े के हों। चमगीदड़ । चमचिट्ठ | अजिनफला, (स्त्री.) वृक्षविशेष | जिसके फल बहुत बड़े बड़े होते हैं। अजिनयोनि, (स्त्री.) मृगचर्म के कारण | हरिण हरिणी आदि । अजिर, (न.) ऑगन | चौक | आजेल, (त्रि.) अकुटिल सरल | सीधा | D अजिहाग, (पुं. ) बाण। सर्प (त्रि.) सीधा चलनेवाला। सदाचारी | अजीगर्त, (पुं. ) शुनःशेफ के पिता | इनकी कथा उपनिषदों में लिखी हैं। दरिद्रता और निर्घृणता में इनकी बराबरी करने वाला श्राज तक दूसरा नहीं हुआ । अजीतः, (पुं.) जैनियों का एक तीर्थङ्करविशेष | भावी बुद्ध । ( त्रि. ) अनिर्जित । अपराजेय । अजीर्ण, (न.) उदररोगविशेष । मन्दाग्नि अधिक भोजन दुर्बलता आदि के कारण यह होग उत्पन्न होता है । अजीवः, (त्रि.) मृत मरा हुआ। मृतक अनेकान्तवादियों का दूसरा पदार्थ यह चार प्रकार का है पुगल । आकाश | धर्मा- धर्म और अस्तिकाय | अजीवनिः, (स्त्री.) जीवन का अभाव | शाप के अर्थ में इसका प्रयोग किया जाता है। अजेय, (त्रि.) जो जीता न जासके। जीतने के योग्य | अजैकपादू, (पं.) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र | रुद्र- विशेष का नाम क्योंकि इसका पैर बकरी के पैर के समान है । अजुका, ( स्त्री. ) नाटकोक्ति में वेश्या । बड़ी बहिन । अश, (त्रि.) जड़। वेदों के तात्पर्य न जानने वाला । अनपढ़ | अविवेकी । मूर्ख । अज्ञात, (त्रि.) अज्ञान से युक्त | अविदित | ज्ञानम्, (न.) अविद्या । ज्ञान का अभाव ज्ञान से नष्ट होनेवाला । वेदान्त प्रसिद्ध पदार्थविशेष | भागवत में अज्ञान के पांच भेद बतलाये गये हैं। तम, मोह, महा मोह, तामिस्र और अन्धतामिस्र । भागवत में यह भी लिखा है कि सृष्टि के आदि में ब्रह्मा ने इन्हें बनाया था। अज्ञानप्रभवः, (पं.) श्रज्ञान से उत्पन्न अपने स्वरूप के यथार्थ ज्ञान होने के कारण जिसकी उत्पत्ति हो । चतुर्वेदकोष । १५. अज्ञानी, (त्रि. ) मूर्ख | अविद्वान् । अज्ञेय, (त्रि.) ज्ञान का श्रविषय | जो जाना न जाय । अञ्चलिः, (पुं.) वायु अञ्चलः, (पुं.) वस्त्र का प्रान्त भाग । आंचर | पल्ला | श्रुञ्चितः, (त्रि.) पूजित | पूजा गया। आदृत | जिसका आदर किया गया हो n 1 अश्चितभ्रु, ( स्त्री. ) सुन्दर भौंहवाली स्त्री । अ (धा. पर.) मिलना । जाना। प्रकाश करना । अञ्जनम्, (न.) कञ्जल । सौवीर | रसाञ्जन | ( पुं. ) दिग्गजविशेष । श्रज्ञान | आवरण | उपाधि । अनकेशी, ( स्त्री. ) एक सुगन्धद्रव्य- विशेष | जिसे स्त्रियां बालों में लगाती हैं । यह हडविलासिनी नाम से प्रसिद्ध है । अना ( स्त्री. ) एक वानरी का नाम । जिसके गर्भ और वायु के औरस से हनुमान् उत्पन्न हुए थे । अञ्जनाधिका, ( स्त्री. ) कृष्णवर्ण होने के कारण मन से अधिक एक कीटविशेष | जो बहुत काले वर्ण का होता है । अनावती ( सी . ) सुत्रतीक नामक दिग्गज की हथिनी। क्योंकि यह बहुत काली है । अञ्जनी, (स्त्री.) गन्ध-द्रव्यों के लेपन करने योग्य | स्त्री | कटुक वृक्ष । कालाञ्जन | अञ्जलि, (पुं.) हाथ जोड़ना । जुड़े हुए दोनों हाथ । परिमाणविशेष । 'अञ्जलिका, (स्त्री.) मूषिका । छोटा चूहा | अर्जुन के एक नाग का नाम । अञ्जलिकारिका, ( स्त्री. ) एक पौधा | जो लजावती या लजवन्ती नाम से प्रसिद्ध है । छूने से इसके पत्ते सिकुड़ जाते हैं । हाथों का जोड़ना। हाथ जोड़ने का काम । अखस्, (त्रि.) प्राझल। अवक्र | सीधा । सरल । अजसा, (अ.) शीघ्र | जल्दी | ठीक ठीक । त्वारत । आर्जव । अनायासे । . 7 अखसाकृतम्, (त्रि. ) विनय से किया हुश्री कर्म । अजीरम्, (न.) वृक्षविशेष | स्वनाम- प्रसिद्ध वृक्ष विशेष और फल + श्रद् ( धा. पर. ) गमन । गति । जाना । घटनम्, ( न. ) भ्रमण । गमन | अटनिः-नी, ( श्री. ) धनुष का अप्रभाग | "जहां चिल्ला चढ़ाया जाता है । धनुष कोटि । अटविः, (स्त्री.) वन, अरण्यँ। अटवी, (स्त्री.) अरण्य । वन । वृद्धावस्था में जहां भ्रमण किया जाय। घटा, ( स्त्री. ) भ्रमण । पर्यटन | अटाद्या, ( स्त्री. ) भ्रमण पर्यटन | घूमना | निरर्थक घूमना । विना काम के घूमना । अट्ट, (घा. धात्म.) लांघना | मारना । ( उभ.) अनादर करना । शट्ट, (पुं.) महल के ऊपर का घर । अटारी । बाजार दूकान सूखा अनाज । अत्यन्त । अतिशय । अट्टहासः, (पुं.) अत्यन्त हँसी । अधिक हँसना । महादेव की हँसी । अट्टहासक, (पुं. ) कुन्द पुष्प- विशेष | अट्टालः, (पुं.) अटारी । कोठे के ऊपर का घर | श्रद्धालकः, (पुं.) महल के ऊपरको घर । | अट्टालिका, ( स्त्री. ) अटारी | महल | ऊँचा मकान । धनी राजा आदि का मंकान | एक नगर का नाम । डू, (धा. पर.) उद्यम करना । अडु, ( धा. पर. ) श्राक्रमण करना। अभियोग करना समाधान करना । प्रमाणित करना। अनुमान करना । अण, (धा. पर. ) शब्द करना । सांस लेना । श्र, ( धा. श्रात्म. ) जीना । प्राण धारण करना । अरए, (न.) नीच निन्दित । बहुत छोटा अणकः, (त्रि.) कुत्सित । गर्हित । निन्दित । अणज्य (न.) अणुओं का उत्पत्ति स्थान । अणि खेत । जिसमें छोटे छोटे अन्न उत्पन्न हो । अणिः, ( पुंः स्त्री.) कील । जो रथ के पहिये के आगे लगाया जाता है। सुई की नोक । शस्त्राम। सीमा सूक्ष्म भाग अल्प। अल्पार्थक । अणिमा, (पुं.) छोटा पन लघुता । योगियों की अष्ट सिद्धियों में की एक सिद्धि । अरणीयस, (त्रि.) बहुत थीड़ा । बहुत छोटा ।' लघुतर । € चतुर्वेदकोष । १६ अणु (पुं.) चीना नाम से प्रसिद्ध व्रीहि विशेष । लेश । सूक्ष्म | परमाणु । पदार्थों का मूल कारण । नैयायिक स्वीकृत पदार्थ विशेष । (त्रि. ) सूक्ष्म | छोटा । अरक, (त्रि.) अल्पतर बहुत छोटा | बड़ा सूक्ष्म । अणुमा, अणुमा ( स्त्री. ) जिसकी प्रभा स्वल्प क्षणस्थायी हो । विद्युत् | बिजुली । अणुमात्रिक, (त्रि.) जिसका अणु परिमाण हो । अतिक्षुद्र । अत्यन्त छोटा । जीव की संज्ञा । क्योंकि जीवका परिमाण बहुत छोटा होता है । अणुरेणुः, (पुं. ) त्रसरेणु । धूल-कण | अण्ड, (न. ) अण्डकोश । पक्षीका अण्डा । कस्तूरी । पेशी । अण्डज, (पुं.) अण्डे से निकला पक्षी । · साँप | कुकलास । अण्डे से उत्पन्नमात्र । अण्डालु, ( पुं. ) मत्स्य | मछली । झण्डीरः, (पुं. ) पुरुष | समर्थ | शक्तिमान् । अतट, (पुं.) जिसका किनारा न हो, प्रपात, पर्वत का ऊपरी भाग, जहांसे जल गिरताहै। अतद्गुणः, (पुं. ) अलङ्कार विशेष | यह अलङ्कार वहां होता है। जहां उसके ( किसी वर्णनीय पदार्थ के ) गुण ग्रहण करने की सम्भावना रहने पर भी गुण ग्रहण न हो सके। बहुश्रीहि समास का एक भेद । अतन्द्रितः, (त्रि.) निरालस । आलस्य रहित । अतर्कितः, (त्रि.) अविचारित | सहसा | अक स्मात् । विचाररहित । अति अतर्क्सः, (पुं. ) अपने तर्क से जानने के योग्य परमात्मा अतीन्द्रिग मन वचन के अगोचर | अतलम् (न. ) पृथ्वीतल। पाताल विशेष | ( त्रि. ) तलरहित | निस्तलप्रदेश | अतलस्पर्शम्, (त्रि.) अंतिगभीर । अगाध | 6 जिसका तल छुआ न जासके । अथाह । असलादिः, (पुं. ) अतल श्रादि सात लोक । नीचे के सातलोक । तल वितल सुतल । रसातल । तलातल । महातल और पाताल ये सात लोक हैं । अतः, (घ ) हेतु । कारण | अपदेश । निर्देश | श्रतसः, (पुं.) वायु । क्षौम | पटना | गहरा | श्रात्मा । Pr अतसी, (स्त्री.) क्षमा। अलसी नाम से प्रारीद्ध धान्य विशेष | अतसीतैलम्, (न.) अलसी का तेल । अतस्क, (त्रि.) असंयतेन्द्रिय अति, (अ. नि. ) प्रशंसा प्रकर्ष उत्कर्ष । लांघना। अधिकता। अत्यन्त स्तुति। पूजा | अतिकः, (त्रि. ) निम्बवृश्च । अत्यन्त कड़वा | अतिकथः, (त्रि.) श्रद्धा के योग्य नष्ट धर्म | अविश्वसनीय । विश्वास करने के अयोग्य | अतिकन्दकः, (पुं. ) अधिक जड़वाला वृक्ष | हस्तिकन्दकनामक वृक्ष । अतिकेशर, (पुं. ) वृक्ष विशेष कुरुनक वृश्च । प्रतिकृतिः, ( स्त्री. ) छन्दोविशेष | पचीम अक्षरों का यह बन्द होता है। प्रतिकृच्छ्रम् (न. ) व्रत विशेष यह व्रत तीन दिनतक किया जाता है। एक एक कवल नित्य भोजन करने का इस व्रत में विधान है । अतिक्रयः, (पुं. ) अपात क्रमका उल्लकन करना। नियम न मानना अपने कर्तव्य से विचलित होना । अतिक्रमण्य, (न.) उचित से अधिक अनुष्ठान चतुर्वेदीकोष | १७ प्रति करना । वस्तु की सिद्धि होने पर भी कर्म करते रहना । अतिक्रमणीयः, (त्रि.) अतिक्रमण के योग्य | डांकने के योग्य उल्लङ्घन करने के अयोग्य | अतिक्रान्त, (त्रि. ) अतिक्रम | किया गया । अतीत । अपने कर्तव्य से विचलित । अपने काम को भूला हुआ । अतिगण्डः, (पं.) ज्योतिषशास्त्र का एक योगा । छठवाँ योग । (त्रि.) बड़ी गलायाला । अतिगन्धः, (पुं.) अधिक गन्धवाला। भूतृण । चम्पक वृक्ष । बड़ी सुगन्धवाला अतिचर्य, (स्त्री.) स्थलपभिनी । इसका नाम पद्माभ है। यह उत्तर की ओर बहुत होता है। अतिचारः, 1 पुं. ) बहुत चलनेवाला । मशल आदि पाँच ग्रहों का एक राशि का भोग की समाप्ति के विना दूसरी राशि पर • जाना । पूर्व राशि पर जाने का नाम बक्रातिचार है और आगे की राशियों पर जाने का नाम अतिचार है अतिचरित्र, (पुं.) अपने समय को भोगे विना दूसरी राशि में जाने वाले मङ्गल आदि पाँच ग्रह । (चि०) अतिक्रमण करेनवाला । डांककर जाने वाला। बहुत चलनेवाला । अतिच्छुत्रः, (पुं.) बत्रा | छाती नाम से प्रसिद्ध एक तृण विशेष | यह स्थल पर होता है। तालमखाना । मुल्फा । अतिच्छुत्रक, (पुं.) भूतृण विशेष | .अतिजगती, (श्री.) बन्द विशेष | यह छन्द तेरह अक्षरों का होता है (त्रि.) जगत् को डाकनेवाला । ज्ञानी । जीवनमुक्त | प्रतिजवः, ( त्रि. ) वेगवान् बड़े वेग से चलने वाला । अतिजागरः, (पुं..) नील बकपक्षी । यह सदा जागता रहता है, ( त्रि. ) जिसको नींद नहीं थाती । अतिडीनम्, (न. ) पक्षियों का गति विशेष | प्रति अतितराम्, (अ.) अधिक। अत्यन्त अधिक। अतितीक्ष्ण, (त्रि.) अत्यन्त कडचा | मरिचा | आदि । अतितीव्रा, (श्री. ) गांठ दून | अतिथिः, (पुं. ) सूर्यवंशी एक राजा इनके • पिता का नाम कुश था और इनकी माताका नाम कुमुद्वती था । यह रामचन्द्रजी का पौत्र •था। आगन्तुक पाहुन । जो एक रात रहे । अतिथिपूजनम्, (न. ) नृयज्ञ पक्ष यज्ञ के अन्तर्गत एक यज्ञ । अतिथिसपर्या, ( स्त्री. ) अतिथिसेवा । अ- तिथि का सत्कार | पञ्च महायज्ञों के अन्त र्गत एक यज्ञ नृयज्ञ | अतिदिष्ट, (त्रि. ) दूसरे के धर्म का दूसरे में आरोप करना । मीमांसा शास्त्र की एक परिभाषा | प्रतिदीप्यः, (पुं. ) रक्तचित्रक वृक्ष । लाल- चिता । अतिदेश:, ( पुं. ) दूसरे के धर्म का दूसरे में आरोप करना । अतिधन्वा, (पुं. ) धानुष्क | धनुर्धारी | धनुर्विद्या में निपुण | मरुभूमि को डांक जानेवाला । अतिधृतिः, (स्त्री.) छन्द विशेष | इसके प्रत्येक पद में उन्नीस अक्षर होते हैं । अतिपतन, (न.) अत्यन्त | नाश | अतिक्रमण | श्रतिपत्तिः, (स्त्री.) (सिद्ध न होना) असिद्धि | अतिपत्र, (त्रि. ) बड़े बड़े पत्तोंवाला वृक्ष | हस्तिकन्द वृक्ष । इसका उपयोग पशु- चिकित्सा में किया जाता है । अतिपथा, (पं.) सुन्दर मार्ग | अच्छा रास्ता | सदाचार | अतिपातः, ( पुं. ) पर्याय अतिपातक, (न.) नव प्रकार के पापों में का एक बड़ा पाप । वह तीन प्रकार का होता है। पुरुषों को माता कन्या और पुत्रवधू के संसर्ग से उत्पन्न होता है। स्त्रियों प्रति चतुर्वेदीकोष १८ ● ? को पुत्र पिता और श्वशुर के संसर्ग से उत्पन्न होता है। ^ तिकी, (पुं. सी.) पापी विशेष | माता | भगिनी और कन्या के साथ दुराचार करने चाले । गुरुद्रोही । कुलधर्म को छोड़ दो वाले और विश्वासघाती ये प्रतिपातकी कहे जाते हैं । अतिमलकिः, ( स्त्री. ) अत्यन्त प्रासति | अत्यन्त सेवन | अतिप्रसङ्गः, ( पं. ) अत्यन्त आसक्ति | दूसरा उद्देश्य रहने पर भी उसके साथ ही दूसर पदार्थ का सेवन | उद्देश्य के अतिरिक्त पदार्थ का सेवन | [प्रतिबल, (त्रि.) एक पौधा विशेष | बल बढ़ाने वाला औषध | अस्त्र विद्या विशेष | इस विद्या को महर्षि विश्वामित्र ने महर्षि कृशाश्व से सीखी थी। श्रीरामचन्द्रजी ने इस विद्या को महर्षि विश्वामित्र से सीखी थी । तरः (पं.) अधिक भार । अत्यन्त विस्तार | अतिभूमिः, ( स्त्री. ) अतिशय | अधिकता ! अमर्यादा । सीमा को अतिक्रम किया हुआ | अतिमङ्गल्य, (पुं.) बिल्वफल | (त्रि. ) मङ्ग- लालय । अतिशय मङ्गल उत्पन्न करनेवाला बहुत शुभ उत्पन्न करनेवाला । अतिमर्याद, (न. ) अतिशय | निर्भय । अतिमात्रम्, (न.) मात्रा की अधिकता । परि- माण से अधिक। थोड़े को लांघनेवाला । अतिमानिता, ( स्त्री. ) अहङ्कार। अपने को पूज्य समझना । " अतिमु (पुं.) निःसङ्ग | निष्कल | योगियों की एक अवस्था विशेष । मधवलिता । अतिमुक्तक ( पुं. ) तिनिश | तिन्दुकवृक्ष | पुष्पवृक्ष विशेष | तिमैत्रः, (पुं. ) नवम तारा । ( त्रि. ) परम मित्र | अत्यन्त मित्र | श्रतिमोदा, ( स्त्री. ) नवमल्लिका लता ( त्रि. ) अतिशय हर्पित | बड़ी सुगन्धिवाला । Ag अति अतिरथ (पुं. ) योगा विशेष जो अंगक शोधाश्री के साथ एकही साथ गुठकरे | अतिरसा (सी.) असम.ली लता | राना लता ! अत्रिः (पु ) ग्रामविशेष | अतिरिक, (नि) अधिक अच्छा मित्र श प्रतिशः, (नि.) अत्यन्त रुखा | स्नेहव्य | ( पुं. ) धान्य विशेष | कंगनी । कोदो आदि । अनिरे ( पुं. ) अतिशय | भेद | बड़ा चाधिक्य | प्रतिरोग, (पुं. ) रोगविशेष | बहा रोग क्षय व्याधि | मिश, ( पुं. ) बनैला बकरा | जिसके बहुत रोम होते हैं । अति (त्रि.) वाक या अधिक बोलनेवाला । अतिवर्णाश्रमी, (पुं. ) वर्णाश्रम होन वर्ष और आश्रम के धर्मों का पालन न करने वाला । जीवन्मुक्त महात्मा पचमाश्रमी । विर्तिन, (त्रि.) अतिक्रम करनेवाला । नियम को तोड़ कर चलनेवाला । १″ अतिवर्तुल ( पुं. ) धान्यविशेष जो बहुत गोल होता है । अतिवाद, ( पुं० ) किसी बात को बढ़ाकर कहना कठोर वचन | अप्रिय वचन | अतिवादी, (त्रि. ) सबको चुप कराकर बोलने वाला । सबका मत खण्डन करके जो अपने मत को स्थापित करे। प्रतिवाहित, (त्रि.) चला गया | बीत गया। व्यतीत हुआ | अतिविकट, ( पुं. ) दृष्ट हाथी | मतनाला हाथीं (त्रि. ) अति कराल | अत्यन्त विकट | (सी.) श्रपत्र विशेष | तीस | || भृश प्रतिवेल, (न. ) मर्यादातिक्रान्त | अभिलाषा | अतिव्यथा, ( बी. ) अत्यन्त पीड़ा | प्रति- शय कष्ट । r श्रति कोष १६ अतिव्याप्ति (स्त्री.) अधिक विस्तार अत्यन्त | विस्तृति | नैयायिकों के एक दोष का नाम । यदि किसी का लक्षण - अर्थात् एक प्रकार की परिभाषा किया जाय और वह लक्षण अपने मुख्य वाच्य को छोड़ कर दूसरे का वाचक होजाय । तो वहां अति- व्याप्ति दोष माना जाता है । अतिशक्ति, ( स्त्री. ) अधिक शक्तिवाला | बलवान् । असीम बलशाली। जिसके समान शक्ति औरों की न हो । (पुं.)। अधिकता | बड़ाई | अतिशतिः (त्रि.) अधिक | अतिक्रान्त | अधिकतायुक्त | अतिशयोक्ति, ( स्त्री. ) अर्थालङ्कारविशेष । वर्णनीय वस्तु की उत्कर्षता दिखाने के लिये उसे दूसरी वस्तु के रूप में प्रकट करना । अतिशक्करी, (सी.) छन्दविशेष | जिसके प्रत्येक पाद में १५ अक्षर होते हैं । अतिशायन, ( न. ) अधिकता प्रक अतिशीत, (न. ) अधिक शीत । अधिक ठण्ढा । ( त्रि. ) वह वस्तु जिसका स्पर्श बहुत ठरढा हो । प्रतिशोमन (त्रि.) यन्त शोभायुक्त | श्रति- शय शोभनीय । श्रेष्ठ | उत्तम । रमणीय श्रतिसन्ध्या, ( स्त्री. ) प्रदोष काल | सन्ध्या के समीप का समय तिसर्गः, (पुं.) सेच्छापूर्वक काम करने की थाज्ञा । अतिसर्जन, (न.) देना मारना ठगना । छोड़ना । अतिसायम्, (घ) सायंकाल के समीप | प्रदोष का समय । r प्रतिसार, (पुं.) रोग विशेष | अतिसार रोग | अतिसार किन्, (त्रि. ) अतिसार रोगी | श्रतिगार रोगवाला अतिसृष्टः, (नि.) दत्त दिया हुआ नियुक्त किया गया । दिया गया। भेजा गया। a अत्यन्त मोटा । अतिसौरभः, (पुं. ) या संगन्धिवाला । अतिस्थूलः, ( त्रि. ) आवश्यकता से अधिक मोटा । अतिहसितम्, ( न. ) अतिशय हास्ययुक्त । अधिक हँसने वाला | अतीत, (त्रि.) व्यतीत | बीता हुआ । बति गया। भूतकाल । अतीतकालः, ( पुं. ) हेत्वाभासविशेष | ऋतु- मान के द्वारा किसी पदार्थ के साधन समय नीत जाने पर उसके साधन के लिये जो हेतु कहा जाय वह अतीतकाल हेतु कहा जाता है और वह हेलाभास दोष है । · द्र विशेष बहुत (त्रि.) इन्द्रियों से न जानने योग्य वस्तु । श्रप्रत्यक्ष अतीव (अ.) बहुतही। अत्यन्त । अधिक | अतिशय । अतीसार, (पुं० ) रोग विशेष | उदर रोग | स्वनामख्यात रोग | . अतुलः, (त्रि.) धनुपम उपमान रहित । अतिका, ( स्त्री. ) बड़ी बहिन | इस शब्द का प्रयोग नाटकों में किया जाता 1 अत्यन्तम् (न.) अतिशय । अधिक। सीमा को अतिक्रमण करने वाला । अत्यन्तकोपन, (त्रि.) चण्ड। अधिक कोष- शील। अधिक क्रोध करने वाला । अत्यन्तगामी, (त्रि. ) अधिक चलनेवाला । सततगामी हरकारा अत्यन्तसंयोग, (पुं. ) समस्त सम्बन्ध | निरन्तर संबन्ध । श्राप में मेल-मिलाप | जिस प्रकार धूम और अग्नि का सम्बन्ध है, दो पदार्थों का आपस में ऐसा मिल जाना कि दोनों के मेल से एक दूसरा पदार्थ उत्पन्न होजाय | अत्यन्ताभावः ( पुं. ) नैयायिकों के मत से अभाव का एक भेद । किसी वस्तु का अंत्य धतुर्वेदीकोष | २० त्रिकाल में अभाव न था। न है और न होगा । यथा - वायु में रूप का अत्यन्ता- भाव है क्योंकि वायु में रूप न तो था न है और न होगा। अत्यन्तिक, (त्रि.) अत्यन्त चलने वाला | अतिशय गमनकारी। अत्यन्तीन, (त्रि.) अत्यन्त चलने वाला | चिरस्थायी । अत्यम्लः, (पु.) बहुत खट्टा फल । तेतुल | इमली। अत्यम्लपर्णी, (स्त्री.) जिसके पत्ते अधिक होते हैं। वृक्ष विशेष काबीजपुर नामक वृक्ष, यह रावालेबु के नाम से प्रसिद्ध है । अत्ययः, (पुं. ) अतिक्रम। दण्ड धभाव विनाश | दोप। कष्ट । अत्यन्त गमन । बलसे व्यवहार करना । मृत्यु होनेवाले कामों की सिद्धि । अत्यर्थम्, (न. ) अतिशय । अधिक | (त्रि.) अतिशययुक्त अर्थ का प्रभाव | अत्यल्पम्, (त्रि. ) छोटा | बहुत छोटा | अत्यन्त लघु । अत्यष्टिः, (स्त्री.) छन्द विशेष | जिसके प्रत्येक पाद में सत्रह १७ अक्षर होते हैं । अत्याकारः, ( पुं. ) तिरस्कार । विरादर । आदर का अभाव | ( त्रि. ) विशाल शरीर । बड़ा शरीरवाला । अत्यागी, (त्रि. ) कर्म फल की इच्छा न कर काम करनेवाला । श्रज्ञ । अनभिज्ञ । बना हुआ संन्यासी | अत्याचार ( पुं. ) उपद्रव । दुःखद काम | शास्त्रीय नियम का उल्लङ्घन अत्याधान, ( न. ) अतिक्रम । उपश्लेष सम्बन्ध | नियम विरुद्ध अग्नि स्थापन | अत्याल, (पुं.) रक्तचित्रक वृक्ष । लालचिता । अत्याश्रम, (पुं० ) परमहंस । ब्रह्मचर्य धादि आश्रमधर्मों को पालन करने वाला । अथ श्रत्याश्रमी, ( पुं. ) उसमाश्रमी परमहर्ड्स | परिव्राजक अत्याहित, (ग.) अत्यन्त भय | महाविपद् । जिसमें प्राण जाने का भय हो । अत्युक्लि:, ( स्त्री. ) बढ़ कर कहना। अन्याय वचन | ग्रसम्भव उक् । अर्थालारविशेष, जहां झूठ और अद्भुत का वर्णन हो । आयुकथा (सी.) बन्दविशेष इस छन्दके प्रत्येक पाद में दो अक्षर होते हैं। साम- वेद के उत्थ भाग को बिगाड़ कर गानेवाला । अत्युच्छ्रित, (प्रि. ) अधिक बढ़ा हुआ। प्रत्यूह, ( गरुड़ पश्चिविशेष बलूह फाल। कण्ठक । ( त्रि. ) अधिक नितर्क | बहुत वितर्क करनेवाला । अत्यूह (श्री. ) नील नाम का पौधा | नील सिन्दुवार पक्षी ★ अत्र, (अ.) अधिकरणार्थक अन्यय । इसमें यहां अगभवान् (त्रि.) श्लाघ्य | पूजनीय | प्रशंसा करने योग्य | [भिः (पुं. ) सर्पियों में के एक ऋषि ( त्रि. ) झीग से मिर्भ | तीन नहीं अभिजातः, ( पुं. ) चन्द्रमा, ग्रालय | अभिनेत्रजः, ( पुं. ) चन्द्रमा थ, ([.) निरन्तर | मङ्गल | प्रश्न | संशय आरम्भ | विकल्प पन्तर इस शब्द का चर्थ महत नहीं है किन्तु इसका उखा- रण करना ही मङ्गल है । अथ किम्, अ. ) स्वीकार | अङ्गीकार अथर्वन् , ( पुं. ) शित्र | मुनिविशेष | इसी मुनि ने अथर्ववेद का सङ्कलन किया है । अथर्वा, (पुं. ) ब्राह्मण । अथर्व वेद । अथर्व मुनि का कहा हुआ धर्म । अथर्ववित्, ( पं. ) अथर्व वेद के शाता वशिष्ठ आदि । अथर्ववेद, (पुं. ) ऋग्वेद का वह भाग जिसमें चतुर्वेदकोष । २१ मारण उच्चाटन श्रादि का भेद लिखा है । अथर्वाधिपति, ( पुं. ) चन्द्रमा के पुत्र बुध । अथवा, ( ष. ) पक्षान्तरबोधक अव्यय | अथो, ( श्र. ) श्रारम्भ आदि । ( देखो अथ ) अ, ( धा. पर. ) खाना | भोजन करना | श्रदत्त (स्त्री. ) विना व्याही स्त्री । कुमारी । श्रदत्तादायी, (त्रि.) विना दी हुई वस्तु को ग्रहण करने वाला । चोर । डाकू । अदनम्, (न. ) भक्षण । भोजन । अद्भ्रम्, (त्रि.) बहुत | थोड़ा नहीं । श्रदर्शनम्, (त्रि. ) दर्शन के अयोग्य जो देखने में नांव जो न देखा जाय । अदल (पुं. ) हिञ्चल नामक वृश्च । ( त्रि. ) पनरहित वृक्ष विना पत्तों का पेड़ | श्रदस्, (त्रि.) दूसरा अन्य दूर की वस्तु । श्रदाता, ( पुं० ) कृपय । दानशक्तिहीन | जो दे न सके । अदात्यः, ( पुं. ) जलाने के योग्य । शरीर रहित । परमात्मा । महारोगी । अदिति, (श्री. ) देवमाता । ये दक्ष प्रजा- पति की कन्या और कश्यप की स्री थीं । पुनर्वसु नक्षत्र | क्योंकि इसकी देवता अदिति हैं। काटने योग्य भूमि • तिनन्दन, (पुं.) अदिति के पुत्र | देवता | अदीनः, (त्रि. ) उदार | दीन नहीं | श्रदीनात्मा, (त्रि.) यन्त कष्ट होने पर भी जिसकी आत्मा विचलित न हो । अदृश्यम्, (न. ) न देखे जाने योग्य रूप । (त्रि.) इन्द्रियों से नहीं देखे जाने योग्य | अहम्, ( न. ) भाग्य । नियति । शुभाशुभ रूप कर्म । श्र श्रद्धा, (.) सत्यार्थक अव्यय । सामने | साफ । अद्भुत ( न. ) उत्पात | विस्मय । चित्तका विस्मयनामक विकार । नवरसों में का एक रसविशेष | श्रदृष्टपूर्वः, (त्रि.) पहले नहीं देखा गया । अष्टि (सी.) दृष्टि का अभाव | अन्धा वक्रदृष्टि । कोषके साथ देखना। श्रदेवमातृकः, (पुं. ) जिस देश में नदी या नहर आदि के जल से अन्न उत्पन्न होता है उस देश के वासी । अद्भुतस्वनः, (पुं.) महादेव । आश्रर्यशब्द । आश्चर्यशब्दयुक्त | श्रझरः, (त्रि.) बहुत खाने वाला । भक्षणशील । श्रद्य, ( श्र. आज का दिन । वर्तमान दिन | अद्यतनः, (त्रि.) आज की उत्पन्न हुई वस्तु कालविशेष | बीती हुई रात का अन्तिम पहर और आने वाली रातका पहला पहर तथा समस्त दिन यह अद्यतन काल कहा जाता है । अद्यत्वे, (अ.) श्राज का । इस समग्र | संप्रति । अद्यश्वीन, ( सी. ) आज कल में प्रसव करने वाली स्त्री । श्रासनप्रसवा । ः, ( पुं. ) पर्वत । पहाड़ वृक्ष | सूर्य | मान विशेष । सात की संख्या । कर्णी (स्त्री.) अपराजिता नामकी धि | श्रद्रिकीला, ( सी. ) भूमि | पृथिवी । अद्रिजम्, (न. ) शिलाजीत नामक औषध | ( त्रि.) पर्वतपर उत्पन्न होनेवाले पदार्थ | अद्विजनु, ( न. ) शिलाजतु । अद्विजा, ( स्त्री. ) पार्वती | गिरिजा | अदिन्,ि (पुं. ) वासव । इन्द्र | ( स्त्री. ) हिमालय पर्वत की कन्या | पार्वती । मित्, ( पुं. ) इन्द्र । देवराज । अद्रिभू, ( श्री. ) अपराजिता नामकी लता । श्रद्रराज, (पुं.) पर्वतों का राजा | हिमालय | असार, (पुं.) लोहा । श्रद्रोश (पुं.) हिमालय पर्वत । श्रद्रोह, .) द्रोह का अभाव । श्रद्वय, ( न. ) परब्रह्म । सृजातीय । विजातीय और रवगत भेद शून्य । अद्वितीय । (पुं.) वृद्ध । चतुर्वेदीकोष | २२ श्र के श्रद्वयकारणम्, ( न. ) परब्रह्म । जगत् निमित्त और उपादान दोनों कारण । (पुं. ) वेदान्ती । बौद्ध । एक वस्तु की सत्ता माननेवाला । श्रद्वैतवादी । बौद्ध विशेष | द्वितीय (त्रि.) केवल | एक | उसके समान दूसरा नहीं। परमात्मी श्रेष्ठ | असमान | अद्वेट (त्रि. ) अद्वेषी । द्वेष न करनेवाला । हितकारी । 1₂ (त्रि.) स्वजातीय विज्ञातीय भेदशून्य | मैदविकलारहित । सिद्धान्त विशेष | वेदान्त सिद्धान्त | अद्वैतवादी, (पुं.) बुद्ध | (त्रि.) विवेकी ब्रह्म और आत्मा की एकता कहने वाला । श्रधःक्रिया, ( स्त्री. ) अपमान | तिरस्कार । अधःक्षिप्त (त्रि.) नीचे की ओर मुँह करके रखा गया द्रव्य अधःपुष्पी, ( स्त्री. ) एक पौधे का नाम । जिसके फूल नीचे की ओर होते हैं । अधनः, (त्रि. ) भार्या पुत्र भृत्य आदि ।। अवमः, (त्रि.) कुत्सित | निन्दित । ( पुं. ) जार। उपपतिविशेष | अधम, (त्रि.) ऋणकर्ता । ऋण लेनेवाला । कर्जेखोर | ऋणकर्ता । ः, (त्रि.) श्रम श्रथमा, ( स्त्री. ) नायिकाभेद । अमाङ्ग, (न. ) चरण । पाँच | पैर | पाद | अधर, (पुं. ) ऊपर या नीचे का श्रोठ । ( त्रि. ) पृथिवी से जो न मिला हुआ हो । नीचे । तल । श्रधरतः, ( श्र. ) नीचे की ओर धरमधु, ( न. ) अधर अधरामृत | श्रवरान्, ( श्र.) नीचे का भाग अधोभाग | अधरे, ( . ) नीचे की ओर । पश्चिम दिशा । अधरे:, (अ.) पर दिन परसों। आनेवाला परसों । दूसरा दिन । " अधि अधर्म, (त्रि. ) ब्रह्महत्या आदि निषिद्ध कर्मों से उत्पन्न पाप बेदनिषिद्ध कर्म । अनेक प्रकार के दुखः देनेवाले कर्म धर्म का विरोधी । अधर्मश (त्रि. ) धार्मिक धर्म न जानने वाला। धर्म को तुच्छ समझने वाला। अधर्मभित्र, (. पुं. ) कलियुग | (त्रि ) धार्मिक | मिथ्यावादी । अधश्चर, (पुं. ) निन्दित कर्मों में जिसकी रुचि हो । चोर आदि । नीचे की थोर जाने वाला । अधस्तात् (श्र.) नीचार्थक अव्यय । अधि, ( श्र.) अधिकार | ऐश्वर्य भाग | हिस्सा | अधिकम् (ग.) बहुत अनेक ज्यादा। विशेष | श्रधिकरणम् ( न. ) आधार कारक | कैती और कर्म किया का आश्रय | मीमांसा | अशय्या (स्त्री.) पृथिनीपर सोना | भूमिशयन | अधिक विद्याल, (पुं.) द्रव्य की अवस्था के भेद से संख्या का भेद करना। एक राशि को अनेक बनाना अथवा धनेक राशि को एक बढ़ाना | अधिकरणभिद्धान्त:, (पुं. ) सिद्धान्त वि शेष | जहां एक की सिद्धि से दूसरे की सिद्धि होती है, वह अधिकरण सिद्धान्त है अर्थात् जिस अर्थ के सिद्ध होते ही दूसरे प्रकरण की सिद्धि होती हो । अधिकर्तव्यम्, (न.) जो अधिकरण में उत्पन्न हो । अधिकर्मिक, (पुं. न. ) हाट का मालिक | बाजार का चौधरी । अधिकाङ्गम्, ( न. ) कवच आदि बाँधने की पट्टी | कमरकंस | (त्रि.) अधिक वाला। जिसके चङ्ग बढ़े हुए हो । अधिकारः, (पुं. ) फलस्वामित्व किसी काम करने की स्वाधीनता । पैतृकाधिकार । अर्थी • स्वत्व । नियुक्त किये गये पुरुष का सम्बन्ध, यथा - राजाओं को छत्र, चामर आदि धारण करने का अधिकार है । अधीनस्थ . देश आादि । प्रकरण | व्याकरण के मत से पहले सूत्र के पद को दूसरे सूत्र में ले जाना । अधिकारविधि, (पुं. ) मीमांसा शास्त्र की अधियोग, (पुं. ) यात्रा का योगविशेष । अधिरथ, ( पुं. ) कर्ण के पिता का नाम । अधिराज, (पुं. ) सम्राट् अधिरोहिणी, ( स्त्री. ) बाँस या लकड़ी की बनी सीढ़ी । ऊपर चढ़ने या ऊपर से नीचे उतरने का साधन परिभाषा। कर्मों से उत्पन्न फल को बोधन | अधिवचनम्, ( न. ) नाम | संज्ञा | करनेवाली विधि | अधिवः, ( पुं. ) सुगन्धित करना । अधि चतुर्वेदीकोष | २३ . अधिकारी, (पुं. ) प्रमाता । फलस्वामी । अधिकार विशिष्ट | अधिकार्थवचन, (न. ) स्तुति और निन्दा को प्रकाशित करने वाली अधिक अंक | अधिकृत, (त्रि.) अध्यक्ष नियुक्त | आयव्यय देखने वाला कर्मजन्य फलसंबन्धी अधिकार प्राप्त । जिसको कोई काम सौंपा गया हो । अधिक्रमः, ( पुं. ) आक्रमण । अधिक्रमण | श्रविक्षिप्त, (त्रि.) स्थापित । कुत्सित | भसिंत | तिरस्कृत | • अधि, (पुं. ) निन्दा | तिरस्कार | अधिगतः, ( त्रि. ) प्राप्त । ज्ञात । जाना गया। पाया गया। स्वीकार किया गया । अधिगम, (पुं.) साक्षात्कार प्राप्ति। रवीकार । अधित्यका, (सी.) पर्वत के ऊपर की भूमि । अधिदेवता, ( स्त्री. ) पदार्थों के अधिष्ठाता देवता । अधिदैवतम्, (न.) हिरण्यगर्भं । अन्तर्यामी पुरुष । चक्षु आदि इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवता | ऋ (त्रि. ) राजा । प्रभु । श्रधिपति | अधिपतिः, ( पुं. ) प्रभु । स्वामी । श्रधिभूः, ( पुं० ) प्रभु । नायक | स्वामी । धिमांसा, ( पुं. ) दन्तरोगविशेष | दाँत का एक रोग | श्रधिमासः, (पुं.) मलमास | अधिक मास । संक्रान्तिरहित देश | अधियक्षः, ( पुं. ) परमेश्वर । “अधियज्ञोह- मेवान देहे देहभृतां वर " ( गीता ) | पांसना निवास रहना | ठहरना । अधिवासनम्, ( न. ) यज्ञ प्रारम्भ का पहला दिन । जिस दिन देवता यादि की स्थापना होती है । गन्ध माल्य आदि से पूजा करना । अधिविना, ( स्त्री. ) प्रथम व्याही स्त्री | जिसको सौति न आायी हो । अधिश्रयणम्, ( न. ) भात आदि बनाने के लिये बर्तन को चूल्हे पर रखना । अधिश्रयणी, (बी. ) चूल्हा | अधिष्ठाता (त्रि. ) अध्यक्ष | प्रवृत्ति चौर निवृत्ति करने वाला। स्वामी प्रभु अधिष्ठानम्, (न. ) वेदान्तशास्त्र के प्रसिद्ध आरोप का अधिकरण । पहिया नगर । प्रभाव | स्थान । अध्यासन । अधीन, (त्रि. ) पठित | कृताध्ययन' | पढ़ा हुआ । अधीतिः, ( स्त्री. ) अध्ययन । पठन। पढ़ना । अधीन, (त्रि.) आयत्त | वश में आया हुआ | अधिकार में वर्तमान अधीयानः, (त्रि.) पढ़ने वाला । वेदपाठी | अधीरः, (त्रि.) चञ्चल । कातर । घबड़ाया हुआ । अधीरा, (स्त्री.) विद्युत् | बिजली | नायिका- विशेष । धीशः, (त्रि.) प्रभु । स्वामी । ईश्वर । अधीश्वरः, (पुं.) बुद्ध भगवान् | ( पुं. स्त्री.) चक्रवर्ती सम्राट् जिसको सामन्त गण कर देते हों। चतुर्वेदीकोष | २४ अधो " अधीष्टः, (पं.) सत्कारपूर्वक व्यापार | ( त्रि.) सत्कार करके व्यापार में नियुक्त किया गया। आदर के साथ किसी काम के लिये किसी को आज्ञा देना । अधुना, (अ.) सम्प्रति । इस समय अधुनातन, (त्रि.) इस समय का । इस काल में होने वाला । अधृष्टः, (त्रि. ) लज्जाशील । विनयो । अधृष्यः, (त्रि.) तिरस्कार करने के अयोग्य | प्रगल्भ | पृष्ट । जो किसी से न दबे | अधृष्या, ( मी. ) एक नदी का नाम । शुकम्, (न.) पहनने का कपड़ा | नीचे पहनने का कपड़ा। धोती आदि । अधोक्षज, (पुं. ) विष्णु । जो इन्द्रियसम्बन्धी ज्ञान का विषय न हो । परब्रह्म । जिसने इन्द्रिय जन्य ज्ञान को तिरस्कृत कर दिया है । कृष्ण भगवान् । ज्ञानी । जीवन्मुक्त । अधोगतिः, ( स्त्री. ) नरक । अवनति | नीचे की ओर गति । अधोजिहिका, ( स्त्री. ) छोटी जीभ । जो तालु के मूल में रहती है । अधोदृष्टिः (त्रि. ) अपना विनय जनाने के लिये सदा नीचे की ओर देखने वाला । विनीत | विनयी । अधोभुवन, ( न.) पाताललोक | नाग- लोक । अधोमुख, (त्रि. ) नीचे की ओर मुखवाला । नक्षत्रविशेष । मूल, अश्लेषा, कृत्तिका, विशाखा, भरणी, मघा और तीनों पूर्वा ये अधोमुख नक्षत्र कहे जाते हैं । अधोमुखा (स्त्री.) गोजिह्वा नामक पौधा | अधोलोक ( पुं.) पाताल । अधःस्थित सप्तलोक | अधोवायु:, (पं.) अपान वायु । हवा खुलना । अध्यक्ष, (पं.) क्षीरिका वृक्ष (त्रि.) किसी विषय का अधिकारी। किसी काम की देख रेख करने के लिये नियत । आयन्यय- अभ्या निरीक्षक | व्यापक विस्तृत | चारों थोर फैला हुआ । ( ग.स.) प्रत्यक्ष ज्ञान । इन्द्रियों के द्वारा जानने योग्य | अध्याग्नि, ( न. ) बोधन जो विवाह के समय अग्नि को साक्षी करके पिता आदि अध्यधीनम् (न.) अधिक अधीन । जन्म का दास । बिका हुआ दास । अध्ययनम्, (न. ) पढ़ना। गुरु के मुख से उपदेश ग्रहण करना| गुरु की कही हुई बातों का. दुहराना । अर्थ सहित अक्षरों का महण करना । P अभ्यम्, (त्रि. ) आधे के साथ एक और आधा। डेढ़ । अध्यवसाय, ( पुं. ) निश्चय । निर्धारण । युक्तियों के द्वारा किसी बात को निश्चित करना । उत्साह बुद्धिसम्बन्धी व्यापार | किसी पदार्थ के शान होने के समय रजो- गुण और तमोगुण की न्यूनता होने के कारण जो सत्त्वगुण का प्रादुर्भाव होता है वह अभ्यवसाय है । बुद्धि | बुद्धि का प्रधान व्यापार | अध्यशनम्, (न. ) अधिक भोजन करना | अजीर्ण पर खाना । p अध्यस्तः, (त्रि. ) कृताध्यास | अध्यात्म, (अ.) आत्मा देह। मन । "स्वभा वोsध्यात्ममुच्यते " इस गीता के श्लोक में स्वभाव को अध्यात्म कहा गया है । "स्वभाव" का अर्थ टीकाकारों ने इस प्रकार किया है। कार्य कारण के समूह रूप देह का अवलम्बन कर के आत्मा विषय भोग करता है, उसी को 66 अध्यात्म " कहते हैं । ( मधुसूदन सरस्वती ) प्रत्येक देह में परब्रह्म का जो वंश वर्तमान है, वह अध्यात्म कहा जाता है ( श्रीधर ) | अध्यात्मशानम्, (न.) आत्मा और अनात्मा का विवेक । अध्या चतुर्वेदीकोष | २५ अभ्यात्मयोगः, (पुं.) चित्त को विषयों से हटा कर आत्मा में लगाना | अध्यात्मविद्या (स्त्री.) अध्यात्मतत्त्व | न्याय और वैशेषिक के मत से देह भिन्न आत्मा के स्वरूप को बतलाने वाली विद्या अध्यात्म- विद्या कही जाती है । सांख्य मत से प्रकृति से भिन्न श्रात्मा के रूप को बतलाने वाली विद्यां अध्यात्मविद्या कही जाती है । और वेदान्तियों के मत से आत्मा और ब्रह्म में अभेद बतलाने वाली विद्या अभ्या- त्मविद्या है। अध्यापक, (त्रि. ) अध्यापन कराने वाला । उपाध्याय | पढ़ाने वाला । अध्यापन, (न.) ब्राह्मण का मुख्य कर्म । ब्रह्मयज्ञ | पढ़ाना । विद्यादान करना | अध्याय:, (पुं.) अध्ययन | प्रकरण । प्रन्थों का भागविशेष । जो एक विषय की समाप्ति बतलाता है। सर्ग | वर्ग । परिच्छेद काण्ड | अध्यारूढ (त्रि.) समारूढ । चढ़ाहुश्रा | अध्यारोप, (पुं. ) दूसरी वस्तु के धर्म को दूसरी वस्तु में लगाना | मिथ्या ज्ञान भ्रम वश दूसरी वस्तु को दूसरी वस्तु समझना, यथा- रस्सी को साँप समझ लेना । अध्यावहनिक, (न. ) पिता के घर से पति के घर जाने के समय स्त्री को मिला हुआ धन । स्त्रीधन । अध्याशन, (न.) भोजन पर भोजन एक बार भोजन करने पर भोजन करना | अध्यास, ( पुं. ) अन्य वस्तु में दूसरी वस्तु के धर्म का आरोप करना । अध्यारोप | मिथ्या ज्ञान। बैठने का स्थान | आसन । अध्यासित, (त्रि.) अधिष्ठित | आश्रित | सहारा दिया गया । भरोसा दिया गया । निवेशित | स्थापन किया गया। अध्याहार, (पुं. ) तर्क । ऊह साकांक्ष वाक्य को पूर्ण करने के लिये दूसरे शब्दों का अनुसन्धान करना। अपूर्व उत्प्रेक्षा | श्रध्युषितः, (त्रि. ) ठहरा हुआ । स्थित । अध्युष्टः, (पुं. ) उष्टयुक्त रथ | ऊँटगाड़ी । सध्यूढः, (पुं. ) ईश्वर प्रभु | धनी चढ़ने वाला । अध्यूढ़ा, ( स्त्री. ) अनेक व्याह करने वाले की पहली स्त्री । ऋध्येपणम्, (न. ) प्रार्थना | याचना के लिये प्रार्थना | अध्येष्यमाणः, (त्रि.) वह मनुष्य, जो अध्ययन करने वाला है । श्रध्रुवः, (त्रि.) चम्बल । विकारवाला । अनित्य | अस्थिर । विनाशी । (पुं. ) पथक | मार्ग चलने वाला | (त्रि. ) सूर्य | ऊँट | मार्गगामी । श्रोग्य (पुं.) पथिकों को सरलता से प्राप्त होने योग्य वृक्षविशेष अमड़ा नामक वृक्ष | श्रध्वजा, (स्त्री.) मार्ग में उत्पन्न होने वाला एक प्रकार का पौधा | स्वर्णपुप्पी | अध्वन्, (पुं. ) मार्ग | रास्ता | राह | श्रध्वनीन, (त्रि.) पथिक । मार्ग चलने वाला | चलने का काम करने वाला । श्रध्वन्य, (त्रि. ) पथिक | अधिक मार्ग चलने वाला । अध्वर, ( पुं. ) यज्ञ | ऋतु । सावधान | वसु- विशेष । अध्वरथ, ( पुं. ) मार्ग चलने वाला । दूतं | हरकारा मार्ग में जाने के उपयोगी रथ । अध्वर्यु, ( पुं.) यजुर्वेद को जानने वाला यज्ञ कराने वाला | ऋत्विक् | पुरोहित | अध्वर्युः, (स्त्री.) अध्वर्यु' शाखा पढ़ने वाली । अध्वर्युशाखाध्यायी के वंश में उत्पन्न स्त्री | श्रध्वशल्यः, (पु.) अपामार्ग । श्रध्वाळशात्रव, (पुं.) वृक्षविशेष । स्योनाक नामक वृक्ष । अन्. ( भा. पर.) प्राण धारण करना । जीना। थनंशुमत्फला, ( स्त्री: ) कदली वृश्च । चतुर्वेदीकोष अनक्षम्, (त्रि. ) चक्ररहित । विना पहिये को गाड़ी मसर (न.) दुनिशुख मार दोष प्रकाश करना | वाच्य विदाचन । गाली । अनक्षि, (न.) मन्द नेत्र । (नि.) मन्द नेत्र- वाला । धन्धा । • अनगारः, ( पुं. ) ऋषि मुनि | तपस्वी | (त्रि.) गृह-रहित | अनग्निः, (पुं. ) श्रौत स्मार्त कर्म होन अग्निहोत्ररहित | संन्यासी | अनग्निका, ( स्त्री. ) रजोवती कन्या । जिसको मासिक धर्म हुश्रा हो । अनघः, (त्रि. ) निर्मल । पापरहित । रम- पीय दुःखरहित । अनङ्गम्, (न.) आकाश | मन | ( पुं. ) मदन । कामदेव । अनङ्गशेखर, (पुं. ) दण्डक नामक एक प्रकार का छन्द । इसमें क्रमशः लघु और गुरु अक्षर रखे जाते हैं । अनङ्गसुहृत् (पुं.) शिव महादेव । अनच्छः, (त्रि.) कलुष | श्रमसच, मैला | अनशनम्, (न. ) व्योम | याकाश | तत्त्व | ( पुं. ) नारायण | अनड्डह, ( पुं. ) साँड़ | वृषभ | बैल । डही, (स्त्री.) गौ । अनतिरेकः, (पुं. ) अभेद | अनद्यः, (पुं. ) सफेद सरसों। अनध्यक्षः, (त्रि. ) अध्यक्षभिन्न | अप्रत्यक्ष + अनध्यायः, (पुं. ) अध्ययन के अनुपयुक्त समय पढ़ने के लिये निषिद्ध काल । अननुगतम्, (न.) आत्मतत्त्व | (त्रि.) अनिश्चित । अपरिभाषित | जिसकी कोई परिभाषा न हो । 1 अनन्तः, (पुं. ) केशव | विष्णु । नारायण । देवता । मनुष्य आदि उसके अन्त को नहीं पा सकते। इस कारण विष्णुको "अनन्त " | २६ कहते हैं। शेषनाग | बलभद्र | नक (पं) अन FESSI (प्र.) के जिसकी इयत्ता न हो । > अनन्त (पं.) सर्वात्मा | परमात्मा | अनन्तसूलः, (पुं. ) कराला नामकी | बच का एक भेद | अनन्तरम्, ( न. ) आनेवाला काल । पश्चात् पश्चात् का काल (वि.) परमात्मा शिक्ष्य समिति | श्रव्यन- हित सटा हुआ | अनन्तरूपः, ( पुं. ) भगवाद | विश्वरूप | ( त्रि. ) अनन्तरूप युद्ध | जिसके अनन्त रूप हो । अनन्तलोक ( पुं. ) अविनाशी लोक | स्वर्गलोक | वनविजयः, (पुं. ) राजा सुधिधिर के शल का नाम । . अनन्तवीर्यः (पुं. ) | श्र वाले कल्प में होने वाले जैनियों का तेईसवाँ तीर्थ हर | अनन्तवत, (न. ) नविशेष | इस व्रत में अनन्त की उपासना कीजाती है। यह अत भादोंकी शुरू चतुर्दशीको होता है। अनन्तशीर्पा, (खी.) वासुकी नाग की पत्नी | अनन्ता, (सी.) विशल्या नाम की श्रोषधि | एक प्रकार की जय। जिसका नाम “ अनन्त मूल " है | पार्वती | पृथिवी | कुश हरीतकी चांगलकी गुहूची । अग्नि मन्थ वृक्ष | अनन्तात्मा (पुं. ) परब्रह्म | विष्णु | देश | काल और वस्तु से अपरिि अनन्यः, (त्रि. ) सर्वभोगनिःस्पृह सब को अद्वैत दृष्टि से देखनेवाला । आत्मा और ब्रह्मको अभिन्न दृष्टि से देखने वाला। एक- तान | किसी एक विषय में लगा हुआ । श्रन. चतुर्वेदीकोष | २७ श्रमन्यगतिक, (त्रि. ) एकाश्रय | गत्यन्तर- रहित । अनन्यचेता, (त्रि.) एक में जिसका चित्त लगा हो । एक में चासक्त | अनन्यजः, (पुं. ) कामदेव । अन्य से उत्पन्न नहीं । केवल एकही से उत्पन्न । अनन्यभवः, (त्रि.) किसी एक के द्वारा साधन होने योग्य कर्म | दूसरे के द्वारा असाध्य | अनन्यभावः, (त्रि. ) एकान्त भक्त । जिसका भाव एक के अतिरिक्त दूसरे में न हो । अनन्यवृत्ति, (त्रि.) इष्टदेव के अतिरिक्त जो दूसरे का ध्यान न करे । एकाग्र । एक- तान | एगन्तचित्त । अनन्व, () अननुगत | अधीन नहीं | जो वश में न हो । अनन्वयः, (पुं. ) अर्थानद्वारविशेष | जहाँ एकही उपमान और उपमेय हो। वहाँ यह अलङ्कार होता है । (त्रि. ) अन्वयशून्य | सम्बन्धरहित । अपाय (त्रि.) अपायशून्द | अनश्वर | अविनाशी । निश्चल | अपेक्षः, (नि.) निरपेक्ष | निःस्पृह | अपेक्षा वर्जित । हेय | अनभिज्ञः, (त्रि.) अविद्वान् । मूर्ख। श्रभिज्ञ नहीं । अभियुक्तः, (त्रि.) अनादृत | असत | तिरस्कृत | अनभिलाषः, (पुं. ) रुचि | अनिच्छा | अनयः, (पुं. ) अशुभभाग्य । विपत्ति । व्यसन । अनीति । अनर्गल, (त्रि. ) वे रोकटोक । प्रतिबन्धक शून्य | यथेच्छ । अनर्थ्य, (त्रि.) अमूल्य | जिसका मोल न हो । अर्थ:, (पुं. ) प्रयोजन प्रयोजन का अभाव | धनिष्ट | अननीप्सित नहीं चाहा गया। जिसका कुछ अर्थ या प्रयोजन न हो। श्र 1 अनर्थक, (न.) अर्थशव्याप | अर्थ के विना । सम्बन्धरहित वाक्य - धनर्थमूलम् (न.) आत्मज्ञान का अभाव | अपने बलाबल का न जानना । अनर्थान्तरम् (न. ) अभिन । समान । भेद नहीं । अनलः, (पुं. ) जिसकी तृप्ति न हो । अनेक पदार्थों के जलाने पर भी जिसकी तृप्ति न हो । अग्नि । अष्ट वसमें का पञ्चम वसु । कृत्तिका नामक नक्षत्र । क्योंकि इसका देवता अग्नि है । वृक्षविशेष । जो चिता नाम से प्रसिद्ध है । ( पुं. ) भिलावा नामक वृश्च । शरीरस्थ पित्त । नल नामक तृण से भिन्न | साठ वर्षों में पचासवाँ वर्ष । शनलदः, (पुं. ) जल । सन्ताप को शान्त करनेवाला । अनलप्रभा, ( स्त्री. ) जिसकी प्रभा श्रग्नि के समान हो । ज्योतिष्मती नामक लता । अनलि, (पं.) वृक्षविशेष | अनवः, (त्रि. ) प्राचीन | नवीन नहीं | अनवधानम्, (न.) प्रमाद | मन न लगाना | अनवधाजता, ( स्त्री. ) प्रमाद । विना विचार से किया गया कर्म । चित्तवृत्तिविशेष | अनवनः, (त्रि. ) रक्षा नहीं करना। मारना | अनवमः, (त्रि. ) समान | राहश | अनुवरः, (त्र.) गधान | श्रेष्ठ | बड़ा | छोटा नहीं | अनवरतम्, (न.) अविरत । निरन्तर । उत्कृष्ट | चच्छा । अनवलोभन, ( न. ) संस्कारविशेष | सामन्तोचयन के पश्चात् चौथे मास में बालक के किये जाने वाला संस्कार । अनवसरः, (त्रि.) जिसका ठीक समय न हो । बेमौका । निरवकाश । अनवस्करम् (त्रि. ) माहित | साफ़ | सन्छ । निर्मल | विमल । अनवस्थः, (त्रि.) अवस्थितिरहित । प्र- तिष्ठितं | दरिद्र । निर्धन । i L चतुर्वेदीकोप | २८ अनवस्था, ( त्रि. ) तर्कविशेष । किसी विषय को युक्तियों के द्वारा सिद्ध करना तर्क है | जिरा तर्क में प्रमाणित करने वाली युद्धियों का अन्त न हो पर यथा कहा जाता है। स्थिति का भाव । अनवस्थान, (न. ) अवका अभाव । कहीं नहीं ठहरना । वायु | चवलं । शनर्वास्थितिः, (स्त्री. ) चपलता | मत्रास्ता | राग, द्वेष आदि से उत्पन्न चपलता । अनशनम्, (न. ) भोजन का अगाव | उप- वास । (त्रि. ) उपवासी । नहीं भोजन करने वाला | अनश्नन्, (त्रि. ) उपवासी । न खानेवाला अनश्वरः, (त्रि.) शाश्वत । सनातन । न (न. ) शकट रथ | माता | भात | अनसूया ( स्त्री. ) मुनि की सी | कर्दम प्रजापति की कन्या । ये बड़ी पति- व्रता थी। का अभाव | अनसूयुः, (त्रि. ) अनिन्दक | निन्दा न करने वाला | 1 अहंवादी, (त्रि.) गर्वोक्तिहीन । जो अपना गर्न प्रकाशित न करे । अहङ्कारः, (त्रि.) अहङ्कारशल्य | श्रकृति, ( सी. ) गर्न का अभाव | मनाकुलं, (त्रि. ) श्रव्यमचित्त | एकाग्रचित्त | स्थिर | एकाग्र | अनाक्रान्तः, (त्रि. ) अपराजित | अजेय 1 अनाकान्ता, स्त्री. ) कण्टकारी । भट- कटैया । अनागत, ( त्रि. ) नहीं आया हुआ काल । भविष्यत् काल | अनुपस्थित । श्रज्ञात । अनागतार्तवा, (स्त्री.) मासिकधर्मशून्य । अनाचार, ( पुं. ) निन्दित आचार | चाचारहीन | अनापः ( पुं. ) धूप का अभाव | छाया । अनात्मा (पुं.) शरीर । निकृष्ट शरीर | अनात्म्यम्, (त्रि.) रागादिदोषरहित । अना अनाथः, (त्रि. ) नाथरहित । दीन । स्वतन्त्र | मनाइरः (पुं. ) तिरस्कार | परिभव | अनादिः, (पुं.) परमेश्वर चतुर्मुल ब्रह्मा । (त्रि.) पादिरहित । अनादित्वम्, (न. ) जिसकी आदि किसी को मालूम न हो । अनादिनिधनः, ( त्रि. ) आद्यन्तव्य परमेश्वर जन्ममरणरहित । श्रतम् (त्रि. ) अवज्ञात । तिरस्कृत | अनापश्चः, ( त्रि. ) प्राप्त | अनामकम् ( न. ) चरीरोग ( पुं. ) मलमास । अनामय, (न. ) श्रारोग्य | मोक्ष नामक पुरुषार्थ पड्भाव विकाररहित परमात्मा । (त्रि.) नीरंग रोगरहित । श्रनामा, (सी.) छोटी अङ्गली के पास की । कहते हैं इसी ने ब्रह्मा के सिर काटे जाने में सहायता पहुँचायी थी इसी कारण इसका नाम नहीं लिया जाता । श्रदामिका, ( सी. ) मध्यमा और कनिष्ठा के बीच की थाली । अनायास (पं.) परिश्रम | थलेश | कष्ट का भाव । यल का प्रभावन विना परिभ्रम | प्रदायासकृतम्, (त्रि. ) विना यल किया हुआ | अल्प परिश्रमसे किया हुआ काम । अनारतम् (न. ) सतत | सदा सर्वदा । अविरत । लगातार | अनारम्भ (पुं.) आरम्भ का अभाव । अनार्जक ( पुं. ) रोग । झुटिलता । सरलता का अभाव । नार्तवम्, (न. ) पौष आदि चार महीनों में होने वाली वृष्टि का जल अनार्यः, (त्रि. ) दुर्जन । दुःशील | अधम | दस्यु | अना चतुर्वेदकोष | २६ अर्यकम्, (न.) आर्यावर्त से भिन्न देश । अगुरु काठ । श्रनार्य देश में उत्पन्न । अनार्यजुष्टम् (त्रि. ) निन्दित आचार | अनार्यों का सेवित मार्ग | अनार्य तिलः, (पुं. ) भूनिम्ब | चिरायता | नविद्ध, (त्रि. ) अनभिभूत । अस्पृष्ट । न छुआ हुआ । अनाविलः, ( त्रि.) निर्मल | विमल | मल- रहित । अनावृत (त्रि. ) प्रथम । आवरणरहित । विना ढका हुआ | अनावृत्ति ( स्त्री. ) नहीं लौटना । अनावृष्टि, ( स्त्री. ) वर्षा का अभाव | उपद्रव विशेष । खेती को नाश करने वाला उपद्रव ईतिविशेष । अनाशकम्, (न. काम का अभाव । इच्छा ^ का न होना । श्रवाशकायनम्, (न. ) उपवासपरायण । उपनाम करने वाला । अनाशी (पुं.) अपरिच्छिन । अनाश्रितः, ( त्रि. ) फल की इच्छा न रखने घाला। जिसको आश्रय न हो । अश्वान्, (त्रि. ) भोजन न करने वाला | नासिकः ( त्रि. ) नासिकारहित । अनास्था (स्त्री.) अनादर | श्रद्धा | अनाहत, (न. ) नया कपड़ा । नहीं फटा हुआ कपड़ा । तन्त्रशास्त्र प्रसिद्ध हृदय स्थित द्वादश दल कमल शब्दविशेष • मध्यमा वाकूं। श्राघातरहित वस्तु । अनिकेत, ( त्रि. ) नियत निवास शून्य नियम से एक स्थान पर न रहने वाला । संन्यासी । श्रनिगी:, (त्रि.) ऋतु । कथित अनित्यः, (त्रि.) यक । विनाशी। नश्वर | व्यक्त | अनिभृतः, (त्रि. ) चपल । श्रविनीत | अनिमिष, ( पुं. ) स्पन्दनशून्य क्षेत्र | जिसकी अनि? आँखें बन्द न हों। देवता | मूली विष्णु । अनिमिषक्षेत्र, ( न. ) एक तीर्थ का नाम । नैमिषारण्य नामक क्षेत्र । 'अनिमिषाचार्य:, (पुं. ) गुरु | बृहस्पति | देवताओं के चाचार्य । अनिमेष, ( पुं. ) देवता । जिसके निमेष न हो । मछली । अनियतः, ( त्रि. ) अनैकान्तिक । अनित्य | विनाशी । अस्थायी अनियन्त्रितः, (त्रि.) उच्छृङ्खल | अनिय- मित । नियमविरुद्ध | अनिरुक्ला, (त्रि. ) वचनों के अगोचर | जो वचन से प्रकट न किया जाय । अनिरुद्ध: ( पुं.) प्रद्युम्न का पुत्र | कृष्ण का पौत्र । ऊषा का पति । मन के अधि छाता । पशु आदि को बाँधने की रस्सी । (त्रि. ) अप्रतिरुद्ध | चर | नहीं रुका हुआ । अनिरुद्धपथम्, ( न. ) आकाश | गगन । i (त्रि.) बिना रोक का मार्ग । अनिरुद्धभामिनी, (स्त्री.) स्वैरिणी | बाय की कन्या । ऊषा । अनिरोधः, (पुं.) प्रतिबन्ध | स्वतन्त्र | अनिर्देश्य, (त्रि.) निर्देश करने के अयोग्य | जो शब्दों के द्वारा प्रकाशित न किया जाय । परमेश्वर । अनिर्वचनीय, ( पुं. ) जो शब्द द्वारा प्रका- शित न हो । जिस वस्तु का लक्षण न किया जा सके । अनिर्विरः, (त्रि.) विपादरहित । निवेंद रहित । श्रनिर्चिएसः चेता, (त्रि.) अविरक्तचित्त । धीर। कभी न कभी सिद्ध होहीगा, शीघ्रता से क्या लाभ ऐसा समझने वाला । अनिल, (पुं. ) वायु । जिससे मनुष्य प्राण धारण करते हैं। स्वाती नक्षत्र इसका अधि छाता देवता वायु है। वसुभेद । अनिलक, ( पुं.) बहेड़ा का वृक्ष | चतुर्वेदीकोष | ३०. अनि करने अनिलख:, ( पं. ) श्रग्नि | श्रमिलान्तक, (पुं.) वायुरोग को दूर वाला औषध । इङ्गदीवृक्ष । अनिलामयः, (पुं.) वातरोग । अनिवार, (त्रि. ) जिसका निवारण न हो । सतत । निरन्तर । अनिवार्य । न टरने योग्य | अनिशम्, (न. ) सदा । अविरत । सर्वदा । अनिष्टम्, (न. ) दुःख । कष्ट । प्रतिकूल । पापफल, ( त्रि.) अनभिलषित । निष्ट (स्त्री. ) नागबला नाम की ओषधि | अनीकः, ( पुं. न.) रण | सेना | अनीक स्थ, (पुं.) युद्ध में तत्पर | न्हस्तिशिक्षा में निपुण | रक्षक | राजाओं के अङ्गरक्षक | चिह्न। वीरमद्दलनामक बाजा । अनाधिकृतः, (त्रि. ) सेनापति । अनीकिनी, ( स्त्री. ) सेना। जिसका युद्ध करना प्रयोजन हो। इस सेना में २१८७ हाथी ! २१८७ रथ ६५६१ घोड़े और १०९३५ पैदल होते हैं । अनीचिदर्शी, (पुं.) बुद्धविशेष | अनीशः, (पुं. ) विष्णु | अनाथ | दीन । सहायकहीन । अनीशा, ( स्त्री. ) दीनभाव | दीना स्त्री | अनीश्वरः, (त्रि.) नास्तिक । शुभाशुभ कर्मों का फलदाता ईश्वर नहीं है ऐसा कहने वाला । अनी:, (त्रि. ) फलाशारहित । फल की इच्छा न रखनेवाला । निश्चेष्ट | अनिच्छुक | अनु, (अ.) उपसर्गविशेष | हीन | सहार्थक, पश्चादर्थक | सादृश्य । लक्षय्य भाग । वीप्सा | इत्थंभूताख्यान | अनुकः, (त्रि.) कामी । कामना करनेवाला । इच्छुक । अनुकम्, वितर्क । युक्ति । अनुकम्पा (स्त्री.) दया । करुणा | नृशं- सता का अभाव । अनुकम्प्यः, (त्रि.) कृपा करने के योग्य | दयनीय अनु अनुकरणम् ( न. ) ऋतुकृती । समानता- करण | नकल करना। चेष्टा शब्द यादि से किसी की समानता करना । अनुकर्ष, (पं.) रथ के नीचे रहनेवाली लकड़ी । जिसके बल पर पहिये रहते हैं । अनुकर्षणम् (न.) आकर्षण । ऊपर खींचना । अनुकल्पः, ( पुं. ) गौणकल्प । मुख्य के अभाव में उसकी प्रतिनिधि को कल्पना करना । प्रतिनिधि | अनुकार्मानः, (त्रि ) इच्छापूर्वक चलने वाला यंगष्टगमनशील । अनुकारः, (पुं.) समानताकरगा | अनुकरण | . समान काम करना । अनुकूल, (पुं.) नायक विशेष । जो एक नायिका में अनुरक्त रहे । ( त्रि. ) रहायक | साथी। साथ चलने वाला सहचर | अनुकूलता (स्त्री. ) दक्षता । अनुकूला, ( श्री ) छन्दविशेष इस छन्द के प्रत्येक पाद में ११ ग्यारह अक्षर होते हैं । अनुकृति (सी.) अनुकरण अनुक्रमः, (पुं.) परिपाटी। कम । यथाक्रम | सिलसिला । अनुक्रमणिका, (स्त्री.] ), भूमिका । ग्रन्थों का मुखबन्ध | परिपाटी बतलाने वाली । जिसमें किसी ग्रन्थ का विषय संक्षेप से दिखाया जाय । अनुमणी, (स्त्री.) भूमिका | ग्रन्थों का मुखबन्ध | अनुक्रान्त, ( त्रि. ) अनुकम से कहा गया । अनुक्रोश, ( पुं. ) दया । कृपी । अनुगः, (त्रि. ) अनुगत । पाँछे जाने वाला | सहचर |

अनुगत (त्रि. ) शरणागत पीछे पीछे चलने वाला । अधीन । श्रायत्त । अनुगमः, (पुं.) पचलना। सहायक होना । अधीन होना । सामान्य धर्म से समस्त विशेष धर्मों का संग्रह करना। नैयायिकों के मत से, जिस पदार्थ का जैसा रूप ज्ञान /* अनु चतुर्वेदकोष | ३१ • हुआ है वह रूपज्ञान ही उस पदार्थ का अनुगमक है । अनुगमन, (न. ) पश्चादूगमन | सहगमन | सहमरण | पति के साथ सती होना । अनुगवीनः, (पुं. ) गोप | गोपाल | ग्वाला | अनुगामी, (त्रि.) अनुवर्ती। पश्चागमनशील | अनुगुण, (त्रि. ) अनुकूल | अनुगत | अपने मत के अनुकूल । । अनुग्रहः, (पुं.) प्रसन्नता । प्रसन्न हो कर मनोरथ की पूर्ति करना इष्टसम्पादन करने की इच्छा | दुःख दूर करक इष्टसाधन करना | तारा । नक्षत्र | अनुग्राहकः, (त्रि.) समर्थक अनुग्रह करने वाला । अनुचर, (त्रि. ) सहाय । दास । सेवक । अनुचिन्तनम्, (न.) अनुध्यान | उत्कण्ठा- पूर्वक स्मरण | अनुजः, (पुं.) पीछे उत्पन्न हुआ सहोदर भाई । छोटा भाई | प्रपौण्डरीक नामक सुगन्धिद्रव्य | अनुजन्मा, (पुं. ) छोटा भाई । अनुजा ( श्री. ) जिसकी रक्षा क्ली गयी हो । छोटी बहिन | अनुजिघृक्षा, (सी.) अनुग्रह करने की इच्छा | अनुवी (पु.) सेवक || नृत्य | नौकर | अनुशा, ( स्त्री. ) अनुमति । श्राज्ञा देना । अनुज्ञातः, (त्रि. ) अनुमत । श्राज्ञप्त । अनुतर्ष:, (न. ) मद्य पीने का पात्र | कटोरा या प्याला मद्यपान | पीने की इच्छा अभिलाष | अनुताप, (पुं. ) पश्चात्ताप कर्म करने के अनन्तर दुःख | अनुत्तमः, (न. ) जिससे उत्तम और न हो । श्रेष्ठ उत्तम । मुख्य | ईश्वर उत्तम नहीं। थम | नीच | निकृष्ट । अनुत्तरः, (त्रि. ) श्रेष्ठ | देने का प्रभाव । दक्षिण स्थिर | अनतिशय । निरुत्तर । उत्तर दिशा श्रधम । अनु अनुदात्तः, ( पुं. ) स्वरविशेष | उदात्तस्वर से भिन्नस्वर | नु सूर्योदय के (पुं.) कालविशेष पहले का काल । ब्राह्ममुहूर्त | अनुयात, (त्रि. ) प्रतिबन्ध की निवृत्ति | प्रतिघातरहित । अनुश्रुतः, ( त्रि. ) धावित । दौड़ाया हुआ | अनुगत । अनुगामी । ( न. ) तालविशेष | मात्रा का चौथा भाग अनुद्विग्नमनाः, (त्रि.) स्वरथचित्त । जिसका मन उद्विग्न न हो । अनुद्वेगकरः, (त्रि.) किसी को दुःख न पहुँचाने वाला | अनुधावन, ( न. ) पीछे दौड़ना अनु सन्धान करना । किसी की टोह लगाना । अनुध्यानम्, (न.) अनुचिन्तन | अनुग्रह | आसक्ति । बार बार सोचना । कृपा करना । एक बात में लग जाना । किसी विषय में तत्पर रहना । अनुनय, (पुं. ) विनय | प्रणिपात । सान्त्वन । प्रार्थना | अनुनासिक, (पुं. ) मुख सहित नासिका से उच्चरित होने वाले वर्ण । अनुय, (त्रि.) अनुनय करने योग्य | अनुन्नः, (त्रि.) कटा हुआ नहीं । विद्ध | अनुपकारी, (त्रि.) उपकार न करने वाला । अपकारी । प्रत्युपकार करने में असमर्थ । न. ) अनुगत | पश्चाद्गमन करने वाला । अनुपदी, (त्रि.) अन्वेष्टा | ढूँढ़ने वाला। पैरों के चिह्न के सहारे ढूँढ़ने वाला । अनुपर्दाना, (खी. ) खट्टाऊँ विशेष | अनुपद, पतिः, (सी.) । असंगति | युक्ति का अभाव । अनुपम, (त्रि. ) उत्तम । अतुलनीय । जिसकी उपमा न हो । अनुपमा, (स्त्री.) कुमुद नामक दिग्गज की हथिनी | चतुर्वेदकोष । ३२ अनु श्रनुपरत, (त्रि. ) अविरत | सन्तत । लगा हुआ।" जिसकी इच्छा निवृत्त न हो । अनुपलब्धि, ( स्त्री. ) प्राप्ति का अभाव | ज्ञानाभाव, इन्द्रियजन्य ज्ञान का प्रभाव | अनुपसंहारी, (पुं.) लाभास विशेष | दुष्टहेतु । जिसमें अन्वय या व्यतिरेक का कोई दृष्टान्त न मिले | अनुपस्कृत, (त्रि.) अविकृत | विकाररहित । अनिन्दित । अविगर्हित । अनुपहित, (त्रि.) यक्षर | चिमहा । अनुफाकृत, (पुं.) संस्कृत यज्ञीय पशु । अनुपात, (पुं.) त्रैराशिक गणित | पीछे गिरना | अनुपातक, (न. ) पातक विशेष | महा- • पातक के समान पाप | अनुपानम्, (न. ) औषध का विशेष | श्रौषध के साथ पीने योग्य अनुपूर्व, ( पुं. ) परिपाटी | याक्रम | अनुपेत, (त्रि. ) अयुक्त । पृथक् पृथक् । अनुप्रास, ( पुं. ) शब्दालङ्कार विशेष | स्वरों की विषमता होने पर भी व्यञ्जनों की समानता से यह अलङ्कार होता है। अनुच, (पुं.) सहायता करनेवाला। सहायक | अनुचर अनु I अनुबन्ध, ( पुं. ) इच्छा से अपराध करना | वात पित्त श्रादि दोपों की प्रधानता । विनाशी । व्याकरण में प्रकृति, प्रत्यय • आगम आदेश आदि में कार्य के लिये जो वर्ण लगा दिये जाते हैं वे भी अनुबन्ध कहे जाते हैं। पिता माता आदि का अनु- घर्तन करनेवाला पुत्र | प्रारम्भ किये हुए किसी काम का अनुवर्तन करना। सम्बन्ध | भावी अशुभ परिणाम । फल साधन । अनुबन्धी, (त्रि. ) सहचारी | सतत, व्यापक- शील । अनुबोध, (! ) पुनः उद्दीप्त करना । उत्ते- जित करना। पीछे से जानना । अनु अनुभव, (पुं.) स्मरण भिन्न ज्ञान | प्रौथ- मिक ज्ञान । वह दो प्रकार का होता है थार्थ और यथार्थ | गथार्थानुगत ही का नाम प्रमात्मक ज्ञान है | 1 अनुभाव, (पुं. ) राजाओं का तेज विशेष | कोष और दण्ड से उत्पन तेज | प्रभाव | सामर्थ्य । निश्चय | हृदय स्थित भाव को प्रकाशित करने वाली चेष्टा । A अनुभांव्य (त्रि.) अनुभव का विषय | अनुभूतः, (प.) परिचित | जाना हुआ। अनुभूतिः, ( सी. ) ज्ञान विशेष अनुभव | अनुमत, (प्र.) अनुज्ञात | किसी काम के लिये थाज्ञा पाया हुआ । सम्मत | सीकृत | अनुमतिः, (सी) तुज्ञा | धाज्ञा देना | श्रद्धा की कन्या का नाम एक पूर्णिमा का नाम । जिस पूर्णिमा को उदय काल में प्रतिपद होने के कारण चन्द्रमा कला हीन हो । अनुमन्ता, (त्रि. ) श्राशा देने वाला। दूसरों को कार्य में उत्साहित करने वाला । अनुरणन. ) किसी के मरण के पश्चात् का मरण | सती होना मृत पति का साथ देना । अनुमा, ( श्री. ) धनुमिति । अनुमान | अनुमान, (न. ) कल्पना । सांख्य कथित प्रधान न्याय के मत से प्रमाण विशेष | अनुमितिः, ( स्त्री. ) मर्श से उत्पन्न ज्ञान वस्तु को जानना । अनुमेय, (त्रि.) श्रनुमान करने के योग्य | अनुमोद, (पुं. ) स्वीकार करना एवमस्तु । तथास्तु | अनुमोदित, ( त्रि. ) अनुज्ञात | अनुमोदन किया हुआा। अनुमत अनुयाज, (पुं.) यज्ञ का अहविशेष प्रयाज आदि पाँच यश - अनुभव विशेष परा- हेतु वा तर्क से किसी अनु . चतुर्वेदकोष | ३३ अनुयायी, (त्रि. ) अनुचर सदृश पश्चात् गमन करनेवाला । अनुयुक्तः, ( पुं. ) वेतन लेकर पढ़ानेवाला । अनुयोग, (पुं. ) प्रश्न पूछना | अनुयोगकृत् (पुं.) आचार्य | अनुरक्तः, (त्रि.) अनुरागी | अनुकूल अनुराग, (पुं. ) अत्यन्त प्रीति । परस्पर प्रेम । अनुरागी, (त्रि. ) अनुर । प्रीतियुक्त । • अनुराधा, ( स्त्री. ) सत्रहवां नक्षत्र | अनुरुद्धः, (त्रि.) रोकागया निबद्ध । ( अनुरूपम्, (.) समान । सदृश | योग्य | जैसे का तैसा । अनुरोध ( पुं. ) अनुवृत्ति | अनुवर्तन | अनुसरण पीछा करना । श्राराध्य का इष्ट सम्पादन करना । अनुलाप, ( पं. ) बारबार बात करना । बार •यार बोलना । अनुलिसः, (त्रि. ) कृतानुलेप | लेप लगाया हुआ। अनुलेप, (पुं.) लेप | चन्दन आदि । अनुलेपनम् (न.) चन्दन आदि शरीर में गन्धद्रव्य आदि का लगाना । अनुलोम, ( पुं. ) कमिक । यथाक्रम | क्रमा- नुसार । अनुलोमज, ( पं . ) ऊंचे वर्ण के रस से निकृष्ट वर्ण की स्त्री के गर्भ से उत्पन्न पुत्र | अनुवर्तनम् (न.) स्वामी आदि बड़ों की इच्छा को पूर्ण करना। अनुकूलताचरण । अनुवर्तित, (त्रि. ) सेवित | आराधित । पूजित | अनुवर्ती, (त्रि.) अनुकूल अनुवर्तन करने वाला । आज्ञाकारी । अनुवाक ( पुं. ) नहीं गाने योग्य | ऋग्विशेष | ऋग्यजुः समूह | अनुवाक्या, ( स्त्री. ) देवता के आवाहन करने का मन्त्र विशेष । जिसका ज्ञान प्रशास्ता करता है | अनुवातः, ( पुं. ) वायुविशेष | जो शिष्य की ओर से गुरु की और वायु आ कहा जाता है। " अनुवात 39 अनुवादः, ( पुं. ) जानी हुई बात को कहना | हुई बात को कहना । अन्य प्रमाणों से जानी हुई बात को शब्दों से प्रकाशित करना । अनुवांस, (पुं. ) सुगन्ध | सौरभ | अनुवासन, (न. ) धूप आदि से सुगन्धित करना । अनुविद्ध, (त्रि.) खचित | जड़ा हुआ | पिरोया गया । अनुवृत्तः, (त्रि.) प्रविष्ट । व्याप्त | पालित श्रनुवृत्ति, ( स्त्री. ) लगातार पीछा करने वाला । धनुरोध सेवा। दूसरे की इच्छा पर निर्भर रहना। अनुकूलता व्याकरण में पहले सूत्र के पद को धागे के सूत्र में लेजाना। अनुवजनम् (न. ) घर आये हुए शिष्टों के जाने के समय कुछ दूर तक उनको पहुँचाने के लिये जाना। शिष्टाचार विशेष | अनुव्रज्या, ( स्त्री. ) अनुगमन करना | अनुव्रजन | अनुशयः, ( पुं. ) द्वेष | पश्चाताप शास्त्रोक कर्म विशेष । भारी वैर । अनुशयी, (त्रि. ) पश्चात्तापी | पछतावा करनेवाला । T. अनुशरः, ( पुं. ) राक्षस | अनुशायी, (पुं.) जीव । अनुशासनम्, ( ) शासन । श्राज्ञा । उपदेश | व्युत्पत्ति करना | अनुशासित, ( त्रि. ) अनुशिष्ट | अनुशिक्षित | सिखाया हुआ | अनुशासिता, ( त्रि) नियन्ता | नियमन करनेवाला । अनुशिष्टः, (त्रि. ) ज्ञापित | अनुमत | शिक्षित | चतुवेदाकाप | अनुशिष्टि (स्त्री. ) विचारपूर्वक कर्तव्या- कर्तव्य का निरूपण करना | अनुशीलन, (न.) चालोचन | बार बार देखना विशेष रूप से अध्ययन | अनुशोचन, ( न. ) शोक | अनुभवः, ( पं. ) गुरुपरम्परा से उच्चारण "द्वारा जो केवल सुनी जाय। वेद । अनुषङ्गः (पुं.) दया करुणा एकत्र का दूसरे अर्थ में थन्वय करना । श्रीसता न्याय नु (स्त्री) सरस्वती । इसक प्रत्येक पाद में अनुष्ठानम् ( न. ) किया करना । प्रा छन्द विशेष | कार होते हैं । का प्रारम्भ अनुष्ठितः, (त्रि.) किया हुआ | सम्पादित | अनुष्ठाः, (त्रि.) अलस। मन्द | शीतल || अनुष्ठावल्लिका, (ली. ) नीली दूध । अनुसंस्था, (स्त्री) अनुमरण | अनुजञ्चरन्, (त्रि.) याना जाना करनेवाला । अनुसन्धानम्, ( न. ) अन्वेषण | खोज | पता लगाना | ढूंढ़ना । अनुसमुद्रम्, ( श्र.) समुद्र के समीप | अनुसरण (न.) अनुवर्तन | अनुसार, ) पहले के अनुरूप अनु- सरण अनुक्रम | अनुसारी, (त्रि.) अनुसार चलने वाला | अनुस्मृतः, (त्रि. ) सेवित | चाराधित | उपासित । अनुस्मृतिः, ( श्री. ध्यान अनुरमरख । अनुस्यूतम्, (त्रि.) अथित | मिला हुआ | निरन्तर संसक्त | खूप मिला हुआ । अनुस्वारः, (पुं.) स्वर के ग्राश्रय से उच्चा- रण किया जानेवाला । अनुह, (न. ) धनुकरण । अनुहारः, (पुं.) अनुकार | समानताकरगा | दूसरे के समान रूप भाषा शादि वा आविष्कार करना । अन 1 अनुकः, ( पं. ) पूर्वजन्म बीता हुआ जन्म | ( न. ) कुल । शील | अनुचानः, ( पं. ) साद पढ़ने वाला | वेदों का अर्थ करनेवाला ( 1ि. ) विनय युद्ध सविनय | [अनुचनमानी (मैं) का ज्ञाता समझने वाला कोदा अनूढः, (त्रि.) अविवाहित | द्वारा | अनूभू (त्रि.) न कहने योग्य | गुरु आदि . का नाम । अनूनः, (त्रि.) श्रद्दीन | भरा | अनृपः, (पं. ) महिष | शकुर (वि.) जलप्रायदेश अधिक जलवाला देश | जिस देश के चारों धार जल हो । अनूपनम, (न. ) श्रदरख। श्री। (त्रि. ) जल में उत्पन्न होनेवाला । अनुरुः, ( पुं. ) श्रम नामक सूर्य का सारथि | यह विनता का ज्येष्ठ पुत्र था। इसके ऊरु आदि नहीं थे। अनुकसारथिः, (पुं. ) सूर्य अनुचः, (पुं.) बालक जिसने दो का अभ्यास नहीं किया है. अनु: त्रि.) शठ कुटिल दुष्टाशय । अनृणी (नि.) ऋगामुक्त ऋगारहित । अनृतम्, (न. ) असत्य बिना देखे हुए भूठ कहना | सत्य कथन | अनेक, (त्रि. ) एक से अधिक बहुत अनेकधा, (अ.) अनेक प्रकार | बहुत तरह | अनेक (पुं. ) हाथी वृक्ष करूपम् (त्रि.) जिसक अनेक रूप हो । अन्त:, (.)नियत अनिश्चित | जो एक रूप न हो । जिसके विषय में कुछ निश्रित नहीं कहा जा सके। अन्तवादी (नि.) है या नहीं। जाँ यह निश्चित नहीं बतला सके। बौद्ध । जैन विशेष सात पदार्थों को माननेवाले नास्तिक विशेष | अने अनेडमूकः, (नि. ) शठ | मूक चतुर्वेदीकोष | ३५ + बधिर । गंगा | बहरा | बोलने और सुनने की शक्ति से रहिन । अनेनस्, (त्रि. ) निर्दाप | दोषरहित । नेहा (पुं. ) काल | समय | अनेकान्तिक, (पुं. ) व्यभिचारी हेतु | हेतु का एक प्रकार का अभाव | इसके तीन भेद है । साधारण और अनुपसंहारी | अनैक्यम्, (नि. ) एकता का अभाव | विरोध | यम् (न.) पुगता। दक्षता का अभाव | श्वर्य. ( न. ) सामर्थ्य । अशक्ति । अनोक ( पुं. ) वृक्ष | पेड़ | मोचिती, ( सी. ) उचित नही | मनीदा को अतिक्रम करना ! लौकिक मर्यादा का उल्लङ्घन करना |

. 1 [[अन्तम् (न. ) स्वरूप। रवभाव । ( पुं. ) नाश । ( न. पुं. ) समाप्ति | (त्रि. ) समीप | प्रदेश | अत्यन्त मनोहर | रुचिर | अवगन - निर्णय || सीमा | अन्तःकरैण॒म्, (न. ) महार । और चिन | हृदयस्थत ज्ञानका साधन | अन्तःकुटिलः, (पुं.) शङ्ख । (नि.) कुटिल- हृदय करगा । श्रन्तःपुरम् (न. ) राजाओं का रनिवास | राजमहल | शुद्धान्त अन्तःपुराध्यक्ष, (पुं. ) राजाओं के अन्तःपुर का अध्यक्ष रनिवाम का कारबारी । अन्तः सत्त्वा, ( मी. ) गर्भिणी। जिसके पेट में प्राणी हो । अन्तः स्वेदः, (पुं. श्री. ) गज : हाथी | अन्तकः, ( पु. ) नाश करनेवाला । यगराज | भरणी नक्षत्र | अन्तकरः, (वि. ) नाशक | नाश करनेवाला। (न. ) गगन । गुबह । प्र + अन्त श्रन्तकाल ( . ) अन्तमममरण्काल | अन्त:, (त्रि. ) पार जानेवाला | पारग कार्य की सिद्धि तक जानेवाला अन्तगत अन्ततः, ( त्रि. ) समाप्त हुआ | सान प्राप्त ! अन्ततः, ( . ) सम्भावना अवयव अन्तः, (अ.) मभ्य बीच । प्रान्त । अभ्यु- पगम चित | अन्तरम् (न.) वाश अवधि प का पा लिप॥ भेद विशेष | आत्मीय विना छोड़कर | अवसर मध्य | आत्मा । सुदृश | अन्तरङ्गः (नि.)का सभ्यात्मग अपना व्याकरण में अन्तरा उसको कहते है जिसका निमित दूसरे की अपेक्षा थोड़ा हो अन्तरक्षः, (नि.) छोटे बड़े का मंद जाननेवाला । ● अन्तरप्रभवः, (त्रि. ) सङ्घर्ण जानि | अनु लोम प्रतिलोमज सङ्कर । अन्तग, ( अ ) निकट | मध्य | रहिन । विना | अन्तरात्मा (पं.) श्रन्नःकरण हृदयस्थित यामा | सर्वान्तर्यामी परमात्मा करण का अधिष्ठाता जीवात्मा | अन्तरापत्या, (मी.) गर्भिणी | अन्तराय, (पुं. ) विज्ञ | बाधा चित्तविशेष | रुकावः | अन्तरागमः, (त्रि.) योगी जीवन्मुक वासना नाश होने के कारण जिसने सासा- किमुखी का त्याग किया है । अन्तरालम्, (न. ) अभ्यन्तर | मध्य | बीच | अन्तरिक्षम, ( न. ) आकाश | पनी और मेवों के घूमने का मार्ग । मूलांक और सूर्यलोक के मध्य का स्थान | अन्तरित ( त्रि. ) तिरस्कृत | व्यति या गया श्रन्त चतुर्यदकोष । ३६ अन्तरिन्द्रियम्, ( न. ) अन्त:करण । अन्तरिक्षम्, (न. ) आकाश । व्योम | अन्तरीपः, (न. पुं. ) वह स्थान जिसके बीच में जल हो । द्वीप | दो आम | अन्तरीप, (न. ) पहिनने का कपड़ा | नीचे पहनने का वस्त्र । लोती । अन्तरे (अ.) मध्य | बीच | अन्तरे, ( . ) विना | रहित | मध्य | बीच । [अन्तर्ग, (त्रि.) निरर्थक | गले की गिलटी जिस प्रकार निरर्थक होती है उसी प्रकार का निरर्थक । प्रहेलिका । पहेली | [[अन्तर्गतम्, (त्रि.) मध्यप्राप्त | अन्तर्भूत | विस्मृत | [[अन्तर्गृहम् ( न. ) बीच का घर, घर के भीतर का घर । अन्ते प्राणियों के हृदय में प्रविष्ट होकर इन्द्रियों को अपने अपने काम में लगाता है। ईश्वर | (त्रि.) मनोगत बातों को जाननेवाला । हृदयज्ञ । अन्तर्वशिकः, (पुं. ) राजाओं के अन्तःपुर के अधिकारी वामन । कुब्ज । नपुं- सक श्रादि । अन्तर्वती, ( स्त्री. ) गर्भिणी । गर्भवती स्त्री । . (त्रि. ) शास्त्रज्ञ | विद्वान् | . श्रघम- ● पण्डित | अन्तर्वेदी (स्त्री.) देशविशेष | हरिद्वार से लेकर प्रयाग तक का देश मह्मावर्त नाम से प्रसिद्ध देश | अन्तर्हासः, ( पुं. ) उद्धर्धेन । गूढ़ हास्य । मुसकाना | अन्तर्हितम्, (त्रि. ) संगीत । तिरोभूत | छिपा हुआ | अन्तवत्, (नि.) विनाशी | नाशवान् | अन्तवासी (पुं. ) समीप रहनेवाला । जो स्वभाव से ही सभीप रहे। शिष्य | अन्तशय्या, (सी.) मरया | भूमिशय्या । भरगा के लिये भूमिशय्या | श्रन्तसद्, हू, (पुं.) शिष्य । विद्यार्थी । अन्तःस्थ (पुं.) स्पर्श और ऊष्मा के मध्य का वर्ण । य, व, र, ल, आदि । अन्तावसायी, ( पं. यकच । नाई | नख केश आदि का काटनेवाला । एक मुनि, जिसने वृद्धावस्था में तच्च ज्ञान प्राप्त किया था। हिंसक । चण्डाल | अन्तिक, (त्रि.) निकट | समीप पास | श्रन्तिका, (स्त्री. ) श्रौषधविशेष । नाटक में जेठी महिन को कहते हैं । अन्तिकाश्रयः, ( मुं. ) पास रहने वाला। विद्यार्थी । अन्तिमः, (त्रि. ) चरम अन्त में होने अन्तर्धनः, (पुं. ) देशविशेष । अन्तर्जठर, (न. ) कोठा । पेट के बीच का एक कोठा । अन्तर्जलम्, (न. ) जल के मध्य र्षण मन्त्र का जप करना । [अन्तर्ज्योतिः, ( न. ) भीतर ज्योति के समान प्रकाश करनेवाला । अन्तरात्मा । अन्तः, ( पुं. ) भीतर का सन्ताप | हृदय का दाह । अन्तर्द्वार, (पुं. ) भीतर का द्वार घर के भीतर का द्वार । खिड़की । गुप्त दर्शाजा | अन्तद्धनम्, (न.) छिपना गुप्त होना । तिरोधान। श्रदृश्य होना। शरीर त्याग । अन्तर्द्धि, (पुं.) व्यवधान | छिपाव | लुकात्र | अन्तर्भूत, (त्रि.) मध्यस्थित । अन्तर्गत । बीच में आया हुआ | अन्तर्मना, (त्रि.) व्याकुल चित्त । एकाग्र चित्त । खिन चित्त । योगी जिसका मन बाह्य विषयों से विरक्त होकर भीतर अवस्थित रहता है। वाला । अन्तर्यामी, (पुं. ) वायु | प्राणु वायु | जो | आप्तेवासी, ( पुं. ) शिप | विद्यार्थी | अन्त्य चतुर्वेदकोष | ३७ अन्य (पुं. ) सब से पीछे का | चण्डाल | (त्रि.) अधम । अन्त में होनेवाला चरमस्थ | ( न. ) रेवती नक्षत्र | मीन राशि | संख्या अन्धतमस्, (न.) बड़ा अँधेरा । विशेष । १०००००००००००००००। अन्धतामिस्र, (पुं.) नरक विशेष | अन्त्यजः, (पुं. ) . नीच जाति विशेष । अन्त्यजन्मा, (पुं.) जिस का जन्म अन्त में हुआ हो । शद्ध | अन्त्यजाति, (पुं.) चाण्डाल आदि सांत अन्धमूषिका, ( स्त्री. ) औषध विशेष | देव- ताड़ का वृक्ष । वैद्यकशास्त्र में लिखा है कि .इस के उपयोग से अन्धों की आंखें अच्छी हो जाती हैं । अन्धस, (न. ) भात । श्रोदन | चावल । अन्धिका, ( श्री. ) युति विशेष | सिद्धा नाम की श्रोषधि | नेत्ररोग विशेष | जाति । अन्त्यवर्णः, ( पुं. ) शूद्र । अन्तिम वर्ण । चन्त का अक्षर । अन्त्यावसायी, (पुं. ) चाण्डाल के चौरस और निषाद जाति की स्त्री के गर्भ से उत्पन्न पुत्र | अन्त्येष्टिः, ( स्त्री. ) मृतक का अन्तिम संस्कार | श्राद्ध । पिण्ड दानादि किया । अन्त्रम् (न. ) शरीर के अवयवों को बांधने वाली शिरा तड़ी । पुरीतत नाम को नाड़ी । - श्रन्त्रवृद्धिः, (खी. पुं. ) रोगविशेष कोश की वृद्धि | अन्दुक, ( पुं. ) हाथी के पैर की बेड़ी । सिकड़ | जिस से हाथी बांधे जाते हैं । अन्दूः, ( स्त्री. ) निगड़ । बेड़ी । पैर का भूषण विशेष | अन्धु (धा.प.) नदिखना | दर्शन का . अन्धकूपः, (पुं. ) अँधेरा था | एक नरक का नाम । अभाव । · अन्धः, ( पुं. न. ) तिमिर । अन्धकार । श्रदर्शनात्मक । श्रज्ञान | ( त्रि.) क्ष रहित | नेत्रहीन | ( पुं. ) भिक्षुक । अन्धक, (पुं.) देश विशेष । एक मुनि का नाम । यदुवंशी एक राजा का नाम एक दैत्य का नाम। हिरण्याक्ष पुत्र | करः, (पुं.) न्धक नामक दैत्य का शत्रु । शिव महादेव । अन्धकारः, (पुं. ) प्रकाश का प्रभाव | तम। अँधेरा । अन्धुः, (पुं. ) कूप । कूंआ अन्धुल, (पुं.) शिरीष का वृक्ष । अन्ध्र, (पुं.) चाण्डाल विशेष | देश विशेष | तेलङ्ग देश । अन्न, (न. ) भात | श्रोदन पके हुए चावल । कच्चा धान्य । जौ घना आदि। पृथिवी श्रन्न उत्पन्न करने के सम्बन्ध से पृथिवी भी श्रन्न कही जाती है । श्रकोष्ठक, (पुं.) अन रखने का छोटा कोठा कोठी । गोला । मण्डी । जहां बिकता है। . अन्नगन्धिः, (पुं. ) रोगविशेष | उदररोग | अतिसार । अन्नदः, (त्रि.) अन्नदाता | अन्न देनेवाला । अन्नदा, (स्त्री) काशी की अन्नपूर्णा देवी । अन्नदाता, (पुं.) स्वामी । प्रभु । अन्नपूर्णा (स्त्री) अपने नाम से प्रसिद्ध देवी ये काशी में हैं । अन्नप्राशनम्, (न. ) संस्कार विशेष प्रथम श्रन्न भक्षण | छठवें या आठवें महीने बालक को पांचवें या सातवें महीने बालक को जो पहले अन्न दिया जाता है। अन्नमयः, ( पुं. ) स्थूल शरीर मचकोशों में का पहला कोश | अन्नविकारः, ( पुं. ) धन के विकार से उत्पन्न | रेत ! शुक| वीर्य । gar चतुर्वेदीकोप | ३८ अन्नादः, (त्रि. ) अन्न के भोक्ता | प्रदीप्त अग्नि | नीरोग | ( पुं. ) विष्णु | अन्नाशनम्, (न.) विधि पूर्वक अन्न का खाना । अन्नप्राशन । अन्य:, (त्रि. स. ) असदृश | भिन्न | दूसरा | अन्यतम, (त्रि.) समूह से एक को निश्चित करना । बहुतों में की एक अन्यतर, (त्रि. ) दो में से एक को निर्द्धारण करना । अन्यतः, (अ.) अन्यत्र | दूसरी ओर | अन्य ( . ) व्यतिरेक | दूसरा विना | अन्यस्थान | . अन्यथा . ( . ) असत्य | प्रकारान्तर | दूसरा प्रकार पक्षान्तर । अन्यथासिद्धि, ( स्त्री. ) कार्य की उत्पति के पहले वर्तमान रहने पर भी जो का रण न हो । अन्यदा, (अ.) कालान्तर । अन्य काल में । दूसरे समय में अन्य समय | पश्चात् । फिर | । अन्यपूर्वा, ( स्त्री.) एक बार व्याह के पश्चात् दूसरी बार व्याही गयी स्त्री । अन्यभृत् (पुं. ) काक । यह कोइल को पोसता है। अन्यवादी, (पुं. ) सत्यवादी | उलट पलट बोलने वाला । अन्यादृश, (त्रि. ) अन्य प्रकार | दूसरे के सदृश अन्याय, (पुं. ) विचार | दूसरे का धन आदि हरण करना । चनुचित कार्य । अन्याय्यम्, (त्रि.) योग्य | अनुचित | अन्येयुः, ( अ ) दूसरे दिन अन्योदर्यः, (त्रि. ) वैमात्रेय । सौतेला भाई । अन्योन्यम्, (त्रि.) परस्पर आपस में | अर्थालङ्कार विशेष दो वस्तुओं को एक क्रिया के द्वारा परस्पर उपकार्य और उप- कारक भाव का जहां वर्णन हो वहां यह कार होता है। अन्य में एक अन्योन्याभावः, (पुं. ) दूसरे का अभाव | परस्पर श्रभाव | यथा - घट का पट में और पट का घट में अभाव | अन्योन्याश्रय (त्रि.) जो एक दूसरे के श्राश्रय से वर्तमान हो । तर्क विशेष । एक पदार्थ की सिद्धि दूसरे पदार्थ की सिद्धि के आपेक्षिक हो । जैसे-एक पदार्थ वा ज्ञान होना दूसरे पदार्थ के अधीन है और उस दूसरे पदार्थ का ज्ञान पहले पदार्थ के अधीन है। इसीको अन्योन्याय कहते हैं। यह एक दोष है। अवम् (त्र) पीछा करना । दौड़ना । प्रत्यक्ष | इन्द्रियजन्य ज्ञान | अन्व, (त्रि.) अनुकू । श्रनुपद अनुगामी पीछा करनेवाला । अन्वय, (पुं. ) सन्तति । कुल परस्पर सम्बन्ध | अनुगम | अनुवृत्ति | एक पदार्थ की सत्ता के अधीन दूसरे पदार्थ की सत्ता । अन्वयबोधः, (पुं. ) पदां से उपस्थित अर्थो के सम्बन्ध का ज्ञान | नैयायिक मत से शान्द प्रमागा | वैशपिक मत से शब्द से उत्पन्न अनुमान | अन्यव्यतिरेकी, सत् हेतु जिस हेतु में रेक वर्तमान हो । अन्वयव्याप्तिः, (सी.) हेतु विशेष न्य के साथ नियम से रहना। जहां धूम है वहां अग्नि इस प्रकार की व्यामि । वर्ग:, (पुं.) इच्छानुसार काम करने की आज्ञा देना । - पदों का त्रि. ) हेतुनिशेष | और व्यनि- अन्वयः, (पुं. ) वंश | सन्तान | कुल | अन्वष्टका (स्त्री.) अग्निहोत्रियों का श्राद्ध विशेष पूस माघ फागुन और आश्विन के कृष्णपक्ष की नवमी को होने वाला श्राद्ध | अहम्, (अ.) प्रत्यक्ष प्रतिि चतुर्वेदीकोप | ३६ अन्नाचयः, ( पुं. ) मुख्य कार्य की सिद्धि के साथ साथ जहां प्रधान कार्य की भी सिद्धि हो । यथा किसी काम के लिये जाते हुए को दूसरा एक और काम बतला देना । अन्वादेश, (पुं. ) . एक काम के लिये कहने पर भी पुनः दूसरे काम के लिये कहना | अन्वाधेय (ग.) स्त्री धन विशेष | पिता के अनन्तर पति कुल से स्त्रियों को जो धंन प्राप्त होता है वह अन्याय है। न्वासनम्, (न.) उपासना | सेवा करना | पश्चात्ताप पलतावा । शुश्रूषा | आराधना | वहार्य, ( न. ) मासिक श्राद्ध | प्रतिमास किया जानेवाला श्राद्ध दर्शश्राद्ध जो श्रमावस्या को होता है । अन्वाहार्यपचन, ( पुं. ) जिस से श्राद्ध का पकाया जाता है । दक्षिणाग्नि । ऋग्वेदोक्त विधि से स्थापित अग्नि । श्रन्वितम् (त्रि.) मिलित | युक्त | संबन्ध प्राप्त । . (श्री. ) सुनी हुई बात का पुनः युक्तायुक्त विवेचन करना । तर्क के द्वारा यथार्थ अर्थ का निर्णय करना । अन्वेषणम्, (न. ) अनुसन्धान | गवेपणा | छिपी हुई बात को प्रकट करने का प्रयत्न करना | अन्वेषणा, (स्त्री.) खोज | मार्गण | अनु- सन्धान | तर्कादि द्वारा शास्त्रोक्त तत्वों का पता लगाना | अन्वेष्टव्यः, (त्रि.) ज्ञातव्य | जानने योग्य | अन्वेष्ट, (त्रि.) अन्वेषण करनेवाला । अनु- सन्धानकारी खोज करनेवाला । अ, ( स्त्री. ) जल । रंसतन्मात्रा से उत्पन्न शीतस्पर्शवान् पदार्थ को अपू कहते हैं । व्यापनशील पदार्थ विशेष । अप, (उप. श्र. ) श्रपट | वर्जन | वियोग | अप विपर्यय । विकार | चौंर्य । निर्देश । हर्ष । । अपकर्म, ( न. ) दुष्कर्म | दुराचार दुष्टा- चरण | अपकर्ष:, (पुं. ) विद्यमान धर्म की हानि | अपकारः, ( पुं. ) द्वेष । अष्टि | शत्रुता । वैर । विरोध | अपकारक, ( त्रि. ) अनिष्टकर्ता । अनिष्ट करनेवाला । अपकारगी:, ( स्त्री. 3 भर्त्सन वाक्य । तिरस्कार वचन | अपकारार्थक वचन | अपकारी, (त्रि. ) धूर्त शठ | अपकारक | पकार करनेवाला । कुशः, (पुं. ) दन्तरोग विशेष । अपकृतः, (त्रि. ) अपकार किया हुआ | अपकारी (न. ) अपकार | अपकृष्टः, (त्रि. ) होन। अधम | नीच | अपक्रमः, ( पुं. ) पलायन | भागना | य, (स्त्री.] ) द्रोह || वैर । द्वेष | पक्रोश (पुं. ) निन्दन | जुगुप्सन | तिरस्कार | अपक्कम्, (त्रि.) परिणत । नहीं बढ़ाहुया | कच्चा । पक्षेपणम्, (न.) क्रिया विशेष | जिस से किसी वस्तु का संयोग स्थान से धोदेश से होता है | अपगतः, ( त्रि. ) मृत | पलायित | दूरीभूत । (पुं. पगमन निकल जाना । गया । भाग जाना । अपघन, (त्रि. ) देह ! शरीर । अपघातः, (पुं. ) पहनन । निर्दयतापूर्वक मारना । अपचयः, ( पुं. ) हानि | व्यय | अवनति | अपहार । चोर्य । खर्च । अपचायितम्, (त्रि. ) पूजित | श्राराधित | पूजागया । अप पचारः, (पुं. ) आहेत । चार | अपचारिणी, ( स्त्री. ) अपचार करनेवाली स्त्री | . चतुर्वेदीकोष । ४० आचरण | दुरा- व्यभिचारिणी । अपचारी, (त्रि. ) अपचार करनेवाला । अपचितम्, (त्रि. ) अति । पूजित हीन । बढ़ा हुआ । अपचितिः, ( स्त्री. १ पूजा आराधना | व्यय । निष्कृति । निस्तार । हानि । न्यूनता | घटाव | श्रपटान्तरम्, (त्रि. ) आसक्त | श्रव्यवहित । बीच रहित खुला हुआ । संसक्ल । लगा हुआ। फँसा हुआ । अपटी, ( स्त्री. ) छोटा वस्त्र काण्डपट क्रमात । कपड़े का पड़दा पटुः, (त्रि.) अचतुर । कार्य के अयोग्य | रोगी काम करने में असमर्थ । तर्पणम्, (न. ) रोग आदि में भोजन न करना । 1 अपत्यम्, (न. ) पुत्र कन्या अपत्यदा, ( स्त्री. ) गर्भ धारण करनेवाली ओषधि । वह किया जिस से गर्भ रहता है। अपत्यशत्रुः, ( पं . ) कुलीर। कर्कट केकड़ा नामक एक जन्तु । पत्र (पुं.) जिसके पत्ते न हों। करीर वृक्ष । ( त्रि. ) श्रङ्कुर । पत्रप, (त्रि.) लजाहीन । निर्लज । श्रपत्रपिष्णुः, (त्रि.) लञ्जाशील स्वभाव से लखा । अपथम्, (न. ) श्रमार्ग । कुत्सित मार्ग | निन्दित पथ । पन्था (पुं.) पथ मार्ग का अभाव | अपथ्यम्. (त्रि.) हितकर भोजन । रोगी के न खाने योग्य वस्तु । श्रपदस्थः, (त्रि.) स्त्रकर्मच्युत । पदच्युत अपदानम्, (न.) शोधन करना | साफ़ करना । अप अपदिशम् ( न. ) दो दिशाओं का मध्य | विदिक् | कोन | अपदिः, (त्रि.) किया हुआ । प्रयुक्त । पदेशः, ( पुं. ) लक्ष्य निशाना स्वरूप को आच्छादन करना । छल । बहाना । निमित्त | स्थान | अपध्वंसज ( पुं. ) वर्णसङ्कर । भिन्न भिन्न वर्षों के समागम से उत्पन्न सङ्कीर्ण वर्ण अपध्वस्त, (त्रि.) परित्यक्त । निन्दित । छोड़ा हुआ । विनष्ट | अपनयनम् ( न.) दूर करना | खण्डन करना हटाना । अपहरण स्थान परि वर्तन | अपनीत (त्रि.) विनीत हत हटायाहुआ। अपनेयः, (त्रि.) अपनयन करने योग्य | हटाने योग्य निरसनीय अपनोदन, (न. ) दूर लेजाना | हटाना। तोड़ देना । प्रतीकार करना । अपभ्रंश, (पुं. ) अपशब्द । श्रशास्त्रीय शब्द | असंस्कृत शब्द । ग्राम्यभाषा | अपमानम्, (न. ) श्रवज्ञा| निरादर | धना- दर तिरस्कार । अपमित्यक, (न.) ऋण | उधार | कर्ज | अपमृत्यु, (पु.) चपटमृत्यु | रोग के विना मरना अपघातजन्य मृत्यु अपयानम्, (न. ) निकलना । भागना | पलायन करना | अपर, (न. ) हाथी का पिछला भाग । (त्रि.) दूसरा अन्य | भिञ नवीन | ● । निकृष्ट कार्य सन्निकृष्ट । पश्चिम दिशा | अपरक्ल, ( त्रि. ) विरक्त । जो अनुकूल हट जाना | न हो अपरतिः, ( श्री. ) त्रिराग विरुद्ध भाव । परत्र (अ.) परलोक। पीछे दूसरेसमय । अपरत्वम्, (न. ) छोटाई के व्यवहार का कारण। जिस के द्वारा वह छोटा और यह चतुर्वेदीकोष | ४१ अप • कालिक बड़ा ऐसा व्यवहार होता और दैशिक भेद से वह दो प्रकार का होता है। परपक्षः, (पुं.) दूसरा पक्ष कृष्णपक्ष । अपररात्र, पुं. ) रात्रिशेष | रात का पिछला भाग रात का पिछला पहर । अरवम्, (..) बन्दविशेष | वैतालीय नामक छन्द | अपर वैराग्यम्, (न. ) वैराग्य विशेष । अपरस्परः, (नि.) क्रियासातत्य | काम का नैरन्तर्ग्य | सतत काम करना । अपरा, (स्त्री.) जटायु पश्चिम दिशा । विद्याविशेष | • अपरागः, (पुं. ) अप्रीति । द्वेप | अपराङ्गः, (पुं. ) गुणीभूत व्यङ्गय का भेद । अपराजितः, (पुं.) शिव विष्णु एक ऋषि का नाम । (नि.) दूर्वा । लता विशेष | जयन्तीवृश्च । ! अपराजिता, ( स्त्री. ) जया | उमा | जुड़ी नाम की लता । अपराद्धः, (त्र) अपराध अपराध करने वाला । अपराद्धपूषक, (त्रि.) बहु धनुर्धारी जिसका बाण लक्ष्य से च्युत हो । अपराधः, (पुं.) पातक पाप | गुनाह | भूल न करने योग्य काम करना । अपराधी, (त्रि.) कृतापराध | जिस ने अपराध किया हो । अपरान्तः, (त्रि. ) पाश्चात्य देश । पश्चिमी देश | समुद्र मध्यवर्ती देश ! अपराह्न (पुं.) दिन के तीन भागों का अन्तिम भाग । दिन का तीमरा भाग | दिन का शेप भाग | अपराह्नतनः, (त्रि. ) अपराल में होने वाली वस्तु । अपरिकलितः, ( त्रि.) ज्ञात ग्रदृष्ट | अपरिग्रहः, (पुं. ) संग्रह | पास कुछ न श्रप ! रखना। अस्वीकार परिग्रहहीन | अपरिच्छद, ( त्रि. ) दरिद्र । निर्धन अपरिच्छिन्न:, ( त्रि. ) परिच्छेदरहित | न. ) आनन्त्य | इयत्तारहित । परिसङ्ख्यानम्, ' सीम अपरिहार्यम्. (त्रि.) छोड़ने योग्य नहीं | अयाज्य | जो रोका न जाय | परे: (.) दूसरा दिन 1 परसों 1 अपरोक्ष, (त्रि.) प्रत्यक्ष 1 विषय और इन्द्रियों के संयोग से जो ज्ञान होता है । पर (स्त्री) पार्वती । हिमालय की कन्या | ( त्रि. ) पर्णरहित | पत्रशून्य | पर्या, (त्रि.) असमर्थ | सम्पूर्ण | शक्तिरहित । जो पूर्ण न हो । अपलम् ( न. ) कीलक । ( त्रि. ) मांस हीन | संन्यासी | (त्रि. ) परिच्छदरहित । अल (पुं. ) प्रेम अप छिपव सी बात को भी झूठ कहना | (न. ) वासगृह | रहने का घर अपवर्ग:, (पुं. ) त्याग मोक्ष कार्यों की सफलता । कर्म का फल । दुःखों का अत्यन्त नाश । अपवर्गगुरु (पुं.) सदाशिव | हरि | अपवर्जनम्, न. ) दान त्याग | मोक्ष | निर्जन । पवर्जितः, (त्रि.) परिहृत व्यक् अपवर्तनम्, (न. ) परिवर्त वक्र होना लौटना टेढ़ा करना। गणितशास्त्र में प्रसिद्ध भाज्य भाजक दोनों को किसी एक समान से बाँटना । संश्चिम करना अल्प करना। अपवाद, (पुं. ) निंदा | आज्ञा । प्रेम | विश्वास । विशेष नियम व्याकरण शास्त्रानुसार अपवाद शाख । अप चतुर्वेदकोष । ४२ अपवारण (न.) यन्तद्धीन छापना | व्यवधान । पद्ध: (.) व्यक्त । छोड़ दिया गया । प्रत्याख्यात तिरस्कार किया हुआ । पुत्रविशेष - जो पिता माता के द्वारा परित्यक्त हो । अपविषा, ( स्त्री. ) ओषधिविशेष | जिस से दूर होजाय । अपवृत्त (पुं.) पराङ्मुख | किसी की न माननेवाला | दुराचारी ! शब्द (पुं.) शब्द | बिगड़ा हुआ शब्द | शब्द संस्कृत पशुक्, (पुं. ) आत्मा । अपशोक, अशोक नामक वृक्ष । अप, (पुं.) काल (त्रि. ) घाम | प्रति कूल | विरोध | अपसद, (पुं. ) श्रधम | नीच | अपकृष्ट | नीचजातिविशेष | अपसरः, (पुं. ) अपसरण हटना | अपसरणम् (न. ) एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । अपसर्जन, ( न. ) परिवर्जन दान | छोड़ना । निर्जन । मोक्ष । अपसर्व:, (त्रि. ) गुप्तचर छिपा हुआ दूत । ( पुं. ) एक प्रकार का सर्प । अपसव्य (त्रि.. ) शरीर का दक्षिण भाग | प्रतिकूल | विरुद्धार्थ । पितृतीर्थ | [पसिद्धान्तः, ( पुं. ) माने हुए सिद्धान्त से गिरना | अपस्कर, (पुं. ) रथाङ्ग | पहिये को छोड़ कर रथ का अङ्ग । अपनात (त्रि.) निन्दित स्नान । मृतक के लिये स्नॉब करनेवाला । अपस्नान, (न. ) मरणानिमित्तक स्नान | अपस्मार, (पुं. ) रोगविशेष । भूतविकार | मिरगी रोग | अपा अपस्मारी, (त्रि. ) अपस्माररोगी | पः, (.) अपनीत | ताहित | पीड़ित अपहतपाप्मा, (पुं. ) जिसके समस्त पाप दूर होगये हों। वेदान्तवाक्यों द्वारा जानने योग्य आत्मा। अपहतिः, (स्त्री.) विनाश | उच्छेद | अपहन्ता, (पुं.) विनाशक | नाश करने बांला । अपहर्ता (न) पहरण करने वाला | विनाशक | पहस्तित ( ) निरस्त हटाया हुआ। गले में हाथ देकर निकाल दिया हुआ । अपहारः, (पुं. ) हागि । चोरी छिपाना | लुटाना। अपचय | हानि। अपहरण | अपहारक, (त्रि.) अपहरण करने वाला । अपहारी, (त्रि.) अपहरणशील पहा करने वाला । पहासः, (पुं.) चारण हंसी। निरर्थक हारय। अपहृतः, (त्रि.) अपनीन । अपवः, (पुं. ) सोह। श्रपलाप सत्यको छिपाना । . अपहतिः, ( स्त्री. ) अलग अलङ्कार विशेष | प्रकृत बात को छिपाकर उस को दूसरे रूप से वर्णन करने से यह अलङ्कार होता है । अनाथः, (पुं. ) समुद्र | सागर | वरुण | पाक, (पुं.) अजीर्ण होना नहीं पकना । कच्चा । श्रपाकरण, (न. ) निराकरण | दूर करना | हटाना। श्रपाकशाकम्, (ग. ) श्रदरख । पाकृत (त्रि. ) व्यक्त । दूरीकृत | हटाया हुआ। (त्रि.) में भोजन करने के योग्य पतित म । जातिथ्युत । अपा चतुर्वेदीकोष । ४३ अपाङ्ग (पुं. ) नेत्रका अन्तभाग कटाक्ष | कः, (पुं. ) अपामार्ग नामक पौधा | कटाक्ष | (त्रि. ) हीन । अपाङ्गदर्शनम्, (न. ) कटाक्ष | कटाक्ष से देखना | अपाटयम्, ( न. ) रोग पद्धताका अभाव | चतुराई के विना | बेवकूफी अपात्रम्, ( नं. ) अयोग्य | योग्यताहीन निन्दित । दुराचारी | अपात्रीकरणम्, (न. ) नवविध पापों में से एक पाप का नाम । यह चार प्रकार का होता है । ( १ ) निन्दित से धन लेना ( २ ) व्यापार करना ( ३ ) शुद्धसेवा ( ४ ) असत्य बोलना | श्रपादन, (न. ) छः कारकों में का पाँचवां कारक । जिस वस्तु से दूमरी वस्तु का

  • विभाग होता है वह अपादान कहा जाता है ।

ः, (पुं. ) नीचे जाने वाला शरीर का | श्रपिधान, (न. ) आच्छादन | ढकना । पिनद्धः, (त्रि.) पहना हुआ वस्त्र । अपीच्यम्, (त्रि.) अत्यन्त सुन्दर | अपीनम्, (त्रि. ) पीनसरोगरहित । नासिका के एक रोग का पीनस कहते हैं उससे रहित । दुबला | श्रपुच्छा, ( स्त्री. शिखरहीन शिशपा वृक्ष । ( त्रि. ) पुच्छहीन । अपुनरावृत्ति, ( स्त्री. ) जहाँ से पुनः आवृत्ति न हो । मुक्ति । मोक्ष । अपुनर्भवः, ( पुं. ) पुनः जन्म का अभाव । मोक्ष मुक्ति। संसारबन्धन का नाश | पुष्पफलदः, वायु । ) वनस्पति । जो विना पाप (त्रि.) पापरहित । निष्पाप | फूल के भी फल दे । → (त्रि.) धर्माधर्मरहित । पः, (पुं. ) पिष्टक पूचा मालपूश्रा | अपामार्गः, (पुं. ) श्रौषधविशेष एक पौधे अपूण्यम्, (न.) जिसके पू बनते है । थाटा । अपूरणी, (श्री.) शाल्मलिवृक्ष | सेमल का पेड़ | अपूर्चः, ( त्रि. ) पहले का नहीं देखा गया । अद्भुत | अविदित । श्रज्ञात | श्राश्चर्य | ( पुं. ) आत्मा | कारणशून्य । पूर्वविधि, ( पुं. ) अन्य प्रमाणों स का विधान करने वाला । अक्षणीयः, (त्रि.) अपेक्षा के योग्य | पेक्ष (स्त्री.) कांक्षा कार्य और कारण का परस्पर संबन्ध । का नाम । चिचड़ा | अपाम्पतिः, ( पुं. ) समुद्र । वरु॑ण । ? यः (पुं. ) वियोग नाश हटना । दुःख आपत्ति । र (पुं. ) समुद्र । जिसका पार न हो । जिसकी अवधि न हो। सागर । पार्थः, (त्रि. ) अर्थ शून्य | निरर्थक अर्थ रहित । अपावृतः, (त्रि. ) खुला हुआ । स्वतन्त्र | उद्घाटित | पाश्रयः, ( पु. ) आश्रयशून्य आश्रय रहित । चन्द्रवा । • पासनम्, (न.) मारण | अपास्तः, ( त्रि. ) निरस्त अवधीरिन । निरस्कृत हटाया हुआ | अपे श्रपि, ( अ ) सम्भावना । प्रश्न | शङ्का | गर्दा । समुच्चय | अनुशा | धारण अपिगम्, (न.) स्तुत। प्रशंसित । जिसकी स्तुति की गयी हो । अपितु, ( . ) किन्तु । यदि । यद्यपि । एक अव्यय है । IN अपेक्षवुद्धि, (सी.) अनेक विषयक बुद्धि | जो बुद्धि अनेक विषय की हो । अपेक्षितः, (त्रि. ) ईप्सित | अभीष्ट | अपेतः, ( त्रि. ) रहित । अपेतकृत्यः, (त्रि.) कार्यशय | कृतकृत्य जिसके कोई काम न हो । पो . चतुर्वेदीफोप | ४६ डः, (त्रि. ) अति ने वाला अवस्था विशेष बाल्यावस्था | | पढ, (त्रि. ) निररत व्यक्त निकाला गया। अपोदका, स्त्री.) शाकविशेष " पूर्ति नामक. शाक • अपोनपात्, (पुं. ) इस नाम से प्रसिद्ध एक देवता । ● (पुं.) तर्क का निराकरण |जयी कल्पना तर्क | त्याग | निषेध | अप्पतिः, (पुं..) जल का• स्वाभी | तरुण | " समुद्र । अप्रकाण्डः, ( पुं. ) शाखा हीन वृक्ष | खुत्थ .. प्रकाशः, (त्रि.) प्रकाश का अभाव | न समझने योग्य | जनान्तिक । गोपन | गुण, (त्रि.) जिसके उत्तमगुण न हां। व्याकुल घबड़ाया हुआ । शंखरः, (त्रि. ) प्रखरतारहित प्रगुण (त्रि.) व्याकुल । प्रकृष्टगुणहीन । अप्रणयः, (पुं.) अप्रीतिः । प्रीति का अभाव। प्रतः, (त्रि. ) तर्क के अयोग्य | मन के अगोचर | प्रतिकरः, (त्रि.) विश्वस्त | विश्वासपात्र | श्रप्रतिपक्षः, (त्रि.) प्रतियोगी विपक्ष शून्य" शत्रुरहित । प्रतिपत्तिः, ( स्त्री. ) यथार्थ का अज्ञान | अप्रतिभः, (त्रि.) अष्टलचित। प्रत्युत्पन्न भक्ति 1 अप्रगल्भ प्रतिमाहीन : अप्रतिमः, (त्रि. ) | असमान जिस के तुल्य दूसरा न हो । अप्रतिरथम्, (न. ) युद्धकी यात्रा | युद्धार्थ यात्रा के लिये किया गया मङ्गल सामवेद का एक भाग । जिसके समान दूसरा योधा न हो । विष्णु | श्रप्रतिरूपकथा, ( स्त्री. ) वैसा वचन जिस का उत्तर न हो। उत्तरहीन वचन | प्रतिष्ठः, (त्रि.) प्रतिष्ठित प्रतिष्ठारहित । तिः, (नि.) आवातशय विधा से चांभमृत नहीं । नविन | अप्रत्यक्षम्, ( न. ) प्रत्यक्ष मित्र | प्रत्यक्ष का अभाव | इन्द्रियों के अगोचर प्रत्ययः (पुं.) विश्वास | प्रधान ( न. ) प्रधान का अभाव : गौण | अप्रधृष्यः, (त्रि. ) अविचलनीय | तिरस्कार करने के अयोग्य | प्रमत्तः, (त्रि. ) प्रभादरहित | सावधान | अमेय (त्रि.) अचिन्त्य प्रभाव | यह ऐसाही है। इस प्रकार जिसका निश्चय न किया जा सके। प्रमेयरहित । अप्रशस्तम्, (त्रि.) श्रेष्ठ | विहित । प्रसङ्गः, (पुं. ) अव्यतिकर प्रसङ्ग का.' अभाव | प्रस्तुतः, (त्रि.) अनुपस्थित प्रकरण से. श्रप्राप्त । प्रस्तुतप्रशंसा, (स्त्री.) अर्थालगनशेप- अर्थ के कहने से प्राकरणिक का बोध होना । महत (भि.) अनाहत । विना जोती हुई भूमि । प्राकृतः, (त्रि.) सामान्य | जनसाधारण |. अप्राग्न्यम्, (त्र) । मुख्य नहीं। श्रप्राप्तः, (त्रि. ) अलब्ध नहीं पाया गया। अप्राप्तकाल, ( न. ) घचड़ा कर विपरीत कहना । अप्राप्तव्यवहारः, (त्रि.) व्यवहार से अनभिज्ञ | | नावालिग | अप्राप्ति:, ( सी.) लाभ का प्रभाव | न मिलना । कुण्डली का द्वादश स्थान | प्रामाणिक (त्रि.) प्रमाण न जानने वाला । वह वस्तु जो प्रमाणित न हो। अविश्वसनीय | श्रामाण्यम्, ( न. न. ) प्रभाग का अभाव । अप्रियम्, (नि.) यनिष्ट । अहित | कटु | श्रन्स चतुर्वेदीकोष । ४५ सरस्, (स्त्री.) देवाशना । उर्वशी श्रादि स्वर्ग की वेश्या फलः, (पुं. ) | ( त्रि. ) फलरहित वृक्ष निष्फल व्यर्थ । श्रफलप्रेसुः, (त्रि. ) फलाभिलापरहित । अफला, (स्त्री.) घीकुआर एक प्रकार की औषधी | (न.) इसके चार भेद होते हैं । ( १ ) श्वेत । ( २ ) काला। (३) पीला । (४) मटमैला रङ्ग | श्रबद्धम् (न. ) समुदायार्थशून्य वाक्य | निरर्थक वचन | परस्पर संबन्धहीन वाक्य | श्रद्धमुख, (त्रि.) दुष्टचन बोलने वाला । दुर्वचन वक्ता | वाचाल | मुहफट श्रवध्यम्, (त्रि.) वध के अयोग्य मारने ● के योग्य दण्ड के अयोग्य अबन्ध्यम्, (त्रि.) सफल । निष्फल नहीं | जिसके फल न रुके । अवलः, ( पुं. ) वरुण नामक वृक्ष (त्रि. ) दुर्बल | बलरहित | अबला (स्त्री) स्त्रीजाति | बाधः, (त्रि. ) पीड़ाशूत्र | पीड़ा- रहित । अबिन्धनः, (पुं.) वडवाग्नि विद्युत् | बिजली | अब्ज (न. ). कमल | चन्द्र संख्याविशेष | चरब १०००००००००। श्रब्जजः, ( पुं. ) विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न ब्रह्मा प्रजापति | अजभोगः, (पुं. ) कौड़ी। कमलकन्द | अब्जवाहन, (पुं.) शिव महादेव । जहस्तः, (पुं.) सूर्य दिवाकर | श्रब्जिनी ( स्त्री. ) नलिनी कमलिनी | कमलकी लता पद्मसुमूह | कहिरी । अब्जिनीपतिः, (श्री. ) भूर्य | ( पं . ) मेध | बादल | मोथा | एक पर्वत का नाम । वर्ष | सरल | ● अभ' ब्धिः, (पुं.) समुद्र | सागर | सिन्धु | अधिकः, ( पुं. ) समुद्र की भाग समुद्रफेन । एक प्रकार की औषधी | अधिद्वीप (स्त्री. ) पृथिवी | अब्धिनवनीतम्, (न. ) समुद्र के नवनीत ( मक्खन ) समान। चन्द्रमा | अब्धिफेन, (पुं. ) समुद्रफेन । अधिमण्डूकी, ( स्त्री. ) शुक्ति । सीप । अधिशयनः, (पुं. ) विष्णु । नारायण शेषशायी भगवान् > अब्भ्रम् (न.) मेघ । बांदल जो जल धारण करता है। अलिह, (पुं.) वायु । पवन ।' जो मेघों को उड़ा ले जाता है। ऊंचे पर्वत महल वृक्ष आदि। अब्धक, ( न. ) जो मेघा के समान बढ़े | धातुविशेष अवरक | श्रभ्र पुष्प, (पुं. ) जल वेतवृक्ष वेतसका पेड़ | श्रभ्रमातङ्गः, (पुं.) ऐरावत नाम का हाथी अब्भ्रमु, ( स्त्री. ) इन्द्र के हाथी ऐरावत की स्त्री । पूर्व दिशा की हथिनी अब्भ्रमुवल्लभ, (पुं.) ऐरावत हाथी | अभ्ररोह, (पुं.) वैदूर्य नामक मणि : प्रवाल | मूंगा | श्रब्रह्मण्यम्, (न. ) अवध्योक्ति # “ न मारो " इस अर्थ में इस का प्रयोग नाटकों में होता है । (पुं.) ब्राह्मण भक्तिहीन । ब्राह्मणः, ( पुं.) नीच ब्राह्मण । अधम ब्राह्मण | गैर ब्राह्मण । अभक्ष्यः, ( त्रि. ) खाने के योग्य | न खाने योग्य | अभद्र, (त्रि.) दुःख दुष्ट अशुभ | अभयम्, ( न. ) भय का न होना । भय रहित परमात्मा परमात्मा का ज्ञान । (भयं वै जनकप्राप्तोऽसि ) “श्रतिः” शास्त्र में कही हुई विधियों को विना सन्देह अनुष्ठान करनेवाला यात्रा का योगविशेष | अभ चतुर्वेदीकोप । ४६ अभय डिरिड्रमः, ( पुं. ) युद्धवाद्य | रण- पटह या (स्त्री. ) हरीतकी । हृङ्ग | श्रभवः, (पुं.) मोझ | मुक्ति । भव्यः (त्रि.) विभाग | अभावः, (पुं. ) मरण असत्ता न होना दर्शन | यह चा प्रकार का होता है । प्रागभाव । प्रध्वंसाभावयन्ताभाव । और अन्योन्याभाव | अभि (अ.) निश्चित कथन | अभिमुख्य | अभिलाष | वीप्सा | लक्षण एक उपसर्ग । अभिकः, (त्रि. ) कामुक अभिल अभिक्रमः, ( पुं. ) आरम्भ | चढ़ना | सड़ाई | शत्रु का सामना करना | अभिख्या (स्त्री.) नाम । शोभा यश | अभिग्रहः, ( पुं. ) लूट | देखते देखते ले लेना । अभिघातः, (पुं. ) प्रहार | श्रमिहनन । आघात | चोट विशेष । क्रिया के द्वारा एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबन्ध | श्रभित्राती, (पुं.) शत्रु प्रहार करनेवाला । मारनेवाला । भारः, (पुं. ) होम | हवन | अग्नि में घी डालना । अभिचार, (पुं.) अथर्ववेद और तन्त्र में प्रसिद्ध | मारण, उच्चाटन, स्तम्भन आदि किया। तान्त्रिक किया। शत्रु नाशकारी अनुष्ठान | F अभिजन, (पुं. ) कुल | वंश | प्रसिद्धि | अभिजात, ( भि. ) कुलीन | प्रसिद्ध । कुलवाला न्याय्य | पण्डित । अभिजित्, (न. ) नक्षत्रविशेष | उत्तराषाढ़ का चौथा भाग और श्रवण का पहला पन्द्रहवां भाग श्रभिजित् कहा जाता है। यात्रा का मुहूर्त विशेष । विजयमुहूर्त | दिन का आठवां भाग । जो कुतुप नाम से प्रसिद्ध हैं। अभि अभिश:, (त्रि. ) चतुर । पण्डित विशारद 'अभिशा, ( श्री. ) प्राथमिक ज्ञान | पहला ज्ञान । अभिज्ञानम्, ( न. ) ज्ञानविशेष | चिड़ | किसी वस्तु के पहचानने का साधन । अभितप्तः, (त्रि.) पीड़ित | खूब तपाया हुआ । अभितः, (.) शीघ्र । समीप सामना | दोनों ओर । [[अभद्रवणम्, ( ) वेग से चलना | श्र P श्रम | श्रद्रः, (पुं. ) आकोश | निन्दा | अनिष्टचिन्तन | श्रभिधा, ( स्त्री. ) शब्दों के अर्थ बोधन करनेवाली शक्ति वाचक शब्द । मीमांसक भाट्ट के मत में शाब्दी भावना । संज्ञा । कथन | श्रमिधानम्, (न. ) नाम शब्दकोश | श्रभिधायक, (त्रि. ) वाचक अर्थ बोधक | अभिधेयम्, ( न. ) श्रमिधा शक्ति द्वारा • बोषित अर्थ शब्दवोप्य अर्थ | । अभिध्या (स्त्री.] ) महणेच्छा । दूसरे का धन लेने की इच्छा । अभिनन्दः, (पुं. ) सन्तोष | प्रशंसा | अभिनन्दनः, (पुं. ) बुद्ध विशेष । जैनियों का चौथा तीर्थकर । ( न. ) स्तुति | सब प्रकार से आनन्द देनेवाला । (-पत्र) एड्रेस अभिनयः, ( पुं. ) हृदय के भाव को प्रकट करनेवाली किया नाटक अनुकरण अभिनवः, (पुं. ) नव | नवीन | अभिनवोद्भिद, (पुं. ) श्रङ्कुर अभिननम्, ( न.) अभिनिर्मुक्तः, ( पुं. ) सूर्यास्त के समय सोनेवाला ब्राह्मण | अभिनिर्याणम् (न. ) जीतने की इच्छा से जाना शत्रु के प्रति चढ़ाई करना | । अभि चतुर्वेदीकोष | ४७ अभिनिविष्ट, ( त्रि. ) अभिनिवेश यु | दुराग्रही। प्रवेश करनेवाला । अभिनिवेश, ( पुं. ) अन्धतामिस्र | योग- शास्त्र प्रसिद्ध पाँचवाँ क्लेश आग्रह । अभिनिष्पत्तिः, ( स्त्री . ) सिद्धि | समाप्ति | उत्पत्ति | अभिनीतः, (, त्रि. ) ताप्य : क्रोधन | म अभिनय किया हुआ | अभिनेता, ( त्रि. ) नाटक का अभिनय ( करनेवाला । नाटक खेलनेवाला । नट | अभिपः, (त्रि. ) अपराधी पति युक्त स्वीकृत | अभिप्रायः, ( पुं. ) आय | सम्मति । इच्छा । अभिप्रेत ( त्रि. ) सम्मत । अभीष्ट | इच्छित । इरादा | अभिभव, ( पुं. ) पराजय | तिरस्कार । दर प्रतिष्ठा । अभिभूत, (त्रि.) कर्तव्यज्ञानशून्य । श्राक्रान्त । ज्ञानरहित | व्याकुल अभिमत (त्रि.) सम्मत | अभीष्ट | अभिमन्त्रणम्, (न. ) निमन्त्रण | श्राह्वान | मन्त्रद्वारा शुद्ध करना । अभिमन्थः, (पुं. ) नेत्ररोगविशेष । अभिमन्युः, ( पुं. ) अर्जुन का पुत्र यह सुभद्रा के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। अभिमः, ( पुं. ) युद्ध | लड़ाई | अभिर्द, (पुं. ) मद्य | मदिरा । युद्ध लड़ाई | अभिमानः, (पुं. ) दर्पहार | धन आदिका अहङ्कार अपने को बड़ा भारी प्रतिष्ठित समझना । अभिमुखः, (त्रि. ) सम्मुख | सामना | अभिः, (त्रि.) संसृष्टः । संबन्धयुक्त | मिला हुआ । अभियुक्तः, (त्रि.) रोका हुआ । तत्पर | ज्ञानी । प्रतिवादी मुद्दाले। मुलाजिम अभियोक्ता, (त्रि.) श्रर्थी । वादी। फरयादी मुद्दई । अभि अभियोग, (पुं.) नालिश करना मुकदमा आग्रह | शपथ । उद्योग । किसी से विरोध होनेपर अपना पक्ष न्यायालय में प्रकट करना । श्रमिराम, (त्रि.) सुन्दर प्रिय| मनोहर । अभिरूप, (पुं. ) शिव | विष्णु । कामदेव | (त्रि.) बुध | पंडित | सुन्दर मनोहर | सदृश । अभिलपित, (त्रि. अभिलापः, (. पुं. ) संकल्प लिये निश्चय करण । " अभिलाषः, (पुं. ) इच्छा | लोभ | मन्मेरभ । अभिलापुक, (त्रि.) लुब्धा लोभी| इच्छा करनेवाला । अभिवाद:, (पुं. ) प्रणाम । अभिवादन | अभिवादन, ( न. ) शिष्टाचारविशेष | पैर छूकर प्रणाम करना । अभिविधि, (पुं.) व्याप्ति । मर्यादा । सीमा । अभिव्यक्त (त्रि. ) प्रत्यक्ष प्रकाशित । प्रकटित । अभीप्सित । किसी काम के अभिव्यक्ति, (स्त्री.) प्रत्यक्ष । उद्भव प्रकाश । अभिव्याप्तिः, (स्त्री.) विस्तार | सब प्रकार का संबन्ध | फैलाव | अभिशयनम्, ( न. ) अनिष्ट चिन्ता | अभिशप्तः, (त्रि.) शापप्राप्त । शोपित | जिस के अनिष्टकी चिन्ता की गयी हो । अभिशस्तः, (पुं. ) नृप । अति प्रशंसित | (त्रि. ) मिथ्या अपवाद युक्त । अभिशाप, (पुं. ) मिथ्या अपवाद | अनिष्ट चिन्तन | अभिषङ्गः, (पुं. ) तिरस्कार : निन्दा | अभिषवः, (पुं.) श्रवथ स्नान | यज्ञ संबन्धी स्नान यज्ञ नहवाना पीडादेना । मद्य बनाना । बलि देना । अभिषवण, (न. ) स्नान करना। यज्ञसंबन्धी स्नान करना। बलिदान । सोमलताका कूटना | अभिषेक, (पुं.) मन्त्रपूर्वक स्नान । मार्जन | ( राज्य - ) राज्यतिलकहोना। अभि चतुर्वेदीकोष । ४८ अभिषिक्ल, (त्रि.) अभिषेक किया हुआ । मन्त्र द्वारा जिसकाक किया गया हो । अभिषेशन, (न. ) सेना लेकर शत्रु पर चढ़ जाना। शत्रुपर आक्रमण करना । युद्ध यात्रा | | | (त्रि. ) स्तुत । प्रशंसित । स्तुति किया गया । वर्णित । जिसका वर्णन किया गया हो। भन्दः (पुं. ) तरल पदार्थों का बहना विशेष | अभिसन्ताप, (पुं. ) दुःख | क्लेश। चारों श्रोर से लेश । अभिसन्धः, (पुं. ) सत्य का अभिमान | अभिसन्धान, ( न. ) वचन | प्रतारण | ठगना। अपने मत में कर लेना अभिसम्पात, (पुं. ) युद्ध शाप देगा | विरुद्ध चिन्ता न करना | | अधिक आदि अधिरोग सरः, (त्रि.) अनुचर | सहाय | भृत्य | नौकर अभिसर्जनम्, (न. ) दान | वध | मारण | अभिसार, (पुं.) बल युद्ध | सहाय, साधन । स्त्री पुरुषों के परस्पर किये हुए राकेत स्थान को जाना । । अभिसारिका, (स्त्री.) नायिका विशेष | जो सङ्केत स्थान पर स्वयं आप अथवा नायक को बुलावे । वह शुक्ला और कृष्णा भेद से दो प्रकार की होती है । अभिसारिणी, ( स्त्री. ) अभिसारिका नायिका | अभिः, (त्रि.) यक्क | छोड़ा हुआ । दिया हुआ। । भित (त्रि. ) ताड़ित | मारा हुआ | अभिहार, (पुं.) अभियोग | जाकर आक्रमण करना । चोरी । देखते देखते चोरी करना । अभिहितम्. (त्रि.) कथित | प्रोक्त | कहा हुआ । अभीकः, (त्रि.) कामुक । चाहनेवाला । श्रभि लाषी क्रूर । निर्भय । निडर .. अभ्य (अ) नित्य | शश्वन पुनः पुनः बार बार अभीप्सिनम्, (नि.) वाति भए । अभी:, (त्रि. ) निर्भय । निडर । ( श्री. ) शतमूली । | शाप ।

(पुं.) किरण | घोड़े की लगाफ |

भीष्टः, (त्रि. ) ईप्सित | प्रिय | वाञ्छित प्रभु, (त्रि. ) उपवासी अकृतभोजन भृखा। अभुक्तमूल, (पं.) येष्टा के अन्त की चार मड़ियों के साथ मूल की पहली चार मही ज्येष्ठा को अन्तिम एक घड़ी और भूल की पहली दो घड़ी ज्येष्ठा की अन्तिम आधी घड़ी और मूल के आदि की श्राधी भी की अन्तिम पाँच घड़ी और मूल की पहली नौकी मूलकी अधिकदोपदायी यां अभूतः, (त्रि. ) अविद्यमान | अभूताभिनिवेशः, (पुं. ) सत्य वस्तु में छा " सत्य का ज्ञान | भेदः, (पुं. ) भेदका 1 एकरूप एकता श्रमेयम्, (न. ) दृढ | भेदन करने योग्य होग। जो वेदा न जासके। अभ्यङ्गः, ( पुं. ) तैलमर्द्दन । तेल लगाना | अभ्यञ्जनम्, ( न. ) तैल | श्रभ्य | शरीर में लगाने की स्नेहयुक्त वस्तु उपटन | अभ्यधिकः, (त्रि.) सर्वोत्कृष्ट | उत्तमोत्तम । सब से बड़ा । . अभ्यनुज्ञा ( स्त्री. ) अनुमति प्रसन्नतापूर्वक आशा । अभ्यन्तरम् (ग.) मध्यभाग। बीत्त का भाग | अन्तर्गत | अभ्यमित, (त्रि.) रोगवाला रोगी | अभ्यमित्रीण, (त्रि. ) वीरविशेष | वीरता- पूर्वक शत्रु का सामना करने वाला। अभ्यम्, (त्रि.) समीप | निकट | पास | अभ्यत (नि.) पीड़ित अभ्य चतुर्वेदीकोष । ४६ अभ्यः, (त्रि.) पूजनीय | पूज्य श्रेष्ठ माननीय | अभ्यर्हित, (त्रि. ) पूजित | सेवित । श्रेष्ठ | उत्तम । उचित । अभ्यवकर्षणम्, ( न. ) शरीर में चुभे हुए बाण आदि का निकालना । भीतर गये हुए पदार्थ का निकालना । अभ्यवस्कन्दः, ( पुं. ) शत्रु पर प्रहार करना अभ्यवहार, (पुं. ) भोजन | खाना । अभ्यसनम्, (न.) अभ्यास करना। बार बार चिन्ता करना | अभ्यसूया, ( स्त्री. ) दुर्गुगा विशेष गुणों में दोष निकालना । अभ्याकाङ्क्षितम्, (न.) मिथ्या अभियोग | झूठा दावा i (त्रि.) ईप्सित | अभ्यागत, (त्रि.) अतिथि । पाहुना । म (पुं.) विरोध | शत्रुता । समीप । , अभिघात | भोग । स्वीकार | अभ्यागारिक, (पं.) कुटुम्बपालन में तत्पर | घर का काम काज करनेवाला । अभ्यादानम्, (न. ) श्रारम्भ | • अभ्यः, (पुं. ) रणु । समर | युद्ध | अभ्याशः, पुं.) अवश्य | ऐकान्ति । अति- 1 प्रयोजनीय । निकट समीप | अभ्यासः, (पं.) श्रभ्यसन | श्रवृत्ति । विद्या का अर्जन करना। वह पाँच प्रकार का है । सुनना | विचार करना। आवृत्ति करना । शिष्यों को पढ़ाना और स्वयं अनुशीलन करना । निशाना लगाना सीखना बाण चलाना सीखना । मानसिक संस्कार | ( त्रि. ) समीप । अभ्यासयोगः, (पुं.) योगविशेष | एक श्रा- लम्बन में चित्त को स्थापित करना अ सात भ्यास कहा जाता है। समाधि | अभ्यासादन, (न.) शस्त्र आदि से शत्रु को दीनवीर्य करना | शत्रु सामना करना । आंभ्रः भ्रः, (पुं. ) आहार | भोजन खाना | देखते देखते चुरा लेना । अभ्याहितः, (त्रि.) उपचित । वृद्ध । बढ़ा हुआ। श्रभ्युच्चयः, (पुं.) श्रभ्युदय । समूह । समूहा- 1 लम्बन ज्ञान | लक्ष्मा । अभ्युत्थानम्, (न.) शिष्टाचार विशेष | गौरव दिखाने के लिये उठना । उठकर आगे से लेने जाना । अभ्युदयः, (पुं. ) पराक्रम 1 वृद्धिथाद्ध | उन्नति । वृद्धि | अभ्युदित, (पुं. ) के समय सोने वाला वट् ब्रह्मचारी जिसने सूर्योदय के समय सोने के कारण प्रातःकृत्य छोड़ दिया हो • अभ्युद्यत, (ii) विना याचना के मिला हुआ अन्न आदि । प्रस्तुत उद्यत । अभ्युपगत, (त्रि.) स्वीकृत | माना हुआ | अभ्युपगमः, (पुं.) स्वीकार । अङ्गीकार | "समीप जाना । अभ्युपगमसिद्धान्तः, (पुं.) न्याय का एक सिद्धान्त विशेष । नहीं कहे हुए को मान कर विशेष धर्म का कहना । विशेष धर्म के कहने से सूत्रकार के अभिप्राय को जानना । अभ्युपपत्तिः, ( स्त्री. ) अनुग्रह | हितसाधन औरत का निवारण अभ्युपायः, (पुं. ) स्वीकार । उपाय । अभ्युपायनम्, (न.) उपहार । भेंट | अभ्युपेतः, (पुं. ) उपगत । स्वीकृत । अभ्यूहः, ( पुं. ) तर्क | युक्ति । श्रभ्यूहितः, ( त्रि. ) ज्ञात । विदित श्रभ्रम्, ( न. ) मेघ । बादल । जिससे जल न गिरे । . अभ्रिः, (स्त्री.) काष्ठकुद्दाल। जो लकड़ी का बनता है। जिस से जहाज आदि का मैल साफ किया जाता है. चतुर्वेदीकोष । ५० भ्रेषः, (पुं. ) औचित्य | न्याय्य | न्यायानु- मोदित | अम्, (धा. उभ. ) पीडा । रोग | अमः, (पु.) वृद्धि का अभाव | रोग | विना पका फल । अमङ्गलः, ( पुं. ) एरण्डवृक्ष | (त्रि.) मङ्गल- हीन | शुभसूचक । श्रमतः, (पुं. ) मृत्यु | काल | रोग | ( त्रि. ) । मत | अविज्ञात | तर्क नहीं जाना हुआ । श्रमम्, (न. ) भाजन | भाउ | वर्तन भोजन करने का पात्र | मनस्कः, (त्रि.) जिसका मन वश में न हो ( पुं. ) योग के एक ग्रन्थ का नाम । अमन्दः, (त्रि. ) धृष्ट | मन्द नहीं । ममः, (पुं. ) होने वाले एक जैन तीर्थकर | (त्रि. ) ममताहीन | ममतारहित । ( पुं. ) देवता | सुर| एक व्याकरण | श्रमरः, 'स्तुहीवृक्ष | पारद | पारा । हड्डियों का समूह | कोशकार विशेष । श्रमदारु (पुं.) देवदार वृक्ष | श्रमरजि, ( पं. ) देवपूजक . पुजारी | अमरा, (स्त्री.) गुरुच श्रमरावती ब्राह्मण । इन्द्रपुरी | दूब | जरायु । इन्द्रवारुणीवृन । गर्भ की नाड़ी | घिकुचार | अमरादिः (पुं. ) सुमेरु । देवताओं का पर्वत । श्रमरालयः (पुं.) स्वर्ग । देवताओं का नगर | श्रमरावती, ( स्त्री. ) जिसमें देवता रहे । इन्द्रपुरी | श्रमर्त्यः, (पुं.) मरगाहीन | देवता । श्रमर्त्यनदी, ( श्री. ) गङ्गा । देवताओं की नदी । अमर्त्यभुवनम्, ( न. ) देवताओं का लोक । अमृ " ', 1 म (पुं. ) कोप क्रोध दूसरे का उत्कर्ष न सहना किया हुआ अपराध समर्थ का द्वेष | मर्पण (त्रि.) कधी कोध करने वाला | अमलम्, (न. ) श्रम् (त्रि. ) निर्मल | साफ़ | स्वच्छ । अमला ( स्त्री. ) लक्ष्मी | भूम्यामलकी । नाभि- नाल । म ( . ) साथ | समीप पास। श्रमा, (स्त्री.] ) श्रमावास्या तिथि । दर्श | साथ समीप । मांस, (त्रि. ) दुर्बल । बलहान । मांसाशी, (त्रि. ) मांस न खाने वाला । श्रमात्यः, (पुं. ) मन्त्री | सचिव (त्रि. ) बन्धु | साथ उत्पन्न होने वाला । श्रमावास्या, (श्री.) अमावास्या नाम की तिथि | इस तिथि को चन्द्रमा और सूर्य दोनों साथ रहते हैं। दर्श। श्रमितौजाः, (त्रि. ) अतिवीर्यवान् | अन्त शक्तिशाली । मित्रः, (पुं. ) शत्रु । मित्र नहीं । श्रमी, (त्रि. ) रोगी रोगयुक्त | अमुत्र, ( . ) दूसरा लोक परलोक । अमुष्यपुत्रः, ( पुं. स्त्री. ) प्रसिद्ध वंश में उत्पन्न । कुलीन | अमूर्त:, (त्रि. ) अवयवरहित । वायु । अन्तरिक्ष । मूर्तिहीन पदार्थ । आकाश काल । दिक और आत्मा

अमूलकम्, (त्रि. ) मूलरहित । प्रमाण शून्य । जिस में प्रमाण न हो । श्रमूला, ( स्त्री. ) अग्निशिख वृक्ष श्रोषधि- विशेष | अमृणालम्, (न.) नलद | उशीर । खस । श्रमृतम्, (न. ) मोक्ष । मुक्ति । हवन शेष द्रथ्य सुधा | पीयूष सलिल । जल । घृत । श्रन्न । काञ्चन । श्रानन्द रसायन | मनोहर | पारद | धन | स्वादु i श्रमृ - चतुर्वेदीकोष | ५१ द्रव्य | ( त्रि. ) सुन्दर । मरणरहित । ( स्त्री. ) दून | तुलसी । ( न. ) परब्रह्म । अमृतजटा, (स्त्री.) जटामासी । अमृततिलका, ( श्री. ) छन्दोविशेष | वर्ण वृत्त । इसके प्रत्येक पाद में दस अक्षर होते हैं । अमृतत्वम्, (न.) मरण का अभाव | मोक्ष ।. मुक्ति। अमृतदीधिति, (पुं. ) चन्द्रमा | अमृतफला, ( स्त्री. ) जिसका फल अमृत के समान मीठा हो | दाख । आंवला । अमृतयोगः, (पुं. ) ज्योतिषशास्त्र का योग विशेष | रविवार को मूल, सोमवार को श्रवण, मङ्गलवार को उत्तराभाद्रपद, बुधवार को कृत्तिका, गुरुवार को पुनर्वसु, शुक्रवार को पूर्वाफाल्गुनी और शनिवार को स्वाती नक्षत्र के होने से अमृतयोग होता है इसी को श्रभृत भी कहते हैं । अमृतरसा, (स्त्री.) पक्कान्नविशेष | अंदरसा | अमृतवल्ली, (स्त्री.) गुरुच अमृतसंयावः, (पुं. ) पक्कान्नविशेष । अमृतसिद्धियोगः, (पुं- ) योगविशेष । अमृतसू, (पुं. ) विधु | चन्द्रमा (स्त्री.) अदिति । अमृतसोदः, (पुं. ) घोड़ा | उच्चैःश्रवा | अमृता (स्त्री. ) औषधविशेष | यह विरेचन में प्रशस्त है। गुरुच | अमृतान्धा, (पुं.) देवता । जिसका अमृत ही न हो । अमृष्यमाणः, (त्रि. ) नहीं सहन करने वाला । अमेधाः, त्रि.) निर्बुद्धि | | | अमेध्य, ( न. ) विष्ठा " मल । यज्ञ के योग्य अशुद्ध मांसद(त्रि.) अपवित्र | अमोघः, (पुं. ) नद विशेष | ( त्रि. ) सफल' । अव्यर्थः । परमेश्वर | पूजा और अम्बु स्तुति किये जाने पर जो समस्त फलों को दे । जिसकी कृपा निष्फल न हो । अम्बू, (धा. पर.) जाना पहुँचना । अम्बक, ( न. ) नेत्र | आँख । पिता जनक | अम्बरम् (न.) शब्द का आश्रय । आकाश | सिद्ध विद्याधर आदि के घूमने का स्थान । स्वनामख्यात सुगन्धि द्रव्य विशेष | वस्त्र । कार्पास | केशर । अम्बरीषः, (पुं.) राजाविशेष | ये राजा मान्धात के पुत्र थे । सूर्यवंशी राजा नाभाग के पुत्र | नरकविशेष । किशोर । भास्कर | सूर्य । महादेव । ( न. ) रण | युद्ध भ्रष्ट । भसार अम्बष्ठः, (पुं. ) देशविशेष ब्राह्मण के और से और वैश्य कन्या के गर्भ से उत्पन्न पुत्र । इस जाति के लोग चिकित्सा करते और वैद्य कहे जाते हैं । हस्तिपक । महावत । कायस्थ जाति का एक भेद । अम्बा, ( श्री. ) माता दुर्गा राजा पाण्डु की मौसी का नाम । । अम्बालिका, (स्त्री.) माता । जननी | काशि- राज की कन्या रांजा पाण्डु की माता का नाम । अम्बिका, ( स्त्री. ) माता | काशिराज की कन्या । यह राजा विचित्रवीर्य की स्त्री थी और धृतराष्ट्र की माता | दुर्गा । भगवती । अम्बु, (न.) जल कुण्डली का चौथा भवन | रास्ना नाम की लता । अम्बुका (स्त्री.) जलबिन्दु । पानी की बूंद | अम्बुचामरम्, (न.) शैवाल । अम्बुज (पुं. न. ) कमल । चन्द्रमा । जल से पैदा होने वाला शङ्ख । अम्बुदः, (पुं. ) मेध | बादल । माथा ! अम्बुधरः, (पु.) मेघ । मुस्ता | मोथा | अम्बुधिः, (पुं. ) समुद्र सागर " अम्बुपतिः, ('पु. ) वरुण । समुद्र । चतुर्वेदीकोष । ५२ अम्बुपत्रां, (स्त्री..) उच्चटा नामक पौधा । यद्द जल में उत्पन्न होता है और सुगन्धित होता है। अम्बुप्रसादनम्, ( न. ) कतक । निर्मली नामक फल | जिससे जल साफ हो जाता है। अम्बुप्रायम्, (न.) अनूप जल के समीप का देश । अम्बुभृत् (पुं. ) मेघ । समुद्र | सागर । अम्बुरुह, (न. ) कमल | पद्म ( त्रि. ) जल. ● में उत्पन्न होने वाला। जोंक r अम्बुवाची, ( स्त्री. ) रजस्वला भूमि । श्रार्द्रा नक्षत्र के पहले तीन दिन। इसी कारण ये तीन दिन अच्छे कामों के लिये और अन आदि बोने के लिये निषिद्ध हैं । अम्बुवाह, (पुं.) श्रबुद | मेघ मोथाः | श्रम्बुसर्पिणी, ( स्त्री. ) जलौका | जोक | एक प्रकार का जलकृमि । अम्बूकृत, (त्रि.) थूक युक्त वचन | ऐसा बोलना जिसमें थूक निकले ! अभः (न. ) जल । देवता । मनुष्य | पिता । असुर लग्न से चौथी राशि | अम्भःसार, (न. ) मुक्ला । मोती । भोज, (न.) अम्बुज । कमल (पुं.) चन्द्रमा । (त्रि. ) जल से उत्पन्न पदार्थ | भोजखण्डम्, (न. ) कमलसमूह | अम्भोजिनी, ( स्त्री. ) कमलसमूह । कमल युक्त देश। पद्मलता # श्रया. से यह गुण और अग्नि की अधिकता उत्पन्न होता है । अम्लः, ( पुं. ) थोड़ा खट्टा वृक्ष विशेष | अम्लकेशरः, (पुं. ) बीजपूरक । चकोतरा : अलफल, (न. ) तिंतिडीफल | इमली । अम्लानः, ( पुं. ) महासहा । कटसरैया वृक्ष । ( त्रि. ) निर्मल 1 ग्लानिरहित । अय, (धा. श्रात्म.) जाना । गमन करना । गति । श्रय, (पुं.) पूर्वजन्मकृत शुभभाग्य | सौभाग्य | श्रयःपानम्, ( न. ) नरकविशेष । जहाँ तपा लोहा पीना पड़ता है। समुद्र मेघ । दः, (पुं. ) मेघ । बादल। धर, (पुं.) भोधिः, (पुं. ) समुद्र । सिन्धु भनिधिः, (पुं.) ब्धि | समुद्र म्भोरुहम्, (न. ) श्रबुज | कमल | अम्मयम्, ( न. ) जल का विकार झाग । फेन आदि । ( पुं. ) आम का वृक्ष । जिसकी गन्ध अम्र, दूर दूर तक फैलती हो । अम्लः, (पुं. ) रसविशेष खडा रस । जल अयशः, ( पुं. ) दैवादि यज्ञ से भिन्न यज्ञ | (त्रि. ) यज्ञरहित । यज्ञहीन । यशियः, (त्रि.) जो यज्ञ के लिये उपयुक्त न हो । . अयथा, (घ. ) अनुचित । अयोग्य | यथार्थानुभवः, (पुं. ) मिथ्या अनुभव | अन्य वस्तु में अन्य वस्तु का ज्ञान । वह संशय विपर्यय और तर्क भेद से तीन प्रकार का है । श्रयनम्, (न.) मार्ग | रास्ता | सूर्य की दक्षिणो- तरगति । स्थान. आश्रय मकर और कर्क की संक्रान्ति | नांश, (पुं.) सूर्य आदिकों के दृश्य बनाने का एक संस्कार विशेष जिसकी वार्षिक गति इस समय ५० पल है। गतिविशेष का भाग । यन्त्रितः, (त्रि.) अनर्गल अनियन्त्रित शृङ्खलित । अयशः, ( न. ) धर्म से उत्पन्न लोकनिन्दा | कीर्ति । श्रयस, (न ) लोहा अयस्कान, (पुं. ) लोह चुम्बक पत्थर | यकार:, (. पुं. ) लौहकार | लुहार । श्रयाचितम्, (न. ) अयत नामक वृत्ति विशेष | (त्रि.) विना माँगे मिली हुई वस्तु । अयाचितव्रतम्, (न.) विना माँगे स्वयं मिले पदार्थ से जीविका निर्वाह । श्रया चतुर्वेदीकोष | ५३ योज्य:, (त्रि. ) जात्य । पतित । नहीं यज्ञ कराने योग्य | श्रयि, ( श्र. ) प्रश्न | अनुनय | सम्बोधन | अनुराग | अयुग्मः, ( पुं.) विषम असमान अयुग्मच्छदः, ( पुं . ) सप्तपर्ण नामक वृक्ष जिसके विषम पत्ते हों | अयुत, ( त्रि. ) असंयुक्त असंबद्ध नहीं मिला हुआ । संख्याविशेष । दस हज़ार । १०००० श्रयुतसिद्धि, ( पुं. ) जिन दो पदार्थों में एक दूसरे के श्राश्रय से रहे । यथा अवयव अवयवी गुण गुणी क्रिया क्रियावान् । जाति और व्यक्ति । अये, ( ) क्रोध | विषाद | सम्भ्रम | स्मरण | सम्बुद्धि | योगः, (पुं.) विधुर | दुःख कूट | विश्लेष | कठिन उद्यम वमन विरेचन आदि की प्रतिकूल वृत्ति । योगवः, (पुं. ) वर्णसङ्कर | जातिविशेष | शूद के औरस और वैश्य कन्या के गर्भ अ. से उत्पन्न पुत्र | योवाहः, (पुं. ) अनुस्वार और विसर्ग | अयोधन, ( पुं. ) हथौड़ा । हथौड़ी जिससे लोहा पीटा जाता है । अयोध्या ( स्त्री. ) इस नाम से प्रसिद्ध नगरी | साकेतपुर । उत्तरकोशला । अयोनिज, (पुं.) हरि । जो माता के गर्भ से उत्पन्न न हुआ हो। जिसकी उत्पत्ति न हो । ( स्त्री. ) सीता | जानकी योमुखः, ( पुं. ) अस्त्रविशेष सुर विशेष : 3 अरम्, (न. ) शीघ्र । चक्राङ्ग । पहिये की नाभि और नेमि के बीच की लकड़ी । अरग्वध, (पुं.) वृक्षविशेष | राजवृक्ष | अरघट्टः, (पुं. ) बड़ा भारी कूप । पानी निकालने का यन्त्र | अर . अरजाः, ( स्त्री. ) कन्या | जिसे मासिक धर्म न हुआ हो ? अरणिः, (पुं.) सूर्य | गणियारी नाम का वृक्ष | यज्ञ के लिये आग निकालने की लकड़ी | अरण्यम्, ( न. ) वन | जंगल | तपोवन । अरण्यानी, ( स्त्री. ) बड़ा भारी वन । अरतिः, ( स्त्री. ) क्रोध । चित्त का स्थिर न होना । प्रेम का अभाव | घबराहट । इष्ट वियोग से व्याकुलता अरनि:, ( पुं. ) फैलाया हुआ हाथ | मुट्ठी बँधा हुआ हाथ । निमूँठ हाथ कोहनी 1 रम्, (.) पर्याप्त । वश । अररम्, (त्रि.) कपाट । किवाड़ | अरविन्दम्, ( न. ) कमल | पद्म | बगला | ताँबा | नील कमल | अरसिकः, ( त्रि. ) अरसश । मूर्ख | विदग्ध । रस का न जानने वाला अराजक, (त्रि.) राजशून्य देश । जिस देश का कोई राजा न हो । उपद्रवयुक्त देश | अरातिः, ( पुं. ) शत्रु । राल, ( पुं. ) सर्ज का रस। मतवारा हाथी । राल । राला, ( स्त्री. ) वेश्या । अरिः, ( पुं. ) शत्रु | लग्न से छठा स्थान | पहिया | चक्र | खैरभेद । अरित्रम्, ( न. ) कान | हाली, जिससे नाव चलायी जाती है । अरिन्दम ( पुं. ) शत्रु को जीतने वाला । अरिमर्दः, ( पुं. ) खाँसी को दूर करने वाला एक वृक्ष । शत्रु का जीतने वाला अरिभेद, (पुं. ) वृक्षावशेष । देशविशेष । अरिषडष्टक, ( न. ) ज्योतिषशास्त्र का एक योग । यह योग वर अथवा कन्या की राशि से छठा या आठवाँ घर शत्रु के होने पर होता है। यह योग निवाह में निषिद्ध माना जाता है । चतुर्वेदीकोप । ५४ रि i । अरिषदुर्ग, ( पुं. ) काम कोष श्रादि वः शत्रु का समूह काम, क्रोध, लोभ, माह, मद, ईर्ष्या ये छः षड्वर्ग है । अरिष्ट, ( पुं. ) कन्दविशेष । लशुन | नीम सौरघर | असुविशेष । ( न.) मद्य का एक भेद | कौवा रीठा अशुभ मङ्गल अरिष्टताति, ( पुं. ) मङ्गल की कामना । आशीर्वाद के अर्थ में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है । इसका प्रयोग वेदों में अधिकता से किया गया है ! अरिष्टसूदन (पुं. ) अष्ट नामक असुर का मारने वाला । विष्णु । ( त्रि. ) अशुभ को हटाने वाला। मङ्गलमय अरुचि, ( पुं. ) जिसके कारण रुचेि ( इच्छा ) न हो । रोगविशेष | अजीर्ण रोग अतृप्ति । सन्तोष का भाव । अरुचिर ( त्रि. ) मनोहर नहीं | अशुभ | श्रमङ्गल । अरुज, (पुं. ) वृक्षविशेष । ( त्रि. ) नीरोग | रोगरहित । अरुण, (पुं.) सूर्य । सूर्य के सारथिका नाम । गुड़ | सन्ध्या समय की आकासको लाली । शब्दरहित । दैत्यविशेष रोग- विशेष कोरोग का एक भेद । ( न. ) लाल रंग । केसर । सिन्दूर । ( श्री. ) मजीठ | अरुणलोचन, ( पुं. ) जिसके नेत्र लाल. रङ्ग के हों। कबूतर । कोइल अरुणित ( त्रि. ) लाल किया हुआ | लाल. रङ्ग से रंगा हुआ " अरुणिमा, ( पुं. ) रक्तता लालाई । लाल रङ्ग । रक्तवर्ण : अरुणोदय, (पुं.) काल विशेष सूर्य के उदय होने के चार घड़ी पहले का समय अरुन्तुद, (त्रि. ) मर्मपीड़क । अरुन्धती, (स्त्री.) महर्षि वसिष्ठकी स्त्री का नाम । यह प्रजापति कर्दम मुनि की कन्या थी इस 1 अर्चा नाम की एक तारा जो सप्तर्पिभण्डल में सब से छोटी आठवी तारा है और वसिष्ठ के समीप रहती है। अरुन्धतीदर्शनम्, (देखो “न्याय”)। अरुस्, (पुं.) सूर्य । रक्तखदिर | वटखदिर (न. ) मर्म । शरीर का कोमल स्थान | अरुक (पुं ) एक वृक्ष का नाम, (भल्लातक) • भेलावां । अरुसिको, एक प्रकार का रोग जिसमें खोपड़ी की खाल पर फुंसियां हो जाती हैं और उनमें, बड़ी बुरी पांदा होती है | अरुहा, एक वृक्ष का नाम अर्थात् भूम्यामलकी 1. अरूक्ष, (गु.) जो कड़ा न हो । मुलायम नरम रूप, (गु.) रूपरहित । श्राकारशून्य कुरूप भद्दा । रूपः, सूर्य । एक प्रकार का सर्प । अरे, ([अव्य. ) अपमानपूर्वक सम्बोधन अथवा क्रोधपूर्वक किसी को बुलाना हो, तब अरे का प्रयोग किया जाता है !. अर्क, तपना और स्तुति करना । अर्क, (पं.) सूर्य 1 इन्द्र | तांबा | बिल्लौर | विष्णु | पण्डित । आकन्द वृक्ष कामदार अर्कचन्दन, (पुं.) लालचन्दन । श्रर्कतनय, (पुं-) सुप्रीत्र | कर्ण । (श्री.) यमुना अर्कव्रत, (पुं. ) सूर्य का व्रत । यथा माशुला सप्तमी आदि । अर्काश्मन् (पुं. ) सूर्यकान्तमणि शीशा । श्रमणोपल . तशी अर्गलः, (पुं.) बेड़ा जो किवाड़ों में उन्हें बन्द करते समय अटकाया जाता है। दुर्गापाठ, का एक स्तोत्रविशेष | अर्ध, ( कि. ) मोल लेना । (पुं.) पूजाविधि | मुख्य | दाम | अर्ध्य, (न. ) के लिये जल । अर्घटम्, (न.) राख । अर्च, (क्रि.) पूजा करना (गु. ) चमकदार | अर्चा, ( श्री. ) प्रतिमा मूर्ति | चित्र । } अर्चि चतुर्वेदीकोष । ५५ श्रर्चि, (श्री.) आग की लपट | किरण | चमक | मित्, (पुं. ) सूर्य | अग्नि | अर्ज, (क्रि.) उपार्जन करना | कमाना । अर्जक ( पुं. ) वृक्षविशेष | बावुई वृक्ष जिस के सूतों से रस्सी बनती है | उपार्जन करने वाला एकत्र करने वाला । अर्जुन, ( पुं. ), वृक्षविशेष । राजा पाण्डु का तीसरा पुत्र | कार्त्तवीर्य राजा | तृण | ने रोग | मोर | चित्ता रङ्ग | नेत्र का एक रोग । व, ( पुं. ) समुद्र । छन्दविशेष | स, (न. ) जल | पानी | नीर | समुद्र । अर्तन, (न. ) निन्दा | तिरस्कार | जुगुप्सा | अर्ति, ( स्त्री. ) पीड़ा | धनुष की नोक या सिरा | कि, ( स्त्री. ) बड़ी बहिन । तुक, (गु. ) लड़ाकू | झगड़ालू | स्पर्धक । अर्थ (क्रि. ) माँगना । अर्थ, विषम नाम | धन | वस्तु | निवृत्ति | हटाव | प्रकार प्रयोजन | हेतु । अभिलाषा | उद्देश्य । अर्थदूषण, ( न. ) धन की चोरी | दुर्व्यसनामें जैसे जुआ वेश्यागमनादि में धन का व्यय करना । अर्थना, ( स्त्री. ) भिक्षा माँगना । प्रार्थना । बिनती। अर्थपति, (पुं ) राजा | कुबेर | प्रयोग, (पुं. ) वृद्धि के अर्थ धनप्रदान | सूद पर रुपये लगाना। अर्थवाद, (पुं. ) प्रशंस्य गुणों का कहना | प्रशंसा | अर्थव्ययश, (त्रि.) कौन कैसे कहां कितना धन किसके लिये व्यय करना उचित हैं इन बातों को जाननेवाला । अर्थशास्त्र, (न.) सम्पत्तिशास्त्र | धनसम्बन्धी नीति को बताने वाला शास्त्र | अभिचार अर्थात् मारण आदि कर्म का प्रतिपादन श्रई r करनेवाला शास्त्र | दण्डनीत । आन्वीक्षिकी । खेती की विद्या । अर्थागम, (पुं.) धन का आना। आय। आमदनी धनागम | अर्थान्तरन्यास, (पुं) प्रकृत अर्थ की सिद्धि के लिये अन्य अर्थ को लाना । अर्थालङ्कार का एक भेद । अर्धापत्ति, (स्त्री.) अनकहे अर्थ का समझना | मीमांसक इसे अनुमान से भिन्न बतलाते है और नैयायिक व्यतिरेक व्याप्त ज्ञान से उपजे हुए अनुमान ही को समझते है। अर्थात् - ( [अव्य. ) या । अथवा । वस्तुतः । अर्थिक, (पुं. ) सोये हुए बड़े धनी मनुष्यों को जगाने के लिये सुति करने वाला | वैता- लिक । भिक्षुक । भाट । भिखारी । मॅगता । अर्थिन्, (त्रि.) याचक । भिक्षुक | मँगता । भिखारी | सेवक । सहायक | धनी । वादी । धनरहित । अर्थ्य, (त्रि. ) न्याय्य | उचित | उचित रीति से कमाया । पण्डित । ई, (क्रि.) मारना । ईन, (क्रि.) पाड़ा पहुँचाना । मारना । कष्ट देना । अनिः, माँग | भिक्षा | बीमारी | अग्नि । , (पुं.) खण्ड टुकड़ा । आधा (स्त्री. ) कावेरी नदी । अर्थात् वह नदी जिसमें स्नानादि करने से गङ्गा की आधा फल हो । [ अर्द्धचन्द्र, (पुं. ) चन्द्रार्द्ध | अष्टमी का चाँद । चाँद के आकार के नख का घाव। गलहस्त । गरदनिया | सानुनासिक चिह्न ( ) ! श्रर्द्धनारीश्वर, (पुं. ) महादेव / शिव पार्वती की मूर्ति विशेष । हरगौरी रूप शिव । रावत, (पुं. ) जिसकी आधी देह कबूतर जैसी हो । चित्रकण्ठ | कपोत | तीतर | (पं.) आधीरात | अर्द्ध चतुर्वेदीकोप । ५६ (न.)धा देखना पूरा न देखना | 0 असन, (न. ) आधा आसन । आसन का आधा भाग । स्नेह अथवा प्रेमप्रकाशक । दय (पुं. ) माघ मास | अमावस तिथि | श्रवण नक्षत्र और व्यतीपात होने पर एक योगविशेष | श्रद्धरुक, (न.) पदों के नीचे तक शरीर को ढाकने वाला कपड़ा । श्रेष्ठ रमणियों के पहिनने का वस्त्र जो अभिया जैसा होता है । लहँगा । घाँघरा' | साड़ी । अर्पण, (फि. ) देना | भेंट करना। सौंपना | ति, (त्रि.) दिया गया। सौंपा हुआ । भेंट किया हुआ | • अर्पिस, (पुं. ) हृदय । हृदय का मांस । अ (क्रि.) मारना । एक ओर जाना । अर्बुद, (न. ) रोगविशेष दस करोड़ की संख्या (पुं. ) पर्वतविशेष जो भारतवर्ष के पश्चिम में है । अर्भक, (पुं.) बालक । मूर्ख । दुबला | लटा 6 निर्बल । अशक्त | थोड़ा । यथा -- 66 श्रुतस्य यायादयमन्तमर्भकः ” । अभंग, ( गु. ) युवा | जवान । ( इसका प्रयोग वैदिक साहित्य में होता है) । अर्म:, आँख का एक रोग । अर्मक, (गु.) सङ्कीर्ण । पतला | अण, तौलविशेष | द्रोण अर्थ, (त्रि.) स्वामी । सर्वोत्तम । प्रतिष्ठित । अनुरक्त । सत्य | मन् (पुं. ) सूर्य । पितरां के अधिपति | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की स्वामी देवता । अर्क नामक पौधा । द्वादश आदित्यों में से एक परम प्रिय मित्र । साथ खेलने वाला । म्य, सूर्य प्रायोपम मित्र । , (क्रि.) मारना । अम्, (न. ) राख | रखे । अल न्, (पुं) घोड़ा| इन्द्र | ( गु.) नीन्च | अयोग्य | अश, (गु. ) फुर्तीला । तेज | अर्वोच्, (व्य. ) पूर्व पर। निकट । पहिले । पीछे । समीप अर्वा, (गु. ) समीप । निकट अर्वाचीन, ( त्रि. ) प्रतिकूल | विरुद्ध । वर्तमान समय का उत्पन्न | नूतन | नया | अर्बुक, एक जाति के लोगों का नाम जिनके विषय में महाभारत में लिखा है कि सहदेव ने जीता था । अस्, (न. ) रोगविशेष | बवासीर । श्र- श्लील | चोट । अषण, (गु. ) जङ्गम | चलनेवाला । अर्ह, (गु.) योग्य | पूज्य | इन्द्र | ईश्वर | ) पूजा करना । ( (पुं. ) पूजा का साधन | पूज्य" | बुद्ध । (पुं.) बौद्धों में सब से उच्च पद | जैनियों के एक पूज्य देवता । अल् (क्रि.) सजाना | योग्य होना । रोकना। i अलम् (श्रव्य. ) भूषण । पर्याप्ति | वारण | निवारण | शक्लि । अलक, (पुं. ) कुन्तल । घुँघराले बाल | उन्मत्त कुत्ता । अलका, ( स्त्री. ) चाट से लेकर दस वर्ष की अवस्था वाली लड़की । कुबेर की राजधानी का नाम । श्रलकम्, व्यर्थ । निरर्थक | अल, (पुं.) लाक्षारस लाख का रह वृक्ष का रस विशेष । अलक्षण, (त्रि.) जिसका अनुमान न हो सके अच्छे चिह्न से शून्य । अलङ्कार, (पं.) भूषण | साहित्य शोख का एक श्रङ्ग । काव्य के गुण दोष को बतलाने वाला शास्त्र | गहना | } . लं चतुर्वेदीकोण | ५७ श्रलंबुषः, (पुं.) वमन, घर्दि, हथेली, रावण का मंत्री प्रहस्त । एक राक्षस जिसे घटोत्कच ने मारा था । अलंबुसा, एक देश का नाम । अलर्क, (पुं.) पागल कुत्ता । श्वेतार्क । एक राजा का नाम । अलपसू, ( सं . ) गुण श्रलवालं, (सं.) पेड़ की जड़ का खोडुआ जिसमें जल भरा जाता है। कालस्, (गु.) चमकरहित । मन्दा । अलस, (त्रि. ) निरुद्योग | सुस्त । ( स्त्री. ) हंसपदी लता । ( पुं.) सुस्त | पैर का रोग | अलाण्डुः, ( सं . ) एक विषैले कथा जन्तु का नाम । अलात, (पु. न. ) अधजली लकड़ी हार | कोयला । लावु वू, ( स्त्री. ) तुम्बी कद्र लता विशेष | अलार, (सं.) द्वार | अलास, ( पुं. ) जिह्वा के नीचे की सूजन या फुड़िया | रोगविशेष | अलि, ( पुं. ) भ्रमर | कौवा । कोइल | मदिरा | बिच्छू । अलिन्, ( पुं. ) बिच्छू । अलिक, (न. ) मत्था । झूठ । भाषा में श्र लिक की जगह " अलीक 35 शब्द का प्रयोग होता है। अलिक्लव:, (पुं. ) एक प्रकार का पक्षी । अलिगर्द:, (पुं.) एक प्रकार का सौंप | अलिञ्जरः, ( पुं. ) पानी का घड़ा । अलिन, ( गु. ) तपोभिरति वृद्ध । श्रलिन्द, (पुं. ) घर के द्वार के सामने का चबूतरा । अलिपकः, (पुं. ) कोइल | शहद की मक्खी । कुत्ता । अलीक, (गु. ) अप्रसन्नकर | अरुचिकर | मिथ्या | " अलीगर्द, (पुं. ) एक प्रकार का सर्प । अलु (पुं. ) छोटा पानी का बरतन । अलूक्ष, (गु.) कोमल नम्र अलौकिक, (त्रि. ) जिसे लोग न देख सकते हों। जिसका इस संसार से सम्बन्ध न हो । लोक से बाहिर । चमत्कारी । आश्चर्ययुत | अल्कः, (पुं. ) एक वृक्ष | शरीर का एक अङ्ग | अल्प, (त्रि.) थोड़ा । जरासा | श्रल्ला ( स्त्री. ) माता | माँ | देवी । अवू, (क्रि. ) बचाना । जाना। चाहना । तृप्त होना | सुनना | फैलना । मिलना । माँगुना | प्रवेश करना | होना । बढ़ना । लेना । मारना । करना । वकर (पुं. ) भाड़ से उड़ती हुई गर्द अथवा धूलि । अवका, (सं.) शैवाल । सिवार । अवकाश, (पुं. ) भीतर का स्थान | अवसर | फुरसत । अवकीर्ण, (त्रि. ) फैलाया हुआ। पीसा हुआ । विक्षिप्त । श्रवकीर्शिन्, (त्रि. ) धर्मभ्रष्ट। अपने धर्म से च्युत । अवक्षेप, (पुं.) निन्द्रा | अवगणित, (त्रि.) तिरस्कृत | सम्मानित किया हुआ । जिसकी कुछ गिनती न हो । श्रवगत, (त्रि.) ज्ञात | जाना हुआ। नीचे गया | श्रवगाद, ( सं . ) काठ का बना एक छोटा बरतन जिससे नाव का पानी उलीचा जाता है | श्रवगाढ, (त्रि. ) नहाया हुश्रा | गाढ़ा | श्रवगाह, ( पुं. ) स्नान । स्नानगृह | नहाना नहाने का कमरा । गीत (त्रि. ) दुष्ट । कलङ्कित | निन्द्य | ( सं . ) जनापवाद । निन्द्रा । अभिशाप | अवगुण्ठ, (गु.) ढका हुआ । ( सं. ) कफ़न । मुर्दा लपेटने का कपड़ा। शव- परिधान | श्रव चतुर्वेदीकोण ५८ अवगुण्डित (गु.) पिसा हुथा | अवगुम्फित (गु.) घुना हुआ गुर (कि. ) भमकाना | मारने को अन्य ! उठाना । श्रवगुण, (पुं. ) दोप अवगुण्ठन, (क्रि. ) घूँघट निकालना मुंह ढापना । (सं.) घूँट | (पुं) का रुकना बाधा रोक | स्वभावादन | अवघट्ट (फि. ) ढकेलना या बहार कर हटाना चीरना काटना । शब्द | अवच्चुरित, (गु.) मिला हुआ । मिश्रित। अवजि, (कि. ) बिगाड़ना। जीतना । जीन कर ले लेना - " अवजित्य च तद्धनम् " | श्रवजितिः, ( भं. ) जय विजय | (सं.) धिनका दफावा ( श्री. ) अनादर । अघट-टी, (पु.) गर्त | गढ़ा कुहकजीवी । बाजीगर इन्द्रजाल से जीविका करने हारा | वट, (ii. ) अननता नासिका। चपटी नाक वाला | व, (सं.) पृथिवी का छेद | कृप | गरदन का पिछला भाग एक प्रकार का वृक्ष | अडङ्ग-कः, ( सं . ) बाजार हाट | श्रवडीनं, ( सं . ) चित्रियों का उडान | नीचे की ओर उड़ना । गुहा | चफी गधारी | अवघात (पु.) मृत्यू भान आदि का कूटना | श्रवच, (गु. ) नीचे का । य, (पुं. ) फल अथवा पूर्व का तोड़ना । श्रवचनीय, (गु. ) न कहने योग्य अश्लील अथवा अनुचित | अवचि, (क्रि. ) पूजा करना । सम्मान करना । श्रवचूड, ( सं . ) शगों पर बधा हुया वस्त्र । अचचूलक, (न. ) मयूरचामर । चवंर || चौरी । मोरछल । श्रवच्छद् (क्रि. ) ढाँकना । विद्याना छिपाना । अन्धकार में डाल देना । श्रवच्छदः, ( पुं. ) खोल | गिलाफ | 1 ढकन । अवच्छिद् (क्रि. ) काटना । पृथक् करना | टुकड़े टुकड़े करना । पहचानना । परि- भाषा करना। सीमाबद्ध करना | काटना । बाधा डालना । अवच्छिन्न (त्रि. ) सङ्कुचित | सिकुड़ा हुआ । मिला हुआ । विशिष्ट । न्याय शास्त्र में " अवच्छेदकतानिरूपक " उसे ! श्रव i कहते हैं जिससे किसी वस्तु में उसके विशेष गुणों के कारण अन्य समस्त तुर्थी से भेद प्रकाश किया जाय कटा हुआ | पृथक् किया हुआ । वच्छेदक, (त्रि.) काटने वाला । विशेषण । श्रीरों से पृथक् करने बाला गुण | रूप | अवतः, (पुं.) एक कुआ । हौज । कुण्ड । अवतंस, (पुं. न. ) कान का भूषण | पुकुट | ताज । श्रवतमस, ( न. ) घन अन्धकार । अवतरणम्, (न. ) पानी में स्नान के लिये धसना | 1 अवतरणिका, ( श्री. ) ग्रन्थारम्भ में संक्षिप्त | उपोद्घात | भूमिका | अवतरणी, (सं.) देखो श्रवतरणिका | अवतार, (पुं.) पार होना । भगवान् का शरीर भारण करना अवतार कहलाता है। अवतीर्ण, (कि उतरा हुआ । श्रवदात, (पुं. ) सफेद | पीला | सुन्दर | चितरङ्गा | श्रवदान, (न. ) देवता को बलिदान । टुकणे टुकड़े करना अच्छा काम । श्रव चतुर्वेदीकोष । ५६ , . अवदारण, (न. ) कुदाल दोहः, (पुं. ) दुहना । दूध श्रवद्य, (र.) निन्दा के योग्य | दोषपूर्ण । अवधान, (न. ) मनोयोग | अवधारण, (न. ) निश्चयकरण । पक्का- इत करना । अवधि:, ( पुं. ) सीमा । हृद| काल । गर्त । अवसान अन्त अवधूत, (त्रि. ) त्याग किया। त्यक्त । तिरस्कार किया हुआ । वर्णाश्रम धर्म को त्यागने वाला । संन्यासी । अवन, ( नं. ) श्रीणन | दमदिलासा | रक्षण | प्रीति । • अवनत, (त्रि. नम्र | झुका हुआ । अवनद्ध, (त्रि.) बँधा हुआ | मृदङ्गादि बाजा | ( न. ) कपड़े और गहनों का पहनना । अवनि-नी, (स्त्री.) भूमि | धरती । पृथिवी । अवन्तिका, (स्त्री.) उज्जैन | मालवा प्रान्त की राजधानी । अवपात, ( पुं. ) बिल । ( ) नीचे गिरना । अवत, (त्रि.) चारों ओर से सींचा गया । श्रवभास, (पुं. ) प्रकाश । मायक | अवभिद्, (क्रि. ) तोड़ डालना । हिला डालना । श्रवभुज (क्रि.) झुका देना। टेढ़ा कर डालना । अवभृथ, (पुं.) प्रधान यज्ञ की न्यूनाधिक शान्ति के लिये कर्त्तव्य होम | यज्ञान्त स्नान । अवभ्रः, (पुं. ) उड़ान | लोपकरण । अवभ, (गु.) पापी। दुष्ट । नीच । अवमत, (त्रि.) सम्मानित किया हुआ | अवमई, (पुं.) पीड़न । कष्ट । श्रवमृश, (क्रि. ) विचारना । सोचना | अवमर्श (क्रि. ) छूना | विचारना । श्रव प्रायश्चित्त करना। भगाना दूर करना । अवयवः, (पुं. ) शरीर का एक अङ्ग । एक टुकड़ा एक भाग अवया (कि. ) नीचे जाना । हट जाना । मुड़ जाना। जानना। समझना। रोकना । हटाना | अवर, (त्रि. ) छोटी । चरम । अन्तिम । नीच । ( पुं.) पिछले देश व समय में होने वाला । ( न. ) हाथी की जा का पिछला भाग । पिछला ( समय व देश का ) अवरत, ( स्त्री. ) ठहरना । विराम | अन्त | हटना | अवरहस, (गु.) बियाबान । निर्जन | वीरान | वरुण, ( . ) टूटा | फटा । रोगी | बीमार | अवरुद्ध, (त्रि. ) रुका हुआ । आच्छादित । ढाँका हुआ | बाँधा हुआ । (स्त्री.) अन्तः- पुर में रहने वाली दासी रानी । रू, (त्रि.) । उतरा हुआ | अपने स्थान से उठा '. अवरोध, (पुं. ) निरोध | रोक | रनिवास | (स्त्री.) रानी । अवरोपित, (त्रि.) उत्पाटित । उखाड़ा हुआ । अवरोह (पुं. ) अवतरण । उतरना । रोह चढ़ना। लता जो वृक्ष की जड़ से ऊपर को चिपटती है । स्वर्ग | श्रवलक्ष, (त्रि. ) सफ़ेद रङ्ग | चित्ता रङ्ग । मूर्ख । इसी अर्थ में वलक्ष १. भी आता है। 66 १३ अवलग्न, (पुं.) देह का मध्यभाग | कम ( त्रि. ) लगा हुआ | अवलम्ब (पुं.) श्राश्रय शरण पकड़ने का साधन । दण्ड श्रादि । अवलिप, (क्रि. ) तेल लगाना | चिकनाना | अवलिप्त, (त्रि.) घमण्डी का क्रोधी । । चतुर्वेदीकोष । ६० भक्षित | अली, (त्रि.) खाया हुआ । चाटा हुआ । चरखा हुआ। अवलीला, (स्त्री.) अनायास | अनादर | खेल | आसानी | वलेप, (न. ) | लेपन | दूषण | • सम्बन्ध | अवलेपन, (न. ) मलना राङ्कल्प | चन्दन श्रादि । अवलेह, (पुं. ) जीभ से चाटना चटनी | रस | अवलोकन, (न. ) दर्शन | देखना | ढूंढ़ना | लोक नेत्र | 2 श्रवल्गुली, ( सं . ) एक विपैला कीड़ा | अवश, (त्रि.) पराधीन। परवश | बेवस | कामादि से पराधीन । अवशिष्ट, (त्रि. ) अतिरिक्त | भिन्न | पृथक् । परिशिष्ट । शेष अधिक अवश्य, (थव्य. ) सर्वथा | ज़रूर । अवश्याय (पुं. ) शिशिर | पाला | धुन्द | अभिमान | ·.· . श्रवकणी (स्त्री.) गौ जो बहुत दिनों बाद व्याती है। अवष्टब्ध, (त्रि. ) समीप निकट घिरा हुआ। रुका हुआ। बँधा हुआ। अवष्टम्भू (क्रि.) सहारा लेना रोकना । ( पुं० ) सोना । खम्भा | प्रारम्भ अवस्, (सं.) साहाय्य | रक्षा | यश | कीर्त्ति । भोजन | धन | गमन । सन्तोष | इच्छा | सङ्कल्प । अभिलाषा अवसथ, (पुं.) निलय घर | कुटिया ग्राम | अवसर, (पुं.) प्रस्ताव | प्रसङ्ग । मौका | अवसर्प, ( पुं. ) दूत । राजप्रतिनिधि | एलची | श्रवसव्य (गु.) अपसव्य । बायाँ नहीं । अवसृज, (कि. ) फेकना । डालना । खो- लना। ढीला करना | भेजना | बनाना | रखना होइना | त्यागना | f श्रवि अवसाद (पुं.) अवनाश | विषाद अवसान, (न. ) विराम | समाप्ति । अन्त । सीमा मृत्यु | अवसित, (त्रि.) समाप्त । ज्ञात । जाना गया। अवस्कन्द, (पुं. ) शिविर | छावनी । आक्रमण | अवस्कन्दन, ( न. तोड़ना । छीनना । जाना उतरना । अवस्कर, (पुं. ) बुहारी से उड़े हुए कङ्कर मही श्रादि । विष्टा गू। गुह्य लिङ्ग | अवस्व (गु. ) बिषैला | हानिकारक | श्रवस्तार ( पुं. ) जवनिका | परदा | क्रमात | दरी अवस्था (स्त्री. ) दशा । श्रायु । स्थान, (न.) स्थित रहायश | स्थान | अवस्यन्दन, (न. ) मारना। हिंसा करना । श्रवसन, (न.) अधःपतन | नाँचे गिरना | अवहेल, (न. स्त्री.) अनादर | असम्मान | श्रवाशिरस, (त्रि.) अधोमुख नीचामुख । अवाङ्मुख, (त्रि.) अधोमुख । अवाच्, (त्रि. ) नीचे की ओर छोटा देश ( स्त्री..) दक्षिण दिशा | गूँगा पिछला समय । श्रवाच्य, ( न. ) न कहने योग्य | श्रवान्, (क्रि. ) सांस लेना । श्रवान, ) सूखा । अवान्तर, (त्रि. ) भीतरी | बीच का सम्मि लित । अधीन। अतिरिक्त । श्रवारपार, (पुं.) दोनों तटवाला। महोदधि | समुद्र । श्रवारपारीण, (त्रि.) दूसरे पार जाने वाला। अवासस्, (त्रि. ) नङ्गा । (सी.) रजस्वला बुद्ध का नाम । r अवि, (पुं.) सूर्य | बकरा । पर्वत । स्वामी । पति । कम्बल । दुशाला (मो.) रजस्वला स्त्री भेड़ ● श्राव चतुर्वेदीकोष । ६१ विकल, (गु. ) नितान्त । सम्पूर्ण ज्यों । कात्यो । अविश, (गु. ) न जानने वाला । अशिक्षित । अवितथ, (न.) सत्य | सच्चा वित्त, (गु. ) अप्रसिद्ध । अज्ञात | निर्धन | श्रविदित, (गु. ) शीत । विद्या (स्त्री.) विद्या का अभाव । अज्ञान जो कार का कारण है। माया । अविनाभाव, ( पुं. ) जो विना व्यापक अर्थात् कारण के न रहसके । व्याप्ति । अविरत, (त्रि. ) विराम | शून्य । लगातार | अविरल, (त्रि.) मिला हुआ । घन | निविड । सघन । विवेक, (पुं. ) अज्ञानता | अविस्पष्ट, ( न. ) जो स्पष्ट अर्थात् साफ साफ़ न हो । श्रवीचि, (पुं. ) नरकविशेष | वीर, (त्रि.) पतिपुत्ररहित । बलहीन । अवेक्षण, (न.) देखना | मन लगाना | विचारना | अव्यक्त, (पुं. ) विष्णु । मूर्ख । प्रधान । श्रात्मा शरीर । कामदेव । शिव । परमारमा | सूक्ष्म अशो 7 श्रव्यर्थ, ( गु. ) जो व्यर्थ न जाय । अचूक । लाभकर । प्रभावोत्पादकं । श्रव्यवस्था, ( स्त्री. ) श्रविधि | नियम के विरुद्ध व्यवस्था “किमव्यवस्थां चलि- तोsपि केशवः । ११ श्रव्यक्करा, (पुं. ) थोड़ा लाल । अरुणवर्णं । अव्यञ्जन, ( पुं. ) विना सींग का पशु । शुभ लक्षणशून्य चिह्नरहित । अव्यथ, (पुं. ) साँप | पीड़ारहित । • अव्यथिन्, (पुं. ) घोड़ा । जो बहुत चलने पर भी व्यथित न हो। अव्यभिचारिन्, (त्रि. ) कैसा भी प्रतिकूल कारण क्यों न हो पर जो हटे नहीं। न हटने वाला । न रुकने वाला । न्यायमतानु- सार। शुद्ध हेतु अव्यय, ( पुं. ) सब विभक्तियों थौर वचनों में एकसा रहने वाला। शिव । विष्णु । आदि अन्त रहित । विकारशून्य । अव्ययीभाष, (पुं.) व्याकरण का एक समास विशेष । अव्यवस्थित, (गु. ) जो व्यवस्थित न हो । चञ्चल । अस्विर । जो नियमानुकूल न चलता हो । अव्यवहार्य, (त्रि. ) जो व्यवहार करने योग्य न हो । जो अपने धर्म से गिर गया हो । 7 अव्यवहित, (त्रि.) साथ | लगा हुआ | अव्याकृत, (त्रि.) वेदान्त मत में बीजरूप जगत् का कारण अर्थात् अज्ञान | साङ्ख्य में प्रधान । अव्याप्यवृत्ति, (त्रि.) जो अपने आश्रम में न हो । , (क्रि. ) भीतर घुसना | व्याप्त होना । पहुँचना । पाना अनुभव करना । खाना । अन, (पुं.) पीला साल वृक्ष । पौधा । व्याप्ति | फैलना | भोजन ( न. ) अन्न | श्रशनाया, ( स्त्री. ) अतिलोभ के वशवर्ती हो जो खोना चाह्रै । अशनायित, (त्रि.) भूखा | क्षुधातुर । अशनि, ( पुं. ) वज्र । बिजली । अशास्त्र, (न. ) नास्तिक दर्शन | अशित, (त्रि.) खाया हुआ । भक्षित | अशितङ्गवीन, (त्रि. ) गौओं के चरने का स्थान | अशितम्भव, (त्रि.) अन्न | खाने के पदार्थ | जिनसे तृप्ति हो । अशिश्वी (स्त्री.) सन्तानहीन स्त्री | अशीति, ( स्त्री. ) अस्सी की सख्या=८० | अशुभ, (न. ) अमङ्गल । अशेष (त्रि.) अन्तरहित । शेषहीन | सम्पूर्ण । अशोक, (पुं. ) अशोक वृक्ष | श चतुर्वेदकोष । ६२ बकुल वृक्ष पारा कडकवृक्ष । एक राजा का नाम । ( स्त्री. ) शांकरहित । अशोच्य, (न.) जो शांक करने योग्य न हो । अशीच ( न.) शुद्ध | शुचिरहित | सूतक | अश्म, (सं.) पहाड़ | बादल | पत्थर | मगर्भ, ( पुं. ) मरकतमणि । पन्ना । अश्मन (पुं.) पाषाण फोड़ने वाला वृक्ष । अश्मन्, (पुं. ) पर्वत । मेध | पत्थर । ( न. ) लोहा । अश्मन्तक, ( पुं. न. ) । एक प्रकार का तृण विशेष | अम्लोट नामक वृक्ष | अश्मभाल, (न. ) लोहे का इमामदस्ता | खल और लोदा | लगातार | अश्रिी श्री (स्त्री.) का प्रभाग | अप अश्वबाल, (पुं.) घोड़े के केश | अश्वमुख, (पुं.) किन्नर देवता विशेष । अश्वमेध, (पुं. ) यज्ञ जिसमें घोड़े का बलि- दान किया जाता है I अश्मरी ( स्त्री. ) पथरी का रोग | अश्मरीघ्र (पुं. ) वरुण वृक्ष पथरी रोग अश्वरोधक (पुं. ) करवीर वृक्ष घोड़े को रोकने वाला । को हटाने वाला । अश्मसार, (पुं. न. ) लोहा । अथ या स्त्र, (न. ) नेत्रजल | आँसू | लोहू | अथान्त, (त्रि. ) सन्तत | सदैन । निरन्तर | श्ववार, (पुं. ) घोड़े को रोकने अथवा स्वीकार करने वाला घुड़सवार । चाबुक सवार । धार | श्रीहीन | शोभारहित । अधु-स्रु, ( पुं. ) आँसू अश्रुत, (त्रि.) धनसुना । अश्लील, (न.) लजाने वाली गँवारू बोली | घृणा । गाली गलौज | अपशब्द | अश्लेषा (स्त्री. ) एक नक्षत्र का नाम । यह नवां नक्षत्र है। अनमिल | अश्लोन, ( गु. ) जो लङ्गड़ा न हो । अश्व, (पुं. ) घोड़ा । तुरङ्ग । घोटक । अश्वकर्ण, (पुं. ) सालवृक्ष । घोड़े का कान अथवा जिसका कान घोड़े के कान जैसा हो । अश्वखरज, (पुं.) खच्चर । श्वर, (पुं) अपराजिता लता । अश्वन, (पुं. ) करवीर का पेड़ | इसे यदि घोड़ा खाय तो वह मर जाय। कनैल । c अश्चतर (पुं. ) टुआ। छोटा घोड़ा | ख्रश्चर। इस नाम का एक नाग भी हो गया । अश्वत्थः, (पुं. ) पीपल गर्धभाण्डक वृक्ष । अश्वत्थामन् (पुं.) द्रोणाचार्य का पुत्र यह भी बड़ा वीर था और इसने भी युद्ध में बड़ी वीरता दिखलाई थी। अश्वपाल (पुं. ) सास का पालने वाला । श्वन (त्रि.) एक दिन के निर्वाह के लिये अन्नादि । वाभिधानी, ( श्री. ) जिससे घोड़ा पकड़ा जाय | घोड़ा बाँधने की रस्सी घोड़े की धागे पिछाड़ी की रस्सी अश्वार, (पं.) महिष | भैंसा | घोडेका शत्रु | अश्वारोह (पु.) घुड़सवार। (श्वगन्धा ) | अश्विन्, (पुं. ) जिनके घोड़े हो | स्वर्गवासी | वैद्य | अश्विनीकुमार । अश्विनीकुमार, (पुं. ) सूर्य घोड़ी रूपिणी स्त्री सूर्य से उत्पन्न हुए यमज पुत्रों का नाम अश्विनीकुमार है। अश्वोरस, (न.) अच्छा घोड़ा । व्, (कि.) चमकना । लेना जाना । हिलना । अषक्षीण, (त्रि.) छः आँखों से नहीं देखा गया अथवा केवल दो ही पुरुषों की मन्त्रणा या विचार | अषा चतुर्वेदीकोष । ६३ अषाढ़, (पुं. ) वर्षाऋतु का प्रथम मास । अषा-शा-ढ़ा·ड़ा, ( स्त्री. ) पूर्वाषाढ़ और उत्तराषाद दोनों नक्षत्र | मास विशेष | अष्टक, ( न. ) पाणिनिरचित अष्टाध्यायी व्याकरण सम्बन्धी ग्रन्थ । आठ अध्यायों का ऋग्वेद का प्रत्येक भाग । ऋग्वेद में ऐसे आठ भाग हैं । अष्टक (स्त्री. ) वौष । माघ और फाल्गुन की कृष्णाष्टमी | अष्टन्, (त्रि.) आठ सङ्ख्या | श्रष्टधा, (श्रव्य.) आठ प्रकार से । अष्टधातु ( न. ) आठ धातुवें; अर्थात् १ सोना । २ चाँदी | ३ ताँबा | ४ पीतल | ५ काँसा । ६ जस्ता । ७ राँगा और ८ लोहा | अष्टपाद, (पुं.) आठ पैर वाला । मृगविशेष | मकड़ी का जाला । शरभ अष्टमङ्गल, (पुं.) आठ माङ्गलिक द्रव्यों का समूह | अर्थात् १ ब्राह्मण । २ गौ । ३ अग्नि | ४ सोना । ५ घी । ६ सूर्य । ७ जल । ८ राजा | मतान्तरे- सिंह | बैल | हाथी कलसा पंखा । माला | नगाड़ा और दीपक शुभ घोड़ा जिसके आठ अङ्ग सफेद हों - अर्थात् चारों खुर। छाती पूंछ । मुख और पीठ | 2 . अष्टमान, (न. ) तौलविशेष । श्राठ मुट्ठी भर । बत्तीस तोले भर । अष्टमी (स्त्री. ) श्राठों को पूर्ण करने वाली । पन्द्रह कलावाले चन्द्रमा की आठवीं कला की क्रिया | तिथि ठें । अष्टमूर्त्ति, ( पुं.) पृथिवी आदि ठ मूर्ति वाले शित्र | अष्टलौक, (न. ) आठ धातुओं का समुदाय | श्रष्टाकपाल (पुं.) ठमट्टी के पात्रों में शुद्ध किया गया चरु । इसी चरु के द्वारा यज्ञ किया जाता है । यज्ञ । सरयूपारी ब्राह्मणों का एक भेद | अङ्ग (पुं.) अङ्गाला | योगविशेष | अस यम नियम । श्रासन | प्राणायाम । प्रत्या- हार | ध्यान धारणा और समाधि- योग के श्रृङ्ग हैं। जानु । पैर हाथ । छाती | बुद्धि । शिर | वचन और दृष्टि से किया गया प्रणाम जल दूध कुशाम दही । घी । चाँवल । जौ और सिद्धार्थक से बनाया हुआ पूजन का अर्ध । अष्टादशन्, (त्रि. ) अठारह । अठारहवां । अष्टादशाङ्ग, (पुं. ) अठारहवाला | अष्टादश · पुराण, ( पुं. ) अठारह पुराण | अर्थात् १ ब्राह्म । २ १ | ३ विष्णु । ४ शिव । ५ भागवत । ६ नारदीय | ७ मार्कण्डेय | ८ अग्नि । ६ भविष्य । १० ब्रह्मवैवर्त्त । ११ लिङ्ग । १२ वा राह । १३ स्कन्द 1 १४ वामन । १५ कौर्म । १६ मत्स्य । १७ गारुड | १८ ब्रह्माण्ड । अष्टावक्र, ( पुं. ) एक प्रसिद्ध पौराणिक ऋषि जो कहांड़ के पुत्र थे । अष्टिः, (स्त्री.) खेलने का पांसा | एक वर्णिक छन्द जिसमें चौंसठ वर्ण हों । सोलह । बीज । अष्टा, ( सं . ) गोरू हाँकने की कौलदार छड़ी। चाबुक रथ के पहिये का एक भाग | अष्ठिः, ( स्त्री. ) पत्थर | बीज । गरी। गूदा | अष्ठील।, (स्त्री.) गोल पत्थर । एक प्रकारकी बीमारी- जिसमें नाभि के नीचे गोलाकार सूजन हो जाती है । मूत्रसम्बन्धी रोग । चोट का नीला चिह्न । बीज श्रष्ठलिका, (स्त्री.) एक प्रकार की फुड़िया | कंकड़ी । अस्, (क्रि. ) लेना और जाना । होना । संस्कृत (त्रि. ) गर्भाधान संस्कारों से रहित । व्याकरण के संस्कार से शून्य । अपशब्द । बिगड़ा हुआ शब्द | असकृत् (अन्य ) बार बार | अस चतुर्वेदीकोप । ६४ असल, (त्रि. ) फलाभिलाप से रहित । जो किसी में सक्त न हो । असङ्कुल, (त्रि.) जो परस्पर विरुद्ध न हो । आमादि का प्रशस्त मार्ग । चौदा मार्ग | असङ्क्रान्त, (पुं. ) जिस चान्द्र मास में सूर्य्य दूसरी राशि पर नहीं जाता । मलमास । लोंद का महीना | असङ्ख्य (त्रि. ) जिसकी गिनती न हो सके। अनन्त संख्यावाला । असङ्ग, (पुं. ) परमात्मा । महादेव । पुत्र | • धन । लौभवासनात्यक्क्ष वैराग्य सङ्ग- विवर्जित | असङ्गत, नि. ) जो किसी से मिला जुला न हो । आयुक्त । विरुद्ध अनुचित | गंवार । अशिष्ट । असङ्गति, ( सी. ) सङ्गतिविहीन | मेल का न होना । असत्, (त्रि. ) त्रसाधु । विश्वास छोड़ कर किया हुआ होमानुठानादि । व्यभिचा- रिणी स्त्री जिसका अस्तित्व न हो। मिथ्या | नुचित | शुद्ध | अवैष्णव । सद्ग्रह; (पुं. ) न होने वाले काम में हठ । बालहठ । दुष्टग्रह । असभ्य, (त्रि. ) जो सभ्य अर्थात् शिक्षित तथा शिष्ट न हो । जो किसी सभा में बैठने की योग्यता न रखता हो। खल । क्षुद्र | नीच | बर्चर | असमञ्जस, (न. ) जो युक्तियुक्त न हो । जो ठीक न हो । अस्त । अनुचित । जो बोधगम्य न हो । वाहियात | असमय:, (पुं. ) दुष्ट काल । अप्राप्त काल । कुअवसर । विपरीतकाल प्रतिकूल समय । असमर्थ, (गु.) यशक्त । निर्मल । दुर्बल | असमवायिन् (गु.) जो सम्बन्धयुक्त श्र थवा परम्परागत न हो । आकस्मिक पृथक् होने योग्य | असा असमाति, गु. ) बेजोड़ । समानता र हित समान | असमाप्त (गु. ) सम्पूर्ण अपूर्ण जो पूरा न किया गया हो। जो अधूरा छोड़ दिया गया हो। असमावृत्तः - कः, (पुं. ) ब्रह्मचारी जिसका विद्याध्ययन काल पूर्ण नहीं हुआ है । असमाहार, (गु.) अनामिल । जो मिला हुआ नहीं है । समीक्ष्य, विना विचारा हुआ| असमीक्ष्य कारिन्, (त्रि.) विना विचारे काम करने वाला । मूर्ख | असम्प्रज्ञात, (गु.) यच्छे प्रकार न देखा हुआ या पहचाना हुआ एक की समाधि | निर्विकल्प समाधि | असम्बद्ध, (गु. ) जो परस्पर सम्बन्ध युक्त न हो। बेमेल । जो अर्थ को न बतलाता हो । सम्बन्ध रहित वाक्य | सम्बा, ( . ) जो सङ्कीर्ण न हो। प्रशस्त लोगों की भीड़ भाड़ से रहित । एकान्त । खुलाहा। पीड़ारहित । श्रसम्भव, ( गु. ) जो सम्भव न हो । जो न हो सके । [सम्मत (गु.) अनभिमत "प्रतिकूल | असहनः, (पुं.) शत्रु । (न.) क्षमाशय । न सड़ने वाला । असहाय, ( गु. ) सहायक रहित । जिसका कोई मित्र न हो । साधारण, ( रा. ) जो साधारण न हो । अपूर्व | विलक्षण न्याय में सपक्ष धीर विपक्ष | दोनों में न रहनेवाला इष्ट हेतु । असाधु, ( रा. ) बुरा । जो साधु न हो । असञ्चरित्र अपभ्रंश । श्रशुद्ध | असाध्य, (गु..) जो साध्य न हो। जिस पर वश न चले। सिद्ध न होने योग्य | असामयिक, (गु.) समय का बेअवसर का । . चतुर्वेदीकोष । ६५ सा असामान्य, (त्रि.) असाधारण । विलक्षण । साम्प्रतम् (य. ) अयुक्त | अनुचित | कालान्तर | असार, (त्रि.) सारहीन । रेंडी का रूख । असि, ( पुं. ) खड्ड - तलवार | असिक, (सं.) नीचे के होठ और ठोड़ी के बीच का भागे । सिक्की (स्त्री) अन्तःपुरचारिणी दासी | रात । पञ्जाब की एक नदी का नाम । असिगण्ड, (पुं.) जहां कपोल रखा जाय । गाल का सिहाना | असित, (त्रि.) काला । ( सं . ) शनिग्रह | कृष्णपक्ष । मुनि विशेष । 'श्रसिद्ध, ( स्त्री. ) असम्पूर्ण | असमाप्त | फल- विवर्जित । न्याय शास्त्र में आश्रमसिद्धि प्रभृति हेतु के तीन दोष । सिर, ( सं . ) किरन । तीर । चटखनी । असिधेनुका, ( स्त्री. ) छुरी । पत्रक, (पुं. ) इक्षु । गन्ना | तलवार की म्यान एक नरक का नाम । असि, (पुं. ) खड्ग | तलवार , असी (स्त्री.) एक नदी का नाम । असु, ( पु. ) स्वांस । आध्यात्मिक जीवन । जल । गर्मी | प्राणादि पाँच वायु । असुख, (न.) दुःख । असुधारण, (न. ) जीवन । सुर, (पुं. ) सूर्य | सूरज | देवों के विरोधी दैत्य | रात । असुररिपुः, (पुं.) विष्णु । असूयक, (त्रि. ) गुणों में दोष बतलाने वाला । असूया, ( स्त्री. ) गुणों में दोष लगाना | ईर्ष्या। दूसरों को सुख, में देख कर जलना । सूर्यम्पश्या, (स्त्री.) राजप्रासाद की स्त्रियां । रनवासे की नारियां, जिन्हें सूरज तक के दर्शन मिलने दुष्कर हैं । असृज्, (न. ) जिसे गाड़ियां इधर उधर अस्नि फेंकती हैं अर्थात् रक्त | लोहू । कुकुम । केसर । मङ्गल ग्रह । सत्ताइस योगों में से सोलहवां योग । असेचनक, (त्रि. ) अन्तप्रिय | जिसे देखते देखते मन न भरे । अस्खलित, ( त्रि. ) स्थिर | जो न हिले । दृढ़ | स्थायी । स्त (पुं. ) पश्चिमाचल | अस्ताचल | (गु. ) फेंका गया | समाप्त हुआ । ( त्रि. ) मृत्यु | लग्न का सातवां स्थान | अस्तम्, ( श्रव्य. ) अन्तर्द्धान | छिप जाना । नष्ट होना । अस्तमन, ( न. ) सूर्य आदि का न दीखना | श्रस्ताघ, (त्रि.) बहुत गहरा | अस्ताचल, (पुं.) पश्चिमाचल | वह पर्वत जिस पर सूर्य अस्त होते हैं । अस्ति, (श्रव्य. ) है । स्थिति | विद्यमानता | रहना । अस्तु, (अव्य. ) अनुज्ञा । ऐसा हो | ऐसा ही सही । पीड़ा | असूया | कीर्ति । अस्त्यान, (न. ) भर्त्सन करना । दोषी ठह- राना । (त्रि.) एकत्र न हुआ। अस्त्र, (न.) फेंकने योग्य बाण आदि हथियार अस्त्र + आगार, (न.) रखने का स्थान अस्त्रभाण्डार । अस्त्र चिकित्सा, (स्त्री. ) जराही । अस्त्र - विद्या - शास्त्र, (स्त्री.न.) अस्त्र चलाने की विद्या | अस्त्रिन, (त्रि. ) धनुष उठाने वाला । किसी प्रकार का अस्त्र उठाने वाला । अस्थि, ( न. ) हड्डी । हाड़ । अस्थिधन्वन्, ( पुं. ) शिव | महादेव | अस्थिपञ्जर ( पुं. ) हड्डियों का पिञ्जर | ठठरी | अस्थिमालिन, (पुं. ) शिव | महादेव | अविर, (त्रि.) शिरा रहित । बे नस वाला । अस्निग्ध) ( पुं.) रुखा । जो चिकना न हो । 1 अस्म चतुदोष । ६६ अस्मद् ( सर्व. ). आत्मवांची सर्वनाम अर्थात् मैं | हम | देहाभिमानी जीव । अस्मदीय, (त्रि. ) हमारा | अस्माकं, ( सर्व . ) हमारा । अस्मि, ( श्रव्य. ) मैं । अस्मिता, ( स्त्री. ) हर दर्शन को एक रूप समझना । श्रन, (न. ) कौना | सिर के केश | आँसू । दृष्टा और रक्त । श्र, (न. ) मांस । स्वैरिन्, (पुं . ) परतंत्र | पराधीन | हू (कि. ) मिल कर गाना बनाना | सङ्क- लन करना जाना । चमकना । अ (अव्य. ) प्रशंसा | फेंकना | रोकना | यु (त्रि.) । अहङ्कार, ( पुं. ) श्रभिमान | घमण्ड । अहत, (न. ) नया व अनाहत विना वोट के । अन, ( न. ) जो सदा धूमता रहता है । दिन । • हं, (सर्व. ) मैं || अभिमान | अहङ्कार घमण्ड । अहमहमिका ( स्री. ) अन्योन्यात्मस्तुति | आत्मश्लाघा आत्मप्रशंसा | हंपूर्विका (स्त्री.) आगे बढ़ बढ़ कर लड़ना अथवा पहले लड़ने के लिये परस्पर झगड़ना । हम्मत (स्त्री. ) विद्या अन्य में न्य के धर्म को दिखाने वाला | अज्ञान | हर्गण, (पं.) दिनों का समूह | तीस दिन का मास । हार्दिव, (न. ) प्रतिदिन । नित्य | अर्भुख, (पुं.) दिन का पहला भाग | प्रातःकाल । सबेरा । भोर आहे श्रहार्य, (पुं. ) पर्वत | पहा | जो चुरार्या न जाय । जो तोड़ा न जाय (त्रि. ) (पुं. ) साँप | वृत्र नामक दैत्य | अहस्कर, श्रहस्पति, (पुं.) सूर्य 1. दिवा- कर | दिनमाण | मदार का पौधा । ह, (चय. ) सम्बोधन | विस्मग्र | खेद । 1. सौसक | राहु । योगी | नीच | अश्लेपा नक्षत्र । दुष्ट मनुष्य | जल | पृथिवी | दुधार गौ। नाभि । बादल । हक ( पुं.) ध्रुव अन्धा सर्प | जो निर्दिष्ट संख्यक दिनों तक रहे। हा, ( स्त्री. ) शाल्मली वृक्ष | ह, (सी. ) चीनी । शकर | मेशृङ्गी | पौधा | (त्रि.) मन वच । कर्म से प्रि को पीड़ा न देना । शास्त्रविरुद्ध जीवों को पीड़ा न देना | (पुं. ) विन्णु | इन्द्र अत (पुं. ) शत्रु । जो हितैषी न हो । श्रपथ्य | श्रम । डिक, (पुं. ) सर्प पकड़ने वाला । 1 श्रदिविद्धिषु (पुं. ) गरुड | इन्द्र | मोर | नेवला । विष्णु । श्रफेन, (न. पुं.) जो सौंप के भाग के समान हो । अफीम | अहिर्बुध्न्य, (पुं.) शिव | चन्द्रमा विशेष | उत्तराभाद्रपद नक्षत्र | अभुज् (पुं . ) साँप खाने वाला | गरुड़ | मोर | नेवला | त (स्त्री.) पान की बेल | हीर, (पुं. ) ग्वाला । श्रीरण, ( सं . ) कुचलंड | दुमुखा साँप, इसको देखकर और साँप भाग जाते हैं । पर इसमें विप नहीं होता । अनुचः, (पुं. ) शत्रु | वैरी । हु (पुं.) सकी। व्याप्त अद्भुत (पुं.) जहां हवन नहीं किया गया। धर्म का साधन होने पर भी होमरहित वेदपाठ ।. ध्यानयोग | ब्रह्मयज्ञ | अनाहूत 1. ( (मि.) विना हेतु के बिना किसी अहै

