ज्वाला ( ३४१ ज्वाला ( स्त्री० ) शोला । प्रकाश 1- जिहर, ( पु० ) -ध्वजः, ( पु० ) आग 1-मुखी. आतिशी पहाड़ पहाड़ जिससे भाग निकले। | ज्वालिन् (५०) शिवजी की उपाधि । संस्कृत अथवा देवनागरी वर्णमाला का नवोँ और चवर्ग | भूपाकः भम्पाकः का चौथा वर्ण। यह स्पर्श है और इसके उच्चारण में संचार, नाद और घोष प्रचल होते हैं। च छ ज और इसके सवर्ण कहे जाते हैं। इसका उच्चा- भगभगायति ( क्रि० ) चमकना । जल उठना । } ( श्रब्य० ) शीघ्रता से । फुर्सी से । भगति भगिति ऋकार: ( पु० ) झरः ( पु० ). भरा (स्त्री० ) झरो (स्त्री० ) रय स्थान तालु है। सः (5०) ध्वनि । मुलन की आवाज २ अंकार (पु०) बात । ३ बृहस्पति । भंकृतम् (न० ) भकृतम् ( न० ) संकारिणी । 9 भौरे की गूँज । भाकृतम्-म् --वक्त्रः, ( पु० ) fat की उपध विशेष | गङ्गा नदी । ) भंकृतिः ( ( स्त्री० ) धातू के बने आभूषणों के | भइतिः । यजने का शब्द विशेष । संकार । ( न० ) धातु के बने आभूषणों का लम् । शब्द या भंकार । झा (छो०) १ पवन के चलने या जलदृष्टि का भन्मा ) शब्द | २ औंधी पानी । तूफान | ३ भन शब्द (-अनिलः, ( पु० ) मरुतू,--- वातः, ( पु० ) आंधी पानी। सूफान । अदिति ( अन्यथा० ) तुरन्त । फुर्ती से फौरन भरण (२० ) } कार | मन का शब्द । (स्त्री० ) 1 यित (वि० ) भंकार शब्द करने वाला । भणत्कारः ( पु० ) नूपुर, कण आदि के बजने सनत्कारा का शब्द । कंपः, कम्पः ( पु० ) ( कूदना | कुलोँच उड़ाल | | भंपा, भम्पा ( स्त्री० ) । कपट । पाया झंपिन कम्पिन् यंदर | लंगूर | करना । जलप्रपात । घरमा । सोता डोट | २ कलियुग | ३ वेत की { करा ( श्री० ) वेश्या । रंडी | रिन (पु० ) शिव जी की उपाधि । कत्ता ( स्त्री० ) १ आतप । छड़ी ४ भौफ मजीरा । पुत्री २ धूप घाम झल्फला ( वि० ) टपकने का या हाथी के काँनों के फड़फड़ाने का शब्द | भलः (पु० ) १ पुरस्कार प्राप्ति के लिये लड़ने वाले। २ नीच जातियों में से एक भल्ली (स्त्री० ) दोस विशेष | भलकं (न० ) भलकी (ज) फौंफ | मजीरा | झलकण्ठः (पु० ) कबुतर परेशा। भट्टरी (स्त्री० ) कॉक । भलिका (स्त्री०) १ उचदन लगाने से छूटा हुआ शरीर का मैल | २ प्रकाश चमक दमक । ऋषं ( न० ) रेगस्थान। वियावान वन | भषः (पु० ) मछली २ बड़ी मछली ३ मीन राशि ४ गर्मी ताप -अङ्कः, -केतनः, - -ध्वजः, ( पु० ) कामदेव के नाम - प्रशन:, ( पु० ) सूंस । सुइस 1- उदरी, ( स्त्री० ) न्यासमाता सत्यवती का नाम । झांकृतम् ) ( न० ) १ पायजेवन । २ जल भातम् । गिरने का शब्द |
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