पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९५७

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स्तयिन खीतरा स्तयिन् (पु० ) चोर | डोकृ| २ सुनार | स्तै (धा०प० ) [ स्तायति ] सजाना पहिनना । स्तैनं ( न० ) चोरी | डकैती । ( ६५१ स्तैम्यं ( न० ) चोरी डकैती । स्तैम्यः ( पु० ) चोर स्तैमियं ( न० ) ३ हड़ता। अटता | लता | २ | स्त्यै (प्रा० उ० ) [ स्थायति, स्वायते ] १ सुन्नपना | राशि या ढेर के रूप में जमा किया जाना | २ फैजाना। व्याप्त करना। ३ प्रतिध्वनि करना । स्तोक (वि० ) १ छोटा थोड़ा कम २ हस्व ३ कुछ। ४ नीचा --काय, (वि० ) खवकार। बौना छोटा~म्र (वि० ) कुछ कुछ झुका 1 हुआ कुछ कुछ या हुआ। स्तोकं ( अभ्यया० ) थोड़ा सा स्वरूप। सोकः ( 5० ) कम परिमाण थोड़ी मिकदार कतरा | बूंद | २ चातक पक्षी । स्तोककः (पु० चातक पक्षी | स्तोकशस् ( अभ्यया० ) थोड़ा थोड़ा करके। स्तोतृ ( पु० ) प्रशंसक। भाट । . स्तोत्रं ( म० ) 1 प्रशंसा | तारीफ | स्तुति । २ विरुदा चली। प्रशंसात्मक गीत या कविता । काव्य या कविता विशेष | स्तोत्रियः ( पु० ) स्तोनिया (स्त्री०) स्तोमं ( न० ) १ शिर २ धन दौलत ३ अन्त 1 अनाज | ४ लोहे की शान लगी लकड़ी । स्तोमः ( पु० ) १ रुकावट छड़चन | २ रोक । उह राव | ३ अप्रतिष्ठा असम्मान | ४ गीत | प्रशं सात्मक कवित्त | ४ सामवेद का भाग विशेष | कोई वस्तु जो ऊपर से किसी वस्तु में घुसेड़ दी गई है। , स्त्रा १ स्त्यानं ( म० ) मुदगई। बड़ा आकार आकार की वृद्धि २ स्निग्धता | चिकनाई ३ अमृत ४ काहिली | सुस्ती प्रतिध्वनि आई। स्थोयनं ( म० ) ढेर करना। भीड़भाड़ समूहन स्थानः (पु० ) अमृत २ चोर | स्तोमः ( पु० ) १ प्रशंसा | विरुदावली | गीत । २ यज्ञभाग | ५ देवता वा पितरों के लिये सोम प्रदान ४] संग्रह समूह ५ बहुसंख्यक | स्तोम्य (वि० ) लाध्य | प्रशंसनीय स्योन (वि० ) १ ढेर किया हुधा २ गाड़ा बढ़ा। बड़े आकार का ३ कोमल। मुलायम चिकना । ४ ध्वनिकारक । स्त्री (स्त्री० ) नारी | श्रीरत २ जानवर की मात्रा [ यथा- हरिगास्त्री, गजस्त्री ]। २ भार्या । पत्नी: ४ स्त्रीलिङ्ग । अगार, (पु०) भागारं. ( न० ) जनानखाना अन्तःपुर हरम -- अध्यक्षः, ( पु० ) ज़मानस्थाने या रनवास का अभिगमनं, (न० ) श्री के साथ मैथुन -आजीव:, (पु० ) 1 वह जो अपनी खी के सहारे रहता हो। ९ वह जो वेश्याम के लिये स्त्रियाँ रखता हो :- कामः, ( 50 ) १ स्त्री- मैथुन का अभिलाषी । २ भार्या प्राप्ति की कामना । --कार्य, ( न० ) १ स्त्री का काम । २ स्त्रियों का अनुचर अन्तःपुर का चाकर-कुमारं, (३०) स्त्री और बचाकुसुमं ( न० ) स्त्री का रजो- धर्म - तोरं, ( म० ) माता का दूध, ( वि० ) स्त्री के मैथुन करने वाला - गवी, (श्री०) दुधार गौ-गुरुः (पु० ) पुरोहितानी घोषः, (पु० ) प्रभात | सबेरा | -मः, ( पु० ) स्त्री की हत्या करने वाला- चरितं. - चरित्रं, (न० ) स्त्री के कर्म-चिह्न, (न०) १ श्री जाति का कोई भी चिह्न या लक्षण । २ भग | दोनि - चौरः, ( पु० ) स्त्री की चुराने वाला स्त्री को बहकाने वाला /-जननी, (स्त्री०) वह स्त्री जो लड़की ही बने ।-जातिः, ( स्त्री० ) स्त्री जाति । स्त्रीलिङ्ग |~-जितः (पु० ) भार्या निर्जित स्वामी स्त्रैणरुप-धनं, (न०) स्त्री की निजू सम्पत्ति । धर्मः, (पु० ) १ स्त्री या भार्या का कर्तव्य | २ श्री सम्बन्धी आईन ३ रजस्वला धर्म - धर्मिणी (स्त्री० ) रजस्वला स्त्री । - ध्वजः, ( पु० ) किसी भी जानवर की -