पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४४७

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मन भ निवृत्त करता ही ( ४४० मन में ने चाला। निवृत्तं ( न० ) वापिसी निवृत्तिः ( स्त्री० ) १ वापिसी | २ अन्तर्द्वान | ध्रुव- सान समाप्ति ३ कर्मत्याग | विरक्ति | ४वैराग्य ३ व्याग ३ ६ शान्ति सांसारिक मंझटों से उपराम | ७ आराम | विश्राम म परमानन्द | ६ संन्यास | १० रोक । निवेदनम् ( न० ) १ घोषणा | विज्ञप्ति सूचना । वर्णन | २ सौंपना हवाले करना । ३ उत्सर्रा करना | ४ प्रतिनिधि | भेंट | ५ निवेद्यं (न०) किसो देवमूर्ति के लिये भोग | नैवेद्य । निवेशः ( पु० ) १ प्रवेश द्वार | २ शिविर | डेरा । ३ पड़ाव ४ घर मकान घेरा २ धरोहर । सपुर्दगी । ७ विवाह प्रतिलिपि । श्रन । नक्श | ३ सैनिक छावनी | १० भूषण | सजावट | निवेशनम् (न० ) १ प्रवेश द्वार | २ पड़ाव : डेरा ३ विवाह | ४ लिखापढ़ी | ५ घर | मकान । ६ तंबू । ७ कस्वा या नगर । ८ घोंसला । निवे: (पु० ) चादर या बैठन निवेशनम् ( न० ) चादर या बेठन । निश ( स्त्री० ) १ रात २ हल्दी | निशमनं ( न० ) १ चितवन दृष्टि २ दृश्य । ३ श्रवण ४ जानकारी। T निशीथिनि निशीथ्या गृह (२०) सोने का कमरा चर (वि०) [स्त्री० -चग, मरो ] रात को इधर उधर घूमने वाला। - चरः, (पु०) १ निशाचर। राक्षस। दुष्टात्मा | २ शिव जी की उपाधि । ३ गीदड़ । शृगाल ४ उल्लू । ५ सर्प | ६ चक्रवाक । ७ चोर । ---चरपतिः, (पु०) १ शिव । २ रावण । ) चरो, (स्त्री० ) १ राक्षसी । २ वह स्त्री जो पूर्व निश्चय के अनुसार रात में अपने प्रेमी से मिलने जाय । ३ वेश्या । कुलटा स्त्री । चर्मन्, ( पु० ) अँधकार । --जलं, ( न० ) श्रोस । कुहरा | - पूर्शिन, ( पु० ) उल्लू 1 - निशं, प्रतिशत । सदैव । पुष्पं, (न० ) १ कमोदनी जो रात को खिलती या फूलती हो । २ श्रोस । कुहरा । कुहासा 1- मुखं, ( न० ) रात का आरम्भ-मृगः ( पु० ) शृगाल | गीदड | - वनः, ( पु०) सन | शण | विहारः, (५०) राक्षस । दानव। - वेदिन, (पु० ) मुर्गा - --हसः, ( पु० ) कमोदिनी । निग़ात ( व० कृ० ) १ पैनाया हुआ | तीक्ष्ण । २ चिकनाया हुआ । वारनिस किया हुआ । चम- कीला | निशानं ( न० ) तीचणीकरण तेज़करना | शान रखना। बाढ़ रखना । निशांत_ } (व० क्रु० ) नीरव | शान्त । चुपचाप । ( न० ) मकान | घर । डेरा । बासा | निशांतम् निशान्तम् ) निशामः ( ५० ) देखना | पहचानना । अवलोकन करना । निशाभनम् ( न० ) १ चितवन । अवलोकन २ दृश्य | ३ श्रवण करना। ४ बार वार अवलोकन | + परही। प्रतिविम्ब निशारणम् | ( न० ) वध ! हत्या | निशा ( स्त्री० ) १ रात । २ हल्दी | अटः, - अनः ( पु० ) १ उल्लू | २ राक्षस । भूत दानव अतिक्रमः, -प्रत्ययः, अन्तः, --- अवसानं, (पु० ) १ रात का बीत जाना । २ प्रातः काल :- अन्ध, (वि ) जो रात को अँधा हो जाय। - अधीशः, ईशः, नाथः. - पतिः, -मणिः - रत्नं, (न० ) चन्द्रमा - अर्धकालः, (पु० ) रात्रि का प्रथम भाग । -- आख्या, आहा, ( स्त्री० ) हल्दी । -आदिः, ( पु०) सन्ध्याकाल। सूर्यास्त के बाद का समय। का समय रात । उत्सर्गः, ( पु०) रात्रि का अवसान । प्रातःकाल | निशीथिनि } ( स्त्री० ) रात । --करः, ( पु० ) १ चन्द्रमा । २ मुर्गा ३ कपूर। निशित (वि० ) १ तेज़ । शान पर चढ़ा हुआ । २ ठहराव किया हुआ | निशीथः (पु० ) अर्धरात्रि | आधीरात | २ सोने