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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६१

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स्थिति तिः ( श्री० ) १ रहन ठहरन २ स्थिरतः | ठराऊपन कर्तव्य में स्थिरता | १ ग्रहणकाल घर ( वि० ) १ हद | मज़बूत अटल | २ अचल गविहीन | ३ ऐसा स्थिर कि लिख भी न सके। ४ स्थायी अनादि अनन्त सदैव रहने वाला। स्थिरा ( स्त्री० ) पृथिवी स्थुड़ (धा०प० ) [ स्टुडति ] डकना । 1 ५ शान्त । स्वस्थ । ६ काम क्रोधादि से रहित या| खुलं ( न० ) एक प्रकार का वह सोमा मुक १७ एकरस । भतिज्ञ ८ निश्चित ३ सयत ठोस १० मज़बूत | १२ निष्ठुरहृदय | + संगदिल वचाहीन अनुराग, ( वि० ) वह | जिसका प्रेम एक सा बना रहे। श्रान्मन् वित्त, - चेतस्, घी, बुद्धि मति (वि०) द मन वाला पद्मविज्ञ | २ शान्त स्वन्ध www. mm. - 1- - प्रायुस्, जीविन, (चि० ) दीर्घायु वाला। चिरजीवी प्रारम्भ (वि० ) डिसी कार्य कोरकर तक एक सा उद्योग करने वाला ढड़ अध्ययसायी --गन्धः (पु०) चम्पा -चदः, (पु० ) भूर्जपत्र का बुर ~ छायः, (पु० ) १ वह वृत्त जिसकी छाया में बीउहरें वृद्धि (पु० ) मछली-जीविता, ( स्त्री० ) सेंमर का पेड़ -चंद्र ( पु० ) साँप - ( पु० ) चम्पा का पेड़ | २ कुल वृक्ष :- प्रतिज्ञ, (वि०) १ इवी | ज़िडी आग्रही २ बात का पा वचन का चौकस (~प्रतिधन्ध (वि० सामना करने में हद | हिंदी ~फला, (खी०) कुम्हा -योनि:, ( पु० ) बड़ा वृरा जिसकी छाया में लोग ठहरें -- -यौवन, (वि० ) सदा युवा रहने बाला/पौषनः, (पु० ) अप्सरा जाति के जीव परी-श्री, (वि० ) अनन्त काल रहने बाली समृद्धि। --संगर, ( वि० ) सत्यप्रतिश । अपने वचन को निवाहने वाला । - सोध्द, ( वि० ) मैत्री में स्थापिन्, दया अटल रहने वाला | 1 परः ( पु० ) १ देवता । २ वृक्ष | ३ पर्वत १४ वैद। साँड़ । २ शिव ६ कार्तिकेय | ७ मोक्ष | = शनिग्रह | यरता ( स्त्री० ) । १ हड़ता। अरलता । अचलता। परत्वं ( न० ) ) २ विक्रम पराक्रमयुक्त उद्योग र i स्थूल २ मन की दवा मन का एक रस बना रहना। ४ एकाता। " स्था (०) संभा थुकिया २ लोहे की प्रतिमा या पुतला ३ तुहार को निहाई + i { स्थूमः (पु० ) प्रकाश | २ चन्द्रमा स्थूर: ( ० ) १ सांच २ नर | मनुष्य | स्थूल ( वि० ) १ बड़ा बड़े आकार का | २ मोरा 1 २ मजदूत | ४ गड़ा मूर्ख मूड़ ६ सुस्त मन्दबुद्धिजो ठीक न हो |--- अंत्रं, ज० गुदा के पास रहती है- कास्य :50 ) सर्प --रचयः, ( पु० ) १ पर्वत से टूटी हुई शिक्षा या चान जो एक टीला सावन जाय २ कर्मी त्रुटि ३३ हाथी को चाल | मुँह पर मुहाँसों का निकलना | २ हाथी की सूँद के नीचे का गढ़ा या पोला सा स्थान काय, (वि० ) मैदे शरीर का । ~ सेड वेडः, ( पु० ) तीर-चापः ( पु० धुनिया की अनुही जिसमे रुई है ताल ( पु० ) इलज खजूर का वृक्ष |-धी. मति, (वि०) मूर्ख भूद्र देवकूफ नाज: { पु० ) या जाति का सरकंडा 1--नासे - नासिक. (वि० ) नाटी नाक वाहा:~-नाल, --नासिकः, ( पु० ) शूकर सुअर :--- ( पु० ) -पट, (ज० ) मोटा कपड़ा !-पट्ट ( पु० ) रुई शद (वि० ) यह जिसका पैर फूल उठा या सूज गया हो:- पादः (पु०) १ हाथी २ पील पांव के रोग से पीड़ित आवमी ~फलः, (पु०) सेम्हर का पेड़ 1-मानं (न० ) मौदा अन्दाज 1- मूलं, (न० ) मूली शत- गम जह, लक्ष्य, ( दि० ) १ उदार । दिलदार | २ मनस्वी विद्वान ३ वह जिसे हानि लाभ का स्मरय रहे: (०) में उत्पन S - बड़ी भगवाली स्त्री - शरीरं ( २० ) पां