पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७५३

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वशिरं वशिरं ( न० ) समुद्री नमक वशिरः ( पु० ) मिर्चा | वशिष्टः (पु० ) देखो वसिष्टः । वश्य (वि०) १ वश करने योग्य | घश में किया हुआ | जीता हुआ। ३ निमंत्रित । याशाकारी अवलम्बित पश्यं ( न० ) लयंग : वश्यः ( पु० ) दास। अनुचर । घश्या ( स्त्री० ) आज्ञाकारिणी स्त्री | वश्यक्त ( स्त्री० ) देखो वश्या ! वप् (धा० प०) [ वपति ] : अनिष्ट करना | चोटिल करना वध करना | व (अव्यया० ) एक शब्द जिसका उच्चारण अग्नि में चाहुति देते समय यज्ञों में किया जाता है।- [ यथा-दाच | प्य ] कर्तृ, ( पु० ) ऋखिज जो वषट् उच्चारण पूर्वक आहुति दे। ( जुर ) चष्क (धा० आ० ) [ वष्कतें ] जाना | चलना । वष्कयः ( पु० ) एक वर्ष का बछड़ा । चष्कयणी वष्करिणी । ( स्वी० ) चिरप्रसूता गौ । बहुत दिनों की व्यायी हुई गौ या वह गाय जिसका बछड़ा बहुत बड़ा हो गया हो। वसू (घा०प० ) [ वसति, कभी कभी वंसते रूप भी होता है। ] १ बसना । २ होना । ३ तेज़ी से | गुजरना | वसतिः } ( स्त्री० ) १ रहाइस | वास २ घर । वसती बासा डेरा बस्ती ३ आधार ४ शिविर । ५ रात (जब सब लोग अपना अपना सफर बंद कर टिक जाते हैं।) वसनं ( न० ) १ वास रहन २ घर वस्त्रधारण करने की क्रिया ४ वस्त्र ५ करधनी स्त्रियों की कमर का एक आभूषण। वासा | ३ परिधान वसंतः ) ( पु० ) १ वर्ष की छः ऋतुओं में से वसन्तः ) प्रथम ऋतु, जिसके अन्तर्गत चैत्र और वैशाख मास है। मौसम बहार | २ मूर्तिमान ऋतु जो कामदेव का सखा माना गया है। ३तीसार रोग । ४ शीतला या चेचक की बीमारी ५ मसू- रिका रोग।-उत्सवः, ( go ) उत्सव विशेष जो प्राचीन काल में वसन्त पञ्चमी के अगले दिन : पसु मनाया जाता था। इसी उत्सव का दूसरा नाम "मदनोत्सव" है। आधुनिक पण्डित होली के उत्सव को ही वसन्सोत्सव कहते हैं 1- घोषिन्, ( पु० ) कोयल - जा, ( बी० ) वासन्ती या माधवीलता । २ वसन्तोत्सव । - तिलकः, (पु०) -तिलकं ( न० ) वसन्त का आभूषण "फुलं वदन्त तिः " छन्दोमञ्जरी | -तिलकः (पु०) । एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक -तिलका (स्त्री०) चरण में लगण. भगण, जगण – तिलकं (नः ) | भगण और दो गुरु-- इस तरह सब मिलाकर चौदह वर्ण होते हैं। --हृतः ( पु० ) १ कोयल । २ चैत्र मास | ३ ग्राम का वृक्ष ४ पंचमराग | - दूती, ( सी० ) १ पारुल- पुष्प , सुमः ( पु० ) श्राम का पेड़ | -पञ्चमी (स्त्री० ) माघशुक्ला श्मी!-- बन्धुः -खः, ( पु० ) कामदेव का नाम । वसा (स्त्री० ) १ मेढ़ घरबी । २ मस्तिष्क । श्रयः-आयकः, (पु० ) गना में रहनेवाली सूंस या शिशुमार। -पायिन ( पु० ) कुत्ता | वसिः (पु० ) १ बस्न । २ वासा | डेरा | रहने का स्थान । वसित ( च० कृ० ) १ पहिना हुआ | धारण किया हुआ २ वसा हुआ ३ जमा किया हुआ (अनाज) । वसिरं ( न० ) समुद्री निमक। वसिष्टः (g० ) [ इसका वशिष्ठ भी रूप होता है ] १ एक प्रसिद्ध प्राचीन ऋषि जो सूर्यवंशी राजाओं के पुरोहित थे। २ एक स्मृतिकार ऋषि का नाम । वसु ( न० ) १ धनदौलत १२ रत्न | जवाहर । ३ सुवर्ण । ४ जल । ५ पदार्थ | वस्तु ६ लवण- विशेष । ७ एक जड़ी विशेष । ( पु० बहुवचन ) 3 एक श्रेणी के देवताओं की संज्ञा वसु आठ माने गये हैं ( उनके नाम - आप | ध्रुव । सोम । घर या धव। अनिल अनल प्रत्यूष और प्रभास कहीं कही "आप" के बजाय "ग्रह" भी लिखा पाया जाता है । ) २ आठ की संख्या। ३ कुबेर का नाम । ४ शिवजी का नाम । २ अभि