पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६५८

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महा -> - स्वामी | प्रभु ४ कन्नौज करने का नाम । ५ कन्नोज राज्य की राजधानी का नाम । उदर ( न० ) १ जलोदर था जालघर रोग २ बड़ा पेट |-उपाध्यायः, ( पु० ) वड़ा शिक्षक - उरस्कः, (१०) शिव । -ओ: ( पु० ) शिव जी ।—ग्रोस (वि० ) जदा बलवान (१०) बड़ा योड़ा श्रोतसं, (न० ) विष्णु- भगवान का सुदर्शन चक्र-योपधिः ( स्त्री० ) ६ बड़ी गुणकारी दवाई २ दूब घास - औषधं (न० ) सर्वरोगहरण दवा | २ सोंठ | ३ लहसुन | ४ वत्सनाभ-कच्छ (पु० ) १ समुद्र । २ वरुण । ३ पर्वत - लहसुन।केवित्थः, ( पु० ) १ विश्वयुद्ध | २ लाल लहसुन ।कंबु, कम्बु, ( वि० ) मादरजात नंगा बुः, (पु० ) शिव जी । -कर, (वि०) १ लंबे हाथों वाला।२ जिसकी बढ़ी मालगुज़ारी हो । ~कर्णः, (पु०) शिव जी । -कर्मन्. ( वि० ) बड़ा काम करने वाला। ( पु० ) शिव जी । कविः, ( पु०) बड़ा कवि । २ शुक्र का नामान्तर । - कान्तः ( पु० ) शिव । -कान्ता (स्त्री० ) पृथिवी कायः, (पु.) १ हाथी । २ शिव । ३ विष्णु ४ नंदि | शिव जी का एक गए। कार्तिकी, ( स्त्री०) कार्तिक- मास की पूर्णिमा - कालः, ( पु० ) १ शिव जी २ उज्जैन में महाकाल नाम की शिवजी की प्रतिमा ३ विष्णु ४ कद्दू | कुम्हड़ा | कालपुर, (न० ) उज्जैन 1 –काली. (स्त्री० ) महाकाल स्वरूप शिव को पत्खी, जिसके पाँचमुख और आठ भुजाएं मानी जाती हैं । – काव्यं, (न० ) महाकाव्य सर्गवद्ध होता है और उसका नायक कोई देवता, राजा, अथवा धीरोदात्त गुण सम्पन्न क्षत्रिय होता है। इसमें शृङ्गार, वीर व शान्त्र | रसों में से कोई रस प्रधान होता है। बीच बीच में अन्य रसों का भी समावेश होना आवश्यक है। महाकाव्य में कम से कम ग्राठ सर्ग अवश्य हों। इसमें सन्ध्या, सूर्य, चन्द्र, रात्रि, प्रभात मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संभोग, विप्रलंभ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाहादि का यथास्थान + 2 - . 1- - वर्णन होना चाहिये [ सस्कृत साहित्य में सभा रगत पाच महाकाव्य माने जाते हैं। रघुवंश, कुमारसम्भव, किगतार्जुनीय, शिशुपालवध और नैपधचरित। यह लोगों की साधारणतः धारणा है. किन्तु संस्कृत साहित्य में इन पाँच के अतिरिक्त भटकाव्य विक्रमाङ्कदेवचरित, हरविजय यादवायुय आदि और भी कई एक महाकाव्य हैं ] कुमारः, ( पु० ) राजा का सब से बड़ा पुत्र | युवराज । -कुल, ( वि० ) वह जो बहुत उत्तम कुल में उत्पन्न हुआ हो ! कुलीन ( २० ) एक बड़ा प्रायश्चित कोशः, (पु० ) शिव जी। -कतुः, ( पु० ) बड़ा यज्ञ जैसे श्रश्वमेध | क्रमः, (पु० ) विष्णु कांधः (पु० ) शिव । -क्षीरः, (पु० ) ईख । ऊख खर्चः, (पु०) -खर्व, ( न० ) एक बहुत बड़ी संख्या को सौ खर्ब की होती है । गजः, (पु० )- दिमाज. -गणपतिः, ( पु० ) गणपति 1-गन्धः, ( पु० ) १ जलवंत । २ कुटज | - गन्धं (न०) चन्दन । ग्रहः, ( पु० ) राहु /-ग्रीवः, (पु०) १ कँट १२ शिव |~ श्रीविन, (पु० ) ऊँट- घूर्णा, ( श्री० ) शराव घोषं, ( म० ) बाज़ार । हाट । मेला । - घोपः, ( पु० ) हो हल्ला | शोरगुल | कोलाहल । -वक्रवर्तिन. ( पु० ) सम्राट | बहुत बड़ा चक्रवर्ती राजा:- चमूः, ( स्त्री० ) बड़ी फौज (~-छायः ( पु० ) वट वृक्ष/-जट:. (पु० ) शिव जी - ( वि० ) वह जिसकी हंसली की हड्डी बहुत बड़ी हो :-जत्रुः, ( पु० ) शिवजी । -जनः, (पु० ) १ वड़ा या श्रेष्ठ पुरुष २ साधु । ३ जनता | जनसमुदाय | ४ व्यापारी मण्डल का मुखिया २ व्यापारी । सौदागर 1-ज्योतिस्, ( पु० ) शिव । -तपसू, ( पु० ) १ बड़ा तपस्वी । २ विष्णु ।~-तलं. (न० ) नीचे के लोकों में से पाँचवा लोक |--- तिक्तः, ( पु० ) नीव का वृक्ष -तेसू, ( पु० ) शूरवीर | वहादुर | २ अग्नि | ३ कार्तिकेय 1 ( न० ) पारा | पारद - दन्तः, ( पु० ) १ बड़े दाँतों वाला हाथी । २ शिवजी :-दराडः, ( पु० ) 1 बड़ी बाँह १२ ●