पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४२५

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नवधा सौ पछि ( खा० ) ०६। उनहत्तर सप्तनि ( स्त्री० ) ७६ उनप्ला नवी अन्यथा० ) नी प्रकार स| नौगुना | नवम (वि० ) [ स्त्री० -नयमो] नयाँ | श्यों नत्रशः (अध्या० ) नाँसे । नवीन ) ( वि० ) १ नया ताज़ा टटका हाल का २ आधुनिक | नव्य नश ( धा० परस्मै० ) [ नश्यति, नष्टः, ] 1 सेोजना | २ नष्ट हो जाना नाश हो जाना। भाग जाना । उड़ जाना ४ असफल हो जाना। नाकामयाब हो जाना। -नाश । विमाश सत्यानाश | नस्तस् (धव्यय० ) नाक से। नसा ( स्त्री० ) नाक | नश नशः ( स्त्री० ) ( पु० ) नशनं (ज० ) नश्वर (वि० ) [स्त्री०- नश्वरी ] १ नाशवान् । जो नाश हो जाय। जो ज्यों का त्यों न रहे । २ नाशक । उपद्रवकारी | न (द० कु० ) १ खेाया हुआ। २ जो अदृश्य हो । जो दिखाई न दे। ३ जिसका नाथ हो गया हो। जे यरवाद हो गया हो। ४ नृत मरा । हुआ। ५ खराब किया हुआ। ६ वञ्चित | मुक्त || - अर्थ, ( वि० ) गरीय बनाया हुआ - आतंकम् (०) बिना भय या शङ्का --सूत्रं, (न० ) लूट का माल लूट || -आशङ्क, (वि०) निडर । निर्भय । इन्दुकला (स्त्री० ) पूर्णिमा -इन्द्रिय (वि० ) इन्द्रिय- रहित।चेतन, चे, संज्ञ, ( पु० ) बेहोश - -- मूति | – चेष्टता, (स्त्री० ) सार्वदेशिफ नाश | | नाक्षत्रकिः (पु० ) नत्र मास | देखो नाशनं । प्रलय-न्मन् ( पु० ) वर्णसङ्कर | दोगला नस् ( स्त्री० ) नाक -द्र, (न० ) छोटी नाक वाला।। नस्तः (पु० ) नाक-ऊतः, (पु० ) नाथ से थामा हुआ बैल | नांग नस्तं (न० ) सुबनी। हुजसि । नस्ता ( स्त्री० ) पशुओं के नाक का छेद जिसमें नाथ बाँधी जाती है। ऊतः, ( पु० ) नया हुआ नस्थित (वि० ) नाया हुआ नाक म छेद कर रस्सी डाला हुआ। नस्य ( वि० ) नासिका सम्बन्धी ! न ( न० ) १ नाक के भीतर के बाल २ हुलास सुधनी । मस्या ( स्त्री० ) १ नाक | २ जानवर की नाक का छेद जिसमें रस्सी पिन्दोई जाती है। न ( धा० उभव० ) [ महाति -नहाते, नङ ] १ बाँधना | लपेटना | २ पहिनना। धारण करना । नहि ( धन्यया० ) नहीं। न किसी प्रकार नहीं। बिस्कुल नहीं। नहुषः (पु०) चन्द्रवंशी पुरूरवा राजा का पौत्र और राजा ययाति का पिता ना ( धन्यया ) नहीं। न नाकः ( पु० ) १ स्वर्ग २ आकाशमण्डल चर, (पु० ) देवता | २ किन्नर - नाथः, -नायकः, (पु० ) इन्द्र | - वनिता, ( स्त्री० ) अप्सरा | -सद् (पु० ) देवता। नाकिन् ( पु० ) देवता । नाकुः ( पु० ) १ दीमक की मिट्टी का दूह। वल्मीक २ पर्यंस | नाक्षत्र, (वि० ) [ स्त्री०- नाक्षत्री ] नक्षत्र युक्त। नाक्षत्रं ( ० ) ६० घड़ी के दिन से ३० दिवस का मास: नाचत्र मास | कितने दिनों में चन्द्रमा २७ नक्षत्रों पर वार घूम जाता है उसे नाचत्र मास कहते हैं। नागः (5० ) सर्प २ सर्प जाति विशेष जिनका ऊपरी शरीर मनुष्याकृति का और नीचे का धड़ सर्प शरीराकृति का होता है। ३ हाथी | ४ जल जीव विशेष | शार्क २ निधुर या संगदिल आदमी | ६ कोई भी प्रसिद्ध पुरुष ( "यथा पुरुषनाग" ) । ७ बादल ८ खूंटी । १ नागकेसर । नागरमौधा १० शरीरस्य पाँच वायुओं में से नाग वायु वह है, जिसके द्वारा डकारें आती है | ३३ म्यारद की संख्या । --अंगना ( स्त्री० ) १ हथिनी । २ हाथी की सूँड/अञ्जना (श्री०) हथिनी ।अधिपः,