पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६५

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स्पृहणीय स्पृहणीय (वि० ) इच्छा करने योग्य | वान्छनीय । स्हयालु ( वि० ) स्पृहा करने वाला । इच्छा करने बाला | स्पृहा ( स्त्री० ) कामना। अभिलाष । उत्सुकता स्पृहा (वि०) वाध्यतीय। ईर्ष्या करने योग्य | स्पृह्यः (90) जंगली बिजीरे का पेड़ | स्पू (धा०प० ) [ स्पृणाति ] चोटिल करना | | वध करना । स्प्रष्टृ ( पु० ) देखो स्पर्ष्ट स्फट् ( धा०प० ) [ स्फति ] फट जाना | जाना । स्फट: ( पु० ) साँप का फैला हुआ फन एफटा ( स्त्री० ) 1 साँप का फैला हुआ फल || स्फियू ( श्री॰ ) चूतड़ ! नितम्ब । २ फिटकरी । स्फटिकः (पु० ) बिल्लौर । फटिक 1-अलः | ( पु० ) मेरु पर्वत । (पु० ) कैलास पर्वत । -अश्मन् आत्मन् - मणिः (पु०) - शिला, ( स्त्री० ) स्फटिक या बिल्लौर पत्थर | स्फटिकारिः ) ( स्त्री० ) एलूमिनियम धातुमिश्रित स्फटिकारिका । रसायनिक पदार्थ विशेष। मोटा हो जाना। बड़ा हो जाना बढ़ जाना २ सूज जाना फैल जाना वृद्धि को प्राप्त होना स्फार ( वि० ) १ बड़ा दी। बड़ा हुआ | फैला 1 हुआ। २ बहुत । विद्युत | ३ उच्चस्वरिन । स्फारं ( न० ) विपुलता । श्राधिक्य बहुतायत । स्कारः (g० ) १ सूजन | बाढ़ | वृद्धि | २ (सुवर्ण में का) दुखद | बुला | ३ गुमड़ा | गुमड़ी धरथराहट स्पन्दन | धड़कन ३ मरोड ऐंठन स्फारण ( न० ) विउलता | कंपन | थरथराहट | इकालः ( पु० ) धड़कन कंपन: धरथराहट | स्फालनं ( न० ) १ कंपन | धड़कन | २ हिलाना ! ३ रगड़न | घिन | ४ अपधपी । सहलाना । स्फरणं ( न० ) काँपना : थरथराना | धड़कना । स्फाटिक (वि० ) [ सी० स्फाटिकी ] फटिक पत्थर की। स्फीत ( च० ० ) 1 सूजा हुआ । बढ़ा हुआ । २ मोटा ताज़ा । यड़े आकार का | ३ बहुत | असंख्य अधिक! ४ सफलकाम समृदूवान | स्फटिकी (स्त्रो० ) फिटकरी । ५ पैतृक या पुश्तैनी रोग से सताया हुआ । स्फंटू (धा०प० ) [ स्कंति ] सड़क जाना। फूटस्फीतिः ( पु० ): वृद्धि | बाढ़ | २ विपुलता । आधिक्य | ३ समृद्धि | जाना । खिल जाना | फैल जाना 1 [ उ० स्कंदयति- स्फंटयते ] हँसी करना | मज़ाक करना। हँसना उपहास करना। स्फाटिकं (न० ) बिल्लौर पत्थर | स्फाटित ( च० कृ० ) चिरा हुआ | फटा हुआ | फैला हुआ । सन्धि वाला । स्फातिः ( स्त्री० ) १ सूजन | फूलन | २ वृद्धि। बड़ती। स्फायू ( धा० आ० ) [ स्फायते - स्फीत ] १ ट् ि(धा० उ० ) [ स्फेटयति स्फेय्यते ] १ घायल करना । २ वध करना । स्फिर ( वि० ) १ अधिक | बहुत । विपुल । २ अनेक । असंख्य । २ बड़ा । विस्तारित । स्फुटू ( घा०प० उ० ) [ स्कुदति, स्फोति- सफोटते, स्फुटित] १ फटजाना । अचानक दरक जाना।२ खिलना। फैलना कुसुमति होना। ३ तितर बितर होना भाग जाना ४ दृष्टिगोचर होना। प्रत्यक्ष होना प्रकट होना । स्फुट ( वि० ) १ फटा हुआ टूटा हुआ । २ पूरा खिला हुआ। फैला हुआ। ३ सफेद | चमकीला । विशुद्ध । ४ प्रसिद्ध प्रस्थात २ छाया हुआ | व्यास | ६ उच्चस्वरित । ७ स्पष्ट | सत्य | - अर्थ, (वि० ) १ बोधगम्य | साफ | २ अभिप्रायसूञ्चक गूढार्थंप्रकाशक । - तार, ( वि० ) नवविजड़ित । चमकीला