  • कारण के । फल की इच्छा से रहित । छल

विना । हो, (अन्य ) शोक | करुणा । विकार | विषाद । सम्बोधन । निन्दा | दया | विस्मय | प्रशंसा || तिर्क । तिरस्कार | अहोबत, (अव्य.) दया | श्रम | कृपा | थका- वट । शोक प्रकट करने वाला सम्बोधन | अहोरात्र (न. ) दिन रात । न्हाय. (अन्य ) शीघ्र | तुरन्त | अहय, अहयाण, (गु.) निर्लज | अभिमानी । अहि, (त्रि.) मोटा | विषयी | बुद्धिमान् | कवि | श्रीक, ( पं. ) एक बौद्ध संन्यासी | आ ११ " (व्य.) (१) वर्णमाला का द्वितीय श्रर तथा स्वर है । ( २ ) जब केवल " श्रा का प्रयोग किया जाता है तब इसका अर्थ होता है - अनुमति । हॉ । सचमुच | यह अक्षर दया, वाक्य, समुच्चय, घोड़ा, सीमा, व्याप्ति, श्रवधि से और तक के अर्थ में भी प्रयुक्त किया जाता है। किन्तु जब “आ क्रिया अथवा संज्ञावाचक शब्दों के पूर्व लगाया जाता है, तब यह - समीप, सम्मुख, चारों ओर से श्रादि अर्थ को व्यक्त करता है । आ " वैदिक साहित्य में सप्तम्यन्त शब्द के पहले में और आदि अर्थव्यञ्जक होता है । श्रा, (पुं.) महादेव । लक्ष्मी । कथनं, (क्रि.) बड़ाई बवारना | डींग हाँकना | (त्रि.) कम्पयुक्त काँपता हुआ | लोभ को प्राप्त । थोड़ा कम्प युक्त ! आकयं, (क्रि.) किसी वस्तु को पवित्र कर डालना । 56 चतुर्वेदकोष | ६७. श्रांका आकर्ण, ( क्रि. ) सुनना। कान देना । कर (पुं. ) समूह । श्रेष्ठ | अच्छा | रत्नादि के निकलने का स्थान | खान | आकल, (क्रि. ) पकड़ना | धरना | विचा रना । देखना | बाँधना | रोकना | समर्पण करना । नापना | गिनना | कल्पः, ( पुं. ) भूषण | शृङ्गार | परिच्छेद | बीमारी | वृद्धि बढ़ती। आकल्य, (पुं. ) बीमारी | रोग | । (पुं.) कसौटी | चकमक पत्थर परसा जुआं | इन्द्रिय । श्रीकपक, (पुं.) काटना । घिसना कसौटी पर रखना। करणी, (बी.) ऊँचाई पर स्थित फूल, फल, पत्ती तोड़ने की लकड़ी । डण्डी । कि, (पुं. ) चुम्बक नाम अयस्कान्त पत्थर | खींचने वाला । आकस्मिक (श्रव्य ) अकस्मात् । सहसा हुआ । पहिले जो न सोचा विचारा अथवा देखा गया हो। आकांक्षा ( स्त्री. ) अभिलाषा | चाह | सम्बन्ध | अभिलाष काय, (पुं. ) निवास | घर | श्मशान का आग्न | र (पुं.) मूर्ति रूप । मन का अभिप्राय | कारगुती (स्त्री) अपने मन के भाव को गुप्त रखना | स्वरूप को छिपाना । कारण (क्रि. ) बुलाना । कालः, ठीक समय । बे ठीक समय । कालिक, (त्रि. ) बे फसल की वस्तु । शीघ्र नष्ट होने वाली । ( स्त्री. ) बिजली । आकाश, ( पुं. न. ) थकास | गगन | समान | पोला स्थान | पञ्चमृत अथवा तवों में से एक तत्त्व | सूर्य, चन्द्र तारायों के देदीप्यमान होने का स्थान | ब्रह्म छिद्र | शून्य श्रीका चतुर्वेदीकोष । ६८ आकाशदीप, ( पुं. ) याकाशदीपक अर्थात् वह दीपक जो विष्णु भगवान की प्रीति के लिये कार्तिक मास में एक बल्ली पर थाक.श में रात के समय लटकाया जाता है। आकाशवल्ली, ( स्त्री. ) श्रमरबेल । आकाशवाणी ( स्त्री.) देवता की बोली । } समेटना | व्यम । कूत ( न. ) अभिप्राय । श्राशय । आकृ, (क्रि. ) समीप लाना। नीचे लागा | सम्पूर्ण प्रस्तुत करना | बुलाना । चिनौती देना । उत्पन्न करना । किसी से कोई वस्तु माँगना | श्राकृति, ( स्त्री. ) श्राकार | जाति । रूप | देह । बानगी । कृति, (स्त्री.) घोषा नाम की एक श्राख लता । केक ( स्त्री. ) दृष्टि विशेष | आधी खुली, आधी हुँदी । के, (व्य. ) समीपवर्त्ती | बुद्धिमान | श्राक्रन्द, (क्रि. ) रोना | दहाड़ मार कर रोना। चीख मारना। चिल्लाना गरजना ( सं. ) शब्द | युद्ध का शब्दविशेष | मित्र | त्राता | भाई | घोर युद्ध । रोने का स्थान राजा जो अपने मित्र राजा को दूसरे को सहायता देने से रोकता है। आक्रम, (पुं. ) चढ़ाई करना । धावा करना । समीप जाना । अधिकृत कर लेना । ढक लेना । आक्रमण, (न. ) धावा । चढ़ाई | क्रड (पुं.) खेल की जगह या मैदान । आकाशवाणी!, वह वाणी जिसका बोलने | 'आपणं, (न.) व्रत | उपवास | छोड़ा वारी । वाला न दीख पड़े | कञ्चनं, श्राकिञ्चन्यं, (न.) धनहीनता | "गरीची | निर्धनता | आक्षपारिक, (पुं.) पाँसे का खेल देखने वाला न्यायकर्त्ता शासक की, (त्रि. ) व्याप्त | फैला हुआ | आकुञ्चन, (न. पद, (पुं.) अक्षपाद या गौतम का सिखलाया हुआ । न्यायशास्त्र का अनुयायी | सिकोडना फैले हुए को एकत्र करना। क्ष, (क्रि. ) गाली देना । झूठा दोप आकुल, (त्रि. ) व्याकुल घबड़ाया हुआ | लगाना । आक्षर (पुं. ) व्यभिचार अथवा लम्पटता सम्बन्धी पुरुष या स्त्री का दोष पर पुरुष श्रथवा स्त्री के साथ सम्भोग करने का दोष | . 7 आक्रोश (पुं. ) निन्दा । चीन । हल्ला गुल्ला कोलाहल | शपथ गाली गलौज | श्राद्यतिक, (न. ) पांसे के खेल में उत्पन्न विरोध या वैर । चिल्लाहट | किरिया | आक्षि, ( कि. ) रहना | ठहरना । वास करना स्थितशील होना अधिकार करना | श्रीव, (पुं.) मत्त । मतवाला मस्त । आक्षेप (पुं.) घुड़कना । कलङ्क लगाना | खेचना धनादि की धमानत रखना। अलङ्कारभेद | श्रोट-ड, अखरोट का वृक्ष । ख, (पुं.) कुदाली । फावड़ा | खण, ( न. ) कड़ा। सख्त | खण्डल, (पुं.) पर्वतों को तड़काने या फाइने वाला | इन्द्र | याखनिक ( पुं.) चोर । सुधर मूँसा | चूहा | खोदने वाला | आखर, (पुं.) कुदाली । फावड़ा । कुल्हाड़ी । तबेला या किसी भी जानवर के रहने का घर । खत (न. ) अपने आप बना हुआ जला- • शय। खाड़ी । श्राखु चतुर्वेदकोष । ६६ आसु (पुं.) मूँसा | चोर। सूम सुअर श्राखुकर्णी, (स्त्री.) मँसे के कान जैसे पत्ते वाली उन्दरकारणी नामक एक बेल । खुग, (पुं. ) चूहावाहन | गणपति । गणेश | भुज् (पुं. ) बिल्ला | बिलौटा | आखुविषहा, ( स्त्री. ) देवताड वृक्ष जो मूँसे के विष को दूर करता है । देवताली लता । वनस्पति विशेष | खेट, (पुं.) मृगया। शिकार। अहेर | खेटिक, (पुं.) शिकारी | आखेट करने वाला भयानक । डराने वाला । खोट (पुं. ) अखरोट का वृक्ष । आख्या, (खी.) संज्ञा । नाम । जिससे प्रसिद्ध हो । श्रख्यातृ, (त्रि. ) कहने वाला | पढ़ाने वाला । उपदेशक । श्राख्यान, ( न. ) उपाख्यान | कथा । सच्ची कहानी | प्रसिद्ध इतिहास | बोलना । समझना । श्राख्यायिका, ( स्त्री. ) प्रसिद्ध कहानी । गद्यपद्यमयी रचना । जैसे " हर्षचरित " & 66 ११ या, कादम्बरी । आगत, (त्रि. ) आया हुआ | उपस्थित । विद्यमान | आगन्तु, (त्रि. ) अतिथि । आगमनशील । नियमित रहने वाला | आया हुआ ! श्रगम, (न. पुं. ) तन्त्रशास्त्र | वेदादि शास्त्र | आना । सन्दिग्ध अर्थ को सिद्ध करने वाला । व्यवहार । शिवजी के मुख से या पार्वती के कान में गया, और जिसे विष्णु ने माना अतः गम हुआ | यथा " आगतं शिववक्त्रेभ्यो गतच गिरिजासुत | मतत्र वासुदेवस्य तस्मादागममुच्यते ॥ [११] गरः, (पुं. ) अमावास्या | आगलित, (त्रि.) सुस्त | उदास | दुःखी । मालेन । पाप । श्रागवीन, (त्रि. ) वह मनुष्य जो गोधूलि के समय तक कार्य में संलग्न रहै । आग, (न.) अपराध चूक भूल । दण्ड । आगस्ती, (स्त्री.) दक्षिण दिशा | आगाध (गु.) बहुत गहरा । अथाह । आगार, (न. ) घर । छिपा हुआ स्थान । आगुर्, (क्रि.) स्वीकार करना | सम्मत होना । प्रतिज्ञा करना । श्रागू, श्रध ( स्त्री. ) यह अवश्य कर्त्तव्य है इसको कार करना । प्रतिज्ञा । श्रागै, (क्रि. ) सङ्गीत द्वारा पाना । नापौष्ण ( गु. ) अग्नि और पूषा . सम्बन्धी । आग्नीध्र, (पुं.) होम करनेवाले का ग्रह । मनु- वंशोद्भव महाराज प्रियव्रत का ज्येष्ठ पुत्र | आग्नेय, (न. ) अग्नि देवता वाला । जिसका अग्नि देवता हो । सुवर्ण | सोना । घो लाल रङ्ग । अग्नि पुराण आग वाला । एक नगर । अगस्त्य मुनि । और दक्षिण के बीच आग्नेयी, (स्त्री. ) वाली विदिशा । अग्नि की पत्नी स्वाहा । प्रतिपदा तिथि । अग्निदेव का मंत्र | श्राग्न्याधानिकी, ( स्त्री. ) दक्षिणा विशेष | जो ब्राह्मण को दी जाती है। श्राग्रयण, ( न. ) एक प्रकार का यज्ञ जो नया अथवा नये फल आदि खाने के पूर्व किया जाता है। अग्नि का स्वरूप । नया अन्न । श्राग्रहायणिक, (पुं.) मार्गशिर का मास । पूर्णमासी वाला महीना | ग्रहायणी, (स्त्री. ) मृगशिर नक्षत्र वाली पूर्णिमा । मार्गशीर्ष महीने की पूर्णमासी । आग्रहारिक, (पुं.) नियम से पहला भाग पाने वाला प्रथम भाग पाने योग्य | ब्राह्मण श्रेष्ठ ब्राह्मण । उत्तम ब्राह्मण । आघट्ट, (पुं. ) लाल रङ्ग | अपामार्ग अथवा आघ चतुर्वेदीकोष । ७० ज्जाझारेका वृक्ष ( क्रि० ) मारना । छूना । आघात (पुं..) आनन । चोट । मारने का स्थान | वधस्थान | कसाईखाना | आधार, ( पुं. ) घी। मंत्र विशेष से किसी विशेष देव को घृत प्रदान | घूर्णित, (त्रि.) हिलाया डुलाया हुआ । घृ (क) उड़ेलना । छिड़कना । आवृणि, (त्रि.) गर्मी से चमकने वाला । प्रकाशमान । अधिक धन वाला | सूर्य्य । आघ्रा (क्रि. ) सूचना । आधाण, (त्रि.) सूँघा हुआ । हुया हुआ | दबाया हुआ । लाँधा हुआ । आङ्गिक, (त्रि. ) भानों को प्रकाश करने वाला। भौं का चढ़ाव उतार | मृदङ्ग बाजा । शरीर सम्बन्धी | आङ्गिरस, ·) अद्विरा के पुत्र बृहस्पति । आङ्गुष, ( पुं. ) प्रशंसा | स्तव । आचक्ष, (कि. ) बोलना | कहना | शिक्षा देना । . आचमन, (न. ) अभिमंत्रित जल पान मुख आदि का धोना । उपोषण । विहित कर्म के पूर्व देहशुद्धि के अर्थ तीन बार दक्षिण हथेली पर रख कर जल पीना आजमनक, ( न. ) आचमन का जल । पीकदान | उगालदान । आचमनीय, (न. ) मुँह धोने या कुल्ला करने योग्य जल ।. आचायः, ( पुं. ) एकत्र करना । ( सं . ) ढेर | राशि | कर जाना । आचर, (कि. ) व्यवहार करना। आचरण करना अभ्यास करना। समीप आना । घूमना फिरना व्यवहार रखना। भक्षण 1 श्राचार, ( पुं.) चरित्र | आचरण । मनु - आदि महर्षियों द्वारा बतलाया हुआ स्नानादि व्यवहार । कर्तव्य कर्म । श्राज आचार्य, (पुं. ) आचार्य संज्ञा उस पुरुष की है जो अपने शिष्य का यज्ञोपवीत संस्कार कर के कल्प और उपनिषद् सहित वेदाध्ययन करावे । जो किसी सम्प्रदाय को स्थापन करते हैं वे भी चाचार्य कहलाते हैं जैसे शङ्कराचार्य । श्रीरामानुजाचार्य प्रभृति 1 आचार्य की स्त्री "आचार्य्यानी " कहलाती है 1 श्राचार्य, (पुं.) आचार्य पना | आचार्य के करने योग्य काम चि, ( कि. ) एकत्र करना । बटोरना । ढेर लगाना। जमा करना । संग्रह करना । लादना । ढकना । . आचित, (पुं.) संगृहीत । एकत्र किया हुआ | फैला हुआ । ( सं . ) वाक्य | वचन | एक रथ का वजन अर्थात् पञ्चीस मन । श्रच्छन्न (त्रि. ) ढका हुआ । हुँदा हुआ । रखा हुआ । आच्छाद, (पुं. ) वस्त्र । कपड़ा। आच्छादन, (न.) कपड़ा | परदा | गिलाफ | उढ़ोना । चोगा | आच्छिन्न (त्रि.) बलपूर्वक पकड़ा गया। काटा गया | खोया हुआ । { आरित, (न. ) जोर से हँसना । खिल खिला कर हँसना नखों का घिसना | श्राच्छोटनं, (क्रि. ) उङ्गलियां चटकाना | श्राच्छोदनं, (न. ) आखेट ! शिकार | आजनिः, ( स्त्री. ) हाँकने की लकड़ी । आज (क्रि.) आना | बकरे से उत्पन्न या बकरे से सम्बन्ध युक्त | फेंकना | आजकं, (न. ) बकरियों का गला | झुण्ड । आजकारः, (पुं.) शिवजी का नाँदिया | श्राजगवं, (न. ) शिवधनुष या शिवधनुष के समान सुध्द धनुष | आजन, ( कि. ) उत्पन्न होना जन्म ग्रहण करना ! श्रम " चतुर्वेदीकोष आत्मघातिन्, (त्रि. ) जो वृथा ही जल में डूब कर अथवा अग्नि में जल कर अपने प्राण गँवावे आत्मघाती। अपनी हत्या करने वाला । आत्मघोष, (पु.) स्वयं अपने को बुलाने वाला । कौवा । कुक्कुर आत्मज (पुं.) स्वयं उत्पन्न होने वाला अथवा अपने से उत्पन्न वाला अर्थात् पुत्र । यथा - " आत्मा वै जायते पुत्रः । " आत्मजन्मा का प्रयोग भी इसी अर्थ में होता है। लड़की | कन्या | मन से उत्पन्न हुई बुद्धि । आत्मदर्श, (पुं. ) दर्पण | शीशा । धारसी । बट्टा । आत्मन्, (पुं. ) | प्राण । परमात्मा । मन | बुद्धि | मनन शक्ति । मूर्त्ति । पुत्र "आत्मा वै पुत्रनामासि" । स्वरूप | यत्न । देह । वृत्ति । सूर्य । अग्नि । वायु । जीव । ब्रह्म । आत्मबान्धव, (पुं.) अपने भाई बन्धु । मौसी के लड़के, युआ के लड़के, ममेरे भाई – ये सब अपने बन्धु हैं। आत्मभू, (पुं. ) जो मन से अथवा देह से उत्पन्न होता है। ब्रह्मा । कामदेव | आत्मनीन, (त्रि. ) अपना | पुत्र | साला | विदूषक । अपना हित चाहने वाला । स्वहितकारी । आत्मनेपद, (न. ) अपने लिये पद । संस्कृत व्याकरण में दो पद वाली धातुएँ होती हैं - एक आत्मनेपद की दूसरी परस्मैपद की । आत्मम्भार, (त्रि.) पेटू। अपना ही पेट भरने वाला । स्वार्थी । लोभी । लालची । अपना ही पालन करने वाला । . श्रात्मयोनि, (पु.) विष्णु | शिव । ब्रह्मा | कांमदेव । आत्मरक्षा (स्त्री.) निज रक्षा। अपनी रक्षा | आत्महन्, ( पुं. ) अपने को मारने वाला । । ७२ आदा. आत्मा न तो कर्त्ता है, न भोक्ता है और न स्वयं प्रभु है, किन्तु जो इसे कर्त्ता भोक्ता आदि माने । जिसे यथार्थ आत्मज्ञान नहीं है। मूर्ख | अज्ञानी । यात्मघाती । अपने को मारने वाला मनुष्य श्रात्माधीन ( पुं. ) अपने वश अपने अधीन पुत्र | साला । • प्राणाश्रय । • श्रात्माश्रय, (पुं.) अपना आश्रय लेने वाला । तर्क का एक दोष अर्थात् जिसे अपनी अपेक्षा आप ही हो । श्रात्मसात्, (श्रव्य.) अपने वश में । (क्रि. ) हड़प जाना। दूसरे का धन विना धनी की अनुमति के अपने काम में ले जाना । श्रात्मीय, (त्रि.) अपना अपना सम्बन्धी । आत्म्य (त्रि.) अपना । व्यक्तिगत । निज का । आत्यन्तिक, ( त्रि. ) अनन्त । अविरत | स्थायी । अविनाशी । बहुत । अतिशय । त्यकि, (त्रि.) नाशकारी । उपद्रवी । अभागा | कष्टदायी । शीघ्र नाशशील । विलम्ब न सहने वाला । असाधारण । विशेष | आत्रेय, ( पुं. ) अत्रि मुनि का सन्तान | शरीर सम्बन्धी रस धातु । अत्रि वंशोद्भव | शिव जी का नाम एक नदी का नाम जो उत्तर में है। आत्रेयी, ( स्त्री. ) रजस्वला स्त्री ऋतुमती स्त्री । तिष्टा नाम की एक नदी । अत्रि मुनि की भार्य्या | श्राथर्वण, ( पं . ) वेद जो अथर्व मुनि को मिला। जो अथर्ववेद को जानता हो। अथर्व वेदविहित अभिचार आदि धर्म अथर्व वेद के अनुसार क्रिया करने वाला पुरोहित | आदर, (पुं. ) सम्मान | प्रतिष्ठा । आदर्श, (पुं.) दर्पण | बट्टा | टीका | प्रतिरूप | बानगी । पुस्तक | आदान, (न.) ग्रहण करना । लेना । घोड़े के गहने । चतुर्वेदीकोष । ७३ . आदि आदि, (पुं. ) प्रथम । कारण । निकट प्रकार भाग । प्रधान । आदिकवि, (पुं.) ब्रह्मा और वाल्मीकि मुनि । आदितेय, ( पुं. ) अदिति के सन्तान अर्थात् देवता आदित्य, (पुं. ) सूर्य देवता का · • वृक्ष । सूर्यमण्डल में रहने वाले सूर्य । आदित्य बारह हैं। पुनर्वसु नक्षत्र | आदित्यसूनु, ( पं . ) सूर्य का पुत्र, सुप्रीव । यमराज | शनि । सावर्णिनाम मनु | वैवस्वत मनु । कर्ण नामक राजा । आदिदेव, (पुं. ) प्रथम क्रीड़ा करने वाला | आप ही प्रकाशमान । नारायण । |' आदिपुरुष, (पुं.) पहले शरीर में रहने वाला । सारे जगत् को आप ही पूर्ण करने वाला । हिरण्यगर्भ | नारायण । आदिम (त्रि.) पहले हुआ | आदि का | पहला । आदिवाराह, (पुं. ) विष्णु | इन्होंने सब से पहले वाराहरूप में अवतार धारण किया था । आदिष्ट, (न. ) आज्ञा । हुक्म । अनुमति | आदीनव, ( पुं. ) दोष । अवगुण । दुःख । दुर्दम जिसे वश में लाना कठिन है । आहत, (गु.) आदर किया हुआ। पूजा हुआ । आदेश, (पुं. ) निर्देश | आज्ञा हुक्म (पुं.) यजमान जो अपने पुरोहित से कहता है कि "मेरा इष्ट सम्पादन सम्बन्धी क्रम कीजिये । ” श्राद्य ( त्रि. ) पहले हुआ । प्रथम जात । आचून, (त्रि. ) आदि शून्य | जिसका श्रा- रम्भ न हो । पेटू । मरभुखा । बुभुक्षित | आद्योतः, (पुं. ) प्रकाश | चमक | सिर, (पुं. ) लोहे का बना हुआ । आधमन, ( न. ) बन्धकै । हुण्डी | धरोहर | मरा, ऋणी। कर्जदार आथर्मिक, (त्रि. ) अन्यायी । न्याय न करने वाला । धर्म न करने वाला । आधे धर्पित, (त्रि. ) अन्याय से आक्रमण किया गया। जिसका अपराध देख लिया गया हो । अन्यायपूर्वक दबाया गया हो । श्राधान, ( न. ) धरोहर | मंत्र द्वारा अग्नि- स्थापन गर्भाधान | आधार, आश्रय | आसरा । अधिकरण | । वृक्ष का खोडुआ । पुल । आधि, (पुं.) मन की पीड़ा | बड़ी आशा | | धरोहर | व्यसन्क | ऍड़ी। शाप | आधिक्य, (न.) बहुतायत । अधिक | आधिश, (त्रि. ) वक्र | टेढ़ा कष्ट दिया गया। पीड़ा अनुभव करने वाला । आधिदैविक, (त्रि.) अधिदैव सम्बन्धी सुश्रुत के अनुसार कष्ट तीन प्रकार के होते हैं आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधि- दैविक । १ आभ्यात्मिक पीड़ा अर्थात् ज्वरादि रोग २ . आधिभौतिक पीड़ा अर्थात् सर्पादि दुष्ट जन्तुओं से क्लेश । ३ आधिदैविक पीड़ा अर्थात् मन आदि इन्द्रियों के क्लेश । प्रारब्ध से उत्पन्न । आधिपत्य, (न. ) स्वामी होना । शक्ति | अधिकार प्राप्ति । राजा के कर्त्तव्य कर्म । आधिभौतिक, (त्रि. ) क्लेश जो सर्पादि दुष्ट जन्तुओं से उत्पन्न हुए हों। प्राणि- सम्बन्धी | तत्त्वों से उत्पन्न । आधिराज्य, (न. ) राजकीय पत् सर्वश्रेष्ठ शासन | श्राधिवेदनिक, (न. ) सम्पत्ति | वह धन जिसे पुरुष अपनी प्रथम स्त्री को, अपना दूसरा विवाह करते समय देता है । आधु, (क्रि. ) हिलाना । आन्दोलन करना | आधुनिक, (त्रि. ) अबका | नवीन | इदानीन्तन । धृ (क्रि. ) धरना | पकड़ना । रखना । सहारा देना । लाना | देना | आय, (त्रि.) आश्रित । एक वस्तु में श्री चतुर्वेदीकोष | ७४ दूसरी वस्तु, जैसे खोटे में दूध । यहाँ दूध आधे और लोटा आधार है। धोरण, (पुं. ) हाथी के चलाने की विद्या में पटु | महावत हरितपक श्रमात (वि.) फूंका। फूंक कर फुलाना | हवा या फूंक से गारना । शब्द | श्राध्मान, (पु.) लुहार की धौंकनी। फूलना । बढ़ना । वायु की बीमारी | आध्यात्मिक, (त्रि. ) मोह । ज्वरादि शारीरिक क्लेश शोक | दुःख । ध्यान, (न. ) चिन्ता | सोच । किन । उत्कण्ठा | सोत्कण्ठ | स्मरण विग्री उत्कण्ठा के साथ किसी को रमरण करना । आध्वनिक, (त्रि.) यात्री यात्रा करने वाला यात्रा करने में चतुर । आध्धरिक, (त्रि.) यज्ञ कराना जानने वाला पुरोहित | सोभयज्ञ का विधान बतलाने बाला ग्रन्थ । आध्वर्यव, यज्ञ में अर्युका करने वाला | यज्ञवेंद जानने वाला | आन, (पुं. ) सुख मुँह नाक | भीतर के वायु का नाक होकर बाहिर निकलना | स्वांस लेना । आनक, (पुं. ) मारू बाजा | लड़ाई का बाजा। बड़ा ढोल । मृदङ्ग गरजने वाला बादल । उत्साही । श्रादुन्दुभिः, ( पुं. ) वसुदेव का नाम । श्रीकृष्ण के पिता | बड़ा ढोल । आनत्, (त्रि. ) प्रणाम करने वाला | निम्न मुख | विनम्र । टिढ़ाई | आनति, ( स्त्री. ) सन्तोष | नम्रता । (क्रि. ) झुकना | नीचा होना चातिथ्य करना | सम्मान करना | आनद्ध, (न. ) चर्माच्छादित बाजा । चाम से मढ़ा हुआ बाजा । अर्थात् मृदङ्ग । नगाड़ा | तबला | ढोलक । (क्रि. ) केशों को सँवारना । गँगा हुआ । फैला हुआ । श्राम. बेधा हुआ। परिच्छद धारण करना । नयों पर गहनों का डालना । आनन, (न. ) मुँह | मुख भाग | अध्याय | परिच्छेद | ग्रन्थ | आनन्तर्य, (न.) अन्तर । तर समीप | निकट | पास । आनन्त्य, ( न. ) बाहुल्य | बहुतायत | असंख्यत्व । अनगिनती । अनन्तत्व ! सीम अमरत्व । परलोक । स्वर्ग । भावी सुख | आनन्द, (पुं. ) प्रसन्नता । हर्ष | सुख । ब्रह्म । आनन्द वाला | शिव विष्णु | बुद्धदेव के एक चचेरे भाई और उनके एक अनुयायी का नाम जिसने सूत्रों का संग्रह किया था । श्रानन्दन, (न.) चाने जाने के समय कुशल पूंछ ते जाते करें, आनन्द उत्पन्न करना समय मित्रों से मिलना प्रसन्न करने वाला । आनन्द उपजाने वाला | आनन्दमय, ( पुं. ) वेदान्तानुसार सुषुप्ति का साक्षी, प्राज्ञ जीव सुख से पूर्ण शरीर के पाँच कोपों में से एक कोष । श्रानन्दाव, ( पुं.) आनन्द का समुद्र | अर्थात् परमात्मा ज्योतिष में यात्रा समय का लग्न विशेष | आनन्दिन्, ( पुं. ) हर्ष, कौतुक, प्रसन्नता, आश्चर्य से युक्त । नयं, (सं.) असन्तानत्व | अपुत्रत्व नम्, (क्रि. ) झुकना । प्रणाम करना | नवना । श्रानर्त, (पुं. ) नाचघर | नृत्यशाला | रन | जल । द्वारका के समीप का प्रान्त अर्थात् काठियावाड़ । युद्ध | लड़ाई । सूर्यवंशी । एक राजा का नाम आनाय, (पुं.) जाल । यज्ञोपवीत संस्कार । जनेऊ धारण करना । आनव, (पुं.) मानवी । दयालु | मानव विदेशी जन | A श्रन . चतुर्वेदकोष । ७५ श्रानस, (पुं.) गाड़ी या छकड़े का । पिता सम्बन्धी | आनाह, (पुं.) अ । कपड़े की चौड़ाई । मलमूत्र अवरोधक रोग विशेष दस्त पेशाब को रोकने वाली बीमारी | दस्त न होने की बीमारी । कोष्ठबद्धता । आनिल, (पुं. ) वायु से उत्पन्न | बातल । जिस पर वायु का आधिपत्य हो । हनुमान जी अथवा भीम का नाम । आनी, (क्रि. ) लाना । उत्पन्न करना । संमिश्रण करना । फेरना | आनीतिः, ( स्त्री. ) पास लाना । समीप लाना । श्रानुकूल्य, (न.) अनुकूलता । आपस में भिल कर रहना। आपस में दया दिखाना । आनुगत्य, (न.) जान पहचान | हेलमेल | आनुगराय, (न.) समानता । बराबरी । दयालु होना । कृपा करना । आनुपूर्वी, ( स्त्री. ) शैली | परिपाटी | क्रम | रीति । आदि से क्रम | यथार्थ जाति क्रम | मूल से लेकर क्रम | आनुमानिक, ( न. ) केवल अनुमान पर निर्भर टकलपच्चू । अनुमान प्रमाण से सिद्ध होने वाला । सांख्य शास्त्र में , कहा गया प्रधान । आनुयात्रिक, (पं.) अनुयायी । पिळलगा | . आनुरक्लि, (स्त्री.) प्रीति | अनुराग | अनुलोमिक, ( त्रि.) क्रमानुयायी । क्रम से और नियमपूर्वक काम करनेवाला । अनुकूल | उपयुक्त | अनुविधित्सा, (स्त्री. ) कृतघ्नता | अनुवेश्यः, (सं.) पड़ोसी जो अपने घर के पास वाले पड़ोसी के घर के पास रहता हो । श्रानुशासनिक, (पुं.), निर्देश सम्बन्धी | श्रनुश्रविक, ( पुं. ) वेद में विधान किया हुआ । स्वर्गप्राप्ति का साधन होने से वैदिक कर्मानुष्ठान | 'श्राप श्रत, ( पुं. ) सदैव मिथ्या बोलने वाला | झूठा । झूठ बोलने वाला । श्रानृशंस्य, (न. ) दयालु | कृपालु | नमूता | दयालुता । श्रान्तर, (न. ) मध्यवर्ती । भीतरी । छिपा हुआ । श्रान्तरतम्य (न. ) सादृश्य | समानता | आन्तिका, (स्त्री.) बड़ी बहिन । आन्त्र, (न. ) नखसम्बन्धी । ( सं . ) कोष्ठ | श्रत । श्रान्दोल, क्रि. ) इधर उधर हिलना । हिलना | काँपना | आन्दोलन, ( न. ) बार बार हिलना । भूलना | ढूँढ़ना । आन्धलिक, (पुं.) रसोइया पाचक | अन्न रीघने वाला आन्ध्य, (न.) अन्धापन | अँधेरा | न्वयिक, ( त्रि. ) कुलीन | अच्छे कुल में उत्पन्न । आवाहिक, (त्रि.) नित्य कर्म । नित्य होने वाले काम | आन्वीक्षिकी, ( स्त्री. ) तर्कविद्या | न्याय शास्त्र | अध्यात्मविद्या । आत्मविद्या | आन्वीपिक, (पुं ) अनूकूल | (क्रि. ) पाना । प्राप्त करना । पहुँचना । पकड़ना । मिलना | भेंट करना । अधिकार करना | परवानगी देना | बराबर करना | अष्टवसुओं में से एक । आकाश | श्रापगा, ( खी.) नदी | (पुं.) व्यापारी जो लवे और बेंच ! आपन, (त्रि. ) प्राप्त पाया हुआ | सङ्कट में फँसा हुआ | आपनसत्वा ( स्त्री. ) गर्भवती स्त्री | आपरान्हिक, (त्रि.) अपरान्ह सम्बन्धी | दोपहर के बाद के कर्म श्राद्धादि । (न.) जल | पाप | एक धर्म्मानुष्ठान | श्रृप चतुर्वेदकोष । ७६ पस्कार ( पुं. ) वृक्ष या शरीर का धड़ । स्तम्भ ( ) धर्मशास्त्र सम्बन्धी सूत्रों के पति एक मुनि पस्तम्भनी, ( स्त्री.) पानी को रोकने वाली । लिंगिनी नाम की एक लता । आपात, ( पुं. ) वा तन्दूर | रास्ता । (क्रि.) सहसा मिरना । आपाततः, ( [अव्य. ) अधुना | अभी । झट । विना | शीघ्र । पान, (न.) वह स्थान जहाँ लोग एकत्र हो मदिरा पान करें। चक्र | मधपों की गण्डली | आपिञ्जर, (न.) थोडा थोड़ा लाल सोना । आपीड, (न. ) सांसफूल | सिर का भूपण | (क्रि. ) दवाना | निचोड़ना | त# करना । पीत, (न. ) कुछ कुछ पीला | थोश थोड़ा पिया हुआ | सोनामनखी | आपीन, (न.) कूप | कुत्रा | इनारा थोड़ा मोठा । आपूपिक, (पुं. ) पुत्रा या मीठी पूड़ी बनाने वाला | पुआ खाने का श्रादी। पुश्रा बेचने वाला । स्खमीर । पूण्य (पुं. ) सच | भिगोया हुआ आटा | जिससे पुत्रा बनाये जायें। पोझिमं, (न.) लग्न से तोसरी, छठवी, नयमी और बारहवीं राशि | श्रापृच्छा, ( श्री. ) | बातचीत | बि- दाई | विजक्षणता । श्रा, (त्रि.) विश्वस्त । विश्वास के योग्य | प्राप्त सत्य | रागद्वेषादिशून्य सत्यो- पदेश करने वाला । भ्रमादिरहित | सत्य ज्ञाता । काम (त्रि.) अपनी इच्छा पूरी करने वाला । अपना मनोरथ सिद्ध करने वाला । सन्देहयुक्त विषय का निर्णय करने के अर्थ | किसी सिद्धान्ती का वचन | यथार्थ जानने वाले का वचन | C आभा आप्यायन, (न. ) तृप्ति | प्रीति । तसल्ली । खुशी । प्रसन्न करना । दिवं, (व्य) संदैव । आमपदं, (श्रव्य. ) पाँव तक । एक प्रकार की पोशाक जो पैर तक लम्बी हो । पाँव तक पहुँचने वाला । प्रपदीन, (त्रि. ) पाँवों तक लटकने वाला वस्त्र । "आप्रपदिन " भी इसी अर्थ में प्रयुक्त होता है। प्स (क्रि.) कूदना । नाचना | उछलना | नहाना। धोना। इनकी मारना । पानी में डूब जाना । (त्रि.) स्नान किया हुआ । नहाया हुआ । त (पुं. ) वेद पढ़ा हुआ। ब्रह्मचारी- भेद जो गृहस्थाश्रम में नहीं है । स्नातक व्रत को पूरा कर के घर आया हुआ । ब्राह्मण । आप्चन, (पुं. ) पवन | वायु | श्रावा, (सी.) गरदन | आफूकं, ( सं . ) अफ़ीम । श्रहिफेन । आध, (क्रि. ) बाँधना | बनाना | चिप- टाना | भजबूती से पकड़ना । श्राबल्यं, (सं.) निर्भलता | कमजोरी | आबाधू, (क्रि. ) रोकना । बाधा डालना । चिढ़ाना | आबाध:, (पुं.) दुःख । चोट । कष्ट । हानि । आबिल, (गु. ) गँदीला | मैला । श्रवुद्ध, (न. ) जानना | समझना | प्रेम । अनुराग । भूपण | बँधा हुआ । रुका हुआ । आब्दिन, (गु.) वार्षिक | सालाना । आभरणम्, न.) भूषण । गहना | आभा, (स्त्री.) चमकना । दमकना । दिखलाई पड़ना । प्रकाश । चमक दमक । रङ्ग । स्वरूप | सुन्दरता । समानता । कान्ति । दीप्ति | शोभा । उपमान । वायु - जन्य एक रोग विशेष | श्रभा चतुर्वेदीकोष । ७७ आमासाक, (सं.) एक प्रचलित कहावत या लोकोक्कि । भाष (क्रि. ) सम्बोधन करना । बात- चीत करना । नाम लेना । जोर से बोलना । आभाषण, कथोपकथन । न. ) बातचीत | परस्पर आभास (पुं. ) चमकना । दीखना । असत्य प्रतीत होना । ( स्त्री.) चमक, | दीप्ति । प्रभा । प्रतिबिम्ब | ग्रन्थारम्भ की प्रस्तावना | भूमिका | सादृश्य | समानता । आभास्वर, (पुं. ) चौंसठ वा बारह देवगण | भिजन, ( पुं. ) जन्म सम्बन्धी । जन्मकाल में किया गया सम्बन्धी । कुलीन । भिजात्य, ( न. ) कौलीन्य पाण्डित्य | चतुराई | अच्छी समझ । भित्री (स्त्री.) शब्द | नाम | वर्णन | भीक्ष्ण्य, (न.) बार बार होना । पुनः पुनः | आभीर, (पुं. ) गोप | ग्वाल | देश भेद ( स्त्री. ) गोपी । अहीरिन । ब्राह्मण पिता और अम्बष्ठा जाति की स्त्री से उत्पन्न जाति । भरपल्ली, (स्त्री.) हीरों के गाँव । आभील, ( न. ) भयानक भयङ्कर डरावना | चोट । शारीरिक क्लेश । भ, (पुं.) मोड़ । टिढ़ाई | गोलाई । परिपूर्णता | गान की समाप्ति । आभ्युदयिक, (त्रि. ) चूड़ा आदि । शुभ कर्मों की वृद्धि के लिये श्राद्ध | धन देने वाला । आनन्द का अवसर । आम, (त्रि.) कच्चा | | दुर्वच नामक 1 लेग । आमगन्धि, (न.) कच्चे मांस जैसी गन्धिवाला । चिता के धुएं की गन्धि । आमनस्य, (न. ) धुरे मन वाला | दुःख | शोक । पीड़ा । आमंत्रण, ( न. ) अभिनन्दन । न्योता । बुलावा आह्वान । आम्भ आमय, ( पुं. ) रोग | जिससे रोग उत्पन्न हो । श्रामयाविन्, (पुं. ) रोगयुक्त | रोगी | आमर्शन, ( न. ) छूना | स्पर्श करना । विचारना । श्रमर्ष, (पुं. ) क्रोध | रोष । आमलक की, (पुं. ) वासक वृक्ष । आँवला । आँवले का पेड़ ।, आँवले का फल । आमाशय, ( पुं. ) नाभि और स्तनों के मध्य का भाग। श्रपाक स्थान | न पकने का स्थान । कच्ची जगह् । श्रमिक्षा, ( स्त्री. ) फटा हुआ दूध | लाना । श्रमिष ( न. पुं. ) मांस । खाने पीने और पहनने की वस्तु । घूंस | सुन्दरता । अति लोभ । लाभ । कामदेव का गुण । भोजन | विषय | निबन्ध | जम्बीर वृक्ष का फल । श्रामुक्त, (त्रि. ) छोड़ा गया । पहिने हुए । सजा हुआ | कवच धारण किये हुए पुरुष | सुख, (न. ) प्रारम्भ | नाटकीय प्रस्तावना | नटी सूत्रधार | विदूषक और पारिपार्श्वक की परस्पर वह बातचीत जिसमें संक्षिप्त नाटकीय कथा श्राजाय । श्रामुष्मिक, (त्रि.) परलोक में होने वाली बात। अगले जन्म की घटना। आमुष्यायण, (त्रि. ) अच्छे वंश के कारण अथवा अच्छे कर्मों द्वारा प्रसिद्धिप्राप्त पुरुष का सन्तान | सद्रंशोद्भव का पुत्र | श्रमोद, (पुं. ) गन्धमात्र | हर्ष | प्रसन्नता | मदिन, (त्रि.) चित्त प्रसन्न करने वाले कर्पूरादि पदार्थ । सुगन्ध । य, ( पुं. ) वेद । आगम निगम | गुरुपरम्परा से प्राप्त उपदेश । कुल की रीति भाँति । जातीय चाल या व्यवहार । आम्बिकेय:, ( पं. ) धृतराष्ट्र और कार्त्तिकेय का नाम । ५ श्राम्भस (पुं. ) पनीला | रसीला | पतला | आम्भुसिकः, (पुं. ) मछली १ शाम्र 1 चतुर्वेदीकोष । ७८ आनः, (पुं.) आम का पेड़ । श्राम का वृक्ष । आम्रकूटः, (पुं. ) एक पर्वत का नाम । श्राम्रातकः, ( पुं. ) आमड़े का वृक्ष । आमड़े का फल । भिलावा । आम्रेडू (क्रि. ) दुहराना | आंडित ( त्रि. ) उन्मत्त की तरह एक बात को बारबार कहना | पुनः पुनः कहा गया । व्याकरण की एक संज्ञा । आम्ला, (स्त्री.) बड़े खट्टे रस वाला । फल । इमली का वृश्च । कुण्ड यः (पुं. ) मदनी | प्राप्ति | धनागम । का एकादश घर लियों के घर की रखवाली करने वाला पहरुश्रा | आयत, (त्रि.) लम्बा | खींचा हुआ | उद्योगी | चौड़ा। आयतन, ( न. ) देवालय | मन्दिर | आश्रम | बैठक | विश्रामस्थान | यज्ञस्थान | यतीगवम्, (न.) गौधों के लौटने का समय । गोधूली । यति-ती, ( श्री. ) श्राने वाला समय । भावी काल । उत्तरकाल प्रभाव । फल देने का समय । मेल । लम्बाई | पहुँचना । आयत, (त्रि.) अधीन | पराधीन | श्रव लम्बिन | वश में । श्रायत्ति, ( स्त्री. ) स्नेह | प्रीति | सामर्थ्य | बल । सीमा । मर्यादा दिन | शयन | विस्तरा | आयस, ( न. ) लोहे का बना पात्र | लोह | लोहे से बना । यस्त, (त्रि. ) फेंका गया । दुःख दिया गया। मारा गया। तेज किया गया आयाम (पुं. ) लम्बाई | रोकना | यास, ( पुं. ) मिहनत । बड़ा यत्न । दुःख । उद्यम क्लेश । चिन्ता | श्रायु, ( पुं. न. ) उम्र । जीवनकाल | उमर । घी | पवन | पुत्र । वंशज । सन्तान | पुरूरवा और उर्वशी के पुत्रगण । आयुज् (क्रि. ) जोड़ना । बाँधना । रखना । नियुक्त करना । बनाना । आयुत, (त्रि.) मिला हुआ । आयुधू, (क्रि. ) लड़ना । आक्रमण करना | सामना करना । ( न. ) हथियार | ढाल | आयुध तीन प्रकार के होते हैं । यथा- ( १ ) प्रहरण, जैसे तलवार ( २ ) हस्तमुक्त, जैसे चक्र ( ३ ) यंत्रमुक्त, जैसे तीर बरतन । श्रायुधधर्मिणी, ( स्त्री. ) जयन्ती वृक्ष | योधनम्, (न. ) लड़ाई | युद्ध | रणस्थल | वध करना। मारना । श्रायुस्, (सं.) जीवन । जीवनकाल | भोजन । दीर्घजीवी होने के लिये आयुष्टोम नामक . आर अनुष्ठान | श्रायुष्मत्, (न. ) दीर्घजीपी बहुत दिनों तक जानेवाला । ( पुं. ) विषकुम्भ आदि योगों में से तीसरा योग । आयुष्य, (त्रि.) बड़ी उम्र करने वाला । पथ्य हितकारी अच्छा आयोग, ( . ) गन्धभाल्योपहार । काम, फूल चन्दन आदि चढ़ाने की सामग्री | तट | किनारा | आयोग (पुं. ) शुद्र का पुत्र जो वैश्या के गर्भ से उत्पन्न हुआ हो । बढ़ई प्रतिलोम वर्णसङ्कर से उत्पन्न एक जातिविशेष | आयोजन, ( न. ) उद्योग आहरण | इकट्ठा करना या लेना । लगाना । जोड़ना । आयोधन, ( न. ) लड़ाई की जगह । युद्ध स्थान | ( कि. ) लड़ना । मारना । युद्ध । वध | , ( पुं. ) पीतल । मङ्गलग्रह | शनिग्रह | मधुराम्रफल खटमिट्ठा फल । वृक्षभेद । अन्तर । फ्रासला | प्रान्तभाग । सन्तरे का पेड़ | चाकू। श्रारा । भार, आरकूट, ( पुं. न. ) पीतल का बना भूषण पीतल का गहना । आर चतुर्वेदकोष । ७६ , आरक्षकः, ( पुं. ) सन्तरी । चौकीदार | आरटः, ( पुं. ) नट | नाटक का एक पात्र । रह:, ( पुं. ) एक देश का नाम जो पञ्जाब के उत्तर-पूर्व में है और जो घोड़ों के लिये प्रसिद्ध है। गुजरात के लोग अब भी इस प्रान्त को हैरात या ऐरात ● देश कहते ह । इस देश के लोग या घोड़े । आरणं, ) गहराई । खाल । रणिः, (पुं. ) भँवर । चक्कर । श्रारण्य, (न. ) जङ्गली, बनैला । वन | एक प्रकार का अनाज जो विना बोये अपने आप उत्पन्न होता है। राशि विशेष गोबर | महाभारत के पर्वों में से एक का नाम । आरण्यक, ( पुं. ) बनैला या जङ्गली मार्ग | अध्याय । न्याय विहारस्थान | हाथी | वेद का एक अंश विशेष | आरतिः, ( स्त्री. ) उपरम । हटना | निवृत्ति | ठहराव | आरथः, ( पुं॰ ) रथ जिसमें एक बैल अथवा एक घोड़ा जोता जाता है , आरब्ध, (त्रि.) आरम्भ किया गया । आरटी (स्त्री.) नटों की कलाबाजी । एक प्रकार की रचना | खेल | नाच । आरम्भ, ( पुं. ) त्वरा । उद्यम । यत्न | वध | आर्द्र राम (पुं. ) उपवन । वॉटिका | क्रीड़ार्थ बनाया गया बगीचा श्रारालिकः, जो टेढ़ा बरताव करे | भातके गुण । आरिच, (क्रि. ) रीता करना । नाली जो रात्रि के समय प्रतिमा विशेष सन्मुख की जाती है। आरती । नीराजन कर्म । आराधन, (न. ) उपासना | पूजन | प्रसन्न करना । प्राप्ति । सेवाकरना पकाना करना । आरू, ( पुं. ) केकड़ा। सूअर एक प्रकार का वृक्ष । आरुच्, (क्रि. ) चुनना | पसन्द करना | आरुघ्, (क्रि. ) रोकना । बन्द करना । आरुषी, ( स्त्री. ) मनु की पुत्री और औ की माता । ↑ राह, ( क्रि. ) चढ़ना । रु, ( पुं.) साँवले अथवा धौरे रङ्ग का | धौरा या साँवला रङ्ग । सूर | हिमालय पर उत्पन्न होने वाली एक वनस्पति का नाम । आरूढ़, चढ़ा हुआ । बैठा हुआ । सवार | आरादू, दूर । अन्तर | पास | समीप | रहणम्, चाटना । चूमना । आरोग्य, ( न. ) रोग का अभाव | रोग से छुटकारा । प, (पुं. ) अन्य धर्म में अन्य धर्म का प्रतीत होना ( जैसे रस्सी में सर्प का ) | संस्थापन | कल्पना मान लेना । धनुष झुकाना मारना अहङ्कार | प्रस्तावना | आर - रा, (पुं. ) शब्दमात्र | हर प्रकार का आरोह, (पुं.) चढ़ना | लम्बाई | उत्तम स्त्रियों का नितम्ब देश या चूतड़ | ऊँचाई परिमाण विशेष | शब्द | श्रारा, ( स्त्री. ) चमड़ा चीरने का लोखर । लोहे का एक श्रौज़ार | रात्, ([अव्य.) दूर | समीप | पास | तुरन्त | सीधा । रातिः, ( पुं. ) शत्रु | बैरी । आर्जव, (पुं. ) सरलता | सीधापन | , (त्रि.) अस्वस्थ । पीड़ित | कष्ट प्राप्त । व, ( न. ) ऋतु वाला । स्त्रीधर्म या रज जो प्रतिमास स्त्रियों को होता है । तिज्य, (न.) ऋत्विग के करने योग्य काम । श्रारात्रिक, ( न. ) प्रकाश दिखाना या आरती आर्थिक, (त्रि.) अर्थग्राही । पण्डित | दाना । अर्थ से हुआ। निशान । धनी । धनवान् । सच्चा | यथार्थ आर्द्र, (त्रि.) गीला । (r) (स्त्री.) आर्द्रा नामक छठवां नक्षत्र | आर्द्र चतुर्वेदीकोष | ८० आर्द्रा आईक, (न. ) अंदरक । आदी नक्षत्र में उत्पन्न । आर्ग्य, (त्रि. ) स्वामी । गुरु | सुहृद | मित्र । श्रेष्ठ । वृद्ध | योग्य | कुलीन | पूज्य | मान्य । उदारचरित । शान्त चित्तवाला । नाटकों में यह सम्बोधन प्रायः श्रेष्ठ पुरुषों के प्रति प्रयुक्त होता है । आर्यपुत्र, ( पं. ) ससुर का बेटा । पति । गुरु का पुत्र | भर्त्ता | मालिक । । आर्यमिश्र, (त्रि. ) श्रेष्ठ । मानने के योग्य | आर्यावर्त्त, (पुं. ) पवित्र भूमि | विन्ध्याचल और हिमालय के बीच की भूमि । श्राय के बसने का स्थान । पूर्व सागर से श्रारम्भ कर, पश्चिम सागर के मध्य का भूखण्ड । आर्ष, (त्रि.) ऋषिसम्बन्धी ऋषिप्रणीत - शास्त्र । आर्षविवाह, (सं.) विवाह विशेष | जिसमें बो गौ लेकर कन्या दी जाती है । आत, (पुं.) जैन सम्प्रदाय का । ल, (न. ) सजाना । ( सं . ) विश | फरफन्द | पीत सङ्ख्यिा गर्दः, (पुं. ) पनिहा साँप । आलम् (क्रि.) स्पर्श करना। छूना | पाना । मार डालना। पकड़ना । धामना । जीत लेना। आरम्भ करना । आलम्ब ( पुं. ) अवलम्ब | आश्रय । आलम्भ, (न. ) पकड़ना । स्पर्श करना । यज्ञ में बलि के लिये पशु का हनन करना । यथा “अश्वालम्भं गवालम्भम् । लय (पुं. ) घर गृह । ( [अव्य. ) मृत्यु तक । यथा “पिबत भागवतं रसमालयम् । श्रालय विज्ञान, ( न. ) लय तक रहने वाला विज्ञान | बौद्ध दर्शनानुसार अहङ्कार का स्थान विज्ञान | "" " आलवाल, ( न. ) जो चारों ओर से जल को ग्रहण करता है । खोआ । वृक्षमूल के चारों ओर जल भरने का स्थान । श्रालस्य, ( न. ) आलस । शक्ति होने पर भी अवश्य कर्तव्य में उत्साह न करना । आलान, (न. ) हाथी के बाँधने का थम्भा । रस्सा | बंधन | आलाप, ( पुं. ) बातचीत । कथोपकथन | बोलचाल । सम्भाषण । सङ्गीत के सप्त स्वर । आलि-ली, (स्त्री. ) व्यर्थ, निरर्थक | सुस्त | अर्थशून्य । बिच्छ । मधुमक्खी | सखी | पंक्ति वली। पुल । भ्रमर । भौंरा । आलिङ्गन, ( न. ) प्रीतिपूर्वक परस्पर मिलना. | लिअर (पुं. ) मटका । डहर । कूँड़ा । नाँद । आलिम्पन, ( न. ) मङ्गलार्थ लेपन । दीवालों को सफेदी से पोतना । श्रद्धा | आलीढ, चाय खाया। आहत किया । घायल किया बन्द | आलीनक, न. ) ऐसा कोमल जो भाग देखते ही पिघल जाय । आलेख्य, (न. ) चित्रपट | लेख । मूर्ति | शीशा । नक्शा । (क्रि. ) लिखना | आलुडू, (क्रि.) आन्दोलन कराणा | हिल- वाना । भलीभाँति जांच पड़ताल करना । आलुः, (न. ) उल्लू | घुग्घू | काली आबनूस की लकड़ी । आलुख, ( पुं. ) हिलने डुलने वाला | निर्बल | आलोक, ( पुं. ) देखना पहचानना । विचारना । सोचना । बधाई देना । आलोचन, (क्रि.) किसी काम को कार्यरूप में परिणत करने का निश्चय करना | विचार । सोचना । सांख्य दर्शन के अनुसार निर्वि- कल्पक शुद्ध विषयक प्रथम उत्पन्न ज्ञान । आलोल, (पुं. ) मन्द मन्द हिलता हुआ | हिला हुआ । आन्दोलित । ॠावत्, (अव्य.) सामीप्य | निकटत्व | आष चतुर्वेदीकोष | ८१ श्रयः, (पुं.) पृथिवीपुत्र । मङ्गल का एक नाम | आवपन, (न. ) धान रखने का पात्र | भाली । परात श्रावरक, (न.) छिपाना । ढाकना । ढाकने वाला कपड़ा आदि । ऋावरण, ( ल . ) ढाल | परा | छिपाना लुकाना । ज्ञान का परदा | आवर्त्त, (पुं. ) चक्र का गोलाकार हो कर चक्कर खाना भँवर । एक देश का नाम । श्राप्तचिह्न | चिन्ता । माक्षिक धातु । आवर्त्तन, (न.) दूध आदि का मथना | बिलोना । आवश्यक, (त्रि.) नियत कृत्य | जरूरी कामं । आवसथ, (पुं. ) रहने को स्थान | घर । कुंठी । एक विशेष वृत्त आचाप, (पुं.) खोडुआ । कियारी । बोना । फेंकना । अन्य के राज्य की चिन्ता | नीची ऊँची भूमि | ऊबड़ खाबड़ भूमि | प्रधान होना । श्रावास, ( पुं. ) वासस्थान | घर आदि । आदरणीय | आवाहन, ( न..) देवताओं को निकट | आवेष्टक, (पुं.) ढक्कन | ढाँपने वाला। बेड़ा आश, (क्रि. ) खाना | भोजन करना | श्राशंसा, (स्त्री.) अभिलाषा | आशा 1. ( विशेष कर ऐसी वस्तु के जो प्राप्त नहीं हो सकती ) । शंसु, (स्त्री.) इच्छा वाला । अभिलषित वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा कहने वाला । आशावान् । आशङ्का, ( स्त्री. ) भय । त्रास | डेर । सङ्कोच | सन्देह | संशय. आशय, (पुं.) अभिप्राय | अभिप्रेत । श्रीसरा । ऐश्वर्य | धन | पनस का वृक्ष अजीर्ण स्थान | कर्म से उत्पन्न वासनारूप संस्कार | धर्माधर्म रूप दृष्ट । शयन | सोना । स्थान । बुलाना । पास लाना । बुलाना 1. श्राविक, (न. ) भेड़ के बालों का बना । ऊनी । ( सं . ) कम्बल । लोई । आधिग्न ( पुं. ) उद्विग्न | घबराया हुआ | वृक्ष विशेष आविद (क्रि. ) जतलाना, बतलाना | प्रकट करना । घोषणा करना ( पुं. ) एक फलदार वृक्ष का नाम । श्राविद्ध, (त्रि.) बेधा गया। टेढ़ा हराया गया। फेंका गया। दवाया गया। मूर्ख । आविल, ( पुं. ) मँदला । कुत्सित | मैला । . विस्, (अग्य. ) प्रकाश । प्रकट । आविश, (क्रि.) प्रवेश करना । घुसना । भीतर जाना अधिकार जमाना। समीष जाना । श्रावी, ( स्त्री. ) रजस्वला । स्त्री । गर्भिणी स्त्री । प्रसवपीड़ा |

आशा आक (पुं. ) ( नाट्योक्ति में ) पिता | जनक । आवृत्तः, ( पुं.) बहनोई | भगिनी पति | श्रवृत, ( न. ) ढकना | छिपाना । भरना । चुनना पसन्द करना । घेरना रोकना | बन्द करना । श्रावृत्त, ( त्रि. ) हेटा हुआ | निवृत्त | लौटा हुआ । अभ्यस्त । श्रावृत्ति, ( स्त्री. ) बेर बेर पाठ करना या गुणन करना | आवेश, (पुं. ) अहङ्कार | रोष | अभिनिवेश | हट प्रवेश होना । ग्रहपीड़ा | भूत प्रेतादि का डर । श्रावेग, (पुं. ) घबड़ाहट | चिन्ता । अस्व- स्थता । शोक । दुःख । भय । त्वरा | =वृद्धदारक का पेड़ । जिसको " बिधारा " कहते हैं । आवेशिक, ( त्रि. ) घर वाला । निज सम्बन्धी अतिथि। महमान | पूज्य . आशा, ( स्त्री. ) आस । दिशा । आकांक्षा | बड़ी इच्छा | तृष्णा । लाल्लसां । चाहूं । श्राशि चतुर्वेदीकोष ८२ आशित, ( त्रि. ). मुक्त | खाया | भोजन द्वारा तृप्त । आशीर्वाद, (पुं.) भलाई की प्रार्थना | शुभेच्छा । श्रशीर्वाद । आशीविष, ( पुं. ) जहरीली दाद वाला । सर्प । साँप | आशुग, (पुं. ) वायु । हवा | पवन | बाण । सूर्य । शीघ्र चलने वाला। आशुतोष, (त्रि. ) शीघ्र प्रसन्न होने वाला | महादेव । शिक | आशुशुक्षणि, (पुं. ) अग्नि | आग | पवन | वायु । C आशु, ( श्रव्य . ) तेज | शीघ्र | आशेकुरिन्, (पुं. ) पहाड़ शौच, ( न. ) वैदिक पर्वत । कर्म के योग्य दशा । अशुद्धि | सूतक । “ दशाहं शाय- माशौचं ब्राह्मणस्य विधीयते " मनु | आश्यान, ( त्रि. ) किञ्चित् एकत्र हुआ | सूखा हुआ। श्राश्रम्, (अन्य ) आँसू श्राश्रम, ( पुं. ) ब्रह्मचर्यादि चार आश्रम, अर्थात् अवस्था | मुनियों के रहने का स्थान | कुटी | मठ । विद्यार्थियों के रहने की जगह । तपोवन । विष्णु का नाम । श्राश्रय, (पुं.) आसरा। समीप | समीपी । आधार घर प्रबल बलवान् शत्रु का सहारा लेना । सन्धि आदि छः में एक गुण । आश्रयाश, ( पुं. ) जो अपने चाश्रय को खा डाले । अर्थात् श्रग्नि, श्राग श्रव, (पुं. ) नदी । नाला । दोष । अप- राध | आज्ञाकारी । आश्रित, (त्रि.) शरणागत शरण में आ पड़ने वाला। अधीन आसरे पर रहने वाला । चाकर । भृत्य | नौकर अनुयायी रहने वाला । आधि: ( स्त्री. ) तलवार की धार खन्न की बाढ़ । आशु, ( . ) सुनना । प्रतिज्ञा करना | वचन देना स्वीकार करना। खींचना | जफ्ना । श्राश्रुत, (त्रि.) सुना। प्रतिज्ञात । स्वीकृत | आश्लिष, (क्रि. ) आलिङ्गन करना। गले लगाना। चिपकना आश्लेष, ( पुं. ) एक ओर से जुड़ा हुआ। (T ) नवाँ नक्षत्र ( न. ) घोड़ों का समूह | घोड़ों का A खास रथ या गाड़ी । . आश्वयुज, (पुं.) महीना जिसमें अश्विनी नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा हो, अर्थात् आश्विन या कार का मास आश्वलायन, (पुं.) एक सूत्रकार। जिनका ग्रन्थ आश्वलायन सूत्रों के नाम से प्रसिद्ध है। श्रश्वास, (पुं. ) आश्रयहीन भयभीत का भय दूर करने के लिये ढादस बँधाना । आश्विन, (पुं.) आसोज कार का मास | आश्विनेय, ( पुं. ) देवताओं के चिकित्सक नकुल और सहदेव । घोड़े की एक दिन की मजिल | सूर्यपली संज्ञा के पुत्र अश्विनी कुमार | m की एक दिन की आश्वीन (पुं. ) मंजिल आषाढ़, (पुं. ) वर्षा ऋतु का प्रथम मास । आषाढ़ मास । पलाश वृक्ष का दण्ड जो संन्यासियों के पास रहता है। ब्राह्मण को यज्ञोपवीत संस्कार में ब्रह्मचर्य का चिह्न दिया जाता है भास, (कि. ) बैठना लेटना आराम करना असू, (अव्य. ) स्मरण | दूर करना | कोप सन्ताप | गर्व से घुड़कना | आसल, (त्रि. ) फँसा हुआ । अनुरक्त निरत | सब धन्धा छोड़कर एक में अनु- रक्त होना निरन्तर । नित्य शास श्रङ्ग, (न.) अभिनिवेश | एक बात का इठ । भोग की अभिलाषा । कोई काम करने का अभिमान । बचाना । सङ्ग । प्रासत्ति, ( स्त्री.. संसर्ग । मेल । लाभ । समीप । न्यायशास्त्र में दो अन्वय योग्य | दोनों पदार्थों को बिना फरक बोलना । आसन, ( न.) उपवेशन | बैठना । (सं.) चौकी | हाथी का स्कन्ध | राजाओं के : गुणों में से एक, शत्रु 1 आराम करना । जीरक का पेड़ | आसन्न, (त्रि. ) समीपस्थ निकट का | उपस्थित । आसव, (पुं. ) हर प्रकार की मदिरा । अपक इक्षु रस । आसादन, (न. ) रख देना । आक्रमण करना | मिलना 1 सम्मुख जाना । पाना | पूर्ण करना । चतुर्वेदीकोष । ८३ आसार, (पुं.) घमाघम बरसना । मूसल धार वर्षा । फैलना । सेनाओं का चारों ओर फैलना मित्र का बल । आंसुति, ( स्त्री. ) मद्य निकालना । प्रसव | उत्तेजन | आसुर, (पुं.) असुर सम्बन्धी । दैत्य । यज्ञ न करने वाला। आठ प्रकार के विवाहों में से एक प्रकार का विवाह, जिसमें वर कन्या पिता वा उसके सम्बन्धियों को धन दे कर, वधू लेता है + आसुरिः, ( पुं. ) कपिल के एक शिष्य ' का नाम । आसेव, (क्रि. ) अभ्यास करना । प्रसन्नता में मग्न होना । आसेचन (त्रि. ) छिड़काव । सींचना । जहाँ मन न लगे। बहुत सुन्दर दर्शन । आसेध, (पुं.) राजाज्ञा से अन्यत्र जाने का निषेध | बन्दी | आसेवा (स्त्री. ) अभिलाषा सहित किसी कार्य को वारंवार करने की प्रवृत्ति | किसी आस्फो कार्य को वारंवार करना । वारंवार अच्छे प्रकार सेवा करना । आस्कन्दन, (न. ) अनादर करना । आक्रमण करना। चढ़ना। गाली देना । घोड़े की चाल । युद्ध+ स्तर (पं.) विधौना । हाथी की पीठ की भूल । आस्तिक, ( त्रि. ) जो परलोक को मानता हो । जो वेदशास्त्र और ईश्वर को माने । पवित्र 1 सच्चा 1 एक धुनि का नाम, देखो आस्तीक शब्द । आस्तीक, (पुं. ) जरत्कारु ऋषि के पुत्र का नाम जिसने जनमेजय का सर्पयज्ञ बन्द करवा कर नामों की रक्षा की थी 1 आस्तिक ऋषि । आस्तीर्ण, ( त्रि. ) फैला हुआ | विस्तीर्ण । आस्था ( स्त्री. ) ध्यान | आदर आशा सहारा । विश्वास । भरोसा । स्थिति । यत । स्थान, (न. ) जहाँ बैठते हैं । सभा । सहारा । चढ़ना । यल | विश्राम स्थान | आस्थित, (त्रि.) निवास किया 1 ठहरा | रहा। चढ़ा पहुँचा | मान गया ! बड़े यत्व से किसी काम में संलग्न होना घिरा हुआ | फैला हुआ । आस्पद, (न. ) स्थान | जगह । आधार | प्रतिष्ठा । पद । स्थान। कृत्य । काम । प्रभुत्व | बड़प्पन | कमरा लग्न से, दसवाँ स्थान | स्पर्धा, ( स्त्री. ' प्रतिद्वन्द्वता | ईर्ष्या | बदाबदी । होड़ाहोड़ी | ● आस्फालन, (न.) रगड़ना । मलना । चलना. दबाना | पछाड़ना | गर्व | अभिमान | स्फुजित, ( पुं. ) शुक्र ग्रह का नाम | फोट, (पुं. ) मदार का पेड़ । ताल मारना या ठोंकना । पहलवानों का भुजाओं पर ताल ठोंकना । ताल । कम्पन | नलमलिका का वृक्ष | ● मास्य चतुर्वेदीकोष | ८४ स्य, (न. ) मुख सम्बन्धी । पङ्कज | आयपत्र, ( न. ) पद्म | कमल जिसका मुख ही पत्र हो । स्या, ( सी. ) स्थिति | ग्रासन | ठहरना । निवास | आस्यासव, (पुं.) थूकू । खखार । लार । श्रश्रव, (पुं.) पीड़ा । दुःख । क्लेश । बहना। भागना। निकास | अपराध | आस्वाद, ( पु. ) रस | स्वाद चखना | ह, ( . ) यह कष्टसूचक श्रव्यम है । श्राहकः, (पुं.) एक विलक्षण नाक का रोग | आहन्, (क्रि. ) मारना । पीटना | आहत (त्रि. ) ताइन किया गया। पुटीला । ज्ञात । जाना हुआ। ढक्का बाजा १ (पुं. ) पुराना या नया कपड़ा । आहव, (न. ) स्थान जहाँ शत्रु बुलाये जायँ । लड़ाई। युद्ध । यज्ञ | होम | आहवनीय, (पुं.) गृहस्थी के श्रग्नि से लेकर होम के लिये संस्कार किया हुआ अग्नि! हयन के योग्य | आहार, (पुं. ) लाना। हर लाना। किसी वस्तु को गले के नीचे करना | भोजन | अन्नादि हार्य (त्रि.) हरणीय भोजन के योग्य | लाने योग्य | आगन्तुक | अतिथि । नेपथ्य रङ्गभूमि | कृत्रिम । बनावटी | रसादिको प्रकाश करने वाले श्राभूषणादि । आहाव, (पुं.) कूए की मेंड़ के पास गौ आदि के पानी पीने के लिये पक्की चरी । हौद या छोटा कुण्ड । चोहबच्चा | लड़ाई | बुलाना आह्वान ति, (त्रि.) रखा गया। स्थापित टिकाया गया । डाला हुआ किया हुआ । संस्कारित | हिडिक, (त्रि. ) मदारी | सपेरा । आहुति, (स्त्री. ) देवता के उद्देश्य से मंत्र पढ़ कर श्रग्नि में घी डालना। देवता के लिये होम में घी प्रदान करना हुक: (पुं. ) श्रीकृष्ण के बाबा का नाम | आहुल्यं, (न. ) तगर । तरवट नामक वनस्पति । आहेय, (त्रि. ) साँप का विष । विष हो, (अव्य. ) प्रश्न | विकल्प | विचार | सन्देह । पुरुषिका, ( स्त्री. ) हङ्कार सं उत्पन्न अपने महत्त्व का विचार | दर्पजन्य आत्मोकर्ष सम्भावना स्वित् (व्य ) विकल्प | सन्देह । प्रश्न | जानने की इच्छा । दैनिक | हिक, (त्रि. ) नित्य का काम । स्नान, सन्ध्या तर्पणादि । भोजन ( न. ) समूह | ग्रन्थ का भाग । सदैव करने का काम । ह्लाद (पुं.) श्रानन्द । हर्ष श्रय, (पुं. ) नाम जुआ । आह्वान, (न. ) आहुति | बुलाना प्रसन्नता इ छ, देवनागरी वर्णमाला का तीसरा अक्षर। कामदेव का नाम । क्रोधावेश में कहा हुआ वचन तिरस्कार दया। खेद | "विस्मय | निन्दा । कुत्सा | सम्बोधन । (क्रि.) जाना । गिरना । प्राप्त करना | इक्, (प्रत्य.) याद करना । स्मरण करना । इकटा, (स्त्री.) चटाई बुनने की एक प्रकार की घास । इक्कवालः, (पुं. ) ज्योतिष में वर्षफल के सोलह योगों में का एक योग सौभाग्य | सम्पत्ति | इक्षु (पुं.) गन्ना । ऊख । पौड़ा । कोकिला नामक दूसरा एक वृक्ष इच्छा। अभिलाष इक्षुकाण्ड, (पुं.) काँस और मूँज तृण काही | गन्ना । इक्षुदर्भा, ( स्त्री. ) एक प्रकार घास | इक्षुपत्र, (पुं.) घास जिसका पत्ता गन्ना जैसा • हो । जुार | भेद । चतुर्वेदीकोष । ८५ इक्षुमती; (स्त्री. ) गन्ने जैसे रसवाली | एक • नदी का नाम । इक्षुमेह, (पुं. ) मधुमेह रोग । इक्षुर, (पुं.) तालमखाना । कोकिल वृक्ष । इक्षुसार, (पुं.) गुड़ | गन्ने का सत्व | इक्ष्वाकु (पुं. ) कटुतुम्बी । वैवस्वत मनु का बेश सूर्यवंश का प्रथम राजा । इक्ष्वालिका, (स्त्री.) काँस | काही । इखूं, (कि. ) जाना । डोलना । इग, (क्रि.) जाना । हिलना । डोलना । इङ्ग, (कि. ) पढ़ना। अद्भुत इङ्गः, (पुं. ) सङ्केत | ज्ञान | इङ्गित, (न. ) सङ्केत | मन के भाव को प्रकाश करने वाली शारीरिक क्रिया | मनोभिप्राय | श्राशय । इशारा | इङ्गः, ( पं. ) एक प्रकार का रोग | इङ्गुद:-दी, (पुं. स्त्री.) इङ्गुलः हिंगोट । तापस- तरु | तपस्वियों का वृक्ष, आहार में इसका फल काम आता है। इचिकिलः, ( पुं. ) कच्चा तालाब । कीचड़ | इच्छा, (स्त्री..) अभिलाष । सुख और उसका साधन । आत्मा का धर्म । चाह । इच्छुकः, (पुं. ) वृक्ष विशेष । इच्छलः, (पुं.) छोटा वृक्ष जो जल के समीप उगता है । हिज्जल ।' इज्य, (पुं.) बृहस्पति । सुरगुरु | नारायण । परमात्मा । पूज्य इज्या, ( स्त्री. ) यज्ञ | दान । मिलन । प्रतिमा । गौ | कुटिनी | भेंट पुरस्कार | इंञ्चाक, (पुं. ) जलवृश्चिक | पनबीधी । इट्, (क्रि.) जाना । इट:, (पुं. ) एक प्रकार की घास । चटाई । इट्चरः, ( पुं. ) साँड़ या. हिरन जो स्वतंत्र छोड़ दिया जाय । इड्, (स्त्री.) (वैदिक प्रयोग ) इल्, बलि । प्रार्थना | धाराप्रवाह वकृता । पृथिवी | भोजन सामग्री वर्षा ऋतु । पच. प्रयोगों में से इति तीसरा प्रयोग ( इडोजयति ) प्रजा । इडस्पति, (पुं.) विष्णु का नाम । इडः, (पुं.) अग्नि का नाम । इडाला, ( स्त्री. ) पृथिवी । वाणी । बलिप्रदान | गौ । स्वर्ग । बुध की पत्नी । शरीर के दहिने भाग की टेढ़ी नाड़ी । एक देवी । मनु की पुत्री । इसका दूसरा नाम मैत्रावारुणी भी है । इसीके गर्भ से पुरूरवा का जन्म हुआ था। दुर्गा का नाम । इडाचिका, (स्त्री.) बर्र । बरैया । इडिका, (स्त्री.) धरती । पृथिवी । इग्रू, (क्रि. 3 जाना । इत, (त्रि.) गया । स्मरण किया हुआ । गत प्राप्त । इतर, (त्रि.) नीच | पामर | निम्न श्रेणी का | दूसरा | भिन्न । इतरथा, ( श्रव्य. ) अन्यथा । अन्य रीति से । और तरह से । और प्रकार से । इतरेतर, (त्रि. ) अन्योन्य । परस्पर आपस में। इतस्, (अव्य. ) यहाँ से । मुझ से । यहाँ । इस ओर इधर इसमें | अबसे । इतरेद्यः, दूसरे दिन । अन्य दिवस | इतस्ततः, ( श्रव्य ) इधर उधर । इसमें उसमें इति, ( अव्य. ) समाप्ति । हेतु । निदर्शन | निकटता । मत । प्रत्यक्ष अवधारण । व्यवस्था | मान । परामर्श | शब्द के यथार्थ रूप को प्रकट करने वाला। वाक्य के अर्थ का प्रकाशक । इतिकर्त्तव्यता, ( स्त्री. ) अवश्य करने योग्य काम करने का क्रम। जिसके अनुसार एक काम के अनन्तर दूसरा काम किया जाय । इतिमध्ये, (अन्य ) इतने में । इतिह, ( श्रव्य. ) उपदेशपरम्परा । देर से सुना जाने वाला उपदेश सुना सुनाया अच्छा वचन | इतिहास, (पुं॰ ) ग्रन्थ जिसमें धर्मं अर्थ. तुर्वेदकोष ८६ और काम मोक्ष का उपदेश प्राचीन कथानकों से युक्त हो । पुरावृत्तान्त का प्रका• शक । संस्कृत में पुराने इतिहास ग्रन्थ दो ही हैं। अर्थात् महाभारत और वाल्मीकीय रामायण | इत्थम्, ([अव्य.) इस तरह । इस प्रकार | ऐसे । इत्यशालः, (.पं.) ज्योतिष में वर्षफल के तीसरे योग का नाम । । अपने इत्वर, (त्रि.) निष्ठुर कर्म करने वाला । क्रूर कर्म्म | नीच | पथिक । बटोही । इल्वरी, ( स्त्री. ) अभिसारिका प्रणयी द्वारा निश्चित स्थान पर अपने भरायी से जो मिलने जाय । व्यभि चारिणी । कुलटा स्त्री | इत्य, (त्रि.) प्राप्य । पहुँचने के योग्य | जाने योग्य | इद्, (क्रि. ) ऐश्वर्य होना । इदम्, (त्रि.) किसी ऐसी वस्तु को बतलाने बाला। जो कहने वाले के समीप हो । यह यहाँ । इदानीम् ( अव्य. ) सम्प्रति । अब । इस समय । अभी । इद्ध, (न. ) धूप घाम । आतप । दीति | प्रकाश । आश्चर्य | बूढ़ा । निर्मल | साफ़ | इध्म, (न.) समिघ् । समिधा । काष्ठ । लकड़ी | इनः, ( पुं. ) योग्य | सुदृढ़ | बलवान् । साहसी । प्रतापी । सूर्य | प्रभु | नृप विशेष | राजा । इनक्षति, (क्रि. ) पहुँचने का यत्न करना | पाने की चेष्टा करना । इन्दिरा ( स्त्री. ) लक्ष्मी कमला | धन की अधिष्ठात्री देवी | विष्णु की स्त्री | इन्दिवर, (न. ) लक्ष्मी का प्रिय | नीलो- पल । नीला कमल । इन्दीबर | इन्दु (पुं. ) चन्द्रमा । मृगशिर नक्षत्र | एक संख्या कपूर | चाँदनी से पृथिवी को गीला करने वाला इन्दुकलिका, ( स्त्री. ) केतकी ।" निवाड़ी केवड़े का फूल । इन्दुकान्त, ( पुं. ) चन्द्रकान्तमणि | यह मणि चन्द्रमा के सामने पिघलती है। इन्दुजनक, (पुं.) चाँद को पैदा करने वाला समुद्र । अत्रिऋषि । ( इनके नेत्र से भी चन्द्र की उत्पत्ति किसी कल्प में होती है) । इन्दुजा, ( स्त्री. ) चन्द्र से निकली नर्मदा नदी । चाँदनी । इन्दुपुत्र, ( पुं. ) चन्द्रपुत्र अर्थात् बुध । इन्दुभृत् (पुं. ) शिव । शङ्कर । महादेव । इन्दुमती, ( स्त्री. ) पूर्णिमा | राजा अज की स्त्री । इन्दुरत्न, ( न. ) मुक्ता । मोती । इन्दुलेखा, ( स्त्री. ) | चाँद की कला | सोमलता | अमृतलता । इन्दुवासर, (सं.) चन्द्रमा का वार | सोमवार । इन्द्र (पुं.) देवताओं का स्वामी परमेश्वर । ज्येष्ठा नक्षत्र । द्वादश सूर्य्यो में से एक | चौदई की संख्या | इन्द्रक, (न. ) सभाभवन । कमेटी घर । इन्द्रकील, (पुं. ) मन्दर पर्वत इन्द्रगोप, (पुं. ) पटनीजना वर्षाती लाल रङ्ग का कीड़ा | इन्द्रजालिक, ( त्रि. ) मदारी। जादूगर | छलिया । V इन्द्रजित्, ( पुं. ) इन्द्र को जीतनेवाला । मेघनाद | रावण का पुत्र | इन्द्रधनुष ( न.) सूर्य की किरणें जो धनुषाकार बादलों पर पड़ कर विचित्र रह धारण करती हैं। इन्द्रनील (पुं.) मरकत माये | नीलम | इन्द्रनेत्र, (न. ) एक हजार की गिनती । इन्द्रपर्वत, ( पुं. ) महेन्द्र पर्वत । इन्द्रपुरोहित, ( पुं. ) बृहस्पति । इन्द्रप्रस्थ, (न. ) दिल्ली नगर । .. . चतुर्वेदीकोष | ८७ इन्द्रभेषंज, सोंठ । शुण्ठी । प्रति पाद में इन्द्रवंशा, ( स्त्री. ) जिसके बारह अक्षर हों - वह छन्द | इन्द्रवज्रा, ( स्त्री. ) ग्यारह अक्षरों के पाद वाला छन्दविशेष | a इन्द्रशत्रु, (पुं.) वृत्रासुर । इन्द्राणी (स्त्री.) राची । सिन्धुवार वृक्ष । बड़ी इलायची । षोडशमातृकाओं में से प्रथम माता १ लता विशेष इन्द्रायुध, (न. ) वज्र | इन्द्रधनुष । इन्द्रिय, (न. ) ईश्वर प्रणीत ज्ञान और कर्म के साधन अर्थात् हाथ पैर क नाक आदि । इन्द्रियार्थ, (पुं.) इन्द्रियों के विषय | यथा - शब्द, स्पर्श, रूप, रस, और • गन्ध । इन्द्रियायतन, ( न. ) शरीर । इन्ध (क्रि. ) जलना । चमकना । श्राग का जलना । n इन्धन, (न. ) लकड़ी । इन्धन । इभ, ( पुं. ) हाथी | निर्भीक । शक्ति | नौकर | अधीनस्थ आठ की गिनती बड़ी पीपल गज- इभकणा 6 स्त्री. पिप्पली इभनिमिलिका, ( स्त्री. ) वनस्पति विशेष जिसके सेवन से हाथी भी सो जाय । भाङ्ग | विजया बूटी | इभपालक, (पुं. ) हस्तिपक फीलवान | महावत । इभपोटा, (स्त्री. ) युवा हथिनी | इभपोतः, ( पुं. ) हाथी का बच्चा ● इभमाचल, ( पुं० ) । शेर | केशरी इभया, ( स्त्री. ) स्वर्णक्षीरी । इभ्य, (त्रि.) बड़ा धनी । धनवान् । मालिक | इभ्या (स्त्री.) हथिनी | हस्तिनी । इभ्यक ( पुं. ) धनी इयत, (त्रि.) इतना । एतावत् | इयत्ता, ( स्त्री. ) सीमा । माप । गिनती । इरम्मद, (पुं.) बिजली | वज्राग्नि | समुद्र की आग । बड़वानल | इरा, (स्त्री.) धरती। भूमि । वाणी । सुरा । मद्य । जल । अन्न। कश्यप की स्त्री । इरावती, (स्त्री.) एक नदी का नाम । यह नदी पञ्जाब में है और इसका प्रसिद्ध नाम रावी है। दुर्ग + इरिण, (न. ) ऊसर भूमि । आश्रयशून्य | सूना। इरेश, (पुं.) वरुण । बृहस्पति । राजा | विष्णु । इर्वारु - लु, ( स्त्री. ) कर्कटी । श्रालू । इलू, (क्रि. ) धोना | फेंकना इलविला, ( स्त्री. ) कुबेरजननी । पुलस्त्य की स्त्री | माता का नाम इलविला होने से कुबेर का नाम ऐलबिल है। इला, ( स्त्री. ) भूमि | पृथिवी | गौ । वाणीं जम्बूद्वीप के नव वर्षों में से एक । वैवस्वत मैनु की कन्या। बुध की स्त्री इलावृत, (न. ) जम्बूद्वीप के नव वर्षों में से एक चार सीमा वाला देश जगत् नव खण्डों में से एक के इली, (स्त्री.) छोटा खन्न । छुरी । करकालिंक | इलीविलः, (पुं.) एक दैत्य जिसे इन्द्र ने परास्त किया था । इल्वल, (पुं. ) अति चञ्चल एक प्रकार का मच्छ । एक दैत्य जो अगस्त्य द्वारा मारा गया था। इव्, (क्रि. ) फैलना । (अव्य.) जैसा | थोड़ा मनों । बराबरी। थोड़ा | वाक्यालङ्कार | इषू, (क्रि. ) चाहना | पसन्द करना | चुनना | माँगना। प्रार्थना करना। सरकना । जाना । इष, ( पुं. ) आश्विन मास । जिस मास में जय की इच्छा करने वाले यात्रा करते हैं । इषु, ( पुं. ) बाण । तीर । पाँच की. संख्या । चतुर्वेदीकोष | इषुधिः, नपुं.) तरकस | बाण रखने का स्थान | इष्ट (त्रि.) श्रादर किया गया । पूज्य | अभिलषित । चाहा गया । प्रिय | यज्ञादि कर्म । रेड़ी का पेड़ । ( पुं. ) संस्कार ( न. ) चाह | धर्म कार्य । इष्टका, (स्त्री. ) मिट्टी आदि का बना हुआ । सामुद्रक जानने वाला । सगुनीतिया । सगुन उठाने वाला । ज्योतिषी । ईक्षा, (स्त्री. ) दर्शन | देखना । ईरवू, (क्रि. ) डोलना | भूलना | हिलना । ईजू (क्रि. ) जाना । भर्त्सना करना । दोषारोप करना । ईड, (क्रि. ) स्तुति करना | सराहना | एक प्रकार का मिट्टी का खण्ड । अर्थात् • ईडा, ( स्त्री . ) स्तुति | प्रशंसा | सराहना । ईंट | खपरैल । ईरामत्, ( पुं. ) जिसका कोई स्वामी या प्रभु हो । ईति, ( श्री. ) उत्पन्न हुआ। खेती सम्बन्धी छः प्रकार के उपद्रव यथा - १ यति- वृष्टि । २ अनावृष्टि | ३ मकड़ी ४ चूहे । ५ तोता । और ६ राजाओं का दौरा । इष्टा, (स्त्री.) शमी वृक्ष । इष्टापूर्त्त, (न. ) अग्निहोत्र तप । सत्य । यज्ञ | दान | वेदरक्षा | आदित्य | वैश्वदेव | ध्यानादि कर्म | नावली। कुथा। तालाब | देवालय । अन्नदान । वाटिका रोपना आदि इष्टों की पूर्ति । इष्टि, (स्त्री . ) यज्ञ । दर्श पौर्णमास यज्ञभेद । अभिलाषा | इच्छा | चाह । इष्वासन, ( पुं.) धनुष । इह, (अव्य.) यहाँ । इस समय | इस देश में । इस जगत् में अब । इहलः, (पुं.) चेदि देश का नाम । इहामुत्र, ([अव्य.) यहाँ वहाँ | इस लोक और परलोक में । ई ई, ( स्त्री. ) लक्ष्मी तथा कांमदेव का नाम । अनु- त्साह । पीड़ा। शोक । क्रोध । अनुकम्पा । कृपा प्रत्यक्ष पुकारना । ई, (क्रि. ) जाना । चमकना | फैलना | इच्छा करना | फेंकना | माँगना । गर्भ धारण करना । ईक्षू, (क्रि. ) देखना | ताकना । जानना । विचार करना । ईक्षण, (न.) देखना । दृष्टि । आँख । ईक्षणिक, ( त्रि. ) मनुष्य के शारीरिक .. चिह्नों अथवा जन्मकुण्डली को देख कर शुभाशुभ फल बतलाने वाला । दैवज्ञ । यात्रा करना । कष्ट ईडक्ष, (त्रि.) इसके समान । ऐसा । इसके बराबर। इसके सहश ● ईप्सित, (त्रि. ) अपेक्षित । चाहा हुआ । इष्ट । ईर, (कि.) जाना । ईर्म, ( 'न. ) व्रण | घाव | फोड़ा जखम ईर्ष्य, ( क्रि. ) डाइ करना । होड़ करना । ईर्ष्या, (स्त्री. ) डाइ। दूसरे की बढ़ती को देख कर जलना। बैर / ईला, (स्त्री.) पृथिवी । वाणी । गौ। स्तुति | ईलि:-ली, ( स्त्री. ) हथियार । छुरी । . करवालिका । ईवत्, ( श्रव्य ) इतना लम्बा । ऐसा भड़कदार | ईश, ( क्रि० ) शासन करना | शक्तिमान् होना। स्वामी के समान बर्ताव करना । परवानगी देना । ईशान, ( पुं. ) महादेव । परमेश्वर | धनी । प्रभु । आर्द्रा नक्षत्र | शिव की अष्ट मूर्तियों में सूर्य की मूर्ति । शमी वृक्ष विष्णु दुर्गा | ईशिता, (स्त्री० ) अष्ट ऋद्धियों पर प्रभुत्व | श्व चतुर्वेद ईश्वरं, ( पुं. ) महादेव । कामदेव । चैतन्य आत्मा परमेश्वर । पातञ्जल के मतानुसार क्लेश कर्मविपाकाशयों से अस्पृश्य पुरुष विशेष । पहिला | स्वामी । लताभेद । ईष, ( पुं. ) स्वामी | मालिक | महादेव | परमेश्वर । ईषत् (अन्य ) अल्प । थौड़ा | कुछ । ईषत्कर, (पुं.) लेशमात्र, थोड़े से यत्न या प्रयास से सिद्ध हो जाने वाला । ईषदुष्ण, ( पुं. ) गुनगुना । कुछ कुछ गर्म । मन्द्रोष्ण | ईषा, (स्त्री.) हलदण्ड । हल की नोंक । हल की फाल । ईषिका, ( स्त्री. ) हाथी की आँख की पुतली | चित्रकार की कूँची | तीर । अस्त्र । ईहू, (क्रि.) अभिलाषा करना । चाहना | वस्तु पाने के लिये प्रयत्नशील होना । ईहा, (स्त्री.) चेष्टा । उद्योग | प्रयत्न | वान्छा | ईहित, (त्रि.) ढूँढ़ा हुआ | खोजा हुआ । प्रार्थित ( सं . ) अभिलाषा चाह इच्छा किया हुआ |

उ, हिन्दी वर्णमाला का पाँचवाँ अक्षर । उ, (क्रि. ) शब्द करना | कोलाहल मचाना | धोंकना गरजना | माँगना तगादा करना । उः, ( सं. ) शिव का नाम । ब्रह्म का नाम | चन्द्र का बिम्ब | सम्बोधन का शब्द । क्रोध। दया । अनुकम्पा । आज्ञा । विस्मय । हैरानी । उकानह:, (सं.) लाल और पीले रङ्ग का घोड़ा । उकुणः, (पुं.) खटमल १ खटकीरा । उक्ल, (त्रि.) कथित । कहा गया | कथन | कहना। एक अक्षर के पाद का चिह्न । उक्लि, ( स्त्री. ) कहना | कथन | उचि उक्थ, ( न. ) नव प्रकार के साभवेद का एक भाग । सामवेद का प्रधान अङ्ग । महा- व्रताख्य यज्ञ | प्राण | कथन | वाक्य | स्तोत्र | प्रशंसा | उधू, (क्रि. ) छिड़कना । सींचना | भिंगोना । नम करना | उड़ेलना। फैलाना | साफ करना । उक्षतर, (पुं.) तीसरी अवस्था को पहुँचा हुआ बैल | बड़ा बैल | उक्षन, (पुं.) बड़ा । सोम - मरुत | अग्नि । ऋषभौषधि । उक्षाल, (पुं.) तेज भयानक | ऊँचा । बड़ा । सर्वोत्तम । बन्दर । उखू, (क्रि. ) जाना । हिलना । डोलना । उखः, ( पुं.) पाकपात्र। किसी वस्तु को उबालने का पात्र । बटलाई | भगोना । तसला । वेदी | शरीर का अङ्ग । उग्र, (त्रि. ) भयानक । निमर | बनैला | बली । दृढ़ । तीक्ष्ण तज । कद्ध ● क्षत्रिय पिता और शुद्धा माता के गर्भ से उत्पन्न सन्तान | वायु की मूर्त्ति धारण करने वाले शिव । विष विशेष । नक्षत्र- समूह f G उग्रकाण्ड, (पुं, ) करेला | कारवेल' अर्थात् " करेला का वृक्ष | उग्रगन्ध, ( त्रि. ) तेज़ गन्धवाला । चम्पा । चमेली। अर्जक वृक्ष । लशुन । हींग | । उग्रधन्वन्, (त्रि.) जिसका धनुष बड़ा तेज़ हो । महादेव । इन्द्र उग्रश्रवस् (पुं.) रोमहर्षण का पुत्र सुनी हुई बात को तुरन्त अवधारण करने वाला | उग्रसेन, ( पुं. ) कंस का पिता । यह यदुवंशी था और इसका दूसरा नाम हुक था । धृतराष्ट्र का पुत्र | उच्, (क्रि. ) एकत्र करना । योग्य होना । उचित, (त्रि.) योग्य | मुनासिब | ( चतुर्वेदीकोष | १० उच्च, (त्रि.) ऊँचा । उन्नत उच्चतरु, (पुं.) नारियल का वृक्ष । उच्चक्षुस्, (पुं. ) आँख उठाए हुए । उश्चाटन, (न. ) उत्पाटन | उखाड़ना । अपनी जगह से अलग करना। किसी मन्त्र प्रयोग से पागल कर देना । उच्चण्ड, ( पुं.) बड़ा उग्र | बलवान् । उच्चार, (पुं.) उच्चारण | कहना । विष्ठा । मल | उष्पावच, (त्रि. ) बड़े छोटे । ऊँचे नीचे । डच्चूलन, ( पुं. ) ऊंची चोटी वाला । झण्डे के ऊपर वाला | भूषण । झण्डा । उच्चैःश्रवस, ( पुं. ) ऊँचे कान वीला । इन्द्र का घोड़ा । उच्चैघुष्ट, (न. ) ढएडोरा । डौंड़ी । मुनादी । उच्चस्, ([अव्य.) ऊँचा | बड़ा | लम्बा । उच्छिख, (त्रि.) धागे से ऊँचा | चोटी उठी हुई । . उच्छित्ति, (स्त्री.) उच्छेद | नाश । विनाश | उच्छिष्ट (त्रि.) जूंठा | भोजन करने से बचा हुआ। छोड़ा हुआ। उच्छीर्षक, ( न. ) तकिया । बालिश | उच्छुष्क, (न. ) सूखा हुआ। उच्छून, (त्रि.) फूला हुआ । बढ़ा हुआ । उच्छृङ्खल (त्रि.) विनयरहित । निरातङ्क | बेकाबू | बेलगाम | उच्छेत, (पुं. ) नष्ट करने वाला । उच्छेद, (क्रि. ) छेदन करना | तोड़ना । उच्छ्रोथ, (पुं. ) सूजन । उच्छ्रोषण, (त्रि.) सुखाने वाला | सन्तापक | उच्छ्रसन, (न. ) सुस्त पड़ जाना । उच्वासन, (न.) साँस लेना | प्राण । उच्छ्राय, (पुं.) उँचाई । उच्छ्रित (त्रि. ) ऊँचा | बढ़ा हुआ | उच्छ्रास, ( पुं. ) भीतर जाने वाली श्वास । आख्यायिका का अध्याय । प्राण । उछू, (क्रि.) दानों का बटोरना। बाँधना । समाप्त करना । उज्जयिनी, ( स्त्री. ) उज्जैन नगरी । अवन्ती पुरी । विक्रमादित्य की राजधानी । उज्जागर, (पुं. ) भड़का हुआ । उत्तेजित | उज्जासन, (न.) मारय । मारना । उज्जिति, ( स्त्री. ) जीत | . उज्जृम्भ, (पुं.) खिलना । फूटना । विकाश | जमुहाई | उज्ज्वल, (पुं. ) चमकदार । चमकीला । दमकता हुआ शृङ्गार उज्झ, (क्रि. ) छोड़ना। भूलना। उञ्छन, (पुं. न. ) आदि में गिरे हुए अनाज के बचे और कामीन पर पड़े दानों को बीनना । उटज, (पुं. न. ) पत्रकुटी । पर्यशाला | उड़, (क्रि.) इकट्ठा करना । उडु, ( स्त्री. न. ) तारा । नक्षत्र | जल । उड्डुप, (पुं. न. ) चन्द्र | चाँद | चन्द्रमा | उडुपति, ( पुं. ) तारों का पति चन्द्रमा । जल का स्वामी। वरुण उड्डामर, (त्रि. ) श्रतिप्रचण्ड । बड़े जोर का। सब से ऊँचा | उड्डयन, (न. ) उड़ान उत, ( अव्य. ) विकल्प | और । भी क्या । अथवा । या तो । प्रश्न । अत्यर्थ । उतथ्य, (पुं. ) अङ्गिरा से श्रद्धा में उत्पन्न । बृहस्पति के बड़े भाई का नाम । उताहो, (अन्य ) विकल्प | संन्देह । प्रश्न | ऐसा या ऐसा | विचार । उत्क, (त्रि. ) अन्यमनस्क । उत्कण्ठित । उत्कञ्चक, ( पुं. ) चोली का बन्द | कुर्ता आदि पहने हुए । उत्कट, (पुं.) अत्यधिक । अतीव | बहुत । तेज । ( सं. ) नाग्य । दारचीनी । मत्त इस्ती । उत्कण्टकित, (पं.) काँटे या बालदार । उत्कण्ठ, (पुं. ) उठी हुई गर्दन वाला । उत्कराठा, (खी..) चाही हुई वस्तु को जल्दी चतुर्वेदीकोष । ६१ पाने की चिन्ता । किकिर | दुःख | विकलता | किसी प्रिय वस्तु को पाने की इच्छा । उत्कर, (पुं. ) धानादि का एकत्र करना । फैलाना | हाथ पाँव पसारना । घास का बिखेरना | टीला | उत्कर्ण, (न.) कान छेदना | उत्कर्ष, ( पुं. ) अतिशय । अत्यधिक बहुत अधिक । उन्नति । उत्कल, (पुं.) उड़ीसा प्रदेश | शिकारी । भारवाहक । बोझ ढोने वाला । ब्राह्मणों की एक जाति । उत्कलिका, (स्त्री.) उत्कण्ठा | कली | लहर | उत्कार, ( पुं. ) धानों को एकत्र करना और ऊपर उछालना । फेंकना । उत्किर, (पुं.) गुफना की तरह घुमाना | उत्कीर्ण, (त्रि.) फैलाया गया | फेंका गया । बेधा गया । गढ़ा गया । उल्लिखित । उत्कीलित, ( न. ) खुला हुआ । उत्कुण, ( पुं.) जूँ । चील्हर केशों में उत्पन्न होने वाले कीड़े उत्कुल, (पुं. ) पतित । उत्कूर्दन, ( न. ) फलाङ्ग । छलाङ्ग । उत्कूल, ( त्रि.) किनारे तक भरा हुआ । उत्कृति, ( स्त्री. ) एक छन्द विशेष । उत्कृष्ट, (पुं. ) श्रेष्ठतर । उत्कोच, ( पुं. ) घूँस | रिशवत । उत्क्रम, ( पुं. ) उलटा क्रम | बिदा | नियम- विरुद्ध । उछलना । उत्कोश, (पुं.) कुंज । चिल्लाहट । कुररी पक्षी । उत्क्षिप्ति, ( पुं. ) उछाल । फेंक लुकान | उत्खात, (त्रि. ) उत्पाटित । उखाड़ा हुआ । उत्तंस, (पुं. ) कान में पहरने का गहना । कलगी। शिरोभूषण हार | उत्तप्त, (त्रि.) सन्तप्त | तपा हुआ । गरम | स्नान किया हुआ | सूखा मांस | उत्तम, ( पुं. ) बहुत अच्छा । उत्तम, (पुं.) महाजन | ऋणदाता उसा उत्तमाङ्ग, (न.) मस्तक | सब से अच्छा अङ्ग | उत्तम्भ, (क्रि.) ठहरना । पकड़ना । रोकना। भ- रोसा देना । कुत्सा से हटना। आराम करना । उत्तर, (न. ) जवाब । उत्तर नाम की दिशा । उदीची । विराटराज के पुत्र का नाम । पीछे योग्य | ऊँचा। अच्छा । अन्तिम | उत्तरकोशला, (स्त्री . ) अयोध्या नगरी | उत्तरकाय, (पुं. ) शरीर का ऊपरी भाग । उत्तरङ्ग, (पुं.) ऊँची लहरों वाला । दर्वाजे के ऊपर की लकड़ी । उत्तरच्छद, (पुं.) ढकना | बिछौने की चादर अँगोछ । उत्तरमीमांसा, ( स्त्री. ) अगला विचार | फ़ैसले की बात । वेदान्त दर्शन | उत्तरा, ( स्त्री. ) सपिण्डीकरण के अनन्तर की क्रियाएँ । उत्तर दिशा । काल । देश । राजा परीक्षित् की माता । उत्तरात्, (श्रव्य. ) उत्तर दिशा उत्तर की ओर। उत्तर काल । उत्तराधिकारिन्, (त्रि.) एक स्वत्वाधिकारी के अनन्तर जो दूसरा स्वत्वाधिकारी हो सकता है, वह उत्तराधिकारी कहलाता । पीछे का अधिकारी । बारिस । उत्तराभास, (पुं.) दुष्ट उत्तर । बुसजवाब | उत्तरायण, (न. ) उत्तरी मार्ग | वह समय जब सूर्य उत्तर की ओर झुकते हैं । मकर संक्रान्ति से ले कर मिथुन तक छः महीने । मकर संक्रमण का दिन | उत्तरीय, (न. ) ऊपर का कपड़ा । दुपट्टा अङ्गा | चुगा | उत्तरेण, ( श्रव्य. ) उत्तर । उत्तर की ओर । उत्तान, (त्रि.) विस्ताररहित । ऊपर की ओर मुँह किये हुए । उत्तानशय, (त्रि.) ऊपर को मुँह कर के सोने बाला | छोटा बच्चा । शिशु उत्ताप, (पुं. ) उष्णता । गरमी । दुःख । सन्ताप | उता चतुर्वेदीकोष | १२ उत्तार, (हि. ) तारा बहुत ऊँचा। अच्छे तारे वाला । उतार । उत्ताल, (त्रि.) प्रतिष्ठित | प्याला । ऊँचा | भयङ्कर | बन्दर । अत्युत्तम । उत्तीर्ण, (त्रि.) मुक्त । सफलीभूत । पार हुआ | छूट गया । उत्तङ्ग, (त्रि. ) बड़ा ऊँचा । उत्तष, ( पुं. ) धान की खीलें । उत्तेजना, ( श्री. ) प्रेरणा । तेज करना । घबगना | जमकाना | उत्साहित करना । पैना करना | उत्थान, (कि. ) उठ खड़े होगी। उदाभ | लड़ाई | मन्दिर | बेड़ा | सेना | मैदान | उत्पत, (पुं. ) पक्षी | चिड़िया | उत्पत्ति, (ग्री. ) जन्म | उद्भव । जीव का शरीर से संयोग | विर्भाव । उत्पल, (न. ) नीला कमल । दुर्बल । मांसरहित । कुष्ठ रोग की दवा । उत्पाटन, ( न. ) उन्मूलन । उखाड़ना । उत्पात, (पुं.) उपद्रव उत्पादक, (पुं.) पैदा करने वाला । उत्पादशय, (पुं. ) ऊपर को पैर कर के सोने वाला। टिट्टिभपक्षी | टिटहरा | उत्प्रासं, (पुं. ) हँसना । उपहाम । उत्प्रेक्षा, (श्री. ) समानता । अर्थालङ्कार भेद जिसमें मुख्य विषय को छोड़ कर अन्य के साथ एक ही होने का विचार किया जाय । उत्तवन, (न. ) फलाहना | कूद जाना । छलाङ्ग भरना । उत्तवा, (स्री. ) नौका । डोंगी । उत्फुल्ल, (त्रि.) खिला हुआ । उत्स, (पुं. ) झरना | सोता । उत्सङ्गः, (पुं.)। गोद | गोदी | उत्सर्ग, (पुं. ) फेंक देना । त्यागना अर्पण करना | देना । न्याय | उत्सव, (पुं.) श्रानन्ददायी कार्य । विवा- हादि कर्म | प्रसनता | पर्व | त्योहार | उत्सादन, ( न. ) निकालना । नाश करना । सुगन्धि लगाना | चढ़ना। खेत में दुबारा हल चलाना । मैला साफ़ करना | उबटमा लगाना । r उत्सारण, (न. ) निकालना । दूर हटाना | चालना | हिलाना | किसी वस्तु को हटा कर दूसरी जगह कर देना । -उत्साह, (पुं.) रद्यम । राजाओं का विशेष गुण । किसी कार्य को अवश्य करने का यत्न | सुख । इच्छा | उत्सिक, (त्रि.) घमण्डी | गर्वीला । उद्धत | स्नान किया हुआ | बढ़ा हुआ । नियम भङ्ग करने वाला । उत्सुक, (त्रि. ) उत्कण्ठित । व्याकुल उद्विग्न | उत्सृष्ट, (नि.) छोड़ा हुआ। दिया गया | उत्सेक, (पं.) हङ्कार। आधिक्य । उठा कर बाहर सींचना | उत्सेध, (पुं. ) उँचाई। शरीर । लम्बा । उद्, ( श्रव्य ) ऊपर । बाहिर । उद, (न.) पानी | उदक, (न. ) जल। पानी । उदकाञ्जलि (सी.) अञ्जली भर जल । उदक्या, ( स्त्री. ) जो स्त्री चौथे दिन नहा कर शुद्ध हो । उदगद्रि, ( पुं. ) उत्तर का पहाड़ हिमालय ! उदगयन, ( न. ) उत्तर का आश्रय लेना । सूर्य का उत्तर की ओर जाना । उत्तरायण । उदम, (पुं. ) उठा हुआ | उदङ्क, (पुं. ) कुप्पा । चमड़े का बना पात्र | उदश्च (पुं. ) ऊपर की ओर । उत्तर की ओोर | उदञ्चन, (न. ) ढकना । डोल | उदय, ( पुं. ) पूर्व का पर्वत । उगना । ऊँचा होना । उदधि, (पुं.) घट घड़ा । समुद्र उदन्त, ( पुं. ) बात । वृत्तान्त | साधु | A ● चतुर्वेदीकोष | १३ उदन्या, ( स्त्री. ) प्यासा | प्यास | उदन्वत्, (पुं.) मत्स्य । समुद्र । उदपान, (पुं.) चोबच्चा | होदी । खात | गढ़ा। उदधान, (पुं. न. ) पानी का कुण्ड । उदन, (न. ) लहर । पानी । उदन्त, (पुं.) संवाद | उदर, (न. ) पेट । जठर | नाभि और स्तनों के बीच के शरीर का भाग । युद्ध | लड़ाई | पेट का रोग | उदरम्भरि, (पुं. ) पेटू । मरभुक्का | उदरावर्त, ( पुं. ) नाभि । दरिणी, ( स्त्री. ) गर्भवती । उदर्क, (पुं.) अन्त भविष्य । परिणाम | फल । उदर्चिस (पुं. ) अग्नि । कामदेव । शिव | ऊँची लाट | उदवसित, (न. ) वासगृह । घट । उदहार, (पुं.) पानी जाकर लाना । उदात्त, ( पुं. ) ऊँचे स्वर से उच्चारण किया गया स्वर । ऊँचा । मनोहर । बड़ा । अलङ्कारभेद । ऊँचा शब्द | अच्छा | चमकूने वाला । बड़ा बाजार उदान, (पु.) शरीर के पाँच पवनों में से एक प्राण वायु । गले की हवा । नाभि । सर्पभेद | उदार, (पुं.) दाता । व्ययी । पार्वती । चतुर । गम्भीर । साधारण | उदासीन, ( ( त्रि. ) वीतरागी | संन्यासी । उपदेशक | किसी से सम्बन्ध न रखने वाला | उदास्थित, (पुं.) व्रतभङ्ग । यती । उदाहरण, (न.) दृष्टान्त | मिसाल । प्रत्यन्तर । पटतर । उदावृत ( त्रि. ) टान्तरूप से दिखाया गया । उदित, ( त्रि. ) कहा गया | उठा निकला | डेग । बढ़ा। to उदितोदित, ( न.) विद्वान् उर्दाक्षा, (स्त्री. ) ऊपर देखना । उदीच्य, (त्रि.) उत्तरकाल में होने वाली वस्तु । उत्तरीय । सरस्वती नदी का उत्तर- पश्चिमी भाग । बाला नामी गन्धद्रव्य | उदरण, (न. ) कहना । उच्चारण करना | बोलना । 7 उदीर्ण, (त्रि. ) उदार । दड़ा । उदुम्बर, (पुं.) गूलर का वृक्ष या फल । उदुम्बल, ( गु.) तॉबे जैसा रङ्ग वाला । उदूढ, (त्रि.) व्याहा हुआ । उद्गत, (त्रि.) उदय हुआ उगा हुआ ऊँचा गया | उद्गम, निकलना | चढ़ना । उद्गमनीय, (न. ) दो साफ सुथरे कपड़े । उद्गाढ़, (न. ) अतिशय । अत्यन्त | बहुतही । उद्गातृ, (पु.) सामवेद्र गाने वाला । उद्गार, ( पुं. ) उगाल | वमन | शब्द | थूक उद्गीथ, (पुं.) सामवेद का एक भाग | उद्गूर्ण, (त्रि. ) उद्यत । तत्पर | हथियार उठाना । उग्राह, (पुं.) स्वागत । उग्रीव, ( पुं. ) गर्दन उठाये हुए । उद्वहन, पीटना मारना । ढोना । उद्घर्षण, ( न. ) पीसना । रगड़ना । खुजलाना । उद्घाटक, (पुं.न.) गिरीं । चरखी | रघट | घूरना | रुकावट दूर करना । खोलना । कुञ्जी । उद्घात (पुं.) श्रारम्भ | पाँव का फिसलना | प्राणायाम भेद । ऊँचा मुद्गर शस्त्र | ग्रन्थ का भाग विशेष । उद्घोष, घोषण | उद्दण्ड, ( पुं. ) असाधारण कार्य करने वाचा, उजड्ड । उद्दर्प, (पुं, ) क्रोधी । रिसहा । उद्दलन, (न. ) चीरना | फाड़ना | मलना | मसलना । चतुर्वेदीकोष । ६४ उद्दा बदाम, (न. ) खुला हुआ । चुल्ली। समुद्र की आग | उद्दामन, (त्रि.) बन्धनरहित | खुला हुआ । स्वतंत्र । वरुण का नाम उद्दिष्ट (त्रि. ) उपदिष्ट । चाहा गया । छन्दशास्त्र में प्रस्तार के विशेष ज्ञान का साधन । · उद्दीपन, (न.) प्रकाशन | रोशनी | भड़- काना | उत्तेजित | उद्देश, (पुं.) अनुसन्धान | ढूँढ़ना | खोजना | इच्छा चाह । निशान | लिये। संक्षेप । वस्तु का नाम लेना । निमित्त लक्ष | उद्भाव, (पुं. ) भागना । दौड़ना । उद्योत, (पु.) प्रकाश | धूप | उद्धत (पुं.) राजाओं का पहलवान | बोलने में बड़ा चञ्चल । अनबिचारे बोलने वाला । अविनीत | अनसिखा । अहङ्कारी । उठा हुआ । अतििानष्ठुर । उत्तेजनापूर्ण | उद्धरण छुटकारा वमन उऋण होना । उखाड़ना । उद्धर्ष, (न. पुं ) उत्सव आनन्द | पर्व | तीज त्योहार । शरदोत्सव । उद्धर्षण, (न.) रोमाश्च । शरीर के रोओं का खड़ा होना । उद्धव (पुं. ) यज्ञाग्नि । श्रीकृष्ण के प्रिय यादव विशेष उत्सव | उद्धार, ( पुं. ) जो उठाया जावे | जिसे शोधन करना पड़े। ऋण । छुटकारा | सम्पदा | खींच कर बाहर निकालना । उधृत (त्रि.) उठाया गया । छुड़ाया गया। पृथक् किया गया। रक्षा किया गया । प्रातलिपि करना। खींच लेना । उद्बन्धन, ( न. ) अपने गले में रस्सी बाँधना | फाँसी लगाना । उद्बाहु (गु.) बाँह उठाये हुए । उद्बुद्ध, (त्रि.) विकसित खिला हुआ । जागा हुआ | उद्बा उद्बोध ( पुं. ) थोड़ी समझ । पहचान | स्मरण | । उद्भट, (पुं. ) असाधारण ग्रन्थ से बाहर का श्लोक। फुटकल। सूर्य प्रसिद्ध । उद्भव, (पुं. ) उत्पत्ति | जन्म | निकलना | पैदा होना । उद्भिज, ( त्रि. ) अंकुर । भूमि फाडू कर उत्पन्न हुआ वृक्ष । वनस्पति । स्थावर । उद्भिद्, (त्रि.) वृक्ष । झाड़ी। लता । यज्ञ । उद्भूत, (त्रि. ) उत्पन्न । प्रकट हुआ । प्रत्यक्ष जिसे हम देख सकें । उद्भेद, (पुं. ) फुहारा । देह पर रोश्रों का खड़ा होना जन्म उत्पत्ति । उभ्रम, (पुं.) उद्वेग व्याकुलता। घनराइट। भूल | चिन्ता | घूमना । उभ्रमण, (न. ) उड़ना । उद्भ्रान्त, (न.) तलवार घुमाना। निकलना । उद्यत, (त्रि.) तयार हुआ ऊँचा किया गया। अन्थ का अध्याय । उद्यम, (पुं. ) उद्योग | हिम्मत । कोशिश | तयारी १ उद्यान, (न.) जाना | सैर करना । उपवन | बगीचा । आशय | उद्योग, ( पुं. ) गल । उपाय | चेष्टा । उत्साह । उद्रिक्ल, (त्रि. ) अधिक बढ़ा हुआ । उद्रेक, ( पुं. ) बाढ़ | उपक्रम । प्रारम्भ । नीम का पेड़ । उद्वत्, (स्त्री.) उचान । उँचाई । उद्वर्तन, (न. ) उबटना । उबटन लगाना | चन्दन लगाना। घिसना उछलना । उद्धान्त, ( पुं. ) वमन करना । बाहर निकालना । उद्वासन, मारना। विसर्जन विदा करना | छोड़ना । उद्वाह (पुं. ) विवाह । परिणय | उद्बाहु, (त्रि.) भुजा ऊपर किये हुए । चतुर्वेदीकोष | १५. डंदि उद्विग्न, (त्रि.) विकल । घबड़ाया हुआ | उद्वेग युक्त । उद्वृत्त, (त्रि. ) दुर्वृत्त, दुराचारी उद्वेग, (पुं.) बिछोह से दुःखी होना । निश्चल | शीघ्र जाने वाला । उद्वेल, (त्रि.) मर्यादा भङ्ग करने वाला । उद्वेटन, (न. ) पैर हाथ का बन्धन | दस्ताने । पगड़ी । खुला हुआ। मुक्त उन्द, (क्रि. ) गीला करना । उन्दुरु, ( पुं. ) मूसा | चूहा | उन्न, (त्रि.) आर्द्र | गीला । उन्नति, ( स्त्रौ ) उदय । बढ़ती गरुड़ की स्त्री । उन्नद्ध, (त्रि.) बढ़ा हुआ । भली प्रकार बँधा हुआ । वृद्धि । उन्नमन, (न. ) सीधा खड़ा करना । उन्नमित, (त्रि.) उठाया गया | ऊंचा किया गया । उनस, (न.) ऊँची नोंक वाला । उनिद्र, (त्रि.) खिला हुआ । निद्राशून्य | निद्रा न आने का एक रोगविशेष | उन्मत्त (पुं.) पागल धतूरा मुचकुन्द का पेड़ | ग्रहपीड़ित उन्मद, (त्रि. ) पागल | जिसे नशा चढ़ा हो । मादक द्रव्य | उन्मनस्, (त्रि.) घबड़ाया हुआ। जिसका मन डाँवाडोल हो । उन्मथ, ( पुं. ) वध करना। मार डालना । इत्या करना । उन्माथ, ( पुं. ) मांस का टुकड़ा रख कर बनैले पशुओं को फँसाने का जाल या फन्दा | मारना | नष्ट भ्रष्ट करना । विवश करना । उन्माद, ( पुं. ) पागलपन | सिड़ीपन | उन्मान, (न. ) तोल | "तोला माशा आदि । उन्मिषित, ( त्रि. ) प्रस्फुटित । खिला हुआ | उन्मीलन, (म.) खोले हुए | उन्मेष । नेत्र का खोलना | उन्मुख, (त्रि.) ऊँचे मुख वाला । किसी कार्य में लगा हुआ । उन्मूलन, (न.) जड़ से उखाड़ डालना । समूल नष्ट कर डालना । उन्मेष, ( पुं. ) नेत्र आदि का खोलना | थोड़ा डपं सा प्रकाश । उन्मोचन, (न.) खोलना । मुक्त करना । स्वतंत्र करना । उन्मोटन, (न. ) तोड़ डालना । ॥ उप, (अव्य.) सामीप्य | अधिक । सादृश्य आरम्भ | न्यून | उपकण्ठ, (त्रि.) निकट । गले के समीप | गाँव का पिछवाड़ा । घोड़े की उछलने की चाल । उपकरण, (न. ) सामग्री | साधन । उपकार, ( पुं. ) कृपा अनुकूलता । सहा- यता । फैलाये हुए पुष्पादि । उपकूल, (न.) किनारे पर उत्पन्न हुआ । उपक्रम, (पुं.) आरम्भ । उद्योग । तयारियाँ | भागना । बल । उपक्रोश, ( पुं ) निन्दा | लगभग एक कोस । कोसभर । चिड़कना । कोसना | उपक्रोष्ट, ( पुं. ) गधा | निन्द्रक | चिल्लाना उपक्षय, (पुं. ) अवनति । कमी । उपक्षेप, (पुं. ) सूचना | उपगर्त, (त्रि.) स्वीकृत | माना गया । पहुँचा। जाना गया । उपगम, (पुं. ) समीप जाना । श्रङ्गीकार | मालूम करना । उपगीति, (स्त्री.) गाना | आर्या छन्द का एक भेद । उपगुह्य, (त्रि.) मिलने योग्य उपगूहन, (न.) आलिङ्गन । मिलना। पकड़ना । उपग्रह, (पुं.) जेलखाना। कारागृह | धूम- केत्वादि उपग्रह । उपग्राह्य, (न. ) खंड भेंट | नजराना । कृपा का पात्र । उपत्र, (न. ) सहारा उप , चतुर्वेदीकोष । ६६ . रोग | उपघात, (पुं. ) नाश | अपकार घोट उपचय, (पुं. ) उन्नति । वृद्धि | बढ़ती । ज्योतिष मतानुसार लग्न से तीसरा | छठवां और ग्यारहवाँ स्थान | उपचार, (पुं.) चिकित्सा | सेवा | व्यवहार | घूँस | झूठी प्रशंसां से किसी को प्रसन्न करना । उपचित, (त्रि.) दग्ध | सड़ा हुआ । इकट्ठा किया हुआ | उपजाति, ( श्री. एक प्रकार का छन्द उपजाप, ( पुं. ) भेद | पृथक् होना । धीरे धीरे जाप करना | उपजीविका, (स्त्री. ) जीविका | रोजी | उपजीवक, (पुं.) अधीन आश्रित | नौकर | उपशा, ( स्त्री. ) स्वयं उपार्जित ज्ञान । प्रथम ज्ञान । G उपढौकन, (न. ) उपहार | भंट | उपत्यका, ( श्री. ) पहाड़ की तराई की भूमि । उपदंश, ( पुं.) रोग विशेष । गर्मी की बीमारी चरती । डसना । डङ्क मारना । उपदर्शक, (पुं.) दरवान | द्वारपाल । उपदा, (स्त्री.) घूंस | उपदेश, (पुं.) सिखावन । शिक्षा | गुप्त बात का कहना | मन्त्र आदि देना । उपद्रव, (पुं. ) उत्पात । विघ्न । उपद्रुत, (त्रि. ) विकल | सङ्कट में पड़ा हुआ । उपधा, ( स्त्री. ) छल । प्रवञ्चन । उपधातु, (पुं.) स्वर्गादि सात धातुओं के समान धातु । यथा-स्वर्णमाक्षिक | तार भाक्षिक | तुत्थ | कांस्य | रीति | सिन्दूर | शिलाजीत । उपधान, (न. ) सिरहाना | तकिया । प्रणय | विष । एक प्रकार का व्रत उपधि, ( पुं. ) कपट छल । रथ का पहिया । उप उपधूपित, ( त्रि.) मरने के निकट । दुःखित । सन्तप्त | उपनत, (त्रि.) उपस्थित । | उपनय, ( पुं. ) उपनयन | जनेऊ । पास ले जाया गया। न्याय का एक अवयव । ज्ञान लक्षण से उत्पन्न ज्ञान का भेद । उपनयन, (न.) संस्कार विशेष | यशसूत्र- धारण संस्कार | जनेऊ पहनना । द्विजत्व का प्रधान चिह्न | । उपनाह, (पुं. ) बीन बाजे में तार बाँधने की जगह । घाव | फोड़ा शान्त करने की वस्तु | उपनिधि, (पुं. ) मानत | धरोहर | उपनिक्षेप (पु.) अमानत धरोहर | उपनिमंत्रण, ( न. ) न्योता | उपनिषद्, ( सी. ) वेद का वह भाग जिसे शिरोभाग कहते हैं और जिसमें ब्रह्म और जीव के स्वरूप का वर्णन पाया जाता है । वेद के गुप्तार्थप्रकाशक ग्रन्थ । ब्रह्मविद्या | वेदान्त । परविद्या | धर्म । पास पहुँचना । उपनेत्र, (न. ) चश्मा । ऐनक | उपन्यास, (पुं.) वाक्य रचना । सूचना | विचार | छल। भूमिका | उपपति, (स्त्री.) पति के समान माना गया | जार । गौण पति | रखेला । उपपत्ति, (स्त्री.) युक्ति | सिद्धि 1 संगति । भिलावट | साधन । सफलता | उपपद, (न.) पास या पीछे बोला गया पद । - उपपन्न, (त्रि.) युक्तियुक्त । यथार्थ उपपातक, (न. ) छोटा पाप । उपपादन, (न. ) युक्ति पूर्वक किसी विषय को समझाना | उपपुराण, ( न. ) पुराणों के पीछे के ग्रन्थ । इनकी संख्या भी अठारह ही है । उपनव, (पुं. ) उल्कापात चन्द्र सूर्य- ग्रहण । गोलमाल । उपप्लुत (पुं. त्रि.) पीड़ित । मुसीबत में फैसा हुआ। जलमग्न उपद्रुत चतुर्वेदकोष । १७ यमर्द, ( पुं. ) पहिले धर्म को छिपा कर दूसरे उपरांग, (पुं० ) सूर्य और चन्द्रग्रहण । राहु उपद्रव । निन्दा व्यसन | कष्ट । उपराम, ( पुं. ) निवृत्ति | हटना | विषयों से वैराग्य | आराम । शान्ति । उपरि, उपरिष्टात्, ( अव्य. ) ऊपर । उपरुदित, बिलबिलाना । धर्म को स्थापन करना । आलोडन । मारंना रलना । उपमेय, (त्रि.) सर्वोच्च | सब से ऊँचा | उपमन्यु, ( पुं. ) एक ऋषि जिनका गोत्र शुक्ल यजुर्वेद में विशेष है। डाही । उपल, (स्त्री.) . समानता । सादृश्य । बरा- बरी । अर्थालङ्कार भेट । उपमेय । उपमान, (न.) समानता सूचक | जिससे उपमा दी जाय जैसे " सिंह के समान कटि " में जैसे सिंह उपमान है । उपमा । उपमिति, ( स्त्री. ) उपमा । बराबरी का ज्ञान । उपमेय, (त्रि.) सादृश्य या उपमा का अवलम्ब | बराबरी का आश्रय । जैसे " सिंह के समान कटि " में कटि उपमेय है। उपयातृ, ( पुं. ) स्त्री के साथ विहार करने वाला । पति । उपयम, ( पु. ) विचाह । परिणाम | उपयुक्त, (त्रि.) ठीक ठीक । न्याय्य | खाया हुआ । उपयोग में लाया गया । भोगा गया । उपयोग, (पुं. ) भला आचरण | भोजन । जोड़ना । लगाना । प्रयोग करना । उपयोगिता, (. स्त्री. ) योग्यता । आवश्यकता | कृपा । अभिप्राय | । उपरक्ल, ( पुं. ) रङ्गीन | राहुग्रस्त चन्द्र सूर्य । सङ्कट में फँसा हुआ ।' उपरत, (त्रि.) विस्त । निहत | भरा हुआ । सब कामनाओं से शून्य ठहर गया । उपरति, (स्त्री.) विषयों से इन्द्रियों को हटाना । जीवन । प्रभुत्व और विषय भोगादि की सामग्री और साधन प्रस्तुत होने पर भी उनमें आसक्त न होना । विरॅति । हटना । मृत्यु जिस बुद्धि द्वारा मनुष्य को यह ज्ञान उत्पन्न होता है कि कर्म से पुरुष का अर्थ सिद्ध नहीं हो सकता उस बुद्धि को उपरति कहते हैं । उप उपरुद्ध, (त्रि.) निजका कमरा । उपरूपक, (न. ) द्वितीय श्रेणी का अभिनय | उपरोध, ) अनुरोध । अपने पक्ष में करने के अर्थ रुकावट | रोकना | बड़ाई । सहायता । आसरा उपल, (पुं.) पत्थर | रत्न | उपलब्धि, (स्त्री.) प्राप्ति । ज्ञान । जानना उपवन, (न. ) वन के समान । उद्यान बनावटी वन | बागीचा | उपवई, (पुं. न. ) तकिया | सिरहाना | उपवास, (पुं.) आठ पहर तक विना कुछ खाये रहना । लङ्घन । अनाहार । उपोषण । व्रत । उप्रवाह्य, ( पुं. स्त्री. ) राजा की सवारी का हाथी | हथिनी अथवा पालकी । उपविष्ट, (त्रि. ) आसन पर बैठा हुआ | उपवीत, (न.) बाएँ कन्धे पर रखा हुआ यज्ञ- सूत्र अथवा जनेऊ । यज्ञोपवीत । द्विजत्व का प्रधान चिह्न । उपबृंहित, (त्रि. ) वर्धित । पढ़ा हुआ । ●पवेद,(पुं.)वेदों से भिन्न किन्तु वेदों के समान जैसे - आयुर्वेद । धनुर्वेद । गान्धर्ववेद और स्थापत्यवेद । भागवत के स्कं० ३ के अ० १२ में इनका निरूपण है । उपवेशन, (न.) बैठना । उपशम (पुं.) संयतता । इन्द्रियों को वश में करना । शान्ति तृष्णा का नाश | रोग का प्रतीकार | उपशल्य, (न. ) प्रान्त | मैदान । उपश्रुति, ( स्त्री. ) अङ्गीकार । प्रतिज्ञा । भाग्य सम्बन्धी प्रश्न । ख्याति । सुनी बात उप चतुर्वेदीकोष । ६८ उपश्लेष, ( पुं. ) एक ओर की मिलावट | आधार और आधेय का एक और मिलना । उपष्टम्भक, (न.) खूँटा | खम्भा | थुनी | टंक | | रोक | उपसंग्रह, (पुं. ) पैर छूना । झुक कर नमस्कार करना। पॉलागन । उपसंयम, (पुं. ) उपसंहार | खींचना | समाप्त करना । पूरा करना । रोकना । बाँधना | जगत् का नाश । उपसंख्यान, (न. ) धोती | पहिरने का वस्त्र | उपसंहार, (पुं.) अन्तिभभाग | समाप्ति | इकडा करना | खींचना | उपसत्ति, ( सी. ) सेवा | मिलना । पूजा । उपसर्ग, ( पुं. ) रोग का विकार । उपद्रव । शुभाशुभ की सूचना देने वाला । महाभूत विकाररूप उत्पात व्याकरण का एक शब्द विशेष | उपसर्जन, (न. ) प्रधान । गौण | विशेषण | छोड़ना । प्रतिनिधि। एक के स्थान पर काम करने वाला । उपसृष्ट, (न. ) मिला हुआ । दबाया हुआ | मैथुन । भोग । उपसेक, (पुं.) सींच कर मुलायम करना | उपस्कर, (पुं.) मसाला | सामान | सामग्री | भूषण । निन्दा कलङ्क | दोष । उपस्थ, (पुं.) स्त्री की योनि । पुरुष का लिङ्ग | दोनों का नाम । उपस्थातृ, (त्रि. ) सेवक | नौकर | पुरोहित । भेद । पहुँच गया । उपस्थान, (न. ) निकट होना । नमस्कार । प्रार्थना । प्राप्ति । बहुत लोग । उपस्पर्श, (पुं.)ना | स्नान | आचमन । उपस्पर्शन, (न. ) छूना | विधि से आचमन - करना । उपस्पृष्ट, (त्रि.) स्नान किया हुआ। आचमन किया हुआ।। उपा उपहस्तिका, ( स्त्री. ) पानदान | उपहर, (पुं.) युद्ध लड़ाई । एकान्त । निर्जन | भेंट नजर पुरस्कार | निकट | उपहार, ( उपहास, (पुं. ) हास्य । ठट्ठा । उपहर, (न. ) उतार | उपाकरण, (न. ) जनेऊ पहन कर वेद पढ़ना। श्रावणी पूर्णिमा का वैदिक संस्कार कर चुकने पर यज्ञ में पशुहनन । प्रारम्भ | उपाख्यान, (न. ) प्राचीन वृत्तान्त | उपागम, (पुं. ) स्त्रीकार । मान लेना । पहुँ- चना निकट थाना | उपाङ्ग, (न. ) श्रङ्ग के समान । मुख्य का साहाय्य | उपात्त, (त्रि. ) प्राप्त प्रकट न हुआ हाथी । उपादान, (न. ) पकड़ना । लेना । कार्य के साथ मिला हुआ कारण । उपादेय, (त्रि. ) उत्कृष्ट | उत्तम । लेने योग्य | मुख्य | मनोहर । उपाधि, (. पुं. ) पदवी । धर्म की चिन्ता | छल चिह्न । नाम । कुटुम्ब के भरण पोषण की चिन्ता से उत्पन्न घबराहट । उपाध्याय, (पुं. ) अध्यापक । जीविका के लिये वेद अथवा वेदाङ्ग को पढ़ाने वाला । उपानह, ( स्त्री. ) जूते । उपान्त, (पुं.) निकट | सभीप । प्रान्त ! . सिरा । आँख की कोर । उपाय, ( पुं. ) उपगम | साधन । उद्योग | शत्रु को वश में करने के चार उपाय - यथा साम, दाम, दण्ड और भेद । उपार्जन, (क्रि. ) पैदा करना । उपालम्भ, (पुं. ) निन्दापूर्वक दुष्ट वचन | दोष । उलहना | उपासक, (त्रि.) उपासना करने वाला । सेवक | भक्त | उपास्ति, (स्त्री.) उपासना | देवता की सेवा । ● लिया गया । मद्र चतुर्वेदीकोष उभयतस, (श्रव्य ) दोनों ओर । उभयत्र, (अन्य ) दोनों जगह | उभयथा, (श्रव्य ) दोनों प्रकार | उम्, ( श्रव्य ) रोप | क्रोध | स्वीकृति । प्रश्न | उमा, (स्त्री.) पार्वती । शिव की पत्नी | हल्दी अलसी कीर्ति | यश | कान्ति । सौन्दर्य | शान्ति । सुख । उपेक्षक, (त्रि.) उदासीन । प्रतीकार लेने के लिये उद्यत न होने वाला । उपेक्षा, ( स्त्री. ) त्याग । उदासीनता । उपेन्द्र, ( पुं. ) विष्णु वामन उपेन्द्रवज्रा, ( स्त्री. ) ग्यारह अक्षर के पाद वाला एक छन्द विशेष | उपोद, (पुं.) विवाहित । समीपी । उपोद्घात (पुं. ) आरम्भ | चिन्ता जिससे प्रकृति की सिद्धि हो । उपोषण, (न. ) उपवास | व्रत । कड़ाका । उप्त, (त्रि. ) बोया हुआ धान्य | बीज डाला हुआ । उर्णनाभ, ( पुं. ) मकड़ी | शरीर के भीतर उब्ज् (क्रि. ) रोकना । कोमल होना । जाले वाली । उभ, (त्रि. द्वि. ) दो। यह समास में उभय शब्द बन जाता है । उभय, (त्रि.द्वि.) दोनों । उमाधव ( पुं. ) महादेव । उमाकान्त । उमेश । उमासुत (पुं. ) उमापुत्र | कार्तिकेय । गणपति । उम्भ, (क्रि. ) भरना | पूर्ण करना । उर्, (क्रि.) जाना | | ११ उरग, ( पुं. ) छाती के बल चलने वाला अर्थात् साँप | उरगाशन, ( पुं.) सर्पभक्षी | गरुड़ | उरण, (पुं.) मेढ़ा | मेष । उरभ्र, (पुं.) बादल। मेदा । बहुत घूमने वाला । . उररी, (अन्य ) अङ्गीकार । स्वीकार । उरच्छद, ( पुं. ) कवच | छाती ढकने वाली वस्तु । उल्व . , उरस्, (न. ) छाती | वक्षःस्थल | उरसिज, (पुं. ) छाती पर उगने वाला | कुच स्तन । छाती के बाल उरा, ( स्त्री ) भेड़ । उरुक्रम, (पुं.) बड़ी शक्ति वाला । विष्णु । उरु, ( न. ) चौड़ा औौड़ा । उरूक, उलूक, (पं.) उल्लू । घुग्घू । उरूणस्, (गु. ) चौड़ी नाक वाला । उरोज, ( पुं. ) स्तन | कुच | चूची । छाती के बाल । उर्णा, ( स्त्री. ) भेड़ के बाल । ऊन । उर्व्, (क्रि. ) मारना | उर्वरा, (स्त्री.) उपजाऊ | शस्यपूर्ण भूमि | उर्वशी, ( स्त्री. ) विषम वासना । उत्कट अभिलाष । एक अप्सरा का नाम । उर्विया, ( अव्य. ) दूर । अन्तर पर । उर्वी, (स्त्री. ) भूमि । पृथिवी उल् (क्रि. ) देना | उत्तप, (पुं.) बेल । लता । उलूखल, (न.) उखली ऊखल ! खल्ल । उल्का, (स्त्री. ) रेखा के आकार में आकाश से गिरा हुआ तेज का समूह | टूट कर गिरता हुआ तारा | उल्कामुखी, (स्त्री.) गहदुनी । गीदड़नी | उल्क, ( न. ) श्रृङ्गार । उल्लङ्घन, (न. ) भङ्ग करना | मर्यादा तोड़ना | उल्लाप, (पुं. ) कराहना | गालियाँ | उल्लास, (पुं.) प्रकाश | चमक | प्रसन्नता । उल्लिखित, (त्रि.) ऊपर लिखा हुआ । खुदा हुआ । चित्रकारी किया हुआ। उल्लेख, (पुं.) उच्चारण | बोलना | लिखना । उल्लोच, ( पुं. ) चन्द्र का प्रकाश | चाँदनी | उल्लोल, (पुं.) बड़ी लहर। बड़ी तरङ्ग | उल्व, (न.) गर्भाशय । उल्ब चतुर्वेदीकोष । १०० उल्बण, ( त्रि.) स्पष्ट | प्रकट | श्राधिक्य । उशनस् (पुं.) भृगुपुत्र शुक्र । शुक्राचार्य | दैत्यगुरु । उशिन्, ( गु. ) उद्यत । तत्पर । राजी । उशीर, (पुं. न. ) खस । उष् (क्रि. ) मारना । जलाना । उप, ( स्त्री. ) सबैख | सड़का | मुकमुका । उष, (पुं.) गुग्गुल | खारी मिट्टी | कामी । उषण, (न. ) तीत चीज़ जैसे मिर्च, पीपल, सोंठ इत्यादि । उप्रणा, ( सी. ) पीपल । उपर्बुध, ( पुं. ) श्रमि । चित्रक वृक्ष | उपस्, (न. ) प्रत्यूष । प्रातःकाल | उपसी, (स्त्री) दिन को नाश करने वाली । संझा | सन्ध्या | उषा, ( स्त्री. ) सबेरा | बाणासुर की कन्या | अनिरुद्ध की स्त्री | उषत (पु.) श्रीकृष्ण का पौत्र | सूर्य । प्रयुम्न का पुत्र । उषित, (त्रि.) बासी रखा हुआ | जला हुआ | स्थित । ठहरा रहा । उष्ट्र, ( पुं. ) ऊँट | उष्ण, ( गु.) गरम | धूप | पियाज | नरकभेद | दक्ष । चतुर । उष्णांशु, ( पुं. ) सूर्य । गरम किरन वाला । उष्णीष, (पुं. ) गरमी नाश करने वाली । पटका | पगड़ी | मुकुट | किरीट | उष्म, (पुं.) निदाघ । गरमीत | धूप | उष्मपा (पुं. ) भृगुपुत्र । पितरों में से एक । उत्र, (पुं.) रस वाली । किरनें । बैल | गाय । चमकदार | उत्रि, ( स्त्री. ) प्रातः बेला | चमक | प्रकाश | उस्रिक, (पुं. ) नाटा बैल । ऊ ऊ, नागरी वर्णमाला का छठवाँ अक्षर । झ, ([अव्य.) सम्बोधन | वाक्य का आरम्भ । दया। रक्षा । r ऊ ऊ, ( पुं. ) महादेव | चन्द्रमा | बचाने वाला ऊत, ( ) सूत से गुथा हुआ । बुना हुआ | ऊढ़, (त्रि.) विवाहित । उठाया हुआ | ले जाया गया । ऊति, (स्त्री.) सीना। बचाना । ऊधन्, ( सं . ) छाती | दिल । थन । ऐन | मेघ । बादल | ऊधसू, (न. ) मेड़ | लेवा | धन | ऊन, (त्रि. ) हीन । असमाप्त । निर्बल कम । अधूरा | ऊम्, ([अव्य. ) प्रश्न | निन्दा | क्रोधवाक्य ऊय्, तातों को फैलाना | बुनना ऊररी (श्रव्य) श्रङ्गीकार | विस्तार | फैलाक | ऊरव्य, ( पुं. ) भगवान् की ऊरू से उत्पन्न वैश्य । ऊरु, (पुं.) घुटने के ऊपर का भाग । जहा । जाँघ । ऊरुपर्वन् (पुं. ) घुटना । जानु । ऊर्जजीना, (क्रि.) जोर करना । ऊर्ज, (पुं. ) कातिक का महीना | बल । उत्साह | दिलेरी | ऊर्जस्थल, (त्रि.) बलवान् । ऊर्जित, ( ( त्रि. ) प्रसिद्ध | जड़ा बली । वर । ऊर्णनाभि, (पु. ) मकड़ी । भौ के बीच का गोलाकार रोम समूह जो महापुरुष होने का चिह्न है। ऊर्णा, (त्रि.) ऊन । पशम | भँवर | दोनों भौ के बीच का रोम समूह " ऊर्णासनाथ" कादम्बरी | ऊर्णायु, ( पुं. ) मेष । कम्बल । मकड़ी । क्षण भर में टूटने वाला । ऊर्णु, (क्रि.) ढाकना । ऊर्जू, ( त्रि. ) ऊपर की ओर । ऊँचा । ऊर्द्धकएठी, ( स्त्री, महाशतावरी लता । बेल । चतुर्वेदीकोष । १०१ 7 ऊर्द्ध ऊर्द्धपाद, (पुं. ) शरभ नामक जीव जो हाथी का शत्रु है । इसके आठ पावँ होते हैं । ऊर्द्ध्वपुण्ड्र, (पुं. ) ऊँचा \\ दण्डाकार या गन्ने T "जैसा सीधा तीन रेखा वाला टीका तिलक जिसे वैष्णव लोग धारण करते हैं और धार्मिक प्रधान चिह्न मानते हैं । ऊर्द्धरेतस, (पुं.) जिसका वीर्य ऊपर हो । नीचे न गिरता हो । खण्ड ब्रह्मचारी जैसे महादेव । सनकादि । संन्यासी | भीष्म ! पितामह | ऊर्द्धलिङ्ग, (पुं.) महादेव । ऊर्द्धलोक, (पुं. ) स्वर्ग । ऋक्षराज, (पं.) जाम्बवान् | चाँद । ऋग्वेद, ( पुं. ) वेद जिसमें प्रधान विषय देवताओं की स्तुति है अथवा : जिसमें परमात्मा की स्तुति का वर्णन है। भारत की सबसे पुरानी धर्मपुस्तक । ऊमि, ( पुं॰ ) तरङ्ग । लहर । प्रकाश | वेग ऋघाय, (न.) तरकस । काँपना । क्रोध ।

ऋघावत्, ( न. ) तूफानी |

पीड़ा । चाह | भूख आदि छः ऊ ऊमिका, ( स्त्री. ) अंगूठी ऊमिमालिन्, (पुं. ) समुद्र । ऊमिला, ( स्त्री. ) लक्ष्मण जी की पत्नी ऊष्मन्, (पुं. ) ग्रीष्म । गरमी ऊद्दू, (क्रि.) वितर्क करना । ऊह, (पुं. ) तर्क वितर्क । अनुमान अभ्या हार। छूटे हुए शब्दों को लगा कर वाक्य पूरा करना । जोड़ | ऊहवत्, (गु.) बुद्धिमान् । तीव्र | ऊहिनी, (स्त्री.) सेना । ढेर | ऊहा, ( स्त्री.) अध्याहार । जोड़ | वाक्य में लुप्त वाक्यों को जोड़ कर अर्थ पूरा करना । 1 ऋ छा, नागरी वर्णमाला का सातवाँ अक्षर | ऋत् ॠ, (क्रि.) हिंसा करना | मारना । प्राप्ति होना । ऋक्थ, ( न. ) धन | सोना । धर्मशास्त्रानुसार दायरूप धन । बड़ों को बाँटने योग्य धन | ऋकृथ, गाना । चिल्लाना । ऋक्ष (पुं.) रीछ । नक्षत्र गञ्जा । मेषादि राशि | ऋक्षगन्धा, ( स्त्री ) महाश्वेता । क्षीर- बिदारी । का नाम । ऊर्म्या, ( स्त्री. ) रात्रि । रात । ऊष, (पुं. ) प्रभात | चन्दन | खारी नदी | ऊषण, (त्रि. ) परिघ । पीपलामूल | चीता । मधु | साँटा । ऋज, (क्रि. ) जाना और कमाना । ऋजीक, (न. ) चमकदार । भड़कीला । ऊषर, ( त्रि. ) ऊसर भूमि । जिसमें कोई ! ऋजीष, (न. ) कढ़ाई | धन | एक नरक | चीज उत्पन्न न हो । जु, (त्रि.) सरल | सीधा | ऋत्र, (त्रि.) ललोहों । सुखीं माइल | ऋण, (न. ) कर्जा | देना । जल | दुर्ग | दुर्ग की भूमि | देव, ऋषि और पितरों के उद्देश से यथाक्रम यज्ञ करना । वेद का अध्ययन और सन्तानोत्पत्ति नामक अवश्यमेव कर्त्तव्य कर्म । ऋच्, (क्रि.) स्तुति करना । प्रशंसा करना । | ऋचू, (स्त्री.) सूक्त | गीत । ऋग्वेद का मंत्र | स्तुति । पूजन | वेदों की ऋचा ( मन्त्र ) | ऋच्छ, (क्रि.) मोह करना । मूच्छित होना । बेसुध हो जाना । ऋणमार्गण, ( न. ) प्रतिभू । जामिन्दार । ऋणादान, ( न. ) कर्ज लेना । अट्ठारह प्रकार व्यवहारों में से एक । ऋणिन्, ( पुं॰ ) ऋण लेने वाला 1 उधार काढ़ने वाला । ऋत्, (क्रि. ) जाना। ऋत चतुर्वेदीकोष । १०२ नारायण । ऋत, (न. ) त्राह्मण की उपजीव्य वृत्ति । ब्राह्मण के भोजन करने योग्य भोजन । मोक्ष । कर्म का फल । प्रिय वचन सत्य जो कायिक, वाचिक, मानसिक हो । चमकता हुआ | पूज्य | सच्चा ईमानदार | ऋतधामन् (पुं.) विष्णु जिसका सत्य घर है। ऋतम्, ( श्रव्य. ) सत्य | सच्चा | ऋतम्भरा, (स्त्री.) योगशास्त्रानुसार सत्य को धारण और पुष्ट करने वाली चित्त की वृत्ति का एक भेद । ऋति, (स्त्री. ) सौभाग्य | कल्याय्य मार्ग | स्पर्धा | निन्द्रा | जाना। जुराई । ऋतु (पुं.) वसन्तादि छः ऋतु । मौसम । स्त्रियों का मासिक समय जब रजोधर्मयुक्त हो शुद्ध होती हैं । चमक । ठीक समय जैसे- चैत्र से दो दो मास में एक एक ऋतु होती है। ऋतुमती, ( स्त्री. ) रजस्वला । ऋतुराज, (पुं.) ऋतुओं का अर्थात् वसन्त । विना | सिवाय | ऋ ( ऋतेजा नियमानुकूल रहना । ऋतेरस (न. ) भूत प्रेतों को भगाना | ऋ ( स्त्री. ) सत्य वचन | ऋत्वन्त, (पुं. ) ऋतु का अन्त । वसन्तादि एक ऋतु का समाप्त होना। स्त्री के रजो- धर्म से १६ वीं रात्रि । राजा. ऋत्विज्, ( पुं. ) जो निरन्तर यज्ञ करता यज्ञकर्त्ता । पुरोहित | ऋत्विय, ( पुं. ) नियमानुसार । निरन्तर | ऋत्विक कर्म को जानने वाला । विशेष | दुर्गा | ॠधक, (क्रि. ) देना | करना | लड़ना, " । ॠद्ध (न. ) पका और मींजा हुआ अन्न । · समृद्ध । सम्पत्तिशाली । सिद्धान्त | बढ़ा हुआ । ऋद्धि (स्त्री.) बढ़ती। देवभेद । श्रौषध मारना । निन्दा ऋभु, (पं.) देव । देवता । चतुर । चालाक | जो स्वर्ग में या अदिति में हुए हों। ऋभुक्ष, ( पुं. ) स्वर्ग | वज्र | इन्द्र | ऋभ्वन, (पु. ) पटु । दक्ष ऋष, (क्रि.) जाना। गति । ॠ ऋष्य, ( पुं. ) एक प्रकार का बारहसिंहा । ऋषभ ( पु. ) बैल | एक श्रोषधि । जैनियों का मान्य पहला अवतार ऋषभदेव मुनि विशेष | अच्छा ।

ऋषभतर, (पुं. ) कमजोर बैल । ऋषभध्वज, (पुं.) शिवजी | महादेव | ऋषमा (स्त्री.) पुरुष के रूपवाली स्त्री | शिवा लता । ऋषि, (पुं.) वेद | मंत्रद्रष्टा मुनि | अनुष्ठा नादि कर्म बतलाने वाले सूत्रों के रचयिता | आचार्य | गोत्र और प्रवर के प्रवर्तक । मत्स्यविशेष | ऋषियश (पुं. ) ब्रह्मयज्ञ | वेदाध्ययन | ऋषु, गर्म । अङ्गारा | ऋष्य ( पु. ) मृगभेद | एक प्रकार का हिरन, ॠष्टि (स्त्री..) दुधारा खन। दोनों ओर धार वाली तलवार । भाला | ऋष्यमूक (पु.) पम्पा सरोवर के समीप फूले हुए वृक्षों से लदा हुआ पर्वत । ऋष्यशृङ्ग, ( पुं. ) विभाण्डक मुनि के पुत्र जिन्होंने लोमपाद राजा को शान्ता नामक कन्या के साथ विवाह किया था और राजा परीक्षित् को सर्प काटने का शाप दिया था । ( पुं. ) बड़ा | ऊँचा | अच्छा देखने योग्य | इन्द्र और अग्नि का नाम । ऋष्य, ॠ ॠ, नागरी वर्णमाला का आठवाँ अक्षर ॠ, (स्त्री, पुं.) जाना ( श्रव्य. बचाना | रक्षा निन्दा । डरना । छाती दैत्य और देवताओं की माता । स्मरणशक्ति ! जाना। भैरव । दैत्य । दया सु चतुर्वेदीकोष । १०३ लृ सु, नागरी वर्णमाला का नवाँ अक्षर | अव्यय में इसका अर्थ होता है। देवता और दैत्यों की माता । पृथिवी । पर्वत । लृ लु, नागरी वर्णमाला का दसवाँ अक्षर | लु, ( अव्य. ) देवताओं की माता | देवस्खी महादेव ( पुं. ) दैत्यों की माता ( स्त्री. ) विष्णु ( पुं ) संस्कृत का कोई भी शब्द ऌ या ऌ से श्रारम्भ नहीं होता। प, नागरी वर्णमाला का ग्यारहवाँ अक्षर । ए, ( श्रव्य. ) दया । स्मरण करना । घृणा करना | बुलाना । ( पुं. ) विष्णु । एक, (त्रि.) संख्या एक मुख्य केवल । और सच्चा । एक ही । समान | थोड़ा । एकक, (त्रि.) असहाय । अकेला । एकचक्र, (न. ) एक पहिये वाला सूर्य का रथ । एक पुरी का नाम । जहाँ रह कर पाण्डवों ने बकासुर को मारा था । चक्र- वर्ती राजा । एकचर, (त्रि. ) अकेला बूमने वाला । साँप । एकजाति, (पुं.) जिसका एक ही बार जन्म होता है। शुद्र । एकजातीय, (त्रि.) एक प्रकार का | एक जाति का बराबर । एकतम (त्रि. ) अनेकों में एक । एकतर, (त्रि.) दो के बीच एक दो में से एक । एकतस्, (अव्य. ) एक ओर से । एकतान, (क्रि. ) श्रद्धा करना । भरोसा करना। एक पर विश्वास करने वाला । एक ही ओर ध्यान नाला । एक ही ओर ध्यान लगाने वाला 1. एकत्र, ( अव्य. ) एक जगह। एक स्थान पर एक जगह में। एका एकत्व, (न. ) अभेद । एक । बराबर | सायुज्य मुक्ति | ध्येय और जीव की भेद दशा । एकदण्डिन्, (पु.) एकमात्र दण्ड को धारण करने वाला । शिखा यज्ञोपवीतादि रहित । संन्यासी । एकदन्त, ( पुं.) एक हाँत वाला। गणेश | एकदा, ( अव्य. ) एक बार | किसी समय । एक नेत्रवाला । काना । एकटकू, (त्रि. काक : अभिन्न भाव वाला । शिव । एकधा, (अन्य ) एक प्रकार का । - एकपत्नी ( स्त्री. ) पतिव्रता | सच्ची औरत । एकपदी (स्त्री.) छोटा रास्ता । पगडंडी | एकपदे, ([अव्य. सहसा अकस्मात् अचानक एक ही बेर । एकपिङ्ग, ( पुं. ) पीली एक आँख वाला कुन्देर । एकभक्कव्रत, (पुं. न. ) आधा दिन बीतने पर भोजन करने वाला और फिर रात में न खाने वाला । एकयष्टिका, (स्त्री.) इकलरी एक लरकी। एकराजू, (पुं. ) सार्वभौम | चक्रवर्ती | बारह मण्डल का अधिपति । एकविंशति, ( स्त्री. ) इक्कीस संख्या विशेष । २१ । एकवीर, ( पुं.) बड़ा वीर। एक प्रकार · का वृक्ष । एकाशफ, ( पुं. ) एक खुर वाले । गधा | घोड़ा | खञ्चर आदि । एकशेष, (पुं. ) द्वन्द्व समास का एक भेद जिसमें एक ही बच रहै । एकश्रुति, ( स्त्री. ) प्रातिशाख्य में प्रसिद्ध उदात्त, अनुदात्त और वरित का विभाग किये विना बोलना । एकसर्ग, ( त्रि. ) एक ओर मन वाला । एकाग्रचित्त । एकाकिन्, (त्रि.) अकेला । श्रसद्दाय । एका चतुर्वेदीकोष । १०४ एकाक्ष, (त्रि. ) काना। कोचा। एक आँख वाला । एकाग्र (त्रि.) एकमन । एकचित्त । एकादशी, (स्त्री.) प्रत्येक पक्ष की ग्यारहवीं तिथि । वैष्णवों के उपवास का दिन । एकान्त, (त्रि.) अत्यन्त आवश्यक | अकेला दृढ़ एकान्ततस्, (अन्य ) अव्यभिचारी | जरूर होने वाला। केवल । एकान, (त्रि.) एक बार खाने का व्रत एकादा ( स्त्री. ) एक वर्ष की अवस्था की गौ । एकायन, (त्रि.) एक ही विषय में लगा हुआ । एकाअमन । संसार वृक्ष । एकावली, ( स्त्री. ) एक लर का हार । अर्थालङ्कार का भेद । एकाश्रय, (त्रि.) अनन्यगति । एकाह, (पुं.) एक दिन । एकाहार, (पुं. ) दिन भर में एक बार भोजन करने वाला | एकीभाव, (पु.) एकत्व | ऐक्य | एकीय, (त्रि. ) एक का सहायक A एक पक्ष का । एकोद्दिष्ट, (न. ) एक के उद्देश से किया हुआ श्राद्ध । वार्षिक श्राद्ध वाला । एकोनविंशति, ( स्त्री. ) उन्नीस | १६ | एज्, (क्रि. ) काँपना | चमकना | पड़, (पुं.) मेदा । बहिरा । डोरा । पड़क, (पुं. ) भेड़ । बड़े सींगों वाला भेड़ा । भेड़ । एड़मूक, (त्रि. ) गूंगा । और बहरा आदमी। प्पण, (पुं.) काले रङ्ग का हिरन । एणतिलक, (पुं. ) हिरन के चिह्न वाला | मृगाङ्क | चन्द्रमा एणाजिन, (न.) हिरन का चमड़ा। मृग- चर्म ऐका एन, (त्रि.) हिरन | चितकबरा रङ्ग | एतद्, (त्रि.) सामने यह पतर्हि, ( श्रव्य. ) अब पतवे, (क्रि.) टहलना पधु, (क्रि.) बढ़ना । एघस्, (न. ) भाग भड़काने वाली वस्तु । लकड़ी | इन्धन | रधित, (त्रि.) वृद्धि युक्त । बढ़ा हुआ । एनस, (न. ) पाप । अपराध | दोष | पना, ([अव्य. ) यहाँ वहाँ । पनी, ( स्त्री ) बारहसिँही । एमन्, (पु.) मार्ग | रास्ता । एरका, (स्त्री.) गाँठ रहित तृण । एक प्रकार की घास एरण्ड, (पुं.) एक पेड़ पर्वारुक, (पुं. स.) ककड़ी । एला, (खी.) इलायची एव, (अव्य.) सादृश्य । समानता। परिभव | तिरस्कार । निश्चय ही एवम्, (अन्य ) इस प्रकार और स्वीकार | 1 प्रश्न | निश्चय । एष, (क्रि.) जाना | एषण, (पुं.) लोहे का बाण इच्छा । (स्त्री.) पुत्र, लोक और धन की कामना । सुनार का काँटा । ऐ ऐ, नागरी वर्णमाला का बारहवाँ अक्षर। (अव्य.) • स्मरण बुलाना शिव । सम्बोधन- सूचक । ऐकमत्य, (न. ) एक आशय एकमत । ऐकागारिक, (पुं.) चोर | ऐकाग्र, (त्रि. ) ध्यान । एक ही ओर मन लगा हुआ । ऐकारम्य, (न.) एका करना अद्वितीय आत्मा का होना । ऐका, (पं.) अमरक्षक एक सिपाही । ऐका चतुर्वेदकोष । २०५ ऐकौन्तिक, (त्रि.) न रुकने वाला । नितान्त | दृढ़ | अव्यभिचारी ऐकाहिक, (त्रि.) एक दिन में होने वाला | एक दिन का । ऐक्य, (न. ) अभेद | मेल । एकत्र । ऐक्षव, (त्रि. ) गन्ने का रस । गुड़ | ऐवक, ( पुं. ) इक्ष्वाकुवंशसम्भूत । सूर्य, वंशी राजा । ऐङ्गुद, ( न. ) इङ्गुदी वृक्ष का फल (लसादा)। हिंगो का फल । ऐतिहासिक, (त्रि. ) इतिहाससम्बन्धी | ऐतिहास्य, (न. ) इतिहासी । पेदपद्य, (पुं.) मुख्य विषय | छोर । पेन्दव, (पुं.) चन्द्र-सम्बधी मृगशिरा नक्षत्र | पेन्द्रजाल, (न.) जादू | दीटबन्ध । पेन्द्रि, (पुं. ) काक | कौआ | ऐन्द्रिय, ( पुं. न. ) विषय भोग । ऐरावण, (पं.) इन्द्र के हाथी का नाम । ऐरावत, (पुं एक सर्प का नाम । इन्द्र- विभूतियाँ | ऐषमस्, (अव्य. ) वर्त्तमान वर्ष । 1 धनुष । समुद्र से निकला इन्द्र का हाथी । ऐरिण, (न. ) संधा नोन । पहाड़ी नोन | घेरेय, (न. ) सम्भूत । मदिरा ऐल, (पुं. ३) इला का बेटा । बुध का पुत्र । राजा पुरुरवा । ऐलव, (पुं.) शोर । कोलाहल । हल्ला गुल्ला । ऐलावेल, (पुं. ) कुबेर | इलविला का पुत्र | - पेश, (गु.) महादेव जी का । शिव जी का । पेशान - T, ( न. स्त्री. ) जिसका शिव देवता है। उत्तर और पूर्व की दिशा । ऐश्य, (न. ) शक्ति | सामर्थ्य ।

