पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७०६

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= ERAZIONSI PASTIRPERENDING रक्षिः मानिक। चुनी। ~~ राशिः, (पु०) १ रनों का ढेर 3 २ समुद्र ।~~सानुः (पु० ) मेरु पर्वस का नाम :- सू. ( वि० ) रत्न उत्पन्न करने वाला सु सुति ( श्री० ) पृथिवी घरा नः ( पु० सी० ) 1 कोहनी २ कोहनी से मुट्ठी तक । एक हाथ (नाप विशेष) (१०) मुट्ठी | मूंका। J -

(पु० ) १ प्राचीन कालीन एक मवारी दा

३ चरण पैर की अवयव | ५ शरीर देह । ६ नरकुछ सरपत्रः (पु०) चुरा पूरी - अङ्गम् ( न० ) १ गाड़ी का कोई भाग २ विशेष कर पदिये ३ विष्णु भगवान का सुदर्शन चक कुन्दार का चक्का | ईशः ( पु० ) रथ में बैठ कर युद्ध करने वालाईया (स्त्री० ) ही का बम्।--उद्वहः- उपस्थः, (पु०) को चबक्स रथ का वह स्थान जहाँ सारथी बैठता है।-फट्या -कट्या. (स्त्री०) रयों को समुदाय । -कल्पकः ( पु० ) राजा की रथशाला का अधिकारी - रथ्यः (पु० ) १ रथ में जोता जानेवाला घोड़ा । २ रथ का एक भाग | कारः, ( पु० ) रथ बनाने वाला /कुटुंबिकः, रथ्या ( स्त्री० ) : रयों के आने आने का रास्ता था सड़क २ वह स्थान जहाँ कई एक सड़कें एक दूसरे को काटती हों। ६ कई एक रथ या गाडियां है रख (धा० परस्मै० ) [ रति ] १ चोरना। फाड़ना। २ खरोचना | कुटुम्बिन ( पु० ) रथवान | सारथी-कुवरः ( पु० ) वरं ( न०) रथ का वह अगला लम्बा भाग जिसमें जुर्थी बंधा रहता है। क्षोभ, ( पु० ) रथ का झटका । ~ गर्भक, ( go ) ढोली । पालकी 1—गुप्ति; (बी०) रथ के किनारे या चारों ओर लगा हुआ काठ या लोहे का ढाँचा. जो रथ को दूसरे रथ से टकराने से बचाता था। -चरणः- पादः, (पु० ) एक स्थ के पहिये ।: २ चक्रवाक | चकवा 1-धुर ( श्री० ) रथ का बम्ब - - नाभिः, (स्त्री०) रथ के पहियों का मध्य- भाग जिसमें धुरी रहती है। -नीदः, (पु० ) रथ का खटोला। रथ का वह भाग जहाँ सवारी रदः (पु० ) १ चीर फाड़ | खरोच १ २ दाँत । हामी का दाँत इदः ( पु०) थोड़ रहनः (पु०) दो-दः (पु० ) | रघ (धा० परस्मै०) [रज्याने, रजू] चोटिल करना। . घायल करना । मार डालना । नारा कर डालना। २ सम्हारना। साफ करना | अमनिया करना । (भोजन) 1 • बैठती है ।-~~बन्धः, (पु० ) रथ का साज या सा- इंनिदेवाः } ( 50 ) चद्रवंशी एक राजा का नाम । मान -महोत्सवः, (पु० ) यात्रा, (स्टी० ) आषाढ़ शुक्ला द्वितीया को मनाया जाने वाला उत्सव रतुः } { १० ) १ सड़क । मार्ग । २ नदी । विशेष इसमें लोग प्रायः जगनाथ जी, बलराम जी और सुभद्रा जी की प्रतिमाओं को रथ पर सवार कर उस रथ को लोग स्वयं खींचते हैं। बौदों और जैनों में भी उनके देवता रथ में सवार TENTARJEVNEMA MP*7*22 रविः 1- 1 करा कर निकाले जाने हैं। मुखं, (न० ) रथ का भगक्षा हिस्सा ई (०) स्थों में बैठ कर लड़ने वालों की लड़ाई कर्मन, (४० ) --: ( पु० ) सड़क थानसहक । शाही घस्या - वाहः, ( पु० ) रथ का घोड़ा। २ सारथी- शक्तिः (०) रथ की कलसी पर का वह चौंस जिसमें लड़ाई के रथों की जाएँ खटकायी जाती थीं सप्तमी, स्त्री० ) मान शुद्धा मी | रशिक (वि०) (स्त्री०- रधिकी) १ गाड़ी पर सवार २ गाड़ी का मालिक रथिन (स्त्री० ) रथ पर सवार होना या रथ को हाँकना २ रथ को रहने वाला ( पु० ) ३ श्य का मालिक। रथ में बैठकर लड़ने वाला ! रंधनं धनं रधिः रन्धिः रविन रश्विर ) । पु० ) देखो - "रथिन्”। ( न० ) (२०) ( बी० ) ( श्री० ) १ अनिष्ट | चोट १ पाचन पकाने की क्रिया । 1