पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८७८

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

सवृत ( ८७२ छीना हुआ। परिपूर्ण | भरा हुआ | 8 सम न्वित । सहित । श्राकार, (वि० ) वह जो अपने मन का भेद किसी प्रकार प्रकट न होने दे। -मंत्र, (वि० ) वह जो अपने विचार गुप्त रखे । संवृतं ( न० ) १ गुप्त स्थान | २ उच्चारण का ढंग विशेष | संवृतिः ( स्त्री० ) १ ढकने या छिपाने की क्रिया | २ छिपाव | दुराव | ३ गुप्त मंसूबे संवृत्त ( व० कृ० ) १ जो हुआ हो । घटित । २ परि पूर्ण निष्पन्न | ३ एकत्रित | ४ व्यतीत | ३ छ । ६ थन्वित । संवृत्तः ( पु० ) वरुण का नाम संवृत्तिः (स्त्री०) १ होना | घटित होना । २ सिद्धि | निष्पत्ति | ३ आच्छादन संवृद्ध ( व० कृ० ) १ पूरा बढ़ा हुआ | २ लंबा उगा हुआ लंबा ऊँचा ३ फला फूला हुआ। उन्नत | संवेगः ( पु० ) १ उत्तेजना | चोभ | २ पूर्ण वेग या तेज़ी । प्रचण्डता | ३ उतावली | आवेग । ४ चटपराहट | कहुआपन संवेदनं ( पु० ) १ अनुभव | प्रतीति । बोध । संवेदः ( पु० ) 21 प्रतीति । बोध | २ अनुभव सवेदना (स्त्री० ) ) करना । ३ उत्सर्ग | समर्पण । संवेशः ( पु० ) १ निद्रा विश्राम २ स्वप्न | ३ बैठकी। ४ मैथुन । सम्भोग रतिबन्ध | संवेशनं ( न० ) रति । रमण । समागम । संव्यानं ( न० ) उत्तरीय वस्त्र चादर दुपट्टा | २ वस्त्र | आच्छादन कपड़ा । संशप्तकः ( पु० ) १ वह योद्धा जिसने बिना सफल हुए लड़ाई से न हटने की शपथ खायी हो । २ वह योद्धा जिसने शत्रु को मारे बिना, रणक्षेत्र से न हटने की शपथ खायी हो । ३ चुना हुआ योद्धा ४ सहयोगी योद्धा ५ षड्यंत्रकारी जिसने किसी की हत्या करने का बीड़ा उठाया हो । संशयः (पु०) शक | सन्देह | दुविधा | २ अनिश्च- यात्मक ज्ञान | ३ खसरा | जोखों | ४ सम्भावना । ) सश्रुत -आत्मन्, ( वि० ) संशयात्मक। सन्दिग्ध - आपन, उपेत, स्थ, (वि० ) सन्दिग्ध संशयी | अनिश्वयात्मक -गत, (वि० ) ख़तरे में पड़ा हुआ । – छेदः, ( पु० ) संशय का निरसन । निश्चयात्मक संशयान }( वि० ) सन्दिग्ध । शक्की | डौँवाडोल । संशयालु संशरणं ( न० ) चढ़ाई का उपक्रम आक्रमण । संशित ( व० ० ) १ शान पर चढ़ाया हुआ तेज़ किया हुआ । टेया हुआ । २ पूर्णरीत्या पूरा किया हुआ | ३ निश्चय किया हुआ । निर्णय किया । हुआ। तै किया हुआ । —प्रतः, ( पु० ) वह जिसने अपना व्रत पूरा कर डाला हो। संशुद्ध (वि० ) १ विशुद्ध | यथेष्टशुद्ध | २ पालिश किया हुआ | साफ किया हुआ | ३ प्रायश्चिस से निष्पाप किया हुआ | संशुद्धिः ( स्त्री० ) १ पूर्ण रूप से शुद्धि । २ सफ़ाई शुद्धि । ३ सही करने की क्रिया ! भूल को सुधा. रने की क्रिया ४ ऋणशोध | १ निकासी । संशोधनं ( न० ) सफ़ाई । निकासी ! संश्चत् ( न० ) हाथ की सफ़ाई जादूगरी इन्द्र- जाल । ( पु० ) जादूगर | संशयान ( ब० कृ० ) १ सङ्कुचित | सिकुड़ा हुआ। ठिठुरा हुआ। २ जमा हुआ। जमौया । ३ लपटा हुआ ४ सहसा विनष्ट हुआ। निवासस्थान | पनाह संध्यः ( पु० ) १ श्राश्रय | शरण पनाह | २ विश्रामस्थान आवसस्थान डेरा। टिकासरा ३ थाश्रयाभिलाषी चाहने वाला। सन्धि करने वाला। संश्रवः ( पु० ) १ सुनना कान देना । २ प्रतिज्ञा | इकरार संश्रवणं ( म० ) १ श्रवण | सुनना । २ कान । संश्रित ( च० कृ० ) १ आश्रय ग्रहण या रक्षा कराने के लिये गया हुआ । २ समर्थन किया हुआ | आश्रय दिया हुआ | संश्रुत ( व० कृ० ) १ प्रतिज्ञात । आपस में ले किया हुआ । २ भली भाँति सुना हुआ।