ऐश्वर्थ्य, (न.) विभव | आठ प्रकार की ! ऐषीक, (पुं.) नरकुल काँ बना हुआ । ऐष्टिक, ( पुं. ) ईंट का बना हुआ । ऐहलौकिक, (त्रि.) इस लोक में होने वाला । इस लोक का । '

● ऐहिक, (न. ) इस लोक का ओ ओष श्रो, नागरी वर्णमाला का तेरहवाँ अक्षर । (अन्य ) स्मरण | सम्बोधन | दया । बुलाना | श्रो, (न. ) ब्रह्मा । जगत्पति । ओक, (पुं. ) पक्षी । वृषल । शूद्र । ओकस्, ( न. ) घर । सुख श्रोकोदनी, ( स्त्री. ) केशकीट | जूं 1 लीख | श्रोखू, (क्रि. ) सुखाना | सजाना | हटाना | सामर्थ्य रखना । ओघ, (पु. ) पानी की धार । शीघ्र नाचना | गाना । बजाना | र, (पुं. ) । प्रणव । ओज, (क्रि. ) बल करना । जोर करना । ( सं . ) ऊना | श्रोजस्, ( न. ) दीप्ति | चमक | प्राणवल । सामर्थ्य | शक्ति । ज्योतिष शास्त्रानुसार १ ली, ३री, पूर्वी, ७ वीं आदि विषमराशि । धातुपुष्ट करने वाली ओषधि । श्रोजिष्ट, (त्रि. ) बहुत तेज वाला । अति बल वाला। बड़ा वली । श्रोण, (क्रि. ) निकालना । हटाना। श्रोत, (त्रि.) अन्तर्व्याप्त । बुना हुआ । श्रोतु, (त्रि. ) ताने बाने के सूत | विषाल | विल्ला । श्रोदन, (पुं. ) भात । गीला अन्न । ओम्, (अव्य. ) प्रणव ऑकार । प्रश्न का स्वीकार करना । हाँ कहना | ओङ्कार वाचक ब्रह्म । आरम्भ । स्वीकार । इठाना । मङ्गल । ब्रह्म । जानने योग्य | निकालना | श्रोमन्, (पुं. ) कृपा | सहायता श्रोष, (क्रि. ) दाह । जलाना । श्रोषधि, ( स्त्री. ) दाह को धारण करने वाली । वृक्ष जो फलों क पकने तक ही रहते हैं। धान । जौ । दवाई | खरी वनस्पति । $ श्रेष चतुर्वेदीकोष । २०६ शोषधिप्रस्थ, (पुं. न. ) हिमालय । औषम् (अव्य. ) शीघ्रता से । श्रोष्ठ (पुं.) होठ दाँतों का परदा । ओष्ठी ( स्त्री. ) विम्बफल नामी वृक्ष | तेला- कुचा । कुँदुरू | गोष्ठ्य (पुं. ) अक्षर जिनका उच्चारण होठों की सहायता से होता है । ओष्ठपमफला, ( स्त्री. ) बिम्ब की लता | केंटुरू की बेल । औ श्री देवनागरी वर्णमाला का चौदहयों प्रक्षर । श्रीक्ष, (न. ) नृपसमूह | बैलों की है । बैलसम्बन्धी । औख्य (त्रि. ) बटलोई या तसले में रींधी हुई वस्तु । श्री (न. ) उग्रता | तीव्रता | श्रौघ, (पुं.) जल की बाद श्रौचि ती श्रौचित्य, ( स्त्री. न. ) न्यायल | सत्यत्व | योग्यता | श्रौञ्चैःअवस, ( पु. ) इन्द्र के घोड़े का नाम । औौज्ज्वल्य, ( न.) चमक | उजलापन | श्रौडम्बर, (पुं. ) चतुर्दश यमों में से एक अंकार का यम । कुष्ठरोगभेद गूलर का । ताँबे का । मृत्यु का देवता । औड़व, (त्रि. ) नक्षत्रसम्बन्धी तारों का |

श्रौत्कराठ्य, ( पुं. ) उत्कण्ठा । इच्छा |

खेद | श्रौत्तानपादी, ( पं. ) उत्तानपाद राजा की सन्तति । ध्रुव नामी राजा । न हिलने वाला तारा ध्रुवतारा श्रौप्तमि, ( पु. ) तीसरे मनु का नाम । उत्तम का पुत्र | श्रीपतिक, ( पुं. ) प्राकृतिक । प्रकृति - सम्बन्धी । औपातिक, (पु.) साधारण विशेष | औत्सर्गिक, (कि. ) सामान्य विधि के योग्य। और प्राकृतिक त्याज्य स्वाभाविक छोड़ने योग्य | श्रौत्सुक्य, ( न. ), उत्कण्ठा । इच्छा | अभिलाषा | औदक, (न. ) जलोद्भव । जल में उत्पद्म होने वाला । श्रौदनिक, ( त्रि. ) रसोइया जो भात ता है श्रीरिक, (पुं. ) खाऊ । पेटू । केवल पेट भरने की चिन्ता वाला । श्रौदार्य, (न. ) उदारता | महत्त्व | बड़प्पन | श्रौदासीन्य, ( न. ) उपेक्षा । उदासीनता । श्रीदास्य, (न. ) वैराग्य । विरक्ति | मन न लगना । श्रीदुश्वर, (पुं.) गूलर की लकड़ी का बना हुआ श्रौद्धत्य, (न. ) उद्दण्डता । श्रविनीतत्व । श्रौद्धाटिक, (न. ) विवाह के समय मिली हुई वस्तु । श्रौपचारिक, (पुं. ) उपचारसम्बन्धी । औपच, (न. ) झूठा सिद्धान्त। श्रौषधिक, (पुं. ) धोखा | छल । प्रपत्र | औपनिषद, ( पं. ) उपनिषदों द्वारा ही जानने योग्य | | श्रौपनीविक, (त्रि.) धोती की गाँठ के पास की लगा हुआ । श्रीपस्य, (न. ) सादृश्य समानता । औपथिक, (त्रि. ) उपाय से प्राप्त । ठीक । न्याय से प्राप्त वस्तु | श्रौपवस्तक, (पुं.न.) आरम्भिक । आरम्भ का | श्रौपवाह्य, (न.) सवारी के योग्य | श्रौपसर्गिक, ( पुं. ) वात श्रादि सक्षिपात से उत्पन्न रोग | श्रीगहारिक, (पुं. ) भेंट या पुरस्कार सम्बन्धी | श्रौपाकरण, ( न. ) वेदाध्ययन का आरम्भ | श्रौरभ्र, (न.) कम्बल, ऊन का बना । औरभ्रक, (न.) भेड़ों का झुण्ड । औौरस (पुं. ) ब्याही हुई स्त्री के गर्भ से उत्पन्न सन्तान । सच्चा पुत्र | श्री चतुर्वेदीकोप । १०७. श्रौर्य, (पुं. ) ऊनी । श्रौदेहिक, (त्रि. ) श्राद्धादि कर्म | प्रेत- कर्म । मरने के बाद प्रेतसंस्कार से लगा कर मङ्गल श्राद्ध पर्यन्त की जाने वाली किया । दशगात्रविधि | श्र, (पुं.) उर्व की औलाद । नमक | पृथिवी का | और्वशेय, (पुं.) उर्वशी से उत्पन्न । श्रौलूक, (न. ) उल्लुओं का समूह । श्रौलूक्य, (पुं. ) वैशेषिक दर्शनकार कणाद वाड़वानल | मुनि । श्रौशनस्, (न. ) शुक्र से कही हुई राज- नीति । श्रौशीर, (न. ) चौर की डण्डी | शय्या और पीठ | शयन । विस्तर | श्रासन | औषध-धी, (न. स्त्री. ) दवाई | सिद्ध की हुई दवा । श्रौषस, (गु. ) प्रातःकाल का । श्रौष्ट्र, ( उ.) ऊँट से उत्पन्न दूध । श्रौष्ट्रक, (गु. ) ऊँटों का गिरोह । श्रौष्ठ्य ( त्रि. ) होठों की सहायता से उच्चारित अक्षर | औ, ( न, ) गरम । गरमी | धूप | सन्ताप | औौम्य, (न. ) सन्ताप । उष्णता । क क, व्यञ्जनों में प्रथम अक्षर । पांचों वर्गों में प्रथम अक्षर । क, ( पुं. न. ) कौन | क्या । जल | ब्रह्म । वायु । श्रात्मा । यम । दक्ष प्रजापति । सूर्य | अग्नि । विष्णु । काल । राजा | भोर । शरीर । मन | धन | प्रकाश | शब्द | सुख | शिर । रोग | कंस, (पुं. ) उग्रसेन का पुत्र राजा कंस | तेज बढ़ाने वाली वस्तु । काँसा धातु । सोने व चाँदी का बना हुआ मंदिरा- पान के लिये बरतन । कटोरा । थादक के नाम से प्रसिद्ध तौल । P कंसक, (न. ) नेत्र रोग के लिये हीराकस नामक एक विशेष औषधि । जस्त का सार । कौसीस । कंसकार, (पुं. ) कसेरा | मरतन बनाने वाली एक जाति । कंसजित्, (पुं. ) श्रीकृष्ण | कंसाराति, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | कक्, (क्रि. ) चाहना | जाना । ककुत्स्थ, (पुं. ) सूर्यवंशी एक राजा | जिसकी सन्तान ने बैल की ठुड्डी पर बैठ कर शत्रु विजय करने के कारण ककुत्स्थ उपाधि धारण की थी । इक्ष्वाकु का पोता । इसी कुल में श्रीरामावतार हुआ था । ककु, (क्रि. ) हँसना । ककुद् (स्त्री. ) छाता आदि राजचिह्न | प्रधान | पर्वत की चोटी । बैल के कन्धे ● का मांस | ककुझतू, (पुं.) बैल | कुब्ब वाला । पर्वत । कमर | ककुझती, (स्त्री. ) रेवत राजा की कन्या रेवती, जिसको साथ ले कर राजा ब्रह्मा से पूछने गया और लौट कर बलदेव जी को ब्याही | कमर | ककुन्दर, ( न. ) कूपक | खूआ | रॉन । ककुभ, (बी. ) दिशा | शोभा । चम्पे के फूलों की माला । शास्त्र । रागिनीभेद | पहाड़ की चोटी । वृक्षविशेष । ककुब्जय, (पुं. ) दिग्विजय कक्कोल, (पुं. ) गन्धद्रव्य | वनकपूर | शीतलचीनी । कक्ष, (पुं.) स्त्रियों के पट्टे के पीछे का आँचल | लता। समीप का भाग राजा का अन्तःपुर | भुजाओं का मूल | कन्ध | आँचल | हाथी बाँधने का रस्सा की। कक्षो चतुर्वेदीकोष | १०८. पाप । वर्म। घर की दीवार । काँच निकलने कश्चित् (अन्य ) हर्ष । मङ्गल । "इष्ट का रोग तड़ागी तह | परत कक्षोत्था, (स्त्री.) नागरमोथा। कक्ष्या, (स्त्री.) हाथी बाँधने का चमड़े का रस्सा | राजप्रासाद का बड़ा कमरा । बरावरी । साहस। ( स्त्री. ) उत्तरीय वस्त्र | ऊपर का कपड़ा । तराजू | कगू, (क्रि. ) क्रिया करना । चलना । कङ्क, (पुं.) काक नामक एक पक्षी, इसी पक्षी के परों से वार्यों के पुल बनाये जाते है । युधिष्ठिर का वह नाम जो उन्होंने विराटनगर में पहुँचने पर स्वयं रखा था । कङ्कट, ( पुं. ) कवच | वर्म्म । कङ्कण, (न.) विवाह के समय स्त्री पुरुप दोनों के हाथ में बाँधा जाने वाला सात गाँठो का सूत्र करभूषण। हाथ का भूषग्य । ककना । ककनी । कङ्कत, (न. ) कंधी | बालों को साफ करने F वाली । कङ्कतिका, ( स्त्री. ) नागवला | कंषी । कङ्कती, ( स्त्री. ) कंघी कङ्कपत्र, (पुं. ) तीर । बागण । कङ्कमुख, (पुं. ) सडांसी। सड़सी कपक्षी के मुख जैसा । कङ्काल ( पं. ) हड्डियों का पिचर । खखड़ी । कङ्कालमालिन्, ( पुं. ) अस्थिपञ्जर की माला वाला इन्द्र | रुद्र | कङ्कु, ( पुं. ) कगुनी - एक प्रकार का अनाज । (क्रि. ) शब्द करना | बाँधना वैर करना । कन् बाल । बृहस्पति का पुत्र । सूखा धाव । मेघ । बादल हथिनी । कच, सजावट। कन्चु ( स्त्री. ) कन्चूर | हल्दी । कञ्चर, (त्रि. ) मलिन | मैला । छाछ । कट प्रश्न । कच्छ (पुं.) स्थान जहाँ पानी ही पानी हो । तट खाल कछवा । पुनागद्रम | केसर का पेड़ । काछनी । कच्छप, (पुं. ) कू । कछवा | कुबेर का धनागार | मदिरा निकालने की कला | वृक्षविशेष । मल्लयुद्ध | ● कच्छुर, (त्रि. ) लम्पट । व्यभिचारी | व्यभिचारिणी स्त्री | कज, (न. ) कमल । पद्म कज्जल, (न. ) अञ्जन | काजल । बादल मच्छी विशेष । कजलरोचक, ( पुं. ) डीवट | दीपक की बैठक कल को चमकाने वाला कञ्चक, (पुं.) लोहे का केली 'चोली । यि कुर्ता | कञ्चुकिन्, (पुं. ) ड्योढ़ीदार | दरबान साँप जार। जौ वर्म्मधारी । रनवास- रक्षक । चणक नामक मुनि । अङ्गरखा पहरने वाला । कञ्जक, (पुं. ) मैना । कोयल | कञ्जार, (पुं. ) सूर्य | ब्रह्मा । उदर | पेट | कट, (कि. ) जाना । बरसना | हस्तिगण्ड- स्थल | बहुत । कांल । चटाई | मुर्दे की रथी | तख्ता । औषध मरघटा। कमर । कमर का मांस | कटक, (सी.) सेना | पर्वत का मध्यभाग | जोशन। हाथीदाँत । पहिया । राजधानी | समुद्र का नमक | वृत्त । भूमि | कटङ्कट, (पुं. ) शिवजी का नाम कटपूतन, ( सं . ) राक्षसविशेष | कटप्रू, (पुं.) महादेव । विद्याधर । मायावी राक्षस । पाँसा खेलने वाला । कीड़ा । जुवारी । कटभङ्ग, (पुं. ) सेना के हारने राजा का नाश। हाथ से धान को निकांना | + . कटा चतुर्वेदीकोष | १०६ कटौयन, ( न. ) तृण जिनकी चटाई बनाई जाती है । खस । कटाह, (पुं. ) भैंस का बच्चा। पड़ा। पड़वा | कढ़ाई | खप्पर । नरक । कटि, ( स्त्री. ) कमर | चूतड़ | कटित्र, (न.) कटिवस्त्र | करबेड़ | केटिला ( पुं. ) करेला । कटिसूत्र, (न. ) करधनी । मेखला | गोट कटु, ( न. ) कड़वा | तीता | दुर्गन्ध । कटुकी लता। चम्पक । चीनकपूर | पटोल | नीम | कटुकन्द, (पुं.) कड़वी जड़ वाला। सैजना | अदरक लहसन । कटुकीटक, (पुं.) मच्छर कटुक्काण, ( पुं० ) तेज आवाज वाला । तीतर | टटीरा । परिन्दा | कटुग्रन्थि, (पुं. ) पिप्पलीमूल । पीपल की जड़ । सोंठ की जड़ कटुच्छद, ( पुं.) तगर का पेड़ | कटुत्रय, ( न. ) कड़वी तीन चीजें । सोंठ, पीपल, काली मिरच | कटुदला, ( स्त्री.) कर्कटी | कंडियारी बूटी । कटुर, (न.) मठा | छाछ । लस्सी | कटुरस,, ( पुं. ) मेंडक | तेज शब्द वाला । कटुवीजा, (स्त्री.) पीपल । कडवे बीज वाली । कठ, (क्रि. ) बड़े चाव से याद कवर, (न.) माठा | छाछ । चटनी | करना । कठिन, ( गु. ) क्रूर | बेरहम | कठोर । रोका हुआ । ( स्त्री. ) थाली । कठिनी, (स्त्री.) खड़िया | कठोर, (त्रि. ) कठिन । पूर्ण भरा हुआ । कड्, (क्रि. ) फाड़ना । भेदना | रक्षा करना । बचाना । प्रसन्न होना । खाना । कड, (पुं.) गूङ्गा | कडङ्गर, (न.) भूसा । घास कंडरीय, (त्रि.) भुस खाने वाले पशु आदि काठ कड़ार, ( पुं. ) पीला रङ्ग | दास | कडु, ( कि. ) कड़ा होना । कण, (क्रि.) जाना । ( पुं.) अणु । कणिका | अनाज का दाना। बहुत थोड़ा वन का जीरा । कराज़ीरक, (न.) छोटा जीरा | करणभक्ष, (पुं.) काली चिड़िया | कणाद मुनि, इन्हींने वैशेषिक दर्शन की रचना की है । कणिक, ( पुं. ) आटा | कुनिक । प्रति सूक्ष्म अंश । कणिश, (पुं. ) अनाज की बाल । कणेर, (पुं. ) कनेर का पेड़ | वेश्या | हथिनी । कराटक, (पुं.) सुई की नोक । काँटा । रोमाब | मच्छी की हड्डी | लग्न से ४ था, १०वाँ और सातवाँ स्थान । क्षुद्र । शत्रु | कराटकद्रुम, (पुं.) शाल्मली वृक्ष । कण्टकाशन, ( पुं. ) ऊँट अर्थात् जो काँटों को खाय । P कराट कित, (त्रि. ) रोम खड़े हुए हैं जिसके । प्रसन्न । कराटकिन, (पुं.) मछली विशेष । खजूर का पेड़। गुखरू का पेड़ | बाँस । बेरी | कण्डपत्रफला, ( स्त्री. ) ब्रह्मदरडी । काँटे- दार फल और पत्ते वाली कराटफल, ( पुं. ) गुखरू । धतूरा | कटहरा । कराटालु, ( पुं. ) करील । बैंगन । कराठ, (पुं० ) गरदन का अगला भाग । गला | समीप । होमकुण्ड के बाहिर की अङ्गुल भर भूमि | कराठारक, (पुं.) खुर्जी । यात्रा का सामान रखने का थैला । कण्ठाल, (पुं.) लाज | लड़ाई | ऊँट | नाव । गौ आदि पशुओं के गरदन के नीचे लट- कने वाला चमड़ा | कण्ठिका, (स्त्री.) इकलेरा | कराठी | म · चतुर्वेदीकोष | ११० मत्तगज | कण्ठीरव, (पुं. ) सिंह शेर कबूतर | कराठेकाल, (पुं.) महादेव का नाम । कण्डन, (न. ) फटकना । कूटना | छरना | कण्डनी, (स्त्री. ) उखली । उलूखल । कण्डिका, (स्त्री) वेद का एक भाग | कण्डु, ( स्त्री. ) को खुजाना । कराडून, ( पुं. ) सफेद सरसों । कण्डूति, ( स्त्री. ) खुजलाना । कण्डोल, ( पुं. ) डलिया । कण्डी | ऊँट | डोल । कराठी कराव, ( पुं.) एक मुनि का नाम जिन्होंने शकुन्तला को पाला था। पाप अपराध | कतक, ( पुं. ) निर्मली वृक्षविशेष | पानी साफ करने वाली वस्तु । कतम, (त्रि.) बहुतों में से एक या कौन ? कतर, (त्रि. ) दो में से कौन ? कति, (त्रि. ) कितने ? कतिपय, (त्रि. ) कितने । कुछ कप्तोय, (न. ) शराब । मदिरा | बुरा पानी । कत्थू, (क्रि. ) सराहना । अभिमान करना | कथ्, (क्रि. ) कहना | बोलना । कत्थन, (न.) घमण्ड करना । कतपयम्, ([अव्य.) किसी प्रकार | कथक, (पुं. ) कहने वाला । कत्थकड़ । कथन, (न.) वर्णन | कथञ्चन, (अव्य.) किसी प्रकार | कथञ्चित्,(अव्य.) कठिनता। बड़ी सावधानी से । कथम्, (श्रव्य.) किस प्रकार | कथमपि, ([अव्य.) बड़े प्रयत्न से | किसी तरह । कथंभू, ([अव्य. ) किस प्रकार | कैसे । कथंभूत, (त्रि.) किस प्रकार | कैसा । कथा, (स्त्री.) कहानी । प्रबन्धरचना | बादरूप वाक्य | केशनक, (सं.) छोटी कहानी | किस्सा | कथाप्रसङ्ग, ( पुं. ) कथा में जितकी चर्चा हो । बहुत बोलने वाला । उन्मत्त । सिड़ी । कद्, (क्रि.) रोना । घबड़ाना । घवड़ा जाना । कदन, (न. ) पाप । लड़ाई | कदन्न, (सं.) बुरा अन्न । रामदाना । सिंघाड़ा | कदम्ब ( पुं. ) एक पेड़ | कदर्थ, ( पुं. ) नीच प्रयोजन । दुष्ट मतलब । कदर्शन, (न.) पीड़ित करना । अत्याचार करना | कर्थ्य, (त्रि.) क्षुद्र | नीच कब्जूस । धन के सामने स्त्री पुत्रादि को भी तुम्छ समझने वाला । कदर्य, ( पुं. ) दरिद्री | लालथी । कदली, ( स्त्री. ) केला । हिरनी विशेष । झण्डी | कदा, (अन्य ) किस समय । कब । कदाख्य, (पुं.) कूट वृक्ष । कदाचन, (अव्य.) किसी समय | कभी | कदापि, ( श्रव्य. ) किसी समय भी | कभी भी । कदुष्ण, ( न. ) गुनगुना । कुछ कुष गरम । कडु, ( पुं. ) पीला रङ्ग | नागों की माता का नाम | पृथिवी | कद्रू, (स्त्री. ) कश्यप की स्त्री और नागों की माता । कद्वद, (त्रि.) गाली गलौज करने वाला | कन्, (कि. प्यार करना | प्रसन्न होना । सन्तुष्ट होना । कनक, (न. ) सोना । धतूरा | किंशुक पेड़ | कनकक्षार, (पुं.) सुहागा | कमकरस, (पुं. ) हरताल कनकाचल, (पुं.) सुमेरु पर्वत । कनकारक, (पुं. ) कोविदार वृक्ष | कवनार का वृक्ष । ● चतुर्वेदीकोष । १९९ समीप गङ्गातट कनखल, (पुं.) हरिद्वार के पर बसा हुआ एक तीर्थ | कना, (स्त्री.) लड़की कनिष्ठ, (त्रि. ) अतिधोटा | कनी, ( स्त्री. ) लड़की । कनीयस्, ( त्रि. न. ) ताँबा | दो में छोटा । कन् पुं.) सुखा । कामदेव । कन्था, ( स्त्री. ) मिट्टी की दीवाल | कन्द | चीथड़ों की गुथी गुदड़ी | कन्द, ( पुं.) गाजर । एक प्रकार की जड़ विशेष । वादल । कन्दर, ( पुं. ) गुफा | कन्दराकर, ( पुं. ) अनेक गुफाओं वाला स्थान | पहाड़ | कन्दराल, (पुं. ) पाकुड़। श्रखरोट । कन्दर्प, (पुं. ) कामदेव । बुरा अहङ्कार उत्पन्न करने वाला । कन्दर्प-कूध, ( पं. ) स्त्री का चिह्न। योनि कुस । कन्दर्पमूषल, (पुं.) पुरुषचिह्न । लिङ्ग | कन्दली, (स्त्री.) हिरणविशेष वृक्षविशेष | पताका झुण्ड । पद्मवीज | कन्दु, ( पुं. स्त्री. ) कढ़ाई । तांबा । कन्दुक, (पुं. ) गेन्द्र | कन्धर, (पुं.) बादल । कन्धा | प्रीवा । कन्धि, ( स्त्री. ) गला । गरदन | कन, (न. ) पातक | पाप | मूर्च्छा | बेहोशी । कन्य, ( पुं. ) सबसे छोटा । कन्यका, ( स्त्री. ) लड़की । कुमारी । कन्या, ( श्री. ) अविवाहिता लड़की । कुमारी । दस वर्ष की कारी लड़की । राशि का नाम । देवी। बड़ी इलायची । कन्याकुब्ज, (पुं.) एक देश | कन्नौज | यहाँ पर वायु ने सौ कन्याओं को कुबड़ी बना दिया था । कन्याट, (पुं.) स्थान जहाँ लड़कियां खेलै । वासभवन । कप्, (क्रि. ) चलना । हिलना । कप, ( पुं. ) देवताविशेष । कपट, (पुं. न. ) छल। प्रवञ्चन | ठगी | कपटिन, (त्रि.) डली | लुच्चा । गुण्डा | कपर्द, (पुं. ) कौड़ी | शिव की जटा । कपर्दिन, (पुं. ) महादेव । शिव । कपाट, ( स्त्री. ) किवाड़ कपाल, (पुं. न. ) खोपड़ी | खप्पर । कपालभृत् (पुं. ) शिव | महादेव । कपालमालिन्, (पुं. ) शिव | दुर्गा | कपालिका, (स्त्री.) टीकरी । कपि, (पुं० ) बन्दर लाल चन्दन | सुअर विष्णु । धूप | कपिकेतन, (पुं.) चर्जुन | कपिध्वज | कपिञ्जल, (पुं. ) गोरा तीतर । पपीहा । कपित्थ, ( पुं. ) कैथ | वृक्षभेद । कपित्थास्य, (पुं. ) एक प्रकार का बन्दर । कपिप्रिय, (पु.) कैथ का वृक्ष | ग्राम का वृक्ष | कपिरथ, (पुं. ) रामचन्द्र | अर्जुन | कपिल, ( पुं. ) अग्नि । साङ्ख्यशास्त्र के निर्माता मुगिविशेष । वासुदेव । दैत्य कपी विशेष | पीलारङ्ग । सोने के रङ्ग की एक गौ । एक नदी | धूप | पुण्डरीक नामक दिग्गज की हथिनी | . · कपिलधारा, (स्त्री.) स्वर्गनदी | मन्दाकिनी | काशी का एक प्रसिद्ध तीर्थ । कपिलाश्व, (पुं.) पीले रङ्ग के घोड़े वाले इन्द्र | देवराज | कपिलोह, (न. ) पीतल धातु । कपिवक्त्र, (पं.) बानर के समान मुख वाला । नारद । कपिवली, (स्त्री. ) गजपिप्पली । कपिश, (पुं.) नदीविशेष | माधवी लता | कपिशीर्ष, (न. ) कोट के कँगूरे । कपीज्य, (पुं. ) एक पौधा । क्षीरका वृक्ष । कपीन्द्र, (पुं. ) बन्दरों का इन्द्र या राजा | सुग्रीव । कपी चतुर्वेदीकोष | ११२ कपीष्ट, (पुं.) कैथा का पेड़ । कपूय, (त्रि.) कुत्सित । निन्दित । कुरूप । कपोत, ( पुं. ) कबूतर पक्षी कपोतपालिका, ( स्त्री. ) पक्षियों के बैठने का मचान या छतरी । कपोतवर्णी, ( स्त्री. ) छोटी इलायची । • कपोतारि, (पुं. ) बाज पक्षी । कपोल, (पुं. ) गाल । कफ, ( पुं. ) श्लेष्मा | बलगम । कफ-कुर्चिका ( स्त्री. ) लार ! थूक । कफार्ण, ( पुं. ) कोहनी। बांह के बीच की गाँठ | कफविरोधिन्, ( पुं. न. ) कफ का शत्रु | काली मिरच | गोल मिरच कफारि, ( पुं. ) साँठ । कफ का बैरी | अदरख । कबन्ध, ( पुं. ) धड़ । विना सिर के शरीर । वायु द्वारा रुकने वाला उदर । पेट । धूमकेतु । राहु । जल । राक्षसविशेष । कम्, (क्रि. ) चाहना । ( [अव्य. ) अवश्य । पादपूरण | पानी । मुख । मस्तक | निन्दा | मङ्गल । कमठ, (पुं.) कछवा । कमण्डलु अर्थात् एक प्रकार का पात्र जिसमें संन्यासी पानी रखते हैं। कमण्डलु (पुं. न. ) संन्यासियों का पानी रखने का पात्र सक्ष वृक्ष चतुष्पाद जन्तुविशेष | कमन, ( त्रि. ) कामी । सुन्दर अशोक वृक्ष । कमनच्छद, (पुं.) बगुला | सुन्दर पत्ते वाला | कमनीय, (गु.) मनोहर । चाहने योग्य | सुन्दर बहुत उत्तम कमल, (न.) जल को सजाने वाला। पद्म । कमल फूल । ताँबा । दवाई । हिरनविशेष | सारस पक्षी । ( न. ) जल | कमलख, (न.) कमलों का समूह | कमला, ( श्री.) लक्ष्मी । सुन्दरी स्त्री ।. कमलालया, ( स्त्री. ) कमलों में रहने वाली । लक्ष्मी । कमलासन, (पुं. ) कमल के आसन वाले । ब्रह्मा । (T ) लक्ष्मी | कमलिनी, ( स्त्री. ) कमलों का समूह | कमलों वाली लता | कमलोत्तर, ( न. ) कुसुम्भ का पुष्प कमितृ, (त्रि.) कामी । चाहने वाला । कम्प, (पुं. ) कपकपी । वेपथु । कम्पिल, ( पुं. ) करज | ग्रामविशेष । रोचनी । कमलागुण्ड । कम्प्र, (त्रि. ) कम्पित । कोपा हुआ । कम्ब, (क्रि. ) गति । जाना । कम्बल, (पुं.) ऊनी मोटा वस्त्र जो श्रोदने बिछाने का काम देता है । हिरनविशेष | साँप का छोटा बच्चा । श्रासन | कम्बु, (पुं.न.) शङ्ख । गज। हाथी । घोंघा । चित्रविचित्र | कम्बुपुष्पी, ( स्त्री. ) शङ्खपुष्पी । शङ्ख के आकार के पुष्प वाली। कम्बोज, ( पुं. ) एक देश का नाम जो भारतवर्ष के उत्तर में है। एक प्रकार का हाथी एक प्रकार का शङ्ख- कम्र, (त्रि. ) कामी । सुन्दर । भोग की इच्छा करने वाला । 1 कर, ( पुं. ) हाथ किरन वह रुपया जो राजा अपना स्वत्व समझ कर लेता है । राजस्व । महसूल । श्रोला। हाथी की सूँड़ । ग्यारहवें नक्षत्र का नाम । करक, ( पुं. ) करअ का पेड़। पक्षी । अनार का पेड़ । बकुल वृक्ष । शरीर । नारियल की खोपड़ी । नरेरी । कमण्डलु । श्रोला । गढ़ा। करकण्टक, (पुं.) नख । नौह । करकाजल, (न.) बरफ । श्रोले का पानी । करकाम्भस्, ( पुं. ) ओले के समान जल वाला । नरियल । नारिकेल । . कर चतुर्वेदीकोष | ११३ करग्रह, (पुं.) पाणिग्रहण । विवाह । करङ्क, (पुं॰ ) पात्रभेद । डब्बा । कमण्डलु । खोपड़ी । खोल । करच्छद, (पुं. ) सिहोदा | सिन्दूरपुष्पी । करज, (पुं. ) नख सिर पानी को रङ्गने वाला । कञ्ज । करंजुआ । करपुं० ) वृक्षविशेष । करंजा का पेड़। 9 करट, (पं.) कौआ | काक | गजगण्ड | कुसुम्भ वृक्ष । करटिन, (पुं. ) हाथी । करण, (न. ) व्याकरण का एक कारक वर्ण । हेतु । क्षेत्र । इन्द्रिय | शरीर । वैश्य पुरुष द्वारा शुद्धा स्त्री में उत्पन्न सन्तान | दोगला । कायस्थ । डलिया । करणाधिप, (पुं.) जीव | आत्मा इन्द्रियों का स्वामी । करण्ड, (पुं.) बॉस की डलिया या छोटी पेटी । मधुमक्खी का छत्ता । बतक्र जैसा एक पक्षी । यकृत करताल, (न. ) झाँझ । मञ्जीरा। करताली, ( स्त्री. ) करतलध्वनि । ताली | करतोया, (स्त्री.) कामरूप देश की एक नदी का नाम करपत्र, (न. ) श्रारा । पानी का एक खेल | करपत्रवत् (पुं.) ताड़ का पेड़ । करपल्लव, ( पुं. ) चङ्गुली । करपात्र, (न.) स्नान करते समय पानी के छींटे मारना । अञ्जली। हाथ का पात्र । करपीड़न, (न.) विवाह । हाथ मरोड़ देना | करपुट, (पुं.) अञ्जली । करभ, (पुं.) हाथ का विशेष भाग । हाथी का बच्चा । ऊँट का बच्चा } करमालः, (पुं.) धुवाँ धूम | करमुक्तं, ( सं . ) एक प्रकार का हथियार । करम्बित, (गु. ) मिश्रित । मिला हुआ | करम्भ:-बः, ( पुं. ) दधिमिश्रित सत्तू या दही से सना हुआ कोई भोजन का पदार्थ | कीचड़ । कररुह, (पुं. ) नोह। नख । करवाल, (पुं.) तलवार । नख । करवीरः कः, (सं.) तलवार । असि । कब्रस्थान | भारत के दक्षिण भाग में एक नगर का नाम । करहाटः, ( पुं. ) देशविशेष । कमल की जड़ । मदन वृक्ष | 1 पैठ | कराङ्गणः, ( पुं. ) हाट बाजार राजस्व उगाहने का स्थान करायिका, ( स्त्री. ) पक्षी | छोटी जाति का सारस । कराल, ( पुं. ) भयानक | चौड़ा | तुकीला | श्रम विस्तृत कुरूप । वृक्षविशेष । करालिका, ( स्त्री. ) तलवार । वृक्षभेद । करास्फोट, (पुं. ) ताल ठोंकना | वक्षःस्थल | करिका, ( स्त्री. ) हाथ के नत्वों से किया ● हुआ घाव । करिणी, ( स्त्री. ) हथिनी । करिदारक, (पुं. ) सिंह | करिन, ( पुं. ) हाथी । आठ की संख्या । करीर, ( पुं. ) बाँस का | करील का झाइ | भिक्षी | हस्तिदन्न- मूल । करीषः, (पुं. ) सूखा गोबर करीषंकशा, ( श्री. ) चाँधी | तूफान | करीषिणी, ( स्त्री. ) लक्ष्मी । धन की अधिष्ठात्री देवी । (पुं. ) दीन । अनाथ | करुणा वाला । करुण, दया । करुणा, ( स्त्री. ) दया । मया । छोह । करूष, ( पुं. ) एक देश का नाम । करेट:, ( सं . ) हाथ की अङ्गली का नोह | करेणु, ( पुं. ) हाथी | हथिनी । करेर, (पुं. ) हाथी | हथिनी | करो करोट, ( पुं न. ) भिर की हड्डी । खोपड़ी । कर्क, (क्रि.) हंसना । (पुं.) |

चित्ता | घोड़ा | दर्पण । शिक्षा । केकड़ा । कर्कट पेड़ । काँटा । मेष से चौथी राशि । घड़ा । ! कर्कट, ( चतुर्वेदकोष | ११४ ( पुं. ) केकड़ा । चौथी राशि । शाल्मली वृक्ष । एक प्रकार का गन्ना । कर्केटि-टी, (स्त्री.) ककड़ी । कर्कटु, ( पुं. ) सारसविशेष । कर्कन्धुः-धूः, ( श्री. ) वर | उनाव | कांटेदार • पेड़ | कर्कर, (पुं. ) कड़ा। हद हड्डी | खोपड़ी के टूटे हड्डे । चमड़े को रास्तयों | तस्मा | कर्कर्शः, (पुं. ) करञ्ज | स्पर्श | तीव्र हुआ | गना । खड्ग । कठोर । गाहसी । निर्दय । कर्कसार, ( न. ) दधिमिश्रित भोजन का पदार्थ | कर्केतनः, ( पुं. ) एक प्रकार का बहुमूल्य रन । कर्कोट, (पु.) एक प्रकार का उम्र सर्प जिसके देखने ही से विष चढ़ता है । गन्ना । बेल का वृक्ष | त्रिभुज क्षेत्र | डाँड़ | कर्णकोटी, ( स्त्री. ) कनखजूरा । कर्णगूथं, ( न. ) कान को ठेठ या मैल | कर्णधार, (पुं. ) नाविक । मलाह् । कर्णपाली, (स्त्री.) कान का गहना | बाली । i बाला । कर्णपूरक, ( पुं.) कान का गहना | कदम्ब वृक्ष । अशोक वृक्ष | नील कमल कर्द कर्णफलः, (पुं.) एक प्रकार की मछली । कर्णवेध, (पुं. ) कनविदावन संस्कार विशेष । कर्णाट, (पुं. ) रामेश्वर से । कर श्रीरङ्ग तक का देश | काव्य की एक रीति । एक राग का नाम । . (पुं. ) एक प्रकार तीर । चोरी आदि विद्या के पिता मूलदेव की कर्ण माता का नाम । कर्णिका, ( स्त्री. ) मध्यमा अङ्गुली। हाथी की सूँड की नोक । कर्णाभरण | पाबीज कोत्र । लेखनी कुट्टिनी | कर्णिकार, ( पुं. ) कनेर का फूल कनेर का पेड़ | कर्तु, (क्रि.) शिथिल होना | ढीला पड़ना । हटाना । कर्तः, (पुं. ) वेद । गुफा चीर फाड़ | | कर्तन, ( न. ) काटना । सूई से सूत निकलने कचूर, ( पुं. ) कचूर । एक गन्धद्रव्य । कचूकः, (पुं. ) इमली । i कर्तव्यो महदाश्रयः । ” कर्जू, (क्रि. ) दुःख देना | कष्ट देना | विकल ! कर्तृ, (त्रि. ) कर्त्ता | करने वाला । क्रिया का करना । स्वतंत्र आश्रय | ब्रह्मा, विष्णु और शिव कर्ण, ( क्रि. ) फाड़ना । छेद करना । का भी नाम है। पुरोहित । सुनना । कर्तृक, ( पुं. ) करने वाला । कर्ण, (पुं. ) कान | सूर्यपुत्र | राजा कर्ण | | कर्त्रे, (पुं. ) जादू | इन्द्रजाल का खेल | का व्यापार | कातना । । कर्तरी, ( स्त्री. ) क्रैची कतरनी। बरछी ।. छुरी कर्तव्य, (त्रि.) करने योग्य | " हॉन सेवा न कर्तव्या कर्तका, ( स्त्री. ) छोटा खड्ग । चाकू | कर्दू, ( क्रि. ) ( पेट का ) गड़गड़ना । गुड़बुड़ करना ( काक की तरह ) काउ काउ करना । कर्दः-कर्दरः, (मं.) कीच । कीचड़ । कर्दम, (पुं.) कीचड़ । पाप एक प्रजापति का नाम । भगवान् कपिल के पिता मांस | चतुर्वेदकोष । ११५ कर्द कर्दमैक, (२ ( सं . ) फलविशेष | सर्पविशेष । कर्पट, ( पुं. न. ) चिथड़ा । कपड़े की धजी। रूमाल । गेरुआ रङ्ग का कपड़ा। ! कर्म्मकार, (पुं.) कोई सा काम करने वाला | कारीगर | यह शब्द विशेष कर बेगार में काम करने वालों के लिये आता है । कमेठ, ( पुं. ) कार्य करने में कुशल । क्रियाकुशल काम करने में पटु । कर्मण्य, ( पुं. ) काम में योग्य काम में चतुर | पढ़ | मजदूरी । कर्मधारय, (पुं. ) एक प्रकार का समास । कर्मन्, (न. ) क्रिया । कर्मममांसा, ( स्त्री. ) कर्मकाण्डसम्बन्धी कल् वेद भाग पर विचार करने वाला और जैमिनि द्वारा रचा गया ग्रन्थविशेष । कर्मविपाक, ( पुं. ) शुभाशुभ कर्म का फल रूप सुख और दुःख । जीव के कर्मानुसार उसकी दशा को बताने वाला एक अन्थ । कर्मसंन्यासिन्, (पुं. ) विधानपूर्वक वेद- विहित कर्मों को त्यागने वाला | संन्यासी | यती । उपरना । कर्पण, (पुं, ) एक प्रकार का शस्त्र । कर्परः, (पुं. ) कड़ाही । खपरा । कपार | विशेष | मेरुदण्ड । रीढ़ की हड्डी । कर्पास, (पुं. न. ) कपास कर्पूर, ( सं . ) कपूर | सुगन्धद्रव्य । कफरः, ( सं . ) दर्पण | शीशा | बट्टा | कर्ब, (क्रि. ) जाना । डोलना । समाप होना । कर्बु-कर्बूर, (पुं.) चित्तीदार भूरा ( सं . ) पाप | भूत प्रेत । धतूरे का पौधा | जल के भीतर उत्पन्न चावल साठी के चावल। सोना । जल | हरताल । कर्म, (न. ) काम | कर्मकर, (पुं. ) मजदूर | नौकर | कर्मकाण्ड, ( पुं. ) क्रियाकर्म | वेद का वह भाग जो कर्म का प्रतिपादन करता है। । कर्पू, (क्रि.) अभिमान करना । घमण्ड करना । कर्च, ( सं . ) प्रेम । इच्छा एक प्रकार का मूसा । | ● कर्वट, (पुं.) दो सौ ग्रामों में प्रधान स्थान, जहाँ बाजार या पैंठ लगती हो । पुर । नगर। पहाड़ का उतार या ढालूपन | कर्वर, (पुं. ) राक्षस | पाप | रहबिरहा | चीता । ( 1 ) दुर्गा का नाम रात्रि | एक राक्षसी । चीता की मादा कर्ष, (क्रि.) खींचना | आकर्षण करना | जोतना | कमेसिद्धि, (स्त्री.) इष्ट अनिष्ट फल की उपलब्धि या प्राप्ति । कम्मर, ( पुं. ) कारीगर | लुहार | वृक्ष विशेष | एक प्रकार का बाँस | कमिष्ट (त्रि. ) क्रियाकुशल कार्य में संलग्न । काम करने में पढ़ या चतुर । कर्मेन्द्रिय, (न. ) वे इन्द्रियाँ जिनसे किया सिद्ध हो यथा - हाथ, पैर, नाक, कान आदि कर्प, ( पुं. ) हल । सोलह माशे का एक माप | तोला । कर्षक, ( पु. ) खींचने वाला । किमान | कसौटी । कर्पफल, ( पुं. ) वहड़ा | आमलकी वृक्ष विशेष | कार्पणी, (श्री. ) विशेष लगाम | कर्पूः, ( स्त्री. ) हल । नदी | नहर 1 ( पु. ) कण्डे की श्राग । कृषिकर्म । आजीविका | काह, (ग्रव्य.) किस समय कब कर्हिचित्, (श्रव्य. ) किसी समय कल, ( कि. ) गिनना । प्रेरण बजाना। पकड़ना । ढोना | ले रखना । करना । जाना । कल कल, (पु. कोमल, चतुर्वेदीकोष । ११६ ) मधुर और स्पष्ट धीमी, आनन्ददायिनी ( आवाज ) | धनपच । साल वृक्ष कलकण्ठ, (पुं.) कोकिल । हंस । पारावत । कबूतर मधुर कण्ठ वाला । कलकल, (पुं.) होहो । कोलाहल । हला गुल्ला । गुलगपाड़ाँ । कलघोष, (पुं.) मीठे कण्ठ वाला । कोइल | कलङ्क, (पुं. ) दांग | धब्बा | चिह्न | अपयश | दोष | त्रुटि | लोहे की जङ्ग | काई । कलंञ्ज, (पु.) पक्षी | विषैले अस्त्र से मारा हुआ हिरन या कोई अन्य जन्तु | तमाखू | ताम्रकूट । दस रुपये भर का माप । कलत, (गु. ) गजा | कलत्र, (न.) चूतड़ | भार्ग्या | पत्नी | स्त्री | कलधौत, (पुं) चाँदी कलध्वनि, (पुं. ) मधुर धीमा शब्द | कबूतर | मोर । कोइल कलन, (पुं.) बेत का झाड़ | चिह्न | एक मास का गर्भ | पकड़ना। गिनना । सम झना | जानना कलभ, (पुं.) हाथी का बच्चा जो पाँच वर्ष का हो चुका हो । धतूरे का पेड़ । कलर्म, (पुं.) चावल, जो मई जून में बोये जाते और दिसम्बर जनवरी में काटे जाते हैं । लेखनी। नरकुल । चोर । गुण्डा | बद- माश । कलम्ब, (पुं. ) तीर | कदम्ब का वृक्ष । कलरच, (पु.) मधुर धीमे शब्द | पिडुकिया । कोइल | कलल, (पुं. न. ) गर्भ की झिल्ली । स्त्री का गुप्त अङ्ग । फलविङ्कङ्ग, (पुं.) गौरइया पक्षी | इन्द्रजौ | चिह्न | धब्बा | कलश, (पुं.) कलसा । घड़ा । मापविशेष जिसमें चौतीस सेर हो । कलह, (पुं.) झगड़ा। तकरार । विवाद। लड़ाई | ^ कलि तलवार रखने की मियान । छल ।"झूठ | मार्ग । कलहंस, (पुं.) राजहंस परमात्मा | सर्वो- त्तम राजा । कला, ( स्त्री. ) किसी वस्तु का एक छोटा अंश । चन्द्रमण्डल का सोलहवाँ भाग | राशि के तीसवें भाग का सठियाँ अंश । चातुर्य | कापट्य | छल । विभूति | सामर्थ्य | नौका | गिनती | मरीचि की स्त्री । कला चौसठ होती हैं - गाना, बजाना आदि। कलाद, (पु. ) अंश लेने वाला | सुनार । कलानिधि, (पुं.) चन्द्रमा | कलानुनादिन, (पु.) भौंरा | गौरड्या पक्षी | कलाप, ( पुं. ) समूह | मोर की पूँछ । गहना | मेखला । तर्कस | चाँद | एक गाँव | व्याकरण विशेष | कलापक, (पुं. ) जिसमें चार श्लोक का एक ही अन्य हो । कलापिन, (पुं.) वट जिसकी शाखा मोरपस के समान हो- बोड़ । कोइल | कलाभृत्', ( पुं. ) चन्द्र | चाँद । कल्लाधारी | श्रमीर मनुष्य | कलावत्, ( पुं. ) कला वाला | चन्द्रमा | कलाधारी। बड़ा आदमी | . कलाविकः, (पुं. ) मुर्गा कलाहकः, (पु. ) काहिली । एक प्रकार का मुँह से बजने वाला बाजा कलि, (पुं. ) झगड़ा । युद्ध से चौथा युग। बहेड़े का वह पहल जिस पर १ शूरवीर। तीर । ( स्त्री. ) कली । कलि-कारक, ( पुं. ) कलि कलह | कराने का चिह्न हो । चार वृक्ष । पाँसे का वाला=नारद | भूम्याट पक्षी । कलिङ्ग, ( गु. ) चतुर चालाक। करंजुए का पेड़ । शिरीष वृक्ष । मक्ष वृक्ष कृष्ण के दूसरे तीर तक और जगनाथ के पूर्व भाग वाला देश । कलि चतुर्वेदीकोष कथित | कलित, (त्रि..) प्राप्त । ज्ञात विचारा हुआ | बाँधा गया । कलिन्छ, ( पु. ) सूर्य्य विभीतक वृक्ष | कलिन्दकन्या, ( स्त्री. ) यमुना । जपुना | कलिल, (त्रि.) सघन वन । मिश्रित | · गहन । कलुष, पुं. स्त्री . ) महिष | मैंसा | पाप | पापी । कलेवर, (न. ) शरीर | देह । कल्क, ( पुं. न. ) विभीतक | पेड़ | विष्ठा | कान का मैल । ठेठ | फोट। मैल। पाप । पाखण्ड । घी तेल आदि का श्रवशिष्ट अंश । कल्कि, (पुं. ) विष्णु भगवान् का होने वाला दसवाँ अवतार । अन्तिम अवतार । कल्पिन्, (पुं.) भगवान् का दसवाँ अवतार • जो कलि के अन्त में सम्भल नामक नगर में होगा । i कल्प, ( पुं. ) वेदाङ्ग का भेद | बौधायन कृत अनुष्ठेय क्रम विधान | सूत्ररूप में कर्मा- नुष्ठान पद्धति । ब्रह्मा का दिन | प्रलय कल्पवृक्ष । न्यायशास्त्र | विकल्प | कल्पक, ( पुं. ) नाई। कल्पना करने वाला | काटने वाला | नउश्रा । कल्पतरु, ( पु. ) नन्दन कानन का एक वृक्ष, जो माँगने वाले की इच्छानुरूप फल देता है। कल्पवृक्ष | कल्पन, (न. ) काटना | रचना |

कल्पना, ( स्त्री. ) रचना | उपाय | सजाना । बाँटना | अनुमितिभेद | कल्पान्त, ( पुं. ) कल्प का अन्त । प्रलय नाश । कल्माष, (पुं. ) राक्षस | चित्रवर्ण | काला रङ्ग । काला पीला रङ्ग | कल्माषकण्ठ, ( पुं. काले गले वाला । शिव जी । 1 कल्य, (न. ) सबेरा | भिंसारा | प्रातःकाल । प्रभात | शहद | बीता हुआ दिन । तयार । . । १९७ कव रोगरहित । चतुर | सुखी जैन । बहरा और गूँगा | शिक्षाप्रद | सुखसंवाद | कल्या, (स्त्री. ) हरीतकी | हरे । बधाई | कल्यजग्धि, ( स्त्री. ) कलेवा | कलेऊ | प्रातःकाल का भोजन । कल्याण, ( न. ) हेम | सुवर्ण | मङ्गल । खुशी । कल्याणकृत, (त्रि.) लाभकारी । शाखानु- सार कार्य करने वाला सोना | कल्ल, ( किं. ) कूजना | चिल्लाना | शब्द करना । ( पुं. ) बधिर | बहिरा | कलोल, (पुं.) बड़ी लहर। हर्ष । खुशी | वैरी । " आयु: कल्लोललोलम् । " कल्लोलिनी, (खी. ) नदी |

कल्हार, ( पुं. ) सफेद कमल | पानी में

उगने वाले पेड़ का सफेद फूल । कवू, (कि. ) प्रशंसा करना। वर्णन करना । सकलित करना | चित्रित करना । कवक, ( पुं. ) मुहभर । कावचः, (पुं . ) व | फौजी बाजा | जिरह- बख़्तर | सञ्जोया | भोजपत्रादि पर लिख कर शरीर पर धारण किया हुआ यंत्र | कवटी, (पुं.) चौखटा ( द्वार का या तस- वीरका ) | कवडः, ( पुं. ) कुल्ला के लिये जल | कवत्नु, ( पुं. ) दुष्कर्म | बुरा काम | कवनम्, (पुं. ) जल। पानी । कव, (पुं.) लवण | नोन | अलकें । कवरी, ( स्त्री. ) गुथी हुई चोटी । कवरकी, (पुं.) दी। बन्धुआ । कवर्ग, ( पुं. ) " क " से लेकर "ड:" तक पाँच अक्षर | कवल, ( पुं. ) प्रास। मत्स्यभेद | कौर । कवलिका, (स्त्री.) पट्टी | घाव या चोट पर बाँधने का कपड़ा । कवलित, (त्रि. ) खाया हुआ । निगला हुआ । चवाया हुआ | फैला हुआ । व्याप्त | कव कवष्- कवष, (पुं.) किवाड़ों के खुलने का चरचराहट का शब्द । ढाल । कवसः, ( पुं. ) वर्म्म । कवच | कटीली झाड़ी । कवाट, ( न. ) कपाट | किवाड़ | हवा रोकने के लिये काठ के टुकड़े कवार, (पुं. ) कमलपद्म । कवारि, (न. ) स्वार्थी क्षुद्र और तिरस्कार के योग्य शत्रु | कवि, (पुं. ) शुक्र । कविता रचने वाला । भास्कर | काव्यकर्त्ता । ब्रह्मा। आगे पीछे का हाल जानने वाला स्टूक्ष्म अर्थ देखने वाला । लगाम । पण्डित | कविका, ( स्त्री. ) लगाम । कविता, ( स्त्री. ) पद्यरचना | चतुर्वेदकोष | ११८ "9 “ सुकविता यद्यस्ति राज्येन किं । कवेलं, (न.) कमल । पद्म कवोष्ण, (न.) गुनगुना | कुछ कुछ गर्म | कव्य, (न.) पितरों के लिये तयार किया हुआ श्रन्न । C कश, (क्रि. ) शब्द करना। कश-शा, (स्त्री.) कोड़ा । चाबुक । मुख । गुण | रस्सी । कशस्, (न.) जल। पानी । कशिक:, (पुं.) न्योला । कशिपु (पुं.) भक्त । श्रन्न । कपड़ा । खाट । बिस्तरा | " सत्यां क्षितौ किं कशिपोः प्रयासैः । ” कशेरु, (पुं.न.) पीठ की हड्डी । मेरुदण्ड । ब्रह्मदण्ड । जल में उत्पन्न मूलभेद । कश्मल, ( न. ) मूर्च्छा | मोह | पाप | मैल | कश्मीर, (पुं. ) कश्मीर नामक एक देश जो भारतवर्ष के उत्तर पश्चिम में है । कश्मीरज, (पुं. ) कुङ्कुम । केसर । इसे कश्मीरजन्मा और काश्मीरजन्मा भी कहते हैं । कश्या, (पुं. ) एक मुनि का नाम जो ● कस्तू. दिति और अदिति के पति और देवता तथा दैत्यों के पिता हैं । एक प्रकार का मृग | कच्छप | मछली । मलना। मारना । खरोटना । खोंचा मारना । जाँच करना । कसौटी पर सोने को मलना । कबू, (क्रि. कषण, ( पुं. न. ) कच्चा घिसना । खुड़ना । कषाकू, ( पुं. ) अग्नि । सूर्य्य कषाय, ( पुं. ) श्योनाक वृक्ष । राग क्रोध । कसैला । रसविशेष । लाल पीला मिश्रित रङ्ग । काढ़ा । गोंद | मैल | सुस्ती । मूर्खता । सांसारिक पदार्थों में अनुराग | नाश । कलियुग कषायित, (त्रि. ) रङ्गा हुआ । ललोहाँ । कसैले रङ्ग का किया हुआ | गेरुआ रङ्गा हुआ। कषिका, कषीका, पक्षी | चिड़िया | ( श्री.) पक्षी विशेष | कषे (शे ) रुका, ( स्त्री. ) पीठ की हड्डी | मेरुदण्ड | कवकषः, ( पुं. ) एक प्रकार का जहरीला कीड़ा । कष्ट, (न.) पीड़ा | दुःख । चिन्तित | उपद्रवी । कस्, (कि.) हिलना | चलना | समीप जाना | नष्ट करना । कस, ( पुं॰ ) कसौटी पत्थर जिस पर खरे खोटे सोने की परीक्षा की जाती है । कसना, ( स्त्री. ) एक विषैली मकड़ी। कसिपुः, ( सं . ) आहार | भात | कसेरुः, ( पुं. ) एक प्रकार की घास सुअरों के खाने का प्यारा जलकन्द | ( कसेरू ) । कस्तम्भी, ( स्त्री. गाड़ी के बम्म की लकड़ी जिस पर बम्म रखा जाता है। कस्तीर, (पुं. न. ) टीन | राङ्गा । कस्तूरिका, ( स्त्री. ) कस्तूरी । मुश्क । मृगमद | मृगनाभि | कहा कहाहः, (पुं. ) भैंसा । कहः, (पुं.) एक प्रकार का बैत । कांशि, (पुं.) प्याला कटोरा । वेला । कांसीयं, (न. ) कांसा । सफेद ताँबा । कांस्य, (न.) पीना का पात्र । ताँचा और राङ्गा के मेल से बना हुआ धातुविशेष । कांपर्क, (न) पीतल कांस्यकार, (पुं. ) कसेरा । धातु के बरतन बनाने वाला । चतुर्वेदकोष | ११६ " काक, (पुं. ) कौश्रा | खञ्ज । लङ्गड़ा | काकचिञ्चा, (स्त्री.) गुआ । रत्ती । काकच्छद, (पुं. ) खञ्जन खग । ममोला । काकतालीय, (न.) न्यायविशेष कौए के जाते ही फल का अचानक गिरना | काकतिन्दुक, (पुं.) कुचला काकपक्ष, (पुं. ) कोच के पस । लड़कों ! की दोनों कनपुटियों के बालों को काक पक्ष कहते हैं । पट्टे | " काकपक्षधरमेत्ययाचितः काकपुष्ट, (पुं. ) कॉइल काकभीरु, ( पुं. ) उल्लू । घुग्घू । 1 काकली, ( स्त्री. ) सूक्ष्म मधुर शब्द | काकलीक, मधुर धीमा शब्द | काकलीरव, (पुं.) कोइल । काकाक्षिगोलकन्याय, ( पुं. ) कौए की एक ही आँख का बिन्दु दोनों ओर चला जाता है, इसी तरह का उभयसम्बन्धी दृष्टान्त । काकिणी, ( स्त्री. ) एक माशे का चौथाई भाग । बीस कौड़ी । एक दमड़ी । " काकिनी " भी काकिणी ही के अर्थ में ता है। काकिलः, (पुं. ) हार । गले का गहना | गरदन का ऊपरी भाग काकी:, ( स्त्री. ) मादा कौा । कौए जैसा रङ्ग वाली बायसी लता। एक प्रकार की बेल । 1 काञ्च ! काकु, ( श्री. ) वक्रोक्ति । भय, क्रोध, शोक के उद्वेग में वर की बदलौअल | गुनगुनाइट| जिह्वा काकुत्स्थ, वुं. ) ककुत्स्थ की सन्तान | सूर्यवंशी राजाओं का नाम । काकुत्स्थमालोकयतां नृपाणाम् । "} इक्ष्वाकु राजा रामचन्द्र | काकुद, ( न. ) तालु । जिह्वा का श्राश्रय- स्थान | तलुग्रा | काकेष्ट, ( पुं. ) निम्बौरी | नीम | नीम की निम्बौरी कौओं को बड़ी प्रिय हैं । काकोदर, (पुं. ) साँप | सर्प | काकोल, ( पुं. ) पहाड़ी काक | सौंप । नरकभेद । एक प्रकार का सुधर विषभेद 1 ( स्त्री. ) अश्वगन्धा । वायसी । काक्षू, (क्रि. ) चाहना । काक्ष, ( त्रि. ) बुरी आँख वाला । भेड़ा| ऐंचाताना | कनखियों से देखना | काक्षी, ( स्त्री. ) एक प्रकार की सुगन्धियुक्त द्रव्य | दुष्टदृष्टि वाला । काक्षीव, ( पुं. ) सहीजन का पेड़ | काङ्क्षा, ( स्त्री. ) इच्छा | चाह | काक्षोरु:, (पु. ) वगुला । काचः, ( पुं. ) एक प्रकार की मणि । चक्षु रोग विशेष रेत और एक प्रकार के खार से उत्पन्न एक पदार्थ | मोम | खार । मिट्टी | काचलवण, (न.) कालानोन | शोरा । काचित, (त्रि. ) छीके पर रखी हुई वस्तु । काञ्चन, (पुं. न. ) एक वृक्ष | चम्पा । नाग- केसर । उदुम्बर। धत्तरा। सोना । दीप्ति | ०. चमक | काञ्चनक, (पुं. ) कोविदार का पेड़ । पक्षी विशेष | कचनार का पेड़ | हरताल काञ्चनाल, (पुं. ) कोविदार वृक्ष | कचनार वृक्ष । चतुर्वेदीकोष । १२० काश्चि काञ्चिश्वी, ( सी ) करधनी । इकलरा हार हुँघची। रत्ती । दक्षिण की एक पुरी का नाम जिसकी गणना सप्त पुरियों में है । काटः, ( पुं. ) कूप । कुआ। काडुकं, (न.) खारापन | कटुता । काठ, ( पुं. ) चट्टाना | पत्थर काठिनं-न्यं, ( न. ) कठोरता । कड़ापन | " काठिन्यमुरुस्तनम् निष्ठुरता | कठिनाई । 13 काण; (पुं. ) काना | कौआ | कारकः, ( पुं. ) काक। मुर्गा ५ हंसभेद | बया जो ताला वृक्ष पर लटकता हुआ घाँसला बनाती है । काणेयः -रः, ( पुं. ) कानी स्त्री का पुत्र । कारोली, (खी.) दुराचारिणी अथवा विश्वा- सघातिनी स्त्री | अविवाहिता स्त्री । काण्ड, (पुं.न.) अध्याय शाखा स्तम्भ | तिनके आदि का गुच्छा। तीर । अवसर । पत्थर | नाड़ियों का समूह | निर्जन स्थान अखरोट का दूस। जल । बाँह या टाँग की हड्डी । म्मापविशेष । चापलूसी । घोड़ा | बुरा | पापी | काण्डकटुक, (पु. ) करेला । काण्डकार, (पुं.. ) तीर बनाने वाला । सुपारी । काण्डगोचर, (g.) लोहे का तीर | काण्डपटः, (पुं. ) पर्दा । कनात | काण्डपृष्टः, (चि. ) योद्धा । सैनिक | वैश्या स्त्री का प्पति । और पुत्र को छोड़ किसी का भी दत्तक पुत्र । अकुलीन । जाति, धर्म वा अपने कर्म से च्युत । काण्डवत्, ( पुं. ) धनुषधारी | काण्डालः, (पुं. ) नरकुल की डलिया । काण्डीर, (पु. ) तीरन्दाज | बाण धारण करने वाला ( न. ) अपामार्ग ( स्त्री. ) कारबेल | मीत | काद काण्डोलः, (पुं.) कण्डी । नरकुल की टोकरी । काण्डेक्षु, (पु.) तृणभेद । तालमखाना | काराव, (पुं.) कण्व का शिष्य या विद्यार्थी यजुर्वेद की एक शाखा विशेष । कराव का पुत्र | कातू, (क्रि.) तिरस्कृत करना । अपमानित करना । . " यन्मयैश्वर्यमत्तेन गुरुः सदसि कात्कृतः । ” कातंत्र, (न. ) एक व्याकरण ग्रन्थ का नाम । कातर, (त्रि. ) अधीर । भीरु | डरपोक | दुःखी । शोकान्वित । डरा हुआ। आन्दो- लित । घबड़ाया हुआ | बेबस | पानी पर बहुत तैरने वाला और न डूबने वाला एक प्रकार की बड़ी मछली । नाव। बेड़ा । कातृण, (न. ) बुरी घास । बुरा तृण । खराब तिनका | कात्यायन, ( पुं. ) कात्यायन सूत्र नामक धर्मशास्त्र के निर्माता एक मुनि विशेष । वररुचि नामक व्याकरण के वार्तिक के बनाने वाले । कात्यायनी, ( स्त्री. ) अधेड़ या वृद्धा विधवा ( जो लाल वस्त्र धारण किये हो ) । याज्ञवल्क्य की पत्नी का नाम । पार्वती जी का नाम । कातुः, ( पुं. ) कूप । कुआँ । काथंचित्क, ( पुं. ) बड़ी कठिनाई से पूरा होने वाला । किसी तरह का काथिकः, ( पुं. ) कथा कहानी कहने वाला | कथकड़ । कादम्ब, ( पुं. ) कलहंस । बाय । गन्ना | कदम्बवृक्ष | कदम्बंवृक्ष का फूल । कादम्बकः, (पुं. ) तीर । कादम्बिनी, ( स्त्री.) मेघमाला। बादलों की श्रेणी 1 मीयमतिचुम्बनी भवतु कापि कादम्बिनी।" काद चतुर्वेदीकोप | १२१ कादम्बरी, ( स्त्री. ) नशीली मादक वस्तु जो कदम्ब के वृक्ष से निकाली जाती है । सुरा । मदिरा । हाथी के गण्डस्थल का मद । विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का नाम । कोइलिया । वर्षा का जल जो गढ़ों में एकत्र होता है। सारिका ! कादादपक, (त्रि. ) कभी कभी होने वाला । काद्रवेय, (पुं.) कश्यप की स्त्री क सन्तान । कालिय नाग जिसको श्रीकृष्ण ने नाथा था। सर्प । कानक, (पुं.) सुनहला। जयपाल बीज । कानन, (न. ) वन | घर । ब्रह्मा का मुख । काननाग्नि, (पुं.) शमी वृक्ष । वन की आग कानिष्ठिकं, (न. ) छगुनिया । सबसे छोटी हाथ की अङ्गुली । कानिष्ठिनेयः - यी, (पुं. ) सबसे छोटे पुत्र की सन्तान या श्रौलाद । कानीन, ( पुं. ) अविवाहिता स्त्री का पुत्र | व्यास का नाम । कर्ण का नाम । कान्त, ( पुं. ) प्यारा प्रिय | पति | चन्द्रमा | वसन्त ऋतु । एक प्रकार का लोहा । चन्द्र अथवा सूर्य्यकान्तमणि । कार्तिकेय और कृष्ण का नाम । केसर | मनोहर | प्रियङ्गु वृक्ष । नारी । कान्तलौह, पुं० ) अयस्कान्त | चुम्बक पत्थर । लोहसार । कान्ता, ( स्त्री. ) प्रेयसी । पत्नी प्रियङ्गु ! लता । बड़ी इलायची । एक प्रकार की गन्धवस्तु | भूमि | पृथिवी कान्तार, ( पुं. ) सघन और बड़ा वन | बुरा मार्ग छेद । खुखाल। लाल रङ्ग के गन्ने । बाँस । कोविदार | कचनार । उपद्रव । कान्ति, ( स्त्री. ) सुन्दरता । मनोहरता | चमक । दीप्ति । अभिलाष । चाह। शोभा । दुर्गा का नाम ।

कान्तिदा, ( श्री. ) शोभा देने वाली । सोमराजी लता | 1 काम कान्दव, ( न. ) कढ़ाई या कूल्हे में रोधी गई वस्तु | मिठाई थादि | कान्दचिक, (त्रि.) हलवाई। मिठाई बेचने वाला । पलाचित | कान्दिशीक, (त्रि.) भय से इर से भागा हुआ | कान्यकुब्जः, ( न. ) वह देश जहाँ वायु द्वारा सौ कन्या कुबड़ी होनी थी। देश भेद कन्नौज। ब्राहाणविशेष | कन्नौजिये ब्राह्मण । कापटिक, (त्रि.) कपटी | छली । इट | चापलूस । धर्मभ्रष्ट विद्यार्थी कापथ, पुं. ) बुरा मार्ग | निन्द्य पथ कापाल कापालिक (पुं.) लोपड़ी सम्बन्धी । शैवियों की सम्प्रदाय के अन्तर्गत एक सम्प्रदाय विशेष, जो सदा खोपड़ी अपने पास रखते और उसमें रॉव कर अथवा रख कर खाते पीते हैं। एक प्रकार की कोढ़ | वामाचारी। कपालिन् (पुं.) शिव जी का नाम | कापाली, (स्त्री.) खोपड़ी की माला | बड़ी चतुर स्त्री | कापिक, ( पुं. ) बन्दर जैसे आकार वाला | या बन्दर जैसा व्यवहार करने वाला। कापिल, (पुं. ) पीत रङ्ग | पीले रङ्ग वाला | कपिल कथित शास्त्र को पढ़ने वाला | सांख्य शास्त्र का ज्ञाता कापिश, (न. ) मदिरा | मय कापुरुष, ( पुं. ) बुरा आदमी डरपोक मनुष्य। ″ कापोत, (न. ) कबूतरों का भुण्ड सुरमा । कबूतर जैसे रङ्ग वाला । काफल, ( सं . ) कडुआ बीज | काम, (न.) वैषयिक अभिलाषा का नाम काग है। विषयवासना । सम्भोगलिप्सा | कामदेव । अत्यन्त लालसा | क्राम चतुर्वेदीकोष । १२२ कामकला, (स्त्री.) काम की स्त्री रति का नाम । कामप्रिया । कामकार, (त्रि.) स्वेच्छाचारी | स्वतंत्र | कामकेलि, (पुं.) सुरतक्रिया | कामक्रीड़ा | सम्भोग | कामचार ( पुं. ) यथेच्छाचारी | अपनी मनमानी करने वाला । कामद, (त्रि.) अभीष्ट पूरा करने वाला । कामदुघा, (स्त्री.) सुरभी गौ । कामधेनु । स्वर्ग की गौ । कामदुह, ( स्त्री. ) कामधेनु कामध्वंसिन्, (पुं.) काम को ध्वंस करने वाले । शिव जी । कामपाल, (पुं.) बलराम | बलभद्र | कामनाओं की रक्षा करने वाला । कामस्, (श्रव्य.) अनुमति । सम्मति । प्रकाम। चोखा । पर्याप्त । स्वीकार । हाँ । चाहे । कामरूप, (पुं.) इच्छानुसार रूप धारण करने वाला । एक देश का नाम जो आसाम के अन्तर्गत है | मनोहर रूप वाला । कामल, (पुं. ) कामी । एक प्रकार का रोग | कामसुत, (पुं. ) अनिरुद्ध । कामलखा, (पुं.) कामदेव का मित्र | ऋतुराज वसन्त काम को प्रदीप्त करने वाला चन्द्रमा | कामसूत्र, (न.) वात्स्यायन सूत्र जिसमें कामशास्त्र प्रतिपादन किया गया है। कामान्ध, (पुं. ) काम से अंधा । जो अपने शब्द से दूसरों को धंधा कर दे । कोइल | विचारहीन । कामिन, (पुं.) चकवा । कबूतर - सारस कामी । भीरु स्त्री । मदिरा | कामुक, ( त्रि. ) अशोक वृक्ष | माधवी लता । चटक । चिड़िया । बहुत सम्भोग की इच्छा रखने वाला । द्रव्य कमाने की इच्छा रखने वाली स्त्री | कार काम्पिल्य, ( पुं. ) कम्पिला नदी का तटवर्ती देश | गुण्डारोचना नामी लता । काम्बविक, (पुं.) शङ्ख का काम करने वाला । शङ्खकार | काम्बोज, (पुं. ) कम्बोज देश का घोड़ा । पुन्नाग वृक्ष । कम्बोजदेशवासी । म्लेच्छ- विशेष | हयपुच्छी । काम्य, (न. ) फलकामना से किया गया कर्म्मानुष्ठान, यथा-तप, यज्ञ, पाठ, पूजनादि । कार्य जिसके करने में बड़ा क्लेश हो । सुन्दर । काय, (पुं. ) श्रन्नादि से बढ़ने वाला । शरीर । वृक्ष का धड़ | समुदाय । मुख्य प्रधान । घर | चिह्न । ब्राह्मतीर्थ । मूलधन । ब्रह्मा । कायस्थ, (पुं. ) शरीर में स्थित । परमात्मा | लेखक का काम करने वाला । जाति- विशेष | हरीतकी । आमलको लेखक जाति जिनकी उत्पत्ति क्षत्रिय पिता और शूद्रा माता से है । कायिक, (त्रि. ) शारीरिक । जो देह से किया जाय । कार, (पुं. ) मारने योग्य | निश्चय | उपाय | काम । पति । स्वामी प्रभु दृढ़ विचार | शक्ति ! सामर्थ्य | कर | महसूल । बर्फ का ढेर । हिमालय श्रोले का पानी मारना । यति । कारक, (त्रि.) करने वाला । क्रियाजनक | व्याकरण में कारक उसे कहते हैं जिसका क्रिया से सम्बन्ध हो । कर्त्ता, कर्म, अपादान आदि सात कारक हैं। . कारणदीपक, ( न. ) अलङ्कारशास्त्र का अर्थालङ्कारभेद । कारज, उङ्गलियों से सम्बन्धयुत । कारण, (न.) हेतु । विना जिसके कार्य की उत्पत्ति न हो सके । साधन 1 इन्द्रिय | शरीर | तत्त्व | किसी नाटक की मूलकार चतुर्वेदीकोष | १२३

घटना | चिह्न प्रमाण प्रमाणपत्र | पीड़ा । (क्रि.) मारना । हनन करना | कारणमाला, (स्त्री.) अर्थालङ्कारभेद | कारणोत्तर, (न. ) कुछ अभिप्राय मन में रख कर उत्तर देना । वादी की कही बात को स्वीकार कर के उसका खण्डन करना जैसे "मैं मानता हूँ कि यह पुस्तक जो मेरे पास है, राम की है, पर राम ने मुझ यह पुस्तक उपहार में दे डाली है " । कारण्डव, (पुं. ) हंसविशेष | कारभिहिका, ( स्त्री.) कपूर | काफूर | कारम्भा, प्रियङ्ग वृश्च । कारवः, (पुं.) काक | कौश्रा । । कारस्करः, (पुं.) किम्पाल वृक्ष । कारा, ( स्त्री.) कारागार | बन्दीगृह वीणा की तुम्बी | सुनारिन । पीड़ा | कष्ट | दूत | शब्द | वीणा की गूञ्ज को कम करने का श्रौज़ार | कारापथ, (पुं.) देशभेद | कारि, (स्त्री.) किया | काम | शिल्पी | कारीगर | कारिका, (स्त्री. ) काम । किया । नटी | अल्पाक्षर युक्त बहुत अर्थ * बताने वाला श्लोक । कारीगरी । यातना । नाई आदि का कार्य । ब्याज । वृद्धिविशेष | भर्तहरि की रची कारिका व्य है। सांख्यकारिका सांख्यदर्शन पर है। कारीर, (न. ) बॉस अथवा नरकुल के आँखु की बनी । कारीरी, (स्त्री.) वृष्टि के लिये यज्ञ की क्रिया | पानी बर्साने वाली यज्ञक्रिया | कारीष, (न. ) सूखे गोबर का ढेर । कारु, (त्रि. ) शिल्पी | कारीगर । कवि । गवैया | भयानक । विश्वकर्मा का नाम । कारुज, (पुं.) कल का कोई सा पुर्जा। हाथी का बच्चा । पहाड़ी 4 फेन | गेरू । तिल । मस्सा । नागकेसर । कारुणिक, (पुं.) दयालु स्वभाव वाला | कारुण्य, (न.) दया। अनुकम्पा । कार्य कारुण्डिका, कारुण्डी, (ली. ) जोंक | कार्कीक, (पुं. ) सफेद चश्व जैसा । कार्त्तवीर्यः, ( पुं. ) हैहयराज कृतवीर्य का पुत्र | सहस्रबाहु । सहस्रार्जुन | कार्त्तस्वर, (न. ) वर्ण | सोना | धतूरा | काञ्चन वृक्ष । कार्तिक, ( पुं. ) कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न । स्वामिकार्तिक । कार्तिकी पूर्णिमा | कार्तिकेय, (पुं.) शिवपुत्र | स्कन्द | स्वामि- कार्तिक । कार्तिकोत्सव, (पुं.) दीपोत्सव, जो कार्तिकी शुका प्रतिपदा को होता है । कार्य, (न. ) सार असार । सम्पूर्णता | समूचापन । कार्दम, कीचड़युक्त । कीच से सना या भरा | कर्दम प्रजापति सम्बन्धी । कार्पटः, (पुं. ) प्रार्थी । उम्मेदवार | कार्यटिक, (त्रि.) तीर्थयात्री, जो तीर्थोदक से निर्वाह करता है। तीर्थयात्रियों का समूह | अनुभवी मनुष्य | पिछलग्गू | कार्पण्य, ( न. ) सूमपन | कब्जूसपन दीनता | अधीनता | चित्त का हल्कापन | कार्पारण, ( पुं. ) खमयुद्ध | कार्पास, (पुं. ) रुई। कपास | कार्पासी, (स्त्री. ) वृक्षभेद | कृपा | कपास कार्म, (पुं.) परिश्रमी । मेहनती । कार्मण, (त्रि.) क्रिया में चतुर | योगविद्या | मंत्रविद्या । मं 7 कार्मुक, (पुं.) धन्वा । धनुष । कमान | बाँस | कार्य में पढ़ | महानिम्ब | सफेद खदिर | कार्य, ( न. ) कर्त्तव्य कर्म । काम | पेशा | व्यवसाय | धार्मिक अनुष्ठान विनश्वर | अवयव वाला। झगड़ा | करने योग्य | काशनव, (पुं. ) श्रग्निपुञ्ज । गरम | कार्य, (न. ) निर्बलता | दुबलापन | कमी | थोड़ापन | . कास काषां चतुर्वेदीकोष । १२४ कार्षापण, (पुं. न. ) सोलह पैसा | सोलह कालिन्दी, ( स्त्री. ) यमुना नदी । कालिन्दीभेदन, ( पुं. ) बलभद्र । पण । कृषक । सोना । मुद्रा | कार्षिक, (पुं. ) एक तोले भर । काल, (पुं. ) काले रङ्ग वाला । कृष्णवर्ण । समय किसी कार्य या वस्तु के लिये उप- युक्त समय । भाग्य । नेत्र में जो काला भाग होता है। कोइल । शनैश्चर ग्रह । शिव । रक्तचित्रक | कासमई क्षण घड़ी आदि समय । कालकख, (न. ) नीला कमल | कालकण्ठ, (पुं. ) मोर | नीलकण्ठ । पक्षी | शिव जी का नाम खञ्जन | दात्यूह | कलविङ्क | कालकूट, ( पुं. ) विष | विष जो समुद्रम के समय निकला था और जिसे शिव जी ने पान कर लिया था। कालनेमि, (पुं.) १ राक्षस का नाम । हिरण्यकशिपु का पुत्र | दैत्य कालपर्ण, (पुं. ) तगर का वृक्ष | काले पत्ते . वाला वृक्ष | कालपुच्छ, (पुं. ) काली पूँछ वाला | बारह- सिंहा | कालपृष्ठ, ( पुं. ) मृगभेद | काली पीठ वाला | कपक्षी | धनुष | कालरात्रि, ( स्त्री. ) कल्वान्त रात्रि | कार्तिक की अमावास्या की रात्रि | काललौह, (न. ) काला लोहा । कालसूत्र, (न. ) नरकविशेष । कालस्कन्ध, ( पुं. ) काली शाखा वाला | तमाल वृक्ष उदुम्बर काला, ( स्त्री. ) नील | मजीठ | काला जीरा। अश्वगन्धा | कालागुरु, (न. ) गुरु चन्दन | कालाग्नि, ( पुं. ) मृत्यु को देने वाली आग | प्रलयाग्नि । कालानल । कालिक, ( पुं.) वगला पक्षी | कृष्ण चन्दन | कालिङ्ग, (पुं. ) हाथी | सर्प | राजकर्कटी | C कालिमन, (पुं. ) कालापन | कृष्णता । काली, ( स्त्री. ) काले रङ्ग वाली । देवीभेद | मत्स्यगन्धा सत्यवती। नये बादलों की माला । गाली गलौज । रात्रि | कालाञ्जनी । कालेय, (पुं. ) कुत्ता | हल्दी । काल्पनिक, (त्रि.) कल्पित । बनावटी | काल्या, (स्त्री.) गौ, जिसके गर्भ धारण का समय आ पहुँचा हो । कावेरी, (स्त्री.) दक्षिण की एक नदी का नाम | वेश्या | हल्दी । काव्य, ( पुं. ) पद्यमयी रचना | कविता के गुणयुक्त ग्रन्थ | दैत्यों का गुरु । शुक्र । काव्यलिङ्ग, (न. ) एक प्रकार का अर्थ- लङ्कार | काश, (क्रि. ) चमकना | काश, (पुं.) फेफड़े का रोग | तृणपुष्प काशिराज, (पुं.) दिवोदास | धन्वन्तरि | काशी, (श्री. ) वाराणसी पुरी | बनारस | काश्मीर, (न. ) कुङ्कुम । कमल की जड़ | सुहागा। एक देश | कश्मीरदेशवासी । काश्यप, मुनिविशेष | मृगविशेष प्रकार की मच्छी । गोत्रभेद एक कश्यप का वंशधर | काश्यपि, (पुं. ) गरुड़ के ज्येष्ठ भ्राता अरुण | ( सूर्य का सारथि अनूरु ) । काश्यपी, ( स्त्री. ) पृथिवी काष्ठ, (न.) काठ | लकड़ी | इंधन | काष्टकदली, ( स्त्री. ) बनैला केला । काष्टकीट, (पुं. ) घुन । काष्ठतक्ष, (पुं.) रथ बनाने वाला | दोगला | काष्ट लेखक, (पं.) देखो काष्ठकीट । काष्ठा, (स्त्री. ) दिशा | पर्यवसान | सीमा | चिह्न । समय का परिमाणविशेष कला का तीसवाँ भाग । जल | सूर्य्य | कास, (पुं. ) फेफड़े का रोग । काही । कास चतुर्वेदीकोष | १२५ . कासघ्नी, ( स्त्री. ) कण्टकारी । कण्डमारी । कासरः, ( पुं. ) भैंसा । कासारः, (पुं. ) तालाव | हद | सरोवर | कासिका, ( स्त्री. ) खाँसी । कासीस, (न. ) हीराकस । एक प्रकार की धातु । कौंसीस । कासु, ( स्त्री. ) घचराहट का बोल | चमक | बुद्धि | रोग | काहल, (न.) सूखा | मुर्भाया हुआ | उपद्रवी । बड़ा । विस्तृत । बहुत मुर्गा । कौत्रा | नगाड़ा | वाजा विशेष | काहलिः, ( पुं. ) शिव जी का नाम । किंवत्, ([अव्य. ) दोन | तुच्छ । नीच किंवदन्ती, (स्त्री.) जनअति | लोकापवाद | किंवा, ([अव्य.) विकल्प । अथवा । या । वा । किंशारु, ( पुं. ) धान की नाल । तीर | कङ्कपक्षी | किंशुक, ( पुं. ) वृक्ष जिसमें सुन्दर लाल पुष्प लगते हैं, पर उन पुप्पों में महक नहीं 1 i किकिः, ( पुं. ) नारियल का वृक्ष | चातक | पक्षी किक्किशः, (पुं.) एक प्रकार का कीड़ा | किङ्करः, (त्रि. नाकर | • किङ्किणी, ( स्त्री. ) करधनी | छोटी वण्टी | होती। पलाश पुप्प । ढाँक के फूल | धन का दाता । " विद्याहीना न शोगन्ते निर्गन्धा इव : किन्नु, ( [अव्य. ) प्रश्न | वितर्क | रथान | किशुकाः ” । सादृश्य । क्या ? धुँवुरू । किङ्किर, ( पुं. ) कोयल । भौंरा । घोड़ा । कामदेव । किर किटू, (क्रि. ) समीप जाना । डरना | ! किटिः, (पुं. ) सुअर किटिभः, (पुं. ) खटमल किटिमः, ( पुं. ) एक प्रकार की कोढ़ | किटं, ( न ) लोहे की जङ्ग या मैल | किरण, (पुं . ) मांस की गाँठ गृत | तिल | लकड़ी का कीड़ा | किरिवन्, (पुं. ) घोड़ा । किस्, (क्रि. ) सन्देह करना । किङ्किरात्, (पुं.) अशोक वृक्ष तोता । रक्तभांडी । कोमल । कामदेव । किश्च (अन्य ) त्रारम्भ | समुच्चय | कुछ और किञ्चन, (श्रव्य. ) थोड़ा । अपूर्ण । किअल्क, (पुं.) केसर फूल की धूरी नाग- केगर । कितव, (पुं. ) ज्वारी | ठग | नीच | धनूरा | उन्मत्त या सनकी आदमी | किंधिन्. ( पुं. ) घोड़ा । किन्तनु, (पुं. ) आठ पाँव का कीड़ा | मकरी | बहुत छोटे शरीर वाला । किन्तु, (अन्य ) लेकिन । पर । परन्तु किन्नर, (पु.) देवताओं का गवैया, जिसका मुख घोड़े जैसा और शरीर मनुष्य जैसा होता है । किन्नरेश, (पुं. ) किन्नरों का स्वामी । कुनेर । किनाट, (स्त्री.) पेड़ की भीतरी छाल | किम्, ([अव्य. ) क्या | वितर्क | निन्दा | किमु, (अव्य. ) सम्भावना | सन्देह | विमर्प | किमुत, (अव्य. ) प्रश्न | वितर्क | सह | विकल्प | अतिशय | फिर क्या ? किम्पच, (त्रि.) सूम । कृपण किंपुरुष, (पुं. ) देवयोनिभेद | हिमालय और हेमकूट के बीच | नववर्ष नामी जम्यु- द्वीप का एक वर्ष । बुरा आदमी | किंभूत, किस प्रकार का ? किस तरह का । कियत्, (त्रि.) कितना ? कियाहः, (पुं.) लाल रङ्ग का घोड़ । किर, (पुं.) शूकर | सुअर | किरण, (पुं.) किश्न | पूर्य । किरणमय, चमकीला | प्रकाशयुत । किर चतुर्वेदीकोष किरणमालिन्, ( पुं. ) सूर्य किरात, (पुं.) छोटे शरीर वाला । भील | बनैला पुरुष | साईस | शिव जी का नाम । किरातार्जुनीय, ( न. ) भारवि रचित एक उच्च काव्य का नाम जिसमें अर्जुन और भीलरूपधारी शिव जी के युद्ध का वर्णन किया गया है । किरातिः, ( स्त्री. ) गङ्गा । दुर्गा का नाम । भिलनी । मोरबल या चौंरी लेने वाली स्त्री | कुटनी | श्रीकाशगङ्गा । किरिः, ( पुं. ) सुअर किरिटि:, ( पुं.) छुहारे के वृक्ष का फल । किरीट:, ( पुं. ) मुकुट | पगड़ी | मुकुट के नीचे की टोपी । किरीटिन, ( पं. ) मुकुटधारी | अर्जुन । किर्मि: या किम्म, ( स्त्री. ) बड़ा कमरा | इमारत । सोने या लोहे की प्रतिमा । पलाश वृक्ष । किम्मर, (पुं.) राक्षस विशेष, जिसे भमि ने मारा था। रङ्गबिरङ्गा । नारङ्गी का वृक्ष । किर्याणी, (पुं. ) बनैला शूकर | किल, (क्रि. ) सफेद होना । जम जाना । खेलना अनुरोध करना । फेंकना । भेजना | किल, (अन्य ) निश्चय | पचताना | प्रसिद्ध | सत्य । कारण । झूठ किलकिञ्चित, (न.) स्त्रियों का विलासभेद । किलकिला, ( स्त्री. ) किलकारी : प्रसन्नता का बोल । किलाट, ( पुं. ) जमा हुआ दूध | किलाटकः, ( पुं. ) पके हुए दूध का पिण्ड | दूध का विकार । मलाई । मावा | खोया । किलाटिन, (पुं.) वाँस । किलास, (पुं.) कोढ़ी । कोढ़ का सफेद चकत्ता | फिलिखम्, ( स्त्री. ) चटाई । हरी लकड़ी का तख्ता | | १२६ कीनं किलिमं, (न. ) अञ्जीर का वृक्ष । किल्विन्, (पुं.) घोड़ा । किल्विषं, (न. ) अपराध | पाप | रोग | धर्म और अधर्म का फल । अनिष्ट | संसार । | किशलय, ( पुं. न. ), पल्लव | पत्र | पत्ता | किशोरः, ( पुं. ) हाथी का बच्चा बालक, जिसकी अवस्था पाँच वर्ष से अधिक और पन्द्रह वर्ष से कम हो । दस वर्ष से १५ वर्ष तक की उम्र वाला किशोरावस्था का कहा जाता है। सूर्य | किष्क, (क्रि. ) मारना। किष्किन्ध-न्धेय, (पुं. ) श्रोडू देश का एक पहाड़। वहीं की गुफा | किष्कु, ( पुं. स्त्री. ) बारह अङ्गुल का माप | बाँह । हाथ का परिमाण । किसल- किसलय, ( पुं. न. ) नवपल्लव | कोमल पत्र | अङ्कुर | । कीकट, (पुं. न.) दीन | दरिद्र | घोड़ा । विहार देश का नाम । की गया कीकस ( पुं. ) कड़ा । दृढ़ | देवी | कीकिः, (पुं.) नीलकण्ठ । कीचकः, ( पुं. ) पोला बाँस | बाँस की, हवा के लगने से सनसनाहट या खड़खड़ाहट | जातिविशेष | विराट् राजा का साला और और उनकी सेना का प्रधान सेनापति केकय देश का राजा कीचकजित्, (पुं.) भीमसेन कीज, (पुं.) श्रद्भुत । विलक्षण । की, (क्रि. ) रङ्गना | बाँधना | कीट, (पुं.) कड़ा । दृढ़ | कौड़ा | कीटन, (पुं.) कीड़ों को विनाश करने वाला । गन्धक | कीटजा, (स्त्री.) कीड़ों से निकली हुई | . लाख । कीटमणि, (पुं. ) खद्योत | जुगुन् । कीडश, (त्रि.) किस प्रकार | कैसे | कैसा ? कीनं, (न. ) मांस | कीना चतुर्वेदकोष । १२७ कीनारः, (पुं. ) अधम पुरुष | नीच मनुष्य | कीनाश, (पुं.) यम । वानरविशेष | खितहर | बापुरा । छोटा। कम । कीरः, (पुं.) तोता । देशविशेष | मांस | काश्मीर देश और वहाँ के निवासी । कुक्कुट, ( पुं. ) आग की चिनगारी। मुर्गा पक्षी । कुक्कुटत्रत, ( न. ) व्रतविशेष । यह व्रत सन्तान प्राप्ति के लिये जेठ और भादों की शुक्ला सप्तमी के दिन किया जाता है। कोरइष्टः, (पुं. ) काम का पेड़ | कीरिः, - प्रशंसा | भजन । गीत | कीर्ण, ( त्रि. ) बिखरा हुआ । ढका हुआ । कुक्कुटी, (स्त्री.) मुर्गों । घरेलू छोटी छिपकली । वृक्षविशेष । भरा हुआ। रखा हुआ। घायल । कीर्तना, ( स्त्री. यश । नेकनामी | कीर्त्ति, ( स्त्री. ) यश । कीर्तित, (त्रि. ) कहा गया । प्रसिद्ध किया गया । कीर्तिशेष, (पुं. ) मरण । मौत । कील, (क्रि. ) बाँधना | खाँसना | कील, (पुं. स्री. ) आग की लाट | शस्त्र । खम्भा । लश | कील । माला । टिहुनी । शिव का नाम । अणु । धूपघड़ी का काँटा व कील । कीलक, (पुं.) कील । मेख गऊ का खूँटा । कीलाल, (न. ) जल । रक्त । अमृत । पशु मधु । कीलालजम्, (न.) मांस | कीलालधिः, (पुं.) समुद्र । कीलालपः, (पुं. ) राक्षस | देव । कीशः, ( पुं. ) नङ्गा । ( सं . ) लंगूर | बन्दर । सूर्य । एक पक्षी | कु, ( क्रि. ) शब्द करना । दुःख से शब्द कुज कुकुर, ( पं.) दशाई देश । यदुवंश का एक राजा जिसे ययाति के शाप से राज्य नहीं मिला था । करना । कु, (अन्य ) पाप । निन्दा | थोड़ा | हटाना | भूमि | त्रिभुज का आधार | कुकभ, एक प्रकार की मदिरा । कुकीलः, (पुं. ) पर्वत । कुकुद, (पुं.) आदरपूर्वक अलंकृत कन्या को देने वाला | कुकुन्दर, ( पुं. ) जघनकृप । कुक्कुभः, ( पुं. ) जङ्गली मुर्गा । वारनिश । कुक्कुरः, (पुं. ) कुत्ता । कुक्षः, (पुं. ) पेट । कुक्षिः, ( पुं.) उदर | पेट | गर्भाशय | किसी वस्तु का भीतरी भाग । गुफा की म्यान । खाड़ी । तलवार पेट का वायाँ और दाहिना भाग | कुक्षिम्भरिः, (पुं. ) देवता और अतिथियों को ठग कर केवल अपना पेट भरने वाले । स्वार्थी । पेटू । कुङ्कुम, (न. ) केसर । कुङ्कुमाद्रिः, ( पु. ) एक पर्वत का नाम । कुच्, (क्रि. ) चिड़िया की तरह सीटी बजाना । चिकनाना । मोड़ना | रोकना बन्द करना | लिखना । टेढ़ा हो कर चलना 1 गुस्सा करना। मिलना। तिरछा होना । कुच, (पुं.) स्तन चूची । चूची के ऊपर की घुण्डी या बौड़ी । कुचफल, ( पुं. ) अनार का फल । या जो फल कुचों जैसा हो । कुचर, (त्रि. ) अन्य के दोषों को कहने वाला । कुचर्या, ( स्त्री. ) कुव्यवहार | कुचाल । कुच्छ्रं, (न. ) कमलभेद । कुज्, (क्रि.) चुराना । कुज, ( पुं. ) मंगल ग्रह । नरकासुर | वृक्षमात्र । सीता । कात्यायनी (स्त्री. ) । कुजम्भलः, ( पुं. ) घर फोड़ कर चोरी करने वाला चोर । नक्रन लगाने वाला चोर । कुभ चतुर्वेदीकोष १२८ कुम्भटि, कुञ्झटिका, कुञ्झटी, (स्त्री.) कुहासा । नीहार | पाला। कुहर । कुञ्चन, (न.) कुटिलता | अनादर | नेत्ररोग कुञ्चि, ( पुं. ) कुटिल होना । आठ मूठ का नाम । कुश्चिक, (पुं. ) काला जीरा । मच्छी का भेद | कुञ्जी । ताली | बाँस की शाखा | रत्ती । कुञ्चित, (न. ) सिकुड़ा हुआ | तगर का फूल । कुञ्ज, (पुं. ) हाथी । ठोड़ी | लताओं से आच्छा- दित और बीच में खुला हुआ स्थान | लतागृह | लतावितान | हाथीदाँत । कुञ्जर, ) हाथी । कुञ्जरच्छाया, ( पुं. ) योगविशेष जो त्रयो- दशी के दिन मघा नक्षत्र के होने पर होता है । • कुञ्जराशन, ( पुं.) बड़ का वृक्ष । कुट्, (क्रि. ) तिरछा होना । कुटिल होना । कुट, ( पुं. ) धड़ा | दुर्ग । गढ़ । हथौड़ा | वृक्ष घर । पर्वत । कुटक, ( पुं. ) विना बाँस का हल | ( : ) खम्भा जिसमें मथानी की रस्सी लवेटी जाती है। ( पुं. ) छत्त | छप्पर | कुटङ्गकः, (पुं.) छोटा घर । झोपड़ी। कुटी । कुटपः, (पुं. ) कुडव । तौलविशेष | घर के समीप का बाग ऋषि । तपस्वी । कमल । कुटर:, (पुं.) देखो कुटकः । कुटरुः, (पुं. ) मुर्गा । स्त्रीमा । कुटलं, (न.) छत्त | छप्पर कुटि:, ( पुं ) शरीर | वृक्ष । कुटी । झोपड़ी । घुमाव । • कुटिरम्, ( न. ) झोपड़ी । कुटी । कुटिल, (त्रि.) टेढ़ा | धोखेबाज़ | कुटिलिका, ( स्त्री. ) चुपके चुपके जैसे शिकारी अपनी शिकार की ओर जाता है, जाना। लुहार की भट्ठी । कुटी, (स्त्री.) घुमाव । झोपड़ी । मुरा । मदिरा | कुटिनी | कुठिः कुटुङ्गकः, (पुं. ) बेलों अथवा लताओं से ति गृह या कुटी । किसी वृक्ष पर चढ़ी हुई बेल । लता । छप्पर । छत्त । झोपड़ी । खत्ती । कुटुनी, ( स्त्री. ) कुटनी । वह दुराचारिणी स्त्री जो अन्य स्त्रियों को चुपके चुपके व्यभि- चार के लिये अन्य पुरुषों के पास पहुँचावे | कुटुम्ब, ( न. ) गृहस्थी । पोष्यवर्ग । नाते- दार । सन्तान | कुट्टू, ( क्रि. ) काटना । विभक्त करना । पीसना । दोषारोपण करना । जलाना । बढ़ाना । कुट्टक, (पुं. ) अङ्गभेज जिसका वर्णन लाला- वती में दिया हुआ है । कुट्टनी, ( स्त्री. ) देखो कुटुनी । कुट्टमित, ( न. ) मित्र के साथ मिलने की इच्छा रहते हुए भी, न मानने के लिये हाथ हिलाना । विलासभेद । कुटमल, ( पुं. न. ) खिलने पर आई हुई कली । नरकविशेष | कुट्टारः, (पुं.) पहाड़ | सम्भोग विलास | ऊनी कम्बल | अकेलापन | कुट्टिम, ( पुं. ) छोटे पत्थरों से जड़ा हुआ | रत्नों की खान । अनार । कुटी । कुट्टिहारिका, ( स्त्री. ) दासी | टहलुनी । कुट्टीरः, ( पुं. ) पहाड़ी कुट्टीरकं, (न. ) झोपड़ी । कुठ्, (क्रि. ) घबराना । आलस्य करना । छुड़ाना । कुठः, ( पुं. ) वृक्ष । कुठाकु:, ( पुं. ) चिड़िया विशेष कुठाटङ्क:-का, ( पुं. स्त्री. ) कुल्हाड़ी | कुठार:-री, ( पुं. स्त्री. ) एक प्रकार की कुल्हाड़ी | वृक्ष । कुठारुः, ( पुं. ) वानर । पेड़ । शा बनाने वाला । कुठिः, (पुं. ) वृक्ष | पहाड़ | · चतुर्वेदकोष । १२ कुठेरड, (पुं. ) अग्नि । कुठेरुः, (पुं. ) पङ्खा या चौंरी से उत्पन्न हवा । कुड्, (क्रि. ) जलाना । घबड़ाना | बचाना । खाना । बालक होना । कुड़ङ्गः, ( पुं. ) कुञ्ज । लतागृह | कुड़प-च, ( पुं. ) एक पाव । सेर का चौथियाई भाग । कुड्मल, ( पुं. न. ) खिलने के समय की प्राप्त हुई कली | नरकविशेष | कुड़िः, ( सं . ) शरीर । देह । कुडिका, ( स्त्री. ) कठौती या पथरौटी । कुडी, (स्त्री.) कुटी । झोपड़ी । कुड्यं, (न. ) दीवार । कौतूहल । व्यसन | कुरण, (क्रि. ) सहारा देना | सहायता देना | शब्द करना। सलाह देना। बातचीत करना । आमंत्रण देना । नमस्कार करना । कुणकः, (पुं. ) किसी जीवजन्तु का हाल का जन्मा बच्चा । कुणप, ( पुं. ) प्राणरहित । मृत शरीर | मुरदा । दुर्गन्धयुक्त । भाला । कुणरु, (गु.) चिल्लाता हुआ।" कुणि, ( पुं. ) बिसहरी । फोड़ा जो हाथ के उङ्गली के नाखूनों के किनारे होता है। कुराटक, (पुं. ) मोटा । चर्बीला । कुण्ठ, ( पं . ) मौथरा | ढीला | मूर्ख | मन्द- बुद्धि । निर्बल | कुण्ठकः, ( पुं ) मूर्ख | कुण्ड्, (क्रि.) जलाना खाना । ढेर लगाना। रक्षा करना । कुण्डलिन्, (पुं.) घेरा देने वाला । सर्प । साँप | कुण्डलिनी, (स्त्री.) तांत्रिक शक्तिविशेष । साँपिन । कुण्डिका, ( स्त्री. ) घड़ा | कमण्डलु ।. कुण्डिन्, (पुं. ) शिव जी का नाम । वर्ण- सङ्कर । घोड़ा । मुनिविशेष | कुण्डिनं, (न.) विदर्भों की राजधानी का नाम | मुनिविशेष | कुन्तः कुण्डिर-कुण्डीर, ( पुं. ) ९ढ़ मजबूत मनुष्य | कुतपः, ( पुं. ) सूर्य्य | श्रग्नि । ब्राह्मण । अतिथि । गौ । भाञ्जा । दौहित्र | बाजा । नैपाली कम्बल | कुशतृण । दिन के दोपहर की पिछली घड़ी से तीसरे पहर की पहली घड़ी तक का समय । कुतस्, ( श्रव्य. ) प्रश्न । कहाँसे । कबसे । कहाँ । किस स्थान पर । क्यों । किस कारण से । कैसे । कुतुकं, (न. ) इच्छा | अभिलाष । कौतुक । कुतुप, (मुं. ) छोटा सा चमड़े का कुप्पा । घी रखने का बरतन । दिन का आठवाँ मुहूर्त्त । 1 कुतूहल (न. ) अद्भुत । विलक्षण | अपूर्व । कुत्र, ( अव्य. ) कहाँ । कब । कुत्स्, (क्रि. ) गाली देना। निन्दा करना । कुत्सा, ( स्त्री. ) निन्दा । परिवाद । कुत्सित, ( न. ) निन्दित | निन्दा किया हुआ | बुरा कहा गया | कमीना । क्षुद्र । कुथु, ( कि. ) सड़ना । दुर्गन्ध निकलना । फफूदी लगाना । कुथ, (पुं. स्त्री. ) हाथी की कूल । ( : ) कुश तृण । कुद्दारः - लः-लकः, (पुं. न. ) कोविदार वृक्ष । कचनार का पेड़ । काकानासा | कुदाली | थावे का धड़ा । कुद्रङ्कः-गः, ( पुं. ) चौकीदार का घर | मकान जिसमें किसी वस्तु का ताकने वाला रहता है। कुध्रः, (पुं.) पहाड़ । पर्वत । कुनकः, (पुं. ) काका । कौवा । कुनखः, (पुं.) नखों का रोग जिसमें नखों का रङ्ग बदल जाता है । कुनख रोग वाला मनुष्य । कुनालिका, ( स्त्री. ) कोरल | कुन्तः, ( पुं. ) प्रास नाम शस्त्र। भाला। एक कुन्त चतुर्वेदीकोष । १३० छोटा जानवर कीट नविशेष | भल | गवेधुका धान्य | सहन । क्रोध | प्रेम । कुन्तलः, ( पुं. ) केश | पीने का पात्र | हाथ । देशविशेष | हल । जौ । गन्धद्रव्य | कुन्ति, ( पुं.) देशविशेष । राजा ऋथ के पुत्र का नाम । कुन्ती, ( स्त्री.) शूरसेन राजा की औौरसी पुत्री जिसका नाम पृथा था, और कुन्तिभोज ने उसे निज सन्तान की तरह ग्रहण किया । पाण्डु की पटरानी | कुन्थ्, (क्रि. ) घायल करना । पीड़ित होना ।

कुन्द, (पुं. ) फूलदार एक वृक्ष । कुन्दरू नामक गन्धद्रव्य | विष्णु भगवार का नाम । कुबेर के नौ धनागारों में से एक । नौ की संख्या | कमल । खराद । भूमियंत्र | करवीर वृक्ष | कुन्दमः, ( पुं. ) बिल्ली । कुन्दरः, ( पुं. ) विष्णु का नाम । तृण या घासविशेष | कुन्दुः, ( पुं. ) चूहा | घूँस कुप्, (क्रि.) कुद्ध होना । कुपित होना | उजे- जित होना । आन्दोलित होना । चमकना | बोलना । कुपाणि, (त्रि. ) टेढ़े हाथ वाला । कुपिन्द, ( पुं. ) ताँत । जुलाहा । कुपिनिन्, (पं.) मलवा । धीमर । कुपिनी, ( स्त्री. ) एक प्रकार का छोटा जाल जिससे छोटी मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। कुपूच, (त्रि.) दुष्टाचरण वाला । बुरे चाल- चलन वाला | नीच । अकुलीन । घृणित | कुप्य, (न.) उपधातु । जस्ता धातु । चाँदी और सोने को छोड़ कर कोई धातु । कुबेरः, ( पुं. ) यवराज । मूर्ख । बुरे शरीर वाला । कुब्जः, ( पुं. ) थोड़ी कोमलता वाला । कुबड़ा | तलवार । अपामार्ग कुत्र, (पुं. त्रि. ) वन | हवनकुण्ड | छल्ला । बाली । सूत । छकड़ा । गाड़ी । कुम्भ कुभृत् (पुं ) पहाड़ | राजा । कुमारः, ( पुं. ) बालक । जिसकी उम्र पाँच वर्ष के नीचे हो । युवराज । कार्तिकेय, जो युद्ध के अधिष्ठाता देवता हैं। अग्नि । तोता । ब्रह्मचारी । सिन्धुनद वरुण वृक्ष । कुमारकः, (पुं. ) बालक । आँख की पुतली | कुमारिका, कुमारी, ( स्त्री. ) दस से बारह वर्ष की अविवाहिता कन्या । अविवाहिता लड़की । कारी लड़की । दुर्गा । कई एक पौधों के नाम । सीता । बड़ी इलायची । भारतवर्ष की दक्षिणी अन्तिम सीमा पर स्थित अन्तरीप | श्यामा पक्षी । नव- मल्लिका । घृतंकुमारी । नदीविशेष | वरुण का फूल | कुमुद, (पुं. ) अकृपालु । अमित्र | लालची । कुमुदनी का सफेद फूल | कैरव | कल्हार | वारनभेद | दैत्यविशेष | . कुमुदिनी, ( स्त्री. ) कमलसमूह | तड़ाग जिसमें कमलों की बहुतायत हो । कुमुदलता । कुमुद - नाथ- पति-बन्धु-बान्धव-सुहृद- नायक, (पुं. ) चन्द्रमा । कपूर | कुमोदक, ( पुं. ) विष्णु का नाम । कुम्बः, (पुं.) स्त्रियों के सिर पर ओढ़े जाने वाला वस्त्रविशेष । लाठी अथवा डण्डे का ऊपरी भाग । मोटे कपड़े की कुर्ती | यज्ञकुण्ड के चारो ओर का अहाता । कुम्भः, ( पुं. ) घड़ा | हाथी के माथे पर के मांसपिण्ड हृदय का रोग | कुम्भकर्ण का पुत्र । वेश्यापति । प्राणायाम का एक श्रङ्ग जिसमें स्वाँस रोकी जाती है । चौसठ सेर की तौल । ज्योतिषमतानुसार ग्यारहवीं राशि | गुग्गुल | कुम्भक, (पुं.) प्राणायाम का अङ्गविशेष | कुम्भकर्ण, ( पुं. ) घड़े के समान कान वाला । रावण का छोट भाई । कुम्भ चतुर्वेदीकोष | १३१. कुम्भंकार, (पुं. ) जातिविशेष, जो घड़ा श्रादि बनावे अर्थात् कुम्हार । कुकुभ नामक पक्षी । कुम्भयोनि, ( पुं. ) कुम्भज | श्रगस्त्य मुनि । द्रोणाचार्य | द्रोणपुष्पी । कुम्भसम्भव, श्रगस्त्य मुनि का नाम । कुम्भदासी, ( स्त्री. ) कुटनी | कुम्भिका, (स्त्री ) छोटा बरतन | इण्डिया | वेश्या | नेत्ररोग | कुम्भिन्, ( पुं. ) हाथी । नक | मछली । एक प्रकार का विषैला कीड़ा। गुग्गुल | कुम्भिलः, ( पुं. ) चोर । श्लोकार्थ चुराने वाला । साला | गर्भमास पूर्ण होने के पहले ही उत्पन्न हुआ बालक । कुम्भी ( पुं. ) छोटा जलपात्र । मिट्टी के रसोई के बरतन । अनाज के तौलने का एक बाँट । अनेक पौधों का नाम । कुम्भधान्य, ( न. ) छः दिन के खर्च के योग्य घड़ों में संगृहीत अनाज | कुम्भीधान्यकः, ( पुं. ) गृहस्थ जो धान्य एकत्र करता है। कुम्भीनसः, (पुं. ) एक प्रकार का विषैला सर्प । कुम्भीपाकः, ( पुं. ) नरक, जहाँ तेल के तपे हुए घड़े में पकाये जाते हैं । या जहाँ कुम्हार के घड़े की तरह पापी जीव तपाये जाते हैं। कुम्भीक, पुनाग वृक्ष । गाड़ | कुम्भीरः, (पुं.) जल का जन्तु | बड़ी मछली | तेंदुआ । कुम्भीरकः, कुम्भीलः, कुम्भीलकः, (पुं. ) चोर | मगर । नक्र । कुर, (क्रि. ) शब्द करना । बजाना । कुरङ्करः, कुरङ्करः, (पुं. ) सारस | कुरङ्गः, (पुं.) हिरन, विशेष कर वह जिसका रङ्ग ताम्रवर्ण का हो । कुचिल्लः, (पुं. ) कंकड़ा । कर्कराशि । बनैले सेव । कुरटः, ( पुं. ) मोची । चमार | जूते बनाने चाला । कुल कुरण्डः, ( पुं. ) फोते बढ़ने की बीमारी । कुरर, ( पुं. ) उत्क्रोश पक्षी । चकवा | ) वर्तमान दिल्ली के समीप का देश | इस देश के राजा । पुरोहित | भात | कण्टकारिका । जम्बुद्वीप का वर्षभद्र । कुरुक्षेत्र, (न. ) पाप दूर करने वाला स्थान । वह स्थान जहाँ कौरव पाण्डवों का लोक- क्षयकारी इतिहास प्रसिद्ध हुआ था । कुरुवक, ( पुं. ) कुड़ची । पुष्पवृक्ष । कुरविस्त, (पुं. ) तौलविशेष । चार तोले सोने की तौल । कुरुटिन, ( पुं. ) एक फोड़ा | कुरुरी, ( स्त्री. ) एक प्रकार की चिड़िया | कुरुलः, ( पुं. ) चोटी । माथे पर की अलकें । कुरुवं, ( सं . ) एक प्रकार की नारङ्गी । कुरुविन्दः, ( पुं. ) लाल, काला नमक | दर्पण | कुरुवृद्ध, (पुं. ) भीष्म पितामह । कौरवों में बूढ़े । . कुरूप्य, (न. ) राँगा धातु । कुर्परः, ( पुं. ) घुटना । कोहनी । कुर्थास, (पुं. ) चोली | कंचुकी । कुर्वत्, (त्रि. ) काम करने वाला। नौकर | कुल, ( न. ) वंश | घराना | देश । समूह | कुलक, ( न. ) समूह | ऐसे दो तीन चार श्लोकों का समूह जो एक में मिले हुए हों । कुलकुण्डलिनी, (स्त्री.) तान्त्रिकों की उपास्य शक्ति । शिवशक्ति विशेष | कुलन, (नि.) कुल को नाश करने वाला । वर्णसंकर । कुलज, (त्रि.) खानदानी । अच्छे घराने का। कुलीन । कुलञ्जन, ( पुं.) वृक्षविशेष | कुलटा, (बी.) बदचलन औरत । घर घर घूमने वाली । कुलत्थ, (पुं. ) कुल्था नाम से प्रसिद्ध ग्रन विशेष | कुल चतुर्वेदीकोष | १३२ कुलतन्तु (पुं. ) वंश को चलाने वाला । कुलतिथि, (स्त्री.) चौथ | अष्टमी । द्वादशी | चतुर्दशी । वह तिथि जिस दिन कुलदेवता की विशेष पूजा की जाने का नियम हो । कुलधर्म, (पुं. ) वंशपरम्परा में आम्नाय से प्रचलित धर्म कुलाचार | रीति | ल कुलपति, (पुं. ) १०००० छात्रों का अन्न वस्त्र दे कर विद्या पढ़ाने वाला मुनि । घराने का मुखिया । सेनापति । कुलपर्वत, ( पुं. ) सात बड़े २ पर्वत । कुलवित्र, (पुं. ) पुरोहित । कुलाट, ( पुं. ) एक प्रकार की छोटी मछली । कुलाय, (पुं.) घोसला | शरीर । यज्ञविशेष । कुलायिका, ( स्त्री. ) पक्षीशाला | चिड़िया - खाना । कुलाल, ( पुं. ) कुम्हार । उल्लू पक्षी । कुलाह, ( पुं. ) हल्के पीले रंग का काली जाँघों वाला घोड़ा । कुलाहक, ( पुं. ) गिरगिट । कुलिक, (पं.) एक नाग। एक साग। एक योग । कुलिंग, ( पुं. ) गौरैया चिड़िया । ( त्रि. ) बुरे चिह्न वाला । • कुलिंगी, ( स्त्री. ) काकरासिंगी । कुलिश, ( पुं. न. ) वज्र । एक मछली कुलिशद्रुम, ( पं . ) थूहर का वृक्ष । कुलिशासन, ( पु. ) शाक्यमुनि । कुली, ( स्त्री. ) गोखरू । बड़ी साली । कुलीन, (त्रि.) खानदानी । प्रतिष्ठित । कुलीनस, (न. ) जल । कुलीर, (पुं. ) काँकड़ा नाम का जलजीव । कर्कट । केंकड़ा । कुलुक, (न.) जीभ का मैल । कुल्लूक भट्ट, पुं. ) मनुस्मृति पर टीका लिखने वाले पण्डित । इनका समय ईसा की सोलहवीं शताब्दी कहा जाता है । कुलेश्वर, ( पुं. :) महादेव । घराने का मालिक । वंश का मालिक । कुशा कुल्फ, ( पुं. ) एक रोग | पैरों के गुल्फ (गट्टे) । कुल्मल, (न. ) पाप । कुल्माष, (पुं. ) धुने उड़द । लपसी । कुल्य, (न. ) हड्डी । एक प्रकार की अन्न की माप । सूर्य | मांस | मान्य पुरुष । कुल्या, ( स्त्री. ) नहर | कृत्रिम नदी । कुवलय, (न. ) श्वेत कमल । कोकाबेली नीला कमल । पृथ्वीमण्डेल । कुवलयादित्य, (न. ) एक राजा । कुवलयानन्द, ( न. ) अप्यस्य दीक्षित रचित एक अलङ्कार ग्रन्थ कुवलयापीड़, (न. ) कंस का हाथी, जिसे श्रीकृष्ण ने मारा | कुवाद, ( पुं. ) बुरी बातचीत । अफवाह । कुविन्द, ( पुं.) जुलाहा । कपड़ा बनाने वाला । कुविवाह, (पुं.) निन्दनीय व्याह । बे-मेल व्याह । कुवृत्ति, ( स्त्री. ) बुरी प्रवृत्ति । खराब जीविका । कुवेणी, (स्त्री. ) मछली रखने की टोकनी । कुश, ( पुं. न. ) तृणविशेष | रामचन्द्र के बड़े पुत्र । द्वीपविशेष । जल । पापी । मतवाला । कुशध्वज, (पुं. ) राजा जनक के छोटे भाई । कुशप, (पुं. ) पानपात्र | प्याला । कुशल, (न.), कल्याण । मंगल । ( त्रि. ). चतुर । कुशस्थल, (न. ) कन्नौज कुशस्थली, ( स्त्री. ) द्वारकापुरी । कुशलप्रश्न, (पुं. ) खैर खबर पूछना | कुशली, (पुं.) कुशलयुक्त | ( स्त्री. ) पथर- चटा का वृक्ष । कुशा, (स्त्री.) लनाम। रस्सी । कुशाघ्र, (पुं.) बहुत महीन। कुशे की नोक के समान । कुशे की नोक । -बुद्धि ( त्रि.) तीक्ष्ण बुद्धि वाला । 1A कुशा चतुर्वेदीकोष । १३३ कुशौरणि, ( पुं. ) दुर्वासा ऋषि । कुशावती, ( स्त्री.) रामचन्द्र के पुत्र कुश की राजधानी । कुशिक, (पुं. ) जमदग्नि मुनि के पिता | विश्वामित्र के पिता । काही । बहेड़ा । सर्जवृक्ष | कुशिष्य, (त्रि. ) बुरा शिष्य | कुशी, (पुं.) वाल्मीकि मुनि । ( स्त्री. ) हल की फाल । लोहविकार । कुशीद, (न. ) लाल चन्दन | ब्याज सूद कुशीलव, ( पुं. ) वाल्मीकि मुनि । रामचन्द्र के पुत्र लव कुश । चारण | भाट | याचक । नाचने गाने की वृत्ति वाले, कथिक । (त्रि. ) बुरे शील वाला । कुशूल, (पुं. ) धान की भूसी की आग । अन्न भरने की कोठार । कुशेशय, ( न. ) कमल । सारस पक्षी । कनैर का वृक्ष । कुषाकु, ( पुं. ) बन्दर | अग्नि | सूर्य | ( त्रि. ) पर सन्तापी | कुषीद, (न. ) न्याज | सूद | कुष्ठ-कुष्ट, (न. ) कोढ़ का रोग । एक प्रकार का विष । कुष्ठ केतु (पुं.) खेखसा का साग । कुष्ठगन्धिनी, (स्त्री.) कुष्ठारि, ( पुं. ) कत्था | पर्वल | गन्धक कुष्ठी, (त्रि.) कोढ़ी । कुष्माण्ड, ( पुं. ) कुम्हड़ा । शिव का एक गण । कुष्माण्डी, ( स्त्री. ) अम्बिका | एक औषध | कुम्हड़ा। एक यज्ञ का कर्म । कुसित, ( पुं. ) शहर बसी । बस्ती । कुसिम्बी, ( स्त्री. ) सेम की तर्कारी । कुसीद, ( न.) सूद | ब्याज । कुसुम, (न. ) फूल। फल | स्त्रियों का रज | नेत्ररोग | फुल्ली | कुसुमकार्मुक, (पं.) कामदेव । वगन्धा | असगंध | कुसुमपुर, (न. ) पटना। बिहार की पुरानी राजधानी । कुसुमशर, (पुं. ) कामदेव । कुसुमाकर, पुं. ) वसन्त ऋतु । कुसुमाञ्जलि, (पुं.) पुष्पाञ्जलि । कुसुमाधिप, (पुं. ) फूलों का राजा गुलाब अथवा चम्पे का फूल । कुसुमाल, (पं.) चोर । 2 कुसुमासव, (न.) शहद । फूलों के रस का मद्य । कुसुमेषु, ( पुं. ) कामदेव । कुसुमोच्चय, ( पुं. ) फूलों का गुच्छा। फूलों का ढेर कुसुम्भ, (न. ) बहुत फूलों वाला वृक्ष । कुसुम का वृक्ष । कमण्डलु । सोना । कुसृति, ( स्त्री. ) ठगी । दुष्टता | जादू-टोना | कुस्तुभ, ( पुं. ) विष्णु | सागर | कुस्तुम्बरी, ( स्त्री. ) धनिया । कुह, ( पुं.) कुबेर । आश्चर्य । ( अव्य. ) क्क, कुत्र " कहाँ ' के अर्थ में । कुहक, (न. ) इन्द्रजाल । माया । छल । धूर्तता । ( त्रि. ) धूर्त | कुहकस्वन, (पुं. ) मुर्गा कुहक्क, (पुं. ) तालविशेष । । कुहन, (पुं.) मूसा | साँप । ( न. ) मिट्टी का एक प्रकार का बर्तन । काँच का पात्र | ( त्रि. ) ईर्ष्या करने वाला। कुहर, (पुं. ) नागविशेष | गुफा | छिद्र | बिल । कुहा, (स्त्री. ) कुहासा | कुहरा | कुहू, ( स्त्री. ) श्रमावास्या तिथि | कोयल का शब्द | कुहूकराठ, ( पुं. ) कोयल कुहेलिका, ( स्त्री. आकाश की धूल । कुहासा | कू, (क्रि. ) शब्द करना। क्रूकुद, ( पुं.) गहना कपड़ा पहना कर कन्या- दान करने वाला | चिह्न । पहचान | चतुर्वेदीकोष | १३४ कूच, (पुं.) स्तन | कुचिका, ( स्त्री. ) चित्र बनाने की कूची । कूजन, (न.) पक्षियों का शब्द । अस्पष्ट को फँसाने की कला । पुरद्वार । कूटयुद्ध, (न. ) छिप कर लड़ना । कूटरचना, (स्त्री.) जालसाज़ी | कूटसाक्षी, (पुं.) झूठा गवाह ? कूटस्थ, (पुं.) श्रात्मा । आकाश आदि तत्त्व | व्याघनख नाम का सुगन्ध पदार्थ | कूटागार, ( न.) क्रीड़ाभवन | नकली घर । चौखण्डी । कूणिका, ( स्त्री. ) शिखर । फूल की कली । वीणा की लंबी लकड़ी | . कूप, ( पुं॰ ) कुआ । नाव बाँधने का खंभा । शब्द । पुराण | कूट, ( पुं. ) अगस्त्य ऋषि । पर्वत का शिखर | घर । निश्चल | ढेर | लोहे का मुद्गर । पाखण्ड । माया । असल बात को या कूर्मपृष्ठं, ( पुं. ) हरा भरा वृक्ष । कछुए की पीठ | (न. ) सकोरा | सरवा | चीज़ को छिपाना । तुच्छ । मूर्ख | मृग कूल, ( न. ) नदी का किनारा | तालाव | कूलंकष, ( पुं. ) समुद्र । कूलंकषा, ( स्त्री. ) नदी । तेल का कुप्पा मस्तूल | कूपखानक, (पुं.) कुआं खोदने वाला । कूयार, (पुं. ) समुद्र । कृत् । कूर, ( पुं. न. ) अन्न | भात । कूर्च, (पुं. न. ) दाढ़ी-मूळ । भौंह का मध्य । छल । मोर की पूँछ । दम्भ | चरण | मुट्ठी भर कुश। शिर । आसनविशेष | कूची । कूर्चशीर्ष, (पुं. ) नारियल । कूर्चिका, ( स्त्री. ) दुग्धविकार । चित्र लिखने की कूची । कली । गहना साफ करने की कूची । कूर्दन, ( न. ) खेलना | कूदना । कूर्प, (न.) भौंह का बीच । कूर्पर, ( पुं॰ ) कुहनी । कूर्पास, (पुं. ) चोली । अँगिया । कूर्म, (पुं॰) कबुंआ । एक प्रकार की मुद्रा । एक प्राणवायु का नाम । कूर्मचक्र, ( न. ) ज्योतिष में प्रसिद्ध एक प्रकार का चक्र । कछुए के आकार का चक्र | कूर्मपुराण, ( न. ) १८ पुराणों में एक कूवर, (पुं. ) कुबड़ा | कुँजा नाम से प्रसिद्ध पुष्प गाड़ी का धुरा । ( त्रि. ) रम्य | I सुन्दर । कूष्माण्ड, (पुं. ) ककड़ी | पेठा | कुम्हड़ा । शिव का एक गण । कूष्माण्डवटिका, ( स्त्री. ) कुम्हड़ौरी । कहा, (स्त्री.) कुहासा | कुहरा | कृक, (पुं.) गला | कृकण, ( पुं. ) कयार नाम का पक्षी । केकड़ा नाम का कीड़ा । कुकर, (पुं. ) शिव | एक प्राणवायु । कनैर का वृक्ष । कृकला, ( स्त्री. ) पीपल ककलास, (पुं.) गिरगिट कृकवाकु, ( पुं. ) मोर। मुर्गा । कृकवाकुध्वज, (पुं. ) शिव के पुत्र स्वामि- कार्तिकेय । कृकाटिका, ( स्त्री. ) घट्टी। गर्दन का ऊँचा हिस्सा | कृच्छ्र, (न. ) कष्ट | दुःख | दुःख के कारण एक प्रकार का व्रत | पाप संकट मूत्र- कृच्छ्र रोग | कठिन । कृच्छ्रसान्तपन, ( न. ) एक व्रत | कृच्छ्रातिकृच्छ्र, (पुं. ) अत्यन्त कष्ट । कठिन से कठिन । एक प्रकार का व्रत । कृष्ण, ( पुं. ) चितेरा | चित्र बनाने वाला । कृत्, काटना । ● कृत चतुर्वेदीकोष । १३५ कृत, ( न. ) सत्ययुग | पूरा । ( त्रि. ) किया गया । फल । विहित कृतक, (न.) बनावटी कृतकर्मा, (त्रि. ) निपुण । चतुर । शिक्षित | पुण्यात्मा । जो काम पूरा कर चुका कृतकृत्य, (. त्रि. ) कृतार्थ | धन्य । विद्वान् । जो काम पूरा कर चुका । कृतकोटि, ( पुं. ) एक मुनि का नाम । कृतक्षण, (त्रि. ) प्रतिज्ञा करने वाला । वादा करने वाला । जिसे अवकाश मिला हो । कृतघ्न, (त्रि.) किसी के किये उपकार को भूल जाने वाला । . कृतज्ञ, ( पुं. ) विष्णु । आत्मा । कुत्ता । ( त्रि. ) दूसरे के किये उपकार को जानने- मानने वाला । कृतज्ञता, (त्रि. ) दूसरे के किये उपकार को जानना और मानना । कृतदास (पुं.) पन्द्रह प्रकार के दासों में से एक प्रकार का दास । कृतधी, (त्रि.) उत्तम पण्डित । शास्त्राभ्यास से निर्मल अन्तःकरण वाला । • कृतनाश, (पुं. ) अपना नाश आप करने वाला । किये हुए का नाश । कृतमाल, ( पुं. ) कनैर का वृक्ष । कृतमाला, ( स्त्री. ) एक नदी | कृतवर्मा, ( पुं. ) एक क्षत्रिय । कृतविद्य, ( त्रि.) जिसने भली भाँति विद्या का अभ्यास किया हो । कृतवीर्य, (पुं. ) सहस्रबाहु अर्जुन का पिता । कृतवेदी, ( त्रि. ) कृतज्ञ । उपकार को मानने वाला | कृतस्वर, (पुं. ) सुवर्ण की खान । कृतहस्त, ( त्रि.) बाण चलाने में सिद्धहस्त । कृताकृत, (न. ) कार्य-कारण | किये गये और न किये गये कर्म | कृताञ्जलि ( त्रि. ) हाथ जोड़े हुए । लज्जा- वती लता । कृपा कृतात्मा, ( पुं. ) साफ़ हृदय बाल | शुद्धान्त:- करण । कृतात्यय, (पुं. ) कर्म का नाश । कृतान्त, (पुं. ) दैव । पाप | यमराज | कृताय, (पुं. ) पाँसा । कृतार्थ, (त्रि. ) जो काम कर चुका । जिसकी कामना पूर्ण हो गयी | कृतार्थता, ( स्त्री. ) सफलता | कृति, ( स्त्री. ) करतूत । पुरुष का उद्योग | २० अक्षर के चरण वाला एक छन्द | कृती, (त्रि. ) पण्डित । योग्य । जानकार | पुण्यात्मा | साधु । कृतार्थ कृप्त, (त्रि.) काटा गया । कृत्ति, (त्रि.) मृगछाल । खाल | भोजपत्र | कृत्तिका नक्षत्र | कृत्तिका, ( स्त्री. ) २७ नक्षत्रों में से एक नक्षत्र। कृत्तिकासुत, ( पुं. ) चन्द्रमा । कार्त्तिकेय । | कृत्तिवासा, ( पुं. ) चर्म ओढ़ने वाले । बाघ- म्बरधारी । शिव । कृत्य, ( न.) काम करने लायक | प्रयोजन | कृत्यवित्, (त्रि. ) कर्तव्य को जानने वाला | विधि का ज्ञाता | कृत्या, ( स्त्री. ) जादू टोना की देवता । कृत्रिम, (न. ) गोद लिया गया लड़का एक प्रकार का नमक । ( त्रि.) बनावटी | नक्रती । कृत्स्न, (न. ) जल । कोख । ( त्रि. ) सारा | सम्पूर्ण । कृत्स्नवित्, ( त्रि. ) सब जानने वाला । परमात्मा । कृन्तन, ( न. ) काटना । कृप, ( पुं. ) शरद्वान् के पुत्र और द्रोणाचार्य के साले । व्यासदेव । कृपण, (पुं. ) कीड़ा। दीन । सूम बुरा श्रछा ! मूर्ख । कृपा, (स्त्री.) दया । बदले की इच्छा न रख कर दूसरों पर अनुमँह | कृपा चतुर्वेदीकोष | १३६ कृपाण, ( पुं० ) खङ्ग । तर्वार । · कृपाणी, (स्त्री. ) छुरी। कैंची। कृपालु, (त्रि.) कृपा से युक्त | कृपापूर्ण । कृपी, ( स्त्री. ) द्रोणाचार्य की स्त्री । कृपीट, (न. ) पेट । पानी । जंगल | ईंधन | कृपीटयोनि, ( पुं. ) काष्ठ से उत्पन्न होने वाला, अग्नि । कृमि, ( पुं. ) कीड़ा | लाख गधा । पेट का कृमिरोग । कृमिकराटक, ( न. ) गूलर 1 बिड़ंग । कृमिकोषोत्थ, (न. ) रेशम | रेशमी वस्त्र | कृमिघ्न, ( पुं. ) प्याज | कोलकन्द्र | बहेड़ा | बिड़ंग | G कृमिघ्ना, ( स्त्री. ) हल्दी । कृमिला, (स्त्री.) बहुत बच्चे जनने वाली स्त्री | कृमिशैल, ( पुं. ) बाँची । कृवि, (पुं.) ताँत । कृश, (त्रि.) थोड़ा । सूक्ष्म । दुबला | कृशानु, ( पुं. ) अग्नि । चित्रक वृक्षं । कृशानुरेता, (पुं.) शिव जी । कृषू, खींचना | कृषक, (पुं० ) समय । किसान । हल की c फाल । कृषि, ( स्त्री. ) खेती | वैश्य का काम । कृषीवल, (त्रि.) खेती करने वाला । खेति हर । कृष्ट, (त्रि.) खींचा गया । जुता हुआ खेत । कृष्ण, (पुं. ) काला | विष्णु का एक अवतार | श्रीकृष्ण | वेदव्यास । अर्जुन कौआ | कृष्णजटा, ( स्त्री. ) जटामांसी । कृष्णपक्ष, ( पुं. ) अँधेरा पाख । कृष्णपर्णी, ( स्त्री. ) श्यामा तुलसी । कृष्णपुच्छ, (पुं.) "लोमड़ी । कृष्णला, ( स्त्री. ) घुँघची । कृष्णवक्त्र, (पुं. ) लंगूर । ( त्रि. ) काले मुँह वाला । कृष्णवर्त्मा, ( पुं॰ ) अग्नि । राहु । बुरी ह पर चलने वाला । चीते का वृक्ष । कृष्णसार, (पुं.) मृनविशेष | कृष्णा, ( स्त्री. ) द्रौपदी | यमुना । दाख । काला जीरा । कृष्णाजिन, ( न. ) काले चितकबरे मृग का G चमड़ा । कृष्णिका, ( स्त्री. ) राई । कृष्णेतर, (त्रि. ) जो काला न हो। ( पुं. ) शुक्लपक्ष। कृप्या, ( स्त्री. ) जोतने लायक पृथ्वी । कृसरान्न, (न. ) खिचड़ी । क्लृप्त, (त्रि.) रचित । बनाया गया । केकय, (पुं. ) एक देश । केकयी, ( स्त्री. ) दशरथ की छोटी रानी | भरत की माता । केकर, (पुं.) ढेरा । ऊँची नीची आँख की पुतली वाला पुरुष । केका, (स्त्री.) मोर की वाणी । केचन, ( अ. ) कोई । केचित्, ( . ) कोई । केणिका, ( स्त्री. ) कपड़े की कुटी । तम्बू । कनात । केतक, (पुं. ) क्यौड़ा । केतकी । केतन, (न. ) मकान | घर । झण्डा | चिह्न ।' निमन्त्रण | केतु, ( पुं. ) झण्डा | रोग | कान्ति | चमक | चिह्न । शत्रु । नवग्रहों में से एक ग्रह । कृष्णकाय, ( पुं॰ ) भैंसा । ( त्रि. ) काले रंग केतुमाल, ( न. ) जम्बूद्वीप के नव खण्डों में कोयल | लोहा । अञ्जन | कज्जल | कृष्णकर्मा, (त्रि.) दुराचारी | पापी | के शरीर वाला । से एक खण्ड । केदार, (पुं. ) एक पर्वत । एक शिवलिंग | पानी भरे खेत । पृथ्वी का स्थानविशेष | खेत की क्यारी । केन्द्र, (न. ) मध्यस्थल । मुख्य स्थान | केम चतुर्वेदकोष । १३७ जन्मपत्र के लग्न, चतुर्थ, सप्तम और दशम स्थान | केमद्रुम, ( पुं. ) ज्योतिष के अनुसार जन्म- काल में पड़ने वाला योगविशेष | केयूर, ( न. ) बाजूबंद । केरल, (पुं.) मलावार देश । पतित क्षत्रिय जातिविशेष । एक सम्प्रदाय | एक 'प्रश्न ' का ग्रन्थ केलि, ( पुं. ) कीदा। हँसी-मजाक | ( स्त्री.) पृथ्वी केलिकला, ( स्त्री. ) सरस्वती की वीणा । रति कला केवल, (त्रि.) एक | अकेला । सिर्फ । ज्ञान- भेद । शुद्ध । केश, (पुं.) बाल । वरुण देवता । केशकलाप, (पुं. ) केशकलाप । बालों का जूड़ा। केशपर्णी, ( स्त्री. ) लटजीरा । केशमार्जक, (न.) कंघा । केशर, (पुं.) सिंह के कन्धे पर की जटाएँ । वृक्षविशेष । घोड़े की गर्दन पर के बाल । सुपारी का पेड़ । केशरी, (पुं. ) सिंह । घोड़ा | तबूंज | हनुमान् 1 के पिता । केशव, (पुं.) विष्णु का नाम। जो ब्रह्मरुद्रा- दिकों पर दया करता हो । केशी दैत्य को मारने वाला श्रीकृष्ण । ( त्रि. ) जिसके केश अच्छे हों । सूर्य । केशवेश, (पुं. ) बालों की सजावट । चोटी बाँधना । केशिका, ( स्त्री.) सतावर | केशी, (पुं.) एक दैत्य | विष्णु । शेर | घोड़ा । केशिनिषूदन, ( पुं. ) केशी दैत्य को मारने वाले कृष्णचन्द्र | केसर, ( पुं. ) केसर । बकुल वृक्ष । सिंह और घोड़े के कन्धे के बाल । कसीस । सुवर्ण । कमल के फूल के भीतर की सुइयाँ । कोट केसरी, (पुं. ) सिंह घोड़ा । हनुमान् के पिता । कैकेयी, ( स्त्री. ) दशरथ की छोटी रानी | भरत की माता । कैटभ, ( पुं. ) एक दैत्य । कैटभारि, (पुं. ) विष्णु । कैटर्य, (पुं. ) कायफल | नीम | मदन वृक्ष | कैतव, ( न. ) कपट | छल । जुआ । वैदूर्य- मणि । धतूरे के फूल और फल । कैमुतिक, (पुं. ) एक प्रकार का न्याय । जैसे- " यूदि ऐसा न होता तो ऐसा होता " । कैरव, ( पुं. ) शत्रु | कपटी । ( न. ) कोका- बेली | कैरवी, (पुं. ) चन्द्रमा । ( स्त्री. ) चाँदनी । कैलास, (पुं.) चाँदी के रंग का पहाड़, जिस पर शिव और कुबेर जी रहते हैं । कैलासपति, ( पुं. ) महादेव । कुबेर । कैवर्त, ( पुं. ) मल्लाह | माँझी । कैवल्य, ( न. ) मुक्तिभेद । अकेले होना । कैशिकी, ( स्त्री. ) नाट्यशास्त्र की एक वृत्ति । कैशोर, (न. ) किशोर अवस्था, जो दस से पन्द्रह वर्ष तक रहती है । कोक, ( पुं. ) चकवा पक्षी । भेड़िया- खजूर का वृक्ष । मेंढक । कामशास्त्र का ग्रंथ । कोकनद, ( न. ) लाल कमल । कोकबन्धु, ( पुं. ) सूर्य । कोकाह, (पुं. ) सफेद घोड़ा । कोकिल-ला, (पुं. स्त्री. ) कोयल । कोकिलाक्ष, ( पुं. ) तालमखाना । कोकिलावास, (पुं.) चाम का पेड़ | कोङ्कण, (पुं. ) देशविशेष, सह्य पर्वत और समुद्र के बीच की भूमि । कोच, (पुं. ) एक वर्णसंकर जाति । एक देश । कोट, (पुं.) गढ़ | कोट । कुटिलता । कोटर, ( पुं. ) वृक्ष का बड़ा छेद । समूह । कुटी । कोटरा, (स्त्री.) बाल मह । बाणासुर की माता । कोट चतुर्वेदीकोष | १३८५ 6 कोटवी, ( स्त्री. ) चण्डिका । नंगी स्त्री । कोटि, (स्त्री.) धनुष का अप्रभाग | हथि- यारों की नोक । एक करोड़ की संख्या । कोटिर, ( पुं. ) न्यौला | इन्द्र | वीरबहूटी । कोटिशः, ( अ ) करोड़ों । अग्रभागमात्र भी । किश्चित् भी । कोटीश, (त्रि. ) करोड़पती । कोण, (पुं. ) कोना । सारंगी बजाने की कमान सी लकड़ी । लाठी मंगल ग्रह । लग्न से नवम और पश्चम स्थान । शनैश्चर कोणकुण, ( पुं. ) खटमल कोदण्ड, (पुं. ) भौंह । ( न. ) धनुष | कोद्रव, ( पुं. ) कोदौ नाम का श्रन्न । कोप, (पुं . ) क्रोध | रिस । कोपन, (त्रि.) क्रोधी । कोमल, (न. ) जल | ( त्रि. ) नरम | कोयष्टि, (पुं.) जल पर उड़ने वाला पक्षी । कोरक, ( पुं. न. ) कली | कमल की डंडी | कोल, ( पुं. ) सुअर | चौता । शनैश्चर | गोद । डोंगी। भील | मिर्च । बेर का फल । कोला, (स्त्री.) पीपल नाम की औषध | राजा सुरथ की राजधानी । कोलापुर, (न. ) कोल्हापुर दक्षिण दिशा में प्रसिद्ध लक्ष्मी देवी का स्थान । कोलाविध्वंसी, (पुं. ) एक पहाड़ी म्लेच्छ जाति । } कोलाहल, (पुं.) शोरगुल | कलकल | हौरा । कोविद, (पुं. ) पण्डित । विवेकी । कोविदार, ( पुं. ) लाल कचनार । कोश, (पुं.) खजाना । तवर की म्यान | मद्यपान का प्याला | डोष जायफल । कली। गुप्तस्थान | शब्दसंग्रह ग्रन्थ | सुवर्ण । सन्दूक कोशल, ( पुं. ) अयोध्या प्रदेश | कोशलिक, (न. ) धूस रिश्वत । कोशातकी, (स्त्री.) तुरई । कोष, (पुं. न. ) कोश शब्द देखो | कोष्ठ, (पुं.) कोठरी | ड्योढ़ी | अन्न भरने की कोठार | पेट । कोठा । गुनगुना। कोष्ण, (न. कोसल, (पुं.) कोशल शब्द देखो। कोहल, (पुं.) एक प्रकार का बाजा नाट्य शास्त्र के आचार्य एक मुनि | मद्य | कौक्कटिक, (पुं. ) पाखण्डी । संन्यासी । कौक्षेयक, (पुं. ) तर्वार। कौटल्य, (पुं.) वात्स्यायन मुनि का एक नाम, जिन्हें चाणक्य कहते हैं । कौटिल्य, (पुं. ) चाणक्य मुनि । ( न. ) कुटिलता | कौणप, (पुं. ) राक्षस । कौण्डिन्य, ( पुं. ) एक मुनि | कौतुक, (न. ) अपूर्व वस्तु या कार्य देखने- सुनने का चाव | तमाशा | उत्सव | कौतूहल, (न. ) कौतुक | चाव । कौन्तेय, ( मुं. ) कुन्ती के पुत्र पाण्डव । अर्जुन । कौपीन, (न. ) लँगोटी । गुप्त अंग | पाप | कौमार, (न. ) जन्म से पाँच वर्ष तक की अवस्था | कुआँरापन | लड़कपन | कौमारिकेय, ( पुं. ) कुआँरी स्त्री का लड़का | कौमारी, (स्त्री.) देवी विशेष । कौमुद, ( पुं. ) कार्तिक का महीना | कौमुदी, ( स्त्री. ) चाँदनी | व्याकरण का एक ग्रन्थ । कौमोदकी, ( स्त्री. विष्णु की गदा | कौरव, (पुं. ) राजा कुरु की सन्तति । दुर्योधन आदिक । कौरव्य, (पुं. ) ) कौरव । कौल, (त्रि.) कुलीन । खानदानी । ब्रह्मज्ञानी । तान्त्रिक | कौलटिनेय, सती भीख माँगने वाली स्त्री कौलटेय, } का लड़का व्यभिचारिणी कौलटेर, स्त्री का लड़का | ( कौलिक, (पुं.) जुलाहा | कुलाचार | ( त्रि. ) शक्ति का उपासक । पाखंडी कौलीन, (न. ) निन्दा | लोकापवाद । गुह्य | छिपाने योग्य | कुकर्म । कुलीनता | सर्प, पशु और पक्षियों का युद्ध । प्राणियों का चतुर्वेदीकोष | १३६ कौशेय, ( ) रेशमी कपड़ा । कौसुम्भ, (न. ) कुसुम का रँगा कपड़ा । कौसृतिक, (त्रि. ) मायावी । कौस्तुभ, ( पुं. ) समुद्र से निकली हुई श्रीविष्णु के हृदय का भूषण एक मणि । क्रकच, ( पुं. ) आरा गाँठदार वृक्ष विशेष | क्रकचच्छद (पुं.) क्यौड़ा । क्रकचपात्, (पुं.) गिरगिट जुधा । कौलान्य, (न) कुलीनता । कौवेरी, (स्त्री. ) कुबेर की पुरी । उत्तर दिशा । कुबेर की । कौशल, (न. ) काम करने की चतुराई । भलाई | माङ्गल्य | कौशल्या, (स्त्री. ) महाराजा दशरथ की पटरानी । श्रीरामचन्द्र जी की माता । कौशाम्बी, ( स्त्री . ) वत्स राजा की नगरी । | ●क्रव्य, (न.) मांस कौशिक, (पुं.) विश्वामित्र मुनि | न्यौला । साँप को पकड़ने वाला । मदारी। गूगल । इन्द्र । उल्लू पक्षी | खजांची । कौशिकी, ( स्त्री. ) दुर्गा | एक नदी | नाट्य शास्त्र की एक वृत्ति | कौशीतकी, ( स्त्री. ) एक उपनिषद् | अगस्त्य मुनि की स्त्री । ऋकर, (पुं. ) करील का वृक्ष । गरीव । ऋतु, ( पुं. ) यश | संकल्प । मुनिविशेष | इन्द्रियाँ | विष्णु । - क्रथन, (न. ) मारना। क्रन्दन, (न. ) रोना । ऋतुषि, ( पं. ) असुर । नास्तिक | शिव । कंतुभुज, (पुं.) देवता । ऋतुराज, (पं.) राजसूय यज्ञ | अश्वमेध यज्ञ । क्रम, (पुं.) तरीका | सिलसिला | नियम | हमला। पैर रखना। ढब क्रमशः, (च) क्रम से । क्रमागत, (त्रि. ) क्रम से आया हुआ । सिलसिलेवार | क्रम क्रम से । क्रमुक, ( पुं. ) सुपारी । लोध का पेड़ | कपास का फल । क्रमेल, ( पुं. ) ऊँट | ऋय, ( पुं.) खरीदना | मोल लेना । क्रयविक्रय, ( पुं. ) बनिज । खरीद- फरोन्त । कन्याद, (पुं. ) राक्षस । गिद्ध । शेर | (त्रि. ) मांस खाने वाला। ऋशित, (त्रि.) दुर्बल ऋशिमा, ( स्त्री. ) दुर्बलता । क्रान्त, (पुं. ) घोड़ा । (त्रि.) दबाया हुआ | लाँघा हुआ | घिरा हुआ। क्रान्तदर्शी, (त्रि.) बीती बातों को जानने वाला । कवि । क्रान्ति, (स्त्री. ) चढ़ाई करना । आक्रमण | आकाशगोलक में के चलने की कुछ टेढ़ी गोल रेखा | क्रिमि, (पुं.) कीड़ा सूक्ष्म जीव लाख | रोगविशेष । क्रियमाण, (न. ) किया जा रहा। क्रिया, (स्त्री.) करना पूरा करना । कार्यारम्भ | चेष्टा । मृतकसंस्कार | क्रियाफल, (न.) कर्म का फल । क्रियायोग, (पुं. ) कर्मयोग । क्रीड़नक, (न.) खिलौना क्रीड़ा, ( स्त्री. ) खेल । अनादर | क्रीड़ोपस्कर, (न.) खेल की सामग्री | क्रीत, (त्रि.) खरीदा हुआ। मोल लिया गया । क्रुद, ( पुं. स्त्री. ) क्रौश्च॰पक्षी । चतुर्वेदीकोष । १४० क्रुद्ध, (त्रि.) स्त्रका | क्रुष्ट, ( न. ) शब्द करना | बुलाना | रोना | क्रूर, (त्रि.) कठिन । घोर । गर्म । लाल कनैर। बाज पक्षी । कंक पक्षी । पाप- ग्रह। क्रूरकर्मा, (त्रि.) क्रूर-निठुर काम करने वाला। क्रेता, (त्रि. ) खरीदार । क्रेय, (त्रि.) खरीदने को वीज । क्रोड़, (पुं . ) शूकर | शनिग्रह । ( श्री. ) गोद | क्रोड़ा, (पुं. ) कछुआ क्रोध, (पुं.) गुस्सा | क्रोधन, (त्रि.) क्रोधी । क्रोश, (पुं. ) एक कोस | मुहूर्त | क्रोष्टा, (पुं. ) सियार क्रौञ्च (पुं.) कुरर पक्षी । एक पर्वत । एक दैत्य ! एक द्वीप | क्रौञ्चदारण, (पुं.) कार्तिकेय । इन्द्र । क्रौञ्चादन, (न.) कमल की डंडी। पीपल । कमल के बीज । लम, ( पुं. ) ग्लानि करना । आयास । परिश्रम | क्लान्त,. ( त्रि. ) थका हुआ | मुरझाया हुआ | कान्ति, ( स्त्री. ) थकावट मुरझा जाना । क्लिन, (त्रि.) गौला । क्लिष्ट, (त्रि.) क्लेश को प्राप्त । कठिन । क्लिष्टि, ( स्त्री. ) क्लेश । सेवा । क्लीब, (पुं.) नपुंसक । हिजड़ा पराक्रम- हीन | कायर | क्लृप्त, (न. ) रचित । कल्पित । निर्मित केद, (पुं० ) पसीना । गीलापन | कष्ट । उपद्रव कफ | केश, (पुं.) दुःख । न्यथा । क्लेशापह, (पुं॰ ) पुत्र । (त्रि.) क्लेश मिटाने वाला । क्लैन्य, (न. ) कायरपना । पौरुष न होना । · दीनता । नपुंसकता । क्व, (अ॰ ) कहाँ । क्वचित्, (अ.) कहीं | क्वचन, क्वण, (पुं.) वीणा का शब्द। हर एक शब्द । कथित, (त्रि. ) पकाया गया । कथिता, ( स्त्री. ) कढ़ी क्षप क्वाथ, ( पुं. ) काढ़ा | बहुत पकाई गई वस्तु । क्षण, (पुं. ) पर्व । उत्सव । अवसर | मध्य घड़ी लहजा छिन । (पुं.) ज्योतिषी । पानी । क्षणद, क्षणदा, (स्त्री. ) रात्रि क्षणप्रभा, ( स्त्री. ) बिजली | क्षणभंगुर, (त्रि.) बिन भर में नष्ट हो जाने वाला । क्षणिक, (त्रि. ) दम भर का । क्षणिकबुद्धि, (त्रि. ) जिसकी बुद्धि छिन २ भर पर बदला करती है । क्षत, (न.) घाव | (त्रि. ) खण्डित | नष्ट | क्षतघ्न, (पुं. ) कुकरौंधा। घाव को पूरने वाला मरहम | क्षतज, ( न. ० ) रुधिर । पीव । क्षति, (स्त्री.) घटी । हानि । क्षत्ता, (पुं.) शुद्ध से क्षत्रिया में उत्पन्न । द्वारपाल सारथी दासीपुत्र । विदुर । ब्रह्मा । मछली । खज़ांची । क्षत्र, (पुं. ) क्षत्रिय | ( न. ) तगर | शरीर | क्षत्रिय जाति के कर्म । क्षत्रबन्धु (पुं. ) अधम क्षत्रिय | अपने कर्म न करने वाला क्षत्रिय । क्षत्रविद्या, ( स्त्री. ) धनुर्वेद | युद्धविद्या | क्षत्रिय, ( पुं.) दूसरा वर्ण । क्षत्रिया, क्षत्रियाणी, क्षत्रियी, ( स्त्री. ) क्षत्रिय की स्त्री । क्षन्तव्य, (त्रि.) क्षमा करने योग्य । क्षन्ता, (त्रि.) क्षमा करने वाला । क्षपण, (त्रि.) निलेश क्षपणक, (पुं, ) बौद्धभिक्षु । संन्यासी । ( स्त्री. ) क्षत्रिय जाति की स्त्री | } . चतुर्वेदीकोष । १४१ े, ( स्त्री. ) रात्रि । हल्दी । क्षपाकर, ( पुं. ) चन्द्रमा । कपूर | क्षपाचर, (पुं. ) राक्षस । ( त्रि. ) रात को घूमने वाला । क्षपाट, (पुं. ) राक्षस । (त्रि.) रात को घूमने वाला । क्षपित, (त्रि.) दूर हुआ। नष्ट हुआ। विस्मृत् । क्षम, (न. ) उपयुक्त | ( त्रि. ) समर्थ | क्षमता, (स्त्री.) सामर्थ्य | योग्यता | शक्ति । क्षमा, (स्त्री.) भूमि । शक्ति होने पर भी दूसरे के अपराध को टाल देना । माफ़ी । क्षमी, (त्रि.) क्षमा करने वाला । क्षय, (पुं.) विनाश । एक रोग | तपेदिक | क्षयपक्ष, ( पुं. ) कृष्ण पक्ष । अँधेरा पाख । क्षयिष्णु, (त्रि. ) क्षय होने वाला । क्षर, (पुं. ) मेघ । (त्रि. ) नाश होने वाला । क्षरण, (न.) चूना । टपकना | क्षात्र, (न.) क्षत्रिय का धर्म या कर्म । क्षान्त, (त्रि.) निवृत्त । क्षमा करने वाला । क्षान्ति, ( स्त्री. ) क्षमा । सत्र । • क्षाम, (त्रि.) दुबला । कमजोर । क्षार, (पुं.) खार | धूर्त | नमक | काँच | भस्म । जवाखार । सज्जी । क्षारकर्दम, (पुं.) एक नरक । क्षालन, (न.) धोना । साफ़ करना । क्षालित, (त्रि. ) धोया हुआ | साफ़ किया । क्षिति, ( स्त्री. ) पृथ्वी | निवास । क्षय | क्षितिज, (पुं.) रसविशेष | मंगल ग्रह । वृक्ष | आकाश के मध्यस्थल से 8० अंशान्तर पर की आड़ी रेखा । ( त्रि. ) पृथ्वी से उत्पन्न । क्षितिधर, (पुं. ) पहाड़। शेषनाग | दिग्गज | क्षितिपाल, (पुं. ) राजा | क्षितिरुह, ( पुं. ) वृक्ष क्षिपणि, ( स्त्री. ) नाव* चलाने के डाँड़ । शस्त्र । मछली फँसाने का काँटा । क्षिप्त, (त्रि.) फेंका गया । अनादृत । ( न.) पागला सिड़ी । . क्षित्र, (न. ) जल्दी | वेग वाला । नक्षत्र- विशेष | वारविशेष | क्षिप्रकारी, (त्रि.) जल्दी करने वाला । क्षीण, (त्रि.) दुबला । कमज़ोर । नाजुक । गरीब । खोया हुआ | मरा हुआ | नष्ट हुआ। क्षीयमाण, (त्रि.) क्षीण हो रहा। नष्ट हो रहा। क्षीर, ( न. ) दूध । जल । खीर । क्षीरकण्ठ, (पं.) बालक । दुधमुहा । क्षीरपर्णी, (स्त्री.) पीपल । वर्गद| मदार | जिन वृक्षों या वनस्पतियों के पत्तों में दूध हो । क्षीरसार, (पुं. ) मक्खन । घी । क्षीरसागर, (पुं.) दूध का समुद्र, जिसमें नारायण शेषशय्या पर शयन करते हैं । क्षीराब्धितनया, (सी.) क्षीरसागर की कन्या लक्ष्मी । क्षीव, (त्रि.) मतवाला । क्षुराण, (त्रि.) उदासीन | अभ्यास किया गया। मारा गया। चूर्ण किया गया। पीसा गया । क्षुत्, (स्त्री.) भूख | श्रुत, ( न. ) छींक | क्षुद्र, (त्रि.) क्रूर | कृपण | छोटा । श्रोधा | नीच | दरिद्र । क्षुद्रघरिटका, (स्त्री. ) घुंघरू क्षुद्रता (स्त्री.) ओछापन | नीचता | करता | क्षुधा, (स्त्री.) भूख । क्षुधित, (त्रि.) भूखा | क्षुप, (पं.) छोटी शाखा और जड़ वाला एक वृक्ष । झाड़ी । एक पर्वत । एक क्षत्रिय | क्षुब्ध, (पुं.) मथानी । (त्रि.) क्षोभ को प्राप्त । मथा गया। कंपित व्याकुल । घबड़ा गया । क्षुभित, (त्रि.) हिलाया गया । आन्दोलित | क्षुमा, ( स्त्री. ) अलसी । सन । क्षुर, (पुं.) श्रस्तुरा । खुर। गोखरू । बाण छुरा उस्तरा । क्षुरप्र, (पुं.) एक प्रकार का बाण । खुर्पा । क्षुरिका, (बी.) छुरी। पलाँकी का साग क्षुल, (त्रि.) थोड़ा । । हल्का छोटा। क्षुल्लक, (त्रि.) नीच | थोड़ा । दुःखित । दुष्ट । क्षेत्र, (न. ) शरीर | खेत | स्त्री | तीर्थस्थान | मेष आदि राशियाँ | क्षेत्रज, (पुं. ) अपनी स्त्री में दूसरे से उत्पन्न कराया गया पुत्र । ( त्रि. ) जो खेत में उपजा हो । क्षेत्रश, (पुं ) जीवात्मा । (त्रि. ) निपुण | किसान | क्षेत्रपाल, ( पुं. ) भैरव । ( त्रि.) खेत की रखवाली करने वाला । क्षेत्राजीव, (पुं. ) किसान | क्षेत्रिय, ( पुं. ) असाध्य रोग चतुर्वेदीकोष । १४२ फेंकना | बिताना । 1 1 पुरुष । क्षेत्रेक्षु (पुं.) जुधार। क्षेप, (पुं.) आक्षेप | निन्दा । अहंकार । विलम्ब फेंकना | बिताना । क्षेपक, (त्रि.) फेंकने वाला । विलम्ब करने वाला । घमण्डी | गुच्छा । ( न. ) पुस्तकों में ऊपर से मिलाया गया पाठ । क्षेपण, (न. ) प्रेरणा । गोफा नामक यन्त्र, जिसमें रख कर कंकड़ दूर तक फेंके जाते हैं । क्ष्माभृत् (पुं.) पहाड़। राजा । क्ष्वेड़, (पुं. ) विष | अक्षरों की ध्वनि । फल- भेद । पुष्पभेद । (त्रि. ) दुर्लभ | कुटिल | •परस्त्रीगामी श्वेड़न, (न. ) त्याग करना । छोड़ना । सिंहनाद | क्ष्वेलिका, ( स्त्री. ) क्रीड़ा | खेल | क्षेम, (न. ) कल्याण | मोक्ष । क्षेमकरी, ( श्री. ) कल्याण करने वाली । भवानी | क्षेमेन्द्र, ( पुं. ) कश्मीर का एक भारी पण्डित अन्थकार । क्षैरेय, (न) लप्सी । (त्रि.) दूध में पकाया गया । क्षोड, (पुं. ) हाथी बाँधने की जंजीर । क्षोणी, (स्त्री. ) पृथ्वी जमीन। क्षोणीप्राचीर, (पं.) समुद्र | क्षोद, (पं.) धूल चूर्ण । खोदविनोद | क्षोभ, (पुं.) चित्त की चञ्चलता । घबड़ाहट | सौद्र, (न. ) शहद | पानी ( पुं. ) धूल । चम्पा का वृक्ष । एक वर्णसंकर जाति । श्रौद्रज, (न.) मोम | क्षौम, (पुं. न. ) रेशमी कपड़ा कपड़ा । औौर, (न. ) हजामत | क्षौरिक, (पुं. ) नाई। क्ष्युत, क्ष्मा, (स्त्री.) पृथ्वी | धरती । क्ष्मातख, (न. ) पृथ्वीतल क्ष्मापति, ( पुं. ) राजा । (त्रि.) सान धरा हुआ | पैना . ख ख, (न. ) आकाश | शून्य | स्वर्ग इन्द्रिय | सूर्य | पुर | शरीर | दु । मेघ । सुख । लग्न से दशम राशि | अबरख । खग, (पुं.) सूर्य आदि ग्रह। पक्षी | बाण | देवता । वायु । राक्षस । (त्रि. ) आकाश में चलने वाला । खगपति, ( पुं. ) गरुड़ खगासन, ( पुं. ) विष्णु । उदयाचल : खगेन्द्र, ( पुं. ) गरुड़ । खगोल, (पुं. ) आकाशमण्डल | खचर, (पुं.) खग शब्द देखो। खचित, (त्रि.) व्याप्त । बँधा हुआ । मिला हुआ । खज, (पुं. ) कलछी चिमचा मथानी । खजिका, (स्त्री.) खाज खुजली । खज्योति, (पुं.) जुगनू खञ्ज, (पुं.) लँगड़ा | खञ्जन, (पुं. ) खड़रैचा पक्षी । खजरीट, (पुं.) खञ्जन | खट, (पुं.) अन्धा कुआ । कफ । इल | घास। टाँकी । खर चतुर्वेदीकोष | १४३ खटका, (स्त्री.) खड़िया मिट्टी छेद । घास। खट्टिक, (पुं.) खटिक । चिड़ीमार । खट्टिका, ( स्त्री. ) छोटी खाट । रत्थी । खड्डा, (स्त्री. ) पलँग । खाट | मचान | खड्डाङ्ग, (पुं.) एक सूर्यवंशी राजा, जिसने अपनी आयुष्य दो घड़ी शेष जान कर स्वर्ग से वर माँग अयोध्या में आ सर्वत्यागी हो कर मुक्त हुआ । मनुष्य की हड्डियों का ढाँचा | रीद | एक शस्त्र । खड्डाधारी, (पुं.) शिव । खड्डारूढ़, (त्रि.) खाट पर चढ़ा हुआ | निषिद्ध कार्य करने वाला। खड़क्किका, (स्त्री. ) खिड़की । खड़ी, (स्त्री.) खड़िया । खड्ग, (न.) लोहा । ( पुं.) गैंड़ा | खाँड़ा । खड्नपिधान, (न. ) म्यान । खण्ड, (पुं. ) टुकड़ा । खाँड । नपुंसक | रल का ऐव । क खण्डकर्ण, ( पुं. ) शकरकन्द । खण्डताल, (पुं. ) एक प्रकार की ताल । खण्डधारा, (स्त्री.) लैँची । खण्डन, (न.) तोड़ना | टुकड़े २ करना । काट डालना। खण्डपरशु, (पं.) शिव । खण्डित, (त्रि.) तोड़ा गया। काटा गया । खण्डिता, (स्त्री.) वह स्त्री, जिसका पति रात भर अन्य स्त्री के यहाँ रहे । खतमाल, (पुं.) मेघ । धुआँ खदिर, ( पुं. ) खैर । कत्था | इन्द्र । चन्द्र | खदिरिका, ( स्त्री. ) लाख खोत, (पुं.) जुगनू । सूर्य । बन्दूक खधूप, (पुं. ) हवाई | खनक, (पुं.) मूसा । सेंध लगाने वाला । चोर । (त्रि. ) पृथ्वी को खोदने वाला । खनन, (न. ) खोदना । खल खनयित्री, ( स्त्री. ) कुदार | फावड़ा | खनि, (स्त्री.) खान खनित्र, (न. ) कुदार | खोदने का औजार | खभ्रान्ति, ( पुं.) चील्ह | खमणि, (पुं. ) सूर्य | खर, पुं. ) गधा | जनस्थान निवासी राक्षस कामदेव । कौआ । तांक्ष्ण । वह घर, जिसका द्वार पश्चिम मुख हो । खरदूषण, ( पुं. ) धतूरा | खर और दूषण नाम के राक्षस । ( त्रि. ) उप्र दोष वाला । खरध्वंसी, (पुं.) रामचन्द्र | खरी, (स्त्री.) गधी । खरु, ( पुं. ) घमंड । शिव । घोड़ा । दाँत । श्वेत वर्ण । कामदेव । मूर्ख कर | खर्जन, (न.) खुजलाना । a खर्जू, (स्त्री.) खनखजूरा कीड़ा | खज्जूर का पेड़ । खुजली । खर्जूघ्न, ( पुं. ) मदार । धतूरा खर्जूर, (पुं.) बिच्छू । खजूर का फल । चाँदी । खर्जूरी, ( स्त्री. ) बनखजूर । खर्पर, (पुं.) चोर | धूर्त | खप्पर । ( न. ) एक धातु । खर्ब, (पुं.) बौना | कुबड़ा । एक निधि | सहस्रकोटि संख्या | खर्बट, (पुं. न.) चलना । पहाड़ के पास का ग्राम । वह ग्राम जिसके पास शहर हो नदी तथा पर्वत भी वहाँ हो । मंडी लगने वाला ग्राम । चार सौ गाँव के बीच को जगह | खर्बशाखः, (त्रि.) छोटा । ठेंगना | छोटी डाल के वृक्ष । खलू, चलना। हिलना खल, धान कूटने का स्थान । ओखरी । काँड़ी | पृथ्वी । तिल का चूर्ण । नीच । अधम । निर्दय । बेरहम | “ सर्पः क्रूरः खलः क्रूरः सूर्पात् क्रूरतरः खलः 12 मन्त्रौषधियशः सर्पः खलः केन निवार्य्यते ॥ 39 . खर्चा 'चतुर्वेदीकोष । १४४ खर्बा, ( स्त्री. ) छोटे अंगों की स्त्री । बवनी । नाटी स्त्रीविशेष | खर्बुरा, ( स्त्री. ) तरदी वृक्ष । खबूजम्, (न.) खर्बूजा। प्रसिद्ध लताफल | खलपूः, (त्रि.) जगह का साफ़ करने वाला । फरोस । झाडू देने वाला। खलः, (पुं.) सूर्य | तमाल का पेड़ | धतूरा | भूमी | स्थान | पीसी हुई गीली लुवदी । खलता, ( स्त्री. ) दुष्टता । आकाशबेल । खलतिः, (पुं.) चंदुला। गंजा | खलु, (अन्य ) निश्चय । पूँछना | वचन के शोभा करने वाला । विशेष इच्छा | निषेध करना । शब्द को पूरा करने वाला | कारण ! खर्मम्, (न.) पुरुषार्थ | रेशमी वस्त्र । खलमूर्तिः, (पुं. ) पारा । दुष्टमूरत । खलकपोत, (पुं. ) धान छाँटने की जगह | यथा कबूतर एक ही बार था कर एकट्ठे गिरते हैं तथा विशेषणों का एक स्थल में अन्वय होना इसी तरह एक न्यायभेद । खल्या, (स्त्री.) खलों का जो समुदाय । धान छाँटने का समुदाय । स्थान । खल्ल, (पुं.) एक तरह का कपड़ा । काम । गढ़ा। चातक पक्षी । पपीहा दवाई । मलने का पात्र । खल । ओस । खवाष्प, (न.) रात्रि को बहने वाला आकाश से । श्रोस । बरफ | मसा | खश, (पुं.) हिमालय के पास का देश । देश विशेषभेद । पतित । क्षत्रियभेद | खसखस, ( पुं. ) पोस्ते का बीज वृक्षभेद । जिसका दूध अफीम है। खजिक, (पुं.) लावा। खील । जो तनिक वायु लगने से उड़ने लगते हैं । खटि, (पुं. स्त्री.) रथी । मुर्दा ले जाने की वस्तु | खांडव, ( पुं. ) इन्द्रप्रस्थ । देहली शहर । नगर के पास का वन खलाधारा, (खी:) तेल पीने वाली । तिल- चट्टा भाषा है। खुर खलिः, (पुं. ) तेल का कीट | खरी जो चौपाय को खिलाई जाती है। "" खलिनः, (पुं. न.) कविकामे । घोड़े वास्ते देय । खात, (न. ) गढ़ा । तलैया आदि । पूर्ते खातादि कर्म च इति स्मृतिः । खातक, (पुं.) परिखा । खाँई । ऋणी । कर्जदार | खाद्, (क्रि. ) खाना | खादक, (पुं. ) कर्जदार खाने वाला । (त्रि. ) खादिका स्त्री । खादिर, (त्रि. ) खैर । खैर की लकड़ी का बना हुआ यज्ञस्तंभादि । खारी, ( स्त्री. ) अनाज के नाप का प्रमाण । तौल अर्थात् १२ मन ३२ सेर जो होता है । खारीक, (त्रि.) खारी | १६ द्रोण परिमाण | धान के बोने का खेत । खार्कार, (पुं.) गदहे का बोलना। जो दूर से शंख के समान मालूम हो । खिट्, (क्रि.) भयभीत होना । खिद्, (क्रि. ) दीन होना । खिन्न, (त्रि.) दुःख में पड़ा हुआ। आलसी । खेदयुक्त | खिल, (क्रि. ) किनकियों को चुंगना । दाना २ लेना । खिल, (त्रि.) हल नहीं चला हुआ खेत आदि । थोड़े में तत्त्व प्रथम न कहे गये का परिशिष्ट श्रंश वर्णन | खु, (क्रि. ) शब्द | आवाज करना | खुज्, (क्रि.) चोराना । खुङ, (क्रि. ) फाड़ना । टुकड़े २ करना । खुर, (पं.) पशु के खुर नख। नखला (भाषा में) गन्धद्रव्य | नहनी । नाई का शत्र नख काटने वाला । छुरा बार बनाने का पलूँग का पाया इत्यादि । खुरणस, (त्रि.) जिसकी नाक खुर के समान हो । चिपटी नाक वाला या चौड़ी नाक वाला। ● खुरा चतुर्वेदीकोष | १४५ सुरालिक, ( पुं. ) जो खुरों की कतारों से i चमकता है। नाऊ के शस्त्र रखने का स्थान । संजोह । गुच्छी । नाराचास्त्र | बाण | तकिया । खुई, (क्रि. ) खेलना | खेचर, (पुं. ) जो आकाश में विचरै । शिव जी । सूर्य्यादि ग्रह। विद्याधर | मुद्राभेद ( स्त्री. ) खेचरी मुद्रा योगशास्त्र में । खलिनी, (स्त्री.) तालमूली। दुष्टों का समूह | धानों के खल खलिवर्द्धनः, ( पुं. ) दाँत के रोगविशेष | मारुतनाधिकोदन्तो जायते तीव्रवेदनः । खलिवर्धनसंज्ञोऽसौ जाते रुक् च प्रशाम्यति ॥ खलिशः, (पुं.) खलिशामाच् इति गौड़भाषा प्रसिद्ध मत्स्य । कंकपक्षी के चांच को भी कहते हैं। खलीकारः, (पुं. ) अपकारी । द्रोह करना . खलः, (पुं.) निन्दा करने वाला । खलीनः, ( पुं. न. ) घोड़े के मुख में जो छिप जावै । लगाम खलु, ( श्र. ) वाक्य के सजाने में पूछना ।. शान्ति में । कहने की इच्छा में। मान में । वर्जन में । पदों की पूर्ति में वाक्यपूरण में विनती करने में । निश्चय खलुक, (पुं.) अन्धकार खलुरेषः, ( पुं ) हरियों के जातिभेद । 1 खलूरिका, (स्त्री.) शस्त्राभ्यास करने की जगह | खलेवाली, (स्त्री.) बैलों के बाँधने का गाड़ा हुआ काष्ठ अर्थात् खूँटा बैलों का । खलेशः, खलेशयः, ( पुं ) दुष्ट आशय । स्खल्या, (स्त्री.) दुष्टा स्त्री | खलों का समुदाय | खल्लः, (पुं. ) कपड़ों का भेद । गड्ढा । निम्न । चमड़ा। मपीहा । दवा घोटने . का पात्र | खल | मसक " भिस्ती के कामवाली " ! स्वली, ( मी. ). बली चढ़ना हाथ पाँव की ! खात्र प्रायः हैज़े की बीमारी में होती है उसकी दवा कूट सेंधानमक चूक तिल का तेल पका कर मालिश करना सहता हुआ अधिक गर्म नहीं मलना । खल्वाटः, (पुं.) इन्द्रलुप्तरोग बार झड़ा ● हुआ सिर । स्खल्विका, ( स्त्री. ) पिसान वगैरह भूंजने -का बरतन । कड़ाही । तसला | खवलरी, (स्त्री. ) त्राकाशबेल । खवली, (स्त्री.) अमरबेल जो पेड़ों पर ही रहती है। इसका गुण वैद्यनिघण्टु में ऐसा लिखा है--- खवली माहिणी तिला पिच्छिलाश्यामयापहा | तुवराऽग्निकरी हृद्या पित्तश्लेष्मामनाशिनी ॥ खवारि, (न.) आकाश का जल खशा, (स्त्री.) तालपत्री । मुरा नाम मुगन्धि पदार्थ | कश्यप ऋषि की स्त्री । दक्ष प्रजापति की कन्या । यक्ष राक्षस की माता । खश्वासः, (पुं.) वायु | हवा | खप्पः, ( पुं. ) क्रोध | बल से करना । खसकन्दः, (पुं. ) क्षीरकंचुकी का वृक्ष । खसमः, (पुं.) बौद्धमतावलम्बी | बुन्न । खसम्भवा, (त्री. ) बुद्ध जातिविशेष | खसा, (स्त्री. ) राक्षसों की माता । खसात्मजः, (पुं.) राक्षसी का पुत्र । खसूमः, (पुं.) विप्रचित्ति का बेटा | खस्खसः, ( पुं. ) पोस्त का दाना १ खसखसरसः, ( पुं. ) अफीम | खस्तनी, ( स्त्री. ) ज़मीन । खस्फटिक, (पुं. ) चन्द्रकान्तमसि | सूर्य्य कान्तमणि | खायसः, ( पुं. ) खसखस का दाना । प्रमाण वैद्यनिघण्टुः । उक्तं च - स्यात् खाखसफलोद्भूतं वल्कलं शीतलं लघुः । आहि तिक्तं कषायं च वातकृत् कफकासहृत् ॥ धातूनां शोषकं रूक्षं मदकृञ्चान्निवर्धनम् । मुहर्मोहक रुथ्यं सेवनति पुंस्त्वनाशनम् ॥ खाङ्गा चतुर्वेदकोष | १४६ खाङ्गाहः, ( पुं. ) सफेद और पीला रंग का घोड़ा मिश्रित रंग का खाजिकः, ( पुं. ) लावा धान इत्यादिक का । खाटिः, (स्त्री.) खराब ग्रह । शराब का सत्त । उपरोक्त अर्थ में खाटिका, ( स्त्री. खाटी, (स्त्री.) } खांडवम्, (न.) चूर्णविशेष | यथा— कोलामलकजं चूर्ण शुरठ्येलाशर्करान्वितम् । मातुलुङ्गरसेनाकं शोषितं सूर्य्यरश्मिभिः ॥ एवं तु बहुशोभ्यक्तं शोषितं च पुनः पुनः । ईषल्लवणसंयुक्त चूर्णं खाण्डवमुच्यते ॥ गुणाः॥ खाण्डवं मुखवैद्यकारकं रुचिधारणम् । हृद्रोगशमनं चेति मुखवैरस्यनाशनम् ॥ भोजनान्ते विशेषेण भोक्तव्यं खाण्डवं सदा ॥ खांडवः, (पुं.) देवराज इन्द्र का वन । अर्थात् नंदन नाम का वन खांडवी, (स्त्री.) पुरीविशेष । खांडिकः, (पुं.) खंडपालक । खंडजीवनी | खंडराज्य | खंडियों का समूह | खातकः, (पुं. ) ऋणी । खाँई कुये के पास जो गढ्ढा जल का हो प्रतिकूप कहते हैं । खेटक, (पुं.) ढाल फलक । दुर्गा के ध्यान में है - खेटकं पूर्णचापं । खेद, (पुं.) दुःख | शोक । हृदय की घबराहट। खय, (न.) खाँई। परिखा । खोदने लायक । खेल, (क्रि. ) हिलाना। जाना । खेलन, ( न. ) क्रीड़ा । खेल । खेलना । खेला, ( स्त्री. ) क्रीड़ा | खेल खेलना । खेद, (क्रि. ) सेवा करना । खेसर, (पुं.) शीघ्र चलने से मानो आकाश में चलती है। अश्वतर । खच्चड़ । अस्तर । एक तरह का पशु | खोट्, (क्रि. ) चाल की रुकावट । खोटि, ( स्त्री. ) चतुर स्त्री | बुद्धिमती । और खचरी स्त्री । खोड़, (क्रि..) लंगड़ा | लूला | खंज | खारः खोर, (क्रि. ) चाल की रुकावट | चाल का टूटना। ख्यात, (त्रि.) जाहिरात प्रसिद्धि वाला । मशहूर । कथित । कहा गया । ख्या, (क्रि. ) कहना | ख्याति, ( स्त्री. ) स्तुति । प्रशंसा | तारीफ | मशहूरी कहना | ख्यापक, (त्रि. ) प्रकाश करने वाला । प्रसिद्ध करने वाला । खातम्, (न. ) पुष्करिणी । तलैया | गड्ढा | खातकः, (पुं.) क़र्जदार । परिखा | खाँई । खात्रं, (न.) खन्ती । फरुहा । कुदार । ज़मीन खोदने के शस्त्र । खातभूः, (स्त्री.) खाँई । कुँयें के समीप जल रुकने की जगह । गड्ढा । खादकः, (त्रि.) खाने वाला। भक्षक। जैसा- विक्रियैर्गोविनिमयैर्दत्त्या गोमांसखादके । व्रतं चान्द्रायणं कुर्याद्वधे साक्षाद्वधी भवेत् ॥ इति गोभिलः । खादनः, (पुं. ) दाँत । आहार । खाना । खादितः, ( त्रि.) लील जाना । निगलना । खा गया । खादिर, (पुं.) यज्ञ का खंभा । खैर का विकार | खादिरसारः, (पुं. ) खैर या खैरसार । खादुकः, (त्रि.) जीवघात की इच्छा वा श्रद्धा | खाद्य:, (त्रि.) खाने लायक चीज । खानः, ) हिंदूधर्म्म लोप करने वाले म्लेच्छजातिविशेष | खानिः, ( स्त्री. ) खान । धातु और जवाहि- रात निकलने की खान जगह को कहते हैं । खानिकम्, (. न. ) भीत में छेदने योग्य अर्थात् आला । ताख । ताखा खानोदकः, (पुं.) नारियल । श्रीफल | खापगा, (स्त्री.) गंगा नदी । खारः, ( पुं..) खारी परिमाण । खारि चतुर्वेदीकोष । १४७ ख्याति त्रभिजित् समेते खारिंपच:, (त्रि.) खारी परिमाण धन की जो रसोई करने वाला । रसोईदार । कड़ाही । खारीवापः, (त्रि.) बोरा | थैला | खार्कारः, ( पुं. ) ग्रदहे के जाती शब्द | खार्जूरः, (पुं ) खार्जूर योग ज्योतिषशास्त्र में है। यथा- योगे विरुद्धे खार्जूरमात् विषमे शशी चेत् । खार्बूजेयम्, ( न. ) खर्वजे का बनता है इसे रसाला का भेद माना है। यथा - मधुरदधिनि मध्ये शर्करां सन्नियोज्य शुचि विदलितखण्डं प्रक्षिपेत् खार्बुजेयम् । करविलुलितमेणैर्वासितं नाभिगन्धै— जिंगमिषु जठराग्नि स्थापयत्येव नूनम् ॥ रसालं खार्बुजस्येदं विष्टम्भि रुचिकारकम् । हृद्यं च कफदं बल्यं पित्तघ्नं मूत्रकृद्वरम् ॥ खिखिः, ( स्त्री. ) लोखरी । स्यार की छोटी जाति होती है लोमड़ी कही जाती है । ख्रिङ्खिरः, ( पुं. ) लोमड़ी । खट्वाङ्ग शिव जी : का एक प्रकार का है । हींनेर ! अर्थात् हाऊबेर भा० । खिदिरः, (पुं. ) चंद्रमा । कुमुन्धु । खिद्यमानः, (त्रि. ) खेदसहित । दीनता - असित । उपतापसहित । खिद्रः, ( पुं. ) रोगी | दरिद्री । थकाई से युक्त । खेटक, ( पुं. ) टाल । फलक । खेलू, (क्रि. ) जाना | हिलाना | खेलन, (न. ) खेल | क्रीड़ा | खिन्नः, ( स्त्री. ) आलसी । खेदयुक्त । होना- | खेला, ( स्त्री॰ ) खेल । क्रीड़ा । खेवू, (क्रि. ) सेवा करना । वस्था वाला जो है । खिरहिट्टी, (त्रि. ) धव का वृक्ष | चिचिड़ी | अपामार्ग | खेसर, (पुं. ) खच्चर । अश्वतर । खोट्, (क्रि. ) चाल का रुकना । खोटि-टी, स्त्री.) चतुरा स्त्री । खोड़, (क्रि. ) चाल का रुकना । खोड, (त्रि.) खञ्ज | लङ्गड़ा । पशु खोर-ल, (त्रि. ) खञ्ज । लङ्गडा | लूला । ख्यात, (त्रि. ) प्रसिद्ध । कहा गया | कथित । ख्या, (क्रि. ) कहना । 1 ख्याति, ( स्त्री. ) प्रशंसा । प्रसिद्धि | स्तुति । खिलम्, ( त्रि. ) हर से जोती हुई जमीन । ब्रह्मा । सूना । खाली । कम् । पहिले न कहा गया से बाकी जो कहा जाय । श्रीसूक्त | शिवसंकल्पादिक । खिलकृतः, (त्रि.) कठिन कृति | खुङ्गाहः, ( पुं. ) काले रंग का घोड़ा । खुज्जाकः, (पुं. ) देवताड़ का पेड़ | खुरली, ( स्त्री. ) तीर चलाना सिखना | अभ्यास करना । खुराका, (पुं. ) पशु को कहते हैं । खुरालकः, (पुं. ) लाहे का बाण | खुरालिकः, ( पुं. ) नाई का संजोह | बाण | ! खुरासानः, ( पुं. ) देशविशेष । खुरासान देश है । यथा - हिड्नुपीठं समारभ्य मक्केशान्तं महेश्वरि । खुरासानाभिधो देशो म्लेच्छमार्गपरायणः || खुल्लम्, (न.) नख नाम का सुगंधद्रव्य | नीच में अल्प | खुलकः, ( पुं. ) नीच | स्वल्प | थोड़ा । . खुल्लमः, (पुं.) मार्ग | रास्ता । खीरकः, (पुं. ) शब्द सहित लाठी या छड़ी । खगसनः, ( पुं. ) कालकंठ नाम का पक्षी | खेचर, (पुं. ) आकाश में विचरने वाला | शिव | सूर्य्यादि ग्रह । विद्याधर मुद्रा विशेष । खेट्, (क्रि. ) खाना । भोजन करना । खेट, (पुं. ) जो चाकाश में घूमे | सूर्यादि ग्रह कफ | ग्रामभेद | मृगया । ( गु. ) नीच | ख्यांप चतुर्वेदीकोष | १४८ व्यापक, (त्रि. ) प्रकाश करने वाला । प्रसिद्ध करने वाला ग ग, (त्रि. ) तीसरा व्यञ्जन कबर्ग का तीसरा अक्षर यह केवल समास में पीछे आता है। जो, जाता है। जाने वाला हिलना । होना ठहरना। रहना । गन्धर्व | गणपति का नाम । छन्दशास्र में गुरु अक्षर के लिये चिह्न 1 ( पुं. ) गीत | गगन, (न. ) आकाश | शून्य | स्वर्ग | गगनध्वज, ( पुं. ) मेघ । सूर्य । गगनेचर, (पुं. ) सूर्य्यादि ग्रह नक्षत्र तारा । पक्षी । देवता । राशिचक्र | गग्ध, (क्रि. ) हँसना | चिढ़ाना | गङ्गा, ( स्त्री. ) जाह्नवी | त्रिपथगा। भागीरथी दुर्गा देवी । गङ्गाज, ( पुं. ) गङ्गा का पुत्र । भीष्म । कार्तिकेय | गङ्गाधर, (पुं. ) शिव । समुद्र | गङ्गापुत्र, ( पुं. ) भीष्म | कार्तिकेय | दोगला | वर्णसङ्कर । घाटिया | गङ्गासागर, (पुं. ) वह पवित्र तीर्थस्थान जहाँ पर गङ्गा सागर में मिलती है । गङ्गोल, (पुं.) रत्नविशेष | गोमेद । गच्छ, (पुं.) वृक्ष | पेड़ । गणित में श्रङ्क- भेद । गजू, (क्रि. ) मद से शब्द करना । मस्त होना । दहड़ना । गरजना | गज, (पुं.) हाथी गिनतीविशेष | श्राठ | मनुष्य के ३० अङ्गल तक का परिमाण । एक दैत्य जो महादेव द्वारा मारा गया था। गजकूर्माशिन्, (पुं.) गरुड़ का नाम । गजगामिनी, ( स्त्री. ) गज के समान भूम कर चलने वाली स्त्री | गजच्छाया (सी.) श्राद्ध करने का समय विशेष सूर्यग्रहण का समय। कुत्रर के C गा. A श्राद्धपक्ष में हस्त नक्षत्र लग जाने के बाद का समय । सैहिकेयो यदा भानुं ग्रसते पर्वसन्धिषु | गजच्छाया तु सा प्रोक्का श्राद्धं तत्र प्रकल्पयेत् ॥ गजता, ( स्त्री. ) हाथियों का समूह | हाथी- पन | मस्ती | गजदन्त, (पुं. ) हाथीदाँत गणेश जी का नाम । गजपुट, ( पुं. ) हाथ भर का गढ़ा । गजप्रिया, ( स्त्री. ) शल्लकी नामक वृक्ष । गजबन्धिनी, (स्त्री.) हाथी बाँधने का घर गजाजीव, (पुं.) महावत । हाथी पालने वाला । हस्तिपालक | गजारि, (पुं. ) सिंह गजानन, (पुं. ) गणेश जी का नाम । गजाह्वय, हस्तिनापुर का नाम । गञ्ज, (पुं. ) भाण्डागार । कान। गोशाला : नीचों का घर । मदिरापात्र । कलारी | ( स्त्री. ) दूकान | हाट मराडी । बाजार । गड्, (कि. ) सींचना । बाहिर निकालना | रस निकालना । गड, (पुं.) मछलीविशेष | विघ्न | अट- काव । खाँई। व्यवधान अन्तर बीच में पड़ गया देशभेद । गड़ि, (पुं.) बच्छा | कामचोर | बैल गडु, (पुं.) मांसवर्द्धक रोग । गलगण्ड | कुबड़ा । बचीं। गडुरि-लि-का, ( स्त्री. ) भेड़ों की पंक्ति | गण, (क्रि.) गिनना गण, ( पुं. ) शिव जी का अनुचर | संख्या | गिनती | सैन्यसंख्याविशेष जिसमें १३२ पैदल, ८२ घोड़े, २७ रथ और २७ . हाथी होते हैं। धातुओं का समूह | तारा | छन्दोग्रन्थ का शब्दविशेष । गणेश जी का नाम । गणक, (पुं. ) दैवज्ञ । ज्योतिषी । गिनने वाला । गरण चतुर्वेदीकोष । १४१० गणदेवता, (स्त्री.) देवसमूह | यथा - १२ आदित्य, १० विश्वेदेवा, ८ वसु, ४६ वायु, १२ साध्य, ११ रुद्र, ३६ तुषित, | ६४ आभास्वर, २२० महाराजिक | आदित्य विश्ववसवस्तुषिता भास्वरानिलाः । महाराजिकसाध्याश्च रुद्राश्च गणदेवताः ॥ गणनाथ, (पुं. १) गणेश । शिव गण का मालिक | सेनापति । । गणरूप, ( पुं. ) अर्क का पेड़ । मदार । झकउवा । गणान्न, (त्रि.) बहुतों के लिये दिया हुआ अन । गणिका, ( स्त्री. ) वह स्त्री जिसके बहुतसे पति हों । वेश्या । रण्डी । हथिनी । गणित, (न. ) अङ्कशास्र गणेरु, ( त्रि. ) कनेर का वृक्ष | हथिनी | वेश्या | गणेश, (पुं. ) गणों का स्वामी | स्वनाम ख्यात देवता ।

