प्रति धोर। तरफ |-अतरं, (न० ) प्रत्येक असर में। - अग्नि (अव्यया० ) अग्नि की तरफ - ( न० ) १ शरीर का छोटा अवयव जैसे नाक | २ भाग अध्याय प्रत्येक अवयव । ४ आयुध हथियार । -अङ्गम् ( अव्यया ) शरीर के प्रत्येक अवयव में था पर २ प्रत्येक उपविभाग के लिये । - अनन्तर, (वि०) समीप- वर्ती । २ समीपी ( कुटुम्बी ) ३ अत्यन्त घनिष्टता -अनिलं, ( थव्यया० ) पवन की ओर या - विरुद्ध - अनीक, (वि० ) १ शत्रु | विरोधी । - - 1 २ सामना करने वाला बचाव करने वाला अक: (०) शत्रु । अनीकें, (न० ) शत्रुता। । वैर। विरोध २ श्राक्रमणकारी सेना । ३ अलंकार विशेष | - अनुमानं, ( न० ) उल्टा परिणाम अन्त ( वि० ) समीपी । सीमा वर्ती ।अन्तः, ( पु० ) १ सीमा | हद २ सीमान्त देश विशेष कर वह देश जिसमें इस और म्लेच्छ बसते हों। - अपकारः ( पु० ) यदला। बदले में अनिष्ट करना 1- अनं (अव्यया० ) प्रतिवर्ष । अर्कः, (पु० ) झूठ मूठ का सूर्य । बनावटी सूर्य /-अवयवं, ( धन्यवा० ) १ प्रत्येक अवयव में २ विस्तार से 1-अवर, ( वि० ) १ निम्नवर । कम प्रतिष्ठित । २ अति नीच । अति तुच्छ । -अश्मन्, ( पु० ) इंगुर | सिंदूर 1-अहं, (अव्यया० ) प्रतिदिवस । हर रोज़ । दैनिक /- आकारः, ( पु० ) स्यान | परवला ।-आघातः (पु० ) १ यदले का महार। २ प्रतिक्रिया | ( पु०) उपयुक्त आचरण । एकाकी । अकेला । अलग ( ० ) झूठमूठ का सूर्य १ पुनः प्रारम्भ दुबारा शुरूआत । २ निषेध - आशा (स्त्री०) १ उम्मेद | प्रतीक्षा | २ भरोसा। विश्वास।-उत्तरं, (न० ) जवाब जवाब का जवाब |~-उलूकः, ( पु० ) १ काक । २ कोई पक्षी जो उल्लू के समान हो । ऋचं, ( अव्यया० ) प्रत्येक ऋचा में। -एक, (वि०) हरेक 1-एकं, (अव्यया० ) एक एक कर के । आचारः, श्रमं (अन्या० ) अलग। -आदित्यः, आरम्भः ( पु ) 5 - प्रति । । एक बार में एक अलग अलग एकाकी -कचुकः ( पु० ) शत्रु । वैरी 1-कण्ठम्, ( धन्यवा० ) १ अलग थलग। एक के बाद एक २ गले के समीप । -कश. ( वि० ) जो कोड़े का भी ख्याल न करे। कायः, (पु० ) १ पुतला। मूर्ति । तसवीर सादृश्य ३२ शत्रु | बैरी | ३ निशान । लक्ष्य। - कितवः, (पु०) जुधारी का जोड़ीदार कुञ्जरः, ( पु० ) चाक्रमण- कारी हाथी । - कृपः, (पु०) परिखा | खाई |-- कूल, ( वि० ) १ खिलाफ विपरीत विरुद्ध | २ सख्त | अप्रिय | ३ अशुभ | ४ विरोधी | ५ उल्टा ६ हठीला जिद्दी। दुराग्रही ।—कूलं, ( धन्यवा० ) १ विरुद्धताई से। उल्टे ढंग से क्षणं ( अभ्यया० ) हर लहमें में - गजः, ( पु० ) आक्रमणकारी हाथी । - गात्रं,
- (अव्यया० ) प्रति अवयव में 1-गिरिः, ( पु० )
१ सामने का पहाड़ । २ छोटा पहाड़ या पहाड़ी। गृहं, रोहं (अभ्या० ) हर एक घर में 1- ग्रामं ( अन्यथा० ) हरेक ग्राम में चन्द्रः, ( पु० ) झूठमूठ का चन्द्रमा । – चरणं, ( धन्यया० ) प्रत्येक ( वैदिक ) सिद्धान्त या शाखा में | २ प्रत्येक पग पर छाया, (स्त्री० ) १ प्रतिविम्ब || २ मूर्ति । प्रतिमा | छबी - - - तसवीर जंघा, (स्त्री० ) टाँग का श्रगला भाग । -जिह्वा, - जिडिका, (स्त्री०) गले के भीतर की घंटी। कव्वा | छोटी जीभ । - तंत्र (अव्यया० ) प्रत्येक तंत्र या मत के अनुसार | तंत्रसिद्धान्तः, ( पु ) सिद्धान्त जो किसी शास्त्र में तो हो और किसी में न हो। यहं, (न० ) एक बार में ( लगातार ) तीन दिन - दिनं, ( धन्यथा० ) सब ओर । सर्वत्र द्वन्द्वः, ( पु० ) दो समान विरोधी व्यक्ति । मुकाबले का लड़ने वाला बैरी | शत्रु | – इन्द्रं, (न० ) दो समान व्यक्तियों का विरोध -इन्द्रिन्, - ( वि० ) १ शत्रु | बैरी । २ प्रतिकूल | ३ डाह करने वाले प्रतिस्पर्णी । ( पु० ) विरोधी। बैरी | -द्वारं, (अन्यया० ) प्रत्येक द्वार पर 1-मतृ, ( पु० ) पती | पौत्र का पुत्र । प्रपौत्र ।-नव,