पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९७४

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स्वादु स्वादु ( श्री० ) अंगूर स्वाद्री (सी० ) अंगूर दाख स्थानः (पु० ) आवाज्ञ | फोलाइल | स्वापः ' पु० ) १ निद्रा नींद | २ वझ | सपना । ३ औंबाई | निदास | ४ लकवा | सुन्न । १ किसी अंग के दब जाने से कुछ देर के लिये उसका सुन पद जाना था सो जाना। स्वायतेयं ( न० ) धन | सम्पत्ति । स्वापदः (पु० ) देखो श्वापदः । स्वाभाविक ( वि० ) [ श्री - स्वाभाविकी ] स्वभाव सम्बन्धी । स्वाभाविकाः (पु० ) (बहुवचन ) बौद्धों का सम्प्रा- दाय विशेष | स्वायंभुवः ( पु० ) ब्रह्मा के पुत्र प्रथम मनु का नाम । स्वारसिक (वि० ) [ स्त्री० --स्वारसिकी] स्वाभा- विक मिठास वाला । स्वेद स्वाराज् ( पु० ) इन्द्र का नामान्तर । स्वाराज्यं ( न० ) १ स्वर्ग का राज्य स्पन इन्द्रस्य ब्रह्मस्व ब्रह्मपन । स्वारस्तं ( न० ) १ स्वाभाविक उत्तमता या श्रेष्ठता २ सुखमा सौन्दर्य मनोहरता। स्वारोचिषः ( पु० ) | स्वारोचिषं (न० ) स्वालक्षयं ( न० ) स्वाभाविक पहचान के चिह्न या लक्षण | लक्षण विशेष दूसरे मनु का नाम । स्वाल्प (वि०) [ श्री-स्वाल्पी ] : थोड़ा | छोटा | २ कम । स्वाल्पं ( न० ) १ कमपन | थोड़ापन | छोटापन | २ संख्या का थोड़ापन । स्वामिता (स्त्री० ) 18 सालकाना | स्वत्वाधिकार । स्वामिन् (वि०) [ श्री – स्वामिनी ] स्वत्वाधिकारी। मालकाने के हक्क़ रखने वाला । (पु०) १ मालिक | स्वामी | २ प्रभु | ३ राजा महाराजा ४ पति । भर्ता । ५ गुरु। ६ पण्डित ब्राह्मण। सर्वोच्च श्रेणी का तपस्वी या साधु । ७ कार्तिकेय | ८ विष्णु । ६ शिव । १० वात्सायन ऋषि ११ गरुड़ - उपसारकः ( पु० ) घोड़ा कार्य. ( न० ) राजा या स्वामी का कार्य (पाल, ( पु० द्वि० ) ( पशु का ) मालिक और पालने वाला।- सद्भावः, (पु० ) १ किसी मालिक या स्वामी की विद्यमानता : २ स्वामी या प्रभु की नेकी - सेवा, ( स्त्री० ) १ स्वामी या मालिक की सेवा। २ पति के प्रति सम्मान | १ ग्रहण करना । अंगीकार स्वाम्यं ( न० ) १ मालिकपन | प्रभुत्व | २ सम्पत्ति | स्वीकृतिः ( स्त्री० ) ) ३ विवाह । परिणय । करना । २ रजामंदी | प्रतिज्ञा | स्वीकरणं ( न० ) स्वीकारः ( पु० ) > का स्वत्वाधिकार। ३ शासन प्रभुत्व स्वामित्व स्वायंभुव ( वि० ) [ स्वी०- स्वायंभुवी ] ब्रह्मा- सम्बन्धी । २ ब्रह्मा से उत्पन्न । स्वास्थ्यं ( न० ) १ आत्मानिर्भरता | स्वाधीनता | २ विक्रम | हृढ़ता | ३ तंदुरुस्ती | ४ सुखचैन ।५ सन्तोष । स्वाहा ( अभ्यया० ) १ देवता के उद्देश्य से हवि छोड़ते समय स्वाहा शब्द का उच्चारण किया जाता है। (स्त्री० ) १ अग्नि पत्नी का नाम । २ समस्त देवताओं के उद्देश्य से दिया हुआ नैवेद्य - कारः, ( पु० ) स्वाहा शब्द का उच्चारण |-- पतिः, प्रियः, ( पु० ) अग्नि । -भुज्, (पु०) देवता । स्विद् (अव्यया) प्रश्नवाची शब्द | यह संदेह और आर्य द्योतक भी है। यह कभी कभी या. एव, अथवा के अर्थ में भी व्यवहृत होता है। स्विद् ( धा० प० ) [ स्त्रिद्यति, स्विंदत या स्विन्न] पसीना निकालना । स्वीय (वि० ) निजू | अपना । स्त्र ( धा० ० ) [ स्वरति ] पढ़ना । ध्वनि करना | २ प्रशंसा करना । ३ पीड़ित करना । स्व ( धा०प० ) चोटिल करना । वध करना । स्वेक् (धा० ग्रा० ) [ स्वेकते ] जाना । स्वेदः (१०) पसेव । --उदं, उदकं जलं ( ५० ) पसीना 1-ज, (वि० ) पसीने से उत्पन्न ।