गण्ड, (पुं.) हाथी का गाल । गैंड़ा । चिह्न । वीर। घोड़े का भूषण | बुलबुला स्फोटक । कोड़ा । पिटारा । योगविशेष | गण्डक, (पुं. ) पशुविशेष | गैंड़ा । चार की गिन्ती ( गएडा ) । रुकावट निशान | | गण्डकी, स्त्री. ) एक नदी जिसमें शालग्राम को शिलाएँ मिलती हैं। गण्डगात्र, (न.) सीताफल | चेचक | गण्डमाला, ( स्त्री.) फोड़ों की पंक्ति | रोग विशेष | गण्डशैल, (पुं. ) पर्वत से गिरे हुए मोटे पत्थर ललाट मस्तक | गण्डु, (पुं. बी. ) गाँठ । उपधान | तक्रिया | गण्डूपद, (पुं. ) केंचुश्रा । गण्डूष, (पुं.) मुँह भर पानी । हाथी की सूँड़ की नोक । हाथ की अङ्गुली । गत, (त्रि.) जाना गया। लाभ किया गया। गिर गया। समाप्त हुआ । गन्ध गतागत, (न. ) गया और आया । पक्षी की चाल विशेष | गतार्त्तवा, ( स्त्री. ) बाँझ स्त्री | गर्भ धारण न करने वाली स्त्री । जिसका रजोधर्म बन्द हो गया हो । गति, ( स्त्री. ) जाना । पथ । ज्ञान | पहुँचना | दशा । यात्रा । उपाय । कर्म- फल । गद, ( पुं.) रोग | श्रीकृष्ण के छोटे भाई का नाम | विष | कहना | गढ़ा, ( स्त्री. ) लोहे का अस्त्र । पाटला पेड़ गदाग्रज, ( पुं. ) गद का बड़ा भाई । 10 श्रीकृष्ण | गंदाधर, (पुं. ) श्रीकृष्ण गदाराति, ( पुं. ) दवाई । गद्गद, (पुं. ) अव्यक्त और अस्फुट शब्द | गिड़गिड़ाना | गद्य, (त्रि. ) यह रचना जिसमें कविता न हो। मंत्री (स्त्री.) वैलों की गाड़ी | जाने वाली । गन्धू, ( कि. ) वैर करना । गन्ध, (पुं. ) लेश | गन्धक । अहङ्कार सुहाँजना | महक घिसाहुआ चन्दनादि । गन्धकचूर्ण, ( पुं. ) बारूद । गन्धकाष्ठ, (न. ) अगुरु चन्दन | गन्धक्षा, ( श्री. ) नासिका | नाक | गन्धतैल, (न. ) अतर आदि । गन्धत्वचू, (स्त्री.) इलायची । गन्धद्ला, ( स्त्री. ) अजमोद | अजवाइन | गन्धन, (न. ) उत्साह | दिलेरी | प्रकाशन | चुगली हिंसा मारना गन्धपाषाण, (पुं.) गन्धक गन्धबन्धु (पुं.) आम का पेड़ | गन्धमांसी, (स्त्री. ) जटामांसी । गन्धमादन, (पुं. न. ) पर्वतविशेष | भौंरा । बन्दर गन्धक |

गन्धमादिनी, (बी. ) लाख | सुरा । गन्ध

'चतुर्वेदीकोष । १५० गन्धमुखा, (स्त्री.) छछूंदर | गन्धमृग, ( पुं. ) कस्तूरी मृग । गन्धराज, (न. ) चन्दन । गुग्गुल | वृक्ष विशेष । गन्धर्व, ( पुं. ) मृगभेद । घोड़ा वर्ग के गायक गन्धर्वलोक, (पुं. ) गुह्यलोक के ऊपर और विद्याधरों के लोक के नीचे का लोक । गन्धर्ववेद, (पुं.) सामवेद का उपवेद । सङ्गीतविद्या | गन्धवती, (स्त्री.) व्यासदेव की माता । पृथिवी । वायु और वरुण की नगरी । मद्य । . गन्धवल्कल, ( न. ) दारचीनी । गन्धदार छिलके वाली । बड़ी गन्धवह, (पुं. ) वायु । नामक | गन्धवाह, (पुं.) हवा । नासिका । गन्धवीजा, (स्त्री.) मैथी का साग । गन्धशाली, (पुं.) चावल जिनमें सुगन्धि होती है । गन्धसार, (पुं. ) चन्दन का वृक्ष | गन्धसोम, (न. ) कुमुद का फूल | गन्धा; ( स्त्री. ) चम्पे की कली । गन्धाजीव, (पुं. ) गन्धी । गन्ध पदार्थ बेच कर आजीविका करने वाले । गन्धाढ्य, (पुं.) चन्दन वृक्ष | नागरङ्ग वृक्ष । गन्धार, (पुं. ) राग । सिन्दूर | देशभेद । गन्धिनी, ( स्त्री. ) मद्य | गन्धोत्तमा, (स्त्री.) मदिरा। शराब गभस्ति, ( पुं. ) किरण । सूर्य । गभस्तिमत्, ( पुं.) सूर्य । प्रभाकर । तेजस्वी | गभस्तिहस्त, ) । दिवाकर | गभीर, (त्रि.) बहुत गहरा । गहन । गम्, (क्रि. ) जानी । गम, ( पुं ) जुआ विशेष | जाना । मार्ग । गई, i गमक, (त्रि. ) बोधक | समझाने वाला । प्रमाण । जताने वाला । गम्भीर, (त्रि. ) नीचे का स्थान | मन्द | गहरा । जम्बीर | कमल । ऋग्वेद का मंत्रविशेष । गम्भीरवेदिन, ( पुं. ) चिरकाल से शिश्चित । हाथी । गय, ( पुं. ) एक दैत्य का नाम | एक बन्दर | राजा विशेष । गया, ( स्त्री. ) तीर्थविशेष जो मगध देश में है । गर, (क्रि. ) निगलना | बोलना | पुकारना । बुलाना (पुं.) विष | रोग | पाँचवाँ करण | गरल, (न. ) विष । तिनकों का मूल । गरिमन्, ( पुं . ) गौरव । बड़ाई । गरिष्ट, (त्रि.) बहुत बड़ा । गरुड़, (पुं.) विनता के गर्भ से उत्पन्न | कश्यप- पुत्र | विष्णुवाहन | सपों का बैरी पक्षिराज | गरुड़ध्वज, ( पुं. ) विष्णु । गरुड़पुराण, (न. ) अष्टादश पुराणों में से एक । P गरुत्, (पुं. ) पर पट्स । गरुत्सत्, ( पुं. ) पर वाला | गरुड़ । प्रत्येक पक्षी । गर्ग, ( पुं. ) ब्रह्मा का पुत्र | मुनिविशेष | गर्मा- चार्य यदुवंश के प्रसिद्ध पुरोहित | गर्गरि, ( स्त्री. ) कलश । घड़ा । मच्छ विशेष । ( पुं.) जवान पशु । गगरी । गर्ज, ( क्रि॰ ) बड़े ज़ोर का शब्द करना गर्जर, (न.) गाजर गर्जित, (न.) मेघ का शब्द । मत्त हस्ती | गरजना गर्त्त, ( पुं. ) गढ़ा । स्त्रियों का नितम्ब देश | रोगविशेष । गर्छु, ( क्रि. ) शब्द करना । गईभ, (पुं. ) गधा | खर । चिट्टा | कुमुद | गईभी ( स्त्री . ) गधी । गर्दभाण्ड, (पुं. ) पाकर का वृक्ष । गई गई, (क्रि. ) लाभ करने की इच्छा करना । गर्द्ध, (पुं.) बड़ी चाह । अतिशय स्पृहा । वृक्षविशेष । _गर्द्धन, ( त्रि. ) लोभी । गर्भ, (क्रि. ) जाना । गति । गर्भ, (पुं.) मांसपिण्ड । कुक्षि । बच्चा नाटक में सन्ति का भेद । अन्न | आग । पुत्र | गङ्गा आदि नदियों के पास का स्थान ।

चतुर्वेदीकोष । १५१. का रोग | कृष्णपक्ष की ४थी, ७मी, ८मी, हमी, १३शी आदि दिन गलग्रह कहे जाते है | ऐसा दिवस जिसमें अध्य यन श्रारम्भ हो किन्तु अगले दिन ही अन- ध्याय हो जाय । अपने आप बिसाई विपत्ति | मछली की चटनी | गलस्तनी, (बी.) बकरी | जिसके गले में धन हों । गलहस्त, (पुं. ) अर्द्धचन्द्र | गलहत्या । गरदनिया | गर्भक, (पुं. ) केशों के बीच की माला । गर्भगृह, ( न. ) घर के बीच का कोठा । गलित, (त्रि. ) पिघला हुआ । पतित । गर्भाशय । गल्या, ( स्त्री. ) गलों का समूह | गल्ल, (पुं.) गाल | गण्ड । कपोल । राल्लक, ( पुं. ) पानपात्र | शराब का गर्भव, (पुं. ) वृक्षविशेष । गर्भवती, (स्त्री.) गर्भ वाली स्त्री | गर्भस्राव, (पुं. ) प्रसूतिकाल उपस्थित होने के पहले ही किसी कारण से गर्भस्थ बालक का बाहर गिरना | गर्भाधान, (न.) गर्भ का ठहराना । सोलह संस्कारों में से एक संस्कारविशेष | गर्भाशय, (न. ) गर्भ की झिल्ली । गर्भिणी, ( स्त्री. ) गर्भवती स्त्री | गर्व, (क्रि. ) अभिमान करना | गर्व, ( पुं. ) घमण्ड | अभिमान | अहङ्कार | गर्वाट, (पुं.) चौकीदार । दरवान द्वार- पाल । गई, (क्रि.) निन्दा करना । गर्ह्य, ( गु. ) निन्दा के योग्य | नीच । अयोग्य गर्ह्यवादिन, ( पुं. ) निन्द्रा वाक्य बोलने वाला । गल, (क्रि.) खाना | गल, (पुं. ) कण्ठ | गला । बाजा । मच्छी । धूना । गलकम्बल, (पुं.) गौ के गले के नीचे 1 गाण्डि लटकता हुआ चमड़ा । गलगण्ड, (पुं. ) रोगविशेष । गलग्रह, (पुं. ) गला पकड़ना । एक प्रकार : प्याला । गवच, (पुं.) वानविशेष | गवल, (पुं.) बनैला मैंसा | गवाक्ष, (पुं.) झरोखा । खिड़की । गवेप्, (क्रि. ) खोजना | ढूँढ़ना । गवेषणा, ( स्त्री. ) अन्वेषण । खोज । गव्य, (गु.) गौ सम्बन्धी । दूध । दही । मक्खन | गोवर । गोमूत्र | पीला । गव्यूति, ( स्त्री. ) क्रोशयुग । दो कोस । जिस स्थान पर गौएँ मिलें । गह्, (क्रि. ) गाढ़ा होना । कठिनता से प्रवेश करना | गहन, ( न. ) जङ्गल । गह्वर । दुःख । दुर्गम गहर, (पुं.) निकुञ्ज | गुफा | वन | रोना | पाखण्ड । कठिन स्थान | गा, (क्रि.) जाना | स्तुति करना । गाङ्गेय, (पुं. ) भीष्म । गङ्गापुत्र | सोना । धनूरा गाढ, ( गु. ) अतिशय । दृढ़ | पक्का | सेवित | गाणिक्य, (न. ) वेश्या । रण्डी । गाण्डि, (गु.) गाँठ वाला । गाण्डिव, ( पुं. ) अर्जुन । धनुषधारी अर्जुन वृक्ष | गात्र चतुर्वेदीकोष । १५२ ढीला गात्र, ( किं. ) शिथिल पड़ना । पड़ना । गात्र, (न. ) देह | शरीर । हाथी के आगे की जा | गाथा, ( स्त्री. ) प्राकृत | देशी भाषा में रचा हुआ श्लोक अथवा गीत । गाधू, (क्रि. ) ठहरना । गुथना । पाने को इच्छा करना । गाध, (पुं.) स्थान । लिप्सा | बुछ कुछ गहरा । गाधि, ( पुं. ) कन्नौज का चन्द्रवंशी एक राजा । विश्वामित्र के पिता का नाम । गाधिज, (पुं.) विश्वामित्र । गाधेय, ( पुं. ) विश्वामित्र । गान, (न. ) गीत | ध्वनि । सुर गान्दिनी, ( स्त्री. ) गङ्गा । यादववंश में अक्रर की जननी । गान्धर्व, (पुं. ) गन्धर्वसम्बन्धी विवाह, विवाह जो वर कन्या की इच्छानुसार हुआ हो । -वेद, सामवेद का एक उपवेद । सङ्गीतशास्त्र | गान्धार, (पुं.) रागविशेष । कन्धार देश में उत्पन्न । ( न. ) गन्धक । गान्धांरराज, (पुं.) दुर्योधन का नाना सुबल, उसका पुत्र शकुनि, दुर्योधन का मामा । गान्धारी, (स्त्री.) दुर्योधन की माता । धृतराष्ट्र की स्त्री | गान्धिक, (पुं. ) गंन्धी । इत्र, तेल बेचने वाला | गायत्री (स्त्री.) जो गाते हुए को बचावे । वेद का मंत्रविशेष । छः वा आठ अक्षरों के पाद का बन्द | गायन, (त्रि.) गानोपजीबी । गान द्वारा पेट पालने वाला । गारुड़, (न. ) मरकतमणि । विष का मंत्र | स्वर्ण | गारुडिक, (पुं. ) विषषैद्य । गुग्गु i गारुमत् (न. ) जिसका देवता गरुड़ हो । मरकतमणि । गार्हपत्य, ( पुं. ) एक प्रकार के यज्ञ का अग्नि । गार्हस्थ्य, ( गु. ) गृहस्थों का अनुष्ठेय कर्म । गृहस्थों का धर्म । गालव, (पुं. ) बोध का पेड़ | एक मुनि का नाम । गालि, ( पुं. ) शाप । निन्दा | बुरा वचन | गाहू, ( कि. ) बिलोना । भली भाँति देखना गिर-रा, ( स्त्री. ) वाक्य | वचन | वाणी । गिरि, ( पुं. ) पहाड़ । पर्वत । दसनामी गुसाई संन्यासियों में से एक की उपाधि । ( स्त्री.) बालमूषिका । गिरिज, (न. ) बादल | लोहा | शिलाजीत | गौरी । पार्वती । गिरिदुर्ग, ( न. ) पहाड़ी गढ़ । गिरिभिद्, ( पुं. ) इन्द्र गिरिश, ( पुं. ) पर्वत पर सोने वाला | शिव | गिरिसुत, ( पुं. ) पर्वत का पुत्र । मैनाक नामक पहाड़। (स्री. ) पार्वती । गिरीश, (पुं.) महादेव । शिव । गिलित, ( गु. ) खाया हुआ | गीत, ( न. ) गाना | गीता, (स्त्री. ) गुरु और शिष्य की कल्पना से उपदेश के रूप में दी हुई शिक्षा | गीति, (स्त्री.) गाना | आर्य्या छन्द विशेष | गीर्णि, ( स्त्री. ) खाना । स्तुति | बड़ाई | गीर्वाण, .) वाणी ही जिसका शर है । देव । गोष्पति, (पुं. ) वाणियों का स्वामी । देव- गुरु बृहस्पति । गु, (क्रि. ) शब्द करना । मल का छोड़ना । गुग्गुल, ( पुं. ) गन्धद्रव्य | यह धूनी देने के काम में लाया जाता है। लाल सुहाँजना | गुच्छ चतुर्वेदीकोष । १५३ गुच्छ, (पुं.) गुच्छा | स्तवक बाइस लड़ियों का हार । मोर का पर। मोतियों का हार । गुत्स, (पुं.) ताल वृक्ष । इसका प्रत्येक पत्ता गुच्छे जैसा होता है | गुच्छफल, (सं.) रीठा । करजा | इमली । अग्निदमनी केला । दाख आवाज करना । गूजना | कूकना । गुञ्ज, ( स्त्री. ) लताविशेष । मापभेद । नगाड़ा | मीठी और श्रीमी आवाज | कलारी । रत्ती । गुटी, ( स्त्री. ) गोली | वढी । मूर्ति । गुठू, (क्रि.) लपेटना गुड्, (क्रि. ) लपेटना | तोड़ना | रोकना | गुड, (, पुं.) गोल हाथी का फन्दा | गुड़ | गुडत्वक्, (सं.) मीठी छाल वाला । दालचीनी | गुडपक्ष, (पुं.) मधूक । महुआ । गुड़ाकेश, (पुं. ) नींद को वश में करने वाला । शिव । अर्जुन । गुडुची, (स्त्री. ) गिलोय | गुर्च । गुण, (पुं.) रोदा | प्रत्यचा । धनुष खींचने की रस्सी | तन्तु | दुहराना । दूर्वा घास | गुणक, (पुं.) वह राशि जिसके साथ गुणा जाता है। गुणवृक्षक, (पुं. ) मस्तूल | गुणित, (गु. ) चोटिल। पूरित । . गुणिन्, (पुं. ) धनुष । गुणीभूतव्यङ्गन्य, (न. ) अलङ्कार हुआ मध्यम काव्य | में कहा . गुण्डिक, ( पुं. ) पिसे हुए चावल आदि । गुद्, (क्रि.) खेलना । गुद, (न. ) गुदा । मलद्वार | गुदकील, (पुं.) बवासीर रोग । गुधू, (क्रि. ) रोकना | लपेटना | गुप्, (कि. ) निन्दा करना | बचाना। घबराना । गुप्त, ( ग्र.) रक्षित | छिपाया हुआ । वैश्य की संज्ञा | गुहाँ गुप्ति, ( स्त्री. ) किसी राजा का निज नगर | दूसरे का नगर । रक्षा। पहरा । बन्दीगृह | पृथिवी का गढ़ा | मैला डालने का स्थान । यम । गुफ्, (क्रि. ) ग्रन्थ | गाँठना । गुम्फ, ( पुं ) बाहु का भूषण | बाजू | जोशन । डाढ़ी । गुस्फित, (गु. ) गुथा हुआ । गुरु, (क्रि.) मारना । जाना । यत्न करना । कष्ट देना । हानि पहुँचाना | गुरु, ( पुं. ) जो अज्ञान को दूर कर, धर्मों- पदेश करता है । पिता | वेद पढ़ाने वाला आचार्य । शास्त्र पढ़ाने वाला | सम्प्रदाय चलाने वाला । बृहस्पति । पुष्यतारा | दो मात्रा दीर्घस्वर वाला वर्ण । बिन्दु और विसर्ग वाला एकमात्र | द्रोणाचार्य | बलवान् । भारी । पूजने योग्य | माननीय | बड़ा । गुरुतल्पग, (पुं.) गुरु की सेज पर जाने वाला । सौतेली माता के पास जाने वाला । गुर्जर, ( पुं. ) गुजरात देश । गुर्विणी, ( स्त्री. ) गर्भवती स्त्री । गुर्वी, ( स्त्री. ) गर्भवती । बड़ी स्त्री | आदर योग्य स्त्री | गुल्फ, (पुं.) पावों की गाँठें । गट्टा | गिटुश्रा | गुल्म, (पुं. ) प्रधान पुरुषों से युक्त रक्षकों का दल जिसमें 8 हाथी, ६ रथ, २७ घोड़े, ४५ पैदल हों । रोगविशेष । झाड़ी । तिल्ली का रोग | गुल्ममूल, (न. ) अदरक गुल्मवल्ली, ( स्त्री. ) सोमलता । गुवाक, (पुं.) सुपारी । पूगीफल | गुहू, (क्रि. ) संवरण करना । छिपाना । गुह, ( पुं. ) कार्तिकेय । घोड़ा । शृङ्गवेरपुर के निषादों का राजा और श्रीरामचन्द्र जी का मित्र | गढ़ा | विष्णु । सिंहपुच्छी बेल । गुहाशय, ( पुं. ) अज्ञान । सिंह । हृदय । जीत । ईश्वर अर्थात जो गढ़े में सोता है । गुह्य A · । गुह्य, (त्रि.) पाखण्ड । परमात्मा । एकान्त । भग । लिङ्ग । ( न. ) रहस्य | छिपाने के योग्य | चतुर्वेदीकोष । १५४ गुह्यक, (पुं.) मुख जिसका छिपा हुआ हो । देवयोनिविशेष | कुबेर के धन को बचाने वाले । (क्रि. ) मल त्यागना । गूढ़, (त्रि.) गुप्त छिपा हुआ । ढका हुआ । ८ गहन । एकान्त | गूढज, ( पुं.) छिपा कर पैदा हुआ । बारह प्रकार के पुत्रों में से एक गूढपाद, (पुं. ) सर्प । साँप गूढपुरुष, (पुं. ) जासूस । भेदिया । गूढ़मैथुन, ( पुं. ) काक । गूढाङ्ग, ( पुं. ) कच्छप | कछुआ । गूथ, (पुं. न. ) विष्ठा । मल । गूरू, (क्रि. ) उद्योग करना | मारना । जाना । ग्रु, (क्रि. ) सींचना । गृज् (क्रि. ) शब्द करना । गृञ्जन, ( पुं.) गाजर | विषैले पशु का मांस | गृधू, ( क्रि. ) लोभ करना | लालच दिखाना | गृध्नु, ( गु. ) लोभी । गृध, ( पुं. ) गाँध | शकुनि । लोभी । गृध्रराज, (पुं. ) गरुड़पुत्र जटायु | पक्षियों का राजा । गृष्टि (स्त्री.) एक बार व्याने वाली गौ । बराहक्रान्ता | काश्मरी । गृह, (क्रि. ) ग्रहण करना । लेना | पकड़ना । गृह, ( न. ) घर कलत्र | स्त्री । नाम | जब यह शब्द एक घर के अर्थ में प्रयुक्त होता है तब यह नपुंसक लिङ्ग होता है और जब एकसे अधिक घरों के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है; तब यह पुंलिङ्ग होता है । गया मेघदूत में -- " " तत्रागारं धनपतिगृहान् | गृहपति, ( पुं. ) घर का स्वामी । मंत्री | धर्म । गोक गृहमणि, (पुं. ) प्रदीप | दीपक | दीवा । गृहमृग, ( पुं. ) कुत्ता । गृहमेधिन्, ( पुं. ) गृहस्थ गृहमेघीय, (पुं. ) गृहस्थों के धर्म । गृहयालु, ( त्रि.) लेने वाला । गृहस्थ, ( पुं.) घर में रहने वाला । गृही । द्वितीय श्रम वाला एकान का गृहागत, ( पुं. ) अतिथि । आगन् पाहुना । गृहावग्रहरा ( स्त्री. ) देहली । देहरी । दहरी । डेवढ़ी गृहिणी ( स्त्री. ) घर वाली पत्नी घर- सम्बन्धी कार्य में चतुरा स्त्री । गृहिन्, ( पुं. ) गृहस्थ । गृहीत, ( त्रि.) स्वीकृत | प्राप्त | जाना हुआ | पकड़ा गया । गृहनर्दिन्, (पुं. ) घर में डींगें मारने वाला और युद्धक्षेत्र में पीठ दिखाने वाला । भीरु । डरपोक । गृह्य, (पुं.) घर में फँसा हुआ। पशु पक्षी मलद्वार | वेदविहित कर्मों के प्रयोगों को बताने वाला ग्रन्थविशेष पराधीन | घर का । । गृ, ( कि. ) जताना | शब्द करना । निगल जाना । गेन्दुक, ( पुं. ) गेन्द | गद्दा गेय, (त्रि. ) गवैया | गान । गीत | गेह, (न. ) घर | गै, (क्रि.) गाना | गैरिक, (न. ) गेरू | सोना । । गो, (पुं. ) बैल | स्वर्ग । किरन । वज्र । जल | पशु । चन्द्रमा । वायु सूर्य । औषध विशेष | गाय । दृष्टि । तीर । दिशा । माता । वाणी ।" भूमि । ) गौ जैसे कान वाला । बछड़ा। खच्चर 1 एक तीर्थ का नाम । पशुभेद | गणदेवता का भेद । गोकर्ण, (! चतुर्वेदीकोष । १५५ ● गोकी गोकौल, ( पुं. ) मूसल । हल । गोकुल, (न. ) वह स्थान जहाँ गौत्रों का समुदाय हो । गोष्ठ । गौशाला । यमुना के समीप नन्द गोप का निवासस्थान | गोघ्न, (पुं. ) कसाई । अतिथि । गोचर, ( पुं. ) गौ के चरने की भूमि । नहास्याह । इन्द्रियों के विषय | जन्मराशि स्थान में सूर्यादि ग्रहों ज्ञान का जाना । गोजिह्वा, ( स्त्री. ) लताविशेष | गोणी, ( स्त्री. ) पुराना पात्र | आवपन पात्र । एक प्रकार का माप । गोतम, (पुं. ) ब्रह्मा का पुत्र | मुनिविशेष | गोत्र, (पुं.) पृथिवी को बचाने वाला । पर्वत | वन । खेत | घर | वंश । नाम रास्ता । छाता | जातिसमूह | मनुकथित शाण्डिल्यादि चौबीस आदिपुरुष । गोत्रभिद्, (पुं.) पहाड़ों को फोड़ने वाला | गोत्रा, ( स्त्री.) पहाड़ों वाली । धरती । धरा । गौत्रों का हेड़ । गोदन्त, ( न. ) हरिताल । गौ के दाँतों के समान अवयव वाला । गौ का दाँत । गोदारण, ( न. ) लाङ्गल | हल । कुदाल | गोदावरी, ( स्त्री. ) दक्षिण भारत की एक नदी जिसके तट पर बसे हुए मुख्य नगरों में से एक नासिक है । गोधा, (स्त्री.) भुजा को बचाने के लिये चमड़े का पट्टा जिसे धनुषधारी भुजा पर बाँधते हैं। गोधूम, ( पुं.) कनक | गेहूँ । एक प्रकार का धान । गोधूलि, ( पुं. ) गोचर भूमि से गौत्रों के की बेला । सूर्यास्त का समय | साँझ | गोनदर्दीय, (पुं. ) गोनर्द देश के समीप उत्पन्न हुआ। व्याकरणकर्त्ता पाणिनि मुनि । गोल गोनस, ( पुं.) जिसकी नासा के समान है । एक प्रकार का साँप । गोपति, (पुं. ) गौधों का पति । बैल | 'साण्ड | शिव । पृथिवीपति । श्रीकृष्ण | सूर्य | इन्द्र | ऋषभ नाम औषध । गोपा, ( स्त्री. ) श्यामा लता । गोपानसी, ( स्त्री. ) छज्जा । परदा डालने के लिये दीवार पर गड़ी हुई लकड़ी । गोपाल, (पुं. ) गोप | अहीर | राजा | नन्द- राजा का पुत्र | गोपुर, (न. ) पुरद्वार। शहर का द्वार । गोप्य, ( ग्रु, ) रक्षा के योग्य | छिपाने योग्य । ( पुं ) गोपीसमूह | ग्रोमती, ( स्त्री. ) नदीविशेष वेद का मंत्र विशेष । गोमय, ( पुं. न. ) गोबर | गौ जैसा । •गोमायु, ( पुं. ) शृगाल | गीदड़ | सियार | गन्धर्व । गोमिन, ( त्रि. ) गौधों का स्वामी | गीदड़ | गोमुख, (पुं.) यक्षविशेष । नक्र । तेंदुआ । तिरछा घर । एक प्रकार का बाजा। लेपन | जपमाला की गोमुखी । गुप्ती | गङ्गोत्री | गोमूत्रिका, ( स्त्री. ) लताविशेष | काव्य की रचना विशेष | गणित में ग्रहस्पष्ट की एक रखा | गोमेद, ( पुं. ) मणिविशेष | जवाहर | द्वीप भेद । टापू । गोमेध, (पुं. ) यज्ञविशेष जिसमें पशु के • स्थान पर गौ रखी जाती है। गोरोचना, ( स्त्री. ) हल्दी जो गौ से उत्पन्न हुई हो । गौ के मस्तक से निकला पीले रङ्ग का पदार्थ । गोल, ( पुं. ) चारों ओर से गोल । मदन का पेड़ । पति के मरने पर जार से उत्पन्न हुआ पुत्र । भूगोल । आकाशमण्डल | एक राशि पर छः .. ग्रहों का एकत्र होना । गोलक । लकड़ी की गेंद । गोला गोलाङ्गूल, १ पुं. ) गौ के समान काली पूँछ वालो । लङ्गर । वानरविशेष | गोलोक, (पुं. न. ) बैकुण्ठ की दहिनी ओर का स्थान । लोकविशेष । गोवर्द्धन, (पुं.) ब्रज का एक पर्वतविशेष | गौत्रों को बढ़ाने वाला । गोवर्द्धनघर, ( पुं. ) पर्वत उठाने वाला | श्रीकृष्ण | गोवर्धननाथ । गिरिधारी । गोविन्द, (पुं. ) श्रीकृष्ण | बृहस्पति । गौच का स्वामी ! गोष्ठ्, (क्रि.) इकट्ठा होना । गोष्ट, (न.) गौशाला | ग्वालजर | गोष्ठी, ( स्त्री. ) सभा | समिनि । गोष्पद, (न. ) गौ के खुर का चिह्न जो नम धरती पर बन जाता है। देश जिरो गौएँ सेवन करती हों । चतुर्वेदीकोष । १५६ . गोसेव, ( पुं. ) गोमेध यज्ञ । गोस्तन, ( पुं. ) गौ के स्तन जैसा गुच्छा वाला । गौ का स्तन | चार लड़ों का हार । गोस्तनी, ( स्त्री. ) एक प्रकार की दाख । गोस्थानक, (न.) देखो गोष्ठ । गौड, ( पुं. ) नगरविशेष । जो बङ्गाल से भुवनेश तक है । उस देश के अधिवासी । विन्ध्याचल के उत्तर जो देश है उसमें बसने वाले ब्राह्मण विशेष । गौडी, ( स्त्री. ) मद्यविशेष । मिठाई । अलङ्कार में एक रीति विशेष । गौण, (त्रि. ) अमुख्य । छोटा | दूसरा | • व्याकरण में प्रधान का विरोधी । गौणपक्ष, (पुं.) निर्बल पक्ष । गौणिक, ( त्रि. ) छोटा । लघु | तीन गुणां सत्त्व, रज, तम ) वाला । गौतम, (पुं. ) गौतम के वंशधर अथवा उनकी शिग्यपरम्परा के लोग । नचिकेता का पिता जिसका नाम शतानन्द था । शाक्यसिंह | भरद्वाज ऋषि । बुद्धदेव का नाम न्यायश स्त्र के प्रणेता । ग्रहं गौतमी, ( स्त्री . ) गौतमसम्बन्धी | गौतम- रचित सोलह पदार्थों वाली विद्या | गोदा- वरी नदी । राक्षसीविशेष | द्रोण की स्त्री कृपी । बुद्धदेव की विद्या । गोरोचना | कराव मुनि की बहिन । दुर्गा 1 गौधार, ( पुं. ) गोधापुत्र । गिरगिट । गौर, (पुं.) सफेद वर्ण चन्द्र | धव वृक्ष । त्रिशुद्ध | साफ स गौरव, (न. ) बड़प्पन | मान । गौरी, ( स्त्री.) पार्वती । शिवपत्नी । रज- रहित आठ वर्ष की अविवाहिता कन्या की संज्ञा । हल्दी । गोरोचना । नदी । मजीठ | तुलसी | सुवर्ण कदली । आकाश- माँसी । रागिनीविशेष । | गौरीशिखर, ( न. ) हिमालय की एक चोटी । जहाँ पर गौरी ने तप किया था । गौष्ठीन, (न.) पुरानी गौशाला । प्रधू, (क्रि. ) टेढ़ा करना | तिरछा करना गूँथना | रचना | ति, ( त्रि. ) गुफ । मारा गया । दनाया गया । ग्रन्थ, ( पुं. ) गुम्फन | धन | शास्त्र | अनुष्टुप् छन्द वाला पद्य । पुस्तकरचना | प्रन्थि, ( पुं. ) गाँठ | वृक्षविंशप बंधन रोगविशेष । थैली । धन | पोशाक | शरीर के जोड़ । ढिठाई | झूठ । ग्रन्थिभेद, (पुं. ) गठकटा | चोर | ग्रन्थिमूल, (न. ) गाजर ग्रन्थिल, (न. ) गठीला । पिपलीमूल | मद्य । अदरक । ग्रसू, (क्रि. ) खाना । ग्रस्त, (न.) खाया गया। आधा बोला हुआ वाक्य ! ग्रह, (क्रि. ) पकड़ना । ग्रह, (पुं.) सूर्य्यादि नवग्रह । हटके वशीवर्ती होकर पकड़ना । अनुग्रह । युद्ध का उद्यम । बालकों को दुःखदायी पूतनादि बालग्रह | ग्रह चतुर्वेदीकोष । १५७, ग्रहण, (न. ) स्वीकृति । मान लेना | लेना । आदर | बन्धन | चन्द्र व सूर्य का प्रास | इन्द्रिय | ग्रहिणीहर, (न.) लौंग । ग्रहणी रोग को दूर करने वाली । ग्रहपति, (पुं. ) ग्रहों का स्वामी । सूर्य । ग्रहाधार, ( पुं. ) ग्रहों का आधार | ध्रुव नामक नक्षत्र विशेष | ग्राम, (पुं.) गाँव | समूह | स्वरभेद । राग का उठान । ब्राह्मणादि वर्गों का वासस्थान | वह स्थान जहाँ खेत हों और जहाँ विशेष कर शुद्र रहते हों । श्रामगृह्या, ( स्त्री. ) ग्राम की रक्षा के लिये ग्राम के बाहिर रहने वाली सेना | श्रामणी, (पुं. ) नापित । नाई । पति । प्रधान । कोतवाल | वेश्या । नीतिका ( स्त्री ) | ग्रामधर्म, (पुं.) गाँव का धर्म | मैथुन । ग्रामयाजक, (पुं. ) ग्रामवासी अनेक वर्णों को यज्ञ कराने वाला नीचकोटि का ब्राह्मण | ग्रामीण, ( पुं. ) गाँव का | कुत्ता काक | आम का शूकर । ग्रामोत्पन्न ग्राम्य, (त्रि. ) आमोत्पन्न | गाँव का | प्राकृत | गँवार | नीच | मूढ़ । मिथुनादि राशिभेद । भाण्ड आदि का गालीसूचक वचन | श्रावन, ( घुं ) पत्थर । बादल । दृढ़ । ग्रास, (पुं.) कवर | कौर । ग्राह, (पुं. ) पकड़ना । लेना । जानना । मगर । नक | जलजीव । ग्राहक, (पुं.) सपेरा । राजपक्षी । मोल लेने वाला। प्राह्य, (त्रि. ) लेने योग्य । उपादेय | ग्रीवा, ( स्त्री. ) गरदन । ग्रीष्म, (पुं.) निदाघ । पसीना पसीना निकालने वाला सूर्ग्याताप आदि जेठ का महीना। . चू, (क्रि. ) चोरी करना । य, (न. ) गले का आभूषणविशेष । ग्रीवा सम्बन्धी | घटो ग्रैवेय, (न. ) कण्ठाभरण | गते का गहना | ग्लस, (क्रि. ) खाना | ग्लहू, (क्रि. ) पकड़ना । जु । ग्लह, (पुं.) जुए का दाँव । जुआ । पाँसा ग्लानि, ( स्त्री. ) घृणा | घबराहट । थकान | हानि | बीमारी | ग्लांस्नु, ( त्रि. ) ग्लानियुक्त | थका हुआ । घबराया हुआ | ग्लुच, (क्रि. ) चोरी करना । ग्लुञ्चू, (क्रि. ) चोरी करना और जाना । ग्लेपू, (क्रि. ) देना. | निर्धन होना । दुःखी होना कोपना | जाना। हिलना । ग्लेवू, (क्रि. ) सेवा करना । पूजा करना । • ग्लेष, (क्रि.) ढूँढ़ना । खोजना | ग्लै, (क्रि.) कष्ट का अनुभव करना | घबड़ाना | थक जाना । ग्लौ, ( पुं. ) चन्द्रमा | कपूर । पृथिवी । घ घ, कवर्ग का चौथा अक्षर घ, (पुं. ) घण्टा । घर्घर शब्द । यह समास में शब्द के पीछे जोड़ा जाता है। मारना । ताड़न करना । नाश करना । घष्, (क्रि. ) प्रकाश डालना । बहना | घग्घ, (क्रि.) हँसना । उपहास करना । चिढ़ाना | घटू, (क्रि. ) काम करना । यत्न करना । शब्द करना । घट, (पुं.) घड़ा जलघड़ी । का सङ्केत | परिमाणविशेष । घटक, (त्रि.) दलाल । वाक्य के बीच में पड़ने वाला पदार्थ दियासलाई बनाने वाला । घटना, ( स्त्री. ) एकत्र करना । जोड़ना । हाथियों का समूह ।' रचना । यत्न । बनाना । घटा, ( स्त्री. ) यल | सभा । समूह | बादलों का समूह | कुम्भराशि घटि चतुर्वेदीकोष घटिका, ( स्त्री. ) साठ पल का समय | घड़ी । नितम्ब | चूतड़ | पानी का छोटा घड़ा या डोलची । एड़ी । घटी, (स्त्री.) एक छोटा बरतन | जलघड़ी । घटीयंत्र, (न. ) कूप में से जल निकालने का यंत्र | गिरीं । उद्घाटन । खोलना । घह्, (क्रि. ) हिलना । घट्ट, (पुं.) घाट महसूल उगाहने का स्थान । घट्टित, (त्रि.) निर्मित | बना हुआ । रंगा गया। हिलांया गया । घोटा गया । घरए, (क्रि. ) दीति | चमकना ! वला । नागबला । घण्टापथ, (पुं.) नगर का मुख्य मार्ग | घण्टिका ( स्त्री. ) छोटी घण्टी | छोटी घण्टी के आकार की होने के कारण तालु- वर्त्तिनी जीभ । घन, (पुं. ) मेघ । बादल | मोथा | प्रवाह | दृढ़ | कठिन | फैलाव | शरीर । लोहे का मुद्गर । कफ अभ्रक । समान जाति के तीन अङ्गों का आपस में गुणन | गाढ़ा | भरा हुआ । बाजा । मध्यम नाच | लोहा । घनकफ, ( पुं. ) श्रोले । घननाभि, ( पुं. ) धुआँ । घनपदवी, (श्री. ) आकाश अर्थात् बादलों का पथ । घनरस, ( पुं. ) बादलों का रस अर्थात् जल | कपूर घनवली, (स्त्री.) बिजली या बादलों की बेल । १५८ हस्ती । एक दूसरे का परस्पर धकियाना | निरन्तर | घण्टू, (क्रि. ) बोलना | चमकना । घ, (क्रि.. जाना। घण्टा, (स्त्री. घण्टी । घड़ियाल । अति | घर्म्म, (पुं. ) पसीना | धूप | गरमी । घनसार, (पुं. ) कपूर । पारा । जल | एक प्रकार का वृक्ष धनागम, (पु.) वर्षाकाल | घनाघन, (पुं. ) इन्द्र | बरसाऊ बादल | मत्त घनात्यय, (पुं. ) वह समय जब बादल छिप जाँय अर्थात् शरत्काल | घनामय, (पुं.) खजूर का पेड़ । घनोपल, (पुं.) श्रोला | सिल | घम्बू, (क्रि.) जाना। हिलना । घरट्ट, (पुं.) जाँता । चक्की । घर्घर, ( पुं. ) नद । द्वार । एक प्रकार का स्वर । वर्घरिका, (स्त्री.) छोटी घण्टी | एक बाजा | भुने हुए धान | एक नद । घर्षणी, ( स्त्री. ) हल्दी | घस, (क्रि.) खाना । घस्मर, (त्रि.) खाने वाला 1 खाऊ । • घस्त्र, (पुं.) दिन | मारने वाला । घाण्टिक, (पुं. ) घण्टा बजाने वाला | धतूरा। घात, (पुं.) प्रहार | चोट | मारना । गुणना। गुना करना । श्रङ्क को पूर्ण करना । तीर । घातिन्, (त्रि.) मारने वाला | घातक । धातुक, (त्रि.) क्रूर मारने वाला हिंसा करने वाला | घार, (पुं. ) सेचन | सींचना | छिड़कना । घार्तिक, ( पुं. ) घी का बना खाद्यविशेष | घास, (पुं. ) गौ आदि के खाने योग्य चारा । धु, ( कि. ) शब्द करना । घुर (क्रि.) लौटना | पीछे हटना | घुट, ( पुं. ) चरणअन्थि । घुटना | एड़ी | घुरण, (कि. ) घूमना | लेना । घुण, (पुं.) घुन । लकड़ी खाने वाला कड़ा । घुर (क्रि. ) शब्द करना । बड़ा शब्द करना । गुराना । घुघुं घुघुर, (पुं. ) शकर का शब्द । घुष, (क्रि. ) प्रशंसा करना । प्रकट करना । चतुर्वेदीकोष । १५६ ं घुसूण, (न. ) केसर कुङ्कुम । घूक, (पुं.) उल्लू | पेचक । घूर्, (क्रि.) मारना । पुराना पड़ना । घूर्ण, (क्रि. ) घूमना । घृ. (क्रि. ) सींचना | घृण, (क्रि. ) चमकना । घृणा, ( श्री. ) कारुण्य | दया| निन्दा | घिन । घृणि, (पुं.) तरङ्ग | लहर | किरन | सूर्य | घृत, ( न. ) चमक | घी । पानी । घृतकुमारी, (स्त्री.) घीकुआर | जिमीकन्द | औषधविशेष । घृताची, ( स्त्री. ) अप्सराविशेष | राव | घी वाली चमकने वाली । घृष, (क्रि. ) रगड़ना । घृष्टि, (पुं.) बराह | सुअर घोट-क ( पुं ) चश्व | घोड़ा । घोटकारि, (पुं. ) भैंसा । घोणा (स्त्री.) घोड़े के नथुने | नाक | घोसिन, (पुं.) लम्बी नाक वाला। सुअर | घोर, (पुं. ) शिव । ऋषिविशेष । विष । सख्त | भयानक । दुर्गम । घोररासन, (पुं.) भयानक शब्द वाला । सियार । गीदड़ । घोल, (पुं. न.) मट्ठा । लस्सी । घोष, (पुं.) अहिरों या गोपों का गाँव । बादलों की गर्जन । लताविशेष | व्याकरण में बाह्यप्रयत्न का एक भेद । घोषणा, (स्त्री.) डौंड़ी । ढिंढोरा । घ्रा, (क्रि. ) गन्ध लेना । सूँघना | घ्राणतर्पण, ( पुं. ) सुगन्धि घातव्य, (त्रि.) सूँघने योग्य | ू ङ, इस अक्षर से आरम्भ होने वाला कोई शब्द नहीं है । ● चक्र ङ, (पुं. ) विषयेच्छा | भोगलिप्सा | शिव जी का नाम । ङ, (क्रि. ) शब्द करना । च, ( अव्य. ) और । पादपूर्ण । ( पुं॰ ) चन्द्रमा । शिव का नाम । कछुआ । चोर | ( इ. ) बुरा। दुष्ट । चकू, (क्रि. ) चमकना । प्रसन्न होना | तृप्त होना । चकास, (क्रि. ) चमकना | चकित, ( • न. ) भय । डर । डरा हुआ । हैरान हुआ । विस्मित | एक छन्द जिसके प्रत्येक पाद में सोलह अक्षर होते हैं । चकोर, (पुं. ) एक पक्षी । चक्क, (क्रि.) पीड़ित होना । कष्ट उठाना । चक्र, (न.) चकवा पक्षी | पहिया । सैनिक | राज एक प्रकार का पाखण्ड । चाक । जिससे कुम्हार बरतन बनाता है । एक प्रकार का अस्त्र | भँवर | काव्यरचना विशेष | कोल्हू । समूह | गाँव । पुस्तक का भाग । नदी का शब्द | चक्रक, (पुं.) जिसकी पहिया घूमने जैसा शब्द निकलता हो । एक दोष । एक प्रकार का तर्क । चक्रधर, (पुं. ) विष्णु । सर्प | राजा | चक्रधारा, (स्त्री.) पहिये का अप्रभाग | चक्रपाणि, (पुं.) विष्णु । चक्रपादः, (पुं. ) रथ | गाड़ी | चक्रबन्धु (पुं.) सूर्य्य | चक्रभेदिनी, (स्त्री.) रात । चक्रभ्रम, (पुं. ) पीसने की चक्की । चक्रवर्तिन, ( पुं. ) महाराजाधिराज i राजाओं का अधीश्वर । आसमुद्रान्त भूमण्डल का स्वामी । मुख्य । चक्रवाक, (पुं. ) स्वनाम प्रसिद्ध पक्षी । चक्रवाड, (पुं. ) लोकालोक पर्वत। मण्डल चक्र चतुर्वेदीकोष । १६० चक्रवृद्धिं, ( श्री. ) सूद दर सूद व्याज पर व्याज । चक्रव्यूह, (पुं) युद्धक्षेत्र में शत्रु से लड़ने के लिये विशेष विधि से सेना खड़ा करना । चक्रा, (स्त्री. ) नागरमौथा । काकड़ासिंगी । चकाङ्ग, (पुं. ) रथ | गाड़ी | हंस | चक्रिन्, (पुं.) विष्णु । साँप | चकवा । कुम्हार । चुगलखोर । सूचक | तेली । चक्रवर्ती । अवनीपति । चक्र वाला । चक्रीवत् (पुं. ) सदा घूमने वाला । गधा | राजा विशेष । . चक्षु, चक्षण, ( (क्रि. ) कहना | छोड़ना | विचारना । कहना । बोलना । भूख बढ़ाने वाली एक प्रकार की चटनी | चक्षुस्, (न.) देखना । आँख । प्रकाश । चक्षुःश्रवस्, ( पुं. ) ऐसा जीव जो आँखों ही से सुनता हो अर्थात् साँप चक्षुष्य, (पुं.) सुरमा काजल | चङक्रमण, (न.) बहुत घूमना बार बार घूमना । चञ्चरी, ( स्त्री. ) भौरी । चञ्चल, (पुं. ) विषयी । वायु । चपल । अस्थिर | कामुक | चश्चा, (स्त्री.) चटाई । चौकी । घास की गुड़िया | चञ्चु, (पुं.) पक्षियों की चोंच चटू, (क्रि.) मारना | तोड़ना । फोड़ना । ढाकना । चटक, (पुं.) चिड़िया चटकाशिरस्, ( पुं. ) पिप्पलीमूल । मद्य । चटु, ( पुं.) प्रियवचन । व्रतियों का एक आसन | उदर । पेट । त्रि. ) चञ्चल । फुरतीला । बिजुली । चड्, (कि. ) क्रोध करना । Co 1. चर, (क्रि.) जाना | मारना । शब्द करना । देना । चणक, (पुं. ) चने । तृणभेद । एक मुनि का नाम जिसके वंश में चाणक्य का चतु, जन्म हुआ था । C चण्ड, ( पुं. ) इमली का वृक्ष । यमदूत | दैत्यविशेष | तीक्ष्ण । तेण । चण्डांशु, ( पुं. ) सूर्य । दिनकर | प्रभाकर | चण्डात्मक, (पुं. न. ) कुत्र्त्ती । छोटा कोट । चण्डाल, (पुं.) सङ्करवर्ण जिसका जन्म ब्राह्मण पिता और शूद्रा माता द्वारा हो । जातिविशेष । चण्डी, ( स्त्री. ) दुर्गा देवी । क्रोध वाली । सप्तशती में चण्डी देवी की कथा होने से उस पुस्तक का नाम ही चण्डी पड़ गया है। . चत्, (क्रि. ) माँगना | जाना । चतुःशाला, (स्त्री.) चौखण्डी । चार खण्ड का मकान । चतुर्, (त्रि. ) चार की गिनती । चार संख्या वाला चतुर, (पुं. ) हाथीखाना । काम में कुशल | दक्ष । आँखों के सामने । चालाक | चतुरङ्ग, ( न. ) जिसके चार अङ्ग हो । हाथी, घोड़ा, गाड़ी, पैदल इन चारों से सुसजित सेना | > चतुरश्र, (त्रि.) चतुष्कोण | चौकोना ! चार कोने वाला । ज्योतिष में लग्न से चौथा तथा आठवाँ स्थान | चतुरानन, (पुं.) चार मुख वाला । ब्रह्मा | चतुर्मुख । चतुर्थ, (त्रि.) चौथा । चतुर्थांश, चौथा भाग । चार भागों में से एक । चतुर्थी, (स्त्री.) चौथ तिथि । चतुर्दन्त, (पुं.) चार दाँत वाला | इन्द्र का ऐरावत नामक हाथी | n चतुर्वेदीकोष । १६१ चतुर्दशन, (त्रि. ) चौदह । चतुर्द्धा, (अन्य ) चार प्रकार से । चतुर्भद्र, (न. ) धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष-चार | कल्याण | चतुर्भुज, ( पुं. ) चार हाथ वाला । विष्णु । चतुर्युग, (न. ) सत्य, त्रेता, द्वापर और कलिरूप चारो युग | " चतुर्वर्ग, ( पुं. ) चार प्रकार का पुरुषार्थ अर्थात् अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष । चतुर्विंशति, ( स्त्री. ) चौस । चतुर्विद्य, ( पुं. ) चारों वेदों का जानने वाला । चतुर्विध शरीर, (न. ) जरायुज, अण्डज, स्वेदज और उद्भिद में चार प्रकार के शरीर है। चतुर्व्यूह, (पुं. ) उत्पत्ति आदि कार्य के लिये चार विभाग वाला अर्थात् | चन्द्रकिन्, (पुं. ) मयूर । मोर वासुदेव, सङ्कर्षण, प्रद्यम्न और अनिरुद्ध रूप विष्णु । चतुष्क, (न. ) चार खम्भों वाला घर । चतुष्टय, (त्रि.) चार हिस्से वाला । चतुष्पथ, ( पुं. चौराहा । चार आश्रमों वाला । चतुष्पद, (पुं.) चौपाया। चार पैर वाला एक करण । चतुष्पदी (स्त्री.) चार पाँव वाली । चार चरणों का श्लोक जिसमें ३२ अक्षर होते हैं । चतुर्खिशत्, (त्रि.) चौतीस | चत्वर, (न. ) यज्ञ के लिये शुद्ध पृथिवी | आँगन | बाड़ा | चत्वारिंशत् ( स्त्री. ) चालीस । चत्वाल, (पुं.) होमकुण्ड । कुश । चद् (क्रि. ) माँगना । प्रसन्न होना | चमकना | चन्, (कि. ) मारना। शब्द करना । वन, (अन्य ) अपूर्ण । जो कुछ भी । चञ्च (क्रि.) जाना | चन्द्रा. । चन्दन, ( पुं. न. ) चन्दन । एक बानर | एक बूटी । चन्दनधेनु, ( स्त्री. ) चन्दन लगी गौ। ऐसी गौ उसे कहते हैं जो सधवा और सन्तानवती स्त्री द्वारा मृत्यु के अनन्तर स्वर्गप्राप्ति की कामना से दी जाती है । चन्द्र, (पुं. ) कपूर । हींग । पानी । सुन्दर | काला रङ्ग । मोर का चाँद । बड़ी इलायची । चन्द्रमा मृगशिर नक्षत्र | चन्द्रक, ( पुं. ) सफेद मिर्च | मछलीविशेष | चन्द्रकला (स्त्री.) चन्द्र का सोलहवाँ अंश । द्रविड़ देश का वाद्यविशेष । चन्द्रकान्त, (पुं. ) मणिविशेष । कमल । चन्दन रात चाँदनी । चन्द्र की स्त्री | चन्द्रकांन्ति, ( न. ) चाँदी । चन्द्रमा की चमक । चन्द्रगुप्त, (पुं.) मगध देश का एक राजा विशेष | चित्रगुप्त : चन्द्रवाला (स्त्री.) बड़ी इलायची । चन्द्रभागा, ( स्त्री. ) काश्मीर देश की एक नदी का नाम । चन्द्रमण्डल, (न.) चाँद का गोल आकार | चन्द्रमस्, (पुं. ) चन्द्रमा | चाँद । चन्द्रमौलि ( पुं. ) शिव । शङ्कर | चन्द्रवहरी, ( स्त्री. ) सोमलता । चन्द्रवत, (न.) चान्द्रायण नामक व्रत | चन्द्रशाला, ( स्त्री.) प्रासादोपरिस्थ गृह | चन्द्रशेखर, ( पुं. ) शिव जी । पूर्व देश का एक पर्वत । चन्द्रसम्भव, (पुं.) बुध | नर्म्मदा नदी | बड़ी इलायची । चन्द्रहास, (पुं.) खड्ङ्ग । रूपा । ( स्त्री. ) गुडूची । गिलोय । चन्द्रा, (स्त्री.) एला । चन्द्रातप | चन्दोवा | चन्द्रापीड, ( पुं..) शिव । तारापीड राजा का पुत्र | चन्द्रि चन्द्रिका, ( स्त्री. ) चाँदनी | बड़ी इलायची । छन्द जिसके प्रत्येक पाद में तेरह अक्षर होते हैं । चन्द्रोपल, (पुं. ) चन्द्रकान्तमणि | चपू, (क्रि. ) पीसना | शान्ति देना | उत्तेजित करना । चपल, (पुं.) पारा मछली । क्षणिक । चञ्चल । घबड़ाया हुआ । दुर्विनीत । अशिक्षित | लक्ष्मी । बिजली । कुलटा स्त्री । पीपल । भोग । मन्दिरा । जीभ । छन्दविशेष | " ( चतुर्वेदीकोष । १६२ चपेट, ( पुं. ) थप्पड़ विस्मयकारी । चम्, (क्रि. ) खाना चमत्कार, (पुं.) विलक्षण । अपामार्ग वृक्ष । चमर, (पुं. ) भैंसे के रूप रङ्ग जैसा हिरन । जिसकी पूँछ के बाल के चँवर बनाये जाते हैं । चमस, (पुं. न. ) लकड़ी का बना हुआ यज्ञीय एक पात्र | लड्डु | चमचा | चमीकर, ( पुं. ) सोने के उपजने का स्थान । चमू, (स्त्री.) सेना । चमूरु, ( पुं. ) मृगविशेष | कचनार का वृक्ष । चम्पक, (पुं. ) केला । ढेउ का वृक्ष । चम्पे का फूल | चम्पकमाला, (स्त्री.) स्त्रियों के गले का श्राभूषण विशेष | चम्पाकली । छन्दोविशेष | चम्पाधिप, (पुं.) चम्पा देश का स्वामी | कर्ण राजा । चम्पू, ( स्त्री. ) काव्यविशेष। जिसमें गद्यपद्य मिश्रित हों। चम्बू, (क्रि. ) जाना । चय, ( पुं. ) कोट । समूह | चौकी । चयन, (न. ) एक प्रकार की रचना | चुनना । चर्म चरक, (पुं.) वैद्यकाचार्यविशेष । चार । छिपा हुआ दूत । पापड़ । भिक्षुक संन्यासी | एकत्र करना । चर्, (क्रि. ) जाना । घर, ( पुं. ) राजदूत | भेदिया । ज्योतिष में लग्नविशेष | ( त्रि. ) चलने वाला | जाने वाला । चरण, (पुं. न. ) पैर | वेद का एक भाग । शाखारूपी ग्रन्थविशेष, उसको पढ़ने वाला | गोत्र | (क्रि. ) जाना । खाना | ( न. ) आचार | स्वभाव । चरणग्रन्थि, (पुं. ) पाँव की गाँठ | गुल्फ | चरणायुध, (पुं. ) पाँव है आयुध जिसका, अर्थात् मुर्गा । कुक्कुट । चरणव्यूह, ( पुं ) वह ग्रन्थ जिसमें वेद की शाखाओं का विशदरूप से वर्णन है । वेदव्यास का रचा ग्रन्थविशेष । चरम, (त्रि. ) अन्त । अवसान | पश्चिम | अन्तिम | चराचर, (न. ) चलने और न चलने वाला | दुनिया | जगत् । ( पुं. ) स्थावर जगम । आकाश । शिव जी की जटा । चरित, (त्रि.) चला गया। पा लिया । कर लिया। जाना गया। अनुष्ठान । काम सञ्चार | विचारना | लीला | कहानी | चाल- चलन । स्वभाव । व्रतादि कर्म में यलवान् होना । चरिष्णु, ( त्रि. ) चलने वाला । चालाक इतस्ततः डोलने हारा । चरु, ( पुं. ) होम में डालने का पदार्थ विशेष, यह यत्र घी में राँधा जाता है और ऊपर से उसमें दूध छिड़का जाना है। चर्च, (क्रि. ) पढ़ना | कहना । झिड़कना । चर्चरी, ( स्त्री. ) टेढ़े बाल । हर्ष से खेलना । अभिमान युक्त वचन । छन्दविशेष | चर्चा, (स्त्री.) दुर्गा । चन्दनादि शरीर पर लगाना | चिन्ता | विचार | जिक्र | चव, (क्रि. ) जानी | खाना | चर्म्मकार, ( पं . ) चमार । मोची । चर्मरावती, ( स्त्री. ) नदीविशेष | चर्म्मदण्ड, (पं ) चाबुक । हएटर | कोड़ा । चतुर्वेदीकोष | १६३ चमैन्, ( न. ) ढाल । चाम । छूने वाली इन्द्रिय | चर्मपादुका, ( स्त्री. ) जूता | जूती । चर्म्मप्रसेविका, ( स्त्री. ) तुहार की धौंकनी । भस्त्रा । चम्मिन, ( पुं ) ढाल बाँधने वाला । भोजपत्र वाला वृक्ष | भृङ्गरीट केला । चमड़े वाला । सैनिक । सिपाही । चर्य्या, ( स्त्री. ) नियम पालन गुरूपदिष्ट उप- देशानुसार व्रतादि का पालन । बिचरना । गाड़ी में बैठ कर घूमना फिरना । व्यवहार | स्वभाव | खाना । चव, ( कि. ) चवाना | चर्षण, ( पुं. ) जन । ( वेद ) देखना | विचारना । चालाक। मनुष्य | चलू, (क्रि. ) जाना । चला, ( स्त्री. ) चलने वाली, स्त्री । चलाचल, (त्रि. ) अत्यन्त चञ्चल काक | कौया । चष्, (क्रि.) खाना | मारना | चषक, ( न. ) मदिरा पीने का पात्र । शहद । मद्यविशेष | घाषाल, ( पुं. ) यज्ञपशु बाँधने का खूँटा । चहू, (क्रि. ) ठगना । चाकचक्य, ( न. ) उज्ज्वलता । चमक । प्रकाश । चाक्षुष, (न.) नेत्रोत्पन्न ज्ञान । देखना । दृष्टि । छठवें मनु | चाट, (पुं. ) प्रथम विश्वास दिला कर पीछे धन ले जाने वाला चोर | चाटकेर, ( चिड़िया का बच्चा | चाटु, (पुं. न ) प्रिय वचन । चापलूसी से भरा वचन । चाटुपटु, (पुं. ) चापलूस । भाण्ड । विदूषक मसखरा । चाणक्य, ( पुं ) एक प्रसिद्ध नीति बनाने वाला ब्राह्मण ग्रन्थविशेष | चारु चारपूर, (पुं.) कंस राजा का एक नामी पहल- वान जो श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया था । चारसूरसूदन, (पुं. ) चारणरहन्ता | श्रीकृष्ण | चाण्डाल (पुं. ) श्वपच | नीचातिनीच जाति का मनुष्य | घातक चातक, (पुं.) पपीहा चातुरी, ( स्त्री. ) चतुराई । छल । कार्य- पटुता । चातुर्मास्य, (न. ) वर्षा के चार मासों में किये गये । चार मास में पूर्ण होने वाला, यज्ञ या व्रत । चातुर्वरार्य, (न. ) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्ध - चारों वर्ण । चान्द्र, (पुं. ) चन्द्रकान्तमणि । चन्द्रमा की तिथियों से गिना जाने वाला मास । चान्द्रा- यण व्रत | चन्द्रलोक | चन्द्रकथित व्याकरण विशेष | चान्द्र व्याकरण पढ़ने वाला । चान्द्रायण, (न. ) वह व्रत या कर्म जिससे चन्द्रलोक प्राप्त हो । व्रतविशेष | चाप, (पुं. ) धनुष । ज्योतिष की नवमी राशि | चापल, (न. ) चपल होना । मन को सुख न मिलना । विना विचारे किसी कार्य के करने में लग जाना । निष्प्रयोजन-हाथ पैर हिलाना । अनवस्थान | चामर, ( पुं. न. ) चमर । मृग की पूँछ का बना चँवर । चामीकर, (न. ) सोना | धतूरा | चामुण्डा, (स्त्री.) आकाशादिरूपी सेना को ग्रहण करने वाली । दुर्गा | देवी । चण्ड मुण्ड को लाने वाली । । चाम्पेयक, (न.) चम्पे का फूल | नाग- केसर । सोना । किशल्क । चायू, (क्रि.) दर्शन करना । देखना । चारण, ( पुं. ) यश को फैलाने वाला । भाट । यशसञ्चारक | F चारु, (पुं.) बृहस्पति । सुन्दर | मनोहर । चतुर्वेदीकोष | १६४ चार्चिक्य, ( न. ) शरीर को चन्दनादि सुगन्धयुक्त द्रव्यों से चर्चित करना । चार्म्म, (पुं. ) चारों ओर चमड़े से मदी गाड़ी या रथ | चार्वाक, (पुं. ) वह लोग जिसका वचन सारे संसार को रुचे । चालनी, ( स्त्री. ) चलनी । धान आदि छानने की छन्नी । चाष, (पुं.) नीलकण्ठ । चि, (क्रि.) चुनना । चिकित्सक, (पुं.) वैद्य । डाक्टर । हकीम । चिकित्सा, (स्त्री.) बीमारी का इलाज | रोग दूर करने की प्रक्रिया | चिकित्स्य, ( न. ) साध्य रोगी । इलाज के योग्य रोगी । चिकुर, ( पुं. ) बाल सिर के । वृक्षविशेष । पहाड़ | सरीसृप जीवजन्तु । चञ्चल । तरल | चिक्कू, ( क्रि. ) दुःख देना । कष्ट देना । चिक्कण, (पुं. ) चिकना । गुवाक का पेड़ या फल । चिच्छक्लि, (स्त्री.) मन और बुद्धि की सामर्थ्य | चैतन्य | चिश्चा, (स्त्री.) इमली का पेड़ । चिट्, (क्रि. ) भेजना | चित्, (क्रि. ) जानना । चित्, (स्त्री.) ज्ञान | चैतन्य | चित्, ( अव्य. ) अपूर्ण । थोड़ा । जैसे किश्चित् । चित, (त्रि.) चिता । चिति, (स्त्री.) चिता । समुदाय | वेदान्त- मतानुसार ऐसा ज्ञान, जिसका कोई विषय न हो । अग्निस्थानविशेष | चित्त, ( न. ) मन । बुद्धि । अनुसन्धान | चिता की लकड़ी । चित्तविक्षेप, (पुं.) चित्त में विक्षेप डालने बाले । योग से जो हटा लें- ऐसी बातें । चिदा चित्तविप्लव, ( पुं. ) उन्माद रोग | चित्य, (पुं. ) श्राग | चिता । चित्र, (क्रि. ) लिखना । आश्चर्य होना । चित्र, (पुं. ) यमविशेष ( वृकोदराय चित्राय ) | अशोक वृक्ष । चित्रक वृक्ष | श्रण्डी का पेड़ | आकाश । एक प्रकार का कुष्ठ । कई रङ्ग वाला । तिलक । शब्दसम्बन्धी अल- ङ्कारविशेष । भेड़िया विशेष । चित्रकराठ, ( पुं. ) कबूतर | घुग्धू | उल्लू | चित्रकर, (पुं. ) मूर्ति बनाने वाला | दोगला | तसवीर वाला । चित्रकूट, (पुं.) जिसके शिखर पर चित्र हो । बॉदा के पास का एक स्थान । चित्रगुप्त, ( पुं. ) यमराज के पेशेकार । चित्रपट, (पुं. ) रङ्गबिरङ्गा कपड़ा । चित्र | मूर्ति । तसवीर । चित्रपादा, ( स्त्री.) सारिका पक्षी । मैना | " चित्रभानु, (पुं.) अग्नि | सूर्य । चित्रक पेड़ आक का रूख चित्ररथ, (. पुं. ) सूर्य | गन्धर्वविशेष । गायक देवता | चित्रलेखा, स्त्री. ) कुभाण्ड की कन्या- अप्सराविशेष । उषा की सखी । छन्द विशेष जिसके प्रत्येक पाद में अठारह अक्षर होते हैं । चित्रशिखण्डिन्, ( पुं. ) शिखा वाला | सप्तर्षि यथा - १ मरीचि । २ रा । ३ अत्रि । ४ पुलस्त्य । ५ पुलह । ६ कृत । ७ वसिष्ठ । चित्राङ्गद, ( पुं. ) शन्तनु राजा का पुत्र और विचित्रवीर्य का भाई । एक गन्धर्व | चित्राङ्गी, (स्त्री.) विलक्षण अङ्ग वाली । मजीठ | कर्णजलौका । • चिद्रूप (पुं. ) आत्मा परमात्मा । जीवात्मा | चिदाकाश, ( न. ) शुद्ध ब्रह्म । चतुर्वेदीकोष | १६५ चिदा चिदाभास, (पुं.) बुद्धि पर आत्मा की पर- छाईं। जीव । चिन्ता, (स्त्री.) संस्कार को जागरूक करने वाली । देखे हुए पदार्थ का फिर स्मरण दिलाने वाली । चिन्तामणि, (पुं.२) विचारते ही अभिलषित वस्तु को प्रदान करने वाली मणि । ब्रह्मा । बुद्धदेव । चिन्मय, (पुं.) चैतन्यरूप ईश्वर । परब्रह्म । चिपिट, ( पुं. ) भोजनविशेष चपटी नाक वाला । । चिरम्, (अन्य ) दीर्घ | बहुत दिनों से चिरक्रिय, (त्रि. ) दीर्घसूत्री । ढिल्लड़ । आलसी । चिरजीविन्, (पुं.) दीर्घकाल तक जीने वाला । काक सेंवल का वृक्ष । मार्कण्डेय ऋषि । अश्वत्थामा । बलि । हनुमान् । व्यास । विभीपण | कृपाचार्य । परशुराम । चिरण्टी (स्त्री.) पित्रालय में बहुत दिनों ● तक रहने वाली युवती चिरन, (गु.) चिरन्तन । पुराना पुरातन । चिरन्तन, ( गु. ) पुराना पुरातन | चिरायुस्, ( पुं. ) बड़ी उम्र वाला । देवता । चिर्भटी, ( स्त्री. ) ककड़ी । खीरा । तर । चिल्लू, (क्रि. ) ढीला पड़ना । चिल्ल, (पुं. चील नामक पक्षी । पीड़ित नेत्र वाला | चिल्लाभ, (पुं.) चोर। चिबुक, (न. ) ठोड़ी | मुचकुन्द वृक्ष | चिह्न, (न. ) लान्छन । लक्षण | धब्बा | पताका | चीन, ( पुं.. ) देशविशेष । हिरनविशेष | महीन वस्त्रविशेष | " म्वीत्कार, (पुं.) चीखना । चिल्लाना । चीभू, (क्रि. ) प्रशंसा करना | बड़ाई करना | चीर, (न.) वस्रखण्ड । कपड़े का टुकड़ा | चीर्ण, (त्रि.) कृत किया हुआ । एकत्र किया। सीखा हुआ । काटा गया । चीव्, (क्रि. ) लेना। ढाँकना । चमकना | चीवर, • ) कफनी जिसे फकीर पहनते हैं । संन्यासियों की कौपीनादि वस्त्र | चुकू, (क्रि.) कष्ट देना । उत्पीड़ित करना । चुहू, ( क्रि. ) कम होना । चुड़, (क्रि. ) काटना । चुत्, (क्रि, ) बहना | चूना | टपकना | चुत, (न.) गुह्यदेश मलद्वार | दू, (क्रि. ) प्रेरणा करना भेजना | फेंकनी | चुप्, (क्रि. ) धीरे धीरे चलना । चुबू, (क्रि.) चूमना चुम्बन करना | चुम्बक, (पुं.) अयस्कान्तमणि । धूर्त्त । ठग । चूमने वाला । चुर् (क्रि. ) चुराना चुरा, ( स्त्री. ) चोरी । चुल (क्रि.) उठना | डुबकी मारना | धुलुक, ( पुं. ) निविड़ ऊँचा होना । बढ़ना । पङ्क। एक प्रकार का बर्तन । हाण्डी । डूबने योग्य जल | बुल, (पुं.) सजल नयन वाला । चुलि (स्त्री.) चूल्हा । चूड़ा, (स्त्री.) मोरशिखा । चूड़ामणि, ( पुं. ) शिर की मणि । चूडाल, (गु. ) चुटीला | चोटी वाला । नागर- मोधा । चूण, (क्रि. ) सकोड़ना । सङ्कीर्ण करना । चूत, ( पुं. ) चुसा हुआ। आम घर का द्वार | कूपक | गुदा | योनि । चूर्ण, (क्रि. ) पीसना । चूर्ण, (पुं.) चूना | पिसी कुटी वस्तु । चूर्णक, (पुं. ) चूरा | गद्यविशेष । छन्दो- विशेष | चूर्णकुन्तल, (पुं॰ ) झिर के छोटे छोटे बाल छल्लेदार बाल । चतुर्वेदीकोष । १६६ चूर्ण चूर्णी, (पुं. १ पतञ्जलि का महाभाष्य | शिव जी की जटा। चूलिका, ( स्त्री. ) हाथी के कान की जड़ । नाटकाङ्गविशेष | चूष, (क्रि.) चूसना | पीना । चूषा, (स्त्री.) चाम की लगाम | चूसना | चूष्य, (गु.) चूसने योग्य । वृत्, (क्रि. ) मारना | गाँठना । चेट, (पं.) नौकर | सेवक । दास । चेत्, ([अव्य. ) यदि | सन्देह न होने पर भी सन्दिग्ध हो कर कहना । चेतन, (पुं. ) आत्मा । जीव | ‘परमेश्वर | प्राणी | चैतन्य | चेतस्, (न.) चित्त 1 मन । आत्मा चेतोमुख, (पुं.) जिसका चित्त द्वार हो । जीव । चेदि, ( पुं. ) देशविशेष । उस देश के निवासी । चेदिपति, ( पं. ) दमघोष राजा का पुत्र । चेलू, (क्रि.) जाना । चलना । हिलना | चञ्चल होना । चेल, (न. ) कपड़ा । चेलप्रक्षालक, ( पुं. ) धोबी | चेल्ल, (क्रि. ) चालन । हिलना । जाना । चेष्ट, (क्रि.) जीवन के चिह्न दिखाना । पूरा करना यत्न करना चेष्टा, ( स्त्री. ) यल | आत्मा से इच्छा, इच्छा से यत्न और यत्न से चेष्टा उत्पन्न होती है। चैतन्य, ( न. ) चेतना । ब्रह्म । प्रकृति । माया । चैत्य, ( महावृक्ष । विदेश । देवता के रहने का पेड़ | बुद्धभेद । मन्दिर । चिता का चिह्न । जनसभा यज्ञीय स्थान । बिम्ब | विश्रामस्थान | चैत्यगृह, (न. ) चैत्य का घर । चैत्र, (पुं.) मास -जिसमें चित्रा नक्षत्र में पूर्णिमा हो । चैत का महीना छत्र / चैत्रक, (पुं.) पहाड़विशेष । चैत्ररथ, ( पुं. ) कुबेर का उद्यान जिसे चित्र- रथ ने बनाया था । चैद्य, (पुं.) शिशुपाल चोदना, ( स्त्री. ) प्रवर्त कराने के लिये कहा हुआ वाक्य । उपदेश । 66 चोदनालक्षणोर्थो धूर्मः । ” प्रेरणा । झिड़की । चोद्य, (न.) प्रश्न । पूर्वपक्ष विलक्षण । प्रेरणा योग्य | चोर, (पुं.) चोरी करने वाला । गन्धद्रव्य विशेष | चोल, (न. ) चोली | अशिया | द्राविड़ और कलिङ्ग देशों के मध्य का देश । चोली, (स्त्री. ) अभिया । चोप्य, ( न. ) चूसने योग्य | गन्ना | पौंड़ा | चौड़, ( न. ) चूड़ा संस्कार । च्यवन, च्यु, ( न. ) धीरे धीरे चूना । ऋषिविशेष । (क्रि. ) जाना | हसना | सहन करना | सहारना । च्युत्, (क्रि.) देखो चुत् । च्युति, (स्त्री.) झरन । टपकन । चुअन । नाश । च्यौत्त, (त्रि.) जाने वाला | छोड़ा हुआ | गुण्डा | धर्मरहित । अण्डे से उत्पन्न । त्याग के योग्य | चूरचूर । प्रयत्न । उद्योग | प्रबन्ध | सामर्थ्य | बल । छ छ, (गु.) विशुद्ध | स्वच्छ | छेदक । काटने वाला । चञ्चल । छगल, ( पुं. ) छाग | बकरा | छुटा, ( स्त्री. ) प्रकाश चमक । परम्परा | लगातार | छत्र, (. पुं. ) छाता | सोये का साग | छत्रक, ( पुं. ) वृक्षविशेष । पक्षीभेद । मधुमक्खी का छत्ता । छत्रभङ्ग, (पुं. ) नृपनाश । वैधव्य । परा- धीनता | छत्रा चतुर्वेदीकोष । १६७ छत्राक, (न.) शिलीन् । छद्, (क्रि. ) छाना । ढाकना । छद, ( पुं. ) पत्र । चिड़िया का पर । तमाल वृक्ष । ग्रन्थिवर्ण | छदन, (न.) पत्र पर छाल । चमड़ा । छदपत्र, (पुं.) भोजपत्र | छाद, (पुं. ) छ । भोजपत्र छद्मतापस, (पुं.) दाम्भिक तपस्वी | छद्मन्, (न.) कपट | छल । छन्द, (पुं. ) अभिलाषा । चाह । अधीनता । विषविशेष । ( न. ) वेद | स्वेच्छाचार । गायत्री छन्दस्, आदि छन्द | पद्य । वृत्त । छन्दोग, (पुं.) सामवेद गाने वाला ब्राह्मण । स्वच्छन्दचारी | वेदमार्ग से चलने वाला । छर्द, ( कि. ) वमन करना । छईन, (पुं.) नीम का पेड़ । मदन का वृक्ष । वमन । छर्द्दि, (स्त्री.) वमन करने का रोग | वान्ति | कै । छल, (न. ) कपट | । छलना, ( स्त्री. ) छल । दूसरे को ठगना । छल्ली, ( स्त्री. ) छाल | वल्कल | बेल | लता | सन्तान । छवि, ( स्त्री. ) शोभा | कान्ति । चमक | दमक । भड़क । छोट छायापुरुष, ( पुं. ) अपने आप शरीर की छाया को देखते देखते सहसा आकाश की ओर देखने से एक पुरुष दिखलाई पड़ता है, उसीका नाम छायापुरुष है। छिकनी (स्त्री.) नकछिकनी । एक औषध जिसका चूर्ण सूँघने से छींकें आने लगती हैं। छिक्का, (स्त्री.) छींक | छाग, (पुं.) छागल । बकरा । छागवाहन, (पुं. ) अग्नि का वाहन बकरा है, इससे अग्नि । छात, (त्रि.) छिन्न । कटा हुआ । दुर्बल | छात्र, (त्रि.) शिष्य । मधुमक्खी का छत्ता | छान्दस, (पुं.) वेद पढ़ने वाला । छान्दोग्य, .) सामवेदीय उपनिषद् । छाया, ( स्त्री. ) धूप का अभाव । प्रतिबिम्ब | परछाहीं। पालन । घूँस पंक्ति । सूर्य की स्त्री । छन्द जिसके पाद में उन्नीस अक्षर होते हैं. छायातनय, (पुं.) शनैश्चर | छिल्लर, (त्रि.) शत्रु | धूर्त्त । काटने वाला । छिदू, (क्रि. ) काटना । छिदिर, (पुं. ) कुल्हाड़ा | अग्नि | रस्सी | तलवार । छिदुर, (त्रि. ) शत्रु | वञ्चक । ठग | काटने वाला । काटने का औज़ार । छिद्र, (न. ) दोष । त्रुटि । छेद । श्रकाश । ज्योतिष में लग्न से आठवाँ स्थान । छिन्नमस्ता, ( स्त्री. ) जिसका सिर कटा हो । दस महाविद्याओं में से एक । दुर्गा देवी । छिन्नरुह, (पुं.) तिलवृक्ष | गुर्च । गिलोय | स्वर्णकेतकी । छुट्, (क्रि. ) काटना । छुर, (क्रि. ) छेदना | काटना । लेप करना | छुरिका, ( स्त्री. ) छुरी । चाकू । बुद्, (क्रि.) भड़काना । चमकाना | खेलना । छेक, (पुं.) पालतू चिड़िया या पशु । हिरन | चतुर । नागर । छेकानुप्रास, (पुं.) अनुप्रास का भेद | शब्दसम्बन्धी अलङ्कार छेकोक्कि, (स्त्री. ) चतुरा स्त्री का वचन | पेचीली बात । रूपालङ्कार का भेद । छेद्, (क्रि. ) छेदना | काटना । छेद, ( पुं. ) काटना | तोड़ना | काटने वाला | तोड़ने वाला : छेमण्ड, ( पुं. ) अनाथ । छेलक, (पुं. ) बकरा | वैदिक, (पुं. ) छड़ी | बेत | छो, (क्रि. ) काटना | छोटिका, (स्त्री.) चुटकी । छटि ( छोटिन्, (पुं. ) महुआ। धीमर । छोलग, (पुं. ) चूना | छथु, (क्रि.) जाना । तुर्वेदकोष १६८ ज, (पुं. ज ) समास के अन्त में आता है और तब इसका श्रथ होता है - " उससे या इससे " जैसे " पङ्कज हुआ । सम्बन्धी विजयी | पिता । जन्म । उत्पन्न हुआ । । बना विष । कान्ति । विष्णु | शिव | भोग । गति । वेग | गण । अक्षू. (क्रि. ) खाना । जगञ्चक्षु, ( पुं.) सूर्य | भास्कर | जगत्, (पुं.) लोक । वायु जगत्प्राण, (पुं.) वायु | पवन | जगत्साक्षिन्, ( पुं. ) सूर्य्य | चन्द्र | पृथिवी 1 वायु | यम | जगती, (स्त्री.) धरती । भुवन | जन । लोक जम्बुद्वीप | एक छन्द जिसका बारह अक्षर वाला पाद हो । जगदाधार, (पुं. ) वायु । जगत् का सहारा | जगद्धात्री, ( स्त्री.) जगत् की माँ । जगदम्बा | लक्ष्मी जी । दुर्गा । जगद्योनि, ( पुं. ) जगत् की उत्पत्ति करने वाला। हिरण्यगर्भ । कुमार | विष्णु । शिव । पृथिवी । जगन्नाथ, ( पुं) जगत् के स्वामी | विष्णु । विष्णु का क्षेत्र । तान्त्रिकों के मतानुसार विमंला पीठ का भैरव । यथा - " विमला भैरवी यत्र जगन्नाथस्तु भैरवः " । जग्ध, (त्रि.) खाया हुआ। भुक्त | जग्धि, ( स्त्री. ) एकत्र बैठ कर भोजन करना | भोजन | खाना | जघन, (न.) जाँघ । पद जघन्य, (त्रि.) अधम । नीच । सबसे पिछला शुद्ध पुरुष का गुह्याङ्ग । जघन्यज, (पुं) शुद्ध | कनिष्ठ | सबसे बोटा | अन जङ्गम, (त्रि. ) चलने की शक्ति वाला । लिङ्गायित सम्प्रदाय के गुरु जङ्गम कहलाते हैं | जङ्गल, (न.) वन । बेहड़ | अकेला । (पुं.) मांस | जङ्घा, ( स्त्री. ) जाम । गुल्फ बीच का देश जङ्घाकरिक, (त्रि. ) डाकिया । चर । दूत | दौड़ने वाला । " जाङ्घाल, (त्रि. ) बड़ी वेग वाली जद्दा वाला | दौड़इया । कई एक पशु जज्, (क्रि. ) लड़ना । जट्, (क्रि. ) जुड़ना । एकत्र होना । जटा, (स्त्री.) जूड़ा। शेर के श्रयाल । वृक्षादि की जड़ | जटामांसी । वेद का पाठविशेष | लता । शतावरी । जटाजूट, (पुं.) जटाओं का समुदाय | जटानांसी, (स्त्री. ) सुगन्धिद्रव्यविशेष | •जटायु, (पुं.) बड़ी आयु वाला । पक्षी- विशेष | गूगल | जठौर जटाल, (पुं.) वट | गूगल | कपूर । ( स्त्री ) जटामांसी। जटा थाला (त्रि.) । जटिन्, (पुं.) पाकुर का वृक्ष | जटा वाला जटिल, (पुं. ) जटा वाला। सिंह । ब्रह्मचारी | जटामांसी । पिप्पली बच । दमन वृक्ष ( गु. ) उलझन डालने वाला । जठर, (न.) पेट | कुक्षि | बढ़ा हुआ तथा कठिन | जड, (त्रि.) अच्छा बुरा न जानने वाला मूक । बुद्धिहीन | मूर्ख । जल और सीसा | जतु, (न.) लाख | जत्रु, ( न. ) काँख : बगल । गले के नीचे की दो हड्डियाँ । जन्, (क्रि. ) उत्पन्न होना । जन, ( पुं.) लोग | सर्व साधारण लोग | नीच लोग । जीव । महालोक से ऊपर का लोक । जनक, (पुं.) पिता बाप | मिथिलानगरी का एक राजा | कारण । हेतु । सीता के पिता | चतुर्वेदीकोष | १६६ जून जनकेसुता, (स्त्री. ) सीता । श्रीरामचन्द्र की धर्मपत्नी । जनता, (खी. ) भीड़ | बहुत जन । जननि, (स्त्री.) माता | माँ । औषध | लाख का रङ्ग । मजीठ | जटामांसी | जनपद, (पुं.') देश - नगर । जनमेजय, का पौत्र । .) राजा परीक्षित् के पुत्र । अर्जुन जनयितृ, (पुं.) उत्पादक। पिता । माता । जनलोक, ( पुं. ) जगविशेष | वह लोक जो महालोक के ऊपर है। जनश्रुति, ( स्त्री.) लोकप्रवाद । किंव- दन्ती । अफवाह | जनस्थान, ( न. ) दण्डकवन के समीप एक स्थान । जहाँ खर दूषण की चौकी थी । लोगों के रहने का स्थान जनार्दन, (पुं.) विष्णु । नारायण । जनाश्रय, (पुं. ) मण्डप | घर । कुटी। झांपड़ी। जनि-नी, ( स्त्री. ) उत्पत्ति । नारी । मोँ । स्नुषा | बहू । जाया । औषधविशेष । जतुका । जनुस्, न. ) उत्पत्ति | जनु-नू, ( ली. ) उत्पत्ति । जन्तु, ( पुं. ) प्राण वाला । अविद्या के कारण शरीर में आत्माभिमान करने वाला जीव । जन्तुन्न, (पुं. ) वायविडङ्ग । हींग । जीवों को मारने वाला । जन्तुफल, ( सं . ) उदुम्बर | गूलर | जन्तुला, (स्त्री.) काही । बहुत कीड़ों वाली । जन्मन्, (न. ) उत्पत्ति । अपूर्व शरीरादि का सम्बन्ध । जन्मलग्न | जन्मनक्षत्र | जन्मान्तर, (न.) दूसरा जन्म | देहान्तर | जन्माष्टमी, ( स्त्री. ) श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि । भादो मास की कृष्णाष्टमी । जन्मी ( पुं) प्राणधारी जीव । जन्य, (त्रि.) उत्पन्न हुए। उत्पन्न होने योग्य | पिता । अटारी । बदनामी। प्रीति । युद्ध । जय शरीर । नयी विवाहिता स्त्री के जाति भाई । माँ की सहेली | जप्, (क्रि. ) मन ही मन उच्चारण करना | जप, (पुं. ) वेद के मन्त्रों को बार बार उच्चारण करना । जपा, (स्त्री. ) वृक्षविशेष के फूल । जभू, ( क्रि.) मैथुन करना । जमुहाई लेना । जम्, (क्रि. ) भक्षण करना । खाना । जमदग्नि, ( पुं. ) परशुराम का पिता | मुनि- विशेष | जम्पती, ( पुं. ) स्त्री और पुरुष का जोड़ा । दम्पती । जम्बाल, ( पुं. ) कीचड़ | सिवार। केतकी । जिसमें केवड़ा | र्जस्वालिनी, ( स्त्री. ) नदी जम्वाल हो । जम्बु-म्बू, ( स्त्री. ) जामुन का फल । जम्बुक, ( पुं. ) जामुन का पेड़ । गीदड़ | शृगाल | जम्बुद्वीप, (पुं.) सप्तद्वीपों में से एक जम्बूक, ( पुं. ) शृगाल । नीच । वरुण । जामुन । दास । जम्भ, (पुं. ) एक दैत्य । दाँत । अंश । ठोड़ी | तर्कस | (क्रि. ) खाना । जमुहाई लेना । जम्भभेदिन, ( पुं. ) इन्द्र । जम्भला, ( बी. ) एक राक्षसी । कहते हैं, इसका नाम लेने से ज्वर और ज्वर के पूर्व जमुहाई का आना नष्ट हो जाता है। "समुद्रस्योत्तरे तीरे जम्भला नाम राक्षसी । " जय, (पुं.) जीत । नारायण का द्वारपाल। " युधिष्ठिर का कल्पित नाम जो उन्होंने अज्ञात वासके समय रखा था | देवी (स्त्री.) । जयढक्का, ( स्त्री. ) विजयवाद्य । विजय- सूचक बाजा | जयद्रथ (पुं.) सिन्धुदेश का राजा । दुर्यो- धन का बहनोई । अभिमन्यु का मारने वाला । यह अर्जुन द्वारां मारा गया था। जय ८ चतुर्वेदीकोष । १७० जयन्त (पु. ) इन्द्र के पुत्र का नाम जिसने के काक बन कर सीता जी के चोंच से घाव किया था। चन्द्रमा शिव। अज्ञात वास में भीम का नाम । जयन्ती, ( स्त्री. ) दुर्गा | झण्डा | इन्द्र की कन्या का नाम । बुढ़ापा । वृक्षविशेष | भगवान् श्रीरामचन्द्र श्रीकृष्ण आदि के जन्मोत्सव का दिन | जयपत्र, (न. ) विजयसूचक पत्र | अश्वमेध के घोड़े के माथे पर जो पत्र बाँधा जाता था उसे जयपत्र कहते थे । जयपाल, ( पुं. ) वृक्षविशेष | द्रह्मा । विष्णु । राजा । जमालगोटे का पेड़ | जया, (स्त्री.) हड़ | जयन्ती | दुर्गा | भाँग | झण्डी । नील दुर्गा । शान्ता वृक्ष । ज्योतिष में त्रयोदशी, अष्टमी और तृतीया जया तिथि कही जाती हैं। जय्य, (त्रि.) जीतने योग्य । जो जीता जा सके । जरठ, (त्रि.) कठोर । कड़ा । कर्कश | जरत्, (त्रि.) वृद्ध | बूढ़ा । पुराना | जरत्कारु, ( पुं. ) मनसादेवी का पति । एक मुनिविशेष | मनसादेवी ( स्त्री. ) । जरद्भव, (पुं) बूढ़ा बैल । पञ्चतंत्र का एक गीध | जरन्त, (पुं.) भैंसा | बूढ़ा । पुराना | ढीला | जरा, (स्त्री.) बुढ़ापा जल जर्जर, (पुं.) बूढ़ा । अतिप्राचीन । बहुत से पुराना | इन्द्र का झण्डा शक्रध्वजा । ज, (क्रि. ) निन्दा करना । जलू, (क्रि. ) छोंकना। तेज होना । जल, (त्रि.) जड़ । मूर्ख । पेट । ठण्डा | गन्धद्रव्य | लग्न से चौथा घर । पूर्वाषाढ़ नक्षत्र । पाँच तत्वों में से एक तत्त्व जल भी है । जलकण्टक, (पुं. ) सिंघाड़ा । नक । संसार । जलकपि, ( पुं. ) घड़ियाल । शिशुमार । जलकरङ्क, (पुं. ) नारियल । बादल । कमल का फूल । शङ्ख । लहर | जलकाक, ( पुं. ) पानी का कौया । पान- कौड़ी । जरायुज, (त्रि. ) वे प्राणी जो जरा से युक्त उपजते हैं । यथा - मनुष्य, मृग, श्रादि । जरासन्ध, (पुं.) मगध देश का प्रसिद्ध बलवान् राजा कहा जाता है जब यह उत्पन्न हुआ था, तब इसके शरीर के दो भाग पृथक् पृथक् थे । किन्तु जरा नाम की राक्षसी ने उन दोनों को एक कर दिया, इससे इसका नाम जरासन्ध पड़ा। जर्च-ई, (कि. ) कहना | भिड़ना घुड़ कना। जलकुन्तल ( पुं. ) सिवार घास । शैवाल । जलज, जलचर, (पुं.) जल में रहने वाले जीवजन्तु । () सिवार । मछली । कमल शङ्ख या पानी में उत्पन्न हुई कोई भी वस्तु जलद, (पुं.) बादल कपूर जल देने वाला । संख्या जलदागम, (पुं.) वर्षा ऋतु । जलधर, (पुं.) बादल । कपूर । समुद्र पानी रखने वाला । जलधि, (पुं. ) समुद्र । चार विशेष | जलधिजा, (स्त्री.) लक्ष्मी । जलनिधि, (पुं.) समुद्र । चार । जलबुद्बुद, (न. ) बुलबुला जलमार्ग, ( पुं. ) मोरी। नाली । जलमुच् (पुं. ) मेघ । बादल | जलयंत्र, (न. ) फुआरा । पानी की कल । जलवेतस् (पुं.) पानी उत्पन्न हुआ बेत । जलव्याल, ( पुं. ) साँप क्रूरकर्म्मा जीव जल चतुर्वेदीकोष । १७१ जलशायिन, (पुं.) विष्णु | नारायण । जलशुक्लि, ( स्त्री. ) जलजीव | घोंघा | सीप जलहस्तिन, (पुं.) मगर | ग्राह| जलहास, (पुं.) फेन । झाग । समुद्रफेन । जलाधार, (पुं.) तालाव | समुद्र । सिंघाड़ा उशीर | चन्दन | जलावत, ( पुं. ) भँवर । जलूका, ( स्त्री. ) जोंक | जलेचर, (पुं. ) हंस | बतक आदि जल में बिचरने वाले जीत्र | जलेन्धन, (पुं. ) समुद्री आग | वाड़वानल | जलेश्वर, (पुं.) वरुण । समुद्र । जलोच्छ्वास, ( पुं. ) बहुत पानी का चारों ओर बहना । जलोदर, (पुं. ) उदरामय रोग। वह बीमारी जिसके कारण पेट में पानी भर जाता और पेट बढ़ जाता है । जलौकस, ( स्त्री. ) जोंक जलौका, ( स्त्री. ) जोंक । जल्पू, (क्रि. ) बोलना । कहना । बकना । जल्प, (पुं.) दूसरे की बात को काट कर, अपनी बात रखने वाला वचन । बात । गप्प | जल्पाक, (त्रि. ) बड़े बुरे वचन कहने वाला । बकवादी । बक्की वाचाल । बहुत बोलने वाला । जव, (पुं. ) वेग | तेज जवन, (पुं.) वेगवान् घोड़ा । देशविशेष । जातिविशेष । जवनिका, (स्त्री.) परदा | कनात | जवस, (न. ) घास 66 यवस्" भी होता है । अविन्, (पुं. ) घोड़ा । ऊँट । जष, (क्रि.) मारना | छुड़ःनः । जहत्स्वार्था, (स्त्री.) लक्षणाविशेष । जिसे अपना अर्थ छोड़ता है । जवस [११] का जातु जह्नु, ( पुं. ) चन्द्रवंशीय एक रजा । जो गङ्गा को पी गया था । जह्नुतनया, (स्त्री.) गङ्गा । जागर, (पुं.) निद्राऽभाव | नींद का न आना जागना । कवच | जागरित, (न. ) जागा हुआ । जागरूक, (त्रि. ) सावधान | जागा हुआ | जागर्ग्य, ( श्री. ) जागना । जागृ, (क्रि.) जागना । जाग्रत, (न.) जागा हुआ। जाङ्गल, (पुं. ) कपिञ्जल पक्षी । निर्जल देश | हिरन, आदि पशु । कुरुदेश का समीपवर्ती देश, या उस देश के रहने वाले । जाकि, (त्रि. ) धावक | हलकारा । ऊँट । घोड़ा । जात, (न. ) समूह | व्यक्त | प्रकट | जन्म | अच्छा | प्रशस्त । जातक, (न. ) उत्पन्न प्राणी का शुभाशुभ दृष्ट बतलाने वाला । ज्योतिष का एक अन्थ । एक प्रकार का संस्कार | जातरूप, (न. ) सुन्दर | सुस्वरूप | सुवर्ण । जातवेदस्, (पुं. ) वह्नि | आग | चित्रा | चित्रक वृक्ष । जाति, ( स्त्री. ) जन्म । षड्न आदि सात स्वर अद्धद्वारविशेष । चुल्ली । आउला । छन्दभेद | मालतो । फूलदार वृक्षविशेष | जातिब्राह्मण, ( पुं. ) केवल जाति से ब्राह्मण किन्तु कर्म द्वारा नहीं । तप और वेदहीन ब्राह्मण निन्दा योग्य विप्र । जातिस्मर, (त्रि.) पहले जन्म का स्मरय्य रखने वाला । जातीफल, ( न. ) जायफल । जातीय, (त्रि.) जातिसम्बन्धी सजातीय जातु, ( श्रव्य . ) कदाचित् | कभी । निन्दा निषेध | निस्सन्देह । जातुधान, (पुं.) जो पकड़ा जाता है। राक्षस पा कर कभी f जानु ८ चतुर्वेदीकोष । १७२ जातुष, (त्रि.) लाख का पदार्थ । जातूकर्ण, ( पुं. ) शिव मुनिविशेष । जातेष्टि, ( स्त्री. उत्पन्न हुए के संस्कारार्थ किया गया एक यज्ञ | संस्कारभेद । जातोक्ष, (पुं.) युवा । साँड़ | जात्य, ( त्रि. ) कुलीन । श्रेष्ठ | सुन्दर ! जात्यन्ध, (त्रि.) प्रज्ञाचक्षु । जन्म का अन्धा | जात्युत्तर, (न.) झूठा जवाब असत् उत्तर । जानकी, ( स्त्री. ) जनक की कन्या | सीता | जानपद, (त्रि.) देश का | देश से आया हुआ | जानु, ( पुं. न. ) घुटना | जामदग्न्य, ( पुं. ) जमदग्नि का पुत्र + परशुराम । जामातृ, (पुं.) जमाई । स्वामी । प्रिय । लड़की का पति । जामि, ( स्त्री. ) भगिनी । बहिन । बहू कुलस्त्री | जाम्बवत्, (पुं.) जाम्बवान् । रीछों के राजा । जाम्बवती, ( स्त्री. ), श्रीकृष्ण की मार्या । जाम्बवान् की कन्यो । सर्पों को वश में करने वाली । जाम्बूनद्र, (न. ) सोना । धत्तरा। जम्बूनद में उत्पन्न । जाया, ( स्त्री. ) स्त्री । औरत । लग्न से सातवाँ घर । जायु, ( पुं.) दवा । औषध | बूटी । जार, (पुं. ) उपपति । जार | यार । जारज, (त्रि.) उपपति से उत्पन्न सन्तान | कुण्ड | गोलक । जीर्णो 1 जाल्म, (त्रि. ) पामर | नीच | मूर्ख । कर । बेरहम । श्रावला । a जावाल, (पुं.) जवाल ऋषि की सन्तान । जाह्नवी, (स्त्री. ) गङ्गा | भागीरथी । जि, (क्रि. ) जीतना | जिगीषा, ( स्त्री. ) जय करने की इच्छा । प्रकर्ष । उद्यम । जिशासु, (गु.) ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा करने वाला । मुमुक्षु । जित, (न. ) जय । जीत । पराजित । वशीकृत | जितकाशिन्, (त्रि. ) जयी । विजयी | जीतने वाला । जितात्मन्, ( त्रि. ) जिसने मन अथवा इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया है । जितेन्द्रिय | जितेन्द्रिय, (त्रि. ) देखो जितात्मन् । जित्वर, (त्रि. ) जयशील । जीतने वाला । जिन, (पुं.) संसार को जीतने वाला | बुद्ध | विष्णु । जैनियों के पूज्यविशेष । जिषू, (क्रि.) सींचना | जिष्णु, (पुं.) अर्जुन | इन्द्र | विष्णु | सूर्य्य | अष्टवसु । जीतने वाला जिह्म, (त्रि.) कुटिल । तिरछा । मन्द | मूर्ख | तगर का वृक्ष | जिह्मग, ( पुं. ) जो टेढ़ा हो कर चलता है | सर्प । साँप । मदन का वृक्ष । कुटिल | जिह्वा, ( स्त्री. ) रसना । जीभ । जिह्वामूलीय, ( पुं. ) अक्षर जो जिह्वा को जड़ से उच्चारित किये जाते हैं । जिह्वारद, ( पुं. ) दन्तहीन । जीम ही से चाबने वाला पक्षी । जाल, (पुं.) मच्छी पकड़ने का जाल । कदम का पेड़ । झरोखा । छिद्र । फरेब । ठगई । धूर्त्तता | दम्भ । समूह | मोचकफल । नवीन कलियों का समूह । जालिक, (पुं.) फन्दा फँसाने वाला | धीवर । मल्लाह | मैकड़ी । मर्कटक । जीन, (त्रि.) वृद्ध | बूढ़ा | जीमूत, ( पुं. ) मेघ - मोथा | पर्वत | देव- ताड़ वृक्ष | इन्द्र । जीर, (पुं.) जीरा । खड़ | छोटा । जीर्णोद्धार, (पुं. ) संस्कार | मरम्मत | जावू चतुर्वेदीकोष । १७३ जीव्, (क्रि. ) प्राण धारण करना । जीना । जीव, (पुं. ) प्राणी । जीवन का उपाय | वृक्षविशेष । जीवघन, ( पुं. ) हिरण्यगर्भं । जीवजीव, (पुं.) जीवों को जिलाने वाला | चकोर चिड़िया । जीवन, ( न. ) वृत्ति । जीविका | जल | टटका मखाना । जीवन्ती, ( स्त्री. ) हर्र । गुरुच | जीवाख्य शाक | जीवन्मुक्त, (त्रि.) जीते जी संसार को छोड़ने वाला । आत्मा का साक्षात् करने वाला । जीवस्थान, (न.) जीव का स्थान । मर्म- स्थान | जीवा, ( स्त्री. ) रोदा । पृथिवी । वचा । जल । जीवातु, (पुं. ) श्रन्न । जीवन | मुर्दे को जीवित करने वाली औषधि । जीवात्मन्, (पुं.) देहाभिमानी जीव । जीविका, ( स्त्री. ) जीवन का उपाय | वृत्ति | रोजी | आजीविका जीवितेश, ( पुं. ) यम । चन्द्रमा | सूर्य | प्रिय । स्वामी । जीवोपाधि, (पं.) जीव की उपाधि | स्वप्न, जाग्रत् सुषुप्ति अवस्था । जु, (क्रि. ) जोर से चिल्लाना जुग, ( कि ) त्यागना | छोड़ना । जुगुप्सा, ( स्त्री. ) निन्दा करना । जुटिका, ( स्त्री. ) शिखा । जुटे हुए बाल । जुड़, (क्रि.) बाँधना । जाना । जुत्, (क्रि.) चमकना । जुन्, (क्रि.) गति | जाना । जुष, ( कि. ) प्रसन्न होगा। जुष्ट, (न.) जूठा । सेवित । जुहू (स्त्री.) होम करने का पात्रविशेष श्रवा । ज्ञान जूति, (स्त्री. ) वेग | तेजी से चलना । जूर, (क्रि. ) बूढ़ा होना । जूर्ति, ( स्त्री. ) ज्वर | ताप | बुखार | जूष, (क्रि.) मारना । जभ, (क्रि. ) मूँ खोलना । जमुहाई लेना | जम्भ, ( पुं. ) जमुहाई । जम्भकास्त्र, (न. ) शत्रुदल में सुस्ती फैलाने ८ वाला अस्त्र । ज, (क्रि. ) बूढ़ा होना । जैमन, (न.) भोजन । खाना जेय, (त्रि.) जीतने योग्य | (क्रि. २) क्षय होना । नाश होना। जैत्र, (त्रि.) विजयी | जीतने वाला | पारा | औषध | दवाई | जैन, ( पुं. ) अर्हत् का उपासक । जैनी । जैमिनि, ( पुं. ) व्यासशिप्य एक मुनि विशेष, जिसने वेद पर मीमांसा के सूत्र रचे हैं । जैवातृक, (पुं. ) चन्द्रमा | औषध | कपूर | बड़ी उम्र वाला । जोषम्, (अन्य ) सुख । प्रशंसा | बड़ाई | चुपचाप । लाँघना | जोषा, ( स्त्री. ) नारी । स्त्री । औरत । जोषित्, ( स्त्री. ) नारी स्त्री । जोषिका, ( स्त्री. ) कलियों का गुच्छा | स्त्री । शपू, (क्रि. ) प्रसन्न करना । ज्ञपित, (त्रि.) जनाया गया। मारा गया । शप्ति, ( स्त्री. ) वुद्धि | जानना । सूचना | ज्ञा, (क्रि. ) बोध होना । जानना । शाति, ( पुं.) पिता के वंश में उत्पन्न । सपिण्ड । बिरादरी । ज्ञान, (न. ) जानकारी । बोध । ज्ञानयोग, (पुं.) निष्ठाविशेष । ब्रह्म को प्राप्ति का उपाय । ज्ञानवापी, ( स्त्री. ) काशी में एक तीर्थ विशेष | ज्ञाना सतुर्वेदीकोष । १७४ ज्ञानापोह, ( पुं. ) विस्मरण । भूलना । ज्ञान का जाता रहना। ज्ञानाभ्यास, (पुं.) ज्ञान का अभ्यास | शानिन्, (त्रि. ) तत्त्वज्ञानी | जानने वाला । यथार्थ बात को जानने वाला । ज्ञानेन्द्रिय, ( न. ) ज्ञान की इन्द्रिय | यथा-कान, आँख, नाक, जीभ, अन्तः- करण, मन । ज्या, (क्रि.) बूढ़ा होना । ज्या, (स्त्री.) होदा । धनुष चढ़ाने की डोरी । ज्यानि, (स्त्री. ) जीर्णत्व । बुढ़ापा । पुरा- तनत्व | हानि । नदी । ज्यायस् (त्रि.) बहुत बुड्ढा । ज्युत्, (क्रि. ) चमकना । ज्येष्ठ, (त्रि.) बड़ा | सब की अपेक्षा बड़ा । अमंज। बहुत अच्छा । ( स्त्री. ) गङ्गा । अलक्ष्मी अठारहवाँ नक्षत्र | ज्येष्ठतात, (पुं.) पिता से बड़ा काका या चाचा | ज्यैष्ठाश्रम, (पुं. ) गृहस्थाश्रम ज्यैष्ठी, ( पुं. ) जेठ मास । ज्येष्ठा नामक चान्द्रमास | ज्यैष्ठ्य, ( न. ) ज्येष्ठत्व । बड़प्पन | ज्योक, ([अव्य. ) अब शीघ्र । प्रश्न | ज्योतिरिङ्ग, (पुं. ) प्रकाश की भाँति चमकने वाला । खद्योत । ज्योतिर्विदू, ( पुं. ) ज्योतिष विद्या जानने A • वाला । गणक | ज्योतिश्चक्र, ( न. ) सूर्य्यादि ज्योति- मण्डल सत्ताइस नक्षत्र वाला राशिचक्र | ज्योतिःशास्त्र, ( न. ) ग्रह और नक्षत्र आदि की गति और स्वरूप का निश्चय कराने वाला शास्त्र | ज्योतिष, (न. ) ग्रहादि की गति, स्थिति, यादि जनाने वाला शास्त्रविशेष | वृद्धि । बढ़ती । ज्योतिष्टोम, ( पुं. ) यज्ञविशेष जिसे सम्पन्न करने के लिये सोलह कर्मकाण्डी विद्वानों की आवश्यकता होती है । ज्योतिष्मत्, ( पुं. ) सूर्य | लक्षद्वीप का एक पहाड़। मालकानी लता । रात्रि । ज्योतिष वाला / चित्त की एक वृत्ति विशेष | ज्योतिस्, ( पुं. ) सूर्य अग्नि । मैथी का शाक । आँख की पुतली पदार्थ । स्वयं प्रकाशमान । नक्षत्र । प्रकाश । चैतन्य | झ ज्योत्स्ना, ( स्त्री. ) कौमुदी । चाँदनी | चन्द्रमा की किरन । चाँदनी रात | ज्यौतिषक, ( पुं. ) दैवज्ञ | गणक | ज्योतिषी । ज्रि, (क्रि.) दवाना । तिरस्कार करना । श्री, (क्रि. ) बूढ़ा होना। ज्वर, (क्रि. ) रोगी होना । ज्वर, (पुं.) ताप | बुखार | ज्वर, (पुं.) ताप दूर करने वाला। गिलोय चिरायता ।- ज्वरापहा, ( स्त्री. ) बिल्वपत्र | ज्वरनाशक बुखार दूर करने वाला | ज्वरित, (त्रि.) ज्वरयुक्त | ज्वलू, (क्रि. ) चमकना | चलना । ज्वलन, ( पुं. ) वह्नि । आग | दांति | चमकना । दाह । जलना । ज्वलनाश्मन्, (पुं. ) सूर्यकान्तमणि । ज्वलित, (त्रि.) दग्ध । जला हुआ। उज्ज्वल चमकीला | ज्वाल, (पुं. ) भाग की शिखा। ज्वालजिह्व, (पुं. ) आग | ज्वालामुखी, (स्त्री.) दुर्गा का स्थान | ज्वालावक्र, (पुं.) शिव नाम | आग | ज्वालिन्, (त्रि.) शिव जी का नाम । जलता हुआ चमकता हुआ । Utt झ, ( पुं. ) झंझावात। बृहस्पति । इन्द्र | ध्वनि | आवाज । नष्टद्रव्य | हिराई हुई वस्तु । बन्द करना । झग चतुर्वेदीकोष । १७५ झग-ति, (श्रव्य. ) शीघ्र | एक बार ही । भङ्कार, (पुं. ) भरे की गूज झङकृति, ( स्त्री. ) काँसे के बर्तन का शब्द । झन्झा, ( स्त्री. ) एक प्रकार का शब्द । बड़ा वायु, जिसके साथ जल भी हो । झट्, (क्रि. ) एकत्र होना झटिति, (अन्य ) शीघ्र । उसी समय | तत्क्षण | झणत्कार, (पुं.) नूपुर, कङ्कण आदि का शब्द । झम्प, ( पुं. ) वेगपूर्वक ऊपर से नीचे गिरना | कूदना | झर, (पुं. ) करना । । झर्च, (क्रि. ) कहना । घुड़कना झर्चर, (पुं.) ढोल कलियुग। नदविशेष बाजा । झल्लरी, ( स्त्री. ) वाद्यविशेष | साफ़ | गीला | ढोल । झष, ( कि. ) मारना । लेना । बन्द करना | झष, (पुं.) मच्छ ताप | धूप | वन | झषकेतु (पुं.) मछली का निशान वाला । कामदेव झाट, (पुं.) लताच्छादित स्थान फोड़ा को धोना । झामक, (न.) बहुत पकी हुई ईट । झिङ्गिनी, (स्त्री.) वृक्षविशेष । उल्का । झिली, (स्त्री.) झींगुर झुण्ट, ( पुं.) स्तम्ब । झाड़ी । झ, (क्रि. ) पुसना पड़ना । बूढ़ा होना । झड, (पुं. ) सुपारी का वृक्ष भ्यु, (क्रि.) जाना । डोलना । ञ ञ, (पुं.) बैल । शुक | तिरछे हो कर गमन करना । सङ्गीत | गाना । घर्घर शब्द । घुरघुराना । . 1 टक्, ( कि. ) बाँधना | टक्कर, (पुं.) शिव जी । टगर, (गु.) तिरछी आँख वाला। गड़बड़ी क्रीड़ा | ट ट, ( पुं.) टङ्कार (धनुष की ) | बौना । चतु- थौश। शपथ । पृथिवी । नारियल की नरेरी । टङ्क, (क्रि. ) बाँधना । जोड़ना । ढकना । टङ्क, (पुं. ) कुदाली । कुल्हाड़ी | खड्ग | ख • की म्यान । उतार | कोप । अहङ्कार | अभिमान । टाङ्ग दरार । दर्रा । बनैले सेव का वृक्ष । सुहागा । चाँदी का माप जो चार माशे होता है। अङ्कित मुद्रा | टङ्कक, (पुं. ) चाँदी का रुपया | मोहर । टङ्कन, ( पुं.) खारविशेष | सुहागा । टङ्कटीक, (पुं.) शिव जी का नाम । टङ्कार, (पुं. ) धनुष के रोदे को खींच कर छोड़ने पर जो शब्द होता है उसे टङ्कार कहते हैं । टङ्किका, ( स्त्री. ) कुल्हाड़ी | कुदाली । टट्टनी, ( स्त्री. ) घरेलू छोटी छिपकली । टट्टरी (स्त्री.) वाद्ययंत्रविशेष | हँसी की बात झूठ । ढोल । टट्टुर, ( पुं. ) ढोल का शब्द । टलू, टाङ्कम्, (क्रि. ) गड़बड़ में पड़ना । ●) मद्यविशेष । टाङ्कर, (पुं.) लम्पट व्यभिचारी पुरुष । टाङ्कार, (सं.) झनङ्कार टङ्कार टार, (पुं. ) घोड़ा । बालमैथुनकारी । टिकू, (क्रि.) जाना । डोलना । टिटि (ट्टि ) भ, (पुं.) टि टि बोलने वाला टिटहरी चिड़िया | टिप्. (क्रि. ) प्रेरणा करना । चलाना | फेंकना । ढालना । टिप्पणी-नी, ( स्त्री. ) टीका | टीकू, (क्रि. ) जाना | टीका, (स्त्री.) कठिन पद्यों का सरल अर्थ अथवा भाषान्तर | दु, ( सं . ) सोना । वह जो इच्छानुसार अपना रूप बदल सके । कामदेव | कुरोट टुण्टक, (गु.) छोटा | स्वल्प । दुष्ट। निर्दय । कठोर । टेरें-टेरक, " ( पुं.) ढेदा । जिसकी दृष्टि तिरछी हो । टोर, (पुं.) छोटा । स्वल्प । टुल, (क्रि. ) गड़बड़ी में पड़ जाना । ठ चतुर्वेदीकोष । १७६ ठ, ( पुं. ) रव । चन्द्र अथवा सूर्य्य मण्डल | वृत्त । शून्य । पवित्रस्थान | मूर्ति । देव | शिव जी का नाम । ठक्कुर, (पुं. ) देवप्रतिमा । ठाकुर | प्रतिष्ठा- सूचक एक उपाधि | काव्यप्रदीप के अन्धकार का नाम । ठार, (पुं. ) पाला बरफ ठालिनी, ( स्त्री. पटंका। कमरबन्द | ड, (पुं.) शब्दविशेष । एक प्रकार का ढोल या मृदङ्ग | वाडवाग्नि । समुद्र की आग | भय । शिव चाष पक्षी । डक्कारी, (सं.) चाण्डाल का बाजा । बीन । सारङ्गी या तम्बूरा | डपू, (क्रि. ) एकत्र करना | इकट्ठा करना । डम्, (क्रि. ) शब्द करना । बजाना । डम, (पुं. ) डोम | नीच जाति । उमर, (पुं.) विप्लव गदर लड़ाई । शत्रु को भावभङ्गी और ललकार से डराना । डर कर भाग निकलना । डमरु, ( पुं. ) एक प्रकार का बाजा जो शिव जी को बड़ा प्रिय है। कापालिक सम्प्रदाय के शैवियों का वाद्ययंत्र । डम्बू, (क्रि. ) फेंकना । भेजना | देखना | आज्ञा देना | डम्बर, ( गु. ) प्रसिद्ध । ( सं . ) सभा । समूह | दिखावट | समानता । अहङ्कार डम्भ, (क्रि. ) एकत्र करना । डलक- डल्लक, (न.) डलिया। डला । डवित्थ, (पुं.) लकड़ी का हिरन । डाकिनी, ( स्त्री. ) काली देवी की एक सहचरी । डांकृति, ( स्त्री. ) घण्टे का नाद | झालर का शब्द | डामर, ( पुं. ) इस नाम का शिवकथित एक. तंत्रग्रन्थ है । ( गु. ) भयानक : आश्चर्य- प्रद दृश्य । कोलाहल । • वर्णसङ्कर जाति विशेष । । डाहल, ( पुं.) देशविशेष के अधिवासी । डाहुक, (पुं.) जलकुकट । डिक्करी, ( स्त्री. ) युवती । डिङ्गर, (पुं. ) नौकर । गुण्डा | धूर्त्त । ठग | नीच पुरुष | मोटा आदमी अपचार डिण्डिम, (पुं.) छोटा ढोल । वृक्षविशेष । डिण्डिर, ( पुं. ) समुद्रफेन । डित्थ, (पुं.) काठ का बना हाथी | सुस्वरूप । श्यामवर्ण वाला । विद्वान् । सम्पूर्ण शास्त्रों के रहस्य को जानने वाला । डिप्, ( कि. ) एकत्र करना | फेंकना । डालना । भेजना निर्देश करना | डिवू, ( क्रि. ) प्रेरणा करना । चलाना । डिम्, (क्रि.) मारना । चोटिल करना ! घायल करना । डिम, ( पुं. ) दस प्रकार के दृश्य काव्यों अर्थात् नाटकों में से एक । डिम्ब, (पुं.) बच्चा । विसव । डर कर चीत्कार करना । अण्डा | गोला। गेंद | गोलाकार पुष्प | तिल्ली । डिम्बिका, ( स्त्री. ) दुश्चरित्रा स्त्री । डिम्भ, (पुं॰ ) शिशु । बच्चा | बछड़ा | मूर्ख | मूढ़ । डी, (क्रि. ) उड़ना । आकाश में गमन करना | डीन, (न.) पक्षियों का उड़ान | डुण्डुभ-म, ( पुं॰ ) सर्पविशेष जो विषैला नहीं होता | डण्डुल, (पुं. ) छोटी जाति का उल्लू । 1 चतुर्वेदीकोष । १७७. डन्दुक, (पुं.) जलपक्षी विशेष । डोम, (पुं. ) चाण्डाल । नीचजातिविशेष | डोर, (पुं.) कलाई में बाँधने का डोरा । डोर। डोरी। ड्डल, (क्रि. ) मिलाना । संमिश्रण करना | ढ, (पुं. ) शब्दविशेष | बड़ा ढोल | कुत्ते की पूँछ । कुत्ता | सर्प । निर्गुण । ढक्का, ( स्त्री. ) बड़ा ढोल | अन्तर्धान होने की क्रिया । ढामरा, ( स्त्री. ) हंस | ढालम्, (न. ) ढाल । ! ढालिन्, ( पुं. ) योद्धा जिसके पास ढाल हो । दुण्ढनम्, (न. ) ढूँढ़ | खोज | दुण्ढि, (पुं) गणेश जी । ढौल, (पुं.) ढोल या मृदङ्ग । ढौकू, (क्रि. ) जाना | समीप पहुँचना । ढौकन, (त्रि.) भेंट चढ़ौती | घूँस | तड़ा

संस्कृत भाषा में ऐसे शब्दों का प्रभाव ही समझना चाहिये जिनके चारम्भ में “ण " हो । (6 धातुपाठ में कुछ धातु है जो " ण" से लिखे जाते हैं । किन्तु वास्तव में वे " " " से न लिखे जा कर न] " से लिखे जाते हैं ।। ण" के साथ लिखे जाने का कारण यह है कि इससे यह सूचित होता है कि " न " कतिपय उपसर्गों के पूर्व आने से “ ण " के साथ भी परिवर्तित होता है । ण, (पुं.) ज्ञान । निर्णय | भूषण | जल | जल का स्थान । बुरा मनुष्य । शिव । न । देना । भेंट | गड्, (क्रि. ) भाव दिखा कर नाचना | मारना । दू, (क्रि. ) ऐसा शब्द करना जो समझ में न आवे । शू, (क्रि. ) छिपाना । नाश होना । गहू, (क्रि. ) बाँधना णिज्, (क्रि. ) शोधना। साफ करना | णिस्, (क्रि. ) चूसना | णी, (क्रि. ) पहुँचाना । ले जाना | शु, (क्रि. ) स्तुति करना । स्तव करना | प्रशंसा करना | त त, ( पुं. ) पूंछ । गीदड़ की पूँछ । छाती । गर्भाशय । टोहनी | योद्धा | चोर | दुष्टजन | जातिच्युत | बर्बर | बौद्ध | रत्न | अमृत | छन्द में गणविशेष | तक, (क्रि. ) दुःखी होना । उड़ना । झपटना | हँसना | चिढ़ाना | सहन करना | तक्र, (न. ) छाछ | माटा | तक्षु (क्रि. ) काटना । तक्षक, ( पुं. ) बढ़ई । लकड़कटा । नाटक का मुख्य पात्र । विश्वकर्मा | नाग का नाम | कश्यपपुत्र ।

तक्षन, (पुं. ) वढ़ई । लकड़हारा । विश्व- कर्मा । तक्षशिला, ( स्त्री. ) तिन्ध देश की एक नगरी । तगर, ( पुं. ) एक पेड़ का नाम । तङ्कन, (न. ) कष्ट सहित जीवन व्यतीन करना । तच्छील, (त्रि.) उस स्वभाव वाला कोई जीव । त, (क्रि. ) ऊँचा होना | तट, (त्रि.) किनारा तीर । नदी का गर्भ | शिव जी का नाम । क्षेत्र | तटस्थ, (त्रि.) तीरवर्त्ती । समीप का । उदासीन पुरुष | तटाक, (पुं.) कम जल वाला तालाव | तटाग, (पुं. ) तालाव | तटा-घात, (पुं. ) हाथी का सूँड़ ऊँची कर के उसे पटकना । कुअरक्रीड़ा | तदि तटिनी, ( स्त्री.) नदी । तडाग, (पुं.) तालाव | हिरन फँसाने का C फन्दा । तड़ित्, ( स्त्री. ) बिजली । दामिनी | तडित्वत्, (पु.) बादल । चतुर्वेदीकोष १७८ तण्डक, (पुं.) भाग। बहुसमासयुक्त वाक्य | मायावी । P तण्डुल, (पुं. ) चावल । तत्, (अन्य ) हेतु | इस लिये । इस कारण । तद्गुण, ( पुं. ) अर्थालङ्कारभेद । तद्धन, (त्रि. ) कृपण । सूम | तत, (न. ) वायु हवा । वीणा | घिरा | तद्धित, (पुं. ) उसके लिये हितकर | नाम के आगे लगने वाले प्रत्यय हुआ। फैला हुआ । ततस्त्य, (त्रि.) वहाँ का | वहाँ होने वाला | तति, ( स्त्री. ) श्रेणी । पंक्ति | पतीर । समूल | फैलाव । तत्काल, (पुं. ) उसी समय । वर्त्तमान काल । हो रहा समय । तत्कालधी, (त्रि.) सिर पर आयी आपत्ति को निवारण करने की वृद्धि | तक्रियः, ( त्रि. ) अवैतनिक काम करने वाले । तत्क्षण, (पुं.) उसी समय । झट । तत्त्व, (न.) सच्चाई | निष्कर्ष | यथार्थरूप | परमात्मा । ब्रह्मत्व नाचना बजाना । गाना | चित्त । वस्तु । सांख्य के मतानुसार पच्चीस पदार्थ | तत्पर, ( त्रि. ) तङ्गत | तैयार | सनद्ध । तत्परायण, (त्रि.) तदासक्त । उसीमें लगा हुआ | तत्पुरुष, (पुं.) परमात्मा | समासविशेष | तत्र, ( श्रव्य. ) उस समय । उस जगह वहाँ । तत्रत्य, ( अव्य. ) वहाँ होने वाला । वहाँ को तन्तु वस्तु । तत्रभवत्, (त्रि. ) पूज्य । पूजा के योग्य | तथा, ( श्रव्य. ) साम्य | वैसे ही । निश्चय | तथाच, (अव्य.) जैसा किं । तथाहि, (अन्य ) दृष्टान्त उदाहरण | तथ्य, ( न. ) सत्य | तद्, (त्रि.) पहिले कहा हुआ | तदा, (श्रव्य. ) उस समय । तब | तदात्मन्, (त्रि. ) उस रूप वाला । तदानीम्, (अव्य.) तब | उस समय । तद्गत, (त्रि.) तत्पर किसी कार्य में लगा हुआ। तद्वत्, (अव्य. ) उसके समान । तन्, ( कि. ) फैलना । विस्तृत होना । तमय, ( पुं.) पुत्र | बेटा | बेटी | लता । बेल | सूरन । जिमीकन्द । तनिमन्, ( पुं. ) छुटाई | मिहीन | कोम- लता । 'तनु, ( स्त्री. ) शरीर | देव । मूर्ति । श्राकार | ( गु. ) थोड़ा | बिरला । लटा मिनि । तनुच्छाया, (पुं.) शरीर की परछाई या शोभा । 'थोड़ी छाया वाला बचूर का पेड़ । तनुत्र, (न. कवच | तनुभस्रा, ( स्त्री. ) नासिका । नाक तनुभृत् (पुं.) जीव । शरीर को अपना । मानने वाला । तनुवार, (न. ) कवच | सन्नाह | तनुस्, (न. ) शरीर | देह | काया । तनूनपात्, ( पुं. ) अग्नि । श्रग । तनूरुह, (न.) रोम | रोएँ । चिड़ियों के पर, जो शरीर पर उगें । तज्ज, (क्रि. ) सिकोड़ना। तन्तु, ( पुं. ) आह । सन्तान | सूत | तान | तन्तुनाभ, ( पुं. ) मकड़ी तन्तुनिर्यास, (पुं. ) ताल वृक्ष । तन्तुपर्वन्, ( न. ) यज्ञोपवीत धारण करने कराने का पर्व । श्रावणी पूर्णिमा | सलूनो । तन्तु चतुर्वेदीकोष तन्तुर, (न.) ताँत वाला । मृणाल । तन्तुवाप, (पुं.) जुलाहा कोरी । तन्तुवाय, ( पुं. ) जुलाहा । कोरी । कपड़ा विनने वाला । तन्तुविग्रह, (स्त्री. ) केला । तन्तुशाला, (स्त्री.) सुन बनने का घर ।

तन्तुसन्तत, 1 त्रि. ) सिला हुआ कपड़ा ! तंत्र, (न. ) सिद्धान्त । निर्णय । चौषध । कुनबा । प्रधान बड़ा । जुलाहा । कोरी । परिच्छद। पराधीन हो कर काम करने वाला । हेतु । अर्थसिद्धकारी । ताँत स्वराज्य चिन्ता । परिजन | नौकर | प्रबन्ध | शपथ । धन | घर । बोने का उपस्कर । कुल । वेद की शाखा विशेष । शास्त्रविशेष शिव जी कथित शास्त्रविशेष । | तंत्रक, ( न. ) नया कपड़ा । तंत्रावाप, (पुं.) जुलाहा | कोरी । तंत्रिका, ( स्त्री. ) गुर्च | गिलोय | तंत्री, (स्त्री.) वीणाविशेष । गिलोय । शरीर की नाड़ी। रस्सी । नदी। युवती । तन्द्रा, ( स्त्री. ) उँघाई | नींद | तन्द्रालु, ( त्रि.) बहुत सोने वाला । तन्मय, (त्रि. ) उसीमें निवेशिन चित्त वाला। उसीमें लगा हुआ | तन्मात्र, (त्रि. ) वही । उसी त्राकार का । तन्वी, (स्त्री.) बेलविशेष कृशाङ्गी । कोमल प्रकृति की स्त्री । पतली कटि वाली स्त्री । छन्दविशेष | तपू. ( किं.) जलाना । तपाना | तपती, (स्त्री.) सूर्य की स्त्री, जिसका नाम छाया है । एक नदी ( तापती ) सूर्य्य तनया, जिसके योग से कुरु तापत्य बोले जाते हैं । तपन, ( पुं. ) ताप सूर्य । भिलावे का पेड़ नरकविशेष । गर्मी की ऋतु मदार का पेड़ | सूर्य्यकान्तमणि । तपनतनय, (पुं. ) यम यमुना । शर्मा । ● 4 । १७६ 1 तपस्या, ( स्त्री.) तप | व्रतचर्या | तपस्विन्, (त्रि. ) तापस | तपस्वी । तप करने वाला। दीन । चिड़िया | तपस्विनी, ( स्त्री. ) तप करने वाली । दीना | दुःखिनी । जाटामांसी । तपात्यय, (पुं. ) वर्षाकाल | इसकाला । तपोधन, ( पुं. ) तपस्वी । तपन नामक वृक्षविशेष | । तपोवन, (न.) तपस्वियों के तपने का वन । तीर्थविशेष । तप्तकुम्भ, (पुं. ) नरकभेद | ततकृच्छ्र, (न. ) व्रतविशेष । तम्, (क्रि.) थक जाना । कष्ट उठाना । तम, ( पुं. ) तमोगुण । राहु | तमाल का तमो तपनी, ( स्त्री. ) गोदावरी । तपनीय, (न. ) सोना । तपने योग्य तपस् (पुं.) माघ मास । शिशिर ऋतु । जनलोक के ऊपर का लोक। आलोचन | अपने आश्रम का शास्त्रविहित कर्मानुष्ठान ।

चान्द्रायण आदि व्रत | लग्न से नवम गृह | २ तपस्य, (पुं. ) फागुन मास | कुन्द का पुष्प | तप में संलग्न | वृक्ष । तमस्, (न. ) अन्धकार । शोक | पाप । कार्याकार्य का विचार न करना | गुण विशेष | राहु । ! तमस्विनी, ( स्त्री. ) रात | तमाल, (पुं. ) वृक्ष । तिलक, वरुण वृक्ष । खड्ग । तमि ( स्त्री. ) अन्धेरे वाली। रात । तमिस्र, (न. ) अन्धकार | अन्धेरा । कोप । गुस्सा | अज्ञान । अन्धकारमयी रजनी । तमित्रपक्ष, (पुं. ) अन्धेरा पक्ष । तमोघ्न, (पु. ) मूर्य । अग्नि | चन्द्र | बुद्ध | विष्णु | शिव । तमोज्योतिस्, (पुं..) जुगुनू । खद्योत । तमोगह, (पुं. ) ज्ञान सूर्य चन्द्र श्राग तर चतुर्वेदीकोष । १८० तरक्षु, ( पुं. ) भेड़िया । मार्ग रोकने वाला । तरङ्ग, (पुं.) लहर | तरङ्गिणी, (स्त्री.) तरङ्ग वाली | नदी । तरङ्गित, (त्रि. ) लहरों वाला । चञ्चल । तरण, (पुं. ) डोङ्गा | स्वर्ग । (क्रि. ) । तरना तरणि, (पुं.) सूर्य | डोङ्गा । अकउग्रा । किरन । ताँबा । नौका। ज़िमींकन्द । तरतम, (त्रि.) न्यून, अधिक भाव वाला । अर्थ | तरपराय, (न. ) नदी की उतराई। पार जाने का महसूल तरल, (पुं.) हार। चपल । कामी । विस्तार | चमकीला | पनीला । मद्य । लस्सी । तरवारि, (पुं.) तलवार । शत्रु की गति को रोकने वाली । तरसू, (न.) जल | वेग | तरसा, ( श्रव्य ) झट । श्रति शीघ्र । तरस्विन्, ( पुं. ) हवा । गरुड़ | शीघ्रगामी वीर । तरि-री, ( स्त्री. ) नाव। पिटारी | पलड़ा । तरु-ष-खण्ड, (पुं.) वृक्षसमूह या वृक्षों के टुकड़े । तरुण, ( पुं. ) अण्डी का पेट | जीरा । पुष्प विशेष | नया | युवा | फिर से उदित । गर्म + कोमल ! सद्यः । युवती नारी । तरुणज्वर, (पुं.) सात दिन चढ़ा रहने वाला ज्वर । तुरन्त चढ़ा हुआ ज्वर खूब चढ़ा हुआ बुखार | तरुविलासिनी, ( स्त्री. ) नवमल्लिका | तर्क, (पुं. ) आकांक्षा | वितर्क | विचार | सम्भावना | तर्क, (क्रि. ) चमकना तर्कु, ( पुं. ) यंत्रविशेष | बेलना | कातने का साधन । तर्ज, (क्रि. ) झिड़कना । तर्जनी, ( स्त्री. ) अङ्गठे के पास की उङ्गली | तर्ण्य, ( पुं॰ ) वत्स । प्रिय | सद्यः प्रसूत शिशु | गौ का हाल का व्याना बच्चा तादा तई, (क्रि. ) मारना । तर्दू, ( स्त्री. ) लकड़ी की कछीं । तर्पण, (न. ) प्रसन्न करना । पितृयज्ञ | उदक- किया। तृप्त करना । तर्व, (क्रि. ) जाना | तर्ष, ( पुं. ) अभिलाष । तर्हि, (अव्य. ) तो | तदा । उस समय । तलू, (क्रि. ) स्थिर होना । पूरा करना । प्रतिज्ञा पूर्ण करना | तल, (पुं. न.) स्वरूप । निचला भाग । थपेड़ । ताल का वृक्ष । तलवार की मुठिया | स्वभाव | तलप्रहार, (पुं. ) थप्पड़ मारना । चनकटा मारना । तलातल, (न.) पाँचवाँ पाताल लोक । तलित, (न. ) भुना मांस | तलुन, ( पुं. ) वायु । युवा | पट्टा । ( १ ) युवती स्त्री । तल्प, (पुं. ) खाट । सेज | दारा । स्त्री | तल्लज, (पुं.) प्रशस्त । बहुत अच्छा | तष्ट, (त्रि.) छोटा किया गया । तष्टृ, (पुं. ) बढ़ई । विश्वकर्मा जातिविशेष । तस्, (क्रि.) सजाना । ऊपर फेंकना । तस्कर, (पुं. ) चोर । दमनक पेड़ | ताच्छिल्य, (न. ) निर्दिष्ट स्वभाव वाला | ताटस्य, (न.) उदासीन होना। पास होना । ताडका, ( स्त्री. राक्षसीविशेष जो रामचन्द्र जी द्वारा मारी गयी थी । ताड़नी, (स्त्री.) चावुक । हण्टर ताण्डव, ( न. ) पुरुष का नाच | घास विशेष ज़ोर से नाचना | ताण्डवप्रिय, (पुं.) शिव | तात, (न.) पिता पुत्र | दया | करने योग्य | काका | चाचा । पूमने योग्य । तात्पर्य, (न. ) आशय । निष्कर्ष | अभिप्राय | तादर्थ्य, (न. ) उसके लिये । तादात्म्य, (न.) अभेद। एक ही रूप वाला । ताट चतुर्वेदीकोष | १८१ तादृक्ष, (त्रि.) उस प्रकार का । उस जैसा । तान, (पुं.) एक धागा कमल का डोरा । उच्चस्वर | फैलाव । विस्तार । तांत्रिक, (त्रि. ) तंत्रशास्त्र को जानने वाला | ब्रह्मवादी । ताप, ( पुं. ) सन्ताप । गर्मी। शोक | कठिन | दुःख । तापस, (न.) तप करने वाला । दमनक वृक्ष । तापसतरु, ( पुं. ) इङ्गदी का पेड़ | तापिञ्छ, ( पुं. ) ताप दूर करने वाला पेड़ | 1 1 तमाल वृक्ष । • तापी, ( स्त्री. ) विन्ध्य पर्वत की एक नदी जिसका वर्त्तमान प्रसिद्ध नाम तापती है । तामरस, (न. ) पद्म । कमल । सोना । धतूरा छन्द जिसके पाद में बारह अक्षर होते हैं । तामस ( पुं. ) साँप । उल्लू । नीच । श्रविद्याग्रस्त | राहु की सन्तान । रात । जटामांसी । तामिस्र, (पुं. ) अन्धेरे वाला | नरकविशेष | राक्षस वस्तु को उल्टा दिखाने वाला यज्ञान | ताम्बूल, (न. ) नागवल्ली का पत्ता पान गुवाक | 1 ताम्बूल करङ्क, (पुं. ) पान का बिलहरा | ताम्बूलिक, (पुं.) पान बेचने वाला । तमोली । ताम्र, (न.) ताँबा | लाल रङ्ग । i ताम्रकर्णी, (स्त्री.) पश्चिम दिशा की हथिनी | एक नदी । ताम्रकार, ( पुं. ) कसेरा । ताम्रकूट, (न. ) तमाखू । ताम्रचूड, (पुं. ) मुर्गा । कुकट । ताम्रपट्ट, (न.) ताँबे की पटरा । ताम्रपर्णी, (स्त्री.) नदीविशेष । ताम्रपल्लव, ( स्री. ) मजीद | लाल I बेल ताल ताम्रबीज, ( पुं. ) लाल बीज वाला | ताम्रशिखिन्, (पुं.) कुकुट । मुर्गा | ताम्रसार, ( पुं. ) ताँबे की भस्म । लाल चन्दन का बुरादा ताम्रिक, ( पुं. ) एक जाति । ताम् (क्रि.) पालन करना | तार, (पुं. ) प्रेरणा सञ्चालन । वानर विशेष । शुद्ध मोती । प्रणव (ओं) | देवी का प्रणव ( ह्रीं ) । तरना | तारा | पुतली | ऊँचा शब्द | निर्मल | महाविद्या विशेष | बृहस्पति की स्त्री | तारक, (पुं. ) तारने वाला । मल्लाह । दैत्यविशेष | तारा | पुतली | तारकजित्, (पुं. ) तारकासुर को जीतने वाला कार्तिकेय । तारकित, (न. ) तारों वाला । आकाश | तारतम्य, (न.) न्यूनाधिक्य | थोड़ा बहुत । भेद अन्तर तारापति, ( पुं. ) तारा का स्वामी । शिव । चन्द्रमा वृहस्पति । वाली । सुग्रीव । तारापथ, (पुं.) आकाश । तारापीड, (पुं. ) चन्द्रमा | राजाविशेष | ताराभ्र, ( पुं. ) कपूर तारिणी, (स्त्री.) तारने वाली । पार्वती । दूसरी महाविद्या | तार्किक, ( पुं. ) तर्कशास्त्री । नैयायिक पण्डित | तार्क्ष्य, ( पुं. ) तार्क्ष की श्रौलाद । गरुड़ | रु | साँप | घोड़ा । सोना । रथ । तार्तीयक, (न. ) तीसरा | तृतीय | ताल, ( पुं. ) वृक्षविशेष । हड़ताल । देवी का सिंहासन । राग का माप । ताली बजाना । काँसे का बना हुआ बाजा । खड्ग की मूठ | ताला | तालक, (न.) ताला । हड़ताल | तालध्वज, ( बलभद्र | बलराम । ताल तालवृन्त, (न. ) पङ्खा | बीजना | तालाङ्क, (पुं.) बलभद्र । बलदेव । तालिक, ( पुं. ) थप्पड़ । हथेली । तालु, (न.) मुख में जीभ के ऊपर का भाग 1 तालुजिह्व, (पुं. ) तालु ही जिसकी जिह्वा है । कुम्भीर | नक्र के जीभ न होने पर भी वह तालु ही से जिह्वा का काम लेता है। तावत्, (अव्य. ) तब तक | इतना | निश्चय | प्रशसा | वाक्य का भूषण तब इतना बड़ा । तिक्र, (क्रि. ) जाना । तिक्क, ( पुं. ) कसैला | खट्टा | चतुर्वेदीकोष | १८२ तिग्म, ( न. ) तीक्ष्ण । तेज | तिग्मरश्मि, ( पुं. ) सूर्य्य | तेजस्वी | तिघ्, (क्रि. ) हनन करना । तिज्, ( किं. ) क्षमा करना । तितउ, ( पुं. ) चलनी । छोटा छाता । तितिक्षा, ( स्त्री.) क्षमाशीलता सहन- शीलता । तितिक्षु, (त्रि.) सहनशील । शीतादि सहने वाला । तितिभ, ( पुं. ) जुगनू । खद्योत | इन्द्रगोप | तित्तिर- तितिरः, ( पुं० ) तीतर नामक पक्षी तिथ, (पुं. ) आग | प्रेम | समय । वर्षाऋतु । शरत्काल । तिथि, (पुं. स्त्री. ) चन्द्रमान की गणना से दिनों की गिनती । पन्द्रह की संख्या । तिथिक्षय, ( पुं. ) जिसमें चन्द्रमा की तिथि का नाश होता है । श्रमावास्या | तिथि- नाश । तिथिपत्री, ( स्त्री. ) पञ्चाङ्ग | जन्त्री । तिथिप्रणी, (पुं. ) चन्द्रमा । तिनिश, (पुं. ) वृक्षविशेष । तिन्तिंड-डी, ( स्त्री. न. ) इमली का पेड़ | खट्टी चटनी | . तिन्दु-तिन्दुलः, तिन्दुक, ( पुं. ) वृक्ष विशेष । मापविशेष | तिष, (क्रि.) छिड़कना । बून्दें टपकाना । छानना । उड़ेलना । चुआना | बचाना | तिम्, (क्रि. ) भिगोना । नम करना | तिमि, ( पुं. ) ह्वेल जैसे शरीर की बड़ी मछली । तिमिङ्गिल, ( पुं. ) बड़ा भारी मच्छ जो तिमि को भी निगल जाता है। . तिल तिमित, (त्रि. ) गोला । तिमिर, (न. ) अन्धकार नेत्ररोग | लोहे का चूरा एक प्रकार का तिमिरमय, ( पुं. ) राहु की उपाधि । ग्रहय । तिरयति, (क्रि. ) छिपाना 1 गुप्त रखना। बाधा देना रोकना । जीतना | तिरक्षीन, (त्रि. ) टेढ़ा हो गया । तिरस, (अन्य ) अन्तर्धान | छिपना | तिरस्करणी, ( श्री. ) परदा | क्रमात | अष्ट हो जाने की विद्या । तिरस्कार, (पुं ) अनादर | अपमान | तिरोधा, (क्रि. ) अदृश्य होना । छिपना | जीतना हटाना। , तिरोधान, ( न. ) [अन्तर्धान छिपना | पिछौरा | बुरका | परदा तिरोहित, (त्रि.) छिपा हुआ | ढका हुआ | तिरोभाव, (पुं.) छिपाव । ढकाव । तिर्थक्, ([अव्य.) टेदा | रुका हुआ | योनि- विशेष । पशु, पक्षी, वनस्पति आदि । तिल, (क्रि. ) चीकन करना | चिकनाना | तिल, (पुं. ) स्वनाम ख्यात वृक्षविशेष | तिली | तिलक, ( पुं. ) तिल का वृक्ष । घोड़ा विशेष रोगविशेष | टीका जो मस्तक पर लगाया जाता है। तिलकर, ( न. ) तिली की धार । तिली का चूरा | तिलकल्क, ( पुं.) तिली का नूरा । तिल की चटनी | चतुर्वेदीकोष । १८४ तुझ तुङ्गभद्र, (दुं . ) मदचूर्णित हाथी । ( 1 ) ( स्त्री. ) दक्षिण भारत की एक नदी का नाम जो कृष्णा नदी में गिरती है । तुङ्गमुख, (पुं.) गैंड़ा। तुङ्गशेखर, ( पुं. ) पहाड़ । तुङ्गी, (स्त्री. ) रात्रि | हल्दी | तुच्, ( पुं. स्त्री. ) सन्तान । औलाद । वैदिक प्रयोग | तुच्छ, (पुं.) रीता | रहित । व्यर्थ | हल्का | छोटा । त्यक्त । क्षुद्र । दीन । अभागा । ( न. ) भूसी रहित धान्य । तुष तुच्छद्रु, (पुं.) एरण्ड वृक्ष । तुज्, (क्रि. ) मारना | घायल करना । तुट्, (क्रि. ) झगड़ा करना । झगड़ना ।• चोटिल करना | तुटम, (पुं.) चूहा घूँस तुटितुट, (पुं.) शिव का नाम । तुडू, (क्रि. ) तुच्छ समझना । अपमान करना । तुरण, (क्रि.) टेढ़ा करना | झुकाना । धोका देना | छलना | ऐंठना •तुराड्, (क्रि. ) दबाना । तुण्ड, (न. ) मुख | चोंच | (सुअर की ) तुरीयवर्ण, ( पुं. ) शूद्र वर्ण । घूँथनी । तुण्डिका, ( स्त्री. ) नाभि । टुड़ी । तुरिडकेरी, ( स्त्री. ) कपास का पौधा । तालु की सूजन | तुण्डिन्, (पुं.) शिव जी के नादिया का नाम । तुण्डिभ, (गु.) बातूनी । बड़ी नाभि वाला । तुत्थू, (क्रि. ) प्रशंसा करना | ढकना । श्रोट करना । फैलाना । तुथ, ( पुं. ) अग्नि | एक प्रकार का अञ्जन | पत्थर | ( 1 ) ( स्त्री. ) छोटी इलायची | नील का पौधा | तुत्थक, (पुं.) तूतिया । तुद्, (क्रि.) चोटिल करना । चुभोना । कुरेदना | तुला खेख करना। पीड़ा करना | तह करना । अत्याचार करना। तुन्द, (पुं.) पेट | ताँद । तुन्दकपी, ( स्त्री. ) नाभि । टुड़ी । तुन्न, (पुं.) वृक्ष । पीड़ित | काटा गया । तुन्नवोम, ( पुं. ) कटे हुए को जोड़ने वाला । तुम्, ( कि. ) मारना | घायल करना तुमुल, (पुं.) कलिवृक्ष | ( गु ) घबड़ाया हुआ | भम्भरिहा। शोर गुल मचाने वाला । तुम्बू, (क्रि. ) कष्ट देना । मारना । तुम्ब, ( पुं. ) कूष्माण्ड | तुम्बड़ी | तौ भी । तुम्बरु, ( पुं. ) गन्धर्वविशेष । वाद्ययंत्र विशेष | तमूरा | तुर्, (क्रि ) शीघ्रता करना पकड़ लेना । भागना । तुरकिन्, ( पुं. ) तुर्की | तुर्क देश का | तुरक्कः, (पुं.) तुर्कदेशवासी | तुर्क । तुरग, ( पुं. ) घोड़ा । मन | विचार | तुरगरक्ष, (पुं.) साईस | तुरङ्ग, (पुं.) घोड़ा । सात की संख्या | मन | तुरी, (स्त्री.) जुलाहे का यन्त्रविशेष | तुरीय, (त्रि.) चौथा | चार भाग वाला । आत्मा की चतुर्थ दशा । ब्रह्म । तुरुष्क, (पुं.) गन्धद्रव्य विशेष तुरुक । तुर्य्य, (त्रि.) चौथा | तुर्व्, (क्रि.) मारना | तुर्वसु, ( पुं. ) ययाति राजा का पुत्र । तुलू, (क्रि. ) तोलना | मापना | तुलसी, ( स्त्री. ) वृक्षविशेष | जो विष्णु को परम प्रिय है। तुला, ( स्त्री. ) तराजू । सादृश्य । माप | बड़ा पात्र | सातवीं राशि | तुलाकोटि, ( स्त्री. ) विधिया । पायजेन । झान्झन । मापविशेष | तुलाधार, (त्रि. ) वया । तोलने वाला । तुलापुरुष, (पुं.) सोलह प्रकार के महादानों में से एक प्रकार का दान | तुलि तुलित, (त्रि. ) परिमित मापा गया। समान किया गया। तुल्य, (त्रि. ) बराबर । सदृश | समान | तुल्ययोगिता, ( स्त्री. ) अर्थालङ्कार का एक भेद । तुवर, (पुं.) एक प्रकार का धान । कसैले स्वाद का । तुष, ( क्रि० ) प्रसन्न करना । सुष, ( पुं. ) बहेड़े का वृक्ष | धान का किला | भूसी । तुषानल, (पुं ) तिनकों की आग । प्राचीन समय में दण्ड का एक विधान था जिसे प्राणदण्ड दिया जाता उसके शरीर में घास लपेट कर बाँध दी जाती थी और फिर उसमें आग लगा कर वह जला डाला जाता था । तुषार, (पुं. ) बर्फ । श्रद । कुहासा | चतुर्वेदकोय | १८५ कपूर । सुष्टि ( ६.. ) सन्तोष तु, (क्रि.) मारना । तुहिन, ( न. ) हिम | बर्फ चन्द्रमा का तेज | तुहिनांशु, ( पुं. ) चन्द्रमा | चाँद । तूग्ण, ( क्रि. ) सिकोड़ना भरना तूण-गी, ( पुं. स्त्री. ) तरकस | तूणीर, ( पुं. ) तरकस । तूर्ण, (न. ) शीघ्र | त्वरा वाला । तूर्य्य, (क्रि.) मारना ( न. ) वाद्ययन्त्र विशेष | तुरही बाजा | तूल, (क्रि. ) भरना करना । तूल, ( पुं. न. ) एक प्रकार का कपास । आकाश । तुन्द नामक वृक्ष । तूलिका, ( स्त्री. ) शब्द का साधन । तूवर, (पुं. ) बेसींग वाली गौ | बेदाढ़ी मूँछ का पुरुष । कसैला रस। ! नेज तूस्त, (न. ) जटा | लट | धूर | महीन | तृग्गू, (क्रि. ) खाना | तृण, (न.) तिनका । घास तूष्णीक, ( त्रि. ) चुप रहने वाला | तूग्णीम् ( श्रव्य. ) मौन । चुप चाप । तृणकाण्ड, ( न. ) तिन अथवा घास का ढेर | तृणनुभ, ( पुं. ) नारियल । ताल । खजूर । तृणधान्य, ( सं . ) विना जोती हुई भूमि में उत्पन्न धान | नीवार । धान्यविशेष | तृणराज, ( पुं. ) ताल का वृक्ष तृणौकस्, ( न. ) तिनकों का बना हुआ घर | तृण्य, ( स्त्री. ) तिनकों का ढेर । तृतीय, (त्रि.) तीसरा तृतीयप्रकृति, ( स्त्री. ) हिजड़ा । नपुंसक | तृतीया, ( स्त्री. ) तीज । तृतीयाकृत, (त्रि.) तिगुना किया गया | तृद्, (क्रि. ) अनादर किया गया । तृन्ह, (क्रि. ) मारना। तृप्, (क्रि. ) तृप्त होना । तृप्ति, ( स्त्री. ) पेट भर जाना । प्रसन्न होना | सन्तुष्ट होना । तृफ्, (क्रि. ) प्रसन्न होना । तृफला, ( स्त्री. ) हरे, बहेरा, आमला का संयोग तृफला कहलाता है। तृष्, (क्रि. ) चाहना | तृष्णा करना । तृषाभू, ( श्री. ) लॉम | हृदय का एक स्थान | तृषित, ( त्रि. प्यासा | चाई वाला । तृष्णाक्षय, ( पुं. ) मन को रोकना चाह का नाश । तृहू, (क्रि.) मारना । त, ( क्रि. तरना । पार होना । उद्दलना । दबाना । तेज, (क्रि. ) तेज़ करना | पैना करना | तेजः फल, (पुं.) तेजबल का वृक्ष | तेजस्, ( न. ) उष्ण | अग्नि आदि द्रव्य आग | प्रकाश । पराक्रम | वीर्य । घी । तपाने वाला। ज्योति । सूर्य । कान्ति ( शरीर की ) | सुवर्ण श्रादि धातु द्रव्य | तेज चतुर्वेदीकोष | १८६ पित्त । अपमान आदि का न सहना । घोड़ों का स्वाभाविक बल ब्रह्म सत्त्व- गुण ( सांख्यमतानुसार ) | तेजस्विनी, ( स्त्री. ) तेजबल । बेल । तेज वाली स्त्री । तेजीयस्, (त्रि. ) तेज वाला । तेजोमय, ( त्रि. ) ज्योतिर्मय । प्रकाशमय । ज्योतिष्मती प्रधान तेज वाला । तेजोमात्रा, ( स्त्री. ) सत्त्वगुण का अंश | इन्द्रियसमूह | तेषु, (क्रि. ) काँपना | गिरना | तेम, (पुं.) श्राद्रभाव । गीला होना । तेमन, (न. ) चूल्हाविशेष | भाजी | गीला करना। तैजस, (न.) तेज का विकार । घी चम- कला । सूक्ष्म शरीर । तैतिल, ( पुं.) गैंड़ा | तैत्तिरीया, ( स्त्री. ) यजुर्वेद की शाखा विशेष | कृष्णयजुः | तैत्तिरीय, (त्रि. ) तैत्तिरीय शाखा का पढ़ने वाला या जानने वाला तैमिरिक, ( न. ) पुरुष जिसकी आँख में जाला हो गया हो । तैर्थिक, (त्रि. ) दर्शन शास्त्र का रचने वाला | कपिल कणाद प्रभृति । तैल, (न.) तेल | तैलकार, (पुं. ). तेली । तैलकिट्ट, (न. ) तेल का मैल | खली । तैलङ्ग, ( पुं. ) कर्णाटक, तैलङ्ग देश के वासी । तैलफला, ( स्त्री. ) इङ्गुदी का पेड़ । तैलम्पाता, ( स्त्री. ) श्राद्ध । तैलमिश्रित | तैलीन, (त्रि.) तिलों का खेत । तैष, ( पुं. ) पूस मास । पौष मास की पूर्णिमा | तोकं, (न.) अपत्य | सन्तान | पुत्र | बेटा | लड़की। बेटी । त्रपा तोटक, ( न. ) छन्द जिसका बारह अक्षर का पाद होता है । तोडू, (क्रि. ) अनादर करना । अप्रतिष्ठा करना। बेइज्जत करना। तोत्र, ( न. ) छड़ी, | गौ हाँकने को साँटी | चाबुक हण्टर | अंकुश तोदन, ( न. ) मुख | मूँ । व्यथा । पीड़ा । तोमर, (पुं. ) एक प्रकार का लोहे का डंडा जिससे लड़ाई में शत्रुसंहार करने के अर्थ काम लिया जाता था । तोयकाम, ( पुं ) पानी चाहने वाला | पानी का बेत : तोयद, (पुं.) बादल । मोथा। घास । तोयधि, ( पुं. ) समुद्र । तोयसूचक, ( पुं. ) मेड़क । तोरण, ( पुं. न. ) बाहिरी द्वार । द्वार का बाहिरी प्रदेश । गर्दन । तोल, (पुं. न. ) तोलक । मापविशेष । एक तोला + तौर्य्य, ( ल . ) मृदङ्ग तबला आदि बाजों का शब्द | . तौर्य्यत्रिक, ( न. ) नाचना, गाना और बजाना तीनों काम तौलिक, ( पुं. ) चित्रकार । मूर्ति बनाने वाला । मानचित्र | नकशा त्यज्, (क्रि.) छोड़ना । दान देना । त्यक्ल, (गु.) छोड़ा हुआ | त्यागा हुआ । त्याग, ( पुं. ) उत्सर्ग | छुड़ाव | पृथक्त्व | दान | उदारता । त्यागिन्, ( त्रि. ) दाता| शूर वर्ज्जनशील | त्यागी। कर्मफल छोड़ने वाला । त्याज्य, (त्रि. ) त्यागने योग्य | छोड़ने योग्य । बाहिर निकालने योग्य । त्रकू, (क्रि.) जाना । त्रपू, (क्रि.) लज्जित होना । त्रपा, (बी.) लज्जा । कुलटा स्त्री | कुल | कीर्ति | यश : त्रपु, (न. ) टीन | सीसा । त्रपुटी, (स्त्री.) छोटी इलायची । त्रपुस्, (न. ) राँगा | टी चतुर्वेदीकोष । १८७ त्रय, (न. स्त्री. ) तीनों का भाग । तीन भाग वाला। तीन संख्या वाला । वेदत्रयी | देवत्रयी | कुटुम्बिनी स्त्री । चच्छी बुद्धि । त्रयीधर्म, (पुं. वेदत्रयी से विधान किया गया धर्म। वैदिक धर्म त्रयोदशन, ( त्रि. ) तेरह । त्रयोदशी । असू, (क्रि. ) डरना | भय खाना । त्रसरेणु (पुं. ) सूर्य की किरण में व्याप्त परमाणु का छठवाँ अंश । सूर्य की स्त्री का नाम । अस्त, (त्रि.) भीत। डरा हुआ । चकित । हैरान | जल्दी | त्वरा | त्रस्नु, (त्रि.) डरपोक । भीरु । त्रापुष, (त्रि. ) राँगे अथवा टीन का पात्र | त्रि, (त्रि.) तीन । त्रिंश, (त्रि. ) तीस या तीसवाँ । त्रिक, (न.) तीन का समुदाय पीठ की हड्डी के नीचे का प्रदेश | त्रिफला । त्रिकटु | ( सोंठ, मद्य, मिरच ) । त्रिककुद् (पुं.) त्रिकूट पर्वत । त्रिकाल, (न. ) भूत | भविष्यत् । वर्त्तमान | त्रिकालश, (पुं. ) ज्योतिषी सर्वज्ञ सन कुछ जानने वाला । त्रिकूट, (पुं.) लङ्का जिस पर्वत पर बसी वह सुवेल पर्वत । 1 त्रिपु त्रिजटा, ( स्त्री. ) एक राक्षसी । त्रितय, ( न. ) तीन वस्तुओं का समूह | तीन । त्रिदण्ड, (न.) संन्यासियों का चिह्न । त्रिदण्डी, (पुं. ) संन्यासीविशेष । त्रिदश, ( पुं. ) देवता । त्रिदशाधिप, ( पुं. ) इन्द्र | परमात्मा विष्णु त्रिदशालय, (पुं ) देवतों के रहने का स्थान । स्वर्ग | त्रिदिव, (पुं. ) आकाश | स्वर्ग | त्रिदोष, ( पुं. ) सन्निपात की अवस्था, जन वात पित्त श्लेष्मा तीनों में दोष हो जाता है। त्रिधा, ( श्र.) तीन तरह । तीन टुकड़े । त्रिधामा, ( पुं. ) अग्नि | शिव | विष्णु । त्रिनयन, ( पुं. ) शिव (त्रि. ) तीन आँख वाला । ( स्त्री. ) दुर्गा । क्रोधी । त्रिनेत्र, (पुं.) महादेव जी । त्रिपथगा, ( स्त्री. ) गंगा | तीन रास्तों से जाने वाली । मन्दाकिनी आदि नामों वाली । त्रिपदी, ( स्त्री. ) लताविशेष । एक वैदिक छन्द | हाथी के पैर बाँधने की साँकल | तिपाई । एक भाषा का छन्द | त्रिपर्ण, ( पुं. ) ढाक | बेल का वृक्ष । त्रिपात्, ( पुं. ) विष्णु । ज्वर । त्रिपुट, (पुं. ) दोना । हथेली । धनुष । चमेली। छोटी इलायची | गोखरू | त्रिपुराडू, (न.) मस्तक में भस्म की तीन लकीरों का तिलक । श्राड़ा तिलक । त्रिपुर, (पुं.) दैत्यविशेष । मयासुर के बनाये असुरों के तीन सोने चाँदी और लोहे के पुर, जिन्हें शिव जी ने बाण मार कर भस्म कर दिया। त्रिकोण, (त्रि.) त्रिभुज | लग्न से नवाँ और पाँचवाँ स्थान | त्रिगर्त, ( पुं. ) तीन गढ़े । देशविशेष । उस देश के रहने वाले । त्रिगुण, ( न. ) रज, सत्त्व और तमस् । त्रिगुणाकृत, (त्रि.) तिगुना खींचा गया था | त्रिपुरभैरवी, (स्त्री.) देवीविशेष । त्रिपुरारि, (पुं. ) शिव । जोता गया खेत आदि । त्रिगुणात्मक, (त्रि. ) त्रिगुणमय । त्रिगुण रूप। , ( न. ) अज्ञान । ' प्रधान ' नामक तत्त्व | त्रिपुष्कर, ( पुं ) एक ज्योतिष का योग | ( न. ) पुष्करक्षेत्र | तुर्वेदीकोष १८८ त्रिफ त्रिफला, ('स्त्री. ) हड़, बहेड़ा, आँवला | त्रिभंगी, ( स्त्री. ) एक प्रकार का भाषाबन्द्र | त्रिभुज, (न.) तीन कोने वाला क्षेत्र । त्रिभुवन, (न.) स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल - ये तीनों लोक | त्रिमधु, (न.) घी, मिश्री, शहद त्रिमार्गगा, ( स्त्री. ) गंगा । श्राकाश, पृथ्वी और पाताल तीनों रास्ता से जाने वाली । त्रिमूर्ति, ( पुं.. ) ब्रह्मा, विष्णु, शिव त्रियामा, ( श्री. ) रात | हल्दी | नील | यमुना । करना । त्रिरेख, ( पुं. ) शंख । ( त्रि. ) तीन रेखा वाला । त्रिलोकी, ( स्त्री. ) तीनों लोक । त्रिभुवन | त्रिलोकेश, ( पुं. ) विष्णु । शिव | सूर्य । त्रिलोचन, (पुं. ) शिव । त्रिवर्ग, ( पुं. ) धर्म, अर्थ, काम | सत्व, रज, तम | आमदनी खर्च और बढ़ती। त्रिविक्रम, ( पुं. ) वामन अवतार से रूप बढ़ाने वाले श्रीविष्णु | तीनों लोक नाप कर भी एक पॉव घट रहने से त्रिविक्रम नाम हुआ | ! त्वदी त्रिशिरा, ( पुं. ) बुखार । कुबेर राक्षस विशेष | त्रिविध, (त्रि.) तीन तरह का । त्रिविष्टप, (न.) स्वर्ग त्रिवृत्, (पुं. ) मन, प्रण, श्रकार | त्रिवेणी, ( स्त्री. ) प्रयाग में स्थित गंगा यमुना सरस्वती का संगमस्थल | त्रिवेणु, (पुं. ) रथ का धुरा । त्रिशंकु, ( पुं. ) एक सूर्यवंशी राजा | टीड़ी | त्रियुग, ( पु. ) यज्ञपुरुष । त्रिरात्र, ( न. ) तीन रातें । त्रुटित, (त्रि.) टूटा हुआ । त्रिरुक्ल, ( न. ) तीन बार कह कर प्रतिज्ञां । त्रेता, ( स्त्री. ) सत्ययुग के बाद का ( दूसरा ) ! युग जुगनू । बिल्ली । पपीहा त्रिशिख, ( पुं. ) एक राक्षस बिल्वपत्र | ( न. ) त्रिशूल किरीट मुकुट | (त्रि. ) तीन नोकों वाला । त्रिशूल, (न. ) तीन नोकों वाला अन । त्रिशूली, (पुं. ) शिव । त्रिष्टुप् , ( स्त्री. ) एक वैदिक बंद । त्रिसन्ध्या, ( स्त्री. ) सबेरे, दोपहर और शाम त्रिसवन, (न. ) त्रिकाल न त्रिहायणी, ( स्त्री. ) तीन बरस की गऊ | द्रौपदी त्रुटि, (स्त्री.) लेश | संशय जितनी देर में आँख झपकती है उतना समय कमी । हानि | गल्ती । त्रेधा, (श्र.) तीन तरह। तीन रूप त्रैगुण्य, ( न. ) संसार तीन ( सत्त्व, रज, तम ) गुण | त्रैमासिक, ( त्रि. ) तीन महीने का | त्रैराशिक, (न. ) गणितविशेष । त्रैलोक्य, (न. ) त्रिलोकी । त्रैवर्णिक, (त्रि. ) द्विज । ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य वर्ण का । व्यक्ष, (पुं. ) तीन नेत्र वाला । शिव । व्यक्षर, (पुं.) ओंकार । त्र्यङ्गुल, ( न. ) तीन अंगुल की माप । त्र्यम्बक, (पुं. ) शिव | त्रिनेत्र | त्रिलोचन | त्र्यम्बकसखा, ( पुं. ) शिव का मित्र कुबेर । व्यहस्पर्श, ( पुं. ) वह दिन जिसमें तीन तिथियों का समावेश हो जाय । त्वक् (स्त्री.) खाल । छाल । त्वकूसार, (पुं. ) वाँस | तेजपात | दाल- चीनी । गुर्च । “ त्रि. ) जिसमें केवल छाल ही छाल हो ऐसा वृक्ष अथवा प्राणी | त्वकसुगन्ध, (पुं.) नारङ्गी | त्वचा, (स्त्री.) खाल । छाल । त्वदीय, (चि.) तुम्हारा। त्वद्वि चतुर्वेदीकोष १८६ | त्वद्विध, (त्रि. ) तुम्हारे ऐसा | त्वरा, ( स्त्री. ) जल्दी । फुर्ती। शीघ्रता । त्वष्टा, (पुं.) विश्वकर्मा । १२ आदित्यों में से एक आदित्य । बदई । चित्रा नक्षत्र । त्वाद्दश, (त्रि. ) तुम्हारा ऐसा | त्वाष्ट्र, (पुं.) विश्वकमी का पुत्र । वृत्रासुर । त्विष्, ( स्त्री. ) शोभा | कान्ति । प्रकाश । त्विषांपति, (पुं.) सूर्यदेव । त्सरु, ( पुं. ) तलवार की मूठ । कब्जा | त्सरुक, (त्रि.) तलवार पकड़ने या चलाने में चतुर । थ थ, (पुं. ) पहाड़ | बचाने वाला रोगभेद । भयचिह्न | भक्षण | ( न. ) मंगल | साहस । थुत्कार, (पुं.) थूकने का शब्द । थूथू, (श्र.) निन्दासूचक शब्द । थैथै, (अ.) नाच के समय मृदंग के बोल | द य, ( पुं. ) यह समास के पीछे श्राता है। देना । उत्पन्न करना । काटना नष्ट करना। पृथक् करना । भेट । पहाड़ । ( स्त्री. ) भार्य्या | गर्मी | पश्चात्ताप | दंश, (क्रि. ) डसना । काटना । मारना । दंश, (पुं. ) बनैली मक्खी | मर्म | गुप्त भाग | दोष ( रत्न का ) | दाँत । कवच । श्रङ्ग । दंशन, (न.) डसना डङ्क मारना । कवच पहने हुए । दंशित, (त्रि.) कवच पहने हुए । दंशेर, (पु.) हानिकारक । दंष्ट्रा, (स्त्री.) दाद | इंष्ट्रिन्, ( पुं. ) शूकर | साँप | कुत्ता आदि दाढ़ वाला । दकं, (न. ) जल | जैसे " द कोदर " दग्ध दक्षू, (कि. ) उगना । बढ़ना । करना | चोटिल करना । दक्ष, (त्रि.) निपुण पट्ट कार्यकुशल । " नाव्ये च दक्षा वयम् 1 दक्षकन्या, ( श्री. ) सती । दक्ष प्रजापति की कन्या | अश्विनी आदि नक्षत्र | दक्षिण, (पुं. ) नायक विशेष | मध्य देश के दक्षिण वाला देश । शरीर का दहिना भाग । सरल । दूमरे की इच्छानुसार चलने वाला उदार स्वभाव | + दक्षिणतस्, ( श्रव्य. ) दक्षिण दिशा या देश दक्षिणपूर्वा, ( स्त्री. ) अग्निकोण । दक्षिणमार्ग, (पुं. ) पितृमार्ग । मार्ग जिससे पितृलोक में जीव जाता है । तंत्र का विधानविशेष | दक्षिणस्थ, (पुं.) रथवान | सारथि | दक्षिणा, (स्त्री. ) यमराज की दिशा | यज्ञान्त में कर्मसमाप्ति के अर्थ दिया जाने वाला द्रव्य । यज्ञपत्नी । प्रतिष्ठा । रुचि प्रजापति की कन्या । दक्षिणाग्नि, (पुं) यज्ञीय श्रग्निभेद । दक्षिणाचार, (पं.) आचारविशेष | दक्षिणात्, ([अव्य. ) दक्खिन से । दक्षिणापथ, (पुं.) अवन्ती । दक्षिण दिशा का देश | दहिनी ओर का रास्ता | दक्षिणामूर्ति, ( पुं. ) शिव की मूर्ति विशेष | दक्षिणायन, (न.) कर्क संकान्ति से मकर राशि पर्यन्तं जब सूर्य जाते तब सूर्य का जो श्रयन बदलता है, उसे दक्षिणायन कहते हैं । इस अयन में सूर्य छः मास रहते हैं । दक्षिणावर्त्त, (त्रि.) दहिनी ओर घूमा हुआ। दक्षिण्य, (त्रि. ) दक्षिणा के योग्य दग्ध, (त्रि.) भरम किया हुआ जलाया हुआ । ● दघ् दघ्. (क्रि.) मारना । विनष्ट करना । दण्ड, (न. ) लाठी | डण्डा | घोड़ा | सेना | साठ पल का कालविशेष भूमि का माप विशेष । सूर्य का अनुचर । राजाओं की चौथी नीति । दण्डका, (स्त्री.) दण्डक वन के अन्तर्गत जन- स्थान नामक स्थानविशेष | दण्डकारण्य, (न. ) दण्डक नामक राजा का देश जो शुक्र के शाप से वन हो गया था तीर्थ विशेष | दण्डधर, (पुं. ) यमराज राजा | कुम्हार | दण्डनायक, (पुं. ) कोतवाल | सिपाही । दण्डनीति, (स्त्री. ) नीतिविशेष । फौजदारी की श्राईन । चतुर्वेदीकोष । १६० दण्डपारुष्य, ( न. ) स्मृतिकथित श्रठारह प्रकार के झगड़ों में से एक राजाओं का दुर्व्यसनविशेष | दण्डवत् (पुं.) दण्ड ले जाने वाला। बड़ी सेना वाला। दण्ड की तरह सतर खड़ा होने वाला पसर कर प्रणाम करने वाला । दण्डादण्डि, ([अव्य.) लाठमलाठी | दण्डाहत, (न. ) माठा | तक्र | छाछ । दण्डिन्, (पुं. ) राजा । यमराज द्वारपाल । सूर्य के पास विचरने वाला । संन्यासी | चौथे आश्रम वाला । कनिविशेष | दप्त, (त्रि. ) दिया गया । रखा गया । छोड़ा गया। बारह प्रकार के पुत्रों में से एक | वैश्य की उपाधिविशेष । दत्तात्रेयी नामक भगवदवतारविशेष । दत्ताप्रदानिक, (न.) दी हुई वस्तु को पुनः ले लेने का झगड़ा नारदकथित व्यव हारभेद । दत्तात्मन्, (पुं.) पुत्रविशेष । दत्रिम, (त्रि.) दत्तक पुत्र | गोद आया लड़का । द, (कि. ) देना । धीरज बँधाना । दद्रु, ( पुं. ) दाद रोग ! कछुआ । दद्रुघ्न, ( पुं. ) दाद को दूर करने वाली दवा । दुगुण, (त्रि. ) दाद का रोगी । दद्रु, ( पुं.) दाद । दधू, (क्रि. ) देना | धारण करना । दधि, ( न.) दही । एक प्रकार का दूध का विकार | दधिकूचिका, ( स्री. ) गर्म दूध में खट्टा दही डाल कर जो एक पदार्थ तैयार किया जाता है। दधिसार, (पुं.) दही का सार । मक्खन । दधीचि, ( पुं. ) अथर्व मुनि का औरस पुत्र | मुनि जिसकी हड्डी से वृत्र दैत्य के मारने को वज्र बनाया गया था । दनु, ( स्त्री. ) कश्यपपत्नी । दक्ष प्रजापति की कन्या दानव माता राक्षसमाता । दैत्यमाता । दनुज, ( पुं. ) असुर दैत्य । दन्त, (पुं.) दाँत | दन्तक, (त्रि.) दातों में लगा हुआ । नागदन्त । दन्तकाष्ठ, (न. ) दतवन । मुखारी | दन्त- धावन । दन्तच्छद, (पुं. ) होंठ । दन्तधावन, (पुं.) खदिर और बकुल का पेड़ | दतौन । दतवन । दन्तपत्रक, (न. ) दाँत की तरह जिसके सफेद पत्र हो । कुन्दपुष्प । कुन्द्र का फूल | दन्तवक्र, ( पुं. ) बड़े बड़े दाँतों वाला। श्रीकृष्ण जी का विरोधी राजाविशेष | दन्तबीजक, (पुं.) अनार | दाडिम। दन्तालिका, (स्त्री.) लगाम । दन्तावल, (पुं. ) हाथो । दन्तिन्, (पुं.) दाँतों वाला । हाथी । दन्तुर, (त्रि.) ऊँचे दाँत वाला । नीची ऊँची जगह | चतुर्वेदीकोष | १६१ ' दन्त्य, (त्रि. ) दाँतों की सहायता से बोले जाने वाले अक्षर । दाँतों के लिये हितकर | दन्दक, (पुं. ) साँप । दम्भू, (क्रि. ) चोटिल करना । छलना । धोखा देना । दभ्र, ( गु. ) `छोटा | थोड़ा । ( पुं. ) समुद्र । दम्, (कि. ) अधीन करना । अपने वश में करना । दम, ( पुं. ) बाहिर की वृत्तियों का रोकना दम कहलाता है। बुरे कामों से मन को हटाना । कीचड़ | रोकना । दमघोष, ( पुं. ) शिशुपाल का पिता । चन्द्रवंशीय एक राजा दमयन्ती, ( स्त्री. नल राजा की पत्नी । दमघोष की लड़की । भद्रमल्लिका । दमित, (त्रि.) रोकने वाला सहने वाला । इन्द्रियों की वृत्तियों को अपने वश मे करने वाला । - दमु-मू, (पुं.) श्रग्नि शुक्राचार्य । दम्पती, (पुं. ) पति पत्नी । जोड़ा । दम्भ, ( पुं. ) कपट | छल । धूर्तता । पाप । अभिमान । घमंड | दम्भोलि, (पुं.) वज्र नाम अस्त्र । एक प्रकार का हथियार योग की कष्टसाध्य मुद्राविशेष | दस्य, ( पुं. ) वयस्क । बोझा उठाने योग्य | बछड़ा। बैल। वश करने योग्य । दयू, (कि. ) जाना। मारना । देना । पालन करना । दरकाण्टिका, ( स्त्री. ) शतावरी । दरद्, ( स्त्री. ) बाण । हृदय जाति । दयालु, (त्रि.) दया वाला । कृपालु । दयित, ( पुं. ) पति | प्यारा | दर, ( अव्य. ) थोड़ा डर गदा । दया, ( स्त्री. कृपा । किसी को दुःखी ! देख कर उसका दुःख दूर करने की इच्छा | दर्श जलप्रपात । डर । पहाड़ । म्लेच्छजातिभेद । खस दरिद्र, ( पुं. ) निर्धन | धनरहित । दीन । दरिद्रा, (क्रि. ) बुरी दशा को प्राप्त होना । गरीब होना । दर्दुर, ( पुं. ) बादल मेंडक बाजा विशेष । पहाड़ । मिट्टी का पात्रविशेष | एक प्रकार के चावल दर्दू, ( स्त्री. ) रोगभेद | एक प्रकार की बीमारी । P दुर्प, ( पुं. ) अहङ्कार । गर्व | अभिमान | घमण्ड । असारत्व । हिरन विशेष । छल । दर्पक, (पुं.) अभिमान उत्पन्न करने वाला । कामदेव । दर्पण, (पुं.) बट्टा | आदर्श आईना । एक पर्वत का नाम । दर्भ, (पुं. ) कुश आदि छः प्रकार की घास । दर्भर, (सं.) निज का कमरा 1 दर्व, (पुं.) हिंस्र । शैतान । सर्प का फन । दर्वर, (पुं.) गाँव का चौकीदार | पुलिस का अफसर द्वारपाल । दर्वरीक, ( पुं. ) इन्द्र की उपाधि । एक प्रकार का बाजा । वायु । पवन दर्विक-का, ( स्त्री. ) कलछी | चमचा | चंमच | दव-वि, (स्त्री.) कलछी । चमचा । सर्प का फैला हुआ फन । दर्वीकर, (पुं. ) साँप । सर्प दर्श, ( पुं. ) अमावास्या तिथि | यज्ञविशेष । " दर्शपूर्णमासाभ्यां यजेत-” श्रुतिः । देखना । देखने वाला। दर्शक, (पुं. ) आये हुषों को राजा का दर्शन कराने वाला । 'चतुर्वेदीकोष । ११२ दर्श दर्शन, (न. ) आँख | स्वप्न । बुद्धे । धर्म । शीशा । शास्त्रविशेष । दर्शनीय, (त्रि. ) देखने योग्य | मनोहर | दर्शयितृ, (त्रि.) द्वारपाल | दरवान | दलू, (क्रि. ) फूट जाना | बीच से फट जाना । दरार होना । दल, (न.) टुकड़ा । मियान । पत्ता । बादल । तमाल वृक्ष । आधा । अस्त्र की धार। सेना का भाग । मिलावट दलप, ( पुं. ) श्रन | सुवर्ण | दल्भ, ( पुं. ) पहिया। छल। जाल । कपट | दल्मि, ( पुं. ) इन्द्र की उपाधि । वज्र । दलिक, ( पुं. ) लकड़ी का टुकड़ा । शहतीर तख्ता । दलित, (त्रि.) तोड़ा गया | टूटा हुआ । तड़का हुआ | कुचला हुआ । रुँधा हुआ । प्रस्फुटित । प्रकट । दव्, (क्रि. ) जाना | दव, ( पुं. ) वन जङ्गल | वन की आग | गर्मी । ज्वर। पीड़ा। दवथु (पुं.) गर्मी । अग्नि । पीड़ा । चिन्ता | कष्ट । आँख की सूजन | दवाग्नि, ( पुं. ) वन की आग | दावानल | दविष्ठ, (त्रि.) बहुत दूर दशू, (क्रि. ) चमकना । डसना | काटना । दशक, (न. ) दस की संख्या । दशकण्ठ, (पुं. ) रावण दशकण्ठ वाला । दशत्, (पुं.) दसों का समूह | दशधा, (अन्य ) दस प्रकार का । दशन् (पुं.) दाँत | शिखर | कवच । (क्रि. ) डसना । दाँत से काटना । दशकर्म, ( न. ) दस प्रकार के संस्कार । दशभुजा, ( श्री.) दुर्गा देवी । दशम, (त्रि.) दसवाँ । दशमिन्, (त्रि. ) बहुत बूढ़ा | दशमी, ( स्त्री. ) दसमी तिथि । कामदेव की दसवीं अवस्था । बहुत बूढ़ी उम्र । दह दशमस्थ, (त्रि. ) अति वृद्ध | बहुत बूढ़ा | स्मृतिहीन | दशमूल, (न. ) दस प्रकार की जड़ों का बना काढ़ा या चूर्ण | दशरथ, (पुं. ) जिसका रथ दसों दिशाओं में घूम फिर आया हो । सूर्यवंशी एक राजा जिनके प्रसिद्ध पुत्र श्रीरामचन्द्र जी थे | दशहरा, ( स्त्री. ) जो दस जन्म के धर्जित पापों को नष्ट करे । गङ्गा का जन्मदिन | जेठ मास की शुक्ला दशमी । विजया दशमी कुर और चैत्र के शुक्ल पक्ष की दशमी दशा, ( स्त्री. ) अवस्था आँचल | जवानी। बालावस्था । वृद्धावस्था । ज्योतिष में ग्रह और योगिनी की दशा दशाकर्ष, ( पुं. ) दीवा। आँचल | दशार्ण, (पु.) देशविशेष । एक नदी का नाम । दशाई, ( पुं.) राजा यदु का देश | उस देश के रहने वाले | दशावतार, (पुं. ) दस अवतार वाला विष्णु । दशाश्व, (पुं.) दस घोड़ों के रथ वाला । चन्द्रमा । दशाश्वमेधिक, ( पुं. ) जहाँ ब्रह्मा ने दस अश्वमेव यज्ञ किये हैं। काशी वा प्रयाग में स्थानविशेष | दशाह, ( पुं. ) दस दिन । दसवाँ दिन । दशेन्धन, (पुं.) दीपक, चिराग । दष्ट, (त्रि.) काटा गया। डँसा गया। दस्यु, ( पुं. ) चोर | शत्रु । बड़ा साहसी । दस्र, (पुं.) गधा | अश्विनीकुमार दहन, ( पुं. ) अग्नि बहेड़ा । कबूतर । दहर, (पुं.) मूसा | चाँदी सोना गलाने की घरिया | थोड़ा सूक्ष्म । हृदय वह, (पुं.) दावानल हृदय के भीतर का अग्नि । दा चतुर्वेदीकोष | ११३, दा, (क्रि. ) दान | दाक, (पुं.) यजमान । दाता । दाक्षायणी, ( स्त्री. ) सती | शिव की स्त्री | दाक्षाय्य, (पुं. ) गिद्ध दाक्षिणात्य, (त्रि. ) दक्खिनी । दक्षिण दिशा का । नारियल दाक्षिराय, (न. ) अनुकूलता दाक्षी, (स्त्री.) व्याकरणाचार्य पाणिनि की माता ।. I दास्य, (न. ) दक्षता । निपुणता दाघ, (पुं. ) घाम उष्णता । दाड़क, (पुं.) दन्त । दाडिम, (पुं. ) अनार । इलायची | दाडिम्ब, ( पुं. ) अनार । दाढ़ा, (स्त्री. ) दाद | अभिलाषा समूह | दाण्डा, (स्त्री.) पटेबाजी का खेल । दात, (त्रि. ) कटा | शुद्ध | साफ । दाता, (त्रि.) दानी | देने वाला । दात्यूह, ( पुं.) चातक | जलकाग | मेघ । दात्र, (न. ) कुल्हाड़ी। आरी । दान, (न. ) हाथी का मदजले । पालन | देना । सफ़ाई । दानक, (न. ) निन्दित दान । दानपति, (पुं. ) क्रूर । सदा देने वाला । दानव, ( पुं. ) असुर दानवारि, (पुं.) देवता लोग | इन्द्र | विष्णु । दानशील, (त्रि.) स्वाभाविक दानी | दानशौण्ड, (त्रि.) दानश्वर । उदार । दान्त, ( त्रि. ) जितेन्द्रिय । दापित, (त्रि.) दिलाया गया । दण्डित । वश किया गया । दाम, ( स्त्री. न. ) रस्सी । माला | लड़ । दामिनी, ( स्त्री. ) बिजली दामोदर, (पुं. ) श्रीकृष्ण । 'दाम्भिक, (त्रि.) पाखण्डी । दाय, (पुं.) दहेज वाप दादे की सम्पत्ति | विरसा | बँढने की जायदाद | दाश्व दायभाग, (पुं.) बाप दादे की सम्पत्ति का हिस्सा बॉट । दायाद, (पुं. ) पुत्र | सगोत्र | सम्बन्धी | दारक, ( पुं. ) बालक पुत्र | शूकर दारकर्म, (न. ) विवाह । दारण, (न. ) फाड़ना । दारद, (पुं. ) विष । पारा । हींग । समुद्र । दारा, ( नित्य पुं. ) स्त्री | भार्या । दारिका, ( स्त्री. ) बालिका | दारिद्र्य, (. न. ) दरिद्रता । गरीबी दारी, (स्त्री.) बेवाँई । दारु, (न.) पीतल लकड़ी | देवदारु कारीगर । दारुक, (पुं. ) कृष्ण का सारथी । दारुका, ( श्री. ) कठपुतली | दारुण, (त्रि.) भयानक । घोर । दारुसार, (न. ) चन्दन । लकड़ी के भीतर का सार चूर्ण | बुरादा | दारुसिता, ( स्त्री. ) दालचीनी । दादुर, (न.) दक्षिणावर्त शंख । दाट, (न. ) सलाह करने का स्थान | कचहरी | दार्वण्ड, ( पुं. ) मयूर । दावघाट, ( पुं. ) कठफोरवा पक्षी । दाव, ( स्त्री. ) लकड़ी की । दाल, (पुं.) कोदौ । मधुविशेष | दाल्भ्य, (पं.) एक मुनि । दाव, ( पुं. ) जंगल की आग | वन | दावानल, (पुं.) दाव । वन में लगी हुई श्रग | दवाड़ | दाश, (पुं. ) धीवर | मल्लाह दाशरथ - थि, ( पुं. ) दशरथ के पुत्र श्रीरामचन्द्र, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न | दाशार्ह, ( पुं. ) श्रीकृष्ण । विष्णु । दाशेयी, ( स्त्री. ) वेदव्यास की माता । दाशेरक, (पुं. ) मालवा देश | दाश्व, (पुं.) दाता । ) दास चतुर्वेदीकोष | १९४ दास, (पुं. ) नौकर | गुलाम | शूद्र दासकर्म, (न.) नौकरी | गुलामी सेवा | • टहल । दासी, (स्त्री. ) टहलुई। चाकरानी । दासेय, ( पुं. ) दास का लड़का | दासेर, (पुं. ) ऊँट | धीवर दास्य, ( न. ) सेवकाई । दात्र, (न.) अशिनी नक्षत्र | दाह, (पुं.) जलन | जलना । दाहक, (त्रि. ) जलाने वाला । दाहज्वर, (पुं. ) ज्वरविशेष । दाहन, (न. ) जलाना । दाहसर, (पुं. ) मसान। दिक्क, ( पुं. ) बीस वर्ष का हाथी । दिक्कर, (पुं.) नौजवान दिक्पति, ( पुं. ) इन्द्र आदि १० दिक्पाल | दिक्पाल, (पुं. ) दिशाओं के स्वामी । दिक्शूल, (न. ) भिन्न २ दिशाओं की यात्रा में निषिद्ध भिन्न २ दिन | दिगन्त, ( पुं. ) दिशा का छोर। दिगम्बर, (त्रि. ) नंगा । ( पुं. ) शिव | बौद्ध भिक्षु विशेष । अन्धकार । दिग्गज, (पुं. ) ऐरावत आदि आठ दिशाओं में पृथ्वी के रक्षक दिग्गज । गजराज | दिग्दर्शन, ( न. ) कंपास | इशारा | दिग्दाह, (पुं.) सूर्यास्त के समय कभी २ दिखने वाली आकाश की ललाई । दिग्ध, (पुं.) विष-बुझा तीर । आग | स्नेह । प्रबन्ध । ( त्रि. ) लिपा हुआ | दिग्विजय, (पुं.) बल या विद्या से सब दिशाओं को जीत लेना । दिङमात्र, (न. ) एक देश । एक हिस्सा | दिति, (स्त्री.) दैत्यमाता । कश्यप ऋषि की स्त्री । दितिज, (पुं.) दैत्य | दिस्सा, (स्त्री.) देने की इच्छा । दिक्षा, ( स्त्री. ) देखने की इच्छा | दिवाँ दिधिषाव्य, (पुं.) मदिरा । दिधिषु, (पुं.) दुबारा ब्याही गई स्त्री का पति । दिथिषू, ( स्त्री. ) दुबारा ब्याही गई स्त्री | दिन, (न. ) दिन | दिनकर, ( पुं. ) सूर्य al दिनक्षय, ( पुं. ) तिथि का घट जाना । दिनपति, " दिनमणि, } ( पुं. ) सूर्य । दिनमुख, (न. ) प्रातःकाल । सबेरा । दिनान्त, (पुं. ) सायंकाल | दिनावसान, (न.) सायंकाल | दिलीप, ( पुं. ) सूर्यवंश का एक राजा । दिलीर, (न. ) धरती का फूल । द्यौः, ( स्त्री ) स्वर्ग | आकाश । दिव, (न. ) स्वर्ग आकाश । दिन । जंगल दिवस, (पुं.. ) दिन । दिवस्पति, ( पं . ) इन्द्र । दिया, (त्र) | दिवाकर, (पुं. ) सूर्य । मदार का वृक्ष । कौआ | दिवाति, ( पुं. ) नाई | चंडाल । दिवाटन, ( पुं. ) कौया । दिवान्ध, ( पुं. ) उल्लू पक्षी। दिवान्धकी, ( स्त्री. ) छनँदर । दिवाभीत, ( पुं. ) चोर चन्द्रमा | उल्लू पक्षी । दिवामणि, ( पुं. ) सूर्य दिवामध्य, ( न. ) दोपहर दिवास्वाप (पुं.) दिन को सोना । दिविज, (त्रि.) स्वर्गीय । स्वर्ग में होने वाला । । दिविषद्, (पुं. ) देवता दिवोदास, (पुं. ) . चन्द्रवंशी काशी का राजा । दिवौकस्, ( पुं. ) देवता । दिव्य चतुर्वेदीकोष | १६५ दुःखी । दीप्ति, ( स्त्री. ) प्रभा | कान्ति | चमक | दीप्यमान, (त्रि. ) प्रकाशमान । चमक रहा । दीयमान, (त्रि ) दिया जा रहा । दीर्घ, ( पुं. ) ऊँट | दो मात्रा ( त्रि.) लम्बा | दीर्घकण्टक, ( पुं. ) बबूल । दीर्घकण्ठ, (पुं.) बगला | । दीर्घकन्द, (पुं. ) मूली । का अक्षर | । दीर्घकेश, (पुं.) भालू | रीछ । मंगल । बड़े | दीर्घग्रन्थि, ( पुं. ) ईख | गन्ना | i दिव्य, (न. ) लवंग । चन्दन । क़सम | ( पुं. ) गूगल | जत्र | ( त्रि. ) अद्भुत अलोकिक | मनोहर । सुन्दर दिव्यस्त्री, (स्त्री) अप्सरा | सुन्दर स्त्री | दिव्या, ( स्त्री. ) आँवला | सनावर ब्राह्मी । । सफेद दूध | हड़ ^ दिशा, ( स्त्री. ) पूर्व आदि चार दिशाएँ । दिष्ट, ( न. ) भाग्य | समय दिष्टान्त, ( पुं. ) मरण । दिष्ट्या ( श्र. ) हर्ष । भाग्य से । दिष्णु, ( त्रि. दाता | दीक्षा, (स्त्री) नियम । संस्कार दीक्षागुरु (पुं. ) मन्त्रोपदेश करने वाला मन्त्र लेना । गुरू । दीक्षित, ( त्रि. ) दीक्षा ले चुका । दीधिति, ( स्त्री. ) किरण । दीन, (त्रि.) दुर्गात को प्राप्त । दरिद्र । डरा हुआ। शोचनीय | दीनार, ( पुं. ) सोने का गहन्त्र । सोने का सिक्का ( मोहर ) । ३२ रत्ती सोना । दीप, (पुं ) दीवा | चिराग | दीपक, (पुं. ) दीवा। एक राग | काव्य का एक अर्थालंकार । बाज पक्षी एक छन्द | कुंकुम । दीपकूपी, ( स्त्री. ) पलीता । दीपध्वज, (पुं. ) काजल | दीपन, ( पु. ) प्याज । तगर की जड़ । केसर । मेथी । दीपमालिका, ( स्त्री. ) दीवाली | दीपकों की माला । दीप्त, (पुं. ) सिह । नींबू । ( न. ) सुवर्ण | हींग । (त्रि. ) प्रकाशित दीप्तजिह्वा, ( स्त्री. ) स्यारी । दीप्तलोचन, (पुं.) बिलाव | दीप्ताग्नि, ( पुं.) अगस्त्य मुनि ! 1 दीर्घजिह्व, ( पुं. ) सर्प । दीर्घतरु, ( पुं. ) ताड़ का वृक्ष । दीर्घदर्शी, (पुं. ) पण्डित । दूरदर्शी । दूर- अन्देश । गिद्ध । भालू दीर्घनाद, ( पुं. ) शंख दीर्घनिद्रा, ( स्त्री. ) मरण | दीर्घपल्लव, ( पुं. ) सन का पेड़ | दीर्घपादप, ( पुं. ) लंबा पेड़ । सन का पेड़ | सुपारी का पेड़ | दीर्घफला, (स्त्री.) काली दाख । दीर्घरागा, ( स्त्री. ) हल्दी । दीर्घसत्र, (न. ) यज्ञविशेष r बहुत दिनों में होने वाला यज्ञ । दीर्घसूत्र, । ( पुं.) ढिलंगा | किसी काम दीर्घसूत्री, मे बहुत देर लगाने वाला । दीर्घायु, ( पुं.) मार्कण्डेय ऋषि । (त्रि.) चिरजीवी । बड़ी उमर वाला । दीर्घिका, (स्त्री.) बावली । दीर्घिमा, ( स्त्री. ) लम्बाई । दीर्ण, (त्रि. ) कटा हुआ । डरा हुआ । दुःख, (न. ) पीड़ा । कष्ट । तकलीफ़ । दुःखग्राम, (पुं.) संसार । दुःखत्रय, (न. ) आध्यात्मिक आधिभौ- तिक और आधिदैविक संज्ञक तीन दुःख । दुःखावसान, (न. ) दुःख का अन्त | दुःखित,}(त्रि. ) दुखिया। दुःख पाया हुआ । दुःश चतुर्वेदकोष । १९६ दुःशकुन, (.न. ) त्रसगुन दुःशासन, (पुं. ) दुर्योधन का छोटा भाई | धृतराष्ट्र का लड़का | दुःशील, (त्रि. ) बुरे स्वभाव का | बद- मिजाज | दुःसह, (त्रि. ) असह्य दुःसाक्षी, ( त्रि. ) बुरा गवाह । झूठा गवाह । दुःसाधी, (पुं.) द्वारपाल दुःसाध्य, (त्रि. ) कष्टसाध्य | कठिनाई से होने वाला दुःस्थ, } ( त्रि. ) दुर्गति में पड़ा दुःस्थित, ऽ हुआ । दीन । मूर्ख । दुःस्पर्श, ( त्रि. ) जो छुआ न जा सके । दुकूल, ( न. ) महीन कपड़ा | रेशमी वस्त्र । दुपट्टा | चिकना वस्त्र । दुग्ध, ( न. ) दूध अमृत | ( त्रि. ) दुहा गया। दुग्धफेन, ( पुं. ) दूध का फेना । झाग | दुग्धिका, ( स्त्री. ) दूधी नाम की घास । दुन्दुभि (पुं. ) नगाड़ा। एक राक्षस | विष । ( स्त्री. ) पाँसे । दुम्बक, (पुं.) दुम्मा भेड़ा । दुर्, ( अ ) निषेध | दुष्ट | दुःख | निन्दा | दुरक्ष, ( कपट के पाँसे । दुरतिक्रम, ( (त्रि. ) दुस्तर | जिसे नाँघना दुरत्यय, या पार जाना कठिन हो । दुरदृष्ट, (न. ) दुर्भाग्य । बदकिस्मती । दुरधिगम, ( त्रि. ) दुःख से जो मिल सके । दुरन्त, (त्रि.) बुरे फल वाली जुआ, मद्य- पान, शिकार आदि की आदतें । दुर्ज्ञेय । अथाह | दुराग्रह, (पुं. ) बुरा हठ । व्यर्थ हठ | दुराचार, (पुं.) दुष्ट आचार। बुरा चलन । दुरात्मा, (त्रि..) नीच | दुध । दुराधर्ष, (त्रि.) दुष्प्राप्य जिस पर हमला करना कठिन हो । दुर्म दुराप, (त्रि.) दुर्लभ । दुरारोह, (त्रि. ) जिस पर चढ़ना कठिन हो । दुरासद, (त्रि.) दुष्प्राप्य | दुर्धर्ष । दुरित, ( न. ) पाप । दुरुक्ल, (न. ) शाप | ग्राली । दुरूह, (त्रि. ) बड़ी कठिनता से जो जाना जा सके । दुरोदर, (न. ) जुआ। चौंसर । दुर्ग, (न. ) गढ़ | कोट । एक असुर दुर्गत, (त्रि.) दुर्दशामस्त । दुर्गति, ( स्त्री. ) दुर्दशा | दारिद्रय | नरक । दुर्गन्ध, (पुं.) बदबू । दुर्गम, (1 दुर्गा, ( स्त्री. ) देवी । दुर्गाध्यक्ष, (पुं. ) सेनापति । सिपहसालार | | दुर्घट, ( त्रि. ) जिसका होना बहुत ही कठिन हो । ) जहाँ जाना कठिन हो । दुर्जन, (त्रि.) दुष्ट | बुरा आदमी। दुर्जन्य, (त्रि. ) जिसे जीतना कठिन हो । दुर्जर, (त्रि.) जो कठिनता से जीर्ण हो । दुर्जात, ( न. ) संकट | असमंजस । दुर्दर्श, ( पुं. ) बड़े कष्ट से दिखलाई पड़ने वाला । दुर्दान्त, (पुं. ) ऊधमी । उपद्रवी । दुर्दिन, (न. ) बदली का दिन । दुर्धर, (1 विष्णु । ( त्रि. ) जिसे धारण करना या पकड़ रखना कठिन हो । दुर्द्धर्ष, (त्रि.) जिसका तिरस्कार न हो सके । जो पकड़ा न जा सके । दुर्नाम, (न.) बदनामी । दुर्बल, (त्रि.) दुबला | कमजोर । दुर्भाग, (त्रि.) अभागा । दुर्भाग्य, (न. ) भाग्य । दुर्भिक्ष, ( न. ) अकाल । क्रहत । सूखा । दुर्मति, ( त्रि. ) दुष्ट बुद्धि वाला । मूर्ख । दुर्मना, (त्रि. ) उदास । घबड़ाया । चतुर्वेदीकोष | १९७ दुर्म दुर्मर्षण, ( त्रि. ) डाह रखने वाला | न सह | सकने वाला । दुर्मुख, (पुं. ) घोड़ा | बानर । एक दैत्य । ( त्रि.) बुरे मुख वाला । अप्रिय वचन बोलने वाला । दुर्मेधा, (त्रि. ) कुबुद्धि वाला दुर्योधन, (पुं. ) धृतराष्ट्र का बड़ा लड़का | दुर्लभ, (त्रि.) दुष्प्राप्य दुस्तर, (त्रि. ) कठिनता से पार होने योग्य | दुर्वर्ण, (न. ) धाबी | रँगरेज | ( त्रि. ) बुरे | दुहू, (क्रि. ) दुहना | निचोड़ना । वध करना । रंग वाला । मैला । मारना। दुर्वाक्, ( स्त्री ) दुष्ट वाणी । दुर्वाच्य, ( न. ) गाली आदि न कहने की 1 । दुष, (क्रि. ) बदल जाना। वैर करना । दुष्कर, (न. ) कठिनता से करने योग्य | आकाश । दुष्कर्मन्, ( न. ) पाप । पापी | बुरा काम | बुरे काम करने वाला ● मूर्ख बातें । दुर्वाद, (पुं.) बदनामी | निन्दा | दुर्वासा (पुं. ) ऋषिविशेष । दुविज्ञेय, (त्रि. ) जो न जाना जा सके । दुर्विध, ( त्रि.) दरिद्र । नीच दुर्विनीत, ( त्रि. ) ढीठ दुर्विभाव्य, (त्रि. ) अतर्क्स | दुर्वृत्त, (त्रि.) दुर्जन । दुष्ट । दुर्हद्, (त्रि. ) दुष्ट हृदय वाला । दुलू, (क्रि. ) ऊपर फेंकना । लुकाना । दुलि - ली, ( स्त्री. ) कमठी | मादा कच्छप मुनिविशेष | । अचिन्तनीय दुश्चम्मन्, ( पुं. ) बुरे चमड़े वाला । महा- पातक से उत्पन्न चिह्नों वाला। दुश्च्यवन, (पुं.) इन्द्र | च्यवन ऋषि के दूर्वा, (स्त्री.) एक प्रकार की घास जो घोड़ों को खिलाई जाती है। बहुत फैलने वाली । गणेशजी की पूजा की प्रधान रैप्रिय सामग्री | रक्तशुद्धि करने वाली घास | 4 कोप से एक बार इन्द्र को च्युत होना । दूषण, ( पुं. न. ) एक राक्षस जो रावण की पड़ा था। मौसी का बेटा था और जनस्थान की चौकी पर जो रहता था । हानिकारक । दोष । दूषिका, (स्त्री.) आँख का कीचर । दूषित, ( त्रि. ) बुरा । दोषयुक्त । निन्दित । दूष्य, ( न. ) तम्बू | रुई । दूषण देने योग्य । ( स्त्री.) हाथी की मादा बच्ची । ड, (क्रि. ) मारना | आदर करना । हक्छत्र, (न. ) पलक । दुष्कृत, (न. ) पाप । पापी । दुष्ट, (त्रि.) नीच । अधम | दुर्जन | कोढ़ | दुर्बल | () (सी.) व्यभिचारिणी स्त्री । हक्छ दुष्य (हम) न्त, ( पुं. ) चंद्रवंशी एक राजा । भरत राजा का पिता । शकुन्तला का पति | दुःषम, ( पुं. ) बुरा | भूला दुस्, ( उप.) इसे संज्ञा और क्रियाओं के पहले लगाने से उनका अर्थ बुरा, दूषित, दुष्ट, नीच, कठिन, कठोर आदि हो जाँया करते हैं । दुहितृ, ( स्त्री. ) बेटी | लड़की | २ (क्र. ) दुःखी होना | कष्ट सहना । दूत, ( पुं. ) सँदेशा ले जाने वाला । दूति-ती, ( स्त्री. ) कुटनी। दूत्य, ( न.) दूतपना | दून, (त्रि.) थका हुआ । तपा हुआ । दुःखित । दूर, (त्रि.) दूर | अगोचर । आँखों से परे । दूरग, (त्रि.) दूर तक फैला हुआ। दूरद, ( पुं. ) कड़ा। दूरदर्शन, ( पुं. ) दूर से देखने वाला | गीध | दूरदर्शिन्, (पुं.) पण्डित । दूर से देखने वाला ध्क्प्र ८ चतुर्वेदीकोष | १९८ हक्प्रसाद, ( पुं. ) कुलत्था, इसका बना हुआ अञ्चन आँख में लगाने से नेत्र साफ़ होते हैं । दृढ़, (न.) कड़ा। बहुत मोटा | गाढ़ा | सबल | लोहा । दृढ़मुष्टि, (पुं. ) खन्न । कृपण । सूम । F कजूस | दृढ़व्रत, (पुं.) दृढ़ प्रतिज्ञा वाला । पक्का नियमिष्ठ | हता, ( स्त्री. ) जीरा । ● हति, ( पुं. ) चमड़े की मसक । चरस । एक प्रकार की मच्छी । हन्भू, (पुं. ) राजा | वज्र | सूर्य्य | साँप | पहिया | हप्. (क्रि. ) कष्ट देना । भड़काना । प्रसन्न होना । घमण्ड करना । पागल होना । हप्त, (त्रि.) गर्वीला । अहङ्कारी । घमण्डी । हफ्, (क्रि. ) कष्ट उठाना । हब्ध, (त्रि. ) गुथा हुआ । डरा हुआ । हभ, (क्रि. ) गूंथना | गाँठना । दृश-दृश, (क्रि.) देखना | दृश, (न. ) नेत्र | आँख | दो की संख्या साक्षी | जानने वाला । दृशीक़ा, ( स्त्री. ) सूरत दृश्य, ( गु. ) प्रत्यक्ष | नाटक का सीन । दंव दृष्टान्त, ( पुं. ) उदाहरण । अर्थालङ्कार विशेष । मृत्यु | शाघ्र । दृष्टि, ( स्त्री. ) निगाह | दर्शन | बुद्धि । · नेत्र | आँख । दो की संख्या मानसिक दृषद्, ( स्त्री. ) चट्टान | हषनो, ( स्त्री. ) पत्थर की नौका । दृष्ट, (न.) देखा गया । लौकिक । अपनी अथवा शत्रु की सेना का भय । ज्ञान । बोध । दृष्टकूट, ( न. ) कूट प्रश्न | कठिन प्रश्न | पहेली । व्यापार | दृहू, (क्रि. ) बढ़ाना। दे, (क्रि. ) पालन करना | बचाना | देव्, (क्रि.) खेलना । देव, ( पुं. ) अमर । स्वर्गीय | देवता । ब्राह्मण की उपाधि । इन्द्रिय | पूज्य | नाट्योक्कि में राजा । देवक, (पुं. ) श्रीकृष्ण के मातामह ( नाना ) देवकी का पिता | देवकी, ( स्त्री. ) देवक राजा की बेटी | वसु- देव की स्त्री और श्रीकृष्ण की मा । देवकी-नन्दन, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | देवकुसुम, (न. ) लौङ्ग । लवङ्ग । देवकुल, ( न. ) मन्दिर । देवखातं, (न. ) अकृत्रिम तालाब | जिसको देवताओं ने बनाया हो । देवग्वातथिल, (न. ) गुहा | गुफा | देवताओं का खोदा हुआ छिद्र | देवगायन, (पुं. ) गन्धर्व देवगुरु, ( पुं. ) देवताओं का गुरु | बृहस्पति । कश्यप की उपाधि | दृश - ( ष) द्, ( स्त्री. ) पत्थर | सिल । देवच्छन्द, ( पुं. ) सौ लरों का हार । इश - (ष) द्वती, (स्त्री.) वैदिक साहित्य की देवतरु, ( पुं. ) मदार । पारिजात । कल्पतरु | हरिचन्दन । एक नदी का नाम जो सरस्वती में गिरती है। देवता, ( स्त्री. ) इन्द्रादि देवता । दृषत्करण, (पुं. ) चमकीला पत्थर | बिल्लौर देवतुमुल, (न.) दैवी उपद्रव । आँधी पत्थर । पेबिल | पानी । देवदत्त, ( पुं. ) देवता का दिया हुआ | देवता को अर्पण किया हुआ । अर्जुन का शङ्ख । जमुहाई उत्पन्न करने वाला वायु । देवदारु, ( न. ) एक वृक्ष देवदासी, ( स्त्री. ) इन्द्रिय को मारने वाली | वेश्या | बनैला | तब्रूज देव चतुर्वेदीकोष | १६६ ! देवदीप, ( पुं. ) नेत्र । देवदेव, (पुं. ) महादेव । शङ्कर | देवन, ( पुं. ) पॉमा । पाश का खेल चमक | स्तुति । व्यवहार जुआ । जीतने की कामना ।

