पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६२४

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भुवन्यु मयं पाताल (-पावनी, ( श्री० ) शासिनु, ( ५० ) बावशाह | शासक भुवन्युः (पु०, १ स्वामी प्रभु अभि चन्द्रमा | ( १७ ) सहर (~-~ सूर्य ३ भुवर ) ( धन्यवा० ) अन्तरिच आकाश | सहव्या. भुवसे । हतियों में से एक भुविस ( पु० ) समुद्र भुशुंडि भुशराडी (स्त्री० ) अझ विशेष एक प्रकार का भुशडी गुफना भुशुण्डी, भू ( धा० आम ) [ भवति, भूत ] होना | २ उत्पन्न होने को । ३ निकलना। ४ ( घटना का ) घटना ५ जिंदा रहना ६ किसी दशा में बना रहना पालन करना | ७ परिचर्या करना ॥१० | सहायता करना । ११ सम्बन्ध रखना १२ किसी कार्य में संझ होना। भू (पु० ) विष्णु । ( वि० ) बना हुआ यथा । कमलभू वित्तभू /-उत्तमं, (न० ) सुवर्ण | -कम्पः, ( पु० ) कदम्ब विशेष - कम्पः, ( पु० ) भूढोल | भूचाल |--कर्ण: (पु० ) पृथ्विी का ध्यास-कश्यपः, ( पु ) तृशाः (= भूस्खः ) सुगन्ध सुक्त घास विशेष -दारः, (पु०) शूकर सुधर (देव --सुरः ( पु० ) ब्राहय - धनः ( ५० ) राजा बादशाह |-वरः ( 5०) पहाड़ २ शिव ३ कृष्ण सात की संख्या :- नाग ( पु० ) मिट्टी का कीड़ा विशेष नेतृ, ( So राजा बादशाह --: ( पुः ) राजा (-- पतिः, (पु० ) राजा | २ शिव | ३ इन्द्र |- पेड़-पढ़ी ( श्री० प, (पु० " पुत्रः सुता, चमेली विशेष । -परिधिः, ( पु० ) पृथिवी का व्यास या घेरा--पालः, (पु०) राजा - पालनं, ( स० ) राज्य | रियासत सुतः, ( पु० ) मङ्गलग्रह - पुत्री. ( स्वी० ) सीता की उपाधि - प्रकम्पः (पु० ) भूत भृडोल - विम्: (पु०) - वि (४० ) भूगोल-मतृ. ( पु० ) राजा । बादशाह /-भागः (पु० ) पृथिवी का टुकड़ा | -भूत, (पु०) पर्वत । पहाड़ राजा | वादशाह ३ विष्णु !-मण्डलं, (न० ) पृथिवी /- रुहू ( 50 ) रुहः (पु० ) पे --लोकः ( = भूलक : ) ( पु० ) मर्त्य लोक 1-वजयं, ( २० ) भूगोल - बलम्भः, ( पु० ) राजा बादशाह-वृत्त (न०) विषुवरेखा | भूपरिधि |


शकः, ( पु० ) राजा बादशाह शयः,

( पु० ) विष्णु । ध्रुवस. ( पु०) दीमक की मिट्टी का टीला-सुरः, ( पु०) माझय। वित्र | स्पृश. ( पु० ) १ मानव | २ मानव जाति । ३ वैश्य स्वर्गः (go ) मेरु पर्वत " वसुदेव | श्री कृष्ण के पिता का नाम - काकर, (पु० ) एक प्रकार का बाज या कंक पक्षी | २ नीला कयूतर | ३ ( पु० ) वट वृक्ष केशः केशा, ( स्त्री० ) राखली - तिन्, ( पु० ) सूबर 1 शूकर 1-गरं, (न०) विष विशेष (~गर्भः, ( पु० ) भवभूति का नामान्तर गृहं, गेहूं, (न० ) तहखाना | स्वामिन, ( पु० ) ज़मीदार । वपु - जमीन के नीचे बना हुआ ।—गोलः, ( पु० ) | भूः ( स्त्री ) १ पृथिवी | २ जगत | भूगाव । ३ फर्श | ज़मीन ४ भूसम्पत्ति ५ स्थान जगह भूमण्डल-घनः ( पु० ) शरीर ६. विवेश्य था थालोस्य विषय | ७ एक की संख्या | चक्रं ( २० ) पृथिवी की परिधि । विपुवरेखा !- चर, (वि० ) पृथिवी पर रहने या चलने वाले। --चरः, (पु० ) शिव जी -ाया (स्त्री०) --कायं, (न०) १पृथिवी की छाया जिसे अनजान लोग राहु कहते हैं । २अंधकार :-अन्तुः (50) 1 } भूकलः ( पु० ) चंचल घोड़ा । मिट्टी का एक कीड़ा । २ हाथी-जम्बुः, -जंबूः, | भूत ( व० कृ० ) १ हो गया । २ बना हुआ | ३ सत्य ! (खो०) गेहूँ। -तलं, (न०) पृथिवी की सतह । ४ ठीक उचित उपयुक्त ५ गुजरा हुआ। सं० श०] कौ०-७८ व्याहतियों में से प्रथम व्याहति । भूकं ( २० ) ) १ रथा छिन । २ चश्मा | सोता | भूकः ( पु० ) ३ समय ।