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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६२

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स्थूल ( २५६ ) स्निग्ध होना : बसना | २ उगलना ( मुंह से ) धस्वी- कार करना । भौतिक नाशवान शरीर (सूचम या लिङ्ग शरीर | स्नस (धा०प०) [ स्नसति, स्नस्यति ] १ आयाद का उदा) - शाटकः, -शादिः ( पु० ) मैट-शीर्षका. (स्त्री० ) एक जाति की चींटी जिसका सिर शरीर की अपेक्षा बड़ा होता है। पट् पदः ( S० ) १ भौंरा । २ बचा। ---स्कन्धः (पु० ) लकूचा का पेड़ हस्तं, (न०) हाथी की सूँद । स्थूलं ( म० ) १ ढेर | राशि २ खीमा तम्बू । ३ कूट पर्वत की चोटी । स्थूलः ( पु० ) कटहल का पेड़। स्थूलक (वि० ) बड़ा लंबा विशाल मौटा। स्थूलकः ( 50 ) एक प्रकार की वास या नरकुल । स्थूलता ( स्त्री० ) ) 2 बड़ापन | मोटापन | बड़ाई। स्थूलत्वं ( म० २ मूदता । मूर्खता। मौटा होना । तगड़ा होना । जाना। स्थूलयति ( क्रि० ) आकार में वृद्धि हो स्थूलिन् ( पु० ) ऊंट | स्थेमन् (पु० )ड़ा स्थिरता } टिकाऊपन | 1 स्थेय (वि० ) स्थापित करने योग्य ते करने योग्य | निश्चित करने योग्य स्थेय: ( 30 ) पंच। निर्णायक | २ पाथा || पुरोहित स्थेयस् (वि० ) [ स्त्री०-स्थेयसी ] चतर । स्थेष्ठ (चि०) बहुत । अत्यन्त मजबूत स्थैर्य (न० ) १ स्थिरता । इड़ता। २ सातस्य | ३ मन की दृढ़ता । ५ धैर्य । ५ कठोरता। ठोसपन। ( पु० ) १क प्रकार की सुगन्धित नृव्य । स्थाणेयः स्थाणेयकः स्थौरं ( ज० ) १ हड़ता। शक्ति यख २ गधा या घोड़े के देने योग्य वे स्थौरिन् (वि० ) १ लहू घोड़ा | २ मा वरघोड़ा। स्थौल्यं (न०) स्थूलता | मुटाई। मौदापन | स्नपनं (न० ) 1 मार्जन प्रचालन १२ स्नान | स्नवः ( पु० ) बुधाव | रिसाव | उपकाव। स्ना (धा० प०) [ स्नाति, स्नात ] १ स्नान करना | नहाना २ वेद पढ़ने के अनन्तर गृहस्थाश्रम में लौडते समय स्नान करने की विधि को पूरा करना | स्नातकः ( पु० ) १ वह ब्राह्मण जिसने ब्रह्मचर्याश्रम के कर्म को पूरा करके स्नान विशेष किया हो । २ वेदाध्ययन के अनन्तर गृहस्थाश्रम में लौटने के लिये अङ्गभूत स्नान करने वाला ब्राह्मण । ३ वह जिसने किसी धार्मिक अनुष्ठान करने के लिये भिक्षावृत्ति ग्रहण की हो । ४ वह द्विज जिसने गृहस्थाश्रम में प्रवेश किया हो। स्नानं ( न० ) १ स्नान शोधन प्रचालन अवगा- हन २ देवप्रतिमा को विधिपूर्वक स्नान कराने की क्रिया | ३ कोई वस्तु जो स्नान में काम आती हो । -भगारं, (न० ) स्नानागार | गुशलखाना। -द्रोणी, (स्त्री०) नहाने के लिये टव - यात्रा, ( स्त्री० ) ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन का स्नान पर्व | -विधिः, ( पु० ) स्नान करने का विधान या नियम | , स्नानीय (वि० ) वह यह जो नहाते समय धारण करने के योग्य हो । उपयुक्त । स्नानीयं ( न० ) स्नान के काम में आने वाली कोई भी वस्तु गथा जल, उयटन, तैल आदि । स्नापकः ( पु० ) स्नान कराने वाला नौकर या वह नौकर जो अपने मालिक के नहाने के लिये जल लावे । स्नापनं ( न० ) स्नान करवाने की क्रिया या किसी के स्नान करते समय उपस्थित रहने की क्रिया | स्नायुः ( पु० ) १ शिरा नस २ धनुष का रोदा या डोरी। -अर्मन्, (न० ) नेत्र रोग विशेष | स्नायुकः ( पु० देखो स्नायु, स्नावः } ( पु० ) रग ! पुट्टा | स्नावन् स्निग्ध (वि० ) १ प्रिय प्यारा स्नेही मित्र |