प्रसक्त प्रसक्त (अव्यया० ) लगातार वरावर अविच्छित प्रसुतिः (स्त्री० ) : स्नेह | भक्ति | अनुराग २ सम्बन्ध मेल संसर्ग | ३ प्रयोग | ४ व्याप्ति । 1 ५ अध्यवसाय | ६ परिणाम | नतीजा। प्रतिफल प्रयनम् (न० ) ३ बंधन २ जाल | ७ विवादग्रस्त विषय - प्रसंगः ( ( पु० ) १ धनुराग प्रसङ्ग २ संसर्ग । सम्बन्ध भक्ति | सम्भावन झासकि सम्पर्क मेल । २ अनुचित सम्बन्ध ४ विषय जो विवादग्रस्त हो या जिस पर बातचीत होती हो। ५ अवसर । ६ उपयुक्त अवसर उपयुक्त काल ७ व्याप्त रूप सम्बन्ध | 1 प्रसंधानम् } (न०) मिलान । योग । जुटाव । पुका । प्रसन्धानम् । प्रसन्न ( च० कृ० ) १ पवित्र | स्वच्छ । चसकोला। यसवनम् प्रसभः (पु०) यल । उनता ! प्रचण्डता | वेग | प्रमोक्षणम् (न० ) ) विचार निर्णय | गम्भीरा यसमीक्षा ( स्त्री० ) लोचन ! निर्मल | २ प्रसन। धादित खुलंखुक्ला आस्वस्त ३ स्पष्ट - कृपालु शुभ ४ साफ सहज में बोधगम्य | ५ सत्य । सही। ठीक 1 आत्मन्, ( वि० ) जो सदा प्रसन्न रहें । आनन्दी-ईरा, (= प्रसन्रा) एक प्रकार : की मदिरा-कल्प, (वि० ) १ प्रायःशान्त | २ प्रायः सत्य 1-सुख, सदन (दि०) जिसका मुख प्रसन्न हो । जिसकी आकृति से प्रसन्नता टपकती हो । हँसता हुआ चेहरा 1- सलिज. (वि० ) स्वच्छ अलवाला । प्रसंख्या ( स्त्री० ) १ जोड़ मोज्ञान २ ध्यान | प्रसंख्यानम् ( न० ) १ गणना २ ध्यान विचार आत्मानुसन्धान | ३ ख्याति । कीर्ति | प्रसिद्धि । प्रसंख्यान: ( पु० ) भुगतान | दिवाला । प्रसंजनम् ) ( म० ) १ जोड़ने की क्रिया प्रसञ्जनम् २ उपयोग में लाना। काम में लाना। मिलाना। प्रसरणिः प्रसरणी ( श्री० ) शत्रु के घेर लेना। प्रसत्तिः ( स्त्री० ) १ अनुग्रह | २ स्वच्छता | पवित्रता | मसर्पणम् (न० ) आगे बढ़ना | आगे स्त्रिसकना । निर्मलता । २ घुसना । पैठना । ( सेना का ) चारों ओर फैल जाना। प्रसन्ना (स्त्री० ) १ प्रसन्नकर । आनन्दप्रद । २ वह मद्य जो पहले खींची गयी हो। प्रसभं (अन्य ) १ बलपूर्वक | बरजोरी | ज़बर- दस्ती । २ प्रत्यधिक बहुतायत से ३ अ पकड़कर हठ करके-दमनं, (न० ) ज़बर- दस्ती वशीभूत करना। -रणं, (न० ) शबर- : दस्ती पकड़ कर ले जाना। P 4 प्रसरः (पु० ) धागे दरमा बढ़ना विस्तार २ बेरोकटोक गति अवाशित गति । अवाधित मार्ग ३ प्रसार विस्तार | फैलाव | ४ घायसन | यही मात्रा | प्रभाव | चलन | ६ धार । बहाव | वाह ७ समूह भीड़भाव = युद्ध | लड़ाई। लोहे का तीर । १० वेग | वेगवान्गति | ११ विनत्र याचना या प्रार्थना | स्नेहयुक्त याचना | प्रसरणं ( ० ) आगे बढ़ना बहाव । २ निकल भागना | भाग जाना । ३ फैन्चना फैलने की क्रिया या भाव | 9 शत्रु को घेर लेना। ५ सुशी- लता स्नेहशोलता | 1 प्रशतः } { उ० ) हेमन्त ऋतु । प्रसवः ( पु० ) [1] वचा जनने की क्रिया जनना। प्रसूति २ जन्म उत्पत्ति | ३ अपत्य । बच्चा सन्तान । ४ उत्पत्ति स्थान उगमस्थल | ५ फूल | पुष्प । कुसुम । ६ फल | उपत्र |उन्मुख, ( वि० ) उत्पन्न होने वाला -गृहं, (न० ) प्रसूतिकागृह वह कमरा जिसमें बच्चा जना जाय। लोबर । -धर्मिन् (वि० ) उर्वर, जिसमें कोई वस्तु पैदा हो सके।वन्धनम् न० यह पतला सींका जिसके सिरे पर पा या फूल लगता है। नाल - वेदना, व्यथा, ( स्त्री० ) वह दर्द जो बच्चा जनने के पूर्व गर्भवती स्त्री के पेट में हुआ करता है। -स्थलो, (खो०) माता | स्थानं, (न० ) १ वह स्थान जहाँ बच्चा उत्पन्न हो । २ जाल। प्रसवकः (पु०) पियालय चिरौंजी का पेड़ | प्रसवनम् ( म० ) या जनना १२ उर्वरायन । उपजाऊपन । सं० श० कौ०-७१
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५६८
दिखावट