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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५०२

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पाथेय { ४६५ ाय ( न० ) १ पैड़ा । यात्रा में रास्ते के लिये भोजन २ कन्या राशि पादिन. (न०) पूड़ी या एड़ी की गाँड - तवं, (न० ) G पैर का तलवा -त्रः, (प्र० ) श्रा, (स्त्री० ) त्राएं, (न० ) जूताः (go ) धूप -पखण्ड: ( पु० ) पखडराम्, ( न० ) जंगल पालिका, (श्री०) पैर का गहना -- पाशः, (५० ) पशु के पैर में बाँधने की रस्सी -वाशी (स्त्री) १ बेड़ी | २ चटाई ३ लता। वेळ 1--1 --पीडः, ( पु० ) -पोलं. (न०) पैर रखने का पीढ़ा-पूरगां (न० ) पादपूर्ति । किसी श्लोक या कविता के किसी चरण को लेकर उस चरण के भाव को नष्ट न करते हुए पूरा श्लोक बना देना।-प्रज्ञादनम्, (न० ) पैर धोना | -प्रतिष्ठानं, ( न० ) पैर का पीहा (महार ( पु० ) पैर की ठोकर या लाव बन्धनम्, ( न० ) बेड़ी | - मुद्रा, ( खी० ) पदचिन्ह | पैर का निशान/~-मूलं, (न० ) १ था - एड़ी की गाँठ २ पैर का तलवा | ३ पर्वत को तलैटी ४ किली मनुष्य के बारे में नम्रता सूचक कथन --रजस्, (न० ) पैर की धुल/-रज्जु, (पु० ) हाथी के पैर के लिये चमड़ा |-- रथो, ( स्त्री० ) खड़ाऊ । जूता /- रोहः, ( पु० ) - रोहण (पु० ) --चंदनं, ( न० ) धरणों में प्रणाम-विरजस्, ( न० ) जूता | ( पु० ) देवता ।- शाखा, (खो०) पैर की अंगुली -शैलः, ( 30 ) किसी पर्वत की तलैटी की पहावी-शोधः ( पु० ) पैर की सूजन। - शौचं, (नः ) पैर धोना सेवनं, (न० ) -सेवा, (स्त्री० ) १ चरणस्पर्श कर प्रतिष्ठा फरना । २ सेवा। -स्फोटः, (5०) पैरचटकाना। -हत, (वि० ) लतियाया हुआ | पादविकः ( पु० ) यात्री । 1 1 पादात् (पु० ) प्यादा सिपाही । पैदल । पादातः ( न० ) पैदल सिपाहियों की सेना । - ) 4 ७ ( पु० ) १ पैर | २ किरण ३ चारपाई या कुर्सी धादि का पावा | ४ वृक्ष की जड़ पहाड़ को तलैटी | ६ चतुर्थाश। ७ लोक के चार पादों में से एक किसी पुस्तक के अध्याय का विशेष अँश ६ अंश भाग । हिस्सा १० संभा | स्तम्भ अर्थ ( न० ) पैर का सब से आगे का भाग /अङ्कः ( पु० ) पदचिन्ह पैर का निशान। -अङ्गदम, (न० ) अदी (स्त्री०) नूपुर -अङ्गुष्टः. ( पु० ) पैर का अँगूठा अन्तः, ( पु० ) पैर का अन्तिम भाग :- अंतरं ० ) पग पै कदम-अम्बु, - - ( न० ) माठा जिसमें एक चौथाई जल मिला हो।अंस, (५० पैर का धोवन । जल जिसमें पैर धोये गये हैं। श्ररविन्द कमलं, -पङ्कजे, पद्मं, (न० ) कमल जैले चरण । - अतिन्दी (स्त्री० ) नाव | नौका |-अव- सेवनम्, ( न० ) १ पैर धोना।२ जल जिससे पैर धोये गये हो ।-आघातः, (पु० ) ठोकर लात /-आनत, (वि० ) पैरों में यदा हुआ या गिरा हुआ ।-आवर्तः, (पु० ) कुए से जल निकालने वाला यंत्र या पहिया, जो पैर से चलाया जाता है। -आसनं, (न०) पैर रखने का पीदा। आस्फालनम् (न०) पैरों का चलाना:- ग्राहत, ( वि० ) लतियाया हुआ उदकं जलं, (न०) पैर धोने का जल या वह जल जिसमें किसी पूज्य व्यक्ति के पैर धोये गये हैं। उदरः (पु०) साँप कटकः, ( पु० ) कटर्क, (न० ) - कीलिका, ( स्त्री० ) नूपुर क्षेपः, ( पु० ) क्रदम पग-ग्रन्थिः, (पु० ) एड़ी म साम् ( न० ) पादस्पर्श पैरछूना ( प्रथा- मार्थं ) चतुरः, - चत्वरः (पु० ) निन्दक। चुगुलखोर | खुश्शामदी | २ बकरा | बालू का भीटा । ३ ओला !-—-चारः ( पु० ) पैदल पादालिक : } ( पु० ) पैदल सिपाही । ) पैदल चलने वाला |Srkris (सम्भाषणम्)चारिन्, (वि० चलने या लड़ने वाला) (पु० ) १ प्यादा सिपाही । --जः, (०) पैदल | २ जाहं | पादिक ( पु० ) [ स्त्री०-पादिकी ] एक चौथाई | पादिनः (पु० ) चतुर्भाश ।