रघ रड्डू का प्रवेशद्वार । २ किसी नाटक का मङ्गलाचरण, नान्दीमुख पाठया प्रस्तावना । -भूतिः ( श्री० ) आश्विनमाल की पूर्णिमा वाली रात ! - भूमिः, ( श्री० ) १ रंगमंच | २ अखाड़ा मे रणचैत्र । -मण्डपः ( पु० ) अभिनयशाला | नाटक घर - मातृ, (स्त्री० ) १ लाख १२ कुटनी। --वस्तु, ( न० ) चित्रण | रंगसाज्ञी 1- वाटः, ( पु० ) अखाड़ा |-शाला, ( स्त्री० ) नाटक- घर ! नाचघर ( 20 ) रंघ ) ( घा०] उभय ) [रंघति रंघते ] जाना } तेजी के साथ जाना। रचू
( धा० उभय० ) [ रचयति - रचयते, रचित ]१ क्रमबद्ध करना । प्रस्तुत करना तैयार करना । उद्भावित करना । २ वनाना | सरजना पैदा करना | ३ लिखना। निबन्ध रचना ४ स्थापित करन लगाना । 1 । ५ सजाना | शृङ्गार करना ६ रचनं (न०) } भाव। निर्माण । बनावट । २ १ रचने या बनाने की क्रिया या रचना ( सी० ) बनाने का ढंग | ३ ग्रन्थ । ४ बाल सम्हालना या गूधना। ५ व्यूह रचना | ६ मानसिक कल्पना | रजकः ( पु० ) धोबी। रजका रजकी } ( स्त्री० ) घोबिन । रजत ( वि०) १ रुपैहला चाँदी का बना | २ मफेद || रजतं ( न० ) १ चाँदी | २ या श्राभूषण । ४ रक्त | नतन्त्र | सुवर्ण | ३ मोती का हार खून | ५ हाथीदाँत | ६ रख्य पदार्थों में पाये जाते हैं ) दूसरा रजोगुण = स्त्रिय का रजोधर्म तोकः ( पु० -तोर्क (न०) { -पुत्रः ( उ० ) - दर्शनं, (न० ) हालच । लोभ । नियों का प्रथम बार रजस्वला होना । -बन्धः ( पु० ) रजस्वला धर्म का रुक जाना । ---रसः, ( पु० ) यधकार-शुद्धिः (स्त्री०) रजस्वला धर्म का साफ साफ नियत समय पर होना: पु०) धोवी रजसानुः ( पु० ) १ बादल | २ जीव हृदय । रजस्वल ( वि० ) गर्दीला : धूलधूसरित | रजस्वन्त्रः, ( पु० ) भैसा । रजस्वला ( स्त्री० ) १ मासिक धर्मवती स्त्री | २ लड़की जो विवाह योग्य हो गयी हो । रंज रज्जुः (५० ) १ रस्सी रस्सा | डोरी २ शरीरस्थ रंग विशेष | ३ स्त्रियों के सिर की चोटी - दालकं, (न० ) एक प्रकार का जलचर पक्षी । - पेड़ा. ( स्त्री० ) सुतली की टोकनी । } ( घा० उभय० ) [ रजति, रजते, रज्यति, रज्यते, रक्त ] १ लाल हो जाना। रगना। ३ अनुरक्त होना ४ प्रेम में फंसना । २ प्रसन्न होना। सन्तुष्ट होना । रंजकं रञ्जकम् } (न०) १ लालचन्वन | २ सेंदुर | इंगुर । रंजक: रञ्जकः j ( पु ) : रंगरेज | चितेरा । २ उत्तेजक | ( न० ) १ रंगना | रंग चढ़ाना | २ रंग । ४ लान- रंजनम् ) रञ्जनम् ३ प्रसन्नता । प्रसन्नकारक । ·} चन्दन की लकड़ी। ( ) रात करः, ) रजनीचरः, (दु. ) को घुमने चन्द्रमा । रजनी } (स्त्री० ) नील का पौधा । राक्षस - जलं ( न० ) ओस । कोहरा । - रट् (धा० परस्मै ) [ रति रटित | चिल्लाना | पतिः - रमणः, (पु०) चन्द्रमा (मखं, (न०) सन्ध्या। रात्रि का आरम्भ चीख मारना । गर्जना | भूकना | २ चिह्ना कर घोषणा करना। ३ आनन्द में भर चिचयाना। रजस् ( पु०) १ धूल। रज्ञ | मैल | २ पुष्परज | मक- | रटनं ( न० ) १ चिल्लाने की क्रिया | २ प्रसन्नता रम्द। सूर्यकिरण में का एक रजकण ३ जुता सूचक चिल्लाहट। हुआ खेत । ४ अन्धकार अन्धयारी ६ मान | रण ( घा० परस्मै० ) [ राति रणित ] वजाना । सिक ● सीन गुर्गों में से ( जो समस्त स्मकुम का करना सं० श० को● ८५