सलि संश्लिष्ट (व० कु० ) १ खूब मिला हुआ | २ आति- ङ्गित | ३ सम्बन्ध युद्ध ४ पड़ोस का | समीप का ५ अन्बित | सम्पन्न | संश्लेष: ( पु० ) १ आलिङ्ग परिरंभ मिलन भेंटन | २ मेल संयोग संस्पर्धा | ( ८७३ ) संश्लेषण ( न० ) 15 मिला कर दबाना | २ दो संश्लेपणा ( वी० ) | को एक साथ मिलाने का साधन | संसान वि० ) रंगनेवाला। सरकने वाला। संसा: ( पु० ) जमाण्ड़ा। गोही। सभा | समाज | संसारः ( 5० )मार्ग राजा | २ सांसारिक जीवन ३ पुनजंम्भ । बार बार जन्म लेने की परंपरा धावागमन भवचक्र | ४ मायाजाल । - गमनं. ( न० ) पुनर्जन्म 1- गुरुः ( पु० ) कामदेवः पु०) मांसारिक जीवन का मार्ग २ स्त्री की जननेन्द्रिय भग 4 बँधा हुआ | रोका हुआ -- मनसू, ( वि० ) ( पु० ) - मोच ( ० ) मुक्ति आवागमन से छुटकारा | मन लगाये हुए :–युग, (वि० ) जुझा में | संसारिन (वि० ) [ स्त्री० -संसारिणी ] लाफिक । लगा हुआ। साज या जीन लगा हुआ । रिक ( पु० ) जीवधारी मखलूक संसक्त ( ६० कृ० ) १ लगा हुआ | सटा हुआ । २ जुड़ा हुआ | ३ समीप | निकट | ४ गड़बड़ वाल मेल | संमिश्रित । १ लवलीन ६ सम्पन्न । ७ 1 संसक्तिः ( स्त्री० ) १ घनिष्ट सम्बन्ध ३ अन्त परिचय | ४ बन्धन | । २ सामीप्य भक्ति | संसद् ( स्त्री० ) १ सभा । मजलिस | मण्डल | २ न्यायालय | संसरणं ( न० ) १ गमन | २ संसार । सांसारिक जीवन ३ जन्म और पुनर्जन्म ४ सेना का प्रस्थान २ राजमार्ग श्राम सड़क। ६ युद्धारम्भ । ७ नगरद्वार के समीप की मुला- फिरों की धर्मशाला | ५ संसर्गः (पु० ) ३ संगम | मेल मिलाप | २ संस्था । सभा । ३ संस्पर्श | ४ हेलमेल | रतज्ञप्त मैथुन | सम्भोग । ६ घनिष्ट सम्बन्ध - अभावः, ( पु० ) संसर्ग का अभाव । सम्बन्ध का म होना । २ न्याय में श्रभाव का एक भेद । किसी वस्तु के सम्बन्ध में दूसरी वस्तु का प्रभाव | - दोपः, (पु० ) वह बुराई जो बुरी संगत के कारण उत्पन्न हो संगत का दोष । संसर्गिन् (वि० ) संसर्ग या लगाव रखने वाला । ( पु० ) साथी संगी। संसर्जन ( न० ) १ संयोग । मिलान | २ त्याग ! वैराग्य | ३ वर्जन | राहित्य | संसर्प ( ० ) १ रेंगना सरकना | २ महमा क्रमण अचानक हमला | संसर्पः ( पु० ) १ रेंगना सरकना २ वह अधिक मास जो इय मास वाले वर्ष में होता है। जीवात्मा । मोट मो संसिद्ध ( च० कृ० ) १ पूर्णतया सम्पन्न | २ जिसका योग सिद्ध होगया हो। मुक्त संसिद्धि: ( श्री० ) : सम्यक् पूर्ति । किसी कार्य का अच्छी तरह पूरा होना । मोछ । मुक्ति ३ प्रकृति | स्वभाव | निसर्ग ४ मदमस्त स्त्री । मदोग्रा । संसूचनं ( न० ) १ ज़ाहिर करना । जताना । प्रकट करना । सूचना देने वाला २ सङ्केत करने वाला । इशारा देने वाला भर्त्सना फटकार | संसृतिः ( स्त्री० ) १ धार | प्रवाह । २ नैसर्गिक जीवन | ३ आवागमन | भवचक्र | संसृष्ट ( ३० कृ० ) १ मिश्रित । मिला हुआ | साझीदार की तरह शामिल | ३ रचित । संयो- जिल पुनर्मिलित ५ रचा हुआ | ६ शुद्ध किया हुआ। संसृष्टता (स्व.०)} संसप्ट होने का भाव । जायदाद हो के पीछे फिर एक में होना या रहना, संसृष्टि: ( स्त्री० ) १ एक में मेल या मिलावट । मिश्रण। २ परस्पर सम्बन्ध । लगाव । ३ हेल- भेल । घनिष्टता। मेल मुआत | ४ एक ही सं> श० को०- ११०
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