पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४९७

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पवित्र पवित्र (वि० ) १ शुद्ध पापरहित २ निर्मत साफ ३ यज्ञादि द्वारा शुद्ध हुआ। पवित्र ( न० ) चलना यादि साफ करने का साधन। २ कुछ जो यज्ञ में घी को विकने या शुद्ध करने में व्यवहत होता है । ३ कुश की पवित्री । ४ यज्ञोपवीत | जनेऊ ५ ताँबा ६ जलवृष्टि ७ जल ८ मलना। साफ करना। अर्घा १० घी । ११ शहद 1-रोपणम् ( न० ) आरोहणम् ( न० ) उपनयन संस्कार । - -पाणि, ( वि० ) हाथ में कुश ग्रहण किये हुए।-- धान्यं, (न० ) यव । जवा चित्रकं (न० ) सनिया या सूती रस्सा या जाल | पशव्य (वि० ) पशु के योग्य २ पशु सम्बन्धी । ३ यतापूर्ण पशु जैसा। पशुः ( पु० ) १ मवेशी । जानवर । लाडूढ विशिष्ट चतुष्पड़ जन्तु २ बलि के उपयुक्त पशु जैसे बकरा । ३ हैवान । जानवर । ४ शिव जी का गय । - श्रवदानं, ( न० ) पशुवति । - क्रिया, ( स्त्री०) १ पशुवलिदान को किया २ सम्भोग | मैथुन /- गायत्री (स्त्री० ) मंत्र विशेष जो आसन मृत्यु वाले पशु के कान में पढ़ा जाता है। [बह मंत्र यह है :- पशुपाशाय विहे शिरच्छेदाय ( विश्वकर्मणे) धीमही। तस्रो जीवः प्रचोदयात् ] | -घातः, ( पु० ) यज्ञ में पशुवध चर्या, (स्त्री० ) मैथुन - धर्मः, (०)पशु व्यवहार ३ स्वच्छन्द मैथुन ४ विधवा विवाह -नाथः, (पु०) शिव। -पः, (पु०) पशुपाल पतिः, (१०) शिव २ पशुपाल पशु पालने या रखने वाला ३ एक सिद्धान्त का नाम जो पा (वि० ) 1 पीने वाला। यथा "सोमपाः” । २ रहा करने वाला यथा "गोपा" सिद्धान्त का प्रचारक है - पालः, - पालका, | पॉशन ( वि० ) ) [अपमानकारक । प्रतिकारक । पांसन (वि०) ) [ स्त्री-पांसनो, पांशनी] १ ( पु० ) ग्वाला। गड़रिया। पालनं, रक्षणं, ( न० ) पशुओं का पालना या रखना - पाशकः, (पु०) मैथुन विशेष ~प्रेरणम्, ( म० ) पशु हाँकना । -भारं, (अव्यया० ) पशुवध की प्रणाली के अनुसार-यक्षः, २ नष्टकारी भ्रष्टकारी | ३ दुष्ट 1 तिरस्करणीय | ४ बदनाम। अपकीर्तित । पांव का । २धूल । देश | कर्पूर विशेष --- 1 - पांसव ) (वि०) १ धूल का । गर्दे ३ विष्ठा पॉस 8 कासीसं, (न० ) कसीस ( श्री० ) मार्ग | रास्ता का ढेर | २ ऐसा प्रमाणपत्र या दस्ता- वे जो किसी के नाम से न हो । निरा- फूलं, कुली, (५०) धूल यागः, ( पु० ) - द्रव्यं ( न० ) पशुपति - रज्जुः, ( स्त्री० ) पशु बाँधने की रस्सी- राजः, (पु० ) शेर सिंह पोसव पाशव पश्चात् (अव्यया० ) १ पीछे से पिछवाड से । २ पाछे बाद तदुपरान्त तय ३ चन् अन्ततोगत्वा । ४ पश्चिम दिशा से ५ पश्चिम की धोर। पश्चिमी कृत (वि० ) पीछे छूटा हुआ पीछे छोड़ा हुआ /- तापः, ( पु० ) पा पश्चार्ध: ( पु० ) १ ( शरीर का ) पिछला भाग २ ( समय या स्थान सम्बन्धी अन्तिम ३ पश्चिमी पश्चिम की ओर से अर्ध: (०) १ पिछाड़ी का थाधा। २ रात का अन्तिम आधा 1 भाग । पश्चिमा ( श्री० ) पश्चिम-उत्तरा, ( स्त्री० ) उत्तर-पश्चिम | पश्यत् (वि० ) [ श्री०- पश्यन्ती ] देखने वाला। अवलोकन करने वाला। पश्यतोहरः (पु० ) चोर। डाकू। सुनार | पश्यंती पश्यन्ती । (स्त्री०) १ रंडी वेश्या २ स्वर विशेष 1 1 पस्यम् ( न० ) घर | आवादी । बस्ती। डेरा । पस्पशः (पु०) पतअलि महाभाष्य के प्रथम अध्याय के प्रथम आन्हिक का नाम । २ उपो- द्वारा आरम्भिक वक्तन्य। पवा:-पढ़वा: ( पु० ) पान्हकाः ( १० बहु- वचन ) एक जाति के लोगों का नाम । सम्भवतः फारस वाले। पा] ( वा० परस्मै० ) [ पिवति, पीन] १ पीना। D २ रक्षा करना ।