पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३२

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

अदवः प्रदेवः (न० ) वह जो देवता न हो । राक्षस दैत्य असुर 1 प्रदेश: (पु० ) अनुपयुक्त स्थान २ कुदेश वर्जित देश - कालः (पु०) कुदेश और कुसमय | स्थ (वि० ) कुठौर का । ( (वि०) १ निर्दोष । दोषरहित । त्रुटिरहित । निरपराध | २ रचना सम्बन्धी दोषों से वर्जित । ( रचना के दोष जैसे अश्लीलता; ग्राम्यता आदि ।) (०) वह समय जिसमें गौ का दुहना सम्भव नहीं। २ न दुहना । श्रद्धा (अव्यया० ) सचमुच | वेशक निस्सन्देह । दरहकीकत | २ प्रत्यक्ष रूप से स्पष्टतया । अद्भुत (वि० ) १ विलक्षण विचित्र श्राश्चर्य जनक । विस्मयकारक । अनौखा । श्रजीव । अनूठा ‘ अपूर्वं । अलौकिक । २ काव्य के नौ रसों में से एक ।-सारः अद्भुत राज सर्जरस । यतधूप | -स्वनः ( पु० ) १ आश्रर्यशब्द । २ महादेव का नाम । अनिः (पु० ) श्राग व्यग्नि । योँच । (वि० ) बहुत खाने वाला । भहणशील अद्य (वि०) खाने योग्य । अद्यतन (वि० ) १ आज सम्बन्धी आज तक की। २ आधुनिक । अद्वैतम्

(पु० ) १ पर्वत । पहाड़ | २ पत्थर | ३ वज्र

कुलिश | ४ वृक्ष | ५ सूर्य । ६ बादलों की घटा बादल ७ सापविशेष सात की संख्या । अद्यतनी (स्त्री०) भूतकाल का परियायवाचक शब्द | अद्यतनीय अद्यतन १ श्राज का १२ आधुनिक अद्रव्यं ( न० ) १ वह वस्तु जो किसी भी काम की न हो । निकम्मी वस्तु २ कुशिष्य | कुपात्र | २७ ) - ईशः पतिः, नाथः (पु०) १ पहाड़ों का राजा। हिमालय | २ कैलासपति महादेव । —कीला ( स्त्री० ) पृथिवी |--कन्या, तनया, सुता (स्त्री०) पार्वती । -जं (न०) गेरू मिट्टी । – द्विष, -भिद् (पु०) पर्वत-शत्रु या पर्वत को विदीर्ण करने वाला । यह इन्द्र की उपाधि है । - द्रोण, - (स्त्रो० ) १ पहाड़ की घाटी । २ नदी जो पहाड़ से निकलती है। - पतिः - राजः (पु०) पहाड़ों का स्वामी | हिसालय – शय्यः ( पु०) शिव / - शृङ्गम् ( न० ) - सानु पर्वत का शिखर । पहाड़ की चोटी । - सारः ( पु० ) पर्वत का सारांश | लोहा | अद्रोहः (go ) विद्वेषशून्यता | विनम्रता । अद्वय (वि० ) १ दो नहीं | २ एकमात्र । बेजोड़ | अद्वितीय श्राज भी अचम् ( न० ) भोज्यपदार्थ । खाने योग्य कोई वस्तु । ( अव्यया० ) आज । आज का दिन वर्तमान दिवस |-अपि ( = अद्यापि ) आज तक अब भी। अब तक नहीं । - अवधि ( अद्यावधि ) १ आाज से आज तक 1- पूर्व ( न० ) आज के पहिले । इससे अद्वितीय ( वि० ) बेजोड़ | केवल । एकमात्र । पूर्व । आज से आगे - श्वीना ( वि० ) वह जिसके समान दूसरा न हो। गर्भिणी स्त्री जो एक ही दो दिन में बच्चा जनने | अद्वितीयम् ( न० ) परमात्मा । ब्रह्म । वाली हो । आसन्नमसवा । (वि० ) द्वितीयशून्य । अपरिवर्तनशील । २ अनुपम | बेजोड़ | एकाकी । द्वैतम् ( न० ) १ऐक्य । ( विशेष कर ब्रह्म या जीव का अथवा ब्रह्म और संसार का अथवा जीव और बाह्य पदार्थों ।) २ सर्वोत्कृष्ट या सर्वो- • परि सत्य । ब्रह्म । --वादिन । ( वि० ) वेदान्ती । ब्रह्म और जीव को एक मानने वाला। . श्रयः (पु० ) बुद्धदेव का नाम । अद्वयं (न०) अद्वितीयता। विजातीय और स्वगतभेद- शून्यता। सर्वोत्कृष्ट सत्य । ब्रह्म और विश्व की एकता । जीव और बाह्य पदार्थों की एकता | - वादिन् ( न०) वेदान्ती। बौद्ध | अद्वैतवादी । बौद्धविशेष | अद्वारं ( न०) द्वार नहीं। कोई भी निकलने का रास्ता या द्वार, जो नियमित से दरवाज़ा न हो ।