स्थरिड चतुर्वेदीकोप | २६६ . स्थाण्डिलशायिन, १ (पं.) व्रत धारण कर स्थरिडलेशय, चबूतरे पर सोने वाला | "" स्थपति, (पुं. ) रगवास में रहने वाला चूदा ब्रह्मा | शिल्पी विशेष । राज थबई | श्रमीश | " बृहस्पतिरात्र नामक यज्ञ करने वाला । ( त्रि. ) बहुत अच्छा | स्थपुर, (त्रि. ) टेढ़ी और ऊँची जगह | स्थल, (क्रि. ) ठहरना | स्थल, (न. स्त्री. ) भूमि का भाग | थल । बनावटी भूभाग | स्थलेशय, (पुं. ) वराह | रुरु | एक प्रकार का हिरन ।. स्थविर, (न. ) गन्ध द्रव्य विशेष | ( पुं. ) ब्रह्मा (त्रि. ) अचल । स्थिर | बूढ़ा | स्थविष्ठ, (त्रि. ) अतिवृद्ध | स्था, (पं.) शिव । शाखा डाली यादि से रहित वृक्ष | (त्रि. ) बूढ़ा | स्थान, (न.) समानता । अवकाश रहन | ग्रन्थसन्धि | भाजन | पास जगह | स्थानिक ( त्रि. ) थानापति | स्थान का मालिक या स्वामी | स्थानिन्, (त्रि. ) स्थान की रक्षा करने वाला | स्थानीय, (न. ) नगर । रहने योग्य वाला । ( स्थिति, ( स्त्री.) मर्य्यादा । स्थान । स्थिर, ( पुं. ) भूमिशाल्मली वृक्ष । पहाड़ | देवता | वृक्ष | स्वामिकार्तिक । शनि | मोक्ष | ज्योतिष में नृघ, सिंह, वृश्चिक, और कुम्भ में राशियाँ | (त्रि. ) कठिन | निश्चल | स्थिरतर, (त्रि.) अत्यन्तस्थिर ( पुं. ) ईश्वर | स्थिरगति, ( सी. ) स्थिरचित्त | स्थिरयौचन, ( न. ) विद्याधर श्रादि । स्थिरायुस्, (पुं.) शाल्मली वृक्ष | स्थूलू, ( कि. ) बढ़ना । स्थूल, (त्रि. ) मोटा | स्थेय, (पुं. ) पक्ष | जूरी | पुरोहित स्थेयस, (त्रि.) बहुत पक्का | स्थैर्य, ( न. ) स्थिरता । स्थौल्य, ( न. ) मोटापन | स्थान | ( पुं. ) स्थान वाला । स्नपन, (न. ) स्नान | स्थामे, ([अव्य.) योग्यता | श्रौचित्य | ठीक | सत्य | स्नव, ( पुं.) बहना | चूना स्थापन, (न. ) लगाव | रुपाव । चढ़ाव | स्थापित, (त्रि. ) निश्चित | पका | न्यस्त | स्थायिन, (त्रि. ) स्थितिशील | स्थायुक, (त्रि. ) स्थितिशील । ( पं . ) एक आम का स्वामी स्नुत स्थाल, (न. ) थाल | बड़ी थाली । स्थालीपुलाक, (पं.) एक प्रकार का न्याय | ( भरी हुई बटलोई में से एक चावल को निकाल कर उस बटलोई भर चावलों को परीक्षा कर लेना अर्थात् वे सिजे कि नहीं यह जान लेना "स्थालीपुलाक " न्याय कहलाता हैं ) । स्थावर, (त्रि.) श्रचल। स्थिर ( पुं. वृक्ष | पर्वत | पृथिवी । ( न. ) धनुप का रोदा | स्थाविर, (न. ) बुढ़ापा | स्थासक, (पुं. ) चलङ्कार | जलबिन्दु । स्थास्नु, (त्रि. ) स्थितिशील । स्थिते, (त्रि.) ठहरा हुआ । निश्चल । प्रतिज्ञा- "" 1 स्नातक, (पुं. ) गुरु के पास विद्या पढ़ कर, घर लौट कर थाने वाला ब्रह्मचारी | स्नातकव्रत, ( न. ) व्रतविशेष | "अलाभे चैव कन्यायाः स्नातकव्रतमाचरेत् स्नान, (न.) शोधन | सफाई | स्नानीय, (त्रि.) स्नान के लिये हितकारी यथा तेल, उप्टन | स्नायु, ( सी. ) एक नांड़ी | रग | स्निग्ध, (त्रि.) चिकना । ( पुं. ) मित्र | सरलवृक्ष ( स्त्री. ) चर्बी । मेदा । ( स्त्री. ) चिकनई | प्रियता स्निग्धता, J स्नुत, (पुं.) बहा हुआ । जल आ ।
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