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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८६६

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आद्धिक ( वि० ) [ स्त्री०- धाद्धिकी ] आढ सम्बन्धी । श्राद्धम् ( 5० ) दिनं, ( म० ) वह दिन जिस दिन किसी मरे हुए के उद्देश्य से श्रादू कर्म किया जाय। -देवः, (पु० ) -देवता, (स्त्री० ) १ श्राद्ध का अधिष्ठाता देवता | २ ममराज ३ वैश्वेदेव --भु, भोक, (पु० ) मृतक । पूर्वपुरुष । श्राद्धम् (न०) १ वह कार्य जो श्रद्धापूर्वक किया जाय । आवित ( वि० ) कथित । वर्णित कहा हुआ। २ वह कृत्य जी शास्त्र के विधान के अनुसार | श्राव्य (वि० ) १ सुनने योग्य । २ जो सुन पड़े। पितरों के उद्देश्य से किया जाता है। ( 50 श्रांत भ्रान्त श्रीतः धान्तः श्रांतिः श्रान्तिः } { व० कृ० ) १ थका हुआ । २ शान्त । } ( पु० ) साधु | संन्यासी । आद्धिक (न० ) श्राद्ध में दी हुई। श्राद्धय (वि०) श्राद्ध सम्बन्धी । श्राद्धिकः ( पु० ) वह जो आजू के अवसर पर पितरों श्रित (३०) १ गया हुआ रक्षा के लिये के उद्देश्य से भोजन कराता हो । समीप आया हुआ। २ चिपटा हुआ। ३ संयुक्त | ४ रचित | २. सम्मानित । परिचर्या किया हुआ। ६ सहकारी ! ७ छाया हुआ । ढका हुआ सम्पन्न | ७ एकत्रित | जमा हुआ। ६ अधिकृत | वितिः ( स्त्री० ) चाय | श्रियंमन्य (वि०) १ अपने २ अभिमानी । योग्य समझने वाला। ( स्त्री० ) थकावट | श्रामः ( पु० ) १ मांस । २ समय ३ उठाऊ श्रायः ( पु० ) संरक्षण | रक्षा आश्रय | श्रावः ( पु० ) सुनना | श्रवण श्रावकः ( पु० ) सुनने वाला २ शिष्य चेला ३] बौद्ध भिक्षुक ४ बौद्ध भक्त | २ नास्तिक | कौशा 1 ६ ) श्री का प्रसिद्ध त्योहार रक्षाबंधन होता है। इस दिन लोग यज्ञोपवीत का पूजन करते और नवीन यज्ञोपवीत भी धारण करते हैं। आवण (वि० ) [ स्त्री०- श्रावणी ] काम सम्बन्धी । २ श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न | श्रवाः (पु०) एक मास का नाम । २ नास्तिक | ३ प्रतारक। छद्मवेशी भगढ ४ एक वैश्य तपस्वी, जो महाराज दशरथ के राज्यत्व काल में था। श्रावणिक (वि० ) १ श्रावण मास सम्बन्धी । आषणिकः ( पु० ) आवण मास । आवणी (स्त्री० ) १ आवण मास की पूर्णिमा २ २ श्रावण मास की पूर्णिमा, जिस दिन ब्राह्मणों श्रावस्तिः श्रावस्ती (स्त्री० ) उत्तर कोशल में गंगा के तट पर बसी हुई एक बहुत प्राचीन नगरी । श्रि (धा० उ० ) [अयति-- अयने, चिन] जाना। २ प्राप्त करना | ६ सुकना । आश्रय लेना । ४ बसना ५ परिचर्या करना ६ व्यवहार करना । ७ अनुरक्त होना । श्रियापतिः (पु० ) शिव जी का नामान्तर । शिष् (धा०प० ) [ श्रेषति ] जलाना | श्री (धा० उ० ) [ थीखान, श्रीखते ] राँचना । उबालना तैयार करना। 1 ! i श्री (सी० ) १ धन सम्पत्ति समृद्धि |२ राजसी. सम्पत्ति ३ गौरव उच्चपद ४ सौन्दर्य आभा ५ रंग ७ धन की अधिष्ठात्री देवी | ७ कोई गुह या सत्कर्म ८ सजावट श्रृंगार | ६ बुद्धि | प्रतिभा १० अलौकिक शक्ति धर्म, अर्ध और काम १२ सरख वृद्ध | १३ बेल का पेड़ | १४ लवङ्ग लौंग | १२ कमला (न०) कमल 1 - ईशः, (पु०) विष्णु का नामान्तर :- कण्ठः, (पु० ) १ शिव । २ भवभूति कवि | -करः, (पु० ) विष्णु । -करं, (२० ) लाल कमल 1- - करणं. ( न० ) कलम /-कान्तः, ( पु० ) विष्णुकारिन ( पु० ) एक प्रकार का साग ।-गदितं, ( न० ) उपरूपक के