देवनदी (स्त्री.) देवताओं की नदी | गङ्गा । देवपति, ( पुं. ) इन्द्र | देवताओं का स्वामी | देवपथ, ( पुं. ) उत्तर का रास्ता | छायापथ | देवपुरोधस्. ( पुं. ) देवताओं का पुरोहित | बृहस्पति | देवगुरु | देवभवन, (न. ) स्वर्ग | देवों का स्थान | देवभूय, ( न. ) देवत्व | देवसायुज्य । देवमणि, ( पुं. ) शिव : कौस्तुभमणि । देवयान, ( न. ) देवरथ | अचिरादि मार्ग | ( १ ) शुक्राचार्य की कन्या । देवयात्रा, ( स्त्री. ) यात्रोत्सव | देवयु, ( पुं. ) पवित्र | देवयोनि, (पु.) देवताओं के अंश से उत्पन्न विद्याधर आदि नौ योनियाँ प्रधान हैं । जैसे- विद्याधर, अप्सरा, यक्ष, राक्षस, गन्धर्व, किन्नर, पिशाच, गुह्यक और सिद्ध । देवर, ( पुं. ) पति का छोटा भाई । देवराज, ( पुं. ) इन्द्र । देवरात, ( पुं. ) अभिमन्युपुत्र | परीक्षित् । देवर्षि, ( पुं. ) नारदादि मुनि । देवताओं के ऋषि । देवल, (पुं. ) एक मुनि । पुजारी। जिसकी जीविका देवपूजन से चलती हो । देवलोक, (पुं. ) स्वर्ग । देववर्द्धक, देवव्रत, (पुं. ) भीष्म । .) विश्वकर्मा । देवसात्, (श्रव्य. ) देवताओं के अधीन । देवसायुज्य, ( न. ) देव के साथ मेल । देह देवसेनापत्ति, ( पुं. ) कार्तिकेय । इन्द्रपुत्र | शिवपुत्र | देवस्व, ( न. ) देवताओं का धन । देवहूति, ( स्त्री. ) स्वायम्भुव मनु की कन्या । कर्दम मुनि की स्त्री । कपिल भगवान् की माता । देवाजीव, (त्रि. ) देवता की प्रतिमा के द्रव्य से जीने वाला । देवात्मन्, ( पुं. ) पीपल का वृक्ष : देवता जैसा । देवानांप्रियः, ( पुं. ) देवताओं का प्यारा | बकरा | मूर्ख । देवापि, (पुं. ) चन्द्रवंशीय एक राजा । देवाई, ( न. ) देवताओं के योग्य | सहदेवी लता । देवालय, ( पुं. ) स्वर्ग | देवमन्दिर | देविका, ( स्त्री. ) नदीविशेष । देवी, (स्त्री. ) दुर्गा । ब्राह्मणियों की उपाधि | देव, ( पु. ) देवर पति का छोटा भाई । देवेश, ( न. ) महादेव । देवदेव | विष्णु । देवेष्ट, ( पुं. ) गुग्गुल | वनवीजपूरक । देवेनस, ( न. ) देवशाप | देवोद्यान, (न. ) वैभ्राज | मिश्रक | सिध- करण और नन्दन - चार देवोद्यान हैं । देव्यायतन, ( न. ) दुर्गा देवी का मन्दिर | देश, (पुं.). भूमण्डल का कोई विभाग । भाग | स्थान | देशान्तर, ( न. ) अन्य देश | और देश | देशिक, ( पु. पथिक । बटोही । गुरु । उपदेश देने वाला । देशिनी, ( स्त्री.) तर्जनी । अंगूठे के पास वाली अंगुली । देश्य, ( न. ) प्रथम सम्मति । पूर्व पक्ष । देह, ( पुं. ) शरीर । वपु | बदन | देव के साथ एकासन्न होने की योग्यता । देवसेना, ( स्त्री. ) इन्द्रकन्या । कार्तिकेय ! देहधारक, ( पुं. ) हड्डी । की स्त्री षष्ठी । सोलह माताओं में से एका । इन्द्रादि देवताओं की फौज देहभृत् (पुं. ) जीवात्मा | शरीर का रक्षक । . देह देहयात्रा, ( स्त्री. ) आजीविका । शरीर की रक्षा का साधन । भोजन । मरण । देहली, ( स्त्री. ) ड्योढ़ी । घर का प्रवेश - स्थान | मर्यादा । चतुर्वेदीकोष । २०० . देहसार, (पुं. ) मज्जा । देहात्मवादिन, ( पुं. ) चार्वाक । नास्तिक । देहिन्, (त्रि.) शरीर वाला । प्राणी । जीव । दैप्, ( क्रि॰ ) साफ करना । दैतेय, ( पुं. ) असुर । दैत्य । दैत्यगुरु (पुं. ) शुक्राचार्य । दैत्यों का गुरु । दैत्यानसूदन, ( पुं. ) विष्णु । दैत्यों के वधकर्ता । दैत्यमेदज, ( पुं. ) गुग्गुल । पृथिवी । भूमि . दैत्या, (स्त्री. ) सुरा । दैत्य की स्त्री । दैत्यारि, ( पुं. ) दैत्यों के शत्रु | विष्णु । दैन, ( न. ) दीनपन | कायरपन । दैनन्दिन, ( त्रि. ) प्रतिदिन होने वाला । दैनन्दिनप्रलय, ( पुं. ) रचे हुए सम्पूर्ण पदार्थों का क्षय | दैन्य, ( न. ) दीनता । कायरता । दैव, ( न. ) भाग्य | देवसम्बन्धी । दैवश, ( पुं. ) गणक । ज्योतिषी । भूत- भविष्य का जानने वाला | भाग्य का ज्ञाता । दैवत, ( पुं. ) देवसमूह | दैवतन्त्र, (त्रि. ) भाग्याधीन । दैवपर, (त्रि. ) भाग्य पर निर्भर | कायर । कामचोर । दैववाणी, ( स्त्री. ) आकाशवाणी । दैवात्, (अन्य ) हठात् । अचानक । ईश्व- रेच्छा से | दैविक, ( न. ) देवसम्बन्धी । विचित्र । विलक्षण | दैवी, ( स्त्री. ) देवता की सात्त्विक । दोह दैवोदासी, (पुं. ) दिवोदास का सन्तान | प्रतर्दन राजा | दैव्य, ( न. ) भाग्य | देवता का | दैशिक, ( त्रि. ) देश का । विशेषण सम्बन्ध | दैष्टिक, (त्रि. ) भाग्याधीनतावादी ।. दैहिक, ( गु. ) शरीरसम्बन्धी । दो, (क्रि. ) छेद करना । काटना । दोः शिखर, ( न. ) कन्धा | मुड्ढा । दोग्धृ, ( पुं. ) दुहैया । | बछड़ा | सोने वाला । दोर्दण्ड, (पुं. ) भुजदण्ड । दोर्मूल, ( न. ) कक्ष | बगल दोल, (पुं. ) दोलयात्रा | डोली । दोलायमान, ( त्रि. ) झूलता हुआ । दोष, ( पुं. ) पाप | वैद्यक में वात, पित्त और कफ के तीन दोष होते हैं । अलङ्कार में रसादि बिगाड़ने वाले शब्द न्याय में राग, द्वेष, मोह । दोषग्राहिन, ( त्रि. ) दोष देखने वाला | दोषश, (घि ) परिडत । चिकित्सक | दाषेत्रय, (न. ) तीन दोष-वात, पित्त, कफ । दोषन्, ( ऋ० ) बिगड़ा हुआ । दोषस्, ( न. ) साँझ | अन्धेरा। दोषा, ( स्त्री. ) रात | दोषाकर, ( पुं. ) चन्द्रमा । दोषों का समूह । दोषैकडक्, ( त्रि. ) केवल दोष ही को देखने वाला । नीच | खल । दोस्-घा, ( पुं. ) भुजा । बाहु । दोह, ( पु. ) दूध । दुधैड़ी। चीनी का बर्तन (क्रि. ) दुहना । दोहद, (पुं. ) लालसा । गर्भ का लक्षण । दोहदिनी, ( स्त्री. ) गर्भवती | दो हृदय वाली । दोहनी, ( स्त्री. ) दुधैड़ी या दूध दुहने का पात्र ! चतुर्वेदकोष । २०११ दोहा दोहा, ( स्त्री. ) मात्रा छन्द विशेष जिसका प्रयोग प्रायः भाषा की कविता में हुआ करता है। दौत्य, ( न. ) दूतपना | दूत का काम दौरात्म्य, ( न. ) खुदृ: खलता । दौर्गत्य, ( न. ) दीनता | दरिद्रता | दुर्गति में जाना । दौर्जन्य, ( न. ) दौरात्म्य । दुष्टता । दौर्भाग्य, ( न. ) अभाग्यपना । मन्द- भाग्यत्व | दौर्मनस्य, ( न. ) उदासी । चिन्ताजन्य घबराहट । बुरा परामर्श दौत्य, ( न. ) अवज्ञा । दुष्ट वृत्ति से रहना । दौवारिक, (पुं. ) द्वारपाल । दरवाजे का रक्षक । दौफुलेय, (त्रि. ) छोटी जाति का । नीच । दौर्हद, (पुं. ) गुण्डा | बुरे कर्म द्वारा पेट पालने वाला | धूर्त | बदमाश | दौहित्र, ( न. ) दोहता । कन्या का पुत्र | द्यावापृथिवी, ( श्री. ) भूमि - आकाश | द्यु, (पुं. ) अग्नि । सूर्य । मदार वृक्ष । आकाश। दिन । धत्, (क्रि.) चमकना द्युति- ती, ( स्त्री. ) कान्ति । शोभा । चमक | धुपति, ( पुं. ) सूर्य | मदार का वृक्ष 1 द्यन, (पुं. ) धन | बल द्युयोषित् ( स्त्री. ) अप्सरा | द्यू, ( पुं. ) चौसर या पाँसे का खेल । द्यूत, ( न. ) जुआ | कैतव । छल । द्यतकर, (त्रि. ) ज्वारी द्यूतपूर्णिमा, (स्त्री) आश्विन की पूर्णिमा | द्यौ, (स्त्री. ) स्वर्ग । आकाश । द्योत, (पुं. ) प्रकाश । धूप चमक । द्योतनिका, ( स्त्री. ) व्याख्या प्रकरण- पत्रिका | जणी द्योतिस्, ( न. ) नक्षत्र । तारा | द्रङ्ग, (पुं. ) क्रसबा । जनपद । द्रदमन, ( पुं. ) दृढ़ता । पक्कापन | दूधस्, (न. ) कपड़ा । द्रष्-य-स, (न. ) बाछ । मठा | बूँद । द्रव, (पुं. ) रस पतला | पनीला द्रवत्व, (न. ) पतलापन | पनीलापन | द्रवद्रव्य, (न. ) दूध, दही, घी भादि बहने वाले पदार्थ । द्रवन्ती, ( स्त्री. ) नदी । शतमूलिका । मूषि- कपर्णी | द्रविड, ( पुं. ) एक देश । द्रविण, सोना पराक्रम बल । द्रव्य, (न. ) पीतल | धन | लेपन पदार्थ | लाख । विनय । मदिरा । वृक्षविकार । दवा । द्रष्टृ, (त्रि.) विचारकुशल चतुर । साक्षी । देखने वाला | द्रा, (क्रि. ) सोना | भागना | द्राक्, (अन्य ) शीघ्र द्राक्षा, ( स्त्री. ) अङ्गर । मुनका । किसमिस | द्राघय, ( कि. ) देर करना । द्राधिमन्, ( पुं. ) लम्बाई । द्वाधिष्ठ, (त्रि. ) अति लम्बा । द्रावक, (पुं. ) जार। उपपति । चन्द्रकान्त मणि । द्राविड़ी, ( स्त्री. ) द्रविड़ में उत्पन्न हुई । छोटी इलायची | द्राहू, (क्रि. ) जागना | द्रु, ( कि. ) जाना । द्रु, ( पुं. ) ऊपर बहने वाला या जाने वाला । वृक्ष । पेड़ | द्रुघण, ( पुं. ) कुल्हाड़ी । द्रुङ, ( कि. ) डुबकी मारना । द्रुण, ( क्रि. ) टेढ़ा करना । दुस्, (त्रि.) लम्बी नाक वाला द्रुणी, ( स्त्री. ) कनखजूरा । श्रुत । चतुर्वेदीकोष । २०२ द्रुत, ( पुं. ) तेज | झट | भागा हुआ । द्रुपद, ( पुं. ) चन्द्रवंशीय एक राजा जो द्रौपदी का पिता था । खम्भा | द्रुम, ( पुं. ) पेड़ । पारिजात । कुबेर । द्रुह, (क्रि. ) बुरा चीतना | द्रोह करना । द्रुहिण, ( पुं॰ ) जगत्स्रष्टा । ब्रह्मा । द्वेक, (क्रि. ) शब्द करना । उत्साहित करना। द्वै, (क्रि. ) सोना । द्रोण, (पुं.) पाण्डव राजकुमारों के गुरु | द्रोणाचार्य । काक विशेष । बिच्छ् । बादल विशेष । एक वृक्ष | चौतीस सेर की तौल विशेष् । आठ सौ गज्ञ लम्बा तालाब विशेष । कूँड़ा। नोंद । द्रोणि, ( स्त्री. ) एक देश एक नदी | नील का वृश्च । एक पहाड़ ! द्रोह, ( पुं. ) बुरा चीतना । वैर । द्रोणायन, ( पुं. ) द्रोणाचार्य की श्रौलाद । अश्वत्थामा । द्रौपदी, ( स्त्री. ) द्रुपदराज की कन्या | पाण्डवों की धर्मपत्नी । इन्छ, (पुं.) रहस्य | कलह | जोड़ा । विवाद | रोगविशेष समासविशेष । शोक। हर्ष । शीत । उष्ण । इन्द्रचर, ( पुं ) जो साथ साथ जोड़ा हो कर बिचरे | चकवा चकई द्वय, ( न. ) दो की संख्या । द्वाः-द्वास्थ, (पुं.) दरवान | द्वारपाल | द्वाचत्वारिंशत्, ( स्त्री. ) ४२ । द्वादश, (त्रि.) बारह द्वादशकर, (पुं. ) कार्तिकेय और बृहस्पति । द्वादशनेत्र, (पुं. ) कार्तिकेय । द्वादशाङ्गुल, ( पुं. ) बिलस्त का नाप । द्वादशात्मन् (पुं. ) सूर्य । मदार का पेड़ | द्वापर, (पुं.) संशय । युग विशेष जो सत्य और त्रेता के पीछे आता है । . द्विती द्वामुष्यायण, (पुं.) गौतम मुनि । द्वार, ( स्त्री. ) द्वार | उपाय | वसीला | द्वारका, ( स्त्री. ) द्वारावती । सात पुरियों में से एक । श्रीकृष्ण को बसाई राजधानी । द्वारकेश, (पुं. ) श्रीकृष्ण । द्वारकाधीश | रणछोड़ | " द्वारप, (त्रि.) द्वारपाल । द्वारयंत्र, (न. ) ताला | द्वारावती, (स्त्री.) द्वारका | द्वारिन्, ( त्रि. ) द्वारपाल | दरवान | द्वाविंशति, ( स्त्री. ) बाइस | द्वि, (त्रि. ) दो । द्विक, (पुं. ) काक | कौत्रा । दो संख्या वाला । द्विककुत्, ( पुं. ) ऊँट | द्विगु, ( पुं. ) संख्यावाचक शब्द पहले आने वाला समास । दोका स्वामी | | द्विगुण, (त्रि. ) दुगुना द्विज, ( पुं. ) संस्कार और जन्म से दो बार जन्मा । ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य । त्रैवर्णिक | दाँत । अण्डज जीव तुम्बुरू का एक वृक्ष । संस्कारित ब्राह्मण । द्विजदेव, (पुं. ) ब्राह्मण । ऋषि | चन्द्रमा | द्विजन्मन्, ( पुं. ) देखो द्विज । द्विजबन्धु, ( पुं. ) कर्म से रहित जन्ममात्र से जीने वाले ब्राह्मणादि प्रथम तीन वर्ण । द्विजराज, (पुं. ) द्विजों का राजा | चन्द्र | अनन्त । गरुड़ | द्विजवर, (पुं. ) उच्च विप्र । ब्राह्मण | द्विजाति, ( पुं. ) देखो द्विजन्मा | द्विजिह्व, ( पुं. ) दो जीभ वाला । सर्पविशेष | खल | चुगल | चोर | झूठा । द्विजेन्द्र, (पुं. ) ब्राह्मण श्रेष्ठ | कर्मिष्ठ ब्राह्मण | द्वितय, (त्रि. ) दो की संख्या वाला । द्वितीय, (त्रि.) दूसरा द्वितीयाकृत, (त्रि. ) दुबारा जोता हुआ खेत । द्विद घोड़ा द्विदत्, (त्रि. ) दो दाँत वाला । बैल आदि । द्विदैव, ( पुं. ) विशाखा नामी नक्षत्र । द्विधा, (अव्य. ) दो प्रकार | द्विप, ( पुं. ) हाथी | मुँह और सैंड से पीने चतुर्वेदीकोष । २०३ द्विरद, ( पुं.) दो दाँतों वाला | हाथी । द्विरागमन, ( न. ) गौना । विवाह के पश्चात् दूसरी बार दुलहिन का घर याना । द्विरुक्ल, (त्रि.) दुहराया हुआ। द्विरूढ़ा, ( स्त्री. ) दो बार की विवाही स्त्री । द्विरेफ, ( पुं. ) भौरा | वाला । द्विपद् (पुं. ) मनुष्य । देवता | पक्षी | राक्षस | राशि । दौ पैर वाला । वाला द्विपदा, (त्रि.) ऋग्वेदीय मंत्र विशेष | द्विमातृक, (पुं. ) गणेश द्वैत, (न. ) दो प्रकार के भेद् वाला । द्वैतवन, ( न. ) वनविशेष । जरासन्ध | द्विमुख, ( पुं. ) दो मुख वाला । राजसर्प । द्वैतवादिन् (त्रि. ) जीव और ईश्वर में भेद कुचलैड़ | चुगलखोर । 4 मानने वाले । द्विवचन, ( न. ) दो वचन । द्विशफ, ( पुं. ) गौ बकरी या वे जानवर जिनके खुर फटे हुए हैं। द्विशस्, (अव्य. ) दो बार जो देता या कर्ता । द्विष्, ( स्त्री. ) वैर करना । द्विषत्, (पुं. ) शत्र | बैरी । द्विषन्तप, ( पुं. ) शत्रु को तपाने वाला । द्विष्ठ, (त्रि.) दो के बीच का । संयोगादि पदार्थ द्विस्, (अन्य ) दो बार | दुहरा । द्विसप्तति, ( स्त्री.) बहत्तर । द्विहल्य, (त्रि.) दुबारा जोता हुआ खेत | द्विहायनी, ( स्त्री.) दो वर्ष की गौ । द्विहृदया, (स्त्री.) गर्भवती । 1 द्वीप, (न) पानी से चारों ओर घिरा स्थल । टापू । चीते का चमड़ा। बाघ । दुरङ्गा । द्वीपिन्, ( पुं. ) चीता । धन द्वीपिनी, ( श्री. ) नदी । इ, (क्रि.) संवरण करना | रोकना | ढाँकना | द्वैधा, (अव्य. ) दो प्रकार से । द्वेष, ( पुं.) बैर । विरोध । द्वेषण, (त्रि. ) बैरा | शत्रु । द्वेष्य, (त्रि. ) शत्रु | बैरी । द्वेगुणिक, (त्रि.) सूदन्बोर व्याज खाने द्वैध, ( पुं. ) दो प्रकार । द्वैप, ( पुं. ) चीता का चमड़ा । चीते के चमड़े से ढका हुआ रथ | द्वैपायन, (पुं. ) व्यासदेव | व्यास | पुराण कर्त्ता । या जिसकी जन्मभूमि द्वीप हो । द्वैमातुर, ( पुं. ) जिनकी दो मातायें हों। गणेश | जरासन्ध | द्वयणुक, ( न. ) दो परमाणुओंसे उत्पन्न पदार्थ । द्वाष्ट, (सं.) ताँबा | ताँमा । द्वामुप्यायण, (पुं. ) एक प्रकार का गोद लिया हुआ पुत्र | ध, ( पुं. ) धर्म | कुवेर । ब्रह्मा । धन धक्क, (क्रि. ) नाश करना । घट, (पुं.) तुला लकड़ी । तराजू | • घटक, (पुं. ) ४२ रत्ती की एक तौल | धरण, (क्रि. ) ध्वनि करना । शब्द करना | धत्तूर, ( पुं. ) धतूरा+ धन्, (क्रि. ) धानों को उत्पन्न करना शब्द करना । धन, ( नं. ) सम्पत्ति | दौलत | लूट का माल । धनञ्जय, (पुं. ) धन को जीतने वाला । अर्जुन | यदि । हाधा शरीर को पुष्ट करने वाला । वायु वृक्षविशेष | धन , चतुर्वेदीकोष । २०४ धनद, (पुं. ) कुबेर । हिजल वृक्ष । धनदानुचर, (पुं.) यक्ष + धनदानुज, (पुं ) कुवेरका छोटा भाई | रावण | कुम्भकर्ण और विभीषण धनाधिप, (पुं. ) कुबेर | धनिक, (पुं. ) धनी साहूकार । धनिष्ठा, ( स्त्री.) बहुत धन वाली । नक्षत्र विशेष । धनु, ( पुं. ) कमान | धनुष धनुर्गुण, ( पुं) रोदा । कमान की रस्सी । धनुर्द्धर, (पुं. ) तीर चलाने वाला | धनुर्वेद, ( पुं. ) वेद विशेष जिसमें धनुष चलाने की विद्या का वर्णन है । धनुष्क, (पुं. ) तीर चलाने वाला । धनुष्मत् (पुं) तीरन्दाज । धनुस्, (पुं.) धनुष्| तीर । मेष से नवमी राशि बन चार हाथ का नाप । धन्य, ( पुं॰ ) धन के लिंये हितकर | अश्वक वृक्ष | सराहने योग्य | कृतार्थ | पुण्यशील | धन देने वाला । धनी । धन्याक, (न. ) धनिया नामक पेड़ विशेष | धन्वन्, (न.) धनुष तीर । मरुदेश | रोगिस्तान | धन्वन्तरि, (पुं.) श्रीविष्णु के चौबीस अवतारों में एक अवतार । देवताओं का वैद्य । इस नाम के कई वैद्य और कई परिडत भी हो चुके हैं। धन्वी, (पुं. ) अर्जुन । विदग्ध । चतुर । धनुषधारी बकुल वृक्ष | धम्, (क्रि. ) धौंकना । फूँकना । धमक, (पुं.) फूंकने या धौंकने वाला | लुहार | धमनि, ( स्त्री. ) नाड़ी | शिरा | अवा । भ्रमिल्ल, (पुं. ) स्त्रियों के गृहे हुए केश | धय, ( कि. ) चूसना ! घर, ( पुं. ) पकड़ना । धरना । पहाड़ | कच्छप- राज। वसुओं में से एक कपासी सूत | धागा | धर्मि धरण, ( पुं. ) पहाड़ | लोक गुण । धान सूर्य । पुल । चौबीस रत्ती की तौल । धरणि, ( स्त्री. ) पृथिवी | बनकन्द | ( पुं० ) पहाड़ । विष्णु । कच्छप धरा, ( स्त्री. ) पृथिवी । गर्भाशय । जरायु । मेद को उठाने वाली नाड़ी । धराधर, ( पुं. ) पृथ्वी को धारण करने वाला । पर्वत । विष्णु | शेष धरामर, (पुं.) ब्राह्मण । पृथ्वी पर का देवता | धरित्री, ( स्त्री. ) पृथिवी | भूमि । धरिमन्, ( पुं. ) तराजू धसि, (गु. ) मजबूत दृढ़ धर्तृ, (पुं.) सारा अवलम्ब | धर्म्म, ( पुं. ) वेदविहित कर्म । वह कर्म जिसके करने से अपना अभ्युदय हो और मोक्ष मिले । धर्मक्षेत्र, (न. ) कुरुक्षेत्र । धर्मचारिणी, ( स्त्री. ) धर्मपत्नी | भार्य्या | एक लता । धर्मद्रवी, ( स्त्री. ) गङ्गा । महानदी । धर्मध्वजिन्, (त्रि.) जिसका झण्डा धर्म हो । अपनी जीविका के लिये धर्मचिह्नधारी । धर्मपत्नी, ( स्त्री. ) भार्या | कीर्ति । स्मृति । मेधा । धृति । क्षमा | धर्मपुत्र, (पुं. ) युधिष्ठिर धर्मराज, (पुं. ) युधिष्ठिर, | यमराज । धर्मशास्त्र, (न ) धर्म का कर्तव्य अकर्तव्य का यथार्थ उपदेशक शास्त्र मनुस्मृति आदि अन्थ | धर्मशील, (त्रि, ) धार्मिक | धर्मसंहिता, (त्री.) देखो धर्मशास्त्र | धर्मात्मन्, (पुं. ) धर्मात्मा । धार्मिक । धर्माधिकरण, (पुं.) विचारालय | कचहरी । धर्माध्यक्ष, ( पं. ) न्यायकर्त्ता | विचारक | धर्मासन, (न. ) न्यायासन | धर्मिन्, (त्रि.) धार्मिक धर्मिष्ठ, (त्रि.) धर्मात्मा | साधु | धर्म्य चतुर्वेदीकोष । २०५ धर्म्य, (त्रि.) धर्म वाला । धर्ष, ( पुं. ) चतुराई । कोप | मेल | मारना | धर्षक, (पुं. ) आक्रमणकारी । धर्षण, ( न. ) तिरस्कार | अभिसारिका स्त्री । ( प्रियतम से मिलने के लिये पूर्व साङ्केतिक स्थान पर गयी हुई श्री ) । धर्षित, (न.) अपमानित । ( स्त्री ) कुलटा स्त्री। धव, (क्रि. ) जाना । धव, (पुं. ) पति धूर्त | वृक्ष | काँपना | 1 धवल, ( पुं. ) इतना सफेद जिस पर दृष्टि न ठहरे और आँखें चौधिया जाँय । धव वृक्ष । बैल चीनी कपूर | } धवलपक्ष, (पुं. ) हंस । शुक्लपक्ष । धवलमृत्तिका, ( स्त्री. ) खड़ी मिट्टी । सफेद मिट्टी । धवलोत्पल, (न.) कुमुद | रात को खिलने वाला कमल । धयित्र, (न. ) पा धा, (क्रि. ) धारण करना | पकड़ना । पोसना | बढ़ाना | देना । घाटी, ( स्त्री. ) अचानक | आक्रमगया | आश्चर्य । धाणक, (पुं.) मोहर । धातकी, (स्त्री. ) धाई नामक लता । धातु, ( पुं. ) शब्दार्थ को बताने वाला वर्ण- रुमूह | मुख्य पदार्थ | तत्त्व | सार | स्वर्ण लोहा आदि नौ पदार्थ । परमात्मा । धातुघ्न, (न.) काञ्ज । जिससे धातुओं का असर जाता रहे । धातुद्रावक, (न. ) सुहागा धातुओं को गलाने वाला । धातुभृत् (पुं. ) पर्वत । वीर्य । धातु बढ़ाने वाली वस्तु | धातुमारिणी, ( स्त्री. ) सुहागा | धातुवैरिन्, ( पुं. ) गन्धक । धातुशेखर, (न. ) कसीस | धातु, (पुं.) पालने वाला । ब्रह्मा । विष्णु । 1 धारा धात्री, (स्त्री . ) माता । धाई । आँवला राई । धाना, (स्त्री. ) धनियाँ | सत्तू | भुने हुए जौ | धानी, ( स्त्री. ) बर्तन । स्थान | पोषण | मुख्य स्थान | पीलू का पेड़ । विना साफ किये चाँवल । धानुक, (त्रि.) धनुषधारी । धानुष्य, (त्रि. ) धनुर्द्धर | धानेय, ( न. ) धनिया धान्य, (न.) तुष सहित चाँवल चार तिला का परिमाण । धनिया धान्यत्वचू, ( स्त्री. ) भूसी । धान्यवीर, (पुं. ) माघ । धान्याचल, (पुं. ) ( दान के लिये ) धानों का पहाड़ । धान्योत्तम, (पुं. ) चाँवल । धाम्यकोष्ठ, (क. ) धानों का गोला । धामन्, (न. ) किरन । आसरा स्थान | जन्म । घर | देह | तेज । ज्योति । प्रभाव | स्वयं प्रकाशित । धामनिधि, (पुं.) सूर्य । आक का पेड़ | धाम्या, ( स्त्री. ) लकड़ी आग जलाने वाला ऋग्वेदीय मंत्र । ( 1 ) ( पुं. ) कुल- पुरोहित । धार, (न.) पानी का प्रवाह । मेह का जल | धारणा, (स्त्री.) आत्मा में चित्त की स्थिति। मर्यादा | उचित मार्ग में ठहरना। निश्चय | नाडी | श्रेणी | धारा, (स्त्री.) घड़े आदि का छेद । अस्त्र की तेज कोर । उत्कर्ष । यश । बहुत वर्षा | समान । एक पुरी । घोड़ों की पाँच प्रकार की गति । सेना के आगे का स्कन्ध । धाराङ्कुर, (पुं. ) श्रोला । धाराञ्चल, (पुं.) अस्त्र की पैनी कोर । धाराट, (पुं.) चातक । घोड़ा । बादल | मस्त हाथी । धारा चतुर्वेदीकोष । २०६ धाराधर, (पुं.) बादल । मेह । धारावाहिन्, (त्रि. ) निरन्तर गिरने वाला | धारासम्पात, (पुं.) महावृष्टि | मूसलाधार वर्षा । धारिका, (स्त्री.) खम्भी | धुनकिया । धारिणी, ( स्त्री. ) भूमि । सिम्बल का पेड़ | धारिन्, (पुं. ) पीलू का पेड़ । आसरा देने C वाला । धार्तराष्ट्र, (पुं. ) एक सर्प । एक हंस | धृतराष्ट्र की सन्तान । दुर्योधन आदि । धार्मिक, ( त्रि. ) धर्मशील । धर्मात्मा । धम्म । धि, (क्रि. ) पकड़ना । रखना | सन्तुष्ट करना | धिक्, (अन्य ) झिड़कना । निन्द्रा | धिक्कार, (पुं. ) तिरस्कार | निरादर । धिक्कृत, (त्रि. ) झिड़का गया । निन्द्य | तिरस्कृत | धूम तथा पण्डित । राजा बलि । बुद्धि को प्रेरने वाला बुद्धिसाक्षी । परमेश्वर । केसर । एक नायिका । प्रतिष्ठित प्रज्ञा । धीरोदात्त, ( पुं. ) एक नायक | धीर और शान्त पुरुष । | धीवर, ( पुं. ) कैवर्त्त । मच्छी पकड़ने वाला । धावू, (क्रि. ) भागना | जल्दी चलना । धावक, ( पुं. ) दौड़ने वाला । दूत | धोबी | धावन, ( न. ) साफ करना | शीघ्र जाना.धुनि-नी, ( स्त्री. ) तूफानी । नदी । धा, (न.) ढिठाई | निर्लज्जता । धिक्षु, (क्रि. ) जगाना | रहना । धिग्दण्ड, ( पुं. ) लानत मलामत | घियंधा, ( गु. ) चतुर । घिषण, ( पुं. ) घिषणा, ( स्त्री. ) बुद्धि । तसला । । बृहस्पति । धिष्ण्य, ( न. ) जगह । घर | शक्ति | तारा | श्राग । ( पुं. ) शुक्र । ऊँचे पद के योग्य (त्रि.) धी, ( स्त्री.) बुद्धि | समझ धीन्द्रियम्, (न. ) आँख, कान आदि ज्ञाने- न्द्रिय | धीशक्ति, ( स्त्री. ) शुश्रूषा आदि आठ गुण | धीसचिव, (पुं. ) मंत्री | अमात्य | धु, (क्रि. ) काँपना | धुंक्ष, (क्रि. ) जगाना | रहना । धुत, (त्रि.) छोड़ा गया। काँप गया व्यक्त । कम्पित | धुन्धुमान, (पु.) बृहदश्व राजा का पुत्र | बीरबहूटी | इन्द्रगोप कीड़ा | धुर-रा, (स्त्री.) चिन्ता । रथ की धुरी । धुरन्धर, ( त्रि.) बोझा ढोने वाला । मुख्य | बैल | धुरीण, (त्रि.) श्रेष्ठ | अच्छा धुर्य, (त्रि. ) भार उठाने वाला । अच्छा । सर्वोत्तम । प्रथम । मुख्य धुर्व, (किं.) मारना | धुवित्र, (न. ) यज्ञादि में अग्नि का सुलगाना । धुवन, (सं.) वधस्थान | हिलना | धू, (क्रि. ) काँपना । धूत, (त्रि. ) काँप गया | छोड़ा गया । त्यक्त | झिड़का गया । धूप् (क्रि. ) चमकना | तपना | धूप, ( पुं. ) एक प्रकार का चूर्ण जिसे जलाने से सुगन्ध युक्त धुआँ निकलता है । इसके पश्चाङ्ग, दशाङ्ग, षोडशाङ्ग आदि कई भेद हैं | वस्तुभेद से नामभेद हैं। धूपित, ( त्रि. ) थका हुआ । सन्तप्त धूप. दिया हुआ । धीमत् (पुं. ) प्रज्ञावान् । बृहस्पति । बुद्धि वाला । पण्डित । धीति, (स्त्री.) पीना | चूमना । अनुभव | भक्ति । धीर, (क्रि. ) अपमान करना | धीर, (त्रि.) धीरज वाला । नम्र | बल वाला धूम, ( पुं. ) धुआँ । धूम चतुर्वेदीकोष | २०७ धूमकेतन, ( पुं. ) अशुभसूचक तारों का समूह | पूँछ वाला तारा । धूमयोनि, ( पुं॰ ) मेघ । मौथा । श्राग | गीली लकड़ी । धूमल, (पुं. ) काले और लाल रङ्ग वाला । धूम्या, ( स्त्री. ) धुएँ का साधन । धूम्र, ( पुं. ) धुमैलो | काल और लाल रङ्ग वाला । , धूसरित, (गु.) धुमैला । धृ, (क्रि. ) गिरना । ठहरना । धारण करना । धृत, पकड़ना । धृतराष्ट्र, (पुं.) चन्द्रवंशी एक राजा । दुर्योधन का पिता साँप | पक्षी । धृतात्मन्, ( गु. ) दृढ़ | मजबूत | धृति, ( स्त्री. ) तुष्टि | प्रसन्न होना | पकड़ना | यज्ञ आठवाँ योग सुख । धारणा । सहनशीलता । छन्दविशेष जिसके पाद में अठारह अक्षर होते हैं । १२ की संख्या। धृतोत्सेक, (गु. ) गुस्सैल । क्रोधी । धृष्. ( क्रि. ) चतुराई दिखाना | बल को रोकना । क्रोध करना | दवाना | धृष्ट, ( त्रि. ) टीठ | निर्लज्ज । एक नायक | धृष्टद्युम्न, (पुं.) गम्भीर बल वाला । द्रुपदराजा का पुत्र | धूम्रक, (पुं. ) ऊँट । धूम्रलोचन, ( पुं. ) कबूतर | महिषासुर नामक एक सेनापति । धूम्रवर्ण, (पुं. ) धुमैला रङ्ग या धुमैले रङ्ग वाला । धूमावती, ( स्त्री. ) देवीविशेष । धूमिका, ( स्त्री. ) बाफ | कोहरा । ओद । धूर्, (क्रि.) मारना | जाना । धूर्जटि, ( पुं. ) जहाँ तीनों लोक की चिन्ता एकत्र हो रही हो । शिव । धूर्त्त, ( पुं॰ ) धतूरे का पेड़ । ठग | वश्चक । मायावी | ज्वारी । नायक विशेष | धूर्त्तक, ( पुं. ) शृगाल । गीदड़ ! धूर्त्तकितव, ( पुं. ) ज्वारी । धूर्वह, ( त्रि. ) बोझ उठाने वाला । धूलि-ली, ( स्त्री. ) पराग धूल धूलिध्वज, ( पुं. ) वायु । हवा । धोर, (क्रि.) चतुराई दिखाना चाल चलना | धोरण, (न. ) हाथी । घोड़ा । गाड़ी चादि सवारी । बोड़े की एक प्रकार की चाल । धूसर, (पुं.) ऊँट । कबूतर | पीले रङ्ग | धौन, ( गु. ) बुला हुआ | उत्तेजित । वाला । धौतकोषय, ( न. ) धाया हुआ वस्त्र | कीड़ों के कोष मे उत्पन्न वस्त्र | धौरेय, (त्रि. ) बैल आदि बोझा ढोने वाले । घोड़ा । धृष्टि, ( पुं. ) चीमटा । ( स्त्री. ) बहादुरी । वीरता । ● धृष्णु, ( गु. ) चतुर | वीर । निर्लज्ज | धेनु, ( स्त्री. ) नई व्याई हुई गाय | धेनुक, (पुं.) असुरविशेष जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था । ( स्त्री. ) हथिनी | धेनु । धेनुका, ( स्त्री. ) दुधार गाय | धेनुदुग्धकर, (पुं. ) गाजर | धेनुप्या, (स्त्री.) गिरती रखी हुई गौ । धैनुक, (पुं. ) गौओं का झुण्ड । धैर्य्य, (न. ) धीरज | ऊँचाई धैवत, (पुं. ) गले से निकला एक प्रकार का शब्द | ध्मा, (क्रि. ) आँच को फूँकना । ध्मात, (त्रि.) फूंका गया। भड़काया गया। ध्माक्ष, चाहना | घोर रव । डरावना शब्द । ध्माक्ष, ( पुं. ) काक । मच्चियों को खाने वाला । भिक्षुक । भिखारी । ध्रु, ( क्रि. ) टिकना । पक्का होना चलना। मारना । जाना । ध्रुव चतुर्वेदकोष | २०८ ध्रुव, ( पुं॰ ) शङ्कु । विष्णु । महादेव । राजा उत्तानपाद का पुत्र । योगविशेष । नासिका के आगे का भाग। भूगोल के दोनों केन्द्रों के ऊपर के भाग । ताराविशेष । पक्का । तर्क । आकाश । लगातार । स्थिर । एक गीत । · ध्रौव्य, (न. ) पक्का होना । स्थिर होना । ध्वंस, (पु.) विनाश | गिरना | ध्वज्, (क्रि. ) जाना। ध्वज-जा, (मुं. ) झण्डा । निशान। कलवार सेना । पुरुष का चिह्न । ध्वजिन्, (पुं.) राजा । ऱथ । ब्राह्मण । घोड़ा साँप कलवार। मोर । ध्वजिनी, ( स्त्री. ) सेना | ध्वन्, (क्रि. ) शब्द करना। ध्वन, (पुं.) सुर| शब्द | ध्वनि, (पुं. ) धीमा सुर । चलङ्कार का एक उत्तम काव्य | ध्वंस, (क्रि.) जाना। विनाश होना । गिरना | ध्वस्त, (त्रि. ) नष्ट चला गया । नाश हो गया । ध्वांक्ष, (क्रि. ) चाहना । डरावना शब्द करना । ध्वांक्ष, (पुं. ) काक | बगला । फ़कीर । घर । ध्वान, ( पुं. ) शब्द | ध्वान्त, (न. ) अन्धकार । अन्धेरा । ध्वान्तारि, ( पुं. ) सूर्य्य | थाक का वृक्ष | चन्द्रमा आग | ध्व, (क्रि. ) भुकाना। मारना । न न, ( अ ) पतला । अतिरिक्त । रिक्त । रीता । एक ही सा | वही । प्रशंसित | अविभाजित । मोती | गणेश | धन सम्पत्ति । दल । गाँठ युद्ध | बुद्धदेव का नाम भेंट | नहीं । नंशुकं, (गु. ) हानिकारी | नाशकारक | छोटा मिहीन पतला | भटका हुआ । खोया हुआ | नख नकुर, (न. ) नाक नकुल, (त्रि.) न्यौला । चौथे पाण्डव का नाम । शिव जटामांसी । केसर । नक्क, (न. ) रात्रि | व्रतविशेष | नक्कचारिन्, ( पुं. ) उल्लू | बिलार | चोर राक्षस चमर्गादड़ । या रात में वाला कोई भी जीव । विचरने नक्कञ्चर, ( पुं. ) देखो नक्कचारिन् । नक्कन्दिव, (न. ) रात और दिन । नक्कम्, (अव्य. ) रात । नक्र, (पुं. ) नाका | मगर कुम्भीर द्वार के आगे का काठ । नासिका ( 1 ) बर्रइयों अथवा शहद की मक्खियों का झुण्ड । नक्षत्र, (न. ) अश्विनी आदि अट्ठाईस नक्षत्र । तारा । नक्षत्रचक्र, (न. ) आकाशमण्डल में दीखने वाला ताराओं का राशिचक्र | नक्षत्रनेमि, ( पुं. ) ध्रुव नक्षत्र । चन्द्रमा | विष्णु नक्षत्रमाला (स्त्री.) तारों की नाई माला । २७ मोतियों वाला हार । तारों की पंक्ति । नक्षत्रसूचक, (पुं. ) कुगणक | पञ्चाङ्ग देख कर मुहूर्त्तादि बताने वाला कम पढ़ा सिद्धान्त न जानने वाला ज्योतिषी । सिद्धान्त. ग्रन्थों में नक्षत्रसूची का मुख देखने से प्रायश्चित्त करना लिखा है। पूरा गणित- विशारद ज्योतिषी ही ज्योतिष सम्बन्धी कार्य कर सकता है। नक्षत्रेश, (पुं. ) चन्द्रमा नक्षत्रों का स्वामी | नक्षत्रविद्या, ( स्त्री. ) ज्योतिषविद्या । खगोल विद्या | नख्, (क्रि. ) जाना. | चलना | सरकना | नख, (पुं. न. ) जहाँ सूगख हो । नाखून | न्हो। नखकुट्ट, (पुं. ) नाई। हज्जाम नखर, (पुं. न. ) पश्चे के आकार का नख चतुर्वेदीकोष । २०६१ नखरायुध, (पुं.) सिंह । व्याघ्र | चीता भेड़िया । कुत्ता । बिल्ली । नखानखि, ( अव्य. ) परस्पर नखों की लड़ाई | नग, (पुं.) पहाड़ वृक्ष नगण, ( पुं. ) छन्दोशास्त्र में एक गण विशेष | नगभिद्, ( पुं. ) इन्द्र पहाड़ को तोड़ने वाला । नगभू, (स्त्री.) पहाड़ से उत्पन्न होने वाली । नदी | पत्थर | नगर, (न. ) पुर | नगरी । शहर | नगरन्ध्रकर, ( पुं. ) कार्तिकेय | नगरी, ( स्त्री. ) पुरी | नगरौकस्, ( पुं. ) नगरवासी । नगाट, (पुं. ) बन्दर नगाधिप, ( पुं. ) हिमालय | नगेन्द्र | गजराज | नगेन्द्र, (पुं. ) नगाधिप । हिमालय । गजराज । नगौकस्, ( पुं. ) पक्षी । सिंह | शरभ आदि । नगाग्र, (पुं.) पर्वतशिखर " नग्न, ( गु. ) नङ्गा । जैनियों का एक भेद । तीन वेद रूपी परदों को डालने वाला जन । “नग्नक्षपणके देशे रजकः किं करिष्यति ।” नग्निका, ( स्त्री. ) नङ्गी | वह स्त्री जो रज- स्त्रला न हुई हो । निर्लज्ज स्त्री | नज् (क्रि. ) लजाना। शर्माना । नञ, ( थव्य. ) नहीं | रोकना । स्वल्पत्व | बुरा । लाँघना | थोड़ा । बराबर | विरोध | अन्तर | नट्, (क्रि. ) नाचना | मारना । नट, (पुं.) नाचने वाला | तमाशा करने वाला | नाटक का पात्र | स्त्री के सहारे जीने वाला। वर्णसङ्कर विशेष । अशोक वृक्ष । नटन, (न.) नृत्य | नाच | नटी, (स्त्री.) नट की स्त्री । नाटकपात्री | वेश्या । नन्द नडू, (क्रि.) गिरना । नड़, (पुं. ) नरकुल | चूड़ीगर | नत, ( गु. ) झुका हुआ । ठेढ़ा । ( न. ) तगर की जड़ । नतनासिका, (गु.) चिपटी नाक वाला | नताङ्गी, ( स्त्री. ) स्तन और जघन के बोझ से झुकी हुई स्त्री | नति, ( स्त्री. ) नम्रता । नवन । नदू, ( क्रि. ) सन्तोष करना । प्रसन्न होना । नद, (पुं.) बड़ा जलप्रवाह. नदी, (स्त्री.) स्रोतस्विनी । नदी उसे कहते हैं जो १००८ धनुष दूर तक बहे । नदीज, ( पुं. ) अर्जुन वृक्ष | अग्निमंथ वृक्ष - यह नदी में जमता है। नदीन, (पुं. ) समुद्र । वरुण । नदीमातृक, (त्रि.) नदी जिसे माता की नाई पालती है। नदी के जल से सींचे हुए धानों से पला हुआ देश । नदीष्ण, (त्रि. ) नदी में स्नान करने में पढ़ | नद्ध, (त्रि.) बँधा हुआ । मिला हुआ । नदी (स्त्री..) चमड़े की बनी हुई रस्सी । ननन्द, ( स्त्री. ) सेवा करने पर भी जो प्रसन्न न हो | नन्द | ननद । स्वामी की बहिन । ननु, ( अव्य. ) प्रश्न । निश्चय रूप से बुलाना | सम्बोधन | निन्दा | नन्द, (पुं.) एक गोप । श्रीकृष्ण के पोषण करने वाले पिता । नन्दकी, ( पुं. ) विष्णु की तलवार । मॅडक | आनन्ददायी । कुलपालक । नन्दयु, (पुं.) आनन्द । नन्दन, (पुं.) प्रसन्न करने वाला | पुत्र | मेंढ़क । एक पहाड़ | एक पर्वत । नन्दनन्दन, ( पुं. ) नन्दजी को प्रसन्न करने वाले। नन्दकुमार । श्रीकृष्ण | नन्दनन्दिनी, ( स्त्री. ) नन्द की कन्या | दुर्गा | मन्दा चतुर्वेदीकोष । २१० नन्दा, ( श्री. ) गौरी । पार्वती । तिथि विशेष ( १ दा | ११ शी | ६ ष्ठी ) | ननद । नन्दि, ( पुं. ) वृक्ष विशेष | आनन्द | महादेव का पार्श्वचर । नन्दिकेश्वर | विष्णु । शिव । नन्दिन्, ( पुं.) शिवजी का एक द्वारपाल । नग्दिनी, ( स्त्री. ) वसिष्ठजी की धेनु का नाम । लड़की । सुता । पार्वती । गङ्गा | ननद । व्याडि की माता । रेणुका औषध । नन्दिनीसुत (पुं. ) व्याकरण का संग्रह - कर्त्ता | व्याडि मुनि । नन्दिपुराण, (न. ) नन्दी कथित पुराण | एक उपपुराण | नन्दीश, (पुं.) शिवजी का द्वारपाल । नपुंसक, ( पुं. न. ) हिजड़ा । जनखा | क्लीब। नष्ट, ( पुं. ) पौत्र | पोता | दोहिता | नभ, (न. ) आकाश | सावन का महीना | नभःसद, ( पुं. ) देवता । श्राकाश-निवासी । नभश्चर, ( पुं. ) आकाशचारी । बादल | वायु । पक्षी | सूर्य, चन्द्रादि ग्रह | राक्षस । नभस, (न. ) आकाश । नभस्, (न.) बादल । श्रावण मास । नभस्य, ( पुं. ) भादों त् जिसमें वर्षा अच्छी हो । नभस्वत्, (पुं.) वायु । हवा | नभोमणि, (पुं॰ ) सूर्य्य । सूरज नभोरजस्, (न.) अन्धकार अंधेरा । नभ्राज्, ( पुं. ) मेघ । बादल | नमस्, ([अव्य. ) नति | झुकना । छोड़ना । शब्द करना | नमस्कार, (पुं. ) प्रणाम । अभिवादन | नमस्य (त्रि. ) प्रणाम करने योग्य | नमुचि, (पुं.) शुम्भ निशुम्भ का छोटा भाई | जो युद्ध को न छोड़े। नमेरु, (पुं.) सरपुन्नाग वृक्ष | रुद्राक्ष | नम्बू, (क्रि. ) जाना । नम्र, (त्रि.) नत | झका हुआ | विनयान्वित | नम्रक, (पुं. ) बेंत | नयू, (पुं.) जाना | नय, ( पुं. ) नीति | शुक्राचार्यादि से रचा हुआ एक शास्त्र । नेता न्याय्य । एक प्रकार का जुआ नयन, (न.) नेत्र | आँख नर, (पुं. ) परमात्मा (वै नसूनवः विष्णु । मनुष्य का अवतार मनुष्य । अर्जुन | एक ऋषि धूम घड़ी की एक पिन ( Pin. ) कील । नरक, ( पुं. ) पृथिवी का बीच । वराह से उत्पन्न एक दैत्य | पापियों के दुःख भोगने का स्थान विशेष । रौरव आदि २८ प्रकार के नरक बतलाये जाते हैं । कुल संख्या हजारों है। . नरकजित्, (पुं. ) नरकान्तक | श्रीकृष्ण | नरदेव, (पुं. ) राजा। नरनारायण, ( पुं. ) भगवान् का एक अवतार | ऋषभदेव । श्रीकृष्ण और अर्जुन | नरपति, (पुं. ) नरदेव राजा । नृपति । नरपुङ्गव, (पुं.) मनुष्यों में श्रेष्ठ । राजा । नरमाला, ( स्त्री. ) मनुष्यों के कटे सिरों की माला । " नरमाला विभूषणा इति चण्डी । नरमेध, ( पुं. ) एक यज्ञ जिसमें नर के मांस से होम किया जाता है । नरयान, (सं.) पालकी। पीनस | डोली । तामझाम | कण्डी | नरवाहन, (पुं. ) कुबेर | नरसिंह, ( पुं. ) विष्णु भगवान् का नर और सिंह के रूपों से मिला हुआ एक अवतार जो प्रह्लाद की रक्षा के लिये हुआ था । " नरस्कन्ध, ( पुं.) बहुत से मनुष्य नरेन्द्र, (पुं.) राजा | विषवैद्य | २१ अक्षरों के पाद वाला एक छन्द | 41 नरे चतुर्वेदीकोष । २११ नरेश, (पुं. ) राजा | नराधिप । नरोत्तम, (पुं.) राजा । वैरागी । पुरुषोत्तम । नर्तक, (पुं.) चारण | कत्थक । नचैया | नर्त्तन, ( न. ) नाच | नई, (क्रि. ) शब्द करना । , नर्मद, (पुं.) विदूषक । मसखरा । ( T ) नदी विशेष | नमन्, ( न. ) परिहास । क्रीड़ा । नववस्त्र, (न. ) नया कपड़ा जो पहली बार ही पहना गया हो। नवशायक, ( पुं. ) माली, तेली, नाई आदि जातियाँ | द्रव्य | नलिनीखण्ड, ( न. ) कमलिनियों का समूह | नल्व, (पुं.) एक नाप जो चार सौ हाथ का होता है। नव, (पुं.) नूतन | नया स्तव | प्रशंसा | नवग्रह, (पुं. ) सूर्य्य आदि नौ ग्रह | नवति, ( स्त्री. ) नव्वे की संख्या । नवदल, (न. ) नया पत्ता 1 कमल की कर्णिका के पास का पत्ता नवदुर्गा, (स्त्री.) शैलपुत्री आदि नौ दुर्गाओं की प्रतिमायें । नवद्वारपुर, (न. ) नौ द्वार वाला पुर । शरीर । देह । नवधा, (अव्य. ) नौ प्रकार । नवधातु, (पुं.) सोना आदि नौ धातु । नवन्, (त्रि.) नौ की संख्या । नवनीत, (न. ) नया निकाला गया । मक्खन । नवमलिका, (स्त्री.) बहुत फूलों वाला वृक्ष । नवम, (त्रि. ) नवाँ | नवमी । नवरत्न, (न.) नौरनों का मेल । विक्रमादित्य की सभा के प्रसिद्ध नौ पण्डित | नवरात्र, (न.) नौ रातें । आश्विन तथा चैत्र शुक्ला १दा से हमी तक । नवश्राद्ध, (न. ) एकादशा श्राद्ध | ग्यारहवें दिन करने योग्य श्राद्ध नवसूतिका, ( स्त्री. ) नई व्याई गाय | नवान्न, ( नं. ) नया नाज या नये अनाज के आने का समय । नलकिनी, ( स्त्री. ) जवा | लात | नलकूबर, (पुं. ) कुबेरपुत्र जिसका शापोद्धार नवीन, (त्रि. ) नूतन | नया श्रीकृष्ण ने किया था | नलिका, (स्त्री.) नाड़ी । नाली सुगन्धि नवोदक, (न.) नया पानी या नया पानी. बरसने का समय | नवोद्घृत, (न. ) ताजा मक्खन | जव्य, (त्रि.) नूतन | नया नष्ट, (त्रि. ) तिरोहित । छिपा हुआ । जिसका पता न हो । नष्टचेष्टता, (स्त्री.) संज्ञाशून्य । अचेत | बेहोशी । नष्टाग्नि, (पु. ) प्रमाद से अग्निहोत्र करना छोड़ने वाला | निरग्नि । मन्दाग्निरोगी । नऐन्दुकला, ( स्त्री. ) चतुर्दशी से मिली हुई मा नस्य, (न.) सूँघनी । नस्योत, (पुं.) नथा हुआ । बैल । नहि, (व्य.) निषेध | रोकना । नहिं । नहुप, (पुं.) चन्द्रवंश का एक राजा । सर्प विशेष | नहुषात्मज, (पुं.) नहुषपुत्र | राजा ययाति । ना, ( अव्य. ) देखो नहि । नाक, (पुं.) स्वर्ग | बड़े मुख का स्थान | नाकिन, ( पुं. ) देवता । स्वर्गवासी जीव । नाग, (पुं. ) फन और पूँछ वाले साँप | हाथी । बादल । नागकेसर । मोधा | वायु विशेष जिससे पेट में डकार आती है। नागदन्त, ( पुं. ) हाथीदाँत । नागपाश, (पुं.) वरुणदेव का एक अस्त्र | नागर, (त्रि. ) नगर का | विदग्ध | होशि- यार । नागरमोथा । नाग चतुर्वेदकोष । २१२ नागरक, (पुं. ) चोर । चितेरा । मूर्ति बनाने वाला । कारीगर । नागराज, ( पुं. ) सॉपों या हाथियों का राजा | अनन्तनामी सर्प । सर्प । हाथी । ऐरावत हाथी । नागलता, (स्त्री.) सर्प के आकार वाली लता । पान की बेल । पुरुषचिह्नं । मूत्रनाली । शिश्न | नागलोक, (पुं. ) पाताल । नागों के रहने का लोक । नागाशन, (पुं. ) गरुड़ नागाह्र, (पुं.) हस्तिनापुर | हाथी के नाम वाला । नाचिकेतस्, ( पुं.) एक ऋषि : आग | नाट, ( पुं. ) नृत्य | नाच । कर्णादे देश | नाटक, ( पुं. ) पहाड़ जो कामरूप देश में है। दृश्य काव्य | नाटार, ( पुं. ) नट का पुत्र | नाटिका, ( स्त्री. ) दृश्य काव्य भेद | सुखान्त | छोटा उपरूपक । नाटेय - र, ( सं . ) नटीपुत्र | नाट्य, (न. ) नट का काम । अभिनय । कृत्य । नाट्यशाला, (खी.) अभिनयशाला | नट- मन्दिर | नाचघर | नाडि-डी, ( स्त्री. ) शिरा | धमनी | नाड़ी | वृक्ष की शाखा । धड़ी । नली । नाडिन्धम, (पुं.) सुनार नाडीचक्र, (न.) नाभि में रहने वाला नाडियों का चक्र | नाडीजङ्घ, (पुं. ) कौया । ब्रह्मा का प्रिय एक पुत्र | नाणक, (पु. ) प्रशस्त | अच्छा | सिका | नाधू, (क्रि. ) गरम होना । तपना । माँगना । नाम. (पुं.) अधिस्वामी । गालिक | शिवजी प्रार्थना करने योग्य | नाथवत्, ( त्रि. ) पराधीन परतंत्र । बचाने वाला नाद, ( पुं. ) शब्द । चन्द्रविन्दु । बड़ी ऊँची आवाज़ | एक प्रकार का प्राणवायु । नादेय, (न.) सैन्धा नमक | कॉस | बेत । नदी अथवा नद का जल । नाधू, (क्रि. ) माँगना । 66 नाना, (अव्य. ) विना । अनेक । दोनों । नाना नारी निष्फला लोकयात्रा | " नानार्थ, (त्रि. ) अनेक नाम अर्थ नाय . वाला । नान्तरीयक, (त्रि. ) अवश्यम्भावी | न टलने वाला । व्याप्त | फैला हुआ । नान्दी (स्त्री. ) श्रभ्युदयक सम्पदा | नाटक में मङ्गलाचरण करने वाला । नान्दीमुख-श्राद्ध, (पुं. ) अभ्युदयक श्राद्ध । श्राद्ध या पितृपूजन जो किसी मङ्गलकार्य के श्रारम्भ में किया जाता है। नान्दीवादिन, ( पुं. ) नाटक के आरम्भ में मङ्गलपाठ करने वाले या कराने वाले सूत्रधार के लिये तुरही आदि बजाने वाला । नाम्य, ( न. ) लचीला | नाय. ( पं ) नेता | नापित, ( पुं. ) नाई । नाभि, (पु. ) द्वादश नृपों के चक्र का बीच | पहिये की बुरी । प्रधान राजा | ( सी. ) कस्तूरी टुड़ी | नाभिज, ( पुं. ) ब्रह्मा । नाम, श्रव्य. ) स्वीकार । आश्चर्य । स्मरण | सम्भावना । निन्दा | विकल्प | झूठ । क्रोध | नामकरण, (न. ) एक संस्कार । जिसमें दसवें दिन नवजात कुमार का नाम रखा जाता है। नामधेय, (न. ) नाम | संज्ञा । नामन्, (न. ) नाम । नाय चतुर्वेदीकोप | २१३ नायक, (पुं. ) अगुआ । नेता | स्वामी । हार के बीच की मणि । सेनापति । शृङ्गार रस का अवलम्ब रूप पति या उपपति । पहुँचाने वाला । नायिका, ( स्त्री. ) शृङ्गार रस की मुख्य पात्री प्रेमासक्त युवती । दुर्गारूपिणी शक्ति | नार, (पुं. ) पानी । बालक । नरों का समुदाय : नारक, (पुं.) नरकसम्बन्धी यातना । नारकिन, ( त्रि. ) नरक की पीड़ा को भोगने वाला जीव | नरकवासी । नारङ्ग, (पुं. ) रसविशेष | गाजर | सन्तरे का पेड़ । नारद, ( पुं. ) ब्रह्मदेव का मानस पुत्र | श्रज्ञान भङ्ग कर ज्ञान को देने वाला । मुनिविशेष | देवपिं विशेष : 9 प्रवाह 77 निःश्वा नारिकेल, ( पुं. ) नारियल का फल या पेड़ | नारी, ( स्त्री. ) स्त्री । नाल, (न. ) कमल की डण्डी । नालिक, ( सं . ) चौबस मिनिट का समय | नालीक, (पुं.) तीर विशेष । नाविक, (पुं.) मल्लाह | माँझी । नाव्य, (त्रि. ) नाव द्वारा पहुॅचने वाला देश | नाव चलाने योग्य | नाश, ( पुं. ) पलायन । श्रदर्शन | मरण | निधन | न मिलना । नासत्य, (पुं. ) अश्विनीकुमार | । नास्र, ( स्त्री. ) नथुना । नासा, ( स्त्री. ) नासिका । नासापुट, ( पुं. ) नथुना । नासिक्य, ( त्रि. ) नातिका से उत्पन्न अश्विनी कुमार | नास्ति, (अव्य. ) नहीं | न होना । नास्तिक, (त्रि. ) अविश्वासी | स्वर्ग | स्वर्गप्राप्ति का साधन और ईश्वर को न मानने वाला | वेद की निन्दा करने वाला । " नास्तिको वेदनिन्दकः । " चार्वाक | नास्तिकता, (खी. ) मिथ्या दृष्टि | नास्तिक होना नि, ( श्रव्य. ) नीचे | बहुत | सदा | सन्देह । कौशल । फेंकना । छुटाई । हटाव | पास आदर | देना । छुटाव | रुकाव । निःशलक, ( त्रि. ) निर्जन | एकान्त | निःशेष, (त्रि.) निखिल | सकल | सब । न नासिंह, ( ) एक उपपुराण जिसमें नृसिंहजी की कथा है । नाराच, (न. ) वाण । तीर । नारायण, ( पुं. ) नर 66 स्वरूप से नित्य जीव-समूह स्थान हैं जिसका त्सवका अन्तर्यामी । अथवा जलशायी | मनुस्मृति आदि स्मृतिकर्ताओं ने यही अर्थ किया है। "पो नारा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः । ता यदस्यायनं प्रोक्तं तेन नारायणः स्मृतः ॥ " इत्यादि प्रमाणों से प्रतिपाद्य | नरों का आश्रय श्री विष्णु भगवान् । नारायणक्षेत्र, (न. ) गङ्गाजी के दोनों ओर की दो दो हाथ जगह इस क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है । बदरिकाश्रम | नारायणवलि, (पुं. ) दशगात्र - विधि होने पर शौच निवृत्ति और मरे हुए प्राणी के उद्धार के लिये धर्मशात्रोक्त प्रायश्चित्त ! निःश्रेयस, (न. ) मोक्ष | छुटकारा | मङ्गल | विशेष | नारायण की विशेष पूजा | विज्ञान | भक्ति | शिव

• नारायणी, स्त्री. ) विष्णु की शक्ति । लक्ष्मी । गङ्गा । शतावरी । निःश्वास, ( पुं. ) मुख और नाक से निकला हुआ वायु | सोस । सारा । निःश्रयणी, ( स्त्री. ) सीढ़ी । नसेनी । निःश्रेणि-रणी, ( स्त्री. ) बाँस की सीढ़ी या नसेनी । निःस C चतुर्वेदीकोष । २१४ निःसत्त्व, ( त्रि. ) धीरज रहित । कमजोर । निःसम्पात, (पुं. ) आधीरात | निःसरण, ( ) घर का द्वार | मरना । बुझना । निःसार, (पुं. ) सारशून्य । केले का पेड़ | निःसारण, ( न. ) घर से निकलने का रास्ता । निःस्नेहा, ( स्त्री. ) प्रेमरहित । अतसी का वृक्ष | निःस्व, ( पुं. ) निर्धन । गरीब निकट, (न. ) समीप । पास । निकर, ( पुं. ) समूह | सार । धन । निकष-स, ( पुं. ) कसौटी । सिल्ली । सान | निकर्षण, ( न. ) वास स्थानों के बाहिर घूमने फिरने का स्थान | निकषा, ( श्रव्य. ) निकट । मध्य राक्षसों की माता । निकषोपल, ( न. ) सान | सिल्ली । कसौटी । निकाम, (न. ) इच्छानुसार । बहुत | घर । परमात्मा । निकाय, (न. ) निवास । एक धर्म वालों का समुदाय | निकाय्य, ( न. ) घर । निकार, ( स. ) तिरस्कार | अपमान | अपकार | छाँटना | कूटना निकाश, ( पुं. ) दृष्टि । दृश्य । निकुञ्ज, ( न. ) उपवन । लता आदि से ढका हुआ स्थान । निकुम्भ, ( पुं. ) कुम्भकर्ण का पुत्र | दन्ती पेड़। निकुम्भिला, ( स्त्री. ) लङ्का में स्थापित एक देवीविशेष । निकुरम्ब, ( न. ) समुदाय । समूह | अतिशय | बहुतसा | निकृत, ( त्रि. ) तिरस्कृत । वश्चित | धूर्त | नीच । निप्र निकृति, ( स्त्री. ) धूर्तता । तिरस्कार | अपमान | निर्धनता । निकृष्ट, (त्रि. ) जाति और आचार से निन्दित | नीच । अधम । निकेतन, ( न. ) घर निकोच, ( पुं. ) सिकुड़न । निक्रमण, ( सं . ) कुचलना । निक्क-क्का-ए, ( पुं. ) वीणा का शब्द | निक्षिप्त, ( त्रि. ) फेंका गया | स्थापित निक्षेप, ( पुं. ) धरोहर । ठीक करने के लिये शिल्पी के हाथ में सौंपी गयी वस्तु । निखनन, ( न. ) खोद कर गाड़ना । निखर्ब, ( पुं. ) बौना। दस हजार करोड़ दस खर्ब संख्या | 1 e निखात, (त्रि.) गढ़ा | खोदा हुआ | निखिल, ( त्रि. ) सम्पूर्ण | सकल । निगड, (पुं. ) शृङ्खला । सकरी | हथकड़ी । बेड़ी । निगडित, ( त्रि. ) बँधा हुआ । निगद, ( पुं. ) भाषण । चिल्ला कर पाठ करना निगम, (पुं.) निश्चय । प्रतिज्ञा | वेद । न्याय शास्त्र के पश्च अवयवों में से अन्तिम अवयव । व्यापार | वेद की शाखा | हाट । मार्ग । निगमन, ( न. ) न्याय शास्त्र का अवयव विशेष । निगा - र, ( पुं. ) भोजन आहार निगाल, ( पुं. ) घोड़े के गले का स्थान । निगुः, ( पुं. ) मन । मल । विष्ठा । मूल विशेष | चित्रण | निगृहीत, (त्रि.) रोका हुआ । पीड़ित | झिड़का हुआ । निग्रन्थन, ( न. ) मारण । वध | निग्रह, ( पुं. ) झिड़कना । सीमा | बन्धन | कोप । मारना । प्रवृत्ति से हटाना | रोक | तिरस्कार । निंग्र चतुर्वेदीकोष | २१५ निग्रहस्थान, ( न. ) रोकने का स्थान | गौतम कथित षोडश पदार्थों में से अन्तिम पदार्थ | निग्राह, (पुं. ) शाप । कटुवचन | निघ, ( पुं. ) गेंद | वृक्ष | वृत्त । जितना ऊँचा उतना ही चौड़ा। पाप । निघण्टु, ( पुं. ) , अर्थ सहित शब्दसंग्रह | विशेष कर के वैदिक शब्दों का संग्रह | जिसे यास्क मुनि ने निरुक्त में किया है । वैद्यक का कोश जिसमें हर एक वस्तु के नाम और गुण-दोष हैं। निघस, (पुं. ) भोजन । श्राहार । निघ्न, (त्रि. ) अधीन गुणा गया । " द्विगुणान्त्यनिघ्न - "लीलावती । निचय, ( पुं. ) बढ़ा हुआ | ढेर | समूह | निचाय, (पुं. ) राशीकृत । समूह | निचित, (त्रि. ) पूरित | भरा हुआ । फैला हुआ । सङ्कीर्ण । मिला हुआ । रचा हुआ | निचोल, ( पुं. ) डोली का परदा | डुपट्टा | चादर ।. निज, (न. ) अपना निटल, ( न. ) कपाल । माथा । निराय, (न.) छिपा हुआ । गुप्त | रहस्यमय | नितम्ब, (पुं.) कटिदेश | चूतड़ | कन्धा | तट । किनारा कमर नितम्बिनी, ( स्त्री. ) स्त्री | नितरां, ( श्रव्य.) सदैव । अतिशय । विशेष कर के। नितल, (न.) बहुत नीचा । पाताल विशेष | नितान्त, (न. ) एकान्त । असाधारण | अतिशय । बहुत । सघन | नित्य, (न. ) निरन्तर अनन्त अक्षर | अन्त रहित । ( पुं. ) समुद्र । नित्यकर्म, ( न. ) सन्ध्यावन्दनादि प्रति- दिन करने योग्य कर्म | नित्यदा, (श्रव्य. ) सदा | सदैव । रोजरोज | निधा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिये नित्य किया जाय । कोई सामयिक कृत्य जो समय पर सदैव किया जाय । नित्यमुक्त, (पुं. ) परमात्मा । और शेष विष्वक्सेन आदि सूरिंगण जिन्हें वेदों में “तद्विष्णोः परमं पदछ्रंसदा पश्यन्ति सूरयः ।” इत्यादि कहा है । नित्ययज्ञ, ( पुं. ) बलि - वैश्वदेव | अग्नि- होत्रादि । नित्यसत्त्वस्थ, ( त्रि. ) धैर्य्यवान् । नित्यसमास, ( पुं. ) समासविशेष । नित्यानध्याय, ( पुं. ) वेद न पढ़ने का नियत दिन । प्रतिपदा आदि । नित्याभियुक्त, ( त्रि. ) केवल शरीर की रक्षा करने वाला । योगाभ्यास में निरत | निदर्शन, (न. ) उदाहरण । अर्थालङ्कार । निदाघ, (पुं.) गरम । पसीना । गर्मी की ऋतु । निदाघकर, (पुं.) सूर्य निदान, ( न. ) आदिकारण | शुद्धि | बछड़े की रस्सी । अवसान । रोग निर्णय करने वाला। रोग का मूल कारण और सामान्य लक्षण तथा परिणामनिदर्शक ग्रन्थ विशेष | जैसे—“ निदाने माधवः प्रोक्तः । ” माधवनिदान ग्रन्थ । तथा और भी वैद्यक के ग्रन्थविशेष । रोग का कारण तपःफल की याचना | निदिग्ध, (त्रि. ) उपचित । बढ़ा हुआ । तेल मला गया । निदिध्यासन, ( न. ) ध्यान विशेष | विचारे हुए अर्थ में निमग्न होना | निदेश, ( पुं. ) शासन आज्ञा । कथन | पास । वर्तन । निद्रा, ( स्त्री.) नींद निधन, (पु.) मरण | नाश । कुल । लग्न से आठवाँ स्थान । निधान, ( न. ) आश्रय धनागार | निधि चतुर्वेदीकोष | २१६ निधि, ( पुं. ) धन वह धन जिसका कोई पार्ने वाला या स्वामी नहीं । अवलम्ब | जैसे “ दयानिधिः ” । “वारिधिः ” । निधीश, ( पुं. ) कुबेर । निधुवन, ( न. ) सुरत । क्रीड़ा । संयोग । मैथुन । निनद, १ ( पुं. ) ध्वनि । शब्द | रथ या निनाद, गाड़ी का शब्द । निन्दा, ( स्त्री. ) बुराई । अपवाद | दोष | निन्दक, ( पुं. ) निन्दा करने वाला । निन्द्य, ( गु. ) निन्दा करने योग्य | बुरा । निपत्या, ( स्त्री . ) युद्धभूमि । निपात, ( पुं. ) मरण | व्याकरण में च, प्र आदि अजीव वाचक अव्यय | निपान, (न. ) कुएँ का हौद । दुधैड़ी । निपीडित, ( त्रि. ) निचोड़ा गया । निपुण, (त्रि.) प्रवीण | चतुर । निबन्ध, (पुं.) किसी वस्तु का किसी नियत समय पर देने की प्रतिज्ञा । ग्रन्थ या प्रबन्धरचना | मूत्ररोगविशेष । बन्धन । नीम का पेड़ | अनाह रोग जिसमें मल-मूत्र रुक जाते हैं। निबन्धन, (न. ) हेतु । बाँधना | वीणा का ऊपरी भाग । निभ, ( पुं. ) बहाना | सदृश | समान | निभृत, ( त्रि. ) गुप्त | निर्जन । एकान्त | अतोन्मुख | विनीत | घी । निश्चल निमज्जथु, (पुं.) श्रवगाहन | स्नान करना | चुपचाप स्थित रहना । निमज्जन, (न. ) चुप रहना निश्चल रहना । जल में घुसना ! निमंत्रण, न. ) बुलावा । श्राह्वान | निमान, (न.) मूल्य | मोल । निमि, ( पुं.) चन्द्रवंशीय एक राजा का नाम। निमित्त, ( न. ) हेतु । कारण | चिह्न । होने वाले शुभ अशुभ को बताने वाला । शकुन । उद्देश्य । निमित्त कारण, (न. ) न्याय शास्त्र का कारण विशेष । जो निमित्तमात्र हो जैसे घड़ा, दीपक श्रादि का कुम्हार, चाक, सूत्र आदि निमित्त कारण हैं। मट्टी उपा- दान कारण । नियो निमिष, १ ( पुं. ) वह समय जितने में निमेष, आँख का पलक झपकै । निमीलन, ( न. ) आँख का झपकाना | समेटना | निम्न, (त्रि.) गभीर । नीचा गहरा । गढ़ा । खोल । निम्नगा, ( स्त्री. ) नदी। गहरी बहने वाली । निम्नोन्नत, ( त्रि. ) ऊँचा नीचा | दबा हुआ और उठा हुआ। असम निम्ब, ( पुं. ) नीम का पेड़ । निम्लोचन, ( न. नियत, (त्रि.) निश्चित | पका | नित्य | अस्तप्राय । आचार वाला। नियम वाला । नित्य का काम । नियति, ( स्त्री. ) नियम भाग्य | नियन्त्र, (८ पुं. ) सारथि । गाड़ीवान् । प्रभु दण्ड देने वाला | · नियन्तृत, ( त्रि. ) अबाध | रुका हुआ | भले प्रकार वश में किया गया। नियम, ( पुं. ) प्रतिज्ञा । निश्चय | व्रत । शौच । सन्तोष | तप । वेदाध्ययन | ईश्वर में चित्त लगाना | नियामक, (पुं.) आज्ञादाता। स्वामी | माँझी । नियुत, ( न. ) दस लाख । नियोग, (पुं. ) अवधारण जताना | काम | काम लगाना । नियोग्य, ( त्रि. ) प्रभु । स्वामी । 1 नियोज्य, ( त्रि. ) जिसे काम दिया जा सकता है | भेजने योग्य | नौकर | दास । परिचारक | नियोजन, (न. ) लगाना | आज्ञा देना । मिलाना। स्थिर करना |

निर

निर्, ( श्रव्य. ) निषेध नहीं । निश्चय | बाहिर । निरंश, (त्रि.) अंशरहित । पतित । निरग्नि, ( पुं. ) अग्निरहित | अग्नि द्वारा किये जाने वाले वैदिक कर्मों से रहित । निरङ्कुश, ( त्रि. ) जो श्रङ्कुश से भी न माने। जो वश में न हो । वज्रहठी । निरञ्जन, ( त्रि. ) निर्मल । परब्रह्म । निरतिशय, ( त्रि. ) परमोत्कृष्ट । सर्वोत्तम । जिससे बढ़ कर कोई न हो । निरत्यय, (त्रि. ) नाशरहित । न रुकने वाला । श्रमायिक | छलरहित । निरन्तर ( त्रि. ) लगातार । निविड | सघन 1 चतुर्वेदीकोष | २१७ निरपत्रप, (त्रि.) निर्लज्ज | निरर्गल, ( त्रि. ) न रुकने वाला । अवाघ । निरर्थक, (त्रि.) व्यर्थ । निष्प्रयोजन | निरवग्रह, ( त्रि. ) बेरोक । निरवद्य, ( त्रि. ) दोषरहित । अच्छा | निरवयव, (पुं. ) आकाररहित निरवशेष, (त्रि.) सब | सारा । निरवसित, ( त्रि.) चाण्डाल आदि नीच वर्ण । the निरसन, ( न. ) परित्याग | छोड़ना । मारना । निकालना | तिरस्कार करना । निरस्त, ( त्रि. ) थूका गया । चोटिल किया गया । तिरस्कृत | निराकरण, (न. ) निवारण | दूर करना | तिरस्कार करना | निराकरिष्णु, (त्रि.) निकाल देने वाला । निराकृति, ( स्त्री. ) हटाव | निवारण | निरामय, ( त्रि. ) रोग से निकला | रोग- रहित । वन का बकरा और सूकर निरुक्ल, (न. ) वेद का एक अङ्ग विशेष | कहा हुआ । निश्चय किया हुआ | निरूक्लि, ( स्त्री. ) निर्वचन कथन । निर्ण निरुपाख्य, ( त्रि. ) अस्फुट स्वरूप | निरूढ, ( पुं. ) अविवाहित । निरूढ लक्षण, ( स्त्री. ) शक्तितुल्या लक्षणा । निरूढि, ( स्त्री. ) प्रसिद्धि । ख्याति । निरूपण, ( न. ) तत्त्वज्ञान के अनुकूल शब्द का प्रयोग करने वाला विचार | निरूपित, ( त्रि. ) वर्णित | नियुक्त | रचित | निरोध, (पुं.) नाश | प्रलय । प्रतिरोध | रोक । निरोधन, ( न. कारागार में बन्द कर के रोकना । बन्द करना। 1 निर्ऋति, ( पुं. ) दक्षिण और पश्चिम दिशा का पति । अलक्ष्मी जहाँ अवश्य घृणा उत्पन्न हो । निरुपद्रव । निर्गुण, ( पुं. ) सम्पूर्ण धर्मों से शून्य । गुणहीन | मूर्ख | प्राकृत गुणरहित ईश्वर | निर्गुण्डी, ( स्त्री. ) नीरस । सूखा | कमल की जड़ | कली । सिन्धुवार का पेड़ | निर्ग्रन्थ, (पुं.) क्षपणक दिगम्बर । ज्वारी । निर्धन | मूर्ख | असहाय । वैरागी | मुनि विशेष | निर्ग्रन्थिक, ( पुं. ) निर्गुण । कौपीन तक न पहिनने वाला । अन्थिहीन | निर्घात, ( पुं. ) दो पवनों के टकराने से उत्पन्न शब्द नाश । तूफान । भूकम्प | निर्घृण, ( त्रि. ) निर्दयी । दयाशून्य । निर्घोष, ( पुं. ) हर तरह का शब्द । निर्जन, (त्रि.) विजन । एकान्त | निर्जर, ( पुं. ) देवता। अमृत । बुढ़ापे से शून्य । निर्जरा, ( स्त्री. ) गुर्च । गिलो | तालपर्णी । निर्भर, ( पुं. ) झरना | निर्झरिणी, ( स्त्री. ) नदी । निर्णय, ( पुं. ) निश्चय | ज्ञान | निष्कर्ष | चतुर्वेदीकोष | २१८ निर्णिक्ल, ( त्रि. ) सफा । संशोधित । संस्कारित । निर्रोजक, ( पुं. ) धोबी | साफ करने वाला । निर्दहन, ( पुं. ) अग्निरहित । निर्दिष्ट, ( त्रि. ) उपदिष्ट । बतलाया हुआ | ठहराया हुआ । कहा हुआ । दिखलाया हुआ । निर्देश, ( पुं. ) शासन । आज्ञा । वेतन | " कालमेव प्रतीक्षेत निर्देशं भृतको यथा । " देश से बाहिर हुआ | निर्धन, ( पुं. ) धन से रहित । गरीब । निर्धारण, ( न. ) पृथकरण । निश्चय करना । निर्धारित, ( त्रि. ) निश्चय किया हुआ | निर्द्वन्द्व, (त्रि.) द्वन्द्वों से रहित | बेफेक | निर्बन्ध, ( पुं. ) हठ । प्रार्थना | आग्रह | अभिनिवेश | निर्वाध, (त्रि. ) निरुपद्रव | बाधाशून्य । कष्टरहित । निर्भय, ( पुं. ) भयरहित अच्छा घोड़ा । निर्भर, ( न. ) अवलम्बित । अतिमात्र । निर्मक्षिक, ( [अव्य.) मक्खी का अभाव | एकान्त । निर्ममं, ( त्रि. ) ममताशून्य । निर्मल, ( त्रि. ) शुद्ध । मलरहित । निर्माल्य, ( न. ) देवोच्छिष्ट । विष्णु के सिवाय अन्य देवताओं को अर्पण किया पदार्थ जो उनका झूठा हो चुका हो । निर्मुक्त, ( पुं. ) बन्धनशूल्य । छुटा हुआ । निर्मोक, (पुं. ) साँप की केंचुली छोड़ने की किया सन्नाह । आकाश | निर्याण, (न. ) हाथी के नेत्र का एक कोन | पशु के पाँव बाँधने की रस्सी शृङ्खला । यात्रा | मोक्ष । निर्झ निर्यूह, ( पुं. ) कील | द्वार | गोंद | मुकुट चोटी । निर्यातन, ( न. ) वैर निकालना | लौट कर देना समर्पण | अमानत देना । निर्यास, (पुं. ) गोंद | वृक्ष का रस । काढ़ा | निर्वत्रन, ( धातु एवं प्रत्यय के विभाग से अर्थ कहने वाली निरुक्ति । अर्थ का निष्कर्ष । निर्वपण, ( न. ) बीज बोना । दान | पितृ श्राद्ध | निर्वर्तित, ( त्रि.) निष्पादित । अन्त तक पहुँचाया हुआ | निर्वहरण, (न. ) कथा की समाप्ति । अन्त नाश । नाटक की एक संधि । निर्वाण, (न. ) मोक्ष छुटकारा । विनाश | गजस्नान । कीचड़ | शान्त | विश्रान्त | निर्वाद, पुं. ) लोकापवाद बदनामी । लोकनिन्दा | निर्वापण, ( न. ) मार डालना । देना । निर्वासन, (न. ) निकालना । देशनिकासा देना। मारना। विसर्जन | छोड़ना । निर्वाह, (पुं. ) कार्यसम्पादन । निष्पत्ति | अन्त । जीविका | निर्विकल्प, (त्रि. ) जानने योग्य ज्ञान | अलौकिक अनुभव रूप ज्ञान । निर्विकार, ( पुं ) विकार अथवा परिवर्तन रहित। परमात्मा । निर्बीजा, ( स्त्री. ) एक प्रकार की सांख्य शास्त्र के मतानुसार समाधि | बेदाना | निर्वृति, ( स्त्री. ) सुस्थिति । आराम से रहना । मोक्ष । छुटकारा । निर्वृत्त, ( त्रि. ) निष्पन्न | पूरा किया हुआ | निर्वेद, (पुं.) अनुपाय । अवमान । उदासी । वैराग्य निर्वेश, ( पुं. ) भोग । वेतन । विवाह प्राप्ति । निर्व्यूढ, ( त्रि. ) त्यक्त समाप्त पूरा दिखलाया गया । निर, ( पुं. ) तीर के निकालने की क्रिया + मूल मूत्रादि का त्याग । मृतकक्रिया | निर्हा चतुर्वेदीकोष | २१६ समूलोत्पाटन | छोड़ना । लगाना | निर्हारिन्, ( पुं. ) शव को जलाने के लिये ले जाने वाला । निर्हाद, ( पुं. ) शब्द । निलय, ( पुं. ) घर | आवासस्थान । रहने की जगह | निवपन, (न. ) पिता आदि के नाम पर किसी वस्तु का देना । निवर्त्तन, ( न. ) हटाना। सौ वर्ग गज भूमि | निवर्हण, (न. ) मारना । निवसति, ( स्त्री. ) गृह । घर निवसथ, (पुं. ) ग्राम। गाँव । निवसन, ( न. ) घर कपड़ा । निवह, (पुं. ) समुदाय । समूह | झण्ड | निवात, (पुं.) वातरहित देश | कवच । निवातकवच, (पुं. ) एक देव । प्रह्लाद का पुत्र | इच्छानुसार निवाप, (पुं. ) पितरों के लिये दान । निवास, ( पुं. ) घर । आसरा | निविड, (त्रि. ) घन | मोटा | निवीत, ( न. ) कण्ठ में पड़ा हुआ जनेऊ । कपड़े पहने हुए । निवृत्त, ( न. ) निरत | हटा हुआ । लौट गया चुपचाप । निवृत्ति, ( स्त्री. ) उपरम । हटना। विरति । निवेदन, (न. ) सम्मानपूर्वक विज्ञप्ति : निवेश, ( पुं. ) विन्यास । धरना । छावनी | विवाह । स्थान। निवेशन, ( न. ) घर प्रवेश रहना। निश, ( स्त्री. ) रात | हल्दी | निशा, ( स्त्री. ) रात हल्दी । मेष आदि निष्कु निशान, ( न. ) तीक्ष्णीकरण । तेज करना । निशान्त, ( न. ) घर । निशापति, ( पुं. ) चन्द्रमा | निशीथ, (पुं. ) आधीरात रात निशीथिनी, ( स्त्री. ) रात । निशुम्भ, ( पुं. ) शुम्भ दैत्य का भाई । एक दैत्य | मलना । निश्चय, ( पुं. ) संशयरहित सिद्धान्त | निर्णय । पक्का | राशि समूह | निशाकर, ( पुं. ) चन्द्रमा । मुर्गा | निशाचर, ( पुं. ) राक्षस । उल्लू । साँप | पिशाच । चकवा । चोर । रात को विचरने माला + निश्चल, (त्रि. ) स्थिर । पक्का । भूमि ( स्त्री. ) शालपर्णी | निश्वास, ( पुं. ) सौस निषङ्ग, ( पुं. ) तर्कस | • निषङ्गिन, ( त्रि. ) धनुषधारी। निषद्या, ( स्त्री. ) हाट बाजार | दूकान छोटा खटोला । मण्डी । निषद्वर, ( पुं. ) कचि । कामदेव । निषध, ( पुं. ) कठिन | एक देश । निषाद स्वर | निषाद, ( पुं. ) वीणा या गले का स्वर | चाण्डाल । वर्णसङ्कर विशेष । निषादिन, (पुं.) महावत | हस्तिप निषिद्ध, (त्रि. ) बुरा रहेका हुआ हटाया हुश्रा । निषेक, ( पुं. ) गर्भाधान | निष्क, ( क्रि. ) मापना । निष्क, ( पुं. ) सोलह माशे की तौल । १०८ रत्ती भर सोना । सोने का बर्तन | निष्कर्ष, ( पुं. ) निचोड़ । निश्चय | सार | तत्त्व | निष्कल, ( त्रि. ) कलाशून्य । जो हुनर न जानता हो। ( पुं. ) आश्रय | निष्कासित, ( त्रि.) निकाला हुआ | निष्कुट, ( पुं. ) घर के पास का उपवन | खेत । अन्तःपुर । ( स्त्री. ) इलायची । निष्कुषित, ( त्रि. खण्डित | तोड़ा गया । खाल उतारा गया | 'चतुर्वेदीकोष | २२० निष्कृ निष्कृति, ( स्त्री. ) छुटकारा । मुक्ति । निष्कृष्ट, (त्रि. ) निकाला गया। खींचा गया । सारांश | निचोड़ | निष्कोषण, (न. ) भीतर के हिस्सों या अंगों को बाहर निकालना । निष्क्रमण, ( न. ) बाहर निकलना । एक वैदिक संस्कार | 7. हुआ । निष्पत्ति, ( स्त्री. ) निपटेरा । समाप्ति | सिद्धि । निष्पदयान, ( न. ) नौका | नाव | निष्पन्न, ( त्रि. ) पूर्णं | समाप्त | सिद्ध । निष्परिग्रह, (त्रि.) संन्यासी । परमहंस । अपने पास कुछ न रखने वाला । निष्पादन, ( न. ) सम्पादन पूर्ण करना । निष्पादित, (त्रि.) समाप्त किया गया । पूरा किया गया । निष्पाप, (त्रि.) पापरहित । निष्प्रतिभ, (त्रि. ) मूर्ख । जड़ | निष्प्रभ (त्रि.) प्रभारहित। फीका । निष्फल, (त्रि.) बेकार । व्यर्थ । वृथा । .नि. (अ.) निषेध । सफलता । निश्चम | पूरा पूरा निसर्ग, ( पुं. ) स्वभाव | रूप । निसूदन, (न.) मारना । जान लेना । निसृष्ट, (त्रि.) न्यस्त । मध्यस्थ | पैदा किया | छोड़ा । निसृष्टार्थ, ( पुं. ) दोभाषिया । निस्तत्त्व, (त्रि. ) तत्त्वशून्य । असार । निस्तरण, तैरना । निस्तल, (त्रि. ) गोल | बे पेंदे का | निस्तार, ( पुं. ) उद्धार । उबार । छुटकारा । निस्तुषित, (त्रि. ) त्यागा हुआ । त्वचा- हान | निस्तेज, (त्रि. ) तेज रहित । निष्क्रय, ( पुं. ) बिक्री | तनख्वाह | निष्क्रान्त, (त्रि. ) निकला | निष्क्रिय, (त्रि. ) बेकार। कुछ न करने निस्तोद, (पुं. ) पीड़ा | व्यथा | दर्द | वाला । निष्काथ, ( पुं. ) रमा । जूस | निष्ठा, ( स्त्री. ) विश्वास | दृढ़ता । अन्त | निष्ठीवन, ( न. ) थूक | खखार | निष्ठुर, ( न. ) निठुर | बेरहम । निष्ठत, ( त्रि. ) फेंका गया । थूका गया । निष्णात, (त्रि.) पारंगत निपुण । नहाया नित्रिश, ( पुं. ) खड्ड । खाँड़ा | निगुराय, (त्रि. ) निष्काम निस्नेह, (त्रि. ) रूखा | बेभुरोवत । निस्पन्द, ( पुं. ) धड़कन । हिलना । निस्पृह, (त्रि. ) लापर्वाह | कोई चाह न रखने वाला | न. उपाय । निस्तार | नीची निस्यन्द, ( पुं. ) टपकना । बहना । "निस्राव, (पुं. ) चावल का माँड़ । निस्व, (त्रि. ) उत्साहरहित । कंगाल | निर्धन निर्बल | निस्वन, ( पु. ) शब्द | निस्सारित, ( त्रि. ) निकाला गया | निस्सीम, (त्रि.) सीमारहित बेहद । निहत, (त्रि. ) मारा गया | निहनन, (न. ) वध करना । मार डालना । निहन्ता, (त्रि.) मारने वाला। निहव, ( पुं. ) बुलाना | पुकारना | निहित, (त्रि.) भीतर रक्खा हुआ । निहव, (पुं.) छिपाना । कपट | निहुत, (त्रि. ) छिपाया गया। निहाद, (पुं. ) अस्पष्ट भारी शब्द । नीकार, (पुं. ) तिरस्कार | . नीकाश, ( पुं. ) निश्चय | समान | नीच, (त्रि.) छोटी जाति का और छोटे

खोटे हृदय का । नीचीन, (त्रि. ) अधोमुख । औंधा । नीचैः चतुर्वेदीकोष | २२१ नीचैः, ( श्र. ) नीचे | थोड़ा । क्षुद्र । नीवी, (स्त्री.) पूँजी । त्रियों के लहँगे का नीड़, (पुं. ) झोंझ । घोंसला । नाला । नीड़ज, ( पुं. ) पक्षी । चिड़िया । घोंसले में नीवृत्, ( पुं. स्त्री . ) जनपद | देश । पैदा होने वाला । , नीशार, (पुं. ) पर्दा। कनात | तंबू | नीहार, ( पुं. ) कुहासा | कुहरा | नु, ( अ ) तर्कणा विकल्प 1 अपमान । अनुनय | प्रश्न । कारण । व्यतीत । नीत, (त्रि. ) लाया गया। पहुँचाया गया । नीति, ( स्त्री. ) एक शास्त्र न्याय | उचित व्यवहार । नीतिशास्त्र, ( न. ) नीति के ग्रन्थ । नीतिश, (त्रि.) नीति को जानने वाला । नीप, ( पुं. ) कदम्ब । नीला अशोक | दुपहरिया । नीयमान, (त्रि. । पहुँचाया जा रहा। लिया जा रहा । नीर, (न.) जल | रस | नीरज, (न. ) कमल मोती । जलजीव । ( ) रज से रहित । नीरद, (पुं. ) बादल । मोथा । (त्रि.) बे दाँत वाला । नीराध, नीरनिधि, } ( पुं. ) समुद्र । नीरन्ध्र, (त्रि.) गाढ़ा रहित । नीरस, (त्रि.) रूखा रसहीन | नीराजन, ( न. ) आरती उपतारना । नीरु, ( पुं. ) रोगरहित । आराम । नील, ( पुं. ) नीला । वानर विशेष निधि विशेष । पर्वत विशेष । लान्छन । कलंक । नीलम मणि । नीलक, (न. ) काला नमक | नीलकण्ठ, (पुं. ) महादेव । एक पक्षी । पपीहा । मोर | नीललोहित, (पुं. ) महादेव । काला और लाल मिला हुआ रंग नीलाम्बर, (पुं.) बलदाऊजी । शनैश्चर । .) नीले रंग का कपड़ा। नीलोत्पल, (न. ) नीले रंग का कमल । नीवार, (पुं.) तृणधान्य | तिन्नी के चावल | राक्षस । नेत्रा छिद्र · नुति, ( स्त्री. ) स्तुति | पूजा । नुत्त, (त्रि. ) प्रेरित | नुन्न, (त्रि. ) अस्त | प्रेरित | निरस्त | नूतन, (त्रि.) नया | नूल, (त्रि. ) नया | नूद, ( पुं.) शहतूत का दरख्त । नून, (त्रि. ) समूचा । नूनम्, (अ.) निश्चय | तर्कणा | स्मरण | उत्प्रेक्षा | वचनपूर्ति । नूपुर, ( पुं. ) नेवर | बिछिया । नृ, ( पुं. ) पुरुष / मनुष्य नृकरोटिका, ( स्त्री• ) मनुष्य की खोपड़ी । नृग, ( पुं. ) एक बड़े दानी राजा । नृति, (स्त्री.) नाचना | } ( न. ) ताल लय के साथ नाचना ॥ नृत्त, नृत्य, नृप, (पुं.) राजा । नृपति, (पुं. ) राजा | कुबेर नृपशु, ( पुं. ) पशु की तरह विवेकरहित मनुष्य । नृपाध्वर, (पुं. ) राजसूय यज्ञ | नृशंस, ( ) क्रूर | नीच | नूनी । नृसिंह, (पुं. ) विष्णु का एक अवतार | मनुष्यों में शेर । नेजक, ( पुं. ) धोबी नेता, (त्रि. ) अगुआ | मुखिया | मालिक नेत्र, ( न. ) मथानी की रस्सी | आँख । रथ | नेत्रच्छद, (पुं. ) पलकें । नेत्रबन्ध, ( पुं. ) आँख मिचौनी का खेल | नेत्राम्बु, (न.) आँसू ने दि . चतुर्वेदीकोष | २२२ नेदिष्ठ, (त्रि.) अत्यन्त निकटवर्ती । नेदीयान, (त्रि.) बहुत ही नज़दीकी । नेप, ( पुं. ) पुरोहित । नेपथ्य, ( न. ) रंगभूमि । स्टेज वेशभूषा बनाने का स्थान । नेपाल, ( पुं. ) नैपाल देश नेम, ( पुं. ) समय अवधि | खण्ड | प्रकार | छल कपट | गढ़ा। नेमि, ( स्त्री. ) गरारी । पहिये की लकीर । जैनियों के एक देवता । नेमिश, (न.) नैमिषारण्य (नीमखार) क्षेत्र | नेमी, ( स्त्री. ) पहिये की लकीर | गरारी । नेष्ट, (त्रि.) निषिद्ध | अप्रिय । नापसन्द । नैकट्य, (न. ) निकटता । नैकृतिक, (त्रि ) चुगलखोर । नैगम, ( पुं. ) उपनिषद् । ब्रह्मविद्या । बनिया । व्यापारी । नैज, ) अपना | नैत्य, ( न. ) नित्यता | नैपुण्य, ( न. ) निपुणता । चातुरी । नैमित्तिक, (त्रि.) विशेष कारण से होने वाला ( कर्म ) | नैमिष, ( न. ) नीमखार क्षेत्र । नैमिषारण्य | वायुपुराणोक्त वह स्थान, जहाँ ब्रह्मा का दिया हुआ मानसचक्र आरा टूट कर गिर गया और तपस्या आदि के लिये सर्वोत्तम स्थान माना गया । " निमिःशीर्यत्यस्मिन् । नैयायिक, ( त्रि. ) न्याय शास्त्र को पढ़ने या जानने वाला | नैरन्तर्य, ( ) निरन्तरता । अखण्डता । नैराश्य, ( न. ) नाउम्मैदी । आशा न रहना । नैरुक्ल, ( पु. ) निरुक्तसम्बन्धी । नैॠत, (पुं. ) राक्षस । पश्चिम-दक्षिण दिशा 39 के स्वामी । नैगुण्य, ( न. ) निर्गुणता । मुक्ति । · नैवेद्य, (न.) निवेदन ( अर्पण ) करने की सामग्री | भगवान् का भोग । . पक्ष नैश, (त्रि.) रात का | नैषध, (पुं.) महाराज नल | श्रीहर्ष कविराज का बनाया महाकाव्य | नैष्कर्म्य, ( न. ) कर्म न करना | बेकाम रहना नैष्टिक, (पुं.) बालब्रह्मचारी । नैसर्गिक, ( त्रि. ) स्वाभाविक । स्वभावसिद्ध & नो, ( श्र. ) नहीं | अभाव | निषेध | नोचेत्, (च. ) नहीं तो । नोदना, ( स्त्री. ) प्रेरणा । नौ, ( स्त्री. ) नाव | बेड़ा । नौका, ( स्त्री. ) नाव | नौकादण्ड, ( पुं. ) डाँड़ । न्यक्कार, (पुं. ) अनादर धिक्कार न्यग्रोध, ( पुं. ) वर्गद का पेड़ | न्यङ्कु, ( पुं. ) मुनिविशेष । बारहसिंगा न्यश्चित, (त्रि. ) औंधा । न्यस्त, (त्रि. ) रक्खा गया व्यक्त | न्यस्तदण्ड, ( पुं. ) संन्यासी । न्यस्तशस्त्र, (त्रि. ) त्यक्तशस्त्र । निहत्था न्याय, ( पुं. ) उचित । इन्साफ । नीति । ब दर्शन शास्त्रों में से एक दर्शन शाख । न्याय्य, (त्रि.) युक्तियुक्त । मुनासिव | न्यास, (पुं. ) धरोहर । अमानत | संन्यास रखना । न्युब्ज, ( पुं. ) कुशनिर्मित सुवा । ( न. ) कमरख । ( त्रि. ) कुबड़ा । औंधा । न्यून, (त्रि.) कम | निन्दा योग्य | प प, पीना | बचाना। वायु | पत्ता । अण्डा | पक्क, (त्रि. ) पका हुआ । दृढ़ | पक्कण, (न. ) भील का घर । चाण्डाल की झोपड़ी । पक्ष, (पुं. ) १५ दिन। पखवाड़ा । पंख । सद्दाय । तरफ | पक्षक, (पुं.) खिड़की पक्खा या कोट । दीवार। . पक्षं चतुर्वेदीकोष | २२३ पक्षति, ( स्त्री. ) पखवाड़े की आरम्भ तिथि । पड़वा । प्रतिपदा तिथि । पक्षियों के पंखों की जड़ । पक्षपात, ( पुं. ) तरफदारी पक्ष का गिर जाना। पंख झड़ जाना । पक्षान्त, (पुं.) अमावस और पूनों का दिन | जिसमें पखवाड़ा समाप्त हो । पक्षिल, (त्रि.) सहायता देने वाला । वात्स्या- यन मुनि । पक्षी, (पुं.) चिड़िया 1 तीर । पखवाड़े वाला । महीना । पक्ष्म, (न. ) पलक । पङ्क, ( पुं. न. ) कीचड़ । पाप । पङ्कज, ( न. ) कमल । ( त्रि. ) जो कीचड़ में पैदा हो । पङ्किल, (त्रि. ) मैला । कीचड़ वाला । परुह, ( न. ) कमल । सारस पक्षी । पलि, ( स्त्री. ) पाँति । क़तार | श्रेणी । पक्लिदूषक, ( पुं. ) धूर्त । चार आदमियों में न बैठने लायक । अनाचारी I- जिसके साथ भोजन करने से भ्रष्टता हो जाय । पलिपावन, ( पुं. ) विद्वान् | गुणी | सदा- चारी जिसके साथ भोजन को बैठने वाले पवित्र हो जायँ । पलिश:, (अ.) कतार की कतार । अनुक्रम से | पशु, ( त्रि. ) लँगड़ा । ( पुं॰ ) शनैश्चर ग्रह । पचन, ( न. ) पकाना । अनादि का पचना । पज, (पुं.) शुद्ध | पञ्चक, (न. ) पाँच का समूह । धनिष्ठा के उत्तरार्ध से रेवती तक पाँच नक्षत्र | पञ्चकषाय, (पुं.) जामुन । सेमर । बेर आदि पाँच कसैली चीजें । पञ्चकोष, (पुं. ) अन्नमय । प्राणमय । मनोमय । विज्ञानमय और आनन्दमय - ये शरीर के भीतरी पाँच भाग | पञ्चगव्य, (न. ) गौ की पाँच चीजें- दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर | त्रिवर्ण इसको पी कर अपनी देहशुद्धि मानते हैं । पञ्चचूड़ा, ( स्त्री. ) एक अप्सरा | पञ्चजन, (पुं..) एक दैत्य । पाँच आदमी । पुरुष । पञ्चतंत्त्व, ( न. ) पाँच तत्त्व- पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश । पञ्चवटी, ( स्त्री. ) दण्डकारण्य का एक स्थान । जहाँ वनवास में रामचन्द्र ने निवास किया था। सीताहरण का स्थान | पञ्चबाण, (पुं. ) पाँच बाण वाला कामदेव के पाँच बाण ये हैं--- . " अरविन्दमशोकञ्च चूतं च नवमल्लिका | नीलोत्पलं च पश्चैते पञ्च बाणस्य सायकाः।।” अर्थात् - कमल, अशोक, श्रम, नयी मालती (मधुमालती ) और नीले रंग का कमल ये पाँच बाण हैं । अथवा - " उन्मादनस्तापनश्च स्तम्भनः शोषणस्तथा ! संमोहनश्च कामस्य पश्च बाणाः प्रकीर्तिताः ।।” अर्थात् - पागल कर देना | सन्तप्त कर देना । कर्तव्यशून्य करना | शरीर सुखा देना और मोहित ( आशक ) कर देना ये पाँच बाण । कामदेव | पञ्चशाख, (पुं. ) पन्शाखा | हाथ | पञ्चसूना, ( स्त्री. ) चूल्हा, चक्की, बुहारी, लीपना और चलना — इनसे होने वाली जीवों की हत्या | पञ्चाग्नि, ( पुं. ) चारों तरफ आग जला कर ऊपर से सूर्य का ताप सहना । पाँच आगें तपस्वी गरमी में दोपहर के वक्ल तापते हैं । पञ्चाङ्ग, (न. ) जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण ये पाँच अङ्ग हों। पत्रा | तिथिपत्र । ( पुं. ) कछुआ । ( त्रि. ) पाँच अंग वाला | पश्चा चतुर्वेदीकोष | २२४ पञ्चामृत ( न. ) दूध, दही, घी, खाँड़ और शहद पाँचो वस्तु मिलाया हुआ एक पदार्थ । पञ्चाल, (पुं.) पंजाब पञ्चाली, ( स्त्री. ) गुड़िया | द्रौपदी | पश्चाल देश के राजा की कन्या पञ्चाशत् ( स्त्री. ) पचास | पञ्चेन्द्रिय, (न. ) पाँच इन्द्रियाँ- आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा। पञ्जर, ( पुं. न. ) हड्डियों का ढाँचा | पिंजड़ा | पञ्जी, (स्त्री.) सूत की चड्डी । तिथिपत्र | जन्त्री | पञ्चतय, (न.) पाँच की संख्या । पञ्चतन्मात्र, (न.) इन्द्रियों से ग्रहण किये जाने वाले पाँच विषय-शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध पञ्चत्व, (न. मरण । मृत्यु | पाँच तत्वों में लुप्त हो जाना । पञ्चदश, (त्रि. ) पन्द्रह | पञ्चदशी, ( स्त्री. ) वेदान्त का एक ग्रन्थ | पूनों और अमावस्या तिथि पन्द्रहवीं तिथि । पञ्चधा, (अ.) पाँच तरह। पञ्चनख, (पुं. ) पाँच नख वाले व्याघ्र आदि जीव्र । पञ्चनद, (पुं.) पञ्जाब प्रदेश | पञ्चभूत, (न.) पञ्चतत्व । पञ्चम, (त्रि.) पाँचवाँ । ( पुं. ) स्वरविशेष | पंचम राग । पञ्चमकार, (न. ) तन्त्रोक्त मद्य-मांस-मुद्रा- मत्स्य-मैथुन । पञ्चमहायज्ञ, (पुं.) स्वाध्याय, श्रग्निहोत्र, अतिथिपूजन, तर्पण, बलिवैश्वदेव । पञ्चमास्य, (पुं. ) कोयल । पट, ( पुं. ) कपड़ा । पटकार, (पुं.) जुलाहा । पराय पटकुटी, (स्त्री.) तंबू । पटञ्चर, (न. ) फटा पुराना कपड़ा ( पुं. ) चोर | पटल, (न. ) छत | पर्दा । आँख की बीमारी ( फुल्ली ) | ग्रन्थ विशेष । पटह, (पुं. न. ) ढोल । पटीर, (न.) चलनी । खैत । मेघ । वंश- लोचन । कत्था पेट । कामदेव | चंदन । पटीयान्, (त्रि. ) काम करने में होशियार | पटोल, (पुं.) पर्वल । पट्ट ( न. ) प्रधान नगर चौराहा। पटा । पटड़ा ढाल राजा का सिंहासन | रेशम । पीसने का पत्थर | पट्टज, (न. ) रेशमी वस्त्र । ( पट्टदेवी, ( स्त्री. ) पटरानी । पट्टन, (न. ) भारी शहर बड़ा मुल्क । पठ्, (क्रि. ) पढ़ना। बाँचना | पाठ करना | पडू, (क्रि.) जाना | पण, (क्रि. ) व्यवहार करना । मोल लेना और बेचना । स्तुति करना । पण, ( पुं.) मूल्य | दाम ताम्बा मजदूरी | नियम । व्यवहार । अस्सी कौड़ियाँ | चार काकिनी | परमन, (न. ) बेचना | पणव, (पुं. स्त्री. ) एक प्रकार का ढोल पणवानकगोमुखाः " =भगवद्गीता । पणाया, ( स्त्री. ) व्यवहार । मण्डी । व्योपार का लाभ | जुआ। स्तुति | पणायित, ( त्रि. ) सराहा गया। प्रशंसित | पणितव्य, (त्रि.) मोल लेने योग्य स्तुति करने योग्य | पण्डित, ( पुं. ) तत्त्व पहचानने वाली बुद्धि- वाला । विद्वान् । समझदार पण्डितम्मन्य, ( पुं. ) अपने को पण्डित मानने वाला । पण्यवीथी, (स्त्री.) मण्डी। गञ्ज । दूकान | हाट | 'पण्य चतुर्वेदकोष | २२५. पण्यस्त्री, ( स्त्री. ) वेश्या । रण्डी । पण्याजीव, (पुं.) बनिया | व्यापारी । पत्, (क्रि. ) जाना। गिरना। नीचे आना | पतग (पुं. ) पक्षी | चिड़िया । पतङ्ग, (पुं. ) सूर्य्य | मकरी । पक्षी | महुए । का पेड़ । पतञ्जलि, (पुं० ) मुनिविशेष | व्याकरण के भाष्यकार | पतत्, ( पुं. ) पक्षी | पतत्र, (पुं. ) बाजू । डहना । पर । पतत्रि, (पुं. ) पक्षी । पतत्रिन्, (पुं. ) पक्षी । पर वाला । पतद्ग्रह, ( पुं. ) नारद पाश्चरात्रोक्ल पञ्च कटोरी की पूजा में पाँचो पात्रों का जल गिरने का पात्र विशेष पीकदान । खकार- दान । उगालदान । पतयालु, (त्रि.) गिरने वाला। पताका, (स्त्री. ) झण्डी । सौभाग्य नाटक का एक अङ्ग । छन्द का एक चक्र | पताकिन, (त्रि.) पताकाधारी. पति, ( पुं० ) भत्ती | स्वामी । अधिपति । रक्षक | पतित, (त्रि.) गिरा हुआ । नचि । जाति- भ्रष्ट । पतिम्बरा (स्त्री.) अपनी इच्छानुसार पति को स्वीकार करने वाली कन्या काला जीरा । पतिवत्नी, ( स्त्री. ) सधवा । सौभाग्यवती स्त्री | मकोव । पतिव्रता, (स्त्री.) सती । पति की आज्ञानुवर्तिनी स्त्री । पति ही का नियम धारण करने वाली । पत्ति, ( पुं. ) सेना जिसमें एक रथ, एक हाथी, ३ घोड़े, ३ पैदल सिपाही हों । पत्नी, (स्त्री. ) विधिपूर्वक व्याही हुई स्त्री | पत्र, (न. ) चिट्ठी | कागज पत्ता | पत्रभङ्ग, ( पुं. ) शरीर को सजाने के लिये चित्रविचित्र लिखने । रचनाविशेष सजावट। कस्तूरीवरपत्रभङ्गनिकरो सृष्टो न गण्डस्थले।” पत्ररथ, ( पुं. ) पक्षी। पत्रसूचि, (स्त्री. ) काँटा । कण्टक । पत्रीअन, (न. ) मसी । स्याही । पत्रिन्, ( पुं. ) पक्षी | तीर | बाज पक्षी | रथी | पर्वत । ताल । पथ्, (क्रि.) जाना | पथ, (पुं. ) मार्ग | रास्ता पथिक, (पुं.) बटोही। राहगीर। राही । पथिन्, (पुं. ) पथ | मार्ग | पथ्य, (त्रि. ) रोगी के खाने के योग्य वस्तु | हितकर वस्तु । हर्र का पेड़ । "" " हरीतकी सदा पथ्या कुपथ्यं बदरीफलम् । पवू, (क्रि. ) गल जाना। हिलना । पद, (न. ) श्लोक का चौथा चरण । किरण । स्थान | चिह्न । उद्यम पाँव चरण । निश्चय | रक्षा | पन. (त्रि. ) पैदल । पदवि-वी, स्त्री. ) पद | रास्ता पदाजि, (पुं. ) पाँव से चलने वाला पदाति, ( पुं. ) पैदल । पदार्थ, ( पुं॰ ) अभिधेय । वस्तुमात्र । पदों का अर्थ | पद्न, ( पुं. ) पैदल | पद्धति-, (स्त्री. ) पगडण्डी | पथ | रास्ता । पंक्ति । पूजन आदि की विधि की पुस्तक | रिवाज | " पद्म, (न.) कमल । सेनाचक्र विशेष । दस की संख्या | धातु । पुष्करमूल | सीसा | नाड़ीचक्र | पद्मकेशर, (पुं. ) कमल की तिरी । पद्मगर्भ, (पुं. ) ब्रह्मा | कमल का मध्य | पद्मनाभ, ( पुं. ) विष्णु । जिनकी नाभि में कमल हो । पद्म चतुर्वेदीकोष | २२६ पद्मपुराण, (न.) अठारह पुराणों में से एक । पद्मबन्ध, ( पुं. ) शब्दसम्बन्धी अलङ्कार विशेष | पद्मबन्धु (पुं.) सूर्य्य । भौंरा । पद्मभू, (पुं. ) पद्मोद्भव । ब्रह्मा । पद्मराग, (न.) माणिक । लाख । पद्मलाञ्छन, (पुं.) सूर्य | ब्रह्मा | राजी । कुबेर । पद्मा, ( श्री. ) लक्ष्मी | लवङ्ग | मनसा देवी कुसुम्भ का पुष्प | पद्मासन, (नं.) बैठक भेद । श्रासन विशेष । पद्मिनी, ( स्त्री. ) कमलों का समूह | कमलों वाला देश । स्त्रीविशेष । पद्मिन् (पुं. ) हाथी | कमलों वाला । पद्मशय, (पुं. ) विष्णु । पद्य, (न. ) श्लोक | कविता | कवियों की छन्दोबद्ध रचना | पन्, (क्रि.) स्तुति करना । पनस, (पुं) कटेहर काँटाल । कण्टकी- फल । पत्र, (त्रि.) गला हुआ। गिरा हुआ। पन्नग, (पुं. ) साँप | सर्प । पत्रगाशन, ( पुं॰ ) गरुड़ । साँप का खाने वाला । सर्पभोगी । पद्मद्धा, (स्त्री.) पाँव में बाँधी गयो । चर्म- पादुका जूती । पम्पा, ( स्त्री. ) दक्षिणी एक तालाब । पम्पा सरोवर । जहाँ श्रीरामचन्द्र और सुग्रीव की भेट हुई थी। नदीविशेष | पयू, (क्रि. ) जाना । पयस, ( न.) दूध | जल। पानी । पयस्य, (त्रि. ) दुग्धविकार । दही, मलाई इत्यादि । बिल्ला । अर्कप्पिका और कुट्ट- म्बिनी स्त्री | पयस्विनी, ( स्त्री.) दूध वाली । गौ । नदी । काकोली | बकरी । जीवन्ती । रात्रि | पर पयोधर, ( पुं. ) मेघ । स्त्री का स्तन | नारियल । पयोधि, ( पुं. ) समुद्र । पयोवंत, (न. ) बारह दिन का व्रतविशेष जिसमें केवल दूध पिया जाता है। पर, ( त्रि. ) भिन्न | और | दूसरा अगला । दूर । सर्वोत्तम । छुटकारा । केवल । ( न. ) ब्रह्म (पुं.) शत्रु | परःशत, (न. ) सौ से अधिक । परःश्वस्, (अव्य. ) परसां का दिन । परःसहस्र (न. ) एक हजार से ऊपर की गिन्ती । परकीय, (त्रि. ) दूसरे का । ( 1 ) ( स्त्री. ) उपनायिका | परच्छन्द, (पुं. ) दूसरे की इच्छा । परा- धीन । परजात, ( ) दूसरे से उत्पन्न | परतंत्र, (त्रि.) पराधीन । दूसरे के अधीन । परत्व, (न. ) वैशेषिक मतानुसार गुण विशेष एवं भेद । परपिण्डाद, ( त्रि. परानोपजीवी । दूसरे के अन से जीने वाला । परपूर्धा, ( स्त्री. परपुष्ट, ( पुं. ) कोइल ( स्त्री. ) वेश्या । दूसरा पति करने वाली स्त्री । परभाग, ( पुं.) दूसरे परभृत् (पुं. ) काक परम्, ([अव्य. ) नियोग अनन्तर | का हिस्सा | कौवा । । क्षेप । केवल । परम, (त्रि. ) प्रधान । पहला । श्रोङ्कार | परमर्षि, (पुं. ) ब्रह्मवेत्ता । श्रेष्ठ सन्त । परमम् (अन्य ) अनुज्ञा स्वीकार करना । परमहंस, (पुं. ) कुटीचक आदि संन्यासियों में से एक प्रकार का सबसे ऊँचा अन्तिम श्रेणी का संन्यासी | परमाणु (पुं.) बहुत मिहीन अणु । उत्कृष्ट । बड़ा । पर चतुर्वेदीकोष | २२७. परमात्मन्, ( पुं. ) परब्रह्म । परमात्र, (न. ) खीर। दूध में पका हुआ अन । क्षौरान । देवप्रिय होने से परम संज्ञा है 1

परमायुस्, ( न. ) १०० वर्ष की पूरी श्रायु ।

परमेश्वर, (पुं० ) जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और पालन का हेतु अर्थात् परमात्मा | चक्रवर्ती राजा | परम्परा, ( स्त्री. ) वंश । व्यवधान | सन्तति । . परश्वध, (पं. ) कुल्हाड़ा । परस्पर (त्रि. ) आपस में । परस्मैपद, ( न. ) जिससे दूसरे के लिये फल का ज्ञान हो। व्याकरण में कथित तिप् आदि । | परा, (अव्य. ) उलटा | बड़ाई | बुरे वचन कहना । सामने | देना । बहादुरी । नितान्त | जाना टूटना तिरस्कार । लौटना । पराक, (पुं. ) वंतविशेष | स्वम् । रोग विशेष । छोटा । परि पराचीन,(त्रि.)पराङ्मुख । परकासिक पुराना पराजय, (पुं.) पराभव | तिरस्कार | दबाव। विनाश | परम्पराक, (न. ) यज्ञार्थ पशुहनन । परस्परीण, (त्रि.) क्रमागत अविच्छेद । पराशर, (पु.) व्यासदेव के पिता का नाम । सन्तत | त्याग । परवश, (त्रि.) पराधीन | परवत्, (त्रि.) परवश । दूसरे के अधीन । परशु (पुं. ) कुल्हाड़ा। परशुराम, (पुं. ) जमदग्निपुत्र | एक ऋषि । भगवान् का चौबीस में से एक अवतार विशेष । - परासन, ( न. ) मारना । परासु, ( ) मरा हुआ। मृत । परास्त, (त्रि.) निरस्त । पराजित । पराह, ( पुं. ) परदिन अगला दिन । दूसरा दिन । पराक्रम, (पुं.) बल । जोर। वीरता । पराग, ( पुं. ) पुष्परज। उपराग । चन्दन । पराक्रमुख, (त्रि.) विमुख | मुँह मोड़े | नाराज | परांचित, (त्रि. ) दूसरे द्वारा घिराष्ट हुआ | दूसरे से पाला हुआ । परामर्श, (पुं. ) युक्ति | विवेचन | सलाह | परायण, (न. ) तत्पर और प्रिय । परारि, (अन्य ) व्यतीत तृतीय वर्ष । • बड़ा शत्रु । परार्द्ध, (न.) चरम संख्या | ब्रह्मा की आयु का आधा भाग, उनके ५० वर्ष । पराद्धर्थ, (त्रि.) श्रेष्ठ | बहुत अच्छा । परावर्त, ( पुं. ) बदला | बदलना | विनिमय । पराह्न, (पुं. ) दिन का पिछला हिस्सा | परि, (अव्य. ) चारों ओर से । बर्जना । बीमारी। शेष| निकालना। पूजा | भूषण | शोक सन्तोष । बोलना बहुत त्याम एवं नियम | परिकर, (पुं. ) परिवार पर्थ्यङ्क | समारम्भ समूह | विवेक । कमर कसना | साथी । परिकमन, (न.) देह का संस्कार | भूषण | उबटन लगाना। सेवक । परिक्रम, ( पुं. ) परिक्रमा | खेल आदि । परिक्षित्, ( पु . ) अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का पुत्र कुरुवंश का एक राजा परी- क्षित् | इसने पाँच वर्ष की अवस्था श्रीकृष्ण को परीक्षा से जान लिया था। परिखा, (स्त्री. ) खाईं। परिगत, (त्रि.) प्रान्त । ज्ञात विस्मृत चेष्टित । घिरा हुआ चला गया । परिग्रह, (पुं.) सेना का पिछला भाग । भार्य्या | परिजन | ut • चतुर्वेदीकोष | २२८ f परिघ, ( पुं. ) खोहे का मुग्दर । लोहे से | परिपन, ( न. ) मूलधन | पूञ्जी। परिपन्थक, (पुं. ) शत्रु | परिपन्थिन्, परिपाक, ( पुं. ) चतुराई । ) शत्रु । मढ़ा हुआ लट्ठ | शूल घड़ा घर । योगों में एक योग | परिचय, (पुं. ) पहचान | संस्तव | प्रणय | परिचर्य्या, ( स्त्री. ) सेवा | अधीनता । पूजा | परिचाय्य, (पुं. ) यश की आग | परिचारक, (पुं.) सेवक । परिच्छद, (पुं.) सामान | परिवार | परिच्छेद, (पु. ) विशेषरूप से सीमा बाँधना | सर्ग । अध्याय । सीमा । विचार | परिपाटि-टी, ( स्त्री. ) अनुक्रम | रीति । परिप्लव, ( न. ) चञ्चल । अस्थिर । परिबई, (पुं.) राजा के चढ़ने योग्य घोड़ा, C परिजन, (पुं.) परिवार । प्रतिपाल्यजन | परिणत, (त्रि.) परिपक्क बढ़ा हुआ । किसी काम के अन्तिम फल का लाभ | टेढ़े दाँत चलाने वाला हाथी । परिणय, (पुं. ) विवाह | परिणाम, (पुं.) विकार | प्रकृति का अन्यथा भाव। शेष | अर्थालङ्कार । अन्तिम फल । परिणाह, (पुं. ) विस्तार | फैलाव | परिणेतृ, ( पुं. ) विवाह करने वाला । मर्ता । पति । परितस्, (अव्य. ) चारों ओर से । परिताप, ( पुं.) तपन । दुःख । शोक | गर्मी | भय । कम्प | नरकविशेष | ! परित्राण, (न. ) रक्षण | बचाना। हटाना | परिदान, (न. एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना | परिदेवन, (न.) बारम्बार सोचना | विलाप । पश्चात्ताप । परि परिधान, ( न. ) पहिनने का कपड़ा । पहिरना । परिधि, ( पुं. ) चन्द्र अथवा सूर्य का मण्डल। परिवेश | गोल गूलर वृक्ष की शाखा । चारों ओर । पास । परिधिस्थ, (त्रि.) परिचारक सेवक । टहलुआ। रथी की रक्षा के लिये रणभूमि में चारों ओर खड़ी सेना | हाथी । परिभ-भा+व, ( सं . ) अनादर | तिरस्कार | परिभाषण, (न. ) गालीगलौज | नियम | परिभाषा, ( स्त्री. ) कृत्रिम संज्ञा विशेष नाम । परिभूत, (त्रि.) तिरस्कृत | अपमानित | परिमण्डल, ( त्रि. ) गोल आकार का | गोल | परिमल, ( पुं. ) केसर चन्द्रनादि का उबटन | सुगन्धि | परिमाण, (न. ) माप | बराबरी | प्रमाण । समता । तौल । परिमित, (त्रि. ) मापा हुआ । युक्त । ठीक । . तौला । परि-री+रम्भ, ( पुं. ) छाती से लगाना | परिवर्जन, ( न. ) छोड़ना | देना | मारना । परि-री+वर्त्त, ( पुं. ) बदली | विनिमय । युगान्त काल अध्याय आदि । परिवह, (पुं. ) सप्तवायु में से एक । परि-री+वाद, (पुं.) 'अपवाद | निन्दा | बदनामी । परिवादिनी, (स्त्री. ) निन्दा करने वाली स्त्री ।. परि-री+चाप, ( न ) मुण्डन हजामत | परिवापित, ( त्रि.) मुड़ा हुआ । परि-री+वार, ( पुं. ) तलवार की म्यान | परिजन | कुटुम्बी | ! परिविन, (त्रि. ) वह भाई जिसके छोटे भाई का विवाह, उसके पूर्व हो गया हो। ऐसी ही ज्येष्ठा भगिनी | परि चतुर्वेदीकोष | २२६ परिवित्ति, (पुं. ) अविवाहित बड़े भाई का विवाहित छोटा भाई । विव हित छोटे भाई का अविवाहित बड़ा भाई परिवृत (त्रि.) घिरा हुआ । युक्त परिवृद्ध, (त्रि. ) स्वामी | मालिक | परिवेदन, (न. ) बड़े भाई से पहले छोटे का व्याह हो जाना | परिवेश, ( पुं. ) घेरा । सूर्य और चन्द्रमा के बिम्ब के चारों ओर कभी २ दिखलाई पड़ने वाला मण्डल परिवेपण, ( न परोसना । घेरा घेरना । परिव्राट् (पुं. ) संन्यासी । यती । परिव्राजक, (पुं.) संन्यासी | यती | परिव्यय, ( पुं. ) चटनी | परिशङ्कनीय, (त्रि.) शंका के योग्य | विश्वासपात्र नहीं । परिशिष्ट, ( न. ) बच गया । रह गया । कोड़पत्र । परिश्रम, ( पुं. ) मेहनत परिश्रय, ( पुं. ) सभा । समिति । कमेटी | परिषद्, ( स्त्री. ) सभा | धर्मसभा । विद्वानों की सभा | परिषद्बल, (त्रि.) सभासद् | मेंबर | पारेक, (त्रि.) परपालित। दूसरे के द्वारा पाला गया। पर्ष . टपकना । ( पुं. ) त्यागना । दोष दूर करना । परीहास, } (पुं. ) हंसी | मसखरी । परीक्षक, (त्रि. ) परीक्षा लेने वाला | परखैया । परिष्कार, ( पुं. ) साफ सुथरा | परिष्टि, (पुं. ) कष्ट परिष्यन्द, (पुं. ) धार । परिष्वंग, (पुं. ) लिपटना | भेंटना | परिसर, (पुं नदी | नगर और पहाड़ के आसपास की जगह । मौत | नियम | परिसर्ग, ( पुं. ) चारों ओर से लपेटना | चारों ओर जाना । परिसर्या, ( स्त्री. ) चारों ओर जाना । परिस्यन्द, ( पुं. ) हिलना सफ़ाई । परिवार । नौकर परिहार, परीहार, परीक्षण, ( न. ) परखना । परीक्षा लेना । परीक्षा, स्त्री. ) परखना : जाँचना | इम्तिहान | परीक्षित् (पुं. ) पाण्डवों के पौत्र का नाम । परीक्षित, (त्रि. ) परखा गया। जाँचा गया । समझा गया । परिताप, १ परीताप, ( पुं. ) पछतावा | गर्मी परीप्सा, ( स्त्री. ) जल्दी । परु, (पुं.) चंग जोड़ | 1 परुत्, (अ.) पिछला साल | मन वर्ष । परुष, (त्रि.) कठोर कड़ा। परुषेतर, (त्रि. ) कोमल । नर्म | परुस्, (न. ) गाँठ : जोड़ परेत, (त्रि. ) मर गया । दूर गया । परेतर, (त्रि.) विश्वासी | विश्वस्त | परेतराज, (पु. ) यमराज परेद्यः, ( . ) दूसरे दिन । कल । परोक्ष, ( श्र.) अपने पछि आँखों की श्रोट में | परोपकार, ( पुं. ) पराया उपकार | दूसरे की भलाई । पर्क, ( पुं. ) मेल । पर्जन्य, (पुं.) बादल । इन्द्र | पर्ण, (न.) पते । पर। पंख । पान | पर्णशाला, (स्त्री.) पत्तों की झोपड़ी । परिसंवत्सर, ( पु. ) पूरा साल | परिस्कन्द, (पुं. ) गाड़ी के पीछे दौड़ते : पर्णास, ( पुं. ) तुलसी । चलने वाला नौकर : पर्पट, (पुं.) पापड़ | पर्य पर्य, (अ.) चारों ओर पर्यङ्क, (पुं.) खाट पसँग । पर्यटक, ( पुं. ) घूमने वाला संन्यासी । पर्यटन, ( न. ) घूमना चतुर्वेदीकोष | २३० यात्री | फिरना । यात्रा करना । पर्यन्त, ( पुं. ) तक | तलक । पर्यय, ( पुं. ) चक्कर | लौट पौट | अनाचार | पर्यवधारण, (न.) दृढ़ निश्चय | दृढ़ विचार ! पर्यवस्था, ( स्त्री. ) विरोध | पर्यश्रु, ( श्र. ) ऑसुओं से तर । पर्यस्त, ( त्रि. ) उलझापुलमा । अस्तव्यस्त | गिरा हुआ। श्रस्त हुआ । पर्याण, (न. ) घोड़े की काठी । पर्याप्त, (न. ) यथेष्ट । काफ़ी । पर्याय, (पुं. ) बारी बारी । सिलसिला । पर्यालोचन, ( न. ) अच्छी तरह देखना- विचारना | पर्यावृत्त, (त्रि. ) लौटा हुआ । पर्यास, (पुं. ) किनारा पर्युक, (न.) छिड़कना । पर्युक्षण, (न. ) छिड़कना । पर्युदञ्चन, ( न. ) ऋण । क़र्च । पर्युदस्त, (त्रि.) निवारित । रोका गया । हटाया गया । पर्युदास, ( पुं. ) निवारण | रोकना | इटाना | पर्युषित, ( त्रि. ) बासी । पर्येषणा, ( स्त्री. ) खोज | तलाश | पर्वत, (पुं. ) पहाड़ । पर्वतीय, (त्रि.) पहाड़ी पर्व, (न. ) त्यौहार। गाँठ | हिस्सा | खंड | भाग । पर्वसन्धि, ( पुं. ) जोड़ । सूर्य और चन्द्रमा के ‘अहण’ का समय । पर्शान, (पुं.) खादी । गुफा | पर्शु, (स्त्री.) पसली | i पश्च पर्शुका, ( स्त्री. ) पसली की दड्डी । पर्षद, ( श्री. ) सभा । धर्मोपदेशक पण्डितों का समाज । पलं, (न. ) एक छेटी तौल बहुत सूक्ष्म काल । सेकंड | मांस | पलल, (न. ) कीचड़ | मांस | पलाण्डु, (पुं. ) पाज पलायन, (न. ) भागना । पलाल, (पुं. न. ) पुत्राल। पैरा । पलाश, (न. ) पत्ता । ढाँक । हरा रंग । राक्षस । पलिक्नी, ( स्त्री. ) बुढ़िया । बचपन में ही गर्भ धारण करने वाली स्त्री | पलित, (न. ) वालों का पकना | बदन की झरियाँ । पल्यङ्क, (पुं. ) पलँग । पलव, (पुं. ) वृक्षों की कोपल | नई पत्तियां | महावर | पल्ली, ( स्त्री. ) त्रोटा गाँव । खेरा । पवन, ( पुं. ) हवा । ( न. ) साफ़ करना | पवनात्मज (पुं.) हनुमान् | भीमसेन | आग | पवनाश, ( पुं. ) साँप पवमान, (पुं. ) वायु । हवा । पवि, (पुं.) वत्र | पहिए का 'हाल ' । पवित्र, (त्रि. ) शुद्ध पवित्री, ( स्त्री. ) कुशों की बनी पैंती । पशु, ( पुं. ) मृग कुत्ता बिल्ली आदि जानवर | देवता । पशुपति, (पुं.) महादेव । पशुराट्, ( पुं. ) शेर सिंह । पश्चात्, (श्र.) पीछे। पश्चात्ताप, (पुं. ) पछतावा | सोच । पश्चार्ध,, ( पुं. ) पिछला आाधा हिस्सा | पश्चिम, ( ) पूर्व के सामने की दिशा पाँइ । पश्यतोहर, (पुं. ) सुनार गिरह्कट | पश्य चतुर्वेदीकोष | २३१ पश्यन्ती, ( स्त्री. ) नाडीविशेष | पहच, (पुं.) म्लेच्छों की एक जाति । पा, (क्रि. ) पीना, रक्षा करना। यांशु (पुं. ) धूलि राख । एप । पांशुल, (त्रि.) मटलेला पापी पाक, (पुं. ) पकना एक पाकशाला, ( बी. ) र पाकशासन, (पुं. ) इन्द्र 1 पाक्षिक, (त्रि. ) एक पक्ष का एक पख- वाड़े का । पाचक, ( पुं. ) रसोइया | पाचन, (न. ) पचाने वाला चूरन वगैरह | पाञ्चजन्य, (पुं. ) विष्णु का शत्रु | पाञ्चाल, ( पुं० ) पंजाब पाटन्धर, (पुं. ) चोर। पाटल, ( पुं. ) गुलाबी रंग । पाटलिपुत्र, (पुं. ) पटना शहर | पाटव, (न. ) होशियारी | तन्दुरुस्ती | पाठ, (पुं.) सबक | पढ़ना । पाठक, (पुं ) पढ़ाने वाला। ब्राह्मणों की एक जाति । पाठशाला, (स्त्री.) पढ़ने की जगह मदर्सा । स्कूल | पाठीन, (पुं. ) पढ़िना मछली | पाणि, ( पुं. ) हाथ । पाणिगृहीती, ( श्री. ) भार्या । जोडू | पाणिग्रहण, ( न. ) हाथ पकड़ना । विवाह संस्कार | पाणिनि, ( पुं. ) व्याकरण के श्राचार्य एक प्रसिद्ध मुनि । पासिनीय, (न. ) पाणिनिरचित व्याकरण | पाणिसर्ग्या, (. श्री. ) रस्सी । पाण्डव, (पु. ) राजा पाण्डु के लड़के युधिष्ठिर आदि । पाण्डु, ( पुं. ) चन्द्रवंशी एक राजा पीला | पाण्डुर, (पुं. ) पीला | काँवर का रोग | पाण्ड्य, (पुं. ) एक देश | 1 पात, ( पुं. ) पतन । गिरना । रक्षित | पातक, (न.) पाप पातञ्जल, (न.) पानी, पतञ्चखि कथित योग- शास्त्र | पाताल, ( न. ) पृथिवी के नीचे का लोक । पातुकु, (त्रि.) गिरने वाला। पात्र. (न. स्त्री.) बर्तन । आधार नाटक में अभिनय करने वाला । पात्रीय, (त्रि.) यज्ञीय द्रव्य पाथ: ( न. ) जल | अग्नि । सूर्य पाथस्, ( न. ) जल । अन्न । वायु । आकाश । पाथेय, ( त्रि. ) रास्ते में खाने के लिये भोजन : पाद, ( पुं. ) चरण | पैर । चतुर्थांश । वृक्ष की जड़ । 7 पादकटक, ( पुं. ) नूपुर । पाँजेब । झाँझन । पादकृच्छ (पुं. ) एक प्रकार का व्रत | एक दिवस का उपवास | पादग्रहण (न. पालागन | पादचारिन (पुं.) पैरों चलने वाला । पैदल । पादत्राण, (न. ) जूता । खड़ाऊँ । पादप, (पुं. ) पेड़ | पीड़ा | पादमूल, (न. ) पैर का तलवा । पादविक, (त्रि. ) पथिक | बटोही | पैदल : पादाङ्गद, (न.) विधिया । पायजेन । झाँझन । पादात, ( न. ) सैन्य समूह : पादुका, ( स्त्री. ) जूते । खड़ाऊँ । पाद्य, (न.) पैर धोने का जल । पान, (न. ) पीना | शराब | पीने का बर्तन | रक्षा। नहर । पानगोष्ठी, ( स्त्री. ) शराबियों की मण्डली | पानभाजन, ( न. ) पानपात्र | मदिरा पीने का प्याला या गिलास । पानीय, ( न. ) जल पीने योग्य | पानो चतुर्वेदकोष | २३२ पानीयशालिका, (स्त्री. ) पौसाला | पौसला | पान्थ, (पुं. ) पाथेक । बटोही । पाप, (न. ) बुरे कर्म । पापघ्न, ( पुं. ) पाप नाश करने वाला । तिल । पापपुरुष, (पुं. ) पापी जन । दुष्ट कर्म करने वाला मनुष्य पापात्मन्, ( पुं. ) पापी । पाप्मन्, (पुं.) पाप । पामन, ( न. ) खाज । पासन, ( पुं. ) गन्धक | पामन, (त्रि.) खजुहा खाज का रोगी । पामर, ( त्रि. ) नांच | मूर्ख | खल | पायस, (पुं. ) खीर | पायु, ( पुं. ) गुदा | गुह्यद्वार पार, (क्रि. ) काम समाप्त करना । पारक्य, (त्रि. ) परलोक हितकारी कर्म । पारग, (त्रि.) दूसरे पार जाने वाला । पारण, (.न. ) व्रतोद्यापन | व्रत की समाप्ति में भोजन । पारतन्त्र्य, ( पुं. ) पराधीनता । पारत्रिक, ( त्रि. ) परलोक के लिये हितकर | पारद-त, (पुं. ) पारा । पारदर्ग्य, ( पुं. ) परदार गमन । पारमार्थिक, (त्रि.) कल्याण साधक कर्म । पारम्पर्थ्य, (न.) लगातार चला आना | पारलौकिक, (त्रि.) दूसरे लोक का । पारशत्र, (पुं.) दोगला | लोहा। कुल्हाड़े का । पारसीक, ( पुं. ) देश विशेष । फारसी । पारस्त्रैणेय, (त्रि. ) परस्त्री में उत्पन्न पुत्र | जारज । पारापत, ( पुं. ) कबूतर | परेवा | पारापावा + र, (न. ) समुद्र | पारावार । पारायण, (न.) किसी ग्रन्थ का साद्यन्त पाठ । पारावारीण, (त्रि. ) समुद्र पार जाने वाला । पाराशर, (पुं.) वेदव्यास | पाराशरिन्, ( पुं.) भिश्चक । संन्यासी | 4 पारी पाराशर्थ्य, (पुं. ) वेदव्यास पारिकाङ्क्षिन्, (पुं. ) मौनव्रतधारी । ब्रह्म- ज्ञान चाहने वाला | पारिजात, (पुं. ) देवताओं का एक वृक्ष । नन्दनकानन का वृक्ष विशेष । पारिणाष, (त्रि. ) विवाह के समय प्राप्त धन । पारिपन्थिक, (पुं. ) चोर | डाँकू | ठग | पारिपा-या+त्र, (पुं.) मालव देशकी समा का एक पर्वत । पारिपार्श्वक, ( पुं.) सूत्रधार के पास रहने वाला नट | पारिप्लव, (न. • ) चञ्चल | श्राकुल | पारिभाव्य, ( न. ) जामिन | एक प्रकार की श्रौषधि । पारिभाषिक, ( गु. ) प्रचलित . चलतू | साधारण । जगत्मान्य । विशेष अर्थ- वाची । पारिमाण्डल्य, (न. ) सर्वत्र विद्यमानत्व | श्रृणु । पारिमिर्त्य, ( सं . ) सीमा । परिमित स्थान या संख्या | पारिमुखिक, (गु. ) मुँह के सामने | समीप । पारियानिक, ( पुं. ) यात्रा करने की गाड़ी । पारिरक, ( पुं. ) साधु । तपस्वी । पारिवित्त्य, (गु.) छोटे भाई के व्याहे जाने पर भी जो बड़ा भाई अनव्याहा रहै । पारिशील, ( पुं. ) चपाती । रोटी । पारिषद, (त्रि.) सभास्थ । सम्य । असे- सर। राजा का सहचारी पारिहार्थ्य, (पुं. ) कड़ा | पहुँची । ककना । पारिहास्य, (न. ) हँसी-खेल | पारी, (स्त्री.) हाथी का पैर बाँधने की रस्सी । जल पीने का पात्र प्याला घड़ा दुधेड़ी । पारी चतुर्वेदकोष | २३३' पारीण, (त्रि.) पारग | निष्णात । पारीणह्य, (न. ) घरेलू सामान | बर्तन श्रीदि । , पारीन्द्र, (पुं.) शेर। बड़ा सर्प । पारीरण, (पुं. ) कछुवा । छड़ी । कपड़ा । पारु, ( पुं. ) सूर्य | अग्नि । पारुष्य, (न. ) कड़ाई | निष्ठुरता | पारेरक, ( 9 ) तलवार । पारोक्ष, (पुं. ) अबोध | रहस्यमय गुप्त | पार्घट, (न. ) धूलि । पार्जन्य, (न. ) वर्षासम्बन्धी । पार्थ, ( पुं. ) पृथापुत्र । युधिष्ठिरादि, पर विशेष कर अर्जुन । पार्थक्य, ( न. ) पृथक्त्व | जुदाई | भिन्नता । पार्थव, (न. ) बड़प्पन | बहुतायत । चौड़ाई पार्थिव, (पुं. ) पृथिवी का । पृथिवी का अघिपति । राजा । · पार्वर, (पुं. ) श्रअलि भर चावल । क्षयरोग | राख । यम का नाम । पार्यन्तिक, (न. ) अन्तिम | पार्वण, (त्रि. ) पूर्णिमा आदि में होने वाला । श्राद्ध विशेष । पार्वत, (पुं. ) पहाड़ी । पर्वत-सम्बन्धी । पार्वती, (स्त्री. ) हिमालय की कन्या | शिव की स्त्री । पर्वत की वनस्पति । पार्वतीनन्दन, ( पुं. ) गणेश । कार्तिकेय | पार्शव, ( पुं. ) कुल्हाड़ा से सुसज्जित सिपाही | पार्शुका, (स्त्री. ) पसली । पार्श्व, (पुं. ) काँख | बगल | पास | पहिया | चक्र | पार्षत, ( पं. ) द्रुपद और उसके पुत्र धृष्टयुम्न की पदवी । पिङ्ग पाणिग्राह, (पुं. ) शत्रु जो पीछे हो । सेना- पति जो सेना के पिछले भाग का संचा- लन करता हो । पार्षद्, ( पुं. ) सभ्य | सभास्थ जन । पार्टिण, (पुं. स्त्री. ) गिट्टे के नीचे का भाग । एड़ी सेना का पिछला भाग | पाल, (क्रि. ) रक्षण करना। पालन करना । पाल, (त्रि.) रक्षा करने वाला । रक्षक | पालक, ( पुं. ) रक्षक | राजा । चित्रक पेड़ | पालङ्क, ( 9 ) पलङ्ग । पलकी का साग | कुन्दुरू का वृक्ष | पालाश, (न.) पलाशसम्बन्धी | तेजपात | पावक, ( पुं. ) श्राग । बिजली की आग | पावकी, (पुं.) अग्निपुत्र | कार्तिकेय । पावन, ( पुं. ) अग्नि | व्यासदेव | गोमय प्रायश्चित्त | गङ्गा | हर्र । तुलसी । पाश, (पुं. ) पशु और पक्षियों को फँसाने वाला फन्दा | पाशक, (पुं.) पाँसा । पाशपाणि, (पुं. ) वरुण | पाशुपत, ( पुं. ) व्रतविशेष : अस्त्र विशेष | शिवभक्त । पाशुपाल्य, (न. ) पशुओं का पालना । वैश्य जाति का धर्म । पाश्चात्त्य, (त्रि.) पश्चिम देश का | पाश्या, ( स्त्री. ) बहुत से फन्दे । · पाष-ख+ एड, (पुं.) ढोंग | पत्थर | पाषण्डिन्, (पुं. ) वेदाचारत्यागी | ढोंगी | पाषाण, (पुं. पाषाणदारक, (पुं.) टाँकी जिससे पत्थर फोड़े जाते हैं । पि, ( स्त्री. ) जाना | पिक, (! कोकिल । कोइल | पिकबन्धु, ( पुं. ) आम का पेड़ | पिङ्ग, (पुं.) मूसा | हरताल । पिङ्गल, ( पुं. ) नाग | रुद्र | सूर्य के समीप रहने वाला । बन्दर | खजाना एक मुनि । मङ्गलग्रह । छन्दोमन्थ का रचयिता एक श्राचार्य । नाड़ी । राजनीति । वेश्या ( स्त्री. ) । पिङ्गा पिङ्गाक्ष, (पुं.) शिव । सुदर्शन | पिचण्ड, (पुं.) उदर पेट पिचु, (पुं.) कपास | कुष्ठ विशेष | पिञ्च, (क्रि. ) काटना । छेद करना | पिच्छ, (न. ) मोर की पूँछ और चोटी । सिंबल का पेड़ । सुपारी । कोष । पंक्ति । • पिज्, (क्रि. ) चमकना । पिञ्ज, (न. ) बल | काफूर | (त्रि.) विकल | ( स्त्री . ) हल्दी । अहिंसा । पिअट, (पुं.) कीचड़ पिञ्जर, (न. ) हरताल । सोना । नागकेसर | पिञ्जड़ा | ठठरी | घोड़ा विशेष | पीला और लाल रङ्ग । " पिट्, (क्रि. ) इकट्ठा होना । शब्द करना । पिटक, (पुं.) डलिया। पिटारी फोड़ा । पिठ्, (क्रि. ) कष्ट उठाना | भारना । पिठर, (पुं. ) बर्तन | मथानी । थाली । पिण्ड, (त्रि. ) शरीर का एक भाग । घर 'चतुर्वेदीकोष । २३४ का एक भाग । श्राद्ध का एक श्रच का बना गोलाकार सामान। हाथी का माथा । मदन पेड़ आजीवन | लोहा । पिराडखर्जूर, ( पुं. ) वृश्व विशेष | पिण्डयस, ( न. ) तेज लोहा । पिण्डार, (पुं. ) क्षपणक | गोप गुज़र | पिण्डी, ( स्त्री. ) गेंदू । पिंडरी अशोक वृक्ष वेदी चक्र की धुरी | घरें। पीढ़ा । पिण्डीशूर, (पुं ) गृहशर | पिण्याक, (न. ) तिलों का चूरा हींग | खल पितामह, (पु.) बाबा । दादा। ब्रह्मा का नाम । पितृ, (पुं.) पिता | बड़े लोग | पितृकानन, (न. ) श्मशान | पितृतीर्थ, (न. ) गया | तर्जनी और झूठे 4 का मध्यभाग | पितृपति, ( पुं. ) यमराज पितृपसू, ( श्री. ) साँझ । दादी । पिष्टं पितृयज्ञ, ( पुं. ) पितृतर्पण | पितृयाण, (पुं. ) पितरों के जाने का मार्ग । पितृलोक ( पुं. ) चन्द्रलोक से ऊपर पितरों के रहने योग्य लोक । पितृबन्धु, (पु.) पिता के मामा के लड़के । पितृव्य, ( पुं. ) चाचा | काका | पितृष्वस्त्रीय, ( पुं. स्त्री. ) बुधा का बेटा या बेटी | पितृसन्निभ, ( पुं. ) जो पिता के समान हो । पित्त, (न.) देहस्थ धातु विशेष । गर्मी । पित्तल, (न. ) पीतल धातु । पित्त वाले स्वभाव का । पित्र्य, (त्रि.) मधु | मघा नक्षत्र अमा वास्या पित्सन, (पुं. ) गिरने की इच्छा वाला | पिधान, (न.) परदा | श्रोढ़ना। पिछौरी | पिनद्ध, ( त्रि. ) पहना हुआ | बँधा हुआ। पिनाक, (पुं. न. ) कमान धूलि की वर्षा । पिनाकिन, ( पुं. ) महादेव । पिपासा, ( स्त्री. ) पीने की इच्छा प्यास | पिपासु, (त्रि. ) प्यासा | पिपीलक, (पुं. ) चेटा | पिप्पल, (न. ) पीपल का पेड़ । जल | कपड़े का टुकड़ा पक्षी। पियाल, ( पुं. ) वृक्ष विशेष | पिख, ( कि.) चलाना। पिवू, (क्रि. ) सींचना । पिश, (क्रि. ) हिस्सा करना । पिशङ्ग, (पुं. ) कमल की धूलि के सदृश रङ्ग वाला पीला रङ्ग । पिशाच, (पुं. ) देवयोनिभेद । पिशित, (न. ) मांस | जटामांसी । पिशुन, ( न. ) क्रूर | चुगलखोर | केसर नारद और कौया । पिष्, (क्रि. ) पीसना । पिष्ट, (न.) पीठी सीसा | दुला गया | चतुर्वेदीकोष | २३५. का बना पिष्टक, ( पुं. न. ) चावल के चूरे हुआ। पीठी । पिटप, ( पुं. न. ) भुवन | जगत् । सर्ग | पिटात, (पुं. ) केसर आदि गन्धद्रव्य ।' पिस्. (क्रि. ) जाना । चमकना सुगन्धि लगाना | बल करना। मारना | देना । पिष्ट पिहित, (त्रि.), छिपा हुआ । पी, (क्रि. ) पीना | पीठ, (पुं. न. ) पीढ़ा | वेदी | चौकी | पीड् (क्रि. ) वध करना । प्रवेश कस्ना | पीडन, (न. ) दबाव । कष्टः । आक्रमण । पीड़ा, ( स्त्री. ) व्यथा । दुःख । पीड़ित, (त्रि. ) दुःखित पीत, (न. ) हल्दी के रङ्ग जैसा । पीतक, (न.) केसर। हरताल | पीतल | पीतवासस् (पुं. ), श्रीकृष्ण । पीन, (त्रि. ) स्थूल । मोटा | बूढ़ा । सम्पन्न | पीनोध्नी, ( स्त्री. ) बहुत मोटे थन वाली गौ । पीनस, (पुं.) नासिका का रोग जिसमें नाक से कीड़े करते हैं। नाक गेल कर गिर जाती है | खाँसी | जुकाम । पीयू, (क्रि. ) प्रसन्न होना । पीयूष, ( न. ) अमृत | दूध पील, (क्रि. ) रोकना । पीलु, ( पुं. ) हाथी | हड्डियों का टुकड़ा फूल | पीष्, (कि. ) मोटा होना । पीवन्, (त्रि.) स्थूल | मोटा | बल वाला | ( पुं. ) वायु | पीवर, (त्रि.) युक्ती गौ। शतपय | अश्व- गन्धा | स्थूल | पुंलिङ्ग, ( न. ) पुरुष का चिह्नः । पुंश्चली, ( स्त्री. ) सती स्त्री | दुश्च- रित्रा स्त्री | पुंस, (क्रि.) मलना | पुंसवन, (न.) का संस्कार विशेष | दूध पुसंक पुंस्त्व, (पुं. ) पुरुषत्व । श्रङ्ग विशेष | शुक्र | पुक्कस-श, ( पुं. ) चाण्डाल । अधम । पुङ्ख, ( पुं. ) तीर का सिरा पूरा । पुङ्गव, (पुं. ) बैल किसी शब्द के पीछे आने पर इसका अर्थ उत्तम होता है जैसे 1 भरपुङ्गव । पुच्छू, (1 ) नापना | मापना | पुच्छ, (न. ) पूँछ । दुम । पुञ्ज, ( पुं.) राशि | समूह | ढेर | पु, (क्रि. ) चमकना । जुड़ना । मिलना फुट, ( न. ) जायफल । मिट्टी के प्याले । ( ढँकना । दोना । पुटभेद, ( पुं. ) नगर | बाजा | दरार | हवा का बवण्डर | पुटिका, (स्त्री.) इलायची । पुटित, (त्रि. ) गुंथा हुआ । सम्पुट दिया हुआ।

