पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३६९

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त्रि ( वि० बहु० ) १३ । दशी (खा०) तेरस | नवति, ( घा० ) १३१-पंचाशत् (स्त्री०) २३ त्रेपन - विंश, (वि० ) २३वाँ | - विंशतिः (स्त्री०) २३ | तेइस /-पष्टिः (सी०) ६३ प्रेसठ। सप्ततिः, (खी०) ७३ | सिहसर | त्रयो (०) १ तीन वेदों का समूह | २ त्रिगड्डा | त्रिमूर्ति | त्रिपट्टा ३ सधवा स्त्री जिसका पति और बाल बच्चे जीविन हो । ४ बुद्धि । प्रतिभा । तनुः (पु०) १ सूर्य । २ शिव 1- -धर्मः, ( पु० ) तीनों वेदों में कथित धर्म /मुखः ( पु० ) श्राह्मण । त्यागः (५०) १ छोड़ना अलहदा हो जाना । वियोग । | असू ( भा० परस्मै० } [त्रसति त्रस्पति, अस्त]१ कौंपना थरथराना। } } २ विराग ३ भेट दान धर्मादा ४ उदारता ! २ पसेव | शरीर का सक्ष-युत, शील, ( वि० ) उदार त्यागिन् ( वि० ) त्यागने वाला छोड़ देने वाला २ दे डालने वाला। दानी ३ बीर बहादुर ४ | कर्मानुष्ठान के फल की आशा न रखने वाला। अपू] ( घा० आत्म० ) [ अपते, अपित ] मार्माना। लजित होना । अस ( वि० ) चल । जंगम गतिशील । -रेः, ( पु० ) १ सूर्य की किरण में व्यास परमाणु का छठवाँ अँश २ सूर्य की सी का नाम । शसं ( म० ) १ वन | जंगल | २ जानवर। असः (१०) हृदय असरः (पु० ) जुलाई की ढरकी। नारी। माखा । रयज् होत्र करना त्याग दिया हो जीवित प्राख ( वि० ) किसी भी प्रकार की अखा में अपने कर डालने के लिये उद्यत प्राण दागने को तैयार। लज (वि० ) वेदया। बेशर्म त्यजू ( घा० परस्मै०) (न्यजति त्यक ) १ त्यागना | छोड़ना। अलहदा हो जाना । २ विदा करना | छोड़ देना। निकाल देना । ३ विरक्त होना । 8 बच निकलना कनियाना | कतरा जाना ।

  • छुट्टी पाना पीछा छुड़ाना। एक ओर कर

देना । ७ ध्यान न देना छोड़ना जाने देना। बाँटना। 1 टुर ) (वि०) भयविह्वल । डरपोक कापने वाला। १ । त्रपा] ( खी० ) १ लाश शर्म को २ नालस्तु ) स्त्री | ३ ख्याति । प्रसिद्धि 1- निरस्त, हीन. | प्रस्त ( ० ० ) १ डरा हुआ। भयभीत। डरपोक ( वि० ) निर्लज्ज | बेहया येशमं!~ रण्डा, ( स्त्री० ) वेश्या । रंडी। I भयविह्नला २ जल्दी स्थरा (वि० ) अत्यन्त सन्तुष्ट | बाण (व० कृ०) संरक्षित रक्षा किया हुआ। बचाया हुआ। [ सन्तुष्ट | अपीयस् (वि० ) [ स्त्री० -त्रपीयसी ] अधिकतरा ( न० ) १ रक्षा | वचाव | २ पनाह ! सहायता | त्रपु ( न० ) टीन जस्ता त्रात ( ० ० ) सुरक्षित रक्षित | त्रापुष (बि०) [स्त्री० --त्रापुप] टीन का बना हुआ। त्रास (वि०) 1 गतिशील । २ भव | त्रासः (१०) १ डर भय शङ्का २ रख का ऐव त्रासन ( वि० ) भयप्रद । भयावह शासनम् ( न० ) भी करने की किया। (वि० ) डरा हुआ। भयभीत । त्रपुलम् अपुषम् ( न० ) टीन | जस्ता | त्रपुस् पुसम् प्यं ( न० ) माठा या घोला हुआ दही। जय ( वि० [ श्री० नयी ] तिहरा । तीन गुना तीन प्रकार के तीन भागों में विभाजित । भयं ( न० ) तिगड्डा | तीन का समूह | त्रयस् (फर्ता० बहु० पु०) सीन /--तत्वारिंश, (चि०) तेतालीसवां :-चत्वारिंशत, (वि०) तेतालीस | त्रिंश, (व०) ३३वाँ |--त्रिंशति, (वि० या स्त्री० ) वेतीस--वृश, (वि० ) १ तेरहवाँ 1 -दशन् त्रि संख्यावाची विशेषण [ इसके रूप केवल बहुवचन में होते हैं। कर्ता पु० जयः, (श्री० ) शिस्रः, ( न० ) श्रीणि ] तीन अंशः, ( पु० ) १ तिहरा हिस्सा तिगुना हिस्सा २ तिहाई हिस्सा।-प्रक्षः, अक्षकः ( पु० ) शिव जी ।