पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३६६

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( ३५९ ) तूशा वेगवान २ स्वरायाला तूण (वि० ) १ तज्ञ शीघ्रगामी फुर्तीला | तूर्ण (अभ्यबा० ) तेज़ी से फुर्सी से। शीघ्रता से । तूर्णः ( पु० ) शीघ्रता । फुर्ती । तूर्ये ( न० ) ) वाद्ययंत्र विशेष ।--श्रोधः, ( 50 ) तूर्यः (पु० )) श्रौजारों का समूह | फूस का धंध - घास की बनी मसाल जला फूस का मूडा धाकस, (न० ) फूस की झौंपड़ी काण्डः, (पु०) काण्डम् (न०) घास का ढेर।कुटी (बी०) कुटीरकं (न०) घास फूल की कुटिया । —केतुः, ( पु० ) खजूर का पेड़-गोधा (स्त्री० ) एक प्रकार का गिरगट| गोह-माहिन, (पु० ) मीलम | पुखराज /--- चरः ( पु० ) गोमेद मणि ।- जलायुका - जलका, (स्त्री० ) भौंका। कमला । कीड़ा | द्रुमः, ( पु० ) १ नारियल । २ ताल | ३ खजुर । ४ केतक वृक्ष | २ छुहारे का वृक्ष 1-धान्यं, ( न० ) विना जोती बोई भूमि में उत्पन्न धान्य । नीवार धान्य विशेष - ध्वज (पु० ) श्वाल वृक्ष | २ बॉस पोर्ड ( न० ) हाथापाई 1- फूटी, ( स्त्री० ) चढाई | नरकुल की बनी बैठकी। प्राय ( वि० ) निकम्मा | तुच्छ - विन्दुः (पु० ) एक ऋषि का नान-मणिः, ( पु० ) रत्न विशेष |--राज, (५०) १ नारियल का पेड़ | २ वाँस | ३ ईस १४ तालवृक्ष - वृक्षः, (५०) खजूर का पेड़। बुहारे का पेड़। - शीतं, (न०) एक प्रकार की सारा, ( स्त्री० ) केले का पेड़ सिंहः ( पु० ) कुल्हाड़ी ।-हर्म्यः, ( पु० ) फूल का फौपड़ा। परि | तुराया (स्त्री० ) वास या फूल का ढेर तृतीय (वि०) तीसरा--प्रकृतिः ( पु० या सी० ) हिजड़ा। मपुंसक । नारियल का पेड़ महकदार घास 1- तूल (न० ) ) १ रई | २ अन्तरिक्ष आकाश | वायु- तूलः (पु०) ) मण्डल - कार्मुकं, (न०) धनुस्, ( न० ) रुई धुनने की कमान धनुही -- पिचुः, ( पु० ) रुई।-शर्करा, (स्त्री० ) १ बिनौला । २ घास का गर। शहतूत तूलकं (न० ) रुई | तूला (स्त्री० ) १ कपास का पेड़ २ दिया की बत्ती। + तूली (स्त्री० ) १ रुई । २ बत्ती | ३ जुलाहे की बूंधी ४ चितेरे की कूंची: ५ नील का पौधा | तूलिः ( स्त्री ) चितेरे की कुंची। तूलिका (स्त्री० ) चितेरे की कुंची। पैसित | २ सूती बत्ती) ३ रुई भरा गड़ा | ४ वर्मा छेद करने का औसार । तूष्णीक (वि० ) खामोश चुपचाप । तूष्णीं ( अन्यथा० ) गुप्त रूप से सुपचाप । बिना बोले या शोरगुल किये - भावः, ( पु० ) खामोशी | मूकत्व - शीन, (वि०) स्ख़ामोश | तूस्तं ( म० ) १ जटा | २ धूल ३ पाप माणु । झरी । नूंहू ( धा० परस्मै० ) [ वृंहति ] वध करना। घायल करना | जाय -अञ्जनः, दां ( न० ) १ घास २ नरकुल । सरयत ३ घास ! फूसकी बनी कोई चीज 1-अनिः, (पु० ) 3 फूस था भूसी की श्राग २ भाग जो जल्द शुभ | ( पु० ) गिरगढ वी (स्त्री०) वन जिसमें घास बहुत हो । 1- आवर्तः, (पु० ) हवा का वबंदर २ एक दैश्य का नाम जिसे श्री कृष्ण ने मारा था ।- असृजं, ( न० ) – कुङ्कुमयू, ( न० ) गौरं, ( न० ) भिन्न भिन्न प्रकार के सुगन्ध-द्वन्य , ( पु० ) खजूर का पेड़ - उल्का, (स्त्री०) तृतीयं ( न० ) तिहाई। तीसरा हिस्सा। तृतीयक ( वि० ) 5 विजारी। तीसरे दिन आने चाला ज्वर । तृतीया ( स्त्री० ) १ तिथि तीज २ कारक विशेष -कृत (वि० ) तीन बार जोता हुआ खेत-- प्रकृतिः, ( पु० स्त्री० ) हिजड़ा । नपुंसक | तृतीयिन् (वि० ) तीसरा भाग पाने का अधिकारी। हृद् (धा० परस्मै० ) [तर्दति, तृणचि, तुप्ते, तृरण] १वीरना | फाड़ना | छेद करना: २ मार डालना नष्ट कर डालना उजाय देना। ३ छोड़ देना | मुक्त कर देना। ४ तिरस्कार करना।