पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५५७

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प्रघपण मघर्षणा ) १ धक्रमण हमवा ) बलाकार ३ यवहार अप प्रभा न० ) प्रघषणा ( श्री० ) मान। तिरस्कार प्रचर्पित ( ० ० ) १ आक्रमण किया हुआ | २ चोट पहुँचाया हुआ अनिष्ट किया हुआ । ३ अभिमानी। अहङ्कारी। ( ५५० ) PATES . प्रधान (वि० ३१ खास । मुख्य प्रसिद्ध उत्तम व्युतम २ मुख्यतया प्रचलित | प्रधानं ( म० ) १ मुख्य वस्तु अति आवश्यक वस्तु । प्रधान । मुखिया २ प्रथम उत्पादक । इस भौतिक संसार का उपादान कारण ३ परमा ४ बुद्धि प्रधानं (न०) (१महामात्र प्रधान साचिच २ सर- प्रधानः (पु०) ) दार दरवारी ३ महावत | फीलवान । ~~ङ्गं (न० ) 8 किसी वस्तु की प्रधान शाखा या भाग २ शरीर का प्रधान अङ्ग राज्य का प्रधान अधिकारी/अमात्यः प्रधान सचिव महामात्र विष्णु का नामान्तर । - धातुः (पु० ) शरीर का प्रधान राव। बीर्य - पुरुषः, (पु०) १ राज्य धान पुरुष २ शिव जी का नामान्तर || -मंत्र (५०) प्रधान सचिव - वासस्, ( न० ) मुख्य यस /-वृष्टिः ( स्त्री० ) अतिवृष्टि । ३ किसी (पु० ) आत्मन् (१०) का T प्रधावनः ( पु० ) हवा पवन प्रधावनं ( न० ) रगड़ प्रचालन | अधिः (पु० ) पहिये का पुरा प्रधी ( वि० ) कुशामबुद्धि वाला । ( स्त्री० ) मदती प्रतिभा प्रधूपित ( १० कृ० ) १ सुवासित | २ गर्माया हुआ तपाया हुआ । ३ चमकता हुआ | दीप्स । ४ सम्यत । प्रधूपिता ( श्री० ) १ सन्तप्ता (स्त्री० ) | २ वह दिशा जिधर सूर्य बढ़ रहा हो। प्रधृष्ट ( व० ऋ० ) १ वह जिसके साथ बिठाई के साथ वर्ताव किया गया हो । २ अभिमानी । भहारी । मध्यानं ( म० ) १ गम्भीर ध्यान या सोच विचार। २ विचार । अप प्रध्वस ( पु० ) मित्रान्त भाव पूर्णरीत्या विनाश श्रभाव, ( पु०) न्याय के अनुसार पाँच प्रकार के प्रभावों में से एक प्रकार का अभाव | वह प्रभाव जो किसी वस्तु से उत्पन्न होकर नष्ट हे जाने पर हो । प्रवर ( ० ० ) जो नष्ट हो गया हो। जिसका नाश हो चुका हो मनप्ठ (पु० ) पौत्र का पुत्र प्रपन्न | मनट ( ० ० ) १ अन्तर्धान | जो देख न पढ़े। अगोचर नष्ट भरा हुआ। ३ खोया हुआ । ४ बरबाद | प्रनायक ( वि० ) वह जिसका नायक चला गया हो। २ नायक के अभाव से युक्त प्रनालः प्रनाली ) ( देखो प्रणाली । ( पु० ) स्त्री.] प्रनिघातनं ( न० ) वध । हत्या करल । प्रवृत्त ( वि० ) नाचने वाला। प्रनुत्तं ( न० ) नाच | नृत्य प्रपक्षः ( पु० ) बाज़ू की कोर । 1 प्रपंचः ) ( पु० ) १ विकाश | प्रदर्शन | २ वृत्ति । प्रचं विस्तार ३ बाहुल्य चाम्बिस्तार व्या. ख्या | टीका | ४ प्रति विस्तार अतिप्रसङ्ग । विस्तार | बहुलता। अनेकत्व | ६ दुनिया का जंजाल । ७ भ्रम | धोखा उगी बुद्धि ( वि० ) १ चालाक | छलिया। धोखेबाज़ | प्रपंचित 1 ( व० कृ० ) १ प्रकटित । २ विस्तारित । प्रयश्चित | ३ भली भाँति व्याख्या किया हुआ ४ भटका हुआ । भूला हुआ । ५ धोखा खाया हुआ। चुला हुआ। प्रपतनम् (न० ) १ पलायन २ पात | ३ नीचे उतरना ४ मृत्यु नाश ५ उतार । प्रपद ( न० ) पैर का अग्रभाग | प्रपदीन (वि० ) पैर का प्रभाग सम्बन्धी । प्रपन्न (व० कृ० ) १ आया हुआ पहुॅचा हुआ | २ शरण में थाया हुआ। शरणागत। आश्रित । ३ प्रतिज्ञात ४ उपलब्ध प्राप्त निर्धन दुखियारा | } प्रपन्नाड (पु० ) चक्रमर्दक चकबैंड | प्रपर्ण (वि० ) पत्तों से रहित ।