पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५४४

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प्रति ( वि) ) १ नवीन | युवा | ताज़ा ! २ हाल का खिला हुआ था जिसमें हाल ही में कलियाँ थायी : हों । -नाड़ी, ( स्त्री० ) उपनाड़ी | छोटी नाड़ी | - नायकः, (पु०) नाटकों अथवा काव्यों में मुख्य नायक का प्रतिद्वन्द्वी नायक। जैसे रामायण काव्य | में श्रीराम जी मुख्य नायक हैं और रावण प्रति- नायक है। - निधिः, ( पु० ) १ प्रतिमा | प्रति- मूर्ति । २ वह व्यक्ति जो किसी अन्य की थोर से उसका कोई काम करने को नियुक्त किया गया हो ।-निर्यातनः, ( पु० ) वह अपकार जो किसी अपकार का बदला चुकाने का किया जाय । -पः, ( पु० ) राजा शान्तनु के पिता का नाम । -पक्षः, ( पु० ) १ प्रतिवादी । विरोधी पक्ष । विरुद्ध दल | २ शत्रु | बैरी | दुश्मन । — पक्षिन्, ( पु० ) विरोधी। बैरी । पुरुषः, 4 परुषः, ( पु०) समान पुरुष २ एवज । बदली। २ सहचर | साथी ४ मनुष्य का पुतला जिसे चोर सेंध के भीतर खड़ा करते हैं। इस लिये कि, उन्हें यह पता लग जाय कि, घर में कोई जाग तो नहीं रहा। २ ( किसीका ) पुतला। - प्राकारः, ( पु० ) परकोटे की दीवाल। —प्रियं, ( न० ) वह उपकार जो किसी उपकार का बदला चुकाने के लिये किया जाय। –बंधुः, (पु० ) समान पद या स्थिति वाला । –चल, (वि० ) समान वल वाला। जोड़ीदार-वलं, ( न० ) बाहु:, (पु० ) बाँह का अगला भाग — विस्वः -विम्ब ( पु० ) विम्बम् - विम्बम् ( न० ) १] पर छाया | २ प्रतिभा | प्रतिमूर्ति | छबी। तस्वीर-सट ( वि० ). मुकाबला करने वाला । -भटः, ( पु० ) बरावर का योद्धा । समान बल चाला योद्धा --भय, ( वि० ) भयङ्कर । खौफ़नाक ।-भयं, (न० ) ख़तरा । जोखों 1-मण्डलं, ( न० ) सूर्य आदि चमकते हुए ग्रहों का मण्डल या घेरा। परिवेश :---- मल्लः, (पु० ) प्रतिभा बराबर का पहलवान -माया, ( स्त्री० ) जादू के जवाब का जादू - मित्रं, ( न० ) शत्रु | बैरी । --मुख, (वि० ) १ सामने खड़ा हुआ । २ समीप । निकट । - 1 प्रति मुखं, (न० ) नाटक की पञ्चसन्धियों में से एक । इस सन्धि में विलास, परिसर्प, नर्म. ( परिहास), प्रगमन, विरोध, पर्युपासन, पुष्प, वज्र, उपन्यास और वर्णसंहार आदि का वर्णन किया जाता है। - मुद्रा, ( स्त्री० ) दूसरी मोहर |–मूर्तिः ( स्त्री० ) प्रतिमा /- यूथपः, ( पु० ) आक्रमणकारी हाथियों के दल का अगुवा या नायक रथः ( 5० ) बराबरी का लडने वाला - राजः, ( पु० ) आक्रमणकारी या शत्रु राजा-रूप, ( वि० ) १ समान | सद्बश २ उपयुक्त | उचित ।-रूपं, (न० ) १ तसवीर । मूर्ति । प्रतिमा - रूपकं (न०) तसबीर | चित्र | प्रतिमा |~ लक्षणं, ( न० ) चिन्ह | निशान | चिन्हानी । – लिपिः, ( स्त्री० ) लेख की नकल हाथ का लिखा हुआ लेख | – लोभ, ( वि० ) १ उल्टा । २ जातिविरुद्ध | ( अर्थात् वह जिसके पिता और माता भिन्न भिन्न चरी के हों ) 18 कमीना | नीच | ५ वाम । बायाँ । - लोमकं, ( न० ) उल्टा क्रम | वस्तु, ( न० ) १ चह वस्तु जो किसी अन्य वस्तु के बदले में दी जाय। ३ समानान्तर 1- वातः, ( 3० ) प्रतिकूल पवन 1-वातं, ( न० ) पवन के विरुद्ध - विषं, (न० ) विष का उतारा । - विष्णुकः, ( पु० ) मुचुकुन्द वृक्ष । -- वीरः, ( पु० ) विरोधी । विपक्षी – वृषः, (पु०) आक्रमणकारी साँड़ 1 – वेशः, ( पु० ) पड़ोस । पड़ोस का मकान | घर के सामने या निकट का घर - वेशिन् (पु० ) पड़ोसी 1 पड़ोस में रहने वाला। - वेश्मन, ( न० ) पड़ोसी का घर । - वेश्यः, ( पु० ) पड़ोसी । ––चैरं, ( न० ) बदला | दाँव । -- शब्दः, ( पु०१ प्रतिध्वनि | गूँज झाँई । २ गर्जन। - शशिन, (पु०) झूठमूठ का चन्द्रमा चन्द्रमा का घेरा। -सम, ( वि० ) बराबरी वाला जोडीदार। -सत्य, (वि० ) उल्टा क्रम वाला । सूर्यः – सूर्यकः, ( पु० ) १ सूर्य का घेरा ।२ एक उत्पात जिसमें सूर्य के सामने एक ओर सूर्य निकला हुआ दिखाई देता है। गिर- सं० श० कौ०-६८ ( ५३७ )