पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३७१

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त्रि ( ३६४ २ तीन हिस्सों वाला | ३ तीन चौथाई वाला | ४ विष्णु । -पुट, ( घि० ) तिकौना | पुटः, ( दि० ) तिकौना | -पुटः, ( पु० ) १ बाण | २ हथेली । ३ एक हाथ या श्राधा गज | ४ नदी- तट या समुद्रतट । - पुटकः ( पु० ) त्रिकोण | -पुटा, (स्त्री०) दुर्गा का नाम । -पुराड्रम्, पुराहूकम्. ( न० ) साथे पर का तीन रेखाओं वाला टीका । - पुरं, ( न० ) तीन नगरों का समूह | पृथिवी, अन्तरिक्ष और आकाश में चाँदी, सोने और लोहे की तीन पुरियां, मयदानव ने राक्षसों के लिये बनायी थीं, जिनको देवताओं की प्रार्थना स्वीकार कर, शिव जी ने नष्ट कर डाला था। -पुरः, ( ० ) एक दानव का नाम जो इन नगरों का अधिपति था। पुरान्तकः- अरिः, -मः, ~~दहनः, द्विषू, (५०) हरः, (५०) महादेव जी के नामान्तर । पुरी, (स्त्री०) १ जबलपुर के पास का एक नगर । २एक प्रदेश का नाम । -पौरुष, (वि० ) तीन पीढ़ी तक का - प्रस्नतः, ( पु० ) मदमाता हाथी ~~ फला, ( स्त्री० ) हरं । बहेरा, आँखा 1- बलिः - वली, चलिः, चली, ( स्त्री० ) नाभि के ऊपर तीन सिमिटनें। ये श्री के सौन्दर्य का चिन्ह मानी गयी हैं 1~भद्रं, ( न० ) स्त्रीप्रसङ्ग | स्त्री- मैथुन 1-भुजं, (न० ) त्रिकोण | भुवनं, ( न० ) सीनलोक 1-भूमः, ( पु० ) तीन खना महल 1 ~ मार्गा, ( स्त्री० ) श्रीगंगा जी । -मुकुटः, ( पु० ) त्रिकूटाचल 1- मुखः, ( पु० ) बुध देव की उपाधि । मूर्ति, ( पु० ) ब्रह्मा, विष्णु और महादेव जी की मूर्ति । यष्टिः, ( पु० ) तिलाहार-यामा, ( स्त्री० ) तीन पहर की। -योनिः, ( पु० ) मुकदमा । अभि योग मुकदमा दायर करने के साधरणतः तीन कारण होते हैं। यथा- क्रोध, लोभ और बुद्धि -स्रोतसू, (स्त्री० ) गंगा । -सीत्थ, -हल्य, ( वि० ) तीन बार जुता हुआ (खेत) -हायण, ( वि० ) तीन वर्ष का | विपर्यय 1 -- रात्रं, ( न० ) तोन रात की अवधि | | त्रिंश ( वि० ) १ [ स्त्री० - त्रिंशी ] १ तीसवाँ । २ रेखः, ( पु० ) शङ्ख । लिङ्ग, (वि० ) तीन लिनों वाला अर्थात् विशेषण |~-लिङ्गः, ( पु० ) तैलङ्ग देश | -लोकं, ( न० ) तीन लोक 1- लोकेशः, (पु० ) सूर्य । - लोकनाथः, ( पु० ) तीसवाला । ३ तीस से जुड़ा हुआ जैसे त्रिंशशतं अर्थात् १३० | ) शक इन्द्र | २ विष्णु | ३ शिव । -वर्गः, (पु०) १ धर्म और काम | २ सय, स्थान और वृद्धि | - वर्णकं ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य । ---वारं, (अध्यया० ) तिवारा | तीन मर्तबा - विक्रमः, ( पु० ) वामनावतार । - विद्यः ( पु० ) तीनों वेदों का जानने वाला। -विध, ( वि० ) तीन प्रकार का । तिगुना |~ विएपं–पिष्टपं, (पु० ) स्वर्ग 1- वेणिःचेगी, (स्त्री०) प्रयाग का वह स्थान जहाँ गङ्गा. सरस्वती और यमुना का सङ्गम है।- वेदः, ( पु० ) तीनों वेदों को जानने वाला ब्राह्मण /---- शङ्कर, ( पु० ) १ सूर्यवंशी एक राजा का नाम । यह हरिश्चन्द्र राजा का पिता और अयोध्या का राजा था । २ चातक पक्षी ३ पतंगा | ४ बिल्ली। २ जुगनू । खद्योस । – शङ्कजः ( पु० ) हरि- श्चन्द्र राजा 1 – शङ्कुयाजिनँ, ( ५० ) विश्वा- मित्र । – शत, ( वि० ) तीन सौ 1- शतम्, ( न०) १. १०३ १२ तीन सौ 1 - शिखं, (न० ) तीन कलंगी का मुकुट 1-शिरस्, ( पु० ) राक्षस जिसे श्रीरामचन्द्र जी ने मारा था। ~~शूलं, अत्र विशेष | – शूलअङ्कः, -शूलधारिन, ( पु० ) शिव की उपाधि । -शूलिन्, (पु० ) शिव जी । - शृङ्गः, ( पु० ) त्रिकूटाचल 1- षधिः, ( स्त्री० ) ६३ । सन्ध्यं ( न० ) सन्ध्यो, (खी० ) प्रातः, मध्यान्ह और सायं काल । सन्ध्यं, (अव्यया० ) तीन सन्ध्याओं का समय 1-सप्तत, ( वि० ) ७३वाँ - सप्ततिः, ( स्त्री० ) ७३ । - सप्तन्– सप्त. ( वि० बहु० ) २१॥ इक्कीस | सायं, ( न० ) तीनों गुणों की समानता ।—स्थली, (स्त्री० ) तीन तीन तीर्थ स्थान अर्थात् काशी, प्रयाग और गया । त्रिंशक ( वि० ) १ तीस वाला । २ तीस में खरीदा हुआ या तीस के मूल्य का ।