पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७३

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अप्रमता अप्रमत्ता (स्त्री० ) कारी लड़की, जिसका विवाह न हुआ हो या जिसका दान न किया गया हो। अप्रत्यक्ष (वि० ) १ अदृष्ट अगोचर २ प्रशास अविद्यमान अनुपस्थित अप्रत्यय ( वि० ) १ आस्मसन्दिग्ध बेतवार । जिसको किसी पर विश्वास न हो। २ ज्ञानशून्य ३ व्याकरण में प्रत्यय रहित । अप्रत्ययः (५०) अविश्वास थामसंशय । २ जिसका मतलब न समझा गया हो। दुबोध ३ प्रत्यय नहीं। श्रप्रदक्षिणं ( धन्यया) वाए से दहिनी ओर। अप्रधान (विः ) अमुख्य। गौरा । अन्तवंती | अप्रधानम् (न०) १ मातहती की हालत । तावेदारी । अधीनवायी। २ गौणकर्म । 1 अमवृष्य (वि० ) अजेय जो जीता न जा सके। अप्रभु (वि० ) १ जो बलवान न हो । बलरहित। २ जिसमें शासन करने की शक्ति न हो। अशक्त । असमर्थ अयोग्य अप्रमत्त ( वि० ) जो प्रमादी न हो। असावधान म हो। सावधान। बुद्धिमान । सतकें । अप्रमद (वि० ) उत्सवरहित उदास । हर्षरहित । मा (स्त्री० ) अयथार्थ ज्ञान | मिथ्या ज्ञान | अप्रमाण (वि० ) अलीम | अपरिमाण । २ अप्रा- माणिक।३ जो प्रमाण न माना जाय । श्रवि श्वस्त । अप्रामाणिक अप्रयुक्त (वि० ) अव्यवहत। जिसका प्रयोग न किया गया हो या किया जा सके। दुर्व्यवहृत् । अनुचित रीत्या प्रयुक्त (अ० ) दुर्लभ आलाधारण । अप्रवृतिः (स्त्री० ) १ क्रियाशून्यता | निश्चेष्टता। जड़ता। उत्तेजना का अभाव। अप्रसङ्गः (5) अनुराग का अभाव | २ सम्बन्ध का भाव ३ अनुपयुक्त समय या अवसर । प्रसिद्ध वि० ) १ अज्ञात | तुच्छ । २ असाधारण अप्रस्ताविक ( वि० ) [ श्री० - [अप्रस्ताविकी } अप्रासङ्गिक असङ्गत - 1 प्रस्तुत (वि.) असङ्गस प्रसङ्ग विरुद्ध २ बाहियात अर्थ रहित। ३ नैमित्तिक । विजातीय । बहिरङ्ग अप्रधान ४ जो प्रस्तुत या विद्यमान न हो।-प्रशंसा, (स्त्री० ) यह अर्थालङ्कार जिसमें प्रस्तुत के कथन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाय। अग्रत ( वि० ) अनाहत २ अनजुती भूमि । ३ कोरा कपड़ा। अकरणिक ( वि० ) जो प्रकरण के या [ स्त्री० -अप्राकरणिकरे ] प्रसङ्ग के अनुसार न हो। के अप्राकृत ( वि० ) १ जो प्राकृत न हो। गँवारू । २ जो असली न हो। अस्वाभाविक | ३ असाधारण ४ विशेष | अप्राध्य (वि०) गौया अधीन निकृष्ट | अप्रमाणम् ( न० ) १ ऐसी आज्ञा या नियम ) जो किसी कार्य में प्रमाण मान कर ग्रहण न किया | अमाप्त ( वि० ) जो मिल न सके । २ आन पहुँचा जाय । २ असङ्गति । अप्रासङ्गिकता | अप्रमाद (वि) सावधान। अप्रमादः ( पु० ) सावधानी सतर्कता 1 अप्रमेय ( वि० ) जो नापा न जा सके। असीम | सीमारहित २ जो यथार्थ रूप से न जाना था हो, न आया हो। ३ नियम जो लागू न हो। व्यवसर, काल ( वि० ) अनवसर का बेमौके अनऋतु का। कुसमय का ।-यौवन ( वि० ) जो युवा न हुआ हो।-व्यवहार, - वयसू, (वि. ) नावालिग। अवयस्क | अप्राप्तिः (स्त्री० ) १ अलब्धि २ जो पूर्व में किसी नियम से सिद्ध या प्रतिष्ठित न हुआ हो। ३ जो घटित न हो। समझा जा सके। जाँच के प्रयोग्य। प्रमेयम् ( न० ) ब्रह्म । श्रयाशिः (स्त्री०) गमन न करने वाला जो उन्नति न करे। ( इसका प्रयोग प्रायः किसी को शाप देने या अकोसने में होता है। 1 अप्रामाणिक ( वि० ) [ स्त्री० - [अप्रामाणिकी ] १जो प्रामाणिक न हो। ऊटपटाँग २ अविश्वस्त । जो मातवर न हो।