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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५६९

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प्रसवतः, मसवन्तिः (स्त्री० ) जवा औरत मसवितृ ( 50 ) पिता | जनक | प्रसवित्री ( श्री० ) माता । प्रसन्य (वि० ) उल्टा। श्रींधा प्रसवंतिः प्रसषन्तिः ( ५६२ ) प्रसाहा प्रसादनं ( म० ) १ अस्वच्छता को हटाने वाला था साफ करने वाला २ धीरज बंधाने वाला | ३ प्रसन्न करने वाला ४ अनुग्रह करने वाला। प्रसादनः ( पु० ) शाही खीमा । बादशाह का नंबू । प्रसादना ( स्त्री० ) ३ चाकरी सेवा परिचर्या । २ पवित्रता । प्रसह ( वि० ) सहनशीक । सहिष्णु प्रसहः ( ० ) १ शिकारी पशु या पक्षी २ सद्दन-प्रसादित ( ० ० ) १ स्वच्छ किया हुआ। पवित्र शीलता सामना मुकावला | किया हुआ | २ सन्तुष्ट किया हुआ । अाया हुआ। ३ परिचर्या किया हुआ | ४ शाम्त किया हुआ। धीरज बँधाया हुआ । प्रसहनं ( ० ) सहनशीलता सहिडता । २ सामना ३ पराजय शिकस ४ आलिङ्गन । प्रसहनः ( पु० ) शिकारी पशु या नही। प्रसा (अव्यया० ) १ बरजोरी । प्रचण्डता से। जबरदस्ती से। २ बहुतायत से। अत्यन्त अधिकाई से बहुत प्रसातिका ( स्त्री० ) छोटे दाने का चाँवल । प्रसाद] ( पु० ) अनुग्रह कृपा अच्छा स्वभाव | प्रसाधनं (न० ) १ सम्पादन कार्य को पूरा करना। ३ शान्ति | उद्वेगराहित्य | ४ स्पष्टता स्वता २ माजलवा । सुस्पष्टता। परिस्फुटता ६ वह भोज्य पदार्थ जो देवता को निवेदित किया गया हो । ७ देवता, गुरुजन आदि को देने पर बची हुई वस्तु जो काम में लायी जाय निरस्वार्थदान पुरस्कार | १ कोई भी पदार्थ जो तुष्टिसाधन के लिये भेंट किया जाय।~~-उन्मुख, ( वि० ) कृपालु । धनुग्रह करने को तत्पर पराङमुख, ( वि० ) 1 अप्रसन्न | नाराज़ | २ वह जो किसी की कृपा की परवाह न करे ।-पात्रे, ( न० ) कृपापात्र ।-स्थ, (वि० ) १ कृपालु २ शुभ | शान्त | प्रसन्न। सुखी। प्रसादक ( वि० ) [ स्त्री० - प्रसादिका ] १ स्वच्छ करने वाला साफ करने वाला । २ ढाँदस बँधाने वाला । धीरज देने वाला । ३ प्रसन्न करने वाला ४ अनुग्रह करने वाला। प्रसादन (वि० ) [ स्त्री० प्रसादनी ] साफ करने वाला पवित्र या स्वच्छ करने वाला | २ धीरज बंधाने वाला प्रसन्न करने वाला। प्रसाधक ( वि० ) [ सी० - प्रसाधिका ] सम्पादक । निर्वाह करने वाला। २ स्वच्छ करने वाला। सफाई करने वाला ३ सजावट करने वाला शृङ्गार करने वाला। प्रसाधकः ( पु० ) राजाओं को वस्त्र, आभूषणादि पहनाने वाला नौकर | २ सुव्यवस्था करना । ३ सजावट शृङ्गार वेष | कँधी | ४ सजावट - विधिः (स्त्री० ) कार का तरीका-विशेषः ( पु० ) सब से चढ़ बढ़ कर शृङ्गार | प्रसाधनः (पु० ) प्रसाधनम् (न० ) प्रसाधनी (सी०) कंघी । 1 प्रसाधिका ( स्त्री० ) वह दासी जो अपनी स्वामिनी के शृङ्गार के साधनों की देखरेख रखा करे । प्रसाधित (व० कृ०) १ सँवारा हुआ। सजाया हुआ। २ सुसम्पादित। प्रसारः ( पु० ) विस्तार फैलाव पसार । प्रसारणं ( न० ) फैलाना पसारना । विस्तृत करना । प्रसारिणी ( स्त्री० ) शत्रु को घेरना । प्रसारित ( व० कृ० ) १ फैला हुआ बड़ा हुआ। छाया हुआ | २ (हाथ ) आगे फैलाया हुआ। ३ (विक्री के लिये ) सामने रखा हुआ । । प्रसाइः (पु० ) शिकस्त द्वार पराजय