पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/९५८

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स्त्रोतमा स्त्रीतरा मादा । -नाथ, (वि० ) वह जिनकी रक्षा कोई स्त्री करती हो I - निबंधनं, (न० ) गार्हस्थ्य धर्म | परः, ( पु० ) स्त्री-प्रेमी। लंपट | कामुक -पिशाची, (स्त्री० ) राक्षसी जैसी पत्नी | पुंसौ, ( पु० द्विवचन० ) १ पत्नी और पति । २ मर्दाना और ज़नाना। -पुंस लक्षणा, (स्त्री० ) स्त्री पुं० – उभय चिह्न विशिष्ट जन्तु या उद्भिद | -प्रत्ययः, ( पु० ) व्याकरण में स्त्रीवाचक प्रत्यय - प्रसङ्गः, ( पु० ) स्त्रीमैथुन ।-प्रसूः, (स्त्री०) वह स्त्री जो केवल लड़कियाँ ही जने - प्रियः ( पु० ) ग्राम का वृष | - बाध्य:, ( पु० ) वह पुरुष जो अपने आपको स्त्री द्वारा उत्पीदित करावे । - बुद्धिः ( स्त्री० ) १ औरत की अकृया समझ | २ स्त्री की सलाह या परामर्श | - भोगः ( पु० ) स्त्रीमैथुन 1-मंत्रः, ( पु० ) स्त्री की चालाकी । स्त्री की सलाह 1—मुखपः; (पु० ) अशोक वृक्ष । -यंत्र, ( म० ) स्त्री के आकार की कल । - रंजनं, ( न० ) ताम्बूल । पान । -रत्नं ( न० ) - तम स्त्री। – राज्यं, (न० ) स्त्री का राज्य -- लिंगं, ( न० ) १ स्त्रीवाची | २ योनि | भग | -चशः, ( पु० ) स्त्रैण 1 — विधेय, ( वि० ) वह जिस पर उसकी स्त्री हुकूमत करे ।-संग्रहणं, ( न० ) १ स्त्री को (अनुचित रूप से ) चिपटाने की क्रिया | २ व्यभिचार -सभ. (न० ) स्त्रियों का समाज । - संबंधः, ( पु० ) स्त्री के साथ वैवाहिक सम्बन्ध । २ विवाह द्वारा सम्बन्ध स्थापन | - स्वभाव:, ( पु० ) १ स्त्री की प्रकृति । २ हिंजड़ा | मेहरा । ज्ञनाना । --हरणं, ( न० ) स्त्री पर वलात्कार । स्त्रीतमा }( स्त्री० ) नितान्त स्त्री | स्त्रीता )१ स्त्रीपना । २ भार्यापन | ३ जनानपन स्त्रीत्वं । महरापन । स्त्रैणा ( वि० ) [ स्त्री० - स्त्रैणी ] १ जनाना | २ स्त्रियोपयुक्त | स्त्री का । ३ स्त्रियों में रहने वाला | स्त्रैणं ( न० ) १ स्त्रियस्व । स्त्रीस्वभाव | २ स्त्रीजाति । ३ स्त्रियों का संग्रह | ( ६५२ ) स्थल स्थ ( वि० ) स्थापित | ठहरा हुआ। वर्तमान | स्थकरं ( न० ) सुपाड़ी | स्थम् ( भा०प० ) [ स्थगति, स्थगवति, ] १ ढकना । छिपाना । पर्दा डालना । २ भरना | पूर्ण करना । व्यास करना । स्थग ( वि० ) १ धूर्त | कपटी | बेईमान | २ व्यक्त । लापरवाह । ढीठ | स्त्रैणता (स्त्री० ) ३१ जनानपना | महरापन | २ इत्रणत्वं ( न० ) ) त्रियों के प्रति अत्यन्त अनुरक्ति । स्थगः ( पु० ) १ गुंडा। बदमाश ठग । स्थगनं ( न० ) छिपाच दुराव स्थगरं ( न० ) सुपाड़ी। स्थगिका ( स्त्री० ) १ वेश्या | रंडी | २ वह नौकर जो पान के वीड़े साथ लिये हुए अपने मालिक के संग रहे । ३ एक प्रकार की पट्टी या बंधन । स्थगित (वि० ) ढका हुआ | छिपा हुआ । स्थनी (स्त्री०) पनदिव्या स्थगुः (पु० ) कूबड़ | कुब्ब | स्थंडिलं ) ( न० ) १ वेदी | वेदिका | २ उसरखेत । स्थण्डिलं ) २ ढेलों का ढेर | ४ सीमा । हद । ५ सीमाचिह्न |~-शायिन्, ( पु० ) व्रत के लिये चबूतरे पर सोने वाला। -सितकं, ( न० ) वेदी । अग्निवेदी । स्थपतिः ( पु० ) १ राजा २ होशियार बढ़ई । ४ को बलि चढ़ाने वाला ७ कुबेर का नाम । महाराज | २ कारोगर । सारथी | ५ बृहस्पति देव ६ जनानखाने का नौकर ५ स्थपुट ( वि० ) सङ्कटापन | ऊबड़खाबड़ | ऊँचानीचा स्थल ( धा०प० ) [ स्थलति ] हृढ़ता से खड़ा होना। दृढ़ होना। स्थलं ( न० ) १ हद या सूखी भूमि । सूखी ज़मीन २ समुद्र या नदी का तट । वेलाभूमि ३ क्रमीन | धरती | ४ स्थान | जगह । ५ खेत । भूभाग ६ टीला | ७ विषय | विवादग्रस्त विषय | ८ भाग [ जैसे ग्रन्थ का ] ६ स्ख़ीमा | तंबू /- अंतरं, (न० ) दूसरी जगह । - भारुढ, (वि०) पृथिवी पर उतरा हुआ। —–अरविंद, कमलं,