महाभारतम्-05-उद्योगपर्व-164
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महाभारतस्य पर्वाणि |
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युधिष्ठिरेण युद्धाय सेनानिर्यातनम् ।। 1 ।।
धृष्टद्युम्नेन भीमादीनां दुर्योधनादिभिः सह द्वन्द्वयुद्धाय समादेशः ।। 2 ।।
संजय उवाच। | 5-164-1x |
उलूकस्य वृत्तः श्रुत्वा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः। | 5-164-1a 5-164-1b |
पदातिनीं नागवतीं रथिनीमश्वबृन्दिनीम् । | 5-164-2a 5-164-2b |
भीमसेनादिभिर्गुप्तां सार्जुनैश्च महारथैः । | 5-164-3a 5-164-3b |
तस्यास्त्वग्रे महेष्वासः पाञ्चाल्यो युद्धदुर्मदः। | 5-164-4a 5-164-4b |
यथाबलं यथोत्साहं रथिनः समुपादिशत् । | 5-164-5a 5-164-5b |
धृष्टकेतुं च शल्याय गौतमायोत्तमौजसम् । | 5-164-6a 5-164-6b |
सैन्धवाय च वार्ष्णेयं युयुधानं समादिशत्। | 5-164-7a 5-164-7b |
सहदेवं शकुनये चेकितानं शलाय वै। | 5-164-8a 5-164-8b |
वृषसेनाय सौभद्रं शेषाणां च महीक्षिताम् । | 5-164-9a 5-164-9b |
एवं विभज्य योधांस्तान्पृथक्व सह चैव ह । | 5-164-10a 5-164-10b |
धृष्टद्युम्नो महेष्वासः सेनापतिपतिस्ततः । | 5-164-11a 5-164-11b |
यथोद्दिष्टानि सैन्यानि पाण्डवानामयोजयत्। | 5-164-12a 5-164-12b |
।। इति श्रीमन्महाभारते |
5-164-10 अंशं स्वकीयमिति शेषः ।।
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