पावन' चाली (आषधि ) । ३ (फल आदि का) पकाने चाला | । २ पाचनः (पु०)अग्नि | २ खट्टापन | खट्टारल पाचनं ( न० ) १ पचाने या पकाने की क्रिया ( फल को ) पकाने की क्रिया ३ वह दवा जो आम या अपकदोष को पचावे । घाव को सुँद देने वाला | ५ प्रायश्चित ( वि० ) पजाद में प्रचलित ( ४९२ ) पाचालं ( न० ) १ रसोई बनने की क्रिया | २ फलादि पकाने की क्रिया। पाचालः (पु० ) १ रसोइया | २ अग्नि । ३ हवा पावा (बी० ) पकाना। पांचकपाल } ( बि० ) [ स्त्री०-~-पाश्चकपाली ] पाँच कटोरों में रखे हुए नैवैद्य सम्बन्धी । पांचजन्यः । श्रीकृष्ण के शत्रु का नाम 1-धरः, पाञ्चजन्य (पु० ) श्री कृष्ण का नामान्तर । पाटल (वि०) पिलौहा लाल | गुलाबी रंग का 1- पांचदश, ) ( वि० ) [ बी० -- पाञ्चदशी ] पन्द्रह | पाटलं ( न० ) १ पावर वृक्ष का फूल । २ एक उपलः, ( पु० ) माणिक रत्न | द्रुमः ( पु० ) पाड़र या पाटला का पेड़ 1 पाश्चदश तिथि सम्बन्धी । पाचवश्यम् } ( न० ) पन्द्रह का समूह। प्रकार का चाँवल जो वर्षा ऋतु में तैयार होता है। ३ केसर। पाढलः ( पु० ) १ पिलौहाँ-लाल या गुलावी रंग | २ पांचनद पाञ्चनव पांचभौतिक पाञ्चभौतिक पाँचतवों से बनी हुई। (दि० ) [ श्री० - पाञ्चभौतिकी] | - पांचवार्षिक १ ( वि० ) [ श्री० - पाञ्चवार्षिकी ] पाञ्चवार्षिक पाँच वर्ष की। पांचशञ्चिकम् ? (न० ) पाँच प्रकार का सङ्गी। पाञ्चशब्दिकम् । २ वाद्ययंत्र | बाजे | पांचा न ) (वि० ) [स्त्री०-पाञ्चाली ] पाञ्चाल देश सम्बन्धी अथवा पाल देशाधि- पाश्चान पति सम्बन्धी । पांचालः | ( पु० ) १ पाञ्चालदेश | २ पाँचाल देश पाञ्चालः का राजा। ( पु० बहुव० ) पाञ्चालदेश के रहने वाले। पांचाजाः, पाञ्चाला पांचालिका, पालिका पांचाली, } ( स्त्री०) गुड़िया । पुतली | पाञ्चाली ) रानी । २ द्रौपदी का नाम | ३ गुड़िया ( खी० ) १ पाँचाल देश की स्त्री या 1 पुतली १४ साहित्य में एक प्रकार की रचनाशैली विशेष, जिसमें बड़े बड़े पाँच, छः समासों से युक्त पाठित 1 और कान्तिपूर्ण पदावली होती है काई काई गाड़ी और वदर्भी के समिश्रण का पाञ्चाली मानते हैं। पाटू ( अव्यथा ) एक अन्यय जो सम्बोधन अथवा पाटकः ( पु० ) १ चीरने वाला विभाजित करने पुकारने के लिये प्रयुक्त होता है। वाला २ ग्राम का एक भाग ३ ग्राम का अर्द्ध भाग १४ बाजा विशेष | २ नदीतट । समुद्रतट | ६ घाट की पैड़ियाँ । ७ मूलधन या पूंजी का घाटा | ८ बालिस्त बिता र चौसर के पासों की फिफावट | 1 पाटश्चरः (पु०) चोर | लुटेरा। डाँकू । पाटनं ( न० ) चीरने की, फाड़ने की तोड़ने की और नष्ट करने की क्रिया | पादर या पार वृक्ष | पाडला ( स्त्री० ) १ लाललोभ | २ पाटला या पाटर का पेड़ या इस पेड़ के फूल ३ दुर्गा का नामान्तर | पाटलिः (स्त्री० ) पाटला का वृह | - पुत्रं, (न० ) आधुनिक पटना नगर का प्राचीन नाम । इसके नामान्तर पुष्पपुर या कुसुमपुर भी है। पाटलिकः ( पु० ) शिष्य | शागिर्द | पाटलिमन् ( पु० ) पिलौंडों लाल रंग । पाटल्या ( स्त्री० ) पाटल वृत्त के फूलों का समुदाय पाढवं ( न० ) १ पड़ता। चतुराई। चालाकी कुश- लता । २ स्फूर्ति | ३ फुर्सी । पाटविक (वि० ) [ स्त्री० -पाटविकी ] १ चतुर । होशियार निपुण । २ मुल्फन्नी चालाक | धोखे- बाज़ | I पाटित ( च० कृ०) १ फटा हुआ। चिरा हुआ दरार- दार | टूटा हुआ । २ विधा हुआ। छेदा हुआ। काटा हुआ |
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