पुट्ट (क्रि. ) अपमान करना | पुड्, (क्रि.) मलना | पीसना | पुण, (क्रि. ) धर्मकार्य करना | पुण्डरीक, ( पुं. ) अग्निकोण का दिमाज भेड़िया । चिरा कमल का फूल दवाई । पुण्डरीकाक्ष (पुं.) कमल नयन | श्री विष्णु । श्रीकृष्ण | पुराड, ( पुं. ) एक प्रकार का गन् । माधवी लता | चित्रक | दैत्य विशेष | पुराय, ( न. ) अच्छा काम | धर्म । पुण्यजन, (पुं. ) राक्षस पुण्यजनेश्वर, (पु.) कुबेर पुण्यभूमि (स्त्री) | विन्ध्य और हिमालय के मध्य की भूमि । पुण्यश्लोक, (त्रि. ) जिसका चरित्र पुण्य- दायक है । प्रसिद्ध । शुद्धयशस्वी । " पुण्यश्लो को नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः | पुण्यश्लोका च वैदेही पुण्यश्लोको जनार्दनः ॥ चतुर्वेदीकोष | २३६ पुण्याह, ( न. ) पुण्यं उपजाने वाला दिन । पवित्र दिन | पुण्याहवाचन, (न. ) वैदिक कर्म विशेष | पुत्तिका, ( स्त्री ) छोटी मक्खी । पुत्र, ( पुं. ) बेटा | तनय पुत्रक, ( पुं. ) कृत्रिम पुत्र । धूर्त पहाड़ विशेष | पुत्रदा, ( स्त्री. ) वन्ध्या । कर्कटी । लक्ष्मण- शरभ । कन्द | पुत्रिकापुत्र, (पुं. पुत्र के अभाव में पुत्र के स्थान में स्वीकृत लड़की लड़की का लड़का । पुत्रेष्टि, ( स्त्री. ) पुत्र के लिये यज्ञ । पुथ्, (क्रि. ) मारना । हानि पहुँचाना । पुद्रल, ( पुं. ) परमाणु । शरीर । आत्मा । शिवजी का एक नाम पुनःपुनर, ( श्रव्य. ) धीरे धीरे । बार बार | पुनःपुना, (भुं. ) एक नदी । पुनः संस्कार, ( पं. ) दूसरी बार संस्कार | पुनर् (श्रव्य. ) भेद । फिर । अधिकार । पुनरुक्कचदाभास, (पुं. ) अलङ्कार विशेष | पुनर्नव, ( पुं. ) नख । नौं । पुनर्भू, ( स्त्री. ) दुबारा व्याही हुई। फिर पैदा हुआ । पुनर्वसु (पुं.) विष्णु । शिव | अश्विनी से सातवाँ नक्षत्र | पुन्नाग, ( पुं. ) वृक्ष विशेष। श्वेत कमल । जायफल । श्रेष्ठ मनुष्य पुन्नाम नरक, ( पुं. ) नरक विशेष | पुमान्, ( पुं. ) पुरुष | पुरकोट, ( न. ) गढ़ी | पुरः, (.) आगे पुरःसर, (त्रि. ) आगे जाने वाला । पुर, (न.) नगर शहर पुरञ्जनं, (पुं.) जीव । पुरञ्जय, ( पुं.) सूर्यवंशी एक राजा । शिव । इन्द्र । ( त्रि. ) पुर को जीतने वाला । पुरतः, (अ.) आगे पुरन्दर, ( पुं. ) इन्द्र चोर | पुरद्वार, (न. ) नगर का सदर फाटक । पुरन्धि, ( स्त्री . ) उत्साह | पुरन्धि, ( स्त्री. ) दाई ।बहुत परिवार वाली स्त्री । पुरु पुरश्चरण, (न. ) किसी •कार्य की सिद्धि के लिए नियमित देवपूजा । प्रयोग | पुरस्कार, ( पुं. ) पूजा | इनाम । आगे करना। पुरस्कृत, ( त्रि. ) धागे किया गया । इनाम को प्राप्त । पुरस्तात्, (.) आगे । पुरा, ( श्र. ) पहले। पुराकथा, ( श्री. ) पुरानी कथा | पुराण, ( त्रि. ) पुराना । ( न. ) व्यासरचित अट्ठारह ग्रंथ । पुराणपुरुष, ( पुं. ) विष्णु । ( त्रि. ) बूढ़ा आदमी। पुरातन (त्रि. ) पुराना । पुराधिप, ( पुं. ) शहर का हाकिम पुराचित्, ( पुं. ) पुरानी बातें जानने वाला । इतिहासज्ञ | पुरावृत्त, ( न. ) इतिहास | तवारीख | पुरी, ( स्त्री. ) नगरी | पुरीतत्, ( स्त्री. ) आंत । नाड़ी | पुरीष, (न. ) विष्ठा | मैला | " पुरु, ( पुं. ) चन्द्रवंश का एक राजा । एक दैत्य | एक नदी । स्वर्ग | ( त्रि. ) बहुत । पुरुष, ( पुं. ) जीव | मर्द । पुरुषकार, ( पुं. ) उद्योग । पुरुषसिंह, ( पुं. ) पौरुष | हिम्मत | श्रेष्ठ पुरुष बहादुर आदमी | पुरुषार्थ, ( पुं. ) शक्ति | धर्म, अर्थ, काम औरं मोक्ष । चतुर्वेदीकोष | २३७ पुरु पुरुषोत्तम, (पुं. ) विष्णु । उत्तमपुरुष । पुरुहानि, ( स्त्री. ) बड़ी हानि । पुरुहूत, ( पुं. ) इन्द्र । . पुरुरवा, (पुं. ) एक चन्द्रवंशी राजा | पुरोग, (त्रि. ) अप्रगामी । पुरोडाश, ( पुं. ) यज्ञ का देव-भाग | पुरोधा, ( पुं. ) पुरोहित । पाधा । पुरोभागी, (त्रि.) सबसे पहले भाग पाने वाला । पुलक, (पुं. ) रोमाञ्च । कीड़ा | मणिचिह्न । अँगूठा। शराब का प्याला । राई । हाथी का भोजन । पुलस्त्य, (पुं..) एक मुनि | रावण और कुबेर का दादा | पुलह, ( पुं.) एक मुनि । पुलाक, ( पुं. ) अन्न-शून्य । पुलिन, ( न. ) समुद्र नदी आदि का तट | पुलिन्द, ( पुं. ) चाण्डाल जाति विशेष । पुलोमजा, ( स्त्री. ) इन्द्र की स्त्री । पुलोमा, ( पु. ) एक असुर पुष्कर, ( न. ) एक तीर्थ | हाथी की सूँड़ । कमल । एक द्वीप । ( पुं. ) एक दिग्गज | एक राजा एक पहाड़ | एक रोग । पुष्करिणी, ( स्त्री. ) कमलिनी । तलैया | पालकी । पुष्कल, (न. ) बहुत भरत का पुत्र | पुष्ट, (त्रि.) मज़बूत पुष्टि, ( स्त्री. ) पुष्ट होना पुष्प, (न. ) फूल | कुबेर का विमान । एक नेत्ररोग | स्त्री का रज । पुष्पकरण्डक, (न. ) फूलों की टोकरी । झावा । पुष्पचाप, ( पुं. ) कामदेव । फूलों का बना धनुष । पुष्पदन्त, ( पुं. ) एक दिग्गज । एक विद्या- घर जो शिव का भारी भक्त और 'महिम्न' स्तोत्र का रचने वाला हुआ है। " पूर पुष्पपुर, (न. ) पटना शहर | पुष्पमास, (पुं. ) चैत का महीना | पुष्पलिह, (पुं. ) भौरा । पुष्पशरासन, ( पुं. ) कामदेव | पुष्पिताग्रा, ( स्त्री. ) एक छन्द | पुष्य, (पुं: स्त्री ) एक नक्षत्र | पुष्यलक, ( पुं. ) कस्तूरी मृग । पुस्त, (न. ) लिखना | ग्रन्थ | पलस्तर | पुस्तक, ( पुं. ) पोथी । किताब । पुस्तिका, ( स्त्री. ) पोथी । किताब | पूग, ( पुं. ) समूह | सुपारी पेड़ | पूगीफल, ( न. ) सुपारी । न्यूजक, (पुं. ) पुजारी, पूजा करने वाला | पूजन, (न. ) पूजा | पूजा करना । पूजा, ( स्त्री. ) पूजना । दा पूजनीय, ( त्रि. ) मान्य । पूजा करने योग्य | पूजाई, (त्रि. ) पूजा के योग्य:। पूज्य, ( पुं. ) ससुर । पूजा के योग्य | पूरण, (क्रि. ) इकट्ठा करना । पूत, (न.) पवित्र | सत्य । शङ्ख । पूतक्रतायी, ( स्त्री. ) शची | इन्द्राणी | पूतऋतु, ( पुं. ) जिसने तो यज्ञ किये हों । देवराज | इन्द्र | पूतना, ( स्त्री ) एक राक्षसी जो श्रीकृष्ण द्वारा मारी गई । हरे । रोगविशेष । पूति, ( स्त्री. ) पवित्रता । पूतिक, (न. ) विष्ठा | वृक्ष विशेष । पूतिगन्ध, ( पुं. ) गन्धक । इङ्गदीवृक्ष । दुर्गन्ध । पूप, (पुं. ) बड़ा । कचौरी । पूपाष्टका, ( स्त्री. ) अगहन बदी ८ मी को किया हुआ श्राद्ध । बड़ों की ८ मी पूयू, ( क्रि ) बदबू उठना | फाड़ना । पूय, ( न. ) पीपराल । पूर्, (क्रि. ) भरना । प्रसन्न होना । पूर, (पुं. ) नदी का चढ़ाव | सरोवर | घाव 4 चतुर्वेदीकोष | २३८ का भराव । एक प्रकार की रोटी । नाक के द्वारा स्वाँस को धीरे धीरे खींचना । वृक्ष विशेष । गन्ध विशेष । पूरक, (पुं. ) एक प्रकार का नीबू | प्रेत के शरीर को पूरा बनाने वाला । दसवाँ पिण्ड | पुरुष, ( पुं. ) नर आदमी। पूर्ण, (त्रि. ) भरा हुआ पूर्णपात्र, (न. ) भरा हुआ बर्तन हर्ष का काल । यज्ञ में २५६ मुट्ठी चावलों से भरा एक पात्र विशेष | पूर्णमास, ( पुं. ) पूर्णिमा के दिन करने योग्य यज्ञ विशेष | पूर्णिमा, ( स्त्री ) पूर्णमासी । पूर्त्त, ( न. ) तालाब | कूप | भरना | समय पृथग्विध, (त्रि. ढका हुआ | पूरित । पूर्व-र्च, ( क्रि. ) बसना | बुलाना । पूर्व-, (त्रि. ) प्रथम | समस्त । सारा | ज्येष्ठ भाई । पूर्व–र्व+देव, ( पुं. ) असुर । दैत्य । अच्छा देवता । पूर्वदेश, ( पुं. ) पुरबिया देश । पूर्वपक्ष, (पुं. ) पहिला पक्ष । पूर्वपद, (न.) पहिला पद । पूर्वपर्वत, (पुं.) उदयाचल । पूर्वफाल्गुनी, (स्त्री.) अश्विनी से ग्यारहवाँ नक्षत्र | पूर्वभाद्रपद, ( पुं. स्त्री. ) अश्विनी से २५ वाँ नक्षत्र | पूर्वरङ्ग, ( पुं. ) अभिनय ( नाटक ) में पहला अभिनय | ' पूर्वाह्न, (पुं.) पहला आधा दिन । पूर्वेद्युस्, ( अव्य. ) पहिला दिन । पूल, (क्रि.) इकट्ठा करना । पूर्वरूप, (न. ) रोग का निदान । पूर्बवादिन, (. पुं. ) मुद्दई । वादी । पूर्वा - र्वा - षाढ़ा, ( स्त्री. ) अश्विनी से तीसवाँ नक्षत्र | पृष पूष, (क्रि. ) बढ़ाना | पूषन्, ( पुं. ) सूर्य्य | पू, (क्रि.) काम करना । प्रसन्न • पालन करना | पृच्, (क्रि. ) जोड़ना । मिलना । छ्न । इकट्ठा होना । होना पृच्छा, ( स्त्री. ) प्रश्न | भविष्य के विषय में प्रश्न । पृतना, ( स्त्री. ) विशेष संख्या वाली सेना १ पृथ, (क्रि. ) फेंकना | फैलाना | पृथकू, ( अन्य ) भिन । विना नानारूप वाला । पृथक्जन, ( पुं. ) नीच । मूर्ख । पामर नानारूप । नाना प्रकार | पृथा, ( स्त्री. ) कुन्ती । पृथिवी, } ( स्त्री. ) धरा । भूमि । पृथिवीपति, ( पुं. ) भूपति | राजा पृथु, ( पुं ) मोटा | राजा विशेष | पृथुक, ( न०) चिड़वा । ( पुं. ) बालक । पृथुल, (त्रि. ) स्थूल | मोटा । पृथूदर, ( पुं. ) थोंदिल | बड़े पेट वाला | मेढ़ा । पृषत, ( पुं. ) चिट्टादार हिरन | बून्द | पृषक, (पुं. ) बाण । तीर । पृषदश्व, ( पुं. ) वायु । हवा । पृथ्वी, ( स्त्री. ) धरती | भूमि | बड़ी इला- यची । जीरा । पृदाकु, ( पुं ) साँप ।। भेड़िया | हाथी | चित्रक वृक्ष । पृश्नि (त्रि. ) बौना | पतला । कमजोर । थोड़ा । श्रीकृष्ण की माँ देवकी । पृश्निगर्भ, ( पुं. ) श्रीकृष्ण पृष, (क्रि. ) सींचना । पृपत्, ( न. ) बिन्दु दाग सींचने वाला । पृषं चतुर्वेदीकोष | २३१ • पृषदाज्य, ( न. ) दधिमिश्रित घृत । पृषन्ति ( पुं. ) न्द्र । पृषोदर, ( त्रि. ) धनां वाला । पृष्ठ, (न.) पीठ | स्तोत्र विशेष | पृष्ठत (श्रव्य. ) पीछे पीछे पृष्ठदृष्टि, (पुं. ) भालू रीछ । पृष्ठवंश ( पं. ) पीठ की हड्डी । मेरुदण्ड | पृष्ठय, ( न. ) यज्ञ विशेष । घोड़ा । बैल | पेचक, (पुं. ) उल्लू । हाथी की पूँछ का सिरा | पर्यङ्क | जूँ | मेघ । पेटक, ( पुं. न. ) पेटी | सन्दूक | टोकरी | थैला | ढेर | पेलू, (क्रि. ) काँपना | पेल, ( न. ) चङ्ग विशेष । अण्डकोष । पेलव, (त्रि. ) कोमल । नरम | सुन्दर । पेश -स+ल, ( त्रि.) सुन्दर दक्ष । कोमल । पेशि-शी, ( स्त्री. ) अएडा । मांसखण्ड । तलवार की भ्यान । नदी विशेष | राक्षसी विशेष । इन्द्र का वज्र । जूता | पेष, (क्रि. ) सेवा करना । निश्चय करना | घेषण, ( न. ) पीसना | नीच । पेपणि, ( स्त्री. ) पीसने की सिल । पेस, (क्रि. ) जाना | पै, (क्रि. ) सूखना | मुर्झना । पैङ्गि, (पुं. ) यास्क का नाम । पैञ्जूष, ( पुं॰ ) कान । पैठर, (गु.) पिठर में उबला हुआ | वैठीनसि, (पुं. ) एक मुनि का नाम । पैरिडक्य, ( न. ) भिक्षुक । भिखारी | पैतृक, (न.) दाय | पुरखों का । पैतृमत्य, (पुं. ) अनव्याही स्त्री का पुत्र | पोष पैशाच, (पुं. ) अष्ट प्रकार के विवाहों में से एक दैत्य विशेष । पैष्टी, ( स्त्री. ) आटे से निकाली गयी मदिरा | गौडी । पो, (पुं. ) पवित्र | स्वच्छ । पोगण्ड, (त्रि.) पाँच और दस वर्ष के बीच की अवस्था का । विकलाङ्ग । पौगण्ड । पोट, ( पुं. ) घर की नींव । संमिश्रण । पोटा, ( स्त्री. ) मर्दानी अर्थात् मूँछ दाढ़ी वाली स्त्री | पाटक, (पुं. ) सेवक । नौकर | पोटिक, (पुं. ) एक फोड़ा । पोटी, ( स्त्री. ) एक बड़ा मगर | गुदा | पोट्टलिका, ( स्त्री. ) पोटली | पारसल | पोडु, ( पुं. ) खोपड़ी के ऊपर वाली खोपड़ी । पोत, (पुं.) जहाज । बच्चा । दस वर्ष की कपड़ा । छोटा पेड़ । घर की नींव | पोतवणिज्, (पुं. ) जहाज द्वारा व्यापार करने वाला व्यापारी । पोतवाह, (पुं.) मलाह | माँझी । पोतास, (पुं.) एक प्रकार का कपूर | पोतृ, (पुं. ) यज्ञ कराने वाले सोलह प्रकार के यज्ञकर्ताओं में से एक विष्णु का नाम । पोत्या, ( पुं. ) नावों का बेड़ा । पोत्रं, (न. ) घुरघुराहट ( शूकर की ) । नाव । जहाज । बादल की गड़गड़ाहट । किसी जानवर का अवस्था का हाथी | कपड़ा । पोत्रिन्. ( पुं. ) सूअर पोथकी, (स्त्री. ) आँख के पलकों पर लाल फुंसियाँ | रोहे | पोल, ( पुं. ) ढेर | किसी नामी ग्रामी का पुत्र । पैतृष्वसेय, (पुं. ) बुआ का बेटा | पोलिका, ( स्त्री. ) गेहूँ के आटा की रोटी | पैत्तल, (गु.) पीतल धातु का | पोलिन्द, ( पुं. ) जहाज का मस्तूला । पैत्र, ( न. ) पिता या पितरों का पितृतीर्थ || पोष, ( पु. ) पालन | वृद्धि | उन्नति । पोष चतुर्वेदीकोष । २४० पोषण, (न. ) पालना । सेवा | पोषयित्नु, ( पुं. ) कोइल । पोप्यवर्ग, ( पुं. ) वे कुटुम्बी जिनका पालन पोष करना कर्त्तव्य है यथा माता, पिता, गुरु, स्त्री, सन्तान, अतिथि आदि । पौंडू, ( पुं. ) एक देश का नाम उस देश के निवासी । ईख विशेष | भीम के शङ्ख का नाम । पौडूक, ( पुं. ) एक प्रकार के पौड़े । वर्णसङ्कर विशेष | पौतवं, (न. ) एक प्रकार का माप | पौत्तिक, ( न. ) पीले रङ्ग का मधु | शहद । पौत्र, ( पुं. ) नाती | पुत्र का पुत्र । पौनःपुनिक, ( न. ) बारम्बार | दुहराया गया । पौनर्भव, (पुं.) दुबारा व्याही हुई स्त्री में उत्पन्न | वारह प्रकार के पुत्रों में से एक । पौर, (न. ) नगरसम्बन्धी । नगरवासी | पौरव, ( पु ) पुरु नामी चन्द्रवंशीय राजा का पुत्र | पौरस्त्य, (त्रि. ) पूर्वी पहला आगे का । पौराणिक, (पुं. ) पुराणज्ञ | पुराण जानने वाला । पौरुष, (न. ) विक्रम | वीरता उद्यम पौरोगव, ( पुं. ) राजा के रसोईघर का अध्यक्ष । पौर्णमास, ( पु. पूर्णिमा को किया गया एक प्रकार का यज्ञ पौर्विक, ( गु. ) पहला । पैतृक । पुराना | पौलस्त्य, ( पुं. ) रावण आदि । पौलि, (पुं. ) एक प्रकार की रोटी । पौलोमी, ( स्त्री. ) शची | इन्द्राणी | पौष, (पु.) पूस महीना | प्यै, ( क्रि. ) बढ़ना । प्र, (अन्य ) श्रारम्भ गति चारों ओर से । प्रथमत्व | उत्पत्ति | प्रसिद्धि । व्यवहार | प्रेख प्रकट, (त्रि.) स्पष्ट । प्रकाश | प्रकम्पन ( पुं. ) हवा । वायु | नरक विशेष | बहुत काँपने वाला । प्रकर, ( पुं. ) समूह | अधिकार | प्रकरण, ( न. ) प्रस्ताव । प्रसङ्ग । दृश्य काव्य विशेष | ग्रन्थ-सन्धि | प्रकर्ष, ( पुं. ) उत्कर्ष बढ़ती । बड़ाई। उत्तमता । प्रकाण्ड, (पुं. ) वृक्ष का वह भाग जो उसकी जड़ से शाखा पर्यन्त होता है | प्रशस्त | अच्छा । प्रकाम, (त्रि. ) बहुत ही । इच्छानुसार । ( [अव्य. ) मन की प्रसन्नता प्रकट करना | प्रकार, (पुं. ) सादृश्य भेद । प्रकाश, (पु. ) चमक | उजियाला । विकाश | प्रकाशात्मन् (पुं.) सूर्य्य । परमात्मा । प्रकीर्ण, (न. ) बिखरा हुआ । चामर । भिन्न भिन्न जातियों का एकत्व | प्रकृत, (त्रि. ) चारब्ध प्रारम्भ किया हुआ । प्रकृति, ( स्त्री. ) स्वभाव | चिह्न । अज्ञान | मित्र | स्वामी | पुरवासी । दुर्ग | बल । कारीगर । शक्ति । स्त्री । परमात्मा । जीव । छन्द विशेष माता । धातु । प्रकृष्ट, (त्रि. ) प्रधान | उत्तम । प्रकोष्ट, (पुं) मणिबन्ध का अन्त | सहन । कमरा । प्रक्रम, (पुं. ) क्रम । सिलसिला । उपक्रम | प्रक्रिया, ( स्त्री. ) रीति । भांति । राजचिह्नों का लेना । उच्च पदवी किसी ग्रन्थ का अध्याय । जैसे " उणादि प्रक्रिया " ● अधिकार विशेष | किसी ग्रन्थ का उपोद्घात का श्रध्याय । शब्द बनाने के नियम प्रक्च-क्का+ण, (पुं. ) वीणा का शब्द | प्रक्ष्वेडन, ( पुं. ) लोहे का तीर । प्रखर, (त्रि.) बड़ा पैना | घोड़े का साज | मुर्गा | कुत्ता | खच्चर | . अग चतुर्वेदकोष | २४१ प्रगण्ड, ( पुं. ) उत्तम कपोल । कोइनी । दुर्ग की दीवाल | प्रगल्भ, (त्रि. ) प्रतिभाशाली । हाजिर- जवाब । नायिकाविशेष | , प्रगाढ, (त्रि.) बहुत गाढ़ा | मजबूत । प्रगुण, ( त्रि. ) दक्ष | सीधे स्वभाव का । प्रगृह्य, ( न. ), स्मृति | वाक्य | व्याकरण में स्वर सन्धि न होने योग्य पद | प्रगे, ([अव्य. ) तड़का | बड़े सबेरे : प्रघण, ( बराएडा । लोहे का मूसल प्रग्रह, (पुं. ) पकड़ । घोड़े की रस्सी । लगाम । किरण । बन्दी भाट | बाजू | प्रचण्ड, (त्रि.) दुरन्त । प्रतापी प्रचय, ( पुं. ) एकीकरण । ढेर | जोड़ । उन्नति । वृद्धि | एक श्रुति । प्रचुर, (त्रि.) बहुत प्रचेतस, (पुं. ) वरुण | मुनि विशेष | प्रचेतृ, (पुं. ) सारथी । रथवान् । प्रचेल, (न. ) पीला चन्दन काष्ठ | प्रचेलक, (पुं. ) घोड़ा । अच्छ, (क्रि. ) पूँचना । प्रच्छद्, ( कि. ढकना । लपेटना । पर्दा डालना । प्रच्छन्न, (न. ) छिपा हुआ । गुप्त | प्रच्छर्दा, ( स्त्री. ) वमन प्रच्छादन, (न.) पिछौरी । प्रच्छान, (न. ) तीता करना | प्रच्छाय, (न.) घनी छाया | छायादार स्थान । प्रच्छिल, (त्रि.) शुष्क | जलरहित । प्रच्यु, (क्रि. ) चला जाना । लौट जाना | प्रजन, (पुं.) उत्पत्ति । प्रजा, ( स्त्री. ) रियाया । सन्तान । प्रजापति, (पुं. ) ब्रह्मा । दक्ष श्रादि । जामाता । सूर्य । अग्नि । विश्वकर्मा । त्वष्टा । प्रजावती, ( स्त्री. ) सन्तानवती स्त्री | भौजाई । प्रति प्रशा, ( स्त्री. ) बुद्धि | सरस्वती ( पुं० ) पण्डित | प्रज्ञान, (न.) बुद्धि | चिह्न । प्रशु, (त्रि.) टेढ़ी जानु वाला । प्रड्रीन, (न.) पक्षियों की चाल या उड़ान | प्रणय, ( पुं. ) प्रीति । उत्पत्ति । स्नेह | ' विश्वास । निर्वाण । शान्ति । प्रणयिन्, ( पुं. ) प्रेम करने वाला | भत्ती | नायक | प्रणव, (पुं. ) ओंकार । प्रसाद, (पुं. ) कान की बीमारी । प्रणाम, ( पुं. ) झुकना | नवना | नमस्कार | प्रणाय्य, (त्रि. ) प्रीतिशून्य । शत्रु | साधु | प्रिय । प्रणिधान, ( न. ) प्रयत्न | अभिनिवेश | प्रसिधि, ( पुं. ) चर । दूत । अनुचर | माँगना [. प्रणिपात, ( पुं. ) झुकना | प्रणाम । प्रणिहित, (त्रि. ) प्राप्त । पाया । स्थापित | प्रणीत, (त्रि. ) फेंका हुआ। बनाया हुआ | यज्ञ । संस्कारित अग्नि । यज्ञीय पात्र विशेष | प्रणेय, ( त्रि. ) अधीन । प्रतति, ( स्त्री. ) विस्तार | वल्ली | बेल | प्रतन, (पुं.) पुरानी वस्तु । प्रतल, (न. ) खुली हुई श्रृङ्गुली वाला हाथ | चाँटा । प्रताप, ( पुं. ) ताप गर्मी क का पेड़ | प्रतारण, (न. ) ठगना। धोखा देना प्रति, (अन्य ) व्याप्ति | लक्षण | भाग- 1 उलट कर देना । को। ओर। फिर । प्रतिकर्मन्, (न. ) बनावटी टीमटाम | प्रति-ती+कार, (पुं. ) बदला | चिकित्सा | प्रति - ती + काश-स, (त्रि.) सदृश | चमक | प्रतिकूल, ( त्रि.) विरुद्ध । प्रतिकृति, ( स्त्री. ) प्रतिमा | सादृश्य । प्रति- निधि | फोटो | . प्रति चतुर्वेदीकोष | २४२ प्रतिक्षण, (श्रव्य ) बारम्बार प्रतिक्षिप्त, (त्रि. ) भेजा हुआ | झिड़का हुआ । बाधित । टूट गया । तिरस्कृत | प्रतिग्रह, (पुं. ) स्वीकार | दान लेना | सेना की पीठ | सूर्य । प्रतिघातन, (न.) मारना । प्रतिछन्दस् ( न. ) आशय के अनुसार | प्रतिरूप । प्रतिच्छाया, ( स्त्री. ) प्रतिमा | सादृश्य | चित्र । प्रतिलिपि । लेख की नकल । प्रतिज्ञा, ( स्त्री. ) वचनदान | नियम लेना | प्रतिज्ञात, (त्रि. ) वचनबद्ध वचन दिया हुआ। बदला | तुल्य प्रतिदान, (न. ) विनिमय दान | धरोहर सौंपना | प्रतिध्वनि, ( पुं. ) गूञ्ज । झाँई । प्रतिध्वान, ( पुं. ) गुञ्ज । झाँई । प्रतिनिधि, (पुं.) प्रतिरूप । प्रतिपक्ष, (पुं. ) विरुद्ध पक्ष वाला । प्रतिपत्ति, ( स्त्री. ) धीरज चतुराई। गौरव कर्तव्य ज्ञान | पद प्राप्ति । प्रतिपद्, ( स्त्री. ) पड़वा । प्रतिपदा । पाँव पाँव पर | बारबार । प्रतिपन्न, (त्रि.) अवगत । जाना हुआ। माना हुआ। बलवान् । प्रतिपादन, ( न. ) दान देना | समझाना | अपने कथन की पुष्टि । प्रतिबन्ध, ( पुं. ) अड़चन | रोक । प्रतिबल, ( पुं. ) शत्रु | बैरी । प्रतिभय, (त्रि. ) भयानक | डरावना | प्रतिभा, ( स्त्री. ) बुद्धि । प्रतिभू, (पुं.) लग्नक | जामिन । प्रतिमा, ( स्त्री. ) मूर्ति । प्रतिमान, (न. ) प्रतिबिम्ब | परछाही । प्रतिमुक्त, ( त्रि.) पहिना गया। छोड़ा हुआ। जकड़ा गया। लगाया गया। प्रती प्रतियन, ( पुं. ) इच्छा | उपग्रह | निग्रह | संस्कार । लेना । परिश्रमी । प्रतियातना, ( स्त्री. ) प्रतिमा । तसवीर । प्रतियोगिन्, ( त्रि. ) विरुद्ध सम्बन्ध वाला । प्रतिरूप, (न. ) प्रतिबिम्ब | परछाही । प्रतिविरोध, ( पुं. ) बाधा | रोक | अड़चन । प्रतिलोम, (त्रि. ) उलटा । विपरीत | प्रतिलोमज, (पुं.) वर्णसङ्कर | दोगला । प्रतिवचन, ( न. ) उत्तर । जवाब | प्रतिवादिन, ( पुं. ) विपक्षी । प्रतिवादी । प्रतिवासी, (त्रि.) पड़ोसी प्रतिविधान, ( न. ) प्रतीकार | उपाय | यल । प्रतिबिम्ब, ( न. ) परछाही । प्रतिशासन, ( न. ) विरुद्ध आज्ञा । प्रतिश्रय, ( पुं. ) यज्ञशाला | सभा । घर | आसरा । प्रतिश्रव, (पुं. ) स्वीकार । गुञ्ज । प्रतिश्रुत, ( स्त्री. ) प्रतिज्ञा । प्रतिषेध, ( पुं. ) निषेध | प्रतिष्टम्भ, ( पुं. ) रोक | अड़चन । प्रतिष्ठा, ( श्री. ) क्षिति । पृथिवी । छन्द जिसके प्रत्येक पाद में चार अक्षर हों। प्रतिष्ठा । आश्रय | सदा के लिये स्थिरता करना जैसे मूर्त्तिप्रतिष्ठा । प्रतिसर, (पुं.) सेना का पिछला भाग | हस्तसूत्र | प्रतिसर्ग, (पुं.) विरुद्ध रचना । प्रलय | प्रतिसीरा, ( स्त्री.) परदा | क्रनात | प्रतिसृष्ट, (त्रि. ) तिरस्कृत | भेजा गया । प्रतिहत; (त्रि. ) रोका गया ।. उलट कर मारा हुआ । प्रति-ती+हार, (पुं.) उलट कर चोट मारना । द्वार द्वारपाल । दर्वान। प्रतीक, ( पुं. ) अवयव । प्रतिरूप । प्रती चतुर्वेदीकोष | २४३ प्रतीक्षा (स्त्री.) आवश्यकता । आशा | बाट | प्रतीक्ष्य, ( त्रि. ) पूज्य । प्रतिष्ठा योग्य 1, प्रतीचीन, (त्रि. ) पश्चिमी । प्रतीच्छुक, (पुं. ) पाने वाला । प्रतीति, ( स्त्री. ) विश्वास | ख्याति । आदर। हर्ष १ प्रतीत, ( त्रि. ) फेरा हुआ । वापिस किया गया। प्रतीन्धक, (पुं.) विदेह देश | प्रतीनाह, (पुं. ) झण्डा । निशान । प्रतीप, (त्रि.) प्रतिकूल । चन्द्रवंशी एक राजा । प्रतीपदर्शिनी, ( स्त्री. ) स्त्री | औरत | प्रतीर, (न. ) तट | किनारा | प्रतोद, (पुं.) चाबुक प्रतोली, (स्त्री.) गली । प्रन, (त्रि. ) पुराना | प्रत्यक्ष, (श्रव्य.) आँख के सामने । प्रत्यन, (त्रि. ) नया | साफ़ हुआ । प्रत्यच, (त्रि.) पिछला समय । पश्चिम दिशा । प्रत्यन्तपर्वत, ( पुं.) बड़े पहाड़ के पास की • पहाड़ी । प्रत्यक्षियोग, ( पुं. ) वादी पर अभियोग । प्रत्यभिवाद, (पुं. ) आशीर्वाद । प्रत्यय, ( पुं. ) शपथ । विश्वास । अधीन | शब्द । छिद्र आधार । निश्चय | कारण | व्याकरण का शब्द विशेष | प्रत्ययित, ( त्रि. ) प्राप्त । विश्वासी | लौटा। प्रत्यर्थिन, ( त्रि. ) शत्रु । प्रतिवादी । । प्रत्यर्पण, (न. ) प्रतिदान | लौटाना । प्रदी, प्रत्यवस्थातृ, (त्रि. ) शत्रु । प्रतिवादी । प्रत्यवाय, (पुं. ) पाप । दोष । अड़चन | लोप । हताश । प्रत्याख्यात, (त्रि. ) अस्वीकृत । उत्तर ( दिया गया । प्रत्याख्यान, ( न. ) स्वीकार उत्तर दे "देना। प्रत्यादिष्ट, (त्रि.) निकाला गया | तिरस्कृत | अस्वीकृत | प्रत्यादेश, ( पुं. ) निकालना । अस्वीकार करना । प्रत्यालीढ, (न.) धनुषधारी का पैतरा | चाटा हुआ । प्रत्यासन, (त्रि. ) अति निकटस्थ | प्रत्याहार, ( पुं. ) वापिस लेना । प्रत्युत्क्रम, ( पुं. ) युद्ध की तयारी । काम करना । प्रत्युत्तर, (न. ) उत्तर का उत्तर । प्रत्युत्थान, ( न. ) विरुद्ध खड़े होना | अगवानी | आगत व्यक्ति के सम्मानार्थ निज आसन छोड़ कर उठना । प्रत्युत्पन्नमति, ( त्रि. ) समय पर उचित बुद्धि का उत्पन्न होना । प्रत्युगमनीय, ( न. ) उपस्थान के योग्य | पूजा के योग्य । प्रत्यूष, ( पुं. ) प्रभात | सबेरा | आठ वसुओं में से एक । प्रत्यूह, ( पुं. ) विघ्न | रुकावट प्रथू, ( कि. ) प्रसिद्ध होना । प्रथम, (त्रि.) पहिला प्रधान । प्रथित, (त्रि. ) प्रसिद्ध । प्रथिमन, ( पुं. ) मुटाई | बड़प्पन | प्रदर, (पुं.) फाड़ना । योनि का रोग विशेष | प्रदीप, ( पुं. ) दीप | दीवा | प्रत्यवसान, (न. ) भोजन । खाना । प्रत्यवसित, (त्रि. ) भुक्त | खाया हुआ | प्रत्यवस्कन्द, ( पुं. ) आईनी चार प्रकार के प्रदीपन, ( पुं. ) उदराग्नि को भड़काने जवाबों में से एक । औषध विशेष | वाला प्रदे प्रदेश, ( पुं. ) एक देश । दीवाल । प्रदेश - शि+नी, (स्त्री. ) तर्जनी अङ्गली | प्रद्युम्न, (पुं. ) कामदेव । श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ पुत्र का नाम भगवान के प्रधान चार ब्यूहों में से एक । प्रद्रव, (पुं. ) भागना । प्रधन, (न. ) युद्ध लड़ाई | प्रधान, (न.) मुख्य परमात्मा प्रशस्त । वजीर | प्रधि, (पुं.) पहिया धुरा प्रपञ्च (पुं.) संसार | उलटापन । इकट्ठा | ठगना | प्रपथ्या, (स्त्री. ) हरीतकी । इर्र | प्रपद, (न.) पाँव के आगे का भाग । प्रपन्न, (त्रि.) शरणागत प्रपा, (स्त्री.) पौसाला । पौंसला प्रपात, (पुं.) झरना | कूल | किनारा आश्रय- " 'चतुर्वेदीकोष । २४४ दान। प्रपितामह, (पुं.) बाबा का पिता । ब्रह्मा । प्रपौत्र, (पुं. ) पौत्र का बेटा | पन्ती । प्रफुल, (त्रि.) खिला हुआ। प्रबन्ध, ( पुं. ) सन्दर्भ ग्रन्यादि को रचना | प्रवाल, (न. .) नया पत्ता | लाल रङ्ग | मूँगा | बीन का डण्डा | प्रबोध, (पुं.) अच्छी समझ | ज्ञान | प्रवोधन, (न.) जागना । चेतना सम- प्रथ प्रभाव, (पु. ) राजाओं का कोष और दण्ड से उत्पन्न तेज । सामर्थ्य | प्रभास, (पुं. ) एक तीर्थ "प्रभासक्षेत्र जिसकी कथा श्रीमद्भागवत में है " । प्रभिन्न, (पुं.) मस्त हाथी । अन्तर वाला । प्रभु, ( पुं. ) विष्णु । पारा । शक्त । स्वामी | r झना । प्रवोधनी, ( श्री. ) कार्तिक शुक्ला ११ । जगाने वाली वस्तु | प्रभञ्जन, (न. ) वायु । हवा । प्रभद्र, (पुं. ) नीम का पेड़। प्रभव, (पुं.) उत्पादक । बल । जन्म | प्रभा, (पुं. ) चमक | दीप्ति । प्रभाकर, (पुं. ) सूर्य । मीमांसा शास्त्र के रचने वाले । प्रभात. (न. ) सबेरा | प्रभूत, (पुं. ) प्रचुर बहुत ऊँचा प्रभृति, (अव्य. ) तब से ले कर प्रमथ, ( पुं. ) शिव का एक अनुचर | घोड़ा । ( स्त्री. ) हरे | न. प्रमथन, ( वध क्लेश देना । प्रमथाधिप, ( पुं. ) शिव | प्रमथादि गणों का स्वामी | प्रमदवन, (न. ) राजा का विलासवन । प्रमदा, ( स्त्री. ) सुन्दरी की। प्रमनस्, (त्रि. ) जिसका मन बहुत खुश होता है। प्रमा, ( स्त्री. ) यथार्थ ज्ञान । प्रमाण, (न. ) मर्यादा । शास्त्र | हेतु । प्रमाता । प्रमातामह, (पुं.) नाने का पिता | प्रमाद, (पुं.)वधानता । असावधानी लापरवाही । प्रमापण, (न.) मारना। प्रमिति, ( स्त्री. ) प्रमा| यथार्थ ज्ञान । प्रमीत, ( त्रि. ) मर गया। यज्ञार्थ मारा हुआ पशु। प्रमीला ( स्त्री. ) तन्द्रा । प्रमुख, (त्रि.) मान्य समूह | सुपारी । श्रच्छा आरम्भ | प्रमुदित, (त्रि. ) प्रसन्न । प्रमेह, ( पुं. ) एक प्रकार का रोग | प्रमोद, ( पुं. ) हर्ष । प्रयतं, (त्रि. ) पवित्र | साफ़ | शुद्ध | प्रयत्न, (पुं. ) विशेष चेष्ट । प्रयास । आदर प्रया चतुर्वेदीकोष । २४५ ' प्रयाग, (पुं.) गङ्गा और यमुना के सङ्गम का प्रसिद्ध तीर्थ | इन्द्र | घोड़ा । प्रयास, ( पुं. ) प्रयत्न प्रयुत, (न.) दस लाख प्रयोक्तू, (त्रि. ) प्रयोग करने वाला ऋण- दाता । लगाने वाला । प्रयोग, ( पुं॰ ) अनुष्ठान । निदर्शन । मसाल । घोड़ा । कार्य अथवा औषधादि की योजना | प्रयोजक, (पुं. ) लगाने वाला | प्रेरक । प्रयोजन, (न.) हेतु मतलब । अभि- प्राय । प्रयोज्य, (त्रि. ) लगाने योग्य । प्ररूढ़, (त्रि.) बढ़ा हुआ । उत्पन्न हुआ । प्रलम्ब, (पुं.) एक दैत्य । प्रलम्बघ्न, (पुं. ) प्रखम्ब को मारने वाले बलदेवजी । प्रदय, (पुं. ) नाश । छिपना | 1 नम्र । प्रलाप, (पुं० ) अनर्थक वाक्य | बकवाद । प्रवचन, (न.) वेदार्थ ज्ञान । प्रवण, (पुं.) चौराहा । चौड़ा । झुका हुआ । निर्बल प्रवयस्, (त्रि.) बड़ी उम्र वःला | बूढ़ा | प्रवर, (पुं. ) श्रेष्ठ | श्रगुरुचन्दन | प्रवर्ग, (पुं. ) होमाग्नि विशेष | प्रवर्त्तक, (त्रि. ) काम में लगाने वाला । प्रवर्त्तना, (स्त्री.) व्यापार काम में लगाना । प्रवर्ह, (त्रि.) श्रेष्ठ | अच्छा प्रवह, (पुं.) वायु विशेष । प्रवहण, (न. ) डोली । पालको । प्रवाद, (पुं. ) गौगा। अफवाह । प्रवास, (पुं.) विदेश वास । प्रवासन, (त्रि.) विदेश वास | मारना | प्रवासिन्, (त्रि.) परदेशी । प्रवाह, ( पुं. ) जल की धार अच्छा घोड़ा । व्यवहार । प्रस प्रविदारण, (.न. ) युद्ध | लड़ाई | प्रवीण, (त्रि.) निपुण । चतुर । बीन का गवैया । ' प्रवृत्ति, ( स्त्री. ) बात अवती आदि देश | प्रवृद्ध, (त्रि.) बढ़ा हुआ । प्रौढ़ | गाढ़ा । प्रक, (त्रि. ) प्रधान । सर्दार | बड़ा । प्रवेणि - णी, ( स्त्री. ) स्त्रियों के केश का जूड़ा | चित्रित कम्बल । जहाज़ | प्रवेश, (पुं. ) भीतर जाना । · प्रवेशन, ( न. ) प्रधान द्वार ! बड़ा द्वार | सिंहद्वार प्रव्रजित, ( पुं. ) संन्यासी | जैन का शिष्य | 'प्रवज्या, ( स्त्री. ) संन्यास | प्रव्रज्यावसति, (पुं. ) यति । संन्यासी | प्रशंसा, (स्त्री.) गुणों को प्रकट करने वाले वाक्य । तारीफ | प्रशमन, (न. ) वध | मारना । इटाना | ' ठंढा करना । प्रशस्त, (त्रि. ) प्रशंसा के योग्य अच्छा | चौड़ा । योग्य । प्रश्न, (पुं.) जिज्ञासा सवाल प्रश्रय, ( पुं. ) स्नेह प्यार प्रश्रित, (त्रि.) विनीत सीखा हुआ | भला । प्रष्ठ (त्रि.) श्रागे जाने वाला । प्रष्ठवाह, (पुं.) घोड़ा। बैल । प्रसक्ल, (त्रि. ) प्रसङ्ग । जुड़ा हुआ । प्रसक्कि, ( स्त्री. ) आपत्ति और अनुमति । प्रसङ्ग । लगन | प्रसङ्ग, (पुं. ) आपत्ति । मेल | मैथुन । प्रसन्न, (त्रि.) निर्मल | साफ़ | सन्तुष्ट | प्रसत्ति, ( स्त्री. ) सफाई । प्रसन्नता । प्रसभ, (न. ) बलात्कार । हटपूर्वक । प्रसर, ( पुं. ) उत्पत्ति | वेग । समूह | युद्ध | नीवार । पास जाना। फैला हुआ । मसर्पण, (न. ) सेना के लोगों का चारों प्रस चतुर्वेदीकोप | २४६ ओर फैलना । किसी विषय जल आदि का फैलना । प्रसव, ( पुं. ) गर्भमोचन | उत्पत्ति । फल । प्रसवित्री, ( स्त्री. ) जननी माता । जच्चा । प्रसव्य, (त्रि.) विरुद्ध | विपरीत | प्रसा, (श्रव्य. ) हठात् । जोराबरी । प्रसाचौर, (पुं. ) धाड़ा मारने वाली । चोर । प्रसाद, (पुं.) अनुग्रह सफाई । देवताओं को नैबेद्य लगाया हुआ । प्रसादना, ( स्त्री. ) सेवा | प्रसन्न करने की खटपट करना । 3 प्रसाधक, (त्रि. ) सजाने वाला । पूरा करने वाला । प्रसाधन, (न. ) सजावट । वेश । भेस । प्रसाधित, (त्रि.) पूरा किया गया । अलं- कृत किया गया | प्रसारण, (न. ) फैलाव । विस्तारकरण | प्रसारिन, ( त्रि. ) फैलाने वाला । प्रसित, ( त्रि. ) आसक्त । जुड़ा हुआ । प्रसिति, ( स्त्री. ) रस्सी । प्रसिद्ध, (त्रि. ) ख्यात । भूषित | प्रसू, ( स्त्री. ) जननी । जच्चा | केला | लता | घोड़ी प्रसूति, (स्त्री.) पेट । माता । औलाद । सन्तान की उत्पत्ति । प्रसूतिका, ( स्त्री . ) जच्चा । सन्तान की माता । प्रसूतिज, ( न. ) प्रसव काल का दुःख । प्रसव काल का उत्पन्न बालक । प्रसून, (न. ) पुष्प | फूल । फल | प्रसृत, ( पुं. ) श्राधी अञ्जली । प्रसेवक, ( पुं. ) तूबा ( वीणा का ) | प्रस्कन्न, (पुं. ) एक ऋषि । गिरा हुआ । प्रस्तर, (पुं. ) पाषाण । पत्थर | प्रस्तार, (पुं. ) फैलाव | प्रक्रिया | तृणवन । प्रस्ताव, ( पुं. ) प्रकरण | प्रसङ्ग | मज़मून | प्राको प्रस्तावना, ( स्त्री. ) उत्थानिका आरम्भ का कथन | प्रस्तुत, (त्रि. ) प्रासङ्गिक । उपस्थित । उद्यत । बहुत स्तुति किया गया। प्रस्थ, ( पुं. ) एक सेर की तौल । पहाड़ | फैलाव | / प्रस्थान, (न. ) जयेच्छु की रणयात्रा | यात्रा | जाना | चल देना | प्रस्फोटन, ( न. ) चोट लगाना | खिलाना | फोड़ना । प्रस्रवण, (न. ) झरना पसीना | टपकना । एक पर्वत का नाम । प्रस्राव, ( पुं. ) मूत्र | पेशाव | बहना | प्रहर, ( पुं. ) पहर दिन का आठवाँ हिस्सा | प्रहरण, (न. ) चोट लगाना । अत्र | सन्दूक ( गाड़ी का ) युद्ध | प्रहार | वशीभूत करना । प्रहसन ( न. ) हास्य । एक प्रकार का नाटक प्रहसन्ती, ( स्त्री. ) लता । वासन्तीं । प्रहर्षिणी, ( स्त्री. ) हल्दी । बारह अक्षरों के पाद वाला एक छन्द | प्रहस्त, ( पुं. ) रावण के एक अमात्य एवं सेनापति का नाम । प्रहि, ( पुं. ) कूप । खौं जिसमें नाज दाबा जाता है। प्रहित, (त्रि. ) भेजा हुआ । फेंका हुआ | दाल । प्रहेलिका, ( स्त्री. ) पहेली | बुझौअल । प्रह्लाद, (पुं. ) हिरण्यकशिपु दैत्य का पुत्र एक प्रसिद्ध भगवद्भक्त जिसके लिये भगवान् को नरसिंह अवतार लेना पड़ा । प्रह, (त्रि.) नम्र | विनीत । प्रांशु, (त्रि.) ऊँचा | उन्नत । प्राकाम, (न. ) आठ सिद्धियों में से एक | प्राकार, ( पुं. ) प्राचीर् | नगरशेट | प्राकृ चतुर्वेदीकोष | २४७. • ▸ प्राकृत, (त्रि. ) नीच | स्वभावसिद्ध । बिगड़ी हुई बोली जो नाटकों में प्रायः काम में लाई जाती है। प्राकृतप्रलय, (पुं.) प्रकृति का लय जिसमें हो । ब्रह्मा के दिन की सम. प्ति में होने वाला दैनंदिन प्रलय प्राशन, (त्रि. ). पहिले का । प्रागभाव, (पुं. ) भविष्यन् काल । प्राग्भार, ( पुं. ) भारी बोझ | उत्कर्ष । बहुतसा । पर्वत का शिखर प्राग्रहर, (त्रि. ) जो सव से आगे किया जाय । प्राग्रय, (त्रि. ) श्रेष्ठ । नेक | बहुत आगे हुआ । प्राग्वंश, ( ) हवनशाला से पूर्व की ओर यजमानादि के रहने का घर । प्राधार, (पुं. ) यज्ञादि में अग्नि पर घी का प्रवाह | प्राधु (पुं. ) अतिथि । महमान | प्राङ्गण, ( न. ) आँगन | चबूतरा | हाता | बेड़ा | वाद्ययंत्र विशेष । प्राच, (त्रि.) पहिला समय और देश | पूर्व दिशा | प्राचीन, (त्रि.) पुराना या पूर्व दिशा का | प्राचीनवर्हिस, (पुं.) इन्द्र | एक राजा । प्राचीनावीत, ( न. ) श्राद्ध यादि कर्मों में यज्ञोपवीत का दहिने कन्धे पर रखना । प्राचीर, ( न. ) दीवार । नगरकोट । प्राकार । प्राचेतस, (पुं. ) प्राचीनवहिं राजा का पुत्र | वरुणपुत्र । प्राच्य, ( पुं. ) पूर्व का | शरावती नदी के पूर्व और दक्षिण भाग का देश । प्राजापत्य, (पुं.) आठ प्रकार के विवाहों में से एक प्रकार का विवाह । बारह दिन व्यापी एक व्रत । प्रजापति का चरु आदि । प्राध्य प्राश, (पुं. ) पण्डित । बुद्धिमान् । चतुर । प्राज्य, (न.) बहुत प्राञ्जल, (त्रि.) स्पष्टवादी | साफ । सञ्चा | प्राडविवेक, (पुं.) मुंसिफ न्यायकारी प्राण, ( पुं. ) शरीर का वायु विशेष | काव्य का जीवनरस | वायु | बल प्राणनाथ, (पुं. ) पनि । प्राणों का स्वामी । प्राणमयकोप, (पुं. ) कर्मेन्द्रिय सहित पांचो प्राण अर्थात् प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान | प्राणायाम, ( पुं॰ ) योग की क्रिया विशेष | प्राणाय्य, ( ग. ) ठीक | योग्य | उपयुक्त | प्राणिद्यूत, ( न. ) बाजी लगा कर मुर्गा, । मेढ़ा आदि को लड़ाना । · प्राणिन्, ( पुं. ) जीव । चेतन । प्राणीत्य, ( न. ) ऋण । कर्जा | प्रातःकृत्य, ( न. ) सवेरे करने योग्य काम | पूजा अनुष्ठानादि । प्रातःसन्ध्या, ( स्त्री. ) सवेरे करने योग्य सन्ध्या प्रातर, (अव्य. ) सबेरा | तीन घड़ी दिन चड़े तक । प्रातराश, ( पुं. ) सवेरे का भोजन । कलेवा | प्रातिका, ( स्त्री. ) जवा । प्रातिपदिक, ( पुं. ) सार्थक शब्द | प्रातिभाव्य, ( न. ) जामिन होना । प्रातिस्विक, ( न. ) प्रत्येक पदार्थ का स्वाभाविक धर्म । प्रातिहारिक, ( त्रि. ) मायाकारक | छलिया । प्राथमिक, (त्रि.) पहला ! प्रादुर्भाव, (पुं.) प्रकाश । आविर्भाव । प्रादेश, ( पुं. ) तर्जनी सहित फैला हुआ एक प्रकार का नाप । | प्रादेशन, ( न. ) दान देना | प्राभ्व, (पुं. ) रथ | रात्ता । नम्र | बद्ध | प्रान्त चतुर्वेदीकोष | २४८ प्रान्त, ( पुं. ) शेष सीमा | प्रान्तर, (न.) दूर गम्य पथ । जङ्गल । वृक्ष की खोड़ | छायारहित मार्ग । प्राप्ति, (स्त्री. ) वृद्धि | लाभ | दूसरे स्थान पर पहुँचना । मेल । श्रणिमा आदि सिद्धियों में से एक | प्राप्य, (त्रि.) गम्य । पाने योग्य प्राभृत, (न. ) उपढौकन द्रव्य | भेट | प्रामाणिक, ( त्रि. ) टीक । प्रमाण सहित । प्रामाण्य, ( पुं. ) प्रमाण का होना । प्राय, ( पुं. ) मृत्यु बाहुल्य अनखाये मरना । प्रायश्चित्त, ( न. ) पाप दूर करने के शास्त्रीय उपाय | प्रायश्चित्तिन्, (त्रि. ) प्रायश्चित्त करने योग्य जन | प्रायस् (अन्य ) बहुतायत | तपस्या | प्रायोपविष्ट, (त्रि. ) धरना देने वाला । विना खाये पिये प्राण देने वाला । प्रायोपवेश, ( पुं. ) देखो प्रायोपविष्ट । प्रारब्ध, (न. ) भाग्य अदृष्ट ग्रारम्भ किया हुआ | प्रार्थना; (स्त्री. ) माँगना | हिंसा | विनती । प्रार्थित, (त्रि. ) माँगा गया । कद्दा हुआ | मारा हुआ। विनय प्रालम्व, (न.) बहुत लटकने वाला । प्रालय, ) नाश होने वाला । बर्फ । । दुपट्टा । पिछौरी । चादरा । प्रावरण, ( न. प्रावृष-षा, (स्त्री.) वर्षा काल । प्राश्निक, ( त्रि. ) कुशलादि प्रश्न पूँछने वाला । सभ्य | प्रास, (पुं.) भाला । प्रासाद, ( पुं. ) महल। प्रा, (पुं.) दिन का पहला पहर अच्छा या प्रथम दिन । प्राङ्केतराम्, ( श्रव्य. ) बड़े तड़के । प्रेय प्रिय, ( पुं. ) भर्त्ता | पति । मालिक । एक हिरन | मनोहर । प्रियंवद (त्रि. ) मधुर बोलने वाला । एक गन्धर्व | प्रियङ्गु, ( पुं. ) एक वृक्ष | एक बेल । राई । पीपल । कंगुनी । प्रियतम, ( पुं. ) अतिप्रिय | मयूरशिखा वृश्च । प्रियता, ( स्त्री. ) स्नेह | प्रियव्रत | प्रियदर्शन, (त्रि. ) सुन्दर प्रियव्रत, ( पुं. ) दृढ़नियमी । स्वायंभू मनु का पुत्र प्रथम राजा जिसने सूर्य के समान रथचक्र घुमाया था । प्रियाल, (पुं. ) पीपल का पेड़ । प्री, (क्रि.) तृप्त करना । प्रसन्न करना । प्रीणन, ( न. ) तर्पण | प्रसन्नता । प्रीत, (त्रि.) हृष्ट । प्रसन्न । प्रीति, ( स्त्री. ) हर्ष । प्रसन्नता । (क्रि. ) सरकना । ध्रुदू, (क्रि.) मलना । प्रुष, (क्रि. ) सींचना | भरना । प्यार करना । पुष्ट, (त्रि.) सड़ा हुआ । जला हुआ । प्रेक्षा, ( स्त्री. ) भले प्रकार देखना । पर्या- लोचन | प्रु, प्रेक्षावत्, (त्रि.) सोच विचार कर काम करने वाला। Į प्रेखा, (स्त्री.) परिभ्रमण घर विशेष नृत्य | प्रेङ्खोल (क्रि.) भूलना। प्रेत, (पुं.) नरकस्थ जीव । सूक्ष्म शरीर । मरा हुआ । प्रेतकर्मन्, ( न. ) दाह से ले कर सपिराडी- करण कर्म तक । प्रेतगृह, (न. ) श्मशान | प्रेतनदी (स्त्री. ) वैतरणी नदी | प्रेत्य, ( श्रव्य. ) लोकान्तर | मर कर प्रेमन्, ( न. ) इन्द्र और वायु | प्रेम और ठडा | प्रेयस् (त्रि. ) अतिप्रिय । प्रेर चतुर्वेदीकोष । २४६ • प्रेरण, (न. ) भेजना। प्रेषू, (क्रि. ) जाना । प्रे-प्रै + ष, (पुं. ) भेजना | पीड़ा पहुँचाना | प्रेष्ठ, (त्रि. ) अति प्यारा | • प्रे-प्रै+प्य, ( पुं. ) दास | टहलुआ । (त्रि.) भेजने योग्य । ( स्त्री. ) जा प्रोक्षण, ( न. ) . चारों ओर जल छिड़कना | मारना । यज्ञार्थ पशु हनन । प्रोक्षित, (त्रि. ) सींचा गया। प्रोञ्छन, ( गु. पोंछना प्रोत, (त्रि.) गुथा हुआ । सियाँ हुआ । पिरोया हुआ । जड़ा हुआ । कपड़ा । प्रोथ, ( पुं. न. ) घोड़े की नाक । कमर | धोती । गर्म । गर्त । घोड़े का मुख । (त्रि.) पथिक । रखा हुआ । प्रोषित, ( त्रि. ) परदेशी प्रोषितभर्तृका, ( स्त्री. ) स्त्री जिसका पति विदेश गया हो । प्रो-प्रौ+ष्ठपद, (पुं. ) भाद्र मास । प्रौढ, (त्रि.) युवा । उद्योगी । निपुण । नायिका विशेष | लक्षू, (क्रि.) खाना | सक्ष, (पुं.) बड़ का वृक्ष । द्वीप विशेष | सव, ( पुं. ) उछलना । तरना | कूदना | मेंडक । मेढ़ा । बानर श्वपच । जल- काक । पाकुड़ का पेड़। कारण्डव पक्षी । शब्द । वैरी । नागरमोथा । खस | झवग, ( पुं. ) बन्दर मेंडक । सूर्य का सारथी । पक्षी विशेष लवङ्ग, ( पुं. ) बन्दर | हिरन | वृक्ष विशेष | सवङ्गम, ( पुं. ) बन्दर । मेंडक । सावन, (न. ) स्नान । बहाव । तूफान | सावित, (त्रि. ) डूबा हुआ। बहा हुआ । श्राद्र । प्लि-प्ली, (क्रि. ) जाना | सीह, ( पुं. ). तिल्ली का रोग । लर्क । फीहा । फण. प्लु, (क्रि. ) फरकना | उछल कर जाना । प्लुत, ( न. ) झपट कर जाना । घोड़े की चाल । ह्रस्व से तिगुने समय में जाने वाला अक्षर । प्लुष, (.क्रि. ) जलाना । प्लुष्ट, (त्रि. ) जला हुआ । प्लोष, (पुं. ) जलन | जलाना । प्लोत, ( पु. ) पट्टी | कपड़ा । प्सा, (क्रि. ) खाना प्सा, ( सं . ) भोजन । भूख प्लात, (त्रि.) खाया हुआ | प्सुर, ( गु. ) प्यारा सुन्दर साकार । आकार युक्त | फ, (न. ) रूखा बोल । फूत्कार । फूँक | झन्झा वात | जमुहाई । साफल्य | रहस्यमय अनुष्ठान | व्यर्थः की बकवाद | गर्मीीं । उन्नति । फक्कू, (क्रि.) भूल करना। धीरे धीरे जाना। पहले ही से ( विना समझ बूझे ) कोई मत स्थिर कर लेना । फक्क, (पं.) खज | पङ्ग फक्किका, ( स्त्री. ) निर्णय के लिये पूर्व पक्ष । छल । डाह । कौमुदी की क्लिष्ट पंक्तियाँ । “ कठिनदीक्षितकौमुदिफक्किका, 29 दहति छात्रवधूहृदयं सदा । सुभगरूपधरे सखि कौमुदि, त्वत्समा न हि वैरिण मामपि ॥ फट्, ( [अव्य. ) योग | विनाश | विध्वंस | तंत्र में प्रायः इस शब्द का प्रयोग होता है । यथा “ अस्त्राय फट् I फट, (पुं.) साँप का फन । फाडङ्गा, (स्त्री.) टीढ़ी फरणं, (क्रि. ) जाना । अपने आप उपजना | फण, (पुं. ) साँप का फन । फण-न+धर, ( पुं. ) साँप | शिव । फणि चतुर्वेदीकोष | २५० फणिन्, ( पुं. ) साँप | फणीश्वर, (पुं.) अनन्त | शेष | सर्पराज | फणिज्झक, ( पुं. ) लता विशेष | फण्ड, (पुं.) पेट उदर । फत्कारिन्, ( पुं. ) पक्षी विशेष | फर, (न. ) दाल | फरुबक, (न) बिलहरा | गिलौरीदान | फर्फरायते, ( क्रि. ) फड़फड़ानां । इधर उधर घूमना चमकना | फर्फरीक, ( पुं. ) खुला या फैला हुआ हाथ | छोटी डाली या कल्ला | कोमलता । फलू, (क्रि. ) फल का उपजना | फाड़ना । तोड़ना । फल, (न. ) लाभ | वृक्ष का फल | ढाल | कार्य | अभिप्राय प्रयोजन । जायफल । त्रिफला । तीर का अगला भाग दान | फलद, (पुं. ) वृक्षमात्र । फलदाता | फलश्रेष्ठ, (पुं. ) आम का पेड़ । अच्छे फल वाला । फलिन, (त्रि. ) फल वाला । फलेग्रहि, ( पुं. ) ठीक समय फलने वाला पेड़ | फलोदय, ( पुं. ) लाभ | स्वर्ग | हर्ष | फल्गु (त्रि. ) रम्य | मनोहर | व्यर्थ । में एक नदी । फल्गूत्सव, (पुं. ) होली का त्योहार । फल्य, ( न. ) फल लाने वाला । फूल । फाट्, बुलाने का शब्द फाटकी, (स्त्री.) फिटकरी । फाणि, ( पुं. ) करम्भ | हलवा । लप्सी । दही और सतू | सीरा | फाणित, ( न. ) कञ्ची खाण्ड | फाण्ट, (न. ) अनायास बनाया गया । वैद्यक के अनुसार फाँट औषध बनती है, वह फेंटकर ( थाली डाल कर : चीजें मिला कर घैसवा ) बनाई जाती है। फाण्ड, (न.) पेट उदर । बंहि फाल, ( न. ) हल की नोक । सीमन्त भाग | सिर पर की माँग । भाल । बलराम का नाम । शिव । फालंखला, ( स्त्री. ) पक्षी विशेष | फाल्गुन, ( पुं. ) हिन्दू वर्ष का बारहवाँ मास | अर्जुन का नाम । वृश्न विशेष । फाल्गुनी, ( स्त्री. ) नक्षत्र विशेष । फागुन की पूर्णिमा | फि, (पुं. ) दुष्टजन | गप्प | क्रोध | फिङ्गक, ( पुं. ) काँटेदार पूँछ वाला पक्षी विशेष | फिरङ्ग, (पुं. ) योरुप | फिरक्षियों का देश | गर्भा । आतशक | फु, ( पुं. ) मंत्रोच्चारपूर्वक फूँकना । फुक, ( पुं. ) पक्षी विशेष | फुट, (त्रि.) विदीर्ण | फटा हुआ | साँप का फन । 'फुप्फुस, (पुं. ) फेफड़ा फुल्ल, (क्रि. ) खिलना फुल, (त्रि.) खिला हुआ । पुष्प | फल । फुल्लरीक, ( पुं. ) जिल्त | जगह | सर्प । फेटकार, (पुं. ) चींख । फेरण-न; ( 9 ) फेन । झाग | थूक | बर्फ | फेर, }( पुं. ) शृगाल । गीदङ । फेरण्ड, फेरव, ( पुं. ) शृगाल | गीदड़ | राक्षस | धूर्त । फेरु, ( पुं. ) शृगाल | फेलू, (क्रि. ) जाना । फेल-ला, (न. श्री. ) उच्छिष्ट | जूठा | ब ब, ( पुं. ) युन्ना । बोना । वरुण | घड़ा | योनि । समुद्र । जल गमन तन्तु- सन्तान | सूचन | बहू, (क्रि. ) बढ़ना | उगना । दृढ़ करना । बंहिष्ठ, (त्रि.) बहुत ही ६ चतुर्वेदीकोषं । २५१ बंही बंहीयस्, (त्रि. ) अतिशय । बहुत ही । बकुर, (त्रि ) भयानक । बिजली । बकुल, (पुं.) वृक्ष विशेष । मौलसिरी । बकेरुका, ( स्त्री. ) छोटी जाति का सास्स | हवा के झोके से झुकी वृक्ष की डाली । बकोट, ( पुं. ) हंस | सारस | बटु, ( पुं. ) बालक । छोकरा । बडवा, ( स्त्री. ) घोड़ी | अश्विनी | दासी | गोली । बडवाग्नि, (पुं. ) समुद्री आग | बडवासुत (पुं. ) अश्विनीकुमार | घोड़ी का बच्चा । बछेड़ा | बडि-लि+श, ( न. ) मछली का काँटा | बरपू, (क्रि. ) शब्द करना | बणिकूपथ, बणिग्भाव, (पुं.) व्यापार | ) हाट | मण्डी । बणिज, (पुं.) व्यापार | बत, ( [अव्य. ) दुःख | शांक | दया | हर्ष - | बंभ्र, (क्रि.) जाना । सन्तोष | बद्, (क्रि. ) बोलना । }} बेर का पेड़ । कपास । ब-व+दरी, (स्त्री. ब-व+दर, न. ब-व+दरिकाश्रम, (पुं. न. ) बेर के पास वाला एक आश्रम । हिमालय पर्वत पर तीर्थ विशेष । श्रीबद्रीनाथ | उत्तर दिशा का प्रधान तीर्थ | बद्धमुष्टि, (त्रि.) कृपण | कब्जूस | तङ्ग- खर्च | बद्धशिख, (पुं.) शिशु । बँधी चोटी वाला । बध, (क्रि. ) मारना। हनन करना | बधिर, (त्रि.) बहरा बधू, ( स्त्री. ) नारी | बहू औरत । बधूटी, ( स्त्री. ) अल्पवयस्का स्त्री | बध्य, (त्रि.) मारने योग्य | बध्यभूमि, ( स्त्री. ) मारने का स्थान । फाँसी लटकाने का या हिंसा का स्थान | बत्र, (न. ) सीसा | चमड़े की रस्सी | बन्, (कि. ) माँगना । बन्धु, (क्रि. ) बाँधना । बन्ध, (पुं. ) रोक | शरीर । आधि । बन्धक, ( पुं. ) विनिमय । गिरवी रखी हुई वस्तु | व्यभिचारिणी स्त्री । बन्धन, (न.) बाँधना। मारना। रस्सी । बन्धनस्तम्भ, ( पुं॰ ) कीला | खूँटा । बन्धनवेश्मन्, (न.) जेलखाना | बन्धु, ( पुं॰ ) मित्र 1 भाई । इष्ट | मामा का पुत्र आदि । एक वृक्ष विशेष । बन्धुता, ( स्त्री. ) भाईचारा । मित्रता । बन्धुर, (न.) मुकुट | स्त्रीचिह्न । तिलों का चूरा । बहिरा । डोरा हंस । बगला | मनोहर । नम्र । ऊँचा नीचा । ( स्त्री. ) वेश्या । सत्तू | बन्ध्य, (पुं.) निष्फल | बेफल | पुत्ररहित स्त्री | बाँझ | 3 बभ्रवी, ( श्री. ) दुर्गा का नाम । बभ्रु, ( त्रि.) ललोहा भूरा । ( पुं. ) गञ्जा | अग्नि । एक यादव का नाम । शिव । विष्णु । चातक पक्षी । महतर । भङ्गी । एक देश का नाम पीला रंग पीले रंग वाला । बभ्रुधातु, ( पुं. ) सोना । धनूरा | गेरू । लाल मिट्टी | यभ्रुवाहन, ( पुं. ) अर्जुनपुत्र, जो चित्राङ्गदा से हुआ था । बम्बू, (क्रि. ) जाना । बम्भर, (पुं. ) मधुमक्खी। बम्भराली, (स्त्री.) मक्खी । बर, ( न. पुं. स्त्री. ) कुकुम । अदरक जामाता धूर्त | यार । गुहूची | त्रिफला | 1 मेदा। ब्राह्मी | हल्दी । बरट, ( पुं. ) अन्न विशेष । बर्ब, (कि.) जाना ! सर्च चतुर्वेदीकोप | २५२ बर्बट, (पुं.) राजमाष । बर्बटी, ( स्त्री. ) राजभाष । वेश्या | बर्वणा, (स्त्रो. ) नीले रङ्ग की मक्खी । [ बर्बर, ( पुं. ) जङ्गली | नीच । मूर्ख बर्बुर, (पुं.) बबूर का पेड़ । बर्स, (पुं. ) गाँठ | बिन्दु । सिरा बई, (क्रि. ) बोलना | देना । ढकना । चोटिल करना । मारना । नाश करना । बिछाना । बर्ह, (न. ) मोर की पूँछ । किसी पक्षी की पूँछ । पत्र | भीड़ | बर्हण, (न.) पत्र | पत्ता । बर्हि, ( पुं. ) अग्नि | कुश । बहिण, ( पुं. ) मोर ! बलू, (क्रि. ) जीना नाज एकत्र करना देना। चोटिल करना। मारना । बोलना । देखना | चिह्न करना । निरूपण करना पालना । । बल, (न. ), सेना | सामर्थ्य | मुटाई | गन्ध- रस । वीर्य रूप । शरीर पत्र | लाल । बल वाला । काक । बलदेव । वरुणवृक्ष । दैत्य विशेष । बलक्ष, (पुं.) बलक्षयकारी | सफेद रङ्ग । बलद, (पुं. ) बलदाता | अग्नि विशेष | बलदेक. (पुं. ) बलराम । श्रीकृष्ण का बड़ा भाई । बलभद्र, ( पुं. ) बलदेव । गवय । ( बनरोझ ) | बलराम, ( पुं. ) रोहिणीनन्दन | बलदेव । बलवत्, ( श्रव्य ) अतिशय । बहुत बल वाला ताकतदार दृढ़ मजबूत बलविन्यास, ( पुं. ) सेना की रचना विशेष | व्यूह | बलशालिन्, (त्रि. ) बल वाला । बलसूदन, (पुं. ) इन्द्र । बल दैत्य को मारने वाला । बला, (स्त्री.) बल वाली । अस्त्रविद्या विशेष जो विश्वामित्र ने राम को दी थी । बध्व ( स्त्री. ) बक भेद | प्रणयिनी । बलाका, बलाट, ( पुं. ) मूँग । बलात्, (अव्य. ) अचानक ज़बरदस्ती | बलात्कार, (पुं. ) जबरदस्ती करना । बलानुज, (पुं. ) श्रीकृष्ण | बलराम का छोटा भाई । बलाय, ( पुं. ) बल का स्थान । वरुण वृक्ष । बलाराति, ( पुं. ) इन्द्र | बलासक, (पुं. ) आँख की सफेदी में पीला ( चिट्टा | रोग विशेष बलाह, ( न. ) पानी । बलाहक, ( पु. ) बादल । पर्वत । प्रलय के सात बादलों में से एक । विष्णु के चार भोड़ों मे से एक । बलि, (पुं. ) पूजा की भेंट कर उपद्रव चामरदण्ड | चौरी | भूतयज्ञ । दैत्य का नाम । सकुड़न । छप्पर की बाढ़ | बलिध्वंसिन, ( पुं. ) विष्णु का वामन अवतार । वलिन्, ( त्रि. ) बलि वाला । बुढ़ापे के कारण ढोले चमड़े वाला बलिपुष्ट, ( पुं. ) काक । काक-बलि खा कर पुष्ट | बलिभुज् (पुं. ) काक | कौआ । काकबलि का भोक्का | बलि-ली+मुख, (पुं. ) बन्दर | बलिष्ठ, (त्रि.) बहुत बल वाला । ऊँट । बलिसझन्, (न. ) पाताल | बलीक, (पुं. ) छप्पर की बाढ़ | बलीन, ( पुं. ) बिच्छू बलीयस्, (त्रि. ) बहुत बल वाला । बलीवई, (पुं.) बैल । बल्य, ( न. ) प्रधान धातु । शुक्र । लता विशेष । बल्वज-जा, (पुं. स्त्री. ) एक प्रकार की मोटी घास ! बाल्हि चतुर्वेदीकोष | २५३ बाल्हिका, (पुं. ) एक देश का नाम । बव, (पुं. ) कर्ण | दिन का प्रथम विभाग ( ज्योतिष के अनुसार ) । वष्कय, (न.) पूरी उम्र का ( यथा बछड़ा ) । बस्त, (पुं. ) बकरा बहुल, ( न. ) बहुत बड़ा । दृढ़ | घना | कड़ा। ( पुं. ) पौंड़ा । ( स्त्री. ) बड़ी इलायची । बहिस्, बाहिर । बाहिरी । पृथक् । बहिष्कार, ( पुं. ) निकास | त्याग | जाति - च्युत करना | बहु, ( त्रि.) विपुल | बहुत । ( यह बहु भी होता हैं ) । बहुत्वचू, ( पुं. ) भोजपत्र का पेड़ । बहुप्रज, (त्रि. ) शूकर । मूज । बहुमञ्जरी, ( स्त्री. ) तुलसी का वृक्ष । बहुमल, ( पुं. ) सीसा | बहुरूप, ( पुं. ) धुना । विष्णु । हिरण्यगर्भ । शिव । कामदेव । बहुल, (त्रि. ) अनेक संख्या वाला | ! बहुसूति, ( श्री. ) बहुत सन्तान वाली | बह्वृच, ( पुं. ) ऋग्वेद । सूक्त । बांडव, ( न. ) बहुत घोड़े। ब्राह्मण और्व । समुद्र का अग्नि | . प्रचुर । बहुव्रीहि, (त्रि.) बहुत से धान वाला । व्याकरण का एक समास भेद । बहुशस्, (अव्य. ) अनेक बार कई बार । बहुशल्य, ( पुं. ) लाल कन्थे का पेड़ । अनेक कीलों वाला |

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बाडवेय, ( पु. ) अश्विनीकुमार | बाडव्य, (न. ) विप्र समुदाय | बाडीर, (पुं. ) नौकर | कुली । बाढ, (न. ) दृढ़ | बहुत । उच्च । अवश्य | हाँ। बहुत अच्छा | ! बाल बाण, (पुं. ) तीर | गौ का थन | विरोचन पुत्र । कवि विशेष | बाण का पर । बारिण-गी, ( स्त्री. ) कपड़े बुनने की किया | वाक्य । बोली। सरस्वती । बादरायण, ( पुं. ) वेदव्यास | बेर के वन- निवासी । बादेरायणि, ( पुं. ) व्यासपुत्र । शुकदेव । वाधु, ( कि. ) रोकना | कष्ट उठाना । बाध, (पुं. ) रोक | दर्द । उपद्रव बाधक, (त्रि. ) रोकने वाला । स्त्रियों के ऋतु को रोकने वाला एक रोग विशेष | बाधिर्य, (न.) बहिरापन । बान्धकिनेय, ( पु. स्त्री. ) कुलटा स्त्री की . सन्तान | बान्धव, (पुं. ) सम्बन्धी कुटुम्बी | विशेष कर पिता और माता के सम्बन्ध वाले । बाभ्रवी, ( स्त्री. ) दुर्गा देवी का नाम । बाभ्रुक, ( पुं. ) भूरा । चित्ता में बार्पटीर, (पु. ) टीन | अर| वेश्यापुत्र | श्राम फल की गुठली । बार्हद्रथ, (पुं. ) जरासन्ध का नाम ।

बार्हस्पत, (पुं. ) बृहस्पति का शिप्य ।

बार्हिण, ( पुं. ) मोर का । बाल, (पुं. न. ) छोटा | नया | अज्ञ। हाथी व घोड़े की पूँछ । नारियल । पाँच वर्ष का हाथी । बालक, ( पुं. न. ) गन्धवाला द्रव्य । बच्चा। १६ वर्ष के नीचे की उम्र वाला लड़का | कड़ा। बाल-लि+खिल्य, (पुं. ) मुनिविशेष बाल- खिल्य और वालखिल्य एक ही है। इनका रूप अँगूठे के सिरे के बराबर और संख्या साठ हजार है। सूर्यनारायण के सन्मुख मुँह किये सूर्य की स्तुति करते हुए ये पीछे की ओर चलते हैं। बालग्रह, ( पुं ) बच्चों को कष्ट देने वाले ग्रह । वैद्य-शास्त्र में इनके अनेक भेद हैं । बाल • . चतुर्वेदीकोष | २५४ बालधि, (पुं. ) बालों वाली पूँछ । बालभोज्य, (पुं. ) बालकों के खाने योग्य । चना | बालभोग । विनियोग । जलपान । बालव्यजन, ( न. ) चामर । चँवर । छोटा पंखा | बालहस्त, (पुं. ) पशुओं की पूँछ । बाला, ( स्त्री.) नारियल | हल्दी | घृतकुमारी | बालछड़ । पोड़शी स्त्री युवती । सोलह वर्ष की कन्या | बालि, (पुं.) इन्द्रपुत्र | बानरराज | बालिश, (त्रि. ) मूर्ख । बच्चा | तकिया | बालिहन्, ( पुं. ) श्रीरामचन्द्र । बाली, ( स्त्री. ) कान में पहने का एक गहना । बालुका, ( स्त्री. ) रेत । रेणुका । बालुकी, ( स्त्री. ) एक प्रकार की ककड़ी । बालूक, ( पुं. ) विष विशेष बालेय, (पुं.:) एक दैत्य । बाले की सन्तान | गधा | नरम | बालेष्ट, ( पु. ) दर । बेर । बालकों का प्रिय । बाल्य, (न.) लड़कपन । १६ वर्ष तक की उम्र । मूर्खता । बाल्हीक, (पुं.) एक देश | एक राजा का नाम केसर हींग | बाष्प-रूप, ( पुं. ) भाफ । आँसू । गर्मी । बाह, (पुं.) बाँह | घोड़ा । बाहा, (स्त्री.) बाहु । बाहीक, ( पुं. ) बाहिरी ( 1: ) पञ्जाबी | बैल । बाहु, (पुं.) भुजा | बाहुज, ( पुं. ) क्षत्रिय । बाहुत्र, (पुं. न. ) अस्त्र की चोट बचाने के लिये बाहु में बँधा हुआ चमड़ा या लोहा । . बाहुमूल, (न. ) काँख | बगल | मुड्ढा । बाहुयुद्ध, (न.) मलयुद्ध बिल्ह बाहुल, (पुं.) वहि आग | कार्तिक मास । कृत्तिका का स्वामी | बाह्य, (त्रि. ) बाहिरी । बाहुलेय, ( पुं. ) कार्तिकेय | महादेव का बड़ा पुत्र | बिटू, (क्रि. ) चिल्लाना शपथ खाना । शाप देना । बिटक, ( पुं. ) फोड़ा । बिठ, ( न. ) आकाश । बिड, (न. ) एक प्रकार का नमक : बिडाल, (पुं. ) आँख की पुतली | ( 1 ) बिल्ली । बिडालक, ( पुं. ) बिल्ला बिडौजस्, ( पुं. ) इन्द्र का नाम । बिदू, (क्रि. ) अलग करना | चीरना | विन्दवि, ( पुं. ) बून्द बिन्दु, ( पुं. ) बून्द | बिब्बोक, (पुं. ) क्रोध | भावभङ्गी | . बिभित्सा, (स्त्री. ) भीतर घुसने या छेद करने की इच्छा | बिभीषक, ( गु. ) डरावना | भयदायी । बिभीषण, (पुं ) रावण का छोटा भाई । बिभीषिका, ( स्त्री. ) भय । डरावना | डराने वाली वस्तु । बिभ्रक्षु, ( गु. ) नाशकारी बिम्ब, ( न. ) सूर्य की गोलाई । मूर्ति । छाया । दर्पण | घड़ा बिलू, (क्रि. ) फाड़ना 1 अलंग करना । बिल्म, (न.) शिरस्त्राण । पगड़ी | बिल्ल (न.) गढ़ा । आलवाल । हींग क्रा पौधा । बिल्व, (पुं.) बेल का वृक्ष बिस्, (क्रि. ) जाना। उसकाना | फेंकना | उगना । चीरना । बिस्त, ( पुं. ) सुवर्ण की तौल विशेष | बिल्हण, (पुं.) कवि विशेष | जिसने विक्र- माकदेवचरित की रचना की । बीज चतुर्वेदीकोष | २५५.. बीज, (न.) बीजा । कीट उद्गम स्थान | वीर्य । गणित विशेष | मंत्र के विशेष अक्षर | सत्य । वृक्ष विशेष | बीभत्स, (त्रि. ) घृणित | पापी | निष्ठुर | रस विशेष | बीरिट, (पुं. ) वायु । भीड़ बुक्क् (क्रि. ) भूखना । बात करना ! बे. ( क्रि ) प्रयत्न करना । बोलना । बैडालवत. (सं.) दम्भ | ढोंग | मुक, (न. ) हृदयपिण्ड । हृदय । बुट्, (क्रि. ) चोटिल करना | मार डालना । चुड़, (क्रि. 'छिपाना | ढकना चु, (क्रि. ) पहचानना । जानना । बुद्ध, (त्रि. ) ज्ञान | जाना हुआ । जागा हुआ । ( पुं. ) भगवान् का नवाँ अवतार | बुद्धि, ( स्त्री. ) ज्ञानशक्ति । बुदबुद (न. ) बुलबुला | बलबूला | बुध, (क्रि.) जानना | समझना | विचारना १ बुध, ( पुं. ) पण्डित | वार का नाम | देव विशेष । चतुर । दक्ष । समझदार । बुधरत्न, (न. पन्ना। 1 बुधाष्टमी, ( श्री. ) बुधवार सहित अष्टमी | बुधित, ( त्रि. ) ज्ञाता । जाना हुआ । बुध, (न.) ॠरमूल | शिव | शरीर । बुभुक्षा, ( स्त्री. ) भूख क्षुधा बुभुक्षित, ( त्रि. ) भूखा । बुभुत्सा, ( स्त्री. ) जानने की इच्छा | हैरानी | अद्भुत बुल् (क्रि.) इबना डुवोना । बुलि ( स्त्री. ) डर | भय । वुल्व, (गु. ) वांका | तिरछा । चुस्, (क्रि. ) छोड़ना | निकालना | बाँटना | नुस, ( न. ) यूँसी । सूखा गोवर | धन | खट्टा गाढ़ा दही। पानी बुस्तू, (क्रि. ) मान करना । प्रतिष्ठा ! करना । वस्त, (न. ) छिलका । भुजा हुआ मांस | बृंह, (क्रि. ) उगना | बृहू, (क्रि. ) बढ़ना । उगना | बृहत्, ( गु. ) बड़ा | ब्रह्म बृहस्पति, ( पुं. ) देवगुरु | बार का नाम । बेकनाट, ( पुं. ) सूदखोर बेड़ा, (सं.) नाव | बोध. (पु.) ज्ञान बोधकर, ( पुं. ) भाट । जताने वाला । बोधन, (न.) विज्ञापन । जागरण बोधनी, ( श्री. ) पीपल । देवोत्थान एका- दशी । कार्तिक शुक्ल एकादशी । • बोधि, ( पुं. ) पीपल का पेड़ | जानने वाला । बौद्ध, ( न. ) वृद्धदेव के अनुयायी। उनके शास्त्र | बोधायन, ( पुं. ) एक प्राचीन लेखक | व्युप्, (क्रि. ) बोड़ना | जुदा करना । व्रण, (क्रि.) शब्द करना । बोलना । व्रतति, ( स्त्री. ) लता । बहुत फैलाव । ब्रघ्न, ( पुं. ) सूर्य्य | आक का पौधा | शिव । पेड़ की जड़ । घोड़ा । तीर की नोक । ब्रह्मन्, ( सं . ) परमात्मा । प्रशंसा का गीन | धर्मग्रन्थ वेद । श्रकार | ब्राह्मण | ब्राह्मी शक्ति | धन | भोजन । सत्य । ब्रह्मकुर्च, (न.) व्रत विशेष । ब्रह्मचर्य, ( न. ) द्विजाति के लिये प्रथम आश्रम | मैथुनराहित्य । इन्द्रियनिग्रह । ब्रह्मचारिन्, ( पुं. ) ब्रह्मचारी | जितेन्द्रिय | ब्रह्मक्ष, (न. ) परमात्मा का ज्ञान रखने वाले। ब्रह्मवेत्ता । वेदज्ञ । ब्रह्मण्य, (न. ) ब्राह्मण और वेदों का रक्षक । विष्णु । ब्रह्मतीर्थ, (न. ) पुष्करराज । कमल की जड़ | ब्रटा • चतुर्वेदीकोष | २५६ ब्रह्मत्व, (न.) ऋत्विगविशेष | ब्रह्मा का धर्म | निर्विकार ब्रह्म की प्राप्ति | ब्रह्मदण्ड, (पुं.) ब्राह्मण से वसूल किया गया जुर्माना । ब्रह्मशाप । ब्राह्मण की लकड़ी । ब्रह्मदाय, (पुं. ) समावृत वित्र को देने योग्य • धन । ब्रह्मनाल, (न.) ब्रह्म में विश्राम | परमानन्द | ब्रह्मपुत्र, (पुं.) विष । एक नद । एक क्षेत्र | ( स्त्री. ) सरस्वती नदी । ब्रह्मपुरी, ( स्त्री. ) हृदय | सत्यलोक । काशी। ब्रह्मभूय, ( न. ) ब्रह्मपन | ब्रह्म के साथ मिलन । ब्रह्मयश, (पुं) पश्चयज्ञों में एक प्रधान यज्ञ। जिसमें श्रीविष्णु की स्तुति की जाती है । वेद का पढ़ना और पढ़ाना ब्रह्मरन्ध्र, (न. ) खोपड़ी के भीतर का छेद । ब्रह्मराक्षस, (पुं. ) जो ब्राह्मण का सर्वस्व बनता है वह ब्रह्मराक्षस होता है- "अपहृत्य च विप्रस्वं, भवति ब्रह्मराक्षसः ।” ब्रह्मर्षि, (पुं. ) वशिष्ठादि ऋषि । ब्रह्मलोक, ( पुं. ) सत्यलोक । ब्रह्मवर्चस्, ( न. ) वेदाध्ययन से उत्पन्न हुआ तेज । ब्रह्मतेज, जिसके बल से वशिष्ठ ने विश्वामित्र को हराया था और विश्वामित्र ने कहा था- “ धिग्वलं क्षत्रियबलं, ब्रह्मतेजोवलं बलम् | अतस्तत्साधयिष्यामि, यद्वै ब्रह्मत्वकारणम् ॥ ब्रह्मवादिन, (पुं. ) वेदपाठक । ब्रह्म का निरूपण करने वाला । ब्रह्मविद्या, ( स्त्री. ) वेदान्तदर्शन | ब्रह्मबिन्दु (पुं. ) वेदाध्ययन के समय मुख से निकला जलबिन्दु । ब्रह्मवैवर्त्त, ( न. ) अठारह पुराणों में से एक | ब्रह्मसंहिता, ( स्त्री. ) वैष्णवाचार द्योतक • अन्थ विशेष । भक्त ब्रह्मसायुज्य, (न.) मुक्ति विशेष । ब्रह्मसूत्र, (न ) जनेऊ । शारीरिक सूत्र | ब्रह्महत्या ( स्त्री. ) ब्राह्मण की हत्या । ब्रह्महन्, ( त्रि.) विप्रहत्याकारी । ब्रह्महुत, (न. ) गृहस्थों के पाँच यज्ञों में से एक | ब्रह्माञ्जलि, (पुं. ) यजुर्वेद पढ़ते समय हाथ से जां स्वर दिया जाता है वह मुद्रा | ब्रह्माणी (स्त्री. ) ब्रह्मशक्ति । ब्रह्माण्ड, (न. ) सारा विश्व | ब्रह्मावर्त्त, (पुं. ) सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का देश | बिर | ब्रह्मासन, (न. ) ध्यान का श्रासन विशेष । ब्राह्म, ( ब्रह्म का । पुराण मेद । विवाह विशेष | राजा का धर्म ब्राह्मण, (पुं. ) परब्रह्म को जानने वाला। वेदज्ञ । चार वर्णों में से प्रथम वर्ण । वित्र । ब्राह्मणब्रुव, ( पुं. ) जो अपने को केवल उत्पत्ति ही से ब्राह्मण कहता। दूषित आच- रण वाला ब्राह्मण ब्राह्मण्य, (न. ) विप्रधर्म ब्राह्ममुहूर्त्त, (पुं. ) अरुणोदय से पूर्व की दो घड़ी । ब्र, (क्रि. ) कहना | ब्लेष्क, ( न. ) जाल | फन्दा | भ भ, ( न. ) नक्षत्र | मेष आदि राशियाँ । (पुं.) शुक्राचार्य । भौंरा | भगण । २७ की संख्या । मधुमक्खी । रूप । भक्तिका, ( स्त्री. ) झींगुर । भक्त, ( पुं. न. ) भक्ति करने वाला । भात | विभक्त | भक्लदास, (पुं. ) उदरदास । पन्द्रह प्रकार के दासों में से एक । भक्त चतुर्वेदीकोषं | २५७.. भक्कमण्ड, (पुं. न. ) चावलों का बसाया हुआ पानी । माँड़ । भक्ति, (स्त्री.) आराधना बँटवारा उपचार | अवयव | रचना । श्रद्धा | भक्तियोग, (पं.) भक्तिरूपी योग । अनुराग उत्पन्न होने से चित्त का एक थोर लग जाना । भक्षु, (क्रि. ) खाना | भग, ( पुं. न. ) सूर्य | वीर्य | यश | लक्ष्मी | वैराग्य योनि | इच्छा | माहात्म्य | यत्त । धर्म । मोझ । सौभाग्य । कान्ति | चन्द्रमा । भगदत्त, ( पुं. ) कामरूप देश का प्रसिद्ध राजा जो महाभारत में लड़ा था । भगन्दर, (पुं. ) रोग विशेष | भगवत्, (त्रि.) परमेश्वर । भाग्यवान् । छः प्रकार के ऐश्वर्य वाला । भगाङ्कुर, (पं . ) बवासीर के मस्से । भगिनी, ( स्त्री. ) वहिन । सोदरा | भगीरथ, (पुं.) सूयँवंशी राजा दिलीप का पुत्र, जिसने तपस्या कर गङ्गा को प्रसन्न किया और उन्हें इस लोक में प्रवाहित किया । भग्न, (त्रि.) टूटा फूटा । पराजित | भग्नप्रक्रम, (पुं. ) अलङ्कार कथित काव्य का दोष विशेष | भङ्ग, ( पुं० ) पराजय । हार । खण्ड । तिरछापन । भय । डर । पत्ररचना विशेष । जाना । पानी का निकास | सन | भाँग ( स्त्री . ) । भङ्गिी, ( स्त्री. ) विच्छेद । कौटिल्य | विन्यास | लहर | भेद । बहाना । भङ्गुर, (त्रि. ) कुटिल । स्वयं टूटने वाला । नदियों का घुमात्र । भङ्गन्य, (न. ) भाँग का खेत । भजू, (क्रि. ) बाँटना | सेवा करना | पकाना | देना । भया. भजमान, (त्रि.) बाँटने वाला । सेवक । न्यासपूर्वक प्राप्त धन | भट्, (क्रि. ) पालना | बोलना । भटित्र, ( न. ) कबाब । भट्ट, ( पुं. ) भाट । स्वामित्व । जाति विशेष | वेदज्ञ | परिडत | सभी शास्त्रों का मर्थज्ञ भट्टार, ( पुं. ) पूज्य | सूर्य भट्टारक, ( पुं. ) पूज्य बहुत पढ़ा हुआ। नाटक में राजा के लिये भी इस शब्द का प्रयोग होता है । भट्टिी, ( स्त्री. ) ब्राह्मणी नाटक की अकृताभिषेक रानी | भइ, (क्रि.) बहुत बोलना । भरण, (क्रि. ) कहना । भणिति, ( सी. ) कथन । कहना है भण्ड, ( पुं. ) गन्दे शब्द वोराने वाला | भद्, ( क्रि. ) प्रसन्न होना | कल्यास करना । भदन्त, ( पुं. ) पूजा गया । बौद्ध विशेष | भद्र, (न. ) मद्दल | सोना । मोथा । ज्योतिष का करण विशेष महादेव । रामचन्द्र | बलदेव । सुमेरु । ( स्त्री. ) ज्योतिष में २या, ७मी और १२शी तिथियाँ (त्रि.) साधु । श्रेष्ठ | भद्रज, (पुं.) इन्द्रजौ भद्रतुरग, (न. ) जम्बूद्वीप के नव वर्षों में से एक, जहाँ अच्छे घोड़े पाये जाते हैं : भद्रपदा, ( स्त्री. ) पूर्वा और उत्तरा भाद्रपदा नक्षत्र | सद्रश्रय, (न. ) चन्दन रस । सन्दल का वृक्ष। भद्रासन, (न. ) राजसिंहासन | नृपासन | भय, ( न. ) भय । अर भयङ्कर, (त्रि. ) डरावना | रस विशेष | भयानक, (पुं. ) डरावना | भेड़िया | राहु | रस विशेष | चतुर्वेदकोष | २५८ भर, ( पुं. ) अतिशय बहुत । पालन करने चाला । भरण, (न. ) पोषण । ( स्त्री.) घोंष लता । भरण्यभुज्, ( त्रि. कर्मचारी 1 मजदूरी | पकड़ना । मज़दूर | वैतनिक भरत, (पुं. ) जड़भरत नामक मुनि विशेष | नाट्यशास्त्र और अलङ्कारशास्त्र के निर्माता | भील । दरजी । खेत जुलाहा । राम के भाई जिनका जन्म कैकेयी के गर्भ से हुआ था | नट | दुप्यन्तपुत्र भरत | एक वह राजा जिनके कारण यह वर्ष भारतवर्ष कहा जाता है। भरतखण्ड, (न. ) जम्बूद्वीप के नव टुकड़ों में से एक, जिसे भरत ने प्रसिद्ध किया | भरतवर्ष 1 भरतवर्ष, (न. ) भारतवर्ष । भारतखण्ड । भरताग्रज, ( पुं. ) भरत के बड़े भाई श्रीरामचन्द्र । भरद्वाज, (पुं.) मुनिविशेष | पक्षीभेद । भर्ग, (पुं.) शिव । चमकने वाला पदार्थ | तेज । सूर्यान्तर्गत ईश्वरीय तेज । भागि भल्ल, (पुं. ) रीछ । भालू । अस्त्र विशेष | भव, (पुं.) जन्म उत्पत्ति । भवत्, (त्रि.) आप भवहिश, (त्रि. ) आपके समान । भवानी, ( स्त्री. ) पार्वती । दुर्गा । भवितव्य, ( न. ) अवश्य होने वाला | भवितव्यता, ( स्त्री. ). भाग्य । अदृष्ट | होनहार | A भविष्णु, (त्रि. ) होनहार | भवितव्यता | भविष्य-त्, (पुं.) आने वाला समय । भव्य, (त्रि. ) सुन्दर । होनहार । मङ्गल | शुभ | सत्य । योग्य भष, (क्रि.) भोंकना । भषक, (पुं. ) कुत्ता | भस्, (क्रि. ) चमकना | भस्त्रा, (स्त्री.) फुंकनी । धौंकनी | मसक । भस्मक, ( न. ) रोग विशेष जिसके कारण बहुत सा खाने पर भी भूख बनी ही रहती है। भस्मन्, (न. ) शिवजी को विभूति । भस्मसात् , ( श्रव्य ) पूरी तरह भस्म कर डालना । भादीप्ति, (क्रि. ) चमकना | भा, ( स्त्री. ) चमकना । प्रकाश भाग, ( पुं.) बाँट | अंश प्रकाश । भर्तृ, ( पुं. ) मालिक । पति | राजा । धाता । भर्तृदारक, (पुं. ) राजा का पुत्र भर्तृहरि, ( पुं. ) विक्रमादित्य का बड़ा भाई : एक राजा । भर्त्स, (क्रि. ) झिड़कना । तिरस्कार करना । भर्त्सन, (न. ) तिरस्कार युक्त वचन | भर्मू, (क्रि.) मारना । भर्म, ( न. ) सुवर्ण । मजदूरी । नाभि । सहारा । पालना । भार घर भर्व्, (क्रि.) मारना | भल, (क्रि.) मारना । भल्ल, (क्रि. ) देना । वध करना । निरूपण भागिन्, (त्रि. ) हिस्सेदार करना । भागिनेय, ( पुं. ) भानजा । चाही गयी । एक देश । भाग्य | राशि का तीसवाँ भाग। भागधेय, ( न. ) राजा का कर । सपिण्ड | भागवत, (त्रि. ) अठारह पुराणों से एक पुराण | भगवद्भक्त । वैष्णव । भगवत्सम्बन्धी | भागशस्, (अव्य. ) एक एक भाग का दान | भागहर, ( त्रि. ) अंशमाही । उत्तरा- धिकारी । भागी चतुर्वेदकोष | २५६ . • भागीरथी, ( स्त्री. ) गङ्गा | भागुरि, ( पुं. ) धर्मशास्त्र और व्याकरण का बनाने वाला एक मुनि विशेष | भाग्य, (न. ) अदृष्ट | हिस्सेदार | भाङ्गीन, (न. ) भाँग का खेत । भाज्, ( क्रि. ) पृथक् करना । भाजन, ( न. ) पात्र । वर्तन | योग्य | आसरा । भाज्य, (त्रि. ) वाँटने योग्य | भाटक, (न. ) भाड़ा | किराया। भाण, ( पुं. ) दृश्य कात्र्य विशेष । दूव । भाण्ड, (न.) पात्र | बर्तन | भाण्डार | पूजी ! भार्ग्या, ( स्त्री. ) विधिपूर्वक विवाही गयी नक्काल । नदी के दोनों तटों का बीच । स्त्री पत्नी । भाण्डारिन्, (पुं. ) भण्डारी । भाण्डिवाह्, ( पुं॰ ) नाई । भाति, ( स्त्री. ) चमक | मनोहरता । भाद्र, ( पुं. ) चैत से ६वाँ मास | पूर्व और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र भाद्रमातुर, (पुं.) सती का पुत्र | भानु, ( पुं. ) चाक का पौधा । सूर्य किरन | स्वामी । राजा । भानुमत् (पुं. ) सूर्य भानुमती, ( स्त्री. ) राजा विक्रमादित्य की रानी । भाम्, (क्रि. ) क्रोध करना । भाम, ( पुं. ) सूर्य | रोष वाली स्त्री । भामिनी, ( स्त्री. ) स्त्रीमात्र । विशेष कर वह स्त्री जो रोष करती है । भार, (पुं.) बोझा | आठ हजार तोले की तौल । भारत, ( न. ) वेदव्यास रचित इतिहास का महाग्रन्थ । भारती, ( स्त्री. ) सरस्वती । पक्षी विशेष | अलङ्कार की एक प्रकार की वृत्ति । संस्कृत भाषा | भारद्वाज, (पुं.) भरद्वाजगोत्री | द्रोणाचार्य | अस्त्य मुनि । पक्षी विशेष । वृहस्पतिपुत्र । बनैला कपास | भावा भारयष्टि, ( स्त्री. ) बोझ उठाने का डण्डा | खूँटी । भारवाह, (पुं. ) बोझ उठाने वाला | भारवि, (पुं. ) किरातार्जुनीय काव्य का रचयिता कवि । भारक, ( पुं. ) बोझ उठाने वाला । मंजूर | भार्गव, ( पुं. ) शुक्राचार्य । परशुराम | तीरन्दाज । हाथी । वेद की एक विद्या विशेष । ( श्री. ) पार्वती । लक्ष्मी । खाल, (न.) ललाट मस्तक | माथा । भालदर्शन, (न. ) सिन्दूर भालनेत्र, (पुं.) शिवजी जिनके मस्तक में नेत्र हो । भालाङ्क, (पुं. ) एक प्रकार का साग | स्त्र विशेष | सण्डासी । रोहू महती । महापुरुष के चिह्न वाला । शिव | कछुग्रा । भाग्यवान् मनुष्य भालु-लू+क, (पुं. ) रीछ । भाव, (पुं.) पसीना ।कम्प | साध्य सिद्ध वा क्रिया रूपी धातु का अर्थ | अनुराग | आशय । अस्तित्व | दशा परिस्थिति । भावक, (पुं. ) मन का विकार | पदार्थ को सोचने वाला उत्पादक भावक, (पुं. ) आपका भावना, (न.) चिन्ता ध्यान । पर्य्या- लोचना | चिकित्सा शास्त्र में दवाइयों का संस्कार विशेष | भावबोधक, (पुं.) शरीर की चेष्टा | मुख का सुर्ख होना । भावानुगा, ( स्त्री. ) छाया । टीका | आशय के पीछे जाने वाली भावि • चतुर्वेदीकोष । २६० भावित, (त्रि. ) साफ । चिन्तित | प्राप्त । पैदा किया | स्वीकृत । बाहिर हुआ । भाविनी, (स्त्री.) स्त्री विशेष जिसके मन में किसा प्रकार की चिन्ता है। साधरणतः स्त्रीमात्र । भावुक, (न. ) होनहार । फलाफूला | प्रसन्न | शुभ । काव्य की रुचि रखने वाला । ( पुं. ) ( नाटक में ) बहनोई । भाष, (क्रि. ) बोलना। भाषा, ( स्त्री. ) बोली । प्रतिज्ञासूचक वाक्य भाषापाद, ( पुं. ) अभियोग | दावा | भाषित, ( न. ) कहा हुआ | भाष्य, न. सूत्रों का व्याख्यान अन्ध्र, जैसे-व्याकरण पर पातञ्जल, ब्रह्मसूत्र भाष्य आदि । भास, (क्रि. ) चमकना मास, (पुं. ) चमक | गोष्ठ | कुत्ता | शुक्र | भासुर, (त्रि.) चमकने वाला | स्फटिक । वीर । ( पुं. ) कुष्ठ की दवा । भास्कर, (पुं. ) सूर्य | अग्नि | वीर | क का पेड़ । सिद्धान्तशिरोमणि ग्रन्थ का निर्माता । भास्करप्रिय, (पुं. ) पद्यरागमणि भास्वर, (त्रि.) सूर्य । दिन । आक । अग्नि ( पुं. ) | भास्वत, ( पुं. ) सूर्य । आक का पौधा | वीर | चमकने वाला | भिक्षु, ( क्रि. ) लालच करना । क्लेश देना | भिक्षा, ( स्त्री. ) भीख । भिक्षाक, (त्रि.) संन्यासी | भिखारी | भिक्षाशिन्, ( त्रि. ) भीख खा कर जीने वाला । भिखारी । संन्यासी | भिक्षु, ( पुं. ) भिखारी । संन्यासी । 'भिक्षुक, (पुं. स्त्री. ) भीख पर जीने वाला | भिखारी | संन्यासी | भुख भित्त, ( न. ) दीवार टुकड़ा | भित्ति, ( स्त्री. ) दीवार | अवसर | विभाग- करण। भिद्, (क्रि. ) दो टूक करना । बढ़ाना । भिदा, ( स्त्री. ) चीर फाड़ । विशेष वृद्धि | भिदुर, ( न. ) वज्र | सक्ष वृक्ष | तोड़ने वाला । भिन्दिपाल (पुं) विशेष । भिन्न, ( पुं . ) जुदा किया | फोड़ दिया । भिन्नाभिन्नात्मन्, (पुं. ) चने | भिल, (क्रि. ) फाड़ना । भिल, (पुं. ) भील | भिपू, (क्रि. ) चिकित्सा करना । भिपज्, (पुं.) वैद्य । चिकित्सक | भिस्सटा, ( स्त्री. ) दग्धान । सड़ा हुआ अन्न । भी, (क्रि. ) डरना | भी, ( स्त्री. ) भय | भीति, ( स्त्री. ) भय । कम्प | भीम, (त्रि.) भयानक । महादेव । भीमसेन | ( पुं. ) अमलतास । ( स्त्री. ) दुर्गा | भीमसेन, (पुं. ) युधिधिर का छोटा भाई | भीमैकादशी, ( स्त्री. ) ज्यशुक्ला एकादशी | भीरु, (त्रि.) डरपोक । शतावरी । भीरुक, ( पुं. ) गीदड़ भीषण, (पुं. ) भयानक | भीष्म, (पुं. ) गङ्गापुत्र | देवव्रत । भयङ्कर | भीष्मपञ्चक, (न. ) कार्तिक शुक्ला ११शी से १५शी तक पाँच तिथियाँ | भुक्ल, (त्रि. ) खाया हुआ | भोगा हुआ | भोजनसमुज्झित, (त्रि. ) अवशिष्ट अन जो भोजन के बाद छोड़ा जाता है । भुक्किप्रद, (पुं. ) मूँग । भुग्न, (नि.) कुबड़ा। भुज (कि. ) भक्षण करना । भुज, ( पुं. स्त्री.) बाहु । क्षेत्र की रेखा विशेष | हाथी की सूँड़ वृक्ष की शाखा | चतुर्वेदीकोष । २६१ भुजग, (पुं. ) साँप । आश्लेषा नक्षत्र | भुजगान्तक, ( पुं.) गरुड़ । सर्पहन्ता । भुजगाशन, ( पुं.) गरुड़ | सर्पभक्षक | भुजङ्ग, ( पुं. ) साँप । जार । श्रश्लेषा नक्षत्र | भुंजङ्गप्रयात, ( न. ) एक बन्द जिसके प्रत्येक पाढ़ में १२ अक्षर होते हैं । भुजङ्गम, (पुं. ) सर्प । साँप | भुजशिरस्, (पुं. ) कन्धा । भुजान्तर, (न. ) कोख । कुक्षि | गोद | भुजिष्य, ( पुं. ) दास । रोग । स्वतंत्र । हाथ का डोरा । ( स्त्री . ) दासी । वेश्या । भुवन, (न.) जगत् । दुनिया | लोग | चाकाश । १४ की संख्या । भुवनकोष, (पुं.) भूगोल । ज्योतिष का एक अन्थ । भुवर्, ( श्रव्य. ) आकाशस्वरूप दूसरा लोक । . भू, ( कि. ) पाना | साफ करना । होना । भूकेश, ( पुं. ) बड़ का पेड़ । सिवार । शैवाल । भूगोल, (पुं. ) पृथिवीमण्डल । भूच्छाया, (स्त्री.) पृथिवी की छाया । भूजम्बू, ( स्त्री. ) गेहूँ । फल विशेष । भूत, (त्रि.) उचित | पृथिवी | तेज | जल | वायु । आकाश । यथार्थ | पिशाच आदि । रूप रस गन्ध आदि विशेष गुण वाले पदार्थ | कुमार । योगियों के राजा । कृष्णपक्ष । सदृश । सत्य कृष्णा १४शी । भूतन्न, ( पुं. ) भोजपत्र | लहसन । ऊँट । ( स्त्री. ) तुलसी । भूतचतुर्दशी, ( स्त्री. ) यमचतुर्दशी, यह आश्विन कृष्ण और कार्तिक मास की कृष्ण तथा शुक्ल की चतुर्दशी है, इन चतुर्दशियों में यमराज को दीपदान किया जाता है। भूतधात्री, ( स्त्री. ) पृथिवी । भूतनाथ, (पुं. ) भैरव | महादेव । भूतनाशन, ( न. ) रुद्राक्ष | सरसों । भूतपक्ष, (पुं. ) कृष्णपक्ष । भूतभावन, ( पुं. ) विष्णु | बटुक भैरव | भूतयश, ( पुं. ) कौवा आदि जीवों के लिये अन्नदान | पश्चमहायज्ञों में से गृहस्थ के करने योग्य यज्ञविशेष बलि-वैश्वदेव । भूतल, ( न. ) पृथ्वी । भूतशुद्धि, ( स्त्री. ) शरीर का संस्कार जो मंत्र द्वारा किया जाता है । भूतहर, (पुं. ) गुग्गुल भूतात्मन, ( पुं. ) परमात्मा । विष्णु | बटुक भैरव । भूतावास, (पुं. ) विष्णु । बहेड़े का पेड़ | भूति, ( स्त्री. ) सम्पत्ति । जाति । अणिमा आदि आठ प्रकार की सिद्धियाँ | भूदार, ( पुं. ) सूअर | भूदेव, ( पुं. ) ब्राह्मण । भूधर, ( पुं.) पहाड़। भूप, ( पुं. ) नरेश । राजा भूपाल, ( पुं. ) राजा । नृपति । भूभुज्, ( पुं. ) भूपाल। राजा । भूभृत् (पुं. ) पहाड़ | राजा । भूमन्, ( पुं.) बहुत्व | भूमि-मी, ( स्त्री. ) पृथिवी | जिह्वा । एक की संख्या | भूमिका, ( स्त्री. ) रचना | पृथिवी । उपो- धात | छलने का भेष । मन की अवस्था | सीढ़ी | कक्षा | फर्श । भूमिज, ( पुं. ) भूमि का पुत्र । मङ्गलग्रह | नरक दैत्य, इसीका नाम भौमासुर है । भूमिरुह, ( पुं. ) वृक्ष । भूमिष्ठ, ( पुं) झुका हुआ | | भूमिस्पृश, ( पु . ) वैश्य | झुका हुआ | धरती पर रखा हुआ । म चतुर्वेदीकोष । २६४ म म, ( पुं. ) चन्द्रमा | शङ्कर । ब्रह्मा | यम | समय मधुसूदन | विष | विष्णु । गण विशेष | मध्यम स्वर । प्रसन्नता जल । मंहू, (क्रि. ) उगना । बढ़ना | देना | बोलना | चमकना | मक्, (क्रि. ) सजाना । जाना । मकर, (पुं. ) मगर । कामदेव के झण्डे का चिह्न । दसवीं राशि । एक प्रकार के कान का आभूषण कुबेर के नव कोषों में से एक व्यूह विशेष | मकरकुण्डल, (पुं.) कान का आभूषण जिसकी बनावट मगरमच्छ जैसी होती है । मकरकेतन, ( पुं. ) कामदेव | मत्स्यध्वज । मकरन्द, ( पुं. ) फूल का रस । कुन्द वृक्ष | तरी । कोइल । भौरा । आम का विशेष सुगन्ध वाला वृक्ष | मकुट, (न. ) ताज | मुकुट मकुर, ( पुं. ) दर्पण आईना । बकुल वृक्ष | कुम्हार की लकड़ी । फूल की कली । मक्कू, (कि. ) जाना । मक्कल, ( पुं. ) एक प्रकार का भयानक घोड़ा जो तरेट में होता है । मक्कुल, ( पुं. ) लाल खड़ी ! गेरू । मक्कोल, (पुं.) खड़िया | चाक । मक्षू, ( क्रि. ) गुस्सा करना । इकट्ठा करना । मक्षवीर्य, ( पुं. ) प्रियाल का पेड़ । मक्षिका, मक्षीका, (स्त्री.) मक्खी । मखु, ( क्रि. ) रिंगना | सरकना । जाना । मख, ( पुं. ) यज्ञ । ( त्रि. ) सुन्दर | चालाक । मग, (क्रि. ) सरकना | मग, ( पुं. ) सूर्योपासक । मच मगध, ( पुं. ) पाप या दोप को धारण करने वाला । एक देश विशेष । मगधेश्वर, (पुं. ) मगध देश का राजा | जरासन्ध | मगधोद्भवा, (सी.) पीपल | मध्, (क्रि. ) छल करना | सजाना | मघवत्, ( पुं. ) इन्द्र । मघवन्, ( पुं. ) इन्द्र । मघा, ( स्त्री. ) अश्विनी से दसवाँ नक्षत्र 1 मङ्क, (क्रि. ) चलना । सजाना । मङ्किल, ( पुं. ) वन की आग | मङ्कुर, ( पुं. ) दर्पण । मक्षण, ( न. ) पैरों का कवच | मं, (अन्य ) तुरन्त | बहुतसा । मङ्खु, मङ्ख, (पुं.) वन्दी | मङ्ग्, ( क्रि. ) चलना । मंङ्ग, ( पुं. ) नाव का सिरा । जहाज का एक भाग | मङ्गल, (त्रि.) एक अह । प्रशस्त । दुर्गा | r कुशा | शुभ | मङ्गलच्छाया, (पुं. ) वटवृक्ष । मङ्गलपाठक, (पुं.) स्तुति पाठ करने वाला। मङ्गलप्रदा, ( स्त्री. ) हल्दी | मङ्गल्य, (न. ) सोना । सिन्दूर | दही | बिल्व | मङ्गल्यक, (पुं. ) मसूर की दाल । मङ्गिनी, ( स्त्री. ) नाव। जहाज | भव, (क्रि. ) सजाना । मचू, (क्रि. ) ऊँचा करना । ठगना । अभिमान करना । पूजा करना । पकड़ना । मचर्चिका, (स्त्री. ) यह शब्द जब संज्ञा- वाचक शब्द के पीछे लगता है तो अपनी जाति में अच्छे को सूचित करता है जैसे गोमचर्चिका प्रशस्त । बहुत श्रेच्छा । मच्छ मच्छ (पं.) यह मत्स्य का अपभ्रंश है | इसका अर्थ है - बड़ी मछली । मज्जन, (न. ) स्नान । नहान । भज्जसमुद्भव, (न. ) शुक्र | वीर्य 1 मज्जा, (स्त्री.) हड्डियों का सार । वृक्ष का - सार अंश मज्जाज, (न. ) गुग्गल | मज्जारस, (पुं. ) वीर्य मज्जिका, ( स्त्री. ) मादा सारस | मञ्जूषा, ( स्त्री. ) पेटी । डलिया । मञ्च, ( कि. ) ग्रहण करना । ऊँचा होना । चलना । चमकना । सजाना । मञ्च, (पं.) खाट | ऊँचा मण्डप विशेष | मञ्चिका, ( स्त्री. ) कुर्सी 1 मञ्जु, (क्रि. ) साफ करना 1 धोना | शब्द करना मञ्जर, (न. ) फूलों का गुच्छा । मोती । तिलक वृक्ष मञ्जरि-री, ( स्त्री. ) नई निकली कोमल पत्तों की बल्लरी | मुक्ला । तुलसी । मञ्जा, ( स्त्री.) बकरी । बेल । फूलों का गुच्छा | मञ्जिका, ( बी. ) रण्डी । मञ्जिमन्, ( पुं. ) सुन्दरता । मञ्जिष्ठ, (पुं.) चमकीला | लाल | मञ्जिष्ठा, (स्त्री.) मजीठ | बेल विशेष | मीर, (न. ) विधिया । पायजेब । वह खम्भा जिसमें मक्खन निकालने की रई रस्सी से बाँधी जाती है । मञ्जील, (पुं.) वह गाँव जिसमें अधिकतर धोत्री बसते हों । मञ्जु, ( त्रि.) सुन्दर । मनोहर । मञ्जुघोष, (पुं. ) देवता विशेष | ( स्त्री. ) अप्सरा | मञ्जुल, (त्रि.) मनोहर । ( पुं. ) जल- निकुञ्ज । रङ्क पक्षी । ( मञ्जूषा, ( स्त्री. ) पेटी | पिटारी । |२६५ मरची, मटती, मद, (क्रि. ) नाश होना । निर्बल होना । ( स्त्री. ) ओला । मट्टक, (न. ) छत्त की मेड़ । मठ्र, (क्रि. ) रहना | चलना | पीसना | मठ, (पुं..) तपस्वियों के रहने का स्थान |

  • देवमन्दिर । पाठशाला

मठिका, ( स्त्री. ) मठी मड्, (क्रि. ) सजाना। मड्डु, } (पुं. ) वाक्यभेद । एक प्रकार का बाजा बड़ा डमरू । मडुक, मरपू, ( क्रि० ) बरोना । अज्ञात शब्द करना | मणि, १ ( पुं. स्त्री. ) रत्न | मट्टी का मटका | मणी, सर्वोत्कृष्ट कोई भी वस्तु | लिङ्ग का } ऊपरी भाग । मराड मणिकर्णिका, ( स्त्री. ) काशी का एक तीर्थस्थान | मणिकूट, ( पुं. ) उत्तर देश का एक पहाड़ | मणित, ( न. ) मैथुन के समय स्त्रियों का धीरे धीरे अव्यक्त शब्द करना | मणिपुर, ( न.) मनीपुर नामक एक नगर या राज्य | मणिबन्ध, ( पुं. ) हाथ का पहुँचा | सेंधे नमक का पहाड़ | मणिमण्डप, (पुं. ) मणियों का मण्डप ( घर ) | मणिबीज, ( पुं. ) अनार मणिसर, (पुं. ) मणियों का पिरोया हुआ हार । मणीव, (अन्य ) मणि की तरह । मण्ड, ( पुं. न. · माँड़ । आँवला सब अन्नों का सार ( स्त्री. ) शराब | ( पुं. ) अण्डी का पेड़ । साग विशेष | मेंडक । मण्डन, (पं.) गहना। सजाना। मण्ड चतुर्वेदीकोष । २६६ मण्डप, ( पुं. न. ) देवादिगृह | थोड़े दिनों i के लिये खड़ा किया गया मगडवा । खीमा । निकुञ्ज | देवगृह | मण्डल, (न. ) गोल आकार का | चार सो योजन का एक देश । वृत्त । मत्स्यराडी, १ ( बी. ) विना साफ की गोल | चौक यथा गृहमण्डल, सर्वतोभद्र | मत्स्यण्डिका, } हुई खाएड | राब | नखाघात । बारह राजाओं का समूह | मण्डल । कुत्ता साँप | मण्डलनृत्य, (न. ) चक्र बाँध कर नाचना | मण्डलाधीश, ( पं . ) मण्डनेश्वर | चार सौ योजन पचत नृमि का सामी | मण्डलिन, ( पुं. ) बुरियादार सांप | बिल्ला | बड़ का पेड़ | मण्डित, (नि.) मृपित । मण्डूक, (पं. ) मैक | गुनि निशेष | भराडूर, (न. ) लोहे का मैल | मत, (त्रि. सन्मत। माना गया । ज्ञात | पूजा गया । ( न. ) आशन | पूजा | मतङ्ग, (पुं.) मे | वादल | एक मुनि | मतङ्गज, ( पुं. ) गज | हाथी | मतल्लिका, ( सी. ) प्रशन | भला । मति, ( स्त्री. ) ज्ञान । स्मृति | मतिभ्रम, ( पुं. ) बुद्धि का फेर । मतिविभ्रम, (पुं. ) उन्मादुरोग | पागल- पन । मप्तवारण, ( पुं. ) मरत | हाथी । i मत्र, (किं. ) गुप्त बात चीत करना । भत्क, (पुं. ) खटमल । मेरा । मत्कुण, ( पुं. ) खटमल | मत्कुसारि ( पुं. ) भाँग | मत्त, ( पुं. ) दुद | मदयुक्त | प्रसन्न । मतफाशिनी, १ ( स्त्री. ) उतम योषिता । भक्तकासिनी, मस्त थी | साधारण स्त्री | मतमयूर, ( पुं. ) बादल । एक प्रकार का छन्द | मत्सर, (पुं. ) ईर्ष्या । ( स्त्री. ) मक्खी | मदं कृपण मत्स्य, (पुं. ) मद्दती । मत्स्यधानी, ( स्त्री. ) मछली रखने का पात्र | मत्स्यरस, (पुं.) मछरना एक प्रकार का पक्षी मत्स्यराज, ( पुं. ) रोहित मछली | विराट का नाम । मत्स्यवेधन, (न.) मछली फँसाने की वंशी | पानकौड़ी | मत्स्योदरी, (खी. ) मत्स्यगन्धा | वेदव्यास की माता काशी में एक तीर्थ विशेष | मथु, ( कि. ) बिलोना । मथना । भारना | मथन, ( न.) मारना । केश देना । बिलोना । मथित, (त्रि. ) हत | मारा गया। विना पानी का माठा | चाह | मथुरा, १ ( श्री. ) श्रीकृष्ण की जन्मभूमि | मथुरा, प्राचीन शरसेन देश की राजधानी | मझ्, (क्रि. ) अभिमान करना । प्रसभ होना । , मदू, ( पुं. ) हाथी के गाल का पानी | ग्रामोद | | वीर्य | कस्तूरी मस्ती | कल्याण- कारी पदार्थ | सदकट, (पुं. ) चीनी । लाण्ड । मदकल, ( पुं.) बहुत मस्त मतवाला हाथी । मदगन्ध, (पुं. ) सप्तळद वृक्ष | शराब | मदन, ( पुं. ) कामदेव । वसन्त । मौसिम । मदनचतुर्दशी, (स्त्री.) चैत्रशुक्ला चतुर्दशी | मदनमोहन, ( पुं. ) श्रीकृष्ण देव | मदनावस्था, (स्त्री, ) उन्मत्त दशा | चतुर्वेदीकोष । २६७. मेघ । सयित्नु, ( पुं. ) कामदेव । कलवार । ( त्रि. ) मादक । ( न. ) मदिरा | मद मदालापिन्, (पुं. ) कोइल | 1 मत्त । ( स्त्री. ) नारी । मदिरा, ( स्त्री. ) शराब | लाल कत्था | मदोत्कट, ( पुं.) मत गज । ( स्त्री.) शराब | ( त्रि. ) मस्त | मदोदन, ( मदोद्धत, (त्रि. ) मत्त । मद्गु, ( पुं. ) एक प्रकार का साँप | नौका | जन्तु विशेष | दोगला | बगुला | मद्य, (न. ) मदिरा | मद्र, ( पुं. ) देश विशेष । प्रसन्नता । मछन्, ( गु.) नशीला | मादक ( पुं. ) शिव | मधव्य, ( पुं. ) वैशाख मास । मधु, ( न. ) शहद | पुष्पपराग शराब | जल | चीनी । मिठाई । सोम रस । एक दैत्य | चैत्र मास । वसन्त ऋतु । अशोक वृक्ष । मुलहठी । मधु-श्रष्ठीला, ( स्त्री. ) शहद का छत्ता । मधु-श्रधार, (न.) मोम | मधुश्रा, ( पुं. ) आम विशेष । मधुकर, (पुं. ) भौरा । मधुक्षीर, (पुं.) खजूर का पेड़ | मधुज, ( न. ) मोम । मधु दैत्य । मेद से उपजी । मधुजित्, ( पुं. ) विष्णु । मधुत्रय, ( न. ) शहद, घी और मिश्री । मधुप, ( पुं. ) भौंरा । मधुपर्क, (न. ) दही, घी, पानी, शहद और मिश्री । काँसे के पात्र में रखा शहद और दही । 1 मधुपुरी, ( स्त्री. ) मथुरा । मधुमक्षिका, (स्त्री.) शहद की मक्खी । मधुमत्, (त्रि. ) चित्तवृत्ति विशेष । वेद की तीन ऋचाएँ । तान्त्रिक एक देवी · मध्य मधुयष्टि (स्त्री.) मुलहठी मधुर, (पुं. ) मीठा | मनोहर । ( प्रि. ) प्रिय | ( पुं. ) खाल गन्ना | गुड़ जीरा । धान । मधुरस, (पुं. ) गन्ना । पानी । मधुरस्रवा, (स्त्री.) पिण्डखजूर | मधुलिहू, (पुं. ) भ्रमर । मधुवन, (न.) मथुरा क्षेत्र में एक स्थान विशेष | किन्धा नगरी में सुप्रीव का बगीचा | -मधुवार, (पुं.) बारम्बार मद्यपान । मधुवीज, ( पुं. •) अनार । मधुशेष, (पुं. न. ) मोम | • मधुसख, (पुं.) कामदेव । मधुसूदन, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | भौंरा । शाक विशेष | पलाँकी का शाक। मधुस्वर, (पुं. ) कोकिल | मीठी आवाज | मधुहन्, (पुं.) विष्णु । नारायण । मधूच्छिष्ट, ( न. ) मोम | मधूपघ्न, (पुं. न. ) मथुरा नगरी । मध्य, (पुं. ) बीच | कमर | पेट | बीच की अङ्गुली । मध्यगन्ध, ( पुं. ) श्रम का फल और पेड़ | . मध्यतस् ( न. ) बीच । बीच से और बीच में । मध्यदेश, ( पुं. ) कमर । हिमालय और विन्ध्याचल का बीच देश विशेष मध्यन्दिन, ( न. ) मध्याह्न | दोपहर | इस नाम की शाखा मध्यपदलोपिन्, ( पुं. ) व्याकरण का समास विशेष । मध्यम, (त्रि. ) बीच का । मध्यमक, ( गु. ) बीच का मध्यमिका, ( स्त्री. ) लड़की जो ऋतुधर्म की अवस्था को पहुँच चुकी हो । मध्यमपाण्डव, (पुं. ) अर्जुन । चतुर्वेदकोष | २६८ मध्यमभृतक, ( पुं. ) किसान | नौकरी मनसिज, ( पुं॰ ) कामदेव । पा कर खेती करने वाला मनसिशय, ( पुं. ) कामदेव अध्य मध्यमलोक, (पुं. ) पृथिवी | मध्यमसंग्रह, ( पुं. ) साधारण झगड़ा, जिसका कारण यह हो कि पराई स्त्री के पास माला मिठाई आदि भेजना | “ प्रेषणं गन्वमाल्यानां धूपभूषणवाससाम् । प्रलोभनं चानपानैर्मध्यमः संग्रहःस्मृतः ॥ " तीन प्रकार के दुण्डों में से दूसरे प्रकार का दण्ड | मध्यमसाहस, (पुं. ) पाँच पण का दण्ड जोर से कोई कार्य करना । दूसरे के वस्त्रों को फंफना या फाड़ना । मध्यमा, ( सी. ) ऋतु वाली स्त्री | बीच को ली। कमल की डराडी । हृदयोद्भवा एक प्रकार की वाणी । मध्यमाहरण, ( न. ) प्रसिद्ध अव्यक्त मान को बतलाने वाली गणना। मध्यरात्र, ( पुं. ) निशीथ | आधी रात | मध्यवर्तिन, (त्रि.) मध्यस्थ | विचवनिया | मध्यस्थ, (पुं. ) बीच में पड़ने वाला । सध्या ( स्त्री. ) नायिका विशेष मध्यमा अङ्गुली । छन्द जिसका पाद तीन अक्षर वाला होता है | मध्याह्न, (पुं.) दोपहर | दिन का बीच । मध्वक, (पुं. ) मधुमक्षिका | सध्वासव, (पुं.) मदिरा | शराब | मध्विजा, ( सं. ) नशीला कोई आसव | मदिरा | मन्, (क्रि. ) पूजा करना । अभिमान करना | जानना | विचारना । अनुमान करना । मान करना । मनःशिला, ( ( स्त्री. ) लाल रङ्ग की एक धातु । मनसिल । मनस्, ( न. ) मनसिल । मन । मनसा, (स्त्री.) आस्तीक मुनि की माता । जरत्कारु की पत्नी | मनु मनस्कार, ( पुं. ) मन का सुखेच्छु होना | मनस्ताप, ( पुं. ) पश्चात्ताप | मन की पीड़ा | मानसिक दुःख । मनस्विन्, (त्रि.) अच्छे मन का | धीर । पण्डित । दृढ़ चित्त वाला मनाक्, ( अव्य. ) थोड़ा । धीरे थोड़ा सा | मनाका, ( स्त्री. ) हथिनी मनावी-यी, ( स्त्री. ) मनु की स्त्री । मनित, (त्रि.) जाना हुआ। मनीक, ) आँख का कीचड़ | मनीषा, ( स्त्री. ) बुद्धि | इच्छा | चाह समझ | वैदिक सूक्क या गीत | मनीषिका, (स्त्री..) समझ | बुद्धि । मनीषित, ( गु. ) चाहा हुआ | अभिलषित मनीषिन्, (पुं. ) परिडत | बुद्धि वाला | मनु, ( स्त्री. ) एक प्रजापति | मानव शास्त्र के निर्माता । ब्रह्मा से उत्पन्न । मनु + [अन्तर ( मन्वन्तर ), ( न. ) मनु क आयु का ७१ चौयुगी ब्रह्मा के दिन का चौदहवाँ हिस्सा | 1 मनुज, ( पुं. ) मनुष्य | मन से उत्पन्न | मनुजा, ( स्त्री. ) स्त्री । मनुज्येष्ठ, ( पुं. न. ) तलवार मनुश्रेष्ठ, (पुं. ) विष्णु का नाम मनुसंहिता, ( स्त्री. ) मानवधर्मशास्त्रा मनुष्य, (पुं. ) आदमी । नर । मनुष्य जाति । मनुष्यधर्मन्, ( पुं. ) कुबेर | धन के राजा | मनुध्ययज्ञ, (पुं. ) अतिथिसत्कार | मनुष्यलोक, ( पुं. ) विनाशशील देह- धारियों का लोक । पृथिवी मनुष्यविश, ( पुं. ) मानव जाति । मनुष्यशोणित, (न. ) मनुष्य का रक्त । मनुष्यसभा, ( स्त्री. ) नरों की सम्मेलभी । . मनु चतुर्वेदीकोष | २६६.. ( सं . ) श्रादमियत । इन्सानियत । मनुष्यता, मनुष्यत्व, मनोतृ, ( पुं. ) आविष्कारकर्त्ता । प्रबन्धक । मनोजव, ( त्रि. ) मन के समान वेग काला | बड़े वेग वाला । ( स्त्री. ) आग की जीभ । मनोजवृद्धि, ( पुं. ) कामवृद्धि वृक्ष । मनोश, ( त्रि. ) मनोहर | सुन्दर | मनसिल | ( स्त्री. ) मदिरा । मनोभव, (पुं. ) कामदेव । मनोरथ, ( पुं. ) इच्छा | अभिलाष | मनोरम, (त्रि.) मनोहर । सुन्दर । ( स्त्री. ) गोरोचना । मनोहर, (त्रि.) मनोरम | रुचिर | सुन्दर | ( पुं. ) कुन्द का वृक्ष । ( न. ) सोना । मञ्ज, (क्रि.) पोंबना । मन्तु, ( पुं. ) अपराध | मनुष्य । प्रजापति । मंत्र, ( पुं. ) परामर्श । वेद का भाग विशेष ऋचायें । देवता की सिद्धि के लिये वाक्य समूह विशेष | . मंत्रजिह्व, ( पुं. ) अग्नि । • मंत्रदातृ, ( पुं गुरु | मंत्रिन्, ( पुं. ) अमात्य | सचिव | दीवान । मन्थ्, ( कि. ) बिलोना । रिड़कना ।

मन्थ, (पुं. ) मथानी । सूर्य | आक का वृक्ष | 'आँख का कीचर | किरण | मन्थज, ( न. ) नवनीत । मक्खन | मन्थन, ( पुं. ) मथनी । रई । मन्थर, (त्रि.) धीमा | मन्द | मूर्ख | सुस्त | टेढ़ा । कीप । सूचक । केश । कोष । ताज़ा नवनीत । मथानी | रुकावट । ( पुं. ) फल । ( स्त्री. ) कैकेयी की दासी मन्थरा | मन्थरु, (पुं.) चौरी का पवन । मन्थान, (पुं.) मथनी । शिव । मन्थिन्, (क्रि. ) चिलने वाला । सोमजता का रस | वर्तन विशेष | मन्धु- मन्थशैल, (पुं. ) मन्दार नामक पर्वत । मन्द, (त्रि. ) सुस्त । मूर्ख । मृदु । अभागा रोगी | थोड़ा | स्वतंत्र । खुला नीच | शनिग्रह | हाथी विशेष यम । प्रलय सूर्य्यसंक्रमण । मन्दग, ( त्रि. ) धीरे २ जाना | सुस्त । मन्दरता, ( स्त्री . ) मन्दपना । आलस्य जड़ता । मन्दर, (पु.) इस नाम का एक पर्वत । मन्दार का पेड़ । स्वर्ग । हार विशेष दर्पण । ( त्रि.) बहुत । मँन्द । मन्दाकिनी, ( स्त्री. ) स्वर्गगङ्गा | आकाश - गङ्गा । • मन्दाक्रान्ता, ( स्त्री. ) छन्द जिसके प्रत्येक चरण में १७ अक्षर होते हैं 1 मन्दाक्ष, (न. ) लज्जा | कम दृष्टि । मन्दाग्नि, ( पुं. ) पाचन शक्ति की क्षीणता | अनपच रोग | धीमी आँच मन्दिर, (न. ) घर । विशेष कर देव- स्थान | पुर | शिबिर | समुद्र । घुटने के पीछे का भाग | मन्दिरपशु, ( पुं. ) बिल्ली । मन्दिरमणिः, (पुं. ) शिव का नाम । मन्दिरा, ( स्त्री॰ ) घुड़साल । अस्तबल । मन्दुरा, ( स्त्री. ) घुड़ताल | अस्तबल | चटाई । मन्दोदरी, ( स्त्री. ) मय दानव की कन्या | रावण की पटरानी । मन्दोष्ण, ( न. ) थोड़ा गरम । गुनगुना । मन्द्र, ( पुं. ) नीचा | गहरा । पोला । खड़- खड़ाहट ( शब्द ) । प्रसन्नकर । हर्षप्रद । प्रशस्य | धीमा शब्द । एक प्रकार का ढोल | हाथी विशेष | मन्धातृ, (पुं.) बुद्धिमान् पुरुष | भक्त । मन्मथ, ( पुं. ) कामदेव | कैथा का पेड़ | मन्धु (पुं.) दीनता । कायरपन | यज्ञ | क्रोध | चंहङ्कार | सन्यु मन्यु, ( पुं. ) क्रोध | शोक | दुःख | दुरवस्था | नीचता । बलि । उत्साह । श्रभिमान | शिव । अग्नि । मन्वन्तर, ( न. ) सत्ययुग आदि ७१ चौक- ड़ियाँ | ३११४४८०० वर्षों का समय | मन, (क्रि. ) जाना । मम, ( श्रव्य. ) मेरा | ममता, ( स्त्री. ) मेरापन | स्नेह | ममापताल, ( पुं.) ज्ञानेन्द्रिय | मबू, (क्रि. ) जाना । अम्मट, ( दु. ) काव्यप्रकाश ग्रन्थ के रचयिता । मयू, (कि. ) जाना । चतुर्वेदीकोष | २७० ( पुं. ) एक दैत्य | ऊँट । खच्चर । मय, मयट, (पुं. ) झोंपड़ी । मयष्टक, मयुष्टक, मयस, ( न. ) हर्ष । सन्तोष । मयु, ( पुं. ) किन्नर | हिरन । बारहसिंहा । मयूख, (पुं॰ ) चमक । किरन । शिखा । शोभा मयूखिन्, (त्रि.) चमकला । भड़कदार । मयूर, ( पुं. ) मोरपक्षी । पुष्प विशेष । सूर्यशतक काव्य के निर्माता का नाम । समय मापक यन्त्र विशेष ( पुं. ) एक प्रकार की सेम या छीमी । } ( पुं॰ ) कार्तिकेय का नाम । मयूरकेतु, मयूररथ, मयूरारि, ( पुं. ) गिरगट । कृकलास । मर, ( पुं.) वैदिक प्रयोग में आता है, इसका अर्थ है-मृत्यु । पृथिवी । मरक, (पुं.) महामारी । छुआछूत की बीमारी | मरकत, (न. ) पन्ना | हरे रङ्ग की मणि । इसके धारण करने से छुआछूत या महामारी का भय नहीं रहता । S ८ मरत, ( पुं. ) मृत्यु | मरन्द, मरन्दक, } ( पुं. ) मकरन्द्र । पुष्पपराग । मरार, (पुं. ) अनाज की खत्ती । मराल, ( पुं. ) राजहंस । कञ्चल । कारण्डव | घोड़ा । बादल | नीच। अनार का वन | चिकना | मर्क मरिधि, } ( पुं. ) एक मुनि । किरण । मरीचि, कृपण | सूम ब्रह्मा के दस मानसिक पुत्रों में से एक स्मृतिकार का नाम | श्रीकृष्ण का नाम । मरीचिका, ( स्त्री. ) मृगतृष्णा | मरीसृज, ( त्रि. ) बार बार रगड़ने वाला | मरु, ( पुं. ) पर्वत | रेगस्तान | मारवाड़ देश | मरुक, ( पुं. ) मोर | मरुण्डा, ( स्त्री. ). बड़े माथे वाली स्त्री । मरुत्, ( पुं. ) वायु | मरुत, ( पुं. ) चन्द्रवंशी एक राजा । मरुत्पथ, (पुं. ) आकाश । मरुत्पाल, (पुं. ) इन्द्र | देवराज | मरुत्वत्, (पुं.) इन्द्र | मरूक, मरोलि, मरोलिक, ) जाना | मर्कक, (पुं. ) मकड़ी । मकड़ा | मर्क, (क्रि. ) मरण, (न. ) मरना । मृत्यु । मरणशील, (त्रि. ) मरने वाला । मरने के मर्कट, ( पुं. ) बन्दर । मकड़ी | सारस विष 1 स्वभाष वाला | विशेष | मरुत्सख, (पुं. ) इन्द्र | चित्रक वृक्ष | मरुदान्दोल, ( न. ) पङ्गा । मरुदिष्ट, (पुं. ) गुग्गुल मरुभू, (पुं.) मारवाड़ देश । जलरहित देश | मरुल, (पुं. ) एक प्रकार की बत्तक । मरूव, ( पुं. ) राहु । पौधा विशेष | मरूवक, मरूवक, } ( पुं. ) श्याघ्र। राडु । सारत ॥ ( पुं. ) मोरपक्षी । 2 ( पुं. ) समुद्र का एक जीव | मकर | नक्र | मगर । चतुर्वेदी मर्कटीजाल, ( न. ) छन्द शास्त्र में एक चक्र विशेष जिससे लघु और गुरु का विचार किया जाता है । मर्कर, (पुं. ) भृङ्गराज वृक्ष । भाण्ड | ( स्त्री. ) बाँझ स्त्री | मर्करा, ( स्त्री. ) बर्तन | गुफा | बन्ध्या स्त्री । मर्च्, (क्रि. ) खैना | साफ करना । बजाना । जाना• डराना । चोट लगाना | भय में डालना । मर्जू, ( पुं. ) धोबी | गुदा भञ्जन कराने वाला । म. (क्रि.) । मर्त्त, ( पुं.) मनुष्य | पृथिवी | मरणशील | मर्त्य, (त्रि. ) मरणशील । मनुष्य । मर्त्यलोक, ( पुं ) वह लोक जिसमें मरणशील देहधारी रहते हैं। मनुष्यलोक | मर्दल, (पुं. ) एक प्रकार का ढोल । मर्क मई, ( न. ) पिसा हुआ । कुटा हुआ । चूर्ण किया हुआ | • मईन, (न. ) चूरा करना । पीसना । मलना । मर्दित, (त्रि.) चूर्णित । मर्व, (क्रि. ) जाना | मरना । मर्मज्ञ, (पुं. ) तत्त्वज्ञ | रहस्यवेत्ता । कर्मन्, (न. ) कोमल । सन्धिस्थान | सार । भेद । तात्पर्य्य । मर्झर, ( पुं. ) मरमर शब्द | ( स्त्री. ) हलदी। मर्मरी, ( स्त्री. ) इमली । मर्मरीक, (पुं.) गरीब मनुष्य | खोटा मनुष्य | मर्मस्पर्शी, (त्रि. ) मर्म्मपीडक ।- मर्य, ( त्रि. ) मरणशील । मर्या, ( श्रव्य. ) सीमा । हृद । ( पुं. ) मनुष्य | मर्यादा, (स्त्री.) सीमा | तट | मल्, (क्रि. ) अधिकार करना । पकड़ना । मल, (पुं.) मैल | पाप । विष्ठा । कोट । काई । पसीनां । कफ 1 कपूर । कृपण | | २७१. मलंघ्नं, ( पुं. ) शाल्मलीकन्द । मलद्राविन्, (पुं. ) जमालगोटा | मलमास, (पुं.) लौंद का मास । अधिक महीना | मलय, ( पुं. ) नन्दनवन | पर्वत विशेष के निकट का स्थान | नवद्वीपों में से एक। ऋषभदेव का एक पुत्र | मलयज, ( न. ) चन्दन | मलय देश का पवन | मलाका, ( स्त्री. ) दूती । हथिनी | कामा- तुरा स्त्री । ● मल्लु मलि, ( स्त्री. ) अधिकार | विलास | मलिक, ( पुं. ) राजा | अधिपति । मलिन, (त्रि.) मैला । दूषित | सड़ा हुआ । दागदगीला | सुहागा मलिम्लुच, ( पुं.) डाँकू चोर | राक्षस मच्छर | पवन | अग्नि | पञ्चमहायज्ञ नित्य न करने वाला ब्राह्मण । चित्रक वृक्ष | कोहरा । बर्फ ।

मलिष्टा, ( स्त्री. ) रजस्वला स्त्री | मलीमस, ( गु. ) मैला । अपवित्र | काला | दुष्ट । पापी । लोहा । मल्ल, (क्रि. ) पकड़ना । मझ, (पुं.) पहलवान । प्याला । गण्डस्थल । वर्णसङ्कर विशेष । विशेष मलक, ( पुं. ) डीवट ( दीपक रखने की ) । मलभू, ( स्त्री. ) अखाड़ा | मलयुद्ध, (न. ) कुश्ती । मलार, ( पुं. ) छः रागों में से एक राग । मलि, } ( स्त्री. ) मालती की बेल । मलिनाथ, (पुं.) एक विद्वान् । रघुवंश आदि ग्रन्थों के प्रसिद्ध टीकाकार । मलिका, ( स्त्री. ) एक प्रकार का हंस | जिसकी चोंच पीली होती है | माघ मास | मालती । मञ्जीकर, (पुं. ) चोर । मल्लु, (पुं.) री | मल्लू मल्लूर, ( पुं. ) लोहे की जङ्ग । मव्, ( कि. ) बाँधना | जकड़ना | भव्य, मश, (क्रि. ) क्रोध करना। मिनभिनाना । 'चतुर्वेदीकोष | २७२ मश, १ ( पुं. ) मच्छर । मच्छर का शब्द | मशक, क्रोध मशकिन, (पुं.) उदुम्बर का पेड़ | मशहरी, ( स्त्री. ) मसहरी । मशी, मसी, मशुन, ( पुं. ) कुत्ता । ( स्त्री. ) स्याही | मधू, (क्रि. ) मार डालना । घायल करना | मसू, (क्रि. ) तौलना । मापना । रूप बदलना। मस, (पुं.) माप या तौल विशेष । मसरा, ( स्त्री. ) मसूर मसार, मसारक, } (पुं॰ ) रत्न विशेष । पना । मसि, ( स्त्री॰ पुं. ) स्याही ॥ मसिधान, (न. ) दवात | मसिपण्य, ( पुं. ) मुंशी | बाबू | लेखक | मसिप्रसू, ( स्त्री. ) लेखनी । स्याही की बोतल । मसिक, ( पुं. ) साँप का बिल । मसिन, (त्रि. ) अच्छे प्रकार पिसा हुआ | मसीना, (स्त्री.) अलसी । मसूर, (पुं.) मसूर की दाल । तकिया । वेश्या । मसूरक, ( पुं. ) तकिया । इन्द्र की ध्वजा का आभूषण विशेष । मसूरिका, ( स्त्री. ) चेचक का रोग । कुटनी। मसहरी । मसूरी, ( स्त्री. ) छोटी माता या चेचक | मसुण, (त्रि.) चिकना | कोमल । नरम | प्यारा । मस्क, (कि. ) जाना । गवि । मस्कर, (पुं. ) बाँस । पोला बाँस | ज्ञान | जाना । महा मस्करिन, (पुं. ) संन्यासी | चन्द्रमा | मस्ज, (क्रि. ) नहाना । इबकी मारना । हवना । } ( न. ) माथा । मस्तकस्नेह, (पुं. ) भेजा | मराज | मस्ति, ( स्त्री. ) नापना । तौलना । मस्तिष्क, (न. ) मराज | भेजा | मस्तमूलक, (न. ) गरदन | गला | मस्तु, ( न. ) खट्टी मलाई । दही का पानी । मह, (क्रि.) मान करना। पूजा करना चमः मस्त, मस्तक, कना । बढ़ना । । मह, (पुं. ) उत्सव | तेज | यज्ञ | भैंसा । ) प्रसिद्ध पुरुष । कच्छप । महक, विष्णु । महक्क, (पुं.) दूर तक फैली हुई गन्ध | मंहत्, (त्रि. ) विपुल | बड़ा । बूढ़ा । महती, (स्त्री. ) नारद बाबा की वीणा | महत्तत्त्व, ( नू. ) बड़ा तत्व | बुद्धि । महर्लोक, (पुं. ) भू आदि ऊपर के सात लोकों में से एक । महर्षि, (पुं.) वेदव्यास आदि बड़े ऋषि । महसू, (न.) तेज | यज्ञ । उत्सव | महा, (स्त्री.) गौ । बड़ा । महाकाय, ( पुं. ) बड़े शरीर वाला शिवजी का नन्दी | हाथी | स्थूल शरीर वाला । महाकार्तिकी, ( स्त्री. ) रोहिणी नक्षत्र वाली कार्तिक की पूर्णिमा | महाकाल, (पुं.) शिवजी । एक बैल | भैरव विशेष । महाकाव्य, (न. ) आठ से अधिक सर्ग वाला काव्य । महाकुल, (न. ) बड़ा कुल । जिसमें दस पीढ़ी तक वेद का पढ़ना पढ़ाना चला आतां हो । महा चतुर्वेदीकोष | २७३' महागन्ध, (न.) हरिचन्दन । ( स्त्री. ) नागबला | महागुरु, ( पुं. ) माता पिता । आचार्य । दान की गयी कन्या का पति । महाग्रीव, (पुं. ) ऊँट महाङ्ग, (पुं.) ऊँट । गोक्षुरक । महाच्छाय, ( पुं. ) वट वृक्ष । महाजन, ( पुं. ) वेद के वाक्यों में विश्वास करने वाला पुरुष । आस्तिक । श्रेष्ठ पुरुष | महाज्यैष्ठी, ( स्त्री. ) विशेष लक्षण वाली जेठ मास की पूर्णिमा । महाढ्य, ( पुं. ) कदम्ब का पेड़ | बड़ा धनी । महातल, (न.) नीचे के लोकों में से पाँचवाँ पाताल | महातारा, ( स्त्री. ) जैनियों की देवी । महावीक्ष्ण, (स्त्री.) मिलावा । बहुत तेज | महातेजस्, (पुं.) पारा । अतितेजस्वी | कार्तिकेय | अग्नि । ? महात्मन्, (त्रि. ) बड़े आशय वाला । महादान, (न. ) बड़ा दान | महादेव, (पुं.) शिव । महाद्रुम, ( पं. ) अश्वत्थ वृक्ष । महाधन, ( पुं. ) सुवर्ण महाधातु, (पुं.) सोना महानदी, ( स्त्री. ) गङ्गा महानन्द; ( पुं. ) मोक्ष । माघ शुक्ला हमी । सुरा। अतिशय आनन्द । एक नदी । महामन्दि, ( पुं. ) कलियुग का अन्तिम भारतवर्षीय नरेश । महानवमी, ( श्री. ) आश्विन मास की शुक्ला नवमी । महानस, (न.) पाकस्थान रसोईघर । महानाटक, (न. ) हनुमन्नाटक नाटक विशेष । महानाद, ( पुं. ) बड़े शब्द वाला | हाथी । सिंह । बादल । ऊँट महानिद्रा, ( स्त्री. ) बड़ी नींद । मृत्यु | मौत | महा | महानिशा, ( स्त्री. ) रात्रि के मध्यभाग के दो प्रहर महानुभाव, (पुं. ) महाशय । बढ़े विचार चाला | महापथ, (पुं. ) बड़ा मार्ग | बड़ी सड़क । हिमालय के उत्तर स्वर्ग जाने का मार्ग । महापद्म, (पुं. ) नाग विशेष कुबेर का भण्डार। एक राजा | महापातक, (न. ) ब्रह्महत्या सुरापान, चोरी, गुर्वचनागमन और इन चारों के साथ मेल रखना - ये महापातक हैं। महापुराण, ( भ. ) सृष्टि आदि दश लक्षण युक्त व्यास रचित पुराण महापुरुष, (पुं.) सुरश्रेष्ठ । नारायण । महाप्रलय, (पुं.) ब्रह्मा के आयुष्य की समाप्ति में जब वे अपने रचे सब पदार्थों को विलीन करते हैं । घोर प्रलय । महाप्रसाद, ( पुं. ) जगन्नाथजी का प्रसाद | महाप्राण, (पुं.) द्रोण नामक एक काक | अक्षरोच्चारण का बाह्यप्रयत्न विशेष | महाफल, (पुं. ) बेल : ( बी. ) इन्द्र- वारुणी । महाबल, (पुं. ) बड़े बल वाला । वायु । बुद्ध | सीसा | महाभारत, ( पुं. न. ) संस्कृत का वेदव्यास रचित इतिहास का बड़ा अन्य इसमें १ लक्ष श्लोक हैं । इसका दूसरा नाम पञ्चम वेद भी है । महाभीता, ( स्त्री. ) छुईमुई | लज्जालु लता | बहुत डरी हुई। महाभूत, (न. ) पाँच तत्त्व - पृथिवी, जल, तेज, वायु और आकाश । महामनस्, (त्रि.) उदार । महाशय । महामात्र, (त्रि.) बहुत बड़ा । प्रधानामात्य | “मन्त्रे कर्मणि भूषायां वित्ते माने परिष्दे । मात्रा च महती यैषा महामात्रास्तु ते स्मृताः ॥ " हाथियों को आज्ञा देने वाला । महानत | 'महा चतुर्वेदीकोष | २७४ महामहावारुणी, ( स्त्री. ) शनिवार | शतभिषा नक्षत्र । शुभ योग सहित चैत्र की कृष्णा १३शी | महामाया, ( स्त्री. ) दुर्गा | महामाष, (पुं. ) उर्द। राजमाष । महामृग, ( पुं. ) बड़ा पशु । हाथी | शरभ | महामृत्युञ्जय, (पुं.) शिव का एक प्रकार का वेदोक्त यों जूं सः बीजयुक्त " त्र्यम्बकं यजामहे ० " मन्त्र | महामेद, ( पुं. सी.) औषध विशेष | महामोह, (पुं. ) श्रज्ञान विशेष | महायज्ञ, (पुं.) बड़ा यज्ञ । महारथ, (पुं. ) शिव । बड़ा योद्धा | महारस, ( पुं. ) गन्ना | पारा । काञ्जी । महाराज, ( पुं. ) राजों के राजा । जैनियों के गुरु विशेष । हाथ की उङ्गली का नख । महाराजिक, ( पुं. ) विष्णु का नाम । पर जब यह बहुवचनान्त होता है तब उन देवताओं का अर्थ देता है जिनकी संख्या २२० या २३६ बतलाई जाती है। महाराशी, ( स्त्री. ) महाराभी । पटरानी । दुर्गा का नाम 1. महारात्रि, ( स्त्री. ) महाकल्प | अर्द्धरात्रि के पीछे की दो घड़ी । होली, दीवाली की दो रातें | महाराष्ट्र, ( पुं. ) मरहटों का देश । गज- पिप्पली । बोली विशेष | महारोग, (पुं. ) मिरगी आदि आठ रोग | महारौरव, ( पुं. ) बड़ा नरक विशेष । महार्ध, ( त्रि. ) बड़े मूल्य वाला । महँगा । महार्णव, ) महासागर | महालय, (पुं.) पितृपक्ष । परमात्मा विहार । महालक्ष्मी, ( स्त्री..) बड़ी लक्ष्मी । अठारह भुजा वाली दुर्गा की शक्ति का भेद । लक्ष्मी विशेष | जगन्माता । रमा | महि महावराह, (पुं. ) विष्णु का अवतार विशेष | महावरोह, ( पुं. ) वट वृक्ष । ताड़ वृक्ष । महावाक्य, ( न. ) वेदवाक्य । बहुत से वाक्यों के स्वरूप में एक वाक्य | महाविद्या, (स्त्री.) दस महाविद्याएँ । महाविषुव, ( न. ) सूर्य की मेष राशि स्थिति। महावीचि, ( पुं. ) एक नरक महावीर, (पुं. ) बड़ा बहादुर । गरुड़ | हनुमान् । सिंह यज्ञाग्नि | वज्र | चिट्टा | घोड़ा । कोकिल । धनुर्धारी । महावीर्य्य, ( पुं. ) बड़े वी वाला । वाराहीकन्द | परमात्मा महाव्याधि, ( पुं. ) बड़ा रोग | कोढ़ आदि | महाव्याहृति, (स्त्री.) वैदिक मंत्र विशेष । महाव्रण, (न. ) बड़ा फोड़ा । महाव्रत, (न. ) बारह वर्ष का व्रत विशेष | महाशङ्ख, (पुं. ) बड़ा शङ्ख । तान्त्रिक माला विशेष जो मनुष्यों की खोपड़ी से बनती है। कान और आँख के बीच की हड्डी । महाशठ, (पुं. ) धतूरा । वड़ा धूर्त्त । महाशय, (त्रि. ) बड़े आशय वाला । महा- नुभाव । उदार । महाशूद्र, (पुं.) आभीर । जाति विशेष । महाश्मशान, (न. ) काशी | बड़ा मरघटा | महाष्टमी, ( स्त्री. ) आश्विन के शुक्ल पक्ष की अष्टमी । महासन्तपन, ( न. ) सात दिन में समाप्त होने वाला व्रत | महासेन, ( पुं. ) बड़ी सेना के पति । कार्त्तिकेय । महि, । ( स्त्री. ) पृथिवी मालवा देश मही, की एक नदी । महिका, (स्त्री.) हिम । बर्फ महित, (त्रि. ) प्रतिष्ठित । पूज्य | महिन्धक, ( पुं. ) चूहा । मूसा महिमन, (पुं. ) बड़प्पन | बड़ाई | महि माहिर है ( पं. ) सूर्य्य । अर्क वृक्ष । महिला, ( स्त्री. ) स्त्री | मस्त स्त्री । प्रियङ्गु लता । रेणुका नाम्नी गन्धद्रव्य | महिष, (पुं. ) भैंसा | एक असुर महिषध्वज, (पुं.) यमराज | महिषमर्दिनी, (स्त्री.) एक देवी | दुर्गा | महिषासुर, (पुं.) एक असुर जो दुर्गा के हाथ से मारा गया था। महिषी, ( स्त्री. ) भैंस | पटरानी । महिष्ठ, (त्रि.) सब से बड़ा । मही, ( स्त्री. ) पृथिवी । खंबात की खाड़ी में गिरने वाली एक नदी एक बड़ी सेना । चतुर्वेदीकोष । २७५ महीक्षित्, ( पुं. ) नृप । राजा । महीज, (न. ) अदरक । मङ्गल ग्रह | नरकासुर । महीघ्र, (पुं. ) पर्वत । पहाड़ महीप्राचीर, (न. ) समुद्र । महीभृत् (पुं. ) पर्वत । राजा' महीयस, (त्रि.) बहुत बड़ा । महीय्यमान, (त्रि.) पूज्य । श्रेष्ठ | महीरुह, (पुं.) वृक्ष । शाक महेच्छु, (त्रि. ) महाशय । महानुभाव । महेन्द्र, ( पुं . ) इन्द्र । परमेश्वर | जम्बुद्वीप • का एक पर्वत । महेन्द्रपुरी, ( स्त्री. ) अमरावती । महेश, (पुं. ) शिव | महेशबन्धु, (लं. ) बिल्व वृक्ष । महला, (स्त्री.) मोटी इलायची । महोक्ष, ( पुं. ) बड़ा बैल । महोत्सव, (पुं.) बड़ा उत्सव । महोत्साह, (त्रि. ) बड़ा साहसी । महोदधि, ( पुं. ) समुद्र । महोदय, (पुं. ) कन्नौज देश । आनन्द । प्रताप । महोन्नत, ( पुं.) बहुत ऊँचा | ताल वृक्ष | महोरग, ( पुं. ) एक प्रकार का बड़ा सर्प । महौषधि, ( स्त्री. ) दूब | लाजवन्ती । स्नान की औषधियाँ | मा, (क्रि. ) मापना । सीमाबद्ध करना । गरजना | दिखाना बनाना । नपवाना | मा, ([अव्य. ) यह निषेधार्थ में आता है | ( स्त्री. ) लक्ष्मी | माता माप विशेष । मांस, (न. ) मास । श्रमिष । मांसज, (न. ) चर्बी मांसल, (त्रि. मोटा | पुष्टु | बलवान् । मांससार, (पुं. ) मेद । चर्बी । मांसिक, (त्रि.) कसाई | बूचर | माकन्द, (पुं. ) श्रम का पेड़ । आँवले का पेड़ पीला चन्दन । गङ्गातटवर्त्ती एक माचि नगर का नाम । (पुं. ) माकरी, {ला. }}मकर प्राप्त सूर्य्यं के की । मकर सम्बन्धी । माकलि, (पुं. ) इन्द्र के सारथि का नाम | चन्द्रमा । माक्षू, (क्रि. ) चाहना | माक्षिक, माक्षीक, ( न. ) उपधातु विशेष | मधु । माक्षिकज, ( न. ) मोम । माख - १, (त्रि. ) यज्ञसम्बन्धी । भागध, ( पुं. ) सफेद जीरा भाट । वर्णसङ्कर विशेष मगध देश जात छोटी इलायची । खाण्ड । बोली विशेष | .

माघ, (पुं. ) एक मास का नाम । शिशुपाल- वध नामक काव्य और उसके निर्माता का नाम | माध्य, (न. ) कुन्दपुष्प | माङ्गल्य, (न. ) शुभ | हितकर | माच, (पुं. ) मार्ग | माचल, (पुं. ) चोर। वटमार माचिका, ( स्त्री. ) मक्खी । माज माजल, ( पुं. ) पक्षी विशेष | माञ्जिष्ट, ( न. ) लाख रङ्ग । माजिष्ठ, । • चतुर्वेदीकोष | २७६ माठ, (पुं. ) मार्ग | रास्ता | माठर, ( पुं. ) व्यास का नाम ब्राह्मण विशेष सूर्य्य का पार्श्ववर्त्ती एक गण। माठी, ( स्त्री. ) कवच | माड, (पुं.) वृक्ष विशेष तौल । माप | 1 माडि, (पुं.) राजप्रासाद | माङ्गुकक, } ( पुं. ) ढोल बज्जाने वाला ॥ 3 माढि, ( स्त्री. ) शोक । निर्द्धनता । ऋ । गोट | सआफ | नया निकला वृक्ष का पत्ता । कोपल । मासव, (पुं.) छोकरा लड़का सोलह लड़ का मोतियों का हार | माणवक, (पुं. ) छोकरा | वोना । खोटा मनुष्य । ब्रह्मचारी | सोलह या बीस लड़ का हार | माणविका, ( स्त्री. ) छोकरी । अप्सरा | मागवीज, (त्रि. ) लड़कपन | छोकरापन | माणज्य, ( न. ) छोकरों का दल या समूह | माणिका, ( स्त्री. ) माप विशेष जो आठ पल के बराबर है । माणिक्य, (न. ) लाल मणि माणिक्या, ( स्त्री. ) छिपकली | बिस्सुइया | माणिबन्ध, ( न. ) संधा या पहाड़ी नोन | भाण्डलिक, (त्रि. ) एक प्रान्त का शासक | मातङ्ग, ( पुं. ) हाथी | चाण्डाल | किरात | पीपल का वृक्ष | मातङ्गी, ( स्त्री. ) दस महाविद्याओं में से एक । मातरपितृ, ( स्त्री. ) माता पिता । मातरिपुरुष, ( पुं. ) भीरु । डरपोंक । मातरिश्वन्, ( पुं.) वायु । मांतलि, ( पुं. ) इन्द्र का सारथि | माता, (स्त्री. ) माता मातामह, (पुं.) नाना मातुल, (पुं. ) मामा | मातुलक, ( पुं. ) मामा | धतूरे का फल मातुला, मातुलानी, } मातुली, मातुलेय, ( पुं. ) मामा का पुत्र मातुलेयी, ( मातुलिङ्ग, ( मातुलुङ्ग, मात्र ( स्त्री. ) मामी सन ) मामा की बेटी ( पुं.) बीजपुर । अनार | नांधू दुर्गा रेवती । मातृ, (सी.) माता | गौ । लक्ष्मी आकाश । पृथिवी । देवी श्राखुकर्णी, इन्द्रकर्णी, जटामांसी आदि रूखरी । अष्टमातृकाएँ यथा - “ ब्राह्मी माहेश्वरी चण्डी बाराही वैष्णयो तथा कौमारी चैव चामुण्डा चर्चिकेत्यष्टमातरः || किन्तु किसी किसी के मतानुसार आठ की जगह सात ही हैं। यथा - " ब्राह्मी माहेश्वरी चैत्र कौमारी वैष्णयी तथा । माहेन्द्री चैव वाराही चामुण्डा सप्त मातरः ॥" " कोई कोई सोलह मातृका तक मानते हैं । आठ प्रकार की पितृलोकनासिनी माताएँ । सात माताओं की पूजा बत्रुधारा में और षोडश मातृकाओं की ग्रहमख आदि साङ्ग- लिक कृत्यों में होती है । जीव । ज्ञाता | मातृबन्धु (पुं. ) मातृबन्धुओं में इनकी गणना है । यथा - ११ "मातुः पितुः स्वसुः पुत्रा मातुर्मातुः स्वसुः सुताः | मातुर्मातुलपुत्राश्च विज्ञेया मातृबन्धवः ॥ मातृष्वस, ( स्त्री. ) मौसी । मातृष्वस्त्रेय, (पुं.) मौसी का लड़का | मात्र, (न.) अल्प माप परिमाण . धन हस्व, दीर्घ, प्लुत आदि । लवुवर्ण को उच्चारण करने का एक अवयव । इन्द्रियों की वृत्तियाँ मात्रा चतुर्वेदीकोष । २७७ मात्रा, ( स्त्री. ) माप विशेष फुट । पल । अणु अंश | धन | नागरी वर्णमाला के स्वरों के चिह्न जो अक्षरों के ऊपर नीचे अगल बगल लगाये जाते हैं । क्रान में पहनने की बाली । रल । मात्सर्थ्य, ( न. ) ईर्ष्या मात्स्यिक, (पुं. ) मछली पकड़ने वाला | धीमर । मल्लाह | माथ, ( पुं. ) पन्था | मार्ग | (क्रि. ) बिलोना नष्ट करना । मारना । माथुर, (त्रि.) मथुरा में उत्पन्न । मथुरा में आया हुआ | माद, (पुं. ) नशा | दर्प । हर्ष । मादक, (त्रि. ) नशैला । नशा उत्पन्न करने वाला। परीक्षा | मादन, (म.) लौंग । कामदेव । मदन वृक्ष । ( स्त्री. ) भाँग | माडशी, } ( त्रि. ) मेरे समान । माद्री (स्त्री. ) मद्रदेशसम्भूत की दूसरी स्त्री | माधव, ( पुं. ) नारायण । लक्ष्मीपति । बसन्त ऋतु । वैशाख मास | महुआ का पेड़ | ( स्त्री. ) वासन्ती लता । इन्द्र | परशुराम यादव | सायन के साथी और ऋग्वेद के टीकाकार पण्डराज माधवक, ( पुं. ) मद्य विशेष जो मधु से बनाई जाती है । साधषिका, ( स्त्री. ) एक लता । माधवी, (स्त्री.) एक प्रकार की मंदिरा वासन्ती लता । कुटनी | माधुर, (न. ) मालती का पुष्प माध्य, (त्रि.) बीच का माध्यन्दिन, ( न. ) दिन का मध्य भाग | यजुर्वेद की एक शाखा । माध्याहिक, (त्रि. ) दोपहर सम्बन्धी | माध्ब, (गु.) मन्व के अनुयायी । मान्धा मान, (कि. ) विचार करना । पूजा करना । मान, (न. ) सम्मान प्रतिष्ठा । श्रभिमान | ( अच्छे भाव में ) क्रोध | माप । हाथ । तौलना । प्रमाण । गीत का श्रङ्ग । मानग्रन्थि, (पुं. ) अपराध | भूल चूक । मानरन्ध्रा, (स्त्री.) एक प्रकार का समय- सूचक यंत्र | माननीय, (गु.) मान के योग्य | प्रतिष्ठित मानःशिल, ( न. ) मनसिल का । मानव, ( पुं. ) मनुष्य | मनु के वंशधर | मानवधर्मशास्त्र, (न. ) मनु का बनाया धर्मशास्त्र । मानस, (न. ) मन । मानसरोवर । मानसव्रत, (न. ) अहिंसा, सत्य आदि व्रत, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य धारण, लालच न करना - ये मानस व्रत कहलाते हैं। मानसिक, (न. ) मन सम्बन्धी मानसौकम्, ( पुं. ) हंस | मानिका, (स्त्री.) मदिरा विशेष । तौल विशेष । मानिनी, ( स्त्री. ) माम करने वाली स्त्री | फली वाला वृश्च । मानुष, ( पुं. ) श्रादमी । मानव । भानुषी, ( स्त्री. ) स्त्री | नारी । मानुष्य, (न.) मनुष्यत्व : चादमीपन | मानोशक, . ( न. ) सुन्दरता । मान्त्रिक, ( पुं. ) मन्त्र जानने वाला | मान्थ्, (क्रि. ) चोटिल करना । मान्थर्ये, (न.) सुस्ती । थकावट | निर्मलता | मान्दार, (पुं. ) वृक्ष विशेष । मान्द्य, (न. ) जड़पना | सुस्ती | बीमारी | न्यूनता मान्धातृ, (पुं.) सूर्य्यवंशी एक राजा का नाम । यह युवनाश्व का पुत्र था और अपने बाप के पेट से उत्पन्न हुआ था। पेट से उसके निकलते ही ऋषियों ने कहा था - "कं एष धस्यति ?" इस पर इन्द्र ने प्रकट हो कर कहा- “मां धास्यति ।” तब ही से इसका नाम मान्धातृ या मान्धाता पड़ा। मान्य मामक, मामिका, चतुर्वेदीकोष । २७८ मान्य, ( पुं. ) पूज्य मापत्य, ( पुं.) कामदेव । मार्ज, (क्रि. ) बुहारना । बटोरना। धोना । पोंछना | साफ करना । भाम, ( सर्व . ) मुझे | मेरा ( सम्बोधन में ) मार्जन, (न. ) पोंछ कर साफ करना । मार्जनी, ( स्त्री. ) बुहारी । झाडू । 1 चाचा । १ } (त्रि. ) मेरा | स्वार्थी । तालची । मार्जार, } (पुं. ) विचार । मोर व माय, (पुं. ) बाजीगर । राक्षस । माया, ( स्त्री. ) अज्ञान विशेष । भ्रर्म । कृपा | दम्भ । लक्ष्मी बुद्धदेव की माता । ईश्वर की उपाधि | मायाकृत, (पं.) मदारी । बाजीगर । मायादेवीसुत, ( पुं. ) बुद्धदेव । मायाविन्, ( त्रि.) ऐन्द्रजालिक | मदारी | मायिक, (त्रि. ) मदारी । कपटी | छली । मायु, ( पुं.) सूर्य्य। देहस्थ पित्त । रोग विशेष । मायूर, (न. ) मोर सम्बन्धी । मोरों का झुण्ड । मार, (पुं.) मरण | मौत |

"

मारक, (पुं.) मारण । महामारी । कामदेव | घातक बाज पक्षी मारकस्थान, (पुं.) वधस्थल । जन्मकुण्डली में लग्न से सातवाँ और दूसरा स्थान । मारि, (स्त्री.) महामारी | मारीच, (पुं.) ताडका राक्षसी का बेटा | एक • राक्षस जिसे रामचन्द्र ने विश्वामित्र के यज्ञ में चार सौ योजन फेंका थां । जिसने माया- मृग बन कर सीता का हरण कराया था । मारुतात्मज, ( पुं. ) वायु का पुत्र हनुमान् और भीमसेन । मार्कण्ड, (पुं.) एक मुनि | मकण्ड की सन्तान जो सदैव १४ ही वर्ष के रहते हैं । मार्ग, (क्रि. ) ढूँदना | साफ करना | मार्गण, (न. ) अन्वेषय | खोज | याचन | प्रणय । 1 मार्गशिर, मार्गशीर्ष, ( पुं.) अगहन । मार्गित, (त्रि.) खोजा हुआ । मार्गिन, (पुं. ) नेता | चमसर होने वाला | माल मार्जारी, ( स्त्री. ) बिल्ली । मार्जारीय, (पुं.) बिल्ली ।"शूद्र । काय- शोधन । मार्जित, ( पुं. ) साफ किया हुआ | सजाया हुआ । मार्जिता, ( स्त्री. ) एक प्रकार की चटनी, जो दही में चीनी तथा अन्य मसालों के मिश्रण से बनायी जाती है । मार्तण्ड, ( पुं. ) सूर्य्य | अर्कवृक्ष | सूअर बारह की संख्या । मरे अण्डे में उत्पन्न । मार्तिक, (पुं. ) मिट्टी का बना । ढेला | घड़े का ढकना | मार्त्य, (त्रि.) मरणशील । मार्दङ्ग, (पुं.) ढोलची | ढोल बजाने वाला | नगर विशेष | मार्दाङ्कक, (पुं. ) ढोल बजाने वाला । मादव, (न. ) कोमलता | कोमल या दयालु हृदय वाला । माक, (न. ) शराब । मदिरा । मार्मिक, (त्रि.) मर्म जानने वाला । मार्टि, (स्त्री. ) शोधन | सफाई | माल, (पुं.) बङ्गाल के एक नगर का नाम | जङ्गली लोगों की जाति । विष्णु । मालक, (पुं.) नीम का पेड़ | ग्राम के समीप का वन । नारियल की लकड़ी का बना पात्र | मालकौश, (पुं. ) राग विशेष | मालति, १ मालती, स्त्री. ) चमेली । कली । अविवाहिता युवती । रात्रि | चाँदनी | मालतीरज, (पुं.) सुहागा माल मालतीपत्री, (स्त्री.) जावित्री । मालतीफल, (न.) जायफल | चतुर्वेदकोष । २७६- मालय, (पुं.} }मलय पर्वत का । चन्दन । (स्त्री.) मालव, (पुं. ) एक देश जिस पर लक्ष्मीजी की कृपा हो ( भायाः लवो यस्मिन् ) दुर्भिक्षादि वर्जित मालवा प्रान्त 1 राग विशेष ( बहुवचन में ) मालवा प्रान्त वासी | मालविका, ( स्त्री. ) त्योंरी । मालसी, (सं.) मौलसिरी का पेड़ । .माला, ( स्त्री. ) हार । गजरा डोरी । गुञ्ज । मालाकार, (पुं. ) माली । मालादीपक, (ब.) अलङ्कार में अर्थालङ्कार विशेष | गुच्छा | . मालिक, (पुं.) माली | रङ्गरेज | रङ्गइया | पक्षी विशेष । मालिका, (स्त्री.) मालती की बेल । गरदन का गहना । अलसी । पुत्री | राजभवन । सुरा । पक्षी विशेष । नदी विशेष । फूलों की माला । मालिन, ( पुं. ) मालाकार । १४ अक्षर के पाद वाला छन्द | गौरी। चम्पा नगरी । आकाशगङ्गा । कण्व के आश्रम के निकट की एक नदी । अग्निशिखा वृक्ष । मालेय, (त्रि. ) माला की रचना में चतुर । माली । माल्य, (न. ) पुष्प फूल । माथे पर डालने की पुष्पमाला । माल्यवत्, (त्रि.) माला वांला । केतुमाल और इलावृत वर्ष की सीमा का पहाड़ । सुकेश राक्षस का बेटा । रावण का मंत्री । एक राक्षस मालिन्यं, (न.) मैलापन | मैल | मालु, ( स्त्री. ) लताविशेष । स्त्री । मालूर, ( पुं. ) बेल और कैथे का पेड़ | मालेया, ( स्त्री. ) बड़ी इलायची । 31₂ महें माल, ( पुं. ) वर्णसङ्कर जाति विशेष | मालवी, (स्त्री. ) कुश्ती के जोड़। माशब्दिक, (त्रि.) निषेध करने वाला । माष, (पुं.) मासा ( तौल का ) । मूर्ख | उर्द की दाल । मुहाँसा । मांषक, ( पुं. ) फली | सेम । मासा ( तौलका ) ● माषवर्द्धक, (पुं. ) सुनार भाषिक, ( गु. ) माषिकी, ( स्त्री . ) S भाषीण, (न.) उर्द का खेत । मासा भरू । मास, । ( पुं. ) चन्द्रमा । तीस दिन का समय | मास, महीना | मासन, (न.) सोमराजी लता । मासर, (पुं.) चावल का उबला हुआ पानी | माण्ड । मासल, (पुं.) वर्ष । • मसूर की दाल का । मासान्त, (पुं. ) महीने का अन्त । मासिक, (त्रि. ) महीने का । मासुरी, (स्त्री. ) डाढ़ी । मासूर, (न. ) मासूरी, (स्त्री.)) मास्म, ( श्रव्य. ) हटाना | रोकना माहू, ( क्रि. ) नापना मापना । माहा, ( श्री. ) गौ | माहाकुल, (त्रि.) बड़े कुल वाला । माहाकुली, (स्त्री. ) कुलीन स्त्री | माहात्म्य, (न. ) महिमा | माहिष, (न.) भैंस का दूध । माहिष्य, (पुं. ) सङ्कर | दोगला | माहेन्द्र, (पुं. ) इन्द्र का | योग विशेष | पूर्व दिशा । इन्द्र की स्त्री । गौ। माहेय, (पुं. ) पृथिवीं की सन्तान । मङ्गल अह । नरकासुर । गौ । माहेश्वर, (त्रि.) शिव सम्बन्धी | शिव-- पूजक 1. माहेश्वरी, ( स्त्री. ) पार्वती । मि चतुर्वेदीकोष | २८० मि, (क्रि.) फेंकना । मिच्छु, ( क्रि. ) रोकना । चिड़ाना । मित्, ( स्त्री. ) खम्भा | मित, (त्रि. ) परिमित । मापा हुआ । निर्दिष्ट । सीमाबद्ध । मितङ्गम, ( पुं. ) धीरे धीरे चलना । हाथी । मितद्रु, ( पुं. ) समुद्र । मितस्पच, (पुं.) सूम मिति, ( स्त्री. ) ज्ञान । माप | प्रमाण | साक्ष्य | संकल्प | भित्र, ( न. ) सुहृद् | दोस्त । मित्रविन्द, ( पुं. ) अग्नि । मित्रता, १ (सं.) मैत्री | दोस्ती । मित्रत्व, मित्रयु, ( पुं. ) मित्रवत्सल । मिथ्, (क्रि. ) मिलना । मारना । समझना । काटना । पकड़ना । मिथिस्, ( श्रव्य. ) केले । आपस में । मिथिला, (स्त्री.) तिरहुत । राजा जनककी पुरी। मिथुन, ( न. ) स्त्री पुरुष का जोड़ा । मेष से तीसरी राशि | विषय के अर्थ मिलन | मिथ्या, ( श्रव्य. ) असत्य | झूठ | मिथ्यादृष्टि, ( स्त्री. ) भूल | मिथ्यानिरसन ( न. ) शपथ खा कर अस्वीकार करना या मुकरना । मिथ्याभियोग, (पुं. ) झूठी फरियाद । मिथ्याभिशंसन, झूठा कलङ्क | मिथ्याभिशाप, ( पुं. ) झूठा अपवाद | मिथ्यामति, ( स्त्री. ) भ्रम | भूल | मिदू, (क्रि.) स्नेह करना । मिल, (क्रि. ) मिलना । मिलिन्द, (पुं.) मधुमक्षिका मिलिन्दक, ( पुं. ) सर्प विशेष । मिलीमिलिन्, (पुं.) शिव का नाम । मिश, (क्रि. ) शब्द करना । मिश्र, (क्रि.) मिलाना। हाथी विशेष । एक देश | पदवी । श्रेष्ठ । मौर मिश्र व्यवहार, (पुं.) गणितविद्याकी क्रिया विशेष मिंधू, (क्रि. ) दूसरों को नीचा दिखाने की अभिलाषा । आँख मारना। नम करना । मिष, ( न. ) स्पर्धा | छल कपट | मिषिका, ( स्त्री. ) जटामांसी | मिष्ट, (त्रि.) मांठा । मिहू, (क्रि. ) सींचना | प्रस्राव या पेशान करना । वीर्य निकालना मिहिका, (स्त्री.) पाला । बर्फ । मिहिर, (पुं. ) सूर्य । चाफ का पेड़ । वृद्ध | मेघ चन्द्रमा वायु मिहिराण, (पुं. ) शिव । मी, (क्रि.) मारना | कम करना। बदलना। भक्त करना । खोना । भटकना । जानां । ·

जानना मरना नष्ट होना । मीढ, (त्रि.) मूता हुआ । मीदुष्टम, ( पुं. ) शिव । सूर्य । चोर । मीन, (पं.) मछली। बारहवीं राशि | मीनकेतन, (पुं. ) कामदेव । मीनगन्ध, (पुं. ) सत्यवती । मीनाण्डा, ( श्री. ) मिश्री | परिष्कृत शर्करा | मछली का अण्डा । मीम्, (क्रि. ) शब्द करना | मीमांसक, ( पुं: ) मीमांसा शास्त्र के ज्ञाता अथवा उसके पढ़ने वाले परीक्षक । सिद्धान्ती । निर्णयकर्त्ता । मीमांसा, (स्त्री.) गूढ़ विचार । अनुसन्धान भारतवर्षीय षड्दर्शनों में से एक दर्शन का नाम। यह दर्शन दो भागों में विभक्त है एक पूर्वमीमांमासा है, जिसके बनाने वाले जैमिनिजी हैं। इस भाग में कर्म का प्रतिपादन किया गया है। दूसरे भाग का नाम उत्तरमीमांसा है । इसके रचयिता बादरायणजी हैं। इसमें ब्रह्मविद्या का निरूपण है। विचार | परीक्षा 6 मीर, (पुं. ) समुद्र | सीसा | शर्वत । पर्वत का विशेष | . मील चतुर्वेदीकोष | २८१ मीलू, (क्रि. ) पलकों को बन्द करना । मुर्झना । मिलना । मीलन, (न.) सकोड़ना । बन्द करना । मीलित, (त्रि.) अनखिला | संकुचित | अलङ्कार विशेष | मीवू, (क्रि.) जाना | मोटा होना । मीवर, (त्रि. ) अहितकर पति । मीवा, (स्त्री.) पवन | मु, ( पुं.) शिव | चिता । भूरा रङ्ग मुकुट, (पुं. ) शिरोभूषण | ताज | मुकु, ( पुं. ) छुटकारा । उत्सर्ग | त्याग । मोक्ष । मुकुन्द, (पुं. ) मोक्षदाता । विष्णु । पारा । बहुमूल्य रल विशेष । कुबेर की नव निधियों में से एक एक प्रकार का ढोल । मान्य | सेना- मुकुम्, ( अव्य. ) मोक्ष । निर्विकल्पक समाधि | मुकर, ( पुं. ) शीशा | दर्पण | बकुल वृक्ष । कुम्हार का डण्डा । मालती का पेड़ | कली | मुकुल, ( पुं. न. ) अधखिली कली | आत्मा | शरीर । मुकुष्ठ, १ (पुं.) एक प्रकार की सेम या मुकुष्ठक, ऽ छीमी। मुक्त, (त्रि.) छुटकारा प्राप्त । आनन्दयुक्त | मुक्तसङ्ग, (त्रि. ) परिव्राजक । संन्यासी ॥ मुक्ल स्त, (त्रि.) उंदार | बहुदानशील । मुला, (श्रीं. ) मोती । मुक्ताप्रसू, ( स्त्री. ) सीप । मुक्ताफल, ( न. ) मोती । कपूर । सीताफल । वोपदेव कृत ग्रन्थ विशेष, जिसमें भक्ति का विशेष वर्णन है। मुक्ताचली, ( स्त्री. ) मोतियों की माला | इस नाम का न्यायशास्त्र प्रन्थ | मुक्तास्कोट, ( पुं. मी. ) सीप । मुक्ति, (स्त्री.) छुटकारा । मोक्ष । मुक्तिक्षेत्र, (न. ) काशी धाम । मुक्त्वा (अव्य.) छुटकारा पाकर । अतिरिक्त । छोड़ कर 1 मुख, (न. ) मुँह | धूंथन | थूथड़ । सामने या आगे का भाग । तीर का अग्रभाग द्वार । उपोद्घात । आाद्य । प्रधान । मुखज, (पुं.) वित्र । 1 मुखनिरीक्षक, (त्रि.) मुँह की ओर देखने घाला । आलसी खुशामदी । मुखपूरण, (न. ) अञ्जलि भर जल । मुखभूषण, (न. ) पान | बीड़ा | मुखर, (त्रि.) कह डालने वाला | वाचाल | बहुत शब्द करने वाला । अपशब्द बोजने वाला । अप्रियवादी | काक । शङ्ख | मुखरित, (त्रि. ) शब्द करने वाला । मुखलाङ्गल, (पुं.) शकर | मुखवल्लभ, (पुं. ) अनार का पेड़ | मुखवास, (पुं. ) गन्ध तृण । काफूर । मुखवासन, (पुं.) मुख को सुगन्धियुक्त करने वाला । मुखव्यादान, ( पुं. ) मुख खोलना | मूँदना | जमुहाई मुखशोधन, ( नं. ) दालचीनी । मुखस्राव, (पुं.) लार । मुखाग्नि, ( पुं. ) ब्राह्मण । दावानल । मुख्य, (त्रि. ) प्रधान । अग्रज | मुग्ध, (त्रि.) मूढ़ | सादा | सीधा । आक- र्षक । सुन्दर मुग्धा, (स्त्री.) नायिका भेद । मुचु, (क्रि. ) ठगना | छोड़ना । ● मुचि ( पुं. ) पुष्प वाला वृक्ष विशेष । राजा मान्धाता के पुत्र का नाम । मुचकुन्दप्रसादक, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | मुचिर, (त्रि.) उदार । ( पुं. ) देव विशेष | नेकी । पवन । मुचकुन्द, मुचुकुन्द, चतुर्वेदीकोष | २८२ मुचि मुचिलिन्द, ( पुं.) एक प्रकार का पुष्प | मुचुटी, (स्त्री.) चीमटी । मुज्, १ (क्रि.) साफ करना । बजाना । शब्द करना । मुख, ( पुं. ) मूंज । जिससे ब्राह्मणों के लिये मेखला बनायी जाती है । मेखला नगरी के एक राजा का नाम । जो भोज के चाचा थे । सुञ्जाटक, } ( पं. ) एक प्रकार का पौधा । मुञ्जर, (न.) कमल की जड़ । मुट्, (क्रि. ) तोड़ना | पीसना | दबाना | मुड, (क्रि. ) बालों का काटना, या मलना । मुण्ड, (पुं. न. ) मस्तक | एक दैत्य | नाई | शाखापत्रहीन वृक्ष | मुण्डक, (पुं. ) नाई मुण्डफल, (पुं. ) नारियल । मुण्डिन्, (पुं. ) नाई । मुरग्र, (क्रि. ) वचन हारना । करना । मुत्य, (न. ) मोती । मुद्, (क्रि. ) प्रसन्न होना । प्रतिज्ञा मुद, } ( स्त्री. ) हर्ष ॥ मुदिर, (पुं. ) बादल । कामुक । कामी । पाला । मुदी (स्त्री.) चाँदनी | जुन्हाई । मुद्र, (पुं.) मूँग । पक्षी विशेष । जलकाक । मुद्गर, (न.) मालती भेद | मुग्दर | कली । मुगल, ( पुं. ) एक ऋषि का नाम । एक प्रकार की घास। राजा विशेष । मुद्रष्ठ, (पुं.) चीमी या सेम विशेष । मुद्रा, ( स्त्री. ) मोहर चिह्न टकसाल में रुपये पैसे पूजन में अंगुली ‘आदि को विशेष रूप से मोड़ने सिकोड़ने की क्रिया | मुश मुद्रालिपि, ( स्त्री. ) छापे के अक्षर । पाँच प्रकार की लिखावटों में से एक । मुद्रिका, ( स्त्री. ) अंगूठी | मोहर । रुपया | मुद्रित, (त्रि.) चिह्नित | छापा हुआ । बन्द | मुधा, ([अव्य. ) मिथ्या । झूठ । व्यर्थ । वृथा । मुनि, ( पुं. ) पवित्र पुरुष । ऋषि । सात की गिन्ती । मुनिभेषज, (न. ) हरे । श्रगस्त्य | कुछ न खाना । मुनीन्द्र, (पुं. ) ऋषिश्रेष्ठ । सांख्य मुनि । भरत । शिव । मुन्थ्, (क्रि. ) जाना । मुन्था, ( स्त्री. ) ज्योतिष के ताजिक ( वर्ष फल ) भाग में प्रयुक्त होने वाला एक विशेष ग्रह । दसवाँ अ मुन्यन्न, (न.) नीवार | कन्द | मुमुक्षा, ( स्त्री. ) मोक्ष की कामना । मुमुक्षु, (त्रि.) मोक्ष की इच्छा वाला । मुमुचान, (पुं. ) बादल । मुमुषिषु (पुं.) चोर । मुमूर्षु, (त्रि.) आसन्नमृत्यु । मुर्, (क्रि. ) घेर लेना । फैसा लेना । मुर, (पुं.) दैत्य विशेष । वेष्टन | गन्धुद्रव्य | मुरज, (पुं.) मृदङ्ग । कुबेरपत्नी । मुररिपु, ( पुं. ) विष्णु । मुरारिं । मुरला, ( स्त्री. ) केरल देश की एक का नाम । . मुरली, ( स्त्री. ) बंसी । वेणु मुरलीधर, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | वंशीधर । मुर्च्छ, (क्रि.) मूर्च्छित होना । मुर्मुर, ( पुं. ) तुषाग्नि । सूर्य का घोड़ा । मुशली, मुसली, ( स्त्री . ) छिपकली । - मुशलिन्, ( पुं. ) बलराम । •मुष चतुर्वेदीकोष | २८२. (क्रि. ) मूँसना । लूटना | ( पुं. ) मूसल जिससे अनाज उखली में डाल कर घरा जाता है। मु, (क्रि. ) बाँधना | मूक, (पुं. ) मत्स्य | मछली | गूँगा | दीन । दैत्य विशेष । मूकिमन्, (पुं. ) गूँगापन | मूत, (नि.) बँधा हुआ घिरा हुआ । मूत्र, (न. ) पेशाब | मूत्रकृच्छ, ( सं . ) पेशाब की बीमारी जिसमें पेशाब बड़े कष्ट से उतरता है । मुष्टि, (पुं. स्त्री. ) ठट्ठी | माप विशेष | मूठ मूर्ख, ( त्रि. ) बुद्धिहीन । गँवार । मूर, ( त्रि. ) मूर्ख | नाश करना । मुष्कशून्य, (पुं. ) खोजा। नपुंसक । या मुठिया । लिङ्ग । ( स्त्री. ) चुराना | मुष्टिमुष्टि, ( [अव्य. ) घूंसों की लड़ाई | मुष्टिक, ( पुं. ) कंस का एक पहलवान | सुनार । डोम । मुष्टिकान्तक, ( पुं. ) बलदेव । मुष्टिकाडर मूर्च्छना, (स्त्री. ) बेसुध होना । मूर्च्छा, ( स्त्री.) मोह 'अचैतन्यावस्था । वृद्धि । मूर्च्छाल, (त्रि.) मूर्च्छित | बेसुध । अचेत । मूर्ति, ( स्त्री. ) प्रतिमा । विग्रह । मूर्त, (त्रि.) अचेत । बेसुध । मूर्तिमत्, ( पुं. ) आकारसम्पन्न । शरीर । मल्ल के काल । मुष्टिन्धय, (पुं. ) बालक । बच्चा | मूठी कड़ा। . चुंबने वाला । मुष्टिबन्ध, ( पुं. ) मुट्ठी बाँधना | मुट्ठी भर | मुष्ठक, (पुं. ) काली सरसों । राई । मुस्, (क्रि.) टुकड़े टुकड़े करना | चीरना । बाँटना । मुसल, (पुं.) मूसल । मुसलिन्, (पुं.) बलराम | मुसलधारी । मुसलीका, ( स्त्री. ) विसतुझ्या | छिपकली | मुस्त, (क्रि. ) देर करना । एकत्र करना | मुस्त, (पुं.) मोथा | तृणविशेष । मुत्र, (न.) लोढ़ा | मूसल | दरार | मुह्, (क्रि. ) बेसुध होना । अचेत होना ।

  • मूर्च्छित होना । हैरान होना । गड़बड़ी में

पड़ना । मुबू, मुषल, मुशल, मुसल, मुषित, (त्रि.) चुराया हुआ द्रव्य | वह मनुष्य जिसका द्रव्य चोर चुरा ले गये हों । मुष्क, (पुं. ) अण्डकोष । चोर । वृक्ष विशेष । मोटा आदमी | मुहिर, (पुं. ) कामदेव । मूर्ख 1 मुहुक, (न.) (वैदिक प्रयोग ) क्षण | पल | मुद्दुस्, (श्रव्य. ) प्रायः । बार बार । मुहूर्त, ( पुं. न. ) ४८ मिनिट का काल विशेष । किसी कार्य के लिये नियत •समय । मुहेर, (पुं. ) मूर्ख । ज्योतिषी । मूर्धन्, (पुं.) माथा । सर्वोच्च स्थान | नेता । अगला । आधार मूर्धज, ( पुं. ) केश । बाल । मूर्धन्य, ( त्रि. ) माथे में उत्पन्न होने वाले । ॠ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष ये मूर्धन्य कहलाते हैं। मूर्धाभिषिक्ल, (पुं. ) क्षत्रिय | राजा | वर्ण- सङ्कर । मंत्री । मूर्वा, मूर्वी, मूर्विका, (स्त्री.) एक लता, जिसके द्वारा धनुषों की प्रत्यश्वा और क्षत्रियों की करधनी बनायी जाती हैं । मूलू, ( क्रि . ) स्थित होना । पक्का होना लगाना । उगना । मूल, (न. ) जड़ । नवि | आधार यथार्थ | मुख्य । परम्परागत प्राप्त सेवक । धनमूल । निकुञ्ज | पूँजी | समीपी । पिप्पलीमूल । उन्नीसवाँ नक्षत्र । मूलक, ( न. ) एक प्रकार का कन्द | मूली । मूलकर्म्मन्, ( न. ) मुख्य काम । जादू। मंत्र और औषधि से किये जाने वाले कर्म । मूल मूलकृच्छ्र, (न. ) व्रतविशेष | मूलप्रकृति, ( स्त्री. ) प्रधान प्रकृति | युद्ध के चार सिद्धान्त, जिन पर युद्ध के समय ध्यान दिया जाता है, यथा - विजिगीषु, अरि, मध्यम और उदासीन । मूलिन्, ( पुं. ) वृक्ष | मूलविभुज, ( पुं. ) रथ । गाड़ी | छकड़ा : मूलाधार, ( पुं. ) नाभि । लिङ्ग का मध्य भाग | तंत्र का त्रिकोण वाला एक चक्र मूल्य, (न. ) दाम | क्रीमत मूष, (क्रि. ) लूटना मूषक, मूष, मूषिक, ( पुं.) चूहा मूषी, ( स्त्री. ) घरिया जिसमें रख कर सोना आदि पिघलाया जाता है। मृ ( कि. ) मरना | मारना । मृकण्डु, (पुं.) एक मुनि का नाम । मृगू, (क्रि. . ) खोजना पीछा करना | आखेट खेलना | } चतुर्वेदीकोष | २८४ (पुं. स्त्री. ) मूसा चूहा i मृगपति, ( पुं. ) सिंह । मृगवधाजीव, (पुं. ) व्याघ । शिकारी | मृगवन्धनी, ( स्त्री. ) जाल | फन्दा | मृगमद, (पुं. ) कस्तूरी मृगया, ( स्त्री. ) हेर । शिकार। मृगयु, ( पुं. ) ब्रह्मा | शृगाल मृगराज, (पुं. ) सिंह | चन्द्रमा मृगलक्षण, ( पुं. ) चन्द्रमा | मृगवाहन, (पुं.) वायु मृगव्यथ, (न. ) शिकार। अहेर मृगशिरस, (न. पुं.) अश्विनी से पचवाँ नक्षत्र | हिरन के मृगाक्षी, ( स्त्री. ) विशल्या समान नेत्र वाली स्त्री | मृगाण्डजा, ( स्त्री. ) कस्तूरी | मृगादन, ( पुं. ) छोटा भेड़िया 1. मृगाराति, (पुं. ) सिंह | भेड़िया । कुत्ता | मृगाविध, (पुं.) व्याघ्र | शिकारी | मृगित, (त्रि. ) माँगा गया। मृगेन्द्र, (पुं. ) सिंह | मृगेन्द्र चटक, ( पुं. ) श्येन बाज पक्षी । मृत मृज् (कि. ) साफ करना | सजाना । मृजा, (स्त्री.) साफ़ करना । मृदु, ( कि. ) क्षमा करना । प्रसन्न होना । मृड, (पुं.) शित्र | ● मृग, (पुं. ) पशुमात्र । हिरन । हाथी । चन्द्रलान्छन | अश्विनी से पाँचवाँ नक्षत्र | माँगना। यज्ञ कस्तूरी | मकर राशि | शाकद्वीप का एक नगर | मृगगामिनी, ( स्त्री. ) औषध विशेष । मृगजीवन, (पुं.) शिकारी | व्याध | मृगणा, (स्त्री.) नष्ट द्रव्य को खोजना | मृगतृष्णा, ( स्त्री. ) जल की भ्रान्ति । मृगदंशक, ( पुं. ) कुत्ता | मृगधूर्तक, ( पुं. ) शृगाल | सियार । मृगनाभि, (पुं. ) कस्तूरी मृडोक, (पुं.) शिव । हिरन । माली | मृण (क्रि.) मारना । मृणाल, (न. ) कमल की डण्डी का सूत । मृणालिन्, ( पुं. ) कमल । मृगनेत्रा, ( स्त्री. ) हिरन के समान नेत्र मृणालिनी, ( स्त्री . ) कमलिनी । कमलों वाली स्त्री । का समूह । वह स्थान जहाँ बहुतसे कमल के फूल हों। मृडा, मृडानी, ( स्त्री. ) पार्वती । मृडी, मृत, (न. ) मरण | मृतक, (न. ) मरा हुआ पुरुष | मुर्दा

मृत

· मृतकल्प, (त्रि.) मृतप्राय | मृतवत्सा, (स्त्री.) मरी हुई सन्तान वाली स्त्री । चतुर्वेदीकोष | २८५.. मृतसञ्जीवनी, ( स्त्री. ) एक बूटी | तांत्रिक विद्या विशेष । मृतस्नात, (त्रि.) मरने पर नहाने वाला । मृतण्ड, (पुं. सूर्य्य मृतालक, (न. ) एक प्रकार की मिट्टी | मृति, ( स्त्री. ) मौत । मृत्तिका, ( स्त्री. ) मिट्टी मृत्यु, कामदेव । पुं. ) मरण । मौत । कंस । मृद, मृदा, मृत्युनाशक, (पुं.) मौत को नाश करने वाला । मृत्युञ्जय, ( पुं. ) शिव । 1 मृत्स्ना ( स्त्री. ) बहुत स्वफ़ मिट्टी । धूल मृद्, (क्रि. ) चूर करना । ( स्त्री.) मृत्तिका | मृदङ्कुर, १ ( पुं. ) हरे रङ्गका कपोता मृदङ्गुरु, J कबूतर | मृदङ्ग, (पुं. ) एक प्रकार की ढोलक । मृदाकर, (पुं. ) वज्र । कुलिश | मृदु, (त्रि. ) कोमल । निर्बल | मोथरा । धीमा शनिग्रह | मृदुत्वंचू, (पुं. ) भोजपत्र । मृदुल, (न.) जल | ( त्रि. ) कोमल | मृद्धीका, ( स्त्री. ) दाख । किशमिश । मृदुन्नक, (न. ) सोना । मृधू, (क्रि.) गीला करना । मृध, (न. ) लड़ाई | मृश (क्रि.) छूना | मृष, ( कि. ) क्षमा करना । मृषा, (अन्य ) मिथ्या सृषार्थक, ( न. ) झूठे अर्थ वाला । मृषालक, (पुं. ) आम का पेड़ | मृषावाद, (पुं. ) झूठी बातं । . मृषोद्य, (न. ) मिथ्या कथन । मृष्ट, (न. ) शोषित | मिर्च मृष्टेरुक, ( त्रि. ) स्वार्थी । उदार । मृ. (क्रि. ) वध करना । मे, (क्रि. ) बदलना । विनिमय मेक, (पुं. ) बकरा | मेकल, ( पुं. ) पर्वत } मेखल, बकरी | मेकल + अद्विजा, मेकलकन्यका, मेकलकन्या, मेखला, (स्त्री. ) कमरपेटी । करधनी । प्रथम तीन वर्णों के पहरने का कटिसूत्र | तलवार का परतला । घोड़े का तंग । नर्मदा होमकुण्ड । मेखलाल, ( पुं. ) शिव मेखलिन्, ( पुं. ) शिव। ब्रह्मचारी । मेघ, (पुं.) बादल मोथा। राग विशेष | राक्षस विशेष | रोग भेद । मेघजीवन, (पुं.) चातक पक्षी । पपीहा । मेघज्योतिस्. ( न. ) बिजली | मेघनाद, (पुं. ) वरुण | रावण का पुत्र | मेघगर्जन । मेघयोनि, ( स्त्री. ) धूम | विशेष | ( स्त्री. ) नर्मदा नदी | [मेकलकी जगह "मेखल" भी होता है ] । . मेघवर्त्मन्, (न. ) आकाश । मेघवह्नि, (पुं.) बिजली । मेघवाहन, ( पुं. ) इन्द्र । मेघागम, (पुं. ) वर्षाऋतु । मेघनन्दिन्, ( पुं.) मयूर | मोर | मेघान्त, (पुं.) शरत्काल । मेट् मेड़, मेटु मेचक, ( न. ) काला । मयूर | चन्द्रक | बादल । काला रङ्ग । या काले रङ्ग वाला | धूम थुथनी । रत्न विशेष । मेकपा ( स्त्री. ) यमुना नदी । } ('क्रि. ) पगलाना । उन्मत्त होना ३ मेटुला, ( स्त्री. ) श्राम लकी । भेठ मेठ, ( पुं.) मेढ़ा | महावत । मेठ, मेथि, मेढ्र, मेढ्रक, मेथिका, मेथिनी, चतुर्वेदीकोष | २८६ ( पुं. ) मेढ़ा । लिङ्ग । } ( स्त्री. ) तृण विशेष । मेथी । मेद, (क्रि. ) मोटा | अलम्बुषा सर्परूपी दानव विशेष । मेदस, (न.) चर्बी। मेदस्कृत, ( पं . ) मांस | मेदिनी, ( स्त्री. ) पृथिवी । भेदुर, (त्रि. ) मोटा | चिकना । घना | भेद्य, (त्रि. ) देखो मेदुर । मेध, (पुं. ) बलि, यथा- नरमेध, अश्वमेध ।' यज्ञपशु । बलि । मांस का रस । मेधज, ( पुं. ) विष्णु । मेधा, (स्त्री.) धारणावती बुद्धेि । सरस्वती का रूप विशेष । बलि । शक्ति । सामर्थ्य | याग । मेधाविन्, ( पुं. ) बड़ी बुद्धि वाला । जिसकी धारणा शक्ति बहुत अच्छी हो । तोता । मदिरा विशेष | मेधातिथि, ( पुं. ) अरुन्धती का पिता | मनुस्मृति का एक टीकाकार | मेधिर, ( त्रि. ) अच्छी बुद्धि वाला | मेधिष्ठ, ( त्रि. ) बड़ा बुद्धिमान् । मेध्य, (त्रि. ) छाग | खदिर । जौ। केतकी । शङ्खपुष्पी । ( स्त्री. ) रोचना | शमी । मेनका, ( स्त्री. ) एक अप्सरा का नाम । जिसके गर्भ से शकुन्तला का जन्म हुआ था । हिमालय की स्त्री मेनकात्मजा, (स्त्री.) पार्वती । मेना, (स्त्री.) हिमालयपत्नी । नदी विशेष । पितरों के मन से उत्पन्न हुई कन्या | मेनाद, (पुं. ) मोर | बिल्ली | बकरा | } ( स्त्री. ) मेंहदी । मेन्धिका, मेन्धी, ( पुं.) खम्भा | खूँटा | मेय, (त्रि. ) मापने योग्य | जानने योग्य | ज्ञेय । मेरक, ( पुं. ) विष्णु के एक शत्रु का नाम । छाल ढका आसन | मेरु, ( पुं. ) एक शास्त्र - कल्पित पर्वत जिसके चारों ओर समस्त नचत्र घूमा करते हैं और जो कई एक द्वीपों का मध्य भाग समझा जाता है । कहा जाता है यह सुवर्ण और रत्नों का बना है । जयमाला के ऊपर का दाना । मै मेरुक, ( पुं. ) गन्ध द्रव्य । मेरुसावर्णि, (पुं. ) ग्यारहवें मनु का नाम | मेलक, (त्रि.) विवाह | सङ्ग । मेला, (स्त्री. ) स्याही | नील का पेड़ | सुर्मा | मिलाना । मेलान्धु (पुं. ) दवात । मेव्, (क्रि. ) पूजा करना । सेवा करना । मेष, ( पुं. ) मेढ़ा । भेड़ । पहिली राशि | ज्योतिषश्चक्र का बारहवाँ भाग । मेषा, (स्त्री.) छोटी इलायची । मेषाण्ड, (पु. ) इन्द्र मेषिका, १ मेषी, ( स्त्री . ) मेढ़ी | मेह, ( पुं. ) पेशाब 1 प्रमेहका रोग | सुजाक रोग । मेढ़ा | बकरा | मेहमी (स्त्री. ) हलदी । मेहन, (न. ) मूत्रोत्सर्ग । लिङ्ग । मैत्र, (न. ) मित्र का । मित्र का दिया हुआ | मित्रभाव से । वर्णसङ्कर जाति विशेष । गुदा । मित्र | मित्र देवता । अनुराधा | मैत्रावरुण, १ (पुं. ) वाल्मीकि । अगस्त्य | मैत्रावरुणि, । वशिष्ठ । मैत्री, ( स्त्री.) मित्रता | दोस्ती । मैत्रेय, ( त्रि. ) मित्रा की सन्तति । बुद्धदेव (पुं.) सङ्कर जाति विशेष । मैत्रेयिका, ( स्त्री. ) मित्रयुद्ध | मैत्र्य, ( न. ) दोस्ती | मैत्री । मैथि चतुर्वेदीकोष । २८७ • मैथिल, ( पुं. ) मिथिला का एक राजा | मिथिला राज्यवासी । मैथिली, ( स्त्री. ) सांता । मैथुन, ( न. ) जोड़ा । विवाह द्वारा मिलन | भोगसम्बन्धी विवाह सम्बन्ध अग्न्याधान | मैधावक, (न. ) बुद्धि मैनाक, (पुं. ) हिमालय के औरस से मेनका के गर्भ से उत्पन्न पहाड़ । केवल इसीके पर रह गये हैं। इसीने हनुमान् का लङ्का जाते समय आतिथ्य करना चाहा था । मैनाकस्वसृ, ( स्त्री. ) पार्वती । मैनाल, (पुं. ) मछली मारने वाला | धीवर | मैन्द, ( पुं. ) एक दैत्य जो कृष्ण द्वारा मारा गया था । मैरेय, (पुं. ) मदिरा भेद । मैलिन्द, (पुं. ) मधुमक्षिका । मोक, (न.) पशु का अलग किया हुआ चर्म । मोक्षू, (क्रि. ) छूटना । खोलना | फेंकना अलग करना । मोक्ष, (पुं॰ ) मुक्ति | मोक्षद्वार, (पुं. न. ) सूर्य मोक्षपुरी, ( स्त्री. ) मोक्ष देने वाली पुरी काञ्ची । काशी । मोक्ष देने वाली सात पुरियाँ हैं । मोघ्, (त्रि.) निरर्थक । त्यक्त । मोघोलि, (पुं. ) बाड़ा । घेरा । मोच, ( पुं. ) केले का पेड़। शोभाञ्जन वृक्ष । मोचक, ( पुं. ) मोक्ष | वैराग्यसम्पन्न | केले का पेड़ | सुहांजन | वृक्ष | मोटक, ( न. ) कुशा के बने और श्राद्ध के काम के पट्टे । मोहायत, ( न. ) अनुपस्थित मित्र से . मिलने के लिये स्त्री की अभिलाषा विशेष | मोणं, (पुं.) सूखा फल विशेष । साँप के रखने की लिटारी ।. मोद, (पुं. ) हर्ष | प्रसन्नता । मोदक, (पुं.) लड्डू । प्रसन्न करने वाला । कहार । मोदिनी, ( स्त्री. ) अजमोदा । अजवाइन | मल्लिका । कस्तूरी । मदिरा | मोरट, ( पं. ) पेवसी । गन्ने की जड़ । अङ्गोल । मौजी वृक्ष का फूल | मोष, (पुं.) चोर | चोरी | डाँकू । चोरी की वस्तु । मोषक, (पुं. ) चोर । डाँकू ! मोषण, (न. ) लूटना | चुराना | काटना । मारना । मोह, (पुं. ) मूर्च्छा । अज्ञान । दुःख । शरीर में आत्माभिमान । मोहन, (पुं.) मोहोत्पादक । कामदेव का एक तीर । माहीत्र, ( स्त्री. ) ब्रह्मा का पचासवाँ साल । जन्माष्टमी की रात्रि । अयोध्या मथुरा माया काशीकाची अवन्तिका मौक्लिक, ( न. ) मोती । पुरी द्वारावती चैव सरौता मोक्षदायिकाः ॥ " मौक्लिकप्रसवा, ( स्त्री. ) सीप | मोहिनी, ( स्त्री. ) एक अप्सरा का नाम | बड़ी सुन्दरी स्त्री विष्णु ने जिस स्त्री का रूप भस्मासुर के लिये धारण किया था उसका नाम । चमेली का पुष्प । मौकलि, मौकुलि, } { पुं॰ ) काक । कौआ । मौक्लिकसर, ( पुं. ) मोतियों का हार । मौक्य, ( न. ) गूँगापन | भौख्य, ( न. ) प्राधान्य । मौखरि; (पुं. ) एक वंश का नाम । मौखर्य, (न.) बातूनीपन । गाली । मौध्य, ( न. ) व्यर्थता । निरर्थकता । मौच, ( न. ) केले की छीमी । मौञ्जी, (स्त्री. ) कटिसूत्र । मौजीबन्धन, ( पुं. ) जिसमें यज्ञसूत्र के साथ धारण किया जाता है । मोड " · चतुर्वेदीकोष | २८८ मौडथ, (न. ) गआपन । सिर के बालों का मुण्डन । मौढय, (न.) लड़कपन । मूढ़ता । मौद्गलि, ( पुं. ) काका । मौद्गल्य, (पुं. ) मुद्गलमुनि की एक सन्तान । एक मुनि विशेष | मौद्गीन, (न. ) मूँग उपजाने योग्य एक क्षेत्र । मौन, (न. ) चुपचाप । स्मृति का वचन है कि नीचे लिखे काम चुपचाप करे अर्थात् इन कामा को करते समय बात चीत न करे या बोले नहीं । १ उच्चार | २ मैथुन ०१ ३ प्रश्राव । ४ दन्तधावन । ५ स्नान, भोजन | मौनिन्, (पुं. ) मौनी । मुनि । मौरजिक, (त्रि.) ढोल वाला । मृदङ्ग बजाने वाला । मौर्य, (न. ) मूर्खता । जड़ता । मौर्वी, ( स्त्री..) मूर्वनाम्नी बेल से बनी । धनुष का रोदा अजशृङ्गी मौल, (त्रि. ) पुराना । पहले का । सदुवं- शोद्भव । मौलि, ( पुं. स्त्री. ) चोटी । मुकुट अशोक का पेड़ । भूमि । भौषल, (.न.) मूसलों वार्ला । महाभारत का पर्व विशेष जिसमें मूसल द्वारा एक कुल का नाश वर्णन किया गया है । मौहूर्त, ( पुं. ) ज्योतिषी । झा, (क्रि. बारम्बार मन मन कहना । याद करना । ज्ञात, (त्रि.) दुहराया हुआ | याद किया हुआ। अध्ययन किया हुआ । क्ष, (कि. ) मलना । इकट्ठा करना | मारना | चोटिल करना । मिलाना। अस्पष्ट रूप से बोलना । नक्ष, (पुं. ) दम्भ | ढोंग । अक्षण, (न. ) तेल मलना एकत्र करना । . श्रद्, (क्रि. ) चूर्ण करना | कुचलना । प्रदिमन् (पुं. ) कोमलता । निर्बलपन | प्रदिष्ठ, (त्रि. ) अति कोमल । चू (क्रि. ) जाना । मुञ्च, (क्रि. ) जाना | ब्रेट् ब्रेडू, } ( क्रि. ) पगलाना : त्रियमाण, (त्रि.) मृतकल्प | मृतसदृश | म्लक्षू, (क्रि. ) काटना या विभाग करना । म्लानि, ( स्त्री. ) कुम्हलाना | मुरझाना | म्लिष्ट, ( न. ) अस्पष्ट । जङ्गली । मुरझाया हुआ । म्लुच्, } (क्रि. ) जाना ' भ्लुञ्च्, यक्ष म्लेच्छू, १ (क्रि.) अस्पष्ट या युरी तरह म्ले, बोलना | म्लेच्छ, ( पुं. ) अनार्य | नीच और दुष्कर्मरत जाति विशेष 1 पामर जाति । ताँबा । म्लेच्छुकन्द, ( पुं. ) लहसन | प्याज | म्लेच्छुजाति, ( स्त्री. ) गोमांस खाने वाली जाति । म्लेच्छमुख, (न. ) ताँबा । म्लेट्, म्लेडू, ( कि. ) पगलाना | स्लेव, (क्रि. ) पूजना | सेवा करना । म्लै, ( क्रि. ) मुरझाना य य, (पुं.) जाने वाला लन | कीर्ति । जौ यकन्, १ यकृत्, गाड़ी । हवा । सम्मि- । रोक । बिजली । त्याग गण विशेष यम का नाम । ( न. ) दहिनी कोख का मांस- पिण्ड | यक्ष, (क्रि. ) पूजा करना। सजाना । यक्ष, (पुं.) देवयोनि विशेष जो कुबेर के वशवर्ती हैं । इन्द्र के राजभवन का नाम । यक्ष यक्षकम, ( पुं. ) लेप जिसमें कपूर, केसर, चन्दन, शीतलचीनी, गुरु मिला हुआ है। यक्षतरु, ( पुं. ) वट वृक्ष । यक्षधूप, ( पुं. ) धूप विशेष | यक्षराज, ( पुं. ) कुबेर । यक्षरात्रि, (त्रि.) कार्तिक पूर्णिमा की , रात । यक्षामलक, ( न. ) पिण्डखजूर का फल । यक्षिणी, (स्त्री.) यक्ष की स्त्री | कुबेरपत्नी | } (पुं. ) बई रोग । यश्म, यक्ष्मन्, यक्ष्मघ्नी, (स्त्री. ) दाख । अङ्गर | चतुर्वेदीकोष | २८६ यजू, ( क्रि. ) यज्ञ करना | यजन करना | पूजन करना । दान देना और सत्कार करना । यजुर्वेद, ( पुं. ) वेद का नाम यजुस्, ( न.) यजुर्वेद यक्षपशु, ( पुं. ) घोड़ा। वकरा । यशपुरूष, ( पुं. ) विष्णु । यशभूपण, (पुं. ) सफेद कुश । यशयोग्य, ( पुं. ) उदुम्बर का पेड़, जिसकी लफड़ी यज्ञ के काम में आती है। यशवली, (स्त्री.) सोमलता । यशवराह, (पुं. ) भगवान् का अवतार विशेष । यशवाट, (पुं. ) यज्ञस्थान | यशसूत्र, (न. ) यज्ञोपवीत । जनेऊ । यशाङ्क, (पुं. ) उदुम्बर, खदिर, सोम वेल की लकड़ी व पत्ते । यज्ञान्त, ( पुं. ) यज्ञ का अन्त । यशिक, ( पुं. ) द्वापर युग । यशियप्रदेश, ( पुं. ) वह देश जिसमें काले हिरन घूमा करते हैं । यज्ञेश्वर, ( पुं. ) विष्णु । यज्ञोपवीत, (न.) जनेऊ । यज्वन्, (पुं. ) विधिपूर्वक यज्ञ कराने वाला | यत्, ( कि. ) यत्न करना । यतस, ( त्रि. ) कौन कई एकों में ● कौन सा | यंतर, (त्रि. ) कौन या दो में से कौन सा | यथाक्रम, ( श्रव्य. ) क्रमानुसार | यजति, (पुं. ) एक प्रकार का यज्ञ । यजम, ( पुं. ) यज्ञ | यथाजात, ( त्रि. ) मूर्ख । नींच | यजमान, ( पुं. ) जो यज्ञ करता और यज्ञ | यथार्थ, (ग्रव्य. ) टीक: सत्य | कराने वालों को दक्षिणा देवा । यतस्, (अव्य. ) जिससे | क्योंकि । यतिन्, (पुं. ) परित्राजंक | संन्यासी । यतिनी, ( स्त्री. ) विधवा स्त्री | यत्न, (पुं. ) उद्योग | यत्र, (अव्य. ) जहाँ । यथा, ( श्रव्य. ) जैसे यथाकाम, (अन्य ) इच्छानुसार | यथार्ह, ( चव्य. ) जैसे का तैसा । यथार्हवर्ण, ( पुं. ) दूत यथाशक्ति, (ग्रव्य. ) शक्त्यनुसार । | बथाशास्त्र (अन्य ) शास्त्रानुसार | यथास्थित, ([अव्य. ) सत्य । ज्यों का त्यों | यथेप्लित, ( अव्य. ) इच्छानुसार | यथोचित, (श्रव्य. ) उचित | यद्, ( सर्वनाम ) जो । यदा, अव्य. जब । यदि, () अगर । जो । यदु, ( पुं. ) राजा ययाति के और और देवयानी के गर्भजात ज्येष्ठ पुत्र और यादवों का पूर्वपुरुष | मथुरा के समीप का एक देश । ( पुं. ) श्रीकृष्ण | यदुनन्दन, यदुनाथ, | श्रेष्ठ, यह चतुर्वेदकोष | २६० यहच्छा, (स्त्री.) .) देवात् । (पुं. ) सारथि । गाड़ीवान | यन्ट, यन्त्र, (न. ) रोक | देवता का आसन | कल | पात्र विशेष | यन्त्रगृह, (न. ) तेल निकालने की कल का घर । यन्त्रण, ( न. ) नियमन । रोक । यभ्, ( क्रि. ) मैथुन करना । यम्, (क्रि. ) रोकना । इटाना | वश करना है दवाना । नियमन करना । यम, ( पुं. ) यमज | जुड़े हुए। रोक | दवाव | आत्मनि। योग के आटङ्ग | धर्मराज | शनि । काका | दो की संख्या | यमकोटि, ( पुं. सी. ) लङ्का से पूर्व देवताओं की निर्माण की हुई एक पुरी | यमज, (त्रि. ) एक गर्भ में एक साथ दो बालक । यमद्रुम, ( पुं. ) यमराज के द्वार पर शाल्मली का वृक्ष है । यमद्वितीया, (खी.) कार्तिक शुक्ला २ | यमदग्नि, ( पुं. ) मुनि विशेष | यमन, ( न. ) बन्धन । यमराज, ( पु. ) धर्मराज यमल, (न. ) जोड़ा | वृन्दावन के समीप का एक वृक्ष । यमवाहन, (पुं. ) भैसा । यमानी, ( स्त्री. ) अजमोदा | अजवाइन | यमुना, ( स्त्री. ) यमभगिनी | जमना नदी | ययाति, ( पुं. ) नहुषपुत्र | एक राजा - ययि, १ (पुं. ) अश्वमेध के योग्य घोड़ा । ययी, 3 मार्ग | शिव । बादल | ययुः, ( पुं. ) घोड़ा | यज्ञीय अश्व | यव, ( पुं. ) जौ | यवक, यत्रय, ( न.) जौ बोने योग्य क्षेत्र । यवन, ( पुं. ) देश विशेष | गृनानी । वेग | शीघ्रगामी घोड़ा | गाँधूम । याच यवनप्रिय, (न. ) मिर्च यवनानी, ( स्त्री. ) यवन की स्त्री | यचमध्य, (न. ) एक प्रकार का चान्द्रायण व्रत । यवस, ( न. ) घास | यवागू, (बी.) लप्सी । खिचड़ी । यवास, (पुं.) खदिर भेद । यविष्ठ, (त्रि. ) बहुत छोटा । छोटा भाई । यव्य, (न. ) जौ बोने योग्य खेत । यशद, (न. ) धातु विशेष । यशःपटह, ( पुं. ) एक प्रकार का बाजा । यशःशेष, ( त्रि. ) मृत | यशस्, (न. ) कीर्ति। गौरव । यशस्या, (खी. ) जीवन्ती बूटी | यशोद, ( पुं. ) पारा । यश देने वाला । | यशोदा, ( स्त्री. ) नन्द की पत्नी । यष्टि, (स्त्री.) लकड़ी । छड़ी । ताँत | मुलहठी | यष्टृ, ( पुं. ) भक्त । यज्ञ या पूजा करने वाला । यसू, (कि. ) यत्न करना । यर्हि, ( श्रव्य. ) जब । जब कभी । यहु, (त्रि.) बड़ा । बालक । पुत्र | यह, (त्रि. ) बड़ा । बलवान् । अविराम | उद्योगशील । यही, ( स्त्री. ) नदी । आकाश पृथिवी | दिन रात । प्रातः सायं । या, (क्रि. ) जाना । याग, (पुं. ) यज्ञ | यागसन्तान, ( पुं. ) जयन्त का नाम । याचु, (क्रि. ) माँगना । याचक, (पुं.) भिखारी | मँगता । याचन, (न. ) माँग | याचनक, (त्रि. ) मँगता । याचि चतुर्वेदीकोष । २६१ याचित, (न. ) माँगा हुआ । आवश्यक | याचितक, ( न. ) माँग कर पायी हुई वस्तु । याच्या, ( स्त्री. ) प्रार्थना | माँग | याज, (पु.) यश करने वाला । भात | साधारणतः भोजन । याजक, ( पुं. ) यज्ञ कराने वाला | पुरोहित । राजा का हाथी । मस्त हाथी । याजुष, ( पुं.) यजुर्वेदी । पुं. ) ऋषि विशेष । याज्ञवल्क्य, योगिराज |. याज्ञसेनी, ( स्त्री. ) द्रौपदी । याशिक, ( पुं. ) कुश। खदिर | पलाश | अश्वत्थ । याजक । ऋत्विग् । यजमान | याज्य, (न. ) यज्ञस्थान | देवप्रतिमा | दाय- भाग | यातना, (स्त्री.) पीड़ा | यातयाम, (त्रि. ) पुराना । बासा | जूठा | वातव्य, ( पुं. ) जाने योग्य यातायास, (न. ) जाना आना | यातु, ( पुं. ) राक्षस । जाने वाला । अन विशेष । यातुन, (पुं. ) गुग्गुल । राक्षस को मारने बाला । यातुधान, (पुं.) राक्षस । भूत | यातृ, ( स्त्री. ) द्योरानी । देवर की बहू । यात्रा, (स्त्री.) जाना | देवता का उत्सव विशेष । यात्रिक, (त्रि. ) उत्सव । यात्रा के लिये हितकर | मामूली । यात्रा करने वाला | यात्री । यथातथ्य, ( न. ) यथार्थ | ठीक ठीक | ज्यों का त्यों । याथार्थ्य, ( ) असली । ठीक | यादप्रति, (पुं. ) वरुण । समुद्र | यादव, (पुं.) यदुवंशी | कृष्ण का नाम | गोधन । याया. यादवी, (स्त्री.) दुर्गाी। यादसं, (न. जलजीव जल । नदी । वीर्य | अभिलाष | यादसांपति,} ( पुं. ) वरुण ! समुद्र व यादृक्ष, } ( त्रि. ) जैसा । यादृच्छिक, (त्रि.) स्वतन्त्र | स्वेच्छाचारी | अचानक | यान, (न. ) गमन । जाना । श्राक्रमण | रथ । गाड़ी | सवारी । यानक, (न. ) सवारी । यापन, (न. ) विताना । याप्ययान, (न.) पालकी | पीनस | तामझाम | याम, (पुं. ) समय । प्रहर यामघोप, ( पुं. ) कुकट | समयसूचक यंत्र | यामलम्, ( न. ) जोड़ा | तन्त्रशास्त्र विशेष । यामवती, ( स्त्री. ) तीन रवाली रात | हल्दी । यामातृ, (पुं. )जामाद | जमाई | } ( स्त्री. ) वहिन । यामि, यामी, यामित्र, ( न..) लग्न से सातवाँ स्थान | यामित्रवेध, (पुं. ) सातवें स्थान में किसी पापग्रह का योग । यामिनी, ( स्त्री. ) रात यामिनीपति, ( पुं. ) चन्द्रमा | कपूर । यामी, ( स्त्री. ) दक्षिण दिशा । यास्य, ( पुं. ) अगस्त्य | चन्दन वृक्ष दक्षिणी | यमसम्बन्धी । शिव | विष्णु । भरणी नक्षत्र । याम्यायन, ( न. ) दक्षिणायन सूर्य्य | याम्योद्भुत, ( पुं. ) ताल का पेड़ । यायजूक, (पुं. ) बार बार यज्ञ करने वाला | यायावर, (पुं.) अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा | जरत्कारु | राजशेखर के वंश का नाम । परिबाजक का जीवन याव चतुर्वेदकोष | २६२ यावत्, (त्रि.) जब तक । यावन, (पुं.) घुड़चढ़ा | सवार । आक्रमण- कारी। जाना । यावनाल, (पुं.) जुआर नामक अनाज | यवनाल से निकाली चीनी । एक देश का नाम । याष्टीक, (पुं.) लाठी से लड़ने वाला । यावस, (पुं.) घास का ढेर । चारा । यास, ( पुं. ) यल । उद्योग | यास्क, ( पुं. ) विरुक्त के रचयिता का नाम । यु, (क्रि. ) मिलाना । अलग करना | बाँधना | पूजा करना । i मुक्त, (त्रि.) मिला हुआ । जुड़ा हुआ। नधा हुआ | साथ | योगी न्यायपूर्वक प्राप्त द्रव्य । युक्ति, ( न. ) न्याय । व्यवहार । अनुमान | नाटक विशेष । युक्तिः, ( श्रव्य. ) चतुरतापूर्वक | ठीक रीति से 1 युग, ( न. ) जोड़ा । दो । सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि नामक गुग विशेष | वृद्धि नाम दवा | माप विशेष ( चार हाथ का ) गाड़ी अथवा हलका व विशेष | पाँच वर्ष का काल | युगपद्, ( अव्य. ) एक साथ ही । एक काल | युगपार्श्वग, ( पुं . ) हल के समीप बँधा हुआ बैल । युगल, (न. ) जोड़ा। युगान्त, (पुं. ) युग का अन्त | प्रलय | युग्म, ( न. ) जोड़ा | दो की संख्या वाला | दो तिथि | का योग विशेष समान राशियाँ | युग्य, (न. ) वाहन | सवारी । घोड़ा । युच्छ, (क्रि. ) प्रमाद करना | भूलना | असावधानी करना । यूथ युज्, (क्रि.) जुड़ना । समाधि लगाना । युज, ( पुं.) समाधि लगाने वाला । मिला हुआ। युआन, (पुं.) गाड़ीवान । मोक्षार्थी योग लग्न ब्राह्मण । युत्, (क्रि. ) चमकना । युत, ( त्रि. ) संयुक्त । मिला हुआ । युतक, ( पुं. ) युग जोड़ा । मिला हुआ । मैत्री | स्त्रियों के पहरने का वस्त्र विशेष | मैत्री करना । सूप का किनारा | पैर का अप्रभाग | सन्देह । दहेज़ । दायजा । युतवेध, (पुं.) विवाह आदि शुभ कार्यों में चन्द्रमा के साथ पापग्रहों का त्याज्य योग । युधू, (क्रि.) लड़ना । युद्ध में जीतना । सामना करना | जय प्राप्त करना । युद्ध, (न. ) लड़ाई | युधान, ( पुं. ) क्षत्रिय | योद्धा | युधिष्ठिर, ( पुं. ) लड़ाई में पक्का | पाण्ड- वाप्रगण्य | युयुधान, ( पुं. ) इन्द्र । क्षत्रिय | योद्धा | सात्यकि का नाम । युयु, ( पुं.) घोड़ा । युवति, } ( श्री. युवती, नवान औरत । युवन्, (त्रि. ) जवान । दृढ़ | सर्वोत्तम । युवनाश्व, ( पुं. ) सूर्य्यवंश में उत्पन्न मान्धाता का पिता एक राजा । युवराज, (पुं. ) राजा का उत्तराधिकारी । राजा के समक्ष राज्यकार्य निरीक्षण करने वाला भविष्य राजा । वर्तमान राज- प्रतिनिधि । युप्, (क्रि. ) सेवा करना । युष्मद् ( सर्वनाम ) तुम्हारा | यूक, ( पुं. स्त्री. ) खटमल । जूँ । यूति, ( स्त्री. ) मिलाप । मिलाना | यूथ, (न. ) समूह | यूथ थूथनाथ, ( पुं. ) बनैले हाथियों का सरदार । किसी भी झुंड का मालिक | यूथपति । यूप, ( न. ) यज्ञपशु को बाँधने की लकड़ी । यज्ञ का स्तम्भं | मामूली खम्भा | योक्त्र, (न.) रस्सी । जुएँ और हल में बाँधने की रस्सी । जोता । घोग, (पुं.) जोड़ । मिलान उपाय | कवच धारण । मन की वृत्तियों का निरोध | युक्ति । छल । गाड़ी | कवच | धन । चतुर्वेदीकोष | २६३ योगक्षेम, (न. ) श्राप्त वस्तु की प्राप्ति और प्राप्त वस्तु की रक्षा । श्रन्न-वस्त्र | योगदान, (न. ) छल या उपाधि से देना । योगनिद्रा, ( श्री. ) ऊँघना | दुर्गा | पार्वती । यौन योजनगन्धा, ( स्त्री. ) करतूरी | सीता । सत्यवती । योधसराव, (पुं. ) सैनिकों की युद्धार्थ बुलाहट | योनि, (पुं. स्त्री. ) गर्भाशय । भग | स्त्री- चिह्न । पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र । उत्पत्ति- स्थान । मिश्रित हो कर रहने वाली इन्द्रिय विशेष | चौरासी लाख योनियाँ । " वृक्षा विंशतिलक्षयोनिकथिता लक्षाश्च दिक्- पक्षिणां लक्षाः खाग्निमिताः पशोर्निगदिता लक्षा नवैवाम्बुजाः । लक्षा रुद्रमितास्तथा कृमिगणा लंक्षाब्धयो मानवाः पूर्व पुण्य- समाहितं भवति चेद् ब्राह्मण्ययोनीयते ॥ " अर्थात् वृक्ष २०, पक्षी १०, पशु ३०, जलचर 8, कीड़े ११, मनुष्य ४ लाख, कुल ८४ लाख हैं। योनिज, ( न. ) मनुष्यादि चौरासी लाख योनियों में जन्म लेने वाले। योनिमुद्रा, ( स्त्री. ) योग की मुद्रा विशेष । सन्ध्या के जपान्त की आठ मुद्राओं में से एक । योगपट्ट, (न. ) योगियों के योग्य सूत्र | योगपीठ, (न.) योगासन योगमाया, (स्त्री.) दुर्गा | पार्वती । योगारूढ, ( पुं. ) योगी विशेष । योगासन, (न.) योगशास्त्रोक्त आसन । योगिन्, ( त्रि. ) योगी । याज्ञवल्क्य अर्जुन | विष्णु | शिव । सङ्करजाति विशेष । ( श्री. ) डाइन । योगीश्वर, (पुं. ) याज्ञवल्क्य मुनि । (स्त्री.) दुर्गा । योगिराज । श्रीभागवतोक्त नव योगेश्वर जो ऋषभदेव के भरतादि सौ । पुत्रों में से नव योगेश्वर हुए । “ कवि- ईरिरन्तरिक्षः प्रबुद्धः पिप्पलायनः । आ- विर्होत्रोऽथ मिलश्चमसः करभाजनः ॥ आत्मविद्यानिपुण । ११ योगेश्वर, (पुं. ) श्रीकृष्ण । “यत्र योगेश्वरः कृष्णो ” । योग्य, (त्रि.) उचित | निपुण | पुष्य नक्षत्र | ऋद्धि नाम्नी औषधि | समर्थ | बड़ा । योग्यता, ( स्त्री. ) सामर्थ्य । पहुँच । शक्ति । योजन, (न.) संयोग । मेल । चार कोस का एक योजन। योपन, (न. ) मिटाना । सोखना | योषणा, ( स्त्री० ) युवती लड़की । योषा, (स्त्री. ) स्त्री । नारी । · यौक्लिंक, ( त्रि. ) युक्तिसिद्ध । योग्य ॥ यौगिक, ( त्रि. ) काम का | ठीक । उचित । धातु और प्रत्यय से समझने योग्य । योगसम्बन्धी । यौद्ध, यौड,} ( क्रि. ) साथ मिलाना । यौतक, (न. ) विवाह के समय मिला हुआ द्रव्य | दायजा | यौतव, (न.) माप विशेष | यौथिक, ( पुं. ) साथी । सङ्गी । यौधेय, ( पुं. ) योद्धा | यौन, (त्रि.) योनिसम्बन्धी | लम्पट | पापी | यौव चतुर्वेदकोष | २६४ यौवत, ( न. ) युवती स्त्रियों का समूह याचनकण्टक, ( पुं. न. ) युवावस्था का घोड़ा। मुँहासा। मुँहरसा। यौवनदशा, ( स्त्री. ) युवावस्था । जवानी | यौवनलक्षण, ( स्तन । उरोज । जवानी के चिह्न । यौवराज्य, (न. ) युवराज का पद | यौवनाश्व, (पुं. ) युवनाश्व का पुत्र राजा मान्धाता । यौषिण्य, ( न. ) स्त्रीत्व यौष्माक, यौप्माकीन, ( त्रि.) आपका | रक्ततुण्ड, ( पुं. ) तोता । रक्तदन्तिका, ( स्त्री. ) दुर्गा | रक्तदृश, ( पुं. ) कबूतर | रक्तधातु, ( पु. ) लोडू । गैरू । ताँबा । रक्लप, (पुं. ) राक्षस रक्तपित्त, (न. ) एक प्रकार की बीमारी | रक्तमोक्षण, (न. ) लोहू का निकलवाना | रक्तयष्टि (स्त्री.) मजीठ | रक्तवर्ग, ( पुं. ) अनार । लाख | हल्दी । सोना । रक्तवृष्टि, ( स्त्री. ) लोडू की वर्षा । रक्कसरोरुह, ( न. ) लाल कमल | रक्तसर्षप, (पुं.) राजिका | लाल सरसों । रत्ती । रक्तसार, (न. ) लाल चन्दन | अम्लवेत । रक्सौगन्धिक, ( न. ) लाल रङ्ग का कमल । रक्ताक्ष, (पुं. ) कबूतर । भसा | चकोर । सारस । क्रूर । रक्लाङ्ग, ( न. ) केसर | मङ्गल ग्रह | मूँगा | मजीठ | जिस वस्तु के भीतर लाख रङ्ग हो । रक्किा, (स्त्री. ) घुंघची | रत्ती | रक्तिमन्, ( पुं. ) ललामी । रक्त, ( पुं. ) रङ्गरेज़ | रँगइया | । र र, ( पुं. ) अग्नि | गर्मी । प्रेमाभिलाष । गति । गण विशेष | रंसु, (त्रि.) प्रसन्न | रंहू, (क्रि. ) बेज़ी के साथ जाना । रहस्, (न. ) वेग | शीघ्रता | रक्, (क्रि. ) चखना | पाना। रक, ( पुं.) चक्रमक | बिल्लौर पत्थर | झड़ी । रक्त, ( न. ) कुङ्कुम । ताँबा। सिन्दूर । लोहू । अनुराग | लाल रङ्ग । रत्ती । रक्तकन्द, ( पुं. ) मूँगा | रक्तचन्दन, ( न. ) लाल चन्दन | रक्तचूर्ण, (न. ) सिन्दूर | कुंकू । पिसा रख्, (क्रि. ) जाना । हिंगुल | रगू, (क्रि. ) सन्देह करना । रघू, (क्रि. ) जाना । रघु, ( पुं. ) सूर्यवंशी राजा दिलीप का पुत्र यह राजा वंशप्रवर्त्तक है और इसके वंश के रघुवंशी क्षत्रिय श्रम तक प्रसिद्ध हैं । तेज | हल्का | चम्बल । उत्कष्टित । G · रघुनन्दन, रघुनाथ, रघुपति, रक्ष, (क्रि. ) रक्षा करना | बचाना । रक्षःसम, ( न. ) राक्षसों का समूह | रक्षक, (त्रि. ) रख वाला। रक्षस्, (न. ) राक्षस रक्षा, ( स्त्री. ) वचाव | लाख | भस्म । रक्षापत्र, (पुं. ) भोजपत्र | रक्षित, ( स्त्री. ) रखवाली किया हुआ | रक्षिवर्ग, (पुं. ) रक्षकों का दल । रक्षोघ्न, (न. ) राक्षसों को मारने वाला । रक्षोहन्, (पुं. ) गुग्गुल | सफेद सरसों रघुवर, रघुश्रेष्ठ, रघुसिंह, रघूद्रह, ( पुं. ) रामचन्द्र के लिये ये शब्द विशेष आते हैं । किन्तु रघुकुल के सभी राजाओं को भी इन शब्दों से सम्बोधन होता है । चतुर्वेदीकोष । २६५, रघुवंश, (पुं.) रघुकुल । कालिदास का बनाया उन्नीस सर्ग का महाकाव्य | घुराजा का कुल a रघुवंशतिलक, ( पुं. ) श्रीरामचन्द्र । रङ्क, ( त्रि. ) कृपण । मन्द । मूर्ख | भिखारी | 1 रक्ङ्कु, ( पुं॰ ) हिरन । बारहसिंहा ! रङ्ग, ( क्रि. ) जांना । डोलना । रङ्ग, ( पं. ) वर्ण । अभिनयस्थान | नाट्य- स्थान । प्रतिमा बनाने वाला । रङ्गज, ( न. ) सेन्दूर | रङ्गजीवक, (पुं. ) रङ्गइया । रङ्गरेज | रङ्गद, (पुं. ) सुहागा रङ्गभूमि, ( स्त्री. ) अखाड़ा । नृत्यशाला । रङ्गमातृ, (स्त्री.) लाख । लाल रङ्ग । लाख का कीट | · रङ्गशाला, ( स्त्री. ) नाट्यगृह | नाचघर । रङ्गाजीव, (पुं. ) नट | नाटक का पात्र रङ्गरेज चित्रकार रङ्गावतारक, ( पुं. ) नृत्य करने वाला । रस, ( क्रि. ) शीघ्र जाना । ( न. ) शीघ्र गति | वेग । रचू, (कि. ) क्रम में लाना । तैयार करना । रचना, ( स्त्री. ) बनाना । सङ्कलन करना । रचित, (त्रि. ) बनाया हुआ | संग्रह किया हुआ। रजक, (पुं.) धोबी | तोता । रजका, (स्त्री.) धोबिन रजकी, (स्त्री.) धोबिन । रजस्वला स्त्री की तीसरे दिन की संज्ञा विशेष | रजत, (न. ) चाँदी का । सफेद । चाँदी । मोती का हार । रक्त । हाथीदाँत । पर्वत । रजन, ( न. ) किरन । रङ्गना | रजनी, ( स्त्री. ) रात्रि | हल्दी | लाल रङ्ग । दुर्गा का नाम । रजनीकर, (पुं. ) चन्द्रमा । रजनीचर, (पुं. ) राक्षस । चोर । चौकीदार । रजनीजल, (न. ) बर्फ । रजनीमुख, (न. ) प्रदोष । सूर्य्यास्त के बाद एक घण्टे का समय | रजस्वल, (त्रि.) गर्दीला | रजोयुक्त | मस्त | भैंसा | रजस्वला, ( स्त्री. ) ऋतुमती स्त्री । विवाह योग्य लड़की | रज्जु, ( स्त्री. ) रस्सी । डोरी । चोटी । ज, (क्रि. ) प्रेम में सन्तुष्ट करना । • । चमकना । रञ्जक, (न. ) रङ्गना। चित्रण । रञ्जन, (न.) मजीठ | हल्दी । प्रेम को उप- जाने वाला । मूञ्ज । रट्, ( क्रि. ) चिल्लाना । चीख मारना । रटन, (न. ) रटना | रटन्ती, ( स्त्री. ) माघकृष्ण चतुर्दशी । र, (क्रि.) बोलना । र, (क्रि. ) शब्द करना । बजाना। जाना । प्रसन्न करना | रण, (न. ) युद्ध | लड़ाई | रणरणक, ( पुं. ) उद्वेग । घबराहट | बहुत । रसङ्कुल, ( न. ) बड़ा भारी युद्ध । रएड (पुं. ) वह मनुष्य जो निस्सन्तान मरता है । वृक्ष जिसमें फल न लगे । रण्डक, ( पुं. ) बे फल का वृक्ष | रण्डाश्रमिन, (पुं. ) स्त्रीहीन पुरुष | रत, ( न. ) रमण | स्त्री पुरुष का सङ्गम | भोग | गुदा प्रेमासक्त । रति, ( स्त्री. ) राग । श्रीति । कामदेव की स्त्री । रतिपति, ( पुं. ) कामदेव । रत्न, ( न. ) मणि । श्रेष्ठ | हीरा | रत्नकूट, ( पुं. ) पहाड़ । चतुर्वेदकोष । २१६ रनगर्भा, ( पुं. ) समुद्र | कुबेर | पृथिवी | अच्छे लड़के वाली स्त्री । रत्नद्वीप, ( पं. न. ) द्वीप विशेष । रत्नपारायण, (न. ) समस्त रत्नों का पूरा पूरा स्थान । रत्नमुख्य, (न. ) हीरा । रत्नघती, ( स्त्री. ) पृथिवी रत्नसानु, ( पुं. ) सुमेरु नामक पहाड़ । रत्नसू, ( स्त्री. ) पृथिवी । रत्नगर्भा । रत्नाकर, (पुं. ) समुद्र रनों की खान । रत्नाभरण, (न. ) जड़ाऊ गहना | रत्नावली, (खी. ) रत्नों की माला । वत्सराज की बनायी एक नाटिका | रति, (पुं. स्त्री. ) कोहनी । माप विशेष | रथ, (पुं. ) सवारी गाड़ी | शरीर | पाँव । बेत । रथकड्या, ( स्त्री. ) रथों का समूह | रथकार, (पुं. ) बढ़ई । सङ्कर जाति विशेष | रथ बनाने वाला | · रथगुप्ति, ( स्त्री. ) रथ का वह काठ या लोहे का भाग जिससे दूसरे रथ कीटकर बच सके । रथन्तर, (त्रि. ) रथ ले जाने वाला । रथयात्रा, ( स्त्री. ) आषाढ की शुक्ला द्वितीया के दिवस का जगनाथ का उत्सव विशेष | रथाङ्ग, (न. ) पहिया चकवा | चक्र | रथाङ्गपाणि, ( पुं. ) विष्णु । रथाम्र, (पुं. ) नरकुल । बेत । रथारोहिन्, ( पुं. ) रथी । रथ पर बैठ कर लड़ने वाला । रथिक, ( पुं. ) रथ पर बैठ कर युद्ध करने वाला । रथोपस्थ, ( न. ) रथ का मध्य भाग | रथ्य, (पुं. ) रथ का घोड़ा । रम्र रथ्या, (स्त्री.) सड़क । रदू, (क्रि. ) चीरना | खोदना । उखाड़ना । रद, ( पुं.) दाँत । हाथी का दाँत । रदच्छद (पुं. ) ठ रदन, (पुं.) दाँत । विदारण | फाड़ना । रदनिन्, ( पुं. ) हाथी | रदिन्, रघु, (क्रि. ) मारना पकानी । रन्तिदेव, ( पुं. ) चन्द्रवंश का एक राजा | कुत्ता । विष्णु । रन्तु (पुं.) रास्ता | नदी । रन्ध्र, (न. ) छेद । त्रुटि दोष । ( ज्योतिष में ) लग्न से आठवौं स्थान । रन्ध्रबभ्रु, ( पुं. ) विल्ली । रन्ध्रवंश, (पुं.) पोला बाँस । रप्, (क्रि.) स्पष्ट स्पष्ट बोलना । रपस्, (न.) दोर्ष । अवगुण | पाप | चोट | हानि | रभू, (क्रि. ) आरम्भ करना । कोरियाना | छाती से लगाना । उत्सुक होना । बे विचारे किसी काम को सहसा करना । रभस, (पुं. ) बरजोरी। श्रौत्सुक्य । बही उत्कण्ठा | अनविचारे किसी काम को कर बैठना | रम्, ( कि. ) खेलना भोग विलास करना । रम, ( पुं. ) प्रसन्नकर । हर्षप्रद । प्रिय । पति । कामदेव । अशोक वृक्ष । रमक, ( पुं. ) प्रेमिक । रमठ, (न.) हींग | रमण, (पुं.) प्रेमिक । पति । कामदेव | अरुण । गधा । अण्डकोश | नीम जघन । मैथुन | नारी । रमणा, ( स्त्री. ) पत्नी । रमणी, (स्त्री.) सुन्दरी युबती स्त्री | रमणीय, ( त्रि. ) चित्त प्रसन्न करने वाला । रोहि रोहिण, (न. ) रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न | विष्णु । वट । रोहितक । भूतृण आदि वृक्षों के नाम | रोहिणिका, ( पुं. ) लाल मुख वाली स्त्री | गले की सूजन । रोहिणी, ( स्त्री. ) लाल रङ्ग की गौ । दक्ष की कन्या । नक्षत्र विशेष बलराम की जननी और वसुदेव की भार्या प्रथम वार . हुई ऋतुमती लड़की | बिजली | गले की सूजन | मजीठ | हरे | रोहिणीपति, ( पुं. ) वासुदेव । चन्द्रमा । रोहिणीव्रत, (न. ) जन्माष्टमी | श्रीकृष्ण- जयन्ती | • ज्यतुर्वेदीकोष । ३०६ रोहित्, (पुं. ) सूर्य | रोहू मछली । ( स्त्री . ) लाल घोड़ी। हिरनी । रोहित, ( त्रि. ) लाल । लाल रङ्ग का । ( पुं. ) लाल रङ्ग | लोमड़ी | मृग विशेष | लाल घोड़ा । हरिश्चन्द्र के पुत्र का नाम । मछली । ( न. ) लोहू | केसर | इन्द्र- । धनुष । रोहिताश्व, ( पुं. ) अग्नि । रोहिन्, ( त्रि. ) लम्बा | निकला हुआ | वढ़ा हुआ | ( पुं. ) रोहितक | वट | श्व आदि वृश्च । रोहिष, ( पुं. ) एक प्रकार की मदली । एक प्रकार का हिरन । रौक्म, ( त्रि. सुनहला । रौक्मी, (स्त्री. रौक्ष्य, (न. ) कठोर कड़ा । रूखापन | निठुरपन | रौचनिक, (त्रि. ) रौचनिकी, ( स्त्री. )} कुछ कुछ पीला । रौचय, ( पुं. ) बिल्त्र वृश्व का डण्डा | बिल्व वृक्ष की लकड़ी का दण्ड रखने वाला संन्यासी । रौद्ध, ( कि. ) अनादर करना । लंक रौद्र, ( न. ) घाट रसों में से एक | रुद्र देवता का । गुस्सैल | सूर्य्यताप | भयानक । विपद- जनक | ( पुं . ) रुद्र का पूजने वाला । • गर्मीीं। क्रोध | व्यसन । यम । जाड़ा । रौद्रकर्मन्, (त्रि.) भयानक काम करने वाला । साहसी । श्रविचारी । राद्रदशन, ( त्रि. ) भन्यङ्कर रूप वाला । कुरूप । रौधिर, (त्रि.) खूनी | रुधिर से उत्पन्न । रौप्य, (त्रि. ) चाँदी । चाँदी का बना । चाँदी जैसा । ( न. ) चाँदी । रोम, ( न. ) साँभर नोन रौरव, (पुं. ) नरक विशेष | जङ्गली | (त्रि.) रुरु के चर्म का बना। भयानक । बेई- मान । छली । रौहिण, (त्रि.) रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न । ( पुं. ) चन्दन का वृक्ष । बड़ का वृक्ष । श्रग्नि । रौहिणेय, ( पुं. ) बचड़ा। बलराम। बुध ग्रह । शान ग्रहू । ( न. ) मरकत मणि । रौहिष्, (पुं. ) मृग विशेष | तृण विशेष | लता । दूर्वा घास विशेष। मछली भेद । ल, ( पुं. ) इन्द्र । छन्दशास्त्र में श्राठ गणों में से एक गण । व्याकरण में समय विभाग के लिये पाणिनि ने दस लकार माने हैं, जैसे-‘ लट्, लिट्, लुट्, लट्, लेटू, लोट्, लङ, लिङ्, लुङ् और लङ् । लक्, (क्रि. ) स्वाद लेना | चखना | पाना | लक, (पुं.) माथा | बनैले चावलों की बाल । लकच, १ ( पुं. ) वृक्ष विशेष | मदार का लुकच, ] पेड़ या उसका फल । लकुट, ( पुं. ) छड़ी | लकड़ी । ललक, ( पुं. ) लाख | चिथड़ा | फटा कपड़ा। लफ़ि चतुर्वेदीकोष | ३०७ लक्किा, ( स्त्री. ) छिपकली । विस्तुइया | लक्ष्मीवार, (पुं. ) गुरुवार लक्षू, (कि.) देखना । पहिचानना | चिह्न करना । लक्ष्मीवेष्ट, (पुं.) तारपीन । लक्ष, (न.) एक लाख | चिह्न | दिखावट | छल । तीर का चिह्न । लक्ष्मीसहज, लक्ष्मीसहोदर, लक्षक, (त्रि.) चिह्न । लक्षणा से अर्थ को बतलाने वाला | लक्षण, ( न. ) o चिह्न । पहिचान | लक्ष्मण का नाम : परिभाषा । लक्षित, ( त्रि. ) अनुमान किया गया | जाना हुआ। लक्ष्मन्, (न.) चिह्न या दाग या लाञ्छन जो सदा के लिये हो जाय । सारस पक्षी । प्रधान । ↑ लक्ष्मण, (पुं.) दशरथ के पुत्र का नाम सुमित्रानन्दन । सौमित्रि । ( 1 ) एक औषधि जिसको नव वन्ध्या को चतुर्थ दिन नाक में भरने से गर्भाधान होता है । लक्ष्मी, ( स्त्री. ) विष्णुपत्नी | हल्दी | शोभा | धन । मोती । वृश्च विशेष । सुन्दरता । चन्द्र की ग्यारहवीं कला | लक्ष्मीकान्त, ( पुं.) विष्णु | राजा । लक्ष्मीगृह, ( न. ) लाल कमल का फूल | लक्ष्मीनाथ, लक्ष्मीपति,} ( पुं. ) विष्णु। राजा. लक्ष्मीपुत्र, ( पुं. ) घोड़ा | कुश और लव का नाम । कामदेव | लक्ष्मीपुष्प, (पुं. ) माणिक । लक्ष्मीपूजन, (न.) १ लक्ष्मी के पूजन लक्ष्मीपूजा, ( स्त्री. ) S का समय अर्थात् कार्तिकी अमावस की रात । दीपमालिका । दीवाली । लक्ष्मीफल, ( पुं. ) बिल्वफल | बेल । नारियल । लक्ष्मीरमण, i. ) विष्णु । लक्ष्मीवत्, ( पुं. ) शोभा वाला | कटहर का पेड़ | भाग्यवान् धनी । लक्ष्मीवसति, ( स्त्री. ) लाल कमल | ( पुं. ) लक्ष्मी का प्यारा चन्द्रमा | इन्द्र का घोड़ा । उच्चैःश्रवस् । पाञ्चजन्य शङ्ख । समुद्रमन्धन के समय निकलने वाले, कौस्तुभ मारी | • पारिजात वृक्ष | धन्वन्तरि | ऐरावत हाथी । → ( T ) मदिरा | सुधा ( अमृत ) । कामधेनु । लक्ष्य, (न. ) उद्देश्य । अनुमान योग्य | जानने योग्य | निशाना लगाने योग्य | लक्ष्यभेद, (पुं. ) निशाना मौरना । उद्देश्य में भेद | मतभेद | लक्ष्यवेध, (पुं. ) निशाना मारना | उद्देश्य की सिद्धि | लक्ष्यवीथि, ( स्त्री. ) ब्रह्मलोक का मार्ग । देख कर चलने के योग्य मार्ग जैसे बदरी- नारायण का रास्ता आदि । लक्ष्यहन्, ( पुं. ) तीर | उद्देश्यभ्रष्ट | बेपरवाह | लखू, लघू लङ्गू, } ( कि. ) जाना । लगू, (क्रि. ) चिपकना । लगना । मिलना । छूना रोकना | चखना | पाना | लगित, ( त्रि. ) लगा हुआ । मिला हुआ । प्राप्त । लग्न, (न. ) मेषादि राशियों का उदय | ( त्रि. ) लञ्चित | लगा हुआ | स्तुतिपाठ करने वाला ! जामिन । लग्नक, ( पुं. ) जामिनी | ज़मानत | प्रतिभू लग्निका, ( स्त्री. ) नग्निका का अशुद्ध रूप | टरजस्का स्त्री | लगड, (त्रि. ) प्यारा सुन्दर लगुड, लगुर, ( पुं. ) छड़ी । डण्डा | कूबड़ी । लगुल, लघु, (क्रि. ) कुछ न खाना | मर्याद लाँघ कर जाना। लघ लघट्, ( पुं. ) हवा | पवन लघिमन् (पुं. ) हल्कापन | ईश्वर का एक प्रकार का ऐश्वर्य | लाधव । लघष्ठ, (त्रि. ) अत्यन्त हल्का | लघु, (त्रि.) हल्का । • चतुर्वेदीकोष | ३०८ थोड़ा + छोटा । किचन | नीच । निर्बल । अभागा । चञ्चल । तेज । लघु । कोमल । सहज। ( छन्द में ) अनुकूल साफ | अवस्था में छोटा । ( पुं. ) हस्त, पुष्य और अश्विनी नक्षत्रों के नाम । लध्वी, ( स्त्री. ) बड़ी कोमल प्रकृति स्त्री | गाड़ी। लघु शब्द का स्त्रीवाचक अर्थ | लङ्का (स्त्री. ) कुबेर की प्रधान राजधानी जिसको रावण ने हठ से छीन लिया था, और जहाँ रावण मारा गया था । रण्डी । वेश्या । डाली। शाखा | अन्न विशेष | लङ्काधिप, ( पुं. ) कुवेर | रावण लङ्काधिपति, विभीषण । लङ्कास्थायिन, ( पुं. ) लङ्का में रहने वाले । लङ्कादाहिन्, (पुं. ) हनुमान् । लङ्केश, (पुं. ) रावण और उसका भाई श्वर, विभीषण । लखनी (स्त्री.) लगान लङ्ग, (क्रि. ) जाना । लङ्गड़ाना । लङ्ग, (पुं.) लँगड़ापन | सम्मिलनी | प्रेमिक | प्रेमी | लङ्गक, (पुं. ) प्रेमी जार लङ्गल, (न. ) हल । लङ्गूल, (न.) पूँछ । लहू, (कि. ) उचलना । फलाम मार कर जाना | कूदना | चढ़ना | आर पार होना। अनाहार रहना । सुखाना कम करना । पकड़ना । लङ्घन, (न. ) निराहार । उपवास फाँका । कड़ाका | उछलना । चढ़ना। लछू, ( क्रि. ) चिह्न करना Cat 5 लज्, (क्रि. ) शर्मिन्दा होना । कलङ्कित करना। दोषारोपण करना । चमकना । ढकना छिपाना । लज्जू, (क्रि. ) लज्जित होना । लज्जका, ( स्त्री. ) बनले कपास का पेड़ । लज्जरी, ( स्त्री. ) एक प्रकार का सफेद पौधा लज्जा, ( स्त्री. ) शर्म । लाज | लाजवन्ती बेल | लज्जालु, ( स्त्री. ) शर्मीला । लजीला | लज्जाशील, ( त्रि. ) लजीला लजाने वाला । लज्जित, ( पुं. ) ब्रीडित | शरमाया हुआ | लजाया हुआ | ल, (क्रि.) दोप लगाना | भूनना घायल करना । मार डालना | देना । बोलना | दृढ़ होना | रहना | चमकना । प्रकट होना। लआ, ( स्त्री. ) घास । व्यभिचारिणी । लक्ष्मी । निद्रा । लखिका, ( स्त्री. ) रण्डी । वेश्या । लड्, (क्रि.) लड़कपन करना | तुतलाना | चिल्लाना | रोना । लट्, पाणिनि का व्यवहृत वर्तमान लकार के लिये शब्द विशेष | लट, ( पुं.) मूर्ख । दोष । चोर । डाकू। लटपर्ण, ( पुं. ) दालचीनी । बट्ट, ( पुं.) बदमाश । गुण्डा | लठ, (पुं.) घोड़ा। नाचने वाला बालक | राग विशेष । एक जाति का नाम । पक्षी विशेष । गौरीला । बाजा । खेल । असली स्त्री | लड्, (क्रि.) खेलना | फेंकना उछालना । जिह्वा को ऐंठना | छेड़ छाड़ करना | थपथपाना । लडह, (त्रि. ) सुन्दर लड्डुक, १ (पुं.) लड्डू | लहा। "मिष्टान्न विशेष | लण्ड्र

लण्ड, (क्रि. ) ऊपर उछालना । बोलना । लण्ड, (न. ) विष्ठा । पाखाना | गू | लण्डू, (पुं.) लण्डन नगर । लता, ( स्त्री. ) बेल । शाखा । प्रियङ्गु । चतुर्वेदीकोष । २०६ माधवी मुश्क । चाबुक की रस्सी । माला का डोरा । स्त्री । दूर्वा घास | लतार्क, ( पुं. ) हरा प्याज़ | लताजिह्व, ( पुं. ) सर्प । साँप लतारसन, लतातरु, (पुं. ) साल का पेड़ । ताल वृक्ष । नारिङ्गी का पेड़ | लतापनस, (पुं.) खरबूज़ा । तरबूज | लतापर्ण, ( पु. ) विष्णु । लताभवन, (न. ) लतामण्डप | लतामणि, ( पुं. ) मूङ्गा । लतायष्टि, ( स्त्री. ) मजीठ | लतावृक्ष, (पुं. ) नारियल का पेड़ | लतावेष्ट, ( पुं. ) एक प्रकार के मैथुन की विधि । लतावेष्टन, १ (न. ) एक प्रकार से छाती लतावेष्टितक, ऽ से लगाना | लतिका, (स्त्री. ) छोटी बेल । लत्तिका, ( स्त्री. ) एक प्रकार की छोटी छिपकली | लपू, (क्रि. ) बोलना । बातचीत करना । तुतलाना | काना फूँसी करना । कराहना | लपन, (न. ) मुख | बातचीत | लपित, ( त्रि. ) कथित | कहा गया | लब्, (क्रि. ) पकड़ना । सहारा देना । लब्ध, (त्रि. ) प्राप्त । पाया । लब्धवर्ण, (पुं. ) पण्डित । चतुर । लभू, (क्रि. ) पाना | रखना । लेना । पकड़ना मिलना । फिर से पाना । उगाहना | जानना । सीखना | लमक, (पुं. ) जार। प्रेमी | विषयी । लम्पट, ( पुं. ) विषयी । व्यभिचारी । लबार । ललि लम्ब, (पुं. ) नाचने वाला । सुन्दर । घूँस | अङ्कगणित के त्रिभुज आदि क्षेत्र | ( त्रि. ) लम्बा । लटका हुआ | लम्बकर्ण, ( पुं. ) बकरा । हाथी | राक्षस । बाज । अङ्कोट वृक्ष । गधा | लम्बकेश. ( त्रि. ) लम्बे बालों वाला । (पुं.) • कुश का आसन लम्बवीजा, ( स्त्री. ) मदिरा । लङ्का में उत्पन्न | लम्बे बीज वाली । , लम्बोदर, (पुं. ) गणेश जी | बड़े पेट वाला । बहुत खाने वाला । लय, (क्रि. ) जाना । लय, (पुं. ) विनाश । गीत । काल । ईश्वर । लयपुत्री, ( स्त्री. ) नाटक की एक पात्री | नटी । नाचने वाली स्त्री | लर्च्, (क्रि.) जाना । ललू, (क्रि. ) चाहना | खेलना । थपथपाना | लल, (त्रि.) खिलाड़ी | इच्छा करने वाला । ललजिह्व, पुं. ) हिल रही जांभ वाला । कुत्ता | ऊँट | हिंस्रक जन्तु | ललन्तिका, ( स्त्री. ) लम्बी गले की माला । छिपकली या गिरगिट ललना, (पुं. ) महिला । स्त्री | नारी । ललनाप्रिय, (पुं.) कदम्ब वृक्ष । स्त्रियों का प्यारा । ललाक, ( पुं. ) लिङ्ग । पुरुष चिह्न। ललाट, न. ) माथा । कपाल । ललाटन्तप, (पुं.) सूर्य्य | ललाटिका, ( स्त्री. ) माथे का भूषण । ललाम, ( त्रि. ) सुन्दर । प्यारी । मनोहारिणी । माथे की सुन्दरता बढ़ाने के लिये कृत्रिम चिह्न विशेष । ( न. ) माथे का आभूषण । सर्वोत्तम कोई वस्तु | चिह्न | ध्वजा । पंक्ति । रेखा । पूँछ । अयाल । गौरव । सौन्दर्य | सींग । ( पुं. ) घोड़ा । ललित, (न. ) सुन्दर । चाहा हुआ। ललि ", चतुर्वेदीकोष । ३१० ललिता, ( स्त्री . ) स्त्री । कस्तूरी । दुर्गा का एक रूप । ललितापञ्चमी, ( स्त्री. ) आश्विन शुक्ला पञ्चमी । ललितासप्तमी, ( स्त्री. ) भाद्रशुक्ला सप्तमी । लव, ( पुं. ) छेदन | लेश | श्रीरामचन्द्र के एक पुत्र का नाम परिमाण विशेष गौ की पूँछ के बॉल । हानि । लौंग । सुपारी । लवङ्ग, (न.) लौंग का पेड़ यो फल । लवङ्गकलिका, ( स्त्री. ) लौंग | लौंग की कली जो आगे चौकोनी रहती है । लवङ्गक, ( न. ) लौंग लवण, (त्रि. ) नमकीन । प्यारा सुन्दर ( पुं. ) नमकीन स्वाद | खारी पानी का समुद्र । एक असुर का नाम जिसे शत्रुघ्न ने मारा था । नरक विशेष । ( न. ) नमक | ड्रोन । समुद्री नमक | लवणक्षार, (पुं. ) खार विशेष | लवली, ( स्त्री. ) एक प्रकार की बेल । लवाक, (पुं.) हँसिया | काटने का औजार | लवि, ( त्रि. ) तेज धार वाला । लवित्र, (न. ) हँसिया } ( पुं. न. ) लहसन । लशुन, लशून, लघू, (क्रि. ) इच्छा करना चाहना | लप्च, (पुं. ) नाटक का पात्र । नाचने वाला | लस्, (क्रि. ) चमकना | खेलना । लसिका, ( स्त्री. ) लारें । थूक | लसित, ( त्रि. ) खेला हुआ । प्रकट हुआ। लसीका, ( स्त्री. ) लार । गन्ने का रस । लस्त, (त्रि.) चिपटाया हुआ । कोरियाया हुआ। पटु चतुर । लस्ज, (क्रि.) लजाना । लस्तक, (पुं. ) धनुष का वह हिस्सा जो हाथ से थामा जाता है । लस्तकिन्, (पुं..) धनुष । लाञ्छ लहरि, ? (स्त्री.) लहर । समुद्र की बड़ी लहरी, लहर | ला, (क्रि.) पकड़ना । लाकुटिक, (त्रि.) लण्ठ' या डण्डा बाँधे हुए । ( पुं. ) चौकीदार | लाक्षकी, ( स्त्री. ) शीतला । लाक्षणिक, ( त्रि.) लक्षण युक्त | चिह्न वाला | लाक्षराय, (त्रि.) भसे बुरे लक्षणों को जानने वाला । लाक्षा, (स्त्री.) लाख । लाक्षारस, (पुं. ) लाख का रस । अलकतरा | लाख का रङ्ग । लाखू, (क्रि. ) सुखाना | सजाना | देना । हटाना । पर्याप्त होना । लाघ, (.) समान या बराबर होना । पूर पाड़ना । लाघव, (न. ) हलकापन चारत्व | अपमान । अल्पत्व | अवि- शीघ्रता । वेग । स्वास्थ्य | उद्यतता । लाङ्गल, (न. ) हल | ताड़ वृक्ष | पुष्पविशेष | चन्द्रमा के विशेष दर्शन | शहतीर । लाङ्गलदण्ड, (पुं.) हलके मध्य में लगा हुआ लकड़ी का डण्डा । लाङ्गलपद्धति, ( स्त्री. ) रेखा । डण्डी । सीता । लाङ्गलिन्, (पुं.) बलराम । नारियल का पेड़ | सर्प । खत्ती । लाङ्गली, ( स्त्री. ) नारियल का पेड़ | लाङ्गुल,( न. ) पूँछ । लाङ्गूल, ( न. ) पूँछ । अनाज लाङ्गलिन्, ( पुं. ) बन्दर । लङ्गूर लाजू, (क्रि. ) झिड़कना | भूनना | तलना । लान्छु, ( कि. ) पहिचान के लिये चिह्नित करना | सजाना । लाञ्छन, (न. ) चिह्न । नाम । नित्य चिह्न जो कई स्त्री पुरुष आदि के देह में होता है । लांट चतुर्वेदीकोष | ३११. ' , लाट, (पुं.) देश विशेष । पुराने फटे कपड़े । लड़कों जैसी भाषा । विद्वान् पुरुष । लाटानुप्रास, (पुं.) अलङ्कार में शब्द सम्बन्धी अनुप्रास लाभ, (पुं. ) नफा | व्याज | लालन, (न. ) प्रेम के साथ पालना । लाड़ लिङ्गवर्धिनी (स्त्री) अपामार्ग । लिङ्गवृत्ति, ( पुं. ) कपटी या दाम्भिक संन्यासी | लिङ्गिन्, ( त्रि. ) चिह्न वाला। लिप्, ( क्रि. ) लीपना । लिपि, } ( स्त्री. ) लेख । लिपिकर, } (पुं. ) लेखक। लिखने वाला । लिधी, लिप्त, (त्रि.) लिपटा हुआ । सना हुआ । एक कला विषमिश्रित ( तीर का अग्रभाग) | खाया हुआ । मिला हुआ । लिप्तक, (पुं. ) विष में बुझा तीर । लिप्सा, ( स्त्री. ) चाहा । लाभ की चाहना | 'लिम्पाक, ( पु. ) वृक्ष विशेष । गधा । लिहू, (क्रि. ) चाटना । चखना | ली, ( क्रि. ) जुड़ना । मिलना । टिघलना लीढ, (स्त्री. ) चाटा गाया । चक्खा गया । लीन, (त्रि.) डूबा हुआ । निमग्न | लगा हुआ । विशेष | लीख जो अक्सर स्त्रियों के बालों में जूँ की जाति की छोटी छोटी पड़ जाती हैं । लिखू, (क्रि. ) लिखना । लिखन, (न. ) लेखन | लिपि | लेख | लीला, ( स्त्री. ) केलि | भोग विलास | लीलावती, ( स्त्री. ) भास्कराचार्य की बेटी उसका बनाया अङ्कगणित का एक अन्य 1. न्यायशास्त्र का एक ग्रन्थ, जिसमें प्रसिद्ध पदार्थों का प्रतिपादन किया गया है । पुराण प्रसिद्ध । वेश्या विशेष । लीलोद्यान, (न. ) देवताओं का एक वन | लुक्कायित, (त्रि ) गुप्त | छिपा हुआ | लुका हुआ । लिखित, (न. ) लिखा हुआ । एक मुनि का लुञ्चित, (त्रि. ) नोचा हुआ । तोड़ा गया । नाम । लुट्, ( क्रि. ) चमकना | कष्ट सहना | बोलना | भूमि पर लोटना। लूटना | लुङ्, (क्रि.) मारना | मार कर गिरा देना | जमीन पर लोटना सामना करना। लूट लेना । लुठन, (न.) लोटना। इधर उधर घूमना । लुएटक, (त्रि. ) डाँकू । लुएटाक, (त्रि. ) डाँकू | वटमार | > लड़ाना । D लालसा, ( स्त्री. ) चाहना । गर्भ वाली स्त्री की चाहना । गर्भचिह्न । लाला, (स्त्री) लार । लालाटिक, (पुं. ) अपने मालिक के भाग्य पर जाने वालो । काम न कर सकने वाला । भाग्याधीन । लालित्य, ( न. ) सौन्दर्य । लाव, (पुं. ) एक प्रकार का पक्षी । लावण, (न.) नमकीन लावणिक, ( न. ) नमक बेचने वाला । नमक | लावण्य, ( न.) सलोनापन | सौन्दर्य विशेष | लासिका, (स्त्री.) नाचन वाली | लास्य, (न.) बाजा नाच | गीत | लिकुच, (पुं. ) मन्दार का पेड़ | लिक्का, लि" (बी.) जुए का अण्डा । माप लुम्टा लिगू, (क्रि. ) जाना । लिङ्ग, ( पुं. ) पुरुषत्व का प्रधान चिह्न । पुरुष, स्त्री और नपुंसक का भददशक चिह्न । सामान्य चिह्न । अनुमान सिद्धि का कारण प्रकट । शब्द में स्थित याथार्थ्य दर्शक धर्म । अर्थप्रकाशन का सामर्थ्य | शिवजी की मूर्ति | व्याप्य लुण्ठ चतुर्वेदीकोष । ३१२ लुण्ठक, (त्रि. ) चोर | लुञ्च, (क्रि. ) तोड़ना । उखाड़ना । लुग्, (क्रि. ) घबड़ाना | तोड़ना | लूटना | लुख, (न. ) नष्ट | छिप गया। टूट गया। लुब्ध, ( पुं. ) लम्पट | लोलुप । विषयों में आपादमस्तक डूबा हुआ । लुभू, (क्रि. ) घबरा जाना । चाहना | लुलाप, (पुं. ) भैंसा | लुलाच, लुलित, ( त्रि.) हिलाया गया | चला गया । लुप्, ( क्रि. ) चोरी करना । लुषभ, ( पुं. ) मस्त हाथी लुड्, ( कि. ) चाहना | लू, ( कि. ) काटना | अलग करना | तोड़ना | बाँटना। इकट्ठा करना पकाना | लुगा, ( स्त्री. ) मकड़ी। चींटी । लूनामर्कडक, ( पुं. ) लनूर । एक प्रकार की चमेली ।' लूतिका, ( स्त्री. ) मकड़ी । लून, ( त्रि.) काटा हुआ । तोड़ा हुआ | नष्ट किया हुआ। घायल । ( न.) पूँछ । लूम, ( न. ) पूँछ । लेख, (पुं. ) लिपि । लेखक, ( पुं. ) लिखने वाली | लेखन, (न. ) भोजपत्र | अक्षरों का लिखना | लिखने का साधन । ( स्त्री. ) कलम आदि । लेखनिक, (पुं. ) लिखने वाला । लेखर्षभ, (पुं.) देवताओं में श्रेष्ठ | इन्द्र | लेखहार, (पुं.) चिट्ठीरसाँ | चिट्ठी ले जाने वाला । लेखिनी, (सी.) कलम | चमचा | लेख्य, (त्रि.) लिखने योग्य | निज स्वत्व- सूत्रक व्यवहारसम्बन्धी एक पत्र | टीप | लेप, ( पुं. ) भोजन | लीपना | लेपक, (पुं. ) राज | थबई । लेलिहान, ( पुं. ) साँप | बारम्बार चाटने वाला । लोट् लेश, (पुं.) थोड़ा | टुकड़ा लेह, (पुं. ) आहार | चाटना । लेहिन, (पुं. ) सुहागा | लेह्य, (त्रि.) मृत | चाटने योग्य | लैङ्ग, ( न. ) अष्टादश पुराणों में से एक । लैङ्किक, (त्रि. ) अनुमित । ( पुं. ) मूर्ति बनाने वाला । लैरप्र, (क्रि.) जाना । पास जाना | भेजना | कोरियाना । लोक्, (क्रि. ) देखना । जाना अभिश होना । लोक, (न. ) भुवन | जन | दुनिया | लोकपाल, (पुं. ) लोकरक्षक इन्द्रादि राजा | लोकबान्धव, (पुं.) सूर्य लोकमातृ, ( स्त्री. ) लक्ष्मी | लोकलोचन, ( पुं. ) सूर्थ्य | लोकबाह्य, (त्रि. ) लोक से बाहर | 'लोकायत, (न.) चार्वाक मत | लोकायतिक, (पुं. ) नास्तिक | चार्वाक | लोकालोक, ( पुं. ) देखा जाता और नहीं देखा जाता । एक पहाड़ जिसकी एक और प्रकाश और दूसरी ओर अन्धकार रहता है । लोकेश, (पुं. ) ब्रह्मा | राजा | पारा | लोग, (पुं.) मिट्टी का ढेला । लोच्, (क्रि. ) देखना | लोच, (न. ) आँसू | लोचक, (पुं.) मूर्ख पुरुष | आँखों की पुतली | काजल । कान में पहनने की एक प्रकार की बाली । काला या नीला लिवास । माथे का आभूषण विशेष जिसे स्त्रियाँ पहनती हैं। मांसपिण्ड | सर्प की कैंचली | झुर्रीदार खाल। तनी हुई भौं । केला । लोचन, (न. ) नेत्र | देखना | लोट्, ( क्रि. ) मूर्ख या पागल होना । लोटू, व्याकरण का समय का अर्थबोधक एक लकार जो आशिष और प्रार्थना में आता है। . लोड लोटन, (न.) लोट पोट | लोटा, लोटिका, चतुर्वेदकोष । ३१३ } ( स्त्री. ) शाक। पीताभ । लोठ, (पुं.) भूमि पर लोट पोट करना । लोडू, (क्रि. ) पागल या मूर्ख होना । लोडम, (न. ) हिलाना जुलाना । गन्दला करना । आन्दोलन करना । लोणार, (पुं. ) एक प्रकार का नमक | लोत, (पुं. ) आँसू | चिह्न । ( न. ) लूट

का माल । नमक लोत्र, (न.) लूट का माल लोध, ) ( पुं. ) वृक्ष विशेष, जिसमें लाल लोध्र, ∫ या सफेद फूल लगते हैं। पटानी लोध, इसकी पोटली बाँध कर कपूर और फिटकरी डाल कर ठंढे पानी में भिगो कर आँखो में लगाते हैं । उठी आँख आराम हो जाती है । लोप, (पुं.) छिपात्र । लुकाव । दुराव | काटना । घबराहट । लोपामुद्रा, } (स्त्री.) अगस्त्य छवि की स्त्री । लोपत्र, (न. ) चोरी का माल लोभ, (पुं.) लालच लोभिन्, ( पुं. ) खालची : लोभ्य, (पुं.) मूँग । लोम, (पुं.) पूँछ । शरीर के रोम | लोमकर्ण, (पुं. ) शशक लोमकूप, (पुं. ) रोओं के छेद । लोमघ्न, (न. ) रोग विशेष नाऊ । दवा जिससे बाल गिर जायँ " चूने की कली और हरताल " । खोमपाद, ( पुं. ) चङ्ग देश का राजा । लोमश, (त्रि. ) रोओं वाला । ( पुं. ) एक मुनि विशेष यह बड़े आयुष्मान् हैं, ब्रह्मा के मरने पर एक बाल छाती का उखाड़ फेंकते हैं इसी कारण इनका नाम लोमश है । लोमहर्षण, (न. ) रोमाञ्च | व्यास के एक शिष्य का नाम । सूतवंशोद्भव इस नाम का एक पौराणिक । सूत का पिता जिसको बलराम ने मार डाला था। लोल, (त्रि.) लालची । चश्चल | ( स्त्री . ) जिह्वा । लक्ष्मी | लोलुप, लोलुभ, } (त्रि.) बड़ा लालची । लोष्ट्र, (क्रि.) इकट्ठा करना । लोष्ट, ( पुं. न. ) मिट्टी का ढेला । लोहे का मैल | लोष्टघ्न, ( पुं. ) मूँगरी या मुग्दर । लोह, (पुं. न.) लौहा। लोहकार, ( पुं. ) लोहार । लोहकिट्ट, ( न. ) लोहे का मैल | मण्हूर । लोहद्राविन, (पुं.) सुहागा | | लोहित, ( न. ) लोहू | लाल चन्दन | लाल । सुहांजन | ( पुं. ) लाल रङ्ग । ( त्रि. ) लाल रङ्ग वाला। S लोहिताक्ष, (पुं. ) लाल आँखों वाला । विष्णु । कोकिल । लोहिताङ्ग, ( पुं. ) मङ्गल ग्रह | वृक्ष विशेष | लोहितायस, (पुं.) ताँवा | लाल लोहा विशेष | लोहिनी, ( स्त्री. ) लाल रङ्ग वाली स्त्री । लोहोत्तम, (न.) सोना । लौकायतिक, ( न. ) नास्तिक मत का जानने वाला । लौकिक, (त्रि. ) लोक प्रसिद्ध । लोक विदित | लौकिकाग्नि, ( पुं. ) विधिपूर्वक संस्कारित अग्नि । लौड, (क्रि. ) पागल होना । लौह, (पुं.) लोहा। लौहकार, ( पुं. ) लुहार । लौहज, (न.) मरहूर । लोहे का मैल | लौहभाण्ड, (पुं. ) लोहे का खल्ल और लोढ़ा । इमामदस्ता । लोहे का बर्तन । लौहशङ्कु, ( पुं. ) लोहे की कॉल । लौहि लौहित, ( पुं. ) शिव का त्रिशूल । लौहतिक, ( त्रि. ) ललोहा । कुछ कुछ लाल चतुर्वेदीकोष । ३१४ रङ्ग का । लौहित्य, ( न. ) लाल रङ्ग । एक नदी । }( क्रि.) मिलना । ल्पी, स्थी, ल्वी, (क्रि. ) जाना | व वं, (त्रि.) बलवान् । दृढ़ | ( पुं. ) हवा | बाह | वरुण । समुद्र । आवास । चीता । कपड़ा। मान राहु । वरुण का आवास- स्थान । कमल की जड़ कल्याण | सान्त्वन | वंश, ( पुं. ) एक प्रकार का बाँस । कुल । जाति । बाँसुरी । समूह | मेरुदण्ड | साल वृक्ष । दस हाथ का माप । गन्ना । वंशकर्पूररोचना, (स्त्री . ) वंशलोचन | घंशज, (न. ) कुलीन । वंशधर, (त्रि.) कुल चलाने वाला । सन्तान | वंशशर्करा, ( स्त्री. ) तनाखीर | वंशलोचन | वंशस्थविल, ( न. ) एक छन्द जिसके प्रत्येक पाद में बारह अक्षर होते हैं । वंशात्र, (न.) कुल में सब से बड़ा था पहिला । वंश में पूज्य | वंशीधर, (पुं. ) श्रीकृष्ण वंश्य, ( त्रि. ) कुलीन वक्, (क्रि. ) टेढ़ा होना । तिरछा होना । चक (बक), (पुं.) बगला। पुप्पदार वृक्ष | कुबेर | एक राक्षस जो भीम द्वारा मारा गया था। दवा निकालने की क्रिया विशेष । इस नामका एक दैत्य जिसे श्रीकृष्ण ने माराधा । घकपञ्चक (वकपञ्चक), (न.) कार्तिकशुद्धा ११शी से १५शी तक की पाँच तिथियों । चकवृत्ति (वकवृत्ति), (पुं.) दाम्भिक वृत्ति । वकन्नतिक (चकव्रतिक), } (पुं.) ढोंगी । दरभी । ठग | बङ्ग वकुल (बकुल), (पुं. ) एक वृक्ष मौलसिरी । चक्लव्य, (न.) कथन | ( त्रि.) निन्दित | दीन । दुष्ट । वक्तृ, (त्रि. ) उचित | बकवादी | व, ( न. ) मुख | वस्त्र विशेष | छन्द विशेष | वकासव, (पुं. ) अधर रस | वक्र, (न. ) नदी का पुमाव । शनैश्चर | मङ्गल | रुद्र | त्रिपुर दैत्य | तिरछा जाना | (त्रि.) तिरछा । वक्राङ्ग, ( पुं. ) हंस । ( त्रि. ) कुटिल अङ्ग वाला । (त्रि. ) कुटिल | टेढ़ा । वक्रिम, (न.) टेढ़ापन वक्रतुण्ड, (पुं. ) गणेश जी । वक्रोक्कि, ( स्त्री. ) अलङ्कार विशेष । आक्षेप | कटाक्ष | चक्षू, (क्रि. ) क्रोध करना । वक्षस्, (न. ) छाती वक्षस्थल, } (न.) च्ची छाती | वक्षःस्थल, क्षी (स्त्री.) द्वारा वक्षोज, (पुं. ) स्तन । वक्षोरुह, (पुं. ) स्तन । चखू, (क्रि, ) जाना । वगाह, (पुं.) स्नान | वधू, (क्रि.) जाना । चङ्क, ( पुं. ) नदी की मोड़ । चङ्किल, (पुं. ) काँटा । चकि, ( पुं. ) पसली । धन्न । वंक्षण, (न.) घुटना । चंक्षु, (पु.) गङ्गा की नहर । वङ्ग्, (कि. ) जाना । चङ्गा, (पु. ) [ बहुवचनान्त ] बङ्गाल हाता | चङ्ग, (न. ) राँगा । (पुं॰) रुई । लीची का पेड़ | । वङ्गज, (न.) पीतल । सिन्दूर | चङ्गशुल्वज, (न.) काँसा । चङ्गसेन, (पुं. ) वक वृक्ष . चतुर्वेदीकोष । ३१५ वङ्गां चङ्गारि, (पुं. ) हरताल । • चचू, (क्रि. ) कहना। वचन, (न. ) वाक्य । संख्यावाची | सोंठ | उपदेश । वचनग्राहिन्, (त्रि. ) वशीभूत | वचनीय, (त्रि. ) निन्दा योग्य | लोकापवाद | वचनस्थित, (त्रि. ) अपनी बात को पालने वाला । आज्ञाकारी | वश में आया हुआ | वचस्, (न.) वाक्य । वचन । वचसांपति, (पुं.) देवगुरु | बृहस्पति | वचस्कर, (त्रि. ) आज्ञाकारी वंश में उत्पन्न | घचा, (स्त्री.) पदार्थ विशेष | वज्, (क्रि.) गति । वज्र, (पुं. न. ) इन्द्र का अस्त्र विशेष । वज्रचमन, ( फुं. ) गेंड़ा। वज्रदन्त, ( पुं. ) शुकर । मूसा | वज्रधर, (पुं. ) इन्द्र । वज्रनिर्घोष, (पुं.) गर्जन | वज्रपाणि, ( पुं. ) इन्द्र । वज्रपुट, (न.) औषध पाचन पात्र । दवा पकाने का बर्तन । वज्रमय, (त्रि. ) वज्र स्वरूपं । वज्रिन्, (पुं.) इन्द्र । चञ्चक, (पुं.) गीदड़ | छली । दगाबाज | धूर्त्त । वञ्चन, (न. ) ठगना । छलना । फँसा लेना । वञ्जुल, (पुं.) अशोक का पेड़ । बैत । पक्षी । ( त्रि. ) टेढ़ा । वटू, (क्रि. ) घेरना | हिस्सा करना | कहना | चोरी करना । वट, (पुं.) एक वृक्ष । सन की रस्सी । चटक, (पुं. ) बरा । पकोड़ी । मुँगौरा । कचोड़ी | चटी, (स्त्री.) गोली । टिकिया । बटु, (पुं.) बालक । ब्रह्मचारी | वटुक, (पुं. ) एक देवता । भैरव । व, (क्रि. ) बली होना । वटर, (पुं.) मूर्ख | वर्णसङ्कर विशेष | शढ । वदा वडू, ( क्रि. ) बाँटना । वडमि, १ (स्त्री. ) छज्जा | घर की चोटी | वडमी, महल के शिखर का घर । 3 वडू, (त्रि.) बड़ा । श्रेष्ठ | अच्छा | वराटक, (पुं. ७) विभाजक | हिस्सा करने वाला | वत्, (अव्य. ) सादृश्य । समानता । वत, ( [अव्य. ) कष्ट । दया | खुशी । विस्मय | श्रमन्त्रण | वतंस, ( पुं. ) असल में अवतंस शब्द है । अकार का लोप होने से आभूषण | चोटी । हर प्रकार का गहना । कर्णफूल । वतण्ड, (पुं. ) एक मुनि का नाम । वतोका, (स्त्री.) सन्तान रहित स्त्री | वत्स, ( न. ) वक्षःस्थल । वत्सर । वर्षा | ( पुं. ) बछड़ा | पुत्र । प्रिय । बच्चा वत्सक, (न. ) इन्द्रजौ। ( पुं.) बछड़ा । देखो वत्स शब्द । वत्सतर, ( पुं. स्त्री. ) छोटा बछड़ा । छोटा साण्ड । वत्सनाभ, (पुं. ) एक विष | बचनाग । सर्प के काटने पर घी के साथ पिलाने से सर्पविष नष्ट होता है । वत्सपत्तन, ( न.) कौशाम्बी नाम नगरी । वत्सपाल, ( पुं. ) श्रीकृष्ण । ग्वाल ] बछड़ों का रक्षक | वत्सर, (पुं. ) वर्ष | साल | वत्सराज, (पुं.) चन्द्रवंशी एक राजा । बढ़िया दिखनौटा बछड़ा । वत्सरान्तक, ( पुं. ) वर्ष समाप्ति का महीना | फाल्गुन मास । वत्सल, (त्रि. ) स्नेह युक्त | प्रेमी । दयालु | वत्सिन्, (पुं. ) लड़कपन । युवावस्था । वत्सीय, (पुं.) गोपालक चरवाहा । वद्, (क्रि. ) बोलना । कहना । वदद्म, (न. ) चेहरा | मुख | कथन | वदन्य, १ ( पुं. ) उदार पुरुष | बहुत देने वदान्य, वाला । धदा चतुर्वेदीकोष | ३१६ वदाम (बदाम), (पुं.) बादाम | . वदावद, (पुं.) बहुत बोलने वाला। वदि, कृष्ण पक्ष । जैसे ज्येष्ठ वदि । वद्य, (त्रि. ) कहने योग्य | कृष्ण पक्ष । निन्द्य | वधू, (क्रि.) मार डालना । वधस्तम्भ, (पुं.) फाँसी का खम्भ | वधक, ( पुं. ) जल्लाद । फाँसी लगाने वाला | वधित्र, ( न. ) कामदेव । वधु, वधुका, ( स्त्री. ) लड़के की स्त्री बहू वधू, ( स्त्री॰ ) दुलहिन । भार्ग्या । बहू । वधूजन, ( पुं. ) स्त्रियाँ वधुटी, १ ( स्त्री. ) कम उम्र की स्त्री । बहू । वधूटी, वध्य, (त्रि.) मारने योग्य | चधिका, (पुं. ) नपुंसक | हिजड़ा | वय, (पुं.) जूता वन्, (क्रि ) मान करना। उपकार करना। माँगना । सेवा करना | वन, ( न. ) जङ्गल 1 जलस्रोत | निवास । जल मेघ । प्रकाश घर काठ का बर्तन । वनकदली, ( श्री. ) काष्ठकदली । वनचन्दन, ( न. ) वन का चन्दन | वनज, (न.) पद्म । मोथा । वनमाला, ( स्त्री. ) पैरों तक लम्बी वनमाला | वनमालिन्, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | वाराहीलता | चनलक्ष्मी, ( स्त्री. ) केले का वृक्ष । घनवासिन्, (पुं.) वाराहीकन्द | शाल्मली- वनशोभन, (न. ) पद्म । कमल । वनस्पति, (पुं. ) अश्वत्थ आदि वृक्ष । वनायु, ( पुं. ) अरब देश । वह देश जहाँ अच्छे घोड़े उत्पन्न हों । बनायुज, ( पुं. ) अच्छा घोड़ा । अरबी घोड़ा । घनिता, ( श्री. ) प्यारी स्त्री । ^ वनिन्, (पुं.) वानप्रस्थ आश्रम वाला | वृक्ष । सोमलता । वनी, ( स्त्री. ) जङ्गल चनीयक, (पुं.) भिखारी । वनेचर, ( पुं. ) वन में घूमने वाला । भील | जङ्गली | वनमानुष | जलमानुष । वनौकस, ( पुं. ) बन्दर । रीछ । वञ्चू, (क्रि. ) ठगना | वन्दन, (न. ) प्रणाम । वन्दनीय, (त्रि.) नमनीय । नमस्कार करने योग्य | पूज्य | मान्य | वन्द्र, (पुं. ) पुजारी । वन्दारु, (त्रि.) नमस्कार करने का स्वभाव वाला। देवना । वन्दि, ( ( श्री. ) कैदी | नमस्कार । ( पुं. ) वन्दी, भाट । वन्द्य, (त्रि.) वन्दनीय । ( श्री. ) गोरोचना । वन्य, (न.) दारचीनी । वाराहीकन्द । ( स्त्री ). जल का समूह . वपू, (क्रि. ) बीज बोना । वपन, (न, ) बीज की बुआई । मूङ मुहाना | चपनी, ( स्त्री. ) नाई का घर । वपिल, (पुं. ) पिता । वपु, (पुं.) शरीर । वपुन, ( पुं. ) देवता । वंपुष, १ (न. ) सुन्दर | शरीर | आश्चर्य | वपुस्र, जल । वप्तृ, (पुं.) पिता | किसान। बीज बोने वाला। वप्र, (पुं. न. ) मिट्टी की दीवाल। नगर की रक्षा के लिये चहारदीवारी | खेत | किनारा | सीसा । प्राचीर । पहाड़ का उतार । खाई । (पुं.) पिता । प्रजापति । वप्रि, (पुं.) खेत । समुद्र | दुर्गति | वप्री, (स्त्री.) टोला । वभ्र, (क्रि.) जाना। वम्, (क्रि. ) वमन करना | कै करना | वमन, (न.) मर्छन | अर्द्दन | बर्दन | बहुत निकलना । घम चतुर्वेदीकोष । ३१७, घमनीया, (स्त्री.) मक्खी, जिसके पेट में जाने से कै हो जाय । घमि, (स्त्री. ) कै । अग्नि । घमित, (पुं.) कै की गयी । वम्भ, ( पुं. ) बाँस । वम्भारव, (पुं. ) पोहों का बोल | वन, (पुं.) चींटा लाल चींटा जो वृक्षों पर पीले रङ्ग का होता है, बीछू के समान विषैला होता है । - वत्री, (स्त्री.) चींटी । वय्, ( क्रि. ) जाना । वय, (पुं.) जुलाहा । कोरी | बुनने वाला । वयन, (न. ) बुनना | बुनावट । वयस्, (पुं.) उम्र । युवावस्था । पक्षी | काक | शक्ति । बलिदान का पदार्थ । वयस्थ, (पुं.) मित्र । सहयोगी | वयस्य, (पुं.) समान अवस्था वाला । वयस्या, (स्त्री. ) सखी | सहेली । वयाक, (पुं.) लता। छोटी शाखा । डाली । वयुन, (न.) ज्ञान | बुद्धि | समझने की शक्ति | देवालय | ( पुं. ) नियम् । आशा रीति भाँति । सफ्राई । वयोधस्, ( पुं. ) तरुण । युवा । वयोधा, ( त्रि. ) बली । ( स्त्री. ) बल | शक्ति । वयोरङ्ग, (न.) सीसा | वर्, (क्रि. ) चुनना | माँगना | पाने के लिये खोजना | चाहना | वर, (न. ) केसर | इच्छा | माँग | परदा | घेरा । (त्रि. ) अभीष्ट | प्यारा । श्रेष्ठ । ( पुं. ) गुग्गुल | यार | जमाई । दुलहा । वरदान | अनुग्रह । पति । चरट, (न. ) कुन्द का फूल | कौड़ा विशेष | हंस । बर्रइया । अन्न विशेष । चरण, (न.) चुनाव | ढकाव | पूजन | वरना । • माँगना । किसी पूजा अनुष्ठानादि करने के लिये नियत समय के लिये उसी काम में चय लगे रहने का अनुरोध करना । अलगाव | रोक | निषेध | ( पुं. ) नगर का परकोटा पुल । वरुण वृक्ष । ऊँटं। धनुष की सजावट विशेष | इन्द्र | चरणमाला, ( स्त्री. ) जयमाल | स्वामित्त्व- स्वीकार की सूचक माला वरमाला वरणसी, ( स्त्री. ) काशी विश्वनाथ वाराणसी, की पुरी । वरण्ड, (पुं.) समूह | मुँहासाँ । बरण्डा घास का ढेर। मछली पकड़ने की बंसी की डोर | खीसा । जेब । वरण्डालु, ( पुं. ) एरण्ड वृक्ष । वरत्रा, ( स्त्री . ) चमड़े का तस्मा हाथी अथवा घोड़ा बाँधने की चमड़े की रस्सी । वरत्वच, ( पुं. ) नीम का पेड़ | वरद, (त्रि.) अभीष्टदाता | प्रसन्न | ( स्त्री. ) कन्या । अश्वगन्धा । आदित्यभक्ता । दुर्गा । वरदाचतुर्थी, (स्त्री.) माघशुक्ला चतुर्थी । वरम्, (अव्य.) थोड़ा प्यारा | बहुत अच्छा बेहतर | वररुचि, (त्रि.) अच्छी प्रीति वाला | कात्या- यन मुनि । विक्रमादित्य की सभा के नव-रत्न कवियों में से एक का नाम । वरलब्ध, (त्रि.) वरदान पाये हुए| ( पुं. ) चम्पक वृक्ष । वरवानी, ( स्त्री. ) सुन्दरी स्त्री | लाख | लक्ष्मी । बुर्गा ।" सरस्वती । प्रियङ्गु लता हल्दी । वराक, (पुं. ) शिव । ( न. ) युद्ध | ( त्रि.) छोटा । शोच्य । बेचारा | वराङ्ग, (न. ) श्रेष्ठ पूज्य अङ्ग | मस्तक | माथा | गुदा | योनि | कुश । ( पुं.) हाथी | विष्णु । कामदेव । ( स्त्री. ) दालचीनी | हल्दी | (T ) अच्छे वाली स्त्री | वराङ्गिन्, ( पुं. ) अच्छे अङ्गों वाला। अम्ल- वेतस । वराट, (पुं.) कौड़ी। रस्सा घरा घराटक, (पुं. ) कौड़ी । रस्सी । डोरी । . वराटकरजस्, (पुं. ) नागकेसर वृक्ष | वराटिका, ( स्त्री. ) कौड़ी । वराण, (पुं: ) इन्द्र । वराशि, वरासि, } ( पुं. ) मोटा कपड़ा । चतुर्वेदीकोष | ३१८ वरारक, (न. ) हीरा । वरारोह, (पुं. ) हाथी । ( स्त्री . ) अच्छे वरुणलोक, ( पुं . ) जल । पाताल । नितम्ब वाली । वरुणानी, ( स्त्री. ) वरुण की स्त्री | वरुणावि, ( स्त्री. ) लक्ष्य वरुत्र, (न.) लवादा | चुगा । वरूतृ, (पुं.) रक्षक | देवता । वरूथ, ( न. ) कवच । रथ की रक्षा के लिये काठ या लोहे का बना बाड़ा । ढाल । समूह | रक्षा । बचाव । वंश | घर । ( पुं. ) कोयल | समय । वरूथिनी, ( स्त्री. ) सेना | वरैराय, ( न. ) । केसर ( त्रि. ) सर्वोत्तम । प्रार्थनीय |

वरासन, (न. ) जवा पुष्प | उत्तम आसन | ( पुं. ) जार | दरबान । द्वारपाल । वराह, (पुं.) शूकर। एक पर्वत । मोथा । शिशुमार । भगवान् विष्णु का अवतार विशेष | मेढ़ा । बैल । बादल । नक्र । वराह । व्यूह | माप विशेष । वराहमिहिर | अष्टादश पुराणों में से एक । वराहकर्ण, (पुं. ) एक प्रकार का तीर । वराहकल्प, ( पुं. ) वराहावतार का समय । वराहद्वादशी, ( श्री. ) माघशुक्ला द्वादशी। वराहटङ्ग, (पुं.) शिव । वराहु, ( पुं.) सूअर वरिमन्, (पुं.) सर्वोत्तमता । चौड़ाई । वरिवस्, (न. ) पूजन | सम्मान | सम्पत्ति । स्थान | आनन्द । चरिवस्या; (स्त्री.) पूजना | शुश्रूषा | वरिशी, ( स्त्री. ) मछली पकड़ने की बंसी ।

वरिष्ठ, (त्रि. ) सर्वोत्तम । सब से बड़ा ।

सब से अधिक भारी । ( पुं. ) तीतर | नारिङ्गी का पेड़ । ( न. ) ताँबा । काली मिर्च । . वरी, ( स्त्री. ) शतावरी । सूर्यपत्नी छाया । वरीयसू, (त्रि.) बहुत अच्छा । ( पुं. ) सत्ताइस योगों में से एक ✓ बलीवदं (बलीबई), } (पुं.) बैल । सांड । वरीषु, ( पुं. ) कामदेव । वरुड, (पुं.) एक प्रकार की नीच जाति । वर्ण वरुण, (पुं. ) पश्चिम दिशा के पाल | जल का अधिष्ठाता देवता । एक आदित्य । समुद्र । आकाश । सूर्य । वरुण वृक्ष । वरुण प्राश, (पुं. ) वरुण का फन्दा | मछली विशेष | वर्ग, ( पुं. ) जाति । समूह भाग । त्याग | वर्गमूल, (न.) घात का साधन, जैसे १६ का ४ ; ६ का ३। वर्गोत्तम, (पुं०) क्षेत्र आदि छः वर्गों में उत्तम अर्थात् नवाँ भाग नवांश ( ज्योतिष में ) । चर्च्, (क्रि. ) चमकना | वर्चस्, ( न. ) रूप | शुक्र | तेज । विष्ठा । वर्च्चस्विन, (त्रि. ) तेजस्वी वर्जन, (न. ) त्याग । हिंसा | वर्ण, (क्रि. ) स्तुति करना । प्रशंसा करना । फैलना | शुक्लादि वर्ण करना । उद्योग करना चमकाना | बयान करना । वर्ण, (न. ) कैंसर । जाति । रूप | भेद | रादिश्वर | यश | गुण । अङ्गराग | सोना । व्रत विशेष उपटन सङ्गीत क्रम विशेष | मूर्ति । वर्णक, (पुं. न. ) हरताल | चन्दन स्तुति | । हींग | मण्डन । ग्रन्थ विशेष | वर्णकूपिका, ( स्त्री.) दवात | वर्ण, वर्णतूति, वर्णतूली, चतुर्वेदीकोष । ३१६. } { स्त्री. ) लेखनी । कलम । वर्णधर्म, ( पुं. न. ) ब्राह्मणादि वर्णों का धर्म । वर्णसङ्कर, ( पुं. ) दोगला । वर्णाङ्का, ( स्त्री. ) लेखनी । कलम | वर्णात्मन् (पुं.) अक्षरों के स्वरूप वाला | वर्णिका, (स्त्री, ) लेखनी । पेन्सिल । वर्णित, (त्रि. ) भेष बदले हुए । वर्णिन्, (पुं. ) चितेरा | चित्रकार | ब्रह्मचारी | वर्त्तक, ( पुं.) बतख पक्षी | घोड़े का सुम । वर्त्तन, (न. ) आजीविका । ( पुं॰ ) काक | घर्त्तनी, (स्त्री: ) पथ | वाट | पीसना | वर्त्तमान, ( पुं. ) हाल। मौजूद। वर्त्ति, बात } (स्त्री. ) लेख । काजल । बत्ती । वर्त्तिक, ( पुं. ) बटेर पक्षी | भार | बोझ | वर्त्तिन्, (त्रि. ) वर्त्तनशील । रहने वाला । वर्त्तिष्णु, ( त्रि. ) वर्त्तनशील | वर्तुल, (त्रि.) गोल । ( न.) गाजर | वर्त्मन्, ( न. ) पथ | आँख का परदा | रीति । . आचार | , वर्द्ध, (क्रि. ) काटना । पूरा करना । वर्द्धक, ( पुं. ) काटने वाला । पूरा करने वाला । वर्द्धकिन, ( पुं. ) बढ़ई । वर्द्धन, (न.) काटना । पूरा करना | बढ़ाना | ( त्रि. ) बढ़ा हुआ | वर्द्धनी, ( स्त्री. ) झाडू वर्द्धमान, (त्रि. ) वृद्धिशील । ( पुं. ) रेड़ी का पेड़ | सराबा । विष्णु । एक देश | एक नगर । धनियों का घर । वर्द्धिष्णु, ( त्रि. ) बढ़ा हुआ । वर्मन्, (न. ) कवच । क्षत्रियों की उपाधि | वर्महर, • ) तरुण | वम्मित, (त्रि. ) कवचधारी । साहसी । वर्कणा, ( स्त्री. ) स्याह मक्खी । वर्वर, (न. ) हीन | पीला चन्दनं । ( त्रि. ) वल्क , मूर्ख । नीच | पामर । ( पुं. ) एक देश श्यामा तुलसी । वर्ष, (पुं.) बरसात जम्बुद्वीप का एक भाग । मेघ । साल वर्षपर्वत, ( पुं. ) वर्ष देश के पहाड़ | वर्षवर, ( पुं. ) खोजा । नपुंसक । हिजड़ा । वर्षवृद्धि, (पुं.) जन्मतिथि | वर्षा, (स्त्री. ) वर्षा ऋतु । वर्षापगम, (पुं. ) शरत्काल | वर्षाभू, (पुं. ) मंडक | वीरवहूटी | ( स्त्री. ) महीलता | पुनर्नवा । ( त्रि.) वर्षा में उत्पन्न होने वाली । वर्षामद, ( पुं. ) मयूर | वर्षिष्ठ, (त्रि. ) अतिशय वृद्ध । वर्षीयस, (त्रि. ) अतिवृद्ध । वर्षुक, (त्रि. ) वरसने वाला । वर्षोपल, (पुं. ) चोला । वर्ष्मन्, ( न. ) शरीर | वई, (क्रि. ) मारना । चमना । वई (बई), (न. ) मोर का पर। आग | चमक | यज्ञा वहिण (बर्हिण ), ( पुं. ) मयूर | मोर | वर्हिर्मुख ( बहिर्मुख), ( पुं. ) अग्नि । वर्हिषद् (बर्हिषद्), ( पुं. ) पितृगण भेद | वर्हिष्केश (बर्हिष्केश), (पुं.) वहि । आग | वर्हिस (बर्हिस्), (पुं.न.) आगे । प्रन्थिपणि॑ि । चित्रक । कुश । ( त्रि. ) चमकीला | चलू, (क्रि. ) रोकना । ढाँपना | वल, ( न. ) सैन्य | सेना के लोग । वलक्ष, ( पुं. ) धवल वर्ण । सफेद रङ्ग । स्वच्छ । चलय, (. पुं. न. ) हाथ के कड़े । घेरा । गोल । गले का रोग । वलयित, ( त्रि. ) घिरा हुआ । वलाक, ( पुं. स्त्री.) बगला | वलाहक, ( पुं. ) मेघ । बादल । वल्क, (न.) बकल । मछली का काँटा | खण्ड । वल्क 'चतुर्वेदकोष | ३२० वल्कल, (न. ) छिलका | छाल | दारचीनी | चलिकल, . ( पुं. ) काँटा । वल्कुट, (न. ) छाल । बल्गू, (क्रि. ) जाना | प्रसन्न होना । खाना कूदना । नाचना | वल्गा, ( स्त्री. ) घोड़े की लगाम । रास । वल्गु, (पुं.) बकरा । ( त्रि. ) सुन्दर | मधुर मूल्यवान् । ( न. ) चन्दन | वन | पैसा । वल्गुल, (पुं.) दौड़ती हुई लोमड़ी । चल्भू, (क्रि. ) भोजन करना । . चल्मिकि, (पुं.) श्रीमकों का बनाया मिट्टी का ढेर । चल्मी, ( स्त्री. ) चींटी । वल्मीक, (पुं. न. ) ( दीमकों या चींटियों का घर ) छोटी मिट्टी की टिलिया । फलिपाँ का रोग । वाल्मीकि ऋषि, जिन्होंने रामायण की रचना की । चल्यूल, (क्रि. ) काट डालना | साफ करना | चल्ल, (पुं. ) दो रत्ती भर | फटकन । एक माशा चांदी । वल्लकी, (स्त्री. ) बीन । सारङ्गी | तम्बूरा | वल्लभ, (पुं.) प्यारा । स्वामी | अच्छा घोड़ा । वल्लर, वल्लरी, ( स्त्री . ) लता । मञ्जरी । मेथी । वल्लव, (पुं.) ग्वाला । रसोइया | भीमसेन । चाल्ले, वली, लता | बेल | पृथिवी | वल्लुर, (न. ) कुञ्ज । मञ्जरी । क्षेत्र । निर्जन स्थान । गहन । वल्लूर, (त्रि. ) सूखा मांस | खेत । सवारी | बाँझर भूमि । चल्ल्या, (स्त्री. ) आँवला का पेड़ | वश, ( पुं. न. ) अधीन होना । प्रभुत्व | वशंवद, (त्रि.) प्रियवाक्यवादी | अधीन । वशक्रिया, ( स्त्री. ) वश में करना । वशग, (त्रि. ) वशीभूत वशवर्तिन, (त्रि.) अधीन | वशीभूत | वशा, ( स्त्री. ) स्त्री | पत्नी | लड़की । ननँद | गौ । बाँझ स्त्री । इथिनी 19 वशित्व, (न.) स्वाधीनता | ईश्वर का एक ऐश्वर्य । वशिन्, (त्रि. ) स्वाधीन | जितेन्द्रिय | वशिष्ठ, १ (पुं. ) इन्द्रियों को सर्वथा वश में वसिष्ठ, रखने वाला | मुनि विशेष : वशीकरण, (न. ) जिसके द्वारा ऐसे को वश में किया जाय, जो कभी . • घर हो सके । तान्त्रिक विधान विशेष | पान का बीड़ा । खुशामद । प्रार्थना । वष्ट्रकार, (पुं. ) यज्ञ विशेष | वषट्रकृत, (त्रि. ) होम किया हुआ । वष्क, (क्रि. ) जाना । वक्रय, (पुं. ) एक वर्ष का बछड़ा । वस्, ( क्रि. ) ढाँकनां । रहना । वसन, (न. कपड़ा परदा बसना वसति, १ ( स्त्री. ) वास । वसती, ] स्थान | घर वसन्त, वश्य, (न. ) वश में आया हुआ । लौंग । वषट्, (अन्य ) देवोद्देश्य से घी आदि का देना वा छोड़ना । रहना | रहना । रात | ( पुं. ) ऋतु विशेष जो चैत्र और वैशाख में होती है । एक प्रकार का राग | चेचक की बीमारी | वसन्ततिलक, (न.) ( T पुं.) छन्द जिसका पद चौदह अक्षर का होता है । वसन्तदूत, ( पुं. ) कोकिल । कोइलाम का पेड़। पाँचवाँ स्वर | वसन्तसख, (पुं.) कामदेव । वसन्त का मित्र | वसा, ( स्त्री. ) चर्बी । बेल । वसु, (न.) धन | रत्न | सुवर्ण । जल । वस्तु | नमक विशेष । (त्रि.) सूखा । धनी । चच्छा | देवता विशेष | इन देवताओं की संख्या है - “आपो धरो ध्रुवः सोमः श्रहश्चैवानिलोऽनलः । प्रत्यूषश्च प्रभासश्च वसवोऽष्टाविति स्मृताः ॥ आठ की संख्या कुबेर । शिव | अग्नि का नाम वृक्ष विशेष सरोवर । सूर्य । (स्त्री.) किरन । प्रकाश | चमक | मूल विशेष | "" इस. चतुर्वेदीकोष | २६७ रमति, ( पुं. ) कामदेव । प्रेमिक । स्वर्ग | समय । काक । रमल, (न. ) एक प्रकार का ज्योतिःशास्त्र | रमा, ( स्त्री. ) लक्ष्मी | सौभाग्य | धन | दीप्ति | ( पुं. ) विष्णु | रमाकान्त, रमानाथ, रमापति, रमाप्रिय, रमाप्रियम्, ( न. ) कमल । रमावेष्ट, (पुं. ) तारपीन । रम्भू, ( क्रि॰ ) गौओं का ( राम्भना ). शब्द करनां । रम्भ, (पुं.) गौधों का शब्द । गरजन | आधार । लकड़ी । बाँस । धूलि । दैत्य विशेष | रम्भा, (स्त्री . ) केला | गौरी । नलकूबर की स्त्री का नाम । यह अप्सरा स्वर्ग की सब अप्सराओं से सुन्दरता में चढ़ बढ़ कर समझी जाती । वेश्या | एक प्रकार के चाँवल । रम्य, (त्रि. ) प्रसन्नकारक | सुन्दर । प्रिय | जम्बुद्वीप के नौ वर्षों में से एक | चम्पक का पेड़ | वक वृक्ष । पटोलमूल । रम्यपुष्प, ( पुं.) शाल्मली वृक्ष । रम्यश्री, ( पुं. ) विष्णु । रम्या, ( स्त्री. ) रात । रयू, ( कि. ) जाना | रय, (पुं.) नदी की धार वेग उत्कण्ठा । रयि, ( पुं. न. ) जल । सम्पत्ति ( वैदिक प्रयोग ) | रयिष्ठ, ( पुं. ) कुबेर | अग्नि | ब्राह्मण । रलक, ( पुं. ) कम्बल | पलक | हिरन । रव्, (क्रि.) जाना । रव, (पुं.) चीख चिल्लाहट । मिनमिनाना | पक्षियों की बोली । कोलाहल घण्टा का शब्द | बादल का गरजना | - रवण, ( पुं. ) गजैन तर्जन तेज्ञ | गरम । चञ्चल । ऊँट । कोयल । पीतल । रवणक, (पुं.) बॉस का बना जल साफ करने का यंत्र | रवि, ( पुं. ) सूर्य्य । पहाड़। धर्क वृश्व बारह की संख्या । रविकान्त, ( पुं. ) सूर्य्यकान्तमणि । रविज, रवितनय, रविपुत्र, रविनेत्र, (पुं.,) विष्णु । रविसुनु, रविप्रिय, ( न. ) लाल कमल का फूल । ताँचा । रविरत्न, ( न. ) मानक । रविलोचन, ( पुं. ) विष्णु | शिव ( न. ) ताँबा | रविसंक्रान्ति, ( स्त्री. ) रवि का एक राशि से दूसरी राशि पर जाना । रवीषु, ( पुं. ) कामदेव । कन्दर्प । रशना, १ (खी. ) रस्सी । लगाम । रास । रसना, कमरबन्द | जिह्वा । रविलौह, रविसंज्ञक, । ( पुं॰ ) शनि ग्रह । कर्ण । बालि । वैवस्वत मनु । यम । सुग्रीव रश्मि, ( पुं. ) डोरी | रस्सी । लगाम । रास । अङ्कुश । चाबुक । किरन । नापने का फीता । 1 रश्मिकलाप, ( पुं. ) ५४ लर का मोती का हार । रश्मिसुत्र, ( पुं. ) सूर्य रस्, (क्रि. ) गरजना । कोलाहल करना । गाना । चखना । जानना प्यार करना । रस, (पुं. ) रसा जल । मदिरा | स्वाद रस छः प्रकार के बतलाये जाते हैं ( यथा- कट्टु, अम्ल, मधुरं, लवण, तिक्ल और कषाय ) । चटनी | प्रेम | स्नेह । सुन्दरता । भाव । सर्वोत्कृष्ट अंश | वीर्य । पारा । विष । गन्ने का रस । दूध । घी । अमृत । कढ़ी। छः की संख्या । जीभ | सुवर्ण | 1 • चतुर्वेदीकोष | २६८ रखकर्पूर, ( न. ) पारा आदि विषों के योग से रंहस्, (न. ) वेग | जोर । रह्, (क्रि. ) छोड़ना । त्यागना | रहण, (न. ) त्याग | वियोग | रहस्, (न. ) एकान्तता | वैराग्य | रहस्य | बनाया विष विशेष | रसन ( पुं. ) सुहागा । रखन, (न. ) रक्त | लोडू । ( पुं. ) गुड़ | रहस्य, (त्रि.) छिपाने योग्य | गूढ़ | गुप्त । रस मद्यकीट । रसज्ञा, ( श्री. जिह्वा । रसतेजस्, (न. ) रक्त । लोहू । रसन, (न. ) खाद । ध्वनि । रसना, (सी.) जिह्वा । रस्सी । रसराज, ( पुं. ) पारा । रखवती, ( स्त्री. ) पाकस्थान | रसोईघर । रसायन, ( न. ) माठा | कटि | विष भेद | दवाई | रसायनफला, (खी. ) हरे । रसाल, ( न. ) आम का वृक्ष । दूर्वा | द्राक्षा | ईव | गेहूँ । रहाट, ( पुं. ) सचिव । भूत | रहित, ( त्रि. ) वर्जित । रा, (क्रि.) देना । राका, ( स्त्री. ) पूर्णिमा पूर्णिमा की अधिष्ठात्री देवी । हाल की हुई रजस्वला लड़की । खाज | स्वर तथा शूर्पणखा की माता राक्षस, (पुं. ) पिशाच | नन्द के मंत्री का रसशोधन, (न. ) सुहागा रसा, ( स्त्री. ) पृथिवी । दाखं नाम | रसातल, ( न. ) भूमि के नीचे का सातवाँ - राक्षसी, (खी. ) पिशाचिनी । शङ्का । रात । परदा डाढ़ | हाथी का दाँत | रसाभास, (पुं.) जो यथार्थ न हो पर रस जैसा जान पड़े । रसाला, ( खी. ) जिह्वा । दही जिसमें शकर तथा अन्य मसाले मिले हों । दूर्वा । द्राक्षा रसालसा, (बी.) नस | रसास्वादिन, ( पुं. ) भौंरा । रसिक, (त्रि. ) स्वादिष्ठ | सुन्दर । हँसोड़ | विषयी । ( पुं. ) मुन्दरता का भक्त । हाथी । घोड़ा । सारस पक्षी। रसिका, (स्त्री.) गन्ने का रस । जिह्वा । स्त्री के लहँगे का नारा या कमरबन्द | रसेन्द्र, (पुं.) पारा रसोप्तम, (पुं.) मूँग । दूध रस्य, (न. ) रुधिर | पतला रसदार रस्न, (न.) वस्तु | पदार्थ । रंह्, (क्रि.) जाना | P . राक्षसेंन्द्र, (पुं. ) रावण । राक्षा, (खी.) लाख । राखू, (क्रि. ) सूखना | सजाना | रोकना | योग्य होना । पर्याप्त होना । राग, ( पुं. ) रङ्गना | लाल रङ्ग | लखामी । प्रेम । अनुराग । उत्कण्ठा । उत्तेजना । आनन्द | क्रोध | सुन्दरता । गाने का राग । शोक । लालच । जातीयता । पारा बनाने की एक प्रक्रिया | राजा | सूर्य | चन्द्रमा | रागाङ्गी, (खी. ) मजीठ | रागिणी, ( स्त्री. ) गीत का अङ्ग अनुराग करनेवाली स्त्री | कोधयुक्ता | चाहने वाली । राघू, (क्रि. ) समर्थ होना । राघ, ( पुं. ) योग्य सर्वाङ्गीपूर्ण पुरुष | राघव, (पुं.) रघु की सन्तान, विशेष कर श्रीरामचन्द्र | बड़ी जाति की एक मछली । समुद्र । राङ्कल, (पुं. ) काँटा । राङ्कच, (न. ) हिरन के रोम का बना वस्त्र विशेष । राजू राजू, (क्रि. ) चमकना । राज्, १ (पुं. ) राजा । नरपति । अपनी श्रेणी राज, या जाति में उत्तम । राजक, (न. ) राजाओं का समूह वाला । ( पुं.) छोटा राजा । राजकल्प, ( पुं. ) नृपतुल्य चतुर्वेदीकोष | २१६. समान । राजकीय, (त्रि. ) राजा का राजकुमार, (पुं. ) राजपुत्र । राजा का म राजा के लड़का | राजगिरि, (पुं. ) मगध देश का एक पर्वत । . राजजक्ष्मन्, राजयक्ष्मन, राजघ्, (त्रि. ) तेज । राजा का मारने वाला । राजजम्वु, ( श्री. ) पिण्डखजूर । } (पुं.) रोग विशेष । राजतरु, ( पुं. ) कनेर का पेड़ | राजताल, (पुं. ) गुवाक वृक्ष | राजदन्त, (पुं. ) ऊपर की पंक्ति के यीच वाले दो दाँत । ● राजदेशीय, ( पुं. ) राजा के तुल्य राजधर्म, (पुं. ) प्रजापालनादि कर्म्म । राजधानी, ( स्त्री. ) महानगरी । जहाँ राजा का नित्य निवास हो । राजन्, ( पुं. ) नृप । राजा । चन्द्रमा | पवित्र | क्षत्रिय । यक्ष | इन्द्र | जन यह शब्द किसी शब्द के पहिले या पीछे आता है, तब यह उत्व का वाचक होता है । राजमाशः ऋषिराज · राजनीति, ( स्त्री. ) जिसमें राजा या राज्य सम्बन्धी चाल-चलन आदि का स्पष्ट वर्णन हो । राजाओं और राजका अनुकरणीय शास्त्र | ग्रन्थ जैसे " कामन्दक स्मृति " आदि । राजन्य, (पु. ) क्षत्रिय राजपुत्र क्षीरिका का पेड़ | | अग्नि । राजि राजन्यक, (न.) क्षात्रया या राजाओं का समूह, राजवत्, (त्रि. ) सुन्दर राजा वाला देश | राजन्वत् (त्रि.) धार्मिक राजा वाला देश | दराजपथ, (पुं. ) बड़ा रास्ता । राजपुत्र, (पुं. ) राजा का पुत्र बुध ग्रह | दोगला | रायपूत । क्षत्रिय का पुच राजभूय, (न. ) राजा का असाधारण धर्म्म राजभोग्य, (न. ) सुपारी । राजाओं के भोगने योग्य वस्तु | राजराज, ( पुं. ) सम्राट् । चन्द्रमा राजर्पि, ( पुं. ) क्षत्रिय ऋषि । राजवंश्य, (त्रि. ) एक जाति विशेष | राजवर्त्मन, (न, ) राजा के करने योग्य काम राजचीजिन्, ( त्रि.) राजा के वंश में उत्पन्न । राजशाक, ( पं. ) वथुए का शाक ! राजस्, (त्रि. ) रजोगुण की प्रेरणा से प्रसिद्धि के लिये किया गया कर्म । राजसभा, ( श्री. न. ) नृप की सभा ' राज- दरवार | राजसूय, (पुं. ) यज्ञ विशेष । जो दृथ्वी के सब राजाओं को जीत लेने का द्योतक है । राजस्व, (न. ) राजा का कर । राजहंस, कलहंस | जिनके पैर लाल हों वरन सफेद हो । राजादन, (न.) क्षरिका के राजा, (पुं. ) आत्र विशेष । वड़ा ग्राम राय आम | राजाम्ल, (पुं. ) खट्टा वेत | राजाईं, (न. ) जम्बू | जावन । राजि, १ ( स्त्री. ) कतार । पंक्ति | रेखा | राजी, सफेद सरसं . राजि चतुर्वेदीकोष | ३०० राजिल, ( पुं. ) जल का साँप | राजीव, (न.) कमल का फूल । हिरन | मच्छ | हाथी | सारस 1 राजेन्द्र, ( पं. ) एक प्रकार का बड़ा राजा । चक्रवर्ती | महाराज | राशी, (सी.) रानी | राज्य, (न. ) राजपाट | अमलदारी | राज्यधुरा, ( स्त्री. ) प्रजापालनादि राज्य का भार । राज्यात (न. ) राज्य रक्षा के उपाय | छः होते हैं, यथा - स्वामी, श्रमाल, सुन्, कोष, राष्ट्र, दुर्गचल ( किले की ती ) । राउ, (५. ) एक देश राडा, (सी.) एक नगरी का नाम | विषय - वासजा | राणिका, ( सी. ) लगाम | रातन्ती, (श्री. ) पौषशुका चतुर्दशी का उत्सव विशेष । राति, (त्रि. ) उदार | अनुकूल | उद्यत । ( स्त्री. ) मित्र | भेंट | पुरस्कार | रात्रि, { (सी. ) रात । अन्धेरा । हल्दी । रात्रिकर, (पुं. ) चन्द्रमा । इपूर । रात्रिचर, ( पं . ) राम | चोर | चौकी- रात्रिश्चर, दार उल्लू चिड़िया | रात्रिमणि, (पुं. ) चन्द्रमा | तारा | रात्रिपास, (न. ) अन्धकार | रात्रिविगम, ( पुं.) प्रभात । सबेरा । तड़का | रात्रिहास, ( पुं. ) सफेद कमल | राज्यन्ध, (त्रि. ) ाक घ्रादि पक्षी । राद्ध, (त्रि.) रींधा हुआ । सफलमनारेथ | पका हुआ | शद्धान्त, ( पुं. ) फल | परिणाम | सिद्धान्त | शव्, ( क्रि . ) मारने की इच्छा करने वाला | पकाना | • राधन, (न.) पूरा करना । पान | प्रसन्न होना । पूजा करना | राधा, ( स्त्री. ) एक गोपकन्या जो पूर्वजन्म की वृन्दा थी और भगवान् के शाप से दूसरे जन्म में वृषभानु की कन्या हुई थी । जो भगवान् की तीसरी शक्ति लीला देवी का अवतार हैं। जिनको श्रीकृष्ण क्षणमात्र के लिये अपने से जुदा न होने देते थे । गर्ग - संहिता में जिनकी कथा है । जो नि वैकुण्ठ की नित्या लक्ष्मी और श्रीकृष्णावतार की स्त्री थीं । कर्ण की वह माता जिसने उसे पाला था । राधाकान्त, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | राधावल्लभ । राधातनय, ( पुं. ) कर्ण | जो कुमारी अवस्था . में कुन्ती से मन्त्र द्वारा सूर्य के आगमन से उत्पन्न और राधा से रक्षित हुआ था । राधेय, (पुं.) राधा का लड़का | कर्ण | राभस्य, ( न. ) प्रसन्नता । हर्ष | बरजोर | राम, (त्रि. ) जिसमें योगिजन रमें वह परब्रह्म ( रमन्ते योगिनो यस्मिन् ) । प्रसन्न- कर | सुन्दरू | काला । सफेद । ( पुं. ) तीन प्रसिद्ध पुरुषों के नाम जमदग्निपुत्र परशुराम, वसुदेवपुत्र बलराम और दशरथ- नन्दन श्रीराम रामगिरि, ( पुं. ) रामचन्द्र का प्रिय प्रधान पर्वत | चित्रकूट | रामचन्द्र, ( पुं. ) राम । दशरथनन्दन । जो विष्णु के दश अवतारों में सातवें थे । रामजननी, ( स्त्री. ) तीनों रामों की मातायेंद्र परशुराम की रेणुका ' जो जमदग्नि की स्त्री थी श्रीराम की माता दशरथ की पट्टरानी ' कौसल्या ' बलराम की माता घसुदेव की स्त्री ' रोहिणी ' । रामतसली, ( स्त्री. ) दो रामों की स्त्रियाँ रामचन्द्र की सीता, बलराम की रेवती । सेड़ती का फूल | , • रामदूत, (पुं.) हनुमान् । रामचन्द्र का दूत | राम. . राम चतुर्वेदीकोष | ३०१ रामनवमी, ( स्त्री. ) चैत्रशुक्ला नवमी । रामभद्र, (पुं. ) श्रीराम । रामवल्लभ, (न. ) भोजपत्र । रामसख, (पुं. ) रामचन्द्र का मित्र सुग्रीव | वह रामभक्त जो सख्य भाव की भक्ति करें । रामा, ( स्त्री. ) अशोक | गोरोचना । हींग | नारी । नदी। लड़की । रामायण, ( न. ) वाल्मीकिविरचित ग्रन्थ विशेष जिसमें राम की लीलाओं का वर्णन है | इसी चरित्र के प्रतिपादक अन्यान्य रामायण अन्थ । अध्यात्म, श्रद्भुत, बाल, रामायण आदि । राव, (पुं. ) चीख | चिल्लाहट | रावण, (पुं. ) देवता आदिकों को रुलाने वाला, विश्रवा का पुत्र, पुलस्त्य का नाती,, कुम्भकर्ण का और कुबेर का भाई । राक्षसराज । रावणमङ्गा, (स्त्री.) लङ्का की एक बदी जिसको रावण ने बनाया था । रावणारि, पुं. ) श्रीरामचन्द्र । रावणि, (पुं. ) रावण के पुत्र मेघनाद आदि । प्रधानतया एक इन्द्रजित् ही । राशि, ( पुं. ) ढेर | समूह | राशिचक्र, (न. ) वायु की प्रेरणा से निर न्तर घूमने वाला आकाशस्थित द्वादश राशियों का ज्योतिश्चक्र । राशिभोग, (पुं.) सूर्य आदि ग्रहों का निज मति के अनुसार राशियों पर गमन । ( न. ) देश | राज्य । एक जाति के लोग । जातीय उपद्रव । . राष्ट्रि, १ ( स्त्री. ) शासन करने वाली स्त्री । } राष्ट्री, ] रानी । राष्ट्रिक, ( पुं. ) किसी राज्य या देश का निवासी या प्रजा | राष्ट्रिय, १ ( पुं. ) किसी राज्य का । राजा । राष्ट्रीय राजा का साला । रास्, (क्रि. ) शब्द करना । रिक्ला रास, (पुं.) कोलाहल | शब्द । एक प्रकार का खेल जो श्रीकृष्ण वृन्दावन की गोपिकाओं के साथ किया करते थे । रासक्रीड़ा, जो कामदेव का मद भङ्ग करने और ब्रह्मचर्य का अखण्ड प्रभाव दिखाने के लिये ब्रह्मा की एक रात के बराबर रात कर श्रीकृष्ण ने की थी । सकरी । साँकल । रासक, (न. ) छोटा नाटक | रासन, (त्रि. रासनी, ( स्त्री जिह्वासम्बन्धी । रासभ, (पुं. ) गधा। रासमण्डल, (न. ) रासक्रीड़ा के लिये चक्करदार आवर्त । रासक्रीड़ा में खड़े रहने का एक झुकाव । रासेश्वरी, (स्त्री. ) राधिका । रासक्रीड़ा की स्वामिनी । रास्ना, ( स्त्री. ) लता विशेष कटिसूत्र । राहित्य, (न. ) विवर्जित्व । विहीनत्व । शून्यत्व । राहु, ( पुं. ) विप्रचित्त और सिंहिका का पुत्र | एक दैत्य जो समुद्र मथ कर अमृत निकाला जाने पर विष्णु ने मोहिनी अवतार ले कर देवताओं को अमृत और दैत्यों को सुरा पिलायी थी तब देव पंक्ति में घुस कर अमृत पीने के कारण चक्र से जिसका मस्तक काट कर मस्तक का राहु और धड़ का केतु कर देवताओं में मिला दिया गया । छोड़ना । छोड़ने वाला । राहुदर्शन, ( न. ) चन्द्र और सूर्य के ग्रहण- समय जिनमें राहु दीखता है । राहुमूर्द्धभिद्, (पुं. ) विष्णु । राहुरन, ( ब ) गोमेद रत्न | रि, (क्रि. ) जाना | निकालना | देना | अलग करना | रिक्ल, (त्रि.) खाली | सूना । निरर्थक रिक्ला, ( स्त्री. ) कृष्ण और शुक्ल पक्षों की ४थी हमी और १४शी । रिक्ल रिलभाण्ड, (न. ) नाली वर्तन । रिक्तहस्त, (त्रि.) खालीहाथ । निर्द्धन । रिक्थ, (न. ) मरते समय छोड़ी हुई सम्पत्ति । अप्रतिबन्ध दाय रिक्थहारिन्, ( त्रि. ) दायहारी | हिस्से- • चतुर्वेदीकोप । ३०२ "₂ दार । रिख्, ( क्रि. ) सरफना | रेंगना | रि, (क्रि.) जाना । रिङ्गण, (न.) खिसकना | रेंगना | रिंच, (क्रि. ) रीता करना । अलगाना | रिज्, (क्रि. ) भूनना । तलना | रिटि, (पुं.) कोयलों की कड़क । काला नोन । एक प्रकार का बाजा । शिव का एक अनुचर | रिधम, ( पुं. ) प्रेम | रिपु, (. पुं. ) शत्रु | वैरी । कुण्डली में लग्न से छठवाँ स्थान | ( न.) वैरी मारने वाला | रिपुघातिन, रिपुघ्न, रिपुघातिनी, ( स्त्री. ) एक प्रकार की बेल । रिपुञ्जय, (त्रि. ) एक राजा | शत्रुविजयी | ● करना । रिरिक्षत्, ( पुं. ) शत्रु । रिश, (पुं.) शत्रु | 1 रिप्र, (त्रि. ) गुरा। दूषित | (न.) पाप | भैल | अपवित्रता । रिफू, (क्रि.) गाली देना । रिम्फ, (फि. ) मारना । वध करना । रिफ्फ, ( पुं. ) लग्न से १२वाँ स्थान | रिरसा, ( स्त्री.) रमणेच्छा । विहार की लालसा । रिरी, (स्त्री.) पीली पीतल । रिश, (क्रि. ) फाड़ना । खाना | चोटिल रिश्य, रिष्य, } ( पुं. ) मृग विशेष । रिष, (क्रि. ) घायल करना | मारना । रिष, ( स्त्री. ) चोट । हानि । रिष्ट, (न. ) मङ्गल । सम्पत्ति । पाप । हानि । नाश । दुर्भाग्य । चोट । ( पुं. ) तलवार । रिष्टि, (स्त्री.) तलवार | छेद | रिष्प, (त्रि. ) हानिकारक । रुचि री, (क्रि. ) बहना | a रीठा, ( स्त्री. ) रीठा करञ्जा । रीढ़ा, ( स्त्री. ) अक्शा । रीण, (त्रि. ) बहा हुआ । क्षरित रीति, ( स्त्री. ) वहना। धार । नदी । सीमा । प्रथा | चाल । ढङ्ग । पीतल । रीतिका, ( स्त्री. ) पीतल । रु, ( क्रि. ) ध्वमि करना | शब्द करना | रुक्प्रतिक्रिया, ( स्त्री. ) रोग दूर होने का • उपाय | दवाई करना | पथ्यकायामादि । रुक्म, (न. ) सोना । धतूरा | लोहा | नाग- केसर | रुक्मकारक, (पं.) सुनार | रुक्मरथ, (पुं. ) द्रोण का नाम । रुक्मिन्, (पुं. ) भीष्मक के ज्येष्ठ पुत्र और रुक्मिणी के भाई श्रीकृष्ण के साले का नाम | सुवर्ण का स्वामी । रुक्मिणी ( बी. ) भीष्मक की कन्या और श्रीकृष्ण की पटरानी लक्ष्मी का अवतार यथा “राघवत्वेऽभवत्सीता रुक्मिणी कृष्ण जन्मनि ” । रुक्ष, १ (त्रि. ) रूखा । कठोर | निःस्नेह । रूक्ष, चमकीला । रुग्ण, (त्रि. ) रोगी । टेढ़ा | रुन्च, (क्रि. ) प्रसन्न होना । चमकना । रुचक, (न. ) अश्याभरण | माला । सुहागा | नभक दन्त । कपोत | ( श्री. ) प्रकाश | शोभा | रुचा, रुचि, १ ( श्री. ) अनुराग | शोभा | किरण | रुची । इच्छा | भूख | गोरोचना ' ( पु. ) प्रजापति विशेष | रुचिं चतुर्वेदीकोष | ३०३ केसर | रूक्ष वृक्ष। रुद्राणी, (स्त्री.) पार्वती । ग्यारह वर्ष की लड़की । रुद्र की वे ग्यारह स्त्रियाँ जो रुद्र ने उत्पन्न होते ही ब्रह्मा के सन्मुख रो दिया और ब्रह्मा ने समझा कर स्थान और स्त्रियाँ दाँ, यथा- “धी, वृत्ति, उशना, उमा, नियुत्सर्पि, इला, अम्बिका, इरावती, सुधा, दीक्षा और रुद्राणी " | राजू (क्रि.) तोड़ना | रूजा, } ( स्त्री. ) रोग । भङ्ग । मेदी । कोढ़ । · राजाकर, (न. ) काया | राङ्गा | फल | रोग | रुद्रारि, ( पुं. ) महादेव का शत्रु । कामदेव । करने वाला | त्रिपुरार | रुद्रावास, ( 9 ) कैलास । काशी । श्मशान । , रुन्चिर, (त्रि.) मनोहर ( न. ) लौंग । रुच्य (त्रि.) सुन्दर । पति कतक हटू, ( कि. ) टकर मारना । बचाव करना । कट सहना रोकना । चमकना बोलना । रु (क्रि. ) देखो रुट् रुस्पस्करा, (खी. ) सीधी गौ, जो सहम में दुइ ली जाय । रुएड, ( पुं. ) कबन्ध | मस्तक्रशून्यं शरीर । फत, (न. ) रव । पशु और पक्षी आदि की बोली रुदित, (न.) चिल्लाना। रोना । रुद्ध, (त्रि. ) रोका गया । बन्द किया हुषा । रुद्र, (पुं. ) भयानक बड़ा । प्रशंस्य । ग्यारह की संख्या अग्नि | शिव । रुद्रज, ( पुं. ) रुद्र से उपजा। पारा | गणेश | कार्तिकेय | रुद्रजटा; ( स्त्री. ) शङ्कर के सिर के लम्बे केश 'कपई' । लता विशेष । रुद्रप्रिया, ( स्त्री. ) हरीतकी । दुर्गा । पार्वती । रुद्रविंशति; ( स्त्री. ) प्रभव आदि साठ वर्षों में से धन्स की बीसी। रुद्रावर्सि, (पुं.) चौदह मनुओं में से बारहवाँ मनु | रुद्राक्रीड़, (न. ) शिव जी का विहारस्थान | · श्मशान | मरघट । रुद्राक्ष, (पुं. ) एक वृक्ष । जिसकी माला शैव पहनते हैं । रुघ्, (क्रि. ) रोकना | पकड़ना । घेरना । छिपाना । पीड़ित करना । रुधिर, (न. ) लाल रङ्ग | मङ्गल ग्रह | रक्त । रुधिरपाधिव, ४) राक्षस विशेष । रुधिराख्य, ( पुं. ) बहुमूल्य रत्न विशेष | रुधिरानन, (न. ) मङ्गल की पाँच गतियों में से एक | रु, ( क्रि.) घबड़ाना । विगाड़ना । बड़ी पीड़ा सहन करना । रुमा, ( स्त्री. ) सुग्रीव की स्त्री | लवण राक्षस का स्थान | एक देश । रुम्र, (त्रि.) चमकीला । रुरु, ( पुं. ) मृग विशेष रुवु, रुवुक, > (पुं. ) अण्डउआ का पेड़ । हवूक,

}

रुश, (क्रि. ) चिड़ाना । वध करना । रुष, (क्रि.) क्रुद्ध होना । चिड़ना । रुपा, ( स्त्री . ) क्रोध | रुषित, } ( त्रि. ) क्रुद्ध । रूठा हुआ ॥ राष्टि, (स्त्री.) क्रोध | नाराजगी रुहू, , (क्रि. ) उपजना । निकलना । रुह, (त्रि.) उपजा । ( स्त्री.) दूर्वा | रुहन्, (पुं.) पौधा। पेड़ रुक्षू, (क्रि. ) रूखा होना । कठोर होना । चतुर्वेदीकोष | ३०१ रूक्ष, (त्रि.) रूखा । जो चिकना न हो | पेड़ | ( स्त्री. ) दन्ती वृक्ष रूक्षगन्ध, (पुं.) गुग्गुल रूढ़, (त्रि. ) उत्पन्न हुआ । रूढि, ( स्त्री. ) जन्म । प्रसिद्धि । रूप् , (क्रि. ) आकार बनाना । रूप, ( न. ) आकार । स्वभाव । सौन्दर्य | पशु नाम । शब्द । जाति । समानता | की संख्या । रूपक | • बानगी । १ रूपक, (न. ) अभिनय विशेष । श्राकार वाला । अर्थ अलङ्कार विशेष तीन रत्ती की तौल । चाँदी । रूपधारिन (त्रि. ) रूप वाला । सुन्दर | दूसरा वेप धारण करने वाला | नट | रूपवत्, (त्रि. ) सौन्दर्य युक्त । रूपाजीव, (खी.) वेश्या । रण्डी | बहु- रूपिया । रूप्य, (न.) चाँदी | रुपया (पुं.) सुन्दर | चाँदी का सिका। रूप्याध्यक्ष, (पुं.) खजाची । रुबुक, (पुं.) एरण्ड वृश्च । रूष, ( कि. ) सजाना | काँपना | रूपित, ( त्रि. ) सजा हुआ । मिला हुआ । ढका हुआ | फैला हुआ । रूखा बनाया हुआ । सुवासित । रे, ( श्रव्य. ) तिरस्कार-युक्त सम्बोधन में प्रयुक्त शब्द विशेष | इसका प्रयोग अपने से नींच को बुलाने या डाँटने के समय होता है । रेक्, (क्रि. ) सन्देह करना । रेक, (पुं.) सन्देह । जातिच्युत पुरुष | नीच जाति का पुरुष । रीता | खुलना । कोहरा | रेकणस्, ( न. ) सोना । ( वैदिक प्रयोग में ) मरे हुए की सम्पत्ति । रेखा, (खी. ) लकीर । पूर्णता | छल । रेखागणित, ( न. ) एक विद्या जिसमें रेखा और उनसे बने अनेक प्रकार के आकारों का वर्णन है और उनके बनाने की प्रक्रिया सिद्ध की गयी है । रेचक, (न. ) सांस लेना । दस्तावर | पिचकारी | सोरा । रेज् (क्रि.) चमकना । हिलाना । रेज, ( पुं. ) अग्नि | (क्रि. ) बोलना | माँगवा । प्रार्थना to करना । रेखु, (पुं. स्त्री. ) पराग। धूलि । रेणुका, ( स्त्री. ) परशुराम की माता । जमदग्नि की स्त्री | रेणु की काया । रेणुका सुत, (पुं.) परशुराम रेणुका का रेणुरूपित, ( पुं. ) धूलिधूसरित गधा | रेतरू, (न. ) वीर्य | ( वैदिक प्रयोग में ) प्रवाह | धार सन्तति । सन्तान | पारा । पुत्र | पाप । रेत, रेतन, } ( न॰) वीर्य्यं ॥ धातु ॥ रेत्य, (म.) धातु विशेष रेत्र, ( न. ) वीर्य्य | पारा । सोरा । सुवासित चूर्ण । रेपू, (क्रि. ) जाना । ध्वनि करना | रेपस्, (त्रि.) नांचा दुष्ट | निष्ठुर । जङ्गली | ( न. ) धब्बा | दोष । पाप | रेफ, (पुं. ) रकार का चिह्न । कृत्सित | दुष्ट | कृपण | रेवत, (पुं. ) जम्बीर । नीबू । " बलराम के ससुर । रेवती, (स्त्री.) बलराम की स्त्री | अश्विनी से सत्ताइसवाँ नक्षत्र | रेवतीरमण, (पुं.) बलराम रेवा, ( स्त्री. ) रति का नाम । नर्मदा नद्रो । रेप, (क्रि. ) हिनहिनाना। चीख मारना । रैष, (क्रि. ) शब्द करना । भौकना । रै, ( पुं. ) धन सम्पत्ति | सोना । शब्द विशेष रैवत, (पुं. ) शिव का नाम । शनि का नाम । स्वर्णालु वृक्ष | द्वारका के समीप का एक पहाड़। वसु चसुकीट, वसुकृमि, वसुदा, ( स्त्री. ) पृथिवी वसुदेव, ( पुं. ) यदुवंशोद्भव राजा सूर के पुत्र और श्रीकृष्ण के पिता वसुधा, (स्त्री.) भूमि वसुधारा, (स्त्री) कुबेर की राजधानी | मङ्गल कार्यों में मातृकाओं के ऊपर घी की धार । वसुन्धरा, (स्त्री. ) पृथिवी वसुमती, (स्त्री.) पृथिवी वसुल, (पुं.) एक देवता । वसूरा, (स्त्री. ) रण्डी | वेश्या | वस्क्, (क्रि. ) जाना। वस्कराटिका, ( स्त्री. ) बिच्छू वस्तू, (क्रि. ) जाना | मझ्डालना | मांगना | उत्पीड़न करना | (पुं.) भिखारी। चतुर्वेदीकोष | ३२१. वस्त, (न. ) आवास स्थ न । (पुं. ) बकरा वस्ति, ( पुं. स्त्री. ) तरेट | मूत्राशय | पिच- कारी। कपड़े का पल्ला बसिमल, (न. ) मूत्र | पेशानं । वस्तु, (न.) द्रव्य | पदार्थ वस्त्य, (न. ) गृह | घर वस्तुतस्, (अन्य ) असल में | वास्तव में | वस्त्रकुट्टिम, (न. ) तम्बू | डेरा | कनात | वस्त्रग्रन्थि, (पुं. ) नीवी | धोती की गांठ । वस्त्र, (न.) वेतन 1 मजूरी | वस्तु | धन | मौत | छिकला ( पुं. ) मूल्य | . वस्नसा, ( स्त्री. ) स्नायु | अतड़ी | नारा | चहू, (क्रि. ) पहुँचाना ३ चमकना । लेजाना । वह, (पुं.) बैल का कन्धा | घोड़ा | सवारी | रास्ता । नद । माप विशेष । वायु । वहल, (पुं. ) जहाज। ( त्रि. ) दृढ़ | वहित्र, (न.) पानी पर की सवारी । नाव । जहाज | बहिरङ्ग (बहिरङ्ग ), ( न. ) बाहिर का अङ्ग । ( त्रि. ) बाहिरी । वाग्द बहिरिन्द्रिय(बहिरिन्द्रिय), (न.) बाहिर का काम करने वाली इन्द्रिय वहिर्मुख (बहिर्मुख), ( त्रि. ) विमुख वहिस् (बहिस् ), (अव्य. ) बाहर | वह्नि, (पुं. ) आग | चित्रक वृक्ष । मिलाना. नमि । मरुत का नाम सोम वह्निकरी, ( स्त्री. ) शरीर की आग को भड़- काने वाला । आँवला । वहिगर्भ, (पुं. ) बांस | शमी वृक्ष । वह्निनी, ( स्त्री. ) जटामाँसी । बूटी विशेष । वह्निभोग्य, (न. ) घृत | घी । चह्निमित्र, ( पुं.) वायु । हवा वह्निरेतस्, कार्त्तिकेय | चह्निवधू, ( स्त्री. ) अग्निदेव की बहू वह्निसख, (पुं.) जीरा • वह्य, ( न. ) छकड़ा | गा | वाहन मात्र हरप्रकार की सवारी । वा, (क्रि. ) सुखपाना । जामा, हिंसा करना | वांशिक, ) बंसी बजाने वाला । वाक, ( पुं. ) वचन कहना । ( न. ) बगुलों का उड़ान । वाकूपारुष्य, ( न. ) गालीगलौज । वाक्य, (न. ) कई शब्दों से मिल कर चाक्य बनता है । उक्ति । वाक्षू, (क्रि. ) चाहना | वागर, (पुं. ) ऋषि । विद्वान् । ब्राह्मण । वीरपुरुष | कसौटी | अटकाव । निश्चय | संकल्प | समुद्री आग | भेड़िया | वागा, ( स्त्री. ) लगाम | वागारु, (त्रि.) धोखेबाज । वागाशनि, ( पुं. ) बुद्ध देव वागुरावृत्ति, ( पुं.) व्याध | शिकारी | वागुरिक, (पुं. ) शिकारी । व्याध । वाग्डम्बर, (पुं.) बहुत सी बातें कहना | वाग्दण्ड, ( पुं. ) धिक्कार | फटकार वाग्दत्ता, (त्री.) लड़की जिसकी सगाई होगयी है । · 3 वाग्दु 'चतुर्वेदीकोष । ३२२ वाग्दुष्ट, ( त्रि. ) चुरे शब्दों को (गालियों को ) प्रयोग करने वाला । वाग्देवता, ( स्त्री. ) सरस्वती | वाग्मिन् (त्रि. ) यच्छा वक्ता । वाग्मत, (नि. ) मौनी । वाय, (नि.) वस्तृत शक्ति विशिष्ट | वाग्मी । घाङ्गमती, (सी.) नदी विशेष | वाख, (पुं. ) एक प्रकार की मछली । वाचंयम, (त्रि. ) जिसने अपनी जिह्वा को वश में कर रक्खा है । ऋषि । वाचक, (पुं. ) पढ़ने वाला । कहने वाला । वाचक, (पुं. ) बोलने वाला व्याख्यान दाता | पाठक | वाचनिक, (त्रि. ) ज़बानी | वाचस्पति, (पुं.) बृहस्पति | पुष्य नक्षत्र | वाचा, ( स्त्री. ) वाणी । वाचाट, (त्रि. ) बहुत बकवादी । याचिक, ( . ) वाणी से किया हुआ | वाच्य, ( न. ) दूषण | कथन | द्रोप योग्य | चाळू. (क्रि. ) चाइना | 1 वाज, (न. ) वाजू । पर । तीर के पर लड़ाई | शब्द | यज्ञ | वेग | वाजपेय, ( न. ) यज्ञ विशेष जिसमें अन खाया और घी पान किया जाता है । वाजसनेथिन्, ( पुं. ) याज्ञवल्क्य वा नाम जो शुक्ल यजुर्वेद के प्रादुर्भाव कर्ता हैं । शुक्ल यजुर्वेदी | वाजननेविनों के अनुयायी | वाजिन्, (त्रि. ) तेज | दृढ़ | ( पुं. ) घोड़ा | तीर | वाजनयिन शाखाका अनुयायी | इन्द्र | बृहस्पति तथा अन्य देवता | वाजिन, ( न. ) बल । वीरता | सामर्थ्य । द्वन्द्व युद्ध | फटे दूध का जल वाजिनी, ( स्त्री. ) घोड़ी । उषा | भोजन | वाजिभक्ष, (पुं. ) चना | वाजीकरण, (न.) एक प्रकारकी औषध जिसके सेवन से मनुष्य अश्व की तरह मैथुन करने में समर्थ होता है। पौष्टिक दवाई | पुष्टाई । . वाम्छा, ( स्त्री. ) अभिलाषा | इच्छा | चाह वाट, (पुं. ) बाड़ा । घेरा । वाटिका | उद्यान | रास्ता । श्रन्न विशेष वाटिका, (स्त्री.) निवास का स्थान | बगिया | हिमपत्री | वाड्, (क्रि. ) स्नान करना । डुबकी मारना । वाडव, ( पुं. ) समुद्र की आग । ब्राह्मण | ( न. ) बोड़ियों का समूह | ( न. ) अतिशय । बहुतही । ( [अव्य. ) हाँ । प्रतिज्ञा | स्वीकृति । वाण (बाण ), ( पुं. ) तीर । एक दैत्य | व | कवि विशेष | मूअ । केवल । वाणवार ( बाणवार ), ( पुं. ) कवच | वाणहन् ( वाणहन्), ( पुं. ) बाणासुर के मदभअक | श्रीकृष्ण । वार्णि, ( स्त्री. ) चुनना । बुनने का चरखा | वचन । शब्द । सरस्वती । चाणिज, ( पुं. ) व्यापारी | बनिया | वाणिजिक, ( पुं. ) व्यापारी | गुण्डा | ठग | समुद्र की श्राग । वाणिज्य, ( न. ) व्यापार वाणिनी, ( श्री. ) बड़ी चतुर या उत्पात करने वाली स्त्री | नाचने वाली स्त्री | नटी । मदमस्त स्त्री । वाणी, ( स्त्री. ) शब्द । भाषा | प्रशंसा || सरस्वती । वाढ, 1 . वात वात, (क्रि.) जाना | सेवा करना | सुखी करना | वात, (त्रि. ) फूँका हुआ । चाहा हुआ | ( पुं. ) हवा | पवनदेव | गठिया | जोड़ों की सूजन | विश्वास शून्य प्रेमिक । ढीठ नायिक | वातकिन, (त्रि. ) गठिया के रोग वाला | वातकेतु, ( पुं. ) धूल | गर्दा । वातध्वज, ( पुं. ) मेघ । धूल | वातप्रमी, ( पुं. स्त्री. ) तेज़ हिरन वातरक्क, (न. ) गठिया रोग एक प्रकार का रोग | वात चतुर्वेदकोष । ३२३ वातरायण, ( पुं. ) उन्मत्त | पागल | निकम्मा मनुष्य । काण्ड । श्रारा। सरल का पेड़ । चातल, (त्रि.) तूफानी । वायु उत्पन्न करने वाला । (पुं. ) वात | रोग भेद | वातव्याधि, (पुं.) बाई की बीमारी । वातार, (पुं.) बादाम । फलदार पेड़ | वातापि, ( पुं. ), दैत्य विशेष जो अगस्त्य द्वारा मारा गया था। वाटिस, वात्सी, · वातापिसूदन, (पुं. ) अगस्त्य मुनि । वातामोद, (स्त्री. ) कस्तूरी वातायन, ( न. ) झरोखा । खिड़की । ( पुं. ) घोड़ा । वातायु, ( पुं. ) हिरन । वातारि, (पुं. ) एरण्ड का पेड़ | शतमूली । शेफालिका | यवानी । भाङ्ग । स्तुही । विडङ्ग । शूरण जन्तु का लाख । वाति, ( पुं. ) वायु | हवा । वातिक, (पुं.) बाई की बीमारी । वातीय, ( न. ) काँजी । चातुल, (त्रि.) वात उत्पन्न करने वाला । उन्मत्त । ( पुं. ) अन्धड़ वा का भँवर । घातूल, (त्रि.) देखो वातुल । वात्या, (स्त्री.) तूफान । वात्सक, ( न. ) बछड़ों का समूह | वात्सल्य, (न.) स्नेह जो अपने से छोटों- जैसे पुत्रादि, में होता है । ( स्त्री. ) ब्राह्मण के औरस से - उत्पन्न शुद्रा के गर्भ से उत्पन्न लड़की । वात्स्य, (पुं.) वत्स की सन्तान | वात्स्यायन, (पुं.) काम सूत्र के रचयिता | न्यायसूत्र के एक टीकाकार । वाद, (पुं.) बातचीत | वर्णन | वाद विवाद | तर्कना । न्याय का पारिभाषिक शब्द विशेष | ब्रम्वन, (न. ) बाजे का शब्द । चादर, (न. ) सूती कपड़ा । वाम वादूरायण, ( पुं. ) वेदव्यास वादाम ( बादाम:), ( न. ) फल विशेष । वादित्र, (न. ) मृदङ्ग आदि बाजा । वादिन, (पुं.) बोलने वाला । वक्ता | वादी | विवाद कर्त्ता । वाद्य, (न. ) हर प्रकार का बाजा। बाधू, (क्रि. ). बिगाड़ना । खिजाना | कष्ट देना । विवश करना | वाघ, (पुं. ) टूट | रोक । रुकावट | विघ्न | धाधुक्य, } ( न. ) विवाह । वाधूक्य, वाधीणस, (पुं.) गेंड़ा। वान, ( त्रि. ) सूखा । बनैला । ( न. ) सूखे फल । वानप्रस्थ, (पुं. ) तीसरा आश्रम | वानर, (पुं.) बन्दर | वानरेन्द्र, (पुं. ) सुग्रीव । बाली । वानस्पत्य, (पुं.) आम का पेड़ | वानायु, ( पुं.) अरब देश .. वानायुज, ( पुं. ) अरवी घोड़े। वानीर, (पुं. ) एक प्रकार के बेत । - वानीरक, (पुं. ) मूञ्ज । वान्त, (त्रि. ) उगला हुआ | वाप, (पुं. ) चुनाव | मुण्डन । बीज आदि का 1 लगाना | बड़ा कूप बापि, ((स्त्री.) बाँवली । - जिनमें जल तक पहुँचने को चकर- दार सीढ़ियां हों । चापी, वापीह, (पुं. ) चातक । पपीहा | वाप्य, (न. ) कुष्ठरोग की औषध ! (त्रि.) बाँवली का | वाम, (त्रि.) बायां | उल्टा | दुष्ट | प्यारा | मनोहर । छोटय । ( पु. ) जीवधारी । शिव । कामदेव । सर्प । छाती । निषिद्ध कर्म यथा मद्यपानादि । ( न. ) धन अधिकार | वामदेव, (पुं.) ऋषि विशेष । शिव । + घाम चतुर्वेदकोष । ३२४ वामन, (त्रि. ) बौना । छोटा शुल्प | घटाया हुआ। कम किया गया । झुकाया गया । ( पुं. ) विष्णु का पांचवा अवतार | दक्षिण दिकुअर । काशिका वृत्ति के रच यिता का नाम । घामनी, ( स्त्री. ) बौनी स्त्री | घोड़ी | योनि का रोग विशेष | वामलूर, ( पुं. ) वल्मीक । वल्मी । वामलोचना, (स्त्री. ) सुन्दर नेत्र वाली स्त्री | वामा, ( स्त्री. ) स्त्री | बड़ी प्यारी स्त्री | गौरी । लक्ष्मी • सरस्वती । घामाचार, ( पुं. ) उल्टी चाल | तन्त्र का आचार विशेष | वामी, (स्त्री.) घोड़ी | गधी | थिनी | गदिइनी । वामोर, ( स्त्री. ) सुन्दर वस्त्र वाली स्त्री | वायवी, ( स्त्री. ) उत्तर पश्चिम दिशा । वायव्य, (त्रि. ) पवन सम्बन्धी । वायस, ( पुं. ) काक । तारपीन वायसारातिं, ( पुं. ) उल्लू । वायु, ( पुं. ) पवन पवनदेव प्राणवायु वायुपुत्र, (पुं. ) हनुमान् । भीमसेन । वायुभक्ष, (पुं. ) सर्प । वायुवर्त्मन, ( न. ) आकाश | वायुवाह, ( पुं. ) धूआं धूम | वायुवाहिनी, (स्त्री. ) शरीर की नाडी विशेष | वायुसख, (पुं. ) अग्नि | आग वाय्वास्पद, (न.) धाकाश | घार्, (न. ) पानी | जल । वार, (पुं.) ढकत्ता | समूह | झुण्ड | गिरोह | दिवस जैस रविवार यादि । समंय | बारी । अवसर । द्वार । नदी का दूसरा सामने वाला तट | शिव | पूँछ । ( न. ) जलसंध मदिरा रखने का पात्र घारक, (त्रि. ) रोकने वाला | हटाने वाला | घोड़े की चाल विशेष । घोड़े का विष । वारण, (न. ) रोक | निषेध | पकड़ (पुं.न.) हाथी | कवच | वारि वारणवुशा, वारणवुसा, ( स्त्री. ) केले का पेड़ वारणवल्लभा, ( स्त्री. ) केला # हथिनी वारमुख्या, ( स्त्री. ) वेश्या | वारंवार, (श्रव्य. ) बेर बेर । वारयितृ, (पुं. ) पति | मालिक | ( त्रि. ) हटाने वाला | वारयोषा, ( स्त्री. ) वेश्यां । रसडी वारबाण, (पुं. न. ) कवच | वाराङ्गना, ( स्त्री. ) रण्ड़ी | चाराणसी, ( स्त्री. ) काशी | वाराह, (पुं. ) शकुर | वृक्ष विशेष | ( त्रि. ) शूकर सम्बन्धी | वाराहकल्प, (पुं.) जिस कल्प के प्रारम्भ में वाराह अवतार पहले हुआ हो । वर्तमान कल्प में श्वेत वाराह अवतार हुआ था इस लिये इसका नाम श्वेत बाराह वाराहपुराण, (न. ) अठारह पुराणों में से एक वाराही, ( स्त्री. ) सुअरिया | भूमि | पृथिवी | शकर के रूप में विष्णु की शक्ति माग विशेष | वाराहीकन्द, ( पुं. ) एक प्रकार का कन्द वारि, (न. ) पानी रस । ग्रन्थ १ पदार्थ | वारिचर, (पुं. ) पानी में चलने वाले जीव- धारी जन्तु | वारिज, (न. ) कमल । लौंग | निमक | गौर सुवर्ण ( पुं. ) शङ्ख घोंघा वारित्र, ( स्त्री. ) छाता । घूघी आदि वह वस्तु जो पानी के भीगने से बचावे | वारिद, न. ) मेत्र | बादल । मौथा । (त्रि.) पानी देने वाला | वारिधि, ( पुं. ) समुद्र वारि चतुर्वेदकोष | ३२५० वारिमसि, (पुं) मेघ । बादल | वारिराशि, (पुं. ) समुद्र | बारिरह, ( न. ) कमल । वारिवाह, (पुं.) मेघ वारिश, ( पं. ) विष्णु । वारीश, (पुं. ) समुद्र । वरुण वारु, ( पुं. ) विजय कुअर । वालि (बालि), (पुं.) सुग्रीव का बड़ा भाई । चारुठ, (पुं. ) अर्थी | ठठरी | यान जिसपर चालुका (बालुका), (स्त्री.) रेती | चूर्ण | कपूर | मुर्दा लादा जाता है । वारुण, ( त्रि. ) वरुण सम्बन्धी । (पुं.) भारत वालुकाका } ( खी. ) ककड़ी ॥ 1 वर्ष के नौ खण्डों में से एक । ( न. ) जल | घारुणि, (पुं. ) अगस्त्य भृगु । वारुणी, ( स्त्री. ) पश्चिम दिशा । मदिरा शतभिषज | दुर्वा घास | वरुण पत्नी | ( पुं. ) सर्पराज ( न. ) आँख और कान का मैल | नात्र से पानी उलीचने घारुण्ड, का पात्र । वारुण्डी, (स्त्री.) द्वार की सीढ़ी । चार्णिक, ( पुं. ) लेखक । क्लार्क । वार्तिका, ( स्त्री. ) बटेर पक्षी । वार्त्त, (त्रि. ) तन्दुरुस्त | इसका ? निर्बल | असार । पेशे वाला । ( न.) स्वास्थ्य | चातुर्थ । वार्ताक, ( पुं. ) बेंगन । भटा । वार्त्तावह, ( पुं.) दूत । जासूस वार्त्तिक, (न. ) वृत्ति स्वरूप में गया ग्रन्थ विशेष | गद्य ग्रन्थ | रचा वार्द्धक्य, (न. ) बुढ़ापा चार्द्धि, ( पुं. ) समुद्र । वार्द्धषि, (पुं.) सूदखोर ब्याज खाने वाला । वार्द्धपिन्, (त्रि. ) ब्याज पर जीने वाला | वार्द्धष्य, ( न. ) ऋण दान । वास, ( पुं. ) गेंड़ा। जङ्गली बकरा जिसके लम्बे कान होते हैं । वार्मण, (न. ) कवच पहिने हुए लोगों का समूह | वार्मुच, (पुं.) मेघ । बादल i वार्षिक, (त्रि. ) सालाना | बर्साती । ( न. ) एक औषध विशेष | वार्षिला, ( स्त्री. ) नरक विशेष | चार्ष्णेय, (पुं.) कृष्ण | नल के सारभि का नाम । चाद्रथ (बार्हद्रथ ), वाईद्राथ (बार्हद्रथि), } (पुं.) जरासन्ध x चालक, ( न. ) छाल का बना कपड़ा । वाल्मीकि, ( सं . ) रामायण बनाने वाले मुनि का नाम । इस नाम का एक चाण्डाल महाभारत में पाण्डवों के अश्वमेधको साङ्गता द्योतक शंख इसी की पूजा और भोजन होने पर बजा था। वावदूक, (त्रि. ) वक्ता । बातूनी वावव, (पुं.) तुलमी या उसी प्रकार का तीव्र गन्ध वाला वृश्च वावुट, (पुं.) नाव | डोंगी । वावृत्, (क्रि. ) चुनना खोजना सेवा करना । वास २ वाशिष्ठ, वासिष्ठ, :} वा, (क्रि. ) गुर्राना | गरजना | चीखना । ( पशुपचिो की बोली ) बुलाना वाशित, (न. ) पक्षियों की बोली | बुलाना | पुकारना । वाशिता, ( स्त्री. ) हथिनी । स्त्री | (न. ) 1 प्यार करना । वमिष्ठमुनि का उपदेश दिया हुआ योग विद्या का ग्रन्थ | योगवासिष्ठ । वाश्र, (न. ) घर | चौराहा । ( पुं. ) दिन वास्प, } (पुं. ) भाफ । आँसू । तकिया। वास्. (क्रि. ) मुगन्धित करना । वास, ( पुं. ) वर | वन | रहना | सुगन्ध | वासक, ( पुं. ) वृक्षविशेष असा । दमे की उत्तम औषधि 1 वास . चतुर्वेदीकोष । ३२६ वासकसज्जा, (स्त्री. ) नायिका विशेष | वासगृह, ( न. ) घर के बीच का कमरा । वासतेयी, ( स्त्री. ) रात | वासन, (न. ) धूप देना । कपड़ा । रहने का स्थान | ज्ञान । वासना, ( स्त्री. ) प्रत्याशा | भरोसा । खुशबू- । दार करना । वासन्त, (पुं. ) ऊंट। हाथी का बच्चा | क़ोयल । दक्षिणी वायु जो मलय पर्वत पर होकर चलता है । मूँग | वासन्ती, ( स्त्री. ) एक प्रकार की चमेली । बड़ी मिर्च | पुष्प विशेष एक उत्सव जो कामदेव का कहलाता है । लता विशेष । वासर, (पुं. न. ) दिन | नाग भेद । ( वासवदत्ता, ( स्त्री. ) ग्रन्थ विशेष | एक नायिका का नाम जिसका परिचय भिन्न भिन्न ग्रन्थों में भिन्न भिन्न प्रकार का पाया जाता है ! वासस्, (न.) कपड़ा । वस्त्र । वासागार, (न. ) रहने योग्य गृह | (स्त्री.) वासित, (त्रि.) सुरभीकृत | बसाया गया | सुगन्ध युक्त किया गया। वासि, वासी, एक प्रकार की कुल्हाड़ी रहने वाला | वासु, (पुं.) विष्णु । वासुकि, (पुं.) सर्पराज | वासुदेव, (पुं. ) श्रीकृष्ण | विष्णु । वासू (स्त्री.) सोलह वर्ष की लड़की । वास्तव, (न.) असल सत्य | वास्तविक, (त्रि.) असल में । सत्य सत्य | वास्तव्य, (त्रि. ) रहने वाला रहने योग्य | वास्तु (पुं. ) घर बनाने योग्य भूमि | घर | बथुआ का शाक | वास्तेय, (त्रि. ) रहने योग्य | वास्तोष्पति, ( पुं. ) इन्द्र | घर का मालिक | बास्त्र, (पुं.) कपड़े के पर्दे से ढका रथ । बाह, (क्रि. ) यत्न करना विक चाह, (पुं. ) कुली | मजूर ढोने वाले जानवर घोड़ा बैल भैंसा आदि । गाड़ी । रथ | बाँह । हवा । चार भार का माप विशेष | वाहम, (न.) सवारी। वाहिनी, ( स्त्री. ) सेना । नदी । वाहिनीपति, (पुं.) सेना का मालिक । समुद्र | वाहीक, (पुं. ) जाति विशेष । वाहु (बाहु), (पुं.) बाह | रेखा विशेष | वाहुमूल (बाहुमूल), (न.) काँख । बगल वाह्य, (न. ) अश्वादि सवारी | बुन्दर । ( त्रि. ) बाहिर का । वाह्निक, १ ( पुं. ) बलखनुखारा देश । वाह्नीक, इस देश में उत्पन्न हुआ घोड़ा । ( न. ) केसर | हींग | वि, ( अव्य. ) नियोग | विशेष । सहन | निग्रह | हेतु | अव्याति । ईषत् | परिभव | शुद्धि । अवलम्बन । ज्ञान । गति । श्रालस्य पालन | इसको संज्ञा के पूर्व लगाने से उसके अनेक प्रकार के अर्थ हो जाते हैं। वि, (पुं. स्त्रीः ) पक्षी । घोड़ा । जानेवाला । सोम | - विंश, ( त्रि. ) बीसवाँ । विंशक, (न. ) बीस | विंशति, ( स्त्री. ) कोड़ी | बीस | विंशतिक, (त्रि. ) बीस के योग्य अथवा बीस के मूल्य का । विंशतितम, (त्रि. ) बीसवाँ । विक, (न.) दूध, उस गाय का जो हालही में ब्यानी हो । विकच, (पुं. ) नागा । बौद्ध संन्यासी | बहुत बाल वाला। ध्वज केतु । झण्डा | खिला हुआ। (त्रि. ) कॅशशून्य विकट, (त्रि.) विकृत । विशाल | बिगड़ा हुआ | सुन्दर | नीचे ऊपर । (पं.) फोड़ा । चिकण्टक, (पुं. ) वृक्ष विशेष (1) शत्रु रहित । विक • विकत्थन, (न. ) आत्मश्लाघा | बढ़ कर · बोलना । विकर्तन, ( पुं. ) सूर्य । अर्क वृक्ष । छुरी चलाना | विकर्मस्थ, ( पुं. त्रि. ) निन्द्य आचरण में लिप्त । अनाचारी | विकल, (त्रि.) व्याकुल । घबराया हुआ | बिगड़ा हुआ । विकलाङ्ग, ( त्रि. ) न्यूनाधिक अङ्ग वाला | विकल्प, ( पुं. ) सन्देह । पक्षान्तर प्राप्त । विकश्वर, १ ( त्रि. ) प्रकाशशील | चमकने विकस्वर, ] वाला । विकषा, (स्त्री. ) मजीठ | विकशित, विकसित, चतुर्वेदीकोष । ३२७ ( त्रि. ) प्रकाश युक्त । खिला हुआ । विकार, (पुं.) परिवर्तन 7 बीमारी | विकाल, (पुं. ) विरुद्ध समय अर्थात् वह समय जिसमें देव पितृ कोई भी कार्य नं किया जाय । सांझ | विघ विक्रमिन्, (पुं. ) विष्णु । सिंह । (त्रि.) वीर विकाश, (न. ) अकेले । प्रकाश | चमक | आकाश | स्वर्ग । विकीर्ण, ( त्रि. ) विक्षिप्त । विकुर्वाण, (त्रि.) बिगड़ा हुआ | विकुक्षि (पुं. ) सूर्यवंशी एक राजा । विकृत, (त्रि.) वीभत्स | निन्द्य | मलिन | रोगी | विक्रम, (पुं.) बहुत उत्साह करने वाला । त्रिविक्रम | भगवान् | राजा विक्रमादित्य | चरण | बड़ी वीरता | साठ वर्षों में से एक | .. बिलकुल अनुक्रम से । विक्रमादित्य, ( पुं. ) उज्जयिनी का एक राजा विशेष, जिस के नाम का संवत् चल रहा है । विक्रय, ( पुं ) बेचना। विक्रयिक, ( पुं. ) बेचने वाला | विक्रयिन्, ( त्रि. ) बेचने वाला । विक्रान्त, ( पुं. ) शेर । वीर । विक्रम | बहादुरी । विक्रिया, ( स्त्री. ) विकार | बदलना | वस्तु का अन्यथा परिणाम | विक्रेय, ( त्रि. ) बेचने योग्य पदार्थ | विक्लव, ( त्रि. ) घबराइट। विक्लिन्न, (त्रि. ) गीला | टूटा हुआ । विकाशिन, (त्रि.) खिला हुआ | विकिर, ( पुं. ) पक्षी | कुश | सफ़ेद सरसों जो विघ्न विनाश नार्थ इधर उधर छितराई जाती है । विकिरण, ( न. विख्य, (त्रि.) नकटा | विख्यात, ( त्रि. ) प्रसिद्ध । विगणन, (न. ) गणना करना । गिनना ।' विगत, ( त्रि. ) बीता हुआ । प्रमाद रहित । विगतार्त्तवा, ( स्त्री. ) वह स्त्री जिसका मासिक धर्म बन्द हो गया हो। विगम, (पुं. ) नाश । दूर होना । विगर्हण, ( न. ) निन्दन । आरोप । जानना । ( पुं. ) आक का पेड़ । (त्रि. ) . विगर्हित, (त्रि.) निन्दिता किरण रहित । फेंकना मारना । विगाढ, ( त्रि. ) स्नात । नहाया हुआ । विगान, ( न. ) निन्दा । विशेष गाया हुआ | प्रशंसा करना | पुराना । विक्षेप, ( पुं. ) त्याग | प्रेरणा | फेंकना । विक्षेपशक्ति, ( स्त्री. ) ब्रह्माण्ड को रचने वाली शक्ति | वेदान्त के अनुसार विद्या की एक शक्ति । विगीत, (त्रि. ) निन्दित । गाया हुआ | प्रशंसा किया हुआ | विगुण, ( त्रि.) गुणरहित । विशेष गुणवान् । विगृहीत, (त्रि. ) पकड़ा हुआ । जुदा किया | व्युत्पत्ति किया हुआ शब्द | विप्र, (त्रि.) नकटा | विग्रह, (. पुं. ) लड़ाई । विशेष ज्ञान | समास | विघटिका, ( स्त्री.) एक पल । विध विघटित, ( त्रि. ) वियोजित । विशेष रीत्या बनाया हुआ | विघट्टित, (त्रि.) जुदा किया हुआ | विघस, (पुं. ) आहार ( न. ) मोम | विघसाशिन्, ( त्रि. ) देव पितृ कार्य से बचा हुआ खाने वाला। विघात, (पुं.) व्याघात | चोट । रुकावट | विघ्न । विघातिन्, (त्रि.) निवारक | इटाने वाला | नाश करने वाला । मारने वाला । हत्यारा चतुर्वेदकोष | ३२८ विघ्न, (पुं. ) व्यापात 1 रुकावट | कृष्ण पाक फला नामक एक बूटी । विनाशक, ( पुं. ) विघ्नों को मिटाने वाला । गणेश | · विघ्नराज, (पुं. ) गणेश | विनित, (त्रि. ) जिसमें विघ्न होगया हो । विच, (क्रि. ) अलग करना । विचक्षण, (पुं. ) पण्डित । चतुर । ( स्त्री. ) नाग दन्ती । विचयन, (न: ) खोज । चुनाव | विचचिका, ( स्त्री. ) खान | खुजली | विचार, ( पुं. ) तत्त्वनिर्णय । विवेक । सोचना | विचारणं, (न. ) मीमांसा करना | विचार करना । विचि, विची, ( पुं. स्त्री. ) तरङ्ग | लहर | विचिकित्सा, (स्त्री.) सन्देह | तर्क | विचित्र, (न. ) अद्भुत | धब्बेदार । भिन्न भिन्न प्रकार का । सुन्दर विचित्रवीर्य्य, ( पुं.) शान्तनु राजा का बेटा । (त्रि.) श्रद्भुत पराक्रम वाला । विचित्राङ्ग, ( पुं. ) चीता | व्याघ्र | (त्रि.) श्रद्भुत शरीर वाला । विवेतस्, (त्रि.) ज्ञानशून्य । मूर्ख | अज्ञानी । विकल । शोकान्वित | दुष्ट । विचेष्टित, (त्रि. ) चेष्टाशून्य । विज्ञा चिच्छु, ( कि. ) चमकना | जाना । विच्छन्दक, (पुं. ) ईश्वर गृह । कई खण्ड का बड़ा भवन । विच्छाय, ( न. ) पक्षियों के समूह की छाया । (त्रि. ) छाया रहित । विच्छित्ति, ( स्त्री. ) अङ्गराज । एक प्रकार का चन्दन । हार विशेष | वेद | टूट नाश | विच्छेद | स्त्रियों की चेष्टा विशेष । विच्छिन्न, (त्रि. ) विभक्त । पाया हुआ | छेदन | विच्छेद, (पुं. ) वियोग | विछोह | विभाग | अलगाव | विज्, (क्रि. ) पृथक् करना । काँपना | विजन, (त्रि. ) निर्जन । एकान्त | डरना । अकेला स्थान | विजनन, ( नं. ) गर्भमोचन 1 निकलना । विजय, ( पुं० ) अर्जुन । विमान | जीत | अपमान पूर्वक पकड़ना । . विजयकुञ्जर, (पुं.) राज वाइन गज । वह प्रधान हाथी जिस पर बैठ कर रण में विजय किया जाय । विजया, ( स्त्री. ) आश्विन शुक्ला १० मी | उमा की एक स । दुर्गा | जयन्ती | शेफालिका । मजीठ । भाँग । द्वादशी प्रसव | यमराज | विशेष | सप्तमी विशेष | विजातीय, (त्रि.) भिन्न जाति वाला । विजिगीषा, ( स्त्री. ) जीतने की अभिलाषा | निज उदर पूर्ति की इच्छा से पर निन्दा में प्रवृत्त होना । विजित, ( न. ) वन | जङ्गल वृक्ष समूह | विजम्मण, ( न. ) विकाश | जमुहाई विजृम्भित, ( त्रि. ) विकसित | खिलाहुआ । प्रकाश | चमक । विश, (पुं.) प्रवीण | पण्डित । विज्ञात, (त्रि. ) प्रसिद्ध | जाना हुआ। विज्ञा चतुर्वेदकोष । ३२६० विज्ञान, (न.) विशेष ज्ञान । वेदान्त में कहा हुआ अविद्या की वृत्ति का भेद । विज्ञानमय कोष, (पुं. ) ज्ञान की इन्द्रिय और बुद्धि । विज्ञानिक, ( त्रि. ) विज्ञान जानने वाला । ● विटू, (क्रि.) चिल्लाना | शब्द करना । विट, (पुं.) गुण्डा । जार । पर्वत विशेष । चूहा । खदिर वृक्ष । नारङ्गी का वृक्ष । विटङ्क, (न.) कबूतरों की काबुक । कबूतरों के बैठने की छतरी । विटप, (पुं. न. ) शाखा | पल्लव विस्तार | (त्रि.) विटपालक । विटपिन्, ( पुं. ) वृक्ष | पेड़ । विटि, विटी, } ( स्त्री. ) पीत चन्दन । विद्रचर, (पुं. ) गाँव का पालतू सूअर | विट्पत्ति, ( पुं. ) जमाई । विड्, (क्रि. ) चिल्लाना । विड, (न. ) लवण भेद । एक प्रकार का नोन । विडङ्ग, (पुं. न.) कृमिनाशक एक औषधि | बाय विडङ्ग । ( त्रि. ) अभिज्ञ | जानने 'वाला । विडम्बन, (न.) तिरस्करण । अनुकरण | ( स्त्री. ) हँसी । विड़ाल (बिडाल), ( पुं. ) बिल्ला | नेत्र का गोला । नेत्र की औषधि विशेष । विडीन, (न. ) पक्षियों की एक प्रकार की गति । विडोजस, विडोजस, ( पुं.) इन्द्र | विश्वराह, (पुं. ) ग्राम शुकर | वितंस, (पुं. ) पक्षियों को बाँधने का फन्दा आदि । विद वितण्डा, ( स्त्री. ) एक प्रकार के वाद प्रति वाद का ढङ्ग । शास्त्र की अल्पज्ञता छिपा- ने के लिये मन गढ़न्त बातों से वाद विवाद करना । अपना पूर्वपक्ष समर्थन करने के बिना ही परपच को हठ से दबाना । झूठा झगड़ा । व्यर्थ का झगड़ा बकवाद । वितथ, (त्रि. ) झूठा । अयथार्थ । वितद्रु, ( स्त्री. ) पजाब की एक नदी वितरण, (न. ) दान | देना । बाँटना | मुफ़्त देना । " वितर्क, ( पुं.) सन्देह तर्क । बात की यथार्थता पर ऊहापोह करना । वितर्दि, ( स्त्री. ) वेदी । वितल, (न.) पाताल विशेष । वितस्ति, ( पुं. स्त्री. ) बालिश्त । वारह अङ्गुल का माप । वितान, (न. पुं.) चन्दौवा | शामियाना | वृत्ति विशेष अवसर | यज्ञ | फैलाव | वित्, (क्रि. ) त्यागना । वित्त, (न. ) धन | (त्रि.) विचारा गया। जाना गया । पाया गया । वित्ति, ( स्त्री. ) ज्ञान | लाभ | विचार । वित्तेश, ( पुं॰ ) कुबेर | धन का स्वामी | विथ्, ( क्रि. ) मांगना । विदू, (क्रि. ) लाभ होना । पाना | विचार करना । होना । जानना । विदग्ध, (त्रि.) नगरवासी । होशियार । पण्डित । चतुर । विदग्धा, ( स्त्री. ) नायिका विशेष । चतुर और चलती स्त्री | विद्, ( पुं. ) पण्डित । वेत्ता | बुध ग्रह । विदथ, (पुं.) योगी । कृतकृत्य | सफल मनोरथ । विदर्भ, ( पुं. स्त्री. ) वह देश जहां दर्भ न हों । रुक्मिणी के पिता भीष्मक की राज- धानी, जो हाल में अमझरा नाम से • चतुर्वेदीकोष | ३३० विधं जिले में है | विद्यमान, ( पुं. ) वर्तमान काल । ( त्रि.) मौजूद। विधा, ( स्त्री. ) ज्ञान । मन्त्र विशेष | विद्याचन, ( त्रि. ) विद्या में प्रसिद्ध । विद्याचण, विद्याचुञ्जु, ( पुं. ) विद्या द्वारा प्रसिद्धि विद प्रसिद्ध है । यह उज्जैन रुक्मिणी हरण के चिह्न भी वहां के पर्वत में हैं । वही प्राचीन समय में कुण्डिनपुर था जो रुक्मैया ने इटारो लौट कर बसाया था । राजधानी धारा और 1 श्रमझरा | विदल, (न.) दो भाग किया हुआ अनार । विदा, ( स्त्री. ) बुद्धि । विक्षर, (पुं. ) पानी का प्रवाह । विदारण | विदारक, (न. ) पानी ठहरने का गढ़ा । (त्रि.) फाड़ने वाला । (पुं.) पानी के बीच का वृक्ष । विदारण, ( न. ) फाइना | मारना । ( पुं. ) कनेर का पेड़ | विदाहिन, (न. ) जलाने वाली वस्तु | विदित, (त्रि.) जाना हुआ। प्रार्थित । विदिश, ( स्त्री. ) कोण । विदुर, (त्रि.) नौगर (पुं.) कौरवों के मन्त्री का नाम । विदूर, ( न. ) बहुत दूर । (पुं. ) मूँगा के उत्पन्न होने का स्थान | विदूरथ, ( पुं. ) सूर्थ्य वंशी एक राजा | विदूराद्रि, (पुं. ) एक पर्वत । विदूषक, ( पुं. त्रि. ) शृङ्गार रस का सहायक विशेष | नाटक का मसखरा पात्र । नट | निन्दक। अपनी ही हाँकने वाला । विदेश, ( पुं. ) देशान्तर | परदेश | विदेह, (पुं. त्रि. ) निमिराजा के देह त्याग के उपरान्त के राजा जनक कुशध्वज आदि | मैथिल देश । (T ) मिथिलापुरी | जनकपुरी । (त्रि.) मुश्च और शरीर सम्बन्ध से शून्य । विदेहकैवल्य, ( न. ) मोश्च विशेष जो दत्ता- त्रेय के उपदेश से जनक राजा को प्राप्त हुआ था। विद्ध, (त्रि.) छिद्रित क्षिप्त बाधित ताड़ित | वेजा गया । प्राप्त । विद्यादान, (न. ) पढ़ाना पुस्तक का दान | विद्याधन, ( न. ) विद्या द्वारा उपार्जित धन ( शास्त्रार्थ करके या विद्या दिखा कर ) | विद्याधर, (पुं. ) देवता विशेष | विद्युत्, ( स्त्री. ) बिजली | संध्या । बिद्युत्प्रिय, ( न. ) काँसा धातु । रेशम | कोयला । विद्युन्माला, ( स्त्री. ) छन्द जिसका प्रत्येक पद आठ अक्षर वाला होता है। विलियों की कतार । विद्रव, ( सं . ) पलायन | बहाव । युद्ध | ferra, SMS | विद्रुत, (त्रि. ) बद्दा हुआ भागा हुआ । विद्रुम, ( पुं. ) मूँगे का पेड़ | विकल्प, (त्रि.) थोड़ी सी कसर वाला पण्डित | विद्वत्तम, ( पुं. ) बहुत विद्वान् । विद्वद्देशीय, (त्रि.) थोड़ी कसर वाला पण्डित | विद्वस्, (त्रि. ) पण्डित । श्रात्मज्ञानी । विद्विष, (पुं. ) शत्रु | वैरी । विद्वेष, ( पुं. ) शत्रुता । विद्वेषण, (न. ) तान्त्रिक अभिचार विशेष | शत्रुओं में परस्पर विद्वेष उत्पन्न कराने की प्रक्रिया विधवां, ( स्त्री. ) रॉड | वह स्त्री जिसका पति मर गया हो। विधा ब्रह्मा । विधातृ, (पुं. ) प्रजापति । कामदेव । मदिरा । भृगु मुनि के पुत्र | कार्यकर्ता । विधान, (न.) विधि प्रकार | कार्य का निर्देश । चतुर्वेदीकोष | ३३१ → गजभक्ष्यान | विधानश, (पुं.) परिडत । विधि जानने वाला । कार्यकुशल । होशियार । विधायक, (त्रि.) विधानकर्त्ता | कार्य का व्यवस्थापक | विधि, (पुं. ) ब्रह्मा | भाग्य | क्रम | प्रवर्त्तना रूप नियोग | विष्णु | कर्म | गजभक्ष्यान वैद्य | नयी आज्ञा देना। व्याकरण का सूत्र विशेष | आईन । विधिश, (त्रि. ) विधि को जानने वाला विधित्सा, ( स्त्री. ) करने की चाह | विधिदेशक, ( पुं. ) गुरू | सदस्य | विधिवत्, ( श्रव्य. ) विधि के अनुसार । यथाविधि । विधु, ( पुं. ) चन्द्रमा | विष्णु । ब्रह्मा । शङ्कर। कपूर । वायु । विधुत, (त्रि.) काँपा हुआ। त्यक्त | विधुनन, (न.) हिलाना । कँपाना | फट- कारना । विधुतुद, ( पुं. ) राहु । बादल | . विधुर, (त्रि.) विश्लिष्ट | विकल । ( न. ) . अलग होना । विधुवन, ( न. ) कम्पनं । विधूत, (त्रि. ) कम्पित | त्यत । विधेय, (त्रि. ) करने योग्य आज्ञाकारी | समझाया हुआ | विध्वंस, (पुं.) नाश । विनत, (त्रि. ) प्रगत झुका हुआ | टेढ़ा | शिक्षित | गरुड़ की माता कश्यप की स्त्री | विनतासूनु, ( पुं. ) अरुण और गरुड़ | विनय, (पुं.) शिक्षा | प्रणाम | अनुनय | ( त्रि. ) निभृत | क्षिप्त | जितेन्द्रिय | विनयग्राहिन्, ( त्रि. ). अधीन कारी । विन्दु श्रज्ञा- विनयस्थ, (त्रि. ) कहना मानने वाला । विनशन, (न. ) विनाश | कुरुक्षेत्र | विना, (अन्य ) बगैर । वर्जन | विनाकृत, ( त्रि. ) त्यक्त | रहित विनायक, ( पुं. ) गणेश । गरुड़ | विघ्न । ( त्रि. ) गुरु | विनय वाला । नम्र विनाश, ( पुं. ) ध्वंस विनाशोन्मुख, (त्रि.) नष्टप्राय | विनाश के लिये उद्यत । बीनाह, } (पुं. ) कूप का ढकना विनिद्र, (त्रि.) जागा हुआ विनिमय, (पुं. ) बदला | बटाना | बन्धक अमानत | एक वस्तु देकर दूसरी वस्तु लेना। विनियोग, ( पुं..) काम में लगाना | विनीत, ( त्रि. ) विजय युक्त द पाया हुआ फेंका गया। दूर किया हुआ | (पुं.) सिखाया हुआ। अश्व वृक्ष विशेष | विनेतृ, (पुं.) शिक्षक । राजा । विनेय, (त्रि. ) सिखाने योग्य | पाने योग्य | विनोक्कि, ( स्त्री. ) अलङ्कार विशेष | विनोद, ( फुं. ) खेल । कौतूहल । खण्डन । विन्दु ( बिन्दु), ( पं. ) कण । विन्दी | चिह्न ( त्रि. ) जानने वाला 1. जानने योग्य | विन्दुजा (बिन्दुजाल ), ( न. ), हाथी की सूँड पर का बिन्दु के समान चिह्न विन्दुपत्र ( बिन्दुपत्र), ( पुं. ) भोजपत्र विन्दुसरस् (बिन्दुसरस्) , ( न. ) एक तालाब जो कई ऋषि की तपस्या से सन्तप्त हो कर दयार्द्र हो कर श्री विष्णु ने आसू बहाये उनका भर गया। " बिन्दु सरोवर " यह गुजरात में सरस्वती नदी के किनारे सिन्धुपुर में प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है । विन्ध्य चतुर्वेदीकोप | ३३२ विन्ध्य, (न. ) व्याध । इलायची । पर्वत विशेष । विन्ध्यवासिनी, ( सी. ) मार्कण्डेय पुराण - नुसार एक देवी । श्रीमद्भागवत के अनुसार यशोदा के गर्भ से उत्पन्न विष्णु की माया | यह स्थान मिरजापुर जिले में इसी नाम से प्रसिद्ध विन्ध्याचल पहाड़ पर है। विन्ध्याटवी, ( स्त्री. ) विन्ध्याचल का जङ्गल विन, (त्रि.) विचारा हुआ। पाया हुआ । ठहरा हुआ | विन्यास, (पुं. ) ठिकाना | बचना | तान्त्रिक किया विशेष | अन्यास यादि । विपकिम, (त्रि. ) बहुत पक कर तयार हुआ । विपक्ष, (त्रि. ) शत्रु | वैरी | शत्रुपक्षको ग्रहण करने वाला । विपची, (स्त्री. ) . वीणा विपण, (पुं. ) बिक्री करना । विपणि, ( पुं. स्त्री. ) दुकान । हाट | विपत्ति, ( स्त्री. ) श्रापद विपथ, (पुं.) निन्दित मार्ग | विपद्, A विपदा, ( स्त्री. ) विपत्ति । विपन्न, ( त्रि. ) विपद् में फँसा हुआ। विपरीत, (त्रि.) प्रतिकूल | विपर्य्यय, (पुं. ) उलटा । विपर्य्यस्त, (त्रि. ) व्यतिक्रान्त | उलटा हुआ.। विपर्य्यास, (पुं. ) विपरीत | उल्टापन | विपल, (पुं. ) अति सूक्ष्म समय | विपश्चित् (पुं.) शिक्षित | दाता । पण्डित ऋषि ज्ञानी । विणक, (पुं.) पकाना। पसीना | विपाशु, विपाशा, विपिन, ( न. ) वन | ( स्त्री. ) व्यास नदी | विस विपुल, (त्रि. ) विस्तीर्ण । अगाध | बहुत | सुमर की पश्चिम दिशा का एक पहाड़ । मेरु हिमालय । ( स्त्री . ) आन्द विशेष | विप्र, (पुं.) ब्राह्मण । पीपल का पेड़ | विप्रकार, अपकार । बुराई । तिरस्कार | विप्रकर्ष, (पुं.) दूर होना। विप्रकृत, (त्रि. ) अपमानित । उत्पीडित | विप्रकृष्ट, (त्रि.) दूर रहने वाला । विप्रचित्ति, ( स्त्री. ) एक दैत्य । एक राक्षस । चित्रतिपत्ति, (खी. ) विरोध | संशय | विप्रतिपन्न, ( त्रि. ) सन्देह युक्त कृत विरोध | . विप्रतिसार, 7 (पुं. ) अनुताप । पछतावा | विप्रतीसार, रोष। प्रियुक्त, (नि.) विरहित | बिछुड़ा हुआ | विप्रयोग, (पुं. ) ठगी। विरोध । झगड़ा | वियोग | विप्रलब्ध, (त्रि. ) ठगा हुआ | ( स्त्री. ) एक प्रकार की नायिका | विप्रलम्भ, (पुं.) विसंवाद | झगड़ा | ठगी । बिछोह । शृङ्गार की एक अवस्था । विप्रलाप, (पुं.) विरोधोकि । झगड़ा | विवाद | विप्रश्निका, ( स्त्री. ) दैव की जानने वाली स्त्री | ज्योतिपिनी | टोनहाइन । विप्रसा, ( श्रव्य ) ब्राह्मण को देना । विगस्व, (न. ) ब्राह्मण का धन । विप्रिय, (पुं. ) श्रपराध | श्रनप्यारा । वैरी । विप्रुष, ( सी. ) बिन्दु । बूंद | वेदाध्ययन काल में मुख से निकली पानी की बूंद । (त्रि. ) निर्वासित | देश से निकाला हुआ। परदेश में गया। विप्लव, (पुं. ) घबराहट | उपद्रव । बिगाड़ | खलबखी। गदर | षि विप्ला चतुर्वेदीकोष विप्लाव, (त्रि.) घोड़े की गति विशेष | डूबा | चारों ओर से पानी का उमड़ाव । विप्लुत, (त्रि. ) आफत में फँसा हुआ । बिगड़ा हुआ । उपद्रुत विफल, (त्रि. ) निरर्थक | निष्फल | विफला, (स्त्री.) केतकी । केवड़ा | विवध, ( पुं. ) एकत्र किये हुए चांवल आदि । विवन्ध, (पुं, ) रोग विशेष | विबुध, (पुं.) परिडत । देवता । विभक्त, (त्रि.) बाँटा हुआ । विभक्ति, ( स्त्री. ) विभाग व्याकरण में सुप् तिङ् प्रत्यय | विभव, ( पुं. ) धन | मोक्ष । ऐश्वर्य | एक वर्ष का नाम । विभा, ( स्त्री. ) किरण । शोभा । प्रकाश । विभाकर, ( पुं. ) सूर्य । अर्कवृक्ष । विभाग, (पुं. ) भाग । हिस्सा बटखरा । विभाज्य, (त्रि. ) विभाग योग्य | विभाण्डक, (पुं.) मुनि विशेष | शृङ्ग ऋषि के पिता । विभात, (न. ) प्रभात । . विभाव, (पुं.) परिचित मित्र । उत्तेजन देने वाला । विभावना, ( स्त्री. ) एक प्रकार का अलङ्कार, जिसमें कारण के विना कार्य की उत्पत्ति प्रतीत होती है। विभावरी, ( स्त्री. ) रात्रि | हल्दी | कुट्टनी | विभावसु, (पुं.) सूर्य्य । आक का वृक्ष । आग | चित्रक वृक्ष | विभाषा, (स्त्री.) निषेध | विकल्प | विभिन्न, ( त्रि. ) प्रकाशित | चमका हुआ | विदलित । खिला हुआ । विभीतक, (पुं. ) बहेड़े का पेड़ । बहुत डरा हुआ । विभीषण, (पुं. ) शत्रुओं को बहुत डराने वाँला । रावण का छोटा भाई । नल तृण । | ३३३ विभीषिका, ( स्त्री. ) भय प्रदर्शन | विभु, (पुं.) प्रभु । महादेव | बलवान् | ब्रह्म । विभूति, ( स्त्री . ) भस्म । खाक । अणिमा आदि आठ प्रकार का ऐश्वर्य । विभूषा, ( ) शोभा | भूषण । सजावट | विभ्रम, (पुं.) स्त्रियों के शृङ्गार का अङ्ग •विशेष | चेष्टा विशेष | शोभा । सन्देह । भ्रमण | स्त्रियों का विलास | विभ्राज्, (त्रि.) भूषण ।. विमत, ( त्रि. ) वैरी | शत्रु । ( त्रि. ) व्यांकुलं चित्त । विमनस्, विमनस्क, विरं विमई, (पुं.) मंलना | वटना | विमर्शन, (न. ) परामर्श | वितर्क - विचार | विमर्ष, (पुं.) विचार नाटक का एक अङ्ग विमल, (त्रि. ) स्वच्छ | साफ | निर्मल | विमातृ, (स्त्री.) सौतेली माता । विमातृज, ( पुं. ) सौतेला भाई | विमान, (पुं. न. ) माप विशेष । चक्रवर्ती का एक घर । घोड़ा । देवताओं का यान | विमार्ग, ( पुं. ) बुरा रास्ता | कुपथ | निन्दिताचार | विमुद्र, (त्रि.) खिला हुआ । विकसित । विम्ब (बिम्ब ), (पं. न.) दर्पण | पुरधाहीँ । कमण्डल | सूर्थ्य आदि का मण्डल | विम्बिका फल | कुँदुरू। वियत्, (न. ) आकाश | समान | वियगङ्गा, (स्त्री.) स्वर्गगङ्गा | आकाश- " गङ्गा । वियात, (त्रि.) धृष्ट | ढीठ । बेशरम निर्लज्ज | वियोग, ( पुं. ) विच्छेद । विछोह । वियोगिन्, ( पुं. ) चक्रवाक | चकवा पक्षी | विरक्क, (त्रि.) विरत | हटा हुआ । विचित, (त्रि. ) बनाया गया। निर्मित | विरजस्तमस्, ( त्रि. ) सत्त्व प्रधान | धिरजस्, ( श्री. ) ऋतु रहिता स्त्री | विर चतुर्वेदकोष | ३३४ विरजा, ( स्त्री. ) एक नदी जो श्रीवैकुण्ठ लोक में है । दूर्वा । दू । गोलोक वासिनी राधिका की एक सहेली । विरञ्च, विरश्चि, } (पुं. ) विधाता | ब्रह्मा । विरत, (त्रि.) विरक्त । हटा हुआ | विरति, ( स्त्री. ) निवृत्ति | हटाव । विरल, (त्रि. ) अवकाश / खाली । थोड़ा । विरह, ( पुं. ) विच्छेद । अभाव | बिछोह | विप्रलम्भ नाम की शृङ्गार रस की अवस्था विशेष |● विरहित, (त्रि. ) व्यक्त विराग, (पुं.) रागाभाव | विराज, ( पुं. ) क्षत्रिय छन्द विशेष | विराट, ( पुं. ) ब्रह्म की प्रथम सुन्तान । सौन्दर्य । प्रकाश । एक देश | उस देश का राजा । श्रज्ञात वास की अवधि पाण्डवों ने द्रौपदी सुहित इन्हीं राजा के यहां रूप बदल कर बिताई थी । विराणिन्, ( पुं. ) हाथी । विराध, (पुं.) एक राक्षस विराधन, ( न. ) पीड़ा | विराम, (पुं. ) अवसान | अन्त । चुप होना । विराव, ( पुं. ) शब्द | शब्द रहित । विरिञ्चिं, ( पुं. ) त्रिष्णु । ब्रह्मा । शिव । विरूढ, (त्रि. ) फूटा । अङ्कुरित । विरूप, (त्रि.) दुष्ट रूप वाला । ( न. ) पीपलामूल । विरूपाक्ष, ( पुं. ) महादेव : ( त्रि. ) डरावने नेत्रों वाला | विरेक, ( पुं. ) अतिरेक | जुलाब | विरेचन, (न.) मल आदि का निकालना । ( त्रि. ) फाड़ने वाला । जुलाब विरोक, (पुं. न. ) छेद | सूर्य की किरण | विरोचन, ( पुं. ) सूर्य । श्राक का पेड़ | राजा बलि के पिता का नाम । प्रह्लाद का पुत्र | एक दैत्य | चन्द्रमा रुचिकर | विरोध, ( पुं. ) वैर । विरोधिन्, ( पुं. ) रिपु । शत्रु | प्रभवादि साठ संवत्सरों में एक विरोधोक्कि, ( स्त्री. ) अलङ्कार विशेष | विरुद्ध वचन । उलटा बोलना । विल्, (क्रि. ) ढांकना | छिपाना | विल, (न. ) छेद | गुफा | विलक्ष, (1 विंलो (त्रि. ) हैरान । चिह्न रहित । लज्जित । विलक्षण, (त्रि.) विशेष लक्षण वाला | विभिन्न | अद्भुत । ( न. ) कमर | मेष आदि उदित राशियां | विलम्ब, ( पुं. ) देर । अबेर । प्रतीक्षा के योग्य समय | •विलम्बित, ( त्रि. ) लटकता हुआ । धीमा । विलय, ( पुं. ) प्रलय | नाश । विलशय, १ ( पुं. ) सांप | चूहा । विलेशय, } छिपकली । विसतुइया । विलाप, (पुं. ) रोकर बोलना। विलास, ( पुं. ) हर्प । चमक | आनन्द में का विशेष रूप से हिलना | स्त्रियों की शृङ्गार सम्बन्धी चेष्टा विशेष । विलासिन्, विलासिनी, ( स्त्री. ) नारी । स्त्री । वेश्या । ( पुं. ) सांप कृष्ण । श्राग । कामदेव । महादेव । चन्द्रमा । विलीन, (त्रि. ) नष्ट-पाप्त | छिपा हुआ | गुप्त । विलेपन, ( न. ) पीसा व घिसा हुआ चन्दन । उबटन | फोड़े आदि की दवाई | विलोचन, ( न. ) नेत्र | आँख । विलोडित, (न. ) बिलोया गया | विलोम, (त्रि.) विपरीत | उल्टा | विलोमजिह, ( पुं. ) हाथी | विलोल, (त्रि.) चञ्चल | लालची।" विल्व चतुर्वेदीकोष | ३३५. विल्व (बिल्व), (पुं. ) नारियल का पेड़ । बिल्व वृक्ष । ( न. ) परिमाण । नाप । विषध, १ (पुं. ) कन्धे पर रख कर बोक वीवध, उठाने की एक लकड़ी | सड़क | घड़ा अनाज एकत्र करना । विवर, (न.) छिद्र | दोष । विवरण, ( न..) व्याख्यान | रिपोर्ट

किसी का लिखा हुआ हाल। स्पष्टीकरण ।। खुलासा । ● विवरनालिका, ( स्त्री. ) वेणु | बांस | पोंगी। विवर्ण, (त्रि. ) श्रधम नीच विवर्त्त, ( पुं. ) नाच | मोड़ विवश, ( त्रि. ) पराधीन विवाद, (पुं. ) झगड़ा । कलह । विवाह, (पुं.) व्याह । शादी | विवाहित, (त्रि.) व्याहा हुश्रा | विवाह्य, (त्रि. ) विवाह योग्य विशेष कर उठाने योग्य | विचिक, (त्रि.) निजैन | पवित्र | श्रसंयुक्त | विवेकी । विशी मारना विशर, (पुं. ) वथ विशल्या, ( स्त्री. ) गुसा । श्रजवाइन | ( त्रि. ) जिसका तीर दूर हुआ हो। विशसन, (न.) मारण मारना । ( पुं . ) विविध, ( त्रि. ) कई प्रकार विवीत, (त्रि.) बहुत घासवाला देश । विवृत, (त्रि. ) विस्तृत | व्याख्यात । विवृति, ( स्त्री. ) विस्तार | व्याख्यान | विवेक, (पुं. ) विचार | भेद ज्ञान | विवोठ्, (पुं.) जामाता । दामाद । विश्वोक, (पुं.) त्रियों के हाव भाव कटाक्ष ।। कोमलता । विश, (क्रि. ) प्रवेश करना । विश, (पुं.) मनुष्य | बनिया | विशङ्कट, (त्रि. ) विशाल | लम्चा । विशद, (पुं. ) सफेद रङ्ग । विशय, ( पुं. ) मंशय । शक ! मीमांसा । तलवार । विशस्त. (त्रि.) बीतनया | नष्ट | विशाख, ( पुं. ) कार्तिकेय | तारा विशेष | धनुषधारिया का आसन विशेष | राजा परवश | विशालता, ( बी. ) बड़प्पन | विस्तार | फैलाव । व्याकुल विवस्वत्, (पुं.) सूर्य | चाक का पेड़ । विशाला, ( स्त्री. ) इन्द्रवाणी । महेन्द्र- अरुण । वारुणी | उज्जैन। नदी विशेष । विशालाक्ष, (पुं.) महादेव | गरुड़ | विष्णु ( त्रि. ) बड़ी आँखों वाला । विशालाक्षी, ( स्त्री.) पार्वती । नागदन्ती । विशारण, (न.) मारय । विशारद, (पुं. ) पण्डिन । बकुल वृक्ष | चतुर । ( त्रि. ) अच्छा । चतुर । विशाल: (त्रि. ) विस्तीर्ण । ( पुं. ) हिरन । । विशिख, ( पुं. ) तीर | शरवृक्ष | (त्रि. ) शिखाहीन | विशिखा, (स्त्री.) गली । कुल्हाड़ी । सुई या ली। बड़े तीक्ष्ण तीरन मार्ग | नाइन । विशिष्ट, (त्रि. ) मिला हुआ । विलक्षण । विशेषण वाला | विशिष्टाद्वैत, ( न. ) एक सिद्धान्त जो अनादि काल से प्रवृत्त है। बीच में अनेक बाधायें होकर इस के कृश होने पर श्री रामानुजाचार्य द्वारा ब्रह्मसूत्रादि भाप्य द्वारा निति । इस में कार्यरूपा माया और वैसे ही जीत्र को कारण रूप ब्रह्म से अभिन्न और इसी कारण तीनों तत्त्व नित्य माने जाते हैं । वेदान्त-सिद्धान्त विशीर्ण, ( त्रि. ) शुष्क । सूख गया | बूढ़ा होगया | विशु • चतुर्वेदीकोष | ३३६ विशुद्ध, (त्रि. ) निर्मल, साफ | विशुद्धि, ( सी. ) शोधन साफ करना | दोष शून्यता | विश्वल, (त्रि. ) परिपाटी से रहित | विशेष, (त्रि.) वितरण | बहुत || (पुं. ) विवेक | अन्तर | चिह्न विशेष | विशेष सम्पत्ति । विशेषत्र । विलक्षणव | रुग्यावस्था में विशेष शोच्य अथवा सुधार की दशा । श्रृङ्ग । जाति । प्रकार | रीति । सर्वोत्तमता । व्यक्तित्व । माथे का तिलक । टीकाकार विशेष वैशेषिक दर्शन के सात पदार्थों में से एक । विशेषक, ( पुं. ) माथे पर लगाया गया तिलक | ( त्रि. ) अधिक करने वाला | तीन । ( न. ) सीन श्लोकों का एक वाक्य | विशेषगुण, ( पु. ) वैशेषिक दर्शन में वर्णित गुण विशेष | विशेषण, - ( न. ) जिसके द्वारा विशेष्य निरूपण किया जाय | गुण रूप बताने वाला शब्द | विशेषविधि, १ ( पुं. ) नियम विशेष | विशेषशास्त्र, ] ( न. ) ग्रन्थ विशेष | विशेषित, ( त्रि. ) निजी गुण रूपादि दि- खाया गया । विशेषण युक्त किया हुआ | फाड़ा गया। फ़र्क किया गया | विशेषोक्कि, ( स्त्री. ) विशेष वचन | का . सम्बन्धी अलङ्कार विशेष । बढ़कर कहना | विशोक, ( पुं. ) अशोक का पेड़ | ( त्रि. ) शोक से रहित । ( त्रि. ) विशोधनी, ( स्त्री. ) वज्रदन्ती । शोधन करने वाली | विश्रणन, १ ( न.) दान | देना । वितरण विश्राणन करना | बाँटना प्रतिपादन करना । विश्रब्ध, (त्रि.) विश्वस्त | शान्त | अनुद्धत | गाढ | विश्रम, ( पं . ) विराम | धाराम | किसी विश्राम, वर्तमान क्रिया का अवसान । - प्रत्यय | खेल विश्रम्भ, ( पुं. ) विश्वास सम्बन्धी विवाद | वध | विश्राव, (पुं. ) प्रसिद्धि | ख्याति । विश्रत, (पुं.) विख्यात | प्रसिद्ध । विश्लिष्ट, ( त्रि. ) वियुक्त । बिछुड़ा हुआ । ढीला | विश्व, ( न. ) जगत् । संसार । ( पुं. ) जीवात्मा । ( त्रि. ) समस्त । विश्वकर्मन्, ( पुं. ) सूर्य | देवशिल्पी | मुनि विशेष | परमात्मा विश्वकृत्, (पं.) विश्वकर्मा । परमेश्वर । विश्वकेतु (पुं. ) अनिरुद्ध | विश्वक्सेन, विष्वक्सेन, विश्वा सेनापति । विश्वच, विष्वच, (पु.) विष्णु । वैकुण्ठ में नित्यसूरि श्रीविष्णु के श्रव्य ) सर्वन | सब ओर | (त्रि.) विश्वगामी | विश्वधारिणी, ( श्री. ) पृथिवी | संसार को धारण करने वाली विश्वप्सन, ( पुं.) [अग्नि | चन्द्रमा | देवता । विश्वकर्मा | विश्वम्भर, ( पु. ) जगत्पालक । इन्द्र | विष्णु । विश्वरेतस्, ( पुं. ) ब्रह्मा । भगवान् | विष्णु । विश्ववेदस्, ( पुं. ) इन्द्रादि देनगन | विश्वसृज्, ) ब्रह्मा | परमात्मा । विश्वस्त, (त्रि. ) विश्वासपात्र | विश्वस्ता, ( स्त्री. ) विधवा स्त्री | विश्वास- पात्र स्त्री । विश्वाची, ( स्त्री. ) एक अप्सरा | विश्वात्मन् (पुं.) विष्णु | नारायण । विश्वानर, ( पुं. ) सावित्री की उपाधि | विश्वामित्र, ( पुं. ) गाधिपुत्र | ऋषि विशेष | एक राजा | विश्वाराज्, (पु.) विश्वों का अधिपति | - परमेश्वर । विश्वावसु, (पं.) एक गन्धर्न । विश्वा विश्वास, ( पुं. ) प्रत्यय | भरोसा । श्रद्धा | विश्वेदेव, (पुं. ) श्राद्ध में पूजे जाने वाले दस देवता | आग | विश्वेश, (पुं.) जगत्पति । विष्णु और शिव । विष, (क्रि. ) फैलना । खाना । जाना । घेरना पृथुकू करना । उड़ेलना । छिड़कना | चतुर्वेदीकोष । ३३७ . ” विषू. ( स्त्री. ) विष्ठा | फैलाव | लड़की 1 वित्र, (न. ) कमल की केसर । मृणाल वत्सनाभ विष जल विषकण्ठ, (पुं..) शिव | विषघ्न, (पुं.) शिरीष वृक्ष घी । बहेड़ा। (त्रि. ) विष को दूर करने वाला । बच श्रौषधि विषज्वर, ( पुं. ) महिष विशेष । विषण्ड, (न.) मृणाल । भैसार विषदन्तक, (पुं.) सर्प । विषधर, (पुं. ) सांप | विषम, (त्रि.) अयुग्म | ऊंचा नीचा । दारुण । ( न.) सङ्कट | एक प्रकार का पद्य | विषमच्छद, (त्रि.) सप्तच्छद । विषमज्वर, (पुं.) व्वर विशेष मलेरिया बुखार वह ज्वर जिसका समय नियन न हो । विषमनयन, ( पुं.) महादेव । विषमस्थ, (त्रि. ) सङ्कटापन्न। ऊंची नीची भूमि में ठहरने वाला । • विषमशिष्ट, ( न. ) अनुचित शासन | विषमाथुध, (पुं.) कामदेव । विषय, ( पुं. ) इन्द्रियों के कर्म, देखना सुनना आदि । निबन्ध | वस्तु | पदार्थ | स्थान | जगह | विषयिन्, (न. ) ज्ञान | ज्ञानेन्द्रिय । ( पुं. ) राजा । कामदेव । ( त्रि. ) विषयी । विषयों में फँसा हुआ | विष्णु विषलता, ( स्त्री. ) इन्द्रवारुणी बेल | विषविद्या, ( स्त्री.) विष दूर करने की विद्या | विषवैद्य, ( पुं. ) विष दूर करने की विद्या जानवे वाला | विषाण, (न. ) सींग हाथी और सूधर ● का दांत । क्षीरकाकोली । कोढ़ की दवा । विषाद, (पुं.) अक्साद | दुःख । विषान्तक, (पु.) शिव। (त्रि. ) विप दूर करने वाला । विषाराति, (पुं.) विषशत्रु | धतूरा | विषास्य, (पु..) सांप जिसके मुँह में विष हो । दुष्ट । त्रिषु, ( [अव्य.) बराबरी | नाना रूप वाला । विषुव, ( न. ) समय विशेष । जब रात दिन समान होते हैं । विष्कू, (क्रि. ) वध करना । विष्कम्भ, ( मुं. ) सूर्य, चन्द्रमा के एकत्र होने का योग विशेष । विस्तार रोक । नाटक का एक अङ्ग योगियों का एक बन्ध । द्वार का बेड़ा । खम्भा । वृक्ष विशेष | विष्टप, (न.) भुक्न | लोक । विष्टब्ध, (त्रि. ) प्रतिरुद्ध | रुका हुआ । विष्ठम्मिन् (त्रि. ) रोकने वाला है विष्टर, ( पुं. ) कुशासन । वृक्ष भेद | विष्टरश्रवस् (पुं.) विष्णु । विष्टि (स्त्री.) मजूरी | किराया | भाड़ा | बेगार । नरकवास | विश्वा, } ( स्त्री. ) पुरीष 1 मल । विष्णु (पुं.) व्यापक | नारायण | वह्नि । शुद्ध | साफ़ | वासुदेव एक स्मृतिकार का नाम । श्रवण नक्षत्र | विष्णुगुप्त, ( पुं. ) चाणक्य पण्डित । विष्णु तैल, ( न. ) तैल विशेष । विष्णुपद, (न.) आकाश | चतुर्वेदीकोष | ३३८ विष्णु विष्णुपदी (स्त्री . ) गङ्गा | सूर्य का वृष, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ राशि पर गमन । विज्युपुराण, ( नं. ) अष्टादश पुराणों में से एक । विष्णुमाया, ( सी. ) अविद्या शक्ति | दुर्गा | विष्णुरथ, ( पुं. ) गरुड़ । विष्णुरात, (पुं. ) परीक्षित् नाम का राजा | विष्कार, ( पुं. ) धनुष का टङ्कार । विष्य, (त्रि.) विषवध्य । विष्वाण, ( न. ) भोजन | श्रहार | विस, (न. ) मृणाल । चिस्, (क्रि. ) छोड़ना। विसंवाद, (पुं.) ठगना । उल्टा सीधा • कथन । विसकुसुम, (न.) पद्म । विसङ्कट, (पुं. ) सिंह । इदी का पेड़ | विसनाभि, ( स्त्री. ) पद्मिनी और पद्मों का • समूह।" विसर, ( पुं. ) समूह | विस्तार | विसर्ग, (पुं.) दान | त्याग । मोक्ष प्रलय | विसर्जन, न. त्याग | प्रेरण । विसर्पण, ( न. ) प्रसार | फैलाव | विसिनी, ( स्त्री. ) पद्मलता । विसूचिका, ( स्त्री. ) इस नाम का एक रोग | हैज़ा । विसृत, (त्रि. ) फैला हुआ । विसृत्वर, (त्रि. ) विसरण शील । विसृमर, (त्रि. ) फैलने वाला । विसृष्ट, (त्रि. ) प्रेरित | क्षिप्त । विस्त, ( पुं. न. ) सोने की मोहर । अस्सी रत्ती की तौल । विस्तार, (पुं. ) विटप । शाखाओं का फैलाव | . विस्तीर्ण, (त्रि.) विशाल | फैला हुआ | विस्फुलिङ्ग, (पुं. ) एक प्रकार का विष | आग की चिनगारी | वीवि . विस्फोट, (पुं. ) फोड़ा विशेष | विस्मय, (पुं. ) आश्चर्य । विस्मापात, ( पुं.) इन्द्रजाल का खेल | . कामदेव ( न. ) गन्धर्वो का नगर विस्मित ( त्रि. ) आश्चर्यान्वित | विस्मृत, (त्रि.) भूल गया । विस्मृति, ( स्त्री. ) भूलना। वित्र, (न. ) कच्ची गन्धि । विस्रगन्धि, ( पुं. ) हरताल | वित्रम्भ, (पुं. ) विश्वास | प्रत्यय | वित्रम्भिन्, ( त्रि.) विश्वासी | विस्रसा, ( स्त्री. ) क्षीणता | बुढ़ाई | विहग, ( पुं. ) आकाश में उड़ने वाला । पक्षी । विहङ्गम, (पुं.) आकाशगामी । पक्षी । विहङ्गराज, ( पुं. ) पक्षियों का राजा ! गरुड़ । विहनन, (न.) रुकावट | हिंसा | विहर, (पुं. ) वियोग | विछोह | विहसित, ( न. ) मध्यम हास्य | विहस्त, (त्रि.) विकल । पण्डित । चतुर । विहापित, (न. ) छुड़ाया गया | दान | विहायस, ( पुं. न. ) आकाश | पक्षी | विहार, ( पुं. ) भ्रमण | लीला । बौद्धों का मन्दिर । विहित, ( त्रि. ) अनुसार । कृत i बोधित । विहीन, (त्रि. ) त्यक्त | रहित । विह्वल, (त्रि. ) विलीन | घबराया हुआ | वी, (क्रि. ) चाहना उत्पन्न करना । फैलना | फेंकना । खाना । वीकाश, विकाश, देखो विकाश | वीक्षण, (न. ) नेत्र | ख । देखना | वीचि, १ (पुं. स्त्री. ) तरङ्ग | लहर । अव वीची, ] काश | थोड़ा । फिरना । हुर्ष | वीचिमालिन्, ( पुं. ) समुद्र । वजू 1 वीज्, (क्रि. ) पङ्खा करना । वीज ( बीज ), ( न. ) कारण । शुक्र | Mङ्कुर । अव्यक्त गणित । मन्त्र विशेष । धान्य आदि का फल आदि । चीजकोष ( बीजकोष ), ( पुं. ) वरारक | कौड़ी | पद्मबीज का आश्रय | वीजगर्भ ( बीजग्रर्भ), ( पुं. ) पटोल | वीजन, (न. ) पङ्खा | चामर । चमर | वस्त्र | ( पुं. ) चक्रवाक | वीजसञ्चय (बीजसञ्चय ), ( सं . ) बहुत से बिया । वीजसू (बीजसू), (पुं.) पृथित्री | वीजिन् ( बीजिन्), ( पुं. ) उत्पादक । (त्रि.) बीज वाला | बीज्य, (त्रि. ) कुलीन । बीटी, } (स्त्री. ) पान कीं' बीढ़ी । वीणा, ( स्त्री. ) बीन । वीतशोक, चतुर्वेदीकोष | ३३६ · ) जिसका सोच दूर हो गया हो । योगी । उदासीन । अशोक का पेड़ । (त्रि. ) शोक रहित । वीति, ( स्त्री. ) गति । दीप्ति । खाना और 1 भोगना । ( पुं. ) घोड़ा। वीतिहोत्र, ( पुं. ) वह्नि | आग | सूर्य । कीथि, १ (स्त्री.) पंक्ति | श्रेणी । गली | वीथी, 3 नाटक का देखने योग्य एक अङ्ग । वीघ्र, ( त्रि. ) निर्मल | साफ । ( पुं. ) काश । वायु | वीनाह, (पुं. ) ढकना । पाट | चीप्सा, ( स्त्री. ) व्याप्ति | फैलाव | बड़ी इच्छा। वीर, ( न. ) कमल मूल । काञ्जी । उशीर | मिरच | ( त्रि. ) बहादुर | शूर । ( नं. ) कुलाचार | वीरण, ( न. ) उशीर अर्थात् खस । चन्दन | वीरपत्नी, ( स्त्री. ) शूर वीर की भार्ग्या । वृक्ष वीरयत्रा, ( स्त्री. ) विजया | भाङ्ग | वीरपान, वीरपाण, ( न. ) मदिरा पान | वीरभद्र, (पुं.) अश्वमेध का घोड़ा । ( न. ) वारण | वीरसू, ( स्त्री. ) वीर की माँ । वीरसेन, (पुं. ) राजा नल का पिता । वीरहन्, (पुं.) अग्निहोत्र छोड़ने वाला ब्राह्मण | नष्टाग्नि विप्र वीरा, (. स्त्री. ) चामलकी । क्षीरकाकोली : पति पुत्र सहिता स्त्री | रम्भा'। महाशता- वरी। घृतकुमारी । अतिविषा । दाख । वीराशंसन, ( न. ) युद्ध स्थल । वीरासन, (न. ) त्रासन विशेष | वीरुधः, } (स्त्री. ) फैली हुई बेल । वीरेश्वर, (त्रि. ) काशी में इस नाम का एक शिव लिङ्ग | महावीरु । श्रुतिबली । वीर्य्य, (न. ) पराक्रम | बल | प्रभाव | तेज | दीप्ति । वीर्य्यवत्, (त्रि. ) वीर्य्य वाला | बलवान् | वीवध, ( पुं. ) चांवल आदि का गल्ला संग्रह | मार्ग भार वीवधिक, (पुं..) बोझा ढोने वाला । वीहार, ) विहार | क्रीड़ा | विलास । वृ, (क्रि. ) ढाकना | सेवा करना | मांगना | स्वीकार करना । वृंहित, ( न. ) हाथी की चिह्नार । वृकू, (क्रि. ) पकड़ना । बुक, ( पुं. ) भेड़िया काक । वकवृक्ष । उदराग्नि । वृकदंश, ( पुं. ) कुत्ता | वृकधूर्त्त, ( पुं. ) गीदड़ । शृगाल । वृकोदर, ( पुं. ) भीमसेन । इनके पेट में वृक अग्नि है । वृकूण, (त्रि. ) छिन्न । काटा हुआ | वृक्ष, (पुं. ) कुटज वृक्ष | वृक्ष चतुर्वेदीकोष | ३४० वृक्षवर, (पुं. ) वानर | बन्दर | वृक्षच्छाया (न.) बहुत से वृश्वों की छाया । वृक्षनाथ, ( पुं. ) वट वृक्ष वृक्षभवन, (न. ) पेड़ की खोहड़ | वृक्षवाटिका ( स्त्री.) घर के समीप का उपवन । नज़र बाग | वृज्ज्, (क्रि. ) त्यागना । छोड़ना । बृजन, ( न. ) आकाश | पाप । ( पुं . ) केश (त्रि. ) टेढ़ा । तिछ । वृजिन, (न. ) पाप । ( पुं. ) देश । ( त्रि. ) टेढ़ा वृण (क्रि. ) भक्षण करना | खाना | वृत्, (क्रि. ) होना । न (त्रि.) प्रति । स्वीकृत | वृति, ( श्री. ) मांगना । मेरा | वृत्त, ( ब ) गुरु का मान सत्य | इन्द्रिय निग्रह | वेष्टन | लपेट | दया । शौच | हितकर कार्यों पद्य • विशेष | आजीविका । बीत गया। गोल । (चि. ) पढ़ा हुआ | भरा हुआ उत्पन्न हुआ। ( पुं. ) कूर्म्म | वृत्तन्धि ( न. ) पद्य विशेष । वृत्तफल, (न. ) मिर्च, चंनार, बेर, श्रामला आदि गोल फल । वृत्तस्थ, (.) सदाचारी | वृत्तान्त ( पुं. ) संवाद । हाल | समाचार | वृसि, ( स्त्री. ) स्थिति । आजीविका । आचरण वाला । परिवर्तन विशेष | बर्ताव । जीविका | वृत्र, (पुं. ) अन्धकार | वैरी । विश्वकर्म्मा का पुत्र | दैत्य विशेष | मेघ । पर्वत विशेष | मन्त्र | शब्द | वृत्रहन्, (पुं.) इन्द्र वृथा, ( अव्य. ) निरर्थक | वृथादान, (न.) विधिपूर्वक न दिया हुआ दाग। में रति - इस प्रकार के आचरण • . वृंप वृथामांस, ( न. ) देवोद्देश्य से न मारे गये पशु का मांस | वृद्ध, ( न. ) सन्ध द्रव्य विशेष | ( पुं. ) वृक्ष विशेष । ( त्रि. ) बूढ़ा । बढ़ती वाला। पण्डित । वृद्धप्रपितामह, (पुं. ) दादे का बाप वृद्धश्रवस् (पुं. ) इन्द्र वृद्धा, (स्त्री.) बूढ़ी। वृद्धि, ( स्त्री. ) श्रभ्युदय । बढ़ती । वृद्धिजीविका, ( स्त्री. ) सूद खोरी । वृद्धिश्राद्ध, ( न. ) मङ्गल श्राद्ध । नान्दी मुख श्राद्ध । म्युयिक श्राद्ध | घुयाजीव ( त्रि.) व्याज की आय पर जीने वाला । वृधू, (क्रि. ) चमकना बढ़ना । वृन्त, (न. ) फल और पत्तों का बन्धन | वृन्ताक, (पुं. सी. ) भटा | बेंगन | वृन्द, ( न. ) समूह | दस अरब की संख्या वृन्दा, (स्त्री.) तुलसी | राधिका | वृन्दारक, ( पुं. ) देवता । ( त्रि. ) मुख्य | सुन्दर | मनोहर । वृन्दावन, (पुं. ) मथुरा के पास कृष्ण कह क्रीडा स्थल - वैष्णवों का तीर्थ विशेष । वृन्दिष्ठ, (त्रि. ) विशेष मुख्य | वृश्चिक, ( पुं. ) बिच्छू । मेष से श्राठवीं राशि । औषधि वृष, (क्रि. ) सींचना । उत्पादन शक्ति का होना । वृष, ( पुं. ) बैल | मेप से दूसरी राशि । पुरुष विशेष | इन्द्र | धर्म | सींग वाला | चूहा शत्रु । कामदेव | बलवान् ऋषभ नाम दवा | मोर पुम्छ । वृपण, ( 5 अण्डकोष । पेलहर वृपदेशक, ( पुं. ) चूहे खाने वाला | बिला। विडाल । वृषध्वज, (पुं.) शिव । चुपन्, (पुं. ) इन्द्र फर्ण । बैल | घोड़ा । चतुर्वेदीकोष । ३४१ : • वृष वृषपर्वन्ं, ( पुं. ) शित्र | दैत्य विशेष । वृषभ (पुं.) बैल | कान का छेद । औषधिवि. | श्रीवेङ्कट पर्वत जो दक्षिण में प्रधान तीर्थ है । वृषभगति, (पुं.) शिव । वृहद्भानु ( बृहद्भानु ), ( पुं. ) सूर्य चित्रक का पेड़ | वृहतीपति (वृहतीपति), ( पुं. ) वृहस्पति वृहस्पति ( बृहस्पति ), ( पुं. ) वाणी का स्वामी । देव गुरु | वृषभानु, ( पुं. ) एक गोप का नाम जो • वृ. (क्रि.) स्वीकार करना । वरण करना | राधिका जी के पिता थे । वेङ्कट, (पुं.) पर्वत । वृषल, (पुं. ) शूद्र । गाजर । घोड़ा । वेङ्कटेश, ( पुं. ). विष्णु का रूप विशेष श्रीनिवास | । राजा चन्द्र गुप्त वृषली, ( स्त्री. ) शुद्ध की स्त्री । कन्या जो विवाहिता होने के पूर्वही ऋतु मती होगयी हो । वृपलोचन, ( पुं. ) भूसा | बैल की आंखें । (त्रि. ) बैल की आंखों वाला । वृषवाहन, ( पुं.) शिव । वृषस्यन्ती, ( स्त्री. ) कामुकी | कामसुरा स्त्री | वृषाकपायी, ( श्री.) स्वाहा । शची। गौरी । लक्ष्मी । जीवन्ती ।। . वृषाकपि, (पुं. ) महादेव । विष्णु | अग्नि | इन्द्र । वृषाकर, (पुं.) बलवर्द्धक । उर्द । वृषाङ्क, (पुं. ) शिव । वृषि, १ ( स्त्री. ) व्रती के लिये कुशासन विशेष । वृषी, ] वृषोत्सर्ग, ( पुं. ) साण्ड बनाना । मरे हुए के नाम पर बछड़े को दाग कर छोड़ना । वृष्टिं, ( स्त्री. ) वर्षा । वृष्टिभू, (पुं. ) मेंड़क । (त्रि. ) वर्षा में हुआ । वृष्णि, ( पुं.) यादवों का वंश । श्रीकृष्ण | बादल । बढ़ाना । वृहत् ( बृहत् ), ( त्रि. ) वड़ा । • वृहती ( बृहती ), ( स्त्री. ) नारद की वीणा । ३६ की संख्या लवादा। चादर । वाणी । कण्डियारी | एक छन्द जिसका पाद • नौ अक्षरों का होता है । वेग, ( पुं.) प्रवाह । गति । तेज | वेगिन्, ( पुं. ) बाज पक्षी ( त्रि. ) वेम d वाला । वेचा, ( स्त्री. ) भाड़ा | किराया । वेर, वेन, वेता ( स्त्री. ) बाजे पर नाचना | जाना। जानना । विचारना । लेना। देखना। प्रशंसा करना वेण, (पुं.) वर्णसङ्कर पृथु राजा का पिता | वेणि, १ वेणी, 3 ( स्त्री. ) स्त्रियों के सिर के केशों की ग्रन्थि | चोटी । जल की धार । दो या अधिक नदियों का सङ्गम | यमुना गङ्गा और सरस्वती का सङ्गम स्थल । वेणीर, ( पुं.) नीम का पेड़ | वेणु, (पुं.) बाँस : बँसी । १ वेणुज, ( पुं. ) चावल विशेष । जिसका आकार जौं जैसा होता है । वेणुध्म, (पुं. ) बँसी बजाने वाला । वेणुवाद, (त्रि.) वेणुवादक । बैँसी बजाने वृष्णिगर्भ, ( पुं. ) श्रीकृष्ण । वाला । बृहू ( वृह ), ( कि. ) चमकना | शब्द करना | वेतन, ( न. ) किये हुए काम की नियत मजदूरी । तनख्वाह | वेतनादान, ( न. ) व्यवहार विशेष | तन- ख़्वाह लेना । नियत द्रव्य लेना । वेतस्, ( पुं. ) बैंत । एक वृक्ष । वेताल, (पुं.) मल्ल । भूताधिष्ठित शत्र शिव जी का एक गण । द्वारपाल । • चतुर्वेदीकोष । ३४२ चेतृ चेतृ, (त्रि.) जानने वाला | उठाने वाला | पाने वाला । चैत्र, ( पुं. ) बैंत | चैत्रधर, (पुं. ) द्वारपाल । छड़ीदार | वेत्रावती, } (स्त्री. ) नदी विशेष । · • वेत्रासन, ( न. ) मूढ़ा | कुसीं । चटाई । वेद, ( न. ) विष्णु। ज्ञान | संहिता विशेष | वेदगर्भ, ( पुं. ) हिरण्य गर्भ | वेदन, ( न. ) ज्ञान | सुख दुःखादि का अनुभव | विवाह | धन | सम्पत्ति । दान | शूदा स्त्री के साथ उच्चवर्ण का विवाह | वेदपारग, (पुं. ) समस्त वेदों को जानने वाला । वेदमातृ, ( स्त्री. ) गायत्री महा मन्त्र | वेदविद्, ( पुं. ) विष्णुं । ( त्रि. ) वेदको जानने वाला । वेदव्यास, ( पुं. ) पराशर पुत्र सत्यवती गर्भ सम्भूत मुनि विशेष । शुक देव के पिता । चेदस्, (पुं.) जानने वाला । वेदाङ्ग, (न. ) वेदों के छः श्रङ्ग । जैसे- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष वेदादि, ( पुं. ) प्रणव । श्रोङ्कार | वेदान्त, ( पुं. ) तत्त्वज्ञान का प्रधान शाख । वेदाधिप, ( पुं. ) वंद्र के स्वामी । यथा ऋग्वेद के बृहस्पति, यजुर्वेद के शुक्र, सामवेद के मङ्गल, अथर्व के बुध । विष्णु । चेदान्तिन, (त्रि. ) वेदान्त दर्शन का जानने वाला । वेदाभ्यास, ( पुं. ) वेद का पढ़ना । चेदि, (स्त्री.) साफ की गई भूमि । ( पुं. ) परिणत | वेदिजा, (स्त्री. ) द्रौपदी । वेदित, (त्रि.) ज्ञाता | जानने वाला । वेदिन्, (पुं. ) पण्डित हिरण्यगर्भ (त्रि ) जानने वाला | वेध, (पुं. ) बीघना | बेधना | वेधक, (न. ) कपूर । धनियां ( त्रि. ) बेधने वाला । वेधसू. ( पुं. ) हिरण्य गर्भ | विष्णु | सूट | पण्डित । ब्रह्मा । बनाने वाला | • बेधित, (पुं. ) बेधा गया। छिद्रित | वेधिनी, ( स्त्री. ) जोंक वेपू, ( कि. ) काँपना । डएटा । वेपथु, ( पुं. ) काँपना | हिलना वेपन, ( न. ) हिलना | वेम, ( पुं. ) ने वेल, (क्रि. ) चलना | हिलना | वेल, ( न. ) उपवन | काल । वेला, ( स्त्री. ) समुद्र का तट | वेल्ल, (क्रि. ) हिलाना । वेल्लज, . ( पुं.) मिरच | वेल्लन, (न.) घोड़े आदि का जमीन पर लोट लगाना | रोगी आदि बेलन का काठ का टुकड़ा । वेवी, (.) चाहना | फेंकना | फैलना | . खाना । वेश, ( पुं. ) सजावट का कार्य । वेश्यागृह | प्रवेश | वेशधारिन् (पुं. कपटी | दम्भी | चेशन्त, (पुं. ) छोटा ताल । श्रग्नि । वैश्मन्, (न. ) गृह | घर । वेश्मभू, ( स्त्री. ) घर बनाने योग्य स्थान | वेश्य, (न. ) कान का पलड़ा । पगड़ी । पेठा | प्राचीर । ( पुं. ) धेरा | वेश्या, (सी.) रण्डी | वेष्टित, (नि. ) प्राचीर से घिरा हुआ । रुका हुआ । वेस्, (फि. ) जाना | वेसन, (न. ) चने का श्राटा । बेहार, (पुं. ) देश विशेष | वै, (अव्य. ) अतुन है | निश्चय | | पाद को पूर्ण करता धन | चेक. चतुर्वेदीकोष । ३४३ • वैकक्ष, ( न. ) हार विशेष । चैकङ्कत, (पुं. ) वृक्ष विशेष । वैकल्पिक, ( त्रि. ) दो में से एक । वैकल्य, (न.) घबराहट चैकुण्ठ, ( पुं. ) विष्णु | गरुड़ । इन्द्र । वैकृत, (न. ) विकार | परिवर्तन | वैखरी, (स्त्री.) कण्ठ्य आदि अक्षरों से बना शब्द विशेष | वैखानस, (पुं. ) वानप्रस्थ । · वैगुण्य, ( न. ) बिगाड़ना । अन्याय । अपूर्णता । वैचित्र्य, ( न..) विलक्षणता । वैजयन्त, (पुं. ) इन्द्र प्रासाद | दैत्य विशेष | पताका । वैजिक, ( न. ) सुहांजन का तेल । कारण । ( त्रि. ) बीज सम्बन्धी | वैज्ञानिक, ( पुं. ) निपुण । विशेष ज्ञानी । विज्ञान वेत्ता । वैड लव्रत, (न.) दम्भ युक्त व्रत | कपटाचार | वैणव, (न. ) बाँस का फल । ( त्रि. ) बाँस सम्बन्धी | वैणविक, (त्रि. ) वंशी बजाने वाला । वैणिक, (त्रि. ) बीन बजाने वाला । वैण्य, } (पुं.) राजा पृथु । "वैतंसिक, (त्रि. ) व्याधा। शिकारी । वैतनिक, (त्रि.) वेतन लेकर काम करने वाला । वैतरिणी, ( वैतरिणि, के समीप की एक नदी । वैतानिक, ( पुं. ) वेद विधि के अनुसार अग्नि स्थापन | वैतालिक, (त्रि. ) भाट । वन्दी | वैतालीय, ( पुं. ) छन्द विशेष । वैदग्ध, (न. स्त्री. ) चातुर्य । चैदर्भ, ( पुं. ) विदर्भ देश का राजा भीष्मक, जिसकी कन्या रुक्मिणी थी औौर पुरंजनी नादि । वैर वैदर्भी, ( स्त्री. ) रचना विशेष । रुक्मिणी । दमयन्ती । पुरंजनी । वैदिक, (पुं. ) वेदज्ञ ब्राह्मण वैदुष्य, ( न. ) पाण्डित्य । वैदूर्य्य, ( न. ) मणि विशेष । वैदेह, (पुं.) बनियां | शूद्र पुरुष और वैश्य • स्त्री से उत्पन्न जाति विशेष । राजा जनक वैदेही, ( स्त्री. ) • सीता | राम पत्नी | हल्दी । मद्य बनीनी । वैद्य, ( पुं. ) चिकित्सक वैद्यक, (न. ) चिकित्सा ग्रन्थ'। या शास्त्र । वैध, (त्रि.) विधान किया हुआ । वैधात्र, (पुं. ) सनत्कुमार आदि मुनि विशेष । वैधृति, ( पुं. ) धैर्य रहित । योग विशेष । वैधेय, (त्रि. ) मूर्ख | वैधर्म्म, (न. ) विरुद्ध धर्म | विरुद्ध लक्षण | वैधव्य, (न. ) रएडापा । वैनतेय, ( पुं॰ ) गरुड़ । अरुण वैनायक, (त्रि.) शास्त्र ज्ञान से नम्रीभूत | वैनाशिक, (पुं. ) बौद्धों का शाख । ( त्रि. ) बौद्धों के शास्त्र को जानने वाला । वैपरीत्य, ( न. ) उलटापन । वैभव, (न.) विभूति । ऐश्वर्य्य । वैभ्राज, (न..) देवताओं का उपवन । वैमुख्य, ( न. ) विमुखता । वैमात्र, ( पुं. ) सौतेली वैयाकरण, (त्रि. ) व्याकरण जानने वाला वैयाघ्र, (पुं.) भेड़िये की खाल से ढकी गाड़ी । की सन्तान । वैयाघ्रपद्य, (पुं. ) गोत्र के चलाने वाले एक मुनि | वैयात्य, (न. ) निर्लज्जता । वैयासिक, ( पुं. ) शुकदेव वैर, (न. ) विरोध | वैरकर, (त्रि. ) विरोधी । वैरक्लय, ( न. ) विराग | वैरनिर्यातन, ( न. ) प्रतीकार | वैरा । चतुर्वेदकोष । ३४४ वैराग्य, ( न. ) त्याग | वैरिन्, ( त्रि. ) दुश्मन । वैरी । वैरूप्य, (न.) विरूपता । कुरूप । चैलक्षराय, (न. ) विलक्षणता । वैलक्ष्य, ( न. ) लज्जा । वैवधिक, (त्रि.) दूकानदार | हल्कारा | वैवर्ण्य, (न. ) मैलापन | रङ्ग का बदलाव | वैवस्वत, ( पुं. ) यमराज | रुद्र विशेष । वैवाहिक, (त्रि. ) विवाह के योग्य | ससुर । (त्रि. ) विवाह वाला | वैशम्पायन, ( पुं. ) व्यास के एक शिष्य । वैशस, (न. ) भारना । ( त्रि. ) मारने वाला । वैशाख, ( पुं. ) वर्ष का दूसरा मास । मथानी । धनुर्धरों का एक प्रकार का पैतरा | वैशिष्ट्य, ( न. ) विशेष और विशेषण का सम्बन्ध | भेद । श्रन्तर | • • वैशेषिक, ( न. ) कणाद मुनि प्रणीत एक शास्त्र | वैशेष्य, ( न. ) भेद | विशेषत्व | वैश्य, (पुं. ) तीसरा वर्ण । बनियां । वैश्यवृत्ति, ( स्त्री . ) खेती । व्यापार | गोरक्षा | वैश्रवण, (पुं. ) विश्रवा का बेटा । कुबेर । रावण । वैश्वदेव ( पुं. ) बलि विशेष । वैश्वानर, (पुं. ) अग्नि विशेष जो मनुष्यों के पेट में रहता है। चित्रक वृक्ष । सामवेद की एक शाखा | वैषम्य, ( न. ) वैलक्षण्य | असमानता । वैषयिक, (त्रि. ) शब्द आदि से उत्पन्न | सुख विशेष । वैष्णव, (त्रि. ) विष्णु भक्त | जिसने विधि पूर्वक विष्णु की दीक्षा ली हो । वैसारिण, ( पुं ) मच्छ । वैहासिक, (पुं.) विदूषक | मसखरा । वोढु, ( पुं. ) एक मुनि । वोढ़, (त्रि.) वाहक | उठाने वाला । ( पुं.) वर | ( त्रि. ) बोझा ढोने वाला । मूर्ख | व्यंप व्यंसक, (पुं. ) धूर्त | उग । नटखट । व्यंसित, (पुं. ) वचित | ठगा हुआ | व्यक्ल, (त्रि.) स्फुट प्रकाशित । देखने •योग्य | प्राज्ञ | स्थूल | ( पुं ) मोटा | व्यक्ति, ( स्त्री. ) प्रकाश | जन | पृथक् पृथक् । व्यग्र, ( त्रि. ) व्याकुल | बहुत फंसा हुआ । व्यङ्ग, (त्रि.) विकलाङ्ग | अङ्ग से हीन | लङ्गड़ा | कुहासा गाल पर काले काले तिल या धब्बे व्यञ्जना वृत्ति से जानने व्यङ्गन्ध, (न. ) योग्य अर्थ | व्यञ्जन, (न. ) पला । व्यञ्जक, (पुं.) व्यञ्जना द्वारा बतलाने वाला शब्द | ( त्रि. ) प्रकाश करने वाला | व्यञ्जन, (न. ) भोजनोपकरण । व्यञ्जिप्त, ( त्रि. ) प्रकाशित । व्यतिकर, ( पुं. ) सम्बन्ध | व्यसन | दुःख । व्यतिक्रम, ( पुं. ) विपर्यय | उल्टा | व्यतिरिक्त, ( त्रि. ) मिन | पृथE | हुदा | और। व्यतिरेक, ( पुं. ) विशेष अतिक्रम | भाव | विना। अर्थालङ्कार विशेष | व्यतिपक्क, (त्रि.) गुथा हुआ | मिला हुआ | व्यतिपङ्ग, (पुं. ) परस्पर मेल । व्यतिहार, १ (पं.) परस्पर एक प्रकार व्यतीहार, 3 की किया । परिवर्तन | व्यतीत, (त्रि. ) श्रतीत | बीता हुआ |● निकला हुआ | व्यतीपात, (त्रि.) महोत्यात भेद । एक प्रकार का बड़ा उपद्रव ज्योतिष का एक योग विशेष | व्यत्यय, (पुं. ) व्यतिक्रम उलटा । उहा व्यत्यास (पुं. ) विपर्यय | उल्टा | व्यथ्, (क्रि. ) चलना | दुःखानुभव करना | व्यथा, (स्त्री.) पीड़ा रव । व्यधू, (क्रि. ) चोट लगना | व्यध, (पुं. ) चोट लगाना फाइना | ● व्यध्व, ( पुं. ) दूषित मार्ग | कुपथ | व्यपदेश, (पं.) कहना संज्ञा कापव्य | बहाना | व्यपं चतुर्वेदकोष व्यपरोपण, ( न. ) बेदना | काटना । व्यपरोपित, (त्रि.) छिन्न । कटा हुआ | व्यपाकृति, ( स्त्री. ) निराकरण । अस्वीकृत करना | छिपाना । न मानना । व्यपाश्रय, (पुं.) आसरा | व्यपेक्षा, ( स्त्री. ) अपेक्षा । विशेष चाह | बड़ी गरज | व्यभिचार, (पुं. ) निन्दिता चार | दुराचार | न्याय में हेतु-दोष | व्यभिचारिन, (पुं. ) जार पुरुष स्थानभ्रष्ट । दुराचारी । अलङ्कार में " निर्वेद " आदि रस का अङ्ग विशेष | व्यभिचारिणी, ( स्त्री. ) कुलटा स्त्री | व्यय, (पुं.) विगम | जाना। खर्च | जन्म- कुण्डली में लग्न से १२ वां स्थान | व्यर्थ, ( त्रि.) निष्प्रयोजन | विफल | निरर्थक | व्यलीक, (न. ) अप्रिय । अनृत। झूठ । व्यवकलन, (न. ) वियोजन । विगमन । निकालना । घटाना। व्यवकलित, ( त्रि. ) घटाया गया | वियोजित | व्यवच्छिन्न (त्रि.) छिन्न | कटा हुआ विशेषण युक्त । व्यवच्छेद, (पं.) अलगाव । विशेषत्व | मोचन | व्यवधा, ( स्त्री. ) व्यवधान । अन्तर | बीच | व्यवधायक, (त्रि. ) कर्त्ता | अन्तर डालने वाला। ढांकने वाला । व्यवसाय, (पुं. ) उद्यम अनुष्ठान | श्रव " धारण । व्यवस्था, ( स्त्री. ) शास्त्र मर्य्यादा | तजवीज | युक्ति । व्यवस्थित, (त्रि. ) शास्त्र द्वारा विधान किया हुआ पदार्थ | ठीक सही । व्यवस्थितविभाषा, स्त्री. ) विकल्प ( व्याकरण में ) । व्यवहर्तृ, (त्रि.) व्यवहार करने बाला । व्यवहार, ( पुं. ) पैसे का देना और लेना आदि निस्सन्देह बर्ताव । आचार, निय । ३४५ व्याकृ मादि अठारह सम्बन्धों के अनुकूल चलना । अनेक संशय रहित मैत्री युक्त बर्ताव । ( वि-श्रव· हार ) जैसे-- 99 " विनानार्थेऽव सन्देहे हरणं हार उच्यते । नानासन्देहहरणाद्भवहार इति स्मृतः ॥ व्यवहारपद, ( न. ) झगड़े का स्थान | अभियोग के योग्य | साहूकार की दूकान । व्यवहारमातृका, ( स्त्री. ) व्यवहार की माता । न्यायालय | कन्चहरी । पञ्चायत । सभा श्रादि जहाँ विद्वांन्, वकील आदि मुखिया बैठकर न्याय दें। व्यवहारिक, (त्रि. ) व्यवहार सम्बन्धी | लेन-देन आदि परस्पर सम्बन्ध सूचक चलन या वस्तु । जैसे-घड़ा, कपड़ा इत्यादि । ( पुं. ) इद वृक्ष । व्यवहार्य, (त्रि. ) व्यवहार के योग्य अपने ढंग का मिलता-जुलता । काम में लाने के योग्य | 2 व्यवहित, (त्रि.) दूर अन्तर वौला । आड़ में रखी चीज । ढकी हुई । व्यवाय, ( पुं. ) ग्राम्य धर्म | मैथुन | छिपा | सफाई । ( न. ) तेज | व्यसन, (न ) विपत्ति । गिरना । काम और क्रोध से उपजा दोष । मैथुन और मद्यपान दोष । दैवोपद्रवादि ।" वह दोष जिसके विना रहा न जाय जैसे-व्यभिचार, भाँग, गांजा आदि, जूआँ श्रादि । श्राश्रय, भगवद्भक्ति श्रादि । व्यसु, (त्रि.) मृत | मरा हुआ। व्यस्त, (त्रि.) व्याकुल । विभक्त । विपरीत उल्टा । व्याकरण, (म.) वह शास्त्र जिससे शब्दों का विवरण भली भाँति ज्ञात होजाय । शब्द शास्त्र । व्याकुल, (त्रि.) घबड़ाया हुआ | विकल | व्याकृति ( स्त्री. ) भद्दा रूप । प्रकाशन | व्याकरण | अधिक वर्णन करना | व्याकृ १ चतुर्वेदीकोष | ३४६ व्याकृत, ( त्रि. ) विभक्त | व्याख्या किया हुआ । भद्दी शकल किया गया । व्याकोश, १ (त्रि. ) फैला हुआ । खिला व्याकोष, हुआ । प्रफुल्ल । व्याक्षिप्, (क्रि.) उछालना | फैलाना | खोलना । व्याक्षोभ, ( पुं. ) हलचल | घबराहट व्याख्या, ( स्त्री. ) विस्तार से किसी विषय को सरल शब्दों में कहना | वर्णन | कथन | व्याख्यात, ( त्रि. ) वर्णित | कहा हुआ | व्याख्यान किया हुआ। व्याख्यान, (न. ) वर्णन | यकृता । किसी विषय को भली भाँति खुलासा कर के पांच

  • लक्षणयुक्त कहना । जैसे- " पदच्छेदः

पदार्थोक्तिर्विग्रहो वाक्ययोजना | आक्षेपस्य समाधानं व्याख्यान पञ्चलणम् ।। व्याघट्टन, (न. ) मथना परस्पर रगड़ना। व्याघात, (पुं.) चोट । विघ्न | रुकावट अर्थ सम्बन्धी एक अलङ्कार व्याघ्र, (पुं.) बाघ । लाल एरण्ड । करअ का वृक्ष । व्याघ्रास्य, (पुं ) बिडाल । बिल्ला । व्याज, (पुं.) बहाना । कपट | व्याजनिन्दा, ( स्त्री.) कपट निन्द्रा | लङ्कार विशेष | " व्याजस्तुति, ( स्त्री. ) अर्थालङ्कार विशेष | कपट युक्त प्रशंसा | व्याजोक्कि, ( स्त्री.) अलङ्कार विशेष । कपट युक्त कहना | व्याड़, ( पुं. ) मांस खाने वाले जीव जैसे बाघ बिल्ली आदि । सर्प | इन्द्र | ( त्रि. ) ठग । गुण्डा | व्याड़ि, (पुं.) एक मन्थकार | जिसने व्याकरण और कोष के एक एक ग्रन्थ रचे । व्याध, (पुं. ) शिकारी । बहेलिया । व्याधभीत, (पुं. ) जो पारधी को देख कर डरे । हिरन । पशु आदि । . व्यालो व्याधि, (पुं. ) रोग । बीमारी | रोग उपद्रव । व्याधित, (त्रि.) बीमार | उपद्रव युक्त 4 व्याधुत, ( त्रि.) काँपा हुआ । हिला हुआ | व्याधूत, व्यान, (पुं. ) प्राण वायु विशेष । व्यापक, (त्रि. ) फैला हुआ । व्यापन, ( त्रि.) मरा हुआ । विपत्ति में फंसा हुआ । व्यापाद, (पुं. ) हिंसा | वध | द्रोहचिन्तन | व्यापादन, (न. ) मारना । दूसरे का बुरा चीतना | व्यापार, ( पुं. ) काम । लाभ होने योग्य काम। परिश्रम । चेष्टा । उद्योग । व्यापारिन्, (त्रि.) व्यापारी । उद्यमी । व्यापिन्, त्रि. ) फैला हुआ | ( पुं. ) विष्णु । . व्यापत, (त्रि.) व्यापार वाला । व्याप्त, (त्रि.) पूर्ण। पूरा | भरा हुआ । व्याप्ति, ( स्त्री. ) पूर्ति-व्यापकता | व्याप्य, (त्रि. ) व्याप्त होने के लायक, जैसे- शमी की लकड़ी में श्राग इत्यादि । व्याम, (पुं. ) दोनों भुजाओं के बीच का माप विशेष | । व्यायत, (त्रि.) लम्बा | चौड़ा दूर बहुत | ( न. ) लम्बाई | चौड़ाई । व्यायाम, (पुं. ) श्रम | मेहनत | कसरत | व्यायोग, (पुं. ) एक प्रकार का काव्य । व्याल, (त्रि.) दुष्ट | बुरा | निष्ठर । ( पुं. ) दुष्ट या खूनी हाथी । सर्प । बाघ । चीता । राजा । छलिया । ठग। विष्णु का नाम । व्यालक, (पुं.) बिगड़ैल हाथी । व्यालग्राह, (पुं.) सपेरा साँप पकड़ने वाला। व्यालरूप, (पुं.) शिव । 9 व्यालम्ब, (पुं. ) एरण्ड वृक्ष विशेष । व्यालोल, (त्रि.) हिलने वाला 4 काँपने वाला खुला हुआ। स्पष्ट । ● व्याव चतुर्वेदीकोष । ३४७१. व्यावकलन, ( न. ) घटान । बाकी । व्यावहासी, (स्त्री.) परस्पर हँसना । व्यावृत्त, ( त्रि. ) वृत्त । घेरा | गोल | निवृत्त । हटगया । रुक गया। व्यावृत्ति, ( स्त्री. ) निवारण | हटाव | लौटना । व्यास, ( पुं. ) भागों में विभक्त । चौड़ाई, औड़ाई | वृत्त का व्यास | संग्रहकर्ता या विभाग कर्त्ता विशेष सत्यवती सुत । द्वैपापन व्यास | व्यासक्ल, (त्रि. ) तत्पर । आसक्त । व्यासङ्ग, (पुं. ) आसक्ति । व्यासिद्ध, (त्रि. ) निषिद्ध रोका गया | व्याहत, (त्रि.) घबराया हुआ | रुका हुआ | व्याहार, (पुं. ) वाक्य । उक्ति । व्युत्क्रम, (पुं. ) क्रम विपर्यास | उलट पुलट | व्युत्थान, ( न. वैर बाँधना | स्वातन्त्र्य करण। प्रतिरोधन । नृत्य विशेष | व्युत्पत्ति, ( सी. ) उत्पत्ति | शब्दों के अर्थ जानने की शक्ति । पद पदार्थ की ज्ञान शक्ति | व्युत्पन्न, (त्रि. ) पण्डित विद्वान् । बुद्धिमान् । व्युदस्त, (त्रि.) फेंका हुआ । तिरस्कार किया हुआ | व्युदास, ( पुं. ) निरादर करना | व्युष, (क्रि. ) त्यागना । छोड़ना । व्युष्ट, ( त्रि.) दग्ध | जला हुआ । व्यूढ, ( त्रि. ) विशेष रीति से खड़ी की गयी सेना । चौड़ा | फैला हुआ । पहिना हुआ | विवाहित । व्यूत, (त्रि.) सीया हुआ । बुना हुआ । व्यूह, ( पुं.) समूह | निर्माण | सम्यक् तर्क । शरीर । सेना | व्यो, (अन्य ) लोहा । बीज । व्योकार, ( पुं. ) लुहार । व्योमकेश, ( पुं. ) शिव | महादेव | व्योमचारिन्, (पुं.) पक्षी । देवता 1 ग्रह | ● त्राती व्योमधूम, ( पुं. ) मेघ । बादल । ( व्योमन्, (न. ) आकाश | पानी । व्योमयान, ( न. ) उड़न खटोला | बैलून | आकाश गामी विमान व्योष, ( न. ) तीन कड़वी वस्तु यथा, सोठ, काली मिर्च और पीपल | त्रिकटु | ब्रज (क्रि. ) जाना । चलना । ब्रज, ( पुं. ) समूह । झुण्ड । ग्वालों के ठहरने का स्थान | गो शाला ८ सड़क । बादल । पुराणेतिहासप्रसिद्ध चौरासी कोस का मथुरा. " मण्डल | व्रजनाथ, (पुं. ) श्रीकृष्ण व्रजमोहन, ( पुं. ) श्रीकृष्ण | व्रजवल्लभ, (पुं. ) श्रीकृष्ण | व्रजाङ्गना, ( स्त्री. ) व्रम वासिनी स्त्री | गोपी व्रज्या, ( स्त्री. ) पर्थ्यटन करना । घूमन युद्ध की इच्छा से यात्रा । वर, (क्रि. ) घाव लगना | चोट खाना | व्रण, (पुं. न. ) घाव | जखम । क्षत । व्रणित, (त्रि. ) घायल | चोटिल | व्रत, ( पुं. न. ) पुण्य के साधन उपवासादि नियम विशेष प्रतिज्ञा । ! व्रतति, १ . ( स्त्री . ) लता | बेल । 'बढ़ाव | व्रतती, फैलाव | प्रतिन्, ( पुं. ) यजमान | व्रत धारण करने वाला । नियमी । वश्च, (क्रि. ) काटना। घायल करना । ब्रश्चन, (पुं. ) धरी । सुनारों की बैनी या टाँकी । ( . न. ) कटाव । चिराव | घाव ब्राज, ( पुं. ) गमन | समूह | ब्राजि, ( स्त्री. ) तूफ़ानी हवा । व्रात, (पुं.). समूह | झुण्ड | शारीरिक श्रम ): बराती वातीन, (त्रि.) मजदूररोजन्दारी पढ़ काम करने वाला |

व्रात्य

• चतुर्वेर्दाकोष | ३४८ व्रात्य, (पुं.) संस्कार व्युत द्विज । नीच मनुष्य वर्णसङ्कर विशेष भ्रष्ट । “ सावित्री पतिता व्रात्याः ॥" -मनुः । व्रात्यस्तोम, (पुं. ) व्रात्य के करने योग्य व्रत । वेद में एक तन्त्र जो व्रात्योंही के लिये है । बी, (क्रि. ) चुनना | जाना । ढकना । चुना जाना । बीड, १ (पुं.) लज्जा ब्रीडा, ] ( स्त्री.) ब्रीडन, (न. ) लजाना । व्रीडित, (त्रि.) लज्जित श्रीस्, (क्रि. ) घायल करना। वध करना | व्रीहि, (पुं. ) चावल | श्रीकाञ्चन, (न. ) एक प्रकार की दाल १ ब्रुड, ( क्रि० ) ढक | एकत्र करना । ढेर लगाना | डूबना | वैहेय, (त्रि.) चावल | धान उपजने योग्य खेत । ली, (क्रि.) जाना | पकड़ना | सहारना | सहारा देना। चुनना । ब्लेक्षू, (क्रि. ) देखना । श श, (पुं.) काटने वाला | नाश करने वाला | अस्त्र | शिव । ( न. ) प्रसन्नता | शंयु, (त्रि. ) प्रसन्न | समृद्धि शील । शंव, ( पुं.) हल चलाना | इन्द्र का वज्र | खल के दस्ते का लोहे वाला अप्र भाग । शंवर, (न. ) जल | पानी । शंस, (क्रि.) प्रशंसा करना । दुहराना । पाठ करना । चोटिल करना । शंस, (पुं. ) प्रशंसा । पाठ । आह्वान | तन्त्र | जादू । भलाई की इच्छा आशी- वाद । शाप | विपत्ति | Py शंसित, (त्रि.) प्रशंसित । निश्चित । पक्का | मारा गया। कहा गया। शंस्य, (त्रि.) मारने योग्य प्रशंसाके योग्य || शकू, (क्रि.) डरना | योग्य होना | शक्लि शक, (पुं. ) एक देश | एक जाति । एक राजा जिसने अपना शक चलाया। उसका चलाया वर्ष | युधिष्ठिर, विक्रमादित्य और शालिवाहन इन तीनों राजाओं ने अपने अपने शक चलाये थे । शकट, ( पुं. न. ) छकड़ा। एक दैत्य, जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था | शकटहन, (पुं. ) श्रीकृष्ण । G शकल, (पुं. न.) खण्ड । हिस्सा | अंश । टुकड़ा। छाला। काँटा ( मछली का ) । शकाः, ( पुं. ) बहुवचन । देश विशेष । जाति विशेष । शकार, (पुं.) राजा की बिन ब्याही स्त्रो का भाई । अनूढ़ भ्राता । मद माता । अभिमानी | शकारि, ( पुं. ) शक का शत्रु । विक्रमादित्य राजा जिसने शक बन्द कर अपना संवत् चलाया था. शकुन, न. ) सगुन पक्षी विशेष | मङ्गलाचार | गीध | शुभ सूचक चिह्न । शकुनश, (त्रि.) ज्योतिषी । शकुन्त, ( पुं. ) पक्षी । एक प्रकार का कीड़ा | शकुन्तला, ( स्त्री. ) दुष्यन्त की स्त्री | शक्कर, ( पं. ) बैल | चौदह अक्षर का पाद वाला एक छन्द | शक्करि, शक्करी (स्त्री. ) एक नटी | नीच जाति की स्त्री । श्रङ्गली । शक्ल, (त्रि.) शक्ति वाला | कठोर । धनी । अभिधा | चतुर | शक्ति, ( स्त्री. ) सामर्थ्य | देवी | धर्म्म विशेष | बच्छ शक्लिग्रह, (पुं.) अर्थ को बताने वाली वृत्ति का समझना । वृत्ति । अस्त्र । स्वामिकार्त्तिक । शिव | शक्किग्राहक, ( पुं. ) कार्तिकेय । शब्द की शक्ति को जताने वाला । शक्लिघर, (पं . ) कार्तिकेय (त्रि. ) शक्ति रखने वाला | शक्लिं शक्तिहेतिक, ( पुं. ) बर्थों से लड़ने बाला। } (पुं. ) सतुआ । शक्नु, (त्रि. ) प्रिय भाषी । शक्य, (त्रि.) शक्ति वाला । शक्र, (पुं. ) इन्द्र | कुटज वृक्ष | अर्जुन वृक्ष | ज्येष्ठा नक्षत्र । उल्लू । चौदह की संख्या | शिव । शक्रगोप, (पुं. ) बीर बहूटी । शक्रज, ( पुं. ) इन्द्र का पुत्र | जयन्त | अर्जुन | शक्रजित्, ( पुं. ) मेघनाद | इन्द्रजित् । शक्रधनुस्, (न. ) राम धनुष् । इन्द्र धनुष् । शक्रनन्दन, ( पुं. ) अर्जुन । शकसुत (पुं. ) इन्द्र पुत्र । बालि नामी वानरों का राजा | शक्राणी, ( स्त्री. ) इन्द्र की पत्नी - पुलोमजा | शची । शङ्कर, (पुं. ) कल्याण कर्त्ता | महादेव । शङ्का, ( स्त्री. ) सन्देह | त्रास | वितर्क | संशय | शङ्कित, (त्रि. ) डरा हुआ। सन्दिग्ध | शङ्कु, ( पुं. ) सूखा वृश्च । मच्छी भेद । शल्प नाम अस्त्र । कील । दस करोड़ की संख्या महादेव । १२ अङ्गुल लम्बा एक यन्त्र विशेष, • जिससे सूर्य की छाया नापी जाती है । शङ्कुकर्ण, ( पुं. ) गधा । शङ्ख, (पुं. न. ) समुद्र से उत्पन्न शङ्ख । ललाट की हड्डी । निधि | हाथी के दांत का मध्य भाग । एक मुनि । शङ्खध्म, ( पुं. ) शङ्ख बजाने वाला । शङ्खभृत् (पुं. ) विष्णु । नारायण । शङ्खिनी, ( स्त्री. ) चोरपुष्पी ।यवतिक्ता । एक प्रकार की स्त्री । शचू, (क्रि. ) जाना | बोलना । शाच, शची, ( स्त्री. ) इन्द्र पत्नी | शत्रु, सक्नु, चतुर्वेदीकोष | ३४१. शत शचीपति, ( पुं. ) इन्द्र श, (क्रि. ) रोगी होना । अलग करना | जाना थकना । शट, १ ( पुं.) खट्टा । शटा, ] ( स्त्री. ) शेर की गर्दन के बाल । श, (क्रि. ) ठगना | धोखा देना | वध करना । चोटिल करना । समाप्त करना अधूरा छोड़ देना जाना । सुस्त पड़े रहना । बुराई करना । प्रशंसा करना । शठ, ( न. ) लोहा | कैंसर । ( वुं . ) ठग | बदमाश | उठाई गीरा । मूर्ख | कूदमज | बिचवानिया | मध्यस्थ पश्च । धतूरा | ढीला या सुस्त मनुष्य । (त्रि. ) श्रोटपायी | नट खट | उपद्रवी । बेईमान । धोखा देने वाला । शठता, (स्त्री..) शाठ्य । ठगी । शरण (क्रि. ) देना। शण, ( पुं.) सन । भाँग । सन का पौधा । शराड, (न.) नपुंसक बैल । शत, (न. ) एक सौ । शतकुम्भ, (पुं. ) एक पर्वत जिसमें से सोना निकलता है । शतकोटि, (. पुं. ) जिसमें सौ करोड़ नौ के हों । वज्र । हीरा । ( स्त्री. ) सौ करोड़ की गिनती । शतक्रतु, ( पुं. ) इन्द्र | देवों का राजा | शतघ्नी, (स्त्री.) एक प्रकार का हथियार | तोप | बिच्छू | गले की बीमारी । शततम, (त्रि. ) सौवाँ । शतदुधा, (पुं.) सतलज नदी । शतधा, ( श्री. ) दूब । दूर्वा । सौगुना । शतधामन, (पुं. ) विष्णु । शतधार, (पुं. ) वज्र | हीरा । शतधृति, ( पुं. ) इन्द्र | ब्रह्मा | स्वर्ग | शतपत्र, (न. ) कमल बहुत पत्तों वाला । शत • १ चतुर्वेदीकोष । ३५० शतपथ, ( पुं. ) यजुर्वेदान्तर्गत ब्राह्मण ग्रन्थ विशेष | शतपथिक, (त्रि. ) शतपथ जानने वाला | कई मतों पर चलने वाला । शतपद, (न. ) कान खजूरा गोजर | शतभिषजू, ( स्त्री. ) चौबीसवाँ नक्षत्र | शततारका | शतमख, (पुं.) इन्द्र | शतमन्यु, ( पुं. ) इन्द्र शतरुद्रीय, (न. ) यंजुर्वेद का रुद्राध्याय | शतरूपा, (खी. ) स्वायम्भुव मनु की स्त्री | शतसाहस्र, ( त्रि. ) लाख की गिन्ती वाला । शतहदा, ( स्त्री. ) बिजली | शतानन्द, ( पुं. ) अहल्या के गर्भ से उत्पन्न एक मुनि | जनक राजा के पुरोहित । शतानीक, ( पुं. ) व्यास शिष्य विशेष । ( त्रि. ) सैकड़ों सैनिक वाला । शतार, (न. ) वज्र । सैकड़ों श्रारा वाला । शतायुस्, (त्रि..) एक सौ वर्ष की उमर वाला । शातिक, (त्रि. ) सौ के मूल्य की वस्तु । शत्य, (त्रि.) सौ की गिन्ती वाले द्रव्य से मोल लिया गया । शत्रु, (पुं.) रिपु | वैरी । लग्न से छठव स्थान | शत्रुघ्न, ( पुं.) दशरथ पुत्र | शदू, (क्रि. ) गिरना | नाश करना | काटना । शनि, (पुं.) सूर्य का बेटा | छाया के गर्भ से r उत्पन्न एक ग्रह | शनिवार, ( पुं. ) सातवाँ वार । शनैश्चर, (पुं. ) शनिग्रह | शनैस्, ( [अव्य. ) मन्द मन्द | धीरे । शंस्, (क्रि. ) मारना | स्तुति करना । शप्. (कि..). चिल्लाना । कसम खाना । शाप देना | शम्ब P शपथ, ( पुं. ) कसम । किरिया | शपन, (न. ) शपथ । सौं। कसम | शप्त, (त्रि. ) शापित । कोसा हुआ | शफ, (न.) खुर। सुम। वृक्ष की जड़ । शफर, (पुं. स्त्री. ) मछली विशेष । - शब्द, (क्रि. ) शब्द करना । शब्द, ( पुं. ) आवाज । शब्दग्रह, ( पुं. ) कान | शब्द का ज्ञान | शब्दब्रह्मन्, (न.) वेद | शब्द स्वरूप ब्रह्म । शब्दभेदिन्, ( पुं. ) शब्द भेदी तीर | अर्जुन | गुदा | लिङ्ग । शब्दशक्ति, ( स्त्री. ) अर्थ बतलाने वाली शब्द की शक्ति । शब्दानुशासन, (न. ) व्याकरण | शब्दालङ्कार, ( पुं. ) अनुप्रासादि अलङ्कार | शब्दित, (त्रि.) बुलाया हुआ । शम्, (क्रि. ) शान्त करना । शम, (पुं. ) शान्ति 1. शमथ, (पुं.) शान्ति । शमनस्वसृ, ( श्री. ) यमराज की बहिन यमुना । शमल, (न. ) विष्ठा । मल शमि, १ शमी, एक वृक्ष का नाम । छेकुर का पेड़ शमिन्, (त्रि. ) शान्त | धीर | साबिर | शमीक, (पुं. ) एक मुनि का नाम । शर्मागर्भ, (पुं. ) आग । ब्राह्मण शम्पा, (स्त्री.) बिजुली । " शम्बू, (क्रि. ) जाना । शम्ब, ( पुं. ) वज्र | भाग्यवाला । मूसल की नोक का लोहा | चित्र | । एक शम्बर, (न. ) जल | धन | व्रत । मृग । एक दैत्य एक मध्छ पर्वत । लड़ाई । चित्रक वृक्ष लोध । अर्जुन वृक्ष । ( त्रि.) बहुत अच्छा । शम्बरारि, ( पुं० ) शम्बर दैत्य को मारने वाला । कामदेव | ' शंम्ब 1 शम्बल, (पुं. न. ) कूल चतुर्वेदीकोष । ३५१ किंनारा । मार्ग व्यय । मत्सर । शम्भल, (पुं. ) मुरादाबाद जिले के अन्तर्गत एक गाँव जहाँ कल्कि अवतार होगा। शम्भु, ( पुं. ) महादेव । शम्भुतनय, ( पुं.) गणेश | स्वामि कार्त्तिक । शम्बु, १ (पुं. स्त्री.) सौंप । रामायण का शम्बू, 3 प्रसिद्ध शुद्ध तपस्वी । शङ्ख । दैत्य विशेष | शम्या, ( स्त्री. ) कील ( जुएँ की) | शय, ( पुं. ) हाथ । साँप | नींद सेज पण । शयनीय, (न. ) शय्या । सेज | शयनैकादशी, ( स्त्री. ) आषाढ़ शुक्ल की एकादशी । शयालु, (त्रि.) निद्राशील । सोने वाला । अजगर । (पुं. ) कुत्ता। शयित, (त्रि. ) निद्रित | सोगया । • शयु, ( पुं. ) अजगर साँप . शय्या, (स्त्री. ) खाट | पलङ्ग । शर, (न..) जल । तीर दही और दूध का सार । शरजन्मन्, (पं.) कार्तिकेय । शरट, (पुं. ) कुकलास | कुसुम्भ शाक । शरण, गृह घर रक्षक | बचाना । वध | घातक । .शरणागत, (त्रि.) शरणापन्न | ( स्त्री. ) पथ | रास्ता | सड़क शरणि, १ शरणी, शरराय, (त्रि. ) शरण आये हुए की रक्षा करने वाला । शरद्, ( स्त्री. ) ऋतु विशेष । आश्विन और कार्तिक । शरधि, ( पुं. ) तर्कस | बाण रखने का कोष । शरभ, (पुं. ) हाथी का बच्चा । आठ पैर का जन्तु विशेष जो सिंह से भी अधिक भया- नक और बलवान् बतलाया जाता है । ऊँट । टिड्डी । शरभू ( पुं. ) कार्तिकेय । शर्मा शरयु, ( स्त्री. ) एक नदी जिसकी विशेष सरयू, ) प्रसिद्धिं अयोध्या में है। शरल, (त्रि. ) टेढ़ा | धोखा देने वाला | शरलक, (न. ) जल। पानी । शरव्य, (न. ) लक्ष्य । निशाना । शराभ्यास, ( पुं. तीर चलाने का अभ्यास | . शरारु, ( त्रि. ) 'हिंसा | शरारोप, (पुं. ) धनुषु । कमान | शराव, ( पुं. न. 1 ) मिट्टी का दीपक । रकाबी। सरवा । कठोता । करई । शरावती, (श्री. ) एक नदी | शराश्रय, ( पुं. ) तूण | तर्कस । . शरीर, (न. ) देह | शरीरक, (पुं.) जीवात्मा । शरीरज, (पुं. ) रोग । बीमारी । ( त्रि. ) शरीर से उपजने वाला। पसीना। बाल । शरीरावरण, (न. ) चमड़ा | कवच | कुर्ता, अँगरखा आदि । शरीरिन्, ( पुं. ) जीव । शरु, (पुं.) तीर । अत्र | वज्र | क्रोध | व्यसन | तीर चलाने का अभ्यास | " शरेष्ट, (पुं. ) श्रम | शर्करा, (स्त्री.) खाँड़ | छोटी कङ्करी । ओल का टुकड़ा | पथरी नामक एक रोग | शर्ध, (पुं.) अपान वायु मोचन | समूह | बल । पराक्रम | शर्व्, (क्रि. ) जाना | चोटिल करना मार डालना । शर्मद, (त्रि. ) सुख देने वाला । ( पुं. ) विष्णु । शर्मन्, (न. ) सुख । ( त्रि. ) सुख वाला । (पुं. ) ब्राह्मण की उपाधि । शर्मिष्ठा, (स्त्री.) वृषपर्वा की कन्या जोराजा ययाति को व्याही गयी थी । शर्थ्य, ( त्रि.) चोटिल । ( पुं.) शत्रु | शर्या, (स्त्री.) रात । अङ्गलू | तीर | चतुर्वेदकोष | ३५२ शर्य्या शर्थ्याति, (पुं.) वैवस्वत मनु का एक पुत्र | शर्व, (पुं.) महादेव । शलभ, ( पुं. ) पतङ्गा । एक कीड़ा | शलाका, ( स्त्री. ) शल्य तीर । सिलाई । मैना । मूर्ति लिखने की कूँची । हड्डो । शलादु, (त्रि. ) कच्चा फल । एक प्रकार की जड़ । ( पुं. ) बेल | शल्क, (न. ) टुकड़ा । वृक्ष का वल्कल । मच्छी का काँटा । शाल्मलिं, } (पं. ) बैंकर का पेड़ । शल्य, (न.) बाण | तीर । तोमर । विष । कील । शल, (कि.) जाना । शल्व, ( पुं. ) देश विशेष । शदू, ( कि. ) बिगाड़ना। जाना। शर्वर, (पुं. ) कामदेव । ( न. ) अन्धेरा | शर्व्वरी, ( स्त्री. ) रात्रि | स्त्री | हल्दी । शत्रणी, (स्त्री.) शिवपली । पार्वती या दुर्गा । शशिशेखर, (पुं.) महादेव । शल्, (क्रि.) जाना । शशोर्ण, ( न.) खरगोश का रोम | शश्वत्, ( अव्य. ) निरन्तर । सदां । • शवरथ, (पुं.) मुर्दा ढोने वाली गाड़ी । शवल, (पुं.) रङ्ग वरङ्गी । शाकं शशिन्, । पुं.) चन्द्रमा | शशिप्रभ, (न. ) कुमुद का फूल । चाँदनी । शशिभूषण, ( पुं.) महादेव । शशिलेखा, ( स्त्री. ) चन्द्रकला। गिलोय | शथ, (क्रि. ) उछल कर जाना । शश, (पुं.) खरगोश । शशधर, (पुं.) चन्द्रमा । शशबिन्दु, (. पुं. ) राजा विशेष | विष्णु । शशाद, (पुं ) बाज पक्षी । सूर्यवंशी एकराजा । शशिकला, ( बी.) चन्द्रमा का सोलहवाँ भांग । शशिकान्त, (न..) कुमुद | ( पुं. ) चन्द्र- कान्तमणि । लगातार | शष् (क्रि. ) वध करना। शष्कुल, (पुं. ) एक प्रकार का पूआ | कान का छेद । एक मच्छ । शष्प, (न. ) छोटी छोटी घांस | नयी घास | शय्, ( कि. ) वध करना । शस्, (कि. ) आशीर्वाद देना । सोना । स्वप्न देखना | t शसन, (न.) यज्ञार्थ पशु हनन । शस्त, (न.) कल्याण । (त्रि. ) कल्याण वाला । प्रशंसित । स्तुत। बहुत चच्छा । - शस्त्र, (न.) तलवार आदि हथियार । शव, (पुं. न. ) मृत शरीर । मुर्दा । ( न. ) शस्त्रजीविन्, (पुं. ) शत्र बाँधकर जीनेवाला। जल । शस्त्रपाणि, (पुं. ) हाथ में शस्त्र पकड़ने वाला । आततायी । शवकाम्य, (पुं. ) कृत्ता । शवयान, (न. ) ठठरी | शिविका । मुर्दे को उठाने का तख्ता | शबर, (न.) म्लेच्छ जाति विशेष ( पुं. ) पानी और शिव | शस्त्राभ्यास, (पुं.) शस्त्र चलाने की शिक्षा | शस्त्रिन्, (त्रि.) शस्त्रधारी। हथियारबन्ध । शस्त्री (स्त्री.) बुरी । शस्य, (न. ) फल । धान | शस्यमञ्जरी, (स्त्री.) नये धान की मञ्जरी । शाक, (पुं. न.) पत्ते, फूल आदि । ( पुं. ) एक प्रकार का वृक्ष । शिरीष वृक्ष | शक चलाने वाले राजे । ( न. ) हर्र.. शाकटायन, ( पुं.) व्याकरण रचने वाले मुनि विशेष । शाकटिक, (पुं. ) छकड़े पर जाने वाला । शाकतरु, (पुं. ) सागोन का पेड़ शाकम्भरी, ( स्त्री. ) दुर्गा । सागों से पालनेवाली । og शाकराज, (पुं.) बथुआ का शाक ।शाकि चतुर्वेदीकोष | ३५३, शाकिनी, ( स्त्री. ) शाक उत्पन्न करने वाली पृथिवी । देवी की एक सहचरी । शाकुन, (पुं. ) सगुन जानने का साधन | एक ग्रन्थ विशेष । काकचरित । . शाकुनिक, (पुं.) बहेलिया | चिड़ीमार | शाकुन्तलेय, (पुं.) राजा भरत | शाक्क, ( त्रि. ) तान्त्रिक जो देवी की उपासना करते हैं । शाक्लोक, ( पुं. ) बर्गों से लड़ने वाला । शाक्य, (पुं० ) बुद्धदेव । शाक्यसिंह, ( पुं. ) बुद्ध विशेष । शाख, (क्रि. ) फैलना । शाख, (पुं. ) कार्तिकेय शाखा, (स्त्री.) डाली। बाहू । दल | भाग सर्ग | सम्प्रदाय | राहु । बेल । वेद का एक भाग | 7 2 शाखानगर, (न.) गाँव का कुछ विभाग जो उससे अलग बसा हो । शहर का मुहल्ला। शाखामृग, (पुं.) बन्दर | शाखारण्ड, (पुं.) अपनी शाखा को छोड़ कर काम करने वाला । शाखिन्, (पुं. ) पेड़ | वेद का एक भाग | एक राजा म्लेच्छ विशेष | शाखोट, (पुं.) वृक्ष विशेष | .शाखोटक, शाङ्कर, (पुं.) नादिया । साँड़ | शाङ्करि, (पुं. ) कार्तिकेय | गणेश | अग्नि, शाङ्ख, ( न. ) शङ्ख का शब्द । शाङ्खिक, (पुं. ) शङ्ख बनाने वाला | सङ्कर जाति विशेष । शङ्ख बजाने वाला । शाचि, (त्रि. ) प्रसिद्ध । बली | (पुं.) कपड़ा | पोशाक | शाट, शाटक, शाटी, ( स्त्री. ) कुर्ती । शाट्यायन, (न.) एक प्रकार की होम विधि विशेष | जो मुख्य होम में किसी प्रकार की भूल या विघ्न होने से किया जाता है। शान्त शाट्य, (न.) शठता | ढोठपन | मूर्खता | शाण, (न.) सनिया कपड़ा । कसौटी । सान | सिल्ली। आरा। चार माशे का माप । शाणित, ( त्रि. ) तेज किया हुआ । शाण्डिल्य, ( पुं. ) एक मुनि । धर्मशास्त्र बनाने वाले एक मुनि विशेष | बिल्व वृक्ष | अग्निभेद । शाण्डिल्यगोत्र,, (न. ) शाण्डिल के गोत्र वाले । शात, (त्रि. ) पैना । रगड़ा हुआ | पतला | दुबला । निर्बल । सुन्दर 4 कटा हुआ | प्रसन्न | उन्नतशील । ( न. ) प्रसन्नता । शातोदरी, ( स्त्री. ) पतली कमर वाली स्त्री | शातकुम्भ, (न.) सोना । धतूला । ( पुं. ) करवीर | शातन, (न. ) पैना काटछाँट । विनाशन | शातपत्रक, १ (पुं.) शातपत्रकी, ( ( स्त्री.) चाँदनी । शातमान, (त्रि.) एक सौ के मूल्य की। शात्रव, (पुं. ) शत्रु । ( न. ) वैरियों का समूह | शत्रुता । चोर | शाद, (पुं.) छोटो घास । कीचड़ । शादहरित, (पुं. ) रमना । हरी हरी घास से भरा पूरा मैदान । शाइल, (पुं.) बहुत घासवाला स्थान । शान्, (क्रि. ) पैना करना | तेज करना । शान, (पुं. ) कसौटी । सान धरने का पत्थर या सिल्ली । शानपाद, (पुं.) चन्दन रगड़ने का हुर्सा - या चकला । पारियात्र पर्वत । शान्तनव, (पुं. ) भीष्मपितामह । शान्तनु, ( पुं. ) एक राजा जो भीष्म का पिता था । शान्ति, (स्त्री.) काम, क्रोध आदि का जीतना । विषयों से विराग | शान्तनिक, (त्रि. ) उपद्रवों को दूर करने वाली होम आदि प्रक्रिया । खतुर्वेदकोष | ३५४ शपथ । शाप, ( पुं. ) कोसना | गाली। कड़ी बात | शार्दूल, ( पुं. ) बाघ । भेड़िया । एक राक्षस शरभ जब यह किसी शब्द के पीछे लगाया ज है तब इसका अर्थ श्रेष्ठ होता है। • यथा नरशार्दूल अर्थात् श्रेष्ठ नर । शार्दूलविक्रीड़ित, न. ) छन्द विशेष | शार्वर, (न. ) रात का | बहुत अन्धेरा । शालू, ( कि. ) कहना | चापलूसी करना | प्रशंसा करना । चमकना । मुक्त होना । शेखी मारना । शाल, ( पुं. ) एक वृक्ष का नाम जो बहुत लम्बा होता है । घेरा । बाड़ा । मछली । शालिवाहन राजा | शाप शापास्त्र, (पुं. ) मुनि ऋषि । सन्त | शाब्दबोध, ( पुं. ) ज्ञान विशेष । शाब्दिक, (पुं.) व्याकरण शास्त्र का ज्ञाता | शामित्र, (न. ) पशु के बाँधने का स्थान | शाम्बरी, ( स्त्री. माया | इन्द्रजाल । शाम्भव, (पुं.) गुग्गल | काफूर : एक विष । शिवपुत्र । ( न..) देवदारु । ( त्रि. ) शिवोपासक | r शायक. सायक, ( पुं. ) बाय्य | तीर | शार, (न.) चितकबरा । रङ्ग बिरहा | शारङ्ग, (पुं. ) पपीहा । हिरन हाथी भौंरा । मोर । शारद, (न.) चिरा कमल काही । बकुल । ( पुं. ) हरी मूँग ( त्रि. ) शरद् ऋतु में उत्पन्न होने वाला। शारदिक, ( न. ) शरत् काल का श्राद्ध (पुं.) इस ऋतु में उत्पन्न रोग शारदीया, ( स्त्री. ) शरत् कांल में करने योग्य र्दुगा की पूजा | शारि, १ ( स्त्री. ) पाँसा । शतरख के मोहरे | शारी, 3 मैना पक्षी । खल हाथी का पलाना । शारिफल, ( पुं. न. ) शतरज खेलने का खानों वाला कपड़ा या तख्ता । शारीर, (त्रि.-) शरीर के साथ मिला हुआ मुख दुःख । ( पुं. ) बैल मल । शारीरिक, (त्रि.) शरीर से उपजा शरीर सम्बन्धी | शारुक, (त्रि.) जल्लाद | हिंसक शार्कर, (त्रि.) ईट रोड़ों वाला स्थान | शार्ङ्ग, (त्रि. ) सींग का बना हुआ धनुषू | सामान्य धनुष | विष्णु का धनुष् | सोंठ शार्ङ्गिन, (पुं. ) विष्णु | शार्ङ्ग धनुर्धारी । शाल्म शालग्राम, (पुं.) विष्णु चिह्न बताने वाला वह पत्थर जो गंडकी नदी में हो, वहाँ से लाया गया हो, किसी ने बनाया न हो, स्वाभाविक मूर्ति । धर्मशाओं में प्रधान उपास्य शालग्राम शिला । विष्णुस्मृति और कई पुराणों में इनकी महिमा प्रसिद्ध है । शालग्राम पहाड़ से उत्पन्न मूर्ति । महाविष्णु । शालनिर्थ्यास, (पुं. ) साल वृक्ष का गोंद | शालभञ्जिका, (स्त्री.) काठ की पुतली ! वेश्या ३ शाला, ( स्त्री. ) गृह घर । स्थान। पेड़ की डाली। घुड़साल | शालामृग, (पुं. ) गीदड़ | शृगाल । शालावृक, (पुं. ) कुत्ता । गीदड़ | पिला " हिरन । बन्दर | शालि, ( पुं. ) धान शालिवाहन, (पुं.) एक राजा विशेष जिसने अपना शाका चलाया । शाली, ( स्त्री. ) काला जीरा । शालीन, (त्रि. ) ढीठ | निर्लज्ज | चालु ; ( न. ) कसैला पदार्थ | ( पुं. ) मेड़क । शालूर, (पुं. ) मेंडक । शालोतरीय, (पुं.) पाणिनि मुनि ।” शाल्मल, (पुं. ) डीप विशेष शाल्व चतुर्वेदीकोष । ३५५. शिखण्ड, शिखाण्ड, . शाल्व, (पुं. ) एक देश | शाष, (पुं.) शिशु । शावर, (पुं. ) पाप। अपराध | लोध का पेड़ | शवर कृत मीमांसा भाष्य | शावरी, (स्त्री.) भिल्लनी । विद्या विशेष | शाश्वत, (त्रि. ) सतत | नित्य | सदैव | शास्, (क्रि. ) प्रशंसा करना | सिखाना । शासन करना । श्राज्ञा देना । कहना | परामर्श देना । दण्डदेना । वश में करना इच्छा करना । शासन, (न. ) उपदेश करना। सजा देना । हुक्म देना। पालना । शासनहर, ( पुं.) दूत | शासित, (त्रि. ) शासनकर्त्ता | हुक्काम | शास्त्र, (न. ) मनुष्यों को कर्तव्य और भकर्तव्यों का निश्चय-प्रदर्शक अन्थ । जैसे-“ तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्य - व्यवस्थितौ । ज्ञात्वा शास्त्रविधानक्तं कर्मक- तुमिहार्हसि ॥ १ ॥ " गीता । शास्त्रदर्शिन्, (त्रि. ) शास्त्र दिखाने वाला | विद्वान् । प्राज्ञ । शास्त्रीय, (त्रि. ) छहों शास्त्रों में कथित धर्म शास्य, (त्रि. ) उपदेश देने के योग्य | शि, (क्रि. ) काटना । योग्य | शिक्षा शिकथ, १ सिक्थ, शिशपा, ( स्त्री. ) वृक्ष विशेष | सरसई । ( न.) छींका | शिक्यित, (त्रि. ) छींक़े पर रखा हुआ । शिक्ष, (क्रि. ) अभ्यास करना । पढ़ाना | शिक्षा, (स्त्री. ) पथरास्ता उपदेश । सखि । अभ्यास | अक्षरों के उच्चारण को बतलाने वाला वेद का श्रङ्ग विशेष | विद्या | शिक्षागुरु (पुं. ) विद्या सिखाने बाला | शिक्षित, (त्रि. ) अभ्यासी । शिक्षा प्राप्त । शिति (पुं.) मोर पिच्छ । चूड़ा। चोटी! शिखण्डक, (पुं. ) काकपक्ष । शिखण्डिक, (पुं.) मुर्गा | शिखण्डिन्, (पुं.) कल्गी वाला । तीर मयूर | मोर | द्रुपद राजा का १ पुत्र | विष्णु । शिखर, ( न. ) . पहाड़ की चोटी । अन्त । सिरा | शिखा, ( स्त्री. ) शिर के बालों की चोटी । शिखाकन्द, (न.) गाजर 1. शिशिध्वज, ( पुं. ) धूम . शिखिन, (पुं. ) मोर। आग | चित्रक पेड़ | केतुग्रह । कुकट | घोड़ा। ब्राह्मण | तीर | पहाड़ | तीन की संख्या दीपक | बैल । शिखिप्रिय, ( पुं. ) छोटा नेर । जङ्गली बेर । शिखिमोदा, (स्त्री.) अजमोदा । श्रज- वाइन । शिखिवाहन, ( पुं.) कार्तिकेय | शित्रु, ( पुं. ) सहजना का पेड़ | हर प्रकार का शाक । शिघ्, (क्रि.) सूचना | शिघाण, (न.) काच का बर्तन | लोहे का मैल । नाक का मैल । श्लेष्म शिजू, (क्रि. ) शब्द का स्पष्ट सुनाई न पड़ना । शिखा, (स्त्री.) गहनों का शब्द । कमान का चिल्ला । शिञ्जिनी, ( स्त्री. ) कमान का चिह्ना । शित, (त्रि.) दुर्बल | पैना किया हुआ | शितद्दु, ( पुं. ) सतलज नदी । शितशूक, ( पुं. ) यव । जौं । शिति, (पुं. ) भोजपत्र का पेड़ 1 ( त्रि. ) काले रङ्ग या चिट्टे रङ्ग का। शितिकण्ठ, (पुं. ) महादेव | नीलकण्ठ | शिथि • चतुर्वेदीकोष | ३५६ शिथिल, (त्रि. ) ढीला | कमज़ोर । मन्द' । मूर्ख | धीमा | सुस्त | शिनि, ( पुं. ) सात्यकी का मामा । यदुवंशीय एक क्षत्रिय | शिप्र, ( पुं. ) तालाब । नदी । शिफाकन्द, ( पुं. ) कमल के फूल की जड़ । शिरःफल, ) नारियल । शिरःशूल, (न. ) सिर की पीड़ा | शिरज, (पुं. ) केश। बाल । शिरस्, ( न. ) मत्था । सिर । आगे सिरा। शिरसिरुह, ( पुं. ) बाल | केश | शिरस्क, (न. ) टोपी पगड़ी | मुरेठा | शिरस्त्र, (न.) पगड़ी | मुरेठा | शिरस्य, ) सिर पर उत्पन्न । बाल शिरा, ( स्त्री. ) नाड़ी । शिराल, (त्रि, ) नाड़ी वाला । शिरीष, (पुं.) सिरस का पेड़ | शिरोगृह, (न. ) अटारी | श्रटा | शिरोधरा, (स्त्री.) ग्रीवा | गर्दन । शिरोधि, ( स्त्री. ) ग्रीवा | गर्दन । शिरोमणि, (पुं. ) चूड़ामणि । शिरोरुह, ( पुं. ) केश | बास | ) शिरोवेष्ट, ( पुं. ) पगड़ी | मुरेठा | शिल्, (क्रि. ) एक एक दाना बीनना । शिल, (न.) खेत में बेकाम पड़े अन्न के दानों को बीनना | पत्थर शिलाकुट्टक, (पुं.) बैनी । पत्थर काटने का औज़ार | शिलाजतु, (न. ) उपधातु विशेष । शिला- जीत । शिलाभेद, (पुं. ) सङ्गतराश की बैनी । शिलासार, (न. ) लोहा + शिलि, ( पुं. ) भोजपत्र का पेड़ । दहरी की लकड़ी । शिलिन्द, ( पुं. ) एक प्रकार की मछली । शिव शिली, ( स्री. ) दहरी के नीचे की लकड़ी । एक प्रकार का कीट खम्भे का ऊपरी भाग तीर मादा मेंडक | शिलीन्ध, ( न. केले का फूल । एक प्रकार की मछली । वृक्ष विशेष । श्रोला । शिलीमुख, (पुं ) मधुमक्षिका । तीर । ॥ युद्ध । मूर्ख । शिलोञ्चय, (पुं.) पर्वत । शिलोञ्छ, (पुं. ) खेत में पड़े हुए अनाज के दानों को बीनना | शिल्प, ( न. ) कारीगरी । श्रुवा । आकार । सृष्टि । शिल्पकारिन्, (त्रि. ) कारीगर | शिल्पशाला, ( स्त्री. ) कारीगरी का घर । शिल्पशास्त्र, ( न. ) शिल्प सिखाने वाला शास्त्र या विद्या | शिल्पिन्, (त्रि. ) कारीगर । शिव, (न.) मङ्गल । जल सेंधानोंन । सुहागा । ( पुं. ) महादेव । मोक्ष । गुग्गल । वेद । पुण्डरीक का पेड़ । काला धतूरा पारा देवता। लिङ्ग । एक शुभ योग | वेद । पारा । शिवक, (पुं. ) एक कील । शिवचतुर्दशी, ( स्त्री. ) फाल्गुन कृष्ण १४ शी । शिवदूती, ( स्त्री. ) दुर्गा की मूर्ति विशेष । शिवद्रुम, ( पुं. ) शिवजी का प्यारा वृक्ष | शिवधातु, ( पुं. ) पारा शिवपुरी, ( स्त्री. ) शिवजी की नगरी । उज्जैन और काशी प्रसिद्ध हैं । शिवरात्रि, ( स्त्री. ) शिवजी की उपासना के लिये रात्रि विशेष कृष्ण पक्ष को चतुर्दशी । शिवलिङ्ग, ( न. ) शिव का श्राकार | शिवलोक, (पुं. ) कैलास । शिववाहन, (न. ) वृषभ | बैल | ″ चतुर्वेदी कोष । ३५७ .. शिव . धतूरा फल | शिवबीज, (न. ) पारा | शिवशेखर, (पुं. ) चन्द्रमा । शिवसुन्दरी, ( स्त्री. ) दुर्गा | शिवा, (स्त्री.) पार्वती । गीदड़ी | सौभाग्य - वती स्त्री | शमी वृक्ष । आमला । दूर्वा । हल्दी । शिवानी, (स्त्री.) पार्वती जयन्ती वृक्ष । दुर्गा | शिवालय, (न. ) श्मशान या शिवजी का मन्दिर | शिवालु, ( पुं. ) गीदड़ शिवि, ( पुं. ) हिंस्र पशु । भोजपत्र का पेड़ । उशीनर राजा का पुत्र | शिविका, ( स्त्री. ) डोली । पालकी । शिविर, (न. ) छावनी । शिशिर, (न. ) माघ और फागुन के मास की ऋतु । शिशु, ( पुं. ) बालक । बच्चा । आठ और १६ वर्ष के भीतर उम्र का बालक । शिष्य | चेला | शिशुत्व, (न. ) बचपन | शिशुपाल, ( पुं. ) चेदि केश का एक राजा | शिशुपालहन्, ( पुं. ) श्रीकृष्ण । शिशुमार, (पुं.) जल का जीव विशेष : बालग्रह, जिससे बच्चे मर जाते हैं । शिश्न, ( न. ) लिङ्ग | शिश्विदान, (त्रि. ) सच्चरित्र | पवित्र | बदचलन | पापी । शिष्, (क्रि. ) चोटिल करना वध करना । बचाना पहचानना । शिष्ट, (त्रि.) शान्त | वेद्र के वचनों पर विश्वास करने वाला बचा हुआ । शिक्षित । चतुर । बुद्धिमान् । प्रतिष्ठित । मुख्य | नम्र | सर्वोत्तम । सज्जन | शिष्टाचार, ( पुं. ) सज्जनों का आचार | शिष्टि, ( स्त्री. ) आईन । श्रज्ञा । • सजा | दंड शिष्य, (त्रि. ) छात्र । विद्यार्थी । शी, ( क्रि. ) लेटना । सोना । आराम शीतां करना । शी, ( स्त्री. ) श्राराम । निद्रा । शान्ति । शी, (क्रि. ) छिड़कना | भिगोना । धीरे धीरे चलना । क्रोध करना । श्राई करना | • सन्तोष करना | बोलना । चमकना । शीकर, (पुं.) साध बहना । पानी के कण । हवा । शीघ्र, (त्रि. ) जल्दी । • शीघ्रचेतन, (पुं. ) जल्दी जांगने वाला । . कुत्ता | शीत, (न. ) ठण्डा | पानी । बर्फ । ( त्रि. ) ठण्डा । सुस्त । शीतक, (पुं. ) शीतकाल | सर्दी । सुस्त मनुष्य | बिच्छू | निश्चिन्त मनुष्य | शीतकर, (पुं. ) चन्द्रमा | कपूर | शीतकाल, ( पुं. ) जाड़े की ऋतु । शीतकृच्छ (पुं. ) एक प्रकार का व्रत । इस व्रत में तीन तीन दिनों तक क्रमशः दही, घी और दूध पी कर रहना पड़ता है । शीतगु, ( पुं. ) चन्द्रमा कपूर | शीतभानु, ( पुं.) चन्द्रमा कपूर | शीतभीरु, ( स्त्री. ) मालती । ( त्रि. ) सर्दी से डरा हुआ। शीतरश्मि, ( पुं. ) चन्द्रमा | कपूर | शीतल, (त्रि. ) ठण्डा । ( पुं. चन्द्रमा । कपूर | तारपीन चम्पक वृक्ष विशेष | ( न. ) ठण्डक | सर्दी । सफ़ेद चन्दन । मोती । तूतिया । कमल । वीरण | व्रत शीतलक, (न. ) सफेद कमल | शीतला, ( स्त्री. ) एक देवी । वसन्त रोग | चेचक की बीमारी | शीता, सीता, }(स्त्री.) इल का फाल । सीता। दूर्वा । शीतांशु, ( पुं. ) चन्द्रमा । कपूर | शीता •. चतुर्वेदीकोष | ३५८ शीतार्त्त, (त्रि. ) शीतपीड़ित + शीतालु, (त्रि. ) शीतबाधायुक्त | शीत्कार, (पुं. ) त्रियों की सी सी आवाज | सिसकारी | शीत्य, सीत्य } ( त्रि. ) हल चलाया हुआ । शीधु (पुं. न. ) मद्य विशेष शीम, (त्रि.) गाढ़ा | घना मूर्ख | अजगर । शीभू, (क्रि. ) शेखी मारना | कहना | शीभ्य, (पुं. ) साँड़ । शिव । शीर, (पुं.) अजगर | शीर्ण, (त्रि.) कृश | पतली | मुर्भाया हुआ | · जमा हुआ | सड़ा हुआ । भूना हुआ। सूखा । फटा हुआ । छोटा । ● शीर्वि, (त्रि. ) हानिकारी । शीर्ष, (न. ) सिर । माथा । 1 शीर्षक, (न.) शिरस्त्राण टोपी पगड़ी | सिर । सिर की हड्डी । फैसला । ( पुं.) राहु । किसी विषय या लेख का नाम, जिससे उसका स्वरूप ज्ञात हो जाय । शीर्षच्छेद्य, (त्रि.) मारने योग्य | शीर्षण्य, ( पुं. ) टोपी | पगड़ी | ( त्रि. ) बालों से उत्पन्न । शीलू, ( क्रि. ) विचारना । सोचना | मनन करना । सेवा करना । पूजा करना । अभ्यास करना पहनना | समाधि 'लगाना । शील, (न. ) स्वभाव । अच्छा आचरण | ( पुं॰ ) साँप | शुचि शुकनास, (पुं. ) स्योनाक वृक्ष । कादम्बरी में तारापी राजा का १ मंत्री | शुरू, (न.) मांस । काञ्जी । पिघला • हुआ। मीठा पदार्थ जो समय पाकर खट्टा हो गया हो । (त्रि.) निर्दय | दुर्ज्जन | खट्टा । ( स्त्री. ) सीपी शुक्लिज, (न. ) मोती . शुक्तिमत्, (पुं. ) पहाड़ शुक्किमती (स्त्री.) एक नदी । शुक्र, (न. ) वीर्य्य | बिन्दु । नेत्र रोग विशेष | एक ग्रह | दैत्यगुरु | अग्नि | चित्रक वृक्ष | जेठ का मास। चौबीसवाँ योग । शुक्रभुज्, ( स्त्री. ) मयूरनी । शुक्रला, ( स्त्री. ) उच्चटा वृक्ष | शुक्रशिष्य, (पुं. ) असुर | दैत्य | शुक्रिय, (त्रि. ) यजुर्वेद का ३६व शान्ति अध्याय । ( न. ) | शुक्ल, (न.) चाँदी | मक्खन एक प्रकार का रोग । ( पुं. ) चिट्टा रह । ( त्रि. ) चिट्टा रङ्ग वाला | साफ़ शुक्लकर्मन्, (त्रि. ) अच्छा काम करने वाला | पवित्र | साफ़ | ( त्रि. ) शुभचरित्र | शुक्लपक्ष, (पुं. ) उजियाला पाख । सफेद पंख । शीलन, ( न. ) अभ्यास | बार बार करना । शीलित, (त्रि. ) अभ्यस्त | शुक्, (क्रि. ) जाना । के शुक, (न. ) एक पेड़ । कपड़ा | व्यास के पुत्र | तोता । ( पुं. ) शोनक वृक्ष शुकदेव, (पुं.) एक महायोगी मुनि, जिन्होंने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत को सप्ताह में सुनाया। व्यासपुत्र । शुक्लवायस, (पुं.) नगला | श्वेत काक | शुक्लापाङ्ग, (पुं. ) मयूर | शुक्किमन्, (पुं. ) सफेदी । शुक्लोपला, ( स्त्री. ) सफेद मिसरी । सफेद पत्थर | शुद्ध, (पुं. ) वट वृक्ष शुचू, (स्त्री.) शोक | चिन्ता | शुन्च्, (क्रि. ) अफसोस करना । शुचि, (पुं. ) आग | चित्रक वृक्ष । जेठ का महीना । नेक चाल । ग्रीष्म ऋतु । श्रच्छा सचिव | सफेद रक्त शुचिद्रुम, ( पुं. ) अश्वत्थ वृश्च । P . शुराड चतुर्वेदीकोष । ३५६ शुराड, ( पुं. ) सूँड़ ( हाथी की ) | शराब खाना। (स्त्री. ) वेश्या । कुटनी | शुण्डार, (पुं. ) कलाल | हाथी । शुद्ध, (न. ) सैन्धव लवण | शुद्धवली (स्त्री.) गिलोय | शुद्धान्त, ( पुं. ) राजा का रनवास अन्तःपुर | शुद्धा पहुति, ( स्त्री. ) अर्थसम्बन्धी अलङ्कार विशेष । शुद्धि, ( स्त्री. ) सफाई | दुर्गा | देवी । शुद्धौदनि, ( पुं. ) बुद्ध का पिता | शुध् (क्रि. ) साफ़ होना | घटाना | शुन्, (क्रि.) जाना शुन, (पुं. ) कुत्ता | शुनःशेफ, (पुं.) विश्वामित्र का श्रजीगर्त के श्रौरस से उत्पन्न । शुनक, (पुं.) मुनि विशेष । कुत्ता पिल्ला । धर्मपुत्रशुल, (न. ) ताम्र | ताना। रस्सी । . । } ( पं. ) इन्द्र ॥ उल्लू । शुनाशीर, शुनासीर, शुनी (स्त्री.) कृतिया शुन्धु, (क्रि. ) साफ करना । शुम्भू (क्रि. ) चमकना चमकाना | शुभ, (न. ) मङ्गल। भलाई ( त्रि. ) । भलाई वाला । शुभंयु, (त्रि.) शुभान्वित | भलाई वाला | शुभमंह, (पुं.) साधुग्रह | अच्छा ग्रह । शुभङ्कर, (त्रि.) मङ्गलकारक। शुभद, ( पुं. ) पीपल का पेड़ ( त्रि. ) मङ्गलकारी | शुभ्र, (न.) अवरक | रूपा । चन्दन । सैंधा नॉन । शुभ्रदन्ती, ( स्त्री. ) पुष्पदन्त दिग्गज की इथिनी । शुम्भ, (पुं. ) एक दानव विशेष । शुम्भमर्दिनी, (श्री. ) शुम्भ दैत्य को मारने वाली देवी दुर्गा | शूकं शुरू (क्रि. ) मार डालना। शुल्क, (क्रि. ) कहना। देना । वह द्रव्य, जो इनाम के तौर पर चिड़िया पशु आदि को फँसाव से छुड़ाने को दिया जाय । भेट | उपहार • शुल्क, ( पुं. न. ) मोल फ़ीस कर (टैक्स)। घाट आदि की उतराई में दिया जाने वाला द्रव्य | श्रनियमित द्रव्य । एक प्रकार का स्त्रीधन लड़की का मूल्य दहेज यौतुक । देखो शुल्क् क्रिया । शुल्कस्थान, ( न. ) चुकी वसूल करने का स्थान | उपहार बँटने की जगह वह कचहरी, जहाँ लगान या फ्रीस आदि दिया जाय । शुल्च, (न.) आचार। यज्ञ का कार्य । रस्सी तामा । शुश्रूषण, (न. ) सेवा करना | सन्तोषप्रद चेष्टा करना । शुश्रूषा, ( स्त्री. ) सुनने की चाह । उपासना सेवा बरदाश । परिचर्या । शुष, (क्रि.) सूखना शुष, (पुं. ) गर्त | गढ़ा। बिल | शुषिर, (न.) छिद्र बंसी आदि बाजा (त्रि. ) सच्छिद्र ( पुं.) मूसा | आग | शुष्क, (त्रि.) धूप आदि से सूख गया । सूखा शुष्कल, (न.) सूखा हुआ मांस | शुष्कवैर, (न.) उद्देश्यशून्य कलह | व्यर्थ की शत्रुता या वैमनस्य । शुष्कत्रण, (पुं.) सूखा घाव शुष्मन्, (न.) तेज | शौर्य । ( पुं. ) अग्नि । चित्रक वृक्ष | शुक, (. पुं. न. ) यव शिखा। नोक। काँटा दया। ममता । एक प्रकार का विषैला कीड़ा। शकर, (पुं.) सुअर शुक चतुर्वेदीकोष । ३६० शूकरइष्ट, (पुं. ) एक प्रकार की घास, जिसे सूबर चाव से खाते हैं। मुस्ता । मोथा । नागरमोथा हरा | शूकल, ( पुं. ) चञ्चल । घोड़ा । शूद्र, ( पुं. ) चतुर्थ वर्ण । शुद्धकर्मन्, (न. ) शुद्ध का कामु अर्थात् द्विजातियों की सेवा | शुद्धावेदिन, ( पं. ) शुद्धा के साथ विवाह करने वाला । शूना, ( स्त्री. ) कसाईखाना । शून्य (त्रि. ) श्राकाश खाली बिन्दु । भाव कम | तुच्छ | रहित । शून्यवादिन, (पुं.) बौद्ध विशेष | अनीश्वर- वादी । नास्तिक | शुर् (क्रि. ) रोकना । वध करना । वर बनना। बल दिखलाना। शूर, (पुं. ) वीर | वसुदेव नामी यादव | सूर्ख | सिंह | सूअर | एक मछली | शरसेन, ( पुं. ) एक देश । यदुवंशी एक राजा। शर्प, (क्रि. ) मापना । शूर्प, ( पुं. ) सूप नाज फटकने का बाँस का बना हुआ सूप शूर्पकर्ण, (पुं. ) सूप जैसे कान वाला | गज | हाथ। शूर्पणखा (श्री. ) रावण की बहिन । • राक्षसी । शूर्म्म, (पुं.) लोहे की मूर्ति शुलू. (कि. ) रोगी होना। चिल्लाना। पीड़ित होना । शूल, (पुं. न. ) रोग विशेष | लोहे का तेज फाला। त्रिशूल चिह्न । एक मुनि । नवाँ योग । शूलघातन, (न. ) मराहूर शूलद्विष, (पुं. ) हॉग | शूलधन्वन्, (पुं.) शिव । शूलधर, (पुं.) शिव । भृङ्गि शूलधारिन्, (पुं.) शिव | शूलपाणि, (पुं. ) शिव शूलाकृत, (त्रि. ) कमान | शुलिक, (त्रि. ) लोहे की सींक पर चढ़ा कर पकाया हुआ मांस | शूलिन्, (पुं. ) शूल रोग वाला। शिव । शूल्य (त्रि.) कबाब | शृगाल, १ ( पुं.) सियार । गीदड़ । एक सुगाल, दैत्य । वासुदेव । ( त्रि. ) निर्दय | नांच | शृगालिका, ( स्त्री. ) गीदड़ी | शृङ्खल, (पुं. ) लोहे की जञ्जीर। बेड़ी । शृङ्ग, (न.) चोटी प्राधान्य बड़ाई । काम का उद्रेक पशु आदि का सींग । बाजा विशेष । शृजन्मूल, (पुं.) सिंघाड़ा शृङ्गवत् (पुं. ) भारतवर्ष के १ सीमा के एक पर्वत का नाम सींग के समान । सींग वाला । . शृङ्गवेर, (न. ) अदरक सोंठ रामचन्द्र के मित्र गुड़ का नगर शृङ्गाट ( पं. ) चतुष्पथ | चौराहा । शब्दालङ्कार | शृङ्गार, (पुं. ) रस विशेष प्यार सजा- वट | चिह्न । लौंग अदरक सिन्दूर 1. गहना । शृङ्गारिन, ( पुं. ) सुपारी। हाथी । प्रेमी | ताम्बूल शृंगार करने वाला। भृङ्गिक, (न. ) एक प्रकार का विष साँगिया | शृङ्गिका, ( स्त्री. ) भोजपत्र का वृक्ष । स्टङ्गिण, (पुं. ) मेड़ा । भृङ्गिणी (स्त्री. ) गौ। अरबी चमेली । टङ्गिन्, (त्रि. ) सींग वाला | चोटी वाला । पुं.) पहाड़। हाथी । मेदा । वृक्ष । शिव शिव के गण का नाम । · " श्रृङ्गी भृङ्गीरिस्तुण्डी । ५ टङ्गी शृङ्गी, (.) श्राभूषण का सोना । ओषधि की जड़ी । विष विशेष | शृङ्गीकनक, ( न. ) आभूषण में लगाने योग्य सोना । टणि, ( स्त्री. ) अङ्कुश श्रुत, (त्रि.) पका हुआ । धू, (क्रि. ) अपान वायु छोड़ना । गीला करना । आर्द्र करना। पकड़ना काटना धु (पुं.) बुद्धि | भग | गुदा | ट, ( कि. ) टुकड़े टुकड़े कर डालना । चीर फाड़ डालना । नष्ट करना । चतुर्वेदीकोष । ३६२ शेखर, (पुं. ) शिखा | चोटी | मुकुट | शेफ, (पुं. न. ) लिङ्ग । शेफालिका, ( स्त्री. ) फूलदार वृक्ष | सुहांजना | शेमुषी, (स्त्री.) बुद्धि । शेव, (पुं.) लिङ्ग । शेवधि, ( पुं. ) किसी मोह की चरम सीमा । पद्म आदि नौ प्रकार की निधि | खजाना | बेहद । शेवाल, (न. ) सिवार एक प्रकार की घास जो मन्द प्रवाह वाली नदियों में उगती और चीनी साफ़ करने के काम आती है। शेष, (पुं. ) स्वामी नारायण प्रलय हो जाने पर भी बच रहने वाला । अनन्त । सर्पराज | बाक़ी । शेषा, (स्त्री.) देवता पर चढ़ी माला आदि निर्माल्य वस्तु । बाकी बची हुई । शैक्ष, (पुं. ) शिक्षा नामक व्याकरण अन्थ को पढ़ने या जानने वाला । शैखरिक, ( पुं. ) अपामार्ग । शैत्य, (न.) शीतलता। सर्दी । ठण्डक । शैथिल्य, ( न. ढीलापन | शैनेय, ( पुं. ) सात्यकि नाम यादव | शैल, ( पुं. ) पहाड़ । ( न. ) पहाड़ों में उत्पन्न गन्ध द्रव्य | शैलज, (न. ) एक प्रकार का गन्ध द्रव्य | शिलाजित् । शैलजा, ( स्त्री. ) गज पिप्पली | दुर्गा । शैलधर, ( पुं. ) श्रीकृष्ण । शैलभित्ति, (पुं. ) पत्थर तोड़ने का औज़ार छैनी । शोथ शैलराज, (पुं. ) हिमालय । शैलशिविर, (न. ) समुद्र । शैलसुता, ( स्त्री. ) पार्वती । शैलाग्र, (न. ) पहाड़ की चोटी शैलाट, ( पुं. ) शेर । भलि । किरात शैलालिन, ( पुं. ) शैलूष । नट । शैली, ( स्त्री. ) नियम । रीति । शैलूष, ( पुं. ) नट | बिल्व वृक्ष । धूर्त्त । ताल देने वाला । शैव, (त्रि.) शिवभक्त । ( न. ) पुराण विशेष | मङ्गल कार्य । शैवलिनी, ( स्त्री. ) नदी | शैवाल, (न. ) पानी में उपनने वाली घास | सिवार | घोड़ा । · शैव्य, (पुं. ) शिवगोत्रोद्भव राजा विशेष | शैशव, ( न. ) बचपन । शिशुपाल । बालपन । शैशिर, ( पुं. ) काली चिड़िया | तेज- करना | शो, (क्रि. शोक, ( पुं. ) वियोग जनित कष्ट | दुःखी । शो, ( पुं. ) कदम्ब का पेड़ | शोचिषकेश, ( पुं. ) आग । चित्रक पेड़ | शोचिस्, ( न. ) प्रभा । चमक | शोच्य, (त्रि.) क्षुद्र | दया योग्य | शोए, (क्रि. ) जाना । शोण, ( न. ) सिन्दूर | रुधिर | लाल गन्ना | मङ्गल ग्रह । ( पुं. ) आग | शोणित, ( न. ) लोहू । शोणितपुर, (न. ) बाणासुर की राजधानी | शोगोपल, ( पुं. ) माणिक्य । लाल । शोथ, ( पुं. ) सूजन | शोथ 'चतुर्वेदकोष | ३६२ शोथघ्नी, ( स्त्री. ) शालपणीं । पुनर्नवा | शोधन, (न. ) शौच । सफ़ाई । विष्ठा । ऋण चुकाना धोना । सँवारना । शांधित, (त्रि. ) मार्जित । हूँढा | धोया । सँवारा | शोफ, ( पुं. ) सूजन | शोभन, ( न. ) कमल का फूल (पुं.) पांचवां योग । (त्रि.) शोभावाला । शोभाञ्जन, (पुं. ) सुहांजने का पेड़ | शोष, ( पुं. ) सुखाना । मिर्गी का रोग | शोषण, (न. ) चूस कर रस पीना। सुखाना | कामदेव । एक तीर । शौक, (न.) तोतों का गिरोह | शौकर, (न. ) एक तीर्थ । शौक्लिकेय, ( न. ) मोती । शौक्ल्य, ( पुं. ) श्वेतता । सफेदी । शौच, (न.) सफ़ाई | पवित्रता । शौटीर, (त्रि. ) त्यागी | बानी वीर । अहङ्कारी ।" शौजू, (क्रि. ) अभिमान करना । शौण्ड, (त्रि.) मत्त । दक्ष शौण्डिक, ( पुं..) कलार शौण्डीर, शौद्र, ( पुं. ) शुद्धा से उत्पन्न बेटा । शौद्धोदनि, ( पुं. ) बौद्ध मुनि विशेष । शौनक, ( पुं. ) एक मुनि । शौतिक, ( पुं. ) कसाई । बहेलिया शिकारी | । शौभिक, (त्रि. ) मदारी। चेटकी। शौरि, ( पुं. ) वसुदेव या सूर्य का पुत्र । विष्णु | शनैश्चर | शौर्य्य, ( न. ) वीर्य्य | शक्ति | . शौकिक, ( पुं. ) तहसीलदार शुल्क उगाहने वाला। ठेकेदार शौवस्तिक, (त्रि.) कल के दिन का । शौष्कल, (पुं.) सूखे मांस को बेचने वाला । चुत्, (क्रि. ) बहना । कलार (त्रि.) अहङ्कारी । श्रण श्योत्, (क्रि. ) बहना | श्च्योत, (पुं.) चारों ओर सींचना । श्मशान, (न.) मरघट | श्मशानवासिन्, ( पुं. ) महादेव । वटुक भैरव । चाण्डाल श्रादि । भूत, प्रेत आदि । श्मश्रु, ( न. ) मूँछ । दाढ़ी । श्मश्रुमुखी, ( स्त्री.) पुरुष के लक्षण वाल युवती । श्मश्रुल, (पुं. ) दाढ़ी वाला । श्मश्रुवर्द्धक, ( पुं. ) नाई । श्यान, (त्रि.) गाढ़ा | सूखा । श्याम, (पुं.) वृद्ध दारक वृक्ष अक्षयवट || नीला । काला । श्यामकण्ठ, (पुं. ) मोर | शिव | नीलकण्ठ | पक्षी विशेष । श्यामल, ( पुं. ) काले रङ्ग वाला । श्यामलता, ( स्त्री. ) कालापन । हरा रङ्ग । श्यामसुन्दर, (पुं. ) श्रीकृष्ण । श्यामा, (स्त्री.) एक श्रोषधि । वह स्त्री जिसके बाल बच्चा अभी उत्पन्न न हुआ हो और उमर सोलह वर्ष की हो। यमुना । रात्रि | गिलोय | गुग्गुल । नील | हल्दी । पीपल । तुलसी । छाया। शिशपा वृक्ष । गौ । एक पक्षी । स्त्री विशेष | श्यामाक, (पुं. ) धान भेद | श्यामाङ्ग, (पुं. ) बुध ग्रह । (त्रि.) क शरीर वाला । श्याल, ( पुं. ) साला। श्याव, (पुं.) काला पीला रङ्ग । श्यावदत्, (त्रि.) काले दांतों वाला । श्यावदन्त, (पुं.) स्वभाव ही से जिसके दांतों का रङ्ग काला है । श्येत ( पुं. ) सफेद श्येन, (पुं. ) बाज पक्षी । उल्लू । श्यै, ( कि. ) जाना | श्यैनम्पात, ( स्त्री. ) शिकार | हेर श्रण, (क्रि. ) देना ! श्रत् अत्, ( श्रव्य. ) गुरु और वेदान्त पर विश्वास । अथ्, (क्रि. ) चोटिल करना । वध करना | बांधना । छुड़ाना । प्रसन्न होना । निर्बल होना । चतुर्वेदीकोष । ३६३. • अथन, (न. ) यल करना । प्रसन्न होना । श्रद्धा, (स्त्री.) आदर । गुरु और वेदान्त के वचनों पर विश्वास । स्पृहा । शुद्धि । विश्वास | श्रद्धालु, ( स्त्री. ) गर्भवती स्त्री जिसको किसी वस्तु की इच्छा हो । ( त्रि.) श्रद्धा वाला | विश्वासी । • अन्थ्, ( कि. ) गूथना । छुड़ाना | वध करना । श्रपित, (त्रि. ) पका हुआ। श्रम, (क्रि. ) तपस्या करना । A श्रवणद्वादशी, ( स्त्री. ) भाद्र शुक्ला एका- दशी । वह द्वादशी जिसके साथ श्रवण नक्षत्र हो, प्रायः भाद्रपद में अवश्य होती है । इसका नाम हरिवासर है। इसमें भोजन करने से बारह महीनों की एका- दशी के व्रत का फल नष्ट जाता है। अविष्ठा, (स्त्री. ) अति प्रसिद्ध । धनिष्ठा तारा । अवसू, (न. ) कान । कीर्ति। यश ।● आ, (क्रि. ) पकाना। श्राद्धदेव, (पुं. ) इस नामका एक मनु | यमराज | श्राद्ध के प्रधान देवता धूर्लोचन, विश्वेदेवा आदि । एक मुनि । श्राद्धदेवता, ( स्त्री. ) श्राद्ध कर्म में निमन्त्रण देकर पितर बनाये हुए ब्राह्मण + विश्वेदेवा और धूर्लोचन आदि । श्रीविष्णु । पितर । ● श्रीद श्रम, ( पुं. ) शास्त्राभ्यास | आयास । तपस्या ? खेद । परिश्रम | श्रमण, (पुं. ) भिक्षुक विशेष । श्रमिन, ( त्रि. ) मेहनती । श्रम्भू, (क्रि. ) भूलना। श्रय, (पुं. ) श्राश्रय | सहारा । श्रि, (क्रि. ) सेवा करना । श्रित्, (त्रि. ) सेवित । आश्रित । श्री, (क्रि. ) पकाना । श्री, ( स्त्री. ) शोभा | लक्ष्मी । “लौंग | वायी | सम्पत्ति | बुद्धि | सिद्धि । शव, ( 9 ) कान। ख्याति । श्रीकण्ठ, (पुं. ) शिव । मोर | कुरुजाङ्गल देश | श्रवण, (न.) कान । सुनना । बाईसवां भीकर, ( न. ) लाल कमल का फूल । विष्णु। नक्षत्र | दाय विभाग सम्बन्धी अन्थ का एक रच- यिता पण्डित । ( त्रि. ) सजाने श्राद्धिक, (त्रि. ) श्राद्ध में देने योग्य पदार्थ का खाने वाला । श्राद्धभोजी ब्राह्मण । श्रान्त, (त्रि. ) श्रम वाला | शान्त | जितेन्द्रिय थका हुआ । श्रावण, (पुं. सावन मास । कान से सुनी निश्चित बात । श्रावन्ती, ( स्त्री. ) धर्मपत्तन नाम की नगरी । - वाला । श्रीकान्त, ( पुं. ) विष्णु । श्रीखण्ड, (न. ) चन्दन | श्रीगर्भ, (पुं. ) विष्णु । खङ्ग । तिजोरी । श्रीघन, (पुं.) बहुत बुद्धि वाला । ( न. ) दही । श्रीचक्र, (न. ) त्रिपुर-सुन्दरी की पूजा का विशेष | श्रीज, (पुं. ) कामदेव । सारा संसार, क्यों कि वह जगत् की माता हैं । श्राण, (त्रि.) पका हुआ। श्राद्ध, ( न. ) पितरों की तृप्ति के लिये किया श्रीद, ( पुं. ) कुबेर । ( त्रि. ) धन देने जाने वाला पिण्डदान आदि कर्म । वाला । श्रीध चतुर्वेदीकोष । ३६४ श्रीधर, ( पुं. ) विष्णु । श्रीमद्भागवत के बविन टीकाकारों में से प्रसिद्ध एक टीकाकार ' श्रीधर स्वामी' । श्रीनिकेतन, (पुं.) विष्णु । विवाह मण्डप । शोभा भवन । महिफिल । सभा । श्रीपथ, ( पुं. ) राजपथ | कल्याणप्रद रास्ता | श्रीपर्ण, (न. ) कमल का फूल । श्रीपुत्र, ( पुं. ) कामदेव । उच्चैःश्रवा घोड़ा । श्रीपुष्प, ( न. ) लवः । श्रीफल, ( पुं. ) भिल्व का वृक्ष । नारियल | श्रीभागवत, ( न. ) श्रष्टादश पुराणों के अन्तर्गत, एक प्रसिद्ध महापुराण | श्रीमत् (पुं. ) शोभा वाला । तिलक वृक्ष " पीपल का पेड़ | विष्णु । शिव । प्रतिष्ठित | ऐश्वर्यवान् । श्रीमती, ( स्त्री. ) सुशोभिता । द्रव्यवती । राधिका | प्रतिष्ठिता | श्रीमूर्ति, ( स्त्री. ) देवप्रतिमा । प्रतिष्ठा करने के योग्य मूर्ति या व्यक्ति विशेष | श्रीरङ्गपत्तन, ( न. ) दक्षिण का एक तीर्थ विशेष, प्रसिद्ध 'श्रीरङ्गपट्टन | श्रीराम, (पुं. ) मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंन्द्र । दशरथनन्दन । सांताराम | श्रील, (त्रि.) शोभा वाला । धनवान् । श्रीविष्णु । श्रीलता, (स्त्री.) महाज्योतिष्मती लता । श्रीवत्स, ( पुं. ) श्रीविष्णु का एक प्रधान चिह्न जो सदा वक्षःस्थल में लक्ष्मी निवास का सूचक है। जैनियों का झण्डा । राजा का निज गृह | श्रीवराह, ( पुं. ) विष्णु के दशावतारों में से एक । श्रीवास, (पुं. ) सरल वृक्ष का रस । राल । विष्णु । श्रीविद्या, ( स्त्री. ) त्रिपुरसुन्दरी | श्रीश, (पुं.) विष्णु | लक्ष्मीनाथ | श्रेष्ठ श्रु, ( क्रि. ) सुनना | श्रुत, ( न. ) सुना जाता है | शास्त्र | ( त्रि. ) समझा हुआ । श्रुतकीर्ति, ( श्री. ) शत्रुघ्न की स्त्री | ( पुं . ) जिसका विख्यात यश हो । यशस्वी । श्रुतदेवी, ( स्त्री. ) सरस्वती । श्रुतबोध, ( पुं.) छन्द शास्त्र का ग्रन्थ विशेष | श्रुतश्रवस् (पुं. ) शिशुपाल का पिता । श्रुति, ( स्त्री. ) कान | वेद । सुनी बात । कहानी । श्रुतिकटु, ( पुं. ) कानों में कड़ा लगने वाला वचन । श्रोरहना । गाली गलौज । काव्य का एक दोष | श्रुतिजीविका, ( स्त्री. ) स्मृति । धर्म- शास्त्र | श्रुतिधर, ( त्रि. ) जो सुनने ही से सब समझ लेता है । जो वेद को मानता है। जिसे वेद्र कण्ठस्थ हैं | वेदज्ञ । वेदधारी । श्रुतिमूल, ( न. ) वेद । वेदविहित धर्म । कर्णमूल रोग | श्रुतिवर्जित, ( त्रि. ) बहरा । ओरा । वेद का पाठ न करने वाला | वेद का अनधि- कारी । श्रतिवेध, ( पुं. ) कनछेदन संस्कार | श्रुत्यनुप्रास, ( पुं. ) शब्दालङ्कार | श्रुत्युक्त, (त्रि. ) वेदविहित धर्म । श्रुवा, १ ( स्त्री. ) यज्ञीय पात्र विशेष । ब्रह्मा स्रुवा, 3 का हाथ । श्रेड़ी, ( स्त्री. ) गणित शाघ्र का प्रकार विशेष | श्रेणि श्रणी } (स्त्री. ) विदरहित पंक्ति । श्रेयस (न. ) बहुत सराहने योग्य । धर्म | मोक्ष शुभ ( त्रि.) बहुत अच्छा | श्रेष्ठ, (पुं.) बहुत अच्छा | कुबेर राजा | ब्राह्मणा । विष्णु । ( न. ) गौ का दूध । ( त्रि. ) सर्वोत्तम । · श्रेष्ठि . चतुर्वेदीकोष | ३६५ ● श्रेष्ठिन्, ( पुं. ) सेठ | साहूकार | श्रै, (क्रि. ) पसीजना | श्रेष्ठयम्, (न. ) उत्तमता । भलाई । श्रोण, (क्रि. ) एकत्र करना । श्रोण, (त्रि. ) लङ्गड़ा। ( पुं. ) रोग विशेष | श्रीणा, ( श्री. ) श्रवण नक्षत्र । श्रोणि, १ श्रोणी, श्रोणिफलक, ( न. ) अच्छी कमर | श्रोतव्य, ( त्रि. ) सुनने योग्य | श्रोतस्, (न. ) कान । नदी का वेग | इन्द्रियां | श्रोत्र, ( न. ) कान | श्रोत्रिय, ( पुं. ) वेद पढ़ने वाला ब्राह्मण । श्रौत, (त्रि. ) वेदविहित । ( पुं. ) गार्हपत्य हवनीय तथा दक्षिण अग्नि । ( स्त्री . ) कटि | पथ | मार्ग | श्रौत्र, (न. ) श्रोत्रिय का काम । श्रौषटू, (अन्य ) देवता को हवि देने या मन्त्र | T श्लक्ष्ण, (त्रि. ) अल्प | थोड़ा | मनोहर । ढीला | चिकना । लोहा । श्लथू, (क्रि. ) कमजोर होना । श्लथ, ( त्रि.) शिथिल । ढीला | श्लाघू, (क्रि. ) करना । ' गुणों को प्रकट श्लाघा, (स्त्री.) प्रशंसा | बड़ाई | श्लाघ्य (त्रि. ) प्रशस्य | बड़ाई के योग्य | श्लिष्, (क्रि. ) मिलना । श्लिष्ट, (त्रि. ) आलिहित | श्लेषरूप शब्दा- लङ्कार युक्त शब्द | श्लील, (त्रि. ) शोभा वाला । अच्छा शिव श्लोक, (क्रि. ) प्रशंसा करना । बनाना । बढ़ाना । एकत्र होना । श्लोक, (पुं.) कवि की रची चार पादों वाली पद्यमयी रचना । यश । कीर्त्ति । बड़ाई । श्वःश्रेयस (न. ) भलाई । सुख | परमात्मा | शिव | शुभ | भद्र | श्वदंष्ट्रक, (पुं. ) गोखरू | गोक्षुर । श्वधूर्त, ( पुं. ) शृगाल गदिङ । श्वन्, (पुं.) कुत्ता | श्वपच, (पुं.) चाण्डाल । श्वपाक, (पुं.) चाण्डाल । श्वफल, ( पुं. ) अनार | नारङ्गी | बीजपुर | • श्वफल्क, ( पुं. ) अक्रूर के पिता का नाम । श्वभीरु, ( पुं. ) शृगल | वश्भ्र, (क्रि. ) जाना । श्वभ्र, (न. ) छिद्र | छेद । टोपी । श्वयथु, ( पुं. ) सोज । सौजश । श्ववृत्ति, ( पुं. ) नौकरी । दासत्व वृत्ति । श्वानवृत्ति । श्वशुर ( पुं. ) ससुर श्वशुर्थ्य, ( पुं. ) ससुर का सन्तान | देवर | श्वश्रू, ( स्त्री. ) सास । श्वस्, (अन्य ) आने वाला दिन | कल | श्वस्, (क्रि. ) जीना। सोना। श्वसन, ( पुं. ) हवा । श्वसित, ( न. ) सांस | श्वस्तन, ( त्रि. ) आनेवाले ( कल ) तक रहने वाला पदार्थ | श्वस्त्य, ( त्रि. ) देखो श्वस्तन । श्वागणिक, ( पुं. ) कुत्तों द्वारा आखेट करने वाला । प्रशंसनीय । श्लेष, ( पुं. ) आलिङ्गन | शब्दालङ्कार १ श्लेष्मण, ( पं. ) कफ वाला । श्लेष्मन्, (पुं. ) बलगम | कफ | श्लेष्मल, (त्रि. ) कफ वाला । श्लेष्मान्तक, ( पुं. ) लसोड़े का पेड़ | बहेरा श्वास, (पुं. ) हवा | दमा का रोग फल शिव, ( कि. ) जाना । बढ़ना । श्वादन्त, ( त्रि. ) कुत्ते के दांत वाला | श्वान, ( पुं. ) कुकर । कुत्ता । श्वापद, (पुं. ) व्याघ्र । भेड़िया | शिवत् चतुर्वेदीकोष । ३६६ शिवत्, (क्रि. ) सफेद करना । शिवत्र, (न. ) सफेद । श्वेत । शिवत्रिन्, (त्रि. ) सफेद कोढ़ का रोगी । शिवत, ( पुं ) एक द्वीप । एक पहाड़ | शुक्र ग्रह । शंख । सफेद बादल । जीरा । ( न. ) रौप्य | श्वेतद्वीप, (पुं. ) विष्णु के रहने का द्वीफ | श्वेतधामन्, ( पुं. ) चन्द्र कपूर | समुद्र की आग | श्वेतपत्र, (पुं. ) हंस । श्वेतपद्म, (न. ) सफ़ेद कमल का फूल | श्वेतपिङ्गल, ( पुं. ) सिंह | शेर | श्वेतरक्ल, (पुं. ) गुलाबी । श्वेतवाजिन्, (पुं. ) चन्द्र | अर्जुन | श्वेतवासस् (पुं. ) श्वेतवस्त्रधारी विरक्त वैष्णव | शुक्लाम्बर विष्णु । एक प्रकार का संन्यासी । श्वेतवा ( पुं. ) इन्द्र | अर्जुन | चन्द्र । श्वेतवाहन, (पुं.) चन्द्र | इन्द्र | अर्जुन | श्वेतसर्षप, (पुं.) सफेद सरसों । श्वेतहय, ( पुं. ) उच्चैःश्रवा घोड़ा । श्वेता, (स्त्री.) कौड़ी | वंशरोचना | शर्करा | श्वेतोही, ( स्त्री. ) शची । श्वैत्य, (न. ) शुक्लवर्ण | सफ़ेद रङ्ग । श्र्वत्रय, } (न.) सफेद कोद । ष ष, ( त्रि. ) सर्वोत्तम । बुद्धिमान् | ( पुं. ) हानि | नाश । अन्त । शेष । मोक्ष श्रज्ञान | स्वर्ग | निद्रा । विद्वान् जन । चूंची की बोंड़ी | केश | गर्भविमोचन | बगू, (क्रि.) छिपाना । (क्रि. ) सींचना | मिलना। षट्कर्मन्, (न.) छः प्रकार के तन्त्रोक्त काम | यथा - स्तम्भन, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषण और मारण । श्रथवा - पड़ना और पढ़ाना, यश करना और कराना, दान लेना और देना, ये छः कर्म ब्राह्मणों के हैं । (पुं. ) ब्राह्मण । षट्कोण, (न. ) छः कोन वाला | लग्न से छठवां स्थान । सुदर्शन चक्र | षट्चक्र, (न. ) छः चक्र | योगाभ्यास में • प्राणायाम के वायु को रोकेन के छः स्थान | उनका प्रधान स्थान | उन चक्रों को बताने बाला ग्रन्थ | षट्चत्वारिंशत्, ( स्त्री. ) छियालीस । ४६ । षट्चरण, (पुं. ) भौंरा | छः पाँव वाला षटपदी स्तोत्र | बहू, (क्रि. ) रहना | बल करना । षट् तिलिन्, ( पुं. ) तिलों का मर्दन आदि छः कर्म । षत्रिंशत् ( स्त्री. ) छत्तीस । ३६ | पट्पञ्चाशत् ( स्त्री. ) छप्पन | ५६ | टूपदी (स्त्री. ) भौरी । छः वरण का एक छन्द | जूं | षट्प्रश, ( पुं. ) धर्मादि को भली भांति समझने वाला छिः शास्त्र जानने वाला । षडङ्ग, (न.) वेद के छः श्रङ्ग । यथा शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष । पद, धन, जटा, क्रम, निरुक्क और निघण्टु छः अंगों वाला वेद । षडभिश, (पुं. ) बौद्ध विशेष । षडशीति, ( स्त्री. ) छियासी | ८६ । सूर्य का संक्रमण विशेष | षडशीतिमुख, ( क्रान्ति का मुख । न. .) षडशीति नाम सं- षडानन, (पुं.) कार्तिकेय | स्वामिकार्तिक । षडूमि, (पुं. ) परमेश्वर । षड्गव, (त्रि. ) छः बैलों वाला छकड़ा या हल । षड्गुण, (पुं. ) राजाओं के छः सन्धि आदि गुण । षड्ग्रन्थि, (न. ) पीपलामूल । षड्ज, ( पुं. ) सात में से एक स्वर | षड्दीर्घ, ( पुं. ) छः दीर्घ जैसे— श्रा, ई, ऊ, ऐ, औ, श्रः । बड् चतुर्वेदीकोष । ३६७ षड्धा, ( श्रव्य. ) छः प्रकार | षड्रस, ( पुं. ) छः रस ( मधुर, श्रम्ल, लवण, कट्टु, तिक्त और कषाय ) । षड्वर्ग, ( पुं. ) षट्टिपु । काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य | षण, (क्रि. ) देना । शण्ड, } ( पं. ) बैल । हिजड़ा । ढेर । षरामुख, (पुं.) स्वामिकार्त्तिक । षडानन । षद्, (क्रि. ) विषाद करना । वध करना । जाना । बञ्ज, ( कि. ) मिलना । षषू, (त्रि. ) छः । ६ । षष्टि, ( स्त्री. ) साठ | पष्टितम (त्रि.) साठवीं | षष्टिसंवत्सर, (पुं. ) प्रभव आदि ज्योतिष के प्रसिद्ध साठवर्ष । . षष्ठ, (त्रि.) छठा । षष्ठक, (त्रि. ) छठवाँ हिस्सा। षष्ठांश, (पुं. ) छठवां हिस्सा जो कररूप में किसान राजा को देते हैं । षष्ठान, (त्रि. ) दिन के छठवें भाग में भोजन करने वाला । षष्ठी, (स्त्री.) मातृका । छठी देवी । षस्, (क्रि. ) सोना । षस्ज्, (क्रि. ) फैलना। सरकना । षहू, (क्रि. ) सहारना । क्षमा करना । षाड्गुण्य, ( न. ) राजनीति के सन्धि आदि छः अङ्ग । बारामातुर, (पुं. ) कार्तिकेय | जिनकी छः माता हैं। बारणमासिक, (न. ) छमाही श्राद्ध । छः महीने में पारवर्तन होने वाला अयन । " षाधू, (क्रि. ) पाना। बान्त्व, (क्रि. ) आश्वासन देना । षि, (क्रि.) बांधना। पिटू, ( कि. ) अनादर करना। . षोढा षिड्ग, ( पुं. ) धूर्त्त । लम्पट विधू, (क्रि.) जाना | व्,ि (क्रि. ) सीना | षु, ( कि. ) सोमरस का निकालना और मथना। नहाना | ष, (क्रि. ) उत्पन्न होना । पैदा होना फेंकना । ष, (क्रि. ) हटाना. षेव, ( क्रि ) सेवा करना षो, ( क्रि. ) नाश होना । षोडत, (पुं. ) छः दाँत की उम्र का बैल । षोडशन्, (त्रि.) सोलह की संख्या । षोडश, (पुं.) सोलहवाँ | चन्द्रकला | षोडशक, (न. ) प्रेत के उद्धारार्थ या निमित्त दी गयीं सोलह वस्तुएँ - पृथिवीं, श्रासन, जल, • वस्त्र, दीपक, अन्न, पान, छाता, गन्ध, माला, फल, शय्या, पादुका, गौ, सोना, चांदी । षोडशमातृका, ( स्त्री. ), यथाः—गौरी, पद्मा, शची, मेधा, सावित्री, विजया, जया, देवसेना स्वधा, स्वाहा, माता, लोकमाता, शान्ति, पुष्टि, धृति, तुष्टि । षोडशाङ्ग, (पुं.) गुग्गुल आदि सोलह माताएँ वस्तुओं की बनाई हुई धूप वह पूजा जिसमें सोलह उपचार हों। १ षोडशांघ्रि, (पुं. ) केकड़ा । षोडशार, (न.) सोलह पत्रों का कमल एक यन्त्र | 1 षोडशिन्, (पुं. ) चन्द्रमा | सोमरस डालने का पात्र । षोडशोपचार, (न. ) पूजन की सोलह वस्तु । यथा - आसन, अर्ध्य, आचमनीयक, मधुपर्क, आचमन, स्वागत, पाद्य, स्नान, वस्त्र, भूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, वन्दन | षोढा, ( श्रव्य. ) छः प्रकार | षोढान्यास, ( पुं. ) छःप्रकार के न्यास विशेष ( तंत्रोक्ल अङ्गन्यास और करन्यास ) | चतुर्वेदकोष | ३६८ (क्रि. ) बड़ाई अथवा प्रशंसा करना । ष्ट्यै, ( क्रि. ) घेरा दे लेना । ठग्, (क्रि. ) छिपाना । ष्ठा, (क्रि.) ठहरना | ष्ठिवू, (क्रि. ) थूकना । ष्ठत (त्रि.) थूका गया । वमन किया r गया । हणा, (क्रि. ) स्नान करना | साफ़ करना ।' ष्णिहू, (क्रि. ) प्यार करना। ष्मि, (क्रि.) मुसकुराना । ध्वद्, (क्रि.) प्यार करना चाटना । ध्वञ्ज, (क्रि. ) गले लगाना । प्वप्, (क्रि.) सोना । विद्, (क्रि.) स्नान करना । स स, (पुं.) सर्प । पवन । पक्षी । षडज | शिव | विष्णु | जब यह किसी शब्द के पहले लगाया जाता है, तब उस शब्द का अर्थ सम, तुल्य, सह, सदृश का अर्थ | बतलाता है । यथा - सपुत्र, सभार्थ, सतृप्य, सधन, सरोष, सकोप आदि । संक्षेप, ( पुं. ) थोड़े में । संक्षोभ, (पु. ) क्षोभ । घबराहट | संग्राहिन्, ( पुं. ) कुटज नाम का पेड़ | एकत्र करने वाला | संघ, ( पुं. ) बहुत से जीव । मेल । संघर्ष, ( पुं.) परस्पर की रगड़ | टकर | लड़ाई | संश, ( न. ) गन्थ द्रव्य विशेष | चेतना, बुद्धि, आख्या, हाथ आदि से अपने भाव को प्रकट करना । संज्ञा, (स्त्री.) गायत्री | सूर्यपली । संज्ञापन, (न. ) मारण । जतलाना । संज्ञासुत, (पुं. ) शनैश्चर । संशु (त्रि.) घुटन टेके हुए । संज्वर, ( पुं. ) आग से उत्पन्न हुई गर्मी । संमई, ( पुं. ) आपस की रगड़ । संव संयत, (त्रि. ) बँधा हुआ शास्त्र के नियम से बेंधा हुआ । प्रिय । इष्ट | माना हुआ । संयन्त्र, (त्रि. ) नियन्ता | नियम पर चलाने वाला । संयम, (पुं० ) इन्द्रियनिग्रह | व्रत के पहिले दिन किये जाने वाले कर्म । संयमन, (स्त्री. ) यमकी नगरी । संयमिन्, ( पुं. ) माने विशेष । ( त्रि. ) इन्द्रियों को रोकनेवाला । संयाव, ( पुं. ) हलवा | मोहनभोग | संयुज, ( त्रि. ) संयुक्त | जुड़ा हुआ । संयुग, ( न. ) युद्ध | लड़ाई । जङ्ग । । संयुत, (नि.) संयुक्त | मिला हुआ । संयोग, ( पुं. ) मेल । संयोजित, (त्रि. ) मिलाया हुआ । मिला हुआ। संरम्भ, (पुं.) कोप | निन्दा | उत्साह | वेग | संराधन, ( न. ) अच्छे प्रकार सोचना । संराव, (पुं.) शब्द । श्रावाज | संरूढ, (त्रि.) प्रौढ | श्रङ्कुरित | जमा हुआ। संरोध, (पुं. ) रोकना | फेंकना | संलग्न, (त्रि. ) लगा हुआ | सटा हुआ | संलप, (पुं. ) एकान्त मे बातचीत संवत्सर, (पुं. ) वत्सर । बरिस साल | संवत्, ([अव्य. ) विक्रमादित्य के राज्य से " चला शाका | संवर्त, (पुं. ) प्रलयकाल । धर्मशास्त्र - प्रणेता मुनि विशेष । भेघ । मेघराज प्रलय के समय बरसने वाला मेघ | वैसीही आग | वैसाही वायू : संवर्तक, (न.) वलदेव का हल । ( पुं. ) बाडवानल | संवर्तिका, ( स्त्री. ) दीप की लाट । नया पत्ता | संवर्द्धक, (त्रि. ) बढाने हारा | संवलित, (त्रि. ) मिला हुआ | संव चतुर्वेदीकोष | ३६६. संवसथ, (पं.) ग्राम कुटिया | संवह, (पुं. ) सप्तवायु में से एक । संवार, (पुं. ) उच्चारणसम्बन्धी प्रयत्न | छिपाना । संघास, (पुं. ) घर | निवासस्थान | संवाह, ( पुं. ) अयों को दावन वाला | चापी करने वाला संवाहन, (न. ) भार उठाना । श्रृङ्गों को 2 बाह्य दाबना । संधिग्न, (त्रि. ) उद्विग्न | घबड़ाया हुआ | संवित्ति, ( स्त्री. ) समझ | प्रतिपत्ति | बुद्धि | स्वीकृति । संविद्, ( स्त्री. ) ज्ञान । प्रतिपत्ति | समाधि | नाम । श्राचार | सङ्केत लड़ाई | प्रसन्नता । प्रतिज्ञा । संषिदा, ( स्त्री. ) सिद्धि | भाँग | उत्तम | श्रवण | श्रेष्ठ ज्ञान | संविद्वयतिक्रम, (पुं, ) प्रतिज्ञा भङ्ग के कारण उत्पन्न विवाद | संविदित, ('त्रि. ) अङ्गीकृत 1 अच्छी तरह समझा । संविधान, (न. ) उपाय | रचना कार्य । संवीक्षण, (न. ) खोजना । भली भांति देखना | संवीत, (त्रि.) ढका हुआ । रुका हुआ मिला हुश्रा | संवृत, ( त्रि.) ढका हुआ । छिपा हुआ । संवेग, ( पुं. ) पूरा वेग । भरपूर । संवेद, ( पुं. ) उत्तम ज्ञान । संवेश, (पुं. ) नींद ( संवेशन, (न.) रतिक्रिया | भोग । संव्यान, ( न. ) चादर या ऊपर से श्रोदने का वस्त्र । हुपट्टा । अँगोळा । संशप्तक, (पुं. ) संग्राम में प्रतिज्ञापूर्वक जाने और वहां से न लौटने वाला सैनिक नीर पुरुष | संशय, (पुं. ) सन्देह संस संशयस्थ, (त्रि. ) संशययुक्त | संशयात्मन् (पुं. ) सन्देह करने वाला। शकी। संशयालु, ( त्रि. ) शक्की । जिसे सदा सन्देह बना रहे । संशयितृ, ( त्रि. ) सन्देह करने वाला संशरण, (न.) जिस में अधिक नाश हो । क्रमण युद्धारम्भ 1 संशित, (त्रि. ) निर्णय किया हुआ । संशितव्रत, (त्रि. ) अपने व्रत या नियम को भली भांति पूरा करने वाला। संशुद्धि, ( स्त्री. ) भले प्रकार की हुई सफाई | संश्यान, (त्रि. ) शीत श्रादि से सिकुड़ा हुआ । संश्रय, (पुं. ) त्रासरा | निवासस्थान | संधव, (पुं. ) श्रृङ्गीकार संश्रुत, (त्रि. ) अङ्गीकृत संश्लिष्ट, ( त्रि. ) मिला हुआ । संश्लेष, (पुं. ) मेल, संसल, (त्रि. ) मिला हुआ । अति निकट | संसद्, (स्त्री.) सभा | कमेटी | संसरण, (न.) बहाव । गमन । वाल । आक्रमण युद्धारम्भ | संसर्ग, ( पुं. ) मेल । सम्बन्ध | संसर्गाभाव (पुं. ) अनमेल मेल का न होना । संसार, ( पुं. ) विश्व | दुनिया | संसारमार्ग, ( पुं. ) योनिद्वार | दुनियाँ की राह । जगत् । संसारिन्, (त्रि.) जीवात्मा । संसिद्ध, (त्रि ) भली भांति बना हुआ | संसृति, ( स्त्री. ) सङ्गत | मेल । संसृष्ट, ( पुं. ) मिला हुआ । साझीदारों का साझा | सफ़ा किया हुआ | संसृष्टिन्, ( पुं. ) साझीदार | फिर से मिले भाई बन्द | संसर्प, (क्रि. ) डोलना | चलना । सरपट कर चलना । • चतुर्वेदीकोष | ३७० संसेक, (पुं. ) छिड़काव | सींचना | संस्कृ, (क्रि. ) सजाना। चिकनाना | सफाई करना । संस्कर्तृ, (पुं. ) रसोई दास। फरीश दीक्षा देने वाला । निषेक अन्त्येष्टि पर्यन्त सोलह संस्कार करने वाला शुद्धि करने वाला। संस्कार, ( पुं. ) धर्म, रसोई, पात्रशुद्धि, श्रनशुद्धि आदि किसी तरह की शुद्धि, जैसे मलादि शुद्धिं, धातु आदि शुद्धि । श्रुति-स्मृति आदि का अनुभवजन्य आत्मा का गुण । शास्त्र से उत्पन्न ज्ञान । योग्यता व्याकरण आदि से शुद्ध शब्द | देववाणी व्याकरण द्वारा शब्दों की साधनिका | यज्ञादि कर्मों में भूमि आदि की शुद्धि के लिये किये जाने वाले कर्म । निषेक, गर्भाधानादि सोलह संस्कार | वैष्णवी दोश सम्बन्धी पुश्च संस्कार इत्यादि । संस्कृत (त्रि. ) साफ किया हुआ। शोधित सिद्ध किया। सजाया | संस्तर, (पुं. ) पत्ते फूल आदि से बनी या कुश कांस आदि की आसनी । शय्या । सेज | बिस्तरा । संस्तव, (पुं. ) भली भांति प्रशंसा करना । संस्त्याय, (पुं. ) ढेर। पड़ोस । विस्तार | फैलाव | गृह | संस्थ. (त्रि. ) मृत | पालतू | व्यक्त ( पुं. ) रहने वाला। पड़ोसी । स्वदेशी भाई । जासूस। भेदिया। संस्थान, (न.) ढेर । संग्रह | पद रूप । बनावट | चौराहा । मृत्यु । संस्थापन, (न.) एकत्रीकरण | घुमाव । संस्थापित, ( त्रि. ) एकत्र किया हुआ | नियतः किया गया। संस्थित, ( त्रि. ) मृत ठहराया हुआ | संस्पृश, (क्रि. ) छूना | पानी छिड़कना | मिलाना संस्पृष्ट. (त्रि.) छुआ हुआ। मिला हुआ। संस्फल, (पुं. ) मेढ़ा। बादल संस्फुट, (त्रि. ) खिला हुआ । कुसुमित | संस्फेट, संस्फोट, ( पुं. ) युद्ध लड़ाई | संस्फोटि, 1 संस्मृ, (क्रि. ) स्मरण करना । संस्मृति, (स्त्री. ) स्मरण । याददाश्त । संस्रव, संस्राव, ( पुं. ) टपका बहाव । धार संहन्, (क्रि. ) दो को एक करना। ढेर लगाना मार डालना। चोट लगाना । संहत, (त्रि.) चोटिल बन्द | दृढ़ता- पूर्वक जुड़ा हुआ । एकत्र हुआ। संहति, ( मी. ) समूह । भली प्रकार चोट लगाना । संहनद, ( न.) दृढ़ता। शरीर वध अ की रगड़न । बल संहर्ष, (पुं. ) आनन्द । वायु संहार, (पुं. ) प्रलय नाश । संहिता, (स्त्री. ) पुराण । इतिहास | वेद का वह भाग जिसमें कर्मकाण्ड का प्रतिपादन किया गया है । संहूति, ( स्त्री. ) घनेकों द्वारा आहूत संहादिन, (त्रि.) शब्द करने वाला । सकर्स, (त्रि.) सुनने वाला । सकर्मक, (त्रि.) कर्म वाली क्रियाओं को बतलाने वाला व्याकरण का धातु । सकल, (त्रि. ) सम्पूर्ण समूचा सकारण, (त्रि.) कार्यसहित । कार्य सकाश, (पुं. ) समीप । पास । सकुल्य, (त्रि.) जात भाई। सगोत्र । सकत्, (अन्य ) एक बार सकृत्प्रज, (पुं. काक सकृत्फला, १ ( श्री. ) जिसमें एकही बार सकृत्फली, फल हो । केले का पेड़ । जो । ✔ एकही बार जने | सिंह सक, (त्रि.) लगा हुआ | आसक | चतुर्वेदीकोष । ३७१. • सक्नु, ( पु. ) सत्त । सतुआ । साथ, ( न. ) ऊछ । गाड़ी का अङ्क । सखि, (त्रि.) समान प्रेम करने वाला | सखी, (स्त्री.) सहेली। सख्य, (न. ) मैत्री | सगर, ( पुं. ) सूर्यवंशीय एक राजा । (त्रि.) विष वाला । सगर्भ, (पुं. ) सहोदर भाई । सगोत्र, (न. ) एक गोत्र वाला । सन्धि, ( स्त्री. ) सह भोजन । सङ्कट, (त्रि.) पीड़ा । विपत्ति । छोटा स्थान | सङ्कर, (पुं. ) दोगला । सङ्कर्षण, ( पुं. ) बलदेव । भारी खिंचाव । सङ्कलन, (न. ) सम्पादन संग्रह | सङ्कल्प, (पुं. ) हद विचार निश्चक | सङ्कल्पजन्मन्, (पुं. ) कामदेव | सङ्कल्पयोनि, ( पुं. ) कामदेव | ( सङ्कसुक, (त्रि. ) मन्द | मूर्ख | दुर्जन | सङ्काश, (त्रि. ) सदृश समान । सङ्कीर्ण, (त्रि. ) सिक्कड़ा हुआ १ ( पुं. ) दोगला | सङ्कुचित, (त्रि. ) सिकुड़ा हुआ। सङ्केत ( पुं. ) सूचना । इशारा । प्रेमी से मिलने का गुप्त स्थान | सङ्केसित, (त्रि. ) सङ्केत किया हुआ | सङ्कोच, (पुं. ) संक्षेप | सिकुड़ना । मधली । ( न. ) केसर | संक्रन्दन, ( पुं. ) इन्द्र । संक्रमण, (न.) संक्रान्ति | जाना । बीच में श्राना । लांघ जाना । सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि पर जाता है तब उसे संक्रमण कहते हैं । . संक्रान्ति, ( स्त्री. ) मेल । एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन | संख्य (न. ) युद्ध लड़ाई | विचार । बुद्धि संख्यात, (त्रि.) गिना हुआ। प्रसिद्ध । संख्यावत् (पुं. ) पण्डित । ( त्रि. ) गिनती करने वाला संख्येय, (त्रि. ) गिनने योग्य | सङ्ग, (पुं.) संबन्ध । (त्रि.) मिला हुआ 1 सङ्गत, (न.) मैत्री | सङ्गति, ( स्त्री. ) सङ्गम | मेल । सभा । परिचय | अचानक घटना । ज्ञान विशेष ज्ञान के लिये पूंछना | सङ्गम, ( पुं. ) मेल । 'मैथुन । नद अथवा नदियों के परस्पर मिलने का स्थान सङ्गर, (पुं.) आपत्ति । युद्ध । प्रतिज्ञा । विष । शमी वृक्ष । सङ्गव, (पुं.) प्रातःकाल के बाद का तीन मुहूर्त समय । सङ्गिन्, (त्रि. ) साथी | भोगी । सङ्गीत, (न.) नाच । गान । बजाना । गीत | सङ्गीर्ण, (त्रि.) माना हुआ। संग्रह, (पुं. ) सञ्चय । संक्षप बहुत अर्थ वाले विषय को थोड़े में लिखना। संग्रहणी, ( स्त्री. ) रोग विशेष | संग्राम, (पुं. ) लड़ाई | संग्रामपटह, (पुं.) रणवाद्य | मारू बाजा । संग्राहिन, (पुं. ) कुटज वृक्ष i ( त्रि. ) जोड़ने वाला । सङ्घ, (पुं. ) एक जाति वालों का मेल । समूह 1 सङ्घ, (पुं.) आपस की रगड़ । भीद | गठन | चक्र | पहिया . लभि सङ्घर्ष, ( पुं. ) पीसना । आपस में टकराना। स्पर्द्धा | सङ्घशम्, (अन्य ) बहुत का एकत्र होना । सङ्घात, (पुं.) समूह | एक नरक | सचि, 2 सन्ची, सचिव, ( पुं. ) मंत्री । आमात्य | दीवान । ( स्त्री. ) इन्द्राणी | सचे •. चतुर्वेदीकोष । ३७२ सचेतन, (त्रि.) सतर्क । विशिष्ट ज्ञान युक्त । सचेष्ट, ( पुं. ) आप्र । ( त्रि. ) चेष्टान्वित | सच्चिदानन्द, (पुं.) ब्रह्म । परमात्मा । सच्छूद्र, (पुं.) वाला । अहीर | नाई । सजाति, (पुं. ) एक जाति वाला । सजातीय, (त्रि.) अपनी जाति का । . सज्जुस् } ( अव्य. ) साथ के अर्थ में । सज्ज, ( त्रि. ) उयुक्त | तैयार । सजा हुआ | सत् से हुआ । सज्जन, (त्रि.) रक्षार्थ सेना का स्थान | जोड़ना | भद्र लोग। राजा की सवारी के लिये हाथी का सजाना | सज्जित, (त्रि.) सजा हुआ । कृतवेश | सञ्चय, ( पुं. ) समूह | संग्रह | सञ्चयिन् (पुं. ) जमा करने वाला संग्रह- कारक । सञ्चार, ( पुं. ) गमन । मार्ग ठ यात्रा | कठिनाई। उत्तेजना । सर्पमणि । सूर्य का दूसरी राशि में प्रवेश | सञ्चारक, (पुं. ) नेता । अगुआ । षड्यंत्र- कारी वक्ता | सञ्चारिका, ( स्त्री.) कुटनी | जोड़ा। गन्ध | सञ्चारिन्, ( पुं. ) हवा । व्योमचारिन् । सञ्चल, (क्रि. ) हिलना। काँपना जाना । ! सञ्चली, ( स्त्री. ) गुना की झाड़ी । सञ्चाय्य, ( पुं. ) एक प्रकार का यज्ञ । सञ्चि, ( कि. ) एकत्र करना सुव्यवस्था करना । सञ्चय, (पुं. ) ढेर । सञ्चित, (त्रि. ) एकत्रित | घना - गाढ़ा | सञ्चूर्ण, (क्रि. ) पीसना । सञ्छवू, ( क्रि. ) छिपाना ढकना । लपेटना | सञ्छि (क्रि. ) काटना । विभक्त करना । घुसेड़ना । सतं सञ्ज, (क्रि. ) चिपकना । सअन्, ( कि ) उत्पन्न होना । सञ्जय, (पुं. ) धृतराष्ट्र के सारथि का नाम । इसने कौरव और पाण्डवों में शान्तिस्थापन की बहुत चेष्टा की थी, किन्तु यह विफल हुआ। सञ्जल्प, (क्रि. ) बातचीत करना । ( पुं. ) बातचीत | गडबड़ | कोलाहल । सञ्जवन, (न. ) एक दूसरे से लगे चार गृह | सञ्जा, ( स्त्री. ) बकरी सञ्जीव्, (क्रि. ) साथ साथ रहना। फिर से जीवित होना । सञ्जीवन, (न. ) फिर से जीवित करने • वाला । २१ नरको में से एक चार गृहों की समूह | जीना । सञ्जीवनश्रोषधि, ( स्त्री. ) एक औषध जिससे मरा हुआ जी उठे । संशा, ( कि. ) जानना | समझना | मेल मिलाप से रहना। ताकना । ( स्त्री. ) चेत | संज्ञापन, ( न. ) मारण । सञ्चर, (पुं. ) बड़ी गर्मी। ज्वर । सट् (क्रि. ) टुकड़ा करना। सजाना । सटीक, (त्रि.) टीका या व्याख्यासहित | सट्ट, (क्रि. ) चोटिल करना । सट्टक, ( न. ) प्राकृत का छोटा रूपक | जैसे “ कर्पूरमन्जरी " । सट्वा, (स्त्री.) पक्षी । वाद्य यंत्र विशेष | सठ्, (क्रि. ) सजाना । पूरा करना । सठि, ( स्त्री. ) नक्षत्र विशेष | सण्ड, (पुं. ) बैल । नपुंसक। हिजड़ा | सण्डिश, ( पुं. ) सड़सी । चिमटा । सएडीन, (न.) पक्षियों के उड़ानों में से एक प्रकार का उड़ान सत्, (त्रि.) असली । अच्छा | सच्चा । प्रतिष्ठित बुद्धिमान् । हद (पुं. ) ऋषि | महात्मा । ( न. ) स्थिति । " सतं चतुर्वेदीकोष । ३७३.. सतत, ( नं.) निरन्तर । लगातार । सतत्त्व, (न. ) स्वभाव | सतानन्द, (पुं. ) गौतमपुत्र । सतीर्थ्य, } ( पुं. ) शुरुभाई । सतील, (पुं. ) बाँस । वायु । मटर | मसूर | सतीलक, (पुं. ) मटर | सतेर, ( पुं. ) भूंसी । चोकर । सत्कर्तृ, (. पुं. ) विष्णु । सत्कर्मन्, (न. ) वेदविहित यज्ञादि कर्म । सत्कार, ( पुं. ) आदर । सत्कृत, ( त्रि. ) सम्मानित | सत्क्रिया, (स्त्री.) सत्कार | आदर | सप्तम, (त्रि.) बहुत अच्छा । • · सत्ता, (स्त्री.) प्रधानता | मुख्यता । अस्तित्व । विद्यमानता । सत्त्र, (न.) घर | ढकना | धन | वन | तालाब | छल कपट | आश्रम दान | धर्मार्थ दान | सत्रशाला, ( स्त्री. ) धर्मशाला | यज्ञशाला। सत्राजित्, ) श्रीकृष्णजी का ससुर । सन्,ि (पुं. ) गृहस्थ | यज्ञकर्ता । सत्त्व, (न. ) प्रकृति का अवयव । एक पदार्थ । ( पुं. न. ) जन्तु | जीव । जब यह केवल ·" होता है तब इसका अर्थ होता है - स्वभाव, प्राण, उद्यम, रण, आत्मा, चित्र, आयु, धन सत्पथ, (पुं. ) शोभन मार्ग | भगवद्भजन | सन्मार्ग | वेदविहित आचार | अच्छा रास्ता । सत्प्रतिग्रह, (पुं. ) अच्छे पुरुषों का प्रदत्त 66 सव दान । श्रनिन्दित दान लेना । सत्प्रतिपक्ष, (पुं. ) हेतुसम्बन्धी दोष भेद । सत्फल, (पुं. ) अनार का पेड़ | (त्रि. ) अच्छे फल वाला | अच्छा फल • सत्य, (त्रि.) सच्चा असली । यथार्थ । (पुं. ) ब्रह्म के रहने का लोक । पीपल का पेड़ | राम विष्णु । नान्दीमुख श्राद्ध का अधिदेवता | · सदा सयङ्कार, ( पुं. ) बयाना । किसी वस्तु को मोल लेने की पक्काइत | सत्यपुर, (न. ) वैकुण्ठ । सत्यफल, (पुं. ) बिल्वफल | सत्यभामा, ( स्त्री. ) राजा सत्राजित् की कन्या और श्रीकृष्ण की स्त्री । सत्यम्, (अव्य.) स्वीकार । हां। “सच है ” । सत्ययुग, (न.. ) सत्यप्रधान युग | प्रथम युग । कृतयुग । सत्ययौवन, ( पुं. ) विद्याधर सत्यलोक, (पुं.) सात लोकों में से एक । सत्यवचस्, (पं.) मुनि (त्रि. ) सच बोलने वाला । . सत्यवत्, ( पुं ) सत्य वाला | सत्यवान् ।

  • सत्यवती, (स्त्री.) व्यास की माता ।

सत्यवतीसुत, ( पं. ) वेदव्यास | सत्यवाचू, ( पुं. ) ऋषि । काक । सत्यवादिन, ( त्रि. ) सत्यवादी | सत्यव्रत, ( पुं. ) सत्यतत्पर | त्रिशंकुराजा | सत्यसङ्गर, ( पुं. ) कुबेर । (त्रि. ) सत्यप्रतिज्ञ सत्यसन्ध, (त्रि. ) सत्यप्रतिज्ञ रामचन्द्र | सत्यानृत, (न. ) व्यापार | सत्यापन, (न.) बयाना देना । सत्योद्य, (त्रि ) सत्यवादी : ( न. ) सच्चा वचन | सत्वर, ( न. ) शीघ्र | जल्दी । सदन, (न. ) गृह | घर । सदय, (त्रि.) दयालु | सदस्, ( स्त्री. ) सभा | बैठक | वासस्थान | सदस्य, (पुं. ) सभासद | सदा, ( [अव्य. ) सदैव । निरन्तर | नित्य | सदागति, (पुं. ) पवन | सूर्य्य | सदा रहने वाला आनन्द | मोक्ष सदाचार, (पुं. ) साधु आचरण | सदातन, ( पुं.) विष्णु । ( त्रि. ) नित्य | सदादान, (त्रि.) सदा दान करने वाला । ( पुं. ) ऐरावत हाथी | -. चतुर्वेदीकोष । ३७४ सदानन्द, ( पुं. ) शिव । ( त्रि. ) निरन्तर आनन्द वाला | सदानर्त्त, (पुं.) सदा नाचने वाला । सदानीरा, ( स्त्री. ) करतोया नदी | सदाशिव, (पुं. ) महादेव । सदुत्तर, (न. ) प्रतिज्ञापत्र के अनुसार उत्तर । सहक्ष, (त्रि.) तुल्यरूप बराबर । सदेश, ( पुं. ) देश के साथ | निकट | ( त्रि. ) देश वला | सद्धेतु, ( पुं. ) अच्छा हेतु । सद्भाव, (पुं. ) साधुभाव | अच्छा भाव । सद्भूत, (त्रि. ) यथार्थ | ठीक । सद्मन्, (न.) घर जल । " सथोमांसं नवं चान्नं बाला स्त्री क्षीरभोजनम् । घृतमुष्णोदक स्नानं सद्यः प्राणकराणि षट् ॥ सद्यःप्राणहर, (त्रि.) झटपट प्राण हरने सम्रयच, वाला । "" “ शुष्कं मांसं स्त्रिया वृद्धा बालार्कस्तरुणं दधि । प्रभाते मैथुनं निद्रा सद्यः प्राणहराणि षट् || सद्यःशौच, (न. ) तत्काल होनेवाली शुद्धि । सद्योजारा, (पुं.) तुरन्त पैदा हुआ । बछड़ा । शिवजी की एक मूर्ति । वैद्यक में एक रस । सद्वृत्त, (न. ) अच्छे स्वभाव वाला । संग्द (त्रि. ) सहचर | साथ विचरने चालचलन वाला। सधर्मन्, ( त्रि. ) सदश । बराबर। सधर्म्मचारिणी, (स्त्री . ) भार्ग्या । सघम्मिन् (त्रि.) पत्नी | सधवा, (बी.) सौभाग्यवती स्त्री । वाला । सनक, (पुं. ) एक मुनि । सनुत्, ( पुं० ) एक मुनि (त्रि. ) आनन्द वाला । सद्यःकृत, ( त्रि. ) झटपट किया हुआ | सद्यःप्राणकर, (त्रि.) झटपट प्राण करने सनिष्ठव, } ( न. ) थूक के साथ । वाला । सनीड, (त्रि. ) समीप रहनेवाला घोंसले सनत्कुमार, ( पुं. ) ब्रह्मपुत्र । एक मुनि | सनसूत्र, (न.) मछली पकड़ने का सूत का बना जाल । सना, (अन्य ) सदैव । सनातन, (त्रि. ) सदा होने वाला । ( पुं. ) शिव । ब्रह्मा । स्वर्गीय मनुष्य | विष्णु । सनाभि, ( पुं. ) जाति भाई । ( त्रि. ) बीच वाला । स्नेहयुक्त । कुटुम्बी । सनामक, (पुं. ) शोभाजन का पेड़ | वाला | बिल वाला | सन्तत, (पुं. ) सतत । लगातार । ( त्रि. ) फैला हुआ । । सन्तति, ( स्त्री. ) गोत्र | नाम | पुत्र | कन्या | फैलाव | पंक्ति । अविच्छिन्न धारा | सन्तप्त, (त्रि. ) थका हुआ । तपा हुआ । सन्तमस, (न. ) अँधेरा | मोह | सन्तान, (पुं.) वंश अपत्य | कुटुम्ब विस्तार | कल्पवृक्ष सन्तानिका, ( स्त्री. ) मलाई । खोया । फेन । छुरी का फल । अच्छा समाचार | सद्वृत्ति, ( स्त्री. ) उत्तम चरित्र । उत्तम व्याख्यान वाला ग्रन्थ अच्छी जीविका । सन्ताप, ( पुं. ) वह्नि से उत्पन्न ऊष्मा । सन्तापन, ( पुं. ) कामदेव के पांच शरों में से एक । (त्रि. ) सन्ताप करने वाला | ( त्रि. ) अच्छी जीविका वाला | अच्छी सन्तोष, (पुं. ) धैर्य्य | हौंसला | स्वास्थ्य | सन्दंश, ( पुं. ) सडाँसी । सन्दंशपतित, ( पुं. ) मीमांसा का एक न्याय विशेष | सन्दर्भ, (पुं. ) रचना | प्रबन्ध सारवचन | श्रेष्ठता । सुन्दा चतुर्वेदीकोष । ३७५ सन्दाम, (न. ) बंधन | अच्छे प्रकार तोड़ना । अच्छे प्रकार दान करना । ( पुं. ) हाथी के घुटनों के नीचे का भाग सन्दानिनी, ( स्त्री. ) गोगृह | गोशाला सन्दाव, (पुं. ) भागना | सन्दाह, (पुं. ) पूरी जलन । सन्दिग्ध, (त्रि.) सन्देहयुक्त | सन्दित, (त्रि. ) बद्ध । सन्दिष्ट, (न. ) सन्देसा | सन्दिहान, (त्रि.) सन्देह वाला । सन्दी, ( स्त्री. ) खाट । चारपाई । सन्देशहर, (पं.) सन्देशहारक | सन्देह, (पुं. ) संशय सन्दोह, (पुं. ) समूह । भली प्रकार दुहना । सन्द्राव, (पुं. ) भागना | सन्धा, ( स्त्री. ) स्थिति प्रतिज्ञा । मेल । मदिरा निकालना। खोज | सन्धान, (न. ) अनुसन्धान मेल गौ बांधने की शाला | सन्धि, (पुं. ) संभोग | जोड़ | ऐंडा सुरङ्ग | नाटक का एक अङ्ग व्याकरण में दो वर्गों के एकत्र होने से उत्पन्न वर्णविकार | सन्धिचौर, (पुं. ) सेन्ध फोड़ कर चोरी करने वाला चोर | सन्धित, (त्रि. ) मिला हुआ । सन्धिती, ( स्त्री. ) बैल के संयोग से गर्भ- धारिणी गौ । सन्धिपूजा, ( स्त्री. ) आश्विन की शुक्ला अष्टमी और नवमी की सन्धि की पूजा | सन्धिबन्ध, ( पुं.. ) भूमिचम्पक | इसको खाने से टूटी हुई हड्डी का जोड़ भी मिल जाता है। सन्धिविग्रहादिकारिन्, (पुं. ) मंत्री जिसे राजा की ओर से मेल अथवा युद्ध करने को अधिकार प्राप्त हो चुका है । सन्धिवेला, ( श्री. ) सन्ध्या का समय | साम-संबरा | सन्नि सन्धिहारक, ( पुं. ) सुरङ्ग से दूसरे के धन को लेजाने वाला । सन्धुक्षित, ( त्रि. ) भड़काया गया । प्रकाशित । सन्धेय, (त्रि. ) मिलाने योग्य | • सन्ध्या, ( स्त्री. ) दिन और रात के मिलने . का समय | सन्धिकाल | सन्ध्याकाल का कर्म | देवता । एक नदी । ब्रह्मा एक स्त्री | सन्ध्यानटिन्, ( पुं. ) शिव । शङ्कर सन्ध्याभ्र, (न. ) सुवर्ण | गेरू । साँझ का बादल. सन्ध्याराग, ( न. ) सिन्दूर | सेंदुर । सन्ध्याराम, ( पुं. ) ब्रह्मा ।

  • सन्न, ( पुं. ) पियाल का पेड़ | ( त्रि. )

अवसन्न | बौना | सन्नत, (त्रि. ) झुका हुआ । सन्नद्ध, (त्रि. ) कवचधारी | तैयार उत्पन्न हुआ। समय, ( पुं. ) समूह | बहुतसा | सन्नहन, (न. ) उद्योग | हिम्मत । पूराह बन्धन | सन्नाह, (पुं. ) कवच सन्निकर्ष, (पुं, ) सामीप्य | विषय और इन्द्रिय का व्यापार उपाय विशेष । सन्निकर्षण, (न.) सन्निधान । सन्निधि, ( पुं. ) सामीप्य सनिपतित, (त्रि.) मरगया । मिला हुआ उपस्थित । • सन्निपात, ( पुं. ) नीचे गिरना । इकट्ठा होना उतरना। भिड़ना। समूह ज्वर विशेष नाश । उपस्थिति । ताल विशेष सन्निबंधन, (न. ) कई स्थलों में बिखर हुए . वाक्यों को एकत्र करना तथा तदुपयोगी अन्य | (त्रि. ) अच्छी आजीविका वाला । सन्निभ, (त्रि. ) सदृश | समान | सन्नि' ★ •. चतुर्वेदीकोष । ३७६ सन्निवेश, (पुं. ) नगर के बाहिर का भाग | अखाड़ा | सम्यक् स्थिति । सन्निहित, त्रि.) निकटस्थ | समीप ठहरा हुआ । संन्यस्त, (त्रि.) डाला गया। अच्छे प्रकार त्यागा गया । जुड़ा हुआ । अर्पित छोड़ा गया । संन्यास, (पुं. ) त्याग चौथा आश्रम | संन्यासिन्, ( पुं. ) संन्यासी | चौथे आश्रम वाला । पक्ष, (त्रि.) अपने पक्ष वाले। सपत्राकरण, ( न. ) तीर के घाव की पीड़ा । ( त्रि. ) पीड़ित किया गया। सपत्न, (पुं. ) शत्रु | वैरी । सपत्नी, ( स्त्री. ) सौत। सपदि, (अव्य. ) तत्क्षण | उसी समय । सपर, (क्रि. ) पूजा करना । सपर्थ्या, (स्त्री.) पूजा श्रादर । सपाद, ( १) चतुर्थीश सहित । सवा । सपिण्ड, (त्रि.) जाति वाला । पिण्ड सम्बन्धी | सपिण्डीकरण, ( न. ) मिलाया गया | श्राद्ध का कर्मविशेष । मरे हुए का पिण्ड पूर्वपिण्डों में मिलाना | सपिण्डीकृत, ( त्रि. ) वह मरा हुआ पुरुष जिसके लिये सपिएडी कर्म किया गया हो । सपीति, ( स्त्री. ) जात वालों के साथ बैठ • कर जल आदि पीना | सप्तक, (न. ) ७ की संख्या सप्तकी, (स्त्री.) मेखला | कन्धनी । सप्तचत्वारिंशत्, (स्त्री. ) सैंतालीस | ४७ | सप्तच्छद, (पुं. ) सतौने का पेड़ । सप्तजिह्व, ( पुं. ) सात जीभ वाला | अग्नि | . आग | सप्तज्वाल, (पुं.) आग सप्त तन्तु (पुं. ) याग | सप्तुति, ( स्त्री. ) सत्तर की गिनती । ७० । सप्ततितम, (त्रि. ) ७० वाँ । संफ सप्तदश, (त्रि. ) १७ वीं संख्या । सप्तद्वीपा, ( स्त्री. ) पृथिवी सप्तधा, (अन्य ) सात प्रकार | सुप्तधातु, (पुं. ) रस, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र, अन । सप्तन, ( पुं. ) सात सप्तपदी (स्त्री. ) भवेंर विवाह के समय की स्त्री के साथ यज्ञस्तम्भ की सात परिक्रमा । स्त्री का प्रधान कर्म । सप्तपर्ण, ( पु. ) सतने का वृक्ष सप्तपाताल, ( न. ) अतल श्रादि पृथिवी के नीचे के लोक । सप्तप्रकृति, ( श्री. ) सांख्य की महत्तत्त्व आदि सात प्रकृतियां | सात स्वभाव | सप्तम, (त्रि.) सातवां । 'सप्तर्षि, (पुं. ) मरीचि, अत्रि, पुलह, पुलस्त्य, ऋतु, ङ्गिरा, वशिष्ठ, सात ऋषि । सप्तर्षिमण्डल, ( त्रि. ) श्राफाशस्थ नक्षत्र- मण्डल । सात ऋषियों के नक्षत्रों का समूह | सप्तशती, ( स्त्री. ) सात सौ । मार्कण्डेय पुराण के अन्तर्गत सात सौ श्लोकों का देवी के माहात्य को बताने वाला स्तोत्र | दुर्गा ग्रन्थ | सप्तशलाक, ( पुं. ) ज्योतिष में विवाह, विचारने का एक चक्र जिसमें सात लकीर खड़ी और सात आड़ी होती है। सप्तशिरा, ( स्त्री. ) पान की बेल । शरीरस्थ सात नाड़ियाँ । सप्तसप्ति, ( पुं ) वह मनुष्य जिस के सात घोड़े हों। सूर्य्य श्राफ का वृक्ष । सप्तसागर, ( पुं. ) सात समुद्र । सप्तांशु (पुं. ) श्राग | सात ज्वाला वाली । सप्ताश्ववाहन, ( पुं. ) सूर्य । चाक का पेड़ । सात घोड़ों पर संवारी करने वाला । सप्ति, ( पुं. ) चश्व | घोड़ा सफर, (पुं. ) मछली सफलं, (त्रि. ) फल वाला । सब चतुर्वेदकोष | ३७७ सबल, ( भि. ) सामर्थ्य वाला | सेना सहित | सब्रह्मचारिन्, (पुं. ) गुरु भाई । सभर्तृका, ( स्त्री. ) सुहागिन स्त्री | सभा, ( स्त्री. ) किसी बात को निश्चित करने के लिये जमाव करके बैठने का स्थान, जिसमें वृद्ध हों। परिषद्, मजलिस आदि । "न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धाः " सभाजू, (क्रि. ) सेवा करना । देखना । सभाजन, ( न. ) आने जाने के समय का कुशल प्रश्न | भाव । आदर पूजा | सत्कार । प्रतिष्ठा करना । सभासद्, ( पुं..) सभा में बैठने के अधि- कारी । सभ्य | मैम्बर | सभास्तार, (पुं. ) सभ्य | मैम्बर | सभासद | सभिक, ( पुं. ) ज्वारिया । सभ्य, ( पुं. ) ज्वारी | ( त्रि. ) विश्वासी | सन्, (ग्रव्य. ) भलीभाँति | बहुत | सम, (त्रि. ) समान । तुल्य | सारा । भला । ( न. ) जोड़ । दूसरी, चौथी और छठवी राशियां । ताल । समझ, ( श्रव्य. ) आंख के सामने | समग्र, (त्रि. ) सकल । सारा । समङ्गा, ( स्त्री. ) मजीठ समचित्त, . तत्त्वज्ञानी । समज, ( न. ) वन । समूह । मूर्खों का गिसेह समझा, ( स्त्री. ) कीर्ति | यश | बड़ाई । समज्या, ( स्त्री. ) सभा | कीर्ति । गोष्ठी | समञ्जस, (त्रि. ) उचित | युक्त | समदर्शिन, (त्रि.) सर्वत्र समान भाव से देखने वाला । समदृष्टि, ( स्त्री. ) समान दृष्टि । समधिक, (त्रि. ) अत्यन्ताधिक । समन्त, ( पुं. ) सीमा . समन्ततस (अव्य. ) चारों ओर से | समन्तमञ्चक, (न. ) तीर्थविशेष । समन्तभट्ट, (पं.) बुद्धावतार | बुद्धदेव | सम समन्तभुज् (पुं. ) आग | समन्तात्, ( श्रव्य. ) चारों ओर समन्वित, (त्रि. ) युक्त | सहित | समपद, (न.) अवस्थान विशेष | समभिव्याहार, (पुं. ) साहित्य | साथ | अच्छे प्रकार कहना | समभिव्याहृत, ( त्रि. ) मिला हुआ । सहित । समभिहार, (पुं.) बारबार । समम्, (श्रव्य. ) एकही बार | समय, ( पुं. ) काल । शपथ । आचार | सिद्धान्त | मङ्केत । स्वीकृति । समया, (श्रव्य. ) नैकट्य | सामीप्य | पास | बीच ।

  • समयाध्युषित, ( पुं. ) सूर्य्य और तारों से

रहित समय 1 समर, ( पुं. ) युद्ध | लड़ाई । समरमूर्द्धन, ( पुं. ) लड़ाई के मैदान में । समर्थन, ( न. ) अच्छे प्रकार आदर करना । समर्ण, (त्रि.) भले प्रकार पीड़ित किया गया । समर्थ, (त्रि. ) शक्तिसम्पन्न | हितकर | समर्थन, (न. ) पुष्टीकरण | सिद्ध करना | प्रमाण देना । समर्द्धक, (त्रि.) देवता । समयिद (त्रि.) मर्यादा सहित । अच्छे आचरण वाला | समल, (त्रि.) बहुत मैला | काला । ( न. ) विष्ठा । समवतार, (पुं.) पानी में नीचे जाने की सीढ़ियाँ | समवर्तिन, (पुं. ) यमराज । पुलिस आदि राज्यकर्मचारी जो फिर्यादी और अपराधी को समान बर्ते । समवकार, (पुं.) नाटक विशेष | समवाय, ( पुं. ) समूह । मेल । न्याय दर्शन में सम्बन्ध विशेष | सम चतुर्वेदकोष ३७८ ' समवेत, (वि.) एकत्रित | मिला हुआ | समष्टि, ( सी. ) सम्यग् व्याप्ति | सम्पूर्णता | समसन, (न.) समास | संक्षेप | मिलन | समस्त, (नि. ) सकल | संक्षिप्त । समस्थली, ( सी. ) दुआ | गङ्गा और यमुना के बीच की भूमि । समस्या, ( स्री. ) जो पूरी नहीं है अर्थात् किसी पद्य का एक चरण बतलाकर पूरा पद्य तयार करना एक सदेत जिस के आधार से शेष बात कही जाय । समा, ( श्री. ) वत्सर । समांसमीना, ( सी. ) प्रतिवर्ष व्याने वाली गौ । समाकर्पिन, ( पुं.) बहुत दूर जाने वाला i गन्ध | (त्रि.) अच्छे प्रकार खींचने वाला समाकुल, (त्रि. ) भरापूरा | बहुत उत्तेजित | घबड़ाया हुआ | समाप, ( कि..) निकाल लेना | खींच लेना । समाख्या, (स्त्री.) कीर्ति | यश | प्रसिद्धि | नाम | समाख्यात, (त्रि.) गिना हुआ । भली प्रकार वर्णित । प्रसिद्ध समागभू, (कि.) एकत्र होना । मेल मि - लाप करना । मैथुन करना | समीप आना | लौटना | पाना । समागत, (त्रि.) आया हुआ | मिला हुआ । समागता, ( स्त्री. ) एक प्रकार की पहेली | समाघात, (पुं. ) घात | युद्ध | समाचयन, ( न. ) जोड़ना | बटोरना | समाचर्, ( कि. ) करना । हटाना । समाचार, ( पुं. ) गमन | अग्रगमन । अभ्यास | आचरण | चालचलन | संवाद | सूचना | समाज, (पुं.) सभा । सोसाइटी । लत्र | समूह । दल | हाथी । समाजिक, (त्रि. ) किसी समाज का सामाजिक, J सदस्य या सभ्य | समा समाझा, (क्रि.) भली भांति समझना । (खी.) कीर्ति | प्रसिद्धि | समादा, (क्रि. ) पाना । लेना स्वीकार करना । पकड़ना । देना | लेलेना । आरम्भ करना | विचार करना । समादान, (न. ) भरपाना । जैनियों की नित्य क्रिया विशेष समादिश (क) बतलाना | समादेश (पुं. ) त्राज्ञा । समाधा, (कि. ) एक साथ रखना। मिलाना | जोड़ना रखना अभिषेक करना । चित्त को सावधान करना । चित्त को एकाम करना । सन्तुष्ट करना । मरम्मत करना । अलग करना । समाधि, ( ( न.) मेल । जोड़ । गम्भीर समाधन, विचार | ध्यान | किसी की शङ्का की निवृत्ति । मनकी शान्ति । समाधि, ( पुं. ) ध्येय के साथ मन को लेजा कर एक कर देनी। काव्य का एक गुण | मढ़ी | ईश्वर में एकाकार होना । समाध्मात, (त्रि. ) फूंक कर फुलाया हुआ | समान, (त्रि.) तुल्य बराबर । समानोदक, ( पुं. ) तर्पणादि में समान जल का अधिकारी । चौदहवीं पीढ़ी तक समानोदक भाव पूरा होजाता है - समानोदर्ग्य, (पुं.) भाई । एक गर्भ से उत्पन्न सन्तान । सगा भाई । समाप, (पुं.) देवता के पूजन का स्थान । समापन, (न. ) समाप्ति । प्राप्ति । वध | सर्ग। गम्भीर विचार | समापन, (त्रि. ) समाप्त | प्राप्त । हुआ। या। पीड़ित | मारा हुआ । समाप्त, (त्रि.) परिपूर्ण | सम्यक् प्राप्त । समाप्ताल, (पुं . ) प्रभुं । स्वामी | भर्त्ता । समाभापण, ((न.) बातचीत । - समानान, (न. ) दुहराव | वर्णन उल्लेख | चतुर्वेदकोष | ३७६ समु. समानाय, (पुं. ) परम्परागत पाठ । उद्धरणी समिन्धन, (न. ) काष्ठ । श्रच्छी चमक । शिव । समीक, (न. ) युद्ध | लड़ाई | समीकरण, (न. ) अराम को सम करना | बीजगणित में अनजानी संख्या को जानने की प्रक्रिया विशेष | . सुमीक्ष, (न.) पर्य्यालोचन | बुद्धि | सांख्य समा समाय, (पुं ) आगमन । भेंट | समायत, (त्रि.) खींचा हुआ। बढ़ाया हुआ | समायुज्, (क्रि.) जोड़ना । मिलाना । समायुत, (त्रि.) मिला हुआ । समायुक्त, (त्रि.) जुड़ा हुआ । मिला हुआ । तैयार किया हुआ | समायोग, (पुं.) मेल । सम्बन्ध | समारम्, (क्रि. ) श्रारम्भ करना । समारुह, (कि..) चढ़ना। सवार होना समालम्बिनी, (स्त्री. ) एक प्रकार की घास | समावर्त्तन, (न. ) वेद पढ़ने के अनन्तर गुरु- गृह वास से गृहस्थी में लौंटने का संस्कार विशेष | लौटना । एकत्र होना । सफल होना। किसी काम के अन्त पर पहुंचना । समाविष्ट, (त्रि.) मिला हुआ | लगा हुआ | समावेश, (पुं.) किसी कार्य में लगना । घुसना । किसी पर भूत प्रेतादि दुष्ट आत्माओं का आवेश । समास, (पुं.) संक्षेप | समर्थन | समाहार | दो पदों को मिला कर एक करने वाला संस्कार विशेष | समासल, (त्रि.) मिला हुआ | फंसा हुआ । समासङ्ग, (पुं. ) संयोग । मेल । समासादित, (त्रि.) पाया हुआ | समासार्था, (स्त्री.) समस्या | समाहित, ( त्रि. ) प्राप्त । समीप ठहरा हुआ । समाहृत, (त्रि.) संगृहीत । एकत्र किया गया। अच्छी तरह लाया गया। संग्रह | समाहृति, ( स्त्री. ) संग्रह | संक्षेप । समाव्हय, (पुं.) बाजी लगा कर युद्ध लड़ना | जुआ खेलना । युद्ध | बुलावा । समित्, ( स्त्री. ) युद्ध लड़ाई । समिता, (स्त्री.) गेहूं का आटा | (त्रि.) मिला हुआ | समिधू, (स्त्री. ) यज्ञ काष्ठ या मामूली लकड़ी। समिध, ( पुं. ) काठ | आय | V शास्त्र | यत्न ।. समीक्ष्यकारिन्, (त्रि. ) भली भांति सोच विचार कर काम करने वाला । समीचीन, (त्रि.) साधु | सत्य | ठीक | समीप, (त्रि. ) निकट पास | समीर, (पुं.) वायु । समीरण, ( पुं. ) वायु । पथिक | राही । समीरिता, (स्त्री. ) कथिता । उच्चरिता। प्रेरणा की हुई । • समीहित, (त्रि. ) अभीष्ट । चाहा गया । समुचित, (त्रि.) उपयुक्त समुञ्चित, ( त्रि. ) एकत्र किया हुआ । समुच्चर, १ ( पुं. ) अच्छे प्रकार उच्चारण समुच्चार करना। समुच्छेद, (पुं.) विनाश | काटना | समुच्छ्रय, ( पुं. ) अत्युन्नति । विरोध समुच्छाय, समुच्छ्रित, (त्रि. ) अत्युन्नत । समुच्चलित, . चारों ओर फैला हुआ । चारों ओर बिखरा हुआ । समुच्छ्रसित, (त्रि. ) उसांस लेता हुआ । समुज्झित, (त्रि. ) त्यक्त | छोड़ा हुआ । समुत्कम, (पुं.) भले प्रकार ऊपर जाना । समुत्कोश, (पुं. ) कुंज नामी पक्षी । समुत्थ, (त्रि.) उठा हुआ। सम्यग् उत्पन्न | समुत्थान, (न.) समुद्योग : उत्तोलन | उठान । समुत्पन्न (त्रि.) उपजा । उत्पन्न हुआ । समुत्पाट, (पं.) उन्मूखीकरण । समुत्पिञ्ज, (त्रि.) अत्याकुल अत्यन्त घबड़ाया हुआ | पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३७६ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३७७ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३७८ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३७९ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८० पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८१ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८२ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८३ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८४ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८५ पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८६ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८७ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८८ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३८९ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९० मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९१ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९२ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९३ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९४ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९५ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९६ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९७ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९८ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९९ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४०० मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४०१ मीडियाविकि:Proofreadpage pagenum templateपृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४०२