पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८५८

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शुष्कल शुष्कल रण शत्रुतावणं. (न० ) फोड़े या छाप का निशान 'शुकलं' (न० ) ) शुष्कलः ( पु० ) ) शुष्मं ( न० ) पराक्रम | बज्र | २ दीसि | आभा ।

शुष्मः ( ५० ) १ सूर्य । २ आग | ६ पवन | ४ पड़ी चिड़िया शुष्मन् (पु० ) अनि। ( न० ) चन्द्र | पराक्रम २ भाभा । दीक्षि 1 सूखा माँय। माँस । शुकर: ( पु० ) शुकर सूअर इप्टः, ( पु० ) मुस्ता कसेरू । 1 शुकं (न० ) ) शुकः ( पु० ) ) १ जबा की बात भुट्टा २ सुथर का बाल कड़ा यात्र ३ नोंक. पैना न ४ कोनमा । दयालुना एक प्रकार का विषैला कोना। कोट, कीटकः ( पु० ) एक जाति का पैर कीड़ा-धान्यं, ( म० ) वह था जिसके दाने वालों या सौंकों में लगते हैं, जैसे गेहूँ, जवा आदि। - पिंडि, -: पिण्डी, (श्री०) - शिवा, शिविका, शिवी! (स्त्री०) कपिकच्छु ( किंवाछु । कौंछ । दोंदिया । शूकक ( पु० ) अनाज विशेष कोमलता | दयालुवा | शूद्रकः ( पु० ) विदिशा नगरी का एक राजा और सृच्छकटिक का रचयिता महाकवि । शूद्रा ( श्री० ) शुद्धजानि की श्री - भार्थ: ( पु०) शूरगण. वह पुरुष जिसकी स्त्री शुद्ध जाति की हो - वेदनं, (न० ) शला स्त्री के साथ विवाह करने वाला /सुनः (पु० शूद श्री का यह पुत्र fare पिता किसी भी जाति का हो । शूद्रासी) शद्री . ) • शून ( ० ० ) १ सूना हुआ शूना ( बी० ) १ तालु के ऊपर खाना कसाईखाना ( स्त्री० ) हकी बड़ा हुआ ससु की छोटी जीन । २ ३ गृहम्भ के घर के वे स्थान जहाँ नित्य अनजाने अनेक जीवों की हत्या होती हो जैसेन्हा की, पानी का पान आदि या गृहस्थी के वे उपस्कर जिनसे जीवहिमा होती होने पाँध ये बतलाये गये हैं-यथा चूल्हा दक, भाड़, उनी और जलपात्र ।

शुकल ( पु० ) चमकने या भवकने वाला घोड़ा शूत्रः ( पु० ) सुत्यनुसार अथवा हिन्दू धर्म शास्त्रानु-! नुसार चारवयों में से चौथा और अन्तिम वर्ण । ) —उदकं, ( न० ) वह जब जो शुद्ध के छूने से | शून्या (बी० } पोखी नरकुल । २ बाँझ स्त्री । भ्रष्ट हो गया शूर (घा० उ० ) [ शूरयति- शूरयते] बहादुरी दिखाना वीरता प्रदर्शित करना | २ मी खोलकर उद्योग करना । हो -प्रियः, (पु० पलाण्डु | प्याज-मेष्यः (पु० ) वह ब्राह्मण क्षत्रिय या वैश्य जो किसी शुद्ध की नौकरी या सेवा करता हो --याजकः, ( पु० ) वह याह्मण जो शुद्ध को यह कराता हो या उसके लिये यज्ञ करता हो । -वर्गः ( पु० ) शुद्ध जाति /- सेवनं, (न० ) शुद्ध की सेवा | [1] शून्य (वि० ) ३ रीता खालीभाव राहित्य | २ निर्जन एकान्त ४ उदास रंजीवा | २ रहित । अभावयुक्त ६ अनासक्त | विरक | ७ व्यकपट सरल स्त्रीधासादा = ऊटपटांग | अर्थ- शून्य ६ नंगा | परिच्छद रहित-मध्यः, ( पु० ) पोला नरकुज - वादः (०) बौद्धों का एक सिद्धान्त जिसमें ईश्वर या जीप किसी को कुछ भी नहीं मानते।- वादिनु (90) १ नास्तिक | २ बौद्ध | शून्यं ( ० ) १ खाली स्थान २ भाकाश ३ शून्य विदी अभाव। धनस्तित्व | [1] शूर ( वि० ) बहादुर | वीर। शूरः (3०) १ बीर | भ्रट | योद्धा | २ शेर ! ३ शूकर ४ सूर्य : २ साल वृक्ष : ६ श्रीकृष्ण के पितामह का नाम कीटः, ( पु० ) तुन्छ योद्धा - मानं. ( न० ) अहंकार। अकड़ सेन, ( पु० ) (बहुवचन ) मधुरामरडल या उसके अधिवासी। शुरण: ( पु० ) ज़मीकंद। सूरन