पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७०५

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रख , रखाम् { ६९८ मित्र /-स्तम्भः ( पु० ) युद्ध का स्मारक युद्ध स्मारक-स्तम्भ | यः ( ५० ) ११ संग्राम युद्ध समर लड़ाई | म् ( न० ) १ २ रखक्षेत्र (पु० ) १ शोरगुल कोलाइल | २ बीयर बजाने का गज | ३ गति । गमन |ङ्गं ( म० ) तलवार आदि कोई भी शत्रअंगणं - अंगनं ( न० ) रणक्षेत्र | समरभूमि 1-अपेत, ( वि० ) (क्षेत्रका ) भगोड़ा - भातोद्य, (न० ) तूर्ये, ( २० ) इन्दुभिः, ( पु० ) मारू बाजा /-उत्साहः ( पु० ) समर में पराक्रम |-- क्षितिः, ( स्त्री० ) क्षेत्रं, ( न० ) ~भूः, ( श्री० ) - भूमिः, ( स्त्री० ), स्थानं, (न० ) संग्राम क्षेत्र | लड़ाई का मैदान !~-धुरा, ( स्त्री० ) १ युद्ध में सामना ।२ युद्ध की प्रचण्डता /-सत्तः. ( पु० ) हाथी | राज |--मुखं, ( न० ) - मूर्धन, (पु० ) - शिरस्, ( म० ) युद्ध में धागे का भाग। लड़ने वाली सेना का सब से अगला | भाग ~~ रङ्क:, ( पु० ) हाथी के दोनों शैतों के मध्य का भाग-रङ्गः ( पु० ) रणभूमि -रखः, (पु०) मण्बर दौस-रणम् (न०) १ उत्कराठा | खालसा । किसी वस्तु के खेाजाने का खेद-रणकः, (पु०) रणकं, ( न० ) १ चिन्ता व्याकुलता । धववाहट । विकलता। ( पु० ) कामदेव /- वाद्यं, (न० ) मारूबाजा । - शिक्षा ( स्त्री० ) लड़ाई का विज्ञान | सङ्कलें, ( न० ) लड़ाई की गड़बड़ी :- सज्जा, रत्नं ( न० ) जवाहर । बहुमूल्य चमकीले, छोटे और (स्त्री० ) युद्ध के उपस्कर सहायः, (पु०) रंग बिरंगे पत्थर | [ रखों की संख्या या तो २ या ६ या १४ बतलायी जाती है। ] २ कोई भी बहुमूल्य प्रिय पदार्थ ३ कोई भी सर्वोत्तम वस्तु । -अनुविद्ध, (वि० ) रखों से जड़ा हुआ था जिसमें रन जड़े हुए हों। -आकरः, (पु० ) 1 रत्नों की खान । २ समुद्र । -श्रालोकः, (पु०) रत्न की आभा । ~ श्रावती, -माला, (स्त्री०) रनों का हार-कन्दलः, (पु० ) मूंगा। प्रवाल - खचित, (वि० ) जिसमें रत्न जड़े हों। -गर्भः, ( पु० ) समुद्र -गर्भा, ( स्त्री० ) पृथिवी ) - दीपः, - प्रदीपः, (पु० ) १ रत्न का दीपक | २ एक कल्पित रत्न का नाम कहा जाता है, पाताल में इसीके प्रकाश से उजाका रहता है। मुख्यं, ( न० ) हीरा 1- राजः, ( पु० ) माणिक्य | रणत्कारः ( पु० ) १ खड़बड़ | अंकार । २ शब्द ३ गुआर | रणितं ( न० ) सड़बड़ | भंकार । रंडः रगड ) ( पु० ) ३ वह मनुष्य जो पुत्रहीन मरे । २ बाँक वृक्ष रंडा ) (स्त्री० ) १ स्त्री के लिये एक गाली। रगुडा नीची। पतुरिया | २ विधवा स्त्री | ) $ रत ( व० १० ) १ प्रसन्न | हर्षित | २ अनुरक्त ३ लोन । अयनी, ( श्री० ) वेश्या ( रंडी। पतु- रिया। - अर्थिन्, (वि० ) कामुक | ऐयाश /-- रख उह्हः. (पु० ) केोकिल । - ऋद्धिकं ( न० ) १ दिवस | २ आनन्द के लिये स्थान 1-कीलः ( पु० ) कुत्ता :- कूजित, (५०) मैथुन के समय की सिसकारी-ज्वरः, (पु० ) काक कौमा:-तालिन्, ( पु० ) कामी | लंपट | ऐयाश-ताली (स्त्री० ) कुदनी 1-मारीच, ( पु० ) १ कामदेव | २ आवारा। लंपट | बद- चलन १३ कुत्ता | ४ मैथुन के समय की सिस- कारी /बन्धः, ( पु० ) मैथुन का आसन । - हिण्डकः, (पु० ) धौरतों को फुसलाने या बहकाने अथवा विगाड़ने वाला २ आवारा। चलन लंपट | - रतं ( न० ) १ हर्ष | आनन्द | २ मैथुन ३ गुप्ताङ्ग रतिः ( स्त्री० ) आनन्द । हर्षं सन्तुष्टि आह्लाद २ अनुराग प्रेम । ३ प्रीति | यार ४ कामक्रीड़ा। सम्भोग । ५ कामदेव की स्त्री का नाम । गृहूं, (न०) - भवनं, (न० ). - मन्दिरं, (न० ) १ श्रानन्दभवन २ चकला रंडीखाना - तस्कर (पु० ) वह पुरुष जो त्रिर्यों को अपने साथ व्यभिचार करने में प्रवृत्त करता हो।--पतिः, - प्रियः, - रमणः, (पु० ) कामदेव 1 -- रसः, ( पु० ) रतिकीदा। सम्भोग लम्पट (वि०) कामी ! ऐयाश | - -