पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७५५

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पैसा ( वस्नसा स्त्री० ) स्नायु । अतड़ी मारा। पंह (घा० उ० ) [ हाति-वंहासे ] प्रकाशित कर- चाना बई ( धा० उ० ) ना [ पति-चहते, ऊह ] १ ले जाना | ढोना चोक पहुँचाना २ आगे बढ़- [1] वाना ३ जाकर जाना। 8 समर्थन करना । २ निकाल ले जाना ६ विवाह करना । ७ अधिकार में कर लेना। कक्षा कर लेना प्रदर्शित करना | दिखलाना । १ रखवाली करना । | वहां ( म० ) १ गाड़ी | २ सवारी कोई भी खबरदारी करना | खबर लेना। १० अनुभव | वह्या (स्त्री० ) ऋषिपक्षी । करना | सहना । वहिक देखा वहिक बल्होक बहः ( पु० ) १ समर्थन । ले जाने की क्रिया २ वैत्त वल्हीक का कंधा । ३ वाहन । सवारी : ४ विशेष कर | वा ( अन्यवा० ) १ या । अथवा | २ और । तथा। घोड़ा। २ हवा पवन ६ मार्ग सड़क ७ भी।३ जैसा सदृश ४ विकल्प या सन्देह नद वाचक । चार होण भर का एक नाप । यात्री । २ वेल । वा ( धा० प० ) [ चाति, वात, या चान ३१ फूंकना घोंकना २ जाना३ धाघात करना अनिष्ट करना । वहतः ( पु० ) बहतिः ( पु० ) १ बैल । २ हवा | पवन । ३ परामर्शदाता सलाहकार । ती वहा ( स्त्री० ) 3 नदी | चश्मा सेस्ता | 9 वहंतः घहम्नः { ७४८ ) चहतुः (पु० ) बैन । पहनं ( म० ) १ ले जाना पहुँचाना। २ समर्थन । ३ बहाव । ४ सवारी । २ नाव | बेड़ा | } { १० ) १ हवा । २ बच्चा । पहल देखो बद्दल यहि ( न० ) पहिकं ( २० ) वहिनी (स्त्री० ) पहिष्क (वि० ) बाहिरी । बाहिर का। } मित्र | बेड़ा नाव | जहाज पोत | वागर - बाँस | २ शमी का पेड़ /- दीपकः, ( पु० ) कुम का पेड़ |~भोग्यं, (न०) घी। मित्रः, ( पु० ) पवन। हवा - रेतस् (१००) शिव जी। लोहं, जोहकं, ( न० ) साँवा - वल्लभः (पु०) राख | ~ बीजं, (न०) सुर्य २ नीबू !~ शिखं, (२०) १ केसर |२| -सुखः, ( पु० ) पवन संशकः ( पु० ) चित्रक का पेड़ | चहेडकः ( पु० ) बहेड़ा या विभीतक का पेड़ । वहिः (०)अग्मि भाग २ अन्नपचाने या जो खाया जाय उसे पचाने वाली शक्ति । ३ दाज़मा भूख ४ सवारी। -कर, ( वि० ) जलाने वाला भूख बढ़ाने वाला 1-फाएं, ( न० ) अगरु की लकड़ी । -गर्भः, (पु० ) १ A घांश (वि०) [ सी०-यांशी ] यस का बना हुआ। वांशी ( श्री० ) बंसलोचन । वांशिकः (०) १ बाँस काटने वाला । २ बंसी बजाने बाला नफीरी बजाने वाला वाकं (न० ) सारसों की लड़ाई। चाकु देखो चाकुल वाक्यं ( न० ) १ भाषण शब्द वाक्य । कथन । जो बोला जाय। आवेश आज्ञा सिदान्त -पदीयं, ( म० ) एक ग्रन्थ का नाम जो भतृ- हरि का बनाया हुआ बतलाया जाता है - पद्धतिः (स्त्री० ) वाक्यरचना की विधि - भेदः (पु० ) मीमांसा के एक ही वाक्य का एक ही फाल में परस्पर विरोधी अर्थ करना। वागरः ( ५० ) 1 मुनि । ऋऋषि | २ विद्वान माण परिडत | ३ वीरपुरुष शूरवीर 8 सान रखने का पत्थर ५ रोक अper | ६ निश्चय | निर्णय । ७ वाइवान ८ भेड़िया | चामा ( श्री० ) बागदोर लगाम । रास।