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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९६०

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8 स्थानीय ( स्थानीय ( वि० ) १ किसी स्थान का । २ किसी स्थान के लिये उपयुक्त । स्थानीयं ( न० ) नगर | शहर | कस्बा | स्थाने (अव्यय०) १ उचित रीत्या | २ बजा | जगह में ३ क्योंकि बवज़ह ४ वैसे ही भकार। वैसे। जैसे। उसी तरह । उसी स्थापक ( वि० ) स्थापित करने वाला । स्थापकः ( पु० ) रंगमञ्च का व्यवस्थापक या प्रबन्धकर्ता | २ किसी देवालय का बनाने वाला। किसी मूर्ति की स्थापना करने वाला। स्थापत्यं ( न० ) भवन निर्माण - फला । इमारती काम । स्थापत्यः ( पु० ) जनानखाने का पहरेदार या रक्षक। स्थापनं ( न० ) १ स्थापित करने की क्रिया २ मन 1 की एकाग्रता | ३ आबादी बस्ती | ४ पुंसवन संस्कार । १५४ ) स्थापना (स्त्री०) १ प्रतिष्ठा | २ रंगमञ्ज का प्रबन्ध स्थापित ( ३० कृ० ) १ रखा हुआ । प्रतिष्ठित किया हुआ। जमा किया हुआ | २ जारी किया हुआ | खोला हुआ | ३ खड़ा किया हुआ | ४ निर्दिष्ट किया हुआ आदेश किया हुआ । ५ निश्चित किया हुआ निर्णीत किया हुआ। ६ नियत किया हुआ। नियुक्त किया हुआ | ७ विवाहित ८ दृढ़ भरल | स्थित स्थायुकः ( पु० ) गाँव का मुखिया था अकसर । स्थालं ( न० ) १ थाली । रक्कावी तश्तरी २ वट- लोई /-रूपं, (न० ) बरतन की शक्कु का । स्थाली (स्त्री० ) १ मिट्टी की हँड़िया। बटलाई | २ सोम रस तैयार करने का पात्र विशेष ३ पुष्प विशेष पाटल फूल-पाकः, (पु० ) गृहस्थ का धार्मिक कृत्य विशेष । -- पुरीषं, (न० ) वट- लाई का मैल पुलाकः, ( पु० ) बटलाई मे रखा हुआ भात | स्थार ( वि० ) १ अटल | अक्रियाशील | ३ स्थापित स्थावरं ( न० ) १ कोई निर्जीव वस्तु |२ रोदा | कमान की डोरी | ३ स्थावर सम्पत्ति ४ माल असदाव जो दपौती में मिले :- प्रस्थावरं, - जंगमं, (न० ) १ चल अचल सम्पत्ति । २ जानदार बेजान चीजें | अचल | २ सुस्त । स्थाप्य (वि० ) रखने योग्य जमा करने योग्य स्थाप्यं ( न० ) धरोहर अमानत अपहरणं. | (न०) धरोहर का गवन | अमानत की खयानत | स्थामन् ( न० ) १ ताकत | शक्ति । २ स्तम्भन- अचलता। शक्ति बल ३ अटलता। स्थायिन् (वि० ) १ खड़ा रहने वाला | २ टिकाऊ । ३ रहाइस। ४ स्थायी दृढ़ मजबूत पु० ) स्थायी भाव । ( नं०) स्थायी दशा या परिस्थिति । -भावः, ( पु० ) मन की स्थायी दशा । स्थायुक (वि०) [ स्त्री० –स्थायुका, स्थायुकी ] १ सहन करने वाला ठहराऊ । २ हद | मजबूत अचल | स्थावरः ( पु० ) पहाड़ । पर्वत । स्थाविर ( वि० ) [ स्त्री०- स्थाविरा, स्थाविरी ] मौटा छ । स्थाविरं [ न०) बुढ़ापा । स्थासकः ( पु० ) १ खुशबूदार उबटन लगा कर शरीर को सुवासित करने वाला । २ जल या किसी तरह के पदार्थ का बबूला | स्थासु ( न० ) शारीरिक बल । स्थास्तु (वि० ) १ हड़ अचल २ स्थायी । अनन्त टिकाऊ । स्थित ( च० कृ० ) १ खड़ा हुआ । ठहरा हुआ । २ जारी प्रचलित | ३ खड़ा हुआ निकला हुआ ४ वर्तमान | ५ हुआ। बाऊँ हुआ । ६ घेरे हुए। रोके हुए। ७ दृढ़ | मजबूत ८ढ़ सरूप किये हुए । ६ सिद्ध किया हुआ | आशप्त १० दृढ़ चित्त । १३ धर्मात्मा । पुण्यात्मा | १२ अपने वचन का धनी १३ इकार किया हुआ। कौल करार किया हुआ । १४ तैयार | मौजूद |-- घी, ( वि० ) शान्तचिस / दृढ़चित्त [-प्रज्ञ, (वि०) स्थिर बुद्धि वाला ।—प्रेमन् (पु० ) पक्का या सच्चा मित्र ।