स्तिप स्तिप् (धा० प्रा० ) [ स्तेपते ] चूना | टपकना | रिसना । स्तिभिः ( पु० ) १ रोक | अचन | २ समुद्र | ३ गुच्छा स्वक स्तिम ) (धा०प० )[ स्तिम्यति, स्तीम्यति ] स्नीम् ) गीजा होना भींग जाना । २ अटल दोना सख्त होना । 1 ( ६ इन्द्र का नाम | स्तवीति, स्तुते, - - प्रशंसा करना। स्तुति करना। में गीत गाना | ३ स्तवन स्तु ( धा० उ० ) [ स्तौति, स्तुवीते, स्तुत ] २ किसी की प्रशंसा द्वारा पूजन या सम्मान करना । स्तिमित (वि० ) १ गीखा। नम | तर २ स्तब्ध | निश्चल शान्त ३ अटल गतिहीन ४ बंद | लकवा मारा हुआ। सुन ५ कोमल मुलायम | ६ सन्तुष्ट प्रसन्न वायुः, ( पु० ) मवावु | --समाधिः, (न०) ध्यान। ध्यानमग्नता। स्तिमितत्वं ( न० ) इड़ता शान्ति | 1 स्तूपः ( पु० ) 3 ढेर | राशि टीला २ बौद्धों के स्तूप या स्तम्भ जो विशेष सरकार के होते थे और स्मरणचिह्न स्वरूप समझे जाते थे। ३ चिता । स्तोर्विः (पु०) १ वह ऋत्विक जो किसी नियत ॠकिस्तृ ( घा० उ० ) [ स्तुणांति स्तृणुते, स्तृत ] की जगह काम करे । २ घास ३३ आकाश । अम्वरिष ४ जब ५ र खाना ढकना । तोप लेना २ फैजाना । बढ़ाना । ३ यखेरना | छितराना | ४ लपेटना | स्त्र ( पु० ) सितारा तारा। १५० ) स्तुच् (धा० ० ) [ स्तोचते ] १ चमकना । २ अनुकूल होना प्रसन्न होना। स्तुत ( व० कृ० ) १ प्रशंसित। कीर्तित लूसी किया हुआ। स्तेय स्तृत ( धा०प० ) [ स्वक्षति ] जाना । स्तृतिः ( स्त्री० ) १ विस्तार | फैलाव | बढाव । २ शांदर चहर | स्तुकः ( पु० ) केशों की चोटी। ) चेहटिल । स्तुका (श्री० ) १ केशों की चोटी । २ भैंसा के सींगों | स्तू }कषाण कार्य सहति, स्पृहति ] साइन के बीच के छल्लेदार बाल। मे जाँघ । जंधा । स्तू ( धा०प० ) [ स्तुणाति, स्तुणीते, स्तोएं ] कूल्हा | ढकना । छुपाना । • २ चाप- स्तुनकः ( पु० ) बकरा स्तुम् ( धा०प० ) [स्तोभति] १ प्रशंसा करना । २ प्रसिद्ध करना । प्रतिष्ठा करना पूजन करना | [ [आ० - स्तोभते ] दबाना बंद करना | रोकना | २ स्तब्ध करना सुन करना । लफवा को मार जाना | स्तुभः ( पु० ) बकरा। स्तूप् (धा०प० ) ( उ० ) [ स्तुम्नोति, स्तुन्नाति ] जमा करना। ढेर करना । २ उठाना | खड़ा करना। स्तेनू ( धा० उ० ) चुराना | लूटना स्तेनं ( न० ) चोरी चुराने का कार्य निग्रहः, ( पु० ) १ चोरों को दण्ड | २ चोरी की वारदातों को रोकना। स्तुतिः (स्त्री०) १ प्रशंसा । स्तव | स्तुति | २ विरुदा स्तेनः ( पु० ) चोर | लुटेरा । डाँकू | चली ३ चापलूसी ठकुरसुहाती झूठी प्रशंसा | ४ दुर्गा देवी का नाम -गीतं, ( न० ) विरुदावली के गीत पवं, (न० ) प्रशंसा की वस्तु पाठकः, (पु० ) बंदीजन | भाट / स्तेमः ( पु० ) सीत। नमी । तरी । वादः, (पु० ) प्रशंसावाद। गुणकीर्तन | स्तुतिस्तेयं ( न० ) १ चोरी | डॉकेजनी | २ कोई वस्तु ज प्रत, ( पु० ) भाट । स्तुत्य ( वि० ) लाभ्य। सराहनीय प्रशंसनीय चुराई गई हो या जिसके चोरी जाने की सम्भावना हो। ३ कोई निजू था गोप्य वस्तु A स्तेप ( घा० भा० ) | स्तेपते ] रसना टपकना । ( उ० ) [ स्तेपयति स्तेपयते ] भेजना | फैकना । -
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