पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३९१

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सूत्र सूत्रयंत्र, (न. ) चरखा । सूद, (पुं. ) रसोइया । व्यञ्जन विशेष | शाक। तर्कारी | अपराध | पाप सूदन, (न. ) मारना । स्वीकार | सूदशाला, (स्त्री.) पाकशाला | रसोईघर | सून, ( न. ) पुष्प | सूना, (स्त्री.) वधस्थान लड़की | हाथी की सूँड़ । मांस का बेचना | सुनु, (पुं.) पुत्र छोटा भाई । सूनृत, ( न. ) सच्चा वचन | मङ्गल | ( त्रि. ) सच्च। शुभ । सूप (पुं.) दांल । रसोई । सूपकार, (पुं. ) पाचक रसोइया | सूपाङ्ग, (न. ) हींग श्रादि मसाला | सूर, ( पुं. ) सूर्य । अर्कका वृश्च । पण्डित | सूरत, (त्रि. ) दयालु । कृपालु । सूरसुत, ( पुं. ) अरुण सूरि, ( पुं. ) सूर्थ्य | चाक का पेड़ | एक याद | एक पण्डित । चतुर्वेदीकोष | ३६५. • स्टक, सुकन, सूरिन्, (पुं. ) पण्डित । चतुर जन : सूर्पणखा, (खी. ) रावण की बहिन । सूर्य्य, (पुं.) दिवाकर | सूरत । श्राक का पेड़। एक दैत्य | सूर्य्यकान्त, ( पुं. ) स्फटिक मणि । आतशी शीशा । सूर्य्यग्रहण, ( न. ) सूर्य का ग्रहण | पर्व विशेष । सूर्य्यज, ( पुं. ) शनिग्रह | यमराज | वैवस्वत | मनु | सुझवि । सूर्थ्यजा, ( स्त्री. ) यमुना नदी । सूर्या, (सी.) सूर्य्य की ( अमानुषी ) सी | कुन्ती : (मानुपी)। सूर्यालोक, ( पुं. ) सूर्य का प्रकाश | धूप | 1 तेज | सूर्य्याश्मन, (पुं. ) सूर्यकान्तमणि । सूर्योद, ( पं. ) सूर्थ्यास्त के समय आया हुआ "अतिथि | सेव } ( न. ) होठों के पास का भागं ॥ सृगाल, ( पं. ) शत्रु | श्रङ्कुश स्कृति, (स्त्री.) जाना। पथ | रास्ता | सृत्वर, (त्रि.) जाने वाला । सृ ( कि. ) जाना । शुभर, ( पुं. ) मृग विशेष ( त्रि.) जाने वाला । सृष्ट, (त्रि.) निर्मित | रचा हुआ | जुड़ा हुआ । निश्चय किया हुआ | छोड़ा हुआ | राजा हुआ । सृष्टि ( श्री. ) रचना | स्वभाव सेक, ( पुं. ) सींचना । सेकपात्र, ( न. ) डोल | मसक । हजारा | सेक्ट, ( पुं.) पति | त्रि. ) सींचने वाला | सेचन, (न. ) सींचना | वल्टी । खटु, · ) तरबूज | सेतु (पुं.) पुल | वरुण वृक्ष | प्रणव रूप मंत्र | संतुवन्ध, ( पुं. ) लझ जाने के लिये श्रीराम का बनवाया हुआ पुल | सेत्र, (न. ) बेड़ी | हथकड़ी लेना, (सी.) सैन्य । सेनाङ्ग, (न. ) हाथी, घोड़ा, रथ, पैदल आदि सेना की सामग्री सेनाचर, ( 15 ) सेनागामी फौज में फिरने 2 वाला । सेनानी, (पुं.) कार्तिकेय | देवताओं का सेना- पति । सेनापति, ( पुं . ) कार्तिकेय । फौज का खामी । देवताओं का सेनापति कार्तिकेय | केपटिन् । सेनालुख, ( न. ) सेना के आगे का हिस्सा। सेनारक्ष, (पुं. ) पहरूया | फौज का रक्षक | सेफ, (पुं. ) लिङ्ग | सेवक, (पुं. ) नौकर | टहलुग्रा | सीने वाला | सेवधि, (पुं.) जिसकी सेवा करनी पड़ती है । शङ्ख आदि निधि | वनागार । अन्तिम | सीमा | आखिर ।