पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३२१

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चातुरिक ( वि० ) चौथिया | कैथे दिन होने वाला । "}, वारिक वातुर्थक चतुर्थिक चातुर्थिकः ( 50 ) चौथिया बुखार | चातुर्थाहिक ( वि० ) चौथे दिन का | चातुर्दशं ( म० ) राक्षसा चातुर्दशिकः ( पु० ) चतुर्दशी के दिन धनाध्याय दिवस होता है। जो इस अनाध्याय के दिवस अध्ययन करता है उसे चातुर्देशिक: कहते हैं। चातुर्मासिक ( वि० ) [ स्त्री० -- चातुर्मासिका ] चातुर्मास्य यज्ञ करने वाला चातुर्भाचं ( न० ) यज्ञ विशेष जो प्रत्येक चार मास याद थर्थात् कार्तिक, फाल्गुन और श्राषाढ़ के थारम्भ में किया जाता है। ( ३१४ ) चांद्रमसायनः चान्द्रमसायनः चांद्रमसायनिः चान्द्रमसायनिः यारम् चान्द्रायणम् } ( F० ) चान्द्रयण बत। चान्द्रायशिक } (वि० ) चान्द्रयय-व्रत-धारी । चाएं ( न० ) १ धनुष कमान २ इन्द्रधनुष । ३ वृत्तांश । ४ धनुप राशि | चापलं ) ( न० ) १ चपलता । चञ्चलता । फुर्ती । चापल्यं ) ३ फुर्तीलापन। अस्थिरता नश्वरता । ३ अविचारित कर्म । जल्दबाज़ी। जल्दबाज़ी का काम बेचैनी। विकलता। चैवर चौरी । - ग्राह ग्राहिन ( पु० ) चैवर डुलाने वाला । चॅनरवरदार । -ग्राहिणी ( स्त्री० ) दासी जो राजा के ऊपर चँवर डुलावे ।-पुष्पः, ( न० ) – पुष्पकः ( पु० ) १ सुपाड़ी का पेड़ | चातुर्य ( न० ) १ निपुणता । चतुराई | २ मनो- हरता। सौन्दर्य २ केतकी का पेड़ | ३ आम का पेड़ | चातुर्व ( न० ) १ हिन्दुओं की चार वर्ण की | चामरिन् (पु० ) घोड़ा | अश्व । ) - व्यवस्था । २ इन चारों वर्गों के अनुष्टेय कर्म । चातुर्विध्यम् (न०) चार प्रकार | चार तरह । [कुशा चात्वालः (पु० ) १ चोकार अग्निकुण्ड | २ | चांदनिक ३१ चन्दन सम्बन्धी या चन्दन से उत्पन्न । चान्दनिक २ चन्दन के तेल या लेप से सुवासित। चांद्र | चन्द्रमा सम्बन्धी । -भागा ( स्त्री० चान्द्र ) चन्द्रभागा नदी । - मासः, (पु०) महीना जिसकी गणना चन्द्र तिथियों के अनुसार की | जाती है। प्रतिकः, (पु० ) चान्द्रायण व्रत-धारी । चांद्र ) ( पु० ) १ चन्द्रतिथियों से गणित मास । चान्द्रः ) २ शुकृपक्ष । ३ चन्द्रकान्त मणि | चांद्रम् चान्द्रम् चांद्रकम् चान्द्रकम् चांद्रमस चान्द्रमस चांद्रमसं } ( म० ) चान्द्रायण व्रत । } ( म० ) सौंठ । } { बि० ) चन्द्रमा सम्बन्धी । चान } ( २० ) मृगशिरल नक्षत्र । (पु०) बुधग्रह | चामरः ( पु० ) ) चामरम् ( न० ) ) चामकरं ( न० ) १ सुवर्ण | सोना । २ धतूरा | प्रख्य, (वि०) सुवर्ण की तरह। चामुंडा ) ( स्त्री० ) दुर्गा देवी का एक भयानक चामुण्डा ) रूप | चाम्पिला ( स्त्री० ) चंपा अथवा आधुनिक नदी चंवल । चाम्पेयः ( पु० ) १ चंपा वृक्ष | २ नागकेसर वृक्ष । चम्पेयम् ( न० ) १ कमल नाल का सूत्त या रेशा । २ सुवर्ण | ३ धतूरे का पोधा चाय (धा० उभय०) [चायति-चायते] १ देखना । सूझना | २ पूजन करना । 1 चार: ( पु० ) १ गमन चहलकदमी गति । चाल । भ्रमण । २जासूस। भेदिया। ३ अभ्यास | अनुष्ठान । ॐ बँदीगृह | ५ वेदी । जंजीर । अन्तरितः, ( पु० ) जासूस। - ईक्षणः, ( पु० ) चक्षुसू, ( पु० ) राजा जो घरों के द्वारा देखता है।- चण, (वि०) चञ्चु, ( वि० ) सुन्दर चाल या गति दाला -पथः, ( पु० ) चौराहा | भटः, ( पु० ) वीर योद्धा । -वायुः, ( पु० ) ग्रीष्म ऋतु में बहने वाला पवन पर्छयौं हवा पछियाव | चारम् (न० ) एक कृत्रिम विष ।