सं. 1324. पु. - 4 लोकप्रसिद्धिस्तन्त्रम् - इष्टसिद्धिः ? लोकवत्त लीलाकैवल्यम् - ब्र. सू. 2-1-3} लोहितोष्णीषा ऋत्विजः - ? वप्रकरणेऽन्यत्रापि - वै. वार्तिकम् वरुणो वा एतं गृह्णाति तै. सं. 2-3-12 वर्त्मनि जुहोति - श्रौ. सू. 11-6-1} वसन्त ब्राह्मणः -- ? वसन्ते ब्राह्मणं- आपस्तम्बधर्म 1-1-19 वसन्ते वसन्ते (ज्योतिष्ट्रांमेन) - आर. श्रौ. सू. 10-25 वषट्कर्तुः प्रथम भक्षः - ? वस्तु राजेति–वि. पु. 2-13-99 वस्तुशून्यो विकल्वः - यो. 19 वाचारम्भणं विकारः --छा. 6-1-5 वा चित्तविरागे-पा. सू. 6-4-91 2 201 2 17 2 387 1 328 1 2 215 266 2 215 1 467 1
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2 287 21 1 2 280 230 2 206 1 2 314 वाजपेयेन स्वाराज्यकामः – ? 1 282 वात्स्यायनादीनां ब्रह्मण्येव समन्वयः -- ? वायुर्यथैको भुवनम् -कठ. वायुर्वै घृतम् ? 304 22 287 वायुर्वै क्षेपिष्टा देवता - तै. सं. 2-1-1 2 - 287 2 291 वार्त्रघ्नी पौणमास्याम् (पूर्णमास) –ते. सं. 2-5-2 वासुदेवाभिधानस्य – वि. पु. 2--15-35 विकल्पो विनिवर्तेत - गौ. का. 1-18 विकारो नामधेयम् - छां. (6-1-5 विज्ञानमानन्दं ब्रह्म – बृ. 3-9-28 विज्ञानं परमार्थोऽसौ – वि. पु. 2-11-31 3 83 विज्ञानं यज्ञं तनुते तै. उ. 2-5-1 1 1 305 1 278 480 2 65 2 297 5-10 2 345 विद्याविद्ये- सं. शा. 2-12-8 1 166 विद्वान्नामरूपाद्विमुक्तः- मुण्ड. 3-2-8