पृष्ठम्:सिद्धान्तशिरोमणिः.djvu/25

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

( १७ ) लिखित एक शिला लेव प्राप्त होता है। इस लेख का डा० भाऊदाजी ने परीक्षण करके इनके गाँव का नाम 'पाटण" बताया है। श्री भास्कराचार्यजी के कथनानुसार सह्य पर्वत के आश्रित या इसके समीप में ‘विज्जडविड' नाम का गाँव था, जो कि इस समय में अन्य नाम से प्रसिद्ध हो गया है। पिता व गुरु इस महाविद्वान् के पिता व गुरु शाण्डिल्य गोत्रोत्पन्न महेश्वराचार्यंजी थे । ऐसा इनके कहने से ज्ञात होता है। जैसे अासीन्महेश्वर इति प्रथितः पृथिव्या - माचार्यवर्यपदवीं विदुषां प्रपन्नः । लब्धावबोधकलिकां ततः एव चक्र तज्जेन बीजगणित लघुभास्करेण।' वंशवृक्षं शिलालेख के आधार पर पूर्वापर पुरुषों की नामावली'-- त्रिविक्रम भास्करभट्ट गोविन्द प्रभाकर मनॊरथ महेश्वर भास्कर लक्ष्मीधर चङ्गदेव १. बी० ग० उप सं० १२ लो० २. भा० ज्योo ३४३ पृ० ।