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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६४

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स्पर्धा स्पर्धा (खी०) १ दूसरे को दयाने की इच्छा प्रतियो- गिता | २ ईर्ष्या | डाह ! ३ युद्धार्थ श्राह्वान | ४ समानता | बरावरी । स्पर्धिन् (वि०) [ स्त्री० --स्पर्धिनी ] १ स्पर्धा करने वाला । प्रतियोगिता करने वाला प्रतिद्वन्द्वी ईर्ष्या डाही १ अभिमानी | ( पु० ) प्रतियोगी । स्पर्श (धा० था०) [स्पर्शयते] लेना । ग्रहण करना। स्पर्श करना । २ जोड़ना । मिलाना | ३ छाती से लगाना। आलिंगन करना। कोरियाना : स्पर्शन: ( पु० ) पचन 1 हवा | स्पर्शनं ( ० ) दान | भेंट | स्पर्शनकं (२०) सांख्य दर्शन में चर्म के लिये पर्यायवाची शब्द | स्पर्शवत् ( वि० ) १ स्पर्श द्वारा अनुभव करने योग्य । स्पर्श योग्य | २ कोमल । मुलायम हुने से आनन्द देने वाला। स्पर्ध ( ० ० ) [ स्पर्षते ] नम होना | भींगना । स्पृहण सीना | स्पर्धा ( पु० ) शरीर की बड़ी | शेग। बीमारी | स्पश् ( घा० उ० ) [ स्पति--स्पशते] १. रुकावट डालना | २ कोई काम करना | ३ छूना | १ देखना | सपशः ( पु० ) १ जासूस । जंगली जानवरों से लड़ने वाला पाने की कामना से ) २ युद्ध आव | लगाव | संसर्ग २ + स्पर्श : ( पु० ) १ लगाद | छुधाच | २ ( ज्योतिष में ग्रहों का ) समागम | ३ भिड़ंत सुठभेड़ | ४ अनुभव संज्ञा । २ स्वचा का विषय | ! ६ रोग बीमारी । पाँच वर्गों में से ( 'क' से 'मा तक ) कोई भी व्यञ्जन | ७ भेंट | दान | नज़र बचाना। रक्षा करना ४ रहना । पवन हवा | ६ आकाश | १० स्त्री स्पृ ( घा०प० ) [ स्पृणांति ] १ देना । खींचकर मैथुन1-प्रश, (वि०) निःसंश। बेहोश मूति | निकालना। २ दान करना । बकशना । ३ -उदय, ( वि० ) जिसके पीछे व्यञ्जन वर्ष हो । - उपलः - मणिः, ( पु० ) दिव्यमणि | -लज्जा. ( खी० ) छुईमुई।-वेद्य, (वि० ) जो छूने से जाना जाय ।—सञ्चारिन् ( वि० ) | स्पृश ( धा०प० ) [ स्पृशति. स्पृष्ट ] सूना उदना स्पृका (सी० ) एक जंगली रूस | दुबाहूत का संक्रामक । ~ स्थानं, ( न० ) उस समय का स्नान जिस समय चन्द्रमा या सूर्य का ग्रहय लगना आरम्भ होता है। -स्पन्दः, स्यन्दः, ( पु० ) मेंढक । स्पर्शन् (वि० ) [ स्त्री०- स्पर्शनी ] १ छूने वाला। २ प्रभाव डालने वाला। २ धीरे धीरे थपथपाना। ३ लगाव होना । सम्पर्क होना । ७ पानी से छिड़कना या धोना | १ प्राप्त करना । ६ प्रभाव डालना ७ हवाला देना। - लड़ाई | ३ ( पुरस्कार स्पष्ट ( वि० ) १ साफ । प्रकट | २ असली सचा। ३ पूरा खिला हुआ। ४ साफ साफ देखने वाला। स्पघं ( न० ) १ स्पष्टता से साफ़ तौर से ३२ खुलंखुल्ला | साहस पूर्वक |-- गर्भा, ( स्त्री० ) स्त्री जिसके शरीर में गर्भ धारण के लक्षण साफ . साफ दिखलाई पड़ते हाँ। तिपत्तिः, (पु० ) स्पष्ट प्रतीते - सचिन,-बक्कु, ( वि० ) साफ साफ कहने वाला । स्पृश ( वि० ) छूने वाला । असर डालने वाला। बेधने जाला। ( यथा मर्मस्पृश ) स्पृट ( व० ० ) १ छुआ हुआ । हाथ से मालूम किया हुआ | २ जो लागू न हो। जो पहुँचे नहीं। ३ कलङ्कित दागी । भ्रष्ट किया हुआ | ४ जिह्वा के स्पर्श से बना हुआ था उच्चारित व विशेष | स्पृष्टिः स्पृष्टिका } ( स्त्री० ) १ क्षुधाव । लगाव। १ - स्पृहू (घा० उ० ) [ स्पृहयति - स्पृहयते ] इच्छा करना । अक्षा करना। कामना करना। ईर्ष्या करना | स्पृहां ( न० ) इच्छा करने की किया।