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प्रतीकः |
श्लोकसंख्या
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खगाहिसिद्धेन्द्रनिज |
App. II 5
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खषट्शारघ्न्या निज |
6 7
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गरिष्ठनुत् सार्थवनं |
App. I, i 1
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गुरुचरणसरोज |
6 11
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गूढप्रज्ञो गुरु नत्वा |
App. VI. 4
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चतुर्वशा स्युर्मनवो |
1,10
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चतुर्युगानां प्रथमः |
I i, 4
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चापार्हमौर्व्याः प्रथमं |
3, 9
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चोळेन्द्ररासा |
App. I,i 7;
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" |
" V. 5
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जहार मधुनिर्मोगो |
" II 8
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जशुक्रयोस्तु स्फुट |
" 4.10
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ज्ञानज्ञः सिद्धसौख्यः |
App. VII. 1
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ज्ञानी वरिष्ठो नु |
" I i.19
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ज्ञानेन नूनेन |
" I i.2
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ज्ञानोत्सवो दिनपतेः |
" II. 9
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तत्कोटिमौर्व्या स्व |
" 4 11
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तथैव कार्या भगणैः |
App. I.i. 14
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तद्भीः खराः |
" II 3
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तनयः प्रतनुः |
" II 7
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तन्त्रसंग्रहसम्प्रोक्त |
" III 1
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तस्माच्छीघ्रोच्चकेन्द्र |
" IX. 6
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तस्य द्वितीये तु |
6,5
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तात्कालिकान् वृत्त |
4,4
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तिथ्यश्विदेवै: |
3. 1
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तुङ्गसमः कृष्णो |
App. VIII. 1
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तुला किरीटेरिध |
" I i.16
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ते वृक्रक्रियायां |
" I V. 3
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तेनाहता केन्द्र{ |
V.9
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तेनोदितात् कोटि |
3.7
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प्रतीकः |
श्लोकसंख्या
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तेषां मनूनां प्रभवात् |
App. I.I. 3
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त्रिघ्नाक्षज्या खाभ्र |
3. 26
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त्रिज्याहताद् |
5. 5
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दिनकेन्द्रगतिध्न |
3. 20
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दिवसा भानुभगणैः |
2.7
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दृक्क्षेपमौर्वी खलु |
6. 3
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दृकुतुल्याद् युगपर्ययात् |
App.II. 11
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दृढावर: प्राज्यनरः |
App.I. i.17
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देवाश्विनः षष्टि |
3.2
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दो: कोटिजीवे च |
5. 3
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दोर्ज्येयमन्त्यद्युगुणेन |
3. 24
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दोर्लिप्तिका तत्व |
3. 6
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द्रष्टा केन्द्रस्थितश्चेत् |
App.IX 1
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द्वाभ्यां द्वाभ्यां तद्वत् |
1.14
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धन्या नु सा काम |
I.i.9.ii.4c V.7
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घन्यो जालसमः |
App. X. 3
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धन्यो नाथ: |
" II.10
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धन्यो नु सोम |
1.i.14c
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धन्यो रवि सकुन्नत्वा |
VI. 5
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धाता शिवघ्नात् |
I.i.12
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धीबलनिघ्नात् |
IV. 4
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धीवरो रसनद्धात्मा |
IV. 3
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धीषष्टे पदभाकृति |
X. 4
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धूर्तनृपघ्नात् |
IV. 3
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धेनुघ्नात् खेटमगणात् |
III. 2
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नखेषुरामाः परिधि |
2.9
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नत्वा गुरून् गोल |
App.I.i.1
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नरेशलग्नः परिधिः |
" I.11.1